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Incest बदलते रिश्ते......

rohnny4545

Well-Known Member
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दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे सुगंधा संपूर्ण निर्वस्त्र अवस्था में अपने बेटे से चिपके हुए खिड़की से खड़ी थी लेकिन दूर दूर तक देखने वाला कोई नहीं था।,,,
बरसों से दबी सुगंधा की प्यास उभरने लगी थी वह अपने आप को बिल्कुल भी संभाल पाने की स्थिति में नहीं थी उसके बदन का उन्माद बढ़ता जा रहा था और वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे की लंड को पकड़ ली,,,।

सससहहहह,,,, रोहन बहुत भारी लग रहा है रे मुझे तो बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मेरे पास इतना दमदार लंड होगा जो कि पर जाने के ऊपर से ही इतना कड़क है अगर सच में तेरा लंड किसी औरत की बुर में चला जाए तो वह तो एकदम मस्त हो जाए,,,( सुगंधा एकदम बेशर्म की तरह बातें कर रही थी जो कि रोहन को बहुत ही अच्छी लग रही थी उसके बदन में भी कामोत्तेजना का असर ज्यादा ही होता जा रहा था और वह जोर-जोर से अपनी मां की गोरी गांड को मसल मसल कर एकदम लाल कर दिया था,,,।) मुझसे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा है मैं तेरे लंड को देखना चाहती हूं,,,,( सुगंधा सिसकारी लेते हुए बोली,,,,)

मम्मी मैं कह चुका हूं कि यह सब तुम्हारा ही है तुम इसके साथ,,
चाहे जो करो मैं कुछ नहीं कहूंगा,,,,,,( रोहन अपनी मां की कामुक हरकत की वजह से मस्त होता हुआ बोला,,, )

सुगंधा एक दम मस्त हो चुकी थी वह अपने आपे में बिल्कुल नहीं थी वासना उसके सर पर पूरी तरह से सवार हो चुकी थी वह अच्छे बुरे का फर्क भूल चुकी थी उसे बस अब अपनी प्यास बुझाना था और वह भी बरसों की प्यास इसलिए पजामे के ऊपर से यह अपने बेटे के नंदू को जोर जोर से मसल रही थी और अपने बेटे की लंड को मसलने ने उसे एक अद्भुत सुख का आनंद मिल रहा था जिसे वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती थी उसका चेहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था,,,,, दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, और यही हाल रोहन का भी था वह भी अपनी मां की गर्म जवानी ने पूरी तरह से पिघलने लगा था वह रह रह कर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दबाता तो कभी एक हाथ से अपनी मां के फड़फड़ा ते हुए कबूतर को थाम लेता और उसे दबाने का आनंद लेता जिससे सुगंधा भी मस्त हुए जा रही थी,,,।
सुगंधा से अब बर्दाश्त करना मुश्किल में जा रहा था उसकी दूर से मदन रस पिघल कर उसकी जांघों से नीचे की तरफ बह रहा था,,,,।

ओहहहह,,, रोहन मुझे पता नहीं क्या हो रहा है मेरा मन बिल्कुल भी नहीं मान रहा है मैं तेरे लंड को देखना चाहती हूं जी भर कर देखना चाहती हूं मैं तेरी मर्दाना ताकत को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूं,,,, ( सुगंधा एकदम मदहोश होते हुए बोली अपनी मां की हालत और उसकी हरकत को देखकर रोहन की हालत खराब हो जा रही थी उससे भी बर्दाश्त कर पाना बहुत मुश्किल हुए जा रहा था उसकी इच्छा कर रही थी कि इसी वक्त वह अपनी मां की बुर के अंदर पूरा लंड डालकर उसकी चुदाई कर दे लेकिन अपने आप को संभाले हुए था,,,,, और अपनी मां की हथेली का दबाव अपने लंड के ऊपर महसूस करते हुए वह बोला,,,।)

तो रोका किसने है मम्मी,,,
( इतना सुनते ही सुगंधा अपने आप को रोक नहीं पाए और तुरंत घुटनों के बल बैठ गई रोहन अपनी मां को देखता रह गया वह एकटक कुछ पल तक अपने बेटे के पजामे मे बने तंबू की तरफ देखती रही क्योंकि उसके आगे वाला भाग पूरी तरह से हो रहे स्राव की वजह से गिला हो चुका था,,,, सुगंधा अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसके पैजामा को पकड़ ली और एक झटके से उसे नीचे कर दी पजामे को नीचे आते ही रोहन का मोटा तगड़ा लंड हवा में लहराने लगा,,,, मोटा तगड़ा लंड हवा में लहराने लगा ऊपर नीचे हो रहा लंड बहुत ही भयानक लग रहा था जिसे देखकर सुगंधा का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया,,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी आंखें जो देख रही है वह सच है उसे कोई सपना सा लग रहा था,,,,, वह बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाई और अपने बेटे के कड़क मोटे तगड़े लैंड को अपने हाथ में पकड़ ली उसकी गर्मी अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी बुर फूलने पिचकने लगी और उसमें से मदन रस की दो बूंदे टपक कर नीचे जमीन पर गिर गई ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को देखकर सुगंधा की बुर अपने अंदर लेने के लिए हामी भर रही हो,,,।

बाप रे तेरा लंड है या गाय भैंस को बांधने वाला खूंटा तेरा लैंड एकदम खूटे की तरह लग रहा है,,,, (सुगंधा अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर एकदम आश्चर्य में पड़ गई थी और सच में रोहन का मोटा तगड़ा लंबा लंड किसी खूटे की तरह ही लग रहा था जैसे खूंटे में बांधकर कर गाय भैंस को नियंत्रित किया जाता है वैसे ही रोहन का लंड ऐसा लग रहा था जैसे एक औरत की मस्ताई हुई जवानी को नियंत्रित करके वह अपना बल दिखाते हुए उसे अपने आधीन रखता है नियंत्रित में रखता है,,, सुगंधा तो पूरी तरह से अपने बेटे के लंड के आकर्षण में बंधती चली गई जा रही थी वह उसे खड़े लड़कों पर से लेकर उसके छोर तक अपनी हथेली फेर रही थी आज बरसों बाद उसे एक मस्ताना मर्दाना लंड देखने को मिल रहा था और उसे छूने का मौका जो मिल रहा था वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,,,। रोहन भी अपनी मां की नर्म नर्म नाजुक हो वलियों के बीच अपने लंड को महसूस करके मस्त हुआ जा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक औरत जो कि उसकी मौत ही वह अपने हाथों में उसके मोटे तगड़े लंड को पकड़ कर हिला रही थी सुगंधा पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी अपने बेटे को देखते हुए उसके खड़े लंड को ऊपर नीचे करके हिला रही थी और उसे धीरे-धीरे मुठियाना शुरू कर दी,,,।)

ससससहहहहहह,,, ओहहहहहहहह मम्मी यह क्या कर रही हो मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,।

खेलने दे रे मुझे अपने लंड से जी भर कर खेलने दी आज बरसों के बाद मेरे हाथों में एक मोटा तगड़ा गंडाला है जिसे देखकर मैं फूली नहीं समा रही और मुझे मालूम है तुझे क्या हो रहा है तुझे मस्ती चढ़ रही है तुझे मजा आ रहा है मैं जानती हूं मेरी नरम नरम हथेली में तेरा लंड और भी ज्यादा कड़क हो रहा है,,,,,

