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Incest पूर्वसंध्या का रिवाज़

Premkumar65

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ये एक पूरी तरह से काल्पनिक कहानी है... जिस का असल जिंदगी से कोई संबंध नहीं...

में आज आप के साथ एक मेरे जीवन में हुए बेहत अजीब और सुखदायक अनुभव को लेकर आया हु...ये एक ऐसा अनुभव है जो हर किसी के नसीब में नहीं होता... नही ज्यादातर मामलों में कोई ऐसा अपने सपने में भी सोचता है.. आज भी वो रात मेरी आखों के सामने आते ही मेरा लिंग उत्तेजना से लोहे के माफिक सख्त होकर खड़ा हुआ उस रात को याद करते हुए अपना पानी छोड़ देता है....

आज से करीबन 25 साल पहले में गांव अपने घर आया था नोकरी से कुछ दिन की छुट्टी लेकर... मेरी और कुसुम की सगाई पूरे एक साल चली थी...और आज पूरे एक साल बाद जाके कुछ दिन बाद हमारी सादी होने वाली थी...हम ने एक दूसरे को ठीक से देखा तक नहीं था... मेरी सरकारी नौकरी थी तो लड़की की हर या ना का कोई सवाल ही नही था.. मेरे सास ससुर ने बिना मुझे देखे ही बापूजी को अपनी और से हा कर दी... और बापूजी ने भी मेरी जानकारी के बिना ही अपनी और से ये रिश्ता पक्का कर दिया...

सगाई के दिन हमारी पहली मुलाकात हुए... सगाई एक के वक्त कमरे में इतना अंधेरा था कि मुझे ज्यादा कुछ नहीं दिखा...उसके गोरे गोरे हाथ जब मेने देखे में खुशी से उछल ही पड़ा था.. पतले नाजुक हाथ जब मेरे काले हाथो में आई वो जैसे कंपकंपा गई.. बिचारी कुसुम... वो तो अपनी नजरे जुकाई बस खड़ी ही थी....

सगाई में बाद मेरे दोस्त ने मेरे कान में आके कहा.."तेरी सास तो पूरी गोरी चिट्ठी महिला है क्या कड़क बदन की मालकिन ही यार...तेरे बाप ने अच्छा रिश्ता देखा है" में उसकी बात समझ गया तब असकर लड़की को मां को देख के ही अंदाजा लगाना होता था की लड़की कैसी होगी...

मेरी नजर भी सासु मां पे गई में अपनी खुसी छुपा नहीं पाया क्या कमाल की जवानी चढ़ी हुई थी इस उम्र में मेरी सास के जिस्म पे...में कुसुम को मन ही मन उसकी मां को देख के सोचने लगा...

अब कुछ ही दिनों बाद हमारी सादी होने को थी...में ज्यादा अपने गांव में रहा नही था.. पहले पढ़ाई के लिए फिर अपने काम से गांव से बाहर ही रहता...मुझे सादियो में होने वाले रीति रिवाजों का इतना ज्ञान नही रहा...

सादी का दिन जैसे जैसे करीब आ रहा था घर में तैयारी बड़ रही थी...पूरा घर रिस्तेदारो की बड़बड़ और बच्चो की चहल पहल से गूंजता रहता...

हमारे यहां शादी से पहले हल्दी लगाते है कुछ दिनो तक..जैसे की सादी से कुछ दिल पहले ही सब औरते मिल के हल्दी लगाने आती दूल्हे को... ये रस्म घर के अंदर ही की जाती और वहा बस औरते और लड़कियां होती हैं... मर्द बाहर बैठ के अपनी बैठक लगाई होते हे...

में बड़ा शरमा रहा था कि मुझे हल्दी लगाने वाली है..में बड़ा बैचेन था की सब के हाथ मेरे बदन पे लगाने वाले है...

में शर्म से लाल होकर एक सफेद कुर्ते में बैठा था...मेरी चाची के हल्दी से लिपटे हुए हाथ मेरे गालों से होते हुए मेरे गले तक पहुंच रहे थे...कुछ ही पल में भाभियों और बहनों ने मेरे कुर्ते को निकल दिया...में शर्म से अपना सर झुका दिया... मुझे बनियान या अंडरवेयर न पहने के लिए मां ने पहले ही बोल दिया था... मेरी सवाली चमकदार त्वचा को देख चाची बोली "बड़ा गहरा रंग है ठीक से लगाओ हल्दी..नही तो अपनी पत्नी के आगे हमारा बेटा फीका पड़ जाएगा" चाची ने मेरी छाती पे हल्दी लगाई...कुछ ही देर में में हल्दी से पूरा रंग गया...

