दूसरे दिन सुबह बबिता कि नींद खुलती हैं वो अपने आप को अपने भाई के ऊपर देख कर चौंक जाती उसका भाई अभी भी सोया हुआ था पर उसका लन्ड एक दम टाईट खड़ा था जैसा कि अक्सर सुबह सुबह हर आदमी का लन्ड खड़ा होता है बबिता बिस्तर से खड़ी होती है तो उसके सामने उसके भाई पंकज का लन्ड खड़ा हुआ दिखता है आपने भाई का लन्ड देख बबिता सुन खड़ी रहती हैं आज पहली बार उसे किसी मर्द का ऐसा खड़ा लन्ड देखा था एक दम सीधे टाईट खड़ा लोहे की रॉड जैसा उसके पति का कैसा लन्ड था ये तो बबिता कभी जान ही नही पाई क्यों कि पति तो आता बबिता के ऊपर चढ़ जाता कुछ देर करता फिर सो जाता कभी बबिता को उसका लन्ड देख ने का मौका ही नहीं मिला देखना तो को छोरो अभी अच्छे से महसूस भी नहीं हो पाया बबिता अपने भाई पंकज के लन्ड को देखे जा रही थी और उसके ऐसा करने से उसके जिस्म में गर्मी बड़ने लगी उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये उसके साथ क्या हो रहा है उसके हाथ अपने आप ही उसके जिस्म को सहला रहे थे बबिता शायद ऐसा कुछ देर और कर पाती पर उसे पहले पंकज ने करवट बदल ली तो बबिता कि आखों के सामने से उसके भाई का लन्ड ओजल हो गया बबिता थोड़ा घबरा सी गई और पंकज के रूम से बाहर आ गई और सीधा बाथरूम में घुस गई बाथरूम में अपनी नाईटी उतार दी नाईटी उतारने के बाद जैसे ही वो टॉयलेल सीट पर बैठने को हुई तो उसे अपनी चुत पर गीलापन महसूस हुआ बबिता ने अपनी चुत कि तरफ देखा तो वहां कुछ फेविकोल सा लगा हुआ था बबिता ने उसे अपने हाथ में लेकर सुंगा उसमे से आ ती महक उसके दिमाग में चढ़ने लगी एक बार फिर उसके जिस्म में एक अजीब सी कसक उठ ने लगी बबिता को ये समझ ही नहीं आ रहा था कि ये क्या चीज़ है उसने आज तक ऐसी चीज अपनी चुत से निकलते नहीं देखी थी बबिता अंजाने में अपने भाई पंकज के लन्ड का माल अपने होठों पर लगा के देखती है माल का स्वाद उसे कुछ अच्छा सा लगने लगता है इधर पंकज भी अपने रूम में सो के उठ गया था और वो अपना लन्ड पैंट से बाहर देख थोड़ा सोच में पड़ जाता है फिर सोचता है नशे में बाहर निकाला दिया होगा पंकज को रात क्या हुआ कुछ अच्छे से याद नहीं आता है वो बाथरूम कि ओर जाने लगता है बाथरूम के आगे खड़ा हो कर जैसे ही दरवाजा खोलने लगता है तो दरवाजा अंदर से बंद होता है अंदर बबिता अभी भी अपनी सुदबुद खोई अपने भाई के माल का स्वाद लेने में मगन थी पंकज कि आवाज से उसका ध्यान टूटता है पंकज दीदी जल्दी आओ मैने टायलेट जाना है बबिता गबराके जल्दी अपनी नाईटी पहन लेती हैं और फिर दरवाजा खोल कर बाहर आ जाती है पंकज जल्दी से बाथरूम में घुस जाता है और पेसाब करने लगता है उसके इतनी तेज पेशाब लगी थी कि वो जल्दी में दरवाज बंद कर ना हो भूल जाते हैं और पेशाब करने लगता है बबिता अभी भी बाथरूम के बाहर ही खड़ी थी दरवाजा थोड़ा खुला होने के कारण एक बार फिर बबिता को अपने भाई के लन्ड के दर्शन होजाते है वो ना चाहते हुए भी पंकज का लन्ड देखने लगती है पता नहीं उसे क्या हो गया था वो अपने भाई का लन्ड देखे जा रही थी बबिता का अपने भाई के लिए अब नजरिया बदल ने लगा था ये इस लिए हो रहा था क्यों कि उसके अन्दर अब कामुकता पेरजलित हो गई थी उस अब कामरश का आनन्द लेने था या ये कह सकते है कि उसके जिस्म की सालो की ठंडी आग अब जलने लगी थी जो अब उसे कोई भी पाप करवा सकती है