हर बार डेड-एंड पर पहुंचने पर डर लगने लगा था अपनी नाकाफी काबिलियत से और सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात ये थी उसे चाहिये क्या था मुझसे? हारकर मैंने अपनी यह वेदना सोशलमीडिया पर लोगों के सामने रख दी. क्यूंकि अब अकेला नहीं रहा था मैं, और आम जनता की तरह मेरे परिवार को भी सुरक्षा के साथ-साथ निजता (प्रिवसी) की जरूरत थी. और लास्टली, गोपनीय सूचना का जखीरा होने के बावजूद मेरा रिकार्ड था बिलो द बेल्ट अटैक न करने का, इसलिए ठीक यही उम्मीद मुझे अपने दुश्मनों से थी.
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इसके बाद हमें कोई संदेहास्पद मैसेज तो नहीं मिला पर सरकार से मेरी बुरी तरह खटक चुकी थी. इंक्वारी रिपोर्ट दबा कर बैठे थे उनके लोग और झख मारने के साथ मेरा फेवरेट टाइम-पास हो गया था अकादमी के कुछ लड़कों के कांम्पिटीटिव एक्जा़म की तैयारी कराना. उनकी हैल्प हो जाती और मुझे मौका मिल जाता ज्ञान बांटकर अपने आपको टटोलने का, वैसे भी परिवार और दोस्तों के बाद मुझे पढा़ई में इंवेस्ट करना ज्यादा तर्कसंगत लगता, और उसके लिए किताबों या केस-फाइलों का अध्यन करने से कुछ नयी सीख ही मिलती.
फिर एक दिन अपनी खुशहाल जिंदगी को किसी की बुरी नज़र लग गई. अर्ली मिस-कैरेज हुआ था रोज़ेन का और इस झटके से वो खुद को निकाल नहीं पा रही थी. असल दर्द यह नहीं था कि हमने बच्चा खोया था, दुःख इस बात का था कि वो कमजोर होने के साथ साथ पहले की तरह हकलाने लगी थी. फितूर हावी होने लगा था उसके ज़ेहन में और 10-12 सिटिंग्स(काउंसिलिंग) के बाद भी वो बस अपने वहम के साथ गुम रहती.
" ब्रेकफास्ट तैयार है रोज़ेन " लेकिन कमरे में आकर मैंने मैड़म को पुकारा तो अभी वो शाॅवर लेकर बाहर निकली ही नहीं थी.
हालांकि उसे तैयार होने में उतना वक्त नहीं लगता था पर आज अपने को काम कुछ था नहीं इसलिए मैं वापस डैड और अंकल के साथ बातों में मशगूल हो गया. नाश्ता रेडी होने पर मैं मैड़म और अपना खाना लेकर दुबारा कमरे में गया तो रोज़दा को कमरे में न देख कर मेरी सासें उखड़ने लगी, तेज कदमों से मैंने वाशरुम का डोर पुश किया और रोज़दा को सही सलामत फ्लोर पर बैठे देखा, तब जाकर मेरी धड़कनें शांत हुई.
पानी बंद कर टाॅवल देने के लिए जब मैं रोज़दा की तरफ मुडा़ तो मैड़म के तेज थप्पड़ ने कुछ देर के लिए मुझे सुन्न कर दिया, लेकिन यह पहली बार नहीं हुआ था. मेरे बदले हुए कपडे़ और गाल पर उंगलियों के निशां देखकर आंटी और माॅम को सब माजरा समझ आ गया मगर सब बेबस थे रोजदा के दर्द के सामने. खैर, सबके बोलने पर उसका ध्यान बंटाने के लिए उसे लेकर मैं उदयपुर आ गया. यहां थोडा बदलाव तो उसके स्वभाव में दिखा. मसलन, खाना खिलाने के लिए अब उसे मेरी जरूरत नहीं पड़ती लेकिन उसके खतरनाक मूड-स्विंग्स और गुस्से में उतनी ज्यादा तब्दीली नहीं थी.
