69
सुबह 7 बजे सुहागरात के कमरे का दरवाजा खुला और एक आंख से शर्माकर बाहर देखा। हॉल में सन्नाटा देख कर मर्द के कुर्ते में ढकी कमसिन जवानी ने फुलवा के कमरे में रखे अपने कपड़ों के लिए दौड़ लगाई।
प्रिया फुलवा के कमरे में दाखिल हुई तो फुलवा, साफ़िया, काम्या और मोहिनी ने तालियां बजाईं और मानव शाह ने सीटियां बजाकर प्रिया का स्वागत किया।
प्रिया शर्माकर फुलवा की बाहों में समाकर शिकायत करते हुए, “मां!!…”
फुलवा, “अरे मेरी बच्ची, तू शर्माती क्यों है? नई दुल्हन को चिढाना तो बहुत पुरानी रस्म है!”
मानव, “जब मैने कहा था कि हमारे साथ तुम्हारी चाल बिगड़ सकती है, मैं इसी बिगड़ी चाल की बात कर रहा था!”
फुलवा, “बात से याद आया! तुमने तो कहा था कि अगर तुम्हें किसने कीड़ा लेने को मजबूर किया तो तुम उसे मार दोगी। मेरा बेटा जिंदा है ना?”
प्रिया को अब कुछ हिम्मत आ गई थी, तो प्रिया ने मुस्कुराकर शर्म से लाल होकर,
“अधमरा छोड़ दिया तो चलेगा?”
सबने तालियां बजाकर प्रिया को बधाई दी और वह अपने चेहरे को अपनी हथेलियों में छुपाकर अपने पुराने बेड में बैठ गई। हंसी मजाक में कुछ देर बिताकर सुबह की चाय फुलवा ले आई और प्रिया को उसे चिराग को देने को कहा।
प्रिया ने चिराग के कमरे में चाय ले जाने के बाद काफी देर तक आहें भरी, चीखी और रोई। आधे घंटे बाद जब दोनों बाहर आए तो प्रिया की हालत साफ बता रही थी कि चाय बेहद ठंडी हो गई थी।
अब की बार सबने चिराग को चिढाना शुरू किया और प्रिया अपनी फुलवा मां के बगल में बैठ कर मुस्कुराती रही।
मानव, “तो चिराग! अगर यही हालत रोज सुबह नहीं चाहते तो तुम्हें कहीं हनीमून पर जाना चाहिए! कहां जाने का तय किया है?”
चिराग सोचते हुए, “ मैंने मॉरीशस या बाली जाने का सोचा था पर अभी तक प्रिया का पासपोर्ट बना नहीं है! सोच रहा हूं यहीं कहीं नजदीक जाएं!”
मानव, “देखो, मैं वैसे किसी को शादी का तोहफा देने के खिलाफ हूं! (साफ़िया ने अपनी आंखें घुमाकर मानव का मजाक उड़ाया) पर मेरे पहचान का आदमी आज गोवा जा रहा है। अगर तुम चाहो तो उसके साथ जा सकते हो! 5 दिन बाद वह तुम दोनों को वापस आते हुए ले आएगा!”
साफ़िया, “ प्रिया, हां बोलो! मानव शाह जैसा कंजूस जो भी दे वह दोनों हाथों से पकड़ लो! मेरी शादी में इसने मुझे तुलसी के पौधे को गमले में डाल कर दिया था। आज तक का वह सबसे बेहतरीन तोहफा निकला!”
मानव, “हुंह!! उसे तुम ही लाई थी! मैं उसे क्यों संभालता?”
साफ़िया ने मानव का हाथ पकड़ कर शुक्रिया अदा किया तो मानव ने बात बदलते हुए चिराग से उसका जवाब पूछा। चिराग ने गोवा में पहुंचकर अच्छा रिजॉर्ट ढूंढने का सोच कर हां कहा।
प्रिया खुशी से उछलते हुए, “आप के दोस्त यहां कब आएंगे? मां गोवा जाते हुए कितना वक्त लगेगा? क्या पहनूं?”
