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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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मैं, गुड्डी और होटल
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बहुत ही मजेदार और लाज़वाब अपडेट हैफागुन के दिन चार - भाग चार
चंदा भाभी
४६,६०९
" मम्मी बोलते हो तो बहुत अच्छा लगता है, खूब मीठा मीठा लगता है लगता है एकदम दिल से बोल रहे हो। "
जबतक मैं जी मम्मी बोलता फोन कट गया, लेकिन गुड्डी ने जिस प्यार से मुझे देखा, ...मै मान गया उसकी यह बात भी बाकी बात की तरह सही थी,
हाँ जब तक हम लोग सीढ़ी चढ़ के ऊपर पहुंचे एक बार फिर गुड्डी का फोन बजा और बजाय खोलने के उसने मुझे पकड़ा दिया, तेरे लिए ही होगा, मम्मी का फोन है।
उन्ही का था, बड़ी मिश्री भरी आवाज एकदम छेड़ने वाली चिढ़ाने वाली, बोलीं
" मम्मी इस लिए तो नहीं कहते की दुद्धू पीना यही, चल अबकी आओगे न होली के बाद, पिला दूंगी "
और जब तक मैं कुछ जबाब देता फोन कट गया था और हम लोग चंदा भाभी के घर पहुँच गए थे।चंदा भाभी का घर फर्स्ट फ्लोर पर था, गुड्डी के घर से सटा, सामने खूब बड़ी सी खुली छत। छत परसिर्फ यही दो घर थे,...
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वो मुझे चंदा भाभी के घर सीधे ले गई। वो मास्टर बेडरूम में थी। एक आलमोस्ट ट्रांसपरेंट सी साड़ी पहने वो भी एकदम बदन से चिपकी, खूब लो-कट ब्लाउज़।
उन्हें देखते ही गुड्डी चहक के बोली- “देखिये आपके देवर को बचाकर लायी हूँ इनका कौमार्य एकदम सुरक्षित है। हाँ आगे आप के हवाले वतन साथियों। मैं अभी जस्ट कपड़े बदल के आती हूँ…”
और वो मुड़ गई।
“हेहे। लेकिन। ये तो मैंने सोचा नहीं…” तब तक मेरी चमकी, मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी मैं बोला।
“क्या?” वो दोनों साथ-साथ बोली।
“अरे यार मैं। मैं क्या कपड़ा पहनूंगा। और सुबह ब्रश। वो भी नहीं लाया…”
अपनी परेशानी मैंने गुड्डी और चंदा भाभी को बताई।
“ये कौन सी परेशानी की बात है कुछ मत पहनना…” चंदा भाभी बोली।
“सही बात है आपकी भाभी का घर है। जो वो कहें। और वैसे भी इस घर में कोई मर्द तो है नहीं। भाभी हैं, मैं हूँ। गुंजा है। तो आपको तो लड़कियों के ही कपड़े मिल सकते हैं। और मेरे और गुंजा के तो आपको आयेंगे नहीं हाँ…”
भाभी की और आँख नचाकर वो कातिल अदा से बोली, और मुड़कर बाहर चल दी।
“आइडिया तो इसने सही दिया। लेकिन आप शर्ट तो उतार ही दो। क्रश हो जायेगी और शाम से पहने होगे। अन्दर बनियाइन तो पहना होगा ना तो फिर। चलो…”
और मेरे कुछ कहने के पहले ही भाभी ने शर्ट के बटन खोल दिए। और खूँटी पे टांग दी।
बेडरूम में एक खूब चौड़ा डबल बेड लगा था। उसपे एक गुलाबी सी सिल्केन चादर, दो तकिये, कुछ कुशन, बगल में एक मेज, एक सोफा और ड्रेसिंग टेबल। साथ में एक लगा हुआ बाथरूम।
“छोटा है ना?” भाभी ने मुझे कमरे की ओर देखते हुए कहा।
लेकिन मेरी निगाह तब तक उनके छलकते हुए उभारों की ओर चली गई थी। मुश्कुराकर मैं बोला- “जी नहीं एकदम बड़ा है। परफेक्ट…”
“मारूंगी तुमको। लगता है पिटाई करनी पड़ेगी…” मेरी नजरों की बदमाशी पकड़ी गयी थीं। भाभी बोलीं।
“हाँ मेरी ओर से भी…” ये गुड्डी थी।
वो कपडे बदलकर वापस आ गयी थी। उसने घर में पहनने वाली फ्राक पहन रखी थी जो छोटी भी थी और टाईट भी। जिस तरह उसके उभार छलक रहे थे साफ लग रहा था की उसने ब्रा नहीं पहन रखी है।
“अरे वाह। आपको टापलेश तो कर ही दिया पूरा ना सही। आधा ही सही…”
गुड्डी आते ही चालू हो गई। पर चन्दा भाभी कुछ सोच रही थी।
“आप लुंगी तो पहन लेते हैं ना…” वो बोली।
“हाँ कभी कभी। है क्या?” मैंने पूछा। मैं भी पैंट पहनकर कभी सो नहीं पाता था।
“हाँ,... नहीं। वो गुंजा के पापा जब आते हैं ना तो कभी मेरी। मतलब वो भी कित्ते कपड़े लाये। और दो-चार दिन के लिए तो आते हैं। तो मेरी एकाध पुरानी साड़ी की लूंगी बनाकर,.. रात भर की तो बात होती है…”
“अरे पहन लेंगे ये। और बाकी। साड़ी क्या ये जो आप पहनी हैं वही क्या बुरी है…” गुड्डी ने बोला।
मुझे भी मजाक सूझा। मैंने भी बोला-
“ठीक है भाभी आप जो साड़ी पहने हैं वही और आखिर मैं भी तो दो कपड़े में ही रहूँगा। और आप फिर भी…”
“ठीक है चलिए पहले आप पैंट उतारिये…” भाभी ने हँसकर कहा।
“एकदम नहीं…” गुड्डी इस समय मेरे साथ आ गई थी-
“ये सही कह रहे हैं। पहले आपकी साड़ी उतरेगी। आखिर आप ने ही तो साड़ी की लूंगी बनाने का आफर दिया था…”
हँसकर वो बोली- “सही की बच्ची। कल तुमको और इनको यहीं छत पे नंगे ना नचाया तो कहना और वो भी साथ-साथ…”
गुड्डी ने मुझे आँख से इशारा किया। मैं कौन होता था उसकी बात टालने वाला। जब तक चन्दा भाभी समझें समझें, उनकीं साड़ी का आँचल मेरे हाथ में था। वो मना करती रही पर मैं जानता था की इनका मना करना कितना असली था कितना बनावटी। और दो मिनट के अन्दर उनकी साड़ी मेरे हाथ में थी।
लेकिन अब भाभी के हाथ में मेरी बेल्ट थी और थोड़ी देर में मेरी पैंट की बटन। मैंने झट से उनकी साड़ी लूंगी की तरह लपेट ली।
तब तक मेरी पैंट उनके हाथ में थी और वो उन्होंने गुड्डी को पास कर दिया। उसने स्लिप पे खड़े फिल्डर की तरह मेरे देखने से पहले ही कैच कर लिया और शर्ट के साथ वो भी खूँटी पे।
जब मैंने अपनी ओर देखा तब मुझे अहसास हुआ की गुड्डी और भाभी मुझे देखकर साथ-साथ क्यों मुश्कुरा रही थी। साड़ी उनकी लगभग ट्रांसपरेंट थी और मैंने ब्रीफ भी एकदम छोटी वी कट और स्किन कलर की। शेप तो साफ-साफ दिख ही रहा था और भी बहुत कुछ। सब दिखता है के अंदाज में।
चंदा भाभी ने अपनी हँसी छुपाते हुए गुड्डी को हड़काया-
“अच्छा चल बहुत देख लिया चीर हरण। कल होली में पूरी तरह होगा। पर ये बता की तुम दोनों ने बाजार में खाली मस्ती ही की या जो मैंने सामान लाने को कहा था वो लायी। जरूर भूल गई होगी…”
“नहीं कैसे भूलती, आपके देवर जो थे साथ में थे। अभी लाती हूँ…”
जैसे ही वो मुड़ी भाभी ने कहा- “अरे सुन ना। इनकी शर्ट पैंट सम्हालकर रख देना…”
“एकदम…” उसने खूँटी से खींचा और ले गई बछेड़ी की तरह। फिर दरवाजे पे खड़ी होकर मेरी शर्ट मुझे दिखाकर बोलने लगी-
“सम्हालकर। मतलब यहाँ पे गुलाबी और यहां पे गाढ़ा नीला…”
“हे मेरी सबसे फेवरिट शर्ट है…” लेकिन वो कहाँ पकड़ में आती। ये जा वो जा।
थोड़ी देर में वो बैग लेकर आई और भाभी को दिखाया। उसने भाभी के कान में कुछ कहा और भाभी ने झांक के बोला- “अरे अब तो कल मजा आ जायेगा…”
मैं समझ गया की उसने बियर की बोतल दिखाई होंगी।
बहुत ही रोमांचकारी अपडेट हैगुड्डी और चंदा भाभी -डबल ट्र
जैसे ही वो मुड़ी भाभी ने कहा- “अरे सुन ना। इनकी शर्ट पैंट सम्हालकर रख देना…”
“एकदम…” उसने खूँटी से खींचा और ले गई बछेड़ी की तरह। फिर दरवाजे पे खड़ी होकर मेरी शर्ट मुझे दिखाकर बोलने लगी- “सम्हालकर। मतलब यहाँ पे गुलाबी और यहां पे गाढ़ा नीला…”
“हे मेरी सबसे फेवरिट शर्ट है…” लेकिन वो कहाँ पकड़ में आती। ये जा वो जा।
थोड़ी देर में वो बैग लेकर आई और भाभी को दिखाया। उसने भाभी के कान में कुछ कहा और भाभी ने झांक के बोला- “अरे अब तो कल मजा आ जायेगा…”
मैं समझ गया की उसने बियर की बोतल दिखाई होंगी।
पान लायी की नहीं? भाभी ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए अगला सवाल किया।
“लायी। लेकिन एक तो ये खाते नहीं। मालूम है वहां दुकान पे बोलने लगे की मैं तो खाता नहीं…”
तब तक भाभी पान के पैकेट खोल चुकी थी। चांदी के बर्क में लिपटा स्पेशल पान- “अरे ये किसकी पसंद है?”
“और किसकी। इन्हीं की…” गुड्डी ने हँसते हुए कहा।
“मैं तो इनको अनाड़ी समझती थी लेकिन ये तू पूरे खिलाड़ी निकले…” भाभी हँसने लगी।
“आप ही ने तो कहा था की स्पेशल पान तो मैंने। …” मैंने रुकते-रुकते बोला।
“लेकिन उसने पूछा होगा ना की। …” भाभी बोली।
“हाँ पूछा था की सिंगल या फुल। तो मैंने बोल दिया। फुल…” मैंने सहमते हुए कहा।
“ठीक कहा। ये पान सुहागरात के दिन दुलहन को खिलाते हैं। पलंग-तोड़ पान…” वो हँसते हुए बोली।
“अरे तो खिला दीजिये ना इन्हें ये किस दुलहन से कम हैं और। सुहागरात भी हो जायेगी…” गुड्डी छेड़ने का कोई चांस नहीं छोड़ती थी।
“भई, अपना मीठा पान तो…”गुड्डी ने मीठे पान का जोड़ा मुझसे दिखाया, अपने रसीले होंठों से दिखा के ललचाया जैसे पान नहीं होंठ दे रही हो और पूछा
म “क्यों खाना है?”
