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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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Mass

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Komal Madam, I had earlier provided a fairly long comment on your update....
On 2nd thoughts, I think I can summarize your update in simple words...
Its (Update# 5) a Masterclass and/or Encyclopedia on Seduction...
I am sure, this is a short summary..but you are very intelligent enough to understand it fully.

komaalrani
 

Sanju@

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ना उम्र की सीमा हो , ना जन्म का कोई बंधन
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मेरी तो सोचने समझने की ताकत चली गयी थी, बस मैं भौजी की उँगलियाँ महसूस कर रहा था और अपने सीने पे उनके गद्दर जोबन,...

खूंटा अब एकदम फनफना गया था लेकिन भौजी को कोई जल्दी नहीं थी।

मैंने कहा था न गुड्डी की तरह वो भी मन की बात समझ लेती थीं तो उन्होंने पूछ लिया

" कहीं तुम गुड्डी को छोटा तो नहीं समझते हो की अभी,... "

और मेरे मुंह से मुश्किल से हाँ निकलता की उन्होंने हलके हलके मुठियाते, खिलखिला के बोला, ...


" बेचारी गुड्डी भी,... तेरे जैसा, अरे मेरे बुद्धू देवर गुड्डी तो छोड़ उसकी दोनों छोटी बहने भी, लेने लायक,.... सुना नहीं है,... चौदह की मतलब चोदवासी,... अरे मंझली के जोबन कैसे गदरा रहे हैं, छोटी कह रहे हो , ...


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अरे मेरी गूंजा की समौरिया है उसी की क्लास में पढ़ती है,

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महीने दो महीने का फरक होगा ऊपर नीचे बस, गुड्डी से डेढ़ साल ही तो छोटी है बल्कि और कम,... फरक होगा, पिछली होली में उन दोनों की, मंझली की भी, छुटकी की भी, गुड्डी की दोनों छोटी बहिनों की मैंने अंदर तक हाथ डाल के नाप जोख की थी। एकदम पनिया रही थीं, फुदक रही थी गुलाबो दोनों की। "
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भौजी अब थोड़ा और जोर से मुठिया रही थीं और मैं डेढ़ साल पीछे चला गया था।

बताया तो था, गर्मी की छुट्टियां, गुड्डी आयी थी. उसी साल मेरा सेलेक्शन हो गया, आल इण्डिया सर्विस, क्लास वन,... १०० के अंदर की रैंक,.. और सबसे बड़ी बात फर्स्ट अटेम्प्ट था, वो भी मिनिमम एज में अपीयर हुआ था,... गुड्डी से नैनो का खेल तो कबसे चल रहा था अब बेशर्म नदीदों की तरह उसके बस आ रहे चूजों को देख के ललचाता रहता था,... और एक दिन पिक्चर हाल के अँधेरे में उसने ही पहल की, मेरा हाथ खींच के अपने सीने पे , रुई के गोल गोल फाहे बस,... मुझे लगा उसने अपना दिल निकाल के मेरे हाथ पर रख दिया।


और रात में, भैया भाभी का तो कमरा ऊपर था, नीचे हम लोग, में गुड्डी और दो चार और मेहमान,... गर्मी की रात लाइट चली जाती थी तो चारपाई बरामदे में, मेरी और गुड्डी की अगल बगल,... और पिक्चर हाल में जो मेरे हाथ को स्वाद लग गया था, ... मेरे हाथ ने ही उसकी चददर में सेंध लगायी और इस बार टॉप के ऊपर से नहीं, सीधे अंदर, ... लेकिन थोड़ी देर में गुड्डी का हाथ भी मेरे चद्दर के अंदर, कुछ देर तक पजामे के अंदर फिर बिना नाड़ा खोले अंदर,... अगले दिन तो उसने दिन में टोंक दिया, भाभी के सामने ही " कोई शार्ट नहीं है क्या लफड़ लफड़ पाजामा लहराते हो घर में ही ", ... तो रात में शार्ट में और गुड्डी तो, ...स्कर्ट के नीचे कोई कवच नहीं था। करीब हफ्ते भर,... जबतक वो रही,...

