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Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    18
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Lefty69

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Ye doodh wala part mast hai, Keep it going.... loved your work so far
Sorry my friend but as you may know, milk is Limited Time Offer.

Finished with it already but Fulva is still just 20 and the story began when she was 37 so…
 
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Lefty69

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तहखाने में बंद फुलवा के लिए एक घंटा एक दिन की तरह था। उसकी सांसों की आवाज तहखाने की खामोशी में गूंजती उसे सता रही थी।


तीन दिन बाद उसे वापस ऊपर जेल में लाया गया। फुलवा को यह देख कर अचरज हुआ कि जेल के बड़े गुंडे भी उस से इज्जत से पेश आ रहे थे। जब फुलवा ने इस बात की वजह पूछी तो उसे बताया गया कि 12 घंटों का टॉर्चर सहने के बाद मुंह खोलने से उसने यहां का कीर्तिमान बनाया था।


इंक्वायरी के लिए 2 SSP और IG आए थे। इसी वजह से फुलवा को तहखाने से निकालकर आम कैदियों में लाया गया था।


सिपाही सोनी ने अपने सर को उठाए रखा था। सोनी की हिम्मत फुलवा को बता रही थी वह सुंदर को सब सच बता चुकी थी और सुंदर ने उसे अपना साथ दिया था। इंक्वायरी SP प्रेमचंद के ऑफिस में ही हो रही थी। प्रेमचंद ने अपने मोहरे सही जगह पर लगाए थे और सोनी के पास कोई सबूत नहीं था।


सोनी ने गवाह के तौर पर फुलवा को बुलाया और फुलवा को कालू SP प्रेमचंद के ऑफिस में ले गया।


IG, “कैदी फुलवा, क्या आप को सिपाही सोनी जेल के बाहर छोड़ आई थी?”


फुलवा, “जी साहब।“


IG, “क्या वहां से तुम्हें जबरदस्ती वैश्य व्यवसाय में डाला गया?”


फुलवा, “नहीं साहब। वह मैंने 500 रुपए और सुबह की रिहाई के लिए अपनी मर्जी से किया।“


IG, “तुम जानती हो कि इस बात के लिए तुम्हारी सज़ा बढ़ सकती है?”


फुलवा, “उम्र कैद की सज़ा हुई है साहब। और क्या बढ़ाओगे? यहां रोज हमारी इज्जत लूटी जाती है। एक बार अपने मर्जी से किया तो सज़ा दोगे?”


SP प्रेमचंद, “ये एक डकैत है! ये सिपाही सोनी से रिश्वत लेकर झूठ बोल रही है!”


फुलवा हंसकर, “हां, और मैं रिश्वत लेकर यहां अपने लिए महल बनाने वाली हूं और नौकर रखने वाली हूं! सही बात है ना?”


फुलवा का जवाब सुनकर सब लोग हैरान थे। किसीने यह सोचा भी नही था की कोई कैदी SSP और IG के सामने ऐसी बात करेगा।


फुलवा, “साहब मैं कैद में हूं मतलब कानून के चक्कर काट चुकी हूं! और क्योंकि जेल में हूं तो जेल के बारे में भी जानती हूं। पर क्या आप में से कोई जेल में रह चुका है?”


SSP फुलवा को डांटने लगे पर IG ने उन्हें रोका।


IG, “मैं 4 साल तक जेलर रह चुका हूं। अपनी बात कहो!”


फुलवा, “मैं यहां नहीं थी पर मुझे यकीन है कि अब तक सिपाही सोनी ने बताया होगा कि SP प्रेमचंद यहां सब पर जुल्म करता है और उसी ने मुझे बाहर ले जाने की गैरकानूनी अनुमति दी थी। जब की SP प्रेमचंद ने साबित किया होगा की उसकी चालाकी से मेरा बाहर जाना पकड़ा गया। सिपाही सोनी के पास कोई सबूत नहीं पर SP प्रेमचंद के पास सबूत के साथ विधायकजी की सिफारिश भी है। क्या मैं गलत हूं?”


