भाग 38/2
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"अब घर चलते हैं। अम्मा बुला रही थी तुम्हें!" कुसुम पवन से अलग होने की कोशिश करती है।
"रुको ना! अभी क्या करेंगे जाके! तुम्हारे साथ यहां बैठना अच्छा लगता है मुझे! अभी शाम ढलने में काफी देर है।" मजबूरी में कुसुम उठ नहीं पाई। उसी तरह पवन ने उसे पकड़े रखा।
"तुम ने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया कुसुम!"
"कौनसा? किस बात का?"
"वही, तुमने मैं ने पूछा था, तुम्हें करना है या नहीं?"
"यहां पे?"
"हाँ कुसुम, यहीं पर, देखो इस सुहाने मौसम को, यह मीठी मीठी हवाएं, यह मखमल जैसे घास, दूर तक किसी का नाम व निशान नहीं, यह संकेत है कुसुम। मेरे और तुम्हारे प्यार की। इस उज्ज्वल रोशनी में मुझे अपनी कुसुम का रूप यौवन सुधा पान करना है। अपने पति को सूख नहीं दोगी तुम?"
"हुँ।"
"तुम्हारी अम्मा ने तुम्हें कुछ सिखाया नहीं? मैं ने तो सुना है गावँ में लड़कियों को सबकुछ पहले से बताकर रखते हैं?"
"और नहीं तो क्या? अम्मा ने मेरा दिमाग खा लिया। आज से थोडी? जब से मेरी शादी की बात चलने लगी है तब से।"
"क्या कहती थी तुम्हारी अम्मा?"
"वह मैं तुम्हें कैसे बता सकती हूँ। बड़ी लज्जा की बात है।"
"बताओ ना! क्या कहती थी?"
"तुम बड़े जिद्दी हो। और क्या, कहती थी, पति अगर कुछ करे तो उसे मना मत करना। चुपचाप सह लेना।"
"अच्छा! और क्या कहती थी?"
"कहती थी, पहली बार में बहुत दर्द होता है। सुना है खून निकलता है।"
"खून? खून कहाँ से निकलेगा?"
"ऊँ, तुम बड़े गंदे हो। मैं नहीं बताती जाओ।" कुसुम को सहज करने के लिए पवन ने उसे गोदी में बिठाकर रखा है। कुसुम बारबार शर्माती और अपना चेहरा पवन के सीने में छुपा लेती।
"अब बता भी दो, देखो अब तो हम पति पत्नी बन चुके हैं। तुम मुझे नहीं बताओगी तो किसे बताओगी? बताओ ना, खून कहाँ से निकलेगा?"
"आँआँ, तुम,,, तुम,,, बड़े ओ हो, और कहाँ से? लड़कियों की बुर से निकलता है।" इतना बोलते ही कुसुम फिर से अपना चेहरा लज्जा में छुपा लेती है।
"अरे मेरी कुसुम शर्माती भी है? लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा है, आखिर वहां से खून निकलेगा क्यों? आजतक कभी निकला है क्या?"
"तुम ना जानबूझकर मुझ से यह सब पूछ रहे हो! मैं नहीं बताती।"
"सच बता रहा हुँ। मुझे नहीं पता। अब तुम नहीं बताओगी तो कौन बतायेगा? बताओ ना!!"
"तुम्हें सच में नहीं पता? कित्ने बुद्दू हो तुम। हमारे गावँ के लड़कों को सब पता रहता है। पता है, कोई कोई लड़का तो शादी से पहले ही कर लेते हैं।"
"तुम ना, बार बार यही बोले जा रही हो! आखिर यह तो बताओ वह करते क्या हैं? और कहाँ करते हैं?"
"तुम सच में सुनना चाहते हो? तो सुनो। अम्मा ने भी किस पागल के साथ मेरा बियाह करवा दिया। देखो, लड़कियों की जो बुर होती हैं ना, उसमें एक छेद होता है। उस छेद में लड़कों के पास जो ल,,,,लन,,,,,,,लिंग होता है जब वह बुर में घुसता है तब लड़कियों को दर्द होता है और वहीं से खून निकलता है। बुद्धू! अब समझे?"