बड़ी अदा से उसने पान पहले अपने होंठों से, फिर उभारों से लगाया और मेरे होठों के पास ले आई और आँख नचाकर पूछा-
“लेना है। लास्ट आफर। फिर मत कहना तुम की मैंने दिया नहीं…”
जिस अदा से वो कह रही थी। मेरी तो हालत खराब हो गई। ‘वो’ 90° डिग्री का कोण बनाने लगा।
“नहीं। मैंने तो कहा था ना तुमसे की। मैं…”
पर वो दुष्ट मेरी बात अनसुनी करके उसने पान को मेरे होंठों से रगड़ा, और उसकी निगाह मेरे ‘तम्बू’ पे पड़ी थी और फिर उसने अपने रसीले गुलाबी होंठों को धीरे से खोला और पूरा पान मुझे दिखाते हुए गड़ब कर गई। जैसा मेरा ‘वो’ घोंट रही हो।
भाभी की निगाहें “होली स्पेशल…” मैगजीन पे जमीन थी। मैंने निकालकर उन्हें दिखाया। इसमें होली के गाने, टाईटिलें, और सबसे मस्त होली के राशिफल दिए हैं।
“हे तू सुना पढ़ के…” उन्होंने गुड्डी से कहा। पर वो दुष्ट। उसने अपने मुँह में चुभलाते पान की ओर इशारा किया और राशिफल का पन्ना खोलकर मुझे पकड़ा दिया।
“अरे तू भी तो बैठ। मैंने उससे बोला।
पर सोफे पे मुश्किल से मेरे भाभी के बैठने की जगह थी। भाभी ने हाथ पकड़कर उसे खींचा और वो सीधी मेरी गोद में।
“अरे ठीक से पकड़ ना लड़की को वरना बिचारी गिर जाएगी…” भाभी बोली और मैंने उसकी पतली कमर को पकड़ लिया।
“तभी तो मैं कहती हूँ की तुम पक्के अनाड़ी हो, अरे जवान लड़की को कहाँ पकड़ते हैं ये भी नहीं मालूम और उन्होंने मेरा हाथ सीधे उसके उभार पे रख दिया। मेरी तो लाटरी खुल गई।
वो शरारती उसे कुछ नहीं फर्क पड़ रहा था। उसने राशिफल के खुले पन्ने और भाभी की ओर इशारा करते हुए अपने उंगली कन्या राशि पे रख दी।
बहुत ही मजेदार और रोमांचकारी अपडेट हैहोली का राशिफल
चंदा भाभी -कन्या राशि
“भाभी सुनाऊं कन्या राशि?” मैंने हिचकचा के पूछा
“सुनाओ, लेकिन इसके बाद तुम दोनों का भी सुनूंगी…”
चंदा भाभी की झलकौवा साड़ी तो मेरी देह पर लुंगी बनी थी, वो सिर्फ चोली और पेटीकोट में। चोली भी बस नीचे से कस के जोबन को दबोचे, उभारे, दोनों गोरी गोरी गोलाइयाँ साफ़ झलक रही थीं और वो जरा सा झुकी तो उन दोनों कबूतरों की चोंच भी दिख दिख गयी, और मुझे देखते गुड्डी ने भी देख लिया और भाभी ने भी,... दोनों जोर से मुस्करायीं , गुड्डी ने चिढ़ाया भी लालची।
मैंने पढ़ना शुरू किया- “कन्या राशी की भाभियां। आपके लिए आने वाले दिन बहुत शुभ हैं. आपका.... और फिर मैं ठिठक गया, आगे जो लिखा था।
देख दोनों रही थी क्या लिखा है? लेकिन पहल गुड्डी ने की। पान चुभलाते हुए वो बोली-
“अरे इत्ता खुल कर तो भाभी ने शाम को तुम्हें तुम्हारी सो-काल्ड बहन का हाल सुनाया। तो तुम उनसे शर्मा रहे हो या मुझसे? पढ़ो जो लिखा है…”
भाभी ने भी बोला- “पढ़ो ना यार। पूरा बिना सेंसर के जस का तस…”
और मैंने फिर शुरू किया-
“आपके आने वाले दिन बहुत शुभ हैं। आपका,.. थूक गटका मैंने और बोला-
" आपका लण्ड का अकाल खतम होने वाला है। इस होली में खूब मोटी मोटी पिचकारी मिलेगी। आपकी चोली फाड़ चूचियां खूब मसली रगड़ी जायेंगी और पिछवाड़े का बाजा बजने का भी पूरा मौका है।कोई कुंवारा है जो आपके जोबन जबरदंग का दीवाना है, देख के ही उसके मुंह में पानी आता है लेकिन न सबके लिए आपको इस फागुन में एक विशेष उपाय करना पड़ेगा। ध्यान से सुनें…”
भाभी बोली- “सुनाओ ना कर लूँगी यार…”
और मैंने आगे पढ़ना शुरू कर दिया, लेकिन बार बार निगाहें भाभी के गद्दर जोबन की ओर मुड़ जाती थी, चोली में एकदम चिपके, कड़ाव उभार कटाव सब दिख रहा था. और चोली थी भी झलकौवा, जहाँ से उभार शुरू होते थे वहीँ से पकडे उभारे, साइड से दबोचे और गोरी चिकने पेट पर खूब गहरी नाभि भी साफ़ दिख रही थी। पेटीकोट भी कूल्हे के नीचे से बंधा था, नाभि के नीचे भी एक बित्ते से ज्यादा गोरा गोरा मक्खन सा चिकना पेट दिख रहा था, बस थोड़ा ही नीचे होगा रस कूप।
“इस मैगजीन के आखिरी पन्ने पे दिए लण्ड पुराण का रोज पाठ करें, सुबह और शाम जोर-जोर से गा के। किसी कुँवारे देवर की नथ उतार दें भले ही आपको उसे रेप करना पड़े, और इस होली में होली से पहले किसी कुँवारी चूत की सील तुड़वाने में सहायता करें। फागुन में कम से कम दो चूत में उंगली करें। साल भर लण्ड देवता की आप पे कृपा रहेगी। कहने को तो आप कन्या राशी की हैं लेकिन आप बचपन से ही छिनाल हैं। इसलिए अगर आप अन्य कन्याओं को छिनाल बनाने में सहायता करेंगी तो होलिका देवी की आप पे विशेष कृपा रहेगी। आपकी होली बहुत जोरदार होगी, दिन की भी, रात की भी। बस देवर का दिल रख दें…”
ये कहकर मैंने उनकी ओर देखा।जितनी ललचाई निगाह से मैं उन्हें देख रहा था उतनी ही प्यासी निगाह से वो मुझे।
गुड्डी ने तुरंत भाभी से कहा-
“अरे आपका ये कुँवारा कम कुँवारी देवर है ना। बस इसकी नथ उतार दीजिये। और आपकी होली की भविष्यवाणी पूरी…”
“और वो सील तुड़वाने वाली बात?” मैं क्यों पीछे रहता।भाभी की संगत पा के मेरी धड़क भी खुल गयी थी।
गुड्डी शर्मा गई।
पर भाभी क्यों मौका छोड़ती। हँसकर बोली- “है ना ये?”
गुड्डी ने हँसकर बात बदली और बोली- “अच्छा चलो अपना सुनाओ…”
नहीं थोड़ा सा और बचा है,... मैं बोला और चंदा भाभी के आने वाले साल का राशिफल बचा खुचा भी सुना दिया।
होली में चोली न खुले तो बड़ा पाप लगता है, तो चोली तो खुलनी ही चाहिए और चोली के फूलों का दान भी दीजिये। दान देने से दूना जोबन बढ़ेगा। और सबसे जरूरी बात है की कन्या राशि के लिए कन्या को स्त्री बनाने में योगदान बहुत जरूरी है। घर मे कोई, अगल बगल पास पड़ोस,... सीधे से न माने तो जबरदस्ती,... सबको ऊँगली घोटाइये लेकिन होलिका देवी का आशीर्वाद पूरा तभी मिलेगा जब उसे लंड घोंटाने में सहायता देंगी,...
तुम्हारा शुरू करता हूँ, मैंने बोला पर भाभी भी गुड्डी के साथ , आखिर मैंने कर्क राशी का राशिफल पढ़ना शुरू किया।
राशि के हिसाब से तो आनंद बाबू अपने सुसराल में ही है और गुलाबी किशोरी गुड्डी ने नयनों में को गए हैं साथ ही उसके उरोजो को कसकर दबा रखा है रही बात नथ उतरने की तो शायद वह भी चंदा भाभी पूरी कर दे साथ ही गुड्डी ने भी सिखाने की जिम्मेदारी चंदा भाभी को दे दी हैहोली का राशिफल
आनंद बाबू -कर्क राशि
गुड्डी ने हँसकर बात बदली और बोली- “अच्छा चलो अपना सुनाओ…”
नहीं पहले तुम्हारा शुरू करता हूँ, मैंने बोला पर भाभी भी गुड्डी के साथ आखिर मैंने कर्क राशी का राशिफल पढ़ना शुरू किया।
“कर्क राशी के देवरों, जीजा और यारों के लिए। आपकी पकड़ बहुत मजबूत होती है। (गुड्डी बोल पड़ी। कोई शक। तब मैंने महसूस किया की मैंने उसके गदराये किशोर उभार बहुत कसकर दबा रखे थे।) पकड़ सिर्फ हाथों की ही नहीं, आगे से, पीछे से आप जो भी पकड़ेगे उसे बहुत कसकर घोंटेंगे…”
ओर भाभी और गुड्डी दोनों एक साथ कहकहा लगाकर हँस पड़ी।
“तभी तो मैं कहती थी की तुम्हारे और तुम्हारी बहन में कुछ खास फर्क नहीं है। वो आगे से लेती है तुम पीछे से लेते हो…” भाभी ने चिढ़ाया।
“और क्या अच्छा हुआ हम लोगों ने इन्हें रोक लिया वरना जरूर कोई ना कोई हादसा हो जाता…” गुड्डी भी कम नहीं थी।
“अरे हादसा हो जाता या इनको मजा आ जाता। लेकिन चलिए कोई बात नहीं, कल सूद समेत हम लोग आपके पिछवाड़े का भी हिसाब पूरा कर देंगें…” ये चंदा भाभी थी।
“और क्या कल आपका डलवाने का दिन होगा और हम लोगों का डालने का…” गुड्डी बोली।
“और वैसे भी आपकी इस आदत से तो आपकी बहन की भी दुकान बढ़िया चलती होगी। जिसको जो पसंद हो…” चन्दा भाभी पूरे जोश में थी।
“और क्या? एक के साथ एक फ्री। स्पेशल होली आफर…” गुड्डी बड़ी जोर से खिलखिलाई।
“अरे साफ-साफ क्यों नहीं कहती की बुर के साथ गाण्ड फ्री…” भाभी बोलीं
“और राशिफल में है की कसकर। तो क्या? बहुत दिनों की प्रैक्टिस होगी…”गुड्डी ने छेड़ा
“बचपन के गान्डू हैं ये। जैसे बहन इनकी बचपन की छिनार है…” अब भाभी पीछे पड़ गयीं
दोनों की जुगलबंदी में मैं फँस गया था। झुंझला के मैं बोला- “अच्छा रुको ना वरना मैं आगे नहीं सुनाऊंगा…”
“नहीं नहीं सुनाइये। अभी तो ये शुरूआत थी आगे देखिये क्या बातें पता चलती हैं। तो चुप रह…
” चन्दा भाभी ने प्यार से मेरे गाल सहलाते और गुड्डी को घुड़कते बोला।
“हाँ तो…” मैंने फिर शुरू किया-
“आपकी यह होली बहुत अच्छी भी होगी और बहुत खतरनाक भी। आप पहले ही किसी किशोरी के गुलाबी नयनों के रस रंग से भीग गए हैं। इस होली में आप इस तरह रस रंग में भीगेंगे की ना आप छुड़ा पाएंगे ना छुड़ाना चाहेंगे। वो रंग आपके जीवन को रंग से पूरे जीवन के लिए रंग देगा। हाँ जिसने की शर्म उसके फूटे करम। इसलिए। पहल कीजिये थोड़ा बेशर्म होइए उसे बेशर्म बनाइये आखिर फागुन महीना ही शर्म लिहाज छोड़ने का है…”
एक पल रुक कर मैंने गुड्डी की ओर देखा।
गुड्डी गुलाल हो रही थी। उसने अपनी बड़ी-बड़ी पलकें उठाएं और गिरा ली। हजार पिचकारियां एक साथ चल पड़ी। मैं सतरंगे रंगों में नहा उठा। मैंने उस किशोरी की ओर देखा
तो बस वो धीमे से बोली- धत्त और अपने होंठ हल्के से काट लिए।
मेरी तो होली हो ली पर चन्दा भाभी बोली- “अरे लाला आगे भी तो पढ़ो…”
और मैंने पढ़ना शुरू किया पर एक शरारत की, मैंने अपनी टांगें उसकी लम्बी-लम्बी टांगों के बीच में इस तरह फँसा दी की अब वो पूरी तरह ना सिर्फ मेरी गोद में थी बल्की उसका मुँह मेरे चेहरे के पास था और वो मेरी ओर फेस करके बैठी थी। मैंने आगे पढ़ना शुरू किया।
“कर्क राशि वालों के लिए विशेष चेतावनी। इस होली में अगर आप अपनी, अपने भाई की या कैसी भी ससुराल की ओर रुख करेंगे तो…”
“अब तो आ ही गए हैं अब क्या कर सकते हैं?”
