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Bahut hee jabardast likh rahe hai aap! Bahut kamuk Khaani hai !
Ropmanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
Super update upcoming update ka intezar
Becahara pati bahar baitha hai paharedari par
Thnks
Bahut hee jabardast likh rahe hai aap! Bahut kamuk Khaani hai !
Ropmanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
Super update upcoming update ka intezar
Becahara pati bahar baitha hai paharedari par
समय समय की बात है... कभी वो भी यही रिवाज़ निभाते हुए उसी कमरे की दूसरी और होंगे और बाहर उनके पिताजीBecahara pati bahar baitha hai paharedari par
दो तीन बार डिलीट हो गया यहां से तो ठीक से नही लिख पायाUpdate 07
पापा की आवाज सुन ने डर गया और मां से दूर होकर मुंह नीचे कर दिया शर्म और डर के मारे...
मां वही बेटी बैठी जोर से चिल्ला के बोली.. "आप को बोला था ना यहां मत आना...डरा दिया न मेरे लाल को.. अब जवान बेटा अपनी मां के साथ पूर्वसंध्या मना रहा हो तो ऐसी आवाजे निकलने ही वाली हैं... आप से नहीं सुना जाता तो खेत में चले जाओ...बड़ी मुस्किल से तो करीब आया था बिचारा...
पापा मुंह लटका के वही खड़े रहे और उनके दिमाग में कुछ खयाल आया और वो दरवाजे में बने एक छोटे से छेद से अंदर देखने लगे...पापा का लिंग उछल के खड़ा हो गया मां को मेरे आगे नंगा बैठा देख...पापा की आखें बड़ी हो गई..वो बड़े उत्तेजित हो गई थे....
वही मां ने अपनी मीठी आवाज में धीरे से कहा "आजा मेरे बच्चे पीले अब कोई नही आएगा.. आज हमारे बीच कोई नही आ सकता आज की रात दिल भर के अपनी मां से प्यार कर ले फिर ऐसा मौका तुझे नहीं मिलेगा..."
में तुरत बोल उठा "क्यू मां मुझे आप के दूध रोज पीना है मां आप का दूध बड़ा मीठा है मां" मेने तुरत मां की गोद में लेट गया... और मां ने फिर से एक निप्पल मेरे मुंह में रख दिया...में अब मां के स्तन को चूसने लगा...
मां मेरे सर को सहलाते हुए बोली "चल जूठा..दूध कहा आया"
"मां आप के ये स्तन कितने मुलायम है आप ने पहले क्यू नही कभी मुझे इन्हे चुने दिया क्यों मुझे आप से इतना दूर रखा..मां में कितना अकेला था आप को पता हे सहर में"
"आह मेरे बच्चे पी पी जी भर के आज अपनी मां को निचोड़ दे सारी शिकायत मिटा ले अपनी आज में बस तेरी हू... बेटा ये दूध पीने का हक बस बचपन तक होता है.. बस आज के दिन तुझे वो सब फिर से करने को मिलेगा... तो जी भर के पीले"
"नही मां में आप के स्तनों का अमूर्त अब से रोजाना पियूंगा आप के ये कोमल स्तन ने मुझे आप का दीवाना बना दिया है मां आप ने कहा छुपा के रखा था उन्हें...आप से कितने साल दूर रहा हु मां अब बस आप की गोद में रहना है"
"अच्छा इतने अच्छे लगते ही तूझे मेरे दूध" मां ने अपनी चुलबुली हसी के साथ कहा...
"बेटा अब बहोट पी लिया चल हट बदमाश"
मां ने मुझे दूर किया और दीवार का सहारा लेकर पीठ टीका के अपने पैर खोलने लगी...घने बालों के बीच एक फुली हुए गुलाब की पनखुड़ी जैसे हकले सावले रंग के दो होठ मेरी आखों में जैसे समा से गई...दो होठों के चारो तरफ गुलाबी रंग की चमड़ी उन सावले रंग की योनि दीवार को और अथिल आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था...मां मेरे लिंग तो कभी मेरी आखों में देख अपने गुलाबी नंगे भरावदार जिस्म पे गर्व महसूस करती मुस्कुरा रही थी....
में पहली बार किसी औरत की योनि को अपनी आखों से देख रहा था...मेरा लिंग दो तीन बूंदे निकल देता है...जिसे मेरी मां की तेज हिरनी जेसी नज़र पकड़ ली और मां जट से अपना हाथ आगे बढाया और मेरे लिंग को पकड़ उसके आगे वाले हिस्से पे लगी काम रस की बूंद को अपनी उंगली से ले कर उंगली को अपने होठ पे रख उसे निगल गई...