रात को मैड़म के सोने के बाद मिस्टर ॵज़ चहल-कदमी के बहाने दिल हल्का करने के लिए मुझे पास के गार्डन में ले जाते. परेशान वो भी थे क्यूंकि मुझपर दवाब बनाने के लिए सरकारी तंत्र डेनिज भाईजान को झूठे नारकोटिक्स या ड्रग्स स्मगलिंग जैसे गंदे केस में फंसाना चाहता था तो दूसरी तरफ इरीन और भाईजान ये जानते हुए भी अपनी शादी सिर्फ उदयपुर या श्रीनगर से ही कराने के लिए अड़े हुए थे.
" फट्टू हैं आपके प्रशांत सर... मैंने बोला है भाईजान को और आप इतना डरते क्यूं हैं? मंत्री बिगडा़ हुआ है क्यूंकि मेरे पास उसकी टक्कर के ताकतवर लोगों को मैनिपुलेट करने जितना खजाना खामखां पडा़ है. और राजनीति में उसका कद बढ़ाने के लिए मैं उसकी मुश्किलें खत्म करने के बजाय और बढ़ा रह..... "
मिस्टर ॴज़ के अचानक से खामोश होकर थरथराने पर मेरी नजर उनके बगल में रेंग रही किसी चीज़ पर गई जो मोबाइल की रोशनी में सांप निकला. उठने जितना मौका नहीं दिया उसने और अगले ही पल मोबाइल जमीं पर और हाथ सुन्न और उसके जहर से कलाई काली पड़ने लगी. तबियत से दो बार डसा था उसने, पहली बार उसकी शान में गुस्ताखी करने पर और दूसरी बार कलाई से उसे छुडाने की कोशिश में, लेकिन वाबजूद इसके मेरी हिम्मत अपने शवाब पर थी.
फाॅरेस्ट अफसर जानकर थे, सांप देखकर उन्होंने कंफर्म किया वो धारीदार करैत था मगर अपनी अगली परेशानी यह थी कि अलग-अलग सर्पदंश का इंडिया में सिर्फ एक ही एंटी-वेनम-सीरम मिलता, जिससे तुरंत राहत मिलने की उम्म्मीद अमूमन बहुत कम होती. भाई (मिलिंद) और करण की सख्त हिदायत मिली आज की रात बिना सोए गुजारनी होगी क्यूंकि खून को सड़ाने के साथ साथ इस जहर से दिमाग पंगु और किडनियां तबाह हो जाती. हालांकि, मेरी तंदरुस्ती के लिहाज से जोखिम उतना नहीं था पर लगातार काटने की वजह से ज़हर की कितनी मात्रा मेरे अंदर इंजेक्ट हुई वो सबसे इंपार्टेंट और निर्णायक थी.
45 मिनिट्स में कोई 21 सीरम डोज दी गई थी मुझे और अब पेट दर्द, सांस लेने में दिक्कत होने के साथ घबराहट बहुत होने लगी थी. फिर धुंधले अक्श के साथ रोजे़न का चेहरा दिखा, जो नजदीक आने के साथ-साथ साफ होता चला गया. रिमोट से बिस्तर का सिरहाना उठा कर उसने बेडटेबल को मेरी छाती तक सरकाया और क्रासवर्ड बोर्ड बिछा कर बाॅटल से दो मग्स में काॅफी डालने लगी. अपने बीच बात-चीत अब ना के बराबर होती थी तो मेरा पहला वर्ड था CONVERSATION और रिएक्शन में मैड़म की खूबसूरत आंखें आंसुओं से लबालब हो गई.
इसी बीच बोर्ड पर काॅइंस को अरेंज कर मैंने उसे बताया कल मैं उसे वैसे ही देखना चाहता हूं जैसे पहली बार मैंने उसे देखा था, " i want to c u in tht red checkrd open shirt over white spaghetti-top n black denim "
" Done " बनाकर उसने थोडी देर इंतजार करने के लिए बोला और किसी से फोन पर बात करने लगी.
