कुछ देर तक यूं ही चलता रहा रोहन अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से मसल तरह चलता रहा और उसका भरपूर आनंद उसकी मां उठाती रही लेकिन एक कसक बार-बार उसके मन में हो रही थी कि रोहन वाकई में बहुत बुद्धू लड़का है क्योंकि स्वादिष्ट व्यंजन परोस कर रखने के बावजूद भी वह स्वादिष्ट व्यंजन से भरी थाली को हाथ तक नहीं लगा रहा है दूसरा कोई होता तो ना जाने कबसे चट कर गया होता,,,,।
रोहन भी बार-बार खुद अपने आप को ही कोस रहा था,, क्योंकि औरत के किस अंग को छूने के लिए उसे महसूस करने के लिए उसमें अपना मोटा लंड डालकर उसको चोदने के लिए तड़प रहा था उस अंग को वह आज अपने हाथों से टटोलभर पाया था उसने अपनी उंगली डालकर उसकी गर्मी को महसूस कर भर पाया था लेकिन अभी तक उसने बुर के दर्शन नहीं कर पाया था,,, वह अपनी मां की रसीली पुर के दर्शन करना चाहता था उसे अपनी आंखों से देखना चाहता था उसकी बनावट को देखना चाहता था लेकिन लालटेन की रोशनी इतनी कम थी कि उस रोशनी में उसे अपनी मां की रसीली मखमली बुर नजर नहीं आ रहे थे एक पल के लिए तो वह मन में ठान लिया कि खुद जाकर लालटेन की रोशनी को बढ़ा दे लेकिन ऐसे करने में उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,,
आधी रात का समय गुजर गया था लेकिन अभी भी सुगंधाको उसकी मन की मुराद नहीं मिल पाई थी और ना ही रोहन की मंशा पूरी हो पाई थी,,,, दोनों की मंजिल एक थी दोनों को चलना एक साथ था लेकिन मंजिल अभी भी काफी दूर थी कब पहुंचा जाएगा यह दोनों को नहीं पता था रास्ते बेहद उबड़ खाबड़ थे लेकिन दोनों को मजा आ रहा था,,,,,, वह कहते हैं ना कि मंजिल से ज्यादा मजा सफर का आता है ठीक वैसा ही दोनों के साथ हो रहा था दोनों को मंजिल पर पहुंचने की जल्दबाजी थी,,, लेकिन दोनों इस सफर का भरपूर लुफ्त उठा रहे थे दोनों को यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा कि दोनों इस तरह से बिस्तर पर होंगे सुगंधा को बार-बार यह सोचकर शर्म भी आ रही थी लेकिन जो आनंद उसे मिल रहा था उसको वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर सकती थी,,,। धीरे-धीरे रात गुजर रही थी उसे इस बात का डर भी था कि कहीं ऐसे ही देखते ही देखते यह रात न गुजर जाए और सुबह हो जाए वह जो कुछ भी करना चाहती थी आज की ही रात को करना चाहती थी अब उसे ही कोई जुगाड़ लगाना क्योंकि वह समझ गई थी कि उसका बेटा एकदम बुद्धू है जो काम से दिया जाएगा उसी में वह तल्लीन हो जाएगा उससे ज्यादा करने की हिम्मत उसमें नहीं है हालांकि थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए उसने अपनी उंगली से जो उसकी बुर की चुदाई की थी वह काबिले तारीफ की लेकिन वह इससे भी ज्यादा चाहती थी इससे भी ज्यादा की उम्मीद लगाकर बैठी थी वह चाहती थी कि उसकी बुर के अंदर उसके बेटे की उंगली नहीं बल्कि उसका मोटा तगड़ा लंड हो जिसको महसूस करके वह पहले ही धक्के में पानी पानी हो जाना चाहती थी कुछ देर तक कमरे में पूरी तरह से खामोशी छा गई केवल सुगंधा की गरम आहे गूंज रही थी,,, और रह-रहकर रोहन अपनी मां की गांड को मसल ता हुआ शिशक जा रहा था,,,,,,