मां दूर खड़ी मुझे देख मुस्करा रही थी...

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तभी दादी वहा आके मां को डाटते हुए बोली "क्या देख रही है हाथ चला अपने... चलो सब बाहर जाओ पूर्वसंध्या की तैयारी शुरू कर बहुरानी...." सब बाहर चले गई मां हैरानी से दादी को देख रही थी..." और जैसे उन्हे कुछ याद आया वो फिर से हस दी...मुझे देख...
अब कमरे में सिर्फ चाची मां दादी और में थे... चाची मेरी और आके मेरी धोती के नाड़े को ढीला कर दी..."ये क्या कर रहे हो चाची आप" चाची बड़ी बड़ी आंखें मुझे देख रही थी..फिर मां को देख के बोली. "क्या सुधा ये सब भी नहीं सिखाया तूने अपने बेटे को दो दिन में तो पूर्वसंध्या का रिवाज़ करना है और अभी ये हाल है"..."हा हा भूल गई थी.. अब आप दोनों जाओ में बात कर लूंगी... मेरे बेटे को तंग मत करो अब"
दादी और चाची भी चले गई...

मां ने देख लिया की में हैरानी से सब सुन रहा हु मेरे लिए ये सब बातें बहोत नई जो थी...
"बेटा कुछ नही करना ही बस अपनी धोती को हटा दे वहा भी लगानी होगी हल्दी.."

मां के मुंह से ये सुन में आश्चर्य से उन्हें देखता ही रहा...की मां खुद ही अपने हाथ से पकड़ के कपड़ा नीचे कर दी...मेरा लिंग पहले से उत्तेजित होकर मां के सामने खड़ा हो चुका था... मां की आंखे बड़ी हो गई मेरे लिंग के आकार को देखकर...वो बोली " बेटा आंखे बंद कर ले" मैने अपनी आखें बंद कर दी...और दूसरे ही पल मां के मुलायम हाथ मेरे लिंग को पकड़ लिए...और उसकी मालिश करने लगी...मेरी आहे निकल गई.."आह मां बस आह मां दर्द हो रहा है" लेकिन मां नही रुकी...और बोली "मेरे लाल कुछ नही होगा मां पे भरोसा नही है तुझे" में उत्तेजन ने तड़प उठा था पहली बार मेरे लिंग पर किसी महिला के हाथ चल रहे थे... कुछ देर में ही मेने अपना गाड़ा वीर्य मां के हाथो में निकल दिया...लेकिन me गलत था मेरी आखें खुली तो मेने देखा कुछ बूंदे मां के मुंह पर भी पड़ी थी...मां उठ के बाहर चली गई...

में अपने कपड़े पहन घर के पीछे ही बाहर निकल गया और कुच दूर अपने आप को दिया फिर दोस्तो की और निकल गया...

बाहर मां ने जैसे ही दरवाजा खोला दादी और कुछ औरते मां के ही इंतज़ार में खड़ी थी..मां ने अपना वीर्य से गीला हाथ दादी को देखा के हसी के साथ बोली "माझी आप के बेटे से ज्यादा निकाला है देखो मेरा तो मुंह भी खराब कर दिया" "आखिर पोता किस का है बहु" "लेकिन दूध तो मेरा पी के इतना तड़ागा हुआ है आप का पोता" "ज्यादा उछल मत सुधा रानी ये जितना मोटा होगा उतना ही तुझे दर्द देगा.." चाची हस के बोली...और सब औरते हसने लगी...और मां भी सोचने लगी की उनका क्या होगा अपने ही बेटे के लिंग को योनि में लेकर क्या वो ले भी पायेगी...
Sexy start. Mazaa ayega age.
 
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Premkumar65

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दो दिन यही सब चला...और आज वो रात थी जब मां मेरे साथ सोएगी...में अपने कुछ दोस्त और भाई के साथ बैठा था... "भाई तूने पहले कभी किया है कि नई" मेने ना में सर हिला दिया... "कोई नई डराना मत चाची सीखा देगी...बस उनका साथ देता रहना.." में ध्यान से सुन रहा था..."अबे साले अपनी मां को ही पेट से मत कर देना तू.. हा हा..."
एक दोस्त हस्ते हुए बोला...मेरे डर सा गया...मेरे हाव भाव देख मेरे चाचा का बड़ा लड़का बोला... "छोटे तू इनकी बात क्यों सुन रहा है... चाची सब संभाल लेगी.."