मानव शाह ने हंसकर जवाब दिया, “मेरी गाड़ी तुम्हें मेरे दोस्त के पास पहुंचाएगी। गोवा तो यूं पलक झपकते पहुंच जाओगे। सबसे जरूरी बात, गोवा में कपड़े कम से कम पहनना!”
प्रिया शरमा कर अपनी बैग भरने भागी और मानव शाह ने फोन पर बात कर सारे इंतजाम कर दिए। सुबह 11 बजे चिराग और प्रिया फुलवा से विदा लेकर मानव शाह की गाड़ी में बैठे तो ड्राइवर बिना कुछ बताए उनकी मंजिल की ओर बढ़ा।
प्रिया, “भैय्या, हम किसके घर जा रहे हैं? उनके पास कौनसी गाड़ी है?”
ड्राइवर पीछे के आईने में देख कर मुस्कुराते हुए, “वो साहब का घर किसी को नहीं पता! हम हवाईअड्डे पर जा रहे हैं!”
चिराग, “लेकिन यह रास्ता तो…”
जल्द ही गाड़ी जुहू की छोटी हवाई पट्टी पर पहुंची। हवाई पट्टी के एक कोने में एक लंबा नुकीला हवाई जहाज खड़ा था जिसके दरवाजे में एक आदमी था। ड्राइवर ने नए जोड़े को हवाई जहाज तक लाया और आदमी ने दोनों को अंदर लिया।
उस छोटे हवाई जहाज से तीर जैसे उड़ते हुए पलक झपकते गोवा के समुंदर किनारे की हवाई पट्टी पर दोनों को उतारा। इस से पहले कि चिराग आगे की मंज़िल का सोचता एक बूढ़े आदमी ने दोनों को एक तेज़ छोटी नाव में बिठाया और समुंदर के अंदर एक छोटे से टापू पर पहुंचाया।
बूढ़ा, “मेरा नाम जूलियस D’Souza है और मैं इस खास रिजॉर्ट का केयरटेकर हूं। यह टापू पूरी तरह किसी भी तरह की नजर से दूर है। यहां एक स्पेशल फोन है जो मुझे आप के पास कभी भी बुला सकता है। मैं हर सुबह 8 बजे नाश्ता, दोपहर 2 बजे खाना और रात 8 बजे डिनर लेकर आऊंगा। मैं जानता हूं कि आप नए दूल्हा दुल्हन हो तो पहले boat से हॉर्न बजाऊंगा! दोपहर का खाना लगा दिया है। शाम को मिलते हैं! God bless you!!”
जूलियस के जाने के बाद प्रिया ने गोल चक्कर लगाया और चीख पड़ी।
प्रिया, “ये तो बाली से भी बेहतर है! क्या तुम्हें इसका पता था?”
चिराग, “नहीं! यह एक बहुत खास रिजॉर्ट होगा जिसकी एक रात की कीमत भी पूछने लायक नहीं होगी!”
प्रिया ने अपने पैरों में से जूते उतारे और भागने लगी।
चिराग, “हम एक टापू पर हैं! कहां जा रही हो?”
प्रिया (अपना टॉप उतार कर फेंकते हुए), “पकड़ो तो जानो!”