दिन में वो और भाभी मिल के , बेईमानी कर के लूडो में , सांप सीढ़ी में हरातीं,... चिढ़ाती और ताश सिखाने की कोशिश करती और रात में ,...
आखिर के तीन दिन तो नीचे हम लोग अकेले ही थे , एक दिन तो गुड्डी सरक के मेरी चद्दर के अंदर,... लेकिन बात छूआछुअल से आगे नहीं बढ़ी, मैं ही सहम जाता था , कहीं भाभी नीचे न आ जाएँ,... डेढ़ साल पहले



और मंझली गुड्डी से डेढ़ साल से भी कम छोटी है


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तो मतलब अभी वो जिस उमर में मंझली अभी है हैं, मैं और गुड्डी,... पकड़ा पकड़ाई खेल रहे थे , गुड्डी की शलवार के अंदर मेरी ऊँगली टहल चुकी थी. मेरा ऐसा झिझकने वाला न होता तो भरतपुर स्टेशन में ट्रेन होती।

चंदा भाभी की बात एकदम सही है, असल में बुद्धू मैं ही हूँ , बात नजर की है।


और छुटकी भी जिस तरह फोन पर उसकी सिसकी सुनाई दे रही थी , श्वेता छुटकी की चड्ढी में ऊँगली कर रही थी , साफ़ था क्या हो रहा था। और मम्मी बगल की सीट पर ही बैठी थीं ,

लेकिन चंदा भाभी, उनकी शरारतें, उनके गुदाज उभार एक बार फिर मेरे सीने से रगड़ने लगे। उनकी जांघें मेरे सोये शेर को जगाने लगी और जैसे ही वो कुनमुनाने लगा,

भाभी ने मुठियाना शुरू कर दिया
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अभी मैं सिसक रहा था, चंदा भाभी जिस तरह मुठिया रही थीं, एकदमअलग ढंग से, कभी मुट्ठी में लेके हलके हलके सहलातीं, कभी कस के दबा देतीं, कभी नाख़ून से खरोच देती और जब अपने अंगूठे से मोटे फूले मस्ताए, बौराये खुले सुपाड़े को रगड़ देती तो मैं जोर जोर की सिसकी लेने लगता। मुझे लगता मैं कुछ करने की हालत में नहीं हुए लेकिन भाभी ने खुद मेरा एक हाथ पकड़ के अपने मस्ताए जोबन पे रख दिया। अपने आप मेरा हाथ कभी छूता, कभी सहलाता कभी दबाता,...

और भौजी की सीख भी चिढ़ाना भी चालू था,...


" का हो लाला का सोच रहे हो,... मंझली के बारे में, अरे मस्त कच्ची अमिया है उसकी खूब धीरे धीरे कुतरने लायक, एक बात समझ लो असली चीज है ये दोनों पहाड़,... मेरा हाथ अपने ३६ डी पर कस के दबाते बोलीं, फिर आगे बढ़ाई बात,

" चाहे जवान होती लड़की हो गुड्डी की बहनों की उमर वाली, बस छोटी छोटी कच्ची अमिया वाली ,


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या किसी उमर की औरत,... अगर जोबन पर नजर लगाते ही वो मुस्कराये, या आँख नीची कर शर्माये या दुपट्टा सही करे, ... समझो अर्जी लग गयी,... समझ जाती है की इस लड़के को क्या चाहिए, ... लेकिन बुद्धू तुम्ही हो, लड़की से पहले तुम्ही लजा जाते हो, चलो अच्छा है मेरी पकड़ में आये हो, सब सिखा दूंगी, सब लाज शरम, तुम का कह रहे थे, गुड्डी की बहने छोटी हैं,... अरे मझली तो गूंजा के साथ पढ़ती है, ... मेरी गुंजा हुयी मंझली पैदा हुयी उसके दो महीने बाद, ... गुड्डी डेढ़ साल की थी। "

फिर उन्हें कुछ याद आया भाभी बोली-

“तुम्हें दूध तो पिलाया ही नहीं…” और उठकर खडी हो गईं।

दूध का ग्लास अपने दोनों उभारों के बीच जैसे मेरा खूंटा उनके जोबन के बीच दबा कुचला हो, हलके से ग्लास को होंठ लगा के जैसे मेरे सुपाड़े को किस कर रही हों,... मेरी आँखों में आँखे डाल के एक बात और बताई उन्होंने,...

