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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Baba__Bhai

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अगले अपडेट का बेसब्री से
इंतजार हो रहा है।

Waittttiiiiiiiiinnnnnngggggg......

:eek1::eek1::eek1::eek1::eek1::eek1::eek1::eek1::eek1::eek1::hellrider:
 

Dhansu

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गजब का अद्भुत संभोग था,,, जमीदार की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोची थी किस तरह का भी संभव है औरत के साथ संभव है और संभोग में इतना अत्यधिक सुख की प्राप्ति होती है यह सब जमीदार की बीवी के लिए पहली बार था वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी मदहोशी के आलम में पूरी तरह से तांगे में लेटी हुई गहरी गहरी सांसे ले रही थी,,। और रघु उसके ऊपर उसकी मदमस्त गोलाकार चुचियों पर सर रखकर अपनी लड़खड़ाती हुई सांसो को दुरुस्त कर रहा था,,,, अद्भुत और अतुल्य सुख की प्राप्ति दोनों को हुई थी एक बड़े घर की औरत की चुदाई करके रखो अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझ रहा था और भाग्यशाली था भी,,, क्योंकि रघु ऐसी औरत की चुदाई कर चुका था जिसे देखकर गांव के सभी लोग आहें भरते थे लेकिन किसी की बाहों में अब तक नहीं आ पाई थी लेकिन आज रघू की किस्मत इतनी तेज थी कि वह खूबसूरत मदमस्त यौवन से छलकती हुई औरत उसके नीचे आ चुकी थी,,,, ना तो रघु ने और ना ही जमीदार की बीवी ने कभी इस बारे में कल्पना किए थे कि उनकी जिंदगी में ऐसा पल भी आएगा कि जंगल में विराने मे अंधेरी रात के समय वह दुनिया की नजरों से बचकर अपनी जिंदगी का बेहतरीन पल बिताएंगी,,, जमीदार की बीवी के कदम लड़खड़ा चुके थे,,, अपने पति से शरीर सुख की अतृप्ती के एहसास तले दबी हुई जमीदार की बीवी रघु की संगत पाकर हवा में उड़ने लगी थी उसके अरमानों के पर लग चुके थे,,,एक जवान लड़का और एक प्यासी औरत अगर इस तरह से वीराने में मिल जाए तो स्वाभाविक तौर पर संभोग होना निश्चित होता है और वही दोनों के साथ हुआ,,,,

जमीदार की बीवी की आंखें बंद थी वह इस अद्भुत अहसास ने अपने आप को पूरी तरह से भीगो देना चाहती थी,,,उसे यह सब सपना ही लग रहा था इसलिए अपनी आंखें खोल कर इस सपने को टूटने नहीं देना चाहती थी,, लालटेन की रोशनी में उसके खूबसूरत गोरे मुखड़े पर तृप्ति का आभास साफ झलक रहा था उसकी सांसों की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही उसकी चूचियां जिसके ऊपर रघू अपना सर रख कर लेटा हुआ था उसे किसी झूले का आभास हो रहा था वह बेहद खुश नजर आ रहा था,,,,, रघू प्रताप सिंह की बीवी के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए बोला,,।

कैसा लगा मालकिन,,,,
( जवाब में वह बोली कुछ नहीं बस आंखें बंद किए हुए होठों पर मुस्कान ला दी,,,जो कि उसकी मौन स्वीकृति थी कि उसे भी अद्भुत एहसास हुआ है,,, लेकिन रघु उसके मुंह से सुनना चाहता था इसलिए अपना सवाल दोहराते हुए बोला,,,)

बोलो ना मालकिन कैसा लगा,,,,?
( इस बार उससे रहा नहीं गया और वह अपनी आंखें धीरे से खोल दी रघु उसे ही देख रहा था रघु से नजरें मिलते ही एकदम से शर्मा गई लेकिन फिर भी शरमाते हुए बोली,,,)

बहुत मजा आया रघू,,, आज तक तेरे मालिक ने मुझे ऐसा सुख नहीं दिया,,

क्या आप सच कह रही हो मालकिन क्या मालिक,,, आपको इस तरह से शरीर सुख नहीं दे पाते,,,।

