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फागुन के दिन चार भाग ३६, पृष्ठ ४१६
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देह के ज्ञान के साथ मन का भी ज्ञान जरूरी है।बहुत ही मजेदार और रोमांचकारी अपडेट है
चंदा भाभी धीरे धीरे सीखा रही हैं साथ में आनंद बाबू को भी मजे दे रही हैं आनंद बाबू की जिझक कम हो रही है आनंद बाबू को मलाई वाला जो दूध पिलाया है वह चित्रण बहुत ही शानदार था आनंद बाबू तो गुड्डी को अभी बच्ची समझ रहे है भाभी ने तो आनंद के लिए गुड्डी की दोनो बहनों के साथ भी होली खेलने का ज्ञान दे दिया है अब आनन्द ठहरा बुद्धू देखते हैं क्या करता है
एकदम और वो ग़दर -एक प्रेम कथा आज ही।भाभी ने तो गुरु दक्षिणा मांग ली लेकिन गुरु दक्षिणा भी ऐसी थी की लेने वाले को भी और देने वाले को भी मजा आने वाला था सांडे का तेल लगाकर भाभी आनंद के हथियार का खूब प्रयोग करने वाली है रात को गदर मचने वाला है वो भी जोशीले और अनाड़ी देवरिया द्वारा
Ananad Babu ki kismat bahoot acchi hai jo Guddi mili aur usase bhi acchi isliye bhi ki saath men Guddi ki Mummy aur do chhoti teen bahane
Aisi Bhabhi sikhane wali ho to mai bhi anadi bankar seekhne ko tayyar hu komaal bhabhiसिखाई पढाई
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“बहुत जबर्दस्त जंगबहादुर है तुम्हारा मान गए…” आगे-पीछे करते भाभी मुश्कुराकर बोली।
“अरे भाभी ये सब आपकी करामात है। लेकिन इस बिचारे का मन तो रख दीजिये…”
“चलो अब तुम इत्ता कह रहे हो तो। लेकिन तुम्हें कुछ आता वाता तो है नहीं…” हँसकर वो बोली।
“तो सिखा दीजिये ना…” मैंने अर्जी लगाईं।
“क्या-क्या सिखाऊं?” आँख नचाते हुए वो बोली।
“सब कुछ…”
“अनाड़ी चुदवैया, बुर की बरबादी…” हँसकर वो बोली।
“अरे तो आप बना दीजिये ना अनाड़ी से खिलाड़ी। प्लीज…” मैं मुँह बनाकर बोला।
“चलो। तुम इत्ता हाथ जोड़ रहे हो तो। लेकिन गुरु दक्षिणा लगेगी…” वो मुश्कुराकर बोली।
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“एकदम गुरु-दक्षिणा या बुर-दक्षिणा। जो आप हुकुम करें…” मैं भी अब उन्हीं के रंग में आ गया था।
“चलो। सही बोला तो पहला पाठ यही है की। तुम अपनी भाषा बदलो। कम से कम जब अकेले में हो या जब कोई औरत खुलकर बोलने को तैयार हो। पहले लड़की थोड़ा बिचकेगी, मुँह बनाएगी। क्या बोलते हो? कैसे बोलते हो। मारूंगी। गंदे। लेकिन तुम चालू रहो और कोशिश करके उससे भी ये सब बुलवाओ। बस देखना उसकी शर्म झिझक सब खतम हो जायेगी और वो भी टाँगें उठाकर चूतड़ उचका के खुलकर मजे लेगी। अच्छा चलो तुम्हें इससे मिलवाती हूँ…”
और उन्होंने मेरा हाथ खींचकर अपनी झांटों भरी बुर पे रख दिया।
फिर तो जो उन्होंने पढ़ाना शुरू किया और मैंने पढ़ना शुरू किया। मैंने दर्जनों सेक्स मैनुअल पढ़े थे, लेकिन जो बात चन्दा भाभी में थी। सब चीजें।
