हेलो दोस्तों मैं रितेश आपके सामने एक मजेदार और रोमांटिक कहानी लिखने जा रहा हूं ।
दोस्तों यह कहानी मेरे और मेरे परिवार से संबंधित है इस कहानी में मैं अपनी बहन पर मोहित हो जाता हूँ।
दोस्तों मैं अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में रहता हूं मेरे परिवार में … . … . .
पापा रमेश
मम्मी सुजाता
बहन सानवी
मैं रितेश और
मामा सुरेश
दोस्तों मैं और मेरी बहन सानवी दोनों एक ही स्कूल और एक की क्लास 11वीं में पढ़ते थे |
मेरी बहन सानवी पढ़ाई में बहुत ही होशियार थी और मेरा ध्यान अधिकतर दोस्तों के साथ खेलकूद में लगा रहता था
जिस कारण से घर पर पापा सानवी का पूरा ध्यान रखते
मैं अपनी बहन से घर और स्कूल दोनों जगह दूरी बनाकर रखता था क्योंकि अगर हम दोनों के बीच कभी झगड़ा हो भी जाता चाहे उसने गलती मेरी बहन की क्यों ना हो तब भी डांट और मार दोनों मुझे ही पढ़ती थी क्योंकि मेरी बहन सानवी पापा की लाडली बेटी थी|
दोस्तों मेरा परिवार खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहा था कि अचानक एक दिन मेरे परिवार में एक दुखद घटना घटती है मेरे पिताजी रमेश का देहांत सड़क दुर्घटना के कारण हो जाता है जिससे मेरा पूरा परिवार सुख सागर में डूब जाता है|
तभी मेरे मामा सुरेश मेरे परिवार का सहारा बनते हैं वह मेरे घर की हर जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते हैं कुछ ही समय बाद मेरा परिवार फिर से खुशी से अपना जीवन व्यतीत करने लगा |
और हम दोनों भाई बहन भी अपनी उसी नोकझोंक में अपना जीवन व्यतीत करने लगे|
लेकिन इस बार हमेशा मैं अपनी बहन पर भारी रहता था|
क्योंकि अब मुझे पापा की डांट और मार की जगह अपने मामा का साथ मिलने लगा था |
मेरे मामा मेरा पूरा ध्यान रखते थे और वह घर की जरूरतों के साथ मेरी जरूरतों को भी पूरा करने की पूरी कोशिश करते थे|
जिस कारण से मेरी बहन अब मुझसे दूरी बनाकर रहने लगी थी |
दोस्तों एक दिन मेरी बहन घर में ही झूला डाल कर झूलने लगी और मैं भी ग्राउंड से घर पर आ गया था
फिर मेरा भी मन झूला झूलने का करने लगा तो मैंने अपनी बहन से रिक्वेस्ट की कि मुझे भी एक बार झूलने दे शायद वह मुझसे मेरी शरारतों का बदला लेना चाहती थी
इसलिए उसने मुझे साफ मना कर दिया और कहने लगी कि झूला मैंने डाला है और मैं नहीं झुकने दूंगी
जिससे मुझे गुस्सा आ गया और मैं खुद अपनी बहन को झूलाने लगा कुछ ही समय बाद मेरी बहन मुझे गालियां देने लगी और रोकने के लिए बोलने लगी कि मुझे चक्कर आ रहे है
लेकिन मैं नहीं माना और उसे तेज झूलाने लगा तभी वह अचानक की नीचे गिर जाती है |
उसके पैर पर चोट लग जाती है मैं बहुत घबरा जाता हूं और उससे सॉरी मांगता हूं और मम्मी और मामा को ना बताने के लिए कहता हूं|
और उसे अपनी गोद में उठाकर घर के अंदर ले आता हूं और खुद ही उसके पैर को दबाने लगता हूं फिर मैं फास्ट रिलीफ की ट्यूब उसके पैर पर लगाता हूं और उस पर गर्म पट्टी बान्धता हूँ|
मेरी बहन का तो गुस्सा सातवें आसमान पर था वह ना जाने मुझे क्या - क्या कह रही थी
अच्छा तो इस बात का था की मम्मी घर पर नही थी।
शाम को जब मम्मी आती है और जब उसको इन सब बातों का पता चलता है ।
कहती है कि लगता है तुम ज्यादा बिगड़ गए हो इसलिए तुम्हारी शिकायत तुम्हारे मामा को करनी पड़ेगी ।
मामा ने मुझे वार्निंग दी हुई थी कि अगर मैं कोई भी शरारत करूंगा मुझे बाइक नहीं मिलेगी ।
लेकिन मैंने अपनी सफाई देते हुए कहा कि यह अपने आप ही गिरी
अब मेरी बहन मुझसे और ज्यादा चिड़ महसूस करने लगी ।
और मामा ने भी मुझे अंतिम चेतावनी दे दी थी कि अगर दोबारा ऐसा हुआ तो तुम्हारी कोई भी विश पूरी नही होगी ।
इसलिए मैं अपने दोस्तों में ही अधिक समय बिताने लगा अपने कमीने दोस्तों की वजह से या यह कहिए की बढ़ती उम्र के कारण मेरे अंदर बदलाव आने लगे जिस कारण से अब मैं अपने पड़ोस की भाभी व आंटी की हमारी भारी गांड और मोटे बूब्स को देखकर मुठ मारने लगा था।
जिस कारण से मेरे शरीर में भी बदलाव आया और मेरा शरीर पतला और लंबा होने लगा उधर मेरी बहन सानवी की भी बढ़ती उम्र के कारण उसके शरीर में बदलाव आने लगे उसका शरीर भारी होने लगा ।
मैं अपनी सेक्स भावना के कारण अधिक मुठ मारने लगा जिससे मेरा शरीर कमजोर होने लगा था ।
जिसका एहसास मुझे तब हुआ जब एक दिन अचानक मैं ग्राउंड घर पर आता हूं ग्राउंड से घर पर आता हूं ।
मेरी बहन सानवी बैठ कर अपना फेवरेट सीरियल देख रही थी तो मैं भी उसके पास बैठकर टीवी देखने लगा कुछ समय बाद अचानक मैंने सानवी को उसे किसी अच्छी मूवी पर लगाने की रिक्वेस्ट करी ।
लेकिन उसने मेरी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और एक नजर मुझ पर डाल कर दोबारा टीवी देखने लगी।
मैं भी टीवी देखने लगा कि अचानक ही फिर उसने मुझसे बोला कि आज तुम ग्राउंड में नहीं गए ।
मैंने भी जवाब दिया की ग्राउंड में पानी भरा हुआ है कुछ समय के लिए सन्नाटा सा छा गया ।
फिर हम दोनों टीवी देखने लगे दोबारा फिर मैंने अपनी बहन सानवी से किसी अच्छी मूवी पर लगाने की रिक्वेस्ट करी ।
लेकिन मेरी बहन नहीं झट से जवाब दे दिया चल अपना काम कर और मुझे सीरियल देखने दे ।
मैं भी चुपचाप टीवी देखने लगा और अचानक ही मैंने मौका देख कर अपनी बहन पर झपट पड़ा और उसके हाथों से रिमोट छीन लिया ।
मेरी बहन भी मुझसे उतनी ही फुर्ती से लिपटी और रिमोट छिनने की कोशिश करने लगी ।
हम दोनों बहन भाई रिमोट के लिए बराबर लिपटा लिपटी हुई ।
लेकिन कुछ समय बाद मेरी बहन मुझ पर भारी पड़ने लगी जब मुझे इस बात का एहसास हुआ तो मैंने गुस्से में उसकी निप्पल को पकड़कर जोर से बींच दिया।
जिससे वह बहुत जोर से चिल्लाई उसकी चिलाहट के कारण मैं डर गया और रिमोट को वहीं पर घिरा कर बाहर भागने लगा।
और वह मुझे तरह-तरह की गाली देने लगी साले….कुत्ते….बहन चोद …
बहन गालियों को सुनकर मेरी मम्मी जो दूसरे कमरे में सोई हुई थी वह उठ जाती है और बहन को डांटने लगती है।
तभी मेरी बहन मम्मी को उसके लाडले बेटे की हरकत बताती है मम्मी भी थोड़ा शौक हो जाती है और बहन को मेरे घर पर आने के बाद मुझे देखने की बात कहती है।
मेरा सारा दिन डर में इधर उधर और तरह-तरह के विचार में गुजर जाता है की मे आज अपनी बहन से पिट जाता । और सोचता हूँ कही ये सब मुठ मारने के कारण तो नही हुआ और मैंने मुठ छोड़ कर शरीर पर ध्यान देने की सोची।
लेकिन जब मैं शाम को घर आता हूं तो सीधा अपने कमरे में ऊपर जाने लगता है तभी मम्मी मुझे रोकती है और दिन में हुई हरकत के बारे में डांटने लगती है ।
मैं भी अपनी सफाई पेश करता हूं और सारी गलती बहन की निकाल देता हूं फिर भी मेरी मम्मी मुझे मेरी शिकायत मामा को करने के बारे में कहती है ।
और फिर से मुझे डर सा लगने लगता है जिस कारण से मैं अपनी बहन से दूर और मेरी बहन मेरी हरकतों के कारण मुझसे दूर रहने लगती है ।
अब मैं अपना ध्यान अपने शरीर पर देने लगा था और रनिंग व एक्सरसाइज करने लगा ।
फिर एक दिन अचानक मुझे सो रुपए की जरूरत पड़ जाती है और इसके लिए मै अपनी बहन से रिक्वेस्ट करता हूं ।
मेरी बहन को तो ना जाने क्या मिल गया था वह अब अपने आप को किसी रानी से कम नहीं समझ रही थी ।
और मुझे एक भिकारी…..मेरी बार-बार रिक्वेस्ट करने के बाद भी उसने मुझे पैसे देने से साफ मना कर दिया।
तब मैंने भी गुस्से में आकर उसको बोल दिया कि मेरी यहां पर कोई रिस्पेक्ट नहीं है ना ही मुझे कोई प्यार करता ना ही कोई मेरी जरूरतों को समझता है सब मुझसे नफरत करते हैं ।
मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा इस बात का भी मेरी बहन पर कोई फर्क नहीं पड़ता
वह मुझसे कहती है अच्छा होगा चला जाएगा तो कम से कम घर में शांति तो बनी रहेगी ।
मुझे गुस्सा आता है और मैं तैयार होकर चला जाता हूं
रात के करीब 10:00 बज चुके थे और मैं आज तक कभी भी इतना लेट नहीं हुआ था
मेरी मम्मी और बहन ने के मन में चिंता होने लगती है मेरी बहन को अपने आप पर बहुत गुस्सा आता है वह सोचने लगती है किस ₹100 की ही तो बात थी लेकिन वह इस बारे में मम्मी को कुछ नहीं बताती मम्मी बार-बार मेरी बहन सानवी को भी डांटती है
लगता है आज फिर तुमने उसके साथ झगड़ा किया है इसलिए वह है घर छोड़कर चला गया
मेरी बहन कुछ नहीं बोलती और चिंता में डूबी रहती है और भगवान से बार-बार मिन्नत करती है की वह दोबारा अपने भाई को कभी परेशान नहीं करेगी
करीब 11:30 बजे मैं घर पर आता हूं और सीधा ही अपने कमरे में ऊपर जाने लगता हूं मम्मी मुझे पूछती है……..