चिराग के लंबे पैरों ने प्रिया का पीछा करते हुए उसे टापू के दूसरी ओर पहुंचते हुए पकड़ लिया। चिराग ने अपनी खिलखिलाती बीवी को बिकिनी टॉप और शॉर्ट्स में भागते हुए पकड़ा तो दोनों संगमरमर जैसे सफेद रेत में गिर गए। दोनों में बच्चों जैसी कुश्ती शुरू हो गई और कुछ ही पलों में दोनों नीले समंदर के खारे पानी में भीग गए।
अपनी मासूम बीवी की भीगी जुल्फों को दूर करते हुए चिराग का दिल (और लौड़ा) भर आया। चिराग ने प्रिया के भीगे होठों को चूमते हुए उसकी आहें चखी। दोनों एक दूसरे से लिपटकर बिना बोले एक दूसरे से प्यार का इज़हार करने लगे।
प्रिया ने अपने प्यार से लिपटते हुए अपनी एड़ियों से चिराग की कमर को अपने ऊपर खींच लिया। चिराग भी भूखा होकर प्रिया को चूमते हुए उसके गालों को चूमता और उत्तेजित करता रहा।
जल्द ही प्रिया और नही सह पाई और चिराग के बदन से कपड़े खींचने लगी। चिराग ने अपने कपड़े उड़ाते हुए नंगा होकर प्रिया को देखा। प्रिया हवस भरी आंखों से उत्तेजित हो कर दोपहर की धूप में चिराग का बदन देख रही थी।
चिराग ने प्रिया को इशारा किया तो प्रिया इठलाते हुए खड़ी हो गई। प्रिया ने चिराग की ओर पीठ करके पहले अपने पैरों को थोड़ा फैलाया। प्रिया ने पीछे मुड़कर अपने आशिक को देखते हुए अपनी शॉर्ट्स का बटन खोल कर अपनी कमर को हिलाते हुए उस शॉर्ट्स को उतारना शुरू किया। भीगी हुई शॉर्ट्स में से धीरे धीरे बेपर्दा होती लाल बिकिनी पैंटी को देख चिराग का दिल जोरों से धड़कता रहा।
प्रिया ने अपने प्रेमी को ललचाते हुए अपने गले के पीछे बंधी बिकिनी टॉप की गांठ खोली और फिर अपनी खुलती पीठ दिखाते हुए अपने बिकिनी टॉप की आखरी गांठ खोल दी। बिकिनी टॉप नीचे पानी में गिर गया तो प्रिया ने उसे उठाकर चिराग की ओर उड़ाया।
चिराग ने अपनी बीवी के टॉप को पकड़ लिए और किसी कुंवारे लड़के की तरह उसे सूंघने लगा। प्रिया ने हंसकर अपने हाथ से अपने भरे हुए मम्मे छुपाते हुए चिराग की ओर बढ़ कर उसे ललचाया। चिराग का धड़कता लौड़ा धूप में समुंदर के पानी से चमकता प्रिया को बुला रहा था।
प्रिया चिराग के गोद में बैठ गई जिस से उसके मम्मे चिराग के सीने पर दब गए और चिराग का फनफनाया सांप बिकिनी पैंटी पर रगड़ता अपने बिल पर रगड़ने लगा। चिराग ने आह भरी पर प्रिया ने बेरहमी से उसके कान को चूमते हुए अपनी कमर हिलाकर सांप की बिल में जाने से रोके रखा।
प्रिया ने चिराग को ऐसे ही तड़पते हुए अपनी चूत के दाने को तब तक सहलाया जब तक उसके बदन की आग ने बिकिनी पैंटी को लगभग जला न दिया।
प्रिया ने फिर अपनी लंबी उंगलियों से अपनी पैंटी की बीच की पट्टी को किनारे सरकाते हुए सांप के बिल का दरवाजा खोला। फनफनाता सांप झट से अपने बिल के सुकून में समा गया और दोनों प्रेमियों की चीख निकल गई।
प्रिया ने चिराग से लिपटकर अपनी कमर हिलाते हुए अपने प्रेमी को अपना बदन अर्पण कर दिया। प्रिया के बदन पर सूखे खारे पानी से बनता नमक चाटते हुए चिराग उसे साफ कर रहा था जब प्रिया की चूत में से यौन रसों की बौछार ने दोनों के नीचे बहते समुंदर में अपनी जवानी का नमक मिलाया।
चिराग और प्रिया एक दूसरे में खो कर अपने प्यार को खुले समुंदर में बहा रहे थे जब दोनो की जवानी का सैलाब फुट पड़ा। दोनों समुंदर के किनारे पड़े एक दूसरे की बाहों में लिपटे पड़े रहे।
प्रिया, “मुझे नहीं लगता कि मैं दुबारा समुंदर किनारे सिर्फ पैर भिगो कर खुश हो पाऊंगी!”