वही मां को उंगली के स्पर्श मात्र से मेरा लिंग का हाल बेहाल हो चुका था...मां अपनी उंगली चूसती हुए फिर से दीवार के सहारे बैठ गई...और बड़ी उनके मुंह से आह की आवाज निकल रही थी वो बड़े चाव से मेरे लिंग के पानी का स्वाद लेते हुए बोली "बेटा आज एक बूंद भी बिगड़ने नही दूंगी एक मां बेटे के जीवन में ये दिन सिर्फ एक बार आता है"
Super hot seductive updateUpdate 07
पापा की आवाज सुन ने डर गया और मां से दूर होकर मुंह नीचे कर दिया शर्म और डर के मारे...
मां वही बेटी बैठी जोर से चिल्ला के बोली.. "आप को बोला था ना यहां मत आना...डरा दिया न मेरे लाल को.. अब जवान बेटा अपनी मां के साथ पूर्वसंध्या मना रहा हो तो ऐसी आवाजे निकलने ही वाली हैं... आप से नहीं सुना जाता तो खेत में चले जाओ...बड़ी मुस्किल से तो करीब आया था बिचारा...
पापा मुंह लटका के वही खड़े रहे और उनके दिमाग में कुछ खयाल आया और वो दरवाजे में बने एक छोटे से छेद से अंदर देखने लगे...पापा का लिंग उछल के खड़ा हो गया मां को मेरे आगे नंगा बैठा देख...पापा की आखें बड़ी हो गई..वो बड़े उत्तेजित हो गई थे....
वही मां ने अपनी मीठी आवाज में धीरे से कहा "आजा मेरे बच्चे पीले अब कोई नही आएगा.. आज हमारे बीच कोई नही आ सकता आज की रात दिल भर के अपनी मां से प्यार कर ले फिर ऐसा मौका तुझे नहीं मिलेगा..."
में तुरत बोल उठा "क्यू मां मुझे आप के दूध रोज पीना है मां आप का दूध बड़ा मीठा है मां" मेने तुरत मां की गोद में लेट गया... और मां ने फिर से एक निप्पल मेरे मुंह में रख दिया...में अब मां के स्तन को चूसने लगा...
मां मेरे सर को सहलाते हुए बोली "चल जूठा..दूध कहा आया"
"मां आप के ये स्तन कितने मुलायम है आप ने पहले क्यू नही कभी मुझे इन्हे चुने दिया क्यों मुझे आप से इतना दूर रखा..मां में कितना अकेला था आप को पता हे सहर में"
"आह मेरे बच्चे पी पी जी भर के आज अपनी मां को निचोड़ दे सारी शिकायत मिटा ले अपनी आज में बस तेरी हू... बेटा ये दूध पीने का हक बस बचपन तक होता है.. बस आज के दिन तुझे वो सब फिर से करने को मिलेगा... तो जी भर के पीले"
"नही मां में आप के स्तनों का अमूर्त अब से रोजाना पियूंगा आप के ये कोमल स्तन ने मुझे आप का दीवाना बना दिया है मां आप ने कहा छुपा के रखा था उन्हें...आप से कितने साल दूर रहा हु मां अब बस आप की गोद में रहना है"
"अच्छा इतने अच्छे लगते ही तूझे मेरे दूध" मां ने अपनी चुलबुली हसी के साथ कहा...
"बेटा अब बहोट पी लिया चल हट बदमाश"
मां ने मुझे दूर किया और दीवार का सहारा लेकर पीठ टीका के अपने पैर खोलने लगी...घने बालों के बीच एक फुली हुए गुलाब की पनखुड़ी जैसे हकले सावले रंग के दो होठ मेरी आखों में जैसे समा से गई...दो होठों के चारो तरफ गुलाबी रंग की चमड़ी उन सावले रंग की योनि दीवार को और अथिल आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था...मां मेरे लिंग तो कभी मेरी आखों में देख अपने गुलाबी नंगे भरावदार जिस्म पे गर्व महसूस करती मुस्कुरा रही थी....
में पहली बार किसी औरत की योनि को अपनी आखों से देख रहा था...मेरा लिंग दो तीन बूंदे निकल देता है...जिसे मेरी मां की तेज हिरनी जेसी नज़र पकड़ ली और मां जट से अपना हाथ आगे बढाया और मेरे लिंग को पकड़ उसके आगे वाले हिस्से पे लगी काम रस की बूंद को अपनी उंगली से ले कर उंगली को अपने होठ पे रख उसे निगल गई...
वही मां को उंगली के स्पर्श मात्र से मेरा लिंग का हाल बेहाल हो चुका था...मां अपनी उंगली चूसती हुए फिर से दीवार के सहारे बैठ गई...और बड़ी उनके मुंह से आह की आवाज निकल रही थी वो बड़े चाव से मेरे लिंग के पानी का स्वाद लेते हुए बोली "बेटा आज एक बूंद भी बिगड़ने नही दूंगी एक मां बेटे के जीवन में ये दिन सिर्फ एक बार आता है"
बडा ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdate 06
मैने मां की और देख बोला मां इतना बड़ा है और दर्द भी होगा तो डालना ही क्यों है...