" जिस घर में सिर्फ माँ बेटी होती हैं न वो रिश्ता बहुत जल्द सहेली में बदल जाता है, ... जिस दिन बेटी का खून खच्चर शुरू होता है उसी दिन, जब माँ सब खोल के समझाती है तो ये भी बोल देती है,... अब टाँगे एकदम सिकोड़ के रखना,... लेकिन अगर कभी कुछ हो भी गया तो परेशान होने की जरूरत नहीं है, बजाय नौ नौ टसुए बहाने के, चिंता करने के,... दवा के डिब्बे में इस्तेमाल के बाद वाली गोली रखी है जल्द से जल्द एक गटक लो,... उस के बाद तो सहेली से भी ज्यादा खुल के और गुड्डी की मम्मी तो अपनी बेटियों से ऐसे खुल के,... क्या कोई भौजाई ननद को छेड़ेगी,... "

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बात भौजी की एकदम सही थी, गुड्डी के साथ मिल के उन्होंने कितनी मेरी रगड़ाई की, बगल में उनकी दोनों छोटी बेटियां भी ट्रेन में लेकिन एकदम खुल के रगड़ रही थीं मुझे।

दूध का ग्लास ऊपर तक भरा था और कम से कम तीन अंगुल गाढ़ी मोटी मलाई।



“बच्चों की तरह दूध पियोगे या बड़ों की तरह?”
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दूध का ग्लास ऊपर तक भरा था और कम से कम तीन अंगुल गाढ़ी मोटी मलाई।

“बच्चों की तरह दूध पियोगे या बड़ों की तरह?” भाभी ने जिस अंदाज से पूछा, मैं समझ गया कि इसमें कुछ पेंच है।



मैं कुछ बोलता उसके पहले ही वो बोल उठी- “अरे मेरे लिए तो तुम बच्चे ही हो…” उन्होंने एक उंगली से मोटी सी मलाई निकाली और मुझे ललचा के अपने निपल पर लपेट दी- ‘चाहिए’ वो अपने जोबन को और उभार के अदा से बोली।
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“हाँ…”

“क्या?” आँख नचाकर शरारत से भाभी ने पूछा।

“वही…” मैं रुकते-रुकते बोला।

“वही क्या?” कहकर भाभी की एक उंगली कड़े निपल को सहला रही थी- “नाम बताओ। ऐसे ही थोड़े मिलेगा…”

“मलाई…” मैं भी शरारत के मूड में था।

“सिर्फ मलाई या?” उनकी अंगुली जो निपल पर थी वो अब वहां लगी मलाई को मेरे होंठों पे उसे लिथेड़ रही थी।

“नहीं वो भी। आपका सीना। जोबन…”

“अरे साफ-साफ बोलो लाला। ऐसे लौंडियों की तरह शर्माओगे तो तुम माल पटाओगे, और भरतपुर कोई और लूटकर चला जाएगा। बोलो ना जैसे मैं बोलती हूँ…” भाभी बोली।
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“चूची। आपकी चूची…” मैं हकलाते हुए बोला।

“हाँ ये हुई ना मेरे देवर वाली बात लेकिन ऐसे थोड़े ही मिलेगा। कुछ इसकी तारीफ करो। वो भी खुलकर…” उन्होंने उकसाया।

“भाभी आपकी ये रसीली मस्त गदराई चूची। जिसको देखकर ही मेरा खड़ा हो जाता है…”

“क्या खड़ा हो जाता है? तुम ना साफ-साफ बोलो वरना तड़पते रह जाओगे…” हँसकर वो बोली।

“मेरा वो,.. मेरा,... मेरा लिंग,... लण्ड…”

“देखूं तो खड़ा हुआ है या वैसे ही बोल रहे हो…” झुक के देखते हुए वो बोली।

मुझे भी यकीन नहीं हुआ- ‘वो’ टनाटन था।
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“चलो मान गई, अब मुँह खोलो। तो खिलाती हूँ…”

