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प्यार से हड़का का मैंने उसे समझाया बीवी का भाई होने के नाते अब से वो मेरा सर है. सैकिंडली, नौकरी के साथ साथ हमारी सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियां भी तो हैं. कौन करेगा उनकी देखभाल अगर हर-वक्त हम यूं हीं रस्सकसी में उलझे रहें. मैंने उसे ऑफर किया फैमिली के साथ अयोध्या ट्रिप. बन्नू और भाभी को थोडा़ बदलाव मिलता और सर (गणेश) की ईमानदारी वाली खुजली के लिए जनकपुर... क्यूंकि नेपाल का काठमांडू वहां से नजदीक ही पड़ता.
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अगली सुबह केएफसी की फोटो को एक प्रादेशिक हिंदी अखबार ने शहर के पहले पेज पर जगह दे दी. खबर को देखकर पहले तो रोज़दा परेशान हुई, लेकिन फिर गणेश और भाभी के समझाने पर शांत हो गई. उधर, करण का दोस्त उज्जैन में माॅम-डैड एंड पार्टी को रिसीव कर चुका था, और नास्ता करने के बाद गणेश-भाभी और बन्नू भी निकल गये. मैड़म का बहुत मन था उन्हें रिटर्न गिफ्ट देने का, लेकिन गणेश की दलीलों के आगे उसकी एक नहीं चली.
गणेश को विदा कर हम बैकयार्ड में आ गये. आज मैडम को सीड-ट्रे में अलग-अलग प्लांट्स की सोईंग करनी थी और मुझे इसमें उसकी हैल्प. तब उसने बताया केएफसी में किसी को उसने यह बोलते सुना था ' शादी किये चार दिन हुए नहीं और मैडम इसे रेस्ट्रां ले आई '. लेकिन माॅम के साथ जब वो अक्षरधाम गई तब किसी ने कुछ रिएक्ट नहीं किया और ना ही अखबार में कोई खबर छपी.
" वैल, एक दिन मुझे किसी ने मैसिज किया था, जीप से सीधा कन्वर्टिबल और तुम्हारे झा अंकल ने तो मुंह पर ही बोला था मैं गोल्ड डिग्गर्स का मेल वर्जन हूं. एक कहावत बोली जाती है यहां, जब अंगूर हैशियत से दूर हों तो कुछ लोगों के लिए वो खट्टे हो जाते हैं. इसलिए फैसला आपने करना है रोज़दा क्यूंकि मैं तो बहुत पहले तय कर चुका हूं ऐसे गधे मेरी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकते " सरल शब्दों में अपनी अब तक की जिंदगी का निचोड़ मैंने मैडम के सामने रख दिया.
" समझ नहीं आ रहा समर. हैंडिल नहीं कर पा रही खुद को. जानती हू तुम मेरे साथ हो लेकिन फिर भी लगता है जैसे तुम्हारी सारी प्राब्लम्..... ", रुक रुक कर बोलते हुए रोज़दा भावुक होने लगी, " मेरी एक गलती.... प्लीज समर, निकालो मुझे इस गिल्ट और जगह से बाहर और . ....... "
बिखरे सीड्स वापस बाॅक्स में डाल कर मैंने पहले रोज़दा के हाथों को वाॅश कराने में हैल्प की, और बाॅटल से पानी पिला कर उसके साथ बैठ गया," मेरा दिल बहुत बार टूटा है रोज़दा. कभी काॅमिक्स तो कभी एक बैग लिए, लेकिन तुम्हारे अलावा कोई मनाने तो दूर वापस हालचाल पूछने भी नहीं आया. इसलिए यह गिल्ट-विल्ट और मेरी नौकरी का वहम बाहर निकालो, बस इतना याद रखो बिना क्रच के आज तुम्हें तीसरा दिन है "
" दिल तो मेरा भी दुखाया है किसी ने बहुत, लेकिन अब उसे काॅमिक्स पढ़ने का उतना शौक नहीं. एनीवे, तरीका अच्छा है तुम्हारा दिलासा देने का एंड यकीन करो अच्छा फील कर रही हूं " दबी-फीकी मुस्कुराहट के अंदर अपना डर छुपाकर रोज़दा ने पहले से बेहतर दिखने की नाकाम कोशिश की.
" डैड बोलते हैं इससे पहले Better Half Bitter Half में तब्दील हो, उससे कहीं बेहतर है हार मानने की आदत डाल बीवी की जय-जयकार करना " रोज़दा के हाथों को अपने हाथों में लेकर सहलाते हुए मैंने समझाया गलतियां सबसे होती हैं, लेकिन मैं उनमें से नहीं जो गलत होने के वाबजूद अपनी गलतियां नहीं मानते.
