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Incest प्यारा भाई.....बेशर्म मामा...

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अध्याय 4


भाई बहन का मिलन




दोस्तों आज रितेश पूरे दिन ऊपर कमरे में रहता है और अपने कमरे को सोने के लिए सेटल करता है।

सानवी भी चिंतित थी और वह भी कहीं ना कहीं अपने भाई के बारे में ही सोच रही थी।

दोपहर के समय रितेश के मामा सुरेश घर पर आ जाते हैं ।

घर पर आते ही पहले की तरह सानवी की नजर उस पर पड़ती है ।

और वह तोड़कर दोड़कर अपने मामा के गले लग जाती है ।

उसका मामा भी उसके कामूक शरीर को अपनी बाहों में भर कर……….उसके गर्दन पर अपने नाक ले जाकर…...…...उसके बालों से खुशबू लेता हुआ…….....अपना हाथ उसकी कमर पर से उसकी गांड के ऊपर ले जाता है ।

सानवी यह एहसास होते ही वह उससे दूर घट जाती है ।

और मम्मी को बुलाकर लाने के लिए बोलती है ।

रितेश भी नीचे हो रही चहल - पहल सुनकर अनुमान लगा चुका था।
कि उसके मामा आ चुके है और वह भी नीचे आ जाता है।
और अपने मामा से मिलता है उसके मामा भी उसे बड़े प्यार से मिलते हैं ।

रितेश यहां पर सानवी को कहता है कि तुम मामा के लिए चाय बना दो । मैं मम्मी को बुला कर लाता हूं ।

और रितेश अपनी मम्मी को बुलाने के लिए दुकान पर चला जाता है।

और सानवी भी चाय बनाने के लिए रसोई में चली जाती है ।

दुकान पर कस्टमर होने के कारण थोड़ा टाइम लग जाता है ।

जब तक रितेश के मामा उठ कर रसोई की ओर चले जाते हैं।
और वहां पर सानवी को निहारने लगते है ।

सानवी को इस बात का एहसास हो चुका था कि उसके मामा उसको निहार रहे है ।

फिर भी वह अंजान बनते हुवे चाय बनाने पर ध्यान देने लगती है ।

मामा सानवी से बातें करने लगती है।

मामा : सानवी तुम्हारा कॉलेज कैसा चल रहा है।
सानवी: सब ठीक है
मामा:
अब तो तुम बड़ी हो गई हो शादी वगैरा के बारे में कुछ सोचा है …

कोई लड़का पसंद किया ।
सानवी : शादी नही … . पहले जॉब

और लड़का …. . मुझे कोई मेरे लायक लगा ही नही।


और ऐसे ही बातें करती हुई सानवी चाय बना देती है ।

तब तक सानवी की मम्मी सुजाता घर पर आ चुकी थी

सुरेश अपने बहन को देखकर खुश हो जाता है ।
और उन्हें अपने गले लगा लेता है ।

रितेश दुकान पर ही था और सानवी की परवाह किए बिना सुरेश अपनी बहन की कमर को सहलाते हुए उसकी गाँड़ को हल्के से दबाने लगता है ।

सुजाता सानवी की परवाह करते हुए अपने भाई सुरेश से अलग हो जाती है ।

थोड़ी देर में रितेश भी घर पर आ जाता है ।

तब तक सानवी चार कप चाय बना चुकी थी

और फिर चारों बैठकर बातें करने लगते हैं

बातों ही बातों में सुरेश काम - धाम के बारे में पूछता है दुकान के बारे में पूछता है सब के बारे में पूछता है ।


फिर उसका ध्यान रितेश पर जाता है जो पहले की तरह नजर नहीं आ रहा था।

और वह उसके उदास और चिंतित होने का कारण जानना चाहता है ।

लेकिन रितेश यहां पर कोई जवाब नहीं देता और वह चुप होकर

और थोड़ी देर में कहता है मैं और उदास ….. ऐसी कोई बात नहीं है ।

सुजाता : हम तो आज तक नहीं समझ पाए इस लड़के को…
इससे पहले इतना शरारती था…

फिर इतना शर्मीला हुआ…..

फिर इतना नटखट हुआ…..

और फिर अब 2 दिन से आप इतना उदास और चिंतित रहने लगा है…

मालूम नही हमारी किस्मत में क्या लिखा है ..
यह लड़का कैसे होगा...आगे चलकर ...हमें नहीं मालूम…..


तभी सानवी अपने भाई को छेड़ते हुए कहती है ।
सानवी : मुझे लगता है किसी लड़की का चक्कर है ..

मामा : मेरा शेर वह भी मजनू …..

और सब हंस देते हैं

सानवी फिर आगे बात बढाती है

सानवी : लगता है किसी लड़की ने इसका दिल तोड़ा है

और हल्की मुस्कान और आंखों में वासना लेकर अपने भाई की तरफ देखती है ।

रितेश भी एक नजर अपनी बहन पर डालकर अपनी नजर दूसरी तरफ कर लेता है ।

सुजाता : भगवान ही जाने की क्या बात है बस हमें तो इसका नटखटपन ही बहुत अच्छा लगता है।

जो सबका मनोरंजन करता रहता है अपनी बातों से …..अपनी हरकतों से …..और फिर सब हँसने लगते हैं

सानवी : मम्मी तुम चिंता मत करो यह मुझ पर छोड़ दो मैं अपने भाई को नटखट बनाकर ही कर छोडूंगी।