उंगली, उन्होंने समझाया- “हमेशा बीच वाली उंगली इश्तेमाल करो। सिर्फ इसलिए नहीं की वो सबसे लम्बी होती है बल्की उसके साथ दोनों और की उंगलियों से चूत की पुत्तियों को सहला सकते हो मसल सकते हो,... और साथ में अंगूठे से क्लिट को भी दबा सकते हो। यहाँ तक की शलवार या पैंटी के ऊपर से भी। सामने देखते रहो, बातें करते रहो,... लेकिन उंगलियां अपना काम करती रह सकती हैं।
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जांघों को थोड़ा सहलाओ अगर लड़की पट रही होगी तो एक पल के लिए वो खोलकर फिर बंद कर लेगी। बस उसी समय हाथ अन्दर डाल दो। थोड़ा कुनमुनाएगी, बिचकेगी। लेकिन एक बार जहां तुम्हारा हाथ वहां लगा। एकदम पिघल के हाथ में आ जायेगी…”
“भाभी एक बार करने दो ना। तभी तो सीखूंगा…” मेरी हालत खराब हो रही थी अब सीधे प्रैक्टिकल के लिए
“क्या?” आँखें नचाकर वो बोली। मैं समझ गया वो क्या सुनना चाहती हैं।
“उंगली। आपकी रसीली चूत में…”
“तो करो ना…” और मेरी मझली उंगली खींचकर उन्होंने चूत में डाल दी। एकदम कसी थी, मस्त, रसीली मांसल, और उन्होंने शरारत से अपनी चूत मेरी उंगली पे भींच दी।
“कैसा लग रहा है देवरजी?”
“बहुत अच्छा भाभी। बस यही सोच रहा हूँ की अगर उंगली की जगह मेरा…”
“मेरा क्या? क्या लौंडियों की तरह हकला रहे हो?” वो बोली।
“मेरा लण्ड होता तो कित्ता मजा आता…”
“चलो लगे रहो क्या पता मेरा मन कर जाए…” अदा से वो बोली।
मैंने उंगली को गोल-गोल अन्दर घुमाना शुरू किया।
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उन्होंने खुद समझाया, कैसे गोल-गोल करते हैं। सारी नर्व्स ऊपर तक ही होती हैं इसलिए ज्यादा अन्दर तक करने की जरूरत नहीं। हाँ कैसे उंगली को चम्मच की तरह मोड़कर अन्दर दबा सकते हैं, कब और कितना अन्दर-बाहर कर सकते हैं और सबसे ज्यादा जरूरी बात, क्लिट ढूँढ़ने की।
करते समय तो वो बीच में दबी रहेगी,.. इसलिए अंदाज इत्ता अच्छा होना चाहिये की बिना देखे उसे छू सको, छेड़ सको। कैसे उसको दो उंगली के बीच में दबा सकते हैं, कैसे अंगूठे से उंगली करने के साथ-साथ,... अगर ढंग से करो तो दो-तीन मिनट में ही झड़ जायेगी…”
लेकिन सबसे जरूरी बात उन्होंने जो समझाई-
“पहले उसे बाकी जगहों से गर्म करो। किस करके। जोबन मर्दन, जांघें और चूत सहलाकर। उसके बाद ही क्लिट पे हाथ लगाओ। वरना एक तो वो उचकेगी और दूसरा मजे की जगह दर्द भी हो सकता है…” फिर उन्होंने मेरी आँखें बंद करवायीं और कहा-
“तुम मेरी क्लिट टच करो…”
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भाभी हिल डुल जा रही थी। तीन-चार बार ट्राई करने के बाद ही मैं ढूँढ़ पाया। लेकिन जब दो-तीन बार लगातार मैंने कर लिया, तो खुश होकर उन्होंने मुझे किस कर लिया।
मैंने शरारत से पूछा- “तो अच्छे स्टुडेंट को इनाम क्या मिलेगा?”