चिराग, “मानव शाह का मढ में एक घर है। शायद वह उसे बेचने को तयार हो जाएं!”
दूसरी भूख ने दोनों प्रेमियों को घर के अंदर लाया। सैंडविच, कटलेट और ढेर सारा शरबत देख कर प्रिया शरमाई और चिराग हंस पड़ा।
चिराग, “जूलियस अंकल को पता था कि हम गरम खाना नहीं खाने वाले!”
दोनों ने पर भर खाना खाया और समुंदर में खोए पसीने की भरपाई करने के लिए ढेर सारा शरबत भी पिया। जाहिर सी बात थी की खारा पानी और रेत धोने के लिए दोनों नहाने गए और फिर वहीं दुबारा अलग पानी उड़ा कर दुबारा नहाने लगे।
चिराग को दिन में चार बार चोदने की आदत थी जिसके के लिए प्रिया ने मन ही मन अपनी सास/मां को धन्यवाद दिया।
रात को जूलियस अंकल ने boat का हॉर्न बजाकर अपने आने की खबर दी तब तक प्रेमियों ने टापू के हर हिस्से पर अपनी मोहर लगाई थी।
जूलियस अंकल ने दोनों के लिए कैंडल लाइट डिनर लगाते हुए घर की सफाई की और पानी की टंकी भर दी। चिराग ने जूलियस अंकल को किनारे लेकर कुछ पूछा और अंकल ने अपनी मंजूरी दी।
उस रात को प्रिया ने चांद तारों को देखते हुए अपने पति की बाहों में गुजारा। उसे अपनी कोख में फैली गर्मी को महसूस करते हुए लगा की आज उसकी मां उसे देख कर खुश होती। प्रिया के पास उसका प्यार था और जल्द ही परिवार भी होगा।
सुबह 7 बजे सुहागरात के कमरे का दरवाजा खुला और एक आंख से शर्माकर बाहर देखा। हॉल में सन्नाटा देख कर मर्द के कुर्ते में ढकी कमसिन जवानी ने फुलवा के कमरे में रखे अपने कपड़ों के लिए दौड़ लगाई।
प्रिया फुलवा के कमरे में दाखिल हुई तो फुलवा, साफ़िया, काम्या और मोहिनी ने तालियां बजाईं और मानव शाह ने सीटियां बजाकर प्रिया का स्वागत किया।
प्रिया शर्माकर फुलवा की बाहों में समाकर शिकायत करते हुए, “मां!!…”
फुलवा, “अरे मेरी बच्ची, तू शर्माती क्यों है? नई दुल्हन को चिढाना तो बहुत पुरानी रस्म है!”
मानव, “जब मैने कहा था कि हमारे साथ तुम्हारी चाल बिगड़ सकती है, मैं इसी बिगड़ी चाल की बात कर रहा था!”
फुलवा, “बात से याद आया! तुमने तो कहा था कि अगर तुम्हें किसने कीड़ा लेने को मजबूर किया तो तुम उसे मार दोगी। मेरा बेटा जिंदा है ना?”
प्रिया को अब कुछ हिम्मत आ गई थी, तो प्रिया ने मुस्कुराकर शर्म से लाल होकर,
“अधमरा छोड़ दिया तो चलेगा?”
सबने तालियां बजाकर प्रिया को बधाई दी और वह अपने चेहरे को अपनी हथेलियों में छुपाकर अपने पुराने बेड में बैठ गई। हंसी मजाक में कुछ देर बिताकर सुबह की चाय फुलवा ले आई और प्रिया को उसे चिराग को देने को कहा।
प्रिया ने चिराग के कमरे में चाय ले जाने के बाद काफी देर तक आहें भरी, चीखी और रोई। आधे घंटे बाद जब दोनों बाहर आए तो प्रिया की हालत साफ बता रही थी कि चाय बेहद ठंडी हो गई थी।
अब की बार सबने चिराग को चिढाना शुरू किया और प्रिया अपनी फुलवा मां के बगल में बैठ कर मुस्कुराती रही।
मानव, “तो चिराग! अगर यही हालत रोज सुबह नहीं चाहते तो तुम्हें कहीं हनीमून पर जाना चाहिए! कहां जाने का तय किया है?”
