Shaandar Mast Lajwab UpdateUpdate 05
मां की योनि के उपर मेरा लिंग जैसे गड़ सा गया था...और में अपने आप ही हकला हल्ला उपर नीचे होकर अपने लिंग को मां की कोमल गुलाबी योनि की दीवार से घर्षण करते हुए मां को अपनी बाहों के भर रहा था...
"आह बेटा ये तो तेरे बापू से कही ज्यादा बड़ा हो गया है...बेटा बस इसे ही इसे बड़े प्यार से औरत की योनि पे घिसना होता है जब तक औरत की योनि गर्म होके अपना पानी न छोड़ दे"
"मां बिस्तर गीला हो गया तो आप तो कितना सारा मूतोगे"
मां मेरी नादानी भरी बात सुन जोर जोर से हंसने लगी...
मां को ऐसे देख में मेरा उत्तेजित लिंग बैठ गया और में मायूस होकर बिस्तर पे बैठ गया उलटा मुंह कर....
का को अहसास हुआ की में सहमा सा गया हु वो मेरी हालत और नादानी देख मेरे पीछे आके बैठ..गई..उनकी योनि के घने जंगल जैसे बाल मेरी गांड़ में बद रहे थे..उनके कसे भरावदार स्तन मेरी पीठ में खंजर जैसे चुब रहे थे..फिर से उत्तेजित होकर अपनी मां के बदन की गर्मी को महसूस करते हुए...
अपना लिंग हाथ में पकड़ लिया वो बड़ा हो रहा था की मां ने उसे अपनी हथेली में जोर से दबा दिया...में दर्द से कराह उठा और बोला.."मां आह छोड़ दो नही तो दर्द से फट जाएगा.." फिर से हस्ते हुए बोली..."फड़ेगा तो तू आज इस मूसल से मेरी छूत को और कल अपनी पत्नी की समझा... में तो तुझे दर्द का अहसास दिला रही हु ताकि तू समझ पाई की संभोग में औरत कितना दर्द सहती है...तो बेटा औरत को बड़े प्यार से आराम आराम से भोगते है"
मां ने मेरे लिंग को आराम से हकला जोड़ दिया और एक हाथ से मेरे झांगो को सहलाने लगी...
"मां भोगना क्या होता है और आप इतना क्यों हस रही थी आप सच में ही तो बहोत पानी निकल देती हो मेने देखा है आप को खेत में मुतते हुए....
"क्या में तो तुझे भोला समझ रही थी और तू मुझे इसे देखता है... बदमाश और क्या क्या देखा है कही अपनी मां को नंगा देख मुठ तो कही मारता था बदमाश.."
में मां की ऐसी बात सुन फिर से डर के सहम सा गया...जैसे ही मां को लगा कि मेरा लिंग फिर से मुरझा रहा है वो मुझे कस के पकड़ के मेरे गले को चूमने लगी और बोली "अरे में तो मजाक कर रही हू मां को नही देखेगा तो किसे देखागा"
"मां आप क्या सच में मूत दोगे" "नहीं नहीं बच्चे"
"जब औरत को तू चूमेगा उसके गालों को उसके स्तन को अपने होठों से चूम के उसे उत्तेजित करेगा...तब हमारी योनि से एक स्त्राव झरता है जिस का काम योनि मार्ग को गीला करना होता है ताकि जब मर्द अपना कठोर लिंग हमारी योनि के छोटे से द्वार पे अपना लिंग रख अंदर करता है वो बड़ी आसानी से योनि की गहराई में उतर सके...और लिंग जितना औरत की योनि की गहराई में घुसता है एक औरत को उतना ही आनद मिलता है...लेकिन प्यार से डालना दर्द भी बड़ा होता है मेरे लाल.. और तेरा तो गधे जैसा मोटा है"
Update 06
मैने मां की और देख बोला मां इतना बड़ा है और दर्द भी होगा तो डालना ही क्यों है...
"बेटा ऐसा तू इस लिए बोल रहा है क्यो की तूने कभी औरत को संभोग क्रिया करते हुए निहारा ही नही न कभी तूने खुद ये आनद उठाया है... बेटा ये तेरा मोटा और लम्बा लिंग देख तो तेरी चाची और दादी भी अपनी योनि ने उंगली डाल के सोती होगी...बेटा ये जितना बड़ा और लंबा होगा एक औरत को जितना दर्द देगा उस से कही ज्यादा वो उसे काम संतुष्टि से भर देगा... और बेटा एक औरत को मर्द से मीठा मीठा दर्द ही चाइए होता है.."
