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Incest बदलते रिश्ते......

Boob420

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Super update bro
 

Pk8566

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देखो मम्मी इसमें अब मेरी कोई गलती नहीं है क्योंकि वह आदमी भी तुम्हारे साथ वही करना चाहता था क्योंकि वह बार-बार बोल रहा था कि मैं तुम्हारे पीछे ना जाने कब से पड़ा हूं मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं और आज तो मैं तुम्हारी चुदाई करके रहूंगा देखता हूं मुझे कौन रोकता है इसलिए जब मुझे पता चला कि तुम उस शैतान के साथ उस खंडहर में हो तो मुझे ऐसा ही लगा कि उसने तुम्हारी चुदाई कर दिया होगा,,,,( एक सांस में सब कुछ बोल गया लेकिन इतना बोलते समय इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसका लंड एकदम से टन्ना गया था और इस बार वह हिम्मत दिखाते हुए अपनी उंगली को गांड की गहराई में रगड़ ते हुए गांव के पूरे रंग के छोटे से छेद पर उंगली का दबाव बढ़ाते हुए धीरे-धीरे नीचे की तरफ ले गया और इस बार रोहन की उंगली का स्पर्श सुगंधा की रसीली चिकनी कचोरी जैसी फूली हुई बुर की गुलाबी पत्तियों पर हुई जिसकी वजह से सुगंधा अपने बेटे की उंगली की रगड़ अपनी रसमलाई जैसी बुर की गुलाबी पत्तियों पर महसूस करते ही वह काम उत्तेजना से एकदम से सिसक उठी और ना चाहते हुए भी उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज कुछ ज्यादा ही जोर से फूट पड़ी,,,,
 

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
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bahut hi badiya update hai bhai
 

Pk8566

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Next more yr
 

jonny khan

Nawab hai hum .... Mumbaikar
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इसलिए वहां अपनी उंगली को अपनी मां की गांड की गहराई के निचले स्तर पर रगड़ता हुआ नीचे की तरफ ले जा रहा था और जब जब रोहन की उंगली का स्पर्श सुगंधा की मदमस्त गांड की भूरे रंग के उस छोटे से छेद पर हो रहा था तब तक सुगंधा को ऐसा लग रहा था मानो उसके बदन में करंट दौड़ गया हूं और वह उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गणना जा रही थी वह अपनी कसमसाहट को रोक नहीं पा रही थी बार-बार अपनी गांड को इधर-उधर हिलाते हुए अपनी कामोत्तेजना को दबाने की कोशिश कर रही थी लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,,,
Nyc updates dear ..!!!!
 

Raz-s9

No nude av/dp -XF STAFF
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Woow great update :dj2::dj::thankyou::bump::cool1:
 

sunoanuj

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Waiting for update ..
 

rohnny4545

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4सच रोहन में भी एकदम से डर गई थी मुझे लगने लगा था कि अब वह अपनी मनमानी करके ही छोड़ेगा वह अपनी मनसा में कामयाब हो जाएगा क्योंकि इतनी तूफानी बारिश में वहां मेरी मदद करने वाला कोई भी नहीं था एक तु था तो तुझे भी उसने मार कर बेहोश कर दिया था,,,,,, ओर वह जिस तरह से मेरे साथ वहसीपन कर रहा था उसे देखते हुए मेरी कोई इज्जत बचा पाता ऐसी कोई आशा की किरण नजर नहीं आ रही थी,,,,

क्या कर रहा था मम्मी वह,,,, (अपनी मां की बात सुनते ही रोहन झट से बोला,,, रोहन की उत्सुकता देखकर सुगंधा मम्मी मन प्रसन्न होने लगी वह अपनी बात को थोड़ा नमक मिर्च लगाकर बताना चाहती थी ताकि उसकी बातों को सुनकर उसका बेटा पूरी तरह से चुदवासा हो जाए और उसे चोदने पर मजबूर हो जाए हालांकि इस दौरान लगातार रोहन अपनी मां की काम पिपासा को बढ़ाते हुए अपनी बीच वाली उंगली को हल्के हल्के अपनी मां की बुर के मुख्य द्वार की पतली पतली गुलाबी पत्तियों पर रगड़ रहा था जिससे सुगंधा की हालत देखते बन रही थी,,,, शर्म के मारे उसका चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया था और वह किसी तरह से अपनी उखड़ती हुई सांसो को नियंत्रित किए हुए थी,,,,,,, सुगंधा अपने मन में सोचने लगी कि उसके बेटे ने अब जाकर सही सवाल पूछा है और यही मौका है उसे एकदम से चुदास से भर देने का इसलिए वह अपनी बातों में नमक मिर्च का घोल लगाते हुए बोली,,,,,।