सुगंधा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी और वह अपने बेटे से बोली,,,,,।
बेटा उस जालिम ने मेरी दोनों चुचियों को इतनी जोर जोर से मसल कर रगड़ा था कि अभी तक इस में दर्द होता है लगे हाथ तो इससे भी अपने हाथों का जादू दिखा कर इसका दर्द दूर कर दे मैं तो इस दर्द से परेशान हो गई हूं,,,,,।
( अपनी मां की यह बात सुनते ही रोहन के मुंह से गर्म सिसकारी छूट पड़ी क्योंकि वह चुचियों पर मालिश करने का मतलब अच्छी तरह से जानता था इसका मतलब था आनंद ही आनंद जबरदस्त माहौल बनता नजर आ रहा था सुगंधा ने पूरी बाजी पलट दी थी क्योंकि रोहन अच्छी तरह से जानता था कि चुचियों पर तेल की मालिश करने के लिए उसे पीठ के बल लेटना होगा और ऐसा करने पर वह अपनी मां की खूबसूरत दोनों खरबूजो के साथ-साथ टांगों के बीच छुपी हुई लहसुन की कली को भी आराम से देख पाएगा उसका मन गुदगुदा ने लगा और साथ ही उसका लंड एकदम कड़क हो गया,,,,। , उसे अभी भी अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था अपनी मां की तरफ से मिले इस आमंत्रण को पूरी तरह से परखने के लिए वह बोला,,,,
मम्मी तुम क्या बोली मैं ठीक से सुना नहीं फिर से कहो तो,,,,
बेटा मैं कह रही हूं कि उस जालिम ने इतनी जोर जोर से मेरी चूचियों को दबाया था मसला था कि मुझे अभी तक इस में दर्द होता है तु जरा इस पर भी मालिश करके अपने हाथों का जादू दिखाओ और उसमें से भी दर्द दूर कर दे मैं बहुत परेशान हो गई हूं इस दर्द से,,,,, ( सुगंधा जानबूझकर दर्द से कराहते हुए बोली)
क्या,,, चचचचचचच,,,,, चुची पर मालीश,,,,,, क्या कह रही हो मम्मी,,,,,
( चूची शब्द कहते हुए जिस तरह से रोहन हकलाया था उसे देखकर सुगंधा की हंसी छूट गई और वह हंसते हुए बोली,,,)
तो इसमें क्या हुआ रोहन तेरे से मैं अपनी गांड पर मालिश तो करवा ही चुकी हूं चूची पर करवाने में कैसी शर्म तु शायद नहीं जानता,, औरत के बदन में उसके तीन अंग बेहद अनमोल और गुप्त होते हैं जिसे औरत जब भी किसी को नहीं दिखाती यह तीनों होंगे सिर्फ और अपनी पत्नी या प्रेमी को ही दिखाती है और मुझे तुझसे शर्म करने की जरूरत नहीं है क्योंकि पूरी दुनिया में एक तू ही है जो मेरा अच्छा या बुरा समझ सकता है तेरे सिवा में किसी को अपना दर्द नहीं कह सकती,,, और वैसे भी पूरी दुनिया में तेरा मेरे सिवा कौन है और मेरे तेरे सिवा कौन है हमें दो है जो अपने दुख दर्द को आपस में बांट कर उसे कम कर सकते हैं इसलिए तू बिल्कुल भी शर्म मत कर,,,,।
रोहन को अपनी मां की बातें अच्छी लग रही थी वह अपनी मां के द्वारा कही गई तीन अंगों के बारे में सुनकर और ज्यादा उत्साहित हो रहा था वैसे तो अच्छी तरह से जानता था कि औरत के बदन में औरत अपने तीन से कौन से अंगों को छुपा कर रखती है लेकिन फिर भी वह अपने मां के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए वह बोला,,,,।
मम्मी तुम कौन से तीन अंगों के बारे में कह रही हो मुझे जरा अच्छे से बताओ गी,,,,( अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा मंद मंद मुस्कुरा रही थी वह उसी तरह से पेट के बल लेटे हुए ही बोली,,,।)