"मां आप को भी बापूजी दर्द देते है?" "हा मेरे लाल...और आज तू देगा समझा...और कल तू यही दर्द अपनी पत्नी को देगा लेकिन उसका पहली बार हे तो संभाल के उसे सच में बहुत दर्द होगा"
"मां इतना दर्द में मेरी कुसुम को नहीं दूंगा" "हाय हाय मेरी कुसुम अभी तक तो मिला भी नही अभी से इतना प्यार..मां को तो भूल ही जाएगा तू..."
"मां ऐसा नहीं हे बस वो तो" मेने सरमाते हुए कहा...
मां थोड़ा पीछे हुए और उन्होंने कहा "अब मेरी और देख और सच सच बता क्या सोच रहा है"
मेने मां को जैसे ही देखा मेरी नजर उनके मुख से हट गई...वो बड़ी ही कामुक महिला थी अपने बेटे के आगे नंगा होकर बैठी थी लेकिन उन्हे कोई सर्म नही थी...उनकी ये अदा देख मेने अपनी नजर नीचे कर दी...और मेरी नजर उनके घने जंगल पे गड़ सी गई...घने और काले झाटे जैसे नुखिले काटो वाली जाडिया लग रही थी..बाल काफी लंबे थे और एक दूसरे में उलझे हुए...मां की योनि पर इतने घने जंगल ने बसेरा किया था की ऐसा लगा जैसे वहा बस मां बाल ही हो...घने घुंघराले बाल न जाने मुझे क्यों बड़ा उत्सुक कर रहे थे ये जानने को की इस घने जंगल के आगे क्या होगा...
मेने बड़ी मासूमियत भरी आवाज में बोला..मां...मां लेकिन आगे बोल ना पाया...
"बोल ना मेरे बच्चे शरमा क्यू रहा है आज सब जान ले कल तेरी मां नही आएगी तेरी कुसुम को सन्तुष्ट करने..."
में और अधिक शर्म से डूब गया..और अपना सर नीचे झुका लिया...और मां को देख के एक अजीब सी गुदगुदी होने से में अपनी आंखे भी बंद कर दिया...
"इतना तो नई नवेली दुल्हन भी नही शर्माती मेरे लाल" और मां ने मुझे अपनी छाती से चिपका दिया..मेरा मुंह उनके भरावदार स्तन पे जैसे ही गया...मेरा दिल जूम उठा...मुझे बड़ा अच्छा लगा उनके स्तनों की मुलायम अहसास में सुकून से उन्हे पकड़ लिया...
मां ने मुझे आगे कर अपना एक निपल्स मेरे मुंह में रख दिया...में एक दम से चोक उठा...लेकिन अपनी मां का स्तन मुंह में आते ही में नई दुनिया में ही पहुंच गया...
में मां ने निप्पल को चूसने लगा दूध नहीं आने से में बैचेन हो उठा और दूसरे हाथ से मां के स्तन को हाथ में लेकर जोर से दबा दिया...मां की मस्ती भरी सिसकारी निकलने लगी...अभी तक मेरे मुंह में दूध नही आने से मेरे अंदर का बच्चा बड़ा व्याकुल हो उठा और गुस्से में मां ने अंगुर के दाने जैसे निपल्स को काट दिया... मां की एक तेज दर्द से भरी आह निकली और पूरा घर उनकी चीख से जैसे शांत हो गया...मां बड़ी शर्मा गई की इतनी तेज आवाज सुन बाहर उसका पति और सासू क्या सोच रहे होगे...वो अपनी आवाज अपने हाथ से दबा दी...
"आउच्छ मेरे लाल...क्या कर रहा काट क्यू रहे हो नही आएगा अब दूध आह आह आराम आराम से चूस मेरे अच्छे अपनी मां को अभी से इतना दर्द मत दे"
तभी पापा की आवाज आई दरवाजे पे "गोलू की मां क्या हुआ.. मां को भेजू.. संभाल पाऊंगी ना अकेली... जवान बेटा है कही उतेजना में तुम्हे ज्यादा दर्द न दे दे...जवान खून है.. संभाल के...कल बारात में भी जाना है"