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Incest : पुर्व पवन : (incest, romance, fantasy)

कहानी आपको केसी लग रही है।।


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A.A.G.

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भाग 37/1

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पवन ने कुसुम की पसंद का काफी कुछ खरीदकर दिया, जिससे कुसुम का हाथ कपडों की पोटली और दूसरी चीजों से भर गया। अब वह दोनों घर की तरफ लौटने लगे।

घर के पास आकर पवन ने कहा, कुसुम मैं जरा उस पेड के नीचे जाकर बैठता हुँ। तुम यह कपड़े लेकर जाओ। बाद में आता हुँ।"

कुसुम एक नए नवेली शर्मिली दुल्हन की तरह बस सिर हिलाती है और घर के अन्दर चली जाती है।


कुसुम की माँ सुमन देवी खाना पकाने में ब्यस्त थी। कुसुम को घर में आता देखकर वह बोल पडती है, अरी कुसुम बेटी तू आ गई? पवन कहाँ है?" कुसुम ने सारा सामान वहीं बरामदे में रख दिया। और थकान के मारे माँ के पास बैठ गई और माँ से चिपक गई। सुमन देवी उसके सिर पे प्यार से हाथ फेरनी लगी।


"क्या बात है कुसुम? तू ठीक तो है ना!"


"नहीं माँ एसी कोई बात नहीं है। बस थोडी थक गई हूँ। तुम्हारे उस पागल दामाद ने पूरे मेले का चक्कर लगवाया।"


"अरे पगली, अभी से थक जायेगी तो रात को क्या करेगी? वह पवन तेरा पति कहाँ गया है?"


"माँ तुम भी ना! खुद ही जाकर देख लो। बैठा होगा खेत के पास।"


"हाए, मेरी बेटी शर्मा गई। देख अब तो तुझे ही उसका ध्यान रखना होगा। अब वह तेरा पति बन गया है। भगवान का लाख लाख शुक्र है पवन के साथ तेरा बियाह हो गया। मुझे पूरा बिश्वास था, वही तेरे से बियाह करेगा। नहीं तो मैं तुझे आज मोह मिलन नहीं ले जाती।"


"क्या माँ, तुम्हें पता था? लेकिन अगर वह लाला, मतलब वह अगर आगे बड़कर शादी का प्रस्ताव स्वीकार ना करता फिर तो लाला से ही मेरी शादी होती?" कुसुम थोडी हयरान होती है।


"भला पवन एसा होने देता क्या? मैं चार पांच दिन से पवन का ही इन्तज़ार कर रही थी पगली। इसी लिए तुझ से कह रही थी, आज मेले में अच्छे रिश्ते वाले नहीं आये। लेकिन आज सुबह जब वह हमारे घर पर आया, और देख, कितने सारे कपड़े लेकर आया है वह। भला अगर उसे तुझ से प्यार ना होता तो क्या वह एसा करता? और इसी लिए मैं ने सोचा पवन को साथ लेकर चलती हूँ। जब उसके सामने लाला जैसा दानव आकर खडा होगा, वह कैसे बरदास्त कर लेगा। और इसी लिए उसने आगे बड़कर तेरा हाथ मांगा। तुझ से प्यार करता है पगली।" सुमन देवी मुस्कुराती हुई बोली। कुसुम कुछ बोलती नहीं, बस अपनी माँ से और ज्यादा चिपक जाती है।


"बहुत भूक लगी होगी तुम दोनों को? तू जाकर उसे बुला ला। खाना बस बनने वाला है।"


"नहीं माँ, मेरा पेट अभी भरा हुआ है। तुम्हारे दामाद ने ढाबे पे खिलाया है। वह शायद अभी नहीं खायेगा।"


"फिर तू यहां बैठकर क्या कर रही है? उसके पास जाकर बैठ। उससे बातें कर। बेचारा अपना घरबार छोड़कर तेरे से बियाह किया है, क्या पता उसके मन में क्या चल रहा है।"