देख रोहन मैं तुझे विस्तार से समझाती हूं तू औरतों को तो देखा ही होगा चलो लोगों को छोड़ मुझे तो तू देखता ही आ रहा है तूने आज तक मुझे साड़ी में देखा है,, साड़ी पहनने के बाद मेरे बदन में कौन-कौन सा हिस्सा तुझे बेपर्दा नजर आता है,, (रोहन कुछ कह पाता इससे पहले वह खुद बोली)
देख रोहन जब मैं साड़ी पहनती हो तो मेरे बाकी के सारे अंग ढके हुए होते हैं केवल मेरा चेहरा मेरा पेट और मेरे हाथ नजर आते हैं और तू जानता है मेरे तीन से कौन-कौन से मुख्य अंग साड़ी के अंदर ढके हुए होते हैं,,,( रोहन के बोलने से पहले ही वह खुद बोली,,,।) देख सबसे पहला औरतों का मुख्य और आकर्षण वाला अंग है गांड और मेरी गांड को तो तू देख ही चुका है बड़ी-बड़ी गोल गोल और एकदम गोरी,,,,।
( अपनी मां के मुंह से अपनी गांड के बारे में सुनकर रोहन एकदम सन्न हो गया उसकी कामोत्तेजना का पारा एकदम से चढ़ने लगा उसका लंड पजामे में ठोकर मारने लगा,,,,। तभी सुगंधा ने जो बात बोली उसे सुनकर रोहन की इच्छा हो रही थी कि अभी इसी वक्त अपनी मां के ऊपर चढ़कर उसकी गांड में अपना पूरा लंड पैल दे,, सुगंधा मादक अदाओं से अपने बेटे की तरफ नजरें घुमाकर देखते हुए बोली,,,,,।)
अच्छा रोहन तू सच सच बताना बिल्कुल भी झूठ मत बोलना और किसी भी प्रकार का शर्म मत करना जैसा कि मैं पहले से कहती आ रही हूं तुम मुझे सच सच बता कि तुझे मेरी गांड कैसी लगी,,,,,,
( रोहन तो अपनी मां के मुंह से यह सवाल सुनते ही उसके लंदन में पानी आ गया उसने इस बात की उम्मीद नहीं थी कि कभी वह अपने अंगों के बारे में उसकी राय पूछेगी लेकिन जिस तरह से वह मालिक स्वर में और कातिल अदाओं के साथ यह सवाल रोहन के माथे पर दागा था रोहन के चारों खाने चित हो चुका था रोहन अच्छी तरह से समझ गया था कि अब उसकी मां के आगे शर्माने से कोई फायदा नहीं है आगे बढ़ना है तो उसे,,, पूरी तरह से अपने शर्म को छोड़ना होगा और लगभग लगभग रोहन के अंदर से शर्म खत्म होती जा रही थी इसलिए तो वह बेधड़क अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए बोला,,,,।)
बहुत अच्छी मम्मी मुझे तो तुम्हारी गांड बहुत अच्छी लगी,,,,
सिर्फ अच्छी ही लगी कि इससे ज्यादा कुछ जरा खुल कर बता (सुगंधा अपने बेटे की तरह मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,)
बहुत बहुत अच्छी लगी मम्मी इतनी अच्छी लगी कि मैं बता नहीं सकता,,,,
तो ही तो मैं पूछ रही हूं बताना कैसी लगी तुझे सिर्फ अच्छी या उससे ज्यादा क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम मर्दों की नजर औरतों के अंग पर इसी अंग पर सबसे पहले पड़ती है भले ही साड़ी के अंदर क्यों ना केद रहती है लेकिन इसके बारे में सोच कर ही तुम लोगों के तन बदन में आग लग जाती है क्यों सच कहीं ना,,,,