सूजन और सुन्न पड़ने से मेरे बांएं हाथ की उंगलियां काम नहीं कर रहीं थी इसलिए पैन और नोटपैड मंगाकर उसने यह खेल मेरे लिए आसान बना दिया.
" तुम्हें अभी भी याद है? फाइन, बदले में तुम सूट पहनने की आदत डालोगे " नोटपैड पर टैप कर रोज़दा ने काॅफी मग दुबारा रिफिल करते हुए बोला.
" कोशिश... मंजूर है " लिखने के बाद मैंने करैक्ट किया.
" गुड... उबेश्वर चलोगे कल? "
" सब सही रहा तो पक्का "
" कुछ नहीं होगा तुम्हें "
" हां... पर कुछ होता है तो प्लीज हारना मत. लड़ाका हो तुम रोजे़न, इसलिए यह स्यूट नहीं करता तुम्हें "
यह पढ़कर काफी देर के लिए रोजे़न की सांसें बहुत तेज हो गई और जब काबू में हुई तो हाथ से नोट-पैड छीनकर कुछ लिखने लगी.
" उस बेबी में कुछ अंश तो तुम्हारा भी था समर, पर तुम्हें तनिक भी दुख ही नहीं है उसका. नाराज हूं क्यूंकि तुमने सिर्फ मेरी फिटनेस को ज्यादा तरजीह दी, गर थोडा़ उस बच्चे के लिए सोचा होता तो सिक्स मंथ्स बाद आंटी की गोद में हमारा बेबी खेल रहा होता, बाबा (मिस्टर ॵज) को एक और जिंदगी मिल जाती और ट्वेंटी एट इयर्स के बाद माॅम-डैड को एक नंवासा. एंड अगर आज तुम्हें कुछ होता है समर तो शायद वही बच्चा मेरी हिम्मत या सहारा बनता. पर अब कुछ नहीं है मेरे पास इसलिए सारा गुस्सा छोड़कर आई हूं तुम्हारे लिए. आई लव यू समर बट इट्स ट्रू कि मुझे तुमसे भी ज्यादा प्यार उस बच्चे से प्यार था "
" ठीक है तो जा रहा हूं मैं हमारे बेबी के पास फिर शायद तुम उससे ज्यादा मुझे याद करो, क्यूंकि इस तरह तुम्हारा बुझा हुआ चेहरा देखने से बेहतर तो यही होगा "
इमोशनल होने से घबराहट के साथ धड़कनें बढने से icu monitor ने कोई अलार्मिंग सिग्नल दिया तो इंटेसिविस्ट एक्सपर्ट एतिहातन रोज़दा को बाहर भेजने लगा. बोल न पाने की वजह से उसका हाथ दबा कर मैंने अपनी पकड़ का दम दिखाया तब जाकर वो रिलैक्स्ड हुए. मरने वाला तो मैं था नहीं, बस कोशिश थी रोजे़न के साथ थोडा़ वक्त और बिताने की.
" टिक-टैक-टो खेलोगे?? " नर्सिंग स्टाफ के जाने के बाद रोज़दा ने लिखा.
" नहीं.... जयपुर बात हुई? " मैंने लिखकर पूछा.
