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Romance फख्त इक ख्वाहिश

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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लौटते हुए हम टेट्वन(टर्की) गये जहां रोज़ेन की माॅम को दफनाया गया था. जगह-जगह पर चेकिंग और डरे-सहमें चेहरों को देख कर कश्मीर जैसी ही वाइब्स आती थी इस जगह से. 42 दिन हो गये थे हमें इंडिया छोडे और इसका सबसे बेस्ट पार्ट था प्रेगनेंट होने के साथ रोज़दा का पहले की तरह बिना लड़खडाहट के चलना. दसकों बाद इतनी सुकून भरी जिंदगी बिता कर अब मुझे नौकरी या फ्यूचर की बिल्कुल फिक्र नहीं थी.



******************



पालमपुर से वापसी के बाद मेरे तल्ख तेवरों का सामना होम सेक्रेटरी ने किया क्यूंकि ओएसडी सुसाइड मामले में मुझे जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, और इसके‌ तुरंत बाद अगली कील मेसुत भाई ने ठोक दी सचिवालय में अपनी ओबी वैन रिपोर्टर भेजकर. अपना रुख क्लीयर था, कुछ गलत हुआ तो सेवा समाप्तकर मुझे ट्रिब्यूनल में फेस करें क्यूंकी खा-म-खा बदनामी का यह दाग अब मेरा कीमती वक्त, सब्र और सुकून तीनों पर भारी पड़ने लगा था.

" पिछले डेढ़ महीने से मैं बाहर हूॅं, उससे पहले सस्पैंडिड, और उससे भी पहले छुट्टी पर था. सैकिंडली, अभियुक्त‌ की डेथ या जो आप लोग स्पेकुलेट कर रहें हैं वो जेल या पुलिस कस्टडी में नहीं हुई, उनके घर हुई है परिवारिजनों के बीच. अगर उनके परिवार के लोगों को लगता है इसमें मेरा हाथ है तो वो सरकार से आग्रह करें सीबीआई जांच‌ की क्यूंकि पुलिस की जांच पर तो आप लोगों को भरोसा नहीं. एंड फाइनली, मैं अपने रिजाइन, पालिग्राफिक टेस्ट और हर तरह से जांच में सहयोग के लिए तैयार हूं क्यूंकि भाग कर छुपने वालों में से मैं नहीं. एंड लास्टली, अगर ये सुसाइड़ नहीं तो अभियुक्त के परिवार को इंसाफ मिलना चाहिये ", आराम से बाहर निकलते हुए मैंने दूसरे रिपोर्टर्स को उनके सवालों के लिए अलाउ किया.

" सर, ओएसडी #&#* मंत्री के करीबी थे जिन पर अवैध खनन के आरोप फोरेस्ट, माइनिंग और रिवेन्यु डिपार्टमेंट ने हाईकोर्.…"

" वैल इसका जवाब आप संबंधित डिपार्टमेंट्स, मंत्रालय और माननीय अदालत से लें क्यूंकि यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं ", अपना पक्ष रख मैंने इस केस से रिलेटिड कुछ सवाल और लिए और बाकी गैरजरुरी अफसानों के लिए माफी मांगकर घर आ गया.

पाॅलीहाउस से निकला पहला हार्वेस्ट अपने पडौसियों के बीच बांटने के लिए जाने से डैड चिढ़ रहे थे माॅम पर और अंकल ले रहे थे उनसे मजे़, क्यूंकि आंटी भी माॅम के संग थी. दो बेचारे चाय की तड़प के मारे, बहू को परेशान नहीं करना चाहते थे इसलिए मुझे आते देख कर उनके निराश चेहरे ऐसे खिल उठे जैसे कूऐं को देखकर प्यासा. वैसे तो दोनों को बाजार का खाना पसंद था लेकिन बात जब चाय या काॅफी की होती तब उनसे बडा़ और पूर्णत: घरेलू(देशी) दुनिया में दूसरा कोई तलाशने पर भी नहीं दिखता.

सचिवालय की कुढ़न मैड़म को पढ़ते देखकर निकल गई और बाकी की कसर निकाल दी अंकल-डैड की पसंदीदा तुलसी फ्लेवर्ड दूध वाली चाय ने, जिसका जा़यका अब रोजे़न की जुबां पर भी चढ़ने लगा था. खैर, पिछले दो महीनों में डैड की मेहनत ने घर को गुलदस्ता बना डाला था, लगता था जैसे अपन राजस्थान की जगह हिमांचल में हों. टेंपरेचर गिरने से क्रिसेंथमम, ट्यूलिप और लिलियम के फूल अब खिलने लगे थे एंड मोगरा, गुलाब और जरबेरा प्लांट्स से तो अपना बैकयार्ड गार्डन पहले से ही गुलजार था.

पहले फ्लोर पर चार कमरे, ओपन किचिन, डाइनिंग कम लिविंग लाउंज, ड्राइंग-रुम और कवर्ड पाॅच को मिलाकर घर इतना बडा़ नहीं था अपना लेकिन सामने खुली जगह और पिछले आधे एरिया में पेड़ पौधों के साथ फैले गार्डन में इतना स्पेस था कि हम 200 से ज्यादा गैस्ट्स के साथ बहुत आसानी से पार्टी कर सकते. वैसे, सैकिंड फ्लोर पर तीन बैडरूम और थे मगर उनकी जरूरत अपने को सिर्फ एक बार ही हुई.

" परेशान हो?? और सोच क्या रहे हो इतनी देर से?? ", चाय का कप टेबल से हटा कर वहां अपने पैरों को लम्बा करते रोज़ेन ने पूछा और अपनी साॅफ्ट उंगलियों से मेरी गरदन सहलाने लगी.

" ना‌ऽऽह.... बोर हो रहा था तो सोचने लगा हमारा बच्चा आएगा तो कितना खुश होगा वो अपनी माॅं और दादू के तैयार किए इस गार्डन में खेलकर एंड उसकी बर्थडे पार्टी कैसे मनाया करेंगे अपन यहां " रोज़दा के कंधे पर अपना सर रखकर मैंने उसे बताया तो मैडम की धड़कनें जोर से धड़कने लगीं.

" हम्म्म्म.... सिहरन सी दौड़ने लगती है पूरी बाॅडी में जब ये अहसास होता है कि एक नन्हीं सी जान मेरे अंदर पल रही है... फील करो, हमारी छोटी सी सज़दा "

अपने टमी(पेट) पर मेरा हाथ रख कर मैड़म ने‌ थोडी देर के लिए अपनी सांस रोक ली, फिर मैंने उसे याद दिलाया पेट के अंदर हैल्दी रहने के लिए भी बेबी को ऑक्सीजन की जरुरत होती है, " और उसके लिए तुम्हें सबसे पहले खुद का खयाल रखना होगा, बाकी सज़दा नाम रखने से तुम्हारी माॅम वापस नहीं आएंगी रोज़ेन क्यूंकि आंएंगी तो वो तब ना, जब पहले कभी तुमने उन्हें छोडा़ हो. साथ हैं वो तुम्हारे वैसे ही जैसे डैड के साथ दादू.. मगर पता नहीं मेरा नाम लक्ष्मणप्रसाद क्यू़ं नहीं रखा "

हालांकि मजा़क में बोला था यह मैंने मगर उसे समझ आ गया कि गुजरी यादों की भरपाई करना प्रैक्टिकली संभव नहीं, " मैंने देखा आंटी ने बहुत सारे कपडे़ खरीदे हैं हमारे बच्चे के लिए एंड हर रोज़ धुलती हैं उन्हें जिससे कि बेबी आने तक वो साॅफ्ट हो जाएं. डोंट माइंड बट, अपनी माॅम से ज्यादा केयरिंग हैं वो, ठीक मेरी माॅं की तरह "

" शाबाश रोजे़न! आने दो माॅम को, फिर बचकर दिखाना तुम उनके एंटिक्स से "

मैड़म की बात का गलत मतलब निकालकर मैं उसे डराने की कोशिश में था फिर अगले ही पल उसके लड़ाका रुख ने अहसास करा दिया कि वो वही दिमागदार और हिम्मत वाली शख्शियत है जिसकी दिलेरी ने कभी मेरी जिंदगी गोलियों की बौछार के बीच से बचाई.