उनकी उम्र देखा है,,, तुझे क्या लगता है इस उमर में वाह तेरे जैसा जबरदस्त धक्का लगा पाते होंगे,,,। तुम नहीं जानते रघू,, मैं अपनी जिंदगी कैसे बिता रही हूं,,, मेरे भी कुछ अरमान थे लेकिन तेरे मालिक ने मेरे सारे अरमानों को धो डाला,,,,

मैं कुछ समझा नहीं मालकिन,,,,(उसके खूबसूरत चेहरे पर आई बालों की लट को अपने हाथ की उंगलियों से हटाकर कान के पीछे ले जाते हुए बोला)

यह शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई थी मैं शादी नहीं करना चाहती थी तुम तो देखे ही होगे कि मेरी उम्र में और तुम्हारे मालिक की उम्र में जमीन आसमान का फर्क है,,,,


फिर कैसे हो गई शादी मालकीन,,,,

मेरे पिताजी ने तुम्हारे मालिक से कर्जा लिया हुआ था,,, हमारी जमीन खेत खलिहान सब कुछ तुम्हारे मालिक के पास गिरवी पड़ी हुई थी,,, एक तरह से मेरे पिताजी और हम लोग तुम्हारे मालिक के बोझ तले दबे हुए थे,,, ऐसे में एक बार कर्जा का तकादा करने के लिए तुम्हारे मालिक हमारे घर आए थे और उनकी नजर मुझ पर पड़ गई 2 साल हुए थे उनकी पत्नी को गुजरे मुझ पर नजर पड़ते ही वह मेरे पिताजी से मुझसे शादी करने के लिए बोले बदले में उन्होंने सारे खेत खलियान और कर्जा माफ करने के लिए बोल दिया और मेरे पिताजी मेरे मन की सुने बिना ही हामी भर दीए,, और ना चाहते हुए भी मुझे तुम्हारे मालिक की बीवी बन कर आना पड़ा,,,,


यह तो अच्छा नहीं हुआ मालकिन,,,, तभी मैं सोचूं कि मालिक और आपकी उम्र में इतना जमीन आसमान का फर्क क्यों है,,,, तब तो सच में मालकिन आपको चुदाई का सुख बिल्कुल भी नहीं मिलता होगा,,,,( रघू जानबूझकर गंदे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए बोला,,, लेकिन इस तरह की बातों से जमीदार की बीवी को अच्छा ही लग रहा था,,, रघु की बातें सुनकर वह जवाब देते हुए बोली,,,।)

जब से मेरी शादी हुई है तब से आज जाकर मुझे खुशी मिली है,,,।

चुदवाकर,,,,(रघु फटाक से बोला उसे बड़े घर की औरत से इस तरह की गंदी बातें करने में आनंद आ रहा था,,,)

हां तुम सच कह रहे हो,,, समय के साथ साथ जिस तरह से मर्दों की इच्छा होती है उसी तरह से औरतों की भी इच्छा होती है मैं भी उनमें से अलग नहीं हुं,,,,

आप सच में बहुत खूबसूरत है मालकिन,,,,


क्या खूबसूरत है (वह ,,,मुस्कुराते हुए बोली,,)

तुम्हारा चेहरा तुम्हारी आंखें (अपनी उंगली को उसके खूबसूरत चेहरे पर इधर से उधर सरकाते हुए ) तुम्हारे लाल लाल होंठ,,,,


और क्या,,,,,( वो शरमाते हुए बोली)


तुम्हारी बड़ी-बड़ी दोनों चुचियां जो इतनी दशहरी आम की तरह मीठे रस से भरी हुई है,,,( कुछ सेकंड तक रुकने के बाद उसकी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथ से पकड़ते हुए बोला,,, वह उत्तेजना के मारे इतनी जोर से उसकी चुचियों को दबाया था कि उसके मुंह से कराहने की आवाज निकल गई,,,।)

आहहहहहहहह,,,,, और क्या खूबसूरत है,,,,

और बताऊं,,,,,

हां बताओ ,,,,(अपने होठों पर मादक मुस्कान लाते हुए वह बोली,,, उसकी बात सुनकर रखो अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाते हुए बोला,,,)

और और और तुम्हारी यह रसीली कसी हुई बुर,,,,(जैसे ही रघु की हथेली उसकी बुर के ऊपर पहुंची वैसे ही उसके मुख से गरम आह निकल पड़ी,,,)