दूसरी और मां अपनी सहेलियों के साथ गप्पे लड़ा रही थी.."सुधा आज रात से तैयारी कैसी है" मां हस के बोली "क्या तैयारी क्या करनी अब"
"अरे पागल ठीक से सज सहर के सोना आज रात को बेटा जवान है.. कुछ तो खयाल रख उसका...सब सिखा देना नही तो बहु बोलेगी सासू मां ने कुछ सिखाया ही नही अपने बेटे को"

मां शर्म से लाल हो गई.."वैसे सुधा के चूचे तो देखो आज तो बड़े फूल गई है बिचारी पूरा दिन पानी जरेगी..बेटे के प्यार के लिए तड़प उठी होगी सुधा की बुरिया"
"आप सब क्या बोल रहे हो ऐसा कुछ नही...बेटा है तो बस शर्म आती है..आप तो जैसे रोज लेती हो न अपने बेटे का मूसल"
"देता तो में तो रोज लेती बहुरिया.. लेकिन तू आने दे तब न मेरे लाल को मेरे पास रोज पांव खोल के लेट जाती है बिचारे को पूरा सुखा दी हो..."

"तो आज रात आप भी अपने बेटे को अपना दूध पिला ही दो..."

और दादी और मां हसने लगे...

रात को फिर से हल्दी लगाई गई...और फिर मां ने अपने हाथो से मेरे लिंग की मालिश की... आज मेरी मलाई नही निकली तो मां मुस्करा के बोली..."मेरा लाल बड़ी जल्दी सब सीख रहा है...जा नहा ले में में भी नहा के आती हु"

ने नहा के घर में आया अब तक सब लोग चले गई थे...मुझे आता देख ही दादी बोल उठी.."चलो बेटा(पापा) बाहर निकल आओ..." और पापा और दादी दादी बाहर निकल कर आंगन में चारपाई डालने लगे...और चाची अपने घर चली गई...जाते जाते दादी को धीरे से कान में कहा "सासुमा जेठजी को दूध पिला देना...बड़े पता नही कितने दिन से जेठानी जी बचा रही होगी उसके बेटे के लिए हा हा..."

दादी ने चाची को थक्का दिया और बोली "तुझे बड़ी फिकर हो रही है ना तो तू ही पीला दे वैसे भी तेरा दूध खतम नही कर पायेगा कोई मर्द अकेला"
Mast family hai.
 
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Uodate 03

में नहा के आंगन घर में चला गया...में जैसे ही कमरे में कदम रखा में चोक गया... कमरा पूरा साफ किया गया था..कमरे में कोई भी खटिया नही थी लेकिन फर्श पे बिस्तर लगाए हुआ था... कमरे से बड़ी मादक खुसबू आ रही थी...गांव में तब बिजली नहीं आती थी..इस लिए वहा एक लालटेन जल रही थी जिस की सुनहरी रोशनी से पूरा कमरा जगमगा रहा था...

में पूरे दिन से थक गया था में बिस्तर पे लेट गया...में बस एक सफेद लुंगी में लेट रहा था... मां के कहने से मेने ज्यादा कुछ नहीं पहना था...मेरा तन बदन आग छोड़ रहा था जिस का कोई ज्ञान मुझे नही था की ऐसा क्या हो रहा है मुझे... मुझे बार बार सब की बाते याद आ रही थी...मुझे सब से अधिक परेशान ये बात कर रही थी की मुझे अपना लिंग मां की योनि में प्रवेश करवाना है...में बड़ा सोच में पड़ गया की मां की छोटी सी योनि में मेरा ये मोटा लिंग केसे जायेगा...में खुद को बोल रहा था की कास ये छोटा हो जाय तब सायद चला ही जाए...मेने वैसे कभी औरत को नंगा नही देखा बस इतना पता था कि औरत का लिंग नही होता....

मां ने दरवाजा खोला और वो अंदर आई...वो बस पेटीकोट ब्लाउज में खड़ी थी...बाल खुले...गिला बदन मेरा उन्हें देख अपने आप लिंग और बड़ा होने लगा...