आर्ग्यूमेंट हारने पर मैड़म ने याद दिलाया बन्नू के गिफ्ट्स देने आज हमें गणेश के घर जाना था, और जब हम वहां पहुंचे तो पता लगा आज शाम महकमे के सुपर सीनियर, जो सिवाच सर के करीबी दोस्त थे, उनकी बेटी की शादी में हमें जरूर शामिल होना चाहिये. हैशियत छोटी होने से बडी़ पार्टियों में जाने की झिझ़क तो पहले से होती लेकिन सस्पैंडिड होने पर वहां नहीं जाने से अब इसका और भी गलत मैसिज जाता. फिर गणेश के बाबूजी ने समझाया विभाग और समाज के नाते कोई मुझे इतनी इज्जत दे रहा है तब थोडी़ देर के लिए ही सही, हमें उनकी खुशियों में शामिल जरूर होना चाहिये.

मैड़म का मन नहीं था क्यूंकि सिर्फ हाजिरी लगाने‌ भर के लिए तैयार होने का जोखिम नहीं लेना था उसे लेकिन डीआईजी प्रशांत सर की बेटी की एक काॅल आने‌ पर मैड़म झट से राजी़ हो गई. थैंकफुली बन्नू‌ के स्कूल ओनर अपने पडौसी भी इनवाइटिड थे तो गणेश और उनके साथ होने से खौफ नहीं था अकेले पड़ने का. बतौर कपल ये पहली बार था, जब मैं और रोजे़न अपने परिवार से बाहर किसी सामाजिक समारोह में शामिल हो रहे थे इसलिए घरवाले बहुत एक्साइटिड़ थे, खासकर मैड़म के खूबसूरत दिखने को लेकर.

मगर अपनी पसंद भी सबसे अलग थी. गाडी़ में बैठने पर रोज़दा ने मंगलसूत्र के अलावा बाकी सारी ज्यूलरी वापस उतार कर अपने हैंडबैग में रख दी. अब उसकी कलाइयों में बस लाख की चूडियां और घडी़, और कानों में मोतियों वाली स्टड इयररिंग्स थी. हल्के फुल्के मेकअप और ढाई हजार की चटख रेड सिल्क साडी़ में मुझे तो वो स्वर्ग की अप्सराओं से भी सुहावनी लग रही थी.

खैर, दिवान सर से मिलकर एक पुरानी गलत-फहमी दूर हुई. दरअसल, वो निचले तबके से आते थे और कम उम्र में ज्वाइनिंग करने पर कभी मैंने अपने बडे़ तबके से होने का प्रमाण दे दिया था जो उस वक्त उन्हें बहुत ऑफेंसिंव और कास्टिस्ट लगा, लेकिन बाद में उनकी ये सोच बदली मेरे एक पुराने डाॅमस्टिक स्टाफ महावीर अंकल ने जो मेरे ट्रांसफर के बाद से आज तक उनके साथ थे.

" पहली पसंद पुलिस सेवा‌ ही थी सर और पर्सनल वजहों से हिम्मत नहीं थी ज्यादा मेहनत करने की इसलिए ईश्वर ने जो दिया खुशी से अपना लिया क्यूंकि ख्वाहिशें पूरी ही हों इतना अच्छा नसीब नहीं है मेरा ", असलियत बयां कर अनजाने में उन्हें हर्ट करने के लिए
मैंने दीवान सर से माफी मांगी.

इसके जवाब में मुस्कुराते‌ पीठ थपथपाते हुए उन्होंने गले से लगाया और व्यस्तता का हवाला देकर बाकी मेहमानों की आवभगत में लग गये. अपनी जानपहचान वाले और भी लोग थे वहां, जो बहुत अनकंफर्टबल फील कर रहे थे मुझे देखकर, लेकिन गैरत/हिम्मत नहीं थी किसी में हाए-हैलो से ज्यादा कुछ बोलने की. खैर रोज़ेन को आता देख कर मैं गणेश और सिवाच सर से इजाजत लेने लगा मगर जब मैड़म ने बताया कि वो निघत से मिली थी और दूल्हा उनका भाई है, तो डाॅक्टर कंग(अपना दोस्त और निघत का हसबैंड)से मिलने की चाहत में मेरे कदम खुद-ब-खुद रुक गये.

बडे़ मेहनती, सरल और परोपकारी शख्शियत के मालिक थे अपने कार्डियक सर्जन लेकिन व्यस्त इतने कि परिवार के साथ रात बिताने जितना वक्त‌ भी मुशकिल से निकाल पाता, " साले की शादी में भी नहीं आया क्या? फोन नहीं उठा रहा है "

मैंने निघत भाभी से बस यूं ही पूछा था मगर उनके तल्ख तेवरों ने मेरे पसीने छुडा़ दिए " जले पर नमक छिड़क रहे हो तो याद रखो, गया वो तुम्हारी शादी भी नहीं था. बताओ, तुम किसकी चाटने आए हो यहां क्यूंकि हमने तो तुम्हें बुलाया नहीं और सुनने में आया है लड़की का बाप‌ बडा़ अफसर है तुम्हारे महकमे का "

मेरे रिएक्शन से बहुत पहले रोजे़न की ठहाकों वाली हंसी ने सबका ध्यान हमारी तरफ खींचकर मुझे और कमजोर बना दिया. हलाल तो अपने को होना ही था, बडी़ बेदर्द भाभी थी वो, और गलती मुझसे यह हुई कि छुरा लेकर खुद ही उनके पास पहुंच गया. यह तो महज शुरुआत थी उनकी, बाद में अपने को गालियां सुनने को मिली खूबसूरत बीवी को पुरानी साडी़ (पहनी हुई) और बिना जेवरों में लाने के लिए. इज्जत बचाने के लिए हम सपरिवार दुबारा बाराती बने और थैंकफुली इस बार निघत मैड़म को मुझसे कोई शिकायत नहीं थी.

अगले दिन पहले की तरह अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप पर कुछ फोटोज़ मिले. रात, दीवान‌ सर के यहां का तो समझ आता था लेकिन अनप्लान्ड खान-मार्केट ( वापस इंडिया लौटने पर सिमी भाभी और मिलिंद भाई खरीदारी कराने ले गये थे) विजिट में भी कोई अपना दीवाना‌ निकलेगा ये गले से नहीं उतर रहा था. मैड़म ने बताया कि फोटोज़ को मोबाइल से नहीं अलग-अलग फुल-फ्रेम कैमरों से कैप्चर किया गया है, जिसकी तस्दीक कुछ देर बाद साइबर सैल वालों ने भी कर दी.

मोबाइल नंबर निकला दीवान सर की पार्टी में हायर किये स्टूडियो के फोटोग्राफर का और पूछताछ करने पर उससे सिर्फ इतना पता लगा कि एक बुजुर्ग ने अपने परिवार से वीडियो काॅल करने के लिए उसका फोन जरूर मांगा था लेकिन उसने कैमरे से हमारी फोटोज कब ट्रांसफर की ये उसे याद नहीं.