कम से कम बता देता अपने आप भी कुछ ना कुछ कहती रहती है।
लेकिन मैं उन सब को अनसुना कर देता हूं और सीधा अपने कमरे में जाकर लेट जाता हूं ।
थोड़े समय बाद मेरी बहन मेरे लिए खाना लेकर आती है मैं उसे देख कर मुंह फेर लेता हूं।
मेरी बहन चुपचाप मेरे पास आकर बैठ जाती है और खाना खाने के लिए रिक्वेस्ट करने लगती है।
और कहती है झगड़ा मुझसे है….खाने से नहीं … ..
खाना तो खा लो लेकिन मैं उससे कुछ नहीं बोलता और चुपचाप लेटा रहता हूं।
वह मुझे खाना खाने के लिए बार बार कहती है कि दुबारा कभी भी ऐसा नहीं करेगी और वह है फिर खाना रखकर जाने लगती है।
तभी वह अपना दाव खेलती है और अचानक ही मुड़कर मुझे कहती है यह लो सो रुपए जिसके लिए तुम इतने उदास हो जिसके लिए तुम दिन में इतनी मिन्नतें कर रहे थे ।
लेकिन मैं ना चाहते हुए भी उसकी तरफ देखता हूं तो उसके हाथ में सो रुपए की जगह पांच सौ का नोट था ।
और मेरे मन में अचानक एक खुशी सी होती है और मैं वह झट से पाँच सौ का नोट ले लेता हूं ।
जिससे मेरी बहन के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ जाती है और कहती है खाना भी खा लेना।
तभी मैं कहता हूं कि मुझे भूख नहीं है ।
अच्छा…...मेरी बहन अच्छा भूख नहीं है क्या खाया है तुमने दिन में….
आज सारा दिन...और रात को इतनी लेट..आए हो कहां थे इतनी देर तक…
तब मैं उसको सारी बात बताता हूं
यार सानवी मेरे दोस्त के भतीजे का जन्मदिन था उसी ने मुझे इन्वीटे किया हुआ था।
इसके लिए ही आपसे सो रुपए मांग रहा था अगर मम्मी से मांगता तो केवल 20 रुपए ही मिलते ।
मम्मी से मांगता ₹20 ही मिलते वह भी मेरी बेजती के लिए ।
कोई आज के टाइम में किसी को गिफ्ट के तौर पर ₹20 देता है क्या… .
मेरे ₹100 तो लगे लेकिन मैंने चार बार खाना खाया एक बार तो अब आते वक्त भी उन्होंने मुझे खिला दिया।
यह सुनकर सानवी के चेहरे की हवाइयां उड़ जाती है उसको बहुत ज्यादा गुस्सा अपने आप पर और अपने कमीने भाई पर आ रहा था ।
वह सोच रही थी कि किस कमीने भाई के लिए इतनी परेशान हो रही थी।
अब वह गुस्से में अपने भाई को कहती है की बाकी के ₹400 दे देना वरना तेरी खैर नहीं
सानवी को यह बात भली-भांति मालूम थी कि अब उसे एक पैसा नहीं मिलने वाला फिर भी वह अपने भाई रितेश पर पूरा दबाव बनाने की कोशिश करती है
और गुस्से में खाने की थाली उठाकर रसोई मे ले जाकर पटक देती है जिस कारण से सानवी की मम्मी पूछती है की रितेश ने खाना खाया की नहीं ।
तभी सानवी गुस्से में अपनी मम्मी को कहती है कि तुम्हारा लाडला बर्थडे पार्टी में गया हुआ था 10 बार खाना खाकर आया है अब उसे 4 दिन तक भूख नहीं लगने वाली।
यह कह कर सो जाती है रितेश की मम्मी भी सो जाती है।
दिन ऐसे ही गुजरते चले गए दोनों भाई बहन में झगड़े सिरप बातों ही बातों के रह गए थे
सानवी अब अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में दे रही थी और इधर रितेश अपना पूरा ध्यान रनिंग और एक्सरसाइज पर देने लगा था।
रितेश दिखने में काफी ज्यादा हैंडसम हो चुका था ।
जबकि उसकी बहन सानवी काफी भारी शरीर की होने लगी थी।
एक दिन सानवी अपने भारी शरीर को लेकर चिंतित सी हो जाती है और वह अपना वजन कम करने की सोचती हैं ।
इसलिए वह अपनी मम्मी को कहती है की मम्मी मैं भी दौड़ लगाना चाहती हूं।
वह अपनी मम्मी को कहती हैं कि तुम भाई को बोल दे कि उसे सवेरे अपने साथ ले कर जाया करें ।
सानवी की मम्मी ने भी उसकी बातों से सहमति जताती है और उसे सवेरे दौड़ लगाने की परमिशन दे देती है।
जब शाम को रितेश घर पर आता है तो रितेश की मम्मी सानवी के बारे में कहती है कि वह दिन प्रतिदिन मोटी होती जा रही है अतः तुम सवेरे उसको अपने साथ ग्राउंड में ले जाकर उसकी भी दौड़ लगवा दिया करो।
रितेश को यहां पर मौका मिल जाता है कि हां उसकी बहन को भी उसकी जरूरत है
वह अपने मम्मी को कहता है ठीक है लेकिन मैं सवेरे 5:00 बजे ग्राउंड में जाता हूं अगर वह है मुझे तेयार मिली तो उसको साथ ले जाऊंगा नहीं तो है घर पर ही रहेगी।
सानवी यहां पर बोल पड़ती है तुम फिकर मत करो तुम्हारे उठने से पहले ही मैं रेडी हो जाऊंगी ।
अगले दिन सवेरे सानवी रितेश के उठने से पहले की रेडी होकर अपने भाई का इंतजार करने लगती है ।
रितेश नीचे आता है और अपनी बहन के साथ ग्राउंड में चला जाता है दोनों भाई बहन ग्राउंड में जाकर हल्के हाथ पाव हिलाते हैं थोड़ी एक्सरसाइज करने के बाद वह दौड़ लगाने के लिए रेडी होते हैं।
करीब 400 मीटर दौड़ने के बाद सानवी का सांस फूलने लगता है और वह रुक जाती है रितेश उसको रुकने की ना कह कर धीरे धीरे चलने के लिए कहता है ।
और दोबारा फिर अपने साथ दौड़ाने के लिए बोलता है लेकिन सानवी 100 मीटर चलने के बाद दोबारा रुक जाती है
रितेश को बहुत गुस्सा आता है क्योंकि रितेश की दौड़ डिस्टर्ब हो रही थी वह अपनी बहन को छोड़कर 2 - 4 राउंड ग्राउंड के लगाता है ।
और फिर एक्सरसाइज करने के बाद घर की ओर चल पड़ता है।
लेकिन ग्राउंड से बाहर आते ही रितेश की आदत थी कि वह जूस का गिलास जरूर पीता था
तभी रितेश मौसमी वाले के पास जाता है और उसको दो गिलास 30- 30 वाले बनाने के लिए बोलता है और जूस वाले को सो का नोट थमा देता है
सानवी सो का नोट देखकर झट से अपना गिलास खाली करके जूस वाले को कहती है की भैया एक गिलास ओर बना दो ।
रितेश अपनी बहन के चेहरे की ओर देखता ही रहता है उसके चेहरे पर थोड़ा गुस्सा था लेकिन वह कुछ नहीं कहता और घर आ जाता है
घर पर आने के बाद वह सीधे अपने मां पर भड़कता है और कहता है इस मोटी भैंस का क्या किया जाए दौड़ लगती नहीं और खाती इतना है।
400 मीटर दोड और 2 गिलास जूस पी गई