"हाँ, तुम्हें तो उसी की फिक्र है। मेरी तो कोई फिक्र ही नहीं।"


"अरे पगली, अब मैं तेरा ध्यान कैसे रखूँ? अब तेरा पति हो गया है। इत्ना अच्छा इत्ना जोशीला मर्द मिला है तुझे। और क्या चाहिए तुझे? जा उसके पास जाकर बैठ। और हाँ, अगर वह कुछ करने को चाहे तो मना मत करना।" सुमन देवी ने एक तरह से जोर से ही कुसुम को खडा कर दिया।


"कुछ उलटा सीधा तो नहीं करेगा ना?" मासूम कुसुम की बात पे सुमन देवी की दाँत बाहर आने लगती है।

"अरे बाबा, नहीं करेगा। और करेगा भी तो चुपचाप बर्दाश्त कर लेना। लड्की जोकर पैदा हुई है इत्नी भी समझ नहीं है। और अगर समझती भी है तो अंजान बनी फिरती है। अब जा यहां से।"

यूँ तो कुसुम को सब पता है। लेकिन अपनी माँ के पास एसी बातों से उसी शर्म महसूस होती है, शायद इसी लिए वह इस तरह अंजान बनने का नाटक करती है। कुसुम घर के बाहर आकर देखती है, पवन दूर खेत के पास नीम के पेड के नीचे उदास होकर बैठा हुआ है।

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भाग 37/2

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पवन तन्हाई में बैठकर उसके साथ हुए आज के घटनाक्रम को समझने की कोशिश करने लगा था। कुछ दूरी पर आज सुबह उसका खोदा हूआ गडडा है। किस तरह से उसका जीवन बदलता जा रहा है।

पवन एक पल के लिए सोच में पड गया, तो क्या वह खुद कुसुम का पति है? लेकिन यह कैसे हो सकता है? तो क्या उसका कोई बाप नहीं? वह खुद ही बाप और बेटा है? पवन को इस उलझन में पाकर राजकुमार चंद्रशेखर अंतर्मन में बोल उठा,

"क्यों परेशान हो रहे हो पवन! तुम्हारे मन से यह दुविधा निकाल दो। जो हो चुका है उसे स्वीकार कर लो।"

"लेकिन कैसे राजकुमार, मैं ने जो कुछ भी किया! वह बस कुसुम को उस लाला के चुंगल से बचाने के लिए किया है। मानता हूँ मैं कुसुम को पसंद करने लगा हूँ और ना चाहते हुए भी सब कुछ भूलकर उसके प्यार में पड गया। लेकिन,,,," पवन कुछ बोल नहीं पाया। पर राजकुमार पवन की दुविधा समझ रहा था।


"मैं तुम्हारी परेशानी समझ सकता हूँ पवन। तुम्हारी जगह कोई भी होता, उसके लिए यह समझ पाना मुश्किल होता। मैं तुम्हारी दुविधा दूर किए देता हूँ। तुम्हें यही संकोच है ना, कुसुम अगर तुम्हारी माँ है तो तुम्हारी बीबी कैसे बन सकती है?

देखो पवन तुम भविश्य से आये हो, आज जो भेडिया तुम ने देखा वह हमारे राज्य का था। उसे आना चाहिए था तुम्हारे समय पर। लेकिन देखो यह भेडिया यहां इस समयकाल में पहुँच गया। एसा कैसा हुआ? क्यौंकि यहां मैं मौजूद हूँ। मेरे कारन ही वह भेडिया समय चक्कर को पार करके यहां तक पहुँच पाया है। और उसके पीछे आनेवाले सिपाही उसे ढूँढ नहीं पाये।

तुम्हें याद है, कुसुम की माँ सुमन देवी ने कुसुम से क्या कह रखा था?"


