5सुगंधा चाहती तो यह सब बातें उसे नहीं बताती लेकिन सुरेंद्र जानबूझकर अपने बेटे के सामने इतनी गंदे शब्दों में गंदी बातें बता रही थी ताकि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए और यही हो भी रहा था रोहन पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबता चला जा रहा था जिसका असर यह हो रहा था कि अपनी मां की बुर के अंदर आधी उंगली से ज्यादा लगभग जितनी जा रही थी उतनी ज्यादा और भी डाल कर अंदर बाहर कर रहा था और सुगंधा अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी टांगों को हल्का सा खोल दी थी ताकि वह आराम से उसकी बुर के अंदर उंगली कर सकें रोहन मस्त हुआ जा रहा था क्योंकि,,, जिस तरह से वह अपनी मां के नाजुक अंगों के साथ खेल रहा था यह पल उसकी जिंदगी का बेहद अद्भुत और अतुल्य था और पहली बार ही था जिससे उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह पल पल कामोत्तेजना के सागर में खींचता चला जा रहा था वहां से वापस लौटने का कोई भी रास्ता उसे नजर नहीं आ रहा था,,,,, रोहन को इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि औरतों की बोर इतनी ज्यादा गर्म होती है इसलिए वह अपनी उंगली पर अपनी मां की बुर की गर्मी को महसूस करते हुए इतने ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि बार-बार अपने हाथ से अपने खड़े माटे लंड को दबा दे रहा था जो कि उसकी यह हरकत उसकी मां की नजरों से छिपी नहीं रही पाई और सुगंधा अपने बेटे की इस हरकत को देखकर मंद मंद मुस्कुराते हुए मदहोश हुए जा रही थी,,,,।
रोहानअब अपली मां की मालिस नहीं कर रहा था बल्कि अपनी मां के खूबसूरत अंगों के साथ खेल रहा था और उस का आनंद उठाते हुए वह उसी तरह से अपनी उंगली को जोर जोर से अपनी मां की बुर की गहराई में अंदर बाहर करते हुए कांपते स्वर में बोला,,,।
फिर क्या किया उस शैतान ने मम्मी,,,
( उत्तेजना के मारे सुगंधा का गला सूखता जा रहा था उसकी सांसें उखड़ रही थी अपने बेटे की हरकत की वजह से वह दो बार झड़ चुकी थी ना जाने कितने वर्षों के बाद उसने इस तरह का स्खंलन महसुस की थी।,,, उसका मन मोर बनकर नाच रहा था उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूट रही थी एक अजीब सी गुदगुदा हट वह अपने तन बदन में महसूस करके अपनी मदमस्त जवानी को वासना के झूले में झूला रही थी,,,,, एक बार फिर अपने बेटे की हरकत की वजह से गर्म आहें भरते हुए वह बोली,,,,।
रोहन उसने मेरे ब्लाउज को फाड़ दिया था उसकी आंखों के सामने मेरी बड़ी-बड़ी गोल-गोल चूचियां झूल रही थी जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो उसे अंधेरे में नजर नहीं आ रहा था लेकिन बिजली की चमक में उसे कुछ क्षण के लिए मेरा नंगा बदन दिख जा रहा था जिससे वह काफी उत्साहित और उत्तेजित नजर आ रहा था जो उसकी आंखों से साफ पता चल रहा था वह तो जैसे छोटे बच्चे की तरह मेरे दोनों बड़े बड़ी चुचियों पर टूट पड़ा और बारी बारी से उसको मुंह में लेकर जोर जोर से दबा दबा कर पीना शुरु कर दिया मुझे बहुत दर्द कर रहा था वह इतनी जोर जोर से दबा रहा था कि मेरे मुख से चीख निकल जा रही थी लेकिन वह मेरे दर्द की परवाह किए बिना ही अपनी मस्ती में मुझे ढूंढता रहा वह कुछ देर तक मेरी चुचियों से खेलता रहा मैं बार-बार पूरी कोशिश करके उससे छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह शैतान की ताकत वाला इंसान था उसकी ताकत के आगे एक भला औरत की ताकत की क्या बिसात मैं बार-बार उसे रहम की भीख मांगती रही लेकिन वह वासना में इतना अंधा हो चुका था कि मेरी चीख पुकार भी नहीं सुन रहा था बस वह अपने मनमानी करने पर तुला हुआ था कुछ देर बाद में उससे प्रतिकार करना भी छोड़ दी क्योंकि जितना मैं उससे प्रतिकार कर रही थी उतनी ही चोट और दर्द मुझे मिल रहा था वह कुछ देर तक ऐसे ही मेरी चूचियों से खेलता रहा,,,,।
अपनी मां की गरम बातें सुनकर रोहन गहरी गहरी सांसे ले रहा था उसके मुख से बार-बार गर्म आए निकल जा रही थी उसका तनबदन पूरा गर्म हो चुका था,,,,,, और सुगंधा भी मदहोश होते हुए बार-बार अपनी गांड को हल्के से ऊपर उठा दे रही थी,,,,,, यह सब देख कर रोहन की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वह गरम आहे भरता हुआ बोला,,,।
मम्मी तुम्हें तो बहुत दर्द हो रहा होगा मेरा तो सोच कर ही हालत खराब हो रही है कि कैसे उससे शैतान ने तुम्हारी बड़ी-बड़ी चुचियों को दबा दबा कर तुम्हें दर्द दिया होगा,,,( रोहन भी थोड़ा खुलता हुआ बोला,,,, )
हां बेटा उसने अपनी हरकत से मुझे बहुत दर्द दिया मैं बता नहीं सकती कि उस समय मुझे कितना दर्द झेलना पड़ रहा था लेकिन मैं मजबूर हो चुकी थी,,,,
इसके बाद उसने क्या किया मम्मी,,,?