ससससहहहहईईइईईईईई,,,,,,,, रघू,,,,,
(रघु की बातों से जमीदार की बीवी एक बार फिर से गरमाने लगी थी उसे रघु का लंड जो कि झड़ने के बाद भी एकदम बडा था,,, जमीदार की बीवी को अपनी दोनों टांगों के बीच एकदम साफ लहराता हुआ महसूस हो रहा था एक बार फिर से जमीदार की बीवी के तन बदन में उमंग जगने लगी थी,,, रघु अपनी हथेली से जमीदार की बीवी की बुर को रगड़ रहा था,,,,जमीदार की बीवी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज निकलने लगी थी,,। रघु एकटक उसको देखे जा रहा था वह एकदम मदहोश हुए जा रही थी रघु की कामुक हरकत उसके बदन में उत्तेजना की लहर को एक बार फिर से बढाने लगी थी,,,उत्तेजना के मारे गर्म सांसे लेते हुए जमीदार की बीवी के होठ खुले के खुले रह गए थे,,, उसके लाल लाल रसीले होठों को देखकर,प्रभु से रहा नहीं गया और उसके लाल-लाल होठों पर अपना होठ रख कर उसके होठों का रस चूसने लगा,,,, जमीदार की बीवी मदहोश होने लगी उसके तन बदन में खुमारी छाने लगी,,, लेकिन उसे बड़ी जोरों की पेशाब लगी हुई थी दोबारा रघू का लंड उसकी बुर में जाता इससे पहले वह उसे रोकते हुए बोली,,,।

रुको रघू,,,,

क्या हुआ मालकिन,,,,


मुझे जाना है,,

इतनी रात को इस वीराने में कहां जाना है आपको,,,,


तुम समझ नहीं रहे हो मेरे ऊपर से हटो पहले(इतना कहते हुए वह खुद ही रघु को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली और रघु एक तरफ हो गया)


मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,,,(बड़ी हिम्मत दिखाते हुए वह पेशाब शब्द बोली थी,,, लेकिन इस शब्द को बोलते हुए इसके तन बदन में अद्भुत एहसास फैल गया था,,,, उसे आनंद की अनुभूति हुई थी।रघु तो उसके मुंह से पेशाब वाली बात सुनकर एकदम से दंग रह गया और पेशाब शब्द सुनते ही उसके लंड का तनाव एकाएक एकदम से बढ़ गया,,, इतना बोल कर जमीदार की बीवी अपनी साड़ी को अपने बदन पर लपेटने लगी तो रघु उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,,,)

कपड़ा पहनने की क्या जरूरत है मालकिन यहां कौन सा कोई देखने वाला है,,,, और मैं तो कहता हूं नीचे उतरने की भी जरूरत नहीं है,,

नीचे उतरुगी नहीं तो पेशाब कैसे करूंगी,,,,(वह सवालिया नजरों से रघु की तरफ देखते हुए बोली)

यहीं से कर लो तांगे के ऊपर से ही नीचे उतरने की जरूरत ही नहीं है वैसे भी नीचे सांप बिच्छू सब घूम रहे होंगे अंधेरे में पता नहीं चलेगा,,,


नहीं नहीं रघूइस तरह से पेशाब करने में मुझे शर्म आएगी मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगी,,,

मेरा मोटा लंड अपनी बुर में लेकर चुदवाने में शर्म नहीं आती और मेरे सामने मुतने में शर्म आ रही है,,,।
(रघु कि यह बातें सुनते ही वह एकदम से शर्म से पानी-पानी हो गई और शरमाते हुए बोली)

नहीं मैं इस तरह से नहीं कर पाऊंगी,,,,(इतना कहते हो आप फिर से अपनी साड़ी उठाकर अपने बदन से लपेटने लगी तो रघु उसके हाथ से साड़ी खींचकर एक कोने में रखते हुए बोला,,,)

मालकिन इसकी क्या जरूरत है,,,, चलो ऐसे ही नीचे चलो मैं लालटेन लेकर चलता हूं अगर अंधेरे में जाओगी तो सांप बिच्छू के काटने का डर लगा रहेगा,,,(रघु कि यह बात उसे भी ठीक लग रही थी,,, लेकिन जिस तरह से वहां उसकी साड़ी उसके हाथों से खींचकर एक कोने में रख दिया था उसका इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह बोली)

