मिशन पूरा होने के बाद बबिता को प्रमोशन दिया गया और बबिता को कुछ दिनों की छुट्टी भी मिल गई बबिता खाफी खुश थी एक हफ्ते बाद वो अपने भाई से मिलने वाली इसी लिए वो मार्केट से अपने भाई के लिए कुछ कपड़े और खाने का सामना खरीद कर अपने घर को चल पड़ती है पर आने वाले दिनों में जो कुछ भी होने वाला है इस बात से दोनों भाई बहन अंजान है उनकी जिंदगी बदलने वाली है ये उनको नही पता है शाम को बबीता अपने घर पहुंची और अपने भाई को गले लगाया पर आज नजाने क्यों उसके पहली बार अपने भाई को गले लगा कर एक अजीब सा मजा आ रहा है बबिता के बदन में करंट सा दौड़ ने लगता है बबिता को अभी ये पता नहीं चला रहा है कि वो तो अपने भाई को गले लगा रही है पर उसका जिस्म एक मर्द के जिस्म से चिपका हुआ है ये ही अहसास आज पंकज के जिस्म में भी हो रहा है उसे अपनी दीदी को गले लगा ने में बहुत मजा आ रहा है दोनों भाई बहन के बदन एक दूसरे से लिपट गया है बबिता के दूध पंकज की छाती से चिपके हुए है पंकज का लन्ड अपनी दीदी बबिता कि चुत के दरवाजा में कपड़ो के अंदर से दस्तक दे रहा है कुछ समय के लिए दोनों भाई बहन भूल ही गए की उनके बीच क्या रिश्ता है वो तो बस एक मर्द और औरत की तरह एक दूसरे से लिपट गए हैं दोनों भाई बहन ही कुछ देर के लिए अपनी सुध बुध खो चुके हैं फिर अचानक पंकज का फोन बजता है उसे नही पता था कि उसकी दीदी आज आने वाली है तो उसने अपने दोस्तो के साथ बाहर जाना का प्रोग्राम बनाया हुआ था पंकज के फोन की आवाज से दोनों भाई बहन होश में आते हैं और बबिता थोड़ा बैचैनी से पंकज से अलग हो जाती है और नहाने चली जाती है नहाते समय उसे अकेले में वो पल याद आने लगते को उसने उस आदमी के साथ बिताए हुऐ थे परन्तु उससे उन पलों से ज्यादा आनन्द अपने भाई के गले लग के आ रहा था वो ये सब सोच ही रही थी कि बाहर से पंकज कि आवाज आती है और वो बोलता है कि दीदी मैं अपने दोस्तो के साथ गुमने जा रहा हूं इतना बोल के पंकज चला जाता है बबिता उसे रोकने के लिए जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खोलती हैं तब तक पंकज चला गया था नहा कर बबिता एक नाईटी पहन लेती है और उसके अंदर वो गर्मी कि के कारण कुछ नहीं पहनती कुछ देर बाद बबिता अपना खाना खा कर अपने रूम में सोने चली जाती है और उसे आज बहुत ही अच्छी नींद आ जाती हैं रात को करीब 12 बजे डोर बेल बजती है जिस से बबिता कि नींद खुलती हैं वो दरवाजा खोलने को जाती है और दरवाजा खोलती है तो सामने पंकज उसका भाई होता वो उसको अंदर आने को बोलती है पंकज अंदर तो आ जाता है पर उसके पैर लगड़ाते है क्यों कि पंकज ने शराब पी रखी थी वो चलते हुए गिरने ही वाला था कि बबिता उसे पीछे से पकड़ कर संभाल लेती है और अपने भाई को उसके रूम में ले जाती है रूम में अंधेरा था वो जैसे तैसे पंकज को उसके बेड पे लिटा देती है परन्तु जैसे ही अपने भाई को लेटा के उठने लगती है तो फिर से अपने भाई पंकज के ऊपर गिर जाती हैं क्यों बबिता का एक हाथ उसके भाई की कमर में फसा हुआ था बबिता एक दम से अपने भाई के ऊपर आ जाती है और नशे में एक औरत का इस्पर्स पाते ही पंकज अपनी दीदी को अपनी बाहों में समा लेता है बबिता अपने भाई के ऊपर से उठ ना तो चा रही थी पर उठ नही पा रही थी क्यों कि वो भी एक मर्द की बाहों में आकर मदहोश होने लगी थी और एक बार फिर से भूल गई थी कि ये मर्द और कोई नहीं उसका सगा छोटा भाई है पंकज अपनी दीदी को अपनी बाहों में भर कर दबाने लगता है उसके जिस्म को अपने जिस्म से रगड़ने लगता है जिस में बबिता को भी मजा आ रहा था बबिता का जिस्म तपने लगता है उसके जिस्म में पसीना आने लगता है उसे एक अनोखे कामभुति होती को उसे तड़पा रही थी पंकज के ऐसे रगड़ने से बबिता कि नाईटी ऊपर हो गई थी और उसके चुत अपने सगे भाई के लन्ड से रगड़ खा रही थी जो कि उसके भाई के पेंट के अंदर खड़ा हुआ था बबिता की चुत से पानी निकल ने लगा जो उसके भाई पंकज के लन्ड को उसकी पैन्ट के अंदर ही भीगाने लगा एक औरत की चुत का पानी लगते ही पंकज का लन्ड जोर से फड़फड़ाने लगा तो पंकज ने जैसे तैसे अपना लन्ड बाहर निकाला और अब पंकज का नंगा लन्ड बबिता कि नंगी चुत पर रगड़ने लगा तो इस से दोनों भाई बहन के बदन में आग लग गई और दोनों ही एक अलग ही आनंद का मजा लेने लगे