( दोनों मां-बेटे को इस तरह की गंदी बातें करने में बहुत मजा आ रहा था उससे भी ज्यादा मजा आ रहा था और रोहन तो अपनी मां की रसीली बुर के साथ छेड़छाड़ करने में और उसका लुफ्त पूरी तरह से सुगंधा उठाते हुए मस्त हुए जा रही थी,,,, वह मदहोश भरी आहें भरते हुए बोली,,,,।
बेटा मुझे तो उस समय कुछ भी सूझ नहीं रहा था कि मैं क्या करूं मैं मजबूर थी उसकी अत्याचार सहने के लिए वह लगातार मेरी बड़ी बड़ी चूचियों से खेल रहा था और पागलों की तरह उसे मुंह में भरकर जूस ले रहा था कमर के ऊपर से तो मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन अभी भी मेरी इज्जत बचाने के लिए पेटीकोट मेरे तन पर पड़ा हुआ था लेकिन वो एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर धीरे धीरे मेरे पेटीकोट की डोरी को भी खोल दिया,,,,।,,( रोहन जैसे-जैसे अपनी मां की मस्त बातें सुन रहा था वैसे वैसे उस क्या असर उस पर बहुत ही बुरा प्रभाव पाड़ रहा था,, उत्तेजना के मारे रोहन अपनी मां की बुर के अंदर जोर-जोर से होली बाहर अंदर करता हुआ उसे उंगली से चोद रहा था और सुगंधा भी अपने बेटे की उंगली चोदन से इतनी मस्त हुए जा रही थी कि रह-रहकर बीच में उसके मुंह से गर्म सिसकारी छूट पड़ रही थी उसका पूरा बदन कसमसा रहा था वह अपनी उत्तेजना को दबाने में असमर्थ साबित हो रही थी,,,।) मुझे पूरा यकीन तोर पर लगने लगा था कि अब मेरी इज्जत कोई नहीं बचा सकता बरसों से जिस इज्जत को में बचा कर रखी थी आज उसे तान के हाथों लूटने वाली थी मैं अपनी आंखों को बंद कर दी थी वह धीरे-धीरे मेरी पेटीकोट भी मेरे बदन से उतार कर अलग कर दिया,,, वह मुझे उस अवस्था में देखकर एकदम पागलों की तरह जोर जोर से हंस रहा था और इधर उधर अपनी हथेली से मेरे बदन को नोच रहा था मैं अपनी आंखों को बंद कर ली थी क्योंकि मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है और मेरे सोचने के मुताबिक ही वह धीरे-धीरे अपने दोनों हाथों को मेरे चिकने पेट पर सहलाता हुआ,,, मेरी चड्डी के दोनों छोर को पकड़ लिया,,,
( अपनी मां की गरम बातों को सुनकर रोहन की सांसो की गति तेज चल रही थी और उतनी ही तेजी से उसकी उंगली अपनी मां की रसीली बुर के अंदर चल रही थी,,,,, उत्तेजना के मारे सुगंधा की भी सांसें उखड़ती चली जा रही थी सुगंधा को बहुत मजा आ रहा था बरसों के बाद लंड ना सही उंगली से जरूर उसकी बुर की चुदाई हो रही थी और वह तो मन ही मन इसी उम्मीद में थी कि उसका बेटा अपनी उंगली बाहर निकालकर अपना मोटा लंड ठुंस दे।,,, रोहन भी एकदम मदहोश हो चुका था अपनी मां की मदमस्त जवानी में पूरी तरह से खो गया था और अपनी उंगली को अपनी मां की रसीली गहरी बुर के अंदर डुबाता हुआ वह मदहोश शब्दों में बोला,,,,,
उसके बाद क्या हुआ मम्मी,,,,
( मदहोशी के आलम में बार-बार रोहन की आंखें बंद हो जा रही थी उसकी आंखों पर वासना का असर साफ झलक रहा था वह अपनी मां के अंदर अब एक मां नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवान औरत को देख रहा था जो कि बेहद प्यासी थी और उसकी प्यास बुझाने के लिए वह पूरी तरह से तत्पर था,,,,)
