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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
मैं, गुड्डी और होटल
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ओह्ह्ह.. समय की स्कारसिटी है...अभी तो आनंद बाबू हवा मिठाई का मजा ले रहे हैं,
दस मिनट का समय चंदा भाभी ने दिया है, गूंजा को स्कूल भी जाना है और नीचे उसकी सहेली भी आ गयी है
उम्मीद पे दुनिया कायम है
फिर तो ये परीक्षा की घड़ी है... दोनों के लिए...एकदम, और वो किस्सा क्योंकि आनंद बाबू को सुना चुकी है इसलिए चुनौती आनंद बाबू और गूंजा दोनों के लिए है, अब जीजा साली बने हैं तो,
दूबे भाभी तो एक-एक रेशा साफ कर देंगी...वो भी होगा, आगे आगे देखिये होली में क्या क्या होता है
आपके इस छंद ने मन को मोह लिया...हाथ ले जाकर वहीँ रख दिया
माखन सो मन दूध सो जोबन है दधि ते अधिकै उर ईठी ।
जा छवि आगे छपा करु छाछ समेत सुधा बसुधा सब सीठी ।
नैननु नेह चुवै कवि देव बुझावत बैन बियोगि अँगीठी ।
ऎसी रसीली अहीरी अहो कहौ क्योँ न लगै मन मोहनै मीठ।
ये बनारस वालियां .. (चंदा भाभी के खिलाए पिलाए का रस बना कर के निकलवा लेंगी)और बिल वाली ने बोल भी दिया,
चूहे की मर्जी है तुम्हे क्या, बिल और चूहा दोनों राजी हैं तो आनंद बाबू की थोड़े ही चलेगी,
ये बनारस वालियां
अब बनारस में हैं तो खतरा पिछवाड़े की भी लगी होगी...कड़ाही छाप नहीं
कड़ाही की कालिख, भौजाइयों का पक्का रंग, देवर के मुंह की ( और कभी कभी पिछवाड़े ) की भी शोभा।
सारे फोटोज नयनाभिराम....मैम ये फोटोग्राफ कहां से लाती हैं आप ???
शानदार, अद्वितीय और परफेक्ट
सादर
ये तो पहला कदम है...One Lakh Views, Thanks friends
सबके साथ चलने पर जोश कई गुना बढ़ जाता है...Hey Madam, somehow I missed this one...Hearty Congratulations for your story achieving 1L views..
Your story (views wise) started like a passenger train but am sure, it will start running like a Rajdhani (or Vande Bharat) express soon
Comments wise..it is already in 5th gear!!
Look forward to the next update. Many Thanks and Congrats once again.
komaalrani
धीरे-धीरे कारवां लंबा होता जाएगा...कंग्रॅजुलेशंस कोमलजी. अभी तो रस्ता बहोत लम्बा है. इस कहानी को बहोत आगे जाना है. 1 लाख से 10 भी होंगे. तब भी नहीं रुकेगी.
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