IG ने अपने सर को हिलाकर उसे सही कहा।


फुलवा, “क्या सिपाही सोनी ने यह भी बताया की मेरे बाहर जाने के बाद SP प्रेमचंद ने सिपाही सोनी को मजबूर किया और उस के साथ दुष्कर्म करते हुए उस बात की रिकॉर्डिंग की? उस रिकॉर्डिंग को इस्तमाल कर SP प्रेमचंद सिपाही सोनी को, क्या था वो? जबरदस्ती वैश्या व्यवसाय में डालने की कोशिश की।“


SSP, “यह कानूनन इंक्वायरी है और यहां सबूत लगते हैं। क्या तुम्हारे पास इस बात का सबूत है?”


फुलवा, “SP प्रेमचंद ने वह रिकॉर्डिंग एक SD CARD पर की थी जो उसने सिपाही सोनी को दिखाया। सिपाही सोनी ने मुझे उस कार्ड के बारे में बताया और अगले दिन मैंने उसे चुराया।“


SP प्रेमचंद, “अगर यह बात सच है तो वह SD CARD दिखाओ!”


फुलवा, “SD CARD चुराते हुए मैं पकड़ी गई। मैंने एक SD CARD के टुकड़े किए और उसे निगल गई। SP प्रेमचंद के आदेश पर मुझे पूरे दिन मारा गया, बिजली के झटके दिए गए। आखिर में खुद SP प्रेमचंद ने मुझे बेरहमी से अनैसर्गिक तरीके से चोदते हुए यह बात मुझसे उगलवाई।“


SP प्रेमचंद, “तो यह भी एक कहानी है क्योंकि इसका कोई सबूत नहीं!”


फुलवा मुस्कुराई और SP प्रेमचंद के पेट में जैसे पिघले लोहे का गोला जमा हो गया।


IG की ओर देखते हुए फुलवा, “आप जेलर थे। जेल की एक ऐसी जगह बताइए जहां जेलर तलाशी नही लेगा!”


IG मुस्कुराया। उसे इस जवान लड़की की होशियारी और हिम्मत भा गई।


IG, “SP प्रेमचंद सावधान! (SP प्रेमचंद खड़ा हो गया और IG उसकी ओर बढ़ते हुए) कैदी फुलवा ने कहा कि वह एक SD CARD को तोड़ कर निगल गई। न की उस SD CARD को!”


SP प्रेमचंद की टोपी अपने हाथ में लेते हुए 2 SSP से, “हमारी वर्दी की टोपी में पसीना सोखने के लिए अंदर एक कपड़े की पट्टी होती है। AC में उसे सब भूल जाते हैं और कोई हाथ नहीं लगाता। (पट्टी में हाथ घुमाकर वहां से SD CARD निकालते हुए) नियम अनुसार हम लोग इंक्वायरी के दौरान इस जेल में मौजूद सारे सबूत तलाश कर सकते हैं और उन्हें देख कर कौन गुनहगार है यह तय कर सकते हैं।“



images-2

2 SSP ने हां कहा और SD CARD को तीनों ने कंप्यूटर पर चलाया।


वहां की रिकॉर्डिंग में साफ दिख रहा था कैसे प्रेमचंद ने सोनी की मजबूरी का फायदा उठाया। साथ ही प्रेमचंद ने सोनी को इस्तमाल करते हुए अपने बाकी कई गुनाहों की कबूली भी दी थी।


SSP और IG को इंक्वायरी ख़त्म करने में सिर्फ 4 घंटे लगे। इंक्वायरी के अंत में SP प्रेमचंद को गिरफ्तार कर लिया गया तो सिपाही सोनी को सिर्फ 1 प्रमोशन कम कर 6 महीने का प्रोबेशन दिया गया।


कालू ने विधायकजी को इंक्वायरी में हुए वाकिए की खबर दी और SP प्रेमचंद की गाड़ी का रास्ते में एक्सीडेंट हो गया। सिपाही कालू का दूसरे जेल में तबादला हो गया और वह उसी शाम चला गया।


नया जेलर अगले ही दिन जेल पहुंचा।


जेलर SP किरन उसूलों की इतनी पक्की औरत थी कि उसे कोई विधायक अपने इलाके में बर्दास्त नही कर सकता था और वह एक बुरे जेल से दूसरे बदतर जेल में भेजी जाती। SP किरन ने आते ही फुलवा और सिपाही सोनी को बुलाया।