ऐसे तो यह ओर भी मोटी हो जाएगी
मैं नहीं ले जाने वाले इसको आगे
मेरी ओर रेस की ऐसी की तैसी कर देती है
ना खुद दौड़ लगाती और ना ही मुझे लगाने देती ।
सानवी को इन बातों का कोई फर्क नहीं पड़ा। उसको तो सिर्फ अपना वजन कम करना था ।
सानवी अपने भाई के साथ 4-5 दिन ग्राउंड में जाती है लेकिन अब रितेश जी उसकी फिक्र किए बिना की अपने दौड़ चालू कर देता था और सिर्फ अपनी दौड़ पर ही ध्यान देता था ।
जिससे सानवी को बहुत गुस्सा आता है और वह मन में ठान लेती है कि मैं अपना वजन घर पर ही कम करके दिखाऊंगी ।
अब सानवी घर पर ही रोज सवेरे एक्सरसाइज , योगा और साइकिलिंग करने लगी थी जिससे उसका शरीर में निखार आने लगा था उसकी चर्बी कम होने लगी है और उसका शरीर कसा - कसा सा होने लगा ।
अब दोनों भाई बहन अपनी फिटनेस पर काफी ध्यान देने लगे थे ।
दिन ऐसे ही गुजरते चले गए अब दोनों भाई बहन के 12वीं कक्षा के एग्जाम भी बहुत ही नजदीक थे
एक दिन रितेश अचानक से बीमार हो जाता है और उसे बीमार हुए कई दिन हो चुके थे ।
रितेश की मम्मी और बहन सानवी बहुत परेशान हो जाते हैं वह भगवान से भी मिन्नत करते हैं कि उसे जल्दी से जल्दी ठीक कर दे ।
रितेश भी अपनी मम्मी और बहन को परेशान देखकर और उसके लिए अपने लिए उनके द्वारा इतना सब देखकर वह भाऊक जाता है।
और सोचता है कि मैं अब कभी भी अपनी मम्मी और बहन को परेशान नहीं करूंगा और घर का काम करूंगा कभी उनसे लड़ाई झगड़े नहीं करूंगा ।
वह उन पिछली यादों को याद करता है जिसमें वह अपनी बहन के साथ झगड़ा करता था कभी-कभी अपनी मम्मी को भी डांट देता था ।
सानवी भी इधर उन्हीं यादों को याद करती है कि वह अपने भाई को कितना परेशान करने लगी है वह सोचती है कि अगर मेरा भाई ठीक हो जाए तो मैं कभी भी उसे परेशान नहीं करूंगी उसका हर कहना मानूंगी और कभी भी उसे अपने से दूर नहीं करेगी ।
सानवी और उसकी मम्मी रितेश की पूरी सेवा करती है और शायद उन्हें उनकी सेवाओं के कारण रितेश ठीक हो जाता है
अब रितेश में पूरा बदलाव आ चुका था अब वह घर पर एक अच्छा बच्चा बनकर रहने लगा।
वह घर का छोटा मोटा काम करने लगा और अपनी बहन से भी एक दोस्त की तरह बर्ताव करने लगा। उसकी हर बात मानने लगा ।
उधर सानवी भी अपने भाई में आए अचानक बदलाव के कारण बहुत खुश थी वह भी उससे एक अच्छे दोस्त की तरह बर्ताव करने लगी ।
दोनों भाई बहन फिर से पढ़ाई पर पूरा ध्यान देने लगे ।
अब दोनों भाई बहनों ने 12वीं क्लास के एग्जाम दिए और अच्छे नंबरों से पास हुए दोनों भाई बहन बहुत ही खुश थे ।
उनकी इस खुशी में अब एक खुशी और शामिल हो चुकी थी कि अचानक ही रितेश के मामा सुरेश आ जाते हैं
वह वैसे आते - जाते रहते थे। लेकिन रितेश के मामा ने रितेश को वादा किया हुआ था कि वह उसको 12वीं पास होने के बाद बाइक गिफ्ट करेगा। इसलिए रितेश के मामा रितेश के लिए बाइक लेकर आए ।
जब रितेश के मामा आते हैं तो सबसे पहले नजर सानवी की नजर उस पर पड़ती है।
और वह दोड कर अपने मामा के गले लग जाती है मामा भी उसे प्यार से अपने बाहों में भर लेता है ।
फिर वह रितेश को गले लगाता है और उसके बाद अपनी बहन सुजाता को ।
तभी सानवी चाय बनाने चली जाती है और जब वह चाय बना कर लाती है। तब सुरेश का ध्यान सानवी पर जाता है ।
क्योंकि सानवी ने अपना फिगर पूरा मेंटेन करके रखा हुआ था।
सुरेश की नजर सानवी पर टिकी ही रहती है।
फिर वह चारों बातें करने लगते हैं रितेश को गिफ्ट में बाइक मिल चुकी थी इससे सानवी भी बहुत नाराज हो जाती है।
और वह अपने मामा की गोद में जाकर बैठ जाती है सानवी के गोद में बैठते ही सुरेश को कामुक शरीर का एहसास होता है।
और वह ना चाहते हुए भी उसके शरीर की सुगंध लेने लगता है और उसका लंड खड़ा होने लगता है ।
शायद सानवी को भी इस बात का एहसास हो चुका था लेकिन फिर भी वह इसकी ओर ध्यान न देकर बातें करने लगती है ।
और अपने मामा को कहती है की मामा आपको तो सिर्फ रितेश की फिकर है मेरी कोई फिक्र नहीं।
मैं भी तो पास हुई हूं। मैंने भी तो अच्छे अंक लिए है और मेरे लिए कोई भी गिफ्ट नहीं ।
तभी रितेश और उसके मामा सुरेश हंसते हैं और सुरेश फिर एक पैकेट निकालता है जिसमें एंडॉयड मोबाइल फोन था।
सानवी मोबाइल लेकर बहुत खुश हो जाती है और उसे देखने लगती है।
फिर चारों इधर उधर की बातें करने लगते हैं और बातों ही बातों में सुरेश उनको अपने बिजनेस के बारे में बताता है कि उसने दिल्ली से कॉस्मेटिक सामान के सप्लाई का बिजनेस खोला है।
वह अपनी बहन सुजाता को भी कॉस्मेटिक सामान की दुकान खोलने के लिए बोलता है ताकि उसका टाइम पास हो सके ।
और घर का खर्चा चलाने में भी कोई दिक्कत ना आए ।
( दोस्तों यहां पर मैं एक बात बताना चाहता हूं की रितेश के घर के पास उनकी एक दुकान थी जो उन्होंने रेंट दी हुई थी जिसके किराए से उसके घर का खर्चा चलता था।)
सुरेश यहां पर बताता है की कई बार किराएदार जब अधिक दिनों तक किराए पर रह जाते हैं तो वह उस पर अपना अधिकार जमा लेते हैं ।
जरूरी यही है कि उन किराएदार को निकाल कर खुद ही अपनी दुकान खोल ली जाए।
सुजाता यहां पर अपने भाई से कहती है कि बिना किसी कारण के किराएदार को कैसे बाहर निकाले ।
तभी सुरेश कहता है कि इसकी चिंता मत करो जब अगली बार आऊंगा तो उनको बाहर करके ही जाऊंगा और सुरेश चार-पांच दिन रुकने के बाद चला जाता है
इधर सानवी और रितेश कॉलेज में जाने लगते हैं ।दोनों अब अलग-अलग कॉलेज में जाने लगे थे। सानवी गर्ल्स कॉलेज में जाती थी और रितेश बॉयज कॉलेज में जाता था ।
सानवी की दो फ्रेंड संजू और मंजू बन चुकी थी । जो की बहुत ही खूबसूरत थी।