मेरी साड़ी तो दे दो,,,

साड़ी की क्या जरूरत है मालकिन तुम भी नंगी में भी नंगा और यहां पर कोई देखने वाला भी नहीं है,,,(वह लालटेन को हाथ में लेते हुए बोला)
अब नीचे उतरीए मालकिन,,,,
(रघु का इरादा उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था लेकिन उसका यह इरादा अंदर ही अंदर उसे भी पसंद आ रहा था इसलिए वह बेझिझक टांगे से नीचे उतरने लगी एकदम नीचे रखकर एक टांग अभी भी उसकी तांगे के ऊपर थी जिससे उसकी गोलाकार गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर की तरफ निकल आई थी,,, और यह नजारा देखकर एकदम से गरमा गया,,, और उतरते उतरते हैं उसकी भारी-भरकम गांड पर अपना हाथ रख कर सहलाते हुए बोला,,,)

वाहहहहह,,,, मालकिन क्या मस्त गांड है तुम्हारी,,,,

अरे उतरने तो दो,,,,(इतना कहकर वह नीचे उतर गई और पीछे पीछे रघु भी नीचे उतर गया लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, बड़े-बड़े पेड़ एकदम घना जंगल सब कुछ भयानक लग रहा था,,, ऐसे में दोनों एकदम नग्न अवस्था में थे जमीदार की बीवी पहली बार इस तरह से खुले में अपने वस्त्र निकालकर एकदम नंगी घूम रही थी,,, बाहर का माहौल उसे थोड़ा डरावना लग रहा था,,,, वह चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए बोली,,,)

कहां करूं कितना डरावना लग रहा है सब जगह,,,,


कहीं भी कर लीजिए मालकिन मेरे होते हुए तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है,,,,, एक काम करिए वहां झाड़ के पास कर लीजिए,,,,(5 कदम की दूरी पर इशारा करते हुए रघु बोला,,, और वहां डरते डरते आगे बढ़ने लगी जब वह चल रही थी तो उसकी मटकती हुई गांड बेहद लुभावनी लग रही थी,,, रघू यह देखकर गरम आहें भरने लगा,,, जमीदार की बीवी झाड़ी के पास जाकर तुरंत नीचे बैठ कर मुतने लगी और तुरंत उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज उसके कानों में पड़ने लगी रघु एकदम मदहोश होने लगा इस सफर के दौरान दूसरी बार था जब वह मालकिन को इस तरह से पेशाब करते हुए देख रहा था,,,, रघु का दिल फिर से जोरो से धड़कने लगा साथ ही उसकी मत मस्त जवानी को सलामी भरते हुए उसका लंड कुछ ज्यादा ऊंचाई नापने लगा,,,, उसे भी जोरों की पेशाब लगी हुई थी ऊससे रहा नहीं जा रहा था,,, जमीदार की बीवी डरते हुए पेशाब कर रही थी अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देख ले रही थी कि कहीं कोई जानवर तो नहीं आ रहा है,,,,और उसके 5 कदम पर ठीक पीछे खड़ा रघु उसकी गोलाकार गाने देखकर अपनी उत्तेजना को अपने काबू में नहीं कर पाया और वही पास की झाड़ी में लालटेन को टांग कर धीरे से उसकी तरफ आगे बढ़ा,,,और जिस तरह से वह बैठी हुई थी ठीक उसके पीछे उसी तरह से अपनी दोनों टांगों को थोड़ी कर के अपने आगे वाले भाग को उसके नितंबों पर सटाता हुआ बैठ गया,,,, रघु की इस तरह की हरकत से वह एकदम से घबरा गई उसे समझ में नहीं आया कि युं एकाएक उसके पीछे कौन आकर बैठ गया है,,,,वह समझ पाती इससे पहले ही रघु उसके कंधे को पकड़कर उसी तरह से बैठने पर मजबूर कर दिया उसकी दूर से अभी भी पेशाब की धार फूट रही थी और रघु का मोटा तगड़ा लंड उसकी गांड पर दस्तक दे रहा था,,,,


क्या कर रहे हो रघु,,,,(गर्म सांसे लेते हुए वह बोली)

मुझे भी पेशाब लगी है मालकिन,,,(रघु उसके कानों पर अपनी जीभ घुमाते हुए बोला)