उसके बाद तो मुझे लगा बेटा कि अब मैं उसकी आंखों के सामने पूरी तरह से नंगी हो जाओगी और वैसे भी उसकी आंखों के सामने में लगभग नंगी ही हो चुकी थी,, बस उस नाजुक अंग को छुपाने के लिए अभी भी मेरे तन पर वह छोटी सी चड्डी मौजूद थी और उसी अंग के लिए वह पागल हुआ जा रहा था,,,,,
कौन से अंग को मम्मी मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं,,, ( रोहन जानबूझकर सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश करता हुआ बोला और उसकी यह बात सुनकर सुगंधा तुरंत घूम कर बेटे की तरफ आश्चर्य से देखते हुए लेकिन मुस्कुरा कर बोली,,,)
मुझे तू बुद्धू समझता है ?,,, क्या तुझे इतना भी नहीं पता कि औरत अपनी चड्डी के अंदर किस अंग को छुपा कर रखती है क्या यह भी तुझे बताना पड़ेगा,,,,,( यह कहते हुए सुगंधा अपने बेटे के चेहरे की तरफ देख रही थी जबकि उसका मन बहुत कर रहा था कि वह अपनी नजरे नीचे झुका कर अपनी मत मस्त बड़ी बड़ी गांड की तरफ देखें और यह देखें कि किस तरह से उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर बड़ी तेजी से पेल रहा है,,,, लेकिन ऐसा करने में उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका बेटा यह जान गया कि वह क्या देख रही है तो कहीं वह अपनी उंगली उसकी बुर में से निकाल ना ले और सारा मजा किरकिरा हो जाए,,,)
मैं सच कह रहा हूं मम्मी मुझे क्या पता की औरत अपनी चड्डी के अंदर कौन से अंग को छुपा कर रखती है मैं कभी देखा हूं क्या तुम्हें क्या लगता है कि किसी औरत ने मुझे अपने चड्डी के अंदर नजर डालने दी होगी मैं तुम्हें ऐसा वैसा लगता हूं कि इधर उधर नजर मारता फिरू मुझे सच में नहीं पता कि औरत अपनी चड्डी के अंदर कौन से हमको छुपा कर रखती है,,,। ( रोहन अपनी उंगली की रफ्तार कम किए बिना ही बोला लेकिन सुगंधा को इतना जरूर नजर आ रहा था कि जिस रफ्तार से अपनी उंगली को जोर जोर से बुर के अंदर बाहर कर रहा था उससे उसके पूरे बड़े बड़े नितंब किसी पानी भरे गुब्बारे की तरह हिल रहे थे और उसे देखकर सुगंधाको ऐसा ही लग रहा था कि जैसे पीछे से उसकी कोई चुदाई कर रहा हो सुगंधा को बहुत मजा आ रहा था और अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,,।)
,,, लेकिन तूने तो मुझे नंगी देख चुका है ना,,,,
फिर वही बात मैं कितनी बार तुमसे कहूं मम्मी कि मैं तुम्हें सिर्फ नंगी देख चुका हूं लेकिन तुम्हारी टांगों के बीच चड्डी के अंदर कौन सा अंग है इसके बारे में मुझे बिल्कुल भी नहीं पता वैसे भी मैं तुम्हें नंगी दूर से देखा हूं तुम्हारे अंग को नहीं देख पाया हूं,,,,
बाप रे इसका मतलब कितना जवान हट्टा कट्टा होने के बावजूद भी तो अभी तक एकदम नादान है दूसरे लड़के इस उमर में ना जाने क्या-क्या देखकर उसका उपयोग भी कर लेते हैं और तू है कि अभी उस अंग को देख भी नहीं पाया है,,,,,।
मम्मी अब मेरी किस्मत ऐसी कहां की कोई औरत अपना अंग दिखाकर उसका उपयोग करने दे,,,,
क्या कहा,,,,?