" मेरी सिर्फ मॉम से हुई थी, बाकी डैड, मिलिंद भाई और करण के साथ बाबा टच में हैं "
" फोनस्क्रीन टूट गई है मेरी, तेजा भाऊ को बोलना ठीक करा देंगे उसे "
" नंबर तो मेरे फोन में है, स्क्रीन का खुद देख लेना. बाबा से मिलकर आऊ? और काॅफी भी खत्म हो गई है मेरी "
" प्लीज कुछ देर और, फिर बेशक घर चले जाना "
" टैक्स्ट आया है बाबा का. अभी तक के सारे रिपोर्ट सही हैं, तीन घंटे बाद MRI के साथ कुछ टेस्ट्स और करेंगे "
" माॅर्निंग तक रुकोगी?? क्यूंकि उसके बाद शायद मुझसे यह नींद कंट्रौल न हो "
" मैं कहीं नहीं जा रही समर "
" बेबी का इतना जल्दी आने की मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी मगर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि मुझे दुख नहीं है उसका "
" फिलहाल कुछ और बात करें? मेरा मतलब मुझे ऑफर मिला है ß¡₹£@ इंस्टीट्यूट से एक रिसर्च में शामिल होने के लिए. जयपुर में ही है, सब्जैक्ट से रिलेटिड भी है और मुझे ऑक्यूपाइड रहना अब "
" अगर यह अभी डिसाइड किया है तो मेरी तरफ से बडा़ वाला 'ना' है, बाकी मुझे कोई एतराज नहीं. एंड एक बात और, यह नौकरी छोड़ना चाहता हूं मैं, विरमानी ने ऑफर भी की है डिग्री मिलने तक उनकी फर्म में एसोसिएट लॉयर की पोस्ट एंड खर्च चलाने जितनी सैलरी "
" नौकरी बेशक छोड़ दो मगर पडौसियों के साथ काम तो मैं बिल्कुल भी नहीं करने दूंगी. मनी-माइंडिड हैं समर वो एंड तुम्हारी पाॅपूलरिटी और कांटैक्ट कैश करने के बाद एक दिन डंप कर देंगे तुम्हें "
" ठीक है, पर नौकरी तो छोड़ रहा हूं मैं. ह्यूमिलेटिंग बना दिया है यार और मैं किसी का पालतू नहीं "
" सही. विश, हमारे मिलने से पहले इस सांप ने तुम्हें डसा होता " रोज़ेन ने तंज कसा.
" डिपार्टमेंट बुरा नहीं है मैम. खैर, छोडो. व्हाट इफ आई ट्राई हैल्प यूअर डैड इन देयर बिजनिस? कुज़, दे वांट इट टू वाइंड-अप एंड यहां अकेले भी तो रहते हैं वो "
" साॅरी, मगर इसपर मैं कुछ नहीं बोलूंगी "
" आई लव यू "
" आई लव यू टू समर "
" टैंपरेचर बढा़ओगी, ठंढ लगने लगी है मुझे "
" ओके… एक और चादर का बोलती हूं "
कंबल मंगाकर रोज़दा बांया हाथ सहलाने लगी. ठंडा पड़ चुका था वो एंड मैडम की गरम उंगलियां उसपर सरगोशी करती(अनइंटेंश्नली बहुत साॅफ्टली) तो दिमाग में सिरहन सी दौड़ जाती, और जब नींद के झोंके ज्यादा हावी होने लगते तो उसकी उंगलियां थाम कर रुकने का इशारा कर देता उसे. मिड-नाइट के बाद तबियत ज्यादा खराब होने पर उन्होनें कुछ स्कैन और टैस्ट्स और किए. खुजली सी होने लगी थी चेस्ट में और सर भारी होने के साथ धुंधले पन की स्याही मेरी पुतलियों पर बढ़ने लगी.
कुछ ना दिखने से दिमाग बागी हो गया और जब आसान नहीं रहा मेरे लिए फैसले कर पाना तो मैंने भी हालात के आगे सरेंडर कर दिया. अब ना तो मुझे कुछ सुनाई दे रहा था और ना ही मैं लायक था कुछ रिएक्ट करने के, बस ये महसूस कर सकता था कि मैं अपने दिमागी बबल में कैद सिर्फ सांसे ले रहा हूं और फिर थोडी दर बाद मुझे उतनी भी चेतना नहीं रही.
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आंखे खुलने पर मेरा धुंधलापन, चेस्ट-कंजेशन और पेटदर्द गायब था. पेशेंट मोनीटर में टाइम 01:12, पल्स रेट 88, बीपी 111/78, RESP 14, SpO2 98, Co2 38 और टेंपरेचर में बस T1,T2,T3 नजर आ रहा था. अब बेसब्री से मुझे इंतजार था रोजेन या मिस्टर ॵज का क्यूंकि गले में डली यह पाइप अब फांस की तरह महसूस होने लगी थी, और सुबह तक इसे झेलने की हिम्मत नहीं थी मेरे अंदर. काॅलिंग अलार्म बजा कर मैंने नर्सिंग स्टाफ को बुलाया, मगर उन्होंने मेरी दूसरी डिमांड नजर-अंदाज कर, मैडम की जगह माॅम और आंटी से मिला कर पहली चाहत पूरी कर दी.