गुड्डी ने मुश्कुराकर मेरी बात काटते हुए कहा
और चन्दा भाभी ने भी सिर हिला के उसका साथ दिया।
हमने आगे पढ़ना जारी रखा-
“ससुराल की ओर रुख करेंगे तो आपका कौमार्यत्व खतरे में पड़ जाएगा। भाभियां, सालियां या आपकी चाहने वालियां। अब मिलकर नथ उतार देंगी। इसलिए अगर फटनी ही है तो चुपचाप फड़वा लीजिये…”
“एकदम सही बात कहीं है। ज्यादा उछल कूद मत कीजियेगा चुपचाप डलवा लीजिएगा…” गुड्डी हँसकर बोली।
“एकदम अपनी बहन की तरह वो भी बिचारी इन्हीं की तरह सीधी हैं सबका दिल रख देती हैं…” चन्दा भाभी क्यों छोड़ती।
मैं बिचारा। चुपचाप पढ़ता रहा-
“आप का आगे-पीछे दोनों ओर का कुँवारापना उतर जाएगा। और भाभियां और उनके साथ वालियां,... अबकी होली उनके नाम ही की है इसलिए जीतने की कोशिश मत कीजिएगा। आपकी होली में वो गत होगी जो कोई सोच भी नहीं सकता। रगड़ा जाएगा, हचक के डाला जाएगा इसलिए मौके का फायदा उठाइये और बेशर्म होकर होली का मजा लीजिये। हाँ ये तीन उपाय कीजिएगा तो होलिका देवी आपके ऊपर खुश रहेंगी, आपकी रक्षा करेंगी और नई पुरानी एक से एक मस्त चूचियां भी।
पहली बात, किसी बात का बुरा ना मानियेगा, बल्की उनकी हर बात मानियेगा, वरना जबरदस्त घाटा होगा। उनके पैरों पे सिर रखकर। तभी पैरों के बीच की जन्नत मिलेगी…दूसरी बात, ससुराल में है तो डालने का काम ससुराल में ससुराल वालो के जिम्मे, तो जहाँ जैसे जब जितना डालना चाहें, भाभियाँ सालिया या कोई भी बस बिना हाथ पैर झटके, ताकत दिखाए, नखड़ा किये डलवा लीजियेगा।
दोनों ने एक साथ कहा- “एकदम सही बात। याद रखियेगा। हर बात माननी होगी…”
गुड्डी के सामने सिर झुका के कहा- “एकदम मंजूर…”
और तीसरी बात- “मैंने पढ़ना जारी रखा। आखिरी बात। अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर वैसलीन लगाकर रखियेगा सटासट जाएगा और न डालने वाले को तकलीफ होगी और हाँ भाभी का फगुवा उधार मत रखियेगा। जो मांगेंगी दे दीजिएगा…”
“एकदम मुझे बस तुम्हारा वो माल चाहिए। लौटना तो साथ ले आना यहाँ के लोगों की चांदी हो जायेगी और उसका भी स्वाद बदल जाएगा…” भाभी ने छेड़ा।
“ठीक है ये भूल जायेंगे तो मैं याद दिला दूंगी। लौटूंगी तो तुम्हारे साथ ही। हाँ और स्वाद तो उसका बदलेगा। ही दोनों बल्की तीनों मुँह का…” दुष्ट गुड्डी।
लेकिन बात जो मेरे मन में उमड़ घुमड़ कर रही थी, चंदा भाभी ने कहा दिया और गुड्डी की ओर देख कर , और अबकी थोड़ी सिरियस होकर,
" देख लो लाला, कोई चीज के लिए आप ललचा रहे हो, चीज सामने रखी है और अब तीन शर्तें आपके सामने आ गयीं, आपने खुद पढ़ दी तो सोच लो, अगर तीनो शर्त मान लो तो क्या पता २४ घंटे के अंदर ही कोई चीज मिल जाए,... और उससे बढ़के अगली होलिका के पहले वो चीज भी परमानेंट तेरे पास आ जाए,... "
भाभी बोली भी रही थीं गुड्डी को छेड़ भी रही थीं मुस्करा भी रही थी ,
और गुड्डी जो अबतक इतना खुल के मजाक कर रही थी, चिढ़ा रही थी, गुलाल हो गयी थी. नजरें झुकी, पैरों के अंगूठे से भाभी के कमरे की मोजेक फर्श कुरेदती, और कभी मेरी ओर देखती, बाजी अब मेरे हाथ थी,
और मुझे कुछ जल्दी करना था,... पहले तो था पहले पढाई, फिर नौकरी ,. और डेढ़ साल पहले जब नौकरी भी मिल गयी, ... वो भी मैं जो चाहता था, और उस समय बिन कहे हम दोनों ने अपने मन की बात कह भी दी थी, फिर बहाना था ट्रेनिंग का दो साल की ट्रेनिंग , इधर उधर आना जाना, लेकिन अब पांच -छह महीने में ट्रेनिंग भी ख़तम हो जायेगी,... तो इस बार अगर मैंने साफ़ साफ़ नहीं कहा, मामला तय नहीं हुआ,...
बिना सोचे मेरे मुंह से निकल गया, " भौजी आपके मुंह में गुड़ घी, तीन क्या तीस शर्त मंजूर "
लेकिन माहौल को हल्का बनाने में गुड्डी से बढ़कर कौन होता, वो खिलखिलाती चंदा भाभी से बोली,
" अच्छा मौका है ये मान भी गए हैं बस अब मैं निकलतीं हूँ झट अपने कोरे कुंवारे देवर की नथ उतार दीजिये, आपका भी राशिफल पूरा हो जाये, ये भी थोड़ा क ख ग घ सीख जाएंगे। "
अच्छा रुक अब तेरा नंबर है राशिफल है सुनाने का। क्या राशी है तुम्हारी। अब मेरा नंबर था।
बहुत ही मजेदार और रोमांचकारी अपडेट है गुड्डी की राशिफल को पढ़ने के एवज में आनंद बाबू को एक मजेदार और दमदार kiss तो मिल गई साथ ही चंदा भाभी के साथ चूदाई का भी सिग्नल मिल गया है अनाड़ी बाबू की सीखने की शिक्षा शुरू हो गई हैगुड्डी -मीन राशि
अच्छा रुक अब तेरा नंबर है राशिफल है सुनाने का। क्या राशी है तुम्हारी। अब मेरा नंबर था।
“नहीं चलती हूँ अभी नींद आ रही है। कल…” फर्जी जुम्हाई लेते हुए उसने जो अंगड़ाई ली की,... दोनों चूजे उसके टाइट पुरानी फ्राक से भागने के लिए सर उठा रहे थे।
मेरी तो,... वो एकदम साफ-साफ तना टन टना रहा था। बिचारी साड़ी कम लूंगी कित्ता रोकती।
“जी नहीं…” मैंने उसकी दोनों टांगों के बीच फँसी अपनी टांगें फैलायीं। तो वो बिचारी वहीं अटक गई। मैंने कसकर उसे खींचा तो अबकी वो सीधे मेरे ‘भाले’ पे। उसकी फ्राक भी खींच तान में उठ गई थी और ‘वो’ सीधे सेंटर पे सेट था।
“सुनाओ सुनाओ। बोलने दो इसको। अरे इसकी मानोगे तो कुछ नहीं कर पाओगे। हम दोनों की तो सुन ली रानी जी और अब…”भाभी थी न मेरे साथ वो गुड्डी को रोकती बोलीं
“तुम्हारी राशि मीन है ना?”
“जैसे की मालूम नहीं है, तुमको…” कुछ अदा से कुछ नखड़े से वो बोली।
( कितनी बार जब मैं मन के लडूड फोड़ा करता था तो कर्क और मीन राशि के सेक्सुअल रिश्तों के बारे में ये लाइने बार, सोचा करता था
Cancer and Pisces are both very sensual and crave a romantic sex life. When they are in bed together, their connection is explosive and intense. These two signs enjoy sex the most when things are slow and sensual. Pisces in the bedroom does tend to be more sexually adventurous than traditional Cancer. If Pisces is tender and supportive enough, Cancer may let their guard down and be more willing to experiment.