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मां ने मेरी नजर पकड़ ली वो खिल खिला के हस्ते हुए बोली.."क्या घूर रहा है पहली बार देख रहा है क्या अपनी मां को" में शर्म से अपनी नजर नीचे कर दिया...लेकिन मेरा लिंग पूरा तन गया था जिस से मेरी लुंगी में टेंट सा बन गया...मां उसे देख फिर से अपनी मीठी आवाज में बोली..."हाए मेरा लड़का कितना बड़ा हो गया पता नही चला..." और मुस्करा दी...

मां बाहर गई और अपने हाथ में एक दूध का ग्लास लिए मेरे पास आई...और फिर एक डिब्बा अलमारी से निकल बोली..."देख ये सिलाजित है बेटा आज से रोज रात को पीके सोना हे तूझे...इस से मर्द में शक्ति का संचार होता है...और तू अपनी पत्नी को पूरी तरह से चरम सुख प्राप्त करवा पाएगा..." में बड़ी हैरानी से मां को देख रहा था वो दूध में सिलाजित मिला दी...

और मुझे अपने हाथ से पिलाने लगी..."मां बस इतना ही" मेने मां को मना किया...पूरा पीने से "बेटा बचपन में तो मेरे दोनो चूचे चूस के खतम कर दिया करता था अब क्या हुआ..." मां ने बड़ी मीठी और कामुक आवाज में कहा..."मां आप को क्या हो गया है क्या बोल रहे हो आप"

"कुछ नही सब समझ आ जाएगा आज तुझे मेरे लाल तेरी मां हैं यहां"
Wow maaa khud apna dudh pilane ko tayyar hai.
 
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Update 04

मां ने कमरे का दरवाजा बंद किया और मेरी और देख हल्का सा मुस्कुरा दी...और अपने खुले बालों को पकड़ के एक तरफ करते हुए मेरी बगल में आके बैठ गई...

"बेटा कल तेरी सादी है.. बहु के साथ कल रात तुझे सुहागरात माननी है... तुझे कल को बहु के साथ करना है वो आज में तुझे सिखा दूंगी...ताकि तू एक पति का फर्ज अदा कर पाई..."

"मां मुझे बहुत अजीब लग रहा है...जल्दी कीजिए ना" मेने अपने दर्द कर रहे लिंग को मसल के कहा..."बेटा चल पहले तो अपने कपड़े उतार दे... "

मेने कपड़े उतार दिए...में पूरा नंगा बिस्तर पे बैठा था...मां ने अपने पेटिकोट का नाडा खोल दिया और एक एक कर अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी...आखिर बटन पर हाथ रख वो बोली "बेटा ये तू खुद उतार कल तुझे ही बहु के कपड़े उतारना पड़ेगा...मेरी नाक मत कटा देना"

मां के आधे से ज्यादा चूचे बाहर निकल आई थे जैसे मेने अपने हाथ से वो आखरी बटन खोला...मां उपर से पूरी तरह से मेरे आगे नंगी हो गई...उनके भरावदार कद के स्तन देख मेरे मुंह में पानी आने लगा...मां ने मेरी हालत भाप ली...

वो अपने हाथ उपर की और बोली.."चल देख क्या रहा है.. इसे कोन निकालेगा..." में डराता हुआ खड़ा हुआ और उनका ब्लाउज निकल लिया...मेरे हाथ कांपने लगे...मां के ब्लाउज से दूध की और उनके बदन के पसीने की महक आ रही थी....

मां अपनी जगा से खड़ी हुई...और उनका साया उनकी मखन सी मुलायम टांगो से होता हुआ बिस्तर पे गिर पड़ा...उनकी दूध से गोरी त्वचा देख में पागल हो उठा...मेरा लिंग अपने आप ही जटके मारने लगा...मां जोर से हस दी.."मेरा बच्चा इतना पसंद आया मेरा नंगा बदन मेरे लाल को..आजा..."

मां ने मुझे अपनी बांहों में कस के भर लिया...मां की योनि से मेरा लिंग जैसे ही छुआ मुझे उनकी गर्म यौनी का अहसास हुआ...में तड़प उठा...में मां को और जोर से पकड़ लिया..मेरे हाथ मां की नंगी पीठ को सहलाने लगे...पूरी मखन सी चिकनी पीठ कमर पे मेरे हाथ चल रहे थे...मां के स्तन के नुखूले टेटवे मुझे और उत्तेजित कर रहे थे...

हम काफी देर उसी मुद्रा में एक दूसरे को लिपट के खड़े रहे...

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Uffffff slow seductress hai mom.
 
