Mister Fantastic
GrandMaster
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Update 13
"चल नही लग रहा था तो रहने दे चल आजा थक गया होगा मेरा बच्चा आजा" मां ने बड़े प्यार से मेरी और देख कहा.. इनकी आवाज में ममता झलक रही थी...
अंधेरा हो चुका था लेकिन चांदनी काफी थी.. कुछ ही दिन में सायद पूर्णिमा थी.. मां का गोरा बदन चांद की चांदनी में और अधिक चमक रहा था मां ने बैठे बैठे ही अपनी सारी का पल्लू हटा अपने सीने से हटा दिया... मां ने एक कसा हुआ ब्लाउज पहना था जो उनके हकले हकले से गरादाई हुए जिस्म के ऊपरी हिस्से यानी मां के स्तनों को पकड़ के रखा हुआ था.. ये एक बैकलेस ब्लाउज था जो आगे से भी काफी हद तक गहरे गले का था जिस से मां स्तनों के बीच की गहरी रेखा उभर आई थी... मां के स्तन जैसे उनके इस गहरे गाल वाले ब्लाउज से बाहर आने को बेताब मालूम हो रहे थे..
गर्मी के मोसम में भी गांव की हरियाली की वजह से हल्की हल्की ठंडी हवाएं चल रही थी.. जो मुझे छू के जा रही थी और मुझे ये सुहाना मौसम बड़ा ही उचलित करने की पूरी कोशिश में लग गया था...
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में मां से अब नजरे ठीक से नहीं मिला रहा था मां की चूची के उभार देखते ही में बड़ा ही उत्तेजित होकर नजर हटा देता.. मां को यू मेरे आगे अपना पल्लू गिराई हुए बैठी हुई देख मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मेरे सामने मां मेरी दुल्हन बनी मेरा इंतजार कर रही हो और ये हमारी पहली रात यानी हमारी सुहागरात हो...
"आजा ना बेटा सोना नहीं है क्या" मां ने मुझे देख के फिर से कहा...
में मां को इसी कामुक हालत में देख हड़बड़ा गया और कुछ बोल ही नहीं पाया.. ये मादक हवाई जैसे मुझ पे कुछ जादू टोना कर रही थी...मेरे मुंह से निकल गया.."मां आप कितनी खूसबूरत हो.. जैसे कोई अप्सरा हो.."
मां को अपने कानो पे भरोसा नही हुआ वो मुझे बड़ी ही हैरानी से अपनी काली आखों को बड़ा बड़ा कर घूरते हुए बोली.. "क्या क्या.."
मेरी एक दो पल के लिए फट के चार हो गई लेकिन यहा की हवा में न जाने क्या था में मां के पास नीचे बैठ गया और उनकी सवाल भरी आखों में देखने लगा और एक गहरी सांस लेकर उनकी आखों में देखते हुए बोला "मां आप कितनी सुंदर हो जैसे पूर्णिमा का चांद.. आप को बस यूं ही देखता ही रहूं ये सारी रात यही तमन्ना दिल में हे"
मां का दोनो गाल मेरी बात सुन के सहज रूप से लाल हो उठे.. उनकी आखों में शर्म और होठों पे खुशी छुपाने से नही छुपी.. फिर मां जोर से हस दी और हंसते हुए ही मुझे अपनी और खींच उनके सीने पे मेरा सर लगा के मेरे बालो को सहलाने लगी...
मेरा मुंह उनके उभरे हुए स्तनों के ठीक ऊपर था मां के सीने से एक बड़ी ही मादक खुसबू मुझे मदहोश कर रही थी.. वही उनके स्तनों के मुलायम स्पर्श से में मेरे पूरे शरीर में एक तेज गेंदबाज से करेंट सा लगा..

मेरा लिंग अपनी औकात पे आ चुका था...
मां की ममता ने मेरी हवस को पूरी तरह से अपनी चरम सीमा पर पहुंचा दिया था.. में जैसे तैसे अपने अंदर के शैतान को रोक के मां के सीने पे सर रखे मां की ममता भरे प्यार को महसूस करता गया...