( रोहाना भी अब क्या कहता उसे भी तो मजा आ रहा था पहली बार कोई खूबसूरत औरत उसके मोटी तक ने लंड को अपने हाथों में लेकर उससे खेल रही थी और उससे ज्यादा खुशी वाली बात उसके लिए क्या हो सकती थी,,, सुगंधा संपूर्ण नग्न अवस्था में घुटनों के बल बैठकर अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड से खेल रही थी मानो की जैसे वह उसका लंड नहीं बल्कि एक खिलौना हो वह ऊपर नीचे करके हर तरह से अपने बेटे के लंड से खेल रही थी,,, कुछ देर तक सुगंधा वैसे ही अपने बेटे की लेने से खेलती रही लेकिन उसका मन ललचा रहा था अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसने के लिए उसके सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने के लिए क्योंकि बरसों बाद उसके हाथ ऐसा मौका आया था जब वह एक बार फिर से वह एक मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूस कर अपनी प्यास बुझा सकती थी जिंदगी में सर्वप्रथम वह पहली बार अपने पति का ही लंड अपने मुंह में प्रवेश कराने की इजाजत दी थी इससे पहले उसने लंड के दर्शन तक नहीं किए थे लेकिन एक बार अपने पति का लंड चूसने पर उसे ऐसा चस्का लगा के हर रात जगने से पहले वह अपने पति के निर्णय को चूस कर एकदम मस्त हो जाती थी शुरू शुरू में उसे सब खराब लगता था लेकिन अब उसकी आदत बन चुकी थी लेकिन वर्षों तक वह अपनी आदत को अपने अंदर दबा कर रखी थी अपनी प्यास को मार चुकी थी लेकिन आज वैसा सुनहरा मौका आया था जब वह अपनी इस आदत को दोहराने के लिए मजबूर हो चुकी थी और देखते ही देखते वह अपने बेटे की आंखों में झांकते हुए धीरे-धीरे वह अपने बेटे के लंड को अपने मुंह के अंदर लेना शुरू कर दी रोहन तो यह देखकर एकदम पागल हो गया था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसके लंड को अपने मुंह में ले रही है जो कि उसके सोच के बिल्कुल विरुद्ध था व कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी जिंदगी में ऐसा पलआएगा की उसके लंड को उसकी मां अपने मुंह में लेकर चूसगी,,,,, लेकिन थोड़ी ही देर में दोनों को मजा आने लगा दोनों मस्ती के सागर में गोते लगाने लगे चुकंदर तो अपने बेटे के लैंड को अपने मुंह की गहराई में जहां तक हो सकता था उतना लेकर उसे चूसने का आनंद ले रही थी मानो वह उसका लंड नही बल्कि मीठी खट्टी लॉलीपॉप हो,, रोहन भी ना चाहते हुए खुद ब खुद अपनी कमर को आगे पीछे करके अपने लंड को अपनी मां के मुंह में पेल रहा था दोनों एक दम मस्त हो चुके थे आनंद के ऐसे सागर में गोते लगाने में उन दोनों को इतना सुख मिल रहा था कि उन दोनों ने कभी सपने में भी नही,,,,ं सोचे थे,,,।
रोहन पूरी तरह से उत्पादित होकर अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर अपनी मां के बंधे हुए बाल को खोल कर उसके रेशमी बालों से खेलने लगा जिससे उसमें उसे और आनंद मिल रहा था,, सुगंधा जोर-जोर से अपना मुंह आगे पीछे करते हुए अपने बेटे के लंड की चुदाई कर रही थी जिससे उसके दोनों खरबूजे झूलते हुए बहुत ही ज्यादा आनंद दे रहे थे,,,,।

बारिश अभी भी जोरों से पढ़ रही थी शाम के शुरू हुई बारिश अभी तक थमने का नाम नहीं ले रही थी खिड़की से आ रही ठंडी हवा दोनों के बदन से टकराते ही गर्म हो जा रही थी कमरे में केवल बरसात की आवाज के साथ-साथ सुगंधा की गर्म सिसकारी और रोहन के सिसकने की आवाज गूंज रही थी,,,।
दोनों के बीच इस पर किसी भी प्रकार का संवाद होना नामुमकिन था क्योंकि दोनों अपनी मस्ती में खोए हुए थे केवल सुगंधा के मुंह में लंड अंदर बाहर होने की वजह से गप गप की आवाज आ रही थी और रोहन के मुंह से सीईईई,,,,सीईईई,,,,,की आवाज आ रही थी दोनों अपनी ही धुन में खोए हुए थे,,,,
ना तो सुगंधा रुकने का नाम ले रही थी और ना ही रोहन की कमर रुक रही थी दोनों अपनी ही लय में आगे पीछे होते हुए एक दूसरे को आनंद देने की होड़ में लगे हुए थे,,,।
दोनों अपनी अपनी पतवार चला रहे थे मानो अपनी नाव को किनारे लगाना चाहते हो किसी तूफान से बचना चाहते हो और जल्द से जल्द किनारे पहुंचना चाहते हो इसलिए दोनों को कुछ सूझ नहीं रहा था,,,,।
दोनों की मेहनत रंग ला रही थी,,, दोनों अपनी चरम सीमा पर पहुंचने वाले थे सुगंधा तो एक हाथ से रोहन के लंड को पकड़ कर उसकी चूसाई कर रही थी और दूसरे हाथ से अपने गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को मसल कर दोहरा आनंद ले रही थी,,,।

दोनों की सांसें तेज चल रही थी मानो इंजन से धुआं भक भक करके निकल रहा हो दोनों अपने चरम सुख के करीब पहुंचते चले जा रहे थे दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे और अगले ही पल रोहन के लंड से पानी की पिचकारी छुटी और सुगंधा के गले के नीचे उतरती चली गई,,,, रोहन झटके खा खाकर अपने लंड से पानी फेंक रहा था और सुगंधा नीचे से अपनी बुर झाड़ते हुए अपने बेटे के पानी को गले से नीचे उतार रही थी,,, तो हमको इस बात से आश्चर्य हो रहा था कि पानी निकलने वाला था फिर भी यह सब जानते हुए भी उसकी मां अपने मुंह में से लंड निकालने की दरकार बिल्कुल भी नहीं की क्योंकि उसे यह बात बिल्कुल भी नहीं मालूम थी कि सुगंधा को यही अच्छा लगता था इससे वह पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती थी जिससे वह अपने पति को भरपूर आनंद देती थी,,,,।
तूफान थम चुका था लेकिन शांत बिल्कुल भी नहीं हुआ था दोनों अपनी-अपनी उखड़ती हुई सांसो को नियंत्रित करने में लगे हुए थे,,, सुगंधा अपनी जगह पर खड़ी हुई वह पसीने से तरबतर हो चुकी थी और खुली खिड़की से ठंडी हवा लेना चाहती थी इसलिए वह खिड़की के करीब खड़ी होकर ठंडी हवा का आनंद लेने लगी रोहन अपनी मां की तरफ देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था पानी निकल जाने की वजह से उसका लंड झूल गया था लेकिन अभी भी उसमें दम बाकी था क्योंकि अभी भी वह खड़े लंड की तरह ही लग रहा था,,,।
 

jonny khan

Nawab hai hum .... Mumbaikar
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और देखते ही देखते वह अपने बेटे की आंखों में झांकते हुए धीरे-धीरे वह अपने बेटे के लंड को अपने मुंह के अंदर लेना शुरू कर दी रोहन तो यह देखकर एकदम पागल हो गया था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसके लंड को अपने मुंह में ले रही है जो कि उसके सोच के बिल्कुल विरुद्ध था व कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी जिंदगी में ऐसा पलआएगा की उसके लंड को उसकी मां अपने मुंह में लेकर चूसगी,,,,,
super erotic updates dear ..!!!!!
 

rohnny4545

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32,280
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दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे सुगंधा संपूर्ण निर्वस्त्र अवस्था में अपने बेटे से चिपके हुए खिड़की से खड़ी थी लेकिन दूर दूर तक देखने वाला कोई नहीं था।,,,
बरसों से दबी सुगंधा की प्यास उभरने लगी थी वह अपने आप को बिल्कुल भी संभाल पाने की स्थिति में नहीं थी उसके बदन का उन्माद बढ़ता जा रहा था और वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे की लंड को पकड़ ली,,,।

सससहहहह,,,, रोहन बहुत भारी लग रहा है रे मुझे तो बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मेरे पास इतना दमदार लंड होगा जो कि पर जाने के ऊपर से ही इतना कड़क है अगर सच में तेरा लंड किसी औरत की बुर में चला जाए तो वह तो एकदम मस्त हो जाए,,,( सुगंधा एकदम बेशर्म की तरह बातें कर रही थी जो कि रोहन को बहुत ही अच्छी लग रही थी उसके बदन में भी कामोत्तेजना का असर ज्यादा ही होता जा रहा था और वह जोर-जोर से अपनी मां की गोरी गांड को मसल मसल कर एकदम लाल कर दिया था,,,।) मुझसे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा है मैं तेरे लंड को देखना चाहती हूं,,,,( सुगंधा सिसकारी लेते हुए बोली,,,,)

मम्मी मैं कह चुका हूं कि यह सब तुम्हारा ही है तुम इसके साथ,,
चाहे जो करो मैं कुछ नहीं कहूंगा,,,,,,( रोहन अपनी मां की कामुक हरकत की वजह से मस्त होता हुआ बोला,,, )

