रघु जमीदार की बीवी की दो बार ले चुका था,,, झाड़ियों पर लालटेन को लटका कर उसकी पीली रोशनी में जमीदार की बीवी की जमकर चुदाई करने पर उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी और जमीदार की बीवी भी रघु की जबरदस्त घमासान चुदाई से एकदम तृप्त हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी किअपने से आधी उम्र के लड़के के साथ उसे संभोग करना पड़ेगा और उस संभोग से वह एकदम तृप्त हो जाएगी,,,, जिस तरह से रघू ने उसे पेशाब करते हुए अद्भुत सुख की प्राप्ति कराया था,,, यह सब जमीदार की बीवी को एकदम कल्पना की तरह लग रहा था कोई सपना की तरह वह अभी भी विश्वास नहीं कर रही थी कि जो कुछ भी हुआ वह हकीकत हां उसे सब कुछ सपना ही लग रहा था,,,।
जमीदार की बीवी अपनी ऊखती हुई सांसो को दुरुस्त करके तांगे की तरफ जाने लगी तो रघु पलक झपकते ही उसे उठाकर अपनी गोदी में ले लिया,,, रघु की इस हरकत से वो एकदम से हड़बड़ा गई,,,।
अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, छोड़ मुझे,,, मुझे नीचे उतार गिर जाऊंगी,,,।
ऐसे कैसे गिर जाओगी,,,, मालकिन तुम मेरे हाथों में हो और मैं तुम्हें गिरने दूंगा ऐसा कभी सपने में भी नहीं हो सकता,,,
(रघु की बात सुनकर उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,और वह झूठा गुस्सा दिखाते हुए उसकी चौड़ी छाती पर मुक्का मारने लगी,,,)
तू बहुत शैतान है,,,,।
हां हूं लेकिन सिर्फ तुम्हारे लिए,,,,(झाड़ी पर टंगी हुई लालटेन को एक हाथ से उतार कर अपने हाथ में लेते हुए)
अगर सोचो मैं शैतान ना होता तो आज मैं तुम्हारी दो बार ले,ना चुका होता,,,(इतना कहते हुए रघु उसे गोद में उठाए हुए तांगे की तरफ ले जाने लगा,,, और दो बार लेने की बात सुनकर,, जमीदार की बीवी एकदम से शर्मा गई,,,)सच मालकिन इस उम्र में भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है एकदम जवान लड़की की तरह,,,,, लेकिन मालकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है,,,
कौन सी बात,,,
यही कि इस उम्र में भी तुम्हारी बुर ईतनी कसी हुई क्यों है,,,
(रघु कि यह बात सुनकर आप एक बार फिर से जमीदार की बीवी शर्मा गई,,, वह बोली कुछ नहीं तो रघू फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,)
बोलो ना मालकिन क्या कारण हो सकता है इसका,,, कहीं मालिक के छोटे और पतले लंड की वजह से तो नहीं,,,
(रखो कि इस तरह की बेलगाम गंदी बातें जमीदार की बीवी के तन बदन में हलचल मचा रही थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह की कोई गंदी बातें उससे करेगा,,, और वह भी उसकी उम्र के आधे उम्र के लड़के के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर वह और ज्यादा शर्म से गड़ी जा रही थी,,) बोलो ना मालकिन खामोश क्यों हो,,,
(रघु तांगे के करीब पहुंचकर तांगे पर उसे अपने हाथों से बैठाते हुए बोला,,, जमीदार की बीवी के पास जवाब दो था लेकिन वह जवाब देने में शर्मा रही थी फिर भी दो दो बार अपने से आधी उम्र की लड़की के साथ चुदाई करवा कर और वह भी एकदम गंदे तरीके से वह थोड़ा बहुत खुल चुकी थी,,, इसलिए इत्मीनान से तांगे में बैठे हुए वह बोली तब तक रघुवीर तांगे के अंदर जाकर बैठ चुका था,,,।)
जो तुम कह रहे हो एक कारण वह भी है लेकिन सबसे बड़ा कारण यह है कि अभी तक मेरी गोद हरि नहीं हो पाई है,,,
मतलब मैं कुछ समझा नहीं,,,(रघु आश्चर्य जताते हुए बोला)
अरे बुद्धू मतलब कि मैं अभी तक मां नहीं बन पाई हूं,,,(रघु के सिर में ठोकते हुए बोली,,,)
ओहहहह,,, मतलब कि तुमने अभी तक किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया,,,,।
लेकिन मालकिन ऐसा क्यों हुआ,,, शादी के बाद तो सभी लड़कीया मां बन जाती है तो तुम क्यों नहीं,,,।
शायद तुम्हारे मालिक की उम्र कुछ ज्यादा ही हो चुकी है वह बाप बनने के लायक नहीं रह गए,,,,।( वह उदास होते हुए बोली)
मालकिन,,, कहीं तुम मेरी चुदाई से मां बन गई तो,,,
( रघु की यह बात सुनते ही वह,, रघु की तरफ देखने लगी और अपने होठों पर मुस्कान लाते हुए बोली,,)