ये आलिंगन बस कुछ पल का था लेकिन मेरे लिए ये दो पल भी बड़े कीमती थे..
मां ने एक प्यारा सा मुंह बनाया जिसे बोल रही हो शैतान बचा क्या बोल रहा है और वो बस मजाक में ले रही हो वो ब्लश करते हुए कहने लगी.. "इतनी फिल्मे देखता है और अब मुझे ही बड़े बड़े डायलॉग सुना रहा है शर्म नही आती अपनी मां को ये सब बोलते हुए तेरी वाइफ को बोलियो ये सब बदमाश"
"चल लेट जा सो जा"
मां और में लेट गई...
"मां आप सच में आज बहोत अच्छे लग रहे हो"
मेने फिर से कहा..
"तो क्या रोज बुरी लगती हु हा.." में ये सुन चोक गया अब क्या बोलता के चूम हो गया...
"अरे ठीक है इतना डर क्यों रहा है बिलकुल अपने पापा पे गया है.. औरतों से बात करना ही नही आता उन्हे भी"
मां ये बोलते हुए फिर से उनके दिमाग में पापा और आंटी वाली बात याद आ गई...
मेने मां के चहरे पे देख लिया की वो क्या सोच रही थी..अभी मां और में एक दूसरे की और मुंह कर बाते कर रहे थे.. हमारे बीच बस एक हाथ का अंतर होगा.. मां के रसीले गुलाबी होठ से मेरे होठ बस कुछ इंच की दूरी पे थे.. मां के गुलाब के पंखुड़ी जैसे दोनो होठ बोलते हुए उपर निचे होते देख में उन्में खो सा रहा था...
मां को इसे दुखी देख मेने फिर से कहा "मां आप ने पापा से शादी केसे कर ली.. यानी आप तो तब कुछ उन्हे छोटी भी थी और इतनी खूबसूरत फिर भी आप ने पापा को क्यों चुना"
मां फिर से पापा की हरकत के बारे में सोचने लगी थी की एक ठंडी हवा चली और कुछ देर हम दोनो ही बस एक दूसरे की आखों में देखते रहे और कुछ पल के बाद मां की आखें बंद हो गई और उनके होठ चल उठे वो बोपने लगी उनके वही दिन याद करते हुए..
"बेटा तेरे पापा मुझ से पूरी 13 साल बड़े थे.. लेकिन तेरे नानाजी को वो बड़े पसंद थे.. उन्होंने तो पता नहीं कब से सोच के रखा था की मेरी शादी तेरे पापा से करेंगे.. जैसे ही मेरी पढ़ाई खत्म हुए मेरी शादी करवा दी गई.. हमारी पहली मुलाकात ठीक में बस हम ने एक दूसरे को देखा और सब तै हो गया मुझ से कुछ पूछा ही नही गया.. में उन्हे जरा भी पसंद नही कर पा रही... उपर से मेरी सहेलियां भी मेरा और तेरे पापा का मजाक उड़ाया करती.. लेकिन जब में शादी कर के घर आई जब मेने उन्हे करीब से समझा जाना मुझे देर नही लगी उनसे प्यार होने में.. उनके जितना अच्छा और सच्चा दोस्त और हमसफर मुझे कभी नहीं मिल सकता था.. मेरी हर बात को एक पल में मान जाते है जैसा में कही वैसे वैसे रहना कभी किसी और की और आंख उठा के न देखना सब बाते मुझे उनकी और खींची ले जाती हे.."
मां अपनी आखें बंद किए अपने दिल की बाते कह रही थी वो इस कदर खो गई थी कि वो ये भी शायद भूल चुकी थी वो उनके बेटे को ये सब बातें सुना रही थी... में कुछ बोले बिना ही सब सुन रहा था... आगे बोलती है...