वहीं दूसरी ओर रितेश के भी कुछ कमीने यार बन चुके थे जो उसकी बाइक पर बैठकर लड़कियों के लिए चक्कर लगाते रहते थे उन पर कमेंट मारते थे और उन पर लाइन मारते थे
दोस्तों समय बीतता गया और दोनों भाई - बहन अपने - अपने कॉलेज के चहल - पहल और वहां के माहौल में ढल गए ।
दोनों भाई - बहन अब अधिक स्मार्ट बनकर रहना पसंद करने लगे थे उनके ड्रेसिंग कोड और लुकिंग मे काफी बदलाव आ चुका था ।
रितेश काफी हैंडसम और उसकी बहन खूबसूरत लगने लगी थी। लेकिन सानवी कहीं ना कहीं अपनी फ्रेंड से अपने आप को फिक्की महसूस करती थी। जिसका कारण था कि उसकी फ्रेंड हल्का मेकअप करके रहती थी ।
दोनों भाई - बहन अपने कॉलेजों की लाइफ इंजॉय कर रहे थे ।
कुछ दिनों बाद रितेश के मामा घर पर आ जाते हैं और उसे अबकी बार भी सानवी का सामना हुआ । सानवी भी सब कुछ भूल कर फिर से अपने मामा के गले लग जाती है।
उसका मामा भी उसे अपनी बाहों में भर कर उसके कामुक शरीर का मुआयना करता है।
वह कुछ पल वासना के सागर में डूब जाता है और उसके कामुक शरीर को अपनी बाहों में भरकर कहीं खो - सा जाता है।
तभी सुजाता वहां पर आ जाती है और वह उससे अलग होकर अपनी बहन सुजाता को गले लगाता है ।
और अपनी बहन को कसकर गले लगा कर उसकी कमर पर हाथ फिरा कर धीरे से अपना एक हाथ उसकी गांड के ऊपर टिका देता है । और हल्का सा दबा देता है
फिर वह उससे अलग होकर रितेश से मिलता है ।जो कि अभी बाहर से आया था।
पहले की तरह सानवी चाय बना कर ले आती है ।और फिर चारों बैठकर बातें करने लगते हैं।
सुरेश यहां पर बताता है कि मैं दुकान को खाली करवाने के लिए आया हूं ।
तभी उसकी बहन सुजाता उसे पूछती है कोई विचार किया है ।
सुरेश उसको बताता है कि उसने एक पुलिस वाले से बात कर ली है । जो यहां पर चौकी इंचार्ज है उसने कहा कि तुम कंप्लेंट लिख कर दे दो मैं सब संभाल लूंगा।
तभी सुजाता कहती है की कंप्लेंट किस बात की ।
सुरेश बताता है कि इनको बाहर निकालने का सिर्फ एक ही तरीका है । और वह है पुलिस कंप्लेंट ।
सुजाता पर पुलिस कंप्लेंट में लिखेंगे क्या ।
सुरेश यहां बताता है सिंपल सी कंप्लेंट है । हम अपने कंप्लेंट में लिखेंगे कि यह किराएदार तुम पर और सानवी पर कॉमेंट करता है। और गंदी नजर से देखता है कई बार तो यह है सानवी से इसका मोबाइल नंबर भी मांग चुका है ।
सुरेश यहां पर सानवी की तरफ देखता है।
और फिर सुजाता को कहता है सानवी अब जवान हो चुकी है ।और इस कंप्लेंट से ही हम किराएदार को बाहर निकाल सकते हैं ।और हमारे द्वारा की गई शिकायत पर किसी को कोई शक भी नहीं होगा।
जब सुरेश सानवी को देखता है ।अब सानवी को यह एहसास हो चुका था की मामा मेरे बूब्स को निहार रहे हैं ।
और फिर सुरेश पुलिस कंप्लेंट के द्वारा दुकान को खाली करवा लेता है ।और उनसे अपना हिसाब भी करवा लेता है ।
यहां पर सुजाता बहुत खुश हो जाती है सुरेश अपनी बहन सुजाता को दुकान की साफ - सफाई करके उसकी फिटिंग करवा लेने के लिए बोलता है ।
और वह कहता है कि वह अब की बार जल्दी ही सामान लेकर आएगा मुझे दुकान बिल्कुल तैयार मिलनी चाहिए ।
और फिर वह चार-पांच दिन रुकने के बाद जल्दी ही आने के लिए बोल कर चला जाता है ।
दोस्तों मै आपको पहले ही बता चुका हूं कि रितेश और उसकी बहन सानवी अब दोनों एक दोस्त की तरह रहने लगे थे ।
वह एक दूसरे की फिक्र करने लगे थे और एक दूसरे का कहना भी मानते थे।
दोनों भाई बहन फिर से अपनी लाइफ इंजॉय करने लगे।
एक बार रितेश को रात में प्यास लग जाती है ।
और वह पानी पीने के लिए नीचे आता है ।
वह बिल्कुल चुपचाप नीचे आने की कोशिश करता है। ताकि कोई भी उसके कारण डिस्टर्ब ना हो ।
लेकिन जैसे ही वह करें सीडी से नीचे उतर कर ड्राइंग रूम में प्रवेश करता है तो उसके होश उड़ जाते हैं ।
उसकी बहन रात के 1:00 बजे तक फोन में लगी हुई थी ।
रितेश कुछ सोचता है और फिर वह धीरे से सानवी की तरफ जाता है।
और उसके मोबाइल में देख कर वह चौक ही चाहता है।
उसकी बहन सानवी इब्राहिम खान के फोटो देख रही थी ।
उसके हर फोटो को लाइक और कमेंट लवली, गुड लुकिंग , आई लाइक यू , आई लव यू ।
तरह-तरह की कॉमेंट हर फोटो पर कर रही थी।
रितेश यह देख कर चौक जाता है। और चुपचाप पानी की बोतल रसोई से लेकर ऊपर चला जाता है ।
और लेटने के बाद सोचता है यार यार यह कितनी पागल लड़की है 1:00 बज चुका है और अब तक फोन में लगी हुई है
वह भी इब्राहिम खान के फोटो देखें देखने के लिए ।
यह तो बिल्कुल मेंटल है।
फिर अचानक रितेश भी फोन उठाता है और वह ना चाहते हुए भी इब्राहिम खान के फोटो देखने लगता है
वह फोटो देखते - देखते उसे कुछ फोटो इब्राहिम और सारा अली खान के भी देखें जिसमें इब्राहिम और सारा अली खान बहुत ही क्यूट लग रहे थे
वह दोनों ब्रदर सिस्टर कम और कपल्स ज्यादा लग रहे थे ।
रितेश यहां पर इब्राहिम खान की ड्रेसिंग कोड , लुकिंग ,हेयर स्टाइल ,
तरह - तरह की चीज को नोट कर रहा था और उन्हें बहुत ही ध्यान से देख रहा था
और यह सब देखते - देखते रितेश को भी नींद आ जाती है
और वह सो जाता है
अगले दिन सवेरे रितेश लेट उठता है और वह जब नीचे जाता है
तो अपनी बहन को कॉलेज के लिए तैयार हुई देखता है
रितेश अपनी बहन की तारीफ करता है और सानवी भी उसको थैंक यू बोलती है
और रितेश सोचता है पागल लड़की इब्राहिम की दीवानी ।
फिर रितेश अपने आप को आईने में देखता है।
और फिर वह अपना हेयर स्टाइल और कुछ ड्रेस जो उसने इब्राहिम खान को पहने देखा था ।
उसी स्टाइल की लाता है फिर वह तैयार हो जाता है ।
और जब शाम को सानवी कॉलेज से कर आती है तो रितेश अपने आप को उसके सामने प्रस्तुत करता है।
और कहता है कैसा लग रहा हूं
सानवी कैसा लग रहा हूं मतलब … .
