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Incest बदलते रिश्ते......

rohnny4545

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सुगंधा मालिश करवाने के लिए अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई..
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रोहन अपनी मां की मालिश करने के लिए एकदम तैयार हो गया..
..

रोहन मालिश करते करते सुगंधा की चूत से खेलने लगा..
 

rohnny4545

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7 अपनी मां की यह बात सुनकर रोहन एकदम दंग रह गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां क्या कह रही है लेकिन जो भी कह रही थी वह बिल्कुल सत्य था एक मां अपने बेटे को बुर दिखाने के लिए उससे पूछ रही थी लेकिन इसमें देखने से ज्यादा एक मां अपने बेटे को अपनी बुर दिखाने के लिए कुछ ज्यादा ही उत्सुक थी सुगंधा अपनी ही बात से एकदम मदहोश होने लगी अपने बेटे की आंखों में एक मां की बुर देखने की ललक साफ नजर आ रही थी वह सुगंधा से नजरें भी नहीं मिला पा रहा था वह नजरें झुका कर इधर-उधर नजरें फेर ले रहा था लेकिन वह अपनी हालत को छुपाने में नाकामयाब था जिसका पूरा विस्तृत विवरण उसके पजामे में छुपा हुआ उसका दमदार हथियार दे रहा था जो कि इस समय तनकर एकदम खड़ा था और पजामे में तंबू बनाए हुए था उस पर सुगंधा की नजर पड़ते ही उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुले ने पिचकने लगी,,,,, अपने बेटे के चेहरे पर छाई उदासी को देखकर एक बार सुगंधा फिर से मादक स्वर में बोली,,,,,,।

क्या हुआ शरमाओ मत मैं तुमसे ही पूछ रही हूं किसी गैर से नहीं पूछ रही हूं देखना चाहोगे मेरी बुर एक औरत की बुर कैसी एकदम दिन हसीन होती है,,,,, बोलो रोहन शरमाओ मत वैसे भी मैं तुम्हारी आंखों के सामने एकदम नंगी लेटी हुई हूं अगर शर्म करना होता तो तुम इस समय मेरे पास बैठकर मेरी गांड पर मालिश ना कर रहे होते,,,,,,, ( रोहन क्या कहता उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे वैसे तो खुद वह अपनी मां की बुर देखने के लिए ना जाने कबसे लगाई तथा भले ही वह अपनी मां की बुर के अंदर उंगली तक डाल चुका था लेकिन उसकी आकार को वह अपनी आंखों से नहीं देख पाया था इसलिए उसके मन में अपनी मां की बुर देखने की तड़प उठ रही थी लेकिन वह अपने मुंह से बोलने में शर्मा रहा था।)
मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम भी मेरी बुर को देखना चाहते हो और वैसे भी अगर एक औरत मर्द के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाए तो भले ही वह उसके दूसरे अंगों को घूर घूर कर देखते रहे लेकिन उसके मन में उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को देखने की जितनी ललक होती है वह ललक दूसरे अंगों को देखने में नहीं होती क्योंकि बुरे चीज ही ऐसी है,,,,। इसलिए बोल दो बेटा तुम मेरी बुर देखना चाहते हो कि नहीं,,,,।

( सुगंधा को बार-बार अपने मुंह से पूर्व शब्द बोलने में इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि उसकी बुर से लगातार तीव्र गति से पानी बह रहा था उसके बदन में आनंद की लहर दौड़ रही थी,,,, खास करके उसके बदन में उत्तेजना इसी बात से और ज्यादा बढ़ जाती थी कि वह यह बात खुद अपने बेटे से ही कह रही थी जो कि तिरछी नजरों से बार-बार उसकी तरफ देख ले रहा था रोहन भी क्या कहता बार-बार अपनी मां के द्वारा इस तरह से जोर देने पर वह अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,।)

मममम,,, मे देखना चाहता हूं,,,,,

क्या देखना चाहता है,,, (सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली)

तुम्हारी,,, बबबबबबब,,,,, ब,,,,,,

क्य़ा बबबबबबब लगाया है,,,, ठीक से बोल इतना शर्मा क्यों रहा है,,,,,,( सुगंधा मुस्कुराते हुए अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली रोहन की तो जैसे सांसे अटक गई थी उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मां इतनी ज्यादा रंडी पन दिखाएगी उसे तो यकीन नहीं हो रहा था कि सामने जो बिस्तर पर नंगी लेटी हुई है उसकी मां ही है या कोई और,,,, लेकिन जो भी हो रहा था उसमें रोहन को बहुत ज्यादा मजा आ रहा था वह अपनी मां की इस तरह की बेशर्मी को देखकर खुद शर्म की चादर ओढ़े बैठा था जो कि उसके समझ में आ गया था,,, कि शर्माने से काम चलने वाला नहीं है जब सामने से खुद रसगुल्ला मुंह में आने के लिए तड़प रहा है तो वह क्यों मुंह बंद करके रखे इसलिए वह भी बेशर्म बनते हुए तपाक से बोला,,।)

तुम्हारी बुर मैं तुम्हारी बुर देखना चाहता हूं मम्मी,,,,,।

यह हुई ना बात,,,, बेटा इस तरह से शर्माओगे तो जब शादी होगी तो सुहागरात के दिन क्या करोगे,,, (सुगंधा हंसते हुए बोली)

सुहागरात,,,, सुहागरात के दिन क्या होता है मम्मी,,, (रोहन अनजान बनता हुआ बोला)