धत्,,,, 1 दिन की चुदाई से थोड़ी होता है,,,,
तो,,,,
बार बार करने से होता है,,,,,( जमीदार की बीवी यह बात जानबूझकर बोली थी क्योंकि वह रघु के लंड की दीवानी हो चुकी थी,,, और वह रघु से बार-बार चुदवाने की लालसा मन में जगा चुकी थी,,, जमीनदार की बीवी की बात सुन कर रघू बोला,,,)
मैं बार-बार तुमको कर सकता हूं,, लेकिन मौका मिलेगा या नहीं,,,,
(रघु की यह बात सुनकर जमीदार की बीवी मुस्कुराती और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
यह तो घर पर पहुंचने के बाद पता चलेगा कि मौका मिलेगा या नहीं,,,, अब हमें सो जाना चाहिए काफी रात हो चुकी है,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार की बीवी लेट गई और रघु भी उसे अपनी बाहों में लेकर सो गया,,, सुबह पंछियों की मधुर आवाज के साथ दोनों की नींद खुली तो दोनों एक दूसरे को देखकर एकदम दंग रह गए क्योंकि दोनों एक दूसरे के जवानी मदहोशी में इस कदर खो गए थे कि कपड़े पहने बिना ही एकदम नंगे ही एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल कर सो गए थे,,,, जमीदार की बीवी एकदम हड़बड़ाहट दिखाते हुए उठी और अपने कपड़े पहनने लगी,,, सुबह हो चुकी थी लेकिन इस जंगल में आदमी का नामोनिशान नहीं था चारों तरफ जंगल ही जंगल बड़े-बड़े पेड़ हरियाली बस यही थे और कुछ नहीं,,, जब जमीदार की बीवी अपने ब्लाउज का बटन बंद कर रही थी तो रघु के मन में शरारत सूझी और वह जमीदार की बीवी को बोला,,,)
मालती मैं सोच रहा था कि घर पहुंचने पर भी मौका मिलेगा या नहीं,,,,लेकिन इस समय तो हमारे पास मौका है इस जंगल में कोई देखने वाला भी नहीं है,,,(रघु की बात का मतलब जमीदार की बीवी अच्छी तरह से समझ रही थी,,, और वह मुस्कुराते हुए बोली,,)
तेरा इरादा क्या है,,,,
इरादा तो मेरा एकदम साफ है,,, तुम्हारी मस्त चूचियों को देखकर एक बार फिर से मेरा लंड खड़ा हो गया है,,,
तो,,(रघु की तरफ आंख दिखाते हुए बोली,,,, जो रघु चाह रहा था वही जमीदार की बीवी भी चाह रही थी उसके मन में भी यही था कि घर पर पहुंचने के बाद मौका मिले ना मिले यहां पर मौके का फायदा उठा लेना चाहिए,,,)
तो क्या माल कि मैं एक बार फिर से तुम्हारी यही पर ले लेना चाहता हूं,,,
तो इसमें मुझे क्या करना होगा,,,,(अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली)
ज्यादा कुछ नहीं बस अपनी घुटनों के बल झुक जाना होगा बाकी का काम मैं संभाल लूंगा,,,,(रघु एक बार फिर से अपने पजामे को उतारते हुए बोला,,, और पैजामा के ऊतरते ही एक बार फिर से सुबह-सुबह रघु के खड़े मोटे तगड़े लंड के दर्शन करके जमीदार की बीवी एकदम से मस्त हो गई,,,,)
तुम मानोगे नहीं,,,,
अगर मानना होता तो,,,, तुम्हारी दो बार चुदाई ना कर चुका होता,,,,,
(रघु की बात सुनकर जमीदार की बीवी हंसने लगी और हंसते हुए,,, अपने घुटने और हाथों की कोहनी के बल तांगे के अंदर ही झुक गई,,, और रघू मौका देखते ही अपने दोनों हाथों से उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाकर कमर पर लाकर रख दिया जमीदार की बीवी की बड़ी-बड़ी मदमस्त गोलाकार तरबूज जेसी गांड देखकर रघु का लंड और ज्यादा कड़क हो गया और एक बार फिर से वह जमीदार की बीवी के गुलाबी छेद में समा गया,,,, एक बार फिर से थाने के अंदर हो रही घमासान चुराई से पूरा जंगल गर्म सिसकारीयो से गूंजने लगा,,,,
रघु तांगा लेकर जमीदार की बीवी के घर पहुंच चुका था जमीदार की बीवी का घर एकदम कोठी की तरह लग रही थी बहुत खूबसूरत बनी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जल्द ही बनाई गई है जो कि हकीकत में जमीदार ने ही बनवाया था,,,, घर के आगे ताना के रुकते ही सबसे पहले एक बेहद खूबसूरत लड़की भागते हुए आई,,,,)
दीदी दीदी तुम आ गई दीदी,,,,,
हां रानी मैं आ गई,,,,
(उस लड़की का नाम रानी था यह जानकर रघु के दिल में कुछ कुछ होने लगा क्योंकि वह लड़की जो कि जमीदार की बीवी की छोटी बहन की बेहद खूबसूरत एकदम राजकुमारी की तरह रघु तो उसे चोर नजरों से देखता ही रह गया,,,)