बिल्कुल बकवास और सानवी फिर अपने कमरे में चली जाती है ।
रितेश यहां पर चिंतित हो जाता है फिर वह दोबारा अपने आपको देखता है ।
उसको अपने अंदर एक कमी महसूस होती है हाइट इब्राहिम के समान, लुकिंग इब्राहिम के सम्मान ,हेयर स्टाइल इब्राहिम के समान बॉडी में फर्क है ।
और यही बात सोच कर अब रितेश जिम शुरू करने की सोचता है ।
और इस के लिए वह अपने दोस्तों से कुछ हल्का वेट लाकर अपने कमरे में ऊपर रख देता है
जिसमें वेट चेस्ट के लिए और डंबल वगैरा थे ।
अब रितेश सवेरे तो रनिंग व एक्सरसाइज करता और शाम को आकर अपने ऊपर कमरे में जिम मारता था ।
जिससे उसका शरीर सुडोल होने लगा था । सच कहो तो रितेश एक मॉडल की तरह बन चुका था ।
जहां रनिंग और एक्सरसाइज ने उसके शरीर को लंबा और लचीला बना दिया था ।
वहीं दूसरी ओर जिम मारने से उसका शरीर सख्त और सुडोल होने लगा था
रितेश का यह रूप देख कर सानवी भी कहीं ना कहीं उसके प्रति आकर्षित होने लगी थी
उसने कभी अपने भाई की तारीफ तो नहीं की । लेकिन उसको देखने के बाद उसके होठों पर मुस्कान जरूर रहती थी ।
और रितेश भी अपनी बहन साध्वी की खूबसूरती से काफी आकर्षित था। वह अब अधिक समय सानवी के साथ रहना चाहता था।
सानवी मे भी अब जोश आने लगा था।
वह भी दोबारा से रनिंग शुरू करना चाहती थी ।
ताकि उसका फिगर और अधिक मेंटेन हो सके ।
और वह अपनी फ्रेंड को दिखा सके।
वह कॉलेज में सभी लड़कियों से बेहतर बनना चाहती थी।
इसलिए उसने खुद अपने भाई रितेश से रिक्वेस्ट की कि वह दोबारा दौड़ शुरू करना चाहती है
रितेश ने कोई अफसोस नहीं किया।
और सवेरे अपने साथ चलने के लिए बोल दिया।
अगले दिन सवेरे भाई बहन ग्राउंड में चले जाते हैं ।
और हल्की एक्सरसाइज के बाद दौड़ शुरू करते हैं।
सानवी अबकी बार रितेश का पूरा साथ दे रही थी ।
उसने रितेश के साथ ग्राउंड के 6 चक्कर लगा दिए थे ।
और फिर रुक कर एक्सरसाइज करने लगी।
रितेश ने भी जल्दी से दो चक्कर ओर लगाकर अपनी बहन के साथ एक्सरसाइज करने लगा ।
और फिर दोनों बहन भाई घर पर आ गए।
अब दोनों भाई बहन ऐसे ही अपना समय बिताते चले गए।
और दोनों भाई बहन एक दूसरे के काफी करीब रहने लगे
कॉलेज के बाद भी वे दोनों अधिक मिलकर रहने लगे थे
कुछ दिनों बाद रितेश के मामा घर पर आते है ।
जिसे देखकर सब खुश हो जाते हैं।
सानवी को देखकर सुरेश के मन में वासना के भाव जाग जाते हैं। क्योंकि जब भी सुरेश आता सानवी मे अलग ही बदलाव देखने को मिलते ।
वह सभी से मिलता है सभी को गले लगाता है ।
सुरेश अपने साथ दुकान का सामान लेकर आया था।
जिसे देखकर सानवी खुशी से उछल पड़ती है
और अपने मामा को गले लगा लेती है
इस प्रकार से गले लगने के कारण सुरेश भी उसकी कमर पर हाथ फेरता हुआ अपना एक हाथ उसकी गांड से सिर्फ 1 इंच उपर रख देता है
और वहां पर अपने हाथ का दबाव बनाता है।
सुरेश का लंड खड़ा होने लगा था लेकिन तभी सानवी उससे अलग हो जाती है।
सानवी को अपने मामा की भावनाओं का बिल्कुल भी एहसास नहीं था।
उसे तो सिर्फ उसके मामा दवारा लाये हुए कॉस्मेटिक सामान और लेडीजो का हर प्रकार का समान।
और उसके लिए तो खुशी की बात थी कि अब वह भी हल्का मेकअप करके कॉलेज में जा सकती है ।
और वहां हर लड़की को दिखा सकती है ।
उसकी फ्रेंड अक्सर हल्का मेकअप करके आया करती है जिससे वह थोड़ा असहज महसूस करती थी।
क्योंकि हल्का मेकअप उनकी फ्रेंड की खूबसूरती पर चार चांद लगाने का काम करता था।
सुरेश यहां पर सभी सामानों के बारे में बताता है ।
उनकी क्वालिटी के बारे में बताता है
उनके प्राइस के बारे में बताता है और किस सामान को किस दाम तक बेचना है यह सब उनको बताता है ।
फिर सब खुशी से सामान को दुकान में सजा देते हैं
सुजाता भी बहुत खुश थी क्योंकि अब उसको टाइम पास करने का एक साधन मिल चुका था
अब वह घर पर पूरे दिन बोर होने के बजाय अपना समय दुकान पर बैठकर बिता सकती है
सुरेश अपनी बहन सुजाता के साथ - साथ अपनी भांजी सानवी पर भी नजर डालने लगा ।
वह उसकी खूबसूरती और उसके फिगर को निहारने लगा था।
वह भी अब अधिक समय सानवी के साथ बिताने लगा
अबकी बार सुरेश 8 - 10 दिन रुका और फिर से वह समान को जल्दी लाने के लिए बोलकर चला गया ।
और कहां कि जो भी समान बिक जाए या खत्म होने पर हो उसके लिस्ट तेयार करके मुझे फोन पर भेज दे।
इधर सानवी और रितेश भी अपनी पूरी लाइफ इंजॉय कर रहे थे।
सानवी का जब भी कुछ खाने का मन होता तो सानवी अपने भाई रितेश के साथ बाइक पर बैठकर चली जाती थी।
और गोलगप्पे , फालूदा ,आइसक्रीम, टिक्की बगैरा जब भी मन होता दोनों भाई बहन खाने के लिए मार्केट में पहुंचाते थे।
और दोनों भाई बहनों में मेल मिलाप भी काफी हो गया था
दोनों एक दूसरे की पूरी केयर करते थे।
एक दिन रितेश अपनी बहन सानवी को जल्दी तैयार होने के लिए बोलता है।
सानवी भी बिना कुछ पूछे तैयार होकर आ जाती है और अपने भाई के साथ बैठकर बैठकर मार्केट में चली जाती है ।
रितेश उसको एक मॉल में ले जाता है जहां पर वह अपनी बहन को योगा व जिम की ड्रेस दिलाता है जिससे सानवी बहुत खुश हो जाती है ।
क्योंकि वह अपने भाई के साथ दौड़ लगाने जाती थी तो उसको अपने कपड़ों में अन कंफर्टेबल फील सा होता था।
( इस बात को रितेश ने नोट कर लिया था)
फिर रितेश उसको एक कैफे में ले जाता है और वहां पर उसकी फेवरेट डिश ऑर्डर करता है ।
इस बार सानवी भी उससे पूछ लेती है
कि तुम्हें मेरी फेवरेट डिश के बारे में कैसे पता ।
तभी रितेश कहता है कि मुझे बहुत कुछ पता है।
तभी सानवी भी कहती है और क्या - क्या पता है।
रितेश झट से कह देता है कि मुझे मालूम है ।
कि तुम्हारा फेवरेट हीरो इब्राहिम खान है
तो इस पर सानवी हंस देती है और कहती है हीरो इब्राहिम खान… .. ..
पर उसने तो एक भी मूवी नहीं अभी तक ।
रितेश कहता है मूवी तो नहीं की...परंतु तुम लाइक उसी को करती हो ।
इस पर सानवी के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है।
और फिर वह अपनी फेवरेट डिश लेने के बाद घर की ओर आ जाते हैं।
आज सानवी बहुत ही खुश थी क्योंकि वह सोच रही थी की रितेश को कैसे मालूम इन सब के बारे में सानवी पूरा दिन ऐसे ही सोच भी निकाल देती है ।
{ [ ( दोस्तों मैं अपने बारे में बता देना चाहता हूं।
मैं एक शर्मिला व शांत स्वभाव का व सीधा - साधा लड़का हूं ।
क्योंकि मेरी बहन और मैं एक ही स्कूल में और एक ही क्लास में पढ़ते थे।
जिस कारण से मैं वहां पर कोई भी शरारत नहीं करता था।
अगर मैं वहां पर कोई भी शरारत करता तो उसकी शिकायत टीचर के साथ - साथ पापा के सामने भी हो जाती थी।
सानवी सब कुछ पापा को बता देती थी ।
स्कूल में अगर कोई लड़की मुझसे बात भी करती तो मैं उसका जवाब सिर्फ हां या ना में देकर उससे बचने की सोचता था ।
दूसरी ओर मेरी बहन सानवी थोड़ी नटखट और ज्यादा बोलने वाली लड़की थी ।
क्योंकि वह पढ़ाई में होशियार थी और वह स्कूल और घर पर दोनों जगह स्मार्ट बनकर रहने की कोशिश करती थी।
मेरी मम्मी भी बहुत ही शांत स्वभाव की है ।
दूसरी ओर मेरे मामा थोड़े ठरकी और डबल मीनिंग में बात करने वाले व्यक्ति है ।
स्कूल के बाद हमने अपने कस्बे से दूर शहर में अलग-अलग कॉलेज में एडमिशन लिया था ।
जहां पर मेरे कुछ कमीने दोस्त और दूसरी ओर मेरी बहन की दो सबसे अच्छी फ्रेंड जोकि एक ही कस्बे की रहने वाली संजू और मंजू थी ।
जिनके साथ वह कॉलेज में अधिक समय तक रहती थी और उनके साथ अपनी बातें शेयर करती थी। ) ] }
फिर एक दिन मेरी बहन के पास उसकी फ्रेंड मंजू का फोन आया।
वह हमारे कस्बे में आई हुई थी
मेरी बहन ने मुझे बताया कि मेरी फ्रेंड मंजू बस स्टैंड पर आई हुई है
मेरी बहन ने मुझे मंजू को लाने का आग्रह किया मैंने भी तुरंत हां कर दी और अपनी बाइक निकालने लगा।
तभी मैंने सानवी से पूछा कि मैं उसे कैसे पहचानूगा ।
सानवी ने मुझे उसका नंबर दे दिया मैं मंजू को लेने के लिए बस स्टैंड पहुंच गया ।
वहां पर जाकर उससे बात करी और फिर उसको लेकर घर पर आ गया।
जहां पर सानवी उसके स्वागत के लिए घर के बाहर ही खड़ी थी ।
फिर मेरी बहन और मंजू अंदर चले गए। अंदर जाते ही मंजू मेरी बहन की तारीफ पर तारीफ करने लगी।
की तुम तो काफी सेक्सी और हॉट लग रही हो।
सच कहूं तो तुम तो आज बिल्कुल बोल्ड लग रही हो।
क्या बात है …. .