सुहागरात के दिन आदमी अपनी औरत को चोदता है,,,,,।
( सुगंधा यह बात इतनी आराम से मंद मंद मुस्कुराते बोल रही थी लेकिन यही बात रोहन सुनकर और वह भी अपनी मां के मुंह से उसे इतना ज्यादा उत्तेजना का अनुभव और असर हो रहा था कि वहां समझ नहीं पा रहा था कि ऐसे हालात में क्या करें उसका लंड पजामा फाड़ कर बाहर आने की स्थिति में हो गया था,,, सुगंधा धीरे-धीरे एकदम बेशर्म बनते जा रही थी जैसे-जैसे रात और गहरातीे चली जा रही थी वैसे वैसे सुगंधा के अंदर से एक मा बाहर निकल रही थी और एक औरत उसके शरीर में प्रवेश कर रही थी जो की पूरी तरह से बेशर्म बनते जा रही थी सुगंधा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,।)

चलो अब सब बात छोड़ अब तू जल्दी से मेरी चूची की मालिश कर दे,,,, (और इतना कहते हुए वहां पलटकर पीठ के बल हो गई रोहन तो यह देखकर एकदम आवाक रह गया उसकी आंखों के सामने उसकी मां की नंगी बड़ी-बड़ी चूचियां खरबूजे की तरह तनी हुई थी इस उम्र में भी उसकी चूची में जरा सा भी लटकन नहीं था वह पूरी तरह से कसी हुई थी और एकदम सीना ताने जिसे देखते ही रोहन के मुंह में पानी आ गया और रोहन जैसे ही कुछ कहने को हुआ कि तभी उसकी मां बोली,,,,।)

देखो औरत का यह दूसरा अंग है जिस पर मर्द की नजर हमेशा गड़ी रहती है और जब यह चूचियां मेरे जैसी मतलब की,,, (इतना कहते हुए वह अपने दोनों हाथ को अपनी चूची पर रखते हुए,)
बड़ी बड़ी और गोल हो तो मर्द उसका दीवाना हो जाता है मर्द औरत का पूरी तरह से गुलाम हो जाता है,,,( इतना कहते हुए सुगंधा जानबूझकर अपने दोनों हथेली में अपनी बड़ी-बड़ी चूचियां को रखकर उसे जोर से दबा दी और यह देखकर रोहन की तो जान अटक गई उसका गला उत्तेजना के मारे सूखने लगा,,,। रोहन की नजर जैसे चुचियों पर से नीचे की तरफ जाने लगी वैसे ही सुगंधा अपनी दोनों टांगों को सिकुड़ कर अपनी रसीली पूर्व को छुपा ली और बोली,,,।

देख रोहन मैं तुझे औरत के उन अंगों को दिखा रही हूं जो औरत कभी भी अपने बेटे को नहीं दिखाती वह सिर्फ अपने पति और अपने प्रेमी को भी दिखाती है मैं तुझ पर भरोसा करके अपने एक-एक अंग को दिखा रही हूं सबसे पहले मैंने तुझे अपनी मदमस्त बड़ी-बड़ी गोरी गोरी गांड दिखाई जिसे देखकर तू अंदर ही अंदर मस्त होने लगा था और अब यह देख मेरी दोनों चूचियां (एक बार फिर से सुगंधा अपने दोनों हाथ को अपनी चूची पर रखते हुए बोली,,,) इसे देखकर जरूर तेरे मुंह में पानी आ गया होगा और हां मैं तुझे अपनी दूर भी दिखाऊंगी लेकिन अभी थोड़ा समय है सबसे पहले तू जाए जल्दी से मेरी दोनों चूचियों की मालिश कर दे क्योंकि इसमें बहुत दर्द हो रहा है कहीं ऐसा ना हो कि बातों ही बातों में यह रात गुजर जाए,,, चलजल्दी कर (इतना सुनते ही रोहन फिर से अब बिस्तर पर से खड़ा हुआ और अपनी मां की तरफ देखते हुए आगे बढ़ा आगे बढ़कर वह फिर से सरसों की कटोरी को उठा लिया और बिस्तर पर आकर बैठ गया,,,,
आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था चारों तरफ केवल तेज बारिश की आवाज के साथ साथ तेज चलती हवाओं का शोर गूंज रहा था ऐसे में सारा गांव नींद की आगोश में था लेकिन यहां पर मां बेटे की आंखों से नींद कोसों दूर भाग चुकी थी,,, सुगंधा पल पल अपने बेटे का उत्साह बढ़ा रही थी एक तरह से उसका दिशानिर्देश कर रही थी रोहन के पजामे में तंबू जबरदस्त तरीके से सर उठाए खड़ा था जिस पर रह-रहकर सुगंधा की निगाह चली जा रही थी और उस पजामे में बने बड़े से तंबू को देखकर उसकी बुर कचोरी की तरह फूल जा रही थी,,,। लेकिन सुगंधा अपनी दोनों टांगों को अपनी मोटी मोटी केले के तने के समान चिकनी जांघों को आपस में सटाकर अपनी रसीली मखमली बुर को अपने बेटे की नजर से छुपाए हुए थी,,।
उत्तेजना के मारे दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था बाहर से आ रही ठंडी हवा दोनों के बदन पर किसी भी प्रकार का शीतलता प्रदान नहीं कर पा रही थी क्योंकि पूरे कमरे को सुगंधा के खूबसूरत बदन और उसकी मदमस्त जवानी ने गर्म करके रखा हुआ था,,,,,