एक दो बार मैंने गुड्डी को भी चुपके से बताया तो वो टिपिकल गुड्डी, देख हम दोनों पानी वाले हैं लेकिन तुम्हारे साथ दो गड़बड़ है एक तो बुद्धू और दूसरे अनाड़ी। और मैं था टिपिकल कर्क राशि वाला, अपने खोल में घुसा रहने वाला, इंट्रोवर्ट, यह गुड्डी ही थी जो मुझे खोल से बाहर लाती थी. उसके साथ रहते ही मैं बदल जाता था, हम दोनों ही इमोशनल थे, इनक्योरेबल रोमांटिक, लेकिन मन से तन तक हाथ पकड़ के ले आने वाली वही थी, इसलिए बस जैसे ही उसका ख्याल आता था वो सामने होती थी तो बस यही मन करता था, ये लड़की मिल जाए, मिल जाए,... हरदम के लिए,... लेकिन बात कभी जबान पर नहीं ला पाता था. जैसे कोई बढ़िया सपना देख रहे हों , सुबह का हो,... तो बस आँख खोलते डर लगता है की कहीं सपना टूट न जाये।
तो राशि तो उसकी मुझे मालूम ही थी, मीन )
मैं चालू हो गया-
“मीन राशि वाली कन्याओं के लिए ये होली बहुत शुभ है। उन्हें अबकी अपनी मन पसंद पिचकारी होली खेलने के लिए मिलेगी और अबकी उनकी बाल्टी में सफेद रंग की बौछार खूब होगी। बस ये ध्यान दें की पिचकारी से खेलते समय पहले उसे ध्यान से पकड़ें और ये ही ध्यान रखें की सीधे साधे ढंग से डलवा लें। वरना कहीं गलत जगह पिचकारी और रंग दोनों जा सकता है…”
“हाँ लेकिन एक बात का ख्याल रखें जिसने आपको दिल दिया हो उसे आप अपनी बिल जल्द से जल्द दे दें वर्ना बिन पानी की मछली की तरह तड़पना हो सकता है।
इस फागुन में आपके लिए एक परमानेंट पिचकारी का इंतजाम हो सकता है। वो मोटी भी है, मस्त भी और रंग से भरपूर भी। उसे देखकर आपकी सारी सहेलियां जलेंगी। लेकिन आपस में बाँट कर लें।
मीन तो पानी में ही रहती है तो आप प्यासी क्यों तड़प रही हैं। इस फागुन में लण्ड योग है बस थोड़ी सी हिम्मत कीजिये। एक पल का दर्द और जीवन भर का मजा। होली में और होली के पहले भी आप जोबन दान करें, आपके उभार सबसे मस्त हो जायेंगे। देखकर सारे लड़कों का खड़ा हो जाएगा और सारे शहर के लौंडे आप का नाम लेकर मुठ मारेंगे।
हाँ उंगली करना बंद करिए और रोज सुबह चौथे पन्ने पे दिए गए लण्ड महिमा का गान अपने वाले के हथियार के बारे में सोच कर करें। जल्द मिलेगा और एक श्योर शोट तरीका।
आपका वो थोड़ा शर्मीला हो थोड़ा बुद्धू हो तो बस। फागुन का मौसम है। आप खुद उससे एक जबर्दस्त किस्सी ले लें…”
गुड्डी मेरी गोद में मेरी ओर फेस करके बैठी थी। उसने दोनों हाथों से मुझे पकड़ रखा था और मैंने भी। मेरा एक हाथ हाथ उसकी कमर पे और दूसरा उसके किशोर कबूतर पे। बड़ी अदा से उस कातिल ने चन्दा भाभी की ओर मुश्कुराकर देखा और भाभी ने हँसकर ग्रीन सिगनल दे दिया।
जब तक मैं समझूँ, उसने दोनों हाथों से मेरे सिर को कसकर पकड़कर अपनी ओर खींच लिया था और उसके दहकते मदमाते रसीले होंठ मेरे होंठों पे।
पीछे से हँसती खिलखिलाती चंदा भाभी ने भी मेरा सिर कसकर पकड़ रखा था।
उसके गुलाबी होंठों के बीच मेरे होंठ फँसे थे। मेरी पूरी होली तो उसी समय हो गई।
साथ-साथ मेरे बेशर्म हाथों की भी चांदी हो गई। वो क्यों पीछे रहते। दोनों उभार मेरी हथेलियों में। पल भरकर लिए होंठ हटे।
“हे भाभी खिला दूं?” पान चुभलाते उस सारंग नयनी ने पूछा।
“नेकी और पूछ पूछ…” हँसकर भाभी बोली और कसकर मेरा मुँह दबा दिया। मेरे होंठ खुल गए और अब किस्सी के साथ-साथ मैं भी कस-कसकर चूम रहा था चूस रहा था। जैसे किसे भूखे नदीदे को मिठाई मिल गई हो। मेरे लिए मिठाई ही तो थी। थोड़ा पान मेरे मुँह में गया लेकिन जब उस रसीली किशोरी ने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाली तो साथ में उसका अधखाया, चूसा, उसके रस से लिथड़ा।
मैं अपनी जीभ से उसकी जीभ छू रहा था चूस रहा था, और जब थोड़ी देर में तूफान थोड़ा हल्का हुआ तो वो अचानक शर्मा गई लेकिन हिम्मत करके चिढ़ाते हुए उसने चन्दा भाभी को देखकर कहा-
“कुछ लोग कहते हैं मैं ये नहीं खाता। वो नहीं खाता…”
“एकदम। लेकिन ऐसे लोगों का यही इलाज है। जबरदस्ती…” चन्दा भाभी ने उसकी बात में बात जोड़ी।
मैं मुँह में पान चुभला रहा था।
“चलती हूँ। बहुत नींद आ रही है…” उसने इस तरह अंगडाई ली की लगा उसके दोनों किशोर कबूतर उड़ के बाहर आ जायेंगे।
मेरा वो पहले ही सिर उठाये हुआ था। अब साड़ी कम लूंगी से सिर बाहर निकालकर झांकने लगा। तिरछी निगाह से उसने ‘उसे’ देखा और शर्मा गई।
लेकिन उसके उठने के पहले ही चन्दा भाभी बोली-
“अरे सुन तूने इनकी शर्ट और पैंट तो पहले ही सम्हालकर रख दी है। ये ब्रा और पैंटी कौन उतारेगा। ये भी उतार दे ना…”
“एकदम…”
और जब तक मैं सम्हलूँ सम्हलूँ, मेरी बनियाइन उसके हाथ में। अगले पल मेरी साड़ी कम लूंगी में हाथ डालकर चड्ढी भी। जैसे म्यान से कोई तलवार चमक के बाहर आ जाए वैसे वो…पतली सी भाभी की साड़ी कितना उसे छुपा पाती।
एक कातिल तिरछी सी निगाह उसपे डालकर वो छम से बाहर।
“अरी सुन। अभी आकर तुझे और गुंजा को दूध देती हूँ सोने के पहले दूध जरूर पीना…”
वो देहरी पे रुक गई। बात वो चन्दा भाभी से कर रही थी लेकिन बिजलियां मुझे पे गिरा रही थी।
“नहीं…” मुँह बनाकर वो बोली। “मैं बच्ची थोड़े ही हूँ। हाँ अपने इन देवर को जरूर पिला दीजिएगा…”वो हँसी तो लगता है हजारों चांदी की घंटियां एक साथ बज गईं।
“अरी दूध नहीं पियेगी तो। दूध देने लायक कैसे बनेगी?” चन्दा भाभी भी ना।
उसके उभारों पे हँसकर हाथ फेरते हुए वो बोली और मुझे देखकर कहा- “और जहां तक इसका सवाल है। इसको तो मैं दूध भी पिलाऊंगी और मलाई भी चखाऊँगी…”
चंदा भाभी अलमारी में कुछ ढूंढ रही थी, उनकी पीठ हम लोगों की ओर,...
वो सोनपरी चौखट पर ठहर गयी, चंदा भाभी की ओर इशारा कर के पहले तो थम्स अप, फिर अंगूठे और तर्जनी को जोड़ के चुदाई का इंटरनेशनल सिंबल दिखाया और मुझे एक जबरदस्त फ्लाईंग किस दे के,... ये जा, वो जा।
जाते हुए कमरे का दरवाजा भी उढ़का दिया।
चंदा भाभी गुड्डी और गूंजा को सुलाने वाली दवाई दूध में मिलाकर पिला दी है आज की रात आनंद बाबू की मजेदार रात होने वाली है आज कुंवारे आनंद की नथ उतराई होने वाली हैदूध
गुड्डी दूसरे बेडरूम में चली गई और भाभी किचेन में। किचेन से दूध के दो गिलास लेकर वापस चन्दा भाभी मेरे बेडरूम में आई। मैं आराम से सोफे से हटकर अब डबल बेड पे बैठा था। उन्होंने कमरे में आलमारी खोलकर कोई बोतल खोली और कुछ दवा सी निकालकर दूध में डाली।
“हे भाभी ये…” मैंने पूछने की कोशिश की पर उन्होंने अपने होंठों पे उंगली रखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया और दूध लेकर बाहर चली गईं।
थोड़े इतराने की, ना ना की आवाज आ रही थी। पर जब वो लौटीं तो उनके हाथ में दो खाली गिलास उनके मिशन के पूरे होने का संकेत दे रहे थे।
किचेन से अबकी वो लौटीं तो उनके हाथ में एक बड़ा गिलास था।
दूध के साथ-साथ मोटी मलाई की लेयर। और ऊपर से जैसे कुछ हर्ब सी पड़ी हों। मस्त महक आ रही थी। बगल के टेबल पे रखकर पहले तो उन्होंने दरवाजा बंद किया और फिर मेरे बगल में आकर बैठ गईं। साड़ी तो उनकी लूंगी बनके मेरी देह पे थी।
वो सिर्फ साए ब्लाउज़ में और ब्लाउज़ भी एकदम लो-कट। भरे-भरे रसीले गोरे गुदाज गदराये जोबन छलकनें को बेताब।
और अब तो चड्ढी का कवच भी नहीं था। ‘वो’ एकदम फनफना के खड़ा हो गया।
भाभी एकदम सटकर बैठी थी।
“दोनों को दूध दे दिया। पांच मिनट में एकदम अंटा गाफिल। सुबह तक की छुट्टी…”
भाभी का एक हाथ मेरे कंधे पे था और दूसरा मेरी जांघ पे…”उसके’ एकदम पास। मेरे कान में वो फुसफुसा के बोल रही थी। उनके होंठ मेरे इयर लोब्स को आलमोस्ट टच कर रहे थे।
मस्ती के मारे मेरी हालत खराब थी।
“दोनों को सुलाने का दूध दिया। और मुझे…” दूध के भरे ग्लास की ओर इशारा करके मैंने पूछा।
“जगाने का…”
मेरी प्यासी निगाहें ब्लाउज़ से झांकते उनके क्लीवेज से चिपकीं थी और वो भी जानबूझ के अपने उभारों को और उभार रही थी।
उन्होंने एक हल्का सा धक्का दिया और मैं पलंग पे लेट गया। साथ में वो भी और उन्होंने हल्की रजाई भी ओढ़ ली। हम दोनों रजाई के अंदर थे।
“तुम्हें मैं जितना, अनाड़ी समझती थी। तुम उतने अनाड़ी नहीं हो…” मेरे कान में वो फुसफुसायीं।
“तो कितना हूँ?” मैंने भी उन्हें पकड़कर कहा।
“उससे भी ज्यादा। बहुत ज्यादा। अरे गुड्डी जब तुम्हारी चड्ढी पकड़ रही थी तो तुम्हें कुछ पकड़ धकड़ करनी चाहिए थी। उससे अपना हथियार पकड़वाना चाहिए था, उसकी झिझक भी खुलती शर्म भी खुलती और। मजा मिलता सो अलग। तुम्हें तो पटी पटाई लड़की के साथ भी ना। एक बार लड़की के पटने से कुछ नहीं होता, उसकी शर्म दूर करो, झिझक दूर करो, खुलकर जितना बेशर्म बनाओगे उसे, उतना खुलकर मजा मजा देगी…”
“तो भाभी बना दो ना अनाड़ी से खिलाड़ी…”
“अरे लाला ये तो तुम्हारे हाथ में है। फागुन का मौका है, खुलकर रगडो। एक बार झिझक चली जायेगी थोड़ी बेशर्म बना दो। बस। मजे ही मजे तेरे भी उसके भी। तलवार तो बहुत मस्त है तुम्हारी तलवार बाजी भी जानते हो की नहीं। कभी किसी के साथ किया विया है या नहीं?”