सुगंधा एक दम मस्त हो चुकी थी वह अपने आपे में बिल्कुल नहीं थी वासना उसके सर पर पूरी तरह से सवार हो चुकी थी वह अच्छे बुरे का फर्क भूल चुकी थी उसे बस अब अपनी प्यास बुझाना था और वह भी बरसों की प्यास इसलिए पजामे के ऊपर से यह अपने बेटे के नंदू को जोर जोर से मसल रही थी और अपने बेटे की लंड को मसलने ने उसे एक अद्भुत सुख का आनंद मिल रहा था जिसे वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती थी उसका चेहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था,,,,, दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, और यही हाल रोहन का भी था वह भी अपनी मां की गर्म जवानी ने पूरी तरह से पिघलने लगा था वह रह रह कर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दबाता तो कभी एक हाथ से अपनी मां के फड़फड़ा ते हुए कबूतर को थाम लेता और उसे दबाने का आनंद लेता जिससे सुगंधा भी मस्त हुए जा रही थी,,,।
सुगंधा से अब बर्दाश्त करना मुश्किल में जा रहा था उसकी दूर से मदन रस पिघल कर उसकी जांघों से नीचे की तरफ बह रहा था,,,,।

ओहहहह,,, रोहन मुझे पता नहीं क्या हो रहा है मेरा मन बिल्कुल भी नहीं मान रहा है मैं तेरे लंड को देखना चाहती हूं जी भर कर देखना चाहती हूं मैं तेरी मर्दाना ताकत को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूं,,,, ( सुगंधा एकदम मदहोश होते हुए बोली अपनी मां की हालत और उसकी हरकत को देखकर रोहन की हालत खराब हो जा रही थी उससे भी बर्दाश्त कर पाना बहुत मुश्किल हुए जा रहा था उसकी इच्छा कर रही थी कि इसी वक्त वह अपनी मां की बुर के अंदर पूरा लंड डालकर उसकी चुदाई कर दे लेकिन अपने आप को संभाले हुए था,,,,, और अपनी मां की हथेली का दबाव अपने लंड के ऊपर महसूस करते हुए वह बोला,,,।)

तो रोका किसने है मम्मी,,,
( इतना सुनते ही सुगंधा अपने आप को रोक नहीं पाए और तुरंत घुटनों के बल बैठ गई रोहन अपनी मां को देखता रह गया वह एकटक कुछ पल तक अपने बेटे के पजामे मे बने तंबू की तरफ देखती रही क्योंकि उसके आगे वाला भाग पूरी तरह से हो रहे स्राव की वजह से गिला हो चुका था,,,, सुगंधा अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसके पैजामा को पकड़ ली और एक झटके से उसे नीचे कर दी पजामे को नीचे आते ही रोहन का मोटा तगड़ा लंड हवा में लहराने लगा,,,, मोटा तगड़ा लंड हवा में लहराने लगा ऊपर नीचे हो रहा लंड बहुत ही भयानक लग रहा था जिसे देखकर सुगंधा का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया,,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी आंखें जो देख रही है वह सच है उसे कोई सपना सा लग रहा था,,,,, वह बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाई और अपने बेटे के कड़क मोटे तगड़े लैंड को अपने हाथ में पकड़ ली उसकी गर्मी अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी बुर फूलने पिचकने लगी और उसमें से मदन रस की दो बूंदे टपक कर नीचे जमीन पर गिर गई ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को देखकर सुगंधा की बुर अपने अंदर लेने के लिए हामी भर रही हो,,,।

बाप रे तेरा लंड है या गाय भैंस को बांधने वाला खूंटा तेरा लैंड एकदम खूटे की तरह लग रहा है,,,, (सुगंधा अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर एकदम आश्चर्य में पड़ गई थी और सच में रोहन का मोटा तगड़ा लंबा लंड किसी खूटे की तरह ही लग रहा था जैसे खूंटे में बांधकर कर गाय भैंस को नियंत्रित किया जाता है वैसे ही रोहन का लंड ऐसा लग रहा था जैसे एक औरत की मस्ताई हुई जवानी को नियंत्रित करके वह अपना बल दिखाते हुए उसे अपने आधीन रखता है नियंत्रित में रखता है,,, सुगंधा तो पूरी तरह से अपने बेटे के लंड के आकर्षण में बंधती चली गई जा रही थी वह उसे खड़े लड़कों पर से लेकर उसके छोर तक अपनी हथेली फेर रही थी आज बरसों बाद उसे एक मस्ताना मर्दाना लंड देखने को मिल रहा था और उसे छूने का मौका जो मिल रहा था वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,,,। रोहन भी अपनी मां की नर्म नर्म नाजुक हो वलियों के बीच अपने लंड को महसूस करके मस्त हुआ जा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक औरत जो कि उसकी मौत ही वह अपने हाथों में उसके मोटे तगड़े लंड को पकड़ कर हिला रही थी सुगंधा पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी अपने बेटे को देखते हुए उसके खड़े लंड को ऊपर नीचे करके हिला रही थी और उसे धीरे-धीरे मुठियाना शुरू कर दी,,,।)

ससससहहहहहह,,, ओहहहहहहहह मम्मी यह क्या कर रही हो मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,।

खेलने दे रे मुझे अपने लंड से जी भर कर खेलने दी आज बरसों के बाद मेरे हाथों में एक मोटा तगड़ा गंडाला है जिसे देखकर मैं फूली नहीं समा रही और मुझे मालूम है तुझे क्या हो रहा है तुझे मस्ती चढ़ रही है तुझे मजा आ रहा है मैं जानती हूं मेरी नरम नरम हथेली में तेरा लंड और भी ज्यादा कड़क हो रहा है,,,,,

( रोहाना भी अब क्या कहता उसे भी तो मजा आ रहा था पहली बार कोई खूबसूरत औरत उसके मोटी तक ने लंड को अपने हाथों में लेकर उससे खेल रही थी और उससे ज्यादा खुशी वाली बात उसके लिए क्या हो सकती थी,,, सुगंधा संपूर्ण नग्न अवस्था में घुटनों के बल बैठकर अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड से खेल रही थी मानो की जैसे वह उसका लंड नहीं बल्कि एक खिलौना हो वह ऊपर नीचे करके हर तरह से अपने बेटे के लंड से खेल रही थी,,, कुछ देर तक सुगंधा वैसे ही अपने बेटे की लेने से खेलती रही लेकिन उसका मन ललचा रहा था अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसने के लिए उसके सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने के लिए क्योंकि बरसों बाद उसके हाथ ऐसा मौका आया था जब वह एक बार फिर से वह एक मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूस कर अपनी प्यास बुझा सकती थी जिंदगी में सर्वप्रथम वह पहली बार अपने पति का ही लंड अपने मुंह में प्रवेश कराने की इजाजत दी थी इससे पहले उसने लंड के दर्शन तक नहीं किए थे लेकिन एक बार अपने पति का लंड चूसने पर उसे ऐसा चस्का लगा के हर रात जगने से पहले वह अपने पति के निर्णय को चूस कर एकदम मस्त हो जाती थी शुरू शुरू में उसे सब खराब लगता था लेकिन अब उसकी आदत बन चुकी थी लेकिन वर्षों तक वह अपनी आदत को अपने अंदर दबा कर रखी थी अपनी प्यास को मार चुकी थी लेकिन आज वैसा सुनहरा मौका आया था जब वह अपनी इस आदत को दोहराने के लिए मजबूर हो चुकी थी और देखते ही देखते वह अपने बेटे की आंखों में झांकते हुए धीरे-धीरे वह अपने बेटे के लंड को अपने मुंह के अंदर लेना शुरू कर दी रोहन तो यह देखकर एकदम पागल हो गया था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसके लंड को अपने मुंह में ले रही है जो कि उसके सोच के बिल्कुल विरुद्ध था व कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी जिंदगी में ऐसा पलआएगा की उसके लंड को उसकी मां अपने मुंह में लेकर चूसगी,,,,, लेकिन थोड़ी ही देर में दोनों को मजा आने लगा दोनों मस्ती के सागर में गोते लगाने लगे चुकंदर तो अपने बेटे के लैंड को अपने मुंह की गहराई में जहां तक हो सकता था उतना लेकर उसे चूसने का आनंद ले रही थी मानो वह उसका लंड नही बल्कि मीठी खट्टी लॉलीपॉप हो,, रोहन भी ना चाहते हुए खुद ब खुद अपनी कमर को आगे पीछे करके अपने लंड को अपनी मां के मुंह में पेल रहा था दोनों एक दम मस्त हो चुके थे आनंद के ऐसे सागर में गोते लगाने में उन दोनों को इतना सुख मिल रहा था कि उन दोनों ने कभी सपने में भी नही,,,,ं सोचे थे,,,।
रोहन पूरी तरह से उत्पादित होकर अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर अपनी मां के बंधे हुए बाल को खोल कर उसके रेशमी बालों से खेलने लगा जिससे उसमें उसे और आनंद मिल रहा था,, सुगंधा जोर-जोर से अपना मुंह आगे पीछे करते हुए अपने बेटे के लंड की चुदाई कर रही थी जिससे उसके दोनों खरबूजे झूलते हुए बहुत ही ज्यादा आनंद दे रहे थे,,,,।