रोहन हाथ में सरसों के तेल की कटोरी लेकर बिस्तर पर नीचे पैर लटकाए बैठा हुआ था और उसकी मां अपनी नंगी जवानी की नुमाइश करते हुए बिस्तर पर मादक अदाएं बिखेरते हुए लेटी हुई थी वह रोहन की तरफ ही देख रही थी उसके होठों पर मादक मुस्कान तेरे रही थी उसके चेहरे पर वासना की लाली छाई हुई थी रोहन अपनी मां की बड़ी-बड़ी चुचियों को घूर रहा था,,,, सुगंधा की चूचियां ऐसे लग रही थी मानो की खेत में दो खरबूजे उग आए हो इस उम्र में भी जरा सा भी लचक उसकी चूची में नहीं थी अभी भी किसी जवान लड़की की तरह उसकी दोनों चूचियां सीना ताने मैदान में जमी हुई थी रोहन को तो अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह जो देखा है वह सच है सुगंधा की चूचियां ऐसी लग रही थी मानो किसी दो बड़े-बड़े गुब्बारे में पानी भर दिया गया हो और वह पानी के वजह से इधर-उधर लहरा रही है,,,,,।
रोहन की आंखों के सामने जैसे व्यंजन से भरी थाली रखी हो और उसमें पड़े दो बड़े-बड़े रसगुल्ले को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था उत्तेजना के मारे रोहन का गला सूखा जा रहा था वह बार-बार अपने गले को तर करने के लिए अपना थूक निगल रहा था,,, रोहन को इस तरह से आंखें फाड़े अपनी चुचियों को घूरता हुआ पाकर सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली,,,,,

ऐसे घूमता ही रहेगा कि इसकी मालिश भी करेगा,,,

हां हां करता हुं,,,, ( इतना कहकर रोहन कटोरी से सरसों के तेल की धार को अपनी मां की दोनों बड़ी-बड़ी चुचियों के बीच में गिराना शुरू कर दिया धीरे-धीरे वह अपनी मां की दोनों चुचियों के निप्पल पर सरसों के तेल की धार की राह मे लगा इससे सुगंधा के तन बदन में गुदगुदी सी हो रही थी वह कसमसा रही थी और जैसे-जैसे वह कसमसा रही थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां इधर-उधर गुब्बारे की तरह हिचकोले खा रही थी और कुछ ही देर बाद रोहन कटोरी को एक साइड में रख कर अपने दोनों हाथों में अपनी मां की दोनों बड़ी-बड़ी चुचियों को पकड़ कर जोर जोर से मसल ना शुरू कर दिया रोहन को इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत उसका लंड ऊतेजना के मारे फटने की स्थिति में हो गया था,,,,,,

रोहन की दोनों हथेलियों का कसाव और उसकी पकड़ देखकर सुगंधाको समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी चूचियों की मालिश नहीं कर रहा है बल्कि उन्हें जोर जोर से दबा रहा है जिससे उसे बहुत ही मज़ा आ रहा था साथ ही रोहन के तन बदन में भी आग लग रही थी,,,, अपनी मां की चौड़ी छाती को देखकर और उस पर लटक रहे दोनों गुब्बारों को देखकर रोहन की सांस ऊपर नीचे हो रही थी वह गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी मां की चुचियों को जोर जोर से दबा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथों में दशहरी आम आ गया हो और वह उसे दबा दबा कर उसके सारे रस को निचोड़ डालना चाह रहा है,,,,
लालटेन की रोशनी में सुगंधा की दोनों चुचियों पर सरसों के तेल लगने की वजह से वहां मोतियों की तरह चमक रही थी ,,, रोहन अपनी मां के दोनों दशहरी आमों को जोर जोर से दबा रहा था,,,, सुगंधा उत्तेजना एकदम मस्त होने लगी थी जिस तरह से रोहन अपनी मां की दोनों चुचियों को अपनी हथेली में जितना हो सकता था उतना भरकर दबा रहा था उससे सुगंधा सातवें आसमान पर उड़ रही उत्तेजना का थी वह अपनी उत्तेजना को दबा सकने में पूरी तरह से असमर्थ साबित हो रही थी और वह ना चाहते हुए भी अपने मुंह से गर्म सिसकारी छोड़ने लगी,, सिसकारी की आवाज सुनकर रोहन और ज्यादा मस्त होने लगा और वह जोर-जोर से अपनी मां की दोनों चूचियों को दबाना शुरू कर दिया वह भी अच्छी तरह से जान रहा था कि अब वह अपनी मां की चूची की मालिश नहीं बल्कि उन्हें दबा कर मजा ले रहा था रोहन का उत्साह बढ़ने लगा था वह अपनी मां के दोनों खरबूजो को अपने हाथ में पकड़ कर बोला,,,

अब कैसा लग रहा है मम्मी ?