" डैड बहुत सिंसियर हैं एंड कभी-कभी बहुत जलन होती है तुमसे. छोडो़ चलो.. माॅम-डैड, अंकल-आंटी और बाबा के रहते हुए मुझे इतना सोचना नहीं होना चाहिये " गहरी सांस लेकर रोज़दा जब इतना बोला तब उसके चेहरे और आंखों में एक अलग चमक थी.
मैडम का कांफिडेंस वापस आते देख बेफिक्री में मैंने उसे गले लगा लिया लेकिन उसके अगले ही पल मैडम झटके से मुझसे अलग होकर फुर्ती से दौड़ते हुए अंदर चली गई " हटो, गेट पर कोई है "
थोडी़ देर बाद गार्ड ने बताया हमारे कुछ पडौसी शादी की शुभकामनाएं देने के लिए मिलने आए हैं. कोई दस-बारह बुजुर्ग और अधेड़ कपल थे और हाउस-हैल्प को मैडम ने छुट्टी पर भेजा हुआ था. थैंकफुली, सिक्योरिटी स्टाफ की हैल्प से सबकी आव-भगत और चाय-नास्ता का इंतजाम कैसे भी मैनेज हो गया. जान-पहचान के दौरान मैड़म की इंट्री हुई. बिंदी, सिंदूर, कंगन और सतरंगी लहरिया साडी़ में लिपटी वो खूबसूरत विशुद्ध भारतीय नारी लग रही थी.
नीयत खराब हो रही थी मेरी और गेस्ट्स के जाने के बाद मैंने, अपनी बुरी हालत के बाबत रोज़ेन को अप्रोच किया तो कम्बख्त ने लेट होने का बहाना कर जबरन शाॅवर लेने भेज दिया. फिर बन्नू को उसके स्कूल से पिक कर, घर से भाभी को लिया और इसके कुछ देर बाद वैशाली नगर के एक फैमिली रेस्त्रां में गणेश के साथ मिलकर लंच कर रहे थे.
फिर रोज़ेन ने उन्हें बताया, हमारे पडौसियों से मुलाकात में पता लगा वो उनका बन्नू के पसंदीदा स्कूल के चेयरमैन और डाइरेक्टर निकले," अपने को बस यूनिफोर्म, कन्वेंस और ट्यूशन फी पे करना है, जिसकी फिक्र करने की आपको जरूरत नहीं. अब आप बहन मानते हो तो मैं चाहती हूं अपना बन्नू यहां पढे़ "
" यह प्लांन्ड नहीं है गणेश और मैंने रिटर्न में किसी फेवर की कमिटमेंट भी नहीं दी. बन्नू को ऐसे स्कूल की जरूरत है भाभी, तो प्लीज इसे अपने स्वाभिमान के दायरे से दूर रखकर सोचें " अपने अंतिम लफ्जों पर जोर देते हुऐ बाद में मैंने प्रैशर बढा़या तो गणेश टूट गया. और पिघलता भी क्यूं ना वो, किस बाप की हसरत नहीं होती उसके कलेजे के टुकडे़ को पढ़ने के लिए बेहतर स्कूल और माहौल देने की, और अपना बन्नू तो पढ़ने/सीखने में भी बहुत अच्छा था.
तय ये हुआ रेस्त्रां से सीधे बन्नू के नये स्कूल जाकर बाकी का पेपरवर्क पूरा करना है. उसके बाद गणेश दफ्तर और हम सब हमारे घर, क्यूंकि शाम को भाभी बेझ़ड़ की रोटी और (राजस्थानी) आलू-प्याज की सब्जी बनाना सिखाने वाली थी रोज़दा और मुझे. बाहर आने पर मौसम बारिश जैसा होने लगा था, कहीं पर भुने-भुट्टों की महक से मुझे कुछ याद आया, तब चुपके से गणेश को एसएमएस कर मैंने शाम को मैडम की पसंदीदा दावत (फ्राइड चिकेन) का इंतजाम करने के लिए रिक्वेश्ट किया.
शादी के बाद से हर रोज मेरी पहली कोशिश होती मैडम की पसंद-नापसंद का खयाल रखने की, और अब माॅम उज्जैन में थी तो सारा दारोमदार मुझपर था. दवाइयों से लेकर छोटी-छोटी अन-इंपार्टेंट बातों पर उसका बदलता मिजाज कभी भी उसकी सेहत पर भारी पड़ सकता था. जिससे बाहर निकलने या निकालने में फिर सबको थोडी़ मुश्किल तो होती. वैसे भी, जान बसने लगी थी मेरी अब उसकी खुशी में, इसलिए उसकी मुस्कुराहट को बरकरार रखना ही मेरी दूसरी जिम्मेदारी थी.