SP किरन ने सिपाही सोनी को सलाह दी कि वह 6 महीने बाद अपना रिकॉर्ड सही कर इस्तीफा दे क्योंकि अब उसकी तरक्की होना लगभग नामुमकिन था। सोनी मान गई और SP किरन को सैल्यूट कर चली गई।


SP किरन, “कैदी फुलवा, तुमने एक बुरे अफसर का पर्दाफाश करने के लिए काफी दर्द और बेइज्जती सही। बदले में तुम क्या चाहती हो?”


फुलवा, “मेमसहब, मैं बस सोनी को मेरी तरह बरबाद होने से बचाना चाहती थी। वह बच गई, मुझे और क्या चाहिए?”


SP किरन मुस्कुराकर, “SP आधिकारी और IG साहब पुराने दोस्त हैं। तुम अब समझ गई होगी की एक सिपाही की इंक्वायरी के लिए खुद IG क्यों आए! खैर तुम्हारी हिम्मत और सूझबूझ से दोनों प्रभावित हैं। उन्होंने यह किस्सा अपने दोस्त जस्टिस माथुर को बताया और तुम्हारे लिए कुछ अच्छी खबर है। उम्र कैद का कैदी पूरी जिंदगी कैद में रहता है पर अच्छे बर्ताव के लिए उसकी सज़ा सीमित की जा सकती है। तुम्हें 14 साल के बाद रिहा कर दिया जायेगा। तुम 18 की थी जब गिरफ्तार हुई थी और 32 की होते हुए रिहा हो जाओगी। अगले 12 सालों में अपने वक्त का सही इस्तमाल करो और बाहर जाकर एक खुशहाल जीवन बिताओ।"


फुलवा शरमाते हुए, “मेरे भाई शेखर ने पढ़ना लिखना सीखा था। क्या मैं लिखना पढ़ना सीख सकती हूं?”


SP किरन मुस्कुराते हुए, “अरे फुलवा, अगर तुमने अगले 12 साल पढ़ाई में लगा दिए तो तुम मुझसे भी ज्यादा पढ़ी लिखी बनोगी। मैं अपने हर जेल में स्कूल शुरू करती हूं। तुम्हारा दाखला जेल की स्कूल में करा देती हूं। कोई बात हो तो बिना डरे मुझे जरूर बताना।“


फुलवा ने SP किरन को दिल से शुक्रिया कहा और खुशी खुशी अपने कमरे में चली गई।


अगले 12 साल फुलवा के लिए वह सब कुछ थे जो उसे बचपन में नही मिला। सही पोषण और शिक्षा के साथ ही दोस्तों का साथ और बाहर की दुनिया को धीरे धीरे पहचानने का मौका। फुलवा SP अधिकारी को खत लिख कर चिराग के बारे में पूछती पर खुद चिराग से दूरी बनाए रखती।


12 सालों में फुलवा ने न केवल पढ़ाई की पर SP किरन की मदद से जेल में से कैंटीन भी चलाया। आगे SP किरन को बढ़ौतरी मिली पर फुलवा की तरक्की होती रही।


फुलवा की सजा में सिर्फ एक साल बाकी था जब सिपाही कालू उसके जेल में लौटा। हालांकि अब वह फुलवा से दूरी रखता था पर फुलवा फिर भी उस से डरती थी।


शनिवार शाम को फुलवा को जेलर ने अपने ऑफिस में बुलाया।


जेलर, “कैदी फुलवा, आप की सजा कल खत्म होनी है। लेकिन रविवार को कागजी कार्रवाई नहीं होती और मैं किसी को एक दिन ज्यादा जेल में नहीं रखता। तो…”


जेलर ने मुस्कुराकर एक कागज फुलवा को देते हुए, “फुलवा, आप आजाद हो! आपकी जिंदगी खुशी भरी हो और आप को दुबारा सलाखें नजर ना आएं!”