बारिश अभी भी जोरों से पढ़ रही थी शाम के शुरू हुई बारिश अभी तक थमने का नाम नहीं ले रही थी खिड़की से आ रही ठंडी हवा दोनों के बदन से टकराते ही गर्म हो जा रही थी कमरे में केवल बरसात की आवाज के साथ-साथ सुगंधा की गर्म सिसकारी और रोहन के सिसकने की आवाज गूंज रही थी,,,।
दोनों के बीच इस पर किसी भी प्रकार का संवाद होना नामुमकिन था क्योंकि दोनों अपनी मस्ती में खोए हुए थे केवल सुगंधा के मुंह में लंड अंदर बाहर होने की वजह से गप गप की आवाज आ रही थी और रोहन के मुंह से सीईईई,,,,सीईईई,,,,,की आवाज आ रही थी दोनों अपनी ही धुन में खोए हुए थे,,,,
ना तो सुगंधा रुकने का नाम ले रही थी और ना ही रोहन की कमर रुक रही थी दोनों अपनी ही लय में आगे पीछे होते हुए एक दूसरे को आनंद देने की होड़ में लगे हुए थे,,,।
दोनों अपनी अपनी पतवार चला रहे थे मानो अपनी नाव को किनारे लगाना चाहते हो किसी तूफान से बचना चाहते हो और जल्द से जल्द किनारे पहुंचना चाहते हो इसलिए दोनों को कुछ सूझ नहीं रहा था,,,,।
दोनों की मेहनत रंग ला रही थी,,, दोनों अपनी चरम सीमा पर पहुंचने वाले थे सुगंधा तो एक हाथ से रोहन के लंड को पकड़ कर उसकी चूसाई कर रही थी और दूसरे हाथ से अपने गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को मसल कर दोहरा आनंद ले रही थी,,,।

दोनों की सांसें तेज चल रही थी मानो इंजन से धुआं भक भक करके निकल रहा हो दोनों अपने चरम सुख के करीब पहुंचते चले जा रहे थे दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे और अगले ही पल रोहन के लंड से पानी की पिचकारी छुटी और सुगंधा के गले के नीचे उतरती चली गई,,,, रोहन झटके खा खाकर अपने लंड से पानी फेंक रहा था और सुगंधा नीचे से अपनी बुर झाड़ते हुए अपने बेटे के पानी को गले से नीचे उतार रही थी,,, तो हमको इस बात से आश्चर्य हो रहा था कि पानी निकलने वाला था फिर भी यह सब जानते हुए भी उसकी मां अपने मुंह में से लंड निकालने की दरकार बिल्कुल भी नहीं की क्योंकि उसे यह बात बिल्कुल भी नहीं मालूम थी कि सुगंधा को यही अच्छा लगता था इससे वह पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती थी जिससे वह अपने पति को भरपूर आनंद देती थी,,,,।
तूफान थम चुका था लेकिन शांत बिल्कुल भी नहीं हुआ था दोनों अपनी-अपनी उखड़ती हुई सांसो को नियंत्रित करने में लगे हुए थे,,, सुगंधा अपनी जगह पर खड़ी हुई वह पसीने से तरबतर हो चुकी थी और खुली खिड़की से ठंडी हवा लेना चाहती थी इसलिए वह खिड़की के करीब खड़ी होकर ठंडी हवा का आनंद लेने लगी रोहन अपनी मां की तरफ देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था पानी निकल जाने की वजह से उसका लंड झूल गया था लेकिन अभी भी उसमें दम बाकी था क्योंकि अभी भी वह खड़े लंड की तरह ही लग रहा था,,,।,,,

सुगंधा एक दम मस्त हो गई थी बरसों के बाद उसके हाथ में एक मोटा तगड़ा लंड आया था जिसे वह अपने हाथ में पकड़ कर मुंह में लेकर उसके चूसने का आनंद लूट रही थी,,,,, रोहन को तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी हुआ वह हकीकत था एक सपने सा लग रहा था लेकिन एकदम सुखद सपना मस्ती भरी अहसास से भरा हुआ वह पूरा संतुष्ट हो चुका था दोनों एक साथ झड़े थे,,, पर इतने से उन दोनों के बदन में लगी आग शांत होने वाली नहीं थी बल्कि इससे तो और ज्यादा उनकी आग भड़क चुकी थी मानो आग में घी डाल दिया हो,,, दोनों के बीच के रिश्ते के मायने बदल चुके थे दोनों मर्यादा की दीवार लांघ कर दूर तक निकल गए थे जहां से वापस लौटना शायद नामुमकिन सा था दोनों एक दूसरे को देखकर हाफ रहे थे,,,। सुगंधा मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,, ।

कैसा लगा रोहन,,?

रोहन क्या बोलता वह तो अभी भी हवा में उड़ रहा था वह बस अपनी मां की बात सुनकर मुस्कुरा दिया तब उसको मुस्कुराता हुआ देखकर सुगंधा बोली,,,,।

अभी तो बहुत कुछ बाकी है अभी तो मेरी बुर में बहुत खुजली हो रही है जिसे तुझे इसे (रोहन के लंड की तरफ इशारा करते हुए )मेरी बुर में डालकर मेरी खुजली मिटाना है कर लेगा ना तू,,,,,

मैंने कभी किया तो नहीं मम्मी लेकिन तुम बताओगी तो जरूर हो जाएगा,,, (रोहन मासूमियत के साथ बोला उसकी बात सुनकर सुगंधा मुस्कुरा दी और बोली,,,) त ु सच में बुद्धू है चल कोई बात नहीं मैं जैसा कहूंगी तु वैसा ही करना तब धीरे-धीरे तू भी सीख लेगा,,,,,।
( ऐसा कहते हुए सुगंधा एक बार फिर से अपनी नजर को खिड़की से बाहर डाल दी जो कि अभी भी तेज बारिश हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी था और अंधेरे के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था,,,। )

मम्मी आज तो बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही है,,,( रोहन भी खिड़की से बाहर झांकता हुआ बोला,,)

लगता है यह बारिश हम दोनों के नए रिश्ते की शुरुआत कराने के लिए हो रही है इतना कहते हुए फिर से सुगंधा अपनी कोहनी को खिड़की से टिका कर खड़ी हो गई और अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को हल्के हल्के हिलाने लगी है देखकर रोहन से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ अपनी मां की गांड पर रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगा जिससे सुगंधा को भी आनंद आने लगा और वह अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही बोली,,,

तुझे यह सब खराब तो नहीं लग रहा है,,,

नहीं मुझे तो इसमें मजा आ रहा है मैं कभी सोचा भी नहीं था यह सब काम में इतना मजा आता है,,,( सुगंधा की गांड को सहलाते हुए,,,)

मुझे पूरा विश्वास था कि तुझे भी मजा आएगा जैसे कि मुझे आ रहा है,,, लेकिन सही कहूं तो मेरी बुर में बहुत ज्यादा खुजली हो रही है जिसे मिटाना बहुत जरूरी है,,,,।

मैं तैयार हूं मम्मी,,,,।

अपने बेटे की बात सुनते ही सुगंधा खिड़की के पास से हटकर अपने बिस्तर की तरफ जाने लगी और बड़ी ही मादक अदा से अपनी कमर बलखाते हुए अपनी मदमस्त गांड को मटका रही थी,,, जिसे देखकर रोहन पागल हुए जा रहा था।,,,,

खिड़की बंद कर दु मम्मी,,,,

नहीं उसे ऐसे ही खुले रहने दे ठंडी हवा आने के लिए वैसे भी कमरे का माहौल पूरा गर्म हुए जा रहा है और हां अपने पजामे को पूरा निकाल दें,,, (जो कि अभी भी उसके घुटनों में फंसी हुई थी,, इतना सुनते ही रोहन अपने पहचाने को निकालकर एकदम निर्वस्त्र हो गया,,, कमरे में मां बेटे दोनों एकदम नंगे थे सुगंधा बिस्तर पर लेटी हुई थी और कामुकता को अपने बदन में समेटे अपने एक हाथ से अपनी रसीली बुर को मसल रही थी जिसे देखकर रोहन के मुंह में पानी आने लगा और वह धीरे-धीरे अपनी मां के करीब बढ़ने लगा,,, अपनी मां की मादक अदाएं देखकर रोहन का ढीला पड़ रहा लंड एक बार फिर से ताव में आकर टनटनाने लगा,,,, जिस पर नजर पड़ते ही सुगंधा की हालत मस्त होने लगी और वह जोर-जोर से अपनी बुर को मसल ना शुरू कर दी यह देखकर रोहन बोला,,,,
 