हलक बंद था तो इशारों में ही रिप्लाइ कर पाया, पर मुझे इतना अंदाजा तो हो गया था कि 24 प्लस घंटों बाद मेरी नींद खुली हैं, क्यूंकि चार-साढे़ चार घंटों में तो वो जयपुर से यहां आ नहीं सकते. खैर शाम तक मैं तकरीबन हमारे हर परिचित से मिल या वीडियो-काॅल पर बात कर चुका था सिवाय रोज़दा के डैड के. पूछने पर रटा-रटाया एक ही जवाब मिलता कि थका होने पर वो घर पर रेस्ट कर रहे हैं और पाॅसिबली सुबह ही उनसे मुलाकात हो पाएगी.
मगर असलियत इससे बहुत उलट थी, जो मुझे CCU से शिफ्ट होने से पहले पता लगी क्यूंकि वो पहले ही दिन से मेरे बराबर वाले बेड पर मौत से जूझ रहे थे और पर्दे भर फासला था हमारे बीच. अब मुझे रोज़दा की काॅफी ट्रिक पर गुस्सा आ रहा था, मगर मेरी नजर जब मिस्टर ॴज़ पर ठहरती तब दिल और दिमाग दोनों साथ छोड़ देते. खैर, करण और मिलिंद भाई लगातार मैडम के साथ टच में थे इसलिए घर आने के बाद मैं मिस्टर ॵज़ को देखने नहीं गया. हालांकि एक दिन बाद उनके वाइटल साइन सुधरने लगे, लेकिन सब परेशान थे उनके पैर में बढ़ रही गैंगरीन को लेकर जिसमें रोजे़न के साथ हम सभी के एक फैसले की वजह से पैर के साथ-साथ उनकी जान भी जाने का रिश्क था.
24 घंटों में बमुश्किल एक घंटे के लिए रोजे़न घर आती, फिर शाॅवर लेकर नाश्ता करते मेरा हालचाल पूछती और भागते हुए निकल जाती. दोपहर में उसके साथ तीन चार लोगों का खाना लेकर एलिफ आंटी मुझे और राजोरिया अंकल को हाॅस्पिटल छोड़कर फिकरित अंकल और डैड को घर ले जाती, क्यूंकि रोज़दा के बाद ये दोनों ही थे जो रातभर यहां जागते.
" इंक्वारी में आरोपमुक्त कर वापस सेवा बहाल करने का आदेश जारी हो चुका है, एंड माफ करना मैं तुम्हारा फोन ठीक कराना भूल गई " हाॅस्पिटल में लंच करते अचानक से रोज़दा को याद आया.
फिलहाल यह इतना इंपार्टेंट नहीं था तो मैंने रिएक्ट नहीं किया, " अंकल (फिक्रित) और तुम आराम करो. मैं और डैड रुक रहें हैं आज "
यह सुनकर रोज़दा के सीरियस चेहरे पर मुस्कुराहट की लहर दौड़ गई, " देखा नहीं जाएगा तुमसे, बहुत बुरी तरह से होती है बाबा की ड्रैसिंग, अंकल तो पहले दिन ही गश खाकर गिर गये थे "
कुछ बोलना चाहता था मैं लेकिन फिर बोलते बोलते रुक गया. हालांकि ये बहुत बेवकूफाना और वाहियात था, पर धीरे-धीरे ही सही मेरा टोटका (black magic) या छठी इंद्री का असर अब दिखने तो लग गया था, " मन तो मेरा भी करता है रोजे़न, पर ठान लिया है उनके बाहर आने से पहले अपनी शक्ल नहीं दिखाउंगा उन्हें "
दरअसल मिस्टर ॵज़ अपने सुपर केयरिंग व्यवहार और मेरे सुपर-स्मार्ट बनने का खामियाजा उठा रहे थे. एडमिट (मुझे) करने से पहले उन्होंने यह भनक नहीं लगने दी कि मुझसे पहले उस सांप ने उनको भी डसा था. और मुझसे यह गलती हुई, कि सांप को पकड़ने और उसकी पहचान के लिए फारेस्ट अफसर के इंतजार में, उनका इलाज लेट हो गया. उनकी हालत शायद इतनी बुरी नहीं होती, अगर उस दिन मैं वो लापरवाही न करता. साला, मिला भी नहीं कुछ इससे क्यूंकि एंटीवेनम तो सभी स्नेक-बाइट के लिए यहां एक ही था, चाहे वो करैत-कोबरा हो या कोई और.