"उन्होंने कभी मुझ पे सक नही किया.. मेरे लिए अपने पिताजी को अकेला छोड़ दिया.. लेकिन.. अब अब उन्हें क्या हो गया की उन्होंने एक पराई औरत के साथ......."
मां के आखों से आसू आने लगे.. और वो दूसरी और मुंह कर दी.. उन्हें जैसे होस आ गया था अब....
"चल नही लग रहा था तो रहने दे चल आजा थक गया होगा मेरा बच्चा आजा" मां ने बड़े प्यार से मेरी और देख कहा.. इनकी आवाज में ममता झलक रही थी...
अंधेरा हो चुका था लेकिन चांदनी काफी थी.. कुछ ही दिन में सायद पूर्णिमा थी.. मां का गोरा बदन चांद की चांदनी में और अधिक चमक रहा था मां ने बैठे बैठे ही अपनी सारी का पल्लू हटा अपने सीने से हटा दिया... मां ने एक कसा हुआ ब्लाउज पहना था जो उनके हकले हकले से गरादाई हुए जिस्म के ऊपरी हिस्से यानी मां के स्तनों को पकड़ के रखा हुआ था.. ये एक बैकलेस ब्लाउज था जो आगे से भी काफी हद तक गहरे गले का था जिस से मां स्तनों के बीच की गहरी रेखा उभर आई थी... मां के स्तन जैसे उनके इस गहरे गाल वाले ब्लाउज से बाहर आने को बेताब मालूम हो रहे थे..
गर्मी के मोसम में भी गांव की हरियाली की वजह से हल्की हल्की ठंडी हवाएं चल रही थी.. जो मुझे छू के जा रही थी और मुझे ये सुहाना मौसम बड़ा ही उचलित करने की पूरी कोशिश में लग गया था...
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"आजा ना बेटा सोना नहीं है क्या" मां ने मुझे देख के फिर से कहा...
में मां को इसी कामुक हालत में देख हड़बड़ा गया और कुछ बोल ही नहीं पाया.. ये मादक हवाई जैसे मुझ पे कुछ जादू टोना कर रही थी...मेरे मुंह से निकल गया.."मां आप कितनी खूसबूरत हो.. जैसे कोई अप्सरा हो.."
मां को अपने कानो पे भरोसा नही हुआ वो मुझे बड़ी ही हैरानी से अपनी काली आखों को बड़ा बड़ा कर घूरते हुए बोली.. "क्या क्या.."
मेरी एक दो पल के लिए फट के चार हो गई लेकिन यहा की हवा में न जाने क्या था में मां के पास नीचे बैठ गया और उनकी सवाल भरी आखों में देखने लगा और एक गहरी सांस लेकर उनकी आखों में देखते हुए बोला "मां आप कितनी सुंदर हो जैसे पूर्णिमा का चांद.. आप को बस यूं ही देखता ही रहूं ये सारी रात यही तमन्ना दिल में हे"
मां का दोनो गाल मेरी बात सुन के सहज रूप से लाल हो उठे.. उनकी आखों में शर्म और होठों पे खुशी छुपाने से नही छुपी.. फिर मां जोर से हस दी और हंसते हुए ही मुझे अपनी और खींच उनके सीने पे मेरा सर लगा के मेरे बालो को सहलाने लगी...
मेरा मुंह उनके उभरे हुए स्तनों के ठीक ऊपर था मां के सीने से एक बड़ी ही मादक खुसबू मुझे मदहोश कर रही थी.. वही उनके स्तनों के मुलायम स्पर्श से में मेरे पूरे शरीर में एक तेज गेंदबाज से करेंट सा लगा..
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मां की ममता ने मेरी हवस को पूरी तरह से अपनी चरम सीमा पर पहुंचा दिया था.. में जैसे तैसे अपने अंदर के शैतान को रोक के मां के सीने पे सर रखे मां की ममता भरे प्यार को महसूस करता गया...
ये आलिंगन बस कुछ पल का था लेकिन मेरे लिए ये दो पल भी बड़े कीमती थे..
