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भाग ६ -
चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी
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तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”
मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?
चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।
जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-
“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”
भाभी बोली-
“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी…”
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भाभी ने वो बोतल बंद करके दूसरी ओर रख दी और दूसरी छोटी बोतल उठा ली। जैसे उन्होंने बोतल खोली मैं समझ गया की सरसों का तेल है। उन्होंने खोलकर दो-चार बूंदें सीधे मेरे सुपाड़े के छेद पे पहले डाली।
मजे से मैं गिनगिना गया।
“क्यों बचपन में तो ऐसे ही पड़ता रहा होगा ना। याद आया। वैसे तो मुझे किसी चिकनाई की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन तुम्हारा आदमी की जगह गधे, घोड़े का लगता है, इसलिए। मैं वैसलीन की जगह सरसों का तेल ही लगाती हूँ। लेकिन किसी लड़की के साथ, कच्ची कली के साथ तो पहले तो गीला करना अच्छी तरह से। फिर खूब वैसलीन चुपड़ के उंगली करना। अपने लण्ड में भी खूब वैसलीन मल लेना। हाँ एक बात और तुम एक काम करो। अपना सुपाड़ा कभी कवर मत करना। इसको खुला ही रखना…” भौजी ने समझाया
“क्यों भाभी?” मैंने उत्सकुता से पूछा।
भाभी पूरे सुपाड़े पे तेल लगाते हुए बोली-
“अरे देवरजी, आपको आम खाने से मतलब या। यही सब तो ट्रिक हैं असली मर्द बनने के। आप भी क्या याद करियेगा कि कोई सिखाने वाली मिली थी। खुला रहने से बचपन से रगड़ खा-खाकर वो ऐसा सुन्न हो जाता है कि बस। तो जल्दी झड़ने का खतरा खत्म हो जाता है। और औरत क्या चाहती है कि मर्द खूब रगड़कर अच्छी तरह, देर तक चोदे, ये नहीं की बस घुसेड़ा, निकाला और कहानी खतम। जो मरद औरत को झाड़ के झड़े, वो असली मर्द। तो अगर इसको ढकोगे नहीं तो तुम्हारे कपड़े से रगड़ खा-खाकर ये भी। समझ गए और हाँ अगर तुम मुझसे पहले गए तो समझ लेना…”
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तेल की दोनों बोतल बंद करके वो टेबल पर रख चुकी थी।
“भाभी। प्लीज…” मेरी आँखें गुहार लगा रही थी।
“चल ठीक है तू भी क्या याद करेगा। होली का मौका है तो आज देवर भाभी की होली हो जाये। बस याद रखना की तुम बस ऐसे ही लेटे रहना उठने कि कोशिश भी मत करना…”
मैंने वोमन आन टाप की कई कहानियां पढ़ी थी, फोटुयें और फिल्में भी देखी थी, लेकिन वो सीन।
चंदा भाभी पर वो जोबन था। नाईट लैंप की हल्की नीली रोशनी में, लंबे-लंबे बाल, सिंदूर से सजी माँग, बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, गले में नेकलेश जिसका पेंडेंट उनके गदराये मस्त जोबन के बीच लटकता हुआ, खूब बड़ी-बड़ी लेकिन एकदम कड़ी मस्त चूचियां,
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गोरी-गोरी चिकनी जांघें, और उसके बीच काली झुरमुट।
भाभी मेरे ऊपर आ गई थी, उनकी फैली हुई जांघों के बीच, ... मेरा
भाभी- “क्यों ले लूँ इसे अपने अन्दर?” हँसकर अपनी नशीली आँखें मेरी आँखों में डालकर वो बोली।
“एकदम…” मैंने भी हँसकर जवाब दिया। बेचैनी से मेरी हालत खराब थी। उनका जन्नत का खजाना मेरे ‘उससे’ टच कर रहा था। बता नहीं सकता वो पहली बार का स्पर्श।
भाभी रुक गई थी।
मैं बेताब हो रहा था। मैंने अपनी कमर उचकायी।
तभी भाभी बोली- “मना किया था ना की हिलोगे नहीं। बदमाश…” कहकर भाभी ने आँखें तरेरी।
मैं एकदम रुक गया।
भाभी मुश्कुराने लगी और उन्होंने कमर थोड़ी और नीची की।
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अपने हाथों से उन्होंने अपने निचले होंठों को थोड़ा फैलाया और मेरा सुपाड़ा उनकी चूत के अंदर। उन्होंने मेरे जंधे पकड़कर एक और धक्का दिया, और बोली-
“अब मैं मर्द हूँ और तुम औरत। वैसे भी कल होली में अच्छी तरह सेचुदवाओगे तुम। और चोदेगी हम सब। । ठीक से बोल आ रहा है मजा?”