मैंने खूब बड़ा सा खोल दिया।

“खोलने के मामले में तुम अपने मायके वालियों की तरह हो। लो घोंटो…

” मलाई से लिपटी चूची उन्होंने मेरे मुँह में डाल दी- “लो घोंटो…”

मलाई से लिपटी चूची उन्होंने मेरे मुँह में डाल दी।

और मैं भी क्यों छोड़ता। मैंने कस-कसकर चूसना शुरू कर दिया।



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चंदा भाभी ने मेरा दूसरा हाथ भी पकड़कर अपनी दूसरी चूची पे रख दिया। मैं मस्त होकर उसे कस-कसकर दबाने रगड़ने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी सिसकियां भरने लगी। मेरी जुबान निपल को सहला रही थी, छेड़ रही थी। मेरे होंठ कस-कसकर चूस रहे थे। अचानक मैंने हल्के से दांत गड़ा दिए।

“शैतान। दूध पीते बच्चे हो क्या? छोड़ो…” उनकी आवाज में गुस्सा कम था मस्ती ज्यादा थी। छोड़ो बहुत पी लिया। अब मायके जाकर अपने माल का पीना। वैसे कित्ती बड़ी हैं उसकी।"

मैंने छोड़ दिया और हँसकर बोला- “मैंने देखी थोड़ी ही है उसकी…”

“अरे कपड़े के ऊपर से तो देखी होंगी। यहाँ वाली से…” उनका इशारा गुड्डी की तरफ था।

“वैसी ही हैं शायद थोड़ी सी उन्नीस बीस होंगी…” मैंने झिझकते हुए बोला।

उन्नीस कि बीस, भौजी इतनी आसानी से थोड़ी ही छोड़ने वाली थीं

"उन्नीस ही होंगी, ... यहां वाली की तो बाइस होंगीं मैंने ध्यान से सोच के बताया

“अरे तब तो मस्त हैं। दबवाती है क्या? तुम जरूर दबाना उस छिनार की। दबा-दबाकर बड़ी कर देना…” भाभी भी ना। वो चिढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ती।
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दूध का ग्लास उन्होंने मेरे मुँह पे लगा दिया और मेरे मना करने के बाद भी। ढेर साड़ी मलाई मेरे होंठों से लिपट गई। मैंने इसरार किया- “भाभी आप भी तो पीजिये…”

“लो पहले मलाई खा लेती हूँ…”

और उनके होंठ सीधे मेरे होंठों पे। पहले जुबान से उन्होंने मेरे होंठों पे लगी मलाई चाटी और फिर उनकी जुबान मेरे मुँह में। कुछ देर तक डीप किसिंग के बाद मैंने अपने हाथ से ग्लास से दूध उन्हें पिलाया। पर दो-चार घूँट के बाद फिर उन्होंने उसे मेरे मुँह पे। स्वाद अच्छा था लेकिन साथ में कुछ ऐसा था की मेरी पूरी देह में एक मस्ती की तरंग दौड़ने लगी।

“भाभी कुछ पड़ा है क्या इसमें?” मैंने पूछा।

भाभी हँसकर वो बोली- “क्या पता?”

ग्लास में थोड़ी सी मलाई अभी भी बची थी। वो उन्होंने अंगुली डालकर निकाल ली और पूछा-

“बोलो ये कहाँ लगा दूं। गाल पे। लेकिन तुम वैसे ही इत्ते चिकने हो। काटने लायक गाल हैं तेरे…”

फिर उन्होंने नीचे की ओर रुख किया और सारी मलाई ‘उसके’ ऊपर मल दी।
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“असली मेहनत तो इसी बिचारे को करनी है कुछ यहाँ, कुछ तुम्हारे मायके में,... तुम्हारी मायके वालियों के साथ…”

कुछ उनके हाथ का असर कुछ मलाई का वो फिर रौद्र रूप में आ गया।

“बहुत जबर्दस्त जंगबहादुर है तुम्हारा मान गए…” आगे-पीछे करते भाभी मुश्कुराकर बोली।

“अरे भाभी ये सब आपकी करामात है। लेकिन इस बिचारे का मन तो रख दीजिये…”