और फिर सब हँसने लगते हैं इधर उधर की बातें हुए ऐसे ही शाम हो जाती है।

रितेश अपना सोने के लिए ऊपर चला जाता है ।


रितेश की मम्मी यह देख कर थोड़ी खुश थी लेकिन कारण को भी जानना चाहती थी ।

लेकिन उसके अंदर कहीं ना कहीं चोर था इसलिए इस उसने इस बात को महत्व नहीं दिया ।

और फिर सब सोने के लिए चले गए अगला दिन भी ऐसे ही बीत गया ।

क्योंकि मामा के आने पर सानवी भी थोड़ा सा अपने आप को कंट्रोल में रखती थी ।

दूसरी और मामा की लालची नजर सानवी
पर रहने लगी थी ।

अगली रात को सानवी का सिर दर्द कर रहा था और वह ऐसे ही लेट गई ।

सानवी की मम्मी ने जब देखा कि सानवी सो चुकी है और वह रसोई में गई रसोई में बर्तन ऐसे ही बिना साफ किए हुए थे ।
और वहां पर सानवी का दूध भी नहीं था।

और वहां पर सानवी का दूध को नहीं देख कर सानवी की मम्मी ने सोचा की दूध पीकर सो गई है।

सुरेश भी तब तक अंदर आ चुका था और उसने सानवी को सोते हुए देखा ।

उसने पूछा की क्या बात है सानवी इतनी जल्दी कैसे सो गई ।

सुजाता: दूध का असर है तभी सुरेश हंस देता है ।

और अपनी बहन को पीछे से अपनी बाहों में पकड़ लेता है।

सुजाता : मुझे काम तो करने दो थोड़ा तो सब्र कर लिया करो ।
सुरेश : यार सब्र ही तो नही होता ।

तुम्हारे इस कामुक शरीर को देखकर मेरा शैतान जाग जाता है

जो 24 घंटे तुम्हें खा जाने की सोचता रहता है।


इस प्रकार वह अपनी बहन से बिल्कुल चिपक जाता है और उसकी गर्दन पर किस करता हुआ अपना लंड उसकी गांड में चबाने लगता है


सुजाता : (तभी उसको पीछे पीछे धकेल देती है ) अभी आती हूं बस दो बर्तनों को साफ कर दूँ और फिर देखती हूँ तुम्हारे सब्र और जोश को।

सुरेश भी ड्राइंग रूम में आकर सानवी को सोते हुए देखने लगता है

सानवी को सोते हुए देख वह उसकी चारपाई पर बैठ कर ...उसके एक तरफ एक हाथ रख कर…..
अपने एक हाथ से उसके गाल पर से उसके बालों को हटाता हुआ कहता है।

देखो मेरी गुड़िया रानी इतनी प्यारी लग रही है ।
और वह उसके गाल को चूम लेता है ।

फिर सुरेश एक नजर रसोई में अपनी बहन को देखता हुआ धीरे से अपना एक हाथ सानवी की कमर पर से लाता हुआ उसकी गांड के ऊपर देता है ।

और उसकी मुलायम गाँड़ को अपने हाथों में भरकर दबाने लगता है ।

और फिर अपनी बहन की रसोई से बाहर आने की आहट सुनती है।
और वह सानवी से अलग हो जाता है

सुजाता : इसको उठा कर ...क्या काम खराब करोगे … ?
फिर देख लेना अपने सब्र का हाल ।

सुरेश : मेरी गोली अच्छी क्वालिटी की है ।
एक बार लेने के बाद कम से कम 6 घंटे बाद ही उठेगा ।

फिर दोनों हंसकर

मामा सुजाता को अपनी बाहों में भर कर उसको रूम में ले जाता है ।
और वहां पर अपनी रासलीला शुरू कर देता है।

सवेरे सानवी जल्दी उठ जाती है और रसोई का काम करने लगती है।
सुजाता उठकर आती है तो अपनी बेटी को काम करता हुआ देखकर वह उसकी तारीफ करती है।

सानवी: मम्मी….गुड मॉर्निंग

गले लग जाती है

मम्मी रात को नींद कैसी आई

आज सानवी ने पहली बार यह प्रसन्न किया था

( सानवी के पर्सन को समझे बिना ही )

सुजाता : बहुत अच्छी……
नाइस ड्रीम के साथ …..और हंसने लगती है ।
मै भी घर पर नीचे आ गया था वह चुपचाप से रहता था ।

और फिर एक दो दिन ऐसे ही और रितेश के चुपचाप रहने के कारण चिंता के साथ गुजर जाता है।

एक रात मुझे रात में प्यास लग जाती है और मै पानी पीने के लिए नीचे आता है ।

मै चुपचाप नीचे सीढ़ियों से आ रहा था । तो उसने अपनी मम्मी के कमरे में लाइट जली दिखी।
मैंने सोचा कि मम्मी शायद लाइट बंद करना भूल कर ऐसे ही सो गई ।

तभी मुझे एहसास हुआ कि कमरे में और कोई भी है।

और मै वहीं पर खड़ा होकर दरवाजे के ऊपर बने रोशनदान से कमरे में देखने लगा।

और मै अंदर का नजारा देखकर हैरान हो गया ।

मेरा पूरा शरीर वहीं पर एक पत्थर की मूरत बन गया ।

कमरे के अंदर का नजारा देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई ।

मेरी मम्मी और मामा कमरे के अंदर बिल्कुल नंगे थे ।

मेरी मम्मी अपने भाई सुरेश का लंड चूस रही थी ।

मेरी मम्मी अपने भाई सुरेश के ऊपर बैठकर चुदाई करवाने लगी।

यह सारा सीन देख कर मेरे अंदर घिर्णा और क्रोध दोनों ही भावना जाग गई।

मैंने उस रात से अपनी मम्मी की पूरी चुदाई देखी ।

उसके बाद फिर चुपचाप पानी की बोतल लेकर ऊपर कमरे में चला गया।

और अपनी मम्मी के बारे में अपने अंदर तरह तरह के विचार प्रकट करने लगा ।

और मैंने अपने मामा को भी इसका परिणाम देने की सोचने लगा ।

अगली सुबह उठकर मै अपने एक दोस्त से मिलने चले गया ।
और करीब उसके पास 10:30 बजे घर पर वापस आया ।

और आने के साथ ही मै तैयार होकर कहीं जाने की सोच रहा था ।

मेरे मामा ने मुझको तेयार होते देख टोक लिया ।
मामा : रितेश कहीं जा रहे हो…?
रितेश :मामा बहुत जरूरी काम है..

