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Incest पूर्णिमा की रात्रि

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Updated 12

में गाड़ी ने रखी हुए एक रजाई ले आया और एक चादर थी उसे भी उठा लाया..

में पूरी दिन की भागा दौड़ी से बिलकुल थक चुका था और अब मेरी भारी हो गई थी.. मां का भी यही हाल था अब तक रात के करीबन 9 बज चुके थे..

मेने मोबाइल ने देखा लेकिन अभी तक नेटवर्क नही आ रहा था में थोड़ा दूर निकल गया की कही नेटवर्क आ जाय लेकिन कोई फायदा नही हुआ.. और हार मान में में निराश होकर लौट आया मां के पास रजाई लेके...

मां बहोत गहरी सोच में डूब चुकी थी और वही खड़ी होकर पत्थर की मूरत जैसे बस खड़ी थी.. मां का मुंह दूसरी और था..

मेने मां को आते ही आवाज दी लेकिन मां को जैसे मेरी आवाज सुनाई ही न दी.. मेने चादर बिछा दी और रजाई नीचे रख मां के करीब जाके.. खड़ा रह गया...

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मां ने एक काली साड़ी पहली थी और उनके ब्लाउज से लटक रही लाल रंग की डोर मुझे बहोत उत्तेजित करने में लगी थी जैसे.. उनकी गोरी गोरी त्वचा मुझे उनकी और आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी..

मेने धीमे से अपने हाथ आगे बढ़ा दिए और मां से सट के खड़ा हुआ और दूसरे ही पल मेरे दोनो हाथ उनके पेट पे रहा उन्हे मेरी तरफ खीच के मेने उन्हे अपनी बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से मां के एक काम में धीमे आवाज में कहा "क्या हुआ मां इसे क्यों खड़ी हो"

मां मेरा स्पर्श अच्छे से समझ गई लेकिन एक पल के लिए वो थोड़ी सी कपकपा गई और डर से उछल पड़ी लेकिन मैने अपनी पकड़ मजबूत की और उन्हें अच्छे से धामे रखा...

मुझे महसूस हुआ की मां रो रही थी..मेने अपनी पकड़ और मजबूर की और पहले उनके कंधे को और उनके गले और गाल को चूम के बड़े प्यार से उन्हें कहा "मां आप डरिए मत में हूं ना और पापा को भी कुछ नही होगा मां सब ठीक हो जाएगा कुछ दिन की बात है बस"

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मां फट से मेरी और हुए और मेरी बाहों में समा गई और रोने लगी और रोते हुए बड़बड़ाने लगी उनकी चूची मेरे सीने पे दब रही थी और ने मां के बैकलेस ब्लाउज पे हाथ रखे उन्हें बड़े प्यार से दिलासा देते हुए सहला रहा था मेरे हाथ उनकी नंगी पीठ से होते हुए उनकी कमर तक चल रहे थे.. में आज मां के काफी नजदीक आ चुका था और मां भी बिना मुझे दूर किए बस मेरी बाहों में अपना दुःख दर्द भूलने की कोशिश में मुझे कस के अपने सीने से लगाए जा रही थी..

अगर ये घर होता तो मां अब तक मुझे अपने से दूर भगा दी होती लेकिन आज हालत कुछ अलग थे.. मां पापा और आंटी के बीच हुए यौन संबंधों को लेकर काफी चिंतित थी और पापा पे गुस्सा भी की एक तो पराई औरत की इज्जत लूटी और उनके साथ इतना बड़ा धोका दिया किसी और के साथ सो के... वही उन्हे पापा की चिंता भी सता रही थी...

में और मां काफी देर तक बस एक दूसरे को अपनी बाहों के प्यार करते रहे..

"चल अब हट कितना चिपकता है तू जैसे बच्चा हो अभी तक" मां ने अपने आसू को हटाते हुए बोली...

"अभी आप ही रो रह रहे थे ना मम्मी आप भी कमाल हो"

मां अपने आसू छुपाते हुए एक जुड़ी मुस्कान दिखाते हुए बोली..

"हा हा ठीक है अब सो जाते है कल देखते है क्या करना है"

मां फिर से बोली "बेटा तुम्हारे पापा को फोन लगा ?"

"नही ना मां यहां तो नेटवर्क ही नही आ रहा"
Shaandar Mast Update 🔥 🔥
 

Sara Saba

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Updated 12

में गाड़ी ने रखी हुए एक रजाई ले आया और एक चादर थी उसे भी उठा लाया..