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Update 05

मां की योनि के उपर मेरा लिंग जैसे गड़ सा गया था...और में अपने आप ही हकला हल्ला उपर नीचे होकर अपने लिंग को मां की कोमल गुलाबी योनि की दीवार से घर्षण करते हुए मां को अपनी बाहों के भर रहा था...

"आह बेटा ये तो तेरे बापू से कही ज्यादा बड़ा हो गया है...बेटा बस इसे ही इसे बड़े प्यार से औरत की योनि पे घिसना होता है जब तक औरत की योनि गर्म होके अपना पानी न छोड़ दे"

"मां बिस्तर गीला हो गया तो आप तो कितना सारा मूतोगे"
मां मेरी नादानी भरी बात सुन जोर जोर से हंसने लगी...

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मां को ऐसे देख में मेरा उत्तेजित लिंग बैठ गया और में मायूस होकर बिस्तर पे बैठ गया उलटा मुंह कर....

का को अहसास हुआ की में सहमा सा गया हु वो मेरी हालत और नादानी देख मेरे पीछे आके बैठ..गई..उनकी योनि के घने जंगल जैसे बाल मेरी गांड़ में बद रहे थे..उनके कसे भरावदार स्तन मेरी पीठ में खंजर जैसे चुब रहे थे..फिर से उत्तेजित होकर अपनी मां के बदन की गर्मी को महसूस करते हुए...

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अपना लिंग हाथ में पकड़ लिया वो बड़ा हो रहा था की मां ने उसे अपनी हथेली में जोर से दबा दिया...में दर्द से कराह उठा और बोला.."मां आह छोड़ दो नही तो दर्द से फट जाएगा.." फिर से हस्ते हुए बोली..."फड़ेगा तो तू आज इस मूसल से मेरी छूत को और कल अपनी पत्नी की समझा... में तो तुझे दर्द का अहसास दिला रही हु ताकि तू समझ पाई की संभोग में औरत कितना दर्द सहती है...तो बेटा औरत को बड़े प्यार से आराम आराम से भोगते है"

मां ने मेरे लिंग को आराम से हकला जोड़ दिया और एक हाथ से मेरे झांगो को सहलाने लगी...

"मां भोगना क्या होता है और आप इतना क्यों हस रही थी आप सच में ही तो बहोत पानी निकल देती हो मेने देखा है आप को खेत में मुतते हुए....

"क्या में तो तुझे भोला समझ रही थी और तू मुझे इसे देखता है... बदमाश और क्या क्या देखा है कही अपनी मां को नंगा देख मुठ तो कही मारता था बदमाश.."

में मां की ऐसी बात सुन फिर से डर के सहम सा गया...जैसे ही मां को लगा कि मेरा लिंग फिर से मुरझा रहा है वो मुझे कस के पकड़ के मेरे गले को चूमने लगी और बोली "अरे में तो मजाक कर रही हू मां को नही देखेगा तो किसे देखागा"

"मां आप क्या सच में मूत दोगे" "नहीं नहीं बच्चे"

"जब औरत को तू चूमेगा उसके गालों को उसके स्तन को अपने होठों से चूम के उसे उत्तेजित करेगा...तब हमारी योनि से एक स्त्राव झरता है जिस का काम योनि मार्ग को गीला करना होता है ताकि जब मर्द अपना कठोर लिंग हमारी योनि के छोटे से द्वार पे अपना लिंग रख अंदर करता है वो बड़ी आसानी से योनि की गहराई में उतर सके...और लिंग जितना औरत की योनि की गहराई में घुसता है एक औरत को उतना ही आनद मिलता है...लेकिन प्यार से डालना दर्द भी बड़ा होता है मेरे लाल.. और तेरा तो गधे जैसा मोटा है"
Wowww kash aise rizwan mere Jahan bhi hota.
 
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Update 06

मैने मां की और देख बोला मां इतना बड़ा है और दर्द भी होगा तो डालना ही क्यों है...

"बेटा ऐसा तू इस लिए बोल रहा है क्यो की तूने कभी औरत को संभोग क्रिया करते हुए निहारा ही नही न कभी तूने खुद ये आनद उठाया है... बेटा ये तेरा मोटा और लम्बा लिंग देख तो तेरी चाची और दादी भी अपनी योनि ने उंगली डाल के सोती होगी...बेटा ये जितना बड़ा और लंबा होगा एक औरत को जितना दर्द देगा उस से कही ज्यादा वो उसे काम संतुष्टि से भर देगा... और बेटा एक औरत को मर्द से मीठा मीठा दर्द ही चाइए होता है.."