मेरी बहन ने उन बातों को मजाक में उड़ा दिया ।
मेरी बहन ने थोड़ा हल्का मेकअप किया हुआ था ।
और वह गजब की लग रही थी।
मंजु कहने लगी की लगता है कोई मिल गया है … ..
या फिर कोई तुम्हारे पीछे पड़ गया है… .
सानवी ने उनकी सब बातों का मजाक बनाते हुए कहा ।
की ऐसी कोई बात नहीं है… . ..
तभी मंजू बोली तो फिर घर पर भी मेकअप … . …
हो नहीं सकता …….कुछ ना कुछ तो बात है…….
हमें भी बता दो… . .
कि कौन है वह…….
जिसके लिए तुम घर पर भी इतनी सज धज कर रहती हो।
मेरी बहन ने कहा तुम पागल हो।
अगर कुछ होता तो मैं सबसे पहले तुम्हें जरूर बताती है।
ऐसी कोई भी बात नहीं है ।
मंजू फिर इधर उधर की बात करने लगी । और साथ ही साथ मेरी भी तारीफ करने लगी ।
क्या नाम है तुम्हारे भाई का रितेश … .
यह तो बहुत शर्मीला है….. और हैंडसम भी…
वैसे हैंडसम लड़के बहुत कम शर्मिलें होते हैं।
तभी सानवी कहती है कि बाहर वालों के लिए सीधा - साधा व शर्मीला है ।
अभी कुछ समय से सुधरा है
वरना घर में तो सिर्फ इसी कारण महाभारत होती थी।
तभी मंजू बोली मुझे नहीं लगता यार
सच में तुम्हारा भाई बहुत ही अच्छा ….और हैंडसम है ।
उनकी इन सब बातों से थोड़ा मै खुशी फील करने लगा।
और उनकी इन सब बात सुनकर में घर से बाहर आ जाता हूं ।
दोनों इधर उधर के गप्पे मारने लगे और फिर थोड़े समय के बाद मंजु वापिस घर जाने के लिए परमिशन लेती है।
मेरी बहन ने मुझे मंजू को बस स्टैंड पर छोड़ आने के लिए बोला।
मैं बाइक बाहर निकाल लेता हूं मंजू और सानवी बाहर आते हैं।
और मंजू एक नजर मुझ पर डाल कर सानवी को छेड़ती हुई कहती है ।
आ गया तुम्हारा भाई ….शर्मिला और हैंडसम …..
और एक मुस्कुराहट के साथ बाइक पर बैठ जाती है और सानवी को बाय करके उससे जाने की अलविदा लेती है।
सानवी भी उसको बाय करती हैं और मैं उसको बाइक पर बिठाकर बस स्टैंड ले आता हूं ।
करीब 15 मिनट तक उनके कस्बे की बस मिलने तक हम दोनों इंतजार करते रहे ।
मंजू ने मुझे जाने के लिए बोल दिया था ।लेकिन मैंने मना कर दिया की कोई बात नहीं है। बस आ जाएगी मैं चला जाऊंगा।
यह सुनकर मंजू की मुस्कान चेहरे पर साफ नजर आ रही थी ।
फिर मंजू की बस आ गई और मैंने उसको बस में बैठा कर बाय कर दिया ।
उसको बाय करके उससे जाने की अलविदा ली।
फिर मैं घर पर आ गया ।जब मैं घर पर आया तो मेरी बहन सानवी अपने आप को आईने में निहार रही थी ।
वह बहुत ही कामुक और खूबसूरत लग रही थी। मै एक नजर उसको देखता ही रहा।
क्योंकि वह मुझसे अनजान थी तभी मैं उसके पास गया । उसने मुझे देखकर अपने सिर के बाल ठीक करने लगी।
और फिर उसने पूछा की मंजू को बस स्टैंड पर छोड़ आए ।
मैंने हां भर दी ।
उसने कहा बस मिल गई थी क्या …..
मैंने कहा हां मिल गई थी
सानवी चलो अच्छा हुआ ….फिर उसने एक नजर मुझ पर डाली और फिर हम दोनों भी इधर उधर की बातें करने लगे ।
वैसे तो मैं अपने अपनी बहन की खूबसूरती से पहले ही आकर्षित था।
लेकिन जब मंजू ने मेरी बहन की तारीख पर तारीख की और उसने जब सेक्सी, हॉट और बोल्ड जैसे शब्द बोले तो मेरे अंदर अलग से विचार उभरने लगे।
जब उसने कहा था किसके लिए तेयार होकर रहती हो …. यह शब्द मेरे माइंड में घूमने लगे ।
और मंजू ने मेरी भी तारीफ की थी।
जिसे सोच कर मुझे अलग सी खुशी होने लगी।
अब मैं अपनी ड्रेशिंग कोड , लुकिंग और हेयर स्टाइल पर अधिक ध्यान देने लगा ।
और साथ ही साथ शरीर पर की अधिक ध्यान देने लगा।
मंजू की बातों ने मुझे अपनी बहन के ओर नजदीक ला दिया था ।
दूसरी ओर मेरी बहन मेरा यह रूप देखकर… . . .
थोड़ा शक की नजर से मुझे देखने लगी थी।
वह मेरे साथ समय तो बीताती लेकिन साथ की साथ वह मेरी जासूसी भी करने लगी।
कई बार तो वह मुझसे पूछने लगी कि तुम्हारा किसी के साथ कोई चक्कर तो नहीं…
….
तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड तो नहीं ….
या फिर तुम खुद ही किसी के चक्कर में हो …..
मैंने साफ मना कर दिया की ऐसी कोई बात नहीं है ।
फिर भी उसको मेरी बातों पर यकीन नहीं था ।
फिर एक दिन मेरी बहन की फ्रेंड संजू का फोन आया उसके घर पर कोई प्रोग्राम था।
जिसके लिए उसने सानवी को आने के लिए आमंत्रण दिया ।
सानवी ने भी खुशी से हां कर देती है
प्रोग्राम 2 दिन बाद था ।
सानवी अगले ही दिन मार्केट चलने के लिए बोलने लगी की उसको कुछ शॉपिंग करनी है । अपनी फ्रेंड के घर प्रोग्राम में जाने के लिए ……..।
मै अपनी बहन को लेकर मॉल में पहुंच गया वहां पर मेरी बहन ने अपने लिए 2 ड्रेस ली ।और फिर वह मेरे लिए ड्रेस देखने लगी ।
मैंने मना कर दिया ...यार बुलाया तुमको है मेरी क्यू शॉपिंग करा रहे हो।
लेकिन मेरी बहन ने मेरी एक ना सुनी और दो अच्छी ड्रेस मुझे भी दिला दी ।
अगले ही दिन हम तेयार होकर मंजू के घर जाने लगे ।
क्योंकि मंजू और संजू का घर आस - पास ही था ।
और वह चाहती थी वह प्रोग्राम में मंजू के साथ संजू के घर चली जाएगी ।
जब मेरी बहन तेयार होकर आई तो मै उसको देखता ही रह गया।
और मैं उसकी तारीफ करने लगा तो उसने मुझे थैंक्यू बोला ।
और बोली कि तुम भी अच्छे लग रहे हो ।
उसकी तरफ से मेरी तारीफ मुझे कुछ खास अच्छी नहीं लगी है ।
फिर हम दोनों संजू के घर के लिए निकलते है ।
और कुछ ही समय बाद संजू के घर पहुंच गए ।
जहां पर संजू बाहर खड़ी होकर हमारा इंतजार कर रखी थी ।
सानवी के उतरते ही मैंने वापिस बाइक मोड ली।
यह देख कर सानवी और मंजू ने मुझे रुकने के लिए बोला।
लेकिन मैंने कहा कि जब प्रोग्राम खत्म हो जाए तो फोन कर देना । मैं तुम्हें लेने आ जाऊंगा।
यह सुनकर सानवी के चेहरे पर अलग ही इंप्रेशन था।
वह थोड़ी चिंतित थी ।
फिर मैं चला गया।
अब सानवी और मंजू दोनो साथ संजू के घर पर जाने लगी।
वहां पर संजू से मिलने के बाद कुछ समय प्रोग्राम में बिताया ।
और फिर सानवी वापस मंजू के साथ उसके घर पर आ गई
मंजू और सानवी बातें करने लगे।
इधर उधर की बातें करने के बाद
सानवी ने अचानक ही मंजू से पूछ लिया कि… क्या तुम्हारे और रितेश के बीच में कुछ बात हुई है?