सससहहहहहह,, आहहहहहहह (कसमसाते हुए ) बहुत अच्छा लग रहा है बेटा मुझे ऐसा लग रहा है कि आज इसका सारा दर्द दूर हो जाएगा बस ऐसे ही दबाता रह।,,,

रोहन को तो जैसे खुला दौर मिल गया था उसे पूरी तरह से छूट थी उससे गोरी गोरी मदमस्त कर देने वाली दूध से भरी हुई सूचियों के साथ खेलने के लिए इसलिए वह इस मौके का भरपूर फायदा उठाता हुआ उन्हें लगातार जोर जोर से दबाया जा रहा था सुगंधा इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि उसकी दोनों निप्पल चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी मानो कि जैसे कि छोटी उंगली हो,,,,, उस तनी हुई निप्पल को देखकर रोहन के मुंह में पानी आने लगा उसका मन लग जाने लगा जिस तरह से उसकी मां ने बताई थी कि उस शैतान ने उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर जी भर कर चूस रहा था उसी तरह से उसका मन कर रहा था कि अपनी मां की निप्पल को मुंह में लेकर उसे लॉलीपॉप की तरह चूसे,,, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन वह इतना ज्यादा ललचा गया था अपनी मां की दोनों चूचियों की कड़ी निप्पल को देखकर कि वह अपनी मां की तरफ देखा तो उसकी आंखें बंद थी और थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए अपने मुंह को अपनी मां की दोनों चूचियों की तरफ लेकर आया उसे वह मुंह में लेना चाहता था लेकिन एक अजीब सा डर उसके मन में था सुगंधा जब अपनी निप्पल पर गर्म गरम सांसो का एहसास की तो वह अपनी आंखें खोलकर देखी तो रोहन उसके ऊपर झुका हुआ था यह देखकर उसके तन बदन में आग लग गई वह भी यही सोच रही थी कि उसका बेटा उसकी दोनों चूचियों को मुंह में लेकर जी भर कर पी ले,,,,,, एक पल के लिए तो सुगंधा का मन किया कि वह अपने दोनों हाथों से अपने बेटे का सर पकड़ कर अपनी चूची पर दबाने उसे अपने सीने से लगा ले ताकि वह खुद जोर जोर से उसकी चूची को पीना शुरू कर दे लेकिन वह भी ऐसा नहीं कर पाई वह कुछ देर तक यूं ही अपने बेटे की तरफ देखती रही कि कब उसका बेटा उसकी दोनों निप्पलो को मुंह में लेकर चूसता है,,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया कुछ देर तक युं ही अपनी मां की दोनों निप्पल को नजदीक से देखता रहा,,,, और वापस अपना मुंह हटा लिया अपने बेटे की ईस हरकत पर सुगंधाको क्रोध तो जरूर आया लेकिन करती भी क्या वह अपना मन मसोसकर रह गई,,, लेकिन फिर भी निप्पल को मुंह में भरकर चूस करना चाहिए जिस तरह से वह दबा रहा था वह बेहद आनंददायक था इसलिए लगातार उसके मुख से सिसकारी की आवाज निकलने लगी अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रोहन बोला,,,,।

मम्मी तुम्हें कहीं उस दिन की तरह दर्द तो नहीं हो रहा है जो इस तरह से आवाजें निकाल रही हो,,,

नहीं रे बिलकुल भी दर्द नहीं हो रहा है मुझे तो ना जाने क्यों बहुत मजा आ रहा है,,,, (सुगंधा उसी तरह से आंखें बंद किए हुए ही बोली,,,,)


 

rohnny4545

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तो जब वह आदमी तुम्हारी दोनों चुचियों को जोर जोर से दबा रहा था तो तुम्हें दर्द क्यों हो रहा था आज की तरह मजा क्यों नहीं आ रहा था,,,,( रोहन जानबूझकर अपनी मां के दोनों खरबूजो को जोर-जोर से दबाता हुआ बोला,,,।)

क्योंकि वह शैतान था और मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था इसलिए मुझे दर्द कर रहा था और तू है कि मेरा दर्द मिटाने के लिए मेरी चूचियों को दबा रहा है इसलिए मुझे मजा आ रहा है अब समझ में आया कि नहीं,, ?

हां मम्मी मुझे अच्छी तरह से समझ में आ गया है लेकिन मम्मी मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही कि जब मैं तुम्हारी चूचियों को दबाना शुरू किया था तो तुम्हारी यह निप्पल बहुत छोटी सी थी लेकिन अब देखो आधी उंगली के बराबर हो गई है ऐसा क्यों,,,?( रोहन आश्चर्य जताते हुए बोला,,,,।)

देख रोहन तेरा सवाल थोड़ा अटपटा है लेकिन मैं इसका जवाब जरूर दूंगी (मुस्कुराते हुए,,,) तुझे शायद यह बात बिल्कुल भी नहीं मालूम कि जब कोई मर्द औरत के बड़े-बड़े चुचियों को दबाता है उसे मचलता है तो औरत को इसमें बहुत ही ज्यादा मजा आता है उसे आनंद की अनुभूति होती है और सूचियों में रक्त का प्रभाव बड़ी तेजी से होने लगता है जिसकी वजह से आनंद की अनुभूति करके औरतों के निप्पल एकदम खड़ी होकर एकदम आधी उंगली के बराबर हो जाती है जब कभी भी औरत की निप्पल इस तरह से टाइट हो जाए तो समझ जाना चाहिए कि औरत को मजा आ रहा है,,,,,

इसका मतलब मम्मी तुम्हें भी बहुत मजा आ रहा है,,,,( रोहन मुस्कुराते हुए बोला और उसको इस तरह से मुस्कुराता हुआ देखकर सुगंधा के तन बदन में गुदगुदी होने लगी और वह बोली,,,।

बोल तो तू ऐसे रहा है जैसे तुझे मजा नहीं आ रहा,, है।
( अपनी मां की बात सुनते ही रोहन एकदम से झेंप गया और वह हक लाते हुए बोला,,,)
ननन नही,, नही,,, मम्मी ऐसी कोई भी बात नहीं है ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो बस आपकी मालिश कर रहा हूं इसमें मुझे क्या मजा मिल रहा है,,,,।

