nice update..!!भाग 30
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नगर की हवेली।
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"तुझे अचानक से यह फैसला लेने की कोई जरुरत नहीं थी। तेरा बड़ा भाई तो भगवान को प्यारा हो गया, तेरे छोटे भाई ने भी शादी ना करने की प्रतिज्ञा ले रखी है। अब तू ने भी यही ठान लिया। अब तू ही बता, हमारा वंश आगे कैसे बढेगा? इस जमींदारी को आगे कौन लेकर जाएगा। मेरी बात मान ले, तू यह जिद छोड़ दे, और एक अच्छे लडके से शादी करके अपना घर बसा।" रानी हेमलता अपनी एकमात्र पुत्री पद्मलता को समझाते हुए बोली।
"एसा नहीं हो सकता है माँ। हमारे खानदान पर बदनामी का दाग लग जाएगा। लोग तरह तरह की बातें करेंगे, की पद्मलता ने किया हुआ वादा निभाया नहीं।" पद्मलता ने कहा।
"लोगों की छोड़। अभी हमारे राज्य की स्थिति ठीक नहीं है। इसी लिये तो हम तीन पहाडी की जमींदारी इजारे पर देने जा रहे हैं। कौन कब आकर मंगलचरन को मारेगा, तब तक तेरी जवानी भी ढल जायेगी। अभी अगर शादी कर लेगी तेरे दो तीन बच्चे हो जायेंगे। आगे चलकर वही हमारा वंश आगे बढायेगा।" हेमलता एक माँ की तरह पद्मलता को समझाती है।
"नहीं माँ, मैं जीते जी एसा नहीं कर सकती। मेरे अन्दर भी मेरे बाप का खून है। मैं अपना वचन नहीं तोडूंगी। मेरा यकीन करो, मेरे भाग्य में उसी आदमी से विवाह लिखा हुआ है जो मंगलचरन को मार पायेगा। मैं एक जमींदार की बेटी हूँ, मुझे हासिल करने के लिए इतनी हिम्मत और साहस तो दिखाना ही पड़ेगा।" पद्मलता पूरी तरह से आत्मविश्वास थी।
"भगवान करे वह दिन जल्द आये।" हेमलता मायुस हो जाती है।
"माँ, मुझे एक बात बताओ, आप लोग अभी से तीन पहाडी की जमींदारी इजारे पर देने जा रहे हैं, तो मंगलचरन को मारने के बाद उसका क्या पुरस्कार दोगे? मामाजी ने तो वचन दिया है?"
"उसका इन्तज़ाम बाद में सोचा जाएगा। यूं सपने में रहना अच्छी बात नहीं है। अभी हमें लगान चुकाना होगा। वह तेरी छोटी माँ मेनका की भी कोई खबर नहीं। पता नहीं बेचारी कहाँ होगी। अब उसके हिस्से की जमींदारी भी हमें सम्भालनी पड रही है। जब वह आयेगी उसका हिस्सा भी उसे देना पड़ेगा। फिलहाल किसी तरह बस जमींदारी बच जाये, यही प्रार्थना है।"
"तो कोई आया है उस जमींदारी के लिए?"
"हाँ, आये तो हैं। नगर के दो सौदागर और पुणे से एक अमीर आदमी का संदेसद आया है। देखते हैं क्या होता है। अभी तीन दिन बाकी है। चौथे दिन सबको बुलाकर जमींदारी के बारे में पूछा जाएगा। फिर उन में जिस के बारे में हमें अच्छा प्रतीत होगा उसे सौंपी जायेगी जमींदारी। अरे मैं ने तो ध्यान ही नहीं दिया? वह तेरा हार कहाँ गया? गले में था?" हेमलता अचानक से परेशान हो गई।
"वह माँ क्या हुआ की?,,,," पद्मलता एक अच्छा सा बहाना ढूँढने लगी।
"सच सच बता, वह तेरे पास है ना? खो तो नहीं दिया? वह हमारी खानदानी निशानी है। तेरी दादी अम्मा की हार थी वह?"
"माँ, असल में कुछ दिन पहले मैं नदी के पास गई थी। वहीं नदी में गिर गई। मैं तुम्हें,,,,,"
"हे भगवान! खो दिया! इतनी लापरवाह कैसी हो सकती है तू? पता भी है तुझे? उस हार की क्या कीमत होगी? तेरे दादाजी ने दादी अम्मा के लिए सात सौ स्वर्ण मुद्राए देकर एक सौदागर के पास से इसे खरीदा था। इस जैसा हार सिर्फ दो ही बने हैं। पारस के सुनारों ने असली मोतियों से रताश के बनाया था इसे। और तूने वही हार खो दिया? यह हमारी पारम्परिक हार थी। अब कैसे ढूंढा जायें उसे?" हेमलता गुस्सा और परेशान थी। पद्मलता अपनी माँ को जानती थी। इस लिए वह चुपचाप बैठी रही।
"सिपाहियों! सेनापति को बुलाओ।" हेमलता पद्मलता के कमरे से निकलती हुई आवाज देने लगी।
कुछ देर बाद महल के सिपाहियों में हलचल दिखने लगी। और हर तरफ कानाफुसी हो रही थी।
"मोतियों का कीमती हार नदी में कहीं गिर गया है। जो भी उसे ढूँढ कर लाएगा। उसे सौ सोने का सिक्का इनाम में दिया जाएगा।"
"भला किसी को वह मिले और वह सौ मुद्रा के लालच में थोडी ही वापिस करने आयेगा? उस हार की कीमत कहीं ज्यादा है।"
hemlata ko apni beti ki shaadi ki fikr hona laajmi hai..lekin padmlata jaban de chuki hai ki jab tak mangalcharan ko koi marega nahi woh shaadi nahi karegi aur jo marega uske sath hi padmlata shaadi karegi..ab pawan teen pahadi ki jamindaari ke liye waha jayega tab shayad pawan mangalcharan ko marne ke bare me soche padmlata ke liye..!! menka bhi kaha gayab hai..woh teen pahadi me jo guruji aur guruma hai unka beta shayad mangalcharan ho sakta hai..aur yeh log bhi uss haveli ke tenkhane ke bare me janana chahte hai jo sirf menka janti hai..jarur uss tehkhane me kuchh toh hai lekin kya hosakta hai..!! padmalata ne pushtaini haar kho diya..ab hemlata kaise dhundhegi aur kya woh haar usse milega..!!