लौटते वक्त अचानक आई आंधी और बारिश ने भाभी के सुखाने डाले अचार, बडि़यां और पापड़ समेत कपडो़ं को भिगोकर उनका काम मुश्किल दिया, जिसकी वजह अब रात को आलू-प्याज की सब्जी और बेझ़ड़ की रोटी वाली दावत मजबूरन कैंसिल हो गयी, " अपन ट्राई करें? जरुरी थोडे़ ही है कि हम फेल ही हों? पसंद आया तो ठीक नहीं तो फिर बाहर से मंगा लेंगे? इंजीनियर हो सिगडी़ तो तुम जला ही लोगे, रेसिपी भाभी ने बता दी है, और बाकी का काम मैं देख लूंगी "
बुरी हालत में होने पर भी मेरी ख्वाहिशों के लिए रोज़दा का डैडीकेशन देख मैं मन ही मन ईश्वर का शुक्रिया अदा करने लगा. ड्राइव करते हुए, फ्रेम-दर-फ्रेम मैं रिफ्रेश कर रहा था उन हशीन लम्हों को जब मैडम की खूबसूरती से पहले सादगी ने मुझे उसके करीब जाने के लिए बेबस या मजबूर कर दिया. प्रकृतिप्रेमी तो अमूमन हर इंसान होता है लेकिन उसकी फितरत नेचर nourish कर उसे हमेशा के लिए सहेजने की थी. शायद इसलिए ये उसकी जिंदगी के साथ-साथ थीसिस का हिस्सा था लेकिन मेरे इश्क की गुस्ताखी उसे इस हालत में ले आई.
वो जवाब के लिए मेरी तरफ देख रही थी और मैं मशगूल था अपने बायें हाथ की उंगलियों से मैडमको सहलाते हुए यादों के आगोश में
" कहां जा रहे हो? " घर आने पर, रोज़दा को बाथरूम में दाखिल कर मैं बाहर जाने के लिए मुडा तो मैडम ने पूछा.
" काॅफी.. तुम्हें चाहिये? " बाथरूम में उसे वक्त लगता था उसे और मुझे तलब हो रही थी.
" अब काॅफी मुझसे भी अच्छी लगने लगी तुम्हें " कलाई से घडी उतार कर, बन टाइट करते रोज़दा ने नाराज टोन में शिकायत की और चेहरा धुलने लगी अपना.
इतना सुनकर मेरे कदम खुद ब खुद फ्रीज हो गये और मैं उसके बैंगल्स, वाॅच और स्लिंग बैग(फोन) को केबिनेट में रखने लगा. मुश्किल होता था उसके लिए यूं स्टूल पर बैठ तैयार होना और आज तो उसने साडी़ भी पहनी थी बिना माॅम या आंटी की हैल्प के, " साॅरी, माफ कर दो मुझे एंड जरूरी नहीं कोई आए तो तुम साडी़ ही पहनो, और माॅम के आने तक तो यह एडवेंचर बिल्कुल मत करना प्लीज "
" कमीने हो तुम. काॅम्पलीमेंट देना भी नहीं आता. फाइन, मेरे लिए भी बनाना लेकिन फुलक्रीम से " टाॅवल से चेहरा गरदन और गला पोंछते हुए उसने प्यार से मुझे हग किया और सहारा लेकर लिविंग रूम तक आई और काउच पर अपने पैर फोल्ड कर बैठ गई.
उसके इस तरह बैठने से मुझे कुछ याद आ गया, " स्मार्ट सिटीपार्क में तुम्हें स्टाॅक करने वाला मैं था. तुम अचानक से पार्क मेकोवर ड्राइव पे निकली हुई थी और मेरे भरोसे के लोग गये थे जयपुर IPL देखने, ऑप्शन नहीं था कोई दूसरा. फिर उन सिनियर सिटिजन्स को लगा कि मैं तुम्हें. एनीवे, एक अलग aura है तुम्हारी पर्सनल्टी में और मेरी तो पहचान ही बदनाम.. अच्छा हुआ जो तुम उस सोशल पुलिसिंग आईडिया के साथ मिलने आई और आज साथ हैं हम, नहीं तो हजारों ख्वाहिशों की तरह मेरी इस तमन्ना का अंजाम भी वैसा ही होता.... ताड़ता रहता तुम्हें दूर से और फिर सो जाता रात को व्हिस्की के सहारे. और अब देखो, चाय पीने वाले को तुमने ट्रैंड बरिस्ता बना डाला और कंप्लेन करती हो काॅंम्पलीमेंट देना नहीं आता मुझे " काॅफी कप रोज़दा को पकडा कर मैं सिप करते हुए मशीन क्लीन करने लगा.