यह पूछ बेटा कि वह क्या नहीं कर रहा था मुझे तो बताते शर्म आ रही है लेकिन मैंने तुझसे वादा किया कि अब तेरे और मेरे बीच दोस्ती जैसा रिश्ता इसलिए मैं तुझे सब बताती हूं लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि यह सब बात बाहर जाकर किसी को मत बताना वरना खामखा मेरी और तेरी इज्जत खराब होगी,,,, (सुगंधा अपने बेटे को विश्वास में लेते हुए बोली,,,,,)

तो बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी यह राज है हम दोनों के बीच ही रहेगा इतना कहते हुए रोहन अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों पर दबाव डालता हुआ बोला जिसकी वजह से उसकी उंगली हल्की सी अंदर की तरफ धस गई जिससे सुगंधा के तन बदन में आग लग गई वह उत्तेजना के मारे कसमस आने लगी और गर्म सिसकारी लेते हुए बोली,,,)

ससससहहहहहहह आहहहहहहहहह रोहन,,,,, ( अपनी मां की गरम सिसकारी सुनकर रोहन कुछ देर तक अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की गुलाबी पतियों के पीछे ही उसी तरह से दबाए रहा जिसका असर दोनों के बीच एकदम बुरा हो रहा था दोनों की हालत खराब हो रही थी और दोनों के नाजुक अंग फुदक रहे थे,,,,,)

इतनी तेज बारिश पड़ रही थी कि देखते ही देखते मैं पूरी भीग गई थी और वह मुझे अपनी मजबूत बांहों में पकड़ कर मुझे उठा लिया मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि वह इतना ताकतवर था कि मेरे जैसी भारी भरकम शरीर वाली औरत को भी वह उठा कर अपने कंधे पर रख लिया था,,,,

क्या कह रही हो मम्मी वह तुम्हें उठा कर कंधे पर रख लिया मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा है,,,,

विश्वास तो मुझे भी नहीं हो रहा था लेकिन जो मैं कह रही हूं एक दम सच है,,,,,

अच्छा फिर क्या हुआ?,,,

इसके बाद वह मुझे कंधे पर उठाकर खंडहर की तरफ जाने लगा मैं रोने जैसी हो गई मैं एकदम लाचार नजर आ रही थी मैं जोर-जोर से अपना हाथ उसकी पीठ पर मार रही थी लेकिन उसे जरा सा भी फर्क नहीं पड़ रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह सच का शैतान हो लेकिन इन सबके बावजूद भी वह अपनी हरकत को,,, जारी रखते हुए अपनी मजबूत हथेलियों से साड़ी के ऊपर से ही मेरी गांड को दबा रहा था,,,अपनी हथेशी को इतनी जोर जोर से मेरी गांड को साड़ी के ऊपर से दबा रहा था,, मानो कि जैसे वह खींचकर मांस बाहर निकाल लेगा,,,,, उसे तो बहुत मजा आ रहा था लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था वह बार-बार कंधे पर उठाए हुए ही मेरी साड़ी को बार-बार ऊपर की तरफ कर दे रहा था और मेरी नंगी चिकनी टांगों से खेल रहा था,,,,( सुगंधा जानबूझकर एक-एक शब्द को खोल कर अपने बेटे से बता रही थी क्योंकि वह उसके दिमाग में उत्तेजना भर देना चाह रही थी और ऐसा हो भी रहा था अपनी मां की मस्त बातों को सुनकर रोहन की हालत खस्ता खराब होते जा रही थी खास करके उसके नंद की हालत खराब थी ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी लंड की नसें फट जाएगी क्योंकि उसकी मां एकदम बेशर्म होकर एक एक शब्दों को गंदे तरीके से बता रही थी और रोहन भी मत बताओ अपनी मां की मदमस्त कार्ड से खेलता हुआ अपनी बीच वाली उंगली को जोर जोर से अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों को रगड़ रहा था।,,,, इस तरह की खुद ही बातें करते हुए और अपने बेटे की गरम हरकत की वजह से सुगंधा एकदम गरम हो चुकी थी,,, और लगातार उसकी बुर से नमकीन रस मदन रस बनकर बाहर निकल रहा था जिससे रोहन के उँगरिया एकदम गिली होती जा रही थी,,। रोहन गर्म आए हैं लेता हुआ बोला,,,,,)

फिर क्या हुआ मम्मी,,,,?