चिराग सोचते हुए, “ मैंने मॉरीशस या बाली जाने का सोचा था पर अभी तक प्रिया का पासपोर्ट बना नहीं है! सोच रहा हूं यहीं कहीं नजदीक जाएं!”
मानव, “देखो, मैं वैसे किसी को शादी का तोहफा देने के खिलाफ हूं! (साफ़िया ने अपनी आंखें घुमाकर मानव का मजाक उड़ाया) पर मेरे पहचान का आदमी आज गोवा जा रहा है। अगर तुम चाहो तो उसके साथ जा सकते हो! 5 दिन बाद वह तुम दोनों को वापस आते हुए ले आएगा!”
साफ़िया, “ प्रिया, हां बोलो! मानव शाह जैसा कंजूस जो भी दे वह दोनों हाथों से पकड़ लो! मेरी शादी में इसने मुझे तुलसी के पौधे को गमले में डाल कर दिया था। आज तक का वह सबसे बेहतरीन तोहफा निकला!”
मानव, “हुंह!! उसे तुम ही लाई थी! मैं उसे क्यों संभालता?”
साफ़िया ने मानव का हाथ पकड़ कर शुक्रिया अदा किया तो मानव ने बात बदलते हुए चिराग से उसका जवाब पूछा। चिराग ने गोवा में पहुंचकर अच्छा रिजॉर्ट ढूंढने का सोच कर हां कहा।
प्रिया खुशी से उछलते हुए, “आप के दोस्त यहां कब आएंगे? मां गोवा जाते हुए कितना वक्त लगेगा? क्या पहनूं?”
मानव शाह ने हंसकर जवाब दिया, “मेरी गाड़ी तुम्हें मेरे दोस्त के पास पहुंचाएगी। गोवा तो यूं पलक झपकते पहुंच जाओगे। सबसे जरूरी बात, गोवा में कपड़े कम से कम पहनना!”
प्रिया शरमा कर अपनी बैग भरने भागी और मानव शाह ने फोन पर बात कर सारे इंतजाम कर दिए। सुबह 11 बजे चिराग और प्रिया फुलवा से विदा लेकर मानव शाह की गाड़ी में बैठे तो ड्राइवर बिना कुछ बताए उनकी मंजिल की ओर बढ़ा।
प्रिया, “भैय्या, हम किसके घर जा रहे हैं? उनके पास कौनसी गाड़ी है?”
ड्राइवर पीछे के आईने में देख कर मुस्कुराते हुए, “वो साहब का घर किसी को नहीं पता! हम हवाईअड्डे पर जा रहे हैं!”
चिराग, “लेकिन यह रास्ता तो…”
जल्द ही गाड़ी जुहू की छोटी हवाई पट्टी पर पहुंची। हवाई पट्टी के एक कोने में एक लंबा नुकीला हवाई जहाज खड़ा था जिसके दरवाजे में एक आदमी था। ड्राइवर ने नए जोड़े को हवाई जहाज तक लाया और आदमी ने दोनों को अंदर लिया।
उस छोटे हवाई जहाज से तीर जैसे उड़ते हुए पलक झपकते गोवा के समुंदर किनारे की हवाई पट्टी पर दोनों को उतारा। इस से पहले कि चिराग आगे की मंज़िल का सोचता एक बूढ़े आदमी ने दोनों को एक तेज़ छोटी नाव में बिठाया और समुंदर के अंदर एक छोटे से टापू पर पहुंचाया।
बूढ़ा, “मेरा नाम जूलियस D’Souza है और मैं इस खास रिजॉर्ट का केयरटेकर हूं। यह टापू पूरी तरह किसी भी तरह की नजर से दूर है। यहां एक स्पेशल फोन है जो मुझे आप के पास कभी भी बुला सकता है। मैं हर सुबह 8 बजे नाश्ता, दोपहर 2 बजे खाना और रात 8 बजे डिनर लेकर आऊंगा। मैं जानता हूं कि आप नए दूल्हा दुल्हन हो तो पहले boat से हॉर्न बजाऊंगा! दोपहर का खाना लगा दिया है। शाम को मिलते हैं! God bless you!!”
