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फागुन के दिन चार भाग ३६, पृष्ठ ४१६
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पहले तो साजन ने चोली हटायी
हल्के से मेरी फिर चुची दबायी
झट से खींच दी साये की डोरी
मेरे लाज के मैं तो हो गई दोहरी
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जांघों पर रख दी अपनी पिचकारी
बहुत ही शातिर था चतुर शिकारी
भिगोने लगा अपने प्यार के रंग में
मचल उठी मैं भी पिया के संग में
![]()
तन पर मेरे कर के पिचकारी की बौछार
कहे मुबारक हो तुमको होली का त्यौहार
फागुन की गुझिया और भांग वाली ठंडाई
आप सब को है दिल से होली की बधाई
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पहले तो साजन ने चोली हटायी
हल्के से मेरी फिर चुची दबायी
झट से खींच दी साये की डोरी
मेरे लाज के मैं तो हो गई दोहरी
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जांघों पर रख दी अपनी पिचकारी
बहुत ही शातिर था चतुर शिकारी
भिगोने लगा अपने प्यार के रंग में
मचल उठी मैं भी पिया के संग में
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तन पर मेरे कर के पिचकारी की बौछार
कहे मुबारक हो तुमको होली का त्यौहार
फागुन की गुझिया और भांग वाली ठंडाई
आप सब को है दिल से होली की बधाई
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Same on your story also Madam.. he..he..Waiting for update![]()
thanksBeautiful Poetry and Pics.
Tomorrow, work in progress.Waiting for update![]()
Thanks for enjoying Arushi Ji's Holi poetry, she is the best erotic poetess.