"कौन सी बात?" पवन चुपचाप अंतर्मन में राजकुमार से वार्तालाप समझने में लगा था।


"वही की बेटी तेरे लिए दूर देश से,,,,,"


"कोई राजकुमार आयेगा और तुझे अपना बना लेगा।"


"हाँ पवन यही बात। वह राजकुमार कोई और नहीं मैं हूँ। तुम्हारे अन्दर शक्तियों का बढ़ना, तुम्हारे सम्भोग करने की ताकत बढ़ना, और भी जो शक्तियाँ जो शायद तुम्हें बाद में मिले, उसका स्रोत मैं हूँ। तुम जानते हो आज जो भेडिया तुम ने दफन किया है उसके अन्दर भी एक शक्ति है, जो तुम्हें मिलेगी। यह भेडिया मेरे पिताजी ने खास मेरे लिये पृथ्वी लोक से खोज निकाला था। और इसके अन्दर सोने का दिल बना हूआ है। तूम पूछ रहे थे, वह सोने की मुद्राएँ कहाँ से आई? वह मुद्राएँ इसी भेडिया से बनी हैं। मेरे पिताजी ने एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ ढालकर उस भेडिये का दिल बनाया था। समय के साथ साथ वह एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ तुम्हें मिलेगी। अब यह दुविधा और संकोच दिल से निकाल दो। सृस्टी में हर एक प्राणी का पिता होता है। तुम्हारा पिता कोई और नहीं मैं हूँ। और शायद इसी लिए मेरी आत्मा तुम्हारे साथ जुड़ पाई है!" पवन को समझते देर नहीं हुई। लेकिन अब उसका ध्यान इन सबसे हटकर उन सिक्कों पे चला गया। एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ? इत्नी दौलत तो किसी महाराज के पास भी नहीं होगी!


"तो वह मुद्राएँ सारी हमारी हैं? मतलब अब हमें जमींदार बनने से कोई नहीं रोक सकता। राजकुमार, यह सब तुम्हारे कारन हुआ है। मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूँगा।"


"नहीं मेरे दोस्त, मुझे शर्मिंदा न करो। तुम इस योग्य हो, इसी लिए यह तुम्हारी किस्मत थी। लेकिन मेरे से एक वादा करो पवन, समय आने पर तुम मेरी मदद करोगे। मुझे अपने राज्य में लौटने के लिए जो कुछ करना पडे वह तुम्हें करना होगा!"


"मैं तुम्हें वचन देता हूँ। समय आने पर तुम्हारा यह दोस्त तुम्हारी हर तरह से सहायता करेगा।"


"वह देखो, तुम्हारी नई नवेली दुल्हन तुम्हारे पास आ रही है।"


"अब तुम चुप रहो। तुम्हें जो कुछ करना है मेरे अंतर्मन से करते रहो। शरीर मेरा है मुझे सम्भालने दो।"

"जो आज्ञा मित्र!"
nice update..!!
rajkumar ne achhese pawan ko samjha diya ki pawan khud hi khud ka pita hai aur woh sach me kusum ka pati hai..pawan bhi kusum se pyaar karne laga hai aur ab rajkumar ne uski uljhane dur kar di hai..aur sone ke sikko ka raaj bhi pawan ko bata diya hai..ab pawan khule mann se apni premika, apni biwi aur apni maa se pyaar karega..ab pawan ke bhi samajh me aagaya hai ki woh rajkumar khud pawan hi hai jo suman bolti thi..ab pawan ko sab clear hogaya hai toh pawan ab khulkar kusum se pyaar karega jiski wajah se pawan khud paida hoga aur baad me radha bhi..!! bas radha sirf apne pawan ki hi rehni chahiye..!!
 

Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
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Story din pratidin Romanchak hoti ja rahi h bahut hi achha lag raha h story padhke bs iske update ek nischit shedule pe aate rahe... Sahi lagta h ek hi sath 3-4 update padhke ....

Bahut hi achhi tarah se likh rahe ho story ko aur story me jitni bhi shankaye utpann ho rahi h wo bhi agle update ko padhke aasani se dur ho ja rahi h ❣️

Ab bas aapke agle update ka intezar rahega...
 