मामा : ठीक है
रितेश : मामा आप भी साथ चलो ना मुझे साथ मिल जाएगा ।


रितेश के द्वारा की गई रिक्वेस्ट से मामा हां पर देते हैं।

मामा: कोई बात नहीं मैं भी चलूंगा तेरे साथ कहां जाना है...और क्या काम है…

रितेश : चलोगे….तो सब पता चल जाएगा ।

मामा : चलो ठीक है

रितेश अपने मामा के द्वारा गिफ्ट में दी हुई बाइक बाहर निकलता है और दोनों उस पर बैठकर बाहर जाने लगते है ।

सानवी : खाना तो खा कर जाओ..
रितेश : मुझे भूख नहीं है और यह काम बहुत ही जरूरी है …

तभी वे दोनों अपने कस्बे के बाहर चले जाते हैं ।
रितेश उसको लेकर एक सुनसान जगह पर जहां पर खुदाई का काम चल रहा था ।

माइनिंग का काम चल रहा था वहां ले जाता है ।

खुदाई का काम कई सालों से बंद होने के कारण वहां पर कोई नहीं आता जाता था।

मामा : रितेश तुम्हें यहां पर कौन सा काम है… ?

रितेश : मामा अभी पता चल जाएगा।।।।।

और थोड़ी दूर ले जाकर रितेश बाइक रोक देता है और थोड़ा दूर जाकर पेशाब करने लगता है ।

रितेश के मामा भी दूसरी साइड जाकर पेशाब करने लगते हैं ।

रितेश के मामा जैसे - ही मुड़ते हैं पेशाब करने के बाद…. .

उसके मुड़ते ही …...उसके होश उड़ जाते हैं.।

रितेश के हाथ में एक देसी तमंचा था । जिसका निशाना सुरेश की तरफ था।

मामा :( घबराते हुवे) रितेश तुम्हें मालूम है ना…...यह क्या है…?

रितेश : (क्रोध के साथ) मुझे मालूम है।
लेकिन आपको नहीं मालूम यह क्या है… . ?
और वह एक फायर हवा में करके जल्दी से एक राउंड ओर तमंचा में डाल लेता है।

फायर की आवाज से

रितेश की मामा की गांड फट जाती है

रितेश : अब तुम्हें मालूम तो होगा कि तुम्हें यहां पर क्यों लाया गया है… ?

मामा : क्यों…. ?
रितेश : तुम्हें नहीं मालूम…

तुमने जो गलती की है उसका परिणाम भुगतने के लिए ….।

रितेश के मामा यहां पर सोच में थे की सानवी ने उसकी हरकतों के बारे में रितेश को तो नहीं बता दिया।

या फिर इसको मेरे और सुजाता के संबंध के बारे में पता चल गया है

मामा : इसी बात को क्लियर करने के लिए वह हाथ जोड़कर गलती मानता हूं… .

मामा : रितेश मुझसे गलती हुई है…..मैं गुनहगार हूं ….मुझे माफ कर दो…..।

मुझे को कुछ समझ नहीं आ रहा था । और में अपनी मम्मी और अपने मामा को गालियां देने लगा ।

तुमने मेरे परिवार की थोड़ी सी जरूरतों को पूरा करते हुए मेरी मम्मी को अपनी हवस का शिकार बनाया है ।
उसकी मासूमियत का फायदा उठाया है ।

हमारे परिवार के भोलेपन का तूने फायदा उठाया है।

तुमने फायदा उठाया है मेरे पिता के जिंदा ना होने का….

रितेश के मामा अपने घुटनों के बल बैठ जाते हैं ।

( रितेश की बातों ने सब क्लियर कर दिया )

वह सब समझ चुका था की रितेश को उसके और सुजाता के संबंधों के बारे में पता चल चुका है।


इसलिए मामा अपनी अपनी सफाई पेश करते हुए कहते हैं ।
कि हम दोनों अब से नहीं बल्कि बचपन से एक दूसरे से प्यार करते हैं

समाज डर के कारण हम एक दूसरे से अलग रहे ।

और समाज के डर से ही हम अपने रिश्ते को किसी के सामने नहीं ला सके।

किसी को बता नहीं सके ।

अगर तुम्हें लगता है कि हमारा रिश्ता गलत है तो मुझे एक बार माफ कर दो।

मेरा बेटा ….मैं कभी ऐसा नहीं करूंगा।


रितेश भटक जाता है और कहता है मैं तुम्हारा बेटा नहीं हूं।

तुम सिर्फ एक हवस के पुजारी हो।

जिसने अपनी हवस के लिए अपनी बहन की हालातो का फायदा उठा कर उसके साथ ही संबंध बना लिए।

रितेश के मामा यहां पर अपनी हर प्रकार से सफाई की देता है ।

वह उसको याद दिलाता है कि मैंने आपके परिवार के लिए क्या-क्या किया है ।

और परिवार की ….तुम्हारी हर जरूरत …
हर मुश्किल घडी मे परिवार के साथ रहा है

रितेश अपने मामा की बातों को सुनकर थोड़ा भाऊक हो जाता है ।

और दोबारा फिर अपना दबाव बनाते हुए अपने मामा को कहता है ।

रितेश : तो ठीक है मैं तुम्हें तुम्हारे एहसानों के बदले तुम्हें जीवन दान देता हूं ।

लेकिन अगर आज के बाद तुम मुझे नजर आए

या फिर तुम्हारी और मेरी इस घटना का किसी को भी पता चला

या फिर मेरी मम्मी को इस बात का एहसास भी हुआ कि मुझे तुम दोनों के संबंधों के बारे में पता है

तो उसी दिन मैं तुम्हें जान से मार दूंगा।



और चले जाओ मेरी आंखों के सामने से….मैं तुम्हें जीवन दान देता हूं ।

मेरी इन तीनों बातों को याद रखना।
और रितेश अपनी बाइक को उठाकर चला जाता है ।

मै थोड़ी ही देर में घर पहुंच जाता हूँ।

घर पर आते ही

सानवी : कैसा काम था और कैसा रहा।

मै कुछ नहीं कहता।

सानवी : मामा कहां पर है …?