जूलियस के जाने के बाद प्रिया ने गोल चक्कर लगाया और चीख पड़ी।
प्रिया, “ये तो बाली से भी बेहतर है! क्या तुम्हें इसका पता था?”
चिराग, “नहीं! यह एक बहुत खास रिजॉर्ट होगा जिसकी एक रात की कीमत भी पूछने लायक नहीं होगी!”
प्रिया ने अपने पैरों में से जूते उतारे और भागने लगी।
चिराग, “हम एक टापू पर हैं! कहां जा रही हो?”
प्रिया (अपना टॉप उतार कर फेंकते हुए), “पकड़ो तो जानो!”
चिराग के लंबे पैरों ने प्रिया का पीछा करते हुए उसे टापू के दूसरी ओर पहुंचते हुए पकड़ लिया। चिराग ने अपनी खिलखिलाती बीवी को बिकिनी टॉप और शॉर्ट्स में भागते हुए पकड़ा तो दोनों संगमरमर जैसे सफेद रेत में गिर गए। दोनों में बच्चों जैसी कुश्ती शुरू हो गई और कुछ ही पलों में दोनों नीले समंदर के खारे पानी में भीग गए।
अपनी मासूम बीवी की भीगी जुल्फों को दूर करते हुए चिराग का दिल (और लौड़ा) भर आया। चिराग ने प्रिया के भीगे होठों को चूमते हुए उसकी आहें चखी। दोनों एक दूसरे से लिपटकर बिना बोले एक दूसरे से प्यार का इज़हार करने लगे।
प्रिया ने अपने प्यार से लिपटते हुए अपनी एड़ियों से चिराग की कमर को अपने ऊपर खींच लिया। चिराग भी भूखा होकर प्रिया को चूमते हुए उसके गालों को चूमता और उत्तेजित करता रहा।
जल्द ही प्रिया और नही सह पाई और चिराग के बदन से कपड़े खींचने लगी। चिराग ने अपने कपड़े उड़ाते हुए नंगा होकर प्रिया को देखा। प्रिया हवस भरी आंखों से उत्तेजित हो कर दोपहर की धूप में चिराग का बदन देख रही थी।
चिराग ने प्रिया को इशारा किया तो प्रिया इठलाते हुए खड़ी हो गई। प्रिया ने चिराग की ओर पीठ करके पहले अपने पैरों को थोड़ा फैलाया। प्रिया ने पीछे मुड़कर अपने आशिक को देखते हुए अपनी शॉर्ट्स का बटन खोल कर अपनी कमर को हिलाते हुए उस शॉर्ट्स को उतारना शुरू किया। भीगी हुई शॉर्ट्स में से धीरे धीरे बेपर्दा होती लाल बिकिनी पैंटी को देख चिराग का दिल जोरों से धड़कता रहा।
प्रिया ने अपने प्रेमी को ललचाते हुए अपने गले के पीछे बंधी बिकिनी टॉप की गांठ खोली और फिर अपनी खुलती पीठ दिखाते हुए अपने बिकिनी टॉप की आखरी गांठ खोल दी। बिकिनी टॉप नीचे पानी में गिर गया तो प्रिया ने उसे उठाकर चिराग की ओर उड़ाया।
चिराग ने अपनी बीवी के टॉप को पकड़ लिए और किसी कुंवारे लड़के की तरह उसे सूंघने लगा। प्रिया ने हंसकर अपने हाथ से अपने भरे हुए मम्मे छुपाते हुए चिराग की ओर बढ़ कर उसे ललचाया। चिराग का धड़कता लौड़ा धूप में समुंदर के पानी से चमकता प्रिया को बुला रहा था।