"बेटा ऐसा तू इस लिए बोल रहा है क्यो की तूने कभी औरत को संभोग क्रिया करते हुए निहारा ही नही न कभी तूने खुद ये आनद उठाया है... बेटा ये तेरा मोटा और लम्बा लिंग देख तो तेरी चाची और दादी भी अपनी योनि ने उंगली डाल के सोती होगी...बेटा ये जितना बड़ा और लंबा होगा एक औरत को जितना दर्द देगा उस से कही ज्यादा वो उसे काम संतुष्टि से भर देगा... और बेटा एक औरत को मर्द से मीठा मीठा दर्द ही चाइए होता है.."
"मां आप को भी बापूजी दर्द देते है?" "हा मेरे लाल...और आज तू देगा समझा...और कल तू यही दर्द अपनी पत्नी को देगा लेकिन उसका पहली बार हे तो संभाल के उसे सच में बहुत दर्द होगा"
"मां इतना दर्द में मेरी कुसुम को नहीं दूंगा" "हाय हाय मेरी कुसुम अभी तक तो मिला भी नही अभी से इतना प्यार..मां को तो भूल ही जाएगा तू..."
"मां ऐसा नहीं हे बस वो तो" मेने सरमाते हुए कहा...
मां थोड़ा पीछे हुए और उन्होंने कहा "अब मेरी और देख और सच सच बता क्या सोच रहा है"
मेने मां को जैसे ही देखा मेरी नजर उनके मुख से हट गई...वो बड़ी ही कामुक महिला थी अपने बेटे के आगे नंगा होकर बैठी थी लेकिन उन्हे कोई सर्म नही थी...उनकी ये अदा देख मेने अपनी नजर नीचे कर दी...और मेरी नजर उनके घने जंगल पे गड़ सी गई...घने और काले झाटे जैसे नुखिले काटो वाली जाडिया लग रही थी..बाल काफी लंबे थे और एक दूसरे में उलझे हुए...मां की योनि पर इतने घने जंगल ने बसेरा किया था की ऐसा लगा जैसे वहा बस मां बाल ही हो...घने घुंघराले बाल न जाने मुझे क्यों बड़ा उत्सुक कर रहे थे ये जानने को की इस घने जंगल के आगे क्या होगा...
मेने बड़ी मासूमियत भरी आवाज में बोला..मां...मां लेकिन आगे बोल ना पाया...
"बोल ना मेरे बच्चे शरमा क्यू रहा है आज सब जान ले कल तेरी मां नही आएगी तेरी कुसुम को सन्तुष्ट करने..."
में और अधिक शर्म से डूब गया..और अपना सर नीचे झुका लिया...और मां को देख के एक अजीब सी गुदगुदी होने से में अपनी आंखे भी बंद कर दिया...
"इतना तो नई नवेली दुल्हन भी नही शर्माती मेरे लाल" और मां ने मुझे अपनी छाती से चिपका दिया..मेरा मुंह उनके भरावदार स्तन पे जैसे ही गया...मेरा दिल जूम उठा...मुझे बड़ा अच्छा लगा उनके स्तनों की मुलायम अहसास में सुकून से उन्हे पकड़ लिया...
मां ने मुझे आगे कर अपना एक निपल्स मेरे मुंह में रख दिया...में एक दम से चोक उठा...लेकिन अपनी मां का स्तन मुंह में आते ही में नई दुनिया में ही पहुंच गया...
में मां ने निप्पल को चूसने लगा दूध नहीं आने से में बैचेन हो उठा और दूसरे हाथ से मां के स्तन को हाथ में लेकर जोर से दबा दिया...मां की मस्ती भरी सिसकारी निकलने लगी...अभी तक मेरे मुंह में दूध नही आने से मेरे अंदर का बच्चा बड़ा व्याकुल हो उठा और गुस्से में मां ने अंगुर के दाने जैसे निपल्स को काट दिया... मां की एक तेज दर्द से भरी आह निकली और पूरा घर उनकी चीख से जैसे शांत हो गया...मां बड़ी शर्मा गई की इतनी तेज आवाज सुन बाहर उसका पति और सासू क्या सोच रहे होगे...वो अपनी आवाज अपने हाथ से दबा दी...
"आउच्छ मेरे लाल...क्या कर रहा काट क्यू रहे हो नही आएगा अब दूध आह आह आराम आराम से चूस मेरे अच्छे अपनी मां को अभी से इतना दर्द मत दे"
तभी पापा की आवाज आई दरवाजे पे "गोलू की मां क्या हुआ.. मां को भेजू.. संभाल पाऊंगी ना अकेली... जवान बेटा है कही उतेजना में तुम्हे ज्यादा दर्द न दे दे...जवान खून है.. संभाल के...कल बारात में भी जाना है"