हर बार डेड-एंड पर पहुंचने पर डर लगने लगा था अपनी नाकाफी काबिलियत से और सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात ये थी उसे चाहिये क्या था मुझसे? हारकर मैंने अपनी यह वेदना सोशलमीडिया पर लोगों के सामने रख दी. क्यूंकि अब अकेला नहीं रहा था मैं, और आम जनता की तरह मेरे परिवार को भी सुरक्षा के साथ-साथ निजता (प्रिवसी) की जरूरत थी. और लास्टली, गोपनीय सूचना का जखीरा होने के बावजूद मेरा रिकार्ड था बिलो द बेल्ट अटैक न करने का, इसलिए यही उम्मीद मुझे मेरे दुश्मनों से थी.
 
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हर बार डेड-एंड पर पहुंचने पर डर लगने लगा था अपनी नाकाफी काबिलियत से और सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात ये थी उसे चाहिये क्या था मुझसे? हारकर मैंने अपनी यह वेदना सोशलमीडिया पर लोगों के सामने रख दी. क्यूंकि अब अकेला नहीं रहा था मैं, और आम जनता की तरह मेरे परिवार को भी सुरक्षा के साथ-साथ निजता (प्रिवसी) की जरूरत थी. और लास्टली, गोपनीय सूचना का जखीरा होने के बावजूद मेरा रिकार्ड था बिलो द बेल्ट अटैक न करने का, इसलिए ठीक यही उम्मीद मुझे अपने दुश्मनों से थी.


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इसके बाद हमें कोई संदेहास्पद मैसेज तो नहीं मिला पर सरकार से मेरी बुरी तरह खटक चुकी थी. इंक्वारी रिपोर्ट दबा कर बैठे थे उनके लोग और झख मारने के साथ मेरा फेवरेट टाइम-पास हो गया था अकादमी के कुछ लड़कों के कांम्पिटीटिव एक्जा़म की तैयारी कराना. उनकी हैल्प हो जाती और मुझे मौका मिल जाता ज्ञान बांटकर अपने‌ आपको टटोलने का, वैसे भी परिवार और दोस्तों के बाद मुझे पढा़ई में इंवेस्ट करना ज्यादा तर्कसंगत लगता, और उसके लिए किताबों या केस-फाइलों का अध्यन करने से कुछ नयी सीख ही मिलती.

फिर एक दिन अपनी खुशहाल जिंदगी को किसी की बुरी नज़र लग गई. अर्ली मिस-कैरेज हुआ था रोज़ेन का और इस झटके से वो खुद को निकाल नहीं पा रही थी. असल दर्द यह नहीं था कि हमने बच्चा खोया था, दुःख इस बात का था कि वो कमजोर होने के साथ साथ पहले की तरह हकलाने लगी थी. फितूर हावी होने लगा था उसके ज़ेहन में और 10-12 सिटिंग्स(काउंसिलिंग) के बाद भी वो बस अपने वहम के साथ गुम रहती.

" ब्रेकफास्ट तैयार है रोज़ेन " लेकिन कमरे में आकर मैंने मैड़म को पुकारा तो अभी वो शाॅवर लेकर बाहर निकली ही नहीं थी.

हालांकि उसे तैयार होने में उतना वक्त नहीं लगता था पर आज अपने को काम कुछ था नहीं इसलिए मैं वापस डैड और अंकल के साथ बातों में मशगूल हो गया. नाश्ता रेडी होने पर मैं मैड़म और अपना खाना लेकर दुबारा कमरे में गया तो रोज़दा को कमरे में न देख कर मेरी सासें उखड़ने लगी, तेज कदमों से मैंने वाशरुम का डोर पुश किया और रोज़दा को सही सलामत फ्लोर पर बैठे देखा, तब जाकर मेरी धड़कनें शांत हुई.

पानी बंद कर टाॅवल देने के लिए जब मैं रोज़दा की तरफ मुडा़ तो मैड़म के तेज थप्पड़ ने कुछ देर के लिए मुझे सुन्न कर दिया, लेकिन यह पहली बार नहीं हुआ था. मेरे बदले हुए कपडे़ और गाल पर उंगलियों के निशां देखकर आंटी और माॅम को सब माजरा समझ आ गया मगर सब बेबस थे रोजदा के दर्द के सामने. खैर, सबके बोलने पर उसका ध्यान बंटाने के लिए उसे लेकर मैं उदयपुर आ गया. यहां थोडा बदलाव तो उसके स्वभाव में दिखा. मसलन, खाना खिलाने के लिए अब उसे मेरी जरूरत नहीं पड़ती लेकिन उसके खतरनाक मूड-स्विंग्स और गुस्से में उतनी ज्यादा तब्दीली नहीं थी.

रात को मैड़म के सोने के बाद मिस्टर ॵज़ चहल-कदमी के बहाने दिल हल्का करने के लिए मुझे पास के गार्डन में ले जाते. परेशान वो भी थे क्यूंकि मुझपर दवाब बनाने के लिए सरकारी तंत्र डेनिज भाईजान को झूठे नारकोटिक्स या ड्रग्स स्मगलिंग जैसे गंदे केस में फंसाना चाहता था तो दूसरी तरफ इरीन और भाईजान ये जानते हुए भी अपनी शादी सिर्फ उदयपुर या श्रीनगर से ही कराने के लिए अड़े हुए थे.

" फट्टू हैं आपके प्रशांत सर... मैंने बोला है भाईजान को और आप इतना डरते क्यूं हैं? मंत्री बिगडा़ हुआ है क्यूंकि मेरे पास उसकी टक्कर के ताकतवर लोगों को मैनिपुलेट करने जितना खजाना खामखां पडा़ है. और राजनीति में उसका कद बढ़ाने के लिए मैं उसकी मुश्किलें खत्म करने के बजाय और बढ़ा रह..... "

मिस्टर ॴज़ के अचानक से खामोश होकर थरथराने पर मेरी नजर उनके बगल में रेंग रही किसी चीज़ पर गई जो मोबाइल की रोशनी में सांप निकला. उठने जितना मौका नहीं दिया उसने और अगले ही पल मोबाइल जमीं पर और हाथ सुन्न और उसके जहर से कलाई काली पड़ने लगी. तबियत से दो बार डसा था उसने, पहली बार उसकी शान में गुस्ताखी करने पर और दूसरी बार कलाई से उसे छुडाने की कोशिश में, लेकिन वाबजूद इसके मेरी हिम्मत अपने शवाब पर थी.

फाॅरेस्ट अफसर जानकर थे, सांप देखकर उन्होंने कंफर्म किया वो धारीदार करैत था मगर अपनी अगली परेशानी यह थी कि अलग-अलग सर्पदंश का इंडिया में सिर्फ एक ही एंटी-वेनम-सीरम मिलता, जिससे तुरंत राहत मिलने की उम्म्मीद अमूमन बहुत कम होती. भाई (मिलिंद) और करण की सख्त हिदायत मिली आज की रात बिना सोए गुजारनी होगी क्यूंकि खून को सड़ाने के साथ साथ इस जहर से दिमाग पंगु और किडनियां तबाह हो जाती. हालांकि, मेरी तंदरुस्ती के लिहाज से जोखिम उतना नहीं था पर लगातार काटने की वजह से ज़हर की कितनी मात्रा मेरे अंदर इंजेक्ट हुई वो सबसे इंपार्टेंट और निर्णायक थी.