फिर क्या था वह मुझे खंडार के अंदर ले गया जहां पर बहुत अधूरा था लेकिन चारों तरफ से खुला होने की वजह से रह-रहकर अंदर बिजली की चमक की वजह से उजाला हो जा रहा था जिसमें वह मेरे नंगे बदन को देखने की कोशिश कर रहा था जो कि उस समय मेरा बदन नंगा नहीं था बल्कि वस्त्र से ढका हुआ था लेकिन तेज बारिश की वजह से मेरी साड़ी और बाकी कपड़े गीले हो चुके थे और वह मेरे बदन से एकदम चिपक से गए थे वह मुझसे बोला कि अगर तुम अपने मन से मुझे अपना तन शॉप दो तो तुम्हें कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन मैं उसकी बात कैसे मान सकती थी मैं अपनी इज्जत को कैसे दांव पर लगा सकती थी जिसे बरसों से संभाल कर रखी थी अपने खानदान की इज्जत को मैं इस तरह से एक शैतान के यहां तो लुटाना नहीं चाहती थी इससे अच्छा तो था कि मैं मर जाती लेकिन मेरे लाख इनकार करने के बावजूद भी वह दुष्ट इंसान मेरे साथ जबरदस्ती करने लगा वह मुझे अपनी बाहों में भरकर मेरे होठों के रस को पीने की कोशिश करने लगा और मैं उसके इरादे को नाकाम करते हुए बार-बार उसके चेहरे को हटा दे रही थी लेकिन वह मुझसे ज्यादा ताकतवर था वह एक हाथ से मेरी सारी पकड़ कर इतनी जोर से खींचा कि मैं गोल गोल घूमते हुए गिर गई और मेरे बदन से साड़ी उतर गई मैं उसकी आंखों के सामने केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी अंधेरा होने के बावजूद भी बिजली की चमक में वह मुझे देख पा रहा था और मुझे उस हाल में देखकर एकदम खुश हो गया ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखो में वासना चमक रही हो,,,

मुझे उससे मैं बहुत डर लग रहा था रोहन एक तो तूफानी बारिश और चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा और ऐसे में मैं एक शैतान के हाथों अपनी इज्जत लूट आना नहीं चाहती थी और मैं प्रतिकार करती रही लेकिन उस ताकतवर इंसान ने मुझे बार-बार असफल बना दिया वह मेरे करीब आया और मुझे फिर से अपनी बाहों में भर कर अपने बदन से सटा लिया,,,,,,
( यह सब बताते हुए सुगंधा का बदन कामोत्तेजना के स्वर में अपने लगा उसे खुद यकीन नहीं हो रहा था कि वह यह सब बातें अपने मुंह से कैसे बोल दे रही है और अभी अपने बेटे के सामने जो कि इस समय वह भी अपनी मां के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था वह जोर-जोर से अपनी मां की गांड को रगड़ रगड़ कर एकदम गोरी गांड को एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया था और जिस तरह से वह अपनी उंगली को बार बार अपनी मां की बुर के मुख्य द्वार पर दबा रहा था ऐसा लग रहा था कि किसी भी वक्त उसकी उंगली सुगंधा की गीली बुर के अंदर प्रवेश कर जाएगी जिससे सुगंधा एकदम मतवाली होती जा रही थी,,,, दोनों ऐसे बारिश के ठंडे मौसम में भी पसीने से तरबतर हो चुके थे सुगंधा अपनी बात को जारी रखते हुए बोली,,,,।)

वह जिस तरह से मुझे अपने बदन से सटा लिया था,,,, मुझे बहुत डर लग रहा था लेकिन जब मैंने अपनी टांगों के बीच कुछ चुभता हुआ महसूस की तो मैं एकदम डर से कांप गई मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं ऐसा लग रहा था कि जैसे सामने मेरी मौत खड़ी है और मैं एकदम निस्सहाय सी खड़ी होकर उसे अपने करीब आने का इंतजार कर रही थी,,,

टांगों के बीच,,,,,,, टांगों के बीच क्या चुभ रहा था मम्मी,,,,?
(रोहन आश्चर्य जताते हुए बोला जबकि वह इतना तो जानता था कि औरत को अपनी बाहों में लेने से मर्द का कौन सा अंग और उसकी दोनों टांगों के बीच झुकता है लेकिन वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था,,,, ।)

मेरी टांगों के बीच,,,,रोहन,,, मेरी टांगों के बीच उसका मोटा तना हुआ लंबा लंड चुभ रहा था जो कि अभी भी उसने पजामे में कैद करके रखा था सुगंधा बेशर्म बनते हुए बोली लेकिन इतना कहते हुए वह और भी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी और उसकी फूली हुई बुर और ज्यादा फुदकने लगी थी और रोहन तो अपनी मां के मुंह से इतना खुला शब्द सुनकर एकदम से टन्ना गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या करें और उसकी उंगली का दबाव सुगंधा की मखमली बुर पर बढ़ती जा रही थी और वह इस कदर अपनी उंगली पर दबाव बनाया कि वह हल्का सा सुगंधा की रसीली बुर मे घुस गई,,,,, अपनी बुर के अंदर अपने बेटे की उंगली को हल्का सा प्रवेश होता हुआ महसूस करके ही सुगंधा के तन बदन में आग लग गई और उसके मुख से गर्म सिसकारी फिर फूट पड़ी और अपनी मां के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज सुनकर रोहन बेझिझक बोला,,,,,,

फिर क्या हुआ मम्मी,,,,?

