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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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मैं, गुड्डी और होटल
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सामान्य बोल-चाल वाली हिंदी हीं है...Aap ka upanyas padhna shuru kar rahi hu... Bhut hi jyada shuddh hindi lag rahi hai.. ummed karti hu.. meri bhi sudhar jaaye..hindi...
Aur kahani bahot hi hoty noty lag rahi... kahi meri raaton ki neend na uda de...
अब ये विकास दर छप्पर फाड़ेगी...एकदम अब जागने का मौका आ गया है, वैसे भी जिस तरह से ट्रेन से गुड्डी की मम्मी, छुटकी के सामने खुल के बोल रही थीं , आनंद बाबू की रगड़ाई कर रही थीं उससे भी उन्हें कुछ तो अंदाजा गुड्डी की छोटी बहनों के बारे में लग ही गया होगा। और अब तो चंदा भाभी ने दैहिक परीक्षण कर के सारे सेकंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर्स दोनों छोटी बहनों के गिनवा दिए , वो भी पिछली होली के तो अब तक तो विकास की दर कुछ तेज हुयी ही होगी।
लड़कों के देखते हीं अपनी चुन्नी ठीक करने की शुरुआत हो जाती है...लड़के जिस अंग को सबसे पहले देखते है और लड़कियां जिसे सबसे पहले दिखाती हैं बात वहां से शुरू हुयी है और सबसे ज्यादा छुपने छुपाने वाली जगह तक पहुंचेगी।
वरना अनाड़ी के हाथ में तलवार क्या चाकू भी बेकार है...एकदम लेकिन सिर्फ तलवार बाँध के चलने से कुछ नहीं होता जब तक तलवार बाजी न आये।
और आज चंदा भाभी वही तलवार बाजी सिखा रही हैं, एसेट्स का ऑप्टिमम इस्तेमाल,
खास कर मुख शुद्धि के लिए...आनंद बाबू की झिझक तोड़ने के लिए और उन्हें अच्छे बच्चे की इमेज तोड़कर बाहर निकालने के लिए इन शब्दों को न सिर्फ सुनने की हिचक दूर होनी जरूरी है बल्कि बौलने की भी
कई बार लड़कियां हों या लड़के गाली की शिक्षा रैगिंग का अनिवार्य अंग होती है
और नई घोड़ी को साधना भी...चंदा भाभी के मुख सुख से शुरुआत करने के दो अंतर्निहित कारण थे।
एक तो आनंद बाबू चरम सुख कितनी देर में प्राप्त करते हैं इसका अंदाज लग जाए, लम्बी रेस के घोड़े या टू मिनट नूडल।
दूसरी बात एक बार चरम सुख मिल जाने के बाद जो उत्सुकता, घबड़ाहट, जल्दी बाजी होगी वो समाप्त हो जायेगी।
और एक बात और अगर कभी किसी लड़की के साथ सिर्फ मुख सुख मिलने का चांस होगा, ऐसा मौका नहीं होगा की सब कुछ हो सके तो इस सुख की याद करके वो मुख सुख के लिए ही ट्राई मार लेंगे।
चंदा भाभी को पता चल गया की लम्बी रेस का घोडा है। थोड़ा घुड़सवारी सिखानी पड़ेगी बस।
और अपनी आँखों के सामने उस घटना को घटित होता हुआ महसूस करें...Thanks, every character is important but i introduce some important characters with their persona, attitudes and attributes so readers can relate both with the body and the soul.
अगला इम्तिहान गुड्डी या रीत या फिर गुंजा....?????रति विपरीत गाडी स्टार्ट करने के लिए थी । और गुरु को सुख तभी मिलता है जब शिष्य आगे निकल जाता है
गुड्डी को एक ये भी फायदा था कि नौसिखिए से सामना नहीं करना पड़ेगा..एकदम एक तो साल दो साल में साजन से मिलन का सुख और साजन भी बस ,
और गुड्डी को भी ये दुःख मालूम था इसलिए वो आनंद के पीछे पड़ी थी, और एक बार चंदा भाभी के साथ सीख लेने पर गुड्डी के साथ की उनकी झिझक भी ख़तम हो जाती
गुरु अनुभव की खान है...अब ये सब बातें तो मस्तराम की कहानियां पढ़ के, जिस दुनिया में वो जीते थे वहां आनंद बाबू को मिलने वाला नहीं था।
बिन गुरु ज्ञान न होय