देख बेटा रोहन मैं तेरी मां हूं और उससे पहले एक औरत हूं,,, और एक मर्द को औरत से बेहतर कोई नहीं समझ सकता मैं तेरी हालत को देख कर अच्छी तरह से बता सकती हूं कि तुझे भी मजा आ रहा है वरना ठंडे मौसम में तेरे माथे से टपके पसीना ना टपक रहा होता,,,,,

मम्मी,,,,, ( रोहन के मुंह से शर्म के मारे सिर्फ इतना ही निकल पाया था कि सुगंधा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)

कोई बात नहीं रोहन ये तो बिल्कुल सामान्य है अक्सर मर्दों के साथ ऐसा होता रहता है मात्र औरतों का स्पर्श अगर मर्द को मिल जाए तो मर्द वैसे ही गर्म हो जाता है और तू तो,,, एक औरत को मतलब कि अपनी ही मां को एकदम नंगी करके उसकी चुचियों को जोर जोर से मसल रहा है तो तेरी हालत क्या होती होगी मैं अच्छी तरह से समझ रही हूं,,, (अपनी मां के मुंह से इस तरह की बात सुनकर रोहन हल्के से मुस्कुरा दिया,,,, )
वैसे भी जिस तरह से मजा पाकर तेरे शरीर में बदलाव आना शुरू हो गया है उसी तरह से जब एक औरत को मजा आता है तो उसके शरीर में भी काफी बदलाव होते हैं जिसमें से एक बदलाव के बारे में तो तू अच्छी तरह से समझ भी गया (अपनी निप्पल की तरफ इशारा करके,,,।) बाकी के बदलाव तू धीरे-धीरे समझ जाएगा,,,,

दोनों मां-बेटे को बहुत मजा आ रहा था रोहन तो एकदम मस्त होकर अपनी मां की चूची को ऐसे दबा रहा था जैसे दशहरी आम हो उत्तेजना के मारे सुगंधा की दोनों चूचियां भी एकदम खरबूजे की तरह गोल और कड़क होती जा रही थी सुगंधा कसमसा रही थी जवानी तूफान की तरह सुगंधा के बदन में हिचकोले खा रही थी रह रह कर सुगंधा इतनी ज्यादा उत्तेजित हो जा रही थी कि अपनी कमर को ऊपर की तरफ मार दे रही थी जिससे एक गजब का वातावरण बन जा रहा था,,,
कुछ देर तक यूं ही रोहन अपनी मां की दोनों चुचियों को दबा दबा कर अपने लंड पर कहर ढाता रहा उसे अपने लंड पर दया आ रही थी लेकिन कर भी क्या सकता था,,,,,, रोहन अपनी मां की रसीली मखमली कचोरी जैसी फूली हुई गुरु को देखना चाहता था उसके दर्शन करना चाहता था उसकी बनावट को अपने उंगलियों से छूकर महसूस करना चाहता था वही देखना चाहता था कि औरत की बुर में ऐसा क्या होता है जिसके पीछे सारे मर्द पागल हो जाते हैं जैसा कि उसने अभी तक ठीक से बुर के दर्शन भी नहीं किए थे वह ईतना तड़प रहा था उसे देखने के लिए,,,,।
हालांकि यह तड़प दोनों तरफ से थी रोहन जितना तड़प रहा था अपनी मां के बुर के दर्शन करने के लिए,,, उससे कई ज्यादा गुना उत्सुक सुगंधा थी अपनी रसीली बुर को अपने बेटे को दिखाने के लिए क्योंकि उसकी जिंदगी का आज यह दूसरा मौका था जब वह किसी पराए मर्द को अपनी बुर के दर्शन कराने जा रही थी,, पहले इससे पहले वह केवल अपने पति को ही अपनी बुर के दर्शन कर आई थी हालांकि उसने खुद साड़ी उठाकर यार कपड़े उतार कर अपनी नंगी जवानी को अपने पति के सामने परोसी नहीं थी बल्कि उसका पति खुद एक-एक करके उसके कपड़े उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी करके जी भर के उसकी रसीली कुंवारी बुर के दर्शन किया था और यहां पर मामला कुछ उल्टा ही था यहां खुद सुगंधा अपनी बुर को दिखाने के लिए तैयार थी,,,,,
रोहन बार-बार अपनी मां की चूची को मसलते हुए अपनी मां की मोटी चिकनी जांघों की तरफ देख ले रहा था कि कब वह अपनी जांघै खोलकर उसे बुर के दर्शन कराए लेकिन सुगंधा जैसे कि उसे अभी और तड़पाने के इरादे से अपनी दोनों टांगों को आपस में भींच कर रखी हुई थी,,,, जिससे रोहन को केवल कमर के नीचे जहां से जांघो का विस्तार शुरू होता है वहां केवल दोनों तरफ से लकीर भर दिखाई दे रही थी मानो कि किसी फिल्म से पहले उसके ऊपर पर्दा लगा हो और दर्शक उस पर देके उठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हो ठीक उसी तरह का नजारा रोहन की आंखों के सामने था,,,, सुगंधा को अपने बेटे की आंखों में उसकी बुर के दर्शन करने की चमक साफ दिखाई दे रही थी रोहन लालायित हुए जा रहा था ,,, सुगंधा अपनी एक नजर अपने दोनों बड़े-बड़े खरबुजों की तरफ डाली तो शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसके बेटे ने उसे दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया था और उसका आकार भी बढ़ चुका था,,,, सुगंधा अपने बेटे के मर्दाना हाथों के जादू को देखकर एकदम प्रभावित हो गई वह मन ही मन सोचने लगी कि जब यह दोनों सूचियों से इस तरह से खेल रहा है तो उसकी बुर का क्या हाल करेगा यह सोचकर ही उसका तनबदन उत्तेजना के मारे कसमस आने लगा अब इससे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था वह जल्द से जल्द अपनी बुर के दर्शन अपने बेटे को करा देना चाहती थी ताकि वह उसकी बुर को देखकर एकदम से उसका गुलाम बन जाए और वही करें जो वो चाहती है,,,, इसलिए वह खुद बेसब्र होकर अपने बेटे से बोली,,,।