रितेश यहाँ सानवी को बहुत ही शांत स्वभाव से बता देता है कि अचानक उसको जरूरी काम हो गया और वह उधर से उधर ही चला गया ।

शाम के वक्त सुजाता दुकान से घर पर आती है ।
और अपने भाई सुरेश को नहीं देखकर अपने भाई सुरेश के बारे में पूछती है।

तो सानवी उसको सब बता देती है सुजाता सुरेश के पास फोन मिलाती है ….फोन नहीं लगता ।

तो फिर वह रितेश जी पूछना चाहती है कि अचानक क्या काम आ गया।

लेकिन रितेश गुस्से के साथ उसको जवाब दे देता है ।मुझे क्या मालूम … .

क्या काम था … उसको चले गए ।

मामा - मामा ….. . . ..
सुरेश - सुरेश……..
भाई - भाई।…..

उसके बिना क्या घर का काम नहीं चलेगा … . .



रितेश की ऐसी बातें सुनकर उसकी मम्मी चिंता में डूब जाती है।

कि रितेश को दिन प्रतिदिन क्या हो गया है ।

यह दिन प्रतिदिन कैसा होता जा रहा है ।

रितेश की मम्मी फिर कुछ सोचे समझे बिना ही उसको खाने के लिए ठोक देती है।

रितेश ने आज सारा दिन भोजन नहीं किया था ।

रितेश की मम्मी उसको खाना खाने के लिए ठोक देती है।

रितेश यहां पर भड़कते हुवें अपनी मम्मी को जो जवाब देता है की भूख लगेगी खा लूंगा …
मेरी ज्यादा चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है ।

अगले दिन रितेश बहुत देर से उठता है रितेश की मम्मी अपने बेटे के इस व्यवहार के बिल्कुल चिंतित थी।

वह सोचने लगी किसको क्या हो गया । दूसरी और सुरेश का फोन नहीं लग रहा था ।

इन सब कारणों से उसका मन बेचैन होने लगता है।
अचानक आए रितेश में इस बदलाव के कारण बहुत ही चिंतित थी ।

रितेश अपनी मम्मी को घृणा और सिर्फ क्रोध की भावना से देखने लगा था ।


रितेश के मुंह गालियाँ और हर बात का जवाब गुस्से मे निकलने लगा था ।

रितेश अब अकेला रहने लगा था



उसके इस बदलाव के कारण और उसकी मम्मी भी रितेश के प्रति थोड़ा गुस्सा होने लगा था ।
और वह सोचने लगी थी कि जब ठोकर लगेगी तो यह खुद ही सुधर जाएगा ।


इसको कुछ मत बोलो और इसको ऐसा ही रहने दे ।

ऐसे ही कई दिन गुजर गए और रितेश भी खानपान बहुत कम ध्यान दे रखा था ।

उसका मन बेचैन, क्रोध और घृणा से भरा हुआ था ।
और कुछ सोच सोच कर उसकी आँखों से पानी बहता रहता था

ऐसा ही कई दिन गुजर जाने के बाद रितेश की तबीयत भी खराब होने लगी थी ।
सानवी की मम्मी ने उसकी परवाह करनी छोड़ दी थी

रितेश की तबियत खराब होने के कारण से सानवी को उस पर बहुत ही दया आने लगी ।

और सानवी अपने भाई को समझाने के लिए ऊपर अपने भाई के पास रात के समय खाना लेकर जाती है ।

सानवी अपने भाई को समझाने लगती है रितेश सानवी को देख दूसरी ओर मुंह करके लेटा रहता है।
सानवी उसके पास जाकर बेड पर बैठ जाती है।
सानवी अपने भाई को समझाती हुई अपनी मम्मी के तारीफ करते हुए कहती हैं ।

मम्मी ने हमें कभी भी किसी तकलीफ में नहीं जाने दिया।
उन्होंने हमारी हर जरूरतों को पूरा किया...तेरी छोटी छोटी ख्वाहिशें पूरी की ….हमें अच्छे स्कूल में पढ़ाया ….अच्छे कॉलेज में पढ़ाया...घर पर भी हमारे लिए हर प्रकार से ख्याल रखा ।

तुम्हारे बीमार होने पर भी तुम्हारा हर प्रकार से ख्याल रखा।
भगवान से प्रार्थना की और अब तुम मम्मी के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हो क्यों……

आखिर हमारे पास एक मम्मी ही तो है आज भी दुकान पर बैठकर घर का खर्चा चला रही है।
किसके लिये …...सिर्फ हमारे लिये ।

अब हमें उसका सारा बनना चाहिए और तुम उसके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हो।

अब सानवी मामा के बारे में कहने लगती है ना जाने मामा भी कहां चले गए ।
उसका फोन भी नहीं मिलता।

मामा का नाम सुनते ही रितेश भटक जाता है ।

क्या है मामा - मामा … .. . . …

रितेश : तुम नहीं जानती मामा की हरकतों के बारे में…….
कि वह एक किस प्रकार का आदमी है

वह हमारे परिवार के सिर्फ भोलेपन का फायदा उठा रहा है ।

सानवी: कैसा फायदा……? उसने तो हमारी हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखा है ।
रितेश : जरूरतों का ध्यान …..सिर्फ अपने फायदे के लिये ।

रितेश : तुम नहीं जानती कि मामा और मम्मी के बीच कैसे संबंध है ।

सानवी यह सुनकर सब समझ जाती है और वह कहती है मुझे सब मालूम है ।


तभी रितेश उसकी तरफ देखता है और कहता है तुम्हें कुछ मालूम नहीं ।

सानवी कहती है मुझे सब मालूम है
रितेश यहां थोड़ा हैरान होकर ओर सानवी की ओर देखता है ।