मंजू ने मना कर दिया और सोचने लगी क्या बात है।
तो सानवी ने उसे बताया कि यार जब तुम मेरे घर पर आई थी ।
उसी दिन से रितेश कुछ अलग सा रहने लगा ।
मंजू ने उससे पूछा मतलब…..
मतलब की
अब वह ज्यादा सज धज कर रहने लगा है ।
वह अपनी ड्रसिंग कोड , हेयर स्टाइल ,लुकिंग पर अधिक ध्यान देने लगा है।
वह कई बार मुझसे पूछ चुका ही कि मैं कैसा लगता हूं।
मंजू उसकी इन सब बातों का मजाक उड़ाती है
और कहती है ऐसा कुछ नहीं है…..बस मैं तो वैसे ही उसकी तारीफ कर रखी थी। और वह तारीफ के लायक भी है।
सच कहूं अगर मेरा BF नहीं होता तो मैं तुम्हारे भाई पर ट्राई करती ।
सानवी को यह बात सुनकर शौक लगता है।
और इधर मंजू के मुंह से अचानक यह बात निकल गई ।
और वह भी एक दम चुप हो गई।
तभी सानवी उससे पूछती है तुम्हारा BF कौन है।
तुमने कभी बताया नहीं छुपी रुस्तम …
(मंजु की चोरी पकड़ी जा चुकी थी । )
यह सुनकर मंजू चुप रहती है।
यार कोई नहीं है बस ऐसे ही चल रही बात….
क्या बात….सानवी मानने वाली नहीं थी। और उस पर दबाव बनाने लगी है
मंजू भी सानवी की जिद के आगे हार मान चुकी थी ।
अब वह सानवी को सब कुछ बताने से पहले सानवी को कहती है
कि मैं सब कुछ बता दूंगी पर तुम वादा करो कि यह बात तुम किसी और के सामने बिल्कुल भी नहीं कहोगी।
अगर इस बात का किसी को पता चल गया तो मैं खुद अपने आप को मार लूंगी।
सानवी बात जानने की उत्सुक हो जाती है। वह कहती है कि मैं वादा करती हूं इसके बारे में किसी को नहीं बताऊंगी ।
मंजू कुछ समय बाद चुप रहने के बाद फिर से सानवी को कहती है कि तुम किसी को बताएगी तो नहीं ।
सानवी फिर से कहती है यार सच में मैं किसी को नहीं बताऊंगी ।
फिर मंजू अपनी लव स्टोरी बताती है कि उसका अफेयर अपने कर्जन भाई अमन के साथ है ।
(अमन मंजू के ताऊ का लड़का है और उन दोनों करो के बीच में सिर्फ दीवार है छोटी सी)
यह बात सुनकर सानवी चौक जाती है और कहती है पर कैसे ….
(6 महीने पहले )
अब मंजू उसको सारी बात बताती है की उसे कंप्यूटर सीखने का शौक था।
और वह कंप्यूटर चलाने के लिए हर रोज अपने ताऊ के घर जाया करती थी
उस दिन मेरे ताऊ के घर पर सिर्फ मेरा भाई अमन ही था ।
और वह भी कहीं बाहर जाने की बाहर जाने की तैयारी कर रहा था ।
जब मैं उसके घर गई तो उसने मुझे बोला कि यार ठीक है तुम कंप्यूटर चलाने के बाद गेट पर ताला लगाकर चाबी को साथ लेकर चले जाना ।
मुझे कहीं बाहर जाना है मैं कंप्यूटर चलाने लगी और मेरा भाई अमन तेयार होकर बाहर जाने लगा ।
और एक बार फिर उसने मुझे याद दिलाया की लॉक करके ही जाना।
मैंने भी हां में सर हिला दिया और अमन घर से बाहर चला गया ।
अमन के जाने के बाद कंप्यूटर पर अलग अलग फोल्डर खोल कर चेक करने लगी तभी मुझे एक फोल्डर में पोर्न मूविज मिल गई ।
और मैं उसे देखने लगी मैंने एक नजर बाहर की ओर डाली दरवाजा बंद था।
और मैं फिर कंप्यूटर में पोर्न मूवी देखने लगी।
मूवी देखते - देखते मेरे अंदर वासना की आग भड़क गई और मेरा रोम रोम खड़ा होने लगा।
मैं अलग से दुनिया में पहुंच गई थी
मेरा हाथ अपने आप ही मेरी चूत के ऊपर चला गया ।
और मैं उसको सहलाने लगी उसने तो जैसे आग में घी डालने का काम किया।
मैंने पहले कभी ऐसा नहीं किया था चूत पर हाथ जाने के बाद मेरे अंदर की आग ओर भटक गई ।
और मैं जलने लगी मेरा शरीर अकड़ने लगा
मेरे पैर कांपने लगे
मेरे बूब्स में खून उतर आया और वह अधिक कामुक हो गए मेरे बूब्स की निप्पल एकदम सब सख्त और खड़ी हो गई।
मैं बिल्कुल अनजान अपने जिस्म से खेलने लगी ।
कि अचानक ही मेरी गर्दन मुड़ी तो मेरा भाई अमन दरवाजे पर खड़ा ।
उसका मुंह खुला हुआ ...उसके चेहरे का भाव कुछ अलग ...और बिना पलक झपकाए मुझे देख रहा था ।
अपने भाई को अचानक ही देखकर में डर गई और मेरे पैर नीचे से जमीन खिसक गई … .
मै रंगे हाथो पकड़ी जा चुकी थी
और
क्योंकि मैंने अपने पजामे के अंदर अपने पेंटी को नीचे कर दिया था और अपने बनियान में ब्रा को खोल दिया था।
मैं अब सब कुछ जल्दबाजी में संभालते हुए जाने लगी।
तभी मेरे भाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मैं कांप सी गई।
और मेरे पैर वहीं पर थम गए मेरे भाई ने बिना कुछ सोचे समझे उसने मेरे होठों को चूम लिया ।
मेरा शरीर डर के मारे कांपने लगा और शरीर एकदम ठंडा पड़ गया
मैं भूल चुकी थी कुछ समय पहले ही मैं वासना की आग में जल रही थी ।
और भाई के इस प्रकार छूने से मेरा शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ गया था
लेकिन अमन ने मेरी परवाह किए बिना ही मेरे होठों का रसपान करने लगा
और उसका हाथ धीरे से मेरी कमर पर जाकर मेरी गाँड़ के ऊपर आ गया और वह उसे हल्के हल्के दबाने लगा और मेरे होठों का रसपान करने लगा ।
कुछ ही पल बाद
मैं अपने भाई अमन का साथ देने लगी कुछ ही समय में दोबारा मेरे अंदर वासना की आग भड़कने लगी।
और मैं खुलकर अपने भाई का साथ देने लगी ।
तभी मेरे भाई ने मुझे उठा कर बेडरूम में ले गया और बेड पर बिठाकर उसने मेरा बनियान उतार अलग कर दिया ।
और मेरे चेहरे को चूमते हुए ...मैं मेरे बूब्स को चूसने लगा….और उनको दबाने लगा….और फिर वह है मेरी गर्दन पर किस करता हुआ…...मेरे कान को अपने दांतों से काटने लगा ….और एक हाथ से मेरी चूत सहलाने लगा ।
फिर उसने मुझे धीरे से उल्टा लिटा दिया और मेरे बालों को एक साइड में करके मेरी गर्दन पर किस करने लगा ….कभी मेरे गाल पर किस करता ….और कभी मेरे कान को अपने दांतो से काटता...फिर वह मेरी कमर पर किस करता हुआ…..उसने मेरा पैजामा उतार दिया … अब मे उसके सामने बिल्कुल नंगी थी ।
फिर उसने मेरी पीठ पर किस करते हुए…..मेरी गांड के ऊपर किस किया ...और फिर मेरे पैर के अंगूठे को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा…...और मुझे सीधा लिटा दिया ।
और उसे चूसता हुआ वह दोबारा से मेरे ऊपर आ गया और मेरे होठों को फिर से चूसने लगा…..इस बार वह है होठों के रस पान के साथ-साथ मेरी चूत मे अपनी उंगली चलाने लगा जिससे मेरी वासना की आग बढ़ती ही जा रही थी ।
फिर उसने अपना लंड मेरी चूत पर लगाया और मेरे पैर थोड़े से मोड़कर मुझ पर अपना दबाव बनाने लगा ।
मैंने भी अपने पैर थोड़े से ऊपर उठा कर उसका साथ देने की कोशिश करी।
फिर उसका लंड मेरी चूत में जाने लगा और वह मेरी गर्दन पर किस करने …..लगा मुझे हल्का हल्का दर्द हुआ लेकिन उसका आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में चला गया था