देख रोहन अब मैं तुझे औरत की सबसे खूबसूरत और अनमोल चीज दिखाती हूं जिसे वह हमेशा छुपा कर रखती है केवल अपने पति या प्रेमी को भी दिखाती है लेकिन मैं आज तुझे दिखाने जा रही हूं क्योंकि मुझे तुझ पर भरोसा है,,, ।
(इतना सुनते ही रोहन का तन बदन गुदगुदाने लगा,,, पल भर में ही रोहन के लंड की नसें और ज्यादा फूलने लगी,,, सुगंधा अपने बेटे के चेहरे पर बदले हुए भाव को देखकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी और वह अपने बेटे को और ज्यादा तड़पाने के उद्देश्य से बोली,,,,।)

लगता है तू औरत के उस अनमोल खजाने को देखना नहीं चाहता इसलिए कुछ बोल नहीं रहा है तो रहने दे नहीं दिखाती हूं (इतना सुनते ही रोहन तपाक से बोला,,,)

नहीं नहीं मम्मी ऐसी कोई भी बात नहीं है मैं,,, मैं,,,, ववव मैं तुम्हारी वह देखना चाहता,,हुं,,,

वह,,, क्या देखना चाहता है। ? जरा खुल कर बोल अफसर माली से कोई फायदा नहीं है जो देखना है बोल दे कि तू क्या देखना चाहता हैं,,,,,?

मम्मी मैं तुम्हारी बबबबबब,,,, बुर देखना चाहता हूं,,, (रोहन हक लाते हुए बोला,,,।)

यह हुई ना बात ऐसे ही थोड़ा मर्दानगी दिखाते हुए बोला कर दो एक औरत को दिखाने में मजा भी आएगा,,,,।

रोहन अपनी मां की बात को ध्यान से सुन रहा था लेकिन उसका ध्यान उसकी बातों में नहीं बल्कि अपनी मां की मोटी मोटी चिकनी गोरी जागो को देखने में लगा हुआ था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रोहन को बेसब्री से अगले पल का इंतजार था क्योंकि किसी भी पल उसकी मां अपनी दोनों टांगों को फैलाने वाली थी और उसके बाद जो नजारा उसे दिखने वाला था उसके बारे में सोच कर उसे डर लग रहा था कि कहीं उस नजारे को देखकर उसकी सांसे ना थम जाए,,,, हालांकि अभी भी रोहन अपनी मां के दोनों कबूतरों से खेल रहा था जो कि इस समय मालिश की वजह से लाल टमाटर की तरह हो गए थे और उसकी निप्पल एकदम भूरे रंग की जो कि ईस समय छोटी सी चॉकलेट की तरह लग रही थी,,,।
सुगंधा के भी दिल की धड़कनें तेज चल रही थी क्योंकि उसके मन में भी अजीब अजीब से ख्यालात आ रहे थे क्योंकि किसी के सामने उसने आज तक अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम निर्वस्त्र अवस्था में नंगी नहीं लेटी थी,, और आज वह अपने ही बेटे के सामने एकदम नंगी होकर लेटी थी और उसे अपनी रसभरी रसीली बुर दिखाने जा रही थी,,,,।

तू रोहन अपने आप को संभाल कर रखना कहीं अगला नजारा देखकर तेरी सांसे ना रुक जाए क्योंकि ऐसा मौका मर्दों की जिंदगी में बहुत ही कम आता है जब कोई गैर औरत उसे इस तरह से नंगी होकर अपनी बुर दिखाती है इसलिए कह रही हूं कि तू अपना दिल थाम कर रखना अपने होश संभाल कर रखना कहीं ऐसा ना हो कि अगला नजारा देखते ही तेरी सांसे रुक जाए और,,, तो किसी मूर्ति की तरह पत्थर हो जाए,, तू तैयार तो है ना अगला नजारा देखने के लिए,,,( रोहन अपनी मां की बात सुनकर बोला कुछ नहीं बस हां ने सिर हिला दिया और इसके बाद सुगंधा धीरे-धीरे अपनी दोनों मखमली चिकनी मोटी मोटी जांघों को खोलने लगी,,,, सुगंधा जानबूझकर बहुत ही आहिस्ता आहिस्ता अपनी टांगों को खोल रही थी और जैसे-जैसे सुगंधा की टांगे खुल रही थी वैसे-वैसे रोहन की दिल की धड़कन तेज होती चली जा रही थी और कुछ देर बाद ही रोहन की आंखों के सामने उसकी खूबसूरत मां की रसीदी चिकनी कचोरी जैसी पूरी हुई और मखमली बालों से सुसज्जित दूर नजर आने लगी जिसको देखकर ही रोहन की आंखों में चमक आ गई आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,,,।