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rohnny4545

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क्या हुआ मम्मी तुम्हारी बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या जो इस तरह से जोर जोर से मसल रही हो,,,,

हां रे मुझसे इसकी खुजली बर्दाश्त नहीं हो रही है कुछ ज्यादा ही जोर दिखाते हुए मेरी बुर खुजला रही है जल्दी से तू आ कर इसकी खुजली मिटा दे,,,।
( इतना सुनते ही रोहन जल्दी से चलकर अपनी मां के करीब आकर बिस्तर पर बैठ गया सुगंधा एकदम निर्वस्त्र अवस्था में अपने बेटे के सामने एकदम बेशर्म बनकर अपनी बुर को जोर जोर से मसल रही थी जो कि उसे ऐसा करने में काफी आनंद प्राप्त हो रहा था और उसे देखकर रोहन अपनी आंखों को सेंक रहा था दोनों की तन बदन में एक बार फिर से गर्म जवानी अपना असर दिखाने लगी,,,, रोहन पागलों की तरह मदहोश होकर अपनी मां के निर्वस्त्र बदन को देख रहा था ऊपर से नीचे तक एकदम लाल टमाटर की तरह सीना ताने खड़े थी रोहन का मन उसे लपक निको हो रहा था लेकिन उसका सारा ध्यान सुगंधा की टांगों के बीच की जगह पर केंद्रित था जिसे वह खुद अपने हाथों से मसल रही थी,,,। सुगंधा को अपने बेटे की आंखों में कुमारी साफ झलक रही थी उसे पक्का यकीन हो गया था उसके निर्वस्त्र नंगे बदन को देख कर उसकी आंखों में चार बोतल का नशा उतर आया था वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी और अपनी हथेली को अपनी रसीली बुर पर से हटाते हुए वह बोली,,,।

देख रोहन कितनी लाल हो गई है इसमें कितनी खुजली हो रही है अब इसे तुझे ही मिटानी, है,,,,,।
( हथेली के हटते ही रोहन की नजर जैसे ही अपनी मां की रसीली बुर पर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया जो कि इस समय एकदम लाल फूली हुई कचोरी की तरह हो गई थी जिससे लगातार मदन रस बह रहा था,,,, रोहन का मन में लालच रहा था अपनी मां की बुर को छूने के लिए उसे स्पर्श करने के लिए जो कि इस बात को सुगंधा अच्छी तरह से भाग गई और खुद ही उसे छूने की इजाजत दे दी अपनी मां की तरफ से इजाजत मिलते ही रोहन कांपते हाथों को आगे बढ़ाकर अपनी मां की रसीली पुर पर रख दिया जो कि समय एकदम भट्टी की तरह गर्म थी वह हल्के हल्के उसे अंगुली से सहलाने लगा जिस पर हल्के हल्के रोए दार बाल एकदम रेशमी गुच्छे की तरह लग रहे हैं,,,। रोहन जिस तरह से अपनी मां की बुर को छू रहा था सुगंधा एकदम से सिहर उठी और उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज छूट पड़ी,,,,।

ससससहहहहहह,,, आहहहहहहहह रोहन,,,,, इसे सिर्फ छुए गा या इसकी खुजली भी मिटाएगा,,,,।
( रोहन अपनी मां की बात को ध्यान से सुन रहा था लेकिन क्या करना है उसे समझ में नहीं आ रहा था वह सवालिया आंखो से अपनी मां की तरफ देख रहा था लेकिन अनुभवी सुगंधा अपने बेटे की आंखों में जिज्ञासा को अच्छी तरह से पढ़ लिया और अपना एक हाथ आप आगे बढ़ाकर रोहन के सर पर रख कर उसे धीरे-धीरे अपनी टांगों के बीच लाने लगी,,,, रोहन कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसके होंठ सुगंधा की बुर की इतने करीब हो गए थे कि दोनों के बीच की दूरी मात्र दो अंगुल भर की रह गई थी जहां से सुगंधा की मदमस्त बुर की मादक खुशबू उसके नथुनो में अच्छी तरह से पहुंच रही थी जिससे वह अपने नथुनो के द्वारा उसकी खुशबू अपने छाती में भर रहा था और उसके तन बदन में उत्तेजना की आग लगी हुई थी,,,
कुछ ही सेकंड में सुगंधा की बुर से उठ रही मादक खुशबू नथुनो के द्वारा रोहन की नसों में घुलने लगा उसे ऐसा लगने लगा कि उसने चार बोतल का नशा कर लिया वह पूरी तरह से नशे में ग्रस्त हो गया सुगंधा की मादकता भरी बुल उसकी आंखों में छाने लगी और जैसे वह खुद ही अपनी मां का इशारा समझ गया हो और वह खुद अपने दहकते हुए होंठ को अपनी मां की भट्टी सी तप रही बुर पर रखकर उसका चुंबन लेने लगा अपने बेटे को इस तरह से अपनी बुर को चूमते हुए पाकर सुगंधा एकदम मदहोश होने लगी उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी,,,,,
और देखते ही देखते जैसे रोहन यह कार्य पहले भी कर चुका हो इस तरह से अनुभव दिखाते हुए रोहन अपनी जीभ को अपनी मां की कचोरी जैसी फूली हुई बुर पर ऊपर से नीचे तक फिराकर उसे चाट रहा था और देखते ही देखते रोहन, बुर की पत्नी दरार से झांक रे गुलाबी पत्तियों के बीच से अपनी जीभ को अंदर की तरफ प्रवेश करा दिया,,,,।

सीईईईई,,,,, सससससहहहहहह रोहन आहहहहहहहहहह,,,,
( सुगंधा अपने बेटे की इस हरकत की वजह से पूरी तरह से सिहर उठी उसे तो ताज्जुब हो रहा था कि बिना सिखाएं उसका बेटा इस तरह से कैसे उसकी बुर को चाटना शुरु कर दिया था जो कि यह भी अनजाने में ही हुआ था,, रोहन को तो पहले अपनी मां की रसीली बुर का स्वाद कसैला लग रहा था लेकिन मदहोशी के आलम में उसे उसका कसैला स्वाद भी अमृत की तरह लगने लगा हुआ पूरी तरह से पागलों की तरह जितना जीभ हो सकता था उतना बुर के अंदर उतारकर उसे चाट रहा था,,,,,,

सुगंधा पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी उसके तन बदन में मदहोशी छाई हुई थी वह पागलों की तरह उत्तेजना के अवसर में अपनी कमर को रह-रहकर ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी वह बिस्तर पर छटपटा रही थी उसे ऐसा सुख आज तक नहीं मिला था जिस तरह से उसके बेटे ने उसकी बुर कुछ आत्मा शुरू किया था वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि रोहन इस तरह से कर पाएगा लेकिन जो कुछ भी हो रहा था वह एकदम हकीकत था रोहन एक अनुभवी मर्द की तरह सुगंधा की बुर से खेल रहा था उसी अपने जीभ का जादू दिखा रहा था जिसके जादू में सुगंधा पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी थी,, । )

ओहहहहहह,,,, रोहन कहां से सीखा रे तूने ऐसा मैं तो पागल हुए जा रही हूं मुझे लग रहा है कि आज मेरी बुर की खुजली मिट जाएगी तो बहुत अच्छा चाटता है बुर को,,,, बस ऐसे ही चाटता रहे त,,,अंदर तक जीभ डालकर चाट मुझे मजा आ रहा है,,,,

रोहन अपनी मां की मस्ती भरी बातें सुनकर और जोर जोर से अपनी जीभ को उसकी बुर में चलाने लगा मानो वह कटोरी में भरा हुआ दूध जीभ से पी रहा हो,, सुगंधा से रहा नहीं जा रहा था और वह अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़कर हिलाना शुरू कर दी जो की उत्तेजना के मारे इस समय कुछ ज्यादा ही मोटा लगने लगा था और उसकी मोटाई को अपने हाथों में अनुभव करके सुगंधा का मन मचलने लगा उसे अपनी बुर की गहराई में उतारने के लिए वह उसी तरह से अपने बेटे के लंड को हिलाते हुए अपने बेटे की जीभ का जादू अपनी बुर पर चलते हुए देखकर मस्त होने लगी,,,,