"मां आप को भी बापूजी दर्द देते है?" "हा मेरे लाल...और आज तू देगा समझा...और कल तू यही दर्द अपनी पत्नी को देगा लेकिन उसका पहली बार हे तो संभाल के उसे सच में बहुत दर्द होगा"

"मां इतना दर्द में मेरी कुसुम को नहीं दूंगा" "हाय हाय मेरी कुसुम अभी तक तो मिला भी नही अभी से इतना प्यार..मां को तो भूल ही जाएगा तू..."

"मां ऐसा नहीं हे बस वो तो" मेने सरमाते हुए कहा...

मां थोड़ा पीछे हुए और उन्होंने कहा "अब मेरी और देख और सच सच बता क्या सोच रहा है"

मेने मां को जैसे ही देखा मेरी नजर उनके मुख से हट गई...वो बड़ी ही कामुक महिला थी अपने बेटे के आगे नंगा होकर बैठी थी लेकिन उन्हे कोई सर्म नही थी...उनकी ये अदा देख मेने अपनी नजर नीचे कर दी...और मेरी नजर उनके घने जंगल पे गड़ सी गई...घने और काले झाटे जैसे नुखिले काटो वाली जाडिया लग रही थी..बाल काफी लंबे थे और एक दूसरे में उलझे हुए...मां की योनि पर इतने घने जंगल ने बसेरा किया था की ऐसा लगा जैसे वहा बस मां बाल ही हो...घने घुंघराले बाल न जाने मुझे क्यों बड़ा उत्सुक कर रहे थे ये जानने को की इस घने जंगल के आगे क्या होगा...

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मेने बड़ी मासूमियत भरी आवाज में बोला..मां...मां लेकिन आगे बोल ना पाया...

"बोल ना मेरे बच्चे शरमा क्यू रहा है आज सब जान ले कल तेरी मां नही आएगी तेरी कुसुम को सन्तुष्ट करने..."

में और अधिक शर्म से डूब गया..और अपना सर नीचे झुका लिया...और मां को देख के एक अजीब सी गुदगुदी होने से में अपनी आंखे भी बंद कर दिया...

"इतना तो नई नवेली दुल्हन भी नही शर्माती मेरे लाल" और मां ने मुझे अपनी छाती से चिपका दिया..मेरा मुंह उनके भरावदार स्तन पे जैसे ही गया...मेरा दिल जूम उठा...मुझे बड़ा अच्छा लगा उनके स्तनों की मुलायम अहसास में सुकून से उन्हे पकड़ लिया...

मां ने मुझे आगे कर अपना एक निपल्स मेरे मुंह में रख दिया...में एक दम से चोक उठा...लेकिन अपनी मां का स्तन मुंह में आते ही में नई दुनिया में ही पहुंच गया...
में मां ने निप्पल को चूसने लगा दूध नहीं आने से में बैचेन हो उठा और दूसरे हाथ से मां के स्तन को हाथ में लेकर जोर से दबा दिया...मां की मस्ती भरी सिसकारी निकलने लगी...अभी तक मेरे मुंह में दूध नही आने से मेरे अंदर का बच्चा बड़ा व्याकुल हो उठा और गुस्से में मां ने अंगुर के दाने जैसे निपल्स को काट दिया... मां की एक तेज दर्द से भरी आह निकली और पूरा घर उनकी चीख से जैसे शांत हो गया...मां बड़ी शर्मा गई की इतनी तेज आवाज सुन बाहर उसका पति और सासू क्या सोच रहे होगे...वो अपनी आवाज अपने हाथ से दबा दी...

"आउच्छ मेरे लाल...क्या कर रहा काट क्यू रहे हो नही आएगा अब दूध आह आह आराम आराम से चूस मेरे अच्छे अपनी मां को अभी से इतना दर्द मत दे"

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तभी पापा की आवाज आई दरवाजे पे "गोलू की मां क्या हुआ.. मां को भेजू.. संभाल पाऊंगी ना अकेली... जवान बेटा है कही उतेजना में तुम्हे ज्यादा दर्द न दे दे...जवान खून है.. संभाल के...कल बारात में भी जाना है"
Very erotic update.
 
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Update 07
पापा की आवाज सुन ने डर गया और मां से दूर होकर मुंह नीचे कर दिया शर्म और डर के मारे...