रोहन को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां से क्या कहें और कैसे कहे क्योंकि जिस तरह का नजारा उसकी आंखों के सामने था उसे देखकर उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,,,, रोहन को सब कुछ एकदम साफ नजर आ रहा था जिंदगी में पहली बार हुआ किसी औरत की और वह भी किसी और की नहीं बल्कि अपनी ही मां की रसीली बुर को इतने नजदीक से देख रहा था उसकी बनावट को देख रहा था उसके आकार को देखकर उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना ना था उसे सच में समझ में नहीं आ रहा था कि औरत की टांगों के बीच इतनी खूबसूरत और हसीन चीज होती है,,,,,
सुगंधा अपने बेटे की हालत को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि एक जवान होते लड़के की क्या हालत होती है जब कोई औरत इस तरह से नंगी होकर अपनी रसीली पूर्व उसकी आंखों के सामने धर दे और वही हालत उसके बेटे की हो रही थी उसका मुंह खुला का खुला रह गया था आंखें फटी की फटी रह गई थी और सुगंधा अपने बेटे के पजामे में साफ देख पा रही थी कि उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था और पजामे में तंबू बना दिया था,,,,,

सुगंधा एकदम बेशर्म की तरह अपनी दोनों टांगें फैलाई बिस्तर पर लेटी हुई थी और कभी अपनी बुर की तरफ तो कभी अपने बेटे की तरफ देख ले रही थी जो कि इस समय पूरी तरह से सदमे में था कुछ देर तक यूं ही कमरे में खामोशी छाई रही सुगंधा खुद खामोशी को दूर करते हुए बोली,,,,,,।

क्या हुआ ऐसे आश्चर्य से क्या देख रहा है मैं कहती थी ना अगला नजारा देखेगा तो तू अपने होश खो देगा,,, कैसी लगी तुझे मेरी बुर,,,,( सुगंधा यह शब्द बेहद ही मादकता भरे अंदाज मे बोली,,, और रोहन अपनी मां का कामुक रूप और उसकी मादक अदा देखकर चारों खाने चित हो गया वह पूरी तरह से अपनी मां का गुलाम हो गया वो कुछ बोल नहीं रहा था बस कभी अपनी मां की तरफ तो कभी अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देख रहा था सुगंधा वह क्या चाह रहा यह बात वह अच्छी तरह से समझ गई और अपने बेटे से बोली,,,,।

देख ले तू जी भर कर देख ले और तू चाहे तो इसे छू कर भी देख सकता है क्योंकि वैसे भी तुझे इस पर मालिश करना है ना जाने क्यों इसमें खुजली जैसी महसूस हो रही है,,,,।( रोहन तो अपनी मां की यह बात सुनते ही जैसे उसे मुंह मांगी मुराद मिल गई हो वह तो हवा में उड़ने लगा उत्तेजना से उसका बदन अकड़ने लगा,, क्योंकि जो बात उसकी मां कह रही थी उसमें रोहन को बेहद आनंद मिलने वाला था उसकी मनोकामना पूरी होने वाली थी आज वह एक रसीली खूबसूरत बुर को हाथों से छूने वाला था उसे स्पर्श करने वाला था,,,, उसे अपने हाथों से मसलने वाला था हालांकि कुछ देर पहले वह अपनी मां की रसीली बुर के अंदर बराबर का उंगली पेल चुका था लेकिन अपनी मां की बूर को देख नहीं पाया था और अब वह अपनी मां के बेशकीमती खजाने को देखते हुए उसके अंदर उंगली डालकर उसका मजा ले पाएगा अगर किस्मत अच्छी हुई तो,,, सुगंधा की रसीली फूली हुई बुर एकदम साफ नजर आ रही थी सुगंधा अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी मदमस्त कचोरी जैसी फूली हुई बुर के दर्शन रोहन को करा रही थी और वह आंखे फाडे अपनी मां की मदमस्त लीला को देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था।
रोहन अपनी मां की रसीली फूली हुई बुर को छूने के लिए तड़प रहा था। लेकिन अब उसे अपनी इच्छा पूरी करने में किसी प्रकार की दिक्कत नजर नहीं आ रही थी क्योंकि उसकी मां खुद उसे अपनी बुर छु़ने की इजाजत उसे दे दी थी इसलिए रोहन एक पल भी गवाए बिना तुरंत बिस्तर पर से उठा और टेबल पर से सरसों की तेल की शीशी को अपने हाथों में ले लिया,,,,, सुगंधा अपने बेटे को सरसों की तेल की बोतल उठाते हुए देखा कर मन ही मन कसमसा रही थी क्योंकि उसे पता था कि अब उसके बेटे की उंगलियां उसकी रसीली बुर पर शिरकत करेंगी अपना नृत्य करेंगी उसे अपना असर दिखाएंगे जिससे वह पूरी तरह से मदहोश हो जाएगी,,, आने वाले कल के बारे में सोच कर के तन बदन में हलचल सी होने लगी थी उसका मन गुदगुदाने लगा था,
सुगंधा सुगंधा को साफ साफ नजर आ रहा था कि जवानी के जोश में उसके बेटे के माथे पर से इसे ठंडे मौसम में भी पसीना टपक रहा था जिसे देखकर वह और ज्यादा मस्त होने लगी उसके बदन पर गंजी पसीने की वजह से चिपक सी गई थी,, तभी उसके मन में अपने बेटे की नंगी चोरी छातियों को देखने की इच्छा जागरुक होने लगी और अपनी इस लालच को रोक नहीं पाए और वह अपने बेटे से बोली,,,।