“नहीं, कभी नहीं…” मैंने धीरे से बोला।
“कोरे हो। तब तो तेरी नथ आज उतारनी ही पड़ेगी…”
चन्दा भाभी ने मुश्कुराते हुए कहा। उनकी एक उंगली मेरे सीने पे टहल रही थी और मेरे निपल के पास आकर रुक गई। वहीं थोड़ा जोर देकर उसके चारों और घुमाने लगी।
मजे के मारे मेरी हालत खराब थी। कुछ रुक के मैं बोला-
“आपने मुझे तो टापलेश कर दिया और खुद?”
“तो कर दो ना। मना किसने किया है?” मुश्कुराकर वो बोली।
मेरी नौसिखिया उंगलियां कभी आगे, कभी पीछे ब्लाउज़ के बटन ढूँढ़ रही थी। लेकिन साथ-साथ वो क्लीवेज की गहराईयों का भी रस ले रही थी।
“क्यों लाला सारी रात तो तुम हुक ढूँढ़ने में ही लगा दोगे…” भाभी ने छेड़ा।
फागुन के दिन चार - भाग पांच
चंदा भाभी की पाठशाला
५६८०१
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किचेन से अबकी वो लौटीं तो उनके हाथ में एक बड़ा गिलास था। दूध के साथ-साथ मोटी मलाई की लेयर। और ऊपर से जैसे कुछ हर्ब सी पड़ी हों। मस्त महक आ रही थी। बगल के टेबल पे रखकर पहले तो उन्होंने दरवाजा बंद किया और फिर मेरे बगल में आकर बैठ गईं। साड़ी तो उनकी लूंगी बनके मेरी देह पे थी। वो सिर्फ साए ब्लाउज़ में और ब्लाउज़ भी एकदम लो-कट। भरे-भरे रसीले गोरे गुदाज गदराये जोबन छलकनें को बेताब।
और अब तो चड्ढी का कवच भी नहीं था। ‘वो’ एकदम फनफना के खड़ा हो गया।
भाभी एकदम सटकर बैठी थी।
“दोनों को दूध दे दिया। पांच मिनट में एकदम अंटा गाफिल। सुबह तक की छुट्टी…” भाभी ने बता दिया, बात वो अपनी बेटी गुंजा और गुड्डी के लिए कर रही थीं लेकिन लाइन क्लियर मुझे दे रही थीं।
भाभी का एक हाथ मेरे कंधे पे था और दूसरा मेरी जांघ पे…”उसके’ एकदम पास। मेरे कान में वो फुसफुसा के बोल रही थी। उनके होंठ मेरे इयर लोब्स को आलमोस्ट टच कर रहे थे। मस्ती के मारे मेरी हालत खराब थी।
“दोनों को सुलाने का दूध दिया। और मुझे…” दूध के भरे ग्लास की ओर इशारा करके मैंने पूछा।
“जगाने का…”
मेरी प्यासी निगाहें ब्लाउज़ से झांकते उनके क्लीवेज से चिपकीं थी और वो भी जानबूझ के अपने उभारों को और उभार रही थी।
उन्होंने एक हल्का सा धक्का दिया और मैं पलंग पे लेट गया। साथ में वो भी और उन्होंने हल्की रजाई भी ओढ़ ली। हम दोनों रजाई के अंदर थे।
“तुम्हें मैं जितना, अनाड़ी समझती थी। तुम उतने अनाड़ी नहीं हो…” मेरे कान में वो फुसफुसायीं।
“तो कितना हूँ?” मैंने भी उन्हें पकड़कर कहा।
“उससे भी ज्यादा। बहुत ज्यादा। अरे गुड्डी जब तुम्हारी चड्ढी पकड़ रही थी तो तुम्हें कुछ पकड़ धकड़ करनी चाहिए थी। उससे अपना हथियार पकड़वाना चाहिए था, उसकी झिझक भी खुलती शर्म भी खुलती और। मजा मिलता सो अलग। तुम्हें तो पटी पटाई लड़की के साथ भी ना। एक बार लड़की के पटने से कुछ नहीं होता, उसकी शर्म दूर करो, झिझक दूर करो, खुलकर जितना बेशर्म बनाओगे उसे, उतना खुलकर मजा मजा देगी…” भाभी हड़का भी रही थीं, समझा भी रही थीं।
“तो भाभी बना दो ना अनाड़ी से खिलाड़ी…” हिम्मत कर के मैं बोला
“अरे लाला ये तो तुम्हारे हाथ में है। फागुन का मौका है, खुलकर रगडो। एक बार झिझक चली जायेगी थोड़ी बेशर्म बना दो। बस। मजे ही मजे तेरे भी उसके भी। तलवार तो बहुत मस्त है तुम्हारी तलवार बाजी भी जानते हो की नहीं। कभी किसी के साथ किया विया है या नहीं?” भाभी ने साफ़ साफ़ पूछ लिया।
“नहीं, कभी नहीं…” मैंने धीरे से बोला।
“कोरे हो। तब तो तेरी नथ आज उतारनी ही पड़ेगी…”
चन्दा भाभी ने मुश्कुराते हुए कहा। उनकी एक उंगली मेरे सीने पे टहल रही थी और मेरे निपल के पास आकर रुक गई। वहीं थोड़ा जोर देकर उसके चारों और घुमाने लगी।
मजे के मारे मेरी हालत खराब थी। कुछ रुक के मैं बोला-
“आपने मुझे तो टापलेश कर दिया और खुद?”
“तो कर दो ना। मना किसने किया है?” मुश्कुराकर वो बोली।
मेरी नौसिखिया उंगलियां कभी आगे, कभी पीछे ब्लाउज़ के बटन ढूँढ़ रही थी। लेकिन साथ-साथ वो क्लीवेज की गहराईयों का भी रस ले रही थी।
“क्यों लाला सारी रात तो तुम हुक ढूँढ़ने में ही लगा दोगे…” भाभी ने छेड़ा।
लेकिन मेरी उंगलियां भी, उन्होंने ढूँढ़ ही लिया और चट, चट, चट, सारे हुक एक के बाद एक खुल गए।
“मान गए तुम्हारी बहनों ने कुछ तो सिखाया…” वो बोली।
कुछ झिझकते कुछ शर्माते कुछ घबराते पहली बार मेरी उंगलियों ने उनके उरोजों को छुआ। जैसे दहकते तवे पे किसी ने पानी की बूँदें छिड़क दी हों। मेरी उंगलियों के पोर दहक गए।
“इत्ते अनाड़ी भी नहीं हो…” हँसकर बोली और मछली की तरह सरक के मेरी पकड़ से निकल गईं। अब उनकी पीठ मेरी ओर थी।
मैंने पीछे से ही उनके मदमाते गदराये उभार कसकर ब्रा के ऊपर पकड़ लिया। मैं सोच रहा था शायद फ्रंट ओपन ब्रा होगी। लेकिन, तब तक उन्होंने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़कर-
“कैसे हैं?”
“बहुत मस्त भाभी…”
मैं दबा रहा था वो दबवा रही थी। लेकिन मैं समझ गया था की इसमें भी उनकी चाल है। ब्रा का हुक पीछे था और वहां मेरा हाथ पहुँच नहीं सकता था। वो उनकी गिरफ्त में था। कहतें है ना की शादी नहीं हुई तो क्या बारात तो गए हैं। तो मैं अनाड़ी तो था। लेकिन इतनी किताबें पढ़ी थी। फिल्में देखी थी। मस्त राम के स्कूल का मैं मास्टर था।
आपकी लेखनी बहुत ही शानदार है आपने आनंद बाबू की नथ उतराई का चित्रण बहुत ही शानदार तरीके से किया है चंदा भाभी आनंद को बहुत ही अच्छे से सीखा रही है एक होली ही आती हैं भाभी के साथ मस्ती करने की भाभी और देवर की होली बहुत ही मजेदार होने वाली हैगुरु बनी चंदा भाभी
मैंने होंठों से ही उनकी ब्रा का हुक खोल दिया।
और आगे मेरे दोनों हाथों ने कसकर ब्रा के अन्दर हाथ डालकर उनके मस्त गदराये उभार दबोच लिए।
“लल्ला, तुम इत्ते अनाड़ी भी नहीं हो…” मुश्कुराकर वो बोली।
मेरी तो बोलने की हालत भी नहीं थी। मेरे होंठ उनके केले के पत्ते ऐसे चिकनी पीठ पे टहल रहे थे, और दोनों हाथ मस्त जोबन का रस लूट रहे थे।
क्या उभार थे। एकदम कड़े-कड़े, मेरी एक उंगली निपल के बेस पे पहुँची
तभी मछली की तरह फिसल के वो मेरी बाँहों से निकल गई और अगले ही पल वो 36डी डीउभार मेरे सीने से रगड़ खा रहे थे।
चन्दा भाभी का एक हाथ मेरे सिर को पकड़े बालों में उंगली कर रहा था और दूसरा मेरे नितम्बों को कसकर पकड़े था। मेरे कानों से रसीले होंठों को सटाकर वो बोली-
“मेरा बस चले तो तुम्हें कच्चा खा जाऊं…”
“तो खा जाइए ना…” मैं भी सीने को उनके रसीले उभारों पे कसकर रगड़ते बोला-
मेरे होंठों पे एक हल्का सा चुम्बन लेती हुई वो बोली- “चलो एक किस लेकर दिखाओ…”
मैंने हल्के से एक किस ले ली।
“धत्त क्या लौंडिया की तरह किस कर रहे हो…”
वो बोली फिर कहा, वैसे शर्मीली लड़की को पहली बार पटा रहे तो ऐसे ठीक है वरना थोड़ी हिम्मत से कसकर…”
और अगली बार और कसकर उन्होंने मेरे होंठों पे होंठ रगड़े। जवाब में मैंने भी उन्हें उसी तरह किस किया। भाभी ने मेरे होंठों के बीच अपनी जुबान घुसा दी। मैं हल्के से चूसने लगा।
थोड़ी देर में होंठों को छुड़ाके उन्होंने हल्के मेरे गाल को काट लिया और बोली-
“क्यों देवरजी अब तो हो गई ना मैं भी आपकी तरह टापलेश। लेकिन किसी नए माल को करना हो तो इत्ती आसानी से चिड़िया जोबन पे हाथ नहीं रखने देगी…”
“तो क्या करना चाहिए?” मैंने पूछा।
“थोड़ी देर उसका टाप उठाने या ब्लाउज़ खोलने की कोशिश करो, और पूरी तरह से तुम्हें रोकने में लगी हो तो। उसी समय अचानक अपने बाएं हाथ से उसका नाड़ा खोलना शुरू कर दो। सब कुछ छोड़कर वो दोनों हाथों से तुम्हारा बायां हाथ पकड़ने की कोशश करेगी। बस तुरंत बिजली की तेजी से उसका टाप या ब्लाउज़ खोल दो। जब तक वो सम्हले तुम्हारा हाथ उसके उभारों पे। और एक बार लड़के का हाथ चूची पे पड़ गया तो किस की औकात है जो मना कर दे। और यकीन ना हो तो इसी होली में वो जो तेरी बहन कम छिनार माल है उसके साथ ट्राई कर लो…”
भाभी ने कहा।
“अरे उसके साथ तो बाद में ट्राई करूंगा। लेकिन…”