45 मिनिट्स में कोई 21 सीरम डोज दी गई थी मुझे और अब पेट दर्द, सांस लेने में दिक्कत होने‌ के साथ घबराहट बहुत होने लगी थी. फिर धुंधले अक्श के साथ रोजे़न का चेहरा दिखा, जो नजदीक आने के साथ-साथ साफ होता चला गया. रिमोट से बिस्तर का सिरहाना उठा कर उसने बेडटेबल को मेरी छाती तक सरकाया और क्रासवर्ड बोर्ड बिछा कर बाॅटल से दो मग्स में काॅफी डालने लगी. अपने बीच बात-चीत अब ना के बराबर होती थी तो मेरा पहला वर्ड था CONVERSATION और रिएक्शन में मैड़म की खूबसूरत आंखें आंसुओं से लबालब हो गई.

इसी बीच बोर्ड पर काॅइंस को अरेंज कर मैंने उसे बताया कल मैं उसे वैसे ही देखना चाहता हूं जैसे पहली बार मैंने उसे देखा था, " i want to c u in tht red checkrd open shirt over white spaghetti-top n black denim "

" Done " बनाकर उसने थोडी देर इंतजार करने के लिए बोला और किसी से फोन पर बात करने लगी.

सूजन और सुन्न पड़ने से मेरे बांएं हाथ की उंगलियां काम नहीं कर रहीं थी इसलिए पैन और नोटपैड मंगाकर उसने यह खेल मेरे लिए आसान बना दिया.

" तुम्हें अभी भी याद है? फाइन, बदले में तुम सूट पहनने की आदत डालोगे " नोटपैड पर टैप कर रोज़दा ने काॅफी मग दुबारा रिफिल करते हुए बोला.

" कोशिश... मंजूर है " लिखने के बाद मैंने करैक्ट किया.

" गुड... उबेश्वर चलोगे कल? "

" सब सही रहा तो पक्का "

" कुछ नहीं होगा तुम्हें "

" हां... पर कुछ होता है तो प्लीज हारना मत. लड़ाका हो तुम रोजे़न, इसलिए यह स्यूट नहीं करता तुम्हें "

यह पढ़कर काफी देर के लिए रोजे़न की सांसें बहुत तेज हो गई और जब काबू में हुई तो हाथ से नोट-पैड छीनकर कुछ लिखने लगी.

" उस बेबी में कुछ अंश तो तुम्हारा भी था समर, पर तुम्हें तनिक भी दुख ही नहीं है उसका. नाराज हूं क्यूंकि तुमने सिर्फ मेरी फिटनेस को ज्यादा तरजीह दी, गर थोडा़ उस बच्चे के लिए सोचा होता तो सिक्स मंथ्स बाद आंटी की गोद में हमारा बेबी खेल रहा होता, बाबा (मिस्टर ॵज) को एक और जिंदगी मिल जाती और ट्वेंटी एट इयर्स के बाद माॅम-डैड को एक नंवासा. एंड अगर आज तुम्हें कुछ होता है समर तो शायद वही बच्चा मेरी हिम्मत या सहारा बनता. पर अब कुछ नहीं है मेरे पास इसलिए सारा गुस्सा छोड़कर आई हूं तुम्हारे लिए. आई लव यू समर बट इट्स ट्रू कि मुझे तुमसे भी ज्यादा प्यार उस बच्चे से प्यार था "

" ठीक है तो जा रहा हूं मैं हमारे बेबी के पास फिर शायद तुम उससे ज्यादा मुझे याद करो, क्यूंकि इस तरह तुम्हारा बुझा हुआ चेहरा देखने से बेहतर तो यही होगा "

इमोशनल होने से घबराहट के साथ धड़कनें बढने से icu monitor ने कोई अलार्मिंग सिग्नल दिया तो इंटेसिविस्ट एक्सपर्ट एतिहातन रोज़दा को बाहर भेजने लगा. बोल न पाने की वजह से उसका हाथ दबा कर मैंने अपनी पकड़ का दम दिखाया तब जाकर वो रिलैक्स्ड हुए. मरने वाला तो मैं था नहीं, बस कोशिश थी रोजे़न के साथ थोडा़ वक्त और बिताने की.

" टिक-टैक-टो खेलोगे?? " नर्सिंग स्टाफ के जाने के बाद रोज़दा ने लिखा.

" नहीं.... जयपुर बात हुई? " मैंने लिखकर पूछा.

" मेरी सिर्फ मॉम से हुई थी, बाकी डैड, मिलिंद भाई और करण के साथ बाबा टच में हैं "

" फोनस्क्रीन टूट गई है मेरी, तेजा भाऊ को बोलना ठीक करा देंगे उसे "

" नंबर तो मेरे फोन में है, स्क्रीन का खुद देख लेना. बाबा से मिलकर आऊ? और काॅफी भी खत्म हो गई है मेरी "

" प्लीज कुछ देर और, फिर बेशक घर चले जाना "

" टैक्स्ट आया है बाबा का. अभी तक के सारे रिपोर्ट सही हैं, तीन घंटे बाद MRI के साथ कुछ टेस्ट्स और करेंगे "

" माॅर्निंग तक रुकोगी?? क्यूंकि उसके बाद शायद मुझसे यह नींद कंट्रौल न हो "

" मैं कहीं नहीं जा रही समर "

" बेबी का इतना जल्दी आने की मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी मगर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि मुझे दुख नहीं है उसका "

" फिलहाल कुछ और बात करें? मेरा मतलब मुझे ऑफर मिला है ß¡₹£@ इंस्टीट्यूट से एक रिसर्च में शामिल होने के लिए. जयपुर में ही है, सब्जैक्ट से रिलेटिड भी है और मुझे ऑक्यूपाइड रहना अब "

" अगर यह अभी डिसाइड किया है तो मेरी तरफ से बडा़ वाला 'ना' है, बाकी मुझे कोई एतराज नहीं. एंड एक बात और, यह नौकरी छोड़ना चाहता हूं मैं, विरमानी ने ऑफर भी की है डिग्री मिलने तक उनकी फर्म में एसोसिएट लॉयर की पोस्ट एंड खर्च चलाने जितनी सैलरी "

" नौकरी बेशक छोड़ दो मगर पडौसियों के साथ काम तो मैं बिल्कुल भी नहीं करने दूंगी. मनी-माइंडिड हैं समर वो एंड तुम्हारी पाॅपूलरिटी और कांटैक्ट कैश करने के बाद एक दिन डंप कर देंगे तुम्हें "

" ठीक है, पर नौकरी तो छोड़ रहा हूं मैं. ह्यूमिलेटिंग बना दिया है यार और मैं किसी का पालतू नहीं "

" सही. विश, हमारे मिलने से पहले इस सांप ने तुम्हें डसा होता " रोज़ेन ने तंज कसा.

" डिपार्टमेंट बुरा नहीं है मैम. खैर, छोडो. व्हाट इफ आई ट्राई हैल्प यूअर डैड इन देयर बिजनिस? कुज़, दे वांट इट टू वाइंड-अप एंड यहां अकेले भी तो रहते हैं वो "

" साॅरी, मगर इसपर मैं कुछ नहीं बोलूंगी "

" आई लव यू "

" आई लव यू टू समर "

" टैंपरेचर बढा़ओगी, ठंढ लगने लगी है मुझे "

" ओके… एक और चादर का बोलती हूं "

कंबल मंगाकर रोज़दा बांया हाथ सहलाने लगी. ठंडा पड़ चुका था वो एंड मैडम की गरम उंगलियां उसपर सरगोशी करती(अनइंटेंश्नली बहुत साॅफ्टली) तो दिमाग में सिरहन सी दौड़ जाती, और जब नींद के झोंके ज्यादा हावी होने‌ लगते तो उसकी उंगलियां थाम कर रुकने का इशारा कर देता उसे. मिड-नाइट के बाद तबियत ज्यादा खराब होने पर उन्होनें कुछ स्कैन और टैस्ट्स और किए. खुजली सी होने लगी थी चेस्ट में और सर भारी होने के साथ धुंधले पन की स्याही मेरी पुतलियों पर बढ़ने लगी.

