सांवली संध्या का सफर 16
रानी अंदर आकर बड़ी सॉस लेती है
सास का रे बिटिया बड़ी लंबी सॉस ले रही है
रानी अम्मा जुम्मन हरामी को जानती है बेटा गाँडू है तो बाप गॉड फाड़ने वाला
सास हसते हुये अब का कह रहा था
रानी भौजी की तारीफ कर रहा है इशारो से ऑख मारती हुई
सास समझ जाती है जानती हूँ उसकी निगाह अब कहाँ है
चिंताराम मादरचोद तुम्हारे चक्कर मे यह बेचारा मूत नही पा रहा मै खुद ही जा रहा
सास अरे हमार बेजज्ती ना करवाओ लोग क्या कहेंगे घर के एकलौते दमाद का मुता तक ना पाये जा रोशनी घर से एक बर्तन ले आ
रोशनी हतप्रद खड़ी थी जैसे अचानक से उसे किसी ने झकझोरा था वो नीचे से एकदम नंगी थी शरीर पर मात्र ब्लाऊज था
सास जाती है कुत्तिया की नही
रोशनी झट से रसोई की तरफ दौड़ी राजन नशे मे एकदम चूर आँगने के कोने मे पड़े तख्ते पर लेट गया था जो टेवल मे नजदीक था सामने कुर्सी पर उसके जीजा बैठे थे टेवल की दूसरी तरफ एक बेंच पड़ी थी यह हिस्सा ऑगन के दक्षिण् ओर जीने के सट कर था पश्चिम तरफ दो कमरे वा एक छोटी रसोई थी ऑगन के पूर्व एक आम का पेड़ और पेड़ के नीचे नल था नल के पास पुरब दिवार एक नाली थी वा पूर्व की दिवाल पर मुख्य दरवाजा था
चिंताराम का लंड दौड़ती रोशनी की गाड़ देख टनटना चुका था तहमद मे खड़ा होकर तंबू बना रहा था सामने बैठी उसकी सास वा पत्नी रानी यह देख मंद मंद मुस्कान दे रही थी
रोशनी को कुछ ना सुझा वो कढाई ले आई और आकर चिंताराम के सामने खड़ी हो गई
रानी ने देखा की रोशनी की चुत से एक पतली सी डोर के सहारे बुँद बुंद टपक रही थी वो समझ गई भले रोशनी तैयार ना हो अभी मगर चुत रानी अपनी तैयारी कर रही है उसे मालूम है आगे क्या होने वाला है
सास हरामजादी तुझे समझाना पड़ेगा की कैसे मुतया जाता है रंडी जादा हरामपना ना कर
रानी जादा सती बनती है अपने पति की बात तो मानेगी जा जैसे बताया था वैसे जाकर अपने पति से पूछ
रोशनी हलके हलके अपने पति की तरफ बढने लगी
सास रुक कुतिया यह एक कपड़ा क्या फैशन के लिए पहन रखा है जा रानी उतार दे इसे भी
रानी ने आगे बढकर रोशनी की बची हुई इज्जत भी उतार दी अब उसकी गोरी मदमस्त चुचियाँ उन्मुक्त रूप बहार आ चुकी थी खुले मे उसकी भूरे घुंडिया टाईट हो चुकी थी अब वो सीधे अपने पति राजन के तख्ते पर आई जो बेसुध नशे मे सोया था उसने आवाज दी मगर राजन टस से मस नही हुआ
रानी जैसे कहा था वैसे उठा कुत्तिया वरना दरवाजा सामने है
वो डर से तखते पर चढी और तख्ते पर लेटे राजन के दोनो ओर एक एक टॉग रख कर बैठ गई उसके मुँह पर बैठते ही उसकी बिना बालो वाली बुर जिसे शायद उसने आज ही बनाया था खुल गई दोनो गोरी पुक्तिया आपस मे अलग हो गई और चुत तक छोटा छेद राजन के मुंह पर था वा भग्नास्ये क्लिट उसकी नाक से रगड़ रहा था चिंताराम यह देख कर पानी छोड़ दिया और तहमद वीर्य से गीला हो गया हो भी क्यो ना जो उसके सपनो की परी थी जो उसका कृश थी जो उसके पहुंच से बाहार दिख रही थी आज खुद उसके सामने थी यह होना तो निश्चित था रानी ने यह जान कर तुरंत हॅसते हुये अपने पति का तहमद खोल दिया और बनियन भी उतार दी चिंताराम का काला लंड झंटो के बीच लटक रहा था रानी ने देखा लंड पर बदबूदार चाकलेटी परत चढी है वो समझ गई सुबह अम्मा की गांड मारने के बाद उन्होंने धोया नही रानी ने लंड पकड़ अम्मा की ओर इशारा किया
सास कर करू बिटिया इसने चुसकर साफ ही नही करने दिया बड़ा जल्दी मे था
रानी कोई बात नही अम्मा होता है, लंड पकड़कर अरे नटखट जिसे देख कर तु पानी बहा रहा है उसका पानी भी तुझे पीना है और लंड मुँह मे डाल चुसने लगी