फुलवा ने खुशी से अपने हाथ जोड़े और अपनी रिहाई की पर्ची लेकर बाहर दफ्तर में गई। फुलवा को उसके पुराने कपड़े, जेल में कमाए पैसों का चेक और जप्त गाड़ी की पर्ची दी गई।


फुलवा ने सब से विदा ली और जेल के बाहर कदम रखा।


इस से पहले कि फुलवा अपनी आजादी की सांस ले पाती सिपाही कालू ने फुलवा को अपनी गाड़ी में खींच लिया।


सिपाही कालू, “मैंने इस मौके के लिए 14 साल इंतजार किया है। चुप चाप मेरे साथ चल वरना तुझे मार कर ऐसे जगह दफना दूंगा की तेरे भाई भी तुझे ढूंढ नहीं पाएंगे!”


कालू ने अपनी गाड़ी को तेजी से चलाया। फुलवा ने देखा की एक बड़ी गाड़ी जेल की तरफ जा रही थी।


फुलवा ने सोचा की कोई अमीर आदमी उसके साथ रिहा होकर अब अपने घर जाएगा पर वह तो अपने घर से निकलकर नरक जा रही थी।
 

Lefty69

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कालू फुलवा को उन्ही बदनाम गलियों में ले गया जो उसे उसके बापू ने दिखाई थी। फुलवा ने देखा कि Peter uncle का घर पिछले 14 सालों में खाली पड़ा डरावना दिख रहा था।


कालू फुलवा को अंदर खींच लाया और दरवाजा बंद किया। जो कमरा किसी अच्छे घर का हिस्सा लगता था आज वह धूल, मिट्टी से ढंक कर खराब हो गया था।


कालू ने एक लालटेन जला दी और फुलवा को जमीन पर बिठाया।


कालू, “तेरे भाइयों ने कोर्ट में कहा की उन्होंने स्मगलिंग का माल जलाकर ट्रक को पुर्जों में बेचा। पर मैने पूछताछ कर पता लगाया की शेखर ने वह माल भी बेचा था। जब मुझे उन तीनों को मारने का हुकुम हुआ तब मैं जानता था कि वह अपनी बहन को उस खजाने का ठिकाना जरूर बताएंगे। इसी लिए मैंने उन्हें बता दिया कि मैं उन्हें मारने वाला हूं। जब उन्होंने तुझ से बात की तब मैंने छुप कर सब कुछ सुन लिया।“


गुस्से से कमरे में चक्कर लगाते हुए कालू, “पिछले 12 साल मैने तेरे भाइयों की हर हरकत हर ठिकाने को ढूंढा, तेरे बाप की हर हरकत हर ठिकाने को तलाशा पर कुछ नहीं मिला। तेरे बाप ने तेरे गांव से तुझे चुराया वहां अब एक दुकान है। मैने वहां की पूरी तलाशी ली पर कुछ नहीं! तेरे बाप ने तुझे यहां पर बेचा तेरा बाप तो मिला पर खजाना कहां है?”


कालू ने फुलवा को खींच कर अलमारी के सामने लाया और अलमारी खोली।


अलमारी के अंदर एक कंकाल पड़ा था। कंकाल के कपड़े देख कर फुलवा उसे पहचान गई।


फुलवा, “लड़कियां आती जाती रहती है लेकिन Peter uncle यहीं रहेगा।“


कालू, “क्या?”


फुलवा, “ये बापू नही, Peter uncle है जिसने मेरे बदन को इस बस्ती में बेचा।“


कालू ने फर्श पर पड़े समान की लात मारी, “मैंने इस घर को खोदते हुए 3 साल बीता दिए! तेरे बाप ने तुझे पहला धोखा यहां नहीं दिया था! बता तेरे बाप ने तुझे कहां पहला धोखा दिया था?”


फुलवा, “अगर मैंने तुम्हे पता बता दिया तो तुम मुझे मार डालोगे। मुझे पैसा नहीं चाहिए। पर मैं तुम्हें पता बता कर मरना नहीं चाहती।“


कालू गुस्से से फुलवा की ओर बढ़ा। फुलवा ने एक और बेरहम रात जीने की तयारी कर ली।
 

Lefty69

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A small update before some Hard BDSM
 
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