कुछ ना दिखने से दिमाग बागी हो गया और जब आसान नहीं रहा मेरे लिए फैसले कर पाना तो मैंने भी हालात के आगे सरेंडर कर दिया. अब ना तो मुझे कुछ सुनाई दे रहा था और ना ही मैं लायक था कुछ रिएक्ट करने के, बस ये महसूस कर सकता था कि मैं अपने दिमागी बबल में कैद सिर्फ सांसे ले रहा हूं और फिर थोडी दर बाद मुझे उतनी भी चेतना नहीं रही.

............


आंखे खुलने पर मेरा धुंधलापन, चेस्ट-कंजेशन और पेटदर्द गायब था. पेशेंट मोनीटर में टाइम 01:12, पल्स रेट 88, बीपी 111/78, RESP 14, SpO2 98, Co2 38 और टेंपरेचर में बस T1,T2,T3 नजर आ रहा था. अब बेसब्री से मुझे इंतजार था रोजेन या मिस्टर ॵज का क्यूंकि गले में डली यह पाइप अब फांस की तरह महसूस होने लगी थी, और सुबह तक इसे झेलने की हिम्मत नहीं थी मेरे अंदर. काॅलिंग अलार्म बजा कर मैंने नर्सिंग स्टाफ को बुलाया, मगर उन्होंने मेरी दूसरी डिमांड नजर-अंदाज कर, मैडम की जगह माॅम और आंटी से मिला कर पहली चाहत पूरी कर दी.

हलक बंद था तो इशारों में ही रिप्लाइ कर पाया, पर मुझे इतना अंदाजा तो हो गया था कि 24 प्लस घंटों बाद मेरी नींद खुली हैं, क्यूंकि चार-साढे़ चार घंटों में तो वो जयपुर से यहां आ नहीं सकते. खैर शाम तक मैं तकरीबन हमारे हर परिचित से मिल या वीडियो-काॅल पर बात कर चुका था सिवाय रोज़दा के डैड के. पूछने पर रटा-रटाया एक ही जवाब मिलता कि थका होने पर वो घर पर रेस्ट कर रहे हैं और पाॅसिबली सुबह ही उनसे मुलाकात हो पाएगी.

मगर असलियत इससे बहुत उलट थी, जो मुझे CCU से शिफ्ट होने से पहले पता लगी क्यूंकि वो पहले ही दिन से मेरे बराबर वाले बेड पर मौत से जूझ रहे थे और पर्दे भर फासला था हमारे बीच. अब मुझे रोज़दा की काॅफी ट्रिक पर गुस्सा आ रहा था, मगर मेरी नजर जब मिस्टर ॴज़ पर ठहरती तब दिल और दिमाग दोनों साथ छोड़ देते. खैर, करण और मिलिंद भाई लगातार मैडम के साथ टच में थे इसलिए घर आने के बाद मैं मिस्टर ॵज़ को देखने नहीं गया. हालांकि एक दिन बाद उनके वाइटल साइन सुधरने लगे, लेकिन सब परेशान थे उनके पैर में बढ़ रही गैंगरीन को लेकर जिसमें रोजे़न के साथ हम सभी के एक फैसले की वजह से पैर के साथ-साथ उनकी जान भी जाने का रिश्क था.

24 घंटों में बमुश्किल एक घंटे के लिए रोजे़न घर आती, फिर शाॅवर लेकर नाश्ता करते मेरा हालचाल पूछती और भागते हुए निकल जाती. दोपहर में उसके साथ तीन चार लोगों का खाना लेकर एलिफ आंटी मुझे और राजोरिया अंकल को हाॅस्पिटल छोड़कर फिकरित अंकल और डैड को घर ले जाती, क्यूंकि रोज़दा के बाद ये दोनों ही थे जो रातभर यहां जागते.

" इंक्वारी में आरोपमुक्त कर वापस सेवा बहाल करने का आदेश जारी हो चुका है, एंड माफ करना मैं तुम्हारा फोन ठीक कराना भूल गई " हाॅस्पिटल में लंच करते अचानक से रोज़दा को याद आया.

फिलहाल यह इतना इंपार्टेंट नहीं था तो मैंने रिएक्ट नहीं किया, " अंकल (फिक्रित) और तुम आराम करो. मैं और डैड रुक रहें हैं आज "

यह सुनकर रोज़दा के सीरियस चेहरे पर मुस्कुराहट की लहर दौड़ गई, " देखा नहीं जाएगा तुमसे, बहुत बुरी तरह से होती है बाबा की ड्रैसिंग, अंकल तो पहले दिन ही गश खाकर गिर गये थे "

कुछ बोलना चाहता था मैं लेकिन फिर बोलते बोलते रुक गया. हालांकि ये बहुत बेवकूफाना और वाहियात था, पर धीरे-धीरे ही सही मेरा टोटका (black magic) या छठी इंद्री का असर अब दिखने तो लग गया था, " मन तो मेरा भी करता है रोजे़न, पर ठान लिया है उनके बाहर आने से पहले अपनी शक्ल नहीं दिखाउंगा उन्हें "

दरअसल मिस्टर ॵज़ अपने सुपर केयरिंग व्यवहार और मेरे सुपर-स्मार्ट बनने का खामियाजा उठा रहे थे. एडमिट (मुझे) करने से पहले उन्होंने यह भनक नहीं लगने दी कि मुझसे पहले उस सांप ने उनको भी डसा था. और मुझसे यह गलती हुई, कि सांप को पकड़ने और उसकी पहचान के लिए फारेस्ट अफसर के इंतजार में, उनका इलाज लेट हो गया. उनकी हालत शायद इतनी बुरी नहीं होती, अगर उस दिन मैं वो लापरवाही न करता. साला, मिला भी नहीं कुछ इससे क्यूंकि एंटीवेनम तो सभी स्नेक-बाइट के लिए यहां एक ही था, चाहे वो करैत-कोबरा हो या कोई और.

" खाना खाओ ना, अब क्या सोचने लगे? अच्छा तो बना है खाना?? या टेस्ट अभी भी खराब है?? "

खामोश देख मैडम ने हिला कर मुझे खयालों से निकाला तो मिस्टर ॵज़ के अकेलेपन का सोचकर मैं उसकी राय लेने लगा, " नाऽह..... सोच रहा था ठीक होने पर जयपुर ले चलते हैं बाबा को "

" पहले ही बोल चुकी हूं मैं डिसाइड नहीं करूंगी यह. एंड Öz G&J(जैम्स & जुअ्ल्स) और इंप्लाइज़ का क्या? सी फिलहाल गोल-पोस्ट चेंज मत करो मेरा, एंड यह डैड को डिसाइड करने दो ना? " अपने कंधे उचका कर रोज़दा ने जाहिर कर दिया कि इस पहल में वो मेरा साथ नहीं देगी.

" फाइन, अगर मैं उन्हें मना लूं तब तुम्हें तो कोई परेशानी नहीं होगी? "

" पागल हो क्या! ऑफकार्स नाॅट. दुनिया के सारे संस्कार और जिम्मेदारियों पर एकमात्र काॅपीराइट सिर्फ तुम्हारा है क्या?? " लंच-बाॅक्स समेटते हुए मैडम ने जवाब दिया और बाॅटल से पानी पीने लगी.

