And thanks for such massive praise for this part.
one small " Guddi and her husband", Anand Babu is not a husband, although he wishes to be one but does not know how to proceed. Secondly, he is not a traditional lover, and never said I love you to Guddi, but in a relationship a lot of things are said, without getting said. And various episodes try to portray those unsaid things. And that is why i have added a flashback, and even in this part, like he admits why he likes her.
लेकिन गुड्डी की जिस बात ने मुझे मुझसे ही चुरा लिया था,... वो थी, कैसे कहूं,... उसकी पहल,... जो में चाहता था पर बोल भी नहीं पाता था, वो समझकर कर देती थी। पहली मुलाक़ात से ही, ... कौन इंटर में पढ़ने वाला लड़का होगा जो किसी लड़की को देख के आंख भर देखना नहीं चाहेगा, मुंह भर बतियाना नहीं चाहेगा,... लेकिन मैंने मारे झिझक के किताब की दीवाल खड़ी कर दी, पर वो जानती थी मैं क्या चाहता हूँ और दांत देखने के बहाने मुंह खुलवा के,... रसगुल्ले के साथ उसकी मीठी ऊँगली का स्वाद कभी नहीं भूलने वाला,...
बस वो स्वाद एक सपना जगाता है ,... उसी घर में ये लड़की दुल्हन बनी, कोहबर में दही गुड़ खिला रही है और उसकी बहने छेड़ रही हैं,... लेकिन मैं सपने देखने वाला और वो सपनों को जमीन पर लाने वाली,...
उसी दिन, लग उसे भी गया था, उसी दिन डांस करते हुए, जिस तरह से वो मुझे देख दिखा के लाइनों पर थिरक रही थी,
मेरा बनके तू जो पिया साथ चलेगा
जो भी देखेगा वो हाथ मलेगा
और फिर रही सही कसर बीड़ा मारते समय, एकदम मुझे ढूंढ के बीड़ा मारा था, सीधे दिल पर लगा,... और जब सब लड़कियां मुंडेर से हट भी गयीं,... वो वहीँ खड़ी रही मुझे देखते चित्रवत,... और मैं भी मंत्रबद्ध, जैसे किसी लड़की ने बीड़ा नहीं जादू की मूठ मार दी हो, हिलना डुलना बंद हो गया हो,...
फिर गुड्डी की मम्मी, मेरा मतलब मम्मी ने गुड्डी को दिखा के , चिढ़ा के पूछा था, शादी करोगे इससे,... अचानक कोई मन की बात बोल दे, ... लाज के मारे मैं जैसे बिदाई के समय दुल्हन गठरी बनी, बस एकदम उसी तरह, ...
Joy of writing * (and reading) lies in first visualizing those soft unsaid moments, and then capturing them in words .