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कालू फुलवा को खींच कर उसे उसी कमरे में ले गया जहां उसकी इज्जत बार बार लूटी गई थी। फुलवा के बिस्तर को चूहों ने कुतरकर सिर्फ लोहे की चारपाई बना दी थी।
कालू ने फुलवा को चारपाई से बांध दिया।
कालू, “प्रेमचंद ने जब कहा की मुझे औरतों को मजा देना नही आता तब मुझे गुस्सा आया था। पर जब तू उसके लौड़े पर झड़कर अपना राज़ बोल गई तब मुझे उसकी बातों की सच्चाई समझ आ गई।“
कालू ने एक गोली जेब में से निकाली और फुलवा के मुंह में ठूंस दी। कालू की जबरदस्ती से फुलवा को वह गोली निगलनी पड़ी।
कालू, “पिछले 12 सालों में कई तरक्कियां हुई हैं जिनमें ड्रग्स भी शामिल है। ये गोली ECSTASY की है। इस से तुम्हें हर चीज ज्यादा और बेहतर महसूस होगी। सेक्स की इच्छा तेज़ हो जायेगी और वह पूरी करने के लिए तुम कोई भी कीमत चुकाओगी!”
फुलवा ने अपनी आंखें बंद की और अपने बदन और मन की लड़ाई के लिए तैयार हो गई।
कालू ने फुलवा के हाथों और पैरों को बेड के कोनों से बांध दिया। फुलवा का बदन गरमाते हुए सांसे तेज होती रही जब कालू ने फुलवा के कपड़े उतारे। कच्ची उम्र में कैद गई फुलवा के कपड़े अब उसके भरे हुए बदन को वैसे भी जकड़ रहे थे।
फुलवा के मम्मो ने खुल कर सांस ली और फुलवा सहम गई। पिछले बारह साल उसने किसी कुंवारी की तरह बिताए थे और अब उसे कालू की वहशी भूख से डर लग रहा था। कालू ने फुलवा को नंगा कर दिया और उसकी खुली हुई पंखुड़ियों को सहलाने लगा।
फुलवा, “कालू, मैं तुम्हें सब सच बताने को तैयार हूं! मैने सारा पैसा लखनऊ के एक सेठ को संभालने को दिया था। उसे मेरा नाम बता दो तो वह कुछ तो जरूर लौटा देगा! बस अब मुझे छोड़ दो!”
कालू हंस पड़ा, “साली रण्डी!! तुझे लगता है कि मैं तुझ पर यकीन करूंगा? तुझ जैसे लोग किसी पर भरोसा नहीं करते। और मुझे पता है कि तू पिछले बारह सालों में कभी बाहर नहीं आई! लेकिन तेरी इस गलती की सजा मैं जरूर दूंगा!”
फुलवा रोने लगी पर कालू एक 8 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा स्टील का लौड़ा लेकर आया। कालू ने उस पर थूंका और अपनी उंगलियों से उसे चमकाने लगा। कालू ने फिर फुलवा की कई सालों से अनचूई जवानी की पंखुड़ियों को फैलाया और उस लौड़े से फुलवा की चूत को सहलाने लगा।
कालू, “चाहता तो था की इसे सुखा ही पेल दूं। पर अब मैं सिख चुका हूं की दर्द का मजा कब आता है।“
कालू ने फुलवा की चूत में बनती चिकनाहट को उसकी चूत में से बाहर निकलता महसूस किया और 8 इंच लंबे 3 इंच मोटे स्टील लौड़े को फुलवा की चूत में डालने लगा। फुलवा ने आह भरते हुए 12 साल बाद अपनी जवानी की गूंफा में गुसपेटिए को दाखिल होता महसूस किया। फुलवा अपने सर को हिलाकर मना कर रही थी पर ड्रग्स की नशा उसे कमर उठाने को मजबूर कर रही थी।
कालू ने पूरे लौड़े को फुलवा की गर्मी में पेल दिया और फुलवा ने एक थरथराती आह भरी।
कालू, “बता माल कहां है?”
फुलवा, “मैंने सच कहा था! पैसे लखनऊ के एक सेठ के पास हैं!”
कालू ने गंदी मुस्कुराहट से फुलवा को देखा और एक और लंबा स्टील का लौड़ा निकाला। यह 10 इंच लम्बा 3 इंच मोटा था और इसका छोर मुड़ा हुआ था।
कालू, “अच्छा हुआ की तूने सच नहीं कहा वरना इसे लाना जाया हो जाता!”
कालू ने फुलवा की चूत में से चिकने हुए लौड़े को बाहर निकाला और वहां इस नए लौड़े को अंदर डाल दिया। फुलवा को इस नए लौड़े का छोर अपनी बच्चेदानी के मुंह पर दबा महसूस हो रहा था। फुलवा की आह चीख में बदल गई जब उसे पहले लौड़े को अपनी गांड़ पर दबते पाया।
फुलवा, “नहीं!!… नहीं!!… न… ई… ई… आह!!!…”
कालू, “तुझ जैसी रण्डी का एक से क्या होगा? तू तो 3 भाइयों की बीवी थी। अब मैं तुझ से वापस पूछूंगा और तू सही जवाब देगी!”