CCU के ज्यादातर वेटिंग एरिया लाॅबी में अपना कब्जा था. यह वही जगह थी जहां कुछ महीने पहले रोज़दा का इलाज़ चला, इसलिए पाॅजिटिव महसूस होता था मिस्टर ऑज़ के लिए. अपना लंच खत्म कर मैंने हाथों को साफ किया और एलिफ आंटी के पास बैठ उनको स्केच करते देखने लगा. बहुत अच्छी आर्टिस्ट थीं वो. मैडम ने बताया उसकी अम्मी के विदा होने से पहले पुलिस डिपार्टमेंट के लिए काम करती थीं, फिर जाॅब क्विट कर दी और रोजे़न के इंडिया शिफ्ट होने के बाद फिर जाइन करना चाहा तो उन्हें काम नहीं मिला.

" बचपन से बहुत अलहदा और अव्वल तरबियत मिली है उसे, इसलिए बस नहीं चलता किसी का उस पर. लेकिन इतना तो तय है, अपनी अम्मी के बाद सबसे ज्यादा प्यार तुमसे करती है वो "

मैडीकल इंसिग्निया के Winged Caduceus में मिस्टर ॵज़ से लिपटे दो सांप जैसी ड्राइंग की शेडिंग करते हुए आंटी ने बताया कि पहले यह स्केच वो मेरे लिए बना रही थीं, और जब मैं ठीक हो गया तो मेरी जगह मिस्टर ॵज़ ने ले ली. फिर शाम को साइदा के आने पर मैडम खुद तो घर गई नहीं मगर मुझे जबरन भेज दिया, पर फिर अगले दिन डाॅक्टर्स ने अंकल की पुतलियों में हरकत रिकार्ड की तो रोज़दा और मेरी हठ भी मुझे रात यहां रुक कर उनसे मिलने से नहीं रोक पाई.
 
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मैडीकल इंसिग्निया के Winged Caduceus में मिस्टर ॵज़ से लिपटे दो सांप जैसी ड्राइंग की शेडिंग करते हुए आंटी ने बताया कि पहले यह स्केच वो मेरे लिए बना रही थीं, और जब मैं ठीक हो गया तो मेरी जगह मिस्टर ॵज़ ने ले ली. फिर शाम को तनवी के आने पर मैडम खुद तो घर गई नहीं मगर मुझे जबरन भेज दिया, पर फिर अगले दिन डाॅक्टर्स ने अंकल की पुतलियों में हरकत रिकार्ड की तो रोज़दा और मेरी हठ भी मुझे रात यहां रुक कर उनसे मिलने से नहीं रोक पाई.



*************



पूरे तेरह दिन बाद वापसी हुई मिस्टर ॵज़ की, हालांकि उनके पैर का घाव अभी भरा नहीं था मगर उसकी ड्रैसिंग अपन घर से भी करा सकते थे, इसलिए इस शर्त के साथ डाक्टर्स से उन्हें छुट्टी मिल गई. देर रात पंहुचे थे तो किसी को खबर नहीं थी, पर अगले दिन जैसे-जैसे दिन निकला मिलने वालों की आवभगत करने में हाउस-हैल्प के साथ हम सबकी भी बैंड बज गई. मेसुत भाई आए हुए थे और सिंगापुर जाने से पहले हसरत भरी नजरों से मेरे हाथों में अपना ऑफर लैटर थमा गए जिसमें शामिल था, फैमिली इंश्योरेंश और अन्य भत्ते/सुविधाओं के साथ ग्रेटर नोएडा में रहने के लिए 5BHK रेंटिड अपार्टमेंट और पहले से दो गुना तनख्वाह.

लेकिन शाम को उनके चैनल सहित बाकी हिंदी चैनल्स पर प्राइम-टाइम में बस एक ही खबर या डिबेट चल रही थी.

" आर्थिक फायदों के लिए राजस्थान कैडर के आईपीएस समर धर ने सोने व रत्नों की तस्करी में अपने ससुर और साले का साथ देकर करोडों की संपत्ति अर्जित की. पत्नी का ड्रग्स केस दबाने के मामले में तीन महीनों से बर्खास्त चल रहे समर की पुलिस विभाग ने पिछले सप्ताह ही की है बहाली. पहले भी विवादों से नाता रहा है आरोपी समर का....... "

मेसुत भाई ने बताया सरकार स्पांसर्ड दोयम पत्रकार की मनगढ़त कहानी सिवाच सर का चहेता मंत्री न्यूज चैनल्स को एडवर्टाइजमेंट का लालच देकर मुझे टारगेट कर रहा है. इससे पहले यह कंट्रोवर्सी टीवी पर और सर्कुलेट हो मुझे किसी अच्छे वकील से सलाह लेकर हाईकोर्ट जाना चाहिये.

फिक्रित अंकल और एलिफ आंटी का बुरा हाल था.तो दूसरी तरफ अगले दिन से मिस्टर ॵज़ के अजी़ज दोस्त देखने/सपोर्ट करना तो दूर जान-पहचान से कतराने लगे. डर के माहौल के बीच तेजा भाई और उदयपुर गार्जियन के दीपक (फार्मासिस्ट) ने फिक्रित अंकल-एलिफ आंटी को टैक्सी में बिठाकर सही सलामत गुरुग्राम पहुंचाने में हैल्प की और वहां से करण ने अगली सुबह तड़के तड़के कनैक्टिंग फ्लाइट से स्टाॅकहोम भेज दिया, तब जाकर सबने राहत की सांस ली.

हाईकोर्ट ने एकतरफा मीडिया-ट्रायल पर रोक लगा कर चैनल्स और खोजी पत्रकार को दो सप्ताह में जवाब देने के लिए तलब किया. और इसके बाद, मंत्री के ताबूत में आखिरी कील ठोकने के लिए मैंने अपनी सेवा-समाप्ति की औपचारिक अर्जी मुख्य सचिव के यहां लगा कर सिवाच सर की टीम 'विध्नविनाशक' के सामने अपने हाथ जोड दिये. क्यूंकि अफसर नहीं रहा मैं अब उनका और आगे से कुछ भी करने के लिए उन्हें मेरी इजाजत की जरूरत नहीं थी.

मिस्टर ॵज़ के साथ रोज़दा का उदयपुर से मन भर गया था. नूतन की कम्यूनिटी के अलावा प्रशांत झा जैसे कुछ गिने-चुने दोस्त ही थे जिन्हें दुःख हुआ उनके उदयपुर छोड़ने का. बिजनिस पर उतना फर्क नहीं पड़ा क्यूंकि वो अहमदाबाद-मुंम्बई से ऑपरेट करते थे और लम्बे अरसे से मीनिंगफुल बिजनिस करने से उनके वेंडर्स और बायर्स को पूर्णतः भरोसा था उनपर. बाकी कुछ मामूली इश्यूज थे जो डेनिज भाई ने एड्रैस कर दिए.

" साब, कोई अनूप यादव आए हैं आगरा से और आपका दोस्त बता रहे हैं खुद को "

सरकारी सिक्योरिटी वापस करने के बाद मीडियाकर्मियों के बेतुके सवाल-जवाबों से बचने की खातिर, कुछ दिनों के लिए प्राइवेट सिक्योरिटी का इंतजाम कराया था गणेश ने. स्कूल टाइम से अनूप एकमात्र दोस्त था अपना एंड राजोरिया अंकल का खास होने की वजह से उसकी अहमियत और भी बढ़ जाती थी. गेट पर उसे रिसीव करने के दौरान किसी की चप्पल मुझे आकर लगी. मसाला ना देने के लिए यह रिपोर्टर्स की कुढ़न थी या खबरों का असर, इसलिए बिना कुछ रिएक्ट किए अनूप को लेकर मैं अंदर आ गया.