ये बोलते हुए मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खींच लिया। वो क्यों पीछे रहती। मेरी साड़ी कम लूंगी भी उनके साए के साथ पलंग के नीचे थी।
“लेकिन तुम ट्राई करोगे उसे,अपनी बहन कम माल को । ये तो मान गए…”
हँसते हुए वो बोली। रजाई भी इस खींच-तान में हम लोगों के ऊपर से हट चुकी थी। मेरे दोनों हाथ पकड़कर उन्होंने मेरे सिर के नीचे रख दिया और मेरे ऊपर आकर बोली-
“अब तुम ऐसे ही रहना, चुपचाप। कुछ करने की उठाने की हाथ लगाने की कोशिश मत करना…”
मेरे तो वैसे ही होश उड़े थे।
उनके दोनों उरोज मेरे होंठों से बस कुछ ही दूरी पे थे। मैंने उठने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे धक्का देकर नीचे कर दिया। हाथ लगाने की तो मनाही ही थी। सिर उठाके मैं अपने होंठों से उन रसभरी गोलाइयों को छूना चाहता था। लेकिन जैसे ही मैं सिर उठाता वो उसे थोड़ा और ऊपर उठा लेती, बस मुश्किल से एक इंच दूर। और जैसे ही मैं सिर नीचे ले आता वो पास आ जाती।
जैसे कोई पेड़ खुद अपनी शाखें झुका के,.. एक बार वो हटा ही रही थी की मैंने जीभ निकालकर उनके निपलों को चूम लिया। कम से कम एक इंच के कड़े-कड़े निपल।
“ये है पहला पाठ। तुम्हारे पास तुम्हारे तलवार के अलावा। तुम्हारी उंगलियां हैं, जीभ है, बहुत कुछ है जिससे तुम लड़की को पिघला सकते हो। बस अन्दर घुसाने के पहले ही ऐसे ही उसे पागल बना दो। वो खुद ही कहेगी डाल दो। डाल दो…”
भाभी बोली।
और इसके साथ ही थोड़ा और नीचे फिसल के,... अब उनके उरोज मेरे सीने पे रगड़ रहे थे, कस-कसकर दबा रहे थे। बालिश्त भर की मेरी कुतुबमीनार उनके पेट से लड़ रही थी। वो जोबन जो ब्लाउज़ के अन्दर से आग लगा रहे थे,... मेरी देह पे,.. जांघ पे।
और जो मैं सोच नहीं सकता था। मेरे तनतनाये हथियार को उन्होंने अपनी चूचियों के बीच दबा दिया और आगे-पीछे करने लगी।
मुझे लगा की मैं अब गया तब गया।
तब तक भाभी की आवाज ने मेरा ध्यान तोड़ा- “हे खबरदार जो झड़े। ना मैं मिलूंगी ना वो…”
मैं बिचारा क्या करता।
भाभी ने एक हाथ से मेरे चरम दंड को पकड़ने की कोशिश की। लेकिन वो मुस्टंडा, बहुत मोटा था। उन्होंने पकड़कर उसे खींचा तो मेरा लाल गुलाबी मोटा सुपाड़ा। खूब मोटा, बाहर निकल आया। मस्त। गुस्स्सैल। मेरा मन हो रहा था की भाभी इसे बस अपने अंदर ले लें,.. लेकिन वो तो।
उन्होंने अपना कड़ा निपल पहले तो सुपाड़े पे रगड़ा और फिर मेरे सीधे पी-होल पे।
मुझे जोर का झटका जोर से लगा।
उनका निपल थोड़ी देर उसे छेड़ता रहा फिर उनकी जीभ के टिप ने वो जगह ले ली। मैं कमर उछाल रहा था। जोर-जोर से पलंग पे चूतड़ पटक रहा था और भाभी ने फिर एक झटके में पूरा सुपाड़ा गप्प कर लिया। पहली बार मुलायम रसीले होंठों का वहां छुवन। लग रहा था बस जान गई।
“भाभी मुझे भी तो अपने वहां…”
“लो देवरजी तुम भी क्या कहोगे?” और थोड़ी देर में हम लोग 69 की पोज में थे।
लेकिन मैं नौसिखिया। पहली बार मुझे लगा की किताब और असल में जमीन आसमान का अन्तर है। मेरे समझ में ही नहीं आ रहा था की कहाँ होंठ लगाऊं, कहाँ जीभ। पहली बार योनि देवी से मुलाकात का मौका था, कितना सोचता था की,...
लेकिन चन्दा भाभी भी कुछ बिना बताये, खुद अपनी जांघें सरका के सीधे मेरे मुँह पे सेंटर करके और कुछ समझा के। क्या स्वाद था। एक बार जुबान को स्वाद लगा तो, पहले तो मैंने छोटे-छोटे किस लिए और फिर हल्के से जीभ से झुरमुट के बीच रसीले होंठों पे। चन्दा भाभी भी सिसकियां भरने लगी। लेकिन दूसरी ओर मेरी हालत भी कम खराब नहीं थी।
वो कभी कसकर चूसती, कभी बस हल्के-हल्के सारा बाहर निकालकर जुबान से सुपाड़े को सहलाती और उनका हाथ भी खाली नहीं बैठा था। वो मेरे बाल्स को छू रही थी, छेड़ रही थी, और साथ में उनकी लम्बी उंगलियां शरारत से मेरे पीछे वाले छेद पे कभी सहला देती तो कभी दबाकर बस लगता अन्दर ठेल देंगी, और जब मेरा ध्यान उधर जाता तो एक झटके में ही ¾ अन्दर गप्प कर लेती, और फिर तो एक साथ, उनके होंठ कस-कसकर चूसते, जीभ चाटती चूमती और थोड़ी देर में जब मुझे लगता की बस मैं कगार पे पहुँच गया हूँ,....
मुख सुख
चन्दा भाभी भी कुछ बिना बताये, खुद अपनी जांघें सरका के सीधे मेरे मुँह पे सेंटर करके और कुछ समझा के। क्या स्वाद था। एक बार जुबान को स्वाद लगा तो, पहले तो मैंने छोटे-छोटे किस लिए और फिर हल्के से जीभ से झुरमुट के बीच रसीले होंठों पे।
चन्दा भाभी भी सिसकियां भरने लगी। लेकिन दूसरी ओर मेरी हालत भी कम खराब नहीं थी।
वो कभी कसकर चूसती, कभी बस हल्के-हल्के सारा बाहर निकालकर जुबान से सुपाड़े को सहलाती
और उनका हाथ भी खाली नहीं बैठा था। वो मेरे बाल्स को छू रही थी, छेड़ रही थी, और साथ में उनकी लम्बी उंगलियां शरारत से मेरे पीछे वाले छेद पे कभी सहला देती तो कभी दबाकर बस लगता अन्दर ठेल देंगी, और जब मेरा ध्यान उधर जाता तो एक झटके में ही ¾ अन्दर गप्प कर लेती,
और फिर तो एक साथ, उनके होंठ कस-कसकर चूसते, जीभ चाटती चूमती और थोड़ी देर में जब मुझे लगता की बस मैं कगार पे पहुँच गया हूँ, जब मैं सोचता की भाभी अब ना रूकें, तो वो रुक जाती। और ‘उसको’ पूरी तरह से बाहर निकालकर मुझे चिढ़ाती-
“गन्ना तो तुम्हारा बहुत मीठा है किस-किस से चुसवाया?”
जवाब में मैं कस-कसकर उनकी ‘सहेली’ को चूसने लगता और वो भी सिसकियां भरने लगती। तीन-चार बार मुझे किनारे पे लेजाकर वो रुक गईं। हर बार मुझे लगता की बस अब हो जाने दें। लेकिन अचानक भाभी मुझे छोड़कर उठ गईं और मेरे पैरों के बीच में जाकर बैठ गईं। मुझे पुश करके बेड के बोर्ड के सहारे बैठा दिया और ‘उसे’ अपनी मुट्ठी में कसकर पकड़ लिया। मस्ती के मारे मैंने आँखें बंद कर ली।
आगे-पीछे हिलाते हुए उन्होंने पूछा- “क्यों 61-62 करते हो?”
मैं चुप रहा।
उन्होंने एक झटके में सुपाड़े को खोल दिया और फिर से पूछा- “बोलो ना?”
“नहीं। हाँ। कभी-कभी…”
“किसका नाम लेकर? कल जिसको ले जाओगे उसको। देखो तुम्हें देवर बनाया है मुझसे कुछ मत छिपाओ फायदे में रहोगे…” भाभी बोली।
“नहीं,... हाँ…”
आगे-पीछे जोर से करते हुए उन्होंने फिर से पूछा, और अपनी उस ममेरी बहन की चूँचिया उठान सोच के, सच बोलो , जिसका हाल आज हम लोग सुना रहे थे
“नहीं। कभी नहीं…” फिर मेरे मुँह से सच निकल ही गया- “हाँ। एक-दो बार…”
“साले। तेरी बहन की फुद्दी मारूं। तेरे अन्दर बहनचोद बनने के पूरे लक्षण हैं…”
फिर कुछ रुक के मुझे देखते हुए उन्होंने कहा-
“अब आगे से 61-62 मत करना। अरे मैं सिखा दूंगी तुम्हें सब ट्रिक। तेरे लिए लौंडियों की क्या कमी है। एक तो है ही जिसको तुमने पटा लिया है। फिर वो तेरा घर का माल। इत्ता मस्त हथियार तो सिर्फ, आगे-पीछे। मुह में जहाँ चाहे वहाँ… बोलो झाड़ दूँ…”
“हाँ, भाभी हाँ…” मस्ती से मेरी हालत खराब थी।
उन्होंने झुक के मेरे गुलाबी मस्त सुपाड़े पे कसकर एक चुम्मी ली और फिर एक झटके में उसे गप्प कर लिया। उनके दोनों हाथ भी साथ-साथ। एक मेरे जांघ पे फिसलता तो दूसरा मेरे सीने को सहलाता हुआ कभी मेरे निपल को फ्लिक कर देता तो कभी वहां कसकर चिकोटी काट लेता। उनकी जुबान गोल-गोल मेरे सुपाड़े के चारों और घूम रही थी, फिसल रही थी।
मैं मस्ती के मारे अपनी कमर उछाल रहा था।
भाभी ने फिर एक मोटा तकिया लेकर मेरे चूतड़ के नीचे अन्दर तक सरका के रख दिया। अपने लम्बे नाखूनों से एक-दो बार मेरे निपल फ्लिक करके और कस-कसकर पिंच करके उन्होंने उसे छोड़ दिया और मेरे पिछवाड़े की ओर। कभी उनका मोटा अंगूठा वहां दबाता, तो कभी वो एक साथ दो उंगलियां एक साथ मेरे नितम्बों के बीच छेद पे इस तरह दबाती की पूरा घुसेड़ के ही मानेंगी।
अब तक दो तिहाई हिस्सा उन्होंने गड़प कर लिया था और कस-कसकर चूस रही थी।
मैं मस्ती के मारे ना जाने क्या-क्या बोल रहा था। मुझे लग रहा था की अब गया तब गया। ये भी लग रहा था की कहीं भाभी के मुहं के अन्दर ही ना। तब तक उन्होंने पूरा बाहर निकाल लिया और मेरी आँखों में आँखें डालकर पूछा-
“क्यों आया मजा?”