“चलो अब तुम इत्ता कह रहे हो तो। लेकिन तुम्हें कुछ आता वाता तो है नहीं…” हँसकर वो बोली।
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बहुत ही मजेदार और रोमांचकारी अपडेट है
चंदा भाभी धीरे धीरे सीखा रही हैं साथ में आनंद बाबू को भी मजे दे रही हैं आनंद बाबू की जिझक कम हो रही है आनंद बाबू को मलाई वाला जो दूध पिलाया है वह चित्रण बहुत ही शानदार था आनंद बाबू तो गुड्डी को अभी बच्ची समझ रहे है भाभी ने तो आनंद के लिए गुड्डी की दोनो बहनों के साथ भी होली खेलने का ज्ञान दे दिया है अब आनन्द ठहरा बुद्धू देखते हैं क्या करता है
 
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Sanju@

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सिखाई पढाई
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“बहुत जबर्दस्त जंगबहादुर है तुम्हारा मान गए…” आगे-पीछे करते भाभी मुश्कुराकर बोली।

“अरे भाभी ये सब आपकी करामात है। लेकिन इस बिचारे का मन तो रख दीजिये…”

“चलो अब तुम इत्ता कह रहे हो तो। लेकिन तुम्हें कुछ आता वाता तो है नहीं…” हँसकर वो बोली।

“तो सिखा दीजिये ना…” मैंने अर्जी लगाईं।

“क्या-क्या सिखाऊं?” आँख नचाते हुए वो बोली।

“सब कुछ…”

“अनाड़ी चुदवैया, बुर की बरबादी…” हँसकर वो बोली।

“अरे तो आप बना दीजिये ना अनाड़ी से खिलाड़ी। प्लीज…” मैं मुँह बनाकर बोला।

“चलो। तुम इत्ता हाथ जोड़ रहे हो तो। लेकिन गुरु दक्षिणा लगेगी…” वो मुश्कुराकर बोली।
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“एकदम गुरु-दक्षिणा या बुर-दक्षिणा। जो आप हुकुम करें…” मैं भी अब उन्हीं के रंग में आ गया था।
“चलो। सही बोला तो पहला पाठ यही है की। तुम अपनी भाषा बदलो। कम से कम जब अकेले में हो या जब कोई औरत खुलकर बोलने को तैयार हो। पहले लड़की थोड़ा बिचकेगी, मुँह बनाएगी। क्या बोलते हो? कैसे बोलते हो। मारूंगी। गंदे। लेकिन तुम चालू रहो और कोशिश करके उससे भी ये सब बुलवाओ। बस देखना उसकी शर्म झिझक सब खतम हो जायेगी और वो भी टाँगें उठाकर चूतड़ उचका के खुलकर मजे लेगी। अच्छा चलो तुम्हें इससे मिलवाती हूँ…”

और उन्होंने मेरा हाथ खींचकर अपनी झांटों भरी बुर पे रख दिया।


फिर तो जो उन्होंने पढ़ाना शुरू किया और मैंने पढ़ना शुरू किया। मैंने दर्जनों सेक्स मैनुअल पढ़े थे, लेकिन जो बात चन्दा भाभी में थी। सब चीजें।

उंगली, उन्होंने समझाया- “हमेशा बीच वाली उंगली इश्तेमाल करो। सिर्फ इसलिए नहीं की वो सबसे लम्बी होती है बल्की उसके साथ दोनों और की उंगलियों से चूत की पुत्तियों को सहला सकते हो मसल सकते हो,... और साथ में अंगूठे से क्लिट को भी दबा सकते हो। यहाँ तक की शलवार या पैंटी के ऊपर से भी। सामने देखते रहो, बातें करते रहो,... लेकिन उंगलियां अपना काम करती रह सकती हैं।
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जांघों को थोड़ा सहलाओ अगर लड़की पट रही होगी तो एक पल के लिए वो खोलकर फिर बंद कर लेगी। बस उसी समय हाथ अन्दर डाल दो। थोड़ा कुनमुनाएगी, बिचकेगी। लेकिन एक बार जहां तुम्हारा हाथ वहां लगा। एकदम पिघल के हाथ में आ जायेगी…”

“भाभी एक बार करने दो ना। तभी तो सीखूंगा…” मेरी हालत खराब हो रही थी अब सीधे प्रैक्टिकल के लिए

“क्या?” आँखें नचाकर वो बोली। मैं समझ गया वो क्या सुनना चाहती हैं।

“उंगली। आपकी रसीली चूत में…”

“तो करो ना…” और मेरी मझली उंगली खींचकर उन्होंने चूत में डाल दी। एकदम कसी थी, मस्त, रसीली मांसल, और उन्होंने शरारत से अपनी चूत मेरी उंगली पे भींच दी।

“कैसा लग रहा है देवरजी?”