और वह धीरे-धीरे धक्के मारने लगा और कहने लगा मंजू आई लव यू ।
मैं तुम्हें बचपन से ही लाइक करता हूं ...तुम्हें पसंद करता हूं ...सच कहूं.. तो मैं तुझे तुझसे शादी करना चाहता हूं …
उसके हर धक्के के साथ मेरी आह… निकालने लगी
इस समाज के डर से मैं आज तक तुम्हें कुछ बोल नहीं पाया ।
तुम मेरा कभी साथ मत छोड़ना प्लीज….वह मेरी चुदाई के साथ साथ मुझसे रिक्वेस्ट कर रहा था ।
और मुझे प्रपोज कर रहा था वह तरह-तरह की कसमें खाकर मुझे यकीन दिलाने लगा कि मैं सच में तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं ।
और धीरे-धीरे वह मेरी चुदाई करता रहा
5 मिनट तक वह ऐसे ही धीरे-धीरे धक्के लगाता रहा ।
मै भी उसके हर धक्के का स्वागत अपनी चूत मे करने लगी मै अपनी गांड उठा - उठा कर चुदाई करवाने लगी ।
मेरी गरम साँसे तेज चलने लगी थी ।
और आह… उ.. के साथ मे उसकी कमर पर दबाव बना कर अपनी और खीचने लगी थी।
और मेरी आग ने...उसको कहने के लिए मजबूर कर दिया …..की थोड़ा ...थोड़ा और ...और तेज से करो ….यह सुनकर भाई के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
और उसने मेरे होठों और गर्दन पर किस करने के बाद वह मेरे ऊपर से उठा
और मेरे दोनों पैरों को अपने हाथों में लेकर मुझे तेज धक्के लगाने लगा।
और मे सिर्फ आह ...आह...आह उ...उ आ आ ..उ … अपनी गर्म और तेज सांसो के साथ करती रही।
फिर उसने मुझे पोजीशन चेंज करने के लिए बोला और मुझे बेड के नीचे उतार दिया ।
और मेरा एक पैर बेड पर रखकर मुझे आता पेट के बल बेड पर लिटा दिया ।
और पीछे से मेरी चूत में अपना पूरा लंड डालकर मेरी चुदाई करने लगा
अब 5 मिनट के बाद भाई का जोश बढ़ने लगा।
और वह मेरी गर्दन पर अपने दांतो से कांटा लगा ।
और धक्को की स्पीड भी बढाने लगा
कुछ ही समय बाद भाई ने एकदम से अपना लंड बाहर निकाला और उसके लंड से पिचकारी निकलकर मेरी गाँड़ और कमर पर पड़ी ।
फिर उसने खुद ही अपने वीर्य को साफ किया ।
(मंजु ने इसमें सिर्फ एक एक न्यू नवेली बहु की तरह अमन का साथ दिया)
और फिर मैंने मुंह हाथ धोकर अच्छी तरह कपड़े पहन लिए मेरी नजर उनसे मिल नहीं रही थी ।
मेरी नजर अमन से मिल नहीं रही थी लेकिन यहां पर अमन ने फिल्मी स्टाइल में मुझे प्रपोज किया ।
और मुझसे वादा किया चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुमसे कभी भी अलग नहीं होंगा।
आज से हम दोनों एक जान है वह मुझ से रिक्वेस्ट करने लगा और मैं शर्म के मारे मरी जा रही थी ।
और फिर मैंने भी हम उनसे वादा किया कि मैं भी तुमसे कभी अलग नहीं होंगी चाहे कुछ भी हो जाए
यार सानवी
यह मेरी पहली चुदाई थी जिसमें भाई ने मेरी अच्छे से चुदाई की थी।
और उस दिन से लेकर आज तक हमें जब भी मौका मिलता है हम शुरू हो जाते हैं
और अमन मेरा पूरा ध्यान रखता है हर प्रकार से।
सानवी मंजू की बात सुनकर पूरी गरम हो गई और बोली यार तुम्हारा तो काम चल जायेगा मेरा क्या होगा।
सानवी वैसे ही अचानक पूछ लेती है कही यह सब तेरे भाई का तो प्लान नही था।
मंजु उसे बताती है नही या जब हम बिल्कुल ओपन हो गए
तब मैंने अपने भाई से पूछा था उसने मेरी कसम खा कर कहाँ की वह बाहर जाने से पहले टॉयलेट मे चला गया था
( क्योंकि मंजु के दिमाग मे भी यही सवाल आया था)
अब सानवी खुश थी वहीं दूसरी ओर वह थोड़ी चिंतित भी थी ।
और उसकी बातों से वह है गरम भी हो चुकी थी ।
अब सानवी को यह तो यकीन हो चुका था।
रितेश और मंजू के बीच में कुछ नहीं है
वह इस बात से पूरी खुश थी लेकिन दूसरी ओर वह चिंतित इस कारण थी ।
कि रितेश आजकल किसके लिए सज धज कर रहने लगा है ।
वह यह सोच कर गरम होने लगती है कि कहीं मेरा भाई सब कुछ मेरे लिए तो नहीं कर रहा ।
यह सब सोचकर उसके चेहरे पर एक मुस्कान सी आ जाती है ।
फिर सानवी ऑल द बेस्ट…. बोलकर मंजू से घर जाने की परमिशन लेती है ।
और अपने भाई रितेश को आकर ले जाने के लिए बोलती है ।
रितेश जी जल्दी ही आ जाता है ।
तभी मंजू उसे देख कर एक बार फिर मुस्कुरा कर बोलती है
आ गया तुम्हारा प्यारा भाई शर्मिला और हैंडसम जोकि हजारों में एक है ..
तभी सानवी बाइक पर बैठकर अपने भाई को चिड़ाती हुई कहती है
यह ओर हैंडसम …….
तुमने क्या देख लिया इसमें चल बाय …. चलती हूं ….
और वह मंजू को बाय करती है ...और मैं घर की ओर चल देता हूं।
आज सानवी कुछ अलग ही अंदाज में पीछे बैठी हुई थी ।
उसकी हल्के हल्के बूब्स मेरी कमर पर फ्रेश हो रहे थे ।
उसने अपने दोनों बाहें मेरी कमर में डाली हुई थी ।
और वह मुझसे पूछ रही थी..कि तुम रुके क्यों नहीं ।
मैंने इसका कोई जवाब नहीं दिया……...और हम इधर उधर की बातें करते हुए घर पर आ जाते हैं।
घर पर आते ही मेरी बहन मेरे लिए खाना लगाने लगती है ।
तभी मैं मना कर देता हूं मेरी बहन कहती है कि प्रोग्राम में भी नहीं आए
क्या खाया तुमने।
मैंने फास्ट फूड कर लिया था …….मेरी बहन की चेहरे पर अलग ही अलग ही मुस्कान थी ।
और वह मुझे थोड़ा खाने के लिए बोलती है मैं भी अब ना नहीं कर सका । मैं भी फिर ना नहीं कर सका।
संजू के घर के से आने के बाद सानवी का नजरिया भी कुछ अलग हो चुका था ।
वह अब रितेश से कुछ डबल मीनिंग में बातें करने लगी थी
एक शाम रितेश अपने कमरे में जिम कर रहा था।
और वह जिम करने के बाद अपना बनियान निकालकर आईने में अपने एप्स देखने लगा ।
तभी सानवी ऊपर कमरे में आ जाती है वह वैसे आज तक कभी ऊपर नहीं गई थी।
लेकिन सानवी के मन ने उसको ऊपर जाने के लिए मजबूर कर दिया ।
और जब वह ऊपर अपने भाई को देखती है तो उसके पास जाकर खड़ी हो जाती है ।
और आईने में अपने भाई को देखने लगती है सभी रितेश बोलता है कि देखो लग रहा हूँ ना बिल्कुल हीरो ।
तभी सानवी कहती है हीरो तो नहीं हो…..पर हीरो से कम भी नहीं हो ….
ऐसा कहकर सानवी अपने भाई की कमर में हाथ डालकर खड़ी हो जाती है।
फिर दोनो आईने मे अपने आप को देखने लगते है।
और कुछ समय बाद उससे अलग होकर कहती है कि मुझे भी जिम करनी है।
रितेश को जैसे कुबेर का खजाना मिल गया हो वह खुशी से कहता है ।
यार मैं हूं ना …. जिम कराने के लिये ।
फिर वह अपनी बहन को जिम कराने लगता है हल्का वेट, हल्के डंबल , बैंड - सटीच वगेरा कराता है ।
आज रितेश बहुत खुश था क्योंकि सानवी ने उसकी अच्छी तारीफ की थी।