में पूरी दिन की भागा दौड़ी से बिलकुल थक चुका था और अब मेरी भारी हो गई थी.. मां का भी यही हाल था अब तक रात के करीबन 9 बज चुके थे..

मेने मोबाइल ने देखा लेकिन अभी तक नेटवर्क नही आ रहा था में थोड़ा दूर निकल गया की कही नेटवर्क आ जाय लेकिन कोई फायदा नही हुआ.. और हार मान में में निराश होकर लौट आया मां के पास रजाई लेके...

मां बहोत गहरी सोच में डूब चुकी थी और वही खड़ी होकर पत्थर की मूरत जैसे बस खड़ी थी.. मां का मुंह दूसरी और था..

मेने मां को आते ही आवाज दी लेकिन मां को जैसे मेरी आवाज सुनाई ही न दी.. मेने चादर बिछा दी और रजाई नीचे रख मां के करीब जाके.. खड़ा रह गया...

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मां ने एक काली साड़ी पहली थी और उनके ब्लाउज से लटक रही लाल रंग की डोर मुझे बहोत उत्तेजित करने में लगी थी जैसे.. उनकी गोरी गोरी त्वचा मुझे उनकी और आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी..

मेने धीमे से अपने हाथ आगे बढ़ा दिए और मां से सट के खड़ा हुआ और दूसरे ही पल मेरे दोनो हाथ उनके पेट पे रहा उन्हे मेरी तरफ खीच के मेने उन्हे अपनी बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से मां के एक काम में धीमे आवाज में कहा "क्या हुआ मां इसे क्यों खड़ी हो"

मां मेरा स्पर्श अच्छे से समझ गई लेकिन एक पल के लिए वो थोड़ी सी कपकपा गई और डर से उछल पड़ी लेकिन मैने अपनी पकड़ मजबूत की और उन्हें अच्छे से धामे रखा...

मुझे महसूस हुआ की मां रो रही थी..मेने अपनी पकड़ और मजबूर की और पहले उनके कंधे को और उनके गले और गाल को चूम के बड़े प्यार से उन्हें कहा "मां आप डरिए मत में हूं ना और पापा को भी कुछ नही होगा मां सब ठीक हो जाएगा कुछ दिन की बात है बस"

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मां फट से मेरी और हुए और मेरी बाहों में समा गई और रोने लगी और रोते हुए बड़बड़ाने लगी उनकी चूची मेरे सीने पे दब रही थी और ने मां के बैकलेस ब्लाउज पे हाथ रखे उन्हें बड़े प्यार से दिलासा देते हुए सहला रहा था मेरे हाथ उनकी नंगी पीठ से होते हुए उनकी कमर तक चल रहे थे.. में आज मां के काफी नजदीक आ चुका था और मां भी बिना मुझे दूर किए बस मेरी बाहों में अपना दुःख दर्द भूलने की कोशिश में मुझे कस के अपने सीने से लगाए जा रही थी..

अगर ये घर होता तो मां अब तक मुझे अपने से दूर भगा दी होती लेकिन आज हालत कुछ अलग थे.. मां पापा और आंटी के बीच हुए यौन संबंधों को लेकर काफी चिंतित थी और पापा पे गुस्सा भी की एक तो पराई औरत की इज्जत लूटी और उनके साथ इतना बड़ा धोका दिया किसी और के साथ सो के... वही उन्हे पापा की चिंता भी सता रही थी...

में और मां काफी देर तक बस एक दूसरे को अपनी बाहों के प्यार करते रहे..

"चल अब हट कितना चिपकता है तू जैसे बच्चा हो अभी तक" मां ने अपने आसू को हटाते हुए बोली...

"अभी आप ही रो रह रहे थे ना मम्मी आप भी कमाल हो"

मां अपने आसू छुपाते हुए एक जुड़ी मुस्कान दिखाते हुए बोली..

"हा हा ठीक है अब सो जाते है कल देखते है क्या करना है"

मां फिर से बोली "बेटा तुम्हारे पापा को फोन लगा ?"

"नही ना मां यहां तो नेटवर्क ही नही आ रहा"
बहुत बढ़िया, अति उत्कृष्ट, अति कामुक और अति रोमांचक लेखन! आपका लेखन उत्तेजना और कामुकता से भरा है।
 

Ek number

Well-Known Member
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में गाड़ी ने रखी हुए एक रजाई ले आया और एक चादर थी उसे भी उठा लाया..