बेटा यह क्या इतनी ठंडे मौसम में भी तेरे बदन से पसीना टपक रहा है तेरी बनियान पूरी तरह से पसीने में भीग गई है ऐसा कर इसे उतार दें रोहन अपनी मां की बात को सुनते हुए लगातार सुगंधा के खूबसूरत बदन पर नजर गाढ़े हुए था कभी वह अपनी मां की दोनों लटकती हुई खरबूजे जैसी चूचियों को देखता तो कभी टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर मस्त हुए जा रहा था और वह तुरंत अपनी मां की बात को मानते हुए अपनी बनियान उतार फेंका सुगंधा तो अपने बेटे की जवान मर्दाना चौड़ी छाती को देखकर एकदम मस्त होने लगी और उसकी बुर उत्तेजना के मारे कुल बुलाने लगी,,,

 

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क्या हुआ ऐसे आश्चर्य से क्या देख रहा है मैं कहती थी ना अगला नजारा देखेगा तो तू अपने होश खो देगा,,, कैसी लगी तुझे मेरी बुर,,,,( सुगंधा यह शब्द बेहद ही मादकता भरे अंदाज मे बोली,,, और रोहन अपनी मां का कामुक रूप और उसकी मादक अदा देखकर चारों खाने चित हो गया वह पूरी तरह से अपनी मां का गुलाम हो गया वो कुछ बोल नहीं रहा था बस कभी अपनी मां की तरफ तो कभी अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देख रहा था सुगंधा वह क्या चाह रहा यह बात वह अच्छी तरह से समझ गई और अपने बेटे से बोली,,,,।

देख ले तू जी भर कर देख ले और तू चाहे तो इसे छू कर भी देख सकता है क्योंकि वैसे भी तुझे इस पर मालिश करना है ना जाने क्यों इसमें खुजली जैसी महसूस हो रही है,,,,।( रोहन तो अपनी मां की यह बात सुनते ही जैसे उसे मुंह मांगी मुराद मिल गई हो वह तो हवा में उड़ने लगा उत्तेजना से उसका बदन अकड़ने लगा,, क्योंकि जो बात उसकी मां कह रही थी उसमें रोहन को बेहद आनंद मिलने वाला था उसकी मनोकामना पूरी होने वाली थी आज वह एक रसीली खूबसूरत बुर को हाथों से छूने वाला था उसे स्पर्श करने वाला था,,,, उसे अपने हाथों से मसलने वाला था हालांकि कुछ देर पहले वह अपनी मां की रसीली बुर के अंदर बराबर का उंगली पेल चुका था लेकिन अपनी मां की बूर को देख नहीं पाया था और अब वह अपनी मां के बेशकीमती खजाने को देखते हुए उसके अंदर उंगली डालकर उसका मजा ले पाएगा अगर किस्मत अच्छी हुई तो,,, सुगंधा की रसीली फूली हुई बुर एकदम साफ नजर आ रही थी सुगंधा अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी मदमस्त कचोरी जैसी फूली हुई बुर के दर्शन रोहन को करा रही थी और वह आंखे फाडे अपनी मां की मदमस्त लीला को देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था।
रोहन अपनी मां की रसीली फूली हुई बुर को छूने के लिए तड़प रहा था। लेकिन अब उसे अपनी इच्छा पूरी करने में किसी प्रकार की दिक्कत नजर नहीं आ रही थी क्योंकि उसकी मां खुद उसे अपनी बुर छु़ने की इजाजत उसे दे दी थी इसलिए रोहन एक पल भी गवाए बिना तुरंत बिस्तर पर से उठा और टेबल पर से सरसों की तेल की शीशी को अपने हाथों में ले लिया,,,,, सुगंधा अपने बेटे को सरसों की तेल की बोतल उठाते हुए देखा कर मन ही मन कसमसा रही थी क्योंकि उसे पता था कि अब उसके बेटे की उंगलियां उसकी रसीली बुर पर शिरकत करेंगी अपना नृत्य करेंगी उसे अपना असर दिखाएंगे जिससे वह पूरी तरह से मदहोश हो जाएगी,,, आने वाले कल के बारे में सोच कर के तन बदन में हलचल सी होने लगी थी उसका मन गुदगुदाने लगा था,
सुगंधा सुगंधा को साफ साफ नजर आ रहा था कि जवानी के जोश में उसके बेटे के माथे पर से इसे ठंडे मौसम में भी पसीना टपक रहा था जिसे देखकर वह और ज्यादा मस्त होने लगी उसके बदन पर गंजी पसीने की वजह से चिपक सी गई थी,, तभी उसके मन में अपने बेटे की नंगी चोरी छातियों को देखने की इच्छा जागरुक होने लगी और अपनी इस लालच को रोक नहीं पाए और वह अपने बेटे से बोली,,,।

बेटा यह क्या इतनी ठंडे मौसम में भी तेरे बदन से पसीना टपक रहा है तेरी बनियान पूरी तरह से पसीने में भीग गई है ऐसा कर इसे उतार दें रोहन अपनी मां की बात को सुनते हुए लगातार सुगंधा के खूबसूरत बदन पर नजर गाढ़े हुए था कभी वह अपनी मां की दोनों लटकती हुई खरबूजे जैसी चूचियों को देखता तो कभी टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर मस्त हुए जा रहा था और वह तुरंत अपनी मां की बात को मानते हुए अपनी बनियान उतार फेंका सुगंधा तो अपने बेटे की जवान मर्दाना चौड़ी छाती को देखकर एकदम मस्त होने लगी और उसकी बुर उत्तेजना के मारे कुल बुलाने लगी,,,
 

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ऐसी ठण्ड में रोहन भाई ही गर्मीं पैदा कर सकते है. . . Nice update
 
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