“बहुत अच्छा भाभी। बस यही सोच रहा हूँ की अगर उंगली की जगह मेरा…”

“मेरा क्या? क्या लौंडियों की तरह हकला रहे हो?” वो बोली।

“मेरा लण्ड होता तो कित्ता मजा आता…”

“चलो लगे रहो क्या पता मेरा मन कर जाए…” अदा से वो बोली।

मैंने उंगली को गोल-गोल अन्दर घुमाना शुरू किया।
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उन्होंने खुद समझाया, कैसे गोल-गोल करते हैं। सारी नर्व्स ऊपर तक ही होती हैं इसलिए ज्यादा अन्दर तक करने की जरूरत नहीं। हाँ कैसे उंगली को चम्मच की तरह मोड़कर अन्दर दबा सकते हैं, कब और कितना अन्दर-बाहर कर सकते हैं और सबसे ज्यादा जरूरी बात, क्लिट ढूँढ़ने की।

करते समय तो वो बीच में दबी रहेगी,.. इसलिए अंदाज इत्ता अच्छा होना चाहिये की बिना देखे उसे छू सको, छेड़ सको। कैसे उसको दो उंगली के बीच में दबा सकते हैं, कैसे अंगूठे से उंगली करने के साथ-साथ,... अगर ढंग से करो तो दो-तीन मिनट में ही झड़ जायेगी…”

लेकिन सबसे जरूरी बात उन्होंने जो समझाई-

“पहले उसे बाकी जगहों से गर्म करो। किस करके। जोबन मर्दन, जांघें और चूत सहलाकर। उसके बाद ही क्लिट पे हाथ लगाओ। वरना एक तो वो उचकेगी और दूसरा मजे की जगह दर्द भी हो सकता है…” फिर उन्होंने मेरी आँखें बंद करवायीं और कहा-

“तुम मेरी क्लिट टच करो…”
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भाभी हिल डुल जा रही थी। तीन-चार बार ट्राई करने के बाद ही मैं ढूँढ़ पाया। लेकिन जब दो-तीन बार लगातार मैंने कर लिया, तो खुश होकर उन्होंने मुझे किस कर लिया।

मैंने शरारत से पूछा- “तो अच्छे स्टुडेंट को इनाम क्या मिलेगा?”

“मिलेगा। जरूर मिलेगा। जो वो चाहता है वही मिलेगा…” मुश्कुराकर वो बोली। फिर कहने लगी की हर जगह तो रोशनी नहीं होगी, कभी रात के अँधेरे में, कभी बाग में, झुरमुट में,... तो अँधेरे में सही जगह लगाने की प्रैक्टिस होनी चाहिए और उन्होंने ब्रा से मेरी आँखें बाँध दी और बोला की ठीक है चलो अब तुम अपने हथियार को, …”

मैं उनकी बात काटकर बोला- “हथियार या …”

“तुम अब पक्के हुए। अपने लण्ड को मेरी बुर पे, चलो। सिर्फ तीन मौका है अगर सही हुआ तो इनाम वरना ऐसे ही सो जाना…”
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पहली बार तो मैं एकदम फेल हो गया। दूसरी बार मेरा अंदाज सही था।

लेकिन वो आखिरी मौके पे सरक गईं और बोली- “क्या तुम सोचते हो की वो टांग फैलाकर खड़ी रहेगी…”

तब मेरी बुद्धी खुली। मैंने पहले तो उनके हाथ कब्जे में किये, पैरों से जांघें फैलायीं और फिर उसे लण्ड को सीधे सेंटर पे, बुर पे और थोड़ी देर रगड़कर जैसा उन्होंने समझाया था।