( दोनों के बीच गंदी बातों का दौर शुरू हो गया था दोनों मां बेटे एक दूसरे के सवाल जवाब करते हुए बहुत ही आनंद ले रहे थे साथ ही अपने नाजुक नाजुक अंगों में बेहद उत्तेजना का अनुभव करते हुए एकदम चुदास से भरते चले जा रहे थे बाहर बरसात अपना असर दिखा रहा था और अंदर दोनों की गर्म बातें और सुगंधा का जवान गर्म जिस्म पूरे कमरे के तापमान को गर्म करता हुआ दोनों के तन बदन में वासना की पकड़ को मजबूत बनाता चला जा रहा था,,,,,। एक मां होने के बावजूद भी सुगंधा अपने बेटे से गंदी से गंदी बातें करना चाहती थी जिसमें उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और इसलिए अपने बेटे के अगले सवाल का जवाब देते हुए बोली,,,,।)

रोहन मैं उसके लंड की चुभन से एकदम से घबरा गई थी,,, जो कि अभी भी उसकी पेजामे में कैद था मैं पूरा ताकत लगाकर उससे छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन वह शैतान मुझे छोड़ना नहीं चाहता था,,, वह जबरदस्ती करते हुए मुझे जमीन पर लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गया,,,, वह मुझे गंदी गंदी गालियां देते हुए ना जाने क्या-क्या कहता रहा मैं उसकी बातें सुनकर एकदम से डर गई थी,,,।

क्या कह रहा था मम्मी वह कैसी गालियां दे रहा था,,,,,,( अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा समझ गई कि वह जो कुछ भी बता रही है उसी से उसे दुख नहीं बल्कि और ज्यादा उत्सुकता हो रही है आगे की बात जानने के लिए उसे साफ पता चल रहा था कि धीरे-धीरे उसका बेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसकी बातों को सुनकर उसका मन भी चुदास से भरता चला जा रहा था इसलिए वह अपने बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

वह मुझे बहुत गंदी गंदी गालियां दे रहा था मुझे बार-बार बोल रहा था कि आज मैं तेरी बुर में अपना लंड डाल दूंगा तुझे चोद डालूंगा तेरी दोनों बड़ी-बड़ी चुचियों को मुंह में भरकर इसका सारा दूध पी जाऊंगा आज मैं तुझे नहीं छोड़ने वाला आज मैं तेरी गांड मार कर ही रहूंगा देखना मैं तेरी चूत में अपना मोटा लंड डालकर ऐसा चोदुंगा कि कल तु ठीक से चल भी नहीं पाएगी,,,,,, और ना जाने क्या अनाप-शनाप बकता रहा मैं तो उसकी बातें और उसकी गालियां सुनकर इस कदर डर गई थी कि उसका प्रतिकार भी नहीं कर पा रही थी,,,,।
( रोहन तो अपनी मां के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर इस कदर मस्त हो गया था कि पूछो मत उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी उसके लंड की नसें फुल कर ऐसा लग रहा था कि अभी फट जाएगी उसका अंग-अंग उत्तेजना के मारे फूलने लगा था और वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि इस बार वह अपनी मां की बुर के अंदर अपनी बीच वाली उंगली लगभग आधी डालकर अंदर बाहर करते हुए उसकी पूर्व को अपनी उंगली से चोदना शुरू कर दिया और अपने बेटे की इस गंदी और हिम्मत वाली हरकत को देखकर सुगंधा का रोम-रोम पुलकित होने लगा उसके तन बदन में उत्तेजना का कसाव बढ़ता चला गया वह कर्म आहें भरने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें बस अपने बेटे की उंगली चोदन से वह कसमसा रही थी,,, रोहन की सांसें उखड़ने लगी थी वह बहुत गहरी गहरी सांसे ले रहा था जिसका आभास सुगंधा को बहुत अच्छी तरह से हो रहा था लालटेन की पीली रोशनी में रोहन लालटेन की रोशनी में अपनी मां की बुर को ठीक से देख नहीं पा रहा था लेकिन उसे अपनी उंगली से टटोलकर उसके भूगोल का अच्छी तरह से जायजा ले रहा था उंगली के स्पर्श से इतना तो उसे समझ में आ गया था कि यह चीज जो भी थी वह किसी अजूबे से कम नहीं थी क्योंकि उसे छूने भर से मर्दों के तन बदन में करंट सा लग जाता है 2 इंच की बूर इतना अधिक कमाल दिखाती है कि मर्द सब कुछ भूल जाता है और केवल औरत के उस छोटी सी चीज का गुलाम हो जाता है जो कि इस समय रोहन के साथ भी हो रहा था,,,,, वह ऊखड़ती हुई सांसो के साथ आगे की बात जानने के लिए अपनी मां से बोला।,,,