मासूमियत से भरी कुसुम के हावभव से पवन मन ही मन मुस्कुराने लगा। कुसुम की जबानी यह सब सुनकर पवन को बड़ा अच्छा लगने लगा था। नीचे उसका लौड़ा बहुत पहले से गुर्रा रहा था। उसे अब किसी भी हाल में एक छेद चाहिए। जिस के अन्दर जाकर वह वीर्य त्याग दे सके।
"अच्छा यह बात है। तब तो तुम्हारे पास भी वह छेद होगा। और मेरे पास वह,,,," पवन उसके कान में गुनगुनाने लगा। इससे कुसुम अब पूरी तरह लज्जा में मरी जाने लगी।
"मुझे भी तुम्हारे उस बुर के छेद में अपना लौड़ा घुसाना है कुसुम! बताओ ना, घुसाने दोगी ना मुझे!" पवन फुसफुसाकर कहते कहते कुसुम के कान की लट को अपनी दांतों से प्यार से काट लेता है।
"मैं अब तुम्हारी हो चुकी हूँ। अपनी कुसुम से जो मर्जी आये करो। मैं तुम्हें रोकने वाली नहीं हुँ। मैं तुम्हारी बनना चाहती हूँ। मुझे अपना बना लो पवन।" कुसुम भी अब उत्तेजना में पसर गई थी। वह भी पवन के प्यार का पूरा साथ देने लगी।
"आह मेरी कुसुम!! तुम कितनी खुबसूरत हो।" पवन उसे बेतहाशा चूमने लगता है। कभी पवन तो कभी कुसुम खुद एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे। धीरे धीरे यह खेल बढता गया। पवन चुंबन के साथ साथ कुसुम के शरीर को महसूस करता हुआ उसके पूरे शरीर को टटोलने लगा। और फिर कुसुम कुछ लम्हें के बाद आधी नंगी हो चुकी थी। पवन ने भी अपना कमीज खोल दिया।
मुलायम घास की चादरों पे कुसुम खुद ब खुद लेट जाती है और पवन उसके ऊपर। धीरे धीरे इस प्यार में दोनों खो गए और कुछ क्षण बाद कुसुम को पवन पूरा नंगा कर देता है। कुसुम के अमरूद जैसे सफेद दूध को देखकर पवन मानो पागल सा हो गया। वह कुसुम के गोल दूध पर टूट पड़ा। और एक प्यासे भूके की तरह दोनों अमरूद को बारि बारि से चूसने लगा।
"कुसुम अपना यह पेतिकोट भी खोल दो।" पवन उसके नाडे पे हाथ रखकर रस्सी की गट को ढीला कर देता है। कुसुम एक तरफ चेहरा फेरकर बस अपनी कमर को थोडी उंची करती है। जिससे पवन उसे खींचकर कुसुम को मादरजात नंगी कर देता है।
"तुम्हारे बुर पे एक भी बाल नहीं है कुसुम। कित्नी सुन्दर लग रही है यह?" पवन उसके दोनों टांगों को खोलकर बीच में बैठा कहने लगा।
"अम्मा रखने नहीं देती। यह वाला कल ही साफ किया है।" पवन उस मुलायम स्थान पे प्यार से हाथ फेरने लगा। कुसुम कद काठी में लम्बी थी, लेकिन अभी भी उसका शरीर एक नाजुक कलि जैसा है, लेकिन उसके बुर का आकार देखकर एसा प्रतीत होता है जैसे किसी युवती शरीर की बुर हो। बुर का घिराव और आयतन अपने आप में काफी लम्बा चौडा था। कुसुम की इस औरतवाली चूत को देखकर पवन उसमें कब लौड़ा डालेगा यही सोचने लगा।
"अच्छा किया तुम ने! मुझे साफ बुर बहुत पसंद है। इससे बुर की सौंदर्य दिखती है। तुम्हारी तरह तुम्हारी बुर भी कित्नी मदहोश करनेवाली है।" पवन भी अब अपना कमीज उतारने लगा। उसके कमर में धोती बंधी हुई है। उसे भी खोलकर एक तरफ रख देता है। पवन अब पूरा नंगा होकर कुसुम के पैरों के बीच व बीच बैठा था। पर कुसुम की सांसे अटक गई। उसकी आंखें बड़ी हो गई। उसका सीना जोर जोर से धडकने लगा। क्यौंकि उसने पवन का महा मोटा और लम्बा लौड़ा देख लिया है। क्या यही लौड़ा उसकी चूत को फाडने वाला है? कुसुम यह सोचने लगी।
"मुझे तुम्हारी चूत बहुत पसंद आई है कुसुम! तुम्हें कैसा लगा मेरा लौड़ा! अच्छा है ना यह?" पवन बेझिझ्क बोलता गया। पवन ने एक हाथ से लौड़े को पकड़ रखा है। लेकिन उसका चौड़ा हाथ भी लौड़े को ले नहीं पा रहा था। पवन का लौड़ा एक अजगर सांप की तरह दिखने लगा कुसुम को। उसकी हल्क सूखने लगी।
"यह बहुत बड़ा है।" कुसुम की आवाज में घबड़ाहट थी। पवन उसे समझ गया।
"कुछ नहीं होगा तुम्हें? यह लौड़ा तुम्हारे बुर के लिए ही बना है। और तुम्हारी चूत इस लौड़े का इन्तज़ार कर रही थी इतने दिनों से। आज इन दोनों का मिलन होगा।" पवन कुसुम के ऊपर झुक गया। और उसे चोदने को तैयार होने लगा।
"मुझे बहुत दर्द होगा। यह बहुत मोटा और बड़ा है। इतना बड़ा भी होता है क्या?" पवन झुककर कुसुम को एक चुम्मा देता है। "थोड़ा आराम से घुसाना तुम।" सहमी कुसुम डरते हुए बोली।
"मैं तुम्हारा पति हूँ कुसुम। तुम्हें मैं कैसे दर्द होने दे सकता हूँ। तुम बिलकुल चीन्ता मत करो। तुम अपना यह पैर थोड़ा खोलकर रखो। देखना मैं आराम से मेरे लौड़े को तुम्हारी इस नाजुक चूत के छेद में घुसा दूँगा।" पवन की बात पे कुसुम पुतली की मानींद अपना पैर खोल देती है। उसकी चूत का मुहाना अब पवन के लौड़े के लिए पूरी तरह से तैयार था।
"आअह आअह, धीरे डालना।" कुसुम चटपटाते हुई बोली। पवन ने अपना लौड़ा उसकी चूत के दाने पर घिसना शुरु कर दिया। पवन को क्ंवारी चूत मारने का तजुर्बा है। क्यौंकि इससे पहले उसने अपनी बहन राधा को चोदा है। लेकिन वह चुदाई पागलपन से भरी थी, उसमें जल्दबाजी थी। लेकिन इस मिलन और सम्भोग में प्यार है, कुसुम के लिये हमदर्दी है, और जल्दबाजी बिलकुल नहीं। इसी लिये पवन सब काम धीरे धीरे करना चाह रहा था। उसने लौड़े का सुपारा चूत के मुहाने मारना शुरु किया। सख्त लण्ड का दबाव कुसुम के चूत पे ऊपर पडते ही कुसुम अनजाने और आगमन आनन्द और भय में खुद को तैयार करने लगी।
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