में पूरी दिन की भागा दौड़ी से बिलकुल थक चुका था और अब मेरी भारी हो गई थी.. मां का भी यही हाल था अब तक रात के करीबन 9 बज चुके थे..

मेने मोबाइल ने देखा लेकिन अभी तक नेटवर्क नही आ रहा था में थोड़ा दूर निकल गया की कही नेटवर्क आ जाय लेकिन कोई फायदा नही हुआ.. और हार मान में में निराश होकर लौट आया मां के पास रजाई लेके...

मां बहोत गहरी सोच में डूब चुकी थी और वही खड़ी होकर पत्थर की मूरत जैसे बस खड़ी थी.. मां का मुंह दूसरी और था..

मेने मां को आते ही आवाज दी लेकिन मां को जैसे मेरी आवाज सुनाई ही न दी.. मेने चादर बिछा दी और रजाई नीचे रख मां के करीब जाके.. खड़ा रह गया...

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मां ने एक काली साड़ी पहली थी और उनके ब्लाउज से लटक रही लाल रंग की डोर मुझे बहोत उत्तेजित करने में लगी थी जैसे.. उनकी गोरी गोरी त्वचा मुझे उनकी और आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी..

मेने धीमे से अपने हाथ आगे बढ़ा दिए और मां से सट के खड़ा हुआ और दूसरे ही पल मेरे दोनो हाथ उनके पेट पे रहा उन्हे मेरी तरफ खीच के मेने उन्हे अपनी बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से मां के एक काम में धीमे आवाज में कहा "क्या हुआ मां इसे क्यों खड़ी हो"

मां मेरा स्पर्श अच्छे से समझ गई लेकिन एक पल के लिए वो थोड़ी सी कपकपा गई और डर से उछल पड़ी लेकिन मैने अपनी पकड़ मजबूत की और उन्हें अच्छे से धामे रखा...

मुझे महसूस हुआ की मां रो रही थी..मेने अपनी पकड़ और मजबूर की और पहले उनके कंधे को और उनके गले और गाल को चूम के बड़े प्यार से उन्हें कहा "मां आप डरिए मत में हूं ना और पापा को भी कुछ नही होगा मां सब ठीक हो जाएगा कुछ दिन की बात है बस"

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मां फट से मेरी और हुए और मेरी बाहों में समा गई और रोने लगी और रोते हुए बड़बड़ाने लगी उनकी चूची मेरे सीने पे दब रही थी और ने मां के बैकलेस ब्लाउज पे हाथ रखे उन्हें बड़े प्यार से दिलासा देते हुए सहला रहा था मेरे हाथ उनकी नंगी पीठ से होते हुए उनकी कमर तक चल रहे थे.. में आज मां के काफी नजदीक आ चुका था और मां भी बिना मुझे दूर किए बस मेरी बाहों में अपना दुःख दर्द भूलने की कोशिश में मुझे कस के अपने सीने से लगाए जा रही थी..

अगर ये घर होता तो मां अब तक मुझे अपने से दूर भगा दी होती लेकिन आज हालत कुछ अलग थे.. मां पापा और आंटी के बीच हुए यौन संबंधों को लेकर काफी चिंतित थी और पापा पे गुस्सा भी की एक तो पराई औरत की इज्जत लूटी और उनके साथ इतना बड़ा धोका दिया किसी और के साथ सो के... वही उन्हे पापा की चिंता भी सता रही थी...

में और मां काफी देर तक बस एक दूसरे को अपनी बाहों के प्यार करते रहे..

"चल अब हट कितना चिपकता है तू जैसे बच्चा हो अभी तक" मां ने अपने आसू को हटाते हुए बोली...

"अभी आप ही रो रह रहे थे ना मम्मी आप भी कमाल हो"

मां अपने आसू छुपाते हुए एक जुड़ी मुस्कान दिखाते हुए बोली..

"हा हा ठीक है अब सो जाते है कल देखते है क्या करना है"

मां फिर से बोली "बेटा तुम्हारे पापा को फोन लगा ?"

"नही ना मां यहां तो नेटवर्क ही नही आ रहा"
Nice update
 

Mita Noor

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आपकी कहानी लेखन कौशल उत्कृष्ट और रोमांचक है!
 