दोनों एकदम से गर्मा चुके थे,, सुगंधा के माथे पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह चमक रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी अब वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी उसके हर एक धक्के को झेलना चाहती थी रोहन भी पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह भी अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उसे चोदना चाहता था जो कि इस समय उसी बुर में जीभ डालकर मदन रस को चाट चाट कर अपने चेहरे को पूरा गीला कर चुका था वह बस इंतजार कर रहा था अपनी मां की इजाजत की,,,,।

सुगंधा भी क्या करती है उसे तो बूर चटवाने में भी बहुत मजा आ रहा था लेकिन अपने बेटे के मोटे लंड को अपनी बुर की गहराई में उतारना चाहती थी इसलिए वह बेमन से अपने बेटे का बाल पकड़कर ऊपर की तरफ हटाई और बोली,,,

बेटा अब तेरे लंड को इस बुर के अंदर डालना है ताकि मेरी खुजली मिट सके,,,,, कर लेगा ना,,,, ( सुगंध आशंका जताते हुए बोली लेकिन इतना तो वह जानती हुई थी कि किसी भी मर्द को यह काम सिखाना नहीं पड़ता वह खुद ब खुद सीख जाता है इसीलिए उसे उम्मीद थी कि जिस तरह से उसका बेटा बिना कहे उसकी बुर चाटकर उसे इतना आनंदित किया है उसी तरह से उसकी बुर में लंड डालकर उसे बहुत मजा देगा,,, रोहन दी पूरी तरह से बेसब्र हो चुका था इसलिए अपनी मां की बात सुनते ही बोला कुछ नहीं लेकिन हां में सिर हिला दिया सुगंधा भी पूरी तैयारी दिखाते हुए,, अपने बेटे की आंखों के सामने ही अपनी दोनों टांगों को हल्के से फैला दी जिससे उसकी रसीली कसी हुई बुर की पत्तियां हल्के से खुल गई जिसे देखकर रोहन के मुंह में पानी आ गया,,,,, रोहन एक हट्टा कट्टा मर्द का भले ही उसने इससे पहले किसी औरत की चुदाई नहीं किया था लेकिन इतना तो उसे ज्ञान था ही की औरत को कैसे चोदा जाता है वह तो अपनी मां के सामने ऐसे ही बोल दिया था कि उसे आता कुछ नहीं है,,, अपनी मां को दोनों टांगे खोलता हुआ देखकर ही वह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लिए जगह बनाने लगा उसकी मां यह देखकर हैरत में थे और उससे बोली,,,

तुझे देखकर लगता नहीं कि तूने इससे पहले किसी औरत की चुदाई ना किया हो ऐसा लग रहा है कि तू इससे पहले भी कई बार औरतों को चोद चुका है तभी तो तुझे सब मालूम है,,,

नहीं मम्मी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है आप अच्छी तरह से जानती हो कि मैं भी एक मर्द हूं तो इतना तो जानता ही हूं की औरत को कैसे चोदा जाता है और वैसे भी मेरे दोस्त इतने हरामि है कि सब कुछ बता चुके हैं,,

चल अच्छा हुआ कि तुझे सब कुछ मालूम है मैं तो तुझे एक दम बुद्धु समझती थी,,,,,

देखते ही देखते रोहन अपने लिए जगह बना लिया था वह अपनी मां की दोनों टांगों को पकड़कर हल्के से अपनी तरफ खींच कर सुगंधा की जांघों को अपनी जांघों पर चढ़ा दिया था यह देखकर सुगंधा एकदम मदमस्त हो गई उसे अपने बेटे के बाजूऔ पर पूरा भरोसा था जिस तरह से वह खींचकर उसे अपनी जांघों पर चढ़ाया था,,, उसे देखते हुए सुगंधा को समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी बरसों से कभी प्यास को बुझाने में पूरी तरह से सक्षम है सुगंधा एक तक अपने बेटे की हरकत को देख रही थी जो कि इस समय रोहन पूरी तरह से अपनी मां पर जाना चाहता था और इसलिए उसने अपने हाथ में अपने मोटे खड़े लंड को पकड़ कर हल्के हल्के हिलाते हुए उसे बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रख दिया,, ,अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े की गरमाहट बुर के ऊपर महसूस होते ही सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,,,
रोहन ईससे पहले सच में किसी भी औरत के साथ इस तरह की क्रिया नहीं किया था लेकिन फिर भी जैसे अपनी मां के खूबसूरत बदन को देख देख कर वह सब कुछ सीखता चला जा रहा था और इसलिए वह अपने लंड के सुपाड़े बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो-बीच जिसमें से मदन रस लगातार बह रहा था और जिसकी चिकनाहट से उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसके अंदर प्रवेश कराने लगा,,, बुर से बह रहे मदन रस की चिकनाहट पाकर रोहन का मोटा सुपाड़ा बुर्के अंदर धीरे-धीरे सरकने लगा जिसको अपने अंदर घुसता हुआ महसूस करके सुगंधा का वजूद चरमराने लगा,,,,, रोहन का दिल जोरों से धड़क रहा था जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की बुर के मूरत नालंदा प्रवेश करा रहा था जिसमें उसे काफी मशक्कत झेलनी पड़ रही थी क्योंकि इस उम्र में भी सुगंधा की गुरुप काफी कसी हुई थी जो कि थोड़ी चिकनाहट की वजह से रोहन के लंड को थोड़ी बहुत राहत प्रदान कर रही थी लेकिन इससे भी काम बनने वाला नहीं था रोहन ताकत लगाकर लंड के सुपाड़े को और ज्यादा अंदर डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था जिससे सुगंधा को भी काफी दर्द झेलना पड़ रहा था,,,,।

सुगंधा अपने हाथों की दोनों कोहनी को बिस्तर से टिका कर अपना सर उठाकर अपने बेटे की हर एक हरकत को देख रही थी सुगंधा साफ-साफ देख पा रही थी कि उसके बेटे को अपने मोटे लंड को उसकी बुर में डालने में काफी तकलीफ झेलनी पड़ रही थी वह पसीने से तरबतर हो चुका था और उसे समझते देर नहीं लगी कि मर्द को पहली बार औरत की चुदाई करने में चाहे वह जितनी भी चलाकी दिखाए,, उसे,, औरत के मदद की जरूरत पड़ती ही है इसलिए सुगंधा भी अपने बेटे का दिशानिर्देश करते हुए बोली,,,,

ऐसे नहीं घुसेगा बेटा थोड़ा थूक लगाकर उसे गीला कर ले तब आराम से जाएगा,,।
( रोहन अपनी मां की बात मानता हुआ ढेर सारा थूक हाथ पर लेकर उसे अपने लंड पर अच्छे से चुपड़ लिया जिससे उसका लंड पूरी तरह से गिला हो गया और इस बार उसने अपनी मां की रसीली गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर हल्का सा धक्का दिया तो लंड का मोटा सुपाड़ा बुर के अंदर प्रवेश करने लगा और जैसे-जैसे वह कमर को आगे की तरफ ठैल रहा था,, वैसे वैसे बुर्के नमकीन रस की फिसलन उसे अंदर की तरफ ले रही थी लेकिन इतना तो आभास सुगंधाको भी हो गया था कि अपने बेटे के मोटे लंड को लेने के लिए उसकी बुर की साइज छोटी पड़ रही थी मतलब कि वह इस उम्र में भी काफी कसी हुई थी और इसकी एक वजह थी कि काफी वर्षों से सुगंधा अपनी बुर के अंदर एक उंगली तक नहीं डाली थी जिसकी वजह से उसकी कसाव बरकरार थी,,,
जैसे-जैसे रोहन अपने लंड को इंच दरइंच बुर के अंदर घुसेड़ रहा था वैसे वैसे सुगंधा के मुंह से सिसकारी की आवाज बढ़ती जा रही थी उसे दर्द का अनुभव हो रहा था लेकिन इस दर्द में भी एक मिठास थी,,,, इस दर्द के अहसास से सुगंधाको अपनी जवानी की पहली सुहागरात याद आ गई,, उस समय भी उसे लंड प्रवेश कराने में इसी सर इसी तरह का दर्द हो रहा था लेकिन आज का दर्द कुछ खास था एक अजीब सा अहसास भरा हुआ था,,,
सुगंधा सांस थामे अपने बेटे की हर हरकत पर नजर रखे हुए थी वह अच्छी तरह से देख रही थी कि रोहन को काफी मशक्कत झेलनी पड़ रही थी अपना लंड उसकी बुर में डालने के लिए,,,,,,
इसमें रोहन की कोई भी गलती नहीं थी क्योंकि दोनों के अंग एक दूसरे के विरुद्ध ही थे दोनों की साइज एक दूसरे से अलग थी रोहन का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था जिसके मुकाबले सुगंधा की फुल काफी कसी हुई थी,,,, फिर भी रोहन की मेहनत रंग ला रही थी धीरे-धीरे उसका लंड अंदर की तरफ सरक रहा था और यह देखकर सुगंधा के चेहरे पर दर्द के साथ-साथ प्रसन्नता के भाव भी नजर आ रहे थे,,,,