Babulaskar

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nice update..!!
bhai meri baat ka bura mat manana..kyunki muze yeh baat achhi nhi lagi ki radha ka chakkar kusum ke bete dev kumar ke sath aap dikhana chahte ho..radha pehle se hi pawan matlab apne bhai se pyaar karti aayi hai toh woh kaise dusre se pyaar kar sakti hai..pawan me itni shaktiya hai ki woh apni sari biwiyon ko khush rakh sakta hai..pawan apni biwiyon se bahot pyaar bhi karta hai aur uski biwiya bhi pawan se pyaar karti hai..!! agar aapko dikhana hai dev kumar ka toh aap uska uski kisi behen ke sath pyaar dikha sakte ho..waise hi suryakumar ka bhi dikha sakte ho..lekin please dev kumar ka radha ke sath mat dikhana..radha sirf apne pawan ki rehni chahiye aur pawan ki baki biwiya bhi sirf pawan se pyaar karni chahiye..please yeh meri request hai..aur aapko bura lage toh maaf kar dijiyega..!! harvijay rajkumar ke chalaki ke aage firse fail hogaya..aur ab uss bhediye ka dil sone ka tha toh isliye pawan ko itna sona mila tha..!!
इस बात पे अभी गौर व फिक्र करने का समय नहीं है। अभी आप लोगों से विनती है आप लोग बस स्टोरी का मजा लें। यह सब जो भी होनेवाला होगा, वह हम बाद में किसी और पार्ट में देखेंगे।
फिलहाल इसका अभी कोई विचार नहीं है की वह कब लिखा जाएगा।
पर कभी कभी इन बातों का उल्लेख आ रहा है, इसका कारन है- आलोक के पास मौजूद वह पाण्डुलिपि जिस में पवन कुमार और उनके परिवार के संबंधो को लिखा गया है। कहानी के हित में इन बातों का उल्लेख जरुरी है। जब आप कोई कहानी लिखना शुरु करते हैं और उसमें खो जाते हैं, फिर कुछ चीजों में आप का बस नहीं चलता। वह बस उसी अनुसार चलता रहता है।

मैं समझ सकता हूँ, आप की फीलिंग। किसी एक कैरेक्टर से जुड़ जाने के बाद उसका विपरीत हमें अटपटा लगता है। शायद इसी लिए राधा की प्रेम कहानी को लेकर यह दुविधा तैयार हुई है।
आप सोच रहे हैं पवन एक शक्तिशाली और बलवान युवक है, भला राधा उसके साथ धोका कैसे कर सकती है? यह सवाल आना स्वभाबिक है। इरोटिक स्टोरी में एसा सवाल आना एक अच्छे पाठक को दर्शाता है।
लेकिन यह जरुरी नहीं है, राधा पवन के साथ धोका करे। आप को अब तक पता लग चुका है, राधा का यह संबंध "प्रेम" है। ना की कोई चक्कर!
जिस तरह इस कहानी को पढते पढते आप को कुछ भी अटपटा नहीं लग रहा है। मतलब हर एक चीज के पीछे एक कारन और उददेश्य को दर्शाया गया है। बिलकुल उसी तरह से आगे शायद एसा बहुत कुछ हो, जिस से आज का माहोल और वातावरण बिलकुल परिवर्तन हो जाये। पवन जब जमींदार बनेगा, स्वभाबिक रूप से उसके स्वभाव में काफी बदलाव आयेगा। लेकिन यह बदलाव उसका प्रेम कभी कम नहीं होने देगा। क्यौंकि असल कहानी तो वही है। पवन की प्रेम कहानी को उपस्थित करना।
इस लिए मेरी सलाह है, आप निश्चिंत होकर कहानी का मजा ले। आगे क्या होगा, उसका भरोसा रखिए। आप को निराशा नहीं होगी। दूसरे भाग में हम सुर्य कुमार और देव कुमार दोनों पवनपुत्र के जीवन संग्राम के बारे में जानेंगे।
 