तो कहीं और जाकर कर लीए होते,,, इस तरह से औरतों की तरह बैठ कर मुतने का क्या मतलब है,,,,


मैं भी देखना चाहता हूं मालकिन की बैठे-बैठे तुम औरत लोग कैसे मुतत हो,,,(रघु उसी तरह से उसके कान पर चुंबन लेते हुए बोला रघु की इस हरकत से वह पूरी तरह से कामोत्तेजीत हुए जा रही थी,,, मदहोशी उसके नस नस में फैलती चली जा रही थी,,, अपना एक नीचे की तरफ लाकर उसे सीधा करते हुए ठीक उसकी बुर की आगे कर दिया,,, रघु का लंड कुछ ज्यादा ही लंबा था इसलिए आराम से उसकी बुर के आगे आ गया,,, उसकी बुर से अभी भी पेशाब की धार फुट रही थी,,, जो कि उसकी बुर से निकल रही पेशाब की धार सीधे उसके लंड के मोटे सुपाड़े पर पड रही थी,,, जमींदार की बीवी अपनी नजर नीचे की तरफ करके देखी तो दंग रह गई अपनी पेशाब को उसके लंड पर पडते हुए देखकर वो एकदम से मदहोश होने लगी,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी,,, उसकी आंखों में खुमारी थी,,, वह अपने आप को एकदम मस्त होता हुआ महसूस कर रही थी वह प्यासी नजरों से रघु की तरफ देखी रघु भी एकदम पागल हुए जा रहा था,,, लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आया था,,, अपने होठों को अपनी मालकिन के होठों की तरफ बढ़ाया और अगले ही पल ऊसके लाल-लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, जमीदार की बीवी भी उसका साथ देने लगी अपना और अपनी मालकिन का आनंद बढ़ाने के लिए वह अपने मोटे तगड़े लंबे लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी मालकिन की रसीली गुलाबी बुर के ऊपर पटकने लगा,, मोटे सुपाड़े की चोट जमीदार की बीवी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,। रघु की यह हरकत उसकी कामोत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी,,,, जमीदार की बीवी की हालत खराब हुए जा रही थी,,,वह यही सोच रही थी कि अपनी बुर से निकलने वाली पेशाब की धार को और जोर से उसके लंड पर मारेलेकिन पेशाब की धार धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही थी उसकी पेशाब खत्म हो रही थी लेकिन रघु के लंड से निकलने वाली पेशाब की धार बड़ी दूर तक जा रही थी जिसे देखकर जमीदार की बीवी एकदम मस्त हुए जा रही थी एकदम से मदहोश हो चुकी थी इसलिए अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर रघु के लंड को पकड़ ली और‌ रखो एकदम मस्त होता हुआ और जोर से पेशाब करने लगा जमीदार की बीवी अब खुद प्रभु के लंड को पकड़ कर अपनी बुर के ऊपर मार रही थी और उसकी पेशाब की धार ऊपर नीचे होते हुए दूर जा रही थी,,,,, दोनों एकदम मदहोश हो चुके थे रघु थोड़ी थोड़ी देर के बाद संभोग के अध्याय का एक नया पन्ना खोल रहा था जिसमें जमीदार की बीवी को अध्ययन करने में और भी ज्यादा आनंद की प्राप्ति हुई थी जमीदार की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोचा कि किस तरह से भी आनंद प्राप्त होता है वरना पेशाब करना तो एकदम सहज बात थी,,,। रघु एकदम मस्त हुआ जा रहा था अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ लाकर जमीदार की बीवी के दो नेता शायरी हमको एक बार फिर से अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया और इसी के साथ ही दुगना आनंद प्राप्त करती हुई जमीदार की बीवी गरम सिसकारी की आवाज निकालने लगी,,,।

सससहहहह आहहहहहह,,,, रघु यह क्या कर रहा है तु,,, मुझे बहुत मजा आ रहा है।


मुझे भी मालकीन बहुत मजा आ रहा है,,,,,

तू बहुत छिछोरा है,,,।

तुम भी तो छिनार हो मालकिन,,,,
(अपने लिए छिनार सब्द सुनकर वह आश्चर्य से रघु की तरफ देखने लगी तो रघू अपने लंड के सुपाड़े को उसके गुलाबी बुर के क्षेंद में डालने की कोशिश करने लगा तो जमीदार की बीवी एकदम से मदहोश हो गई रघु लगातार अपने लंड कै सुपाड़े को उसकी बुर में डालने की कोशिश कर रहा था,,,, लेकिन उसका लंड का सुपारा उसके गुलाबी बुर के अंदर घुस नहीं पा रहा था,,,, इसलिए रघू उसकी बांह पकड़कर उसे उठाते हुए बोला,,,)