मां वही बेटी बैठी जोर से चिल्ला के बोली.. "आप को बोला था ना यहां मत आना...डरा दिया न मेरे लाल को.. अब जवान बेटा अपनी मां के साथ पूर्वसंध्या मना रहा हो तो ऐसी आवाजे निकलने ही वाली हैं... आप से नहीं सुना जाता तो खेत में चले जाओ...बड़ी मुस्किल से तो करीब आया था बिचारा...

पापा मुंह लटका के वही खड़े रहे और उनके दिमाग में कुछ खयाल आया और वो दरवाजे में बने एक छोटे से छेद से अंदर देखने लगे...पापा का लिंग उछल के खड़ा हो गया मां को मेरे आगे नंगा बैठा देख...पापा की आखें बड़ी हो गई..वो बड़े उत्तेजित हो गई थे....

वही मां ने अपनी मीठी आवाज में धीरे से कहा "आजा मेरे बच्चे पीले अब कोई नही आएगा.. आज हमारे बीच कोई नही आ सकता आज की रात दिल भर के अपनी मां से प्यार कर ले फिर ऐसा मौका तुझे नहीं मिलेगा..."

में तुरत बोल उठा "क्यू मां मुझे आप के दूध रोज पीना है मां आप का दूध बड़ा मीठा है मां" मेने तुरत मां की गोद में लेट गया... और मां ने फिर से एक निप्पल मेरे मुंह में रख दिया...में अब मां के स्तन को चूसने लगा...

मां मेरे सर को सहलाते हुए बोली "चल जूठा..दूध कहा आया"
"मां आप के ये स्तन कितने मुलायम है आप ने पहले क्यू नही कभी मुझे इन्हे चुने दिया क्यों मुझे आप से इतना दूर रखा..मां में कितना अकेला था आप को पता हे सहर में"

"आह मेरे बच्चे पी पी जी भर के आज अपनी मां को निचोड़ दे सारी शिकायत मिटा ले अपनी आज में बस तेरी हू... बेटा ये दूध पीने का हक बस बचपन तक होता है.. बस आज के दिन तुझे वो सब फिर से करने को मिलेगा... तो जी भर के पीले"

"नही मां में आप के स्तनों का अमूर्त अब से रोजाना पियूंगा आप के ये कोमल स्तन ने मुझे आप का दीवाना बना दिया है मां आप ने कहा छुपा के रखा था उन्हें...आप से कितने साल दूर रहा हु मां अब बस आप की गोद में रहना है"

"अच्छा इतने अच्छे लगते ही तूझे मेरे दूध" मां ने अपनी चुलबुली हसी के साथ कहा...

"बेटा अब बहोट पी लिया चल हट बदमाश"

मां ने मुझे दूर किया और दीवार का सहारा लेकर पीठ टीका के अपने पैर खोलने लगी...घने बालों के बीच एक फुली हुए गुलाब की पनखुड़ी जैसे हकले सावले रंग के दो होठ मेरी आखों में जैसे समा से गई...दो होठों के चारो तरफ गुलाबी रंग की चमड़ी उन सावले रंग की योनि दीवार को और अथिल आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था...मां मेरे लिंग तो कभी मेरी आखों में देख अपने गुलाबी नंगे भरावदार जिस्म पे गर्व महसूस करती मुस्कुरा रही थी....

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में पहली बार किसी औरत की योनि को अपनी आखों से देख रहा था...मेरा लिंग दो तीन बूंदे निकल देता है...जिसे मेरी मां की तेज हिरनी जेसी नज़र पकड़ ली और मां जट से अपना हाथ आगे बढाया और मेरे लिंग को पकड़ उसके आगे वाले हिस्से पे लगी काम रस की बूंद को अपनी उंगली से ले कर उंगली को अपने होठ पे रख उसे निगल गई...

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वही मां को उंगली के स्पर्श मात्र से मेरा लिंग का हाल बेहाल हो चुका था...मां अपनी उंगली चूसती हुए फिर से दीवार के सहारे बैठ गई...और बड़ी उनके मुंह से आह की आवाज निकल रही थी वो बड़े चाव से मेरे लिंग के पानी का स्वाद लेते हुए बोली "बेटा आज एक बूंद भी बिगड़ने नही दूंगी एक मां बेटे के जीवन में ये दिन सिर्फ एक बार आता है"
Aahhhhhh sexy update.
 
