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ekdm sahi kahaa aapneपुलिस अपनी पे आए तो कोई गुंडा बदमाश..
अपनी उंगली तक नहीं हिला सकता...
लेकिन दोनों की मिली भगत.. जो न कर जाए कम है..
तब जनता जनार्दन की बेआवाज लाठी हीं काम आती है...
माफिया का अपना अर्थशास्त्र, राजनीति और समाजशास्त्र हैलगता है पूरे माफिया स्टाइल ... काम चल रहा है...
लेकिन इनकी अपनी गुटबाजी.. भी इन पर अंकुश लगाती है...
और खुदाई इंसाफ हो जाता है...
absolutely trueमीडिया वाले भी किसी एक का पक्ष लेकर मामले को तूल देकर..
आग भड़का देते हैं..
और नरेटिव वाली खबरें इतनी तेजी से फैलती हैं.
कि आग भी क्या उतनी तेजी से फैलता होगा...
मान तो जाती है, लेकिन मान करना और मान रखना भी इस रिश्ते का हिस्सा हैडॉन को पकड़ना मुश्किल हीं नामुमकिन है...
गुड्डी को मनाना नामुमकिन नहीं मुश्किल है...
एक्शन शुरूटिपिकल पुलिस रिएक्शन...
और तैयारी...
और नजदीक संबंधियों के दिल की धड़कने...
ड्रम की तरह बज रही होती हैं....
Ekdm sahi kaha aapneनहीं गुंजा नहीं हो सकती है। गुंजा कैसे सकती है, इतनी लड़कियां बच के निकल गयीं तो वो भी निकल गयी होगी।
ये दिल भी उम्मीद के खिलाफ उम्मीद करता रहता है...
और चैनल वाले तो ये सब दिखा कर और हीं आतंक का माहौल बनाते हैं और उनकी सहायता कर रहे होते हैं..
इन तीन बातों में तो उलझा कर डीबी ने चक्करघिन्नी बना दिया..
लेकिन हॉस्टल से झेल रहे हैं तो... काम की बातें हीं होंगी...