प्रिया चिराग के गोद में बैठ गई जिस से उसके मम्मे चिराग के सीने पर दब गए और चिराग का फनफनाया सांप बिकिनी पैंटी पर रगड़ता अपने बिल पर रगड़ने लगा। चिराग ने आह भरी पर प्रिया ने बेरहमी से उसके कान को चूमते हुए अपनी कमर हिलाकर सांप की बिल में जाने से रोके रखा।
प्रिया ने चिराग को ऐसे ही तड़पते हुए अपनी चूत के दाने को तब तक सहलाया जब तक उसके बदन की आग ने बिकिनी पैंटी को लगभग जला न दिया।
प्रिया ने फिर अपनी लंबी उंगलियों से अपनी पैंटी की बीच की पट्टी को किनारे सरकाते हुए सांप के बिल का दरवाजा खोला। फनफनाता सांप झट से अपने बिल के सुकून में समा गया और दोनों प्रेमियों की चीख निकल गई।
प्रिया ने चिराग से लिपटकर अपनी कमर हिलाते हुए अपने प्रेमी को अपना बदन अर्पण कर दिया। प्रिया के बदन पर सूखे खारे पानी से बनता नमक चाटते हुए चिराग उसे साफ कर रहा था जब प्रिया की चूत में से यौन रसों की बौछार ने दोनों के नीचे बहते समुंदर में अपनी जवानी का नमक मिलाया।
चिराग और प्रिया एक दूसरे में खो कर अपने प्यार को खुले समुंदर में बहा रहे थे जब दोनो की जवानी का सैलाब फुट पड़ा। दोनों समुंदर के किनारे पड़े एक दूसरे की बाहों में लिपटे पड़े रहे।
प्रिया, “मुझे नहीं लगता कि मैं दुबारा समुंदर किनारे सिर्फ पैर भिगो कर खुश हो पाऊंगी!”
चिराग, “मानव शाह का मढ में एक घर है। शायद वह उसे बेचने को तयार हो जाएं!”
दूसरी भूख ने दोनों प्रेमियों को घर के अंदर लाया। सैंडविच, कटलेट और ढेर सारा शरबत देख कर प्रिया शरमाई और चिराग हंस पड़ा।
चिराग, “जूलियस अंकल को पता था कि हम गरम खाना नहीं खाने वाले!”
दोनों ने पर भर खाना खाया और समुंदर में खोए पसीने की भरपाई करने के लिए ढेर सारा शरबत भी पिया। जाहिर सी बात थी की खारा पानी और रेत धोने के लिए दोनों नहाने गए और फिर वहीं दुबारा अलग पानी उड़ा कर दुबारा नहाने लगे।
चिराग को दिन में चार बार चोदने की आदत थी जिसके के लिए प्रिया ने मन ही मन अपनी सास/मां को धन्यवाद दिया।
रात को जूलियस अंकल ने boat का हॉर्न बजाकर अपने आने की खबर दी तब तक प्रेमियों ने टापू के हर हिस्से पर अपनी मोहर लगाई थी।
जूलियस अंकल ने दोनों के लिए कैंडल लाइट डिनर लगाते हुए घर की सफाई की और पानी की टंकी भर दी। चिराग ने जूलियस अंकल को किनारे लेकर कुछ पूछा और अंकल ने अपनी मंजूरी दी।
उस रात को प्रिया ने चांद तारों को देखते हुए अपने पति की बाहों में गुजारा। उसे अपनी कोख में फैली गर्मी को महसूस करते हुए लगा की आज उसकी मां उसे देख कर खुश होती। प्रिया के पास उसका प्यार था और जल्द ही परिवार भी होगा।