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Adultery - छुटकी - होली दीदी की ससुराल में
भाग ८२ -सुगना भौजी१६१० १२७बंटी अलग होकर मेरे बगल में लेटा ही था की एक झाडी के पास से उठ के आती हुयी सुगना दिखी,... आज भौजाइयों में सबसे ज्यादा वही गरमाई थी, कोई सगा देवर था नहीं , मरद क़तर गया था,गौने के कुछ दिन बाद ही तब से लौटा नहीं। पच्छिम पट्टी की,...सुगना एकदम रस की जलेबी, वो भी...
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भाग ८२ सुगना भौजी अपडेट पोस्टेड
पृष्ठ ८३०
छुटकी -होली दीदी की ससुराल में
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यह पोस्ट सुगना भौजी ,
आरुषि जी की कविता ससुर और बहू से अनुप्राणित है और आरुषि जी को ट्रिब्यूट के तौर पर समर्पित है।