" खाना खाओ ना, अब क्या सोचने लगे? अच्छा तो बना है खाना?? या टेस्ट अभी भी खराब है?? "
खामोश देख मैडम ने हिला कर मुझे खयालों से निकाला तो मिस्टर ॵज़ के अकेलेपन का सोचकर मैं उसकी राय लेने लगा, " नाऽह..... सोच रहा था ठीक होने पर जयपुर ले चलते हैं बाबा को "
" पहले ही बोल चुकी हूं मैं डिसाइड नहीं करूंगी यह. एंड Öz G&J(जैम्स & जुअ्ल्स) और इंप्लाइज़ का क्या? सी फिलहाल गोल-पोस्ट चेंज मत करो मेरा, एंड यह डैड को डिसाइड करने दो ना? " अपने कंधे उचका कर रोज़दा ने जाहिर कर दिया कि इस पहल में वो मेरा साथ नहीं देगी.
" फाइन, अगर मैं उन्हें मना लूं तब तुम्हें तो कोई परेशानी नहीं होगी? "
" पागल हो क्या! ऑफकार्स नाॅट. दुनिया के सारे संस्कार और जिम्मेदारियों पर एकमात्र काॅपीराइट सिर्फ तुम्हारा है क्या?? " लंच-बाॅक्स समेटते हुए मैडम ने जवाब दिया और बाॅटल से पानी पीने लगी.
CCU के ज्यादातर वेटिंग एरिया लाॅबी में अपना कब्जा था. यह वही जगह थी जहां कुछ महीने पहले रोज़दा का इलाज़ चला, इसलिए पाॅजिटिव महसूस होता था मिस्टर ऑज़ के लिए. अपना लंच खत्म कर मैंने हाथों को साफ किया और एलिफ आंटी के पास बैठ उनको स्केच करते देखने लगा. बहुत अच्छी आर्टिस्ट थीं वो. मैडम ने बताया उसकी अम्मी के विदा होने से पहले पुलिस डिपार्टमेंट के लिए काम करती थीं, फिर जाॅब क्विट कर दी और रोजे़न के इंडिया शिफ्ट होने के बाद फिर जाइन करना चाहा तो उन्हें काम नहीं मिला.
" बचपन से बहुत अलहदा और अव्वल तरबियत मिली है उसे, इसलिए बस नहीं चलता किसी का उस पर. लेकिन इतना तो तय है, अपनी अम्मी के बाद सबसे ज्यादा प्यार तुमसे करती है वो "
मैडीकल इंसिग्निया के Winged Caduceus में मिस्टर ॵज़ से लिपटे दो सांप जैसी ड्राइंग की शेडिंग करते हुए आंटी ने बताया कि पहले यह स्केच वो मेरे लिए बना रही थीं, और जब मैं ठीक हो गया तो मेरी जगह मिस्टर ॵज़ ने ले ली. फिर शाम को साइदा के आने पर मैडम खुद तो घर गई नहीं मगर मुझे जबरन भेज दिया, पर फिर अगले दिन डाॅक्टर्स ने अंकल की पुतलियों में हरकत रिकार्ड की तो रोज़दा और मेरी हठ भी मुझे रात यहां रुक कर उनसे मिलने से नहीं रोक पाई.