फिर उस शेेतान ने क्या किया मम्मी?,,,,, ( रोहन इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि इस बार थोड़ी और हिम्मत दिखाते हुए अपनी बीच वाली ऊंगली को आधे से ज्यादा अपनी मां की बुर में पेल दिया और उसे धीरे-धीरे अंदर बाहर करते हुए उंगली से चोदने लगा सुगंधा तो एकदम मस्त हुए जा रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी क्योंकि उसे डर था कि कहीं कुछ बोलेगी तो कहीं उसका बेटा अपनी उंगली बाहर ना निकाल ले वह अपने बेटे की इस हरकत को नजरअंदाज करते हुए उसकी हरकत का मजा लेते हुए बोली,,,,,।

इसके बाद वह एकदम वहसी पन पर उतर आया था,,, उसकी आंखों में दरिंदगी मुझे साफ नजर आ रही थी,,,, मैं उससे इस कदर डर गई थी कि उससे नजरें मिलाने में भी मुझे डर लग रहा था वह इतना उतावला हो चुका था कि मेरे ब्लाउज के बटन खोलने की जगह वह सीधे दोनों हाथों से पकड़ कर कुछ देर तक मेरी चूचियों को ऊपर से दबाता रहा उसके बाद दोनों हाथों से खींचकर मेरे ब्लाउज को काट दिया जिसकी वजह से मेरी दोनों बड़ी बड़ी चूचियां उसकी आंखों के सामने झूलने लगी मैं तो एकदम से डर गई कि अब मुझे कोई नहीं बचा सकता,,,,,
 

rohnny4545

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5सुगंधा चाहती तो यह सब बातें उसे नहीं बताती लेकिन सुरेंद्र जानबूझकर अपने बेटे के सामने इतनी गंदे शब्दों में गंदी बातें बता रही थी ताकि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए और यही हो भी रहा था रोहन पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबता चला जा रहा था जिसका असर यह हो रहा था कि अपनी मां की बुर के अंदर आधी उंगली से ज्यादा लगभग जितनी जा रही थी उतनी ज्यादा और भी डाल कर अंदर बाहर कर रहा था और सुगंधा अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी टांगों को हल्का सा खोल दी थी ताकि वह आराम से उसकी बुर के अंदर उंगली कर सकें रोहन मस्त हुआ जा रहा था क्योंकि,,, जिस तरह से वह अपनी मां के नाजुक अंगों के साथ खेल रहा था यह पल उसकी जिंदगी का बेहद अद्भुत और अतुल्य था और पहली बार ही था जिससे उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह पल पल कामोत्तेजना के सागर में खींचता चला जा रहा था वहां से वापस लौटने का कोई भी रास्ता उसे नजर नहीं आ रहा था,,,,, रोहन को इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि औरतों की बोर इतनी ज्यादा गर्म होती है इसलिए वह अपनी उंगली पर अपनी मां की बुर की गर्मी को महसूस करते हुए इतने ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि बार-बार अपने हाथ से अपने खड़े माटे लंड को दबा दे रहा था जो कि उसकी यह हरकत उसकी मां की नजरों से छिपी नहीं रही पाई और सुगंधा अपने बेटे की इस हरकत को देखकर मंद मंद मुस्कुराते हुए मदहोश हुए जा रही थी,,,,।
रोहानअब अपली मां की मालिस नहीं कर रहा था बल्कि अपनी मां के खूबसूरत अंगों के साथ खेल रहा था और उस का आनंद उठाते हुए वह उसी तरह से अपनी उंगली को जोर जोर से अपनी मां की बुर की गहराई में अंदर बाहर करते हुए कांपते स्वर में बोला,,,।

फिर क्या किया उस शैतान ने मम्मी,,,
( उत्तेजना के मारे सुगंधा का गला सूखता जा रहा था उसकी सांसें उखड़ रही थी अपने बेटे की हरकत की वजह से वह दो बार झड़ चुकी थी ना जाने कितने वर्षों के बाद उसने इस तरह का स्खंलन महसुस की थी।,,, उसका मन मोर बनकर नाच रहा था उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूट रही थी एक अजीब सी गुदगुदा हट वह अपने तन बदन में महसूस करके अपनी मदमस्त जवानी को वासना के झूले में झूला रही थी,,,,, एक बार फिर अपने बेटे की हरकत की वजह से गर्म आहें भरते हुए वह बोली,,,,।