उठ जाओ मालकिन ऐसे घुस नहीं पा रहा है,,,,
(जब इधर की बीवी यही चाहती थी कि जल्द से जल्द उसका लंड उसकी बुर के अंदर घुस जाए इसलिए वह भी बिना किसी झिझक के खड़ी हो गई,,,, मदहोशी के आलम में वह एकदम से भूल गई कि रघु ने उसे छिनार कहा था,,, एकदम मस्त हो चुकी थी एकदम नंगी वीराने में रात के समय अपने गाड़ीवान से चुदवाने के लिए तैयार थी,,,, रघू बोला,,,)

थोड़ा झुक जाओ मालकीन,,,
(रघु की बात सुनते ही एकदम आज्ञाकारी बच्चे की तरह लेकिन सही स्थिति शायद उसे भी नहीं मालूम थी तो रघु ही उसकी पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा और जैसे ही वह और उसकी रसीली बुर एकदम स्थिति में आई तो वह बोला,,,)

बस अब बिल्कुल ठीक है,,,,(इतना कहते हुए रघु अपना मोटा तगड़ा लंड पकड़ कर लालटेन की रोशनी में उसकी गुलाबी बुरके छेद में डालना शुरू कर दिया,,, मदन रस के बहाव के कारण जमीदार की बीवी की बुर एकदम गीली हो चुकी थी,,,इसलिए बिना अड़चन के इस बार धीरे-धीरे करके रखो का पूरा लंड एक बार फिर से उसकी बुर की गहराई नापने लगा,,,, लेकिन जेसे ही रघू का लंड उसकी बुर की गहराई में पहुंचा था वैसे ही एक दर्द की मीठी फुहार उसके तन बदन को अपनी आगोश में लेकर भीगोने लगी,,,और उसके मुख से मीठी दर्द की कराह फुट पड़ी,,,।

आहहहहह रघू संभाल के,,,,

चिंता मत करो मालकिन,,, लंड पूरा बुर में घुस चुका है,,,( रघू अपने दोनों हाथों से जमींदार की बीवी की कमर को थामते हुए बोला,,, मालकिन को थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि रघू के जबरदस्त धक्कों से वह अच्छी तरह से वाकीफ हो चुकी थी,,ऊसका हर एक धक्का उसके पुरे वजुद को झकझोर कर रख दिया था,,, इसलिए वह एक बार फिर से उसके धक्के को झेलने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी,,, रघू एकबार फिर से उसे चोदने के लिए तैयार हो गया था,,,)

ओहहहहह मेरी प्यारी मालकिन,,,आहहहहहहहह,,,, और इतना कहते हुए वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, एकबार फिर से वह अपनी मालकिन को चोद रहा था,,, जमीदार की बीवी मदहोश हो गई,, रघू की चुदाई में ऊसे पहले जैसा ही सुख मिलने लगा,,,उसमें जरा भी बदलाव नहीं आया था,,,अंधेरी रात में और जंगल के ईस विराने में मालकीन और नौकर दोनों पुरी तरह से नंगे होकर चुदाई का भरपूर आनंद ले रहे थे,,,। ऊतेजना के मारे जमींदार की बीवी का गला सूखने लगा था,,, जिसे वह बार-बार अपने थुक से गीला कर रही थी,,,,,