होंठ मेरा फटा लेकिन खौफज़दा अनूप था. उम्मीद नहीं थी उसे ईमानदारी का इनाम कभी-कभी कुछ इस तरह भी भुगतना पड़ता है. खैर, वो अपने अपाहिज रिश्तेदार के साथ बीएमवीएसएस आया था उनका कृतिम पैर (आर्टीफीशिअल लेग) बदलवाने, इस बहाने हमसे मिलने चला आया. उसे वापस होटेल लौटना था और परेशानी यह थी हमारा शुभचिंतक होने की वजह से, लौटते वक्त कोई अपनी खुन्नश उस पर न निकाल दे, इसलिए बाहर जाकर मैंने उन लोगों से विनती की.

" देखिये भाईयो, आप लोग भी हमारे मेहमानों की तरह हैं और हमारे/आपके मेहमानों के साथ अनजाने में भी बदसुलूकी हो यह व्यवहारिक तौर पर अच्छी बात नहीं. यकीन करें हम भाग नहीं रहे, और अपने ऊपर लगे इल्जामों पर किसी को दोषी भी नहीं ठहरा रहे. क्यूंकि संविधान में फैसला करने का हक सिर्फ अदालतों को है इसलिए हमने मीडिया में ना जाकर माननीय कोर्ट की शरण ली. अब जो करना है कोर्ट को करना है, आरोप सही साबित हुए तो हम तैयार हैं सजा भुगतने के लिए. लेकिन उससे पहले मानवीय तौर पर बस एक गुजारिश है आपसे, मुजिरम साबित होने से पहले इस दरवाजे पर आने‌ वाले मेहमानों के साथ बुरा सुलूक ना किया जाए, क्यूंकि आपकी शिकायत हमसे है, हमारे मिलनेवालों से नहीं "

इसके बाद मैं अनूप के साथ होटल निकल गया और उसके रिलेटिव को लेकर वापस आया तब तक दरवाजे के सामने की अधिकतर भीड़ गायब थी. फोटो क्लिक कर मैंने फोल्डिड-हैंड की इमोजी और थैंक्स लिखकर, ट्विटर पर पोस्ट कर प्रोफाइल से आईपीएस को हटाया और यही मेरी जिंदगी की दूसरी सबसे बडी़ जीत बनी.

शाम तक मेसुत भाई और पडौसी विरमानी(अटार्नी) सर का ऑफर और बढ़ गया, मगर रात को करण की बहन अवनी और उनके हसबैंड के आने पर मुझे उनका प्रमोजल सबसे बेहतर लगा, इसमें हैंडसम कमाई के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पूरा करने की पूरी आज़ादी थी, जो शायद भाईजान और विरमारनी जी के साथ उतनी नहीं मिलती. खैर, बेड़ कम पड़ने पर रोज़दा और मैं गणेश के यहां चले गये, तब सोते हुए मैडम ने बताया कल से वो ß¡₹£@ वाली जाॅब जाॅइन कर रही है, और हालात ठीक होने तक उसे लाने-ले जाने की जिम्मेदारी मेरी होगी.

माइक्रोबायोम सब्जेक्ट था उसका और इस पर काम कर वो रोजाना उजड़ती इस रेतीली धरती को कृषि/किसानों के लिए बेहतर बनाना चाहती थी. माॅम-डैड और अंकल-आंटी को शायद उसने पहले बता दिया था इसलिए सुबह जब हम पहुंचे तो उन्हें तो सबको नाश्ता खिलाकर मैडम का लंच और बैग तैयार कर रखा था. अवनी बहन, अनूप और उनके रिलेटिव को आगरा ही जाना था इसलिए वो शाम तक रुक रहीं थीं.

पहले मैड़म को स्टैच्उ सर्किल ड्राॅप कर मैं अनूप के संग 'जयपुर फुट' आ गया. टीवी पर बदनाम होने से लोगों के बीच पहचान बन गई थी, जिसका पूरा फायदा हमने वहां उठाया. पहले से अपाइंटमेट होने से वक्त ज्यादा ना लगा, फिर घर आने के कुछ देर बाद वो चारों एकसाथ आगरा निकल गये, लेकिन उससे पहले अवनी‌ बहन ने डैड के साथ मिलकर मिस्टर ॵज़ की ड्रैसिंग चेंज करा दी, जो मैं गलती से भूल गया.

बाबा से बात कर मैंने शाॅवर लिया और तब तक दोपहर का खाना बन चुका था. आज पहली बार था जब रोजे़न जाॅब पर थी, और हम घर पर साथ मिलकर लंच कर रहे थे. याद आने पर मैंने उसे काॅल किया जिसका उधर से कोई जवाब नहीं मिला. अगले तीन घंटे निकले अपना सामान ऊपर वाले कमरे में, मैडम के मुताबिक जमाने में फिर कोई आधा घंटा आराम किया होगा कि मैडम का बुलावा आ गया.

गाडी़ में बैठते मैडम का पहला सवाल था " ऊपर कमरे में सामान शिफ्ट किया?? "

" कर तो दिया, मगर उसके बदले में आज रात मुझे कुछ चाहिये तुमसे ", मुझसे दस-बारह गुना ज्यादा सामान था मैड़म का अकेले पाउडर रूम में, साला सच में हांफ गया था मैं उसे एक कबर्ड से दूसरे फ्लोर के कबर्ड में पहुंचाते पहुंचाते.

जवाब में मैड़म अपने नाखून साफ करने लगी जो पिछले तीन वीक्स बहुत बिजी रहने से काफी बढ़ गये थे. गलती का अहसास होने पर मैंने धीमे से साॅरी बोला और कलाई सहला कर अपना फोकस रोड़ पर कर लिया. दरअसल, सेक्स के लिए ओल्ड-स्कूल अप्रोच थी मैड़म की. मतलब फिजीकल होने के दौरान/पहले या बाद में, वो सहयोग/ इंजाॅय तो पूरा करती लेकिन उसकी जुबां ना के बराबर हिलती. मगर अपना हाल था बिल्कुल डिफरेंट, मुझे साला सिर्फ उसकी महक स्मैल होने पर प्यार करने का खुमार इस कदर चढ़ जाता कि अपनी जुबान के साथ पता नहीं कहां-कहां से क्या-क्या आवाजें निकलती.

घर आने‌ से पहले मार्केट से गुजरने पर मैड़म के मुंह से कुछ ऐसा निकला जिसे सुनकर एक बार‌ तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ, और फिर दुबारा उसने दुहराया तो हैरत से मेरी पुतलियां फैल गई.

" अब रोकोगे भी? आगे क्या कोई केमिस्ट शाॅप है?? "

लिट्रली झिंझोंडते हुए रोजे़न ने मुझे यूटर्न लेने पर मजबूर तो कर दिया लेकिन शाॅप के सामने आकर प्रोटेक्शन खरीदने जितनी हिम्मत नहीं थी मुझमें.

" टिम्मी... की शाॅप है.. ये. रहने देते हैं ना.. बाद में खरीद लेंगे कभी ", शर्म और मैड़म‌ के खौफ की वजह से हलक से मेरी आवाज़ निकलनी भी बंद हो गई.

" ग्रेट, अब यह काम भी मुझे करना पडे़गा? ", चिढ़ते हुए मैड़म ने सीट बैल्ट निकाली फिर गेट ऑपन करने से पहले उसने जाने क्या सोचकर मेरे कंधे पर प्यार से थपकी देकर बोला, " एंड, जरूरी नहीं समर कि हर काम जुबान से बोलकर ही हो, पेपर का ईजाद भी हमारी‌ हैल्प के लिए हुआ है, " और दरवाजा बंद कर शाॅप के अंदर चली गई.