रितेश सानवी की आँखो मे और सानवी भी रितेश की आंखों में देखती है उनकी आंखों ही आंखों में बातें होती है ।

जैसे कि हां उन्हें सब मालूम है ।

रितेश फिर कहता है तुम्हें मालूम है सानवी हां भर देती है

दोनों चुप हो जाते हैं रितेश : कब से ….?
सानवी : बहुत पहले से पापा के गुजर जाने के बाद ही मुझे पता चल चुका था।

सानवी फिर मामा की तारीफों के पूल बांधने लगती है।

कहती है कि मामा ने हमारे परिवार का हर मुश्किल घड़ी में साथ दिया है ।

और हमारी हर इच्छा को पूरा किया है और घर की हर जरूरतों को पूरा किया है।

वह कहती है की मम्मी और मामा अब से नहीं बल्कि बचपन से ही एक दूसरे से प्यार करते हैं ।
बस इस समाज ने उनको इस तरह मिलने पर मजबूर कर दिया ।
जब वें दोनों खुश है तो उनके इस प्यार को अलग करने का हमे कोई अधिकार नही है

बल्कि

हमें उनका साथ देना चाहिए ।

रितेश : सानवी के सवाल का कोई जवाब नही दे पाया।
और मैं चुप रहता है ।

सानवी : तुम भी तो मुझ पर ट्राई मारते रहते थे ।
मार्केट मे घूमने के बहाने मेरे साथ छेड़खानी करते थे।


मै सब जानती हूँ तेरे मन में क्या है

रितेश : क्या… .. . . .?


कि तुम मुझसे कितना प्यार करते हो।

यह सुनकर रितेश के चेहरे पर हल्की मुस्कान आने लगती है

जिसे सानवी साफ देख रही थी फिर वह रितेश को कहती है ।

मुझे मालूम है जब लोग मुझे तांकते थे तो तेरी आँखो मे कितना गुस्सा होता था मुझे मालूम है।

और तुम रनिंग के दोरान …..जिम करते हुए
घर और बाहर हर जगह तेरी हरकतो को देखा है मैंने…. . .



सानवी कहती है कि मुझे तुम्हारी हर रात वाली हरकतों के बारे में पता है ।


यह सुनकर रितेश पानी - पानी हो जाता है ।

और फिर हिम्मत करके अपनी बहन से पूछ लेता है

रितेश : जब तुम्हें सब पता था तो तुमने मुझे कभी रोका क्यों नहीं … .?



सानवी : क्योंकि मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं…

रितेश : फिर उस रात जब मै हिम्मत करके तुम्हारे साथ कुछ घर जाना चाहता था।

उस रात तुम्हें मुझे क्यों रोक दिया……?

यह सुनकर सानवी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।

वह थोड़ा रुककर कहती….

सानवी : उस दिन मुझे प्रॉब्लम थी …

रितेश चोंक जाता है…...प्रॉब्लम कैसी प्रॉब्लम… .?
सानवी : अरे बुद्धू उस रात मुझे मैनसेज आए हुए थे।
और तुम बार-बार अपना हाथ चूत पर ही ले जा रहे थे ।

जब तुम अपना हाथ मेरी चूत पर ले जाने लगे तो मैं तुमसे बताने की हिम्मत नहीं जुटा पाई ।

इसलिए मैं तुम्हें धकेल कर कमरे में चली गई ।

यह सब सुनते ही रितेश के चेहरे पर मस्ती के भाव आ चुके थे।

वह हर बात भूल के रोमेंटिक हो गया चुका था ।
रितेश ने अपने पास बैठी हुई अपनी बहन की कमर में हाथ डाल कर अपने ओरझुका लिया।

और उसकी कमर पर हाथ फिराते हुए बोला कि आज भी मैनसेज ….

सानवी : नहीं….ना करती हैं

यह सुनकर मै उसकी आंखों में देखता हुआ अपने होठों को उसके होठों से मिलाने लगा ।
सानवी भी मस्त हो चुकी थी

और दोनों भाई - बहन अलग ही दुनिया में चले गए थे ।

दोनों एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे ।

और मै धीरे-धीरे उसकी कमर पर हाथ फिराने लगा और मेरा हाथ उसकी कमर से उसकी गांड पर पहुंच गया ।

मै अपनी बहन के नितंबों को दबाने लगा ।

काफी देर तक एक दूसरे के होंठों को चूस कर दोनों के होंठ अलग होते है दोनों ही एक दूसरे की गर्म साँसे महसूस कर रहे थे।

रितेश अपनी बहन की आँखों में देखता हुआ कहता है

फिर उस रात के अधूरे काम को आज रात पूरा करा लें ।


सानवी ने यहां पर बड़े ही कामुक अंदाज में कहा ।
मैंने मम्मी को वादा किया था कि तुम्हें पहले जैसा नटखट बना के रहेगी।
इसलिए तुम पहले जैसे हो जाओ तब वह अधूरा काम पूरा करेंगे।

और सानवी उसे चिड़ाते हुए नीचे चली गई ।


मै अपनी मम्मी और मामा के बारे में सोचने लगा और काफी देर तक दोनों के बारे में सोच कर खुश होने लगा।

कुछ देर बाद...
मुझे नींद आ गई
 

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भाई रिप्ले नही मिल रहा
 

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अध्याय 4

भाई - बहन की
रासलीला


सवेरे मेरी नींद काफी देर से खुली और मै नीचे चला गया मम्मी रसोई में थी ।

मैंने मम्मी को गुड मॉर्निंग बोला और मम्मी ने भी एक स्माइल के मुझे गुड मॉर्निंग बोला।

मम्मी के चेहरे का इंप्रेशन देख मेरे चेहरे पर भी हल्की मुस्कान आ गई।

और मै नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया।

जब मै नहाने के बाद बाहर आता हूँ तो मम्मी और सानवी की बात कर रही थी।


मम्मी ने सानवी को कह रही थी


मम्मी : आज रितेश का मुड काफी ठीक है

उसके साथ झगड़ा मत करना… .

