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Phagun ke din chaar mene already padhi hui hai, is wali me kuch badlav honge ya same rahegi.भाग ३२ - आपरेशन गुंजा + +
४,२५,४१२
मैं जमीन पे गिरा था, उसके पैरों के पास। गुड्डी से जो मैंने बाल वाला कांटा लिया था और उसने मजाक में मेरे बालों में खोंस दिया था, मेरे हाथ में था।
खच्च। खच्च। खच्च। दो बार दायें पैर में एक बार बायें पैर में।
वो आदमी लड़खड़ाकर गिर पड़ा।
उठते हुये मैंने उसके दायें हाथ की मेन आर्टरी में, पूरी ताकत से कांटा चुभोया और खून छल-छल बहने लगा। निकलते-निकलते मैंने देखा कि एक मोबाइल फर्श पे गिरा है। मैंने उसे तुरन्त उठा लिया और कमरे के बाहर।
उसी समय एक आँसू गैस का शेल खिड़की तोड़ता हुआ कमरे में।
20 मिनट हो चुका था। मुझे 5 मिनट में बाहर निकलकर आल क्लियर का मेसेज देना था, वरना कमांडो अन्दर। लेकिन ज्यादा तुरन्त की समस्या ये थी, ये दोनों पीछा तो करेंगे ही कैसे उसे कम से कम 5-10 मिनट के लिये डिले किया जाय।
दरवाजा बन्द करके मैंने टूटा हुआ ताला उसमें लटका दिया- ऐडवांटेज एक मिनट।
मैंने गुड्डी से जो चूड़ियां ली थी, सीढ़ी की उल्टी डायरेक्शन में मैंने बिखरा दी और कुछ एक कमरे के सामने। अगर वो कन्फुज हुये तो- ऐडवांटेज दो मिनट।
मैं वापस दौड़ता हुआ सीढ़ी की ओर। तीनों लड़कियां सीढ़ी के पार खड़ी थी।
दोनों लड़कियां, डरी सहमी, सीढ़ीा के दरवाजे के पीछे चिपकी, दीवाल से सटी, कातर हिरणी की तरह, देख रही थीं। डर के मारे उनका चेहरा अभी भी सफ़ेद था, और गुंजा के पास पहुँचते ही, दोनों ने गुंजा के हाथ को कस के पकड़ लिया और जहाँ से गुंजा आयी थी, जहाँ तीनो अभी पल भर पहले बॉम्ब के ऊपर बैठायी गयी थीं, बस उधर ही देख रही थीं।
चुम्मन की पहले गरजती हुयी आवाज, ' “लड़कियां कहां गईं?” देख जायेंगी कहां? यहीं कहीं होगीं, ढूँढ़ जल्दी…” उन्होंने सुनी थी और दहस गयी थीं, और फिर जो मैंने कांटा चुभोया चुम्मन के पैर में तो उसकी हलकी सी चीख भी सुनी, लेकिन वो जानती थीं, खतरा टला नहीं है, बॉम्ब अभी भी क्लास में लगा है और चुम्मन को पता चल गया है की वो सब क्लास से बच के निकल भागी हैं।
मुझे देख के गुंजा ने कस के दोनों लड़कियों का हाथ कस के दबा दिया और डरी हुयी भी उसके चेहरे पे एक छोटी सी, नन्ही सी मुस्कान दौड़ गयी।
लेकिन डर मैं भी रहा था,
चुम्मन से भी और उस से ज्यादा होने वाले कमांडो हमले से। और चुम्मन को जो मैंने पल भर के लिए देखा था, मान गया था मैं, जबरदस्त किलर इंस्टिंक्ट, पावर पैक्ड, और अँधेरे में भी गजब का निशाना। लाइटर की हिलती डुलती रौशनी में भी अगर मैंने पालक झपकते कस के गुंजा को अपने नीचे दबोचा नहीं होता और पूरी तरह अपनी देह से छाप नहीं लिया होता, पक्का वो चाक़ू, गुंजा के दिल में पैबस्त होता। देह से चिपकी टाइट जींस, टाइट टी शर्ट में उसकी एक मसल्स साफ़ साफ़ झलक रही थीं, मैंने उसके एक पैर और हाथ में जो काँटा एकदम आर्टरी में चुभोया था, दूसरा होता तो उसका एक हाथ पैर बेकार हो चुका होता, लेकिन मैं जानता था की बस थोड़ी देर अरे वो हम लोगों के पीछे होगा।