फुलवा ने वापस सच बताने की कोशिश की पर कालू ने लंबे लौड़े के बाहरी हिस्से पर बना एक हिस्सा घुमाया। फुलवा चीख पड़ी।
चूत में घुसा लौड़ा झनझनाते हुए हल्का इलेक्ट्रिक शॉक लगाते हुए उसकी बच्चेदानी से योनीमुख तक अजीब दर्दनाक उत्तेजना से तड़पाने लगा। इस से पहले कि फुलवा अपने आप को संभाल लेती कालू ने उसकी गांड़ में धंसे लौड़े को भी शुरू किया।
दोनो नकली लौड़े झनझनाते हुए एक दूसरे पर फुलवा के अंदर की पतली त्वचा पर से रगड़ते हुए फुलवा को बेरहमी से तड़पा रहे थे। फुलवा का बदन जलने लगा और वह तेजी से झड़ने की कगार पर पहुंच गई।
फुलवा की आंखें बंद हो गई थी और वह अपनी जवानी को दुबारा जागते हुए महसूस कर रही थी। फुलवा ने झड़ने की कगार पर से अपनेआप को झोंक देने के लिए अपना मुंह खोला और एक दर्द भरी चीख निकल गई।
फुलवा का बदन दर्द से तड़प कर यौन उत्तेजना से दूर हो गया। फुलवा ने अपनी आंखें खोल कर देखा तो कालू मुस्कुराता हुआ एक मोटी लाल मोमबत्ती जलाकर खड़ा था। फुलवा की दहिनी चूची पर गरम मोम ठंडा होते हुए पपड़ी की तरह जमा हो रहा था।
फुलवा, “ये… ये क्या…?”
कालू, “हारामी रण्डी, मैं तुझे इतनी आसानी से झड़ने दूं तो माल क्या तेरा बाप देगा?”
फुलवा सिसककर गिड़गिड़ाने लगी पर न अपने बदन को और न कालू को रोक पाई। कालू हर बार फुलवा को झड़ने की कगार तक आने देता और ठीक पहले फुलवा के बदन के किसी नाजुक हिस्से पर पिघला हुआ मोम उड़ेलकर उसे रोक देता। फुलवा की उत्तेजना अब जल्द और ज्यादा जोर से छूटने की कोशिश कर रही थी पर मोमबत्ती भी अब ज्यादा तेजी से जलती ज्यादा मोम पिघला रही थी।
फुलवा ने पूरे 23 मिनट तक यह अजीब तड़पना सहा पर हर कोई आखिर में टूटता है। मोम ने फुलवा की चुचियों और मम्मों के साथ उसके गले और नाभि को भी भर दिया था। जब आखरी बार मोम को फुलवा के फूले हुए यौन मोती पर गिराया गया तब फुलवा चीख कर टूट गई।
फुलवा, “राज नर्तकी की हवेली!!!…”
कालू ने मोमबत्ती को नीचे रख दिया।
कालू, “कहां?”
फुलवा रोते हुए, “बापू ने रात को राज नर्तकी की हवेली में मेरी गांड़ मारी थी!…”
कालू, “कहां है यह हवेली?”
फुलवा (झड़ते हुए), “लखनऊ के बाहर सुनसान इलाके में!!…”
फुलवा तड़पकर झड़ने लगी और कालू ने फुलवा को छुड़ाते हुए उसे फर्श पर लिटा दिया।
फुलवा, “तुम्हें जो चाहिए वह तुम्हें मिल गया!! अब मुझे छोड़ दो! मुझे बक्श दो!”
कालू ने अपनी कलाई पर घड़ी को देखा और मुस्कुराया।
कालू, “अगर तूने सच कहा है तो तू मेरे खिलाफ शिकायत कर सकती है और अगर झूट बोला है तो मुझे तेरी जरूरत पड़ेगी। इसी वजह से मैं तुझे ना जीने दूंगा और ना ही मरने।“
कालू ने फुलवा की कलाइयों को बांध कर उसके सर से कमर तक एक बोरी में बंद कर दिया। कमर के नीचे से नंगी फुलवा को कालू बाहर ले आया और उसे एक गाड़ी में चढ़ा दिया। बोरी में से फुलवा सांस ले सकती थी और उसे एहसास हो रहा था की उसके साथ उसी की तरह कई और औरतें भी बंधी हुई थी।
थोड़ी ही देर में दरवाजा बंद करने की आवाज सुनाई दी और जानवरों की तरह फुलवा को किसी अनजान जगह की ओर रवाना किया गया।