“हाँ भाभी लेकिन। …” मैं आगे बोलता की भाभी ने वो किया की मेरी चीख निकल गई।
उन्होंने अपने कड़े खड़े निपल को मेरे सुपाड़े के छेद पे रगड़ दिया।
वो उसे मेरे पी-होल के अंदर डाल रही थी और उनकी मुश्कुराती आँखें मेरे मजे से पागल चहरे को देख रही थी। थोड़ी देर इसी तरह छेड़कर उन्होंने साइड से मेरे खड़े चर्म दंड को चाटना शुरू कर दिया। चारों और से उनकी जीभ लप-लप चाट रही थी।
ये एक नए ढंग का मजा था।
उन्होंने एक हाथ से मेरे बाल्स को पकड़ रखा था। उनकी जुबान जहां से मेरा शिश्न बाल से मिलता है वहीं से शुरू होकर सीधे सुपाड़े तक और फिर वहाँ से नीचे वापस। और दो-चार बार ऐसे करके जब उनकी जीभ नीचे गई तो बजाय ऊपर आने के। एक बार में उसने मेरी बाल गड़प कर ली।
मेरी तो जान निकल गई।
कुछ देर तक चूसने चुभलाने के बाद भाभी के होंठ वापस मेरे सुपाड़े पे आये और आँख नचाकर वो मुझे देखते हुए बोली-
“जरूर चुसवाना उससे। दोनों से…”
और जब तक मैं कुछ बोलता समझता, उन्होंने अबकी पूरा ही गड़प कर लिया।
और अब वो पूरे जोर से चूस रही थी। मेरा सुपाड़ा उनके गले के अंत तक जाकर टकरा रहा था, लेकिन जैसे उन्हें कोई फर्क ना पड़ रहा हो। उनके रसीले भरे-भरे होंठ जब रगड़ते हुए ऊपर-नीचे होते और वो कसकर चूसती। मेरी कमर साथ-साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। वो करती रही करती रही। मुझे लगा की अब मैं निकल ही जाऊँगा, लेकिन मुझे लगा की कहीं भाभी के मुँह में ही,...
मैं जोर से बोला- “भाभी प्लीज छोड़ दीजिये। बाहर निकाल लीजिये। मेरा होने ही वाला है। ओह्ह…”
उन्होंने अपनी दोनों बाहों से कसकर मेरी जांघों को पकड़कर नीचे दबा दिया और मेरी ओर देखकर आँखों ही आँखों में मुश्कुरायीं जैसे कह रही हों, होने वाला हो तो हो जाय, और फिर दूनी तेजी से कस-कसकर चूसने लगी।
मुझे लगा की मेरी आँखों के आगे तारे नाच रहे हों, मेरी देह का सबकुछ निकल रहा हो।
“ओह्ह… ओह्ह… आह्ह… भाभी…” मेरी आवाज जोर से निकल रही थी।
लेकिन वो और जोर से चूस रही थी,,,, और जैसे कोई जोर का फव्वारा छूटे। मेरी कमर अपने आप बार-बार ऊपर-नीचे हो रही थी और भाभी बिना रुके।
मेरा पूरा लिंग उनके मुँह में था। उनके होंठ मेरे बाल से चिपके थे। मुझे पता नहीं चला की मैं कित्ती देर तक झड़ा। लेकिन जैसे ही मैं रुका। भाभी ने पहले हल्के से फिर कसकर मेरी बाल दबाया और दूसरे हाथ से मेरी गाण्ड के छेद में उगली दबाई।
ओह्ह्ह… ओह्ह… मैं दुबारा झड़ रहा था। आज तक ऐसा नहीं हुआ था। जब थोड़ी देर में तूफान ठंडा हो गया तभी भाभी ने अपना मुँह हटाया। दो-चार बूँद जो बाहर गिर पड़ी थी उसे भी समेट के उन्होंने अपने होंठों पे लगा लिया और फिर मेरे पास आकर लेट गईं।
Amazing updateचंदा भाभी की सीख - कूंवा और पनिहारिन
हम दोनों के सिर बगल में थे। मैं कुछ बोलने की हालत में नहीं था।
चन्दा भाभी ने अपने हाथ के जोर से मेरा मुँह खुलवाया और अपने होंठ मेरे होंठ से चिपका दिए।
जब तक मैं कुछ समझूँ। थोड़ी सी मलाई मेरे मुँह में भी, उन्होंने अपनी जुबान भी मेरे मुँह में डाल दी। थोड़ी देर तक हम लोग ऐसे ही किस करते रहे।
फिर अपने होंठ हटाकर मेरी आँखों में झांक के बोली-
“अरे थोड़ी सी मलाई तुम्हें भी खिला दी वरना कहते की भाभी ने सारी अकेले अकेले गप्प कर ली। वैसे थी बहुत मजेदार। खूब गाढ़ी, थक्केदार…”
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे, बातें करते रहे, वो मुझे बताती रही समझाती रही, क्या कैसे,...
लौंडिया कब चुदवाने लायक हो जाती है, कब देख के अंदाज लगाओगे की चुदवासी है, कैसे आँखों से सिर्फ देख के पटाने का काम, सिर्फ देख के मुस्करा के और अगर उसकी ओर से जरा सा भी इशारा हो तो छोड़ना नहीं चाहिए, ... कैसे चुम्मा चाटी कर के उसे इतना गरम कर दो की खुद ही नाड़ा खोल दो,...
चंदा भाभी भी न, पता नहीं यह बनारस के पानी का असर था या, गुड्डी और गुड्डी की मम्मी, ऊप्स मेरा मतलब मम्मी की तरह बिन बोले ही मेरे मन बात सिर्फ समझ ही नहीं जाती थीं बल्कि एकदम सटीक जवाब भी दे देती थीं की बस चुपचाप उनकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं होता,
मेरे मन में तो सिर्फ वो सारंग नयनी बसी थी, जो अभी थोड़ी देर पहले मेरे सब कपड़े उठा के मुझे चंदा भाभी के हवाले कर के चली गयी थी, ... वही चाहिए थी और हरदम के लिए, ...
और यह उहापोह चंदा भाभी ने भांप ली, मेरी नाक पकड़ के हिलाते बोलीं,
" लाला, अच्छा यह बोलो की कउनो मुसाफिर है, गरमी के मारे हालत खराब, प्यास से गला सूख रहा हो और रास्ते में कहीं कूंवा दिखा, कूँवे पे पानी निकालती पनिहारिन दिखी, तो प्यासा रहना चाहिए की उससे मुंह खोल के पानी मांग लेना चाहिए, "
" मांग लेना चाहिए, बिना मांगे उस बेचारी को कैसे पता चलेगा की राही प्यासा है, ... "
मैंने तुरंत भौजी की बात का जवाब दिया।
"एक किसी प्यासे को पानी पिलाने से न तो पनिहारिन क घड़ा खाली होगा, न कुंआ झुरायेगा। "
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भौजी बोलीं,
फिर उन्होंने किस्सा आगे बढ़ाया, राही को तो और आगे जाना है, जेठ क दुपहर, थोड़ी देर में फिर पियास, और कोई और कुंआ दिखा, पनिहारिन दिखी, पानी पिलाने को तैयार,... तो का करेगा, ... पनिहारिन खुद बुला रही है, बटोही आम क पेड़ है थोड़ी देर सुस्ता लो, पानी पी लो,... बहुत घाम है , दो मुंह बतिया लो तो वो का करेगा,... पनिहारिन क बात मान के प्यास बुझायेगा न , ... "
" पी लेना चाहिए, फिर पता नहीं कब कहाँ कुंवा दिखे, ... और आप की बात एक प्यासे को पानी पिलाने से कौन कूंवा झुरा जाएगा। "
मैंने बोल तो दिया लेकिन फिर मेरे समझ में आया, वो किस कुंवे की बात कर रही हैं।
लेकिन मैंने अपनी बात रखने की कोशिश की, " लेकिन मान लीजिये मुझे कोई एक पनिहारिन उसका कुंवा अच्छा लगे तो,... "
हँसते हुए भौजी ने कचकचा के मेरा गाल काटा,
" तो लगाओ न डुबकी कौन मना कर रहा है, वो बेचारी तो पिलाने के लिए तैयार बैठी है, और तुम खाली निहार रहे हो, ललचा रहे हो, ... अरे सबेरे सबेरे गरम गरम जलेबी छन रही है, कड़ाही में सुनहरी सुनहरी,... देखने में अच्छी लग रही है तो खाली देख के ललचाओगे या गप्प गप्प खाओगे, देखने का मजा तो है लेकिन असली मजा तो खाने का है। और तोहार कुंवे वाली बात, तो कभी वो पनिहारिन साथ न रहे, प्यास लगे तो,... फिर पनिहारिन खुदे कहे, आज जरा यह कुंए का पानी पी के देखो,... तो,... सौ बात की एक बात प्यास लगे, कुंवा दिखे तो पानी पी लेना चाहिए।
और तोहरे पनिहारिन को एकदम बुरा नहीं लगेगा, लिख लो, चंदा भाभी क बात। "
भौजी तो चुप होगयी थीं, लेकिन अब उनकी उँगलियाँ बोल रही थीं, कभी बस मेरे होंठों पे टहल जातीं, तो कभी मेरे होंठों को जबरदस्ती खुलवा के मेरे मुंह में घुस जातीं , जैसे थोड़ी देर पहले मेरा खूंटा उनके मुंह में था , तो कभी मेरे मेल टिट्स को बदमाशी से,
मैं गिनगीना रहा था काँप रहा था और भौजी की बात सोच रहा था। एकदम सोलहो आना सही, यही बात तो गुड्डी भी कह रही थी, जो मैं चंदा भाभी के नाम से उचक रहा था तो चिढ़ा के बोली,
" कितनी बार तो पाजामे में, नाली में पानी गिराया होगा तो का मैं तुम्हारे पाजामे और नाली से जलूँगी? "
और चंदा भाभी तो और, मम्मी के बारे में एकदम खुल के,
" बच गए तुम मम्मी को आज कानपूर जाना पड़ गया, वरना आज खुले आम रात में रेप किये बिना वो छोडती नहीं, एक बार शील भंग हो जाता न तो जो इतना लजाते झिझकते हो। " और लॉजिक भी उसका सही था,
" दिल तो तेरा कब से मेरे पास है, तो कोई तेरे मायके वाली तो तुझसे ले नहीं सकती, मेरी चीज मेरे पास है, पानी तुम चाहे जहाँ गिराओ "
चंदा भौजी की बदमाशी बढ़ रही थी, उनकी उँगलियों के साथ उनके गद्दर जोबन भी मैदान में आ गए और कस के मेरे सीने पे उसे कभी बस दबा देतीं तो कभी रगड़ देतीं, और साथ में उनकी चुम्मी कभी होंठों पे कभी गालों पे,... और इन सबका नतीजा ये हुआ की खूंटा एक बार फिर से टनटनाने लगा था, लेकिन भौजी को कोई फरक नहीं पड़ रहा था।
बदमाशी के साथ मुझे समझाने सिखाने का काम भी उनका चल रहा था। और थोड़ा बहुत हड़काने का भी। उनकी बायीं मुट्ठी में एक बार फिर मेरे मूसलचंद कैद थे। भौजी मुठिया नहीं रही थीं, बस हलके हलके कभी दबातीं तो कभी बस ऐसे पकडे रहतीं
और उन्होंने फिर समझाया भी हड़काया भी,...