चुम्मन जानता था की उसका पूरा प्रोटेक्शन वो तीनों लड़कियां हैं और जब तक लड़कियां उसके कब्जे में है, कोई शायद ही गोली चलाये, और वो निगोशिएट कर सकता है, लेकिन अगर लड़कियां एक बार निकल गयीं तो डी बी से ज्यादा सिद्द्की की जो अबतक छप्पन वाली रेपुटेशन थी, उसका बचना मुश्किल था, इसलिए मैं जानता था की वो कुछ भी कर के तीनो लड़कियों को पकड़ने की फिर से कोशिश करेगा, और उसकी दोनों फूली जेबों से मुझे अंदाज लग गया था की उसके एक जेब में कट्टा नहीं रिवाल्वर है और दूसरी में बॉम्ब का रिमोट। और एक दो चाक़ू तो जरूर और उसने रख रखा होगा,
इसलिए उसका लड़कियों से सामना होना जरूरी नहीं है, बस एक बार विजुअल कांटेक्ट हो जाए, फिर तो जिस फुर्ती से उसने चाक़ू गुंजा के ऊपर अँधेरे में फेंका था, कोई न कोई लड़की या मैं चाक़ू का शिकार का बनता, और उसके बाद बाकी लड़कियां भी पकड़ी जातीं,
और जो डाइवरसन टूटे ताले और चूड़ियों से मैंने किया था वो भी बहुत देर तक टिकने वाला नहीं था, तो उसकी नजर में आने के पहले हम सब को निकल लेने में ही भलाई थी।
लेकिन चुमन से कम खतरा कमांडो से नहीं था। जिस तरह जब हम लोग कमरे से निकले उसके पहले आंसू गैस का गोला खिड़की तोड़ते हुए आया, ये साफ़ था की अब पांच मिनट के अंदर खिड़की से कमांडो घुस सकते हैं, लेकिन उन्हें मेरे बारे में कुछ पता नहीं है और लड़कियों के पास मुझे देख के हो सकता है कोई शाप शूटर गोली चला दे।
इसलिए बस किसी तरह जल्द से जल्द मुझे इन तीनो लड़कियों के साथ बाहर निकल लेना था, लेकिन अब दो बातें थी। एक तो चढ़ते समय गुंजा और उसकी सहेलियों की बचाने की बात थी, और एड्रिनेलिन पूरी तेजी पर था, लेकिन अब एक बार मिशन हो जाने के बाद वो बात नहीं रहती, और दूसरे खुद को हैंडल करना अकेले आसान होता है, लेकिन साथ में तीन लड़कियां हो और उनकी जान पर भी बनी हो तो खतरा तीन गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
एक बार मैंने उन तीनो को देखा, गुंजा दोनों के बीच में, और गुंजा का हाथ दोनों कस के पकडे थीं, जैसे मेले की भीड़ में बच्चे माँ का हाथ कस के पकडे रहते हैं, कहीं बिछुड़ ना जाएँ और गुंजा ने मेरी ओर इशारा करके कुछ कहा तो उन दोनों डरे हुए चेहरों पर एक कमजोर सी मजबूर मुस्कान छा गयी।
एक लड़की जो सबसे पहले बेंच पर से उठी थी, और जिसके कान में गुंजा ने अभी कुछ बोला था, कुछ मुझसे, कुछ अपनी सहेलियों से बोली - “चलें नीचे?”