पेड़ की टहनी पर लालटेन लटकी हुई थी जिसकी पीली रोशनी सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, रघु को अपनी किस्मत पर अपने भाग्य पर नाज हो रहा था,,, जो उसे जमीदार की बीवी चोदने की मिल रही थी,,, रघु अभी तक गांव की सभी औरतों को लेकर कल्पना कर चुका था लेकिन उसने कभी भी जमीदार की बीवी के बारे में सोचा भी नहीं था उसे अब इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो रहा था कि जमीदार की बीवी जीस तरह के खूबसूरत भरे हुए बदन की मालकिन थी उस तरह की औरत पूरे गांव में नहीं थी,,,, रघू जमीदार की बीवी की चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों से थामे हुए था,,,। दोनों एकदम नंगे थे शायद पहली बार ही चुदाई के समय जमीदार की बीवी पूरी तरह से नंगी हुई थी वरना जमीदार कभी भी उसके पूरे कपड़े उतार कर उसके चुदाई नहीं किया था और यह बात शत प्रतिशत सच थी किजिस तरह से रघु नए-नए पेंतरे आजमा कर उसे आनंद के चरम सीमा तक पहुंचा रहा था उस तरह से कभी भी जमीदार में कोशिश भी नहीं किया था और ना ही उसे शायद इसका ज्ञान था,,,

लेकिन सारा कसर रघू पूरा कर दे रहा था शादी से लेकर अब तक जिस तरह से वह प्यासी ही अपने जीवन को बिता रही थी आज जाकर उसकी प्यास बुझी थी,,, उसके तन बदन को एक नई उमंग प्राप्त हुई थी,,, रघु अपनी मालकिन की कमर पर थामे गचा गच पेल रहा था,,, उस वीराने में जंगल के बीचो-बीच अंधेरी रात में इंसान की मौजूदगी नामुमकिन थी लेकिन जानवरों की आवाज पंछियों की आवाज से पूरा माहौल गूंज रहा था बड़ा ही भयानक माहौल था लेकिन ऐसे में जिस तरह से दोनों एक दूसरे का साथ देते हुए संभोग क्रिया में लिप्त हो चुके थे उन्हें इस बात का बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था कि उन दोनों घर में है या इस वीराने में,,,, प्रभु का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से जमीदार की बीवी के बच्चेदानी से टकरा रहा था और जब जब रघु का मोटा तगड़ा लंड का सुपाड़ा बच्चेदानी से टकराता तब तक जमीदार की बीवी के चेहरे का हाव भाव बदल जाता,,,, जमीदार की बीवी के रेशमी बाल जुड़ों में बंधे हुए थे,,,जिसे रघु अपने हाथ से खोल कर उसके रेशमी बालों को एकदम खोल दिया,,, शीतल बह रही हवा में उसके रेशमी बाल लहरा रहे थे जिसे रघु अपने हाथ से पकड़ कर अपनी कमर जोर जोर से हिला रहा था ऐसा लग रहा था कि मानव जैसे घोड़ी पर सवार होकर सपनों की दुनिया में घूम रहा हो और उसकी लगाम उसके हाथों में हो,, जमीदार की बीवी को यहां चुदाई बड़ा ही आनंददायक प्रतीत हो रहा था,,,,रघु के मर्दाना अंग कि वह पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी एक तरह से वह उसकी गुलाम बन चुकी थी,,,,

आहहहह आहहहहहह रघू,,,,आहहहहहहह,,, बड़ा दम है तुम्हारे लंड में रघू,,,,,आहहहहहह,,,,,


तुम्हारी बुर में भी तो बहुत दम है मालकिन तुम्हारी बुर ईतनी कसी हुई है कि लगता ही नहीं की,,, तुम्हारी है,,,,

फिर कैसी लगती है रघू,,,,,


ऐसा लगता है मालकिन की किसी जवान लड़की की है,,,,

सच में ऐसा लगता है,,,,,।

हां आपकी अपनी कसम ऐसा ही लगता है,,, जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर के अंदर रगड़ रगड़ के जाता है तो बहुत मजा आता है,,,

मुझे भी रघू,,,,,


सच में मालकीन,,,,


हां रे मैं सच कह रही हूं,,,( सुखी हुई पेड़ की टहनी पकड़े हुए बोली,, बस फिर क्या था रघु और ज्यादा जोश में आ गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर एक बार फिर से जमीदार की बीवी के लटक रहे दशहरी आम को दोनों हाथों में थाम कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया जमीदार की बीवी की मोटी मोटी गांड से रघु की जांघे टकरा रही थी और उनमें से अद्भुत ठाप की आवाज आ रही थी,,। झुके झुके जमीदार की बीवी की कमर दुखने लगी थी लेकिन जुदाई के अद्भुत सुख की आगे कमर का दर्द कोई मायने नहीं रखता था।