" तुम भी न अक्ल बंट रही थी तो अपनी किस बहिनिया के साथ कबड्डी खेल रहे थे। अभी वो लड़की गुड्डी, तेरी चड्ढी खोल के उतार के ले के चली गयी और तुमने उससे , इस को पकड़वाया भी नहीं। थोड़ा झिझकती, तो जबरदस्ती करते,... अरे गुड्डी को छोड़, ... तेरा माल इतना मस्त है, किसी भी लड़की को बस पकड़ा दोगे ने, थोड़ा ना नुकुर करेगी, ... बस थोड़ी सी जबरदस्ती,... और एक बार इसका कड़ापन, मोटाई, लम्बाई उसकी नाजुक उँगलियों में महसूस होगी न बस,... थोड़ी देर में खुद ही सोचेगी, हाथ में इत्ता मजा आ रहा है तो गुलाबो में घुसेगा तो किता मजा आएगा,...
और असली बात है की खुलेआम पकड़ाओ, वो देखे भी, थोड़ा लजाये, थोड़ा झिझके,... फिर एक बार लाज झिझक कम हो जायेगी न तो खुद दोस्ती कर लेंगी। चल कल इसी छत पे सबके सामने पकड़वाना गुड्डी से,... अरे कमर के नीचे की छुट्टी है, कमर के ऊपर तो होली होगी ही उसकी,... तेरी भी झिझक चली जाएगी उसकी भी। "
Zabardast Update Komal Didiसिखाई पढाई
“बहुत जबर्दस्त जंगबहादुर है तुम्हारा मान गए…” आगे-पीछे करते भाभी मुश्कुराकर बोली।
“अरे भाभी ये सब आपकी करामात है। लेकिन इस बिचारे का मन तो रख दीजिये…”
“चलो अब तुम इत्ता कह रहे हो तो। लेकिन तुम्हें कुछ आता वाता तो है नहीं…” हँसकर वो बोली।
“तो सिखा दीजिये ना…” मैंने अर्जी लगाईं।
“क्या-क्या सिखाऊं?” आँख नचाते हुए वो बोली।
“सब कुछ…”
“अनाड़ी चुदवैया, बुर की बरबादी…” हँसकर वो बोली।
“अरे तो आप बना दीजिये ना अनाड़ी से खिलाड़ी। प्लीज…” मैं मुँह बनाकर बोला।
“चलो। तुम इत्ता हाथ जोड़ रहे हो तो। लेकिन गुरु दक्षिणा लगेगी…” वो मुश्कुराकर बोली।
“एकदम गुरु-दक्षिणा या बुर-दक्षिणा। जो आप हुकुम करें…” मैं भी अब उन्हीं के रंग में आ गया था।
“चलो। सही बोला तो पहला पाठ यही है की। तुम अपनी भाषा बदलो। कम से कम जब अकेले में हो या जब कोई औरत खुलकर बोलने को तैयार हो। पहले लड़की थोड़ा बिचकेगी, मुँह बनाएगी। क्या बोलते हो? कैसे बोलते हो। मारूंगी। गंदे। लेकिन तुम चालू रहो और कोशिश करके उससे भी ये सब बुलवाओ। बस देखना उसकी शर्म झिझक सब खतम हो जायेगी और वो भी टाँगें उठाकर चूतड़ उचका के खुलकर मजे लेगी। अच्छा चलो तुम्हें इससे मिलवाती हूँ…”
और उन्होंने मेरा हाथ खींचकर अपनी झांटों भरी बुर पे रख दिया।
फिर तो जो उन्होंने पढ़ाना शुरू किया और मैंने पढ़ना शुरू किया। मैंने दर्जनों सेक्स मैनुअल पढ़े थे, लेकिन जो बात चन्दा भाभी में थी। सब चीजें।
उंगली, उन्होंने समझाया- “हमेशा बीच वाली उंगली इश्तेमाल करो। सिर्फ इसलिए नहीं की वो सबसे लम्बी होती है बल्की उसके साथ दोनों और की उंगलियों से चूत की पुत्तियों को सहला सकते हो मसल सकते हो,... और साथ में अंगूठे से क्लिट को भी दबा सकते हो। यहाँ तक की शलवार या पैंटी के ऊपर से भी। सामने देखते रहो, बातें करते रहो,... लेकिन उंगलियां अपना काम करती रह सकती हैं।
जांघों को थोड़ा सहलाओ अगर लड़की पट रही होगी तो एक पल के लिए वो खोलकर फिर बंद कर लेगी। बस उसी समय हाथ अन्दर डाल दो। थोड़ा कुनमुनाएगी, बिचकेगी। लेकिन एक बार जहां तुम्हारा हाथ वहां लगा। एकदम पिघल के हाथ में आ जायेगी…”
“भाभी एक बार करने दो ना। तभी तो सीखूंगा…” मेरी हालत खराब हो रही थी अब सीधे प्रैक्टिकल के लिए
“क्या?” आँखें नचाकर वो बोली। मैं समझ गया वो क्या सुनना चाहती हैं।
“उंगली। आपकी रसीली चूत में…”
“तो करो ना…” और मेरी मझली उंगली खींचकर उन्होंने चूत में डाल दी। एकदम कसी थी, मस्त, रसीली मांसल, और उन्होंने शरारत से अपनी चूत मेरी उंगली पे भींच दी।
“कैसा लग रहा है देवरजी?”
“बहुत अच्छा भाभी। बस यही सोच रहा हूँ की अगर उंगली की जगह मेरा…”
“मेरा क्या? क्या लौंडियों की तरह हकला रहे हो?” वो बोली।
“मेरा लण्ड होता तो कित्ता मजा आता…”
“चलो लगे रहो क्या पता मेरा मन कर जाए…” अदा से वो बोली।
मैंने उंगली को गोल-गोल अन्दर घुमाना शुरू किया।
उन्होंने खुद समझाया, कैसे गोल-गोल करते हैं। सारी नर्व्स ऊपर तक ही होती हैं इसलिए ज्यादा अन्दर तक करने की जरूरत नहीं। हाँ कैसे उंगली को चम्मच की तरह मोड़कर अन्दर दबा सकते हैं, कब और कितना अन्दर-बाहर कर सकते हैं और सबसे ज्यादा जरूरी बात, क्लिट ढूँढ़ने की।
करते समय तो वो बीच में दबी रहेगी,.. इसलिए अंदाज इत्ता अच्छा होना चाहिये की बिना देखे उसे छू सको, छेड़ सको। कैसे उसको दो उंगली के बीच में दबा सकते हैं, कैसे अंगूठे से उंगली करने के साथ-साथ,... अगर ढंग से करो तो दो-तीन मिनट में ही झड़ जायेगी…”
लेकिन सबसे जरूरी बात उन्होंने जो समझाई-
“पहले उसे बाकी जगहों से गर्म करो। किस करके। जोबन मर्दन, जांघें और चूत सहलाकर। उसके बाद ही क्लिट पे हाथ लगाओ। वरना एक तो वो उचकेगी और दूसरा मजे की जगह दर्द भी हो सकता है…” फिर उन्होंने मेरी आँखें बंद करवायीं और कहा-
“तुम मेरी क्लिट टच करो…”
भाभी हिल डुल जा रही थी। तीन-चार बार ट्राई करने के बाद ही मैं ढूँढ़ पाया। लेकिन जब दो-तीन बार लगातार मैंने कर लिया, तो खुश होकर उन्होंने मुझे किस कर लिया।
मैंने शरारत से पूछा- “तो अच्छे स्टुडेंट को इनाम क्या मिलेगा?”
“मिलेगा। जरूर मिलेगा। जो वो चाहता है वही मिलेगा…” मुश्कुराकर वो बोली। फिर कहने लगी की हर जगह तो रोशनी नहीं होगी, कभी रात के अँधेरे में, कभी बाग में, झुरमुट में,... तो अँधेरे में सही जगह लगाने की प्रैक्टिस होनी चाहिए और उन्होंने ब्रा से मेरी आँखें बाँध दी और बोला की ठीक है चलो अब तुम अपने हथियार को, …”
मैं उनकी बात काटकर बोला- “हथियार या …”
“तुम अब पक्के हुए। अपने लण्ड को मेरी बुर पे, चलो। सिर्फ तीन मौका है अगर सही हुआ तो इनाम वरना ऐसे ही सो जाना…”
पहली बार तो मैं एकदम फेल हो गया। दूसरी बार मेरा अंदाज सही था।
लेकिन वो आखिरी मौके पे सरक गईं और बोली- “क्या तुम सोचते हो की वो टांग फैलाकर खड़ी रहेगी…”
तब मेरी बुद्धी खुली। मैंने पहले तो उनके हाथ कब्जे में किये, पैरों से जांघें फैलायीं और फिर उसे लण्ड को सीधे सेंटर पे, बुर पे और थोड़ी देर रगड़कर जैसा उन्होंने समझाया था।
वो खूब गीली हो गईं तब छोड़ा। इस पूरी पढ़ाई के दौरान कभी उनका हाथ, कभी होंठ मेरे ‘उसको’ बार-बार छेड़ रहे थे और वो उसी तरह तना हुआ था।
“भाभी। अब तो…” मैंने अपने तन्नाये लण्ड की ओर इशारा किया।
“चलो तुम भी ना…” ये कहकर उन्होंने मुझे हल्का सा धक्का दे दिया।
मैं पलंग पे लेट गया। मेरा कुतुब मीनार हवा में था।
“करूँगी मैं,... बस तुम लेटे रहना। अनाड़ी कहीं उल्टा सीधा कर दो तो। अगर हिले डुले ना तो बहुत मारूंगी…”
फिर वो पलंग से उठकर चल दी और जब वो लौटी तो उनके हाथ में दो बोतल थी। उसे उन्होंने टेबल पे रख दी और मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गईं।
उन्होंने उसमें से ब्राउन बोतल उठाई और थोड़ा सा तेल अपनी हथेली पे लिया और हल्के से मला। फिर वो तेल मेरे तन्नाये हुए लिंग पे हल्के-हल्के लगाने लगी। गजब की सुरसुरी हो रही थी। क्या फीलिंग थी मैं बता नहीं सकता।
चन्दा भाभी ने मेरी और मुश्कुराते हुए देखा और बोला- “मालूम है ये क्या है?”
मैंने ना ने सिर हिलाया। उन्होंने अबकी ढेर सारा तेल बोतल से लिया और सीधे मेरे लिंग पे चुपड़ दिया। वो चमक रहा था। लेकिन थोड़ी देर में ही उसने जैसे तेल सोख लिया हो। भाभी ने फिर कुछ तेल अपने हाथ में लिया, मला और ‘उसपे’ मालिश करने लगी। अबकी उनकी उंगलियां कस-कसकर मुठिया रही थी।
जोश के मारे मेरी हालत खराब थी। वो नीचे से तेल लगाती थी और ऊपर तक। लेकिन सुपाड़े पे आकर रुक जाती थी, और हँसकर बोली-
“ये सांडे का तेल है और वो नहीं जो तुमने मजमे वालों के पास देखा होगा…”
भाभी की बात सही थी। मैंने कित्ती बार मजमे वालों के पास देखा था बचपन में, दोस्तों से सुना भी था। लोहे की तरह कड़ा हो जाता है। खम्भे पे मारो तो बोलेगा टन्न।
तेल मलते हुए भाभी बोली-
“देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”
मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?
चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।
जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-
“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”
भाभी बोली- “अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी…”
भाभी ने वो बोतल बंद करके दूसरी ओर रख दी और दूसरी छोटी बोतल उठा ली। जैसे उन्होंने बोतल खोली मैं समझ गया की सरसों का तेल है। उन्होंने खोलकर दो-चार बूंदें सीधे मेरे सुपाड़े के छेद पे पहले डाली, मजे से मैं गिनगिना गया,...