उसको सताना मत… . .

सानवी : ठीक है मम्मी मै उसका ख्याल रखूँगी …. वैसे मै नही… . वही हमें सतायेगा… .

वह कुछ करें तुमने उसको कुछ नही कहना...और यह कहकर मम्मी दुकान पर चली जाती है ।

मैं भी थोड़ी देर बाद रसोई में चाय के लिये जाता हूँ।
परंतु वहाँ पर अपनी बहन को काम करते देख।
मेरे अंदर मस्ती छा जाती है

और मै सानवी को देखने लगता हूं। मेरी बहन बहुत ही कामुक लग रही थी।

मैं उसे देख कर वासना से भर गया और चुपके से पीछे से उसको अपनी बाहों में भर कर उसकी गर्दन पर किस करने लगा

सानवी : यार तुम पागल हो….
मरवा ..वोगे क्या… .. . ?
छोड़ मुझे मम्मी आ जायेगी ?

रितेश : अब तो मम्मी ने भी परमिशन दे दी है ।

सानवी: कैसी परमिशन …..?

रितेश :यार मम्मी ने कहा नहीं कि मुझे परेशान मत करना …..और मेरा मूड ऑफ मत कर देना …..

फिर मैं सानवी के नितंबों पर अपने लंड का दावा बनाता हुआ । उसकी गर्दन को किस करने लगता हूं ।

और अपने हाथों को आगे ले जाकर उसके बूब्स को दबाने लगता हूँ।


मैं उससे अधिक चिपक कर अपना एक हाथ उसकी चूत पर ले जाता हूं ।और उसे सहलाने लगता हूँ।

सानवी का विरोध भी बिल्कुल कम हो जाता है।
और फिर मैं उसे अपनी घुमाकर एक नजर उसकी आँखों मे देख कर उसके होंठों को अपने होंठों मे भर लेता हूँ।

और अपने हाथो से उसके नितम्बो को सहलाने और दबाने लगता हूँ।

और थोड़ी देर बाद अपना एक हाथ आगे लाकर उसकी चूत पर रख उसे सहलाने लगता हूं ।

सानवी भी बेचैन होकर मुझसे चमकने लगती है।

और किसिंग में मेरा पूरा साथ देने लगी ।

अब मैं भी जोश में भर चुका था ।
और मै उसी जोश के साथ उसको बाहों में उठा कर बेडरूम मे ले आता हूँ।

सानवी ने अपनी शॉर्ट और पॅंटी अपने पैरों से अलग कर निकाल दी.


रितेश अब उसकी गांद को अपने हाथों मे भर मसल रहा था फिर वह अपनी

हथेली को उसकी चूत पर रख दबाने लगा.

"ओह रिशु…….ओह आआआः." सानवी सिसकते हुए उसके लंड

को और जोरों से भींचने लगी… .

रितेश...ने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को सहलाने लगा..


"ओह रिशु…..भाई…ई..ई...अब नही राआहा जाता.......प्लीज़

भींचते हुए बोला. उसे विश्वास नही हो रहा था कि आज एक साथ

उसके सारे सपने पूरे हो रहे थे.

फिर उसके होंठों को चूम कर उसके बनियान को निकाल देता हूँ ।

और फिर उसके गालों और गर्दन पर किश करते हुए ….अपने होंठों को नीचे सरकाता हुआ …...उसके बूब्स पर किश करते हुए…..उसकी ब्रा को निकाल कर …..उसके बूब्स अपने मुँह मे भर लेता हूँ ।

और उन्हें दोनों हाथों से भींच - भींच कर चूसने लगता हूँ।

उसके बूब्स चूसने के बाद मैं एक बार फिर उसके होठों पर किस करता हूं ।

फिर उसके पेट को चूमने लगता हूँ और उसके पेट को चूमते हुए मेरे दोनों हाथ उसके पजामे के दोनों ओर… .

और उसके पेट को चूमता हुआ नीचे की ओर…

और साथ ही साथ अपने हाथों से उसका पजामा उतारने लगा ।

अब मैंने सानवी को बिल्कुल नंगा कर दिया था ।

और फिर मैंने उसकी चूत पर एक किस किया ।

और दोबारा उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया ।

और अपना एक हाथ ले जाकर उसकी चूत को सलाम सर आने लगा ।

और धीरे-धीरे अपनी एक उंगली से उसकी चूत को उतरने लगा उतरने लगा।

उसकी चूत मे घुसा दी. चूत गीली होने से उसकी उंगलियाँ आसानी से

अंदर चली गयी. सानवी का शरीर कांप उठा. जैसे ही रितेश की उंगलियों

ने उसकी चूत के अन्दुर्नि हिस्सों को सहलाया वो सिहर उठी.

और फिर मैंने हल्की-हल्की उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा।

सानवी भी की चूत गीली हो चुकी थी

और मेरी उंगली आराम से अंदर बाहर होने लगी ।

तब शांति बस्ती का मौसम आज में कहती है

सानवी : भाई अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था …..
जल्दी कुछ करो … .... प्लीज...प्लीज

किसी के आने से पहले…..



रितेश ने अपने लंड को पकड़ा और अपनी बेहन की मुलायम और गीली चूत

पर रगड़ने लगा.