बात भी तो तुम सच ही कह रही हो मम्मी हम लोगों की नजर औरतों की गांड पर सबसे पहले और सबसे ज्यादा बार पड़ती है पता नहीं औरतों के गांड में किस तरह का आकर्षण होता है कि उसे देखते ही बस सम्मोहन सा हो जाता है और तुम्हारी गांड के बारे में कहूं तो मम्मी तुम्हारी जैसी गांड किसी औरत की नहीं होगी,,,,, मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैं आज तक जितनी भी औरतों की गांड देखा हूं भले ही साड़ी के ऊपर से लेकिन जो आकर्षण साड़ी पहनने के बावजूद भी तुम्हारी गांड के अंदर होता है वैसा आकर्षण आज तक मैंने किसी औरत की गांड में नहीं देख पाया हालांकि यह मेरा पहला मौका है किसी औरत की नंगी गांड देखने का लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि तुम्हारे से खूबसूरत गोल मटोल गोरी गोरी गांडकिसी औरत की नहीं होगी,,,,,
सुगंधा तो अपने बेटे के मुंह से अपनी गांड की इतनी जबरदस्त तारीफ सुनकर एकदम गदगद हो गई,,,,,, रोहन भी अपनी मां से अपनी मां की गांड के बारे में तारीफ करके एकदम से उत्तेजित हो गया था सुगंधा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अपनी दूसरे अंग के बारे में बोली,,,,
रोहन में तुझे औरतों के दूसरे अंग के बारे में बताती हूं जिसे औरत हमेशा कपड़े के अंदर ही रखती है लेकिन फिर भी मर्द की नजर उस पर भी सबसे पहले पड़ती है,,,,, औरत का दूसरा सबसे मुख्य आकर्षण वाला अंग है उसकी दोनों चूचियां,,,,( रोहन अपनी मां के मुंह से चूची शब्द सुनकर एकदम से कामोत्तेजित हो गया,,, रोहन का बुरा हाल हो रहा था वह बार-बार एक हाथ से अपने खड़े लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार उसका बेलगाम लंड मुंह ऊठाए खड़ा हो जा रहा था,,,)
रोहन तू भी अच्छी तरह से जानता है कि किसी औरत की चूची छोटी होती है तो किसी औरत की चूची बड़ी बड़ी होती है और सच कहूं तो मर्दों की बड़ी-बड़ी चूचियां अच्छी लगती है,,,
ऐसा क्यों मम्मी,,,,?
क्योंकि औरतों की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथ में भरकर जोर जोर से दबाने में मर्दो को बहुत मजा आता है उन्हें आनंद मिलता है,,,,
इसीलिए मम्मी वह शैतान तुम्हारी चूची को जोर जोर से दबा रहा था,,,,
हां तु सच कह रहा है उसे बहुत मजा आ रहा था तभी तो वह सब कुछ छोड़कर मेरी चूची को जोर जोर से मस ले जा रहा था मुझे दर्द दे रहा था,,,,, और तो और निप्पल को मुंह में भर कर चूसने में भी मर्दों को बहुत मजा आता है तभी तो वह शैतान मेरी चूची को जोर जोर से दबाते हुए मेरी निप्पल को मुंह में लेकर जोर जोर से पी रहा था,,, (सुगंधा बातों ही बातों में एक इशारा के रूप में अपने बेटे को औरतों को खुश करने का तरीका बता रहे थे और औरतों के अंगों से कैसे मजा लिया जाता है यह तरीका भी उसे समझा रही थी क्योंकि उसे यकीन था कि अगर उसकी मुराद पूरी हो गई तो जरूर इस तरह की हरकत करते हुए दोनों रात भर मजा लेंगे रोहन तो अपनी मां के मुंह से इस तरह की अश्लील बातें सुनकर इतना कामोत्तेजना से भर गया था कि उसका मन खुद कर रहा था कि वह खुद अपने लंड को बाहर निकाल कर हीला ले,,, अपनी मां की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए रोहन बोला,,, )
क्या बात कर रही हो मम्मी क्या यह सच है क्या तुम जो भी कह रही हो वह बिल्कुल सच है,,,,?