रोहन उसने मेरे ब्लाउज को फाड़ दिया था उसकी आंखों के सामने मेरी बड़ी-बड़ी गोल-गोल चूचियां झूल रही थी जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो उसे अंधेरे में नजर नहीं आ रहा था लेकिन बिजली की चमक में उसे कुछ क्षण के लिए मेरा नंगा बदन दिख जा रहा था जिससे वह काफी उत्साहित और उत्तेजित नजर आ रहा था जो उसकी आंखों से साफ पता चल रहा था वह तो जैसे छोटे बच्चे की तरह मेरे दोनों बड़े बड़ी चुचियों पर टूट पड़ा और बारी बारी से उसको मुंह में लेकर जोर जोर से दबा दबा कर पीना शुरु कर दिया मुझे बहुत दर्द कर रहा था वह इतनी जोर जोर से दबा रहा था कि मेरे मुख से चीख निकल जा रही थी लेकिन वह मेरे दर्द की परवाह किए बिना ही अपनी मस्ती में मुझे ढूंढता रहा वह कुछ देर तक मेरी चुचियों से खेलता रहा मैं बार-बार पूरी कोशिश करके उससे छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह शैतान की ताकत वाला इंसान था उसकी ताकत के आगे एक भला औरत की ताकत की क्या बिसात मैं बार-बार उसे रहम की भीख मांगती रही लेकिन वह वासना में इतना अंधा हो चुका था कि मेरी चीख पुकार भी नहीं सुन रहा था बस वह अपने मनमानी करने पर तुला हुआ था कुछ देर बाद में उससे प्रतिकार करना भी छोड़ दी क्योंकि जितना मैं उससे प्रतिकार कर रही थी उतनी ही चोट और दर्द मुझे मिल रहा था वह कुछ देर तक ऐसे ही मेरी चूचियों से खेलता रहा,,,,।

अपनी मां की गरम बातें सुनकर रोहन गहरी गहरी सांसे ले रहा था उसके मुख से बार-बार गर्म आए निकल जा रही थी उसका तनबदन पूरा गर्म हो चुका था,,,,,, और सुगंधा भी मदहोश होते हुए बार-बार अपनी गांड को हल्के से ऊपर उठा दे रही थी,,,,,, यह सब देख कर रोहन की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वह गरम आहे भरता हुआ बोला,,,।

मम्मी तुम्हें तो बहुत दर्द हो रहा होगा मेरा तो सोच कर ही हालत खराब हो रही है कि कैसे उससे शैतान ने तुम्हारी बड़ी-बड़ी चुचियों को दबा दबा कर तुम्हें दर्द दिया होगा,,,( रोहन भी थोड़ा खुलता हुआ बोला,,,, )

हां बेटा उसने अपनी हरकत से मुझे बहुत दर्द दिया मैं बता नहीं सकती कि उस समय मुझे कितना दर्द झेलना पड़ रहा था लेकिन मैं मजबूर हो चुकी थी,,,,

इसके बाद उसने क्या किया मम्मी,,,?
( दोनों मां-बेटे को इस तरह की गंदी बातें करने में बहुत मजा आ रहा था उससे भी ज्यादा मजा आ रहा था और रोहन तो अपनी मां की रसीली बुर के साथ छेड़छाड़ करने में और उसका लुफ्त पूरी तरह से सुगंधा उठाते हुए मस्त हुए जा रही थी,,,, वह मदहोश भरी आहें भरते हुए बोली,,,,।

बेटा मुझे तो उस समय कुछ भी सूझ नहीं रहा था कि मैं क्या करूं मैं मजबूर थी उसकी अत्याचार सहने के लिए वह लगातार मेरी बड़ी बड़ी चूचियों से खेल रहा था और पागलों की तरह उसे मुंह में भरकर जूस ले रहा था कमर के ऊपर से तो मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन अभी भी मेरी इज्जत बचाने के लिए पेटीकोट मेरे तन पर पड़ा हुआ था लेकिन वो एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर धीरे धीरे मेरे पेटीकोट की डोरी को भी खोल दिया,,,,।,,( रोहन जैसे-जैसे अपनी मां की मस्त बातें सुन रहा था वैसे वैसे उस क्या असर उस पर बहुत ही बुरा प्रभाव पाड़ रहा था,, उत्तेजना के मारे रोहन अपनी मां की बुर के अंदर जोर-जोर से होली बाहर अंदर करता हुआ उसे उंगली से चोद रहा था और सुगंधा भी अपने बेटे की उंगली चोदन से इतनी मस्त हुए जा रही थी कि रह-रहकर बीच में उसके मुंह से गर्म सिसकारी छूट पड़ रही थी उसका पूरा बदन कसमसा रहा था वह अपनी उत्तेजना को दबाने में असमर्थ साबित हो रही थी,,,।) मुझे पूरा यकीन तोर पर लगने लगा था कि अब मेरी इज्जत कोई नहीं बचा सकता बरसों से जिस इज्जत को में बचा कर रखी थी आज उसे तान के हाथों लूटने वाली थी मैं अपनी आंखों को बंद कर दी थी वह धीरे-धीरे मेरी पेटीकोट भी मेरे बदन से उतार कर अलग कर दिया,,, वह मुझे उस अवस्था में देखकर एकदम पागलों की तरह जोर जोर से हंस रहा था और इधर उधर अपनी हथेली से मेरे बदन को नोच रहा था मैं अपनी आंखों को बंद कर ली थी क्योंकि मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है और मेरे सोचने के मुताबिक ही वह धीरे-धीरे अपने दोनों हाथों को मेरे चिकने पेट पर सहलाता हुआ,,, मेरी चड्डी के दोनों छोर को पकड़ लिया,,,
( अपनी मां की गरम बातों को सुनकर रोहन की सांसो की गति तेज चल रही थी और उतनी ही तेजी से उसकी उंगली अपनी मां की रसीली बुर के अंदर चल रही थी,,,,, उत्तेजना के मारे सुगंधा की भी सांसें उखड़ती चली जा रही थी सुगंधा को बहुत मजा आ रहा था बरसों के बाद लंड ना सही उंगली से जरूर उसकी बुर की चुदाई हो रही थी और वह तो मन ही मन इसी उम्मीद में थी कि उसका बेटा अपनी उंगली बाहर निकालकर अपना मोटा लंड ठुंस दे।,,, रोहन भी एकदम मदहोश हो चुका था अपनी मां की मदमस्त जवानी में पूरी तरह से खो गया था और अपनी उंगली को अपनी मां की रसीली गहरी बुर के अंदर डुबाता हुआ वह मदहोश शब्दों में बोला,,,,,