फिर मैं सानवी के ऊपर से उठा हूं और उसके उसके पैरों को थोड़ा - सा उठाकर….और उन्हें थोड़ा मोड कर …….मैंने अपना लंड उसकी चूत पर टीका कर ….थोड़ा दबाव देने लगा …


सानवी भी अपनी आंखें भींच कर एक सिं…सी..आ...ह……..की आवाज निकाल

वह अपने पैर खुद थोड़ा ऊपर उठा और उन्हें फेला कर अपनी चूत मे मेरे लंड का स्वागत करने लगी।


अब मेरा लंड थोड़ा उसकी चूत में चला गया था और मै उसके होंठों को अपने होंठों में भर कर अपना लंड हल्का हल्का अंदर बाहर करने लगा ।

सानवी : आ… ह…..उ..ऊ…

अब मै हर धक्के के साथ अपना लंड उसकी चूत मै थोड़ा ओर अंदर करने लगा था।
अब सानवी ने मेरे होठों को छोड़ कर अपना मुँह मेरी गर्दन और कंधे पर रगड़ने लगी

और मै धीरे धीरे अपना लंड पूरा अंदर कर रहा था ।

सानवी अब इस मीठे दर्द से अपने मुँह में मेरी गर्दन को भरने लगी।

जहाँ मै उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत मै अपना पूरा लंड उतार रहा था

दूसरी और सानवी दर्द से मेरी गर्दन को अपने दांतों से काट रही थी।

सानवी का दर्द कम होते ही वह मेरा साथ देने लगी

और मै जोश मै आ कर उसकी चुदाई करने लगा …

सानवी की सिस्कारी गूंजने लगी

और मै उसके ऊपर काफी देर से धक्के लगाने से थकावट महसूस करने लगा।

मै सानवी के ऊपर से उठ कर उस पेट के बल लेटने के लिये बोला

वह एक दम पेट के बल लेट गई

और अपनी गांड को थोड़ा ऊपर उठा लेती है।


फिर मै उसके ऊपर लेट उसके बालों को उसकी गर्दन से साइड में कर …...उसकी गर्दन को किश करने लगा …. . .



फिर उसके कान को अपने दांत से कांट कर……..उसको चूसने लगा ।

फिर उसकी गर्दन को किश करता हुआ …….उसकी कमर पर से अपनी जीभ फिराता हुआ ……...उसके नितम्बो पर किश करता हूँ।

फिर उसकी कमर पर जीभ फिराता
हुआ उसको डॉग्गी स्टाइल में ले आता हूँ

और दुबारा उसकी गांड को चूम अपना लंड उसकी चूत पर रख कर दबाव बनाता हूँ

मेरा लंड आराम से उसकी चूत में चला जाता है

और फिर मै अपने दोनों हाथों से उसके नितम्बो को पकड़ कर धक्के देने लगता हूँ।

सानवी : आ ...उ...आ ...उ...सी…

और मै जोश में आ कर उसकी गांड पर हल्के थपड मार कर जोर - जोर से धक्के देने लगता हूँ

और कुछ ही देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा ।
और मै जोर जोर से आ….आ..के साथ अपनी बहन के ऊपर निडाल हो जाता हूँ

मेरी बहन की साँसे भी तेज चल रही थी

मै उसके ऊपर से उठा
और

वह अपनी चूत देख कहती है बाहर क्यों नहीं निकाला।

सानवी : क्या होगा ……? कुछ गड़बड़ हो गई तो ।

रितेश : तुम चिंता मत करो…..

सानवी : मुझे मेंसेज एक-दो दिन में कभी भी आ सकती है

रितेश : मैं तुम्हारे लिए गर्भनिरोधक गोली
लेकर आ जाऊंगा

सानवी : फिर जल्दी से ले आओ।

रितेश बाहर गोली लेने चला जाता है और जब गोली लेकर आता है।


सानवी तैयार हो चुकी थी और कामुक और खूबसूरत लग रही थी ।

रितेश घर पर आकर अपनी बहन को बाहों में भर कर रोमांटिक बातें करने लगता है।


सानवी मैं तुम से बचपन से प्यार करता हूं

और तुम्हारे बिना मेरा एक पल भी बहुत भारी हो जाता है।

तुम कहती थी ना कि मेरा भाई बहुत चिपकू हो गया है।

सच कहूं तो मैं तुमसे जीवन भर चिपक कर रहना चाहता हूं।

मुझसे वादा करो कि तुम मुझसे कभी अलग नहीं होगी।

जीवन मेरा साथ दोगी।

सानवी भी बहुत रोमांटिक थी और वह भी अपने भाई से उतना ही प्यार करती थी।

जितना कि उसका भाई उससे करता है।

सानवी: मैं भी तुम्हारे बिना अधूरी हूं। तुम नहीं जानते मे मै तुम्हें कितना प्यार करती हूँ।

मुझे तो खुद डर लगा रहता है कि कहीं तुम मुझसे ना ना छोड़।

दोनों की रोमांटिक बातों के साथ पूरा दिन गुजर जाता है ।

फिर शाम को उसकी मम्मी दुकान से घर आ जाती है वह रितेश में आए बदलाव से खुश हो जाती है ।

रितेश अपनी मम्मी से बहुत प्यार से बातें करता हैं। और साथ खाना खाने के बाद रितेश नीचे ही सो जाता है।

रितेश की मम्मी अपने कमरे में जाकर सो सकती है ।

दोनों भाई बहन ड्राइंग रूम में सोते हुए बातें करने लगते है

एक घंटे बाद बातों के साथ साथ रितेश छेड़छाड़ करने लगता है

सानवी मम्मी के कमरे की और इशारा करती है

उठ गई तो

रितेश सवेरे से पहले नही उठेगी

अच्छा क्यों

रितेश मैं गर्भनिरोधक गोली के साथ नींद की गोली भी ले आया था

और मैंने एक गोली मम्मी को दे दी है

सानवी उन्हीं का दाव उन्हीं पर

कहीं दांव भारी न पड़ जाये

फिर सानवी उठती है और अपनी मम्मी के कमरे के दरवाजे पर लगी कुंडी हल्की सी लगा देती है

और रितेश को आँखो से इशारा करती है अब ठीक है

रितेश के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है

और सानवी के पास आते ही उसको बाहों मे भर कहता है मम्मी तो मम्मी बेटी उस से भी आगे….

और दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है

और फिर दोनों अंदर कमरे मे जाकर शुरू हो जाते है

दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते हुवे दोनों एक दूसरे की जीभ भी चूसने लगे।

रितेश धीरे धीरे सानवी को नंगा कर देता है और खुद भी अपने कपड़े निकाल देता है।


सानवी को इस बात का पहले से ही अहसास था की रितेश आज रात ….❤

इसलिए सानवी ने वेक्सिंग की हुई थी और हल्के मेकअप के साथ उसने बॉडी लॉसन भी लगाया हुआ था

सानवी का पूरा शरीर हल्की रोशनी मे चमक रहा था ।
रितेश उसकी खुबसुरती को देख पागल हो जाता है।
और वह उसको बिल्कुल निचोड़ देनें के मुड़ मे आ गया।


मै उसकी खूबसूरती की तारीफ करता हुआ उसके कामुक शरीर से अपने हाथों और होंठों से खेलने लगा।

सानवी मे मस्ती भरती जा रही और उसका चेहरा खुशी से. ..हल्की मुस्कान के साथ ...आ….ह हैं…..भर रहा था।

रितेश सानवी के ऊपर आ कर उसके कामुक शरीर से लिपटा - लिपटी करने लगा ।

और फिर उसके शरीर को पूरा चूम कर दोनों के शरीर भी एक दूसरे के साथ गुथम - गुथा होने लगे


सानवी भी अपने रंग बिखेरने लगी थी।



सानवी ने रितेश को धक्का दिया और उसे अपने से अलग कर दिया.

रितेश पीठ के बल बिस्तर पर था, और इसके पहले कि वो कई और शैतानी करता

सानवी उसके उपर चढ़ गयी और अपनी टाँगों को उसके अगल बगल मे

ढंग से रख उसके लंड को अपनी चूत से लगाया और उस पर बैठती

चली गयी.

थोड़ी देर उसके लंड पर बैठ वो उसके लंड को अपनी चूत मे अड्जस्ट

करती रही फिर थोडा सा उपर उठ ज़ोर से नीचे बैठ गयी और उसके

लंड को पूरा अपनी चूत मे ले लिया.

"ओह रितेश तुम्हारा गरम लंड मेरी चूत मे कितना अछा लग रहा

है....."

सानवी अब उछल उछल कर उसके लंड को अपनी चूत मे ले रही थी. …आ..आ..आह.आ ओ.. रिशु…

जब ठप की आवाज़ से उसके लंड पर बैठती तो रितेश भी अब अपनी कमर

उपर कर अपने लंड को और अंदर तक घुसा देता.

रितेश अब उसके कुल्हों को पकड़ नीचे से धकके मार रहा था. …

कि वो और उछल उछल कर उसे चोद रही थी. उसने झुकते हुए अपनी

चुचि रितेश के मुँह मे दे दी. ...सानवी जब उपर उठती तो रितेश अपनी कमर

उपर उठा अपने लंड को अंदर घुसा देता और जब उसकी कमर नीचे को होती तो सानवी ज़ोर से उसकी कमर पर बैठ जाती. दोनो ताल से ताल मिला चुदाई कर रहे थे.

"हां रितेश ऐसे ही अंदर तक घुसा कर चोदो मुझे ओह रिशु….आअज

भर दो मेरी चूत को अपने लंड से ओह. हाां और ज़ोर से धकक्के

मारो... और ज़ोर से... हाआँ "

रितेश ने सानवी को कमर से पकड़ा और करवट बदल ली. उसका लंड अभी

भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था. करवट बदाल्ते ही सानवी ने अपनी

टाँगे उसकी कमर से लपेट ली और उसे बेतहाशा चूमने लगी.

रितेश ने उसकी दोनो चुचियों को मसल्ते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने

लगा. हर धक्के पर वो अपने लंड को उसकी चूत की जड़ तक पेल देता.

"ऑश रिशु….हाआँ और ज़ोर से ऑश हाआँ फाड़ दो मेरी चूऊत को ऑश

मेरा छूटने वाला है ओह हाआअँ में गयी.." सिसकते हुए सानवी

की चूत ने पानी छोड़ दिया… . . .

रितेश भी झड़ने की कगार पर था. पर उसने अपना लंड को सानवी की चूत. … .



और वह रितेश को जोर जोर से भींच कर उसको काटने लगी थी

सानवी की मस्ती देख रितेश भी अब अपना लंड उसकी चूत मे पेलने लगा।

रितेश के धक्को के साथ सानवी आहें…. भरती गई।


और अपनी गाँड़ ऊपर उठा - उठा कर चुदाई का आनंद लेने लगी।

हर धक्के पर लग रहा था मानो वो लंड के साथ खुद अंदर घुसना चाह रहा था ।

तभी उसके मुंह से भी आह निकलने लगी और उसने लंड को पूरा बाहर निकाला

और एक तेज धक्का लगाया तो लंड घप की आवाज करता हुआ जड़ तक उतर गया

तो मुझे अपनी बच्चेदानी हिलती हुई महसूस हुई और मै उससे कसकर लिपट गई

और उसके लंड ने मेरी चूत को भरना शुरू कर दिया।

वो मेरी चूचियों पर ही ढेर हो गया। मैं उसकी कमर सहलाने लगी।


और ऐसे लेटे हुवे ही अपनी बहन को चूमने लगा।

थोड़ी देर बाद ही रितेश पूरे जोश से दुबारा भर गया।

अबकी बार सानवी उसकी चुदाई का सामना नही कर पाई।
 

Lucky-the-racer

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Bhai behan ka milan
 
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Bhai bahut badhiyaaa kya likhte ho

Bas thoda seduction aur hota to maza jyada aata

Mama ko lai wapas aur slow seduction karwao

Aap bahut gajab likhte ho
 
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Bhai bahut badhiyaaa kya likhte ho

Bas thoda seduction aur hota to maza jyada aata

Mama ko lai wapas aur slow seduction karwao

Aap bahut gajab likhte ho

भाई मामा के साथ है....



और अब मामा की इंट्री होने वाली है.

....... ❤❤❤❤
 

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भाई रिप्ले भी किया करो
 
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