रानी अंदर आकर बड़ी सॉस लेती है
सास का रे बिटिया बड़ी लंबी सॉस ले रही है
रानी अम्मा जुम्मन हरामी को जानती है बेटा गाँडू है तो बाप गॉड फाड़ने वाला
सास हसते हुये अब का कह रहा था
रानी भौजी की तारीफ कर रहा है इशारो से ऑख मारती हुई
सास समझ जाती है जानती हूँ उसकी निगाह अब कहाँ है
चिंताराम मादरचोद तुम्हारे चक्कर मे यह बेचारा मूत नही पा रहा मै खुद ही जा रहा
सास अरे हमार बेजज्ती ना करवाओ लोग क्या कहेंगे घर के एकलौते दमाद का मुता तक ना पाये जा रोशनी घर से एक बर्तन ले आ
रोशनी हतप्रद खड़ी थी जैसे अचानक से उसे किसी ने झकझोरा था वो नीचे से एकदम नंगी थी शरीर पर मात्र ब्लाऊज था
सास जाती है कुत्तिया की नही
रोशनी झट से रसोई की तरफ दौड़ी राजन नशे मे एकदम चूर आँगने के कोने मे पड़े तख्ते पर लेट गया था जो टेवल मे नजदीक था सामने कुर्सी पर उसके जीजा बैठे थे टेवल की दूसरी तरफ एक बेंच पड़ी थी यह हिस्सा ऑगन के दक्षिण् ओर जीने के सट कर था पश्चिम तरफ दो कमरे वा एक छोटी रसोई थी ऑगन के पूर्व एक आम का पेड़ और पेड़ के नीचे नल था नल के पास पुरब दिवार एक नाली थी वा पूर्व की दिवाल पर मुख्य दरवाजा था
चिंताराम का लंड दौड़ती रोशनी की गाड़ देख टनटना चुका था तहमद मे खड़ा होकर तंबू बना रहा था सामने बैठी उसकी सास वा पत्नी रानी यह देख मंद मंद मुस्कान दे रही थी
रोशनी को कुछ ना सुझा वो कढाई ले आई और आकर चिंताराम के सामने खड़ी हो गई
रानी ने देखा की रोशनी की चुत से एक पतली सी डोर के सहारे बुँद बुंद टपक रही थी वो समझ गई भले रोशनी तैयार ना हो अभी मगर चुत रानी अपनी तैयारी कर रही है उसे मालूम है आगे क्या होने वाला है
सास हरामजादी तुझे समझाना पड़ेगा की कैसे मुतया जाता है रंडी जादा हरामपना ना कर
रानी जादा सती बनती है अपने पति की बात तो मानेगी जा जैसे बताया था वैसे जाकर अपने पति से पूछ
रोशनी हलके हलके अपने पति की तरफ बढने लगी
सास रुक कुतिया यह एक कपड़ा क्या फैशन के लिए पहन रखा है जा रानी उतार दे इसे भी
रानी ने आगे बढकर रोशनी की बची हुई इज्जत भी उतार दी अब उसकी गोरी मदमस्त चुचियाँ उन्मुक्त रूप बहार आ चुकी थी खुले मे उसकी भूरे घुंडिया टाईट हो चुकी थी अब वो सीधे अपने पति राजन के तख्ते पर आई जो बेसुध नशे मे सोया था उसने आवाज दी मगर राजन टस से मस नही हुआ
रानी जैसे कहा था वैसे उठा कुत्तिया वरना दरवाजा सामने है
वो डर से तखते पर चढी और तख्ते पर लेटे राजन के दोनो ओर एक एक टॉग रख कर बैठ गई उसके मुँह पर बैठते ही उसकी बिना बालो वाली बुर जिसे शायद उसने आज ही बनाया था खुल गई दोनो गोरी पुक्तिया आपस मे अलग हो गई और चुत तक छोटा छेद राजन के मुंह पर था वा भग्नास्ये क्लिट उसकी नाक से रगड़ रहा था चिंताराम यह देख कर पानी छोड़ दिया और तहमद वीर्य से गीला हो गया हो भी क्यो ना जो उसके सपनो की परी थी जो उसका कृश थी जो उसके पहुंच से बाहार दिख रही थी आज खुद उसके सामने थी यह होना तो निश्चित था रानी ने यह जान कर तुरंत हॅसते हुये अपने पति का तहमद खोल दिया और बनियन भी उतार दी चिंताराम का काला लंड झंटो के बीच लटक रहा था रानी ने देखा लंड पर बदबूदार चाकलेटी परत चढी है वो समझ गई सुबह अम्मा की गांड मारने के बाद उन्होंने धोया नही रानी ने लंड पकड़ अम्मा की ओर इशारा किया
सास कर करू बिटिया इसने चुसकर साफ ही नही करने दिया बड़ा जल्दी मे था
रानी कोई बात नही अम्मा होता है, लंड पकड़कर अरे नटखट जिसे देख कर तु पानी बहा रहा है उसका पानी भी तुझे पीना है और लंड मुँह मे डाल चुसने लगी