उसके बाद क्या हुआ मम्मी,,,,

( मदहोशी के आलम में बार-बार रोहन की आंखें बंद हो जा रही थी उसकी आंखों पर वासना का असर साफ झलक रहा था वह अपनी मां के अंदर अब एक मां नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवान औरत को देख रहा था जो कि बेहद प्यासी थी और उसकी प्यास बुझाने के लिए वह पूरी तरह से तत्पर था,,,,)

उसके बाद तो मुझे लगा बेटा कि अब मैं उसकी आंखों के सामने पूरी तरह से नंगी हो जाओगी और वैसे भी उसकी आंखों के सामने में लगभग नंगी ही हो चुकी थी,, बस उस नाजुक अंग को छुपाने के लिए अभी भी मेरे तन पर वह छोटी सी चड्डी मौजूद थी और उसी अंग के लिए वह पागल हुआ जा रहा था,,,,,

कौन से अंग को मम्मी मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं,,, ( रोहन जानबूझकर सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश करता हुआ बोला और उसकी यह बात सुनकर सुगंधा तुरंत घूम कर बेटे की तरफ आश्चर्य से देखते हुए लेकिन मुस्कुरा कर बोली,,,)

मुझे तू बुद्धू समझता है ?,,, क्या तुझे इतना भी नहीं पता कि औरत अपनी चड्डी के अंदर किस अंग को छुपा कर रखती है क्या यह भी तुझे बताना पड़ेगा,,,,,( यह कहते हुए सुगंधा अपने बेटे के चेहरे की तरफ देख रही थी जबकि उसका मन बहुत कर रहा था कि वह अपनी नजरे नीचे झुका कर अपनी मत मस्त बड़ी बड़ी गांड की तरफ देखें और यह देखें कि किस तरह से उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर बड़ी तेजी से पेल रहा है,,,, लेकिन ऐसा करने में उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका बेटा यह जान गया कि वह क्या देख रही है तो कहीं वह अपनी उंगली उसकी बुर में से निकाल ना ले और सारा मजा किरकिरा हो जाए,,,)

मैं सच कह रहा हूं मम्मी मुझे क्या पता की औरत अपनी चड्डी के अंदर कौन से अंग को छुपा कर रखती है मैं कभी देखा हूं क्या तुम्हें क्या लगता है कि किसी औरत ने मुझे अपने चड्डी के अंदर नजर डालने दी होगी मैं तुम्हें ऐसा वैसा लगता हूं कि इधर उधर नजर मारता फिरू मुझे सच में नहीं पता कि औरत अपनी चड्डी के अंदर कौन से हमको छुपा कर रखती है,,,। ( रोहन अपनी उंगली की रफ्तार कम किए बिना ही बोला लेकिन सुगंधा को इतना जरूर नजर आ रहा था कि जिस रफ्तार से अपनी उंगली को जोर जोर से बुर के अंदर बाहर कर रहा था उससे उसके पूरे बड़े बड़े नितंब किसी पानी भरे गुब्बारे की तरह हिल रहे थे और उसे देखकर सुगंधाको ऐसा ही लग रहा था कि जैसे पीछे से उसकी कोई चुदाई कर रहा हो सुगंधा को बहुत मजा आ रहा था और अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,,।)

,,, लेकिन तूने तो मुझे नंगी देख चुका है ना,,,,

फिर वही बात मैं कितनी बार तुमसे कहूं मम्मी कि मैं तुम्हें सिर्फ नंगी देख चुका हूं लेकिन तुम्हारी टांगों के बीच चड्डी के अंदर कौन सा अंग है इसके बारे में मुझे बिल्कुल भी नहीं पता वैसे भी मैं तुम्हें नंगी दूर से देखा हूं तुम्हारे अंग को नहीं देख पाया हूं,,,,


बाप रे इसका मतलब कितना जवान हट्टा कट्टा होने के बावजूद भी तो अभी तक एकदम नादान है दूसरे लड़के इस उमर में ना जाने क्या-क्या देखकर उसका उपयोग भी कर लेते हैं और तू है कि अभी उस अंग को देख भी नहीं पाया है,,,,,।

मम्मी अब मेरी किस्मत ऐसी कहां की कोई औरत अपना अंग दिखाकर उसका उपयोग करने दे,,,,

क्या कहा,,,,?