कमरे में मादकता छाई हुई थी लालटेन की पीली रोशनी में सुगंधा और रोहन संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे कमरे के बाहर बारिश अपना जोर दिखा रही थी रोहन बार-बार अपनी मां की कमर को थाम कर उसे अपनी टांगों पर चढ़ा दे रहा था जिससे सुगंधा एकदम मस्त हो जा रही थी क्योंकि उसकी इस हरकत की वजह से उस में कितना दम है यह देखने को उसे मिला था क्योंकि सुगंधा का भजन भारी-भरकम था और जिस आराम के साथ वह सुगंधा के बदन को इधर-उधर कर रहा था उसे देखकर एक अजीब सी मादकता सुगंधा के बदन में छा रही थी,,

मम्मी तुम्हारी बुर बहुत कसी हुई है मेरा लंड ठीक से अंदर जा नहीं पा रहा है,,,,।

मैं अच्छी तरह से जानती हूं बेटा इस बुर में बरसो गुजर गए किसी का नंबर नहीं गया इसलिए इसका कसाव एकदम बरकरार है,,,,

तो क्या मम्मी तुम्हें पापा भी नहीं चोदते,,,( रोहन अपने लंड को बुर में डालने की कोशिश करते हुए बोला,,,,।)

बेटा तू उनकी हालत तो देखता ही है सारा दिन शराब पीकर पड़े रहते हैं ऐसे में उन्हें खुद का होश नहीं रहता तो मुझे क्या संतुष्ट कर पाएंगे और सही कहूं तो उनका तो खड़ा भी नहीं होता तो चोदने की तो बात ही दूर रही,,,,
( सुगंधा एकदम बेशर्म की तरह बातें कर रही थी जिसे सुनकर रोहन का रोम-रोम झन्ना जा रहा था,, अपनी मां की इस तरह की खुली और गंदी बातें सुनकर वह और भी ज्यादा उत्साहित और प्रोत्साहित हो रहा था उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर ज्यादा असर कर रही थी,,, अपनी मां की बातें सुनकर रोहन कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और दम दिखाते हुए अपनी कमर को कुछ ज्यादा ही जोर से आगे की तरफ ठेला जिससे उसका लंड 1 इंच और सुगंधा की बुर में घुस गया जिससे सुगंधा के मुंह से चीख निकल गई,,,,।)

आहहहहहह,, रोहन,,,

क्या हुआ मम्मी,,,,

थोड़ा धीरे से दर्द कर रहा है,,,,

मम्मी जब पापा पहली बार डाले थे तो क्या ऐसा ही दर्द किया था,,,।

नहीं रे तब इतना दर्द नहीं हुआ था जितना कि आज तेरा लंड दर्द दे रहा है,,,,

लेकिन ऐसा क्यों मम्मी,,,,( रोहन अपनी मां की चिकनी मोटी जांघों पर हाथ फेरता हुआ बोला,,।)

क्योंकि तेरे पापा के मुकाबले तेरा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है इसलिए मुझे दर्द हो रहा है,,,

क्या बात कर रही है मम्मी सच में ऐसा है,,, रोहन आश्चर्य के साथ बोला,,,)

हारे तभी तो मैं तुझ से चूदवाने के लिए मचल रही हूं सही कहूं तो औरतों को मोटा और तगड़ा लंड ही ज्यादा पसंद आता है अगर मर्द एक बार अपने मोटे तगड़े लंड से औरत को पूरी तरह से संतुष्ट कर दे तो औरत उसकी गुलाम हो जाती है,,,,।

अपनी अपनी मां की बात सुनकर रोहन से रहा नहीं गया और इस बार वह अपना पूरा लंड जो कि आधा ही घुसा हुआ था उसे बाहर निकाल कर हिलाते हुए अपनी मां की रसीली गुलाबी बुर पर पटकते हुए बोला,,,,

तो क्या मम्मी अगर मैं तुम्हें पूरी तरह से संतुष्ट कर दूं तो तुम भी मेरी गुलाम हो जाओगी,,,,,

ससससहहहह,,,,, हारे अगर आज तूने मुझे पूरी तरह से मस्त कर दिया मेरे बरसों की दबी प्यास को बुझा दिया तो मैं पूरी तरह से तेरी गुलाम हो जाऊंगी और तुझे रोज चोदने दूंगी,,,
 

rohnny4545

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रोहन तो अपनी मां के द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार के बारे में सोच कर ही एक दम मस्त हो गया अपनी मां की बात सुनकर रोहन का रोम-रोम प्रसन्नता से झूमने लगा क्योंकि जिस तरह के पुरस्कार के बारे में उसकी मां बोल रही थी उस पुरस्कार को पाने के लिए तो वहां ना जाने कितने समय से सपना देख रहा था और उसके लिए तड़प रहा था अगर आज वह अपनी मां को संपूर्ण रूप से संतुष्ट कर देगा तो उसे जिंदगी भर के लिए यह पुरस्कार मिलने वाला था उसे अपने मोटे तगड़े लंबे लंड पर पूरा भरोसा था उसे यकीन था कि वह अपनी मां को संपूर्ण रूप से संतुष्ट कर देगा इसीलिए खुशी जताते हुए अपने मोटे तगड़े लंड को हाथ में पकड़ कर अपने मोटे सुपा डे को जोर जोर से अपनी मां की गुलाबी बुर के ऊपर पटकने लगा जिससे सुगंधा एकदम मस्त हुए जा रही थी उसका पूरा बदन कसमसा रहा था और वह अपनी मां से बोला,,,,।

फिर तो मम्मी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो आज मैं तुम्हारी ऐसी चुदाई करूंगा कि तुम मुझे डिग्री भर के लिए मेरी गुलाम बन जाओगे और फिर मैं रोज तुम्हें चोदूंगा,,, (रोहन की, बात सुनकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

ये तो वक्त ही बताएगा कि कौन गुलाम बनता है औरत की जवानी के आगे तो अच्छे अच्छों का पानी निकल गया लेकिन कोई भी औरत की प्यास को बुझा नही पाया और मुझे नहीं लगता कि तू मेरी प्यास बुझा पाएगा,,,( सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे को उकसाने के लिए बोल रही थी,,, और अपनी मां की यह बात सुनकर रोहन पूरी तरह से जोश में आ गया और वहां अपनी मां की दोनों जांघो को कुछ ज्यादा ही फैलाते हुए बोला,,)

यह बात है तो देखो मैं कैसा तुम्हें अपना दम दिखाता हूं,,,
(इतना बोलते हुए रोहन एक बार फिर से ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाकर उसे पूरी तरह से चिकना कर लिया यह बात है तो देखो मैं कैसा तुम्हें अपना दम दिखाता हूं इतना बोलते हुए रोहन एक बार फिर से ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाकर उसे पूरी तरह से चिकना कर लिया और लंड के सुपाड़े को अपनी मां की गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखता हुआ इस बार इतना जोर से धक्का लगाया कि एक साथ ही आधा मंडी सुगंधा की बुर में घुस गया सुगंधा की तो चीख निकल गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इस तरह से अपना ताकत दिखाएगा और पूरी बेहाल हो गई थी रोहन अपना आधा लंड डालकर आधा विजय प्राप्त कर लिया था और अपनी मां की तरफ देख रहा था जो कि उसके चेहरे पर दर्द की रेखाएं साफ झलक रही थी,,,,
रोहन की सांसे तीव्र गति से चल रही थी एक जुनून सा उसके बदन में सवार था वह अपनी मां की तरफ से अपने दिए गए वचन के तहत वह पुरस्कार हासिल करना चाहता था जिसके लिए उसे अपनी मां को संपूर्ण रूप से संतुष्ट करना था इसलिए वह उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए,,,, एक बार फिर से करारा झटका मारा और इस बार रोहन का मजबूत लंड बुर की अंदरूनी दीवारों को चीरता हुआ बुर की गहराई में धस गया,,, जिससे सुगंधा की जोरदार चीख निकल गई, जो की उस चीख को बरसाती तूफानी रात में सुनने वाला कोई नहीं था वह पसीने से तरबतर हो गई,,,,, वह अपना सर उठा कर अच्छी तरह से देख पा रही थी कि उसके बेटे का पूरा लंड उसकी बुर में धंसा हुआ था जिसे देखकर एक तरफ से प्रसन्नता भी हो रही थी लेकिन इससे में उसके बदन में दर्द की लहर दौड़ रही थी जिस को शांत करना बेहद जरूरी था इसलिए वह उत्तेजना के मारे खुद ही एक हाथ से अपनी चूची पकड़कर उसे दबाना शुरू कर दी यह देखकर रोहन और ज्यादा जोश में आ गया और रोहन एक बार फिर अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उसी स्पीड में बुर के अंदर पेल दिया और इस बार फिर से उसके मुंह से चीख निकल गई लेकिन इस बार दर्द कम था क्योंकि उसके लंड ने अपने लिए जगह बना लिया था,,,,,