ककककक,, कुछ,,,,, नही,,,,, मम्मी,,,,,
( सुगंधा अपने बेटे की इस बात को सुनकर मंद मंद मुस्कुरा दी और रोहन अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,, )
क्या हुआ मम्मी उस शैतान ने अपने दोनों हाथों में तुम्हारी चड्डी पकड़कर क्या किया,,,,?
तू तो ऐसे पूछ रहा है जैसे तुझे कुछ मालूम ही नहीं अरे ओ मेरी चड्डी उतार कर मुझे नंगी कर पाता इससे पहले ही तू तो वहां कर उसके सर पर लकड़ा दे मारा और वह वहीं पर ढेर हो गया,,,,
अरे हां मैं तो भूल ही गया था कि जब मैं खंडहर के अंदर पहुंचा था तब वह आदमी तुम्हारी चड्डी उतार नहीं जा रहा था मुझे तो लगा था कि उसने तुम्हारी चुदाई भी कर दिया होगा,,,,,।
नहीं बेटा अच्छा हुआ था कि तू सही समय पर आ गया था वरना जैसा तू कह रहा है वैसा ही हो गया होता,,,,। लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आ रही है कि तू कहता है कि औरत की चड्डी के अंदर जो अंग होता है तो उसे नहीं देख पाया है तो तू यह कैसे कह रहा है कि वह आदमी मुझे चोद दिया होता इसका मतलब तुझे पता है कि एक आदमी औरत को कैसे चोदता है,,, (सुगंधा अपने बेटे को अपनी बातों में उलझाने की कोशिश करती हुई बोली,,,)
नहीं मम्मी मुझे नहीं मालूम यह सब कैसे होता है यह तो मैं अपने दोस्तों के मुंह से सुना इसलिए कह रहा हूं बाकी इस बारे में मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम है,,,,।
अच्छा जो तू कह रहा है अगर सच है तो धीरे-धीरे तुझे भी पता चल जाएगा कि एक आदमी औरत को कैसे चोदता है चल अब तू जल्दी-जल्दी मेरी मालिश कर मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,।
( इतना सुनते ही रोहन अपनी मां की बुर में से अपनी उंगली को वापस खींच लिया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि,, जिस तरह से वह अपनी उंगली को जोर जोर से अपनी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा है उसका एहसास उसकी मां को हुआ ना हो वह समझ गया कि उसकी मां जानबूझकर अनजान बनते हुए कुछ भी नहीं कह रही थी इसका मतलब साफ था कि उसकी मां को बहुत मजा आ रहा था और अगर वह अपनी उंगली की जगह उसकी बुर के अंदर अगर अपना लंड डाल कर उसकी चुदाई भी कर दे तो उसकी मां को मजा ही आएगा बल्कि वह बिल्कुल भी ऐतराज नहीं करेगी यह सोचकर वह मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,,,। और वह फिर से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को जोर से दबाते हुए मालिश करना शुरू कर दिया दूसरी तरफ सुगंधा का बुरा हाल था रह- रहकर उसकी बुर से ढेर सारा नमकीन पानी सैलाब की तरह फूट पड़ रहा था,,,,, देखते ही देखते वह तीन बार झड़ चुकी थी ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं हुआ था,,,।
दूसरी तरफ बादलों की गड़गड़ाहट से और तेज बारिश की फुहारों से कमरे के अंदर का माहौल एकदम मादक होते जा रहा था रोहन का बुरा हाल था एक खूबसूरत औरत बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी जिसकी मदमस्त गांड कि वह मालिश कर रहा था और वह उसके साथ कुछ भी कर सकता था लेकिन अभी भी रोहन इतना नहीं खुल पाया था कि बिना बोले अपनी मां के ऊपर चढ़ जाए और उसकी बुर में लंड डालकर उसकी चुदाई कर दे लेकिन जितना भी वह कर रहा था उससे उसे सुकून और संतुष्टि की प्राप्ति हो रही थी,,,,, देखते ही देखते सुगंधा की मदमस्त गोरी गोरी गाल एकदम लाल हो गई रोने जिस तरह से हिम्मत दिखाते हुए उंगली से अपनी मां की बुर की चुदाई किया था सुगंधा को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रोहन इस तरह की हरकत करेगा और ना ही रोहन अपने आप पर इतना विश्वास रखता था कि वह इस तरह की हरकत करके अपनी मां को और खुद आनंद देगा लेकिन वास्तविकता यही थी कि रोहन हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां की बुर के अंदर ना जाने कितने देर तक उंगली को अंदर-बाहर करता रहा जिससे उसका लव इस हालत में हो गया कि कभी भी विस्फोट हो सकता था कभी भी उसका लावा पिघल कर बाहर आ सकता था।