फ्लैट सोल कोल्हापुरी लेदर स्लिपर्स, लम्बा कद, आम से रबर-बैंड में कसे सिल्की बाल, झीनी सी डार्क‌-ब्लू साडी, जिसके बार्डर से मिलते रेड कलर थ्री-फोर्थ स्लीव लेंथ ब्लाउज में ढ़की वो हर तरफ हर लिहाज से कयामत ही लगती. ग्लास नाॅक होने पर खयालों से निकलकर खूबसूरत और बेहद समझदार बीवी के लिए मन ही मन अपने ईश्वर का आभार जताया और दिशा घर की तरफ कर दी.

फ्रैश होने के बाद जब उसने अपनी साइड का कबर्ड खोला तो मारे खुशी के वो मेरे गले से चिपक गई. खयाल तो मैं रखता था उसकी जरूरत का लेकिन इंसान होने के नाते कभी-कभी मिसकैलकुशेन भी हो जाती. आई मीन, हमारा प्यार पहले दिन से खामोश था तो जरूरत नहीं थी मुझे इस पवित्र-बंधन में महज सैक्स के लिए उसे खुद की तरह जानवर बनाने की.

मेरी उंगलियों की छुअन से उसके पोरों में सिरहन दौड़ने लगी तो भारी सांसों और बढ़ती धड़कनों के साथ उसकी भरसक कोशिश थी मेरी बाॅडी को अपने अंदर समेटने या जगह देने की. इससे पहले सिल्कवार्म की तरह पिघल कर वो मुझे अपने तारों में उलझाए, मैंने उसे बताया जो पिछले एक घंटे से मेरे दिमाग में दौड़ रहा था.

" पागलों की तरह प्यार करता हूं रोज़दा मैं तुम्हें. कभी कभी जब जिम्मेदारियों के बोझ तले तुम मुझे एक्सट्रीम समझदार दिखती या महूसस होती हो तब इस पागलपन का लेवल शूट होकर मुझे शारीरिक और दिमागी तौर पर जानवार बना देता है. माफ करना, इस पागलपन को खत्म करने की नीयत तो नहीं है मेरी लेकिन समझता जरूर हूं मैं तुम्हारे जज्बातों को "

हाथों में उठाकर मैं उसे बिस्तर पर ले आया और इससे आगे हमारे बीच कुछ होता, उससे पहले मैड़म की काॅफी लेकर माॅम कमरे में दाखिल होकर, फुर्ती से वापस लौट गई.

काॅफी का सिप करने के ठीक बाद वो खिलकर मुस्कुराने लगी. क्यूरोसिटी में उससे पूछा तो वजह जानकर मेरा चेहरा खिल गया, " आऽह... राहत मिली यह सुनकर कि मैं अकेला पागल नहीं हूं "

" हां समर... सच कह रही हूं मैं. हमेशा से चाहती थी तुम पब्लिकली मुझे खुलकर प्यार कर, दुनिया को दिखाओ. लेकिन आज देखो माॅं के अंदर आने पर कैसे हवा निकल गई मेरी ", गरदन हिलाते हुए रोज़दा ने बोला और सहारा लेने के लिए बिस्तर के सिरहाने से अपनी कमर मिला ली.

" एंड आज मैं उन पर यह चिल्लाने वाला था कि यह मेरा कमरा है माॅम? ", इतना बोल कर मैंने उसे आगरा वाला इंसीडेंट याद दिला दी.

" आई लव यू ", हंसते हंसते रोजे़न की जुबां से यह लफ्ज़ खुद ब खुद निकल गया.

" अलराइट बताओगी प्रोटेक्शन लेने की बात तुम्हारे भेजे में क्यूं आई?? " मैडम के कंधे पर अपना रख कर उसकी ब्रा-स्ट्रैप से खेलते हुए मैंने पूछा.

" वो काॅमन नहीं सबसे जहरीला बैंडिड करैत था समर, और जब डाॅक्टर ने बताया उसने दो नहीं तीन जगह काट कर तुम्हारे 98% चांसिज कम कर दिए हैं तब समझ आया कितना कम वक्त मिला था हमें. रिकार्ड 68 सीरम यूज हुए थे उस रात. एंड नूतन की कम्यूनिटी नहीं होती तो, न डैड और न तुम, कुछ नहीं बचता मेरे पास ", थोडी देर रुक, सांसे कंंट्रोल कर रोज़ेन ने गला और आंखे साफ की, और उसके ठीक बाद फिर से वो पहले की तरह चहकने लगी, " उस रात से सेल्फिस हो गई मैं. इसलिए आज अपनी खुशी के लिए कंडोम खरीदे हैं मैंने क्यूंकि बच्चों से पहले मुझे तुम्हारी और तुम्हारे प्यार की जरुरत है... पीरियड "

खत्म... टाटा... बाॅय-बाॅय. एक झटके में माॅम-डैड और अंकल-आंटी की ख्वाहिशों को गला दबाकर मुझे हैरत में डा़ल दिया उस लड़की ने. जेनुअनली मेरी जिंदगी की असल सच्चाई यह थी जो परिवार-प्रेम के दवाब में उभर कर कभी मेरे भेजे (जे़हन) में नहीं आई.

" प्लीज रोजे़न, हसबैंड नहीं तो कम से कम अपने प्यार की खातिर वोकल हो जाओ तुम ", बड़बडा़ते हुए बिस्तर से उठकर मैं दौड़ते हुए नीचे स्टडीरुम से अपना लैपी उठाकर लाया और उसके आगे अपना मेल बाॅक्स खोल दिया, " पालतू बना कर बडा़ किया है यार मुझे मेरे पेरेंट्स (माॅम-डैड एंड अंकल आंटी) ने, और यकीन करो मुझे जानवरों की तरह नहीं मरना "

" बट मैंने तो तुम्हें यह भेजा ही नहीं था, फिर ये!!! एंड इससे प्रूव क्या चाहते हो तुम??" अपना ड्राफ्ट ईमेल मेरे मेलबाॅक्स में देखकर रोजे़न चौंकने के साथ-साथ कंफ्यूज भी गई.

" मेंटर बन जाओ मेरी. जहां गलत हूं वहां खुलकर मुझे रोको, चाहे उसके लिए तुम्हें किसी के खिलाफ ही क्यूं ना जाना पडे़ ", इसके साथ साथ मैंने उसे बता दिया उसकी गलती से वो मेल कैसे मेरे हाथ लगा.

" कमीने... तो इसलिए तुमने जल्दबाजी में मुझे उदयपुर भगाया था उस दिन!! सच में बड़े जानवर हो तुम समर? या-खुदा यू हैव नो आईडिया कितने खूबसूरत थे मेरे लिए वो दिन. सुबह उठकर तुम्हारा मुझे.... ओ गाॅड बहुत बेरहम हो यार तुम... "

बुरी तरह चिढ़कर मारते-मारते, एक वक्त पर रोजदा चुप हो गई, तब उसने बताया कुछ उस तरह ही सुबह-सुबह उठकर (बचपन में) अम्मी साइकिल चलाना सिखाती थी उसे, एंड अंकल-डैड की स्टूपिड रीजन की खातिर, मैंने उसे उन खूबसूरत यादों से महरुम कर दिया.
 
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उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Sorry स्याही कलम भाई, इसका पेज खुला हुआ है दूसरे विंडो में, लेकिन पढ़ नही पाया।

कल तक पक्का पढ़ कर रिव्यू दूंगा। 👍🏼
 
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Sorry स्याही कलम भाई, इसका पेज खुला हुआ है दूसरे विंडो में, लेकिन पढ़ नही पाया।

कल तक पक्का पढ़ कर रिव्यू दूंगा। 👍🏼

Sorry kis liye bhai???
Waise bhi, ye kahaani tere bachche ke liye likh raha hoon :tease3:
 
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