धीरे-धीरे दोनों चरम सुख के करीब बढ़ते जा रहे थे देखते ही देखते जमीदार की बीवी के मुख से गर्म सिसकारी की आवाज आना तेज हो गई और उसके बुर की अंदरूनी मांसपेशियां अकड़ने लगी थी जिससे उसका दबाव रघू के लंड पर बढ़ता जा रहा है,,, रघु समझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए अपने धक्के को तेज कर दिया,,
आखिरकार एक बार फिर से दोनों अपना गर्म लावा एक दूसरे के अंगों में उड़ेलते हुए झड़ गए,,,।
Bhai kya nahi bole to jhakaas dhansu update
 

Sanju@

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गजब का अद्भुत संभोग था,,, जमीदार की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोची थी किस तरह का भी संभव है औरत के साथ संभव है और संभोग में इतना अत्यधिक सुख की प्राप्ति होती है यह सब जमीदार की बीवी के लिए पहली बार था वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी मदहोशी के आलम में पूरी तरह से तांगे में लेटी हुई गहरी गहरी सांसे ले रही थी,,। और रघु उसके ऊपर उसकी मदमस्त गोलाकार चुचियों पर सर रखकर अपनी लड़खड़ाती हुई सांसो को दुरुस्त कर रहा था,,,, अद्भुत और अतुल्य सुख की प्राप्ति दोनों को हुई थी एक बड़े घर की औरत की चुदाई करके रखो अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझ रहा था और भाग्यशाली था भी,,, क्योंकि रघु ऐसी औरत की चुदाई कर चुका था जिसे देखकर गांव के सभी लोग आहें भरते थे लेकिन किसी की बाहों में अब तक नहीं आ पाई थी लेकिन आज रघू की किस्मत इतनी तेज थी कि वह खूबसूरत मदमस्त यौवन से छलकती हुई औरत उसके नीचे आ चुकी थी,,,, ना तो रघु ने और ना ही जमीदार की बीवी ने कभी इस बारे में कल्पना किए थे कि उनकी जिंदगी में ऐसा पल भी आएगा कि जंगल में विराने मे अंधेरी रात के समय वह दुनिया की नजरों से बचकर अपनी जिंदगी का बेहतरीन पल बिताएंगी,,, जमीदार की बीवी के कदम लड़खड़ा चुके थे,,, अपने पति से शरीर सुख की अतृप्ती के एहसास तले दबी हुई जमीदार की बीवी रघु की संगत पाकर हवा में उड़ने लगी थी उसके अरमानों के पर लग चुके थे,,,एक जवान लड़का और एक प्यासी औरत अगर इस तरह से वीराने में मिल जाए तो स्वाभाविक तौर पर संभोग होना निश्चित होता है और वही दोनों के साथ हुआ,,,,

जमीदार की बीवी की आंखें बंद थी वह इस अद्भुत अहसास ने अपने आप को पूरी तरह से भीगो देना चाहती थी,,,उसे यह सब सपना ही लग रहा था इसलिए अपनी आंखें खोल कर इस सपने को टूटने नहीं देना चाहती थी,, लालटेन की रोशनी में उसके खूबसूरत गोरे मुखड़े पर तृप्ति का आभास साफ झलक रहा था उसकी सांसों की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही उसकी चूचियां जिसके ऊपर रघू अपना सर रख कर लेटा हुआ था उसे किसी झूले का आभास हो रहा था वह बेहद खुश नजर आ रहा था,,,,, रघू प्रताप सिंह की बीवी के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए बोला,,।

कैसा लगा मालकिन,,,,
( जवाब में वह बोली कुछ नहीं बस आंखें बंद किए हुए होठों पर मुस्कान ला दी,,,जो कि उसकी मौन स्वीकृति थी कि उसे भी अद्भुत एहसास हुआ है,,, लेकिन रघु उसके मुंह से सुनना चाहता था इसलिए अपना सवाल दोहराते हुए बोला,,,)

बोलो ना मालकिन कैसा लगा,,,,?
( इस बार उससे रहा नहीं गया और वह अपनी आंखें धीरे से खोल दी रघु उसे ही देख रहा था रघु से नजरें मिलते ही एकदम से शर्मा गई लेकिन फिर भी शरमाते हुए बोली,,,)

बहुत मजा आया रघू,,, आज तक तेरे मालिक ने मुझे ऐसा सुख नहीं दिया,,

क्या आप सच