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भाग 38/3
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लौड़े का मुदा चूत के अन्दर घुसते ही कुसुम के मुहं से कराहने की दबी आवाज निकलने लगी। पवन समझ गया उसे अब क्या करना है। राधा का दर्द भी इसी तरह ठीक हुआ था। उसने कुसुम को दर्द से मुक्ति देने का सोचा, लेकिन उसका अंतर्मन बोल पड़ा, पवन अभी नहीं, रुको।
"अजी मुझे बहुत दर्द हो रहा है। यह,,,,यह लौड़ा बहुत मोटा है। मेरी बुररर,,, फट जायेगी।" गोरी चमडी के ऊपर पड़ा पवन, कुसुम को कराहते देखकर दिल में पिस रहा था।
"अब पूरा घुसा दो पवन, यही समय है। उसे इस दर्द को महसूस करने दो। जब चूत में पूरा लौड़ा घुस जाये और खून निकल आये तब दर्द से मुक्ति देने के लिए तुम उस कार्य का उपयोग करना। यह दर्द एक लड्की होने का एहसास दिलाता है पवन। इस दर्द के कारण कुसुम तुम्हें और ज्यादा चाहने लगेगी।"
यह बातें पवन का अंतर्मन कहने लगा। पवन इसी पर काम करते हुए अपने लौड़े को एक तेज तर्रार धक्के से पूरा का पूरा कुसुम की चूत में घुसा देता है। सख्त चूत की छेद को पवन का मोटा लण्ड चीरता हुआ बिल्कुल अन्त तक पहुँच गया। थोड़ा बहुत जित्नी भी दूरी थी, वह दूरी भी पवन ने दूसरी ठ्पकी से कर डाला। एक और तेज धक्का, पवन ने कमर को पीछे किया और अपनी जान लगाकर एक और मारनतोड धक्का लगाया, लौड़े का सिरा जाकर अब कुसुम की चूत के अन्तिम सीमा तक पहुँच गया।
"हीं हीं हीं, मर गई मैं। आह्ँ आह्ँ,,,, मेरी बुर फट गई। उई उई माँ,,,,,, अम्मा बचा लो, बचा लो मुझे,,,,," कुसुम दर्द में चीखने लगी, चिल्लाने लगी, और एक लम्हें के लिए उसकी आंखों से दर्द से आंसू छलक पडे।
"चिंता न करो कुसुम, मैं हुँ ना यहां, अभी देखो, पूरा घुस चुका है। तुम्हारे बुर में मेरा लण्ड चला गया।"
"हँह हँह हँह, मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है। निकाल लो इसे।" पवन उसकी बात पे ज्यादा ध्यान नहीं दिया, उसने अपना हाथ कुसुम के पेट पर, उसकी चूत के ऊपर और नाभि के आसपास फेरने लगा। कुछ ही क्षण लगा, कुसुम अन्दर ही अन्दर अपने आप आराम महसूस करने लगी।
"अब ठीक है? अब तो दर्द नहीं हो रहा है ना! देखो, मैं ने तुम्हारा दर्द ठीक कर दिया।"
"मेरी चूत से खून निकल रहा है ना!" पवन ने उसकी चूत पे नजर डाली, तो वह सचमुच खून से लथ-पथ थी। खून की धारा बहकर नीचे घास पर गिरने लगी।
"हाँ, कुसुम खून निकला है। बहुत निकला है। यह तुम्हारी पहली चुदाई है, इसी लिए खून निकला है। अब दोबारा इससे खून नहीं निकलेगा। अब से तुम्हारी चूत क्ंवारी नहीं रही। वह मैं ने भोग कर लिया है कुसुम। तुम्हारी चूत का पर्दा मैं ने फाड़ दिया है। अब से तुम्हें बस आनन्द मिला करेगा। तुम्हारा पति तुम्हें दिन रात चोद चोद कर वह आनन्द देगा जिससे तुम इतने दिनों से वंचित थी।" पवन ने धीरे धीरे अपनी कमर चलानी शुरु कर दी।
"तुम ने कितने जोर से धक्का लगाया था! मेरी चूत के अन्दर तक चला गया था वह। आह आअह कितना दर्द हुआ पता है तुम्हें?"