मैं जो कुछ भी कह रही हूं रोहन वह सनातन सत्य है जब तुम थोड़े बड़े हो जाओगे तुम्हारी शादी होगी तुम्हारी बीवी आएगी तब यह बात तुम्हें खुद तो खुद पता चल जाएगी,,,,,,,
( अपनी मां की बात सुनते ही रोहन मन ही मन मे बोला कि शादी तक रुकने का किसके पास समय है मैं तो इतना उतावला हूं कि अगर थोड़ा सा मम्मी तुम अपने मुंह से इशारा कर दो तो मे अभी तुम्हारी टांगें फैलाकर तुम्हारी बुर में लंड पेल दूं,,,, और दूसरी तरफ सुगंधा पेट के बल लेटे हुए ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
और औरत का तीसरा अंग बहुत ही बेशकीमती है जिसे औरत हमेशा पर्दे में छुपा कर रखती है साड़ी के अंदर छुपा कर रखती है और साड़ी पहनने के बावजूद भी उसे पेटीकोट के साथ-साथ अपनी चड्डी के अंदर छुपा कर रखती है तो इसी से सोच इसी से अंदाजा लगा की औरतों के लिए उस किया वह तीसरा अंग कितना ज्यादा महत्व रखता है और कितना खूबसूरत है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मदद करता रहता है जिसे पाने के लिए वह किसी भी हद तक नीचे जा सकता है किसी से भी लड़ाई कर सकता है किसी से भी झगड़ा कर सकता है औरतों के इस तीसरे अंग में बात ही कुछ ऐसी होती है,,,, तू जानता है औरतों के उस अंग को क्या कहते हैं,,, (इतना कहते हुए सुगंधा अपने बेटे की तरफ नजर घुमा कर देखने लगी तो वह मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि उसकी बातें सुनकर रोहन एकदम से ऊत्तेजीत हो गया था उसके चेहरे पर उत्तेजना का असर साफ झलक रहा था,,,, वह कुछ बोल पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था इसलिए सुगंधा बोली,,,,)
चल मैं ही बता देती हूं तुझको देख कर ऐसा लग रहा है कि तू कुछ बोल पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं है मेरी बातें सुनकर एकदम गरम हो गया है,,, (रोहन क्या कहता वह सच में कुछ भी बोलने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था,,, रोहन सच में अपनी मां की बातें सुनकर एकदम गरम हो गया था सुगंधा आपने बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,।)
औरत के उस बेसिकीमती अंग को बुर कहते हैं,,,,( सुगंधा अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली और जिस अदा से जिस मादक एहसास के साथ वह अपने लाल-लाल होठों को आपस में सटाकर उसे गोल करके वह बोली थी उसे देख कर रोहन का लंड झड़ते झड़ते रह गया था उसके लंड में लावा का विस्फोट होने वाला था लेकिन वह संभल गया था वरना उसी समय ऊसका पानी निकल जाता,,,,,)
तुम तो जरूर देखे होंगे रोहन,,,,,
नननन,नही,,,, मम्मी मैं तुमसे कह चुका हूं कि मैंने नहीं देखा हूं,,,,
हां मैं तो भूल ही गई कि तूने अभी तक औरत की बुर नहीं देखा है (इतना कहकर सुगंधा कुछ सेकंड के लिए खामोश हो गई और थोड़ी देर बाद अपनी खामोशी को तोड़ते हुए अपने बेटे की तरफ उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,, )
देखना चाहता है,,,,,