इस बार मैड़म की जुबान तो खामोश थी लेकिन चेहरे पर मनो-भाव तेजी से बदलने लगे, " ट्रैंड बरिस्ता तो तुम बन गये समर लेकिन परफेक्ट हसबैंड नहीं बन पाओगे. झूठ ही बोल देते गेस्ट्स के सामने तारीफ नहीं कर पाये, कम से कम तुम्हारी दलीलें सुनने की जरूरत तो नहीं पड़ती "
आंखे नचा कर चिढ़ते हुए रोज़दा ने सिखा दिया तारीफ और शिकवा कैसे करते हैं. लेकिन हम ठहरे अव्वल दर्जे कमबख्त और मौके पर चूकना हमारी किस्मत में लिखा था. जब मौका था तब तारीफ जाहिर नहीं कर पाए और अब अक्ल मिली तो मैडम चिपक गई मोबाइल पर अपने डैड से. काफी देर इंतजार करने के बाद मुझे जो बोलना था वो मैसिज कर दिया और सो गया आकर अपने हमारे कमरे में.
आंखें खुलने पर बाहर निकला तो किचिन से मस्त महक आ रही थी " व्हट द हैक.... खाना बना भी लिया तुमने? और रोटियां कैसे! " खाली सिगडी़ देखकर हैरत से मैंने रोज़दा को अपनी बाजुओं में उठा लिया " कमाल हो यार तुम, कितना खयाल रखती हो. बढी़या खुशबू आ रही है बटर और बाकी के फ्लेवर्स की "
" तंदूर(इलेक्ट्रिक) की हैं. अंधेरे में इंसेक्ट्स परेशान करते हैं इसलि..... "
उसकी जुबान को अपने होठों की गिरफ्त में लेकर इससे आगे बोलने का मैंने उसे मौका नहीं दिया, और मेरा मजा दोगुना तब हुआ जब उसने रिसिस्ट करना छोड मेरा साथ देना शुरू किया. मैड़म की साडी़ थाइज के ऊपर थी और पैर मेरी कमर के इर्द-गिर्द, और पागलों की तरह हम एक दूसरे पर प्यार के निशान छोड़ते जा रहे थे. सांसें उखड़ने से मैडम की पकड़ कमजोर हुई तो कांउंटर-टाॅप पर बिठा कर पानी पिलाने लगा. उसकी ब्रा-स्ट्रेप्स के साथ खेलना मुझे पसंद था लेकिन अब मेरे उंगली की छुअन से गरदन से गले तक रोंगटे खडे़ होने लगते और चेहरे पर घबराहट देख मैं कमजोर पड़ जाता, " रिलैक्स रोजे़न, जस्ट कैरिड अवे बट आईम कंप्लीटली कंपोज्ड नाउ "
" आईम यूअर वाइफ समर बट नेक्सट टाइम जब भी यह हो तो प्लीज रुकना मत क्यूंकि आज इससे डरने लगी तो लेबर-पेन से भी बचने की कोशिश करुंगी जो मैं बिल्कुल नहीं चाहती ", खडे होकर रोज़दा ने माथे पर किस किया और वापस मेरे हाथ अपने कंधों और बैक पर रख साडी़ ठीक करने लगी.