वो खूब गीली हो गईं तब छोड़ा। इस पूरी पढ़ाई के दौरान कभी उनका हाथ, कभी होंठ मेरे ‘उसको’ बार-बार छेड़ रहे थे और वो उसी तरह तना हुआ था।

“भाभी। अब तो…” मैंने अपने तन्नाये लण्ड की ओर इशारा किया।

“चलो तुम भी ना…” ये कहकर उन्होंने मुझे हल्का सा धक्का दे दिया।

मैं पलंग पे लेट गया। मेरा कुतुब मीनार हवा में था।

“करूँगी मैं,... बस तुम लेटे रहना। अनाड़ी कहीं उल्टा सीधा कर दो तो। अगर हिले डुले ना तो बहुत मारूंगी…”

फिर वो पलंग से उठकर चल दी और जब वो लौटी तो उनके हाथ में दो बोतल थी। उसे उन्होंने टेबल पे रख दी और मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गईं।

उन्होंने उसमें से ब्राउन बोतल उठाई और थोड़ा सा तेल अपनी हथेली पे लिया और हल्के से मला। फिर वो तेल मेरे तन्नाये हुए लिंग पे हल्के-हल्के लगाने लगी। गजब की सुरसुरी हो रही थी। क्या फीलिंग थी मैं बता नहीं सकता।

चन्दा भाभी ने मेरी और मुश्कुराते हुए देखा और बोला- “मालूम है ये क्या है?”

मैंने ना ने सिर हिलाया। उन्होंने अबकी ढेर सारा तेल बोतल से लिया और सीधे मेरे लिंग पे चुपड़ दिया। वो चमक रहा था। लेकिन थोड़ी देर में ही उसने जैसे तेल सोख लिया हो। भाभी ने फिर कुछ तेल अपने हाथ में लिया, मला और ‘उसपे’ मालिश करने लगी। अबकी उनकी उंगलियां कस-कसकर मुठिया रही थी।

जोश के मारे मेरी हालत खराब थी। वो नीचे से तेल लगाती थी और ऊपर तक। लेकिन सुपाड़े पे आकर रुक जाती थी, और हँसकर बोली-

“ये सांडे का तेल है और वो नहीं जो तुमने मजमे वालों के पास देखा होगा…”

भाभी की बात सही थी। मैंने कित्ती बार मजमे वालों के पास देखा था बचपन में, दोस्तों से सुना भी था। लोहे की तरह कड़ा हो जाता है। खम्भे पे मारो तो बोलेगा टन्न।

तेल मलते हुए भाभी बोली-


“देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”

मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?

चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।


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जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-

“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”

भाभी बोली- “अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी…”

भाभी ने वो बोतल बंद करके दूसरी ओर रख दी और दूसरी छोटी बोतल उठा ली। जैसे उन्होंने बोतल खोली मैं समझ गया की सरसों का तेल है। उन्होंने खोलकर दो-चार बूंदें सीधे मेरे सुपाड़े के छेद पे पहले डाली, मजे से मैं गिनगिना गया,...
भाभी ने तो गुरु दक्षिणा मांग ली लेकिन गुरु दक्षिणा भी ऐसी थी की लेने वाले को भी और देने वाले को भी मजा आने वाला था सांडे का तेल लगाकर भाभी आनंद के हथियार का खूब प्रयोग करने वाली है रात को गदर मचने वाला है वो भी जोशीले और अनाड़ी देवरिया द्वारा
 
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भरतपुर तो आज अवश्य लूटने वाला है लेकिन वह भरतपुर आनंद भाई साहब का भरतपुर होगा । भाभी जी की भरतपुर तो कब की लूट चुकी है ।

इस अपडेट से यह स्पष्ट जाहिर हो रहा है कि आनंद साहब का कौमार्य भंग होना ही होना है । लेकिन जिस तरह से भाभी जी ने इस कामक्रीड़ा का बागडोर अपने हाथ मे ले रखा है और वह जिस तरह से वह सेक्स गुरू की भूमिका निभा रही है वह अद्भुत है ।
कामक्रीड़ा के दौरान उत्तेजित बातें करना , काम क्रीडा के गुर सिखाना , आनंद के स्खलन पश्चात उसे पुनः युद्ध के लिए तैयार करवाना ; ऐसे मे भला कौन युवक उस फिजा के , उस एटमाॅस्फियर के चकाचौंध से मोहित न हो जाए !