Betheher0

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आपकी कहानी एक रोमांचक मोड़ ले रही है। जहा पहले सिर्फ़ संवाद था । अब संभोग भी भरपूर मात्रा में दिख रहा है।
शायद सोने की सिक्के भी पवन की मां को असलियत बताएंगे।
देखते है आगे होता है क्या।
अभी तो पार्टी शुरू हुई है।😍😍😍😍
 

Babulaskar

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Story din pratidin Romanchak hoti ja rahi h bahut hi achha lag raha h story padhke bs iske update ek nischit shedule pe aate rahe... Sahi lagta h ek hi sath 3-4 update padhke ....

Bahut hi achhi tarah se likh rahe ho story ko aur story me jitni bhi shankaye utpann ho rahi h wo bhi agle update ko padhke aasani se dur ho ja rahi h ❣️

Ab bas aapke agle update ka intezar rahega...
धन्यवाद आप का।

एक निश्चित समय पर अपडेट देने का प्रयास मैं पूरी तरह से करता हुँ। कभी वह हो पाता है और कभी नहीं। कयोंकि आप हम सभी एक समाजिक जीवन भी जीते हैं। पाठक के लिए स्टोरी के अपडेट्स चेक करना आसान काम होता है।

लेकिन एक लेखक के लिए उससे आगे और पीछे भी काम करना पडता है। आप लोग जब अपने कामों में बिजी रहते हैं उस समय मेरे जैसे लेखक समय निकालकर कुछ अपडेट्स लिखने की तैयारी करते हैं। आप समझ सकते हैं कितना मुश्किल काम है। यह तो बस आप लोगों का प्यार और सम्मान है जिस के लिए लेखक इस हौसले पर लिखना जारी रख पाते हैं। उम्मीद करता हुँ आप को निराशा नहीं होगी।
 

Babulaskar

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Iss bhag ki mukhya nayika kaun hain? Kusum ya koyi aur?
आप का प्रश्न अच्छा है। लेकिन इसका जवाब बड़ा पेचीदा है।

हिंदी फिल्मों में हम एक नायक और नायिका को देखकर बड़े हुए हैं तभी हम जैसे पाठकवर्ग हर एक कहानी में मूल नायक और नायिका का चयन पसंद करते हैं। यह सही भी है।

लेकिन समय के साथ साथ यह रूझान भी खत्म हो रहा है। आप हॉलीवुड की फिलों में हीरो और हीरोइन को ढूँढ नहीं पायेंगे। क्यौंकि वहां ज्यादतर कैरेक्टर बेस्ड फिल्में होती हैं। क्या आप ने आमिर खान की "पीके" मूवी या "दंगल" देखी है? जरा बताईये,, उनमें हीरो और हीरोइन कौन हैं?

असल में उनमें मेन कैरेक्टर होते हैं।

हाँ मानता हूँ यह एक प्रेम कथा है, इतोरिक स्टोरी है, इस लिहाज से इस में एक निश्चित हीरो और हीरोइन होना जरुरी है। और वह है भी। लेकिन वह कैरेक्टर मेरे हिसाब से हीरो या हीरोइन कम, मेन या साईड कैरेक्टर ज्यादा है।

अगर कहानी में हर एक कैरेक्टर को 10 तक रेटिंग दिया जाये, उनका रोल, उनका महत्वपूर्ण भुमिका के लिए, तो मैं कुछ इस तरह से इन्हें सजाऊँगा। गौर कीजिये।

पवन 10/10

कुसुम 9/10

पद्मलता 8/10

राधा 7/10

चंचल 7/10

मेनका 6/10

अपर्णा 6/10

आँचल 7/10

हेमलता 8/10

उम्मीद है आप के साथ और जित्ने पाठकों के मन में यह सवाल है, यह सूची उनको समझाने के लिए काफी है।
 
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