ब्रा-स्ट्रेप्स पर मेरी उंगलियां अब दुबारा से फिसलने लगी लेकिन मैडम की स्किन पहले जितनी रिसपोंसिव न होने से बैक को सहलाते-सहलाते नीचे हिप्स और थाइज पर जम गये, " जीरो एक्सट्रा फैट. एक्सरसाइज मैं करता हूॅं और उसका असर दिखता है तुम्हारे ऊपर. वैसे, नानवेज में सबसे ज्यादा पसंद क्या है तुम्हें? मेरा मतलब इंडियन नाॅनवेज डिश "
पलटकर रोज़दा ने मुझे धमकी भरे अंदाज में जताया वो भी मेरे जितनी ही इंडियन है और जो भी उसको पसंद है वो इंडियन-फूड की काॅपी थी " मीटबाॅल्स कोफ्ते के जैसे होता है, डोलमा-बिरियानी, रोल-काठी रोल, दलिया और पिलाफ में कोई फर्क नहीं, गोज्लमे- ब्रेड सैंडविच/कुल्चे की तरह, बोरैक-पराठा, कपुस्का-खिचडी़, बकला.. "
पुरजोर कोशिश से हांफने लगी थी वो और इसका असर से जब राउंड ब्रेस्टस भारी हुए तो मुझे थोडी़ देर पहले दी गई उसकी नसीहत याद आई, " तुम्हारे आईसक्रीम कोन चखने हैं मुझे अभी, एंड ट्रस्ट मी इस बार मुझे रहम नहीं आएगा "
कमरे में बेड पर उसे लिटा कर मैं फुर्ती से कपडे़ निकलने लगा, और रोज़ेन मुस्कुराते हुए मेरे पागलपन को देखे जा रही थी. थैंकफुली उसके चेहरे पर पहले जैसा डर मौजूद गायब था. इसकी वजह थी मुझपर उसका बढ़ता भरोसा और माॅं बनने की ख्वाहिश तो मैडम को भी थी, " मुझसे भी ज्यादा कंफ्यूज हो तुम समर बट आई डेयर कि तुमसे ये होगा नहींं इसलिए प्लीज पैंम्पर करो मुझे पहले, उससे शायद तुम्हें हैल्प मिले " हेडरेस्ट के सहारे बैठते हुए मैड़म ने असलियत बयां कर अपनी स्ट्रैटजी बताई.
पहली बार नहीं था ये जब मेरे अरमानों की हवा निकली. एक भरोसेमंद पार्टनर की तलाश में ये आदत अब सब्र में तब्दील हो चुकी थी. " पैम्पर करना नहीं आता यार मुझे. अगर आता तो..... " कुछ खयाल आने पर वापस अपना शाॅर्ट पहन रोज़दा के बराबर बैठ इरीन के टैक्ट्स दिखाने लगा. जेनोफोबिया था उसे और ये बात वो शुरु से मुझसे छुपा रही थी, " प्रोवोक करने से कुछ नहीं होगा, पहल तो तुम्हें करनी ही पडेगी मैडम, वैसे भी मैं हसबैंड हूं तुम्हारा कोई रेपिस्ट नहीं "
" बिच! इतने लूड एंड ऑबनाॅक्शियस टैक्स्ट करती है वो और तुमने मुझे बताया तक नहीं? छी.. इतनी बडी स्लट! अबसे पासवर्ड बता कर रखना. ओ गाॅड.. देखा इसीलिए माॅम मुझे उदयपुर में पढ़ाना चाहती थीं " स्क्राॅल करने के साथ-साथ रोज़दा गुस्से से तमतमा रही थी. सारे मैसिज पढ़ने के बाद उसने मोबाइल का पीछा छोडा़ मगर अभी भी उसकी धड़कनें शांत नहीं थी, " वेट, कहीं वो टेस्ट तो नहीं कर रही थी? कुज़, शी हैज लैफ्ट्ड हर फैमिली फाॅर डेनिज़ भाई. एनीवे... लेकिन उसे मजाक में भी तुम्हें ऐसे मैसेज नहीं करने चाहये थे "
" ठीक है ऑनेस्टली बताना, क्या तुम इसलिए नाराज हो इरीन मुझसे गंदे मजाक करती है? या इसलिए कि उसने तुम्हारा भरोसा तोडा?? " मैंने पूछा तो आंसू टपकने लगे रोजदा की आंखों से.
गणेश की काॅल आने पर मैं उससे बात करने लगा. पता लगा डीआईजी ने रोज़दा के केस में ओएसडी को नेपाल पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर मीडिया कांफ्रेस में इसे पाॅलिटीकली मोटिवेटिड प्रूव कर शासन की जान सासंत में डाल दी थी. बाकी की कसर ओएसडी के इकबालिया बयान ने कर दी जिसमें उसने आरोप लगाया था एक बडे मंत्री के छुटभइये नेता पर. गणेश की नेपाल ट्रिप कैंसिल हो गया थी तो डीआईजी के सही वक्त पर एक्टिव होकर पहली बार कायल बना दिया था मुझे अपना. रोज़दा की जुबान पर एक ही रट थी, सुलह कर लूं मैं डीआईजी झा से क्यूंकि दुश्मनों के बीच मुझे सख्त जरूरत पड़ने वाली थी दोस्तों की.
" फाइन, उदयपुर जाएंगे तब मिल आएंगे. नहाने जा रहा हूं. किसी की काॅल या कोई आए तो बोल देना हैल्थक्लब गया हूं और अगले 5-6 दिन सोशल-मीडिया से दूर रहना है अपने को, उसके बाद जो मन आए करना "
छोटे बच्चे की तरह रोज़दा को समझा कर मैं शाॅवर के नीचे खुद को भिगोने लगा.
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