और इसके साथ उन्होंने एक जबर्दस्त धक्का मारा।
सुपाड़ा पूरी तरह उनकी चूत के गिरफ्त में था। दोनों कन्धों पर जो उनका हाथ था वो सरक के मेरी छाती तक आ चुका था। जैसे कोई किशोरी के नए जोबन को सहलाए,... वो उसी तरह।
चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी
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मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?
चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।
जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-
“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”
भाभी बोली-
“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी…”
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मजे से मैं गिनगिना गया।
“क्यों बचपन में तो ऐसे ही पड़ता रहा होगा ना। याद आया। वैसे तो मुझे किसी चिकनाई की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन तुम्हारा आदमी की जगह गधे, घोड़े का लगता है, इसलिए। मैं वैसलीन की जगह सरसों का तेल ही लगाती हूँ। लेकिन किसी लड़की के साथ, कच्ची कली के साथ तो पहले तो गीला करना अच्छी तरह से। फिर खूब वैसलीन चुपड़ के उंगली करना। अपने लण्ड में भी खूब वैसलीन मल लेना। हाँ एक बात और तुम एक काम करो। अपना सुपाड़ा कभी कवर मत करना। इसको खुला ही रखना…” भौजी ने समझाया
“क्यों भाभी?” मैंने उत्सकुता से पूछा।
भाभी पूरे सुपाड़े पे तेल लगाते हुए बोली-
“अरे देवरजी, आपको आम खाने से मतलब या। यही सब तो ट्रिक हैं असली मर्द बनने के। आप भी क्या याद करियेगा कि कोई सिखाने वाली मिली थी। खुला रहने से बचपन से रगड़ खा-खाकर वो ऐसा सुन्न हो जाता है कि बस। तो जल्दी झड़ने का खतरा खत्म हो जाता है। और औरत क्या चाहती है कि मर्द खूब रगड़कर अच्छी तरह, देर तक चोदे, ये नहीं की बस घुसेड़ा, निकाला और कहानी खतम। जो मरद औरत को झाड़ के झड़े, वो असली मर्द। तो अगर इसको ढकोगे नहीं तो तुम्हारे कपड़े से रगड़ खा-खाकर ये भी। समझ गए और हाँ अगर तुम मुझसे पहले गए तो समझ लेना…”
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चंदा भाभी पर वो जोबन था। नाईट लैंप की हल्की नीली रोशनी में, लंबे-लंबे बाल, सिंदूर से सजी माँग, बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, गले में नेकलेश जिसका पेंडेंट उनके गदराये मस्त जोबन के बीच लटकता हुआ, खूब बड़ी-बड़ी लेकिन एकदम कड़ी मस्त चूचियां,
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मैं एकदम रुक गया।
भाभी मुश्कुराने लगी और उन्होंने कमर थोड़ी और नीची की।
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और इसके साथ उन्होंने एक जबर्दस्त धक्का मारा।
सुपाड़ा पूरी तरह उनकी चूत के गिरफ्त में था। दोनों कन्धों पर जो उनका हाथ था वो सरक के मेरी छाती तक आ चुका था। जैसे कोई किशोरी के नए जोबन को सहलाए,... वो उसी तरह।
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