"तुम इतनी जोर से चिल्लाई, तुम्हारी चीख पुकार सुनकर कहीं तुम्हारी अम्मा ना आ जातीं यहां पर।" पवन का लौड़ा धीरे धीरे अब अन्दर बाहर होने लगा।
"धीरे से नहीं कर सकते थे? तुम्हें क्या पता लड़कियों का दर्द क्या होता है। तुम्हें तो बस घुसाने से मतलब है। सब लडके एक जैसे होते हैं।" पवन के धक्के के कारन कुसुम भी अब चुदाई करवाने में हिलने लगी थी।
"अच्छा बाबा, गलती हो गई। अब से नहीं करूँगा। लेकिन अब मजा आ रहा है ना!"
"मुझे नहीं पता,"
"बताओ ना, कुसुम, मेरा लौड़ा देखो, तुम्हारी चूत को चीरता हुआ अन्दर बाहर हो रहा है। मुझे कितना मजा आ रहा है कुसुम। काश तुम मुझे पहले मिल जाती, मैं तुम्हें पहले ही चोद लेता।"
दोनों पति पत्नी का यह प्यार से भरा सम्भोग पूरी मात्रा में शुरु चुका था। पवन और कुसुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हुए, प्यारी प्यारी बनवटी बात करते हुए चुदाई करने लगे। और इसी बीच वहीं दूर बड़े पत्थर के ओट में जो एक लड़का और महिला उन्हें देखने लगे थे, पवन कुसुम की चुदाई देखकर वह भी अपने आप को रोक नहीं पाये। उनके बीच भी यह प्यार का सम्भोग शुरु हो गया।
एक ही जगह पर दो जोड़े चुदाई कर रहे थे। लेकिन इस बात से अतीत का पवन और कुसुम बेखबर था।
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लौड़े का मुदा चूत के अन्दर घुसते ही कुसुम के मुहं से कराहने की दबी आवाज निकलने लगी। पवन समझ गया उसे अब क्या करना है। राधा का दर्द भी इसी तरह ठीक हुआ था। उसने कुसुम को दर्द से मुक्ति देने का सोचा, लेकिन उसका अंतर्मन बोल पड़ा, पवन अभी नहीं, रुको।
"अजी मुझे बहुत दर्द हो रहा है। यह,,,,यह लौड़ा बहुत मोटा है। मेरी बुररर,,, फट जायेगी।" गोरी चमडी के ऊपर पड़ा पवन, कुसुम को कराहते देखकर दिल में पिस रहा था।
"अब पूरा घुसा दो पवन, यही समय है। उसे इस दर्द को महसूस करने दो। जब चूत में पूरा लौड़ा घुस जाये और खून निकल आये तब दर्द से मुक्ति देने के लिए तुम उस कार्य का उपयोग करना। यह दर्द एक लड्की होने का एहसास दिलाता है पवन। इस दर्द के कारण कुसुम तुम्हें और ज्यादा चाहने लगेगी।"
यह बातें पवन का अंतर्मन कहने लगा। पवन इसी पर काम करते हुए अपने लौड़े को एक तेज तर्रार धक्के से पूरा का पूरा कुसुम की चूत में घुसा देता है। सख्त चूत की छेद को पवन का मोटा लण्ड चीरता हुआ बिल्कुल अन्त तक पहुँच गया। थोड़ा बहुत जित्नी भी दूरी थी, वह दूरी भी पवन ने दूसरी ठ्पकी से कर डाला। एक और तेज धक्का, पवन ने कमर को पीछे किया और अपनी जान लगाकर एक और मारनतोड धक्का लगाया, लौड़े का सिरा जाकर अब कुसुम की चूत के अन्तिम सीमा तक पहुँच गया।