कौमार्य एक ऐसा शब्द है जिसको हमारे यहां अनुचित महत्व दिया जाता रहा है । इसके कारण कितनी ही निर्दोष औरतों को कठोर सजा भुगतनी पड़ती है । नारी उत्पीड़न का यह भी एक टार्गेट बन गया है लेकिन नारी चेतना के सजग होने पर अब स्थिति बदल रही है । मन मे पुरुष की बराबरी का जज्बा जागने से वह ये मानकर चलने लगी है कि जब युवक विवाह पूर्ण सेक्स का अनुभव ले चुके होते हैं तो उसी से वर्जिनिटी की अपेक्षा क्यों की जाए ! यह कोई क्राइम तो है नही जिसके लिए उसे दंडित किया जाए।

काॅलसेंटर , कार्पोरेट जगत , वर्किंग प्लेसेज के युवक - युवतियां एक साथ लेट नाइट काम कर रहे होते हैं । वहां फाॅर फन का मंत्र जपते या वर्क टेंशन का एंटिडोट को खोजते हुए वे सेक्स मे प्रायः उतर ही जाते हैं ।
यह अलग बात है कि गांव देहात मे कुछ अन्य तरीके से युवक - युवतियां एक दूसरे के करीब आ जाते हैं ।

बहुत ही बेहतरीन अपडेट कोमल जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड हाॅट इरोटिक अपडेट ।
 

Shetan

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komaalrani

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Wow Madam...a "truly world class" chapter and lessons on Seduction...
the seducing/seduction of Anand Babu and Chanda Bhabi at its peak....step by step...stripping..kissing...everything top notch.
The "african oil" reference was outstanding...
and in the end...cliff hanger as usual........sarson kaa tel....aage to bahut possibilties dikh raha hain 😃😃😛😛

komaalrani
Thanks so much for such a wonderful comment. Yes and all possibilities will be explored in the next part very soon.

I was doing a detox of x forum and reducing screen time so for almost a week I was away from the forum. hence the delayed response. :thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks:
 

komaalrani

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Yes.. Alphas in this forum are in every thread except some notable stories. As brother said, logically it is impossible to believe someone will opened up in record time😄😄.. disgusting. This is what your skill differs.. Which is called sensual sexuality I. e. forced to feel the feelings.
Thanks for supporting and appreciation. I hope your tribe may increase and there are more discerning readers like you. Thanks again.

🙏🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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कोमल जी
सांडे का तेल लौड़े पर लगा कर भोसड़ा पेलवाने वाली भाभी पर तो दिल आ गया। ऐसा महाचुदक्कड़ गदराया रांड भोसड़ा पेलने मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाए मेरा । मैं तो दिन रात उसकी भोसड़ी का रस निकालूं अपने सुपाड़े पर मलूँ और चोद चोद कर भोसड़े को सदाबहार रखूं।
गाँड़ का छेद और आंड दबा कर डबल माल झड़वाने का कारनामा तो कोई अक्खड़ भोसड़ेदार रांड ही कर सकती है । चंदा भाभी की चूत को तो बिना रुके घण्टे भर भी पेला जाए तो भी पानी ना छोड़े।
पढ़ते हुए मेरे लौड़े का बीज सुपाड़े में भर आया है ।
क्या बोलती है । झाड़ दिया जाए आज माल चंदा भाभी की रानी चूत पर ?
मजा आ गया आपका कमेंट पढ़ कर, अगली पोस्ट का इन्तजार करिये फिर तय करियेगा ,
चंदा भाभी की अगली पोस्ट बस कल, २२ मार्च को।
 

komaalrani

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komaalrani

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Bahut hi acchi training de rahi hain Chanda bhabhi. Slow and steady wins the race.
sikha padha ke Ananad Babu ko pakka khiladi bana dengi aur fayada Guddi ko hoga.
 
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