अब बोलो कैसा लगा मम्मी मेरा झटका,,,

बहुत जबरदस्त है रे तेरा झटका बस अब ऐसे ही मुझे चोदता रहे,,,( सुगंधा कंपन भरे स्वर में बोली,,, रोहन के जबरदस्त प्रहार के कारण उसका पूरा वजूद हिल गया था वह दर्द के मारे सूखे पत्ते की तरह फड़फड़ा रहे थे अभी भी उसके बदन में दर्द हो रहा था जो कि रोहन अपनी कमर धीरे-धीरे आगे पीछे करते हुए अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था उसका मोटा तगड़ा लंड रगड़ रगड़ कर अंदर और बाहर हो रहा था,,,,
रोहन धीमी गति से आहीस्ता आहीस्ता अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दिया था जिससें धीरे-धीरे सुगंधा का दर्द दूर होता नजर आ रहा था और दर्द की जगह अब आनंद ने ले लिया था वह पूरी तरह से उत्तेजित अवस्था में अपने बेटे से छुड़वा रही थी और जोर-जोर से अपनी चूची को मसलते हुए उसके हर धक्के का आनंद ले रही थी,,,,,

े कमरे के बाहर बारिश अपना जोर दिखा रही थी और कमरे के अंदर बिस्तर पर रोहन अपना जोर दिखा रहा था सुगंधा अपने बेटे के हर धक्के का सिसकारी के साथ स्वागत कर रही थी उसके मुख से अब लगातार सिसकारी की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,, अपनी मां की गरम सिसकारी सुनकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था अपनी मां को अपने दोनों चुचियों को बारी-बारी से दबाता हुआ देखकर रोहन से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपने मां की फड़ फड़ाते हुए दोनों कबूतरों को अपनी हथेली में भरकर उन्हें दबाना शुरू कर दिया,,,,,

ओहहहह रोहन बेटा तूने तो मेरे बदन में आग लगा दिया है रे आज तक मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं मिला तेरा मोटा लंड मेरी दूर की गहराई तक जाकर गदर मचा रहा है मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तू कितना अच्छा चोदता है,,,,

सच मम्मी क्या तुम्हें सही में मजा आ रहा है,,,( रोहन अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए बोला,,,,)

हारे मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,, (सुगंधा सिसकारी लेते हुए बोली )

क्या पापा भी तुम्हें इसी तरह से चोदते थे? ( जोर से धक्का लगाते हुए बोला जिससे सुगंधा की चीख निकल गई,,,)

आहहहहहह,,, नहीं रे तेरे पापा इतना जोर नहीं लगाते थे वह तो बड़े आराम से करते थे और सच कहूं तो उनकी चुदाई मैं मुझे उतना मजा नहीं मिल रहा था यह बात मुझे आज तेरे से चुदवा कर आ रहा है,,, तू बहुत ही दम लगा कर चोद रहा है सच मुझे बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगा कर मेरा पानी निकाल दे,,,।

अपनी मां के मुंह से अपनी मर्दाना ताकत की तारीफ सुनकर रोहन एकदम से जोश में आ गया और वह एक बार फिर से अपने लिए जगह बनाकर दोनों हाथों में अपनी मां के बड़े-बड़े खरबूजो को दबोच कर उन्हें दबाता हुआ जोर-जोर से अपने कमर हिलाने लगा पूरे कमरे में अब उसकी चुदाई से फच फच की आवाजें आ रही थी और सुगंधा की गर्म सिसकारी की आवाज गूंज रही थी,,,, रोहन इतनी जोर जोर से ताकत लगाकर धक्के लगा रहा था कि पूरा पलंग चरमरा रही थी और उसमें से चरर चरर की आवाज आ रही थी सुगंधा अपने बेटे के हर धक्के के साथ पीछे की तरफ लुढ़क लुढ़क जा रही थी आज तक उसने अपनी जिंदगी में इस तरह से जबरदस्त धक्कों के साथ कभी भी चुदाई नहीं करवाई थी इसलिए आज तो वह अपने बेटे के लंड को लेकर जैसे हवा में उड़ रही थी उसे बहुत मज़ा आ रहा था कुछ देर तक ऐसे ही रोहन उसी पोजीशन में अपनी मां की चुदाई करता रहा जिससे सुगंधा काफी उत्तेजित और आनंदित महसूस कर रही थी अपने बेटे की जबरदस्ती चुदाई के कारण उसका दो बार पानी भी निकल चुका था लेकिन रोहन अभी भी बरकरार था इस तरह से मैदान में डटे होने की वजह से और रोहन को पूरा विश्वास था कि आज वह अपनी मां की तरफ से पुरस्कार हासिल करके ही रहेगा,,,,

सुगंधा अपनी पोजीशन बदलवा कर बिल्कुल भी चुदाने के मूड में नहीं थी क्योंकि वह अपने बेटे को एक पल के लिए भी उसके लंड को अपनी बुर से अलग नहीं होने देना चाहती थी क्योंकि उसे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था,,,

तकरीबन 35 मिनट की जबरदस्त घमासान चुदाई के बाद रोहन को लगने लगा कि उसका पानी निकलने वाला है और यही हाल रो सुगंधा का भी था उसका तीसरी बार पानी निकलने वाला था,,,
सुगंधा एकदम उत्तेजना से भर गई थी और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर रोहन को अपनी तरफ खींच कर अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूसना शुरू कर दी उन दोनों के बीच का यह सर्वप्रथम चुंबन था जो कि बेहद रोमांचित कर देने वाला था दोनों जन ऊत्तेजना से भरे हुए थे और रोहन भी अपनी मां का साथ देते हुए उसके मुंह में जीभ डालकर उसकी जीभ को चाटते हुए अपनी कमर को जोर जोर से हिला रहा था,,,,
पूरा कमरा दोनों की गरम सिसकारी और पलंग की चरमर आहट से गूंज रहा था और कुछ ही देर में रोहन के जबरदस्त धक्कों के साथ सुगंधा का पानी निकल गया और उसके तुरंत बाद ही रोहन भी भला भला कर अपना पानी अपनी मां की बरहमपुर में छोड़ना शुरू कर दिया सुगंधा उत्तेजित होते हुए अपने दोनों हाथों से अपने बेटे के नितंब को पकड़ कर अपनी बुर से जोर से लगा दी दोनों मस्त होते हुए अपना-अपना पानी छोड़ने लगे,,,
दोनों झड़ चुके थे तूफान शांत हो चुका था रोहन अभी भी अपनी मां की बुर में लंड डाले उसके ऊपर ही लेटा हुआ था सुगंधा उसकी पीठ को सहला रही थी दोनों के जिंदगी का सर्वप्रथम संभोग था जिसे दोनों संपूर्ण रूप से संतुष्टि भरा महसूस करते हुए पहले पड़ाव पार कर चुके थे यह संभोग दोनों की जिंदगी का एक नए रिश्ते की शुरुआत थी और ऐसा रिश्ता जो कि कमरे के बाहर पूरी तरह से अनैतिक था,,, सुगंधा अपनी जिंदगी की इस नई शुरुआत से काफी खुश नजर आ रही थी उसके चेहरे पर संतुष्टि भरा एहसास साफ झलक रहा था वहां एकदम खुश थी आज पहली बार उसे अपनी औरत होने पर गर्व महसूस हो रहा था वह उसी तरह से अपने बेटे की पीठ को सहला रही थी मानो कि उसे शाबाशी दे रही होा
 
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