"हीं हीं हीं, मर गई मैं। आह्ँ आह्ँ,,,, मेरी बुर फट गई। उई उई माँ,,,,,, अम्मा बचा लो, बचा लो मुझे,,,,," कुसुम दर्द में चीखने लगी, चिल्लाने लगी, और एक लम्हें के लिए उसकी आंखों से दर्द से आंसू छलक पडे।
"चिंता न करो कुसुम, मैं हुँ ना यहां, अभी देखो, पूरा घुस चुका है। तुम्हारे बुर में मेरा लण्ड चला गया।"
"हँह हँह हँह, मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है। निकाल लो इसे।" पवन उसकी बात पे ज्यादा ध्यान नहीं दिया, उसने अपना हाथ कुसुम के पेट पर, उसकी चूत के ऊपर और नाभि के आसपास फेरने लगा। कुछ ही क्षण लगा, कुसुम अन्दर ही अन्दर अपने आप आराम महसूस करने लगी।
"अब ठीक है? अब तो दर्द नहीं हो रहा है ना! देखो, मैं ने तुम्हारा दर्द ठीक कर दिया।"
"मेरी चूत से खून निकल रहा है ना!" पवन ने उसकी चूत पे नजर डाली, तो वह सचमुच खून से लथ-पथ थी। खून की धारा बहकर नीचे घास पर गिरने लगी।
"हाँ, कुसुम खून निकला है। बहुत निकला है। यह तुम्हारी पहली चुदाई है, इसी लिए खून निकला है। अब दोबारा इससे खून नहीं निकलेगा। अब से तुम्हारी चूत क्ंवारी नहीं रही। वह मैं ने भोग कर लिया है कुसुम। तुम्हारी चूत का पर्दा मैं ने फाड़ दिया है। अब से तुम्हें बस आनन्द मिला करेगा। तुम्हारा पति तुम्हें दिन रात चोद चोद कर वह आनन्द देगा जिससे तुम इतने दिनों से वंचित थी।" पवन ने धीरे धीरे अपनी कमर चलानी शुरु कर दी।
"तुम ने कितने जोर से धक्का लगाया था! मेरी चूत के अन्दर तक चला गया था वह। आह आअह कितना दर्द हुआ पता है तुम्हें?"
"तुम इतनी जोर से चिल्लाई, तुम्हारी चीख पुकार सुनकर कहीं तुम्हारी अम्मा ना आ जातीं यहां पर।" पवन का लौड़ा धीरे धीरे अब अन्दर बाहर होने लगा।
"धीरे से नहीं कर सकते थे? तुम्हें क्या पता लड़कियों का दर्द क्या होता है। तुम्हें तो बस घुसाने से मतलब है। सब लडके एक जैसे होते हैं।" पवन के धक्के के कारन कुसुम भी अब चुदाई करवाने में हिलने लगी थी।
"अच्छा बाबा, गलती हो गई। अब से नहीं करूँगा। लेकिन अब मजा आ रहा है ना!"
"मुझे नहीं पता,"
"बताओ ना, कुसुम, मेरा लौड़ा देखो, तुम्हारी चूत को चीरता हुआ अन्दर बाहर हो रहा है। मुझे कितना मजा आ रहा है कुसुम। काश तुम मुझे पहले मिल जाती, मैं तुम्हें पहले ही चोद लेता।"
दोनों पति पत्नी का यह प्यार से भरा सम्भोग पूरी मात्रा में शुरु चुका था। पवन और कुसुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हुए, प्यारी प्यारी बनवटी बात करते हुए चुदाई करने लगे। और इसी बीच वहीं दूर बड़े पत्थर के ओट में जो एक लड़का और महिला उन्हें देखने लगे थे, पवन कुसुम की चुदाई देखकर वह भी अपने आप को रोक नहीं पाये। उनके बीच भी यह प्यार का सम्भोग शुरु हो गया।
एक ही जगह पर दो जोड़े चुदाई कर रहे थे। लेकिन इस बात से अतीत का पवन और कुसुम बेखबर था।