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insotter

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में गाड़ी ने रखी हुए एक रजाई ले आया और एक चादर थी उसे भी उठा लाया..

में पूरी दिन की भागा दौड़ी से बिलकुल थक चुका था और अब मेरी भारी हो गई थी.. मां का भी यही हाल था अब तक रात के करीबन 9 बज चुके थे..

मेने मोबाइल ने देखा लेकिन अभी तक नेटवर्क नही आ रहा था में थोड़ा दूर निकल गया की कही नेटवर्क आ जाय लेकिन कोई फायदा नही हुआ.. और हार मान में में निराश होकर लौट आया मां के पास रजाई लेके...

मां बहोत गहरी सोच में डूब चुकी थी और वही खड़ी होकर पत्थर की मूरत जैसे बस खड़ी थी.. मां का मुंह दूसरी और था..

मेने मां को आते ही आवाज दी लेकिन मां को जैसे मेरी आवाज सुनाई ही न दी.. मेने चादर बिछा दी और रजाई नीचे रख मां के करीब जाके.. खड़ा रह गया...

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मां ने एक काली साड़ी पहली थी और उनके ब्लाउज से लटक रही लाल रंग की डोर मुझे बहोत उत्तेजित करने में लगी थी जैसे.. उनकी गोरी गोरी त्वचा मुझे उनकी और आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी..

मेने धीमे से अपने हाथ आगे बढ़ा दिए और मां से सट के खड़ा हुआ और दूसरे ही पल मेरे दोनो हाथ उनके पेट पे रहा उन्हे मेरी तरफ खीच के मेने उन्हे अपनी बाहों में भर लिया और बड़े प्यार से मां के एक काम में धीमे आवाज में कहा "क्या हुआ मां इसे क्यों खड़ी हो"

मां मेरा स्पर्श अच्छे से समझ गई लेकिन एक पल के लिए वो थोड़ी सी कपकपा गई और डर से उछल पड़ी लेकिन मैने अपनी पकड़ मजबूत की और उन्हें अच्छे से धामे रखा...

मुझे महसूस हुआ की मां रो रही थी..मेने अपनी पकड़ और मजबूर की और पहले उनके कंधे को और उनके गले और गाल को चूम के बड़े प्यार से उन्हें कहा "मां आप डरिए मत में हूं ना और पापा को भी कुछ नही होगा मां सब ठीक हो जाएगा कुछ दिन की बात है बस"

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मां फट से मेरी और हुए और मेरी बाहों में समा गई और रोने लगी और रोते हुए बड़बड़ाने लगी उनकी चूची मेरे सीने पे दब रही थी और ने मां के बैकलेस ब्लाउज पे हाथ रखे उन्हें बड़े प्यार से दिलासा देते हुए सहला रहा था मेरे हाथ उनकी नंगी पीठ से होते हुए उनकी कमर तक चल रहे थे.. में आज मां के काफी नजदीक आ चुका था और मां भी बिना मुझे दूर किए बस मेरी बाहों में अपना दुःख दर्द भूलने की कोशिश में मुझे कस के अपने सीने से लगाए जा रही थी..

अगर ये घर होता तो मां अब तक मुझे अपने से दूर भगा दी होती लेकिन आज हालत कुछ अलग थे.. मां पापा और आंटी के बीच हुए यौन संबंधों को लेकर काफी चिंतित थी और पापा पे गुस्सा भी की एक तो पराई औरत की इज्जत लूटी और उनके साथ इतना बड़ा धोका दिया किसी और के साथ सो के... वही उन्हे पापा की चिंता भी सता रही थी...

में और मां काफी देर तक बस एक दूसरे को अपनी बाहों के प्यार करते रहे..

"चल अब हट कितना चिपकता है तू जैसे बच्चा हो अभी तक" मां ने अपने आसू को हटाते हुए बोली...

"अभी आप ही रो रह रहे थे ना मम्मी आप भी कमाल हो"

मां अपने आसू छुपाते हुए एक जुड़ी मुस्कान दिखाते हुए बोली..

"हा हा ठीक है अब सो जाते है कल देखते है क्या करना है"

मां फिर से बोली "बेटा तुम्हारे पापा को फोन लगा ?"

"नही ना मां यहां तो नेटवर्क ही नही आ रहा"
Nice update bro 👍
 
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DB Singh

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बेटा चूतिया दिखा रहा। बाप झंडे गाडे जा रहा है।
 

JHS19

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Fantastic update
 
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