मैंने कहा- “अभी नहीं…” और सीढ़ी का दरवाजा बन्द कर दिया।
पीछे से जोर-जोर से दरवाजा खड़खड़ाने की आवाज आ रही थी।
मैंने बोला- “ये जो कापियों का बन्डल रखा है ना उसे उठा-उठाकर यहां रखो…”
वो बोली- “मेरा नाम महक है। महक दीप…”
मैंने कहा- “मुझे मालूम है। लेकिन प्लीज जरा जल्दी…” और जल्दी-जल्दी कापियों से जो बैरीकेडिंग हो सकती थी किया।
तीसरी लड़की से मैंने रस्सी के लिये इशारा किया और उसने हाथ बढ़ाकर रस्सी पास कर दी। ऊपर की सिटकिनी से बोल्ट तक फिर एक क्रास बनाते हुये। बीच में जो भी टूटी कुर्सियां, फर्नीचर सब कुछ, कम से कम 5-6 मिनट तक इसे होल्ड करना चाहिये।
ये दरवाजा हमारा पहला प्रोटेक्शन था, कितना भी कमजोर क्यों न हो, लेकिन कुछ तो था।
सीढ़ी पर अँधेरा था, जाले, कबाड़, और एक दो टूटी सीढ़ी और हम चार लोगों को उतर के नीचे के दरवाजे तक पहुंचना था, तो तीन चार मिनट तो लगना ही था और अगर तब तक कहीं चुम्मन इस सीढ़ी के छत वाले दरवाजे पर अपने चमचे के साथ पहुँच जाता तो, उसे सीढ़ी से नीचे उतरना भी नहीं है। मैं अँधेरे में चुम्मन के चाक़ू का निशाना देख चुका था और यहाँ तो हम सब की पीठ उस की ओर होती तो बचने का कोई चांस नहीं था।
बस मुझे मालूम था, की जो मैंने चुम्मन के पैरों में काँटा चुभोया था, उसका एक फायदा तो होगा की पैर से मार के अब वो ये दरवाजा आसानी से नहीं तोड़ पायेगा, और थोड़ा भी बैरकेडिंग में ताकत होगी तो हम लोगों को निचले दरवाजे तक पहुँचने का टाइम मिल जाएगा।
तीसरी लड़की से न मैंने नाम पूछा था न उसने बताया, लेकिन बिन बताये, मुझे पता चल गया था की वो शाज़िया है, एक मामले में मेरी गुंजा के कान काटती और एक मामले में गुंजा को टक्कर देती। सुबह से कितनी बार तो गुंजा उसका गुणगान कर चुकी थी, गाली देने में और होली में मस्ती में सिर्फ अकेली शाज़िया थी जो गुंजा के भी कान काटती थी और फागुन लगते ही उसकी होली शुरू हो जाती थी, और ' बिग बी ( बिग बूब्स ) के मामले में वो दोनों अपने से बड़ी दर्जा दस वालियों को भी पीछे छोड़ देती थीं, हंसती तो गालों में गड्ढे पड़ते, बड़ी बड़ी कजरारी आँखे, खूब लम्बे बाल, गुंजा के बूब्स पर जो दसो उँगलियों के निशान थे वो शाज़िया के ही थे।
लेकिन इस समय सब हंसी खिलंदरा पन गायब था, डर अभी भी उसके चेहरे पर था, पर धीरे धीरे मेरे साथ डर कम होता जा रहा था और रस्सी लगाने, पूरी सीढ़ी पर से टूटे फूटे कबाड़ ला के रस्सी से बाँध के बैरिकेड को स्ट्रांग करने में वो मेरे साथ लगी थी, और गुंजा और महक पुरानी कापियों के बंडल को एक के ऊपर रख के उस को सपोर्ट दे रही थीं।
दो तीन मिनट के अंदर हम लोगों ने सीढ़ी के ऊपर वाले दरवाजे को अच्छी तरह से ब्लाक कर दिया और फिर नीचे की ओर।
Bahoot jyada Badlaav hai karib 40 % naya hai, kayi part naye hain aur kayi ka role badh gaya hai . erotica ke saath action and romance ka part bhi jyada hai, ek baar try kar ke dekhiye,Phagun ke din chaar mene already padhi hui hai, is wali me kuch badlav honge ya same rahegi.