मां ने एक प्यारा सा मुंह बनाया जिसे बोल रही हो शैतान बचा क्या बोल रहा है और वो बस मजाक में ले रही हो वो ब्लश करते हुए कहने लगी.. "इतनी फिल्मे देखता है और अब मुझे ही बड़े बड़े डायलॉग सुना रहा है शर्म नही आती अपनी मां को ये सब बोलते हुए तेरी वाइफ को बोलियो ये सब बदमाश"
"चल लेट जा सो जा"
मां और में लेट गई...
"मां आप सच में आज बहोत अच्छे लग रहे हो"
मेने फिर से कहा..
"तो क्या रोज बुरी लगती हु हा.." में ये सुन चोक गया अब क्या बोलता के चूम हो गया...
"अरे ठीक है इतना डर क्यों रहा है बिलकुल अपने पापा पे गया है.. औरतों से बात करना ही नही आता उन्हे भी"
मां ये बोलते हुए फिर से उनके दिमाग में पापा और आंटी वाली बात याद आ गई...
मेने मां के चहरे पे देख लिया की वो क्या सोच रही थी..अभी मां और में एक दूसरे की और मुंह कर बाते कर रहे थे.. हमारे बीच बस एक हाथ का अंतर होगा.. मां के रसीले गुलाबी होठ से मेरे होठ बस कुछ इंच की दूरी पे थे.. मां के गुलाब के पंखुड़ी जैसे दोनो होठ बोलते हुए उपर निचे होते देख में उन्में खो सा रहा था...
मां को इसे दुखी देख मेने फिर से कहा "मां आप ने पापा से शादी केसे कर ली.. यानी आप तो तब कुछ उन्हे छोटी भी थी और इतनी खूबसूरत फिर भी आप ने पापा को क्यों चुना"
मां फिर से पापा की हरकत के बारे में सोचने लगी थी की एक ठंडी हवा चली और कुछ देर हम दोनो ही बस एक दूसरे की आखों में देखते रहे और कुछ पल के बाद मां की आखें बंद हो गई और उनके होठ चल उठे वो बोपने लगी उनके वही दिन याद करते हुए..
"बेटा तेरे पापा मुझ से पूरी 13 साल बड़े थे.. लेकिन तेरे नानाजी को वो बड़े पसंद थे.. उन्होंने तो पता नहीं कब से सोच के रखा था की मेरी शादी तेरे पापा से करेंगे.. जैसे ही मेरी पढ़ाई खत्म हुए मेरी शादी करवा दी गई.. हमारी पहली मुलाकात ठीक में बस हम ने एक दूसरे को देखा और सब तै हो गया मुझ से कुछ पूछा ही नही गया.. में उन्हे जरा भी पसंद नही कर पा रही... उपर से मेरी सहेलियां भी मेरा और तेरे पापा का मजाक उड़ाया करती.. लेकिन जब में शादी कर के घर आई जब मेने उन्हे करीब से समझा जाना मुझे देर नही लगी उनसे प्यार होने में.. उनके जितना अच्छा और सच्चा दोस्त और हमसफर मुझे कभी नहीं मिल सकता था.. मेरी हर बात को एक पल में मान जाते है जैसा में कही वैसे वैसे रहना कभी किसी और की और आंख उठा के न देखना सब बाते मुझे उनकी और खींची ले जाती हे.."
मां अपनी आखें बंद किए अपने दिल की बाते कह रही थी वो इस कदर खो गई थी कि वो ये भी शायद भूल चुकी थी वो उनके बेटे को ये सब बातें सुना रही थी... में कुछ बोले बिना ही सब सुन रहा था... आगे बोलती है...
"उन्होंने कभी मुझ पे सक नही किया.. मेरे लिए अपने पिताजी को अकेला छोड़ दिया.. लेकिन.. अब अब उन्हें क्या हो गया की उन्होंने एक पराई औरत के साथ......."
मां के आखों से आसू आने लगे.. और वो दूसरी और मुंह कर दी.. उन्हें जैसे होस आ गया था अब....