सांवली संध्या का सफर 11
रोशनी एक प्लेट मे चखना लाती है उसका राजन और उसके जीजा दोनो नंशे मे धुत्त है दोनो केवल बनियान वा तहमद मे थे, रानी सलवार कुर्ती मे बगल मे बैठी थी सास वा ससुर छत पर बने कमरे मे थे यह तीनो आंगन मे थे ऑगन घर के बीच था काफी बड़ा आंगन था रोशनी गुलाबी साड़ी मे थी छरहरी बदन कमर पतली मगर गांड भारी वा उठी हुई थी गोरे बदन पर गुलाबी साड़ी फब रही थी, बता दे चिंताराम( जीजा) और रोशनी पहले से एक दूसरे को जानते थे क्योंकि कस्बे मे दोनो एक कॉलेज मे पढे चिंताराम सिनियर था मगर गरीब परिवार से था रोशनी अमीर घर से थी चिंताराम रोशनी की सुंदरता पर मरता था मगर कुछ कर नही पाता एक दिन उसने रोशनी का हाथ कॉलेज मे अकेले मे पकड़ कर दोस्ती का इजहार किया मगर रोशनी ने घमंड मे चिंताराम को थप्पड़ जड़ दिया कहा हरामी दो कोड़ी के कुत्ते तु मेरे मूत पीने लायक नही है और दोस्ती के सपने देखता है
चिंताराम देखो रोशनी मै तुमसे प्यार करता हूँ
रोशनी कलूटे शक्ल देखी है और रोशनी ने चिंताराम के मुंह पर थूक दिया
समय बदल चिंताराम की शादी हो गई उसकी ससुराल काफी धन दौलत वाली थी उसने दलाल के माध्यम से रोशनी की शादी राजन से करा दी आज पहली होली थी चिंताराम मुम्बई मे कमाता था इसलिए कुछ कारणो से शादी मे नही आ पाया मगर पहली होली को आया था अपने ससुराल, रोशनी ने भी कल ही जाना की चिंताराम इस घर का दामाद है मगर यह बात रोशनी रानी चिंताराम और रोशनी की सास चार लोग जानते थे वो यह भी जानते थे कि इस घर मे चिंताराम की ही चलती है और अब चिंताराम रोशनी को हर हाल मे सबक सिखायेगा
राजन कहाँ मर गई बुरचोदी इतनी देर कहाँ गांड मरा रही थी
चिंताराम हँसते हुये साले काहे गुस्सा होत हो आ रही है बैचारी वैसे भी इतनी मस्त गांड कौन नही मारना चाहेगा इतना कहते ही चिंताराम ने अपना हाथ रोशनी की गांड पर रख दिया
रोशनी ने झट से झटक दिया
रानी भौजी इतने तेवर वो इस घर के दामाद है पता है,
रोशनी को काटो खून नही
रोशनी एक प्लेट मे चखना लाती है उसका राजन और उसके जीजा दोनो नंशे मे धुत्त है दोनो केवल बनियान वा तहमद मे थे, रानी सलवार कुर्ती मे बगल मे बैठी थी सास वा ससुर छत पर बने कमरे मे थे यह तीनो आंगन मे थे ऑगन घर के बीच था काफी बड़ा आंगन था रोशनी गुलाबी साड़ी मे थी छरहरी बदन कमर पतली मगर गांड भारी वा उठी हुई थी गोरे बदन पर गुलाबी साड़ी फब रही थी, बता दे चिंताराम( जीजा) और रोशनी पहले से एक दूसरे को जानते थे क्योंकि कस्बे मे दोनो एक कॉलेज मे पढे चिंताराम सिनियर था मगर गरीब परिवार से था रोशनी अमीर घर से थी चिंताराम रोशनी की सुंदरता पर मरता था मगर कुछ कर नही पाता एक दिन उसने रोशनी का हाथ कॉलेज मे अकेले मे पकड़ कर दोस्ती का इजहार किया मगर रोशनी ने घमंड मे चिंताराम को थप्पड़ जड़ दिया कहा हरामी दो कोड़ी के कुत्ते तु मेरे मूत पीने लायक नही है और दोस्ती के सपने देखता है
चिंताराम देखो रोशनी मै तुमसे प्यार करता हूँ
रोशनी कलूटे शक्ल देखी है और रोशनी ने चिंताराम के मुंह पर थूक दिया
समय बदल चिंताराम की शादी हो गई उसकी ससुराल काफी धन दौलत वाली थी उसने दलाल के माध्यम से रोशनी की शादी राजन से करा दी आज पहली होली थी चिंताराम मुम्बई मे कमाता था इसलिए कुछ कारणो से शादी मे नही आ पाया मगर पहली होली को आया था अपने ससुराल, रोशनी ने भी कल ही जाना की चिंताराम इस घर का दामाद है मगर यह बात रोशनी रानी चिंताराम और रोशनी की सास चार लोग जानते थे वो यह भी जानते थे कि इस घर मे चिंताराम की ही चलती है और अब चिंताराम रोशनी को हर हाल मे सबक सिखायेगा
राजन कहाँ मर गई बुरचोदी इतनी देर कहाँ गांड मरा रही थी
चिंताराम हँसते हुये साले काहे गुस्सा होत हो आ रही है बैचारी वैसे भी इतनी मस्त गांड कौन नही मारना चाहेगा इतना कहते ही चिंताराम ने अपना हाथ रोशनी की गांड पर रख दिया
रोशनी ने झट से झटक दिया
रानी भौजी इतने तेवर वो इस घर के दामाद है पता है,
रोशनी को काटो खून नही