“मिलेगा। जरूर मिलेगा। जो वो चाहता है वही मिलेगा…” मुश्कुराकर वो बोली। फिर कहने लगी की हर जगह तो रोशनी नहीं होगी, कभी रात के अँधेरे में, कभी बाग में, झुरमुट में,... तो अँधेरे में सही जगह लगाने की प्रैक्टिस होनी चाहिए और उन्होंने ब्रा से मेरी आँखें बाँध दी और बोला की ठीक है चलो अब तुम अपने हथियार को, …”
मैं उनकी बात काटकर बोला- “हथियार या …”
“तुम अब पक्के हुए। अपने लण्ड को मेरी बुर पे, चलो। सिर्फ तीन मौका है अगर सही हुआ तो इनाम वरना ऐसे ही सो जाना…”
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पहली बार तो मैं एकदम फेल हो गया। दूसरी बार मेरा अंदाज सही था।
लेकिन वो आखिरी मौके पे सरक गईं और बोली- “क्या तुम सोचते हो की वो टांग फैलाकर खड़ी रहेगी…”
तब मेरी बुद्धी खुली। मैंने पहले तो उनके हाथ कब्जे में किये, पैरों से जांघें फैलायीं और फिर उसे लण्ड को सीधे सेंटर पे, बुर पे और थोड़ी देर रगड़कर जैसा उन्होंने समझाया था।
वो खूब गीली हो गईं तब छोड़ा। इस पूरी पढ़ाई के दौरान कभी उनका हाथ, कभी होंठ मेरे ‘उसको’ बार-बार छेड़ रहे थे और वो उसी तरह तना हुआ था।
“भाभी। अब तो…” मैंने अपने तन्नाये लण्ड की ओर इशारा किया।
“चलो तुम भी ना…” ये कहकर उन्होंने मुझे हल्का सा धक्का दे दिया।
मैं पलंग पे लेट गया। मेरा कुतुब मीनार हवा में था।
“करूँगी मैं,... बस तुम लेटे रहना। अनाड़ी कहीं उल्टा सीधा कर दो तो। अगर हिले डुले ना तो बहुत मारूंगी…”
फिर वो पलंग से उठकर चल दी और जब वो लौटी तो उनके हाथ में दो बोतल थी। उसे उन्होंने टेबल पे रख दी और मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गईं।
उन्होंने उसमें से ब्राउन बोतल उठाई और थोड़ा सा तेल अपनी हथेली पे लिया और हल्के से मला। फिर वो तेल मेरे तन्नाये हुए लिंग पे हल्के-हल्के लगाने लगी। गजब की सुरसुरी हो रही थी। क्या फीलिंग थी मैं बता नहीं सकता।
चन्दा भाभी ने मेरी और मुश्कुराते हुए देखा और बोला- “मालूम है ये क्या है?”
मैंने ना ने सिर हिलाया। उन्होंने अबकी ढेर सारा तेल बोतल से लिया और सीधे मेरे लिंग पे चुपड़ दिया। वो चमक रहा था। लेकिन थोड़ी देर में ही उसने जैसे तेल सोख लिया हो। भाभी ने फिर कुछ तेल अपने हाथ में लिया, मला और ‘उसपे’ मालिश करने लगी। अबकी उनकी उंगलियां कस-कसकर मुठिया रही थी।
जोश के मारे मेरी हालत खराब थी। वो नीचे से तेल लगाती थी और ऊपर तक। लेकिन सुपाड़े पे आकर रुक जाती थी, और हँसकर बोली-
“ये सांडे का तेल है और वो नहीं जो तुमने मजमे वालों के पास देखा होगा…”
भाभी की बात सही थी। मैंने कित्ती बार मजमे वालों के पास देखा था बचपन में, दोस्तों से सुना भी था। लोहे की तरह कड़ा हो जाता है। खम्भे पे मारो तो बोलेगा टन्न।
तेल मलते हुए भाभी बोली-
“देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”
मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?
चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।
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जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-
“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”
भाभी बोली- “अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी…”
भाभी ने वो बोतल बंद करके दूसरी ओर रख दी और दूसरी छोटी बोतल उठा ली। जैसे उन्होंने बोतल खोली मैं समझ गया की सरसों का तेल है। उन्होंने खोलकर दो-चार बूंदें सीधे मेरे सुपाड़े के छेद पे पहले डाली, मजे से मैं गिनगिना गया,...
आप ऐसे रससिद्ध, प्रसिद्ध पारखी समीक्षक के कलम से निकले ये प्रशंसा के शब्द मुझे और इस थ्रेड को कितना हर्षित करते हैं मैं कह नहीं सकती।भरतपुर तो आज अवश्य लूटने वाला है लेकिन वह भरतपुर आनंद भाई साहब का भरतपुर होगा । भाभी जी की भरतपुर तो कब की लूट चुकी है ।
इस अपडेट से यह स्पष्ट जाहिर हो रहा है कि आनंद साहब का कौमार्य भंग होना ही होना है । लेकिन जिस तरह से भाभी जी ने इस कामक्रीड़ा का बागडोर अपने हाथ मे ले रखा है और वह जिस तरह से वह सेक्स गुरू की भूमिका निभा रही है वह अद्भुत है ।
कामक्रीड़ा के दौरान उत्तेजित बातें करना , काम क्रीडा के गुर सिखाना , आनंद के स्खलन पश्चात उसे पुनः युद्ध के लिए तैयार करवाना ; ऐसे मे भला कौन युवक उस फिजा के , उस एटमाॅस्फियर के चकाचौंध से मोहित न हो जाए !
कौमार्य एक ऐसा शब्द है जिसको हमारे यहां अनुचित महत्व दिया जाता रहा है । इसके कारण कितनी ही निर्दोष औरतों को कठोर सजा भुगतनी पड़ती है । नारी उत्पीड़न का यह भी एक टार्गेट बन गया है लेकिन नारी चेतना के सजग होने पर अब स्थिति बदल रही है । मन मे पुरुष की बराबरी का जज्बा जागने से वह ये मानकर चलने लगी है कि जब युवक विवाह पूर्ण सेक्स का अनुभव ले चुके होते हैं तो उसी से वर्जिनिटी की अपेक्षा क्यों की जाए ! यह कोई क्राइम तो है नही जिसके लिए उसे दंडित किया जाए।
काॅलसेंटर , कार्पोरेट जगत , वर्किंग प्लेसेज के युवक - युवतियां एक साथ लेट नाइट काम कर रहे होते हैं । वहां फाॅर फन का मंत्र जपते या वर्क टेंशन का एंटिडोट को खोजते हुए वे सेक्स मे प्रायः उतर ही जाते हैं ।
यह अलग बात है कि गांव देहात मे कुछ अन्य तरीके से युवक - युवतियां एक दूसरे के करीब आ जाते हैं ।
बहुत ही बेहतरीन अपडेट कोमल जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड हाॅट इरोटिक अपडेट ।
Sir I don't know what to say. Your presence of any thread is like the mark of ISI or Hallmark, a guarantee of quality. Your sheer presence is worth 1000 views, and after such beautiful words i am just speechless. You are the king of imagery, all figures of speech, and sharp turns in the story which keep a reader spellbound. I always tell everybody to learn from you, by reading your stories and, art of story writing.Aisi Bhabhi sikhane wali ho to mai bhi anadi bankar seekhne ko tayyar hu komaal bhabhi
aapko sab aise hi kamaal nahi kehte
aapki lekhni me aapke naam ka arth jhalakta hai
you are the undisputed top writer of digital world
ye update padkar to khud ko devar ki jagha rakhkar padne par har reader majboor hai
kamaal ki komaal
hats off to you.
Ekdam sahi kaha aapne Chahe Devar ho ya nanad gyaan to use Bhabhi hi deti hainSahi kaha. Dewar gandu ho ya chhinar nandiya. Nath to bhabhi hi utaregi. Amezing.
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