ककककक,, कुछ,,,,, नही,,,,, मम्मी,,,,,
( सुगंधा अपने बेटे की इस बात को सुनकर मंद मंद मुस्कुरा दी और रोहन अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,, )

क्या हुआ मम्मी उस शैतान ने अपने दोनों हाथों में तुम्हारी चड्डी पकड़कर क्या किया,,,,?

तू तो ऐसे पूछ रहा है जैसे तुझे कुछ मालूम ही नहीं अरे ओ मेरी चड्डी उतार कर मुझे नंगी कर पाता इससे पहले ही तू तो वहां कर उसके सर पर लकड़ा दे मारा और वह वहीं पर ढेर हो गया,,,,

अरे हां मैं तो भूल ही गया था कि जब मैं खंडहर के अंदर पहुंचा था तब वह आदमी तुम्हारी चड्डी उतार नहीं जा रहा था मुझे तो लगा था कि उसने तुम्हारी चुदाई भी कर दिया होगा,,,,,।

नहीं बेटा अच्छा हुआ था कि तू सही समय पर आ गया था वरना जैसा तू कह रहा है वैसा ही हो गया होता,,,,। लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आ रही है कि तू कहता है कि औरत की चड्डी के अंदर जो अंग होता है तो उसे नहीं देख पाया है तो तू यह कैसे कह रहा है कि वह आदमी मुझे चोद दिया होता इसका मतलब तुझे पता है कि एक आदमी औरत को कैसे चोदता है,,, (सुगंधा अपने बेटे को अपनी बातों में उलझाने की कोशिश करती हुई बोली,,,)

नहीं मम्मी मुझे नहीं मालूम यह सब कैसे होता है यह तो मैं अपने दोस्तों के मुंह से सुना इसलिए कह रहा हूं बाकी इस बारे में मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम है,,,,।

अच्छा जो तू कह रहा है अगर सच है तो धीरे-धीरे तुझे भी पता चल जाएगा कि एक आदमी औरत को कैसे चोदता है चल अब तू जल्दी-जल्दी मेरी मालिश कर मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,।
( इतना सुनते ही रोहन अपनी मां की बुर में से अपनी उंगली को वापस खींच लिया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि,, जिस तरह से वह अपनी उंगली को जोर जोर से अपनी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा है उसका एहसास उसकी मां को हुआ ना हो वह समझ गया कि उसकी मां जानबूझकर अनजान बनते हुए कुछ भी नहीं कह रही थी इसका मतलब साफ था कि उसकी मां को बहुत मजा आ रहा था और अगर वह अपनी उंगली की जगह उसकी बुर के अंदर अगर अपना लंड डाल कर उसकी चुदाई भी कर दे तो उसकी मां को मजा ही आएगा बल्कि वह बिल्कुल भी ऐतराज नहीं करेगी यह सोचकर वह मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,,,। और वह फिर से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को जोर से दबाते हुए मालिश करना शुरू कर दिया दूसरी तरफ सुगंधा का बुरा हाल था रह- रहकर उसकी बुर से ढेर सारा नमकीन पानी सैलाब की तरह फूट पड़ रहा था,,,,, देखते ही देखते वह तीन बार झड़ चुकी थी ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं हुआ था,,,।
दूसरी तरफ बादलों की गड़गड़ाहट से और तेज बारिश की फुहारों से कमरे के अंदर का माहौल एकदम मादक होते जा रहा था रोहन का बुरा हाल था एक खूबसूरत औरत बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी जिसकी मदमस्त गांड कि वह मालिश कर रहा था और वह उसके साथ कुछ भी कर सकता था लेकिन अभी भी रोहन इतना नहीं खुल पाया था कि बिना बोले अपनी मां के ऊपर चढ़ जाए और उसकी बुर में लंड डालकर उसकी चुदाई कर दे लेकिन जितना भी वह कर रहा था उससे उसे सुकून और संतुष्टि की प्राप्ति हो रही थी,,,,, देखते ही देखते सुगंधा की मदमस्त गोरी गोरी गाल एकदम लाल हो गई रोने जिस तरह से हिम्मत दिखाते हुए उंगली से अपनी मां की बुर की चुदाई किया था सुगंधा को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रोहन इस तरह की हरकत करेगा और ना ही रोहन अपने आप पर इतना विश्वास रखता था कि वह इस तरह की हरकत करके अपनी मां को और खुद आनंद देगा लेकिन वास्तविकता यही थी कि रोहन हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां की बुर के अंदर ना जाने कितने देर तक उंगली को अंदर-बाहर करता रहा जिससे उसका लव इस हालत में हो गया कि कभी भी विस्फोट हो सकता था कभी भी उसका लावा पिघल कर बाहर आ सकता था।
 
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