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Update 08

मां के मुंह ने उनकी उंगली को डाला हुआ देख मुझे बड़ा अजीब लग रहा था.. मेने मां का ऐसा रूप पहली बार जो देखा था....

मां भी दूसरे ही पल थोड़ी असहज हो गई की सामने उसका बेटा है... मां को अचानक ही अपने नंगे पन की याद आई और वो और शर्म सार हो उठी...मां मेरे साथ मस्ती में जैसे हमारे रिश्ते को जैसे अनदेखा कर रही थी...बो कुछ देर चुप रही और फिर से बड़ी सी मुस्कान के साथ अपने पैरो को खोल मेरी और देख बड़े प्यार से बोली..."बेटा आजा अपनी मां के उपर चढ़ जा.. ये अवसर बार नही आएगा.. अपनी मां की कोख में वापस प्रवेश करने का सुख एक ही बार मिलेगा...कोई कसर न छोड़ना...आज अपनी मां से जो पूछना है पूछ कल तेरी लुगाई के आगे घुटने नही टेकना है बेटा..."

"मां आप का मेरी तरह लिंग क्यों नही है" मेरी बदानी से भरे प्रश्न को सुन मां जोर जोर से हंसने लगी...और बड़ी ही सालिंता से मेरे लिंग की और ईसरा कर बोली "इस की दो वहज है..एक तो बच्चे के लिए..जब एक औरत की बच्चेदानी उसकी योनि की हगराई में होती है जगा जब एक मर्द अपना वीर्य छोड़ देता है मर्द के वीर्य के अंदर बहोट बारीक बारीक करोड़ों बीज होते है जिस में से कोई एक ही औरत की बच्चेदानी को भेद पाता है और वो औरत के बीज से मिल एक नई जीवन को इस दुनिया में लाता है..9 महीने तक वो बीज धीरे धीरे बड़ा होता है और 9 महीने बाद वो इसी छोटी सी दिख रही योनि से मां को सारी दुनिया का दर्द देके बाहर आता है...जैसे कभी तू आया था मेरे लाल.. सोज इतनी चोटी जगा से तू बाहर आया होगा तब तेरी मां को कितना दर्द हुआ होगा..." मां की आखें नम हो गईं थी...

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में के उपर होकर उनकी आखों में देखने लगा और उनको कस के अपनी बाहों में भर उनके रोने लगा.. इसी दौरान मेरा लिंग मां की काम आग की बट्टी में तप रही योनि को दीवार पे रगड़ रहा था..मां की हल्की सी सिसकारी निकलने लगी...में अब पूरी तरह मां के उपर अपना पूरा वजन डाल उन्हें अपनी बाहों में कस रहा था..मां नंगे बदन की गरमी से में और अपना होस खो ही चुका था...

की तभी मां के मुलायम हाथ मेरे लिंग को पकड़ लेते है..मेरी तेज सिसकारी निकल गई इस स्पर्श से...मां ने एक पल न गवाया और लिंग की उनकी योनि के छेद के उपर रख हक्का सा ऊपर हो गई और में कुछ समझ पाता उस से पहले ही मां की योनि को चीरता हुआ मेरा मोटा काला लिंग मां की योनि की गहराई मे उतर गया और मुझे वो अनुभव हुआ जो में सब्दो में कभी बया नही कर सकता...

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मेरे लिंग की पतली चमड़ी मां की योनि की दीवार से घुसने से मुझ बेहत दर्द हुआ और में अपने जीवन में सब से तेज आवाज में चिल्ला उठा...ये दर्द भी ऐसा था कि क्या कहुं..मेरी प्यारी मां की बाहों में मरने को भी तैयार था उसी की योनि मे मुझे दर्द मिल रहा था... मां मुझे चूम के शांत कर रही थी.."बेटा हो गया हो गया मेरे लाल अब तू सिर्फ दर्द देगा अपनी मां को" और जब मेरा दर्द कम हुआ मेने अपनी आखें खोली तो मां का दर्द से भरा चहरा देख में हैरान हो गया कि मां को दर्द से तड़प रही थी..उनकी आखों से जैसे आशु की नदी निकल रही थी...


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अब मुझे अपने लिंग पर मां की योनि का दबाव महसूस होने लगा में जैसे स्वर्ग में पहुंच गया.....मेरे मुंह से बस निकाला.."आह मां..मां..मां.. हिलना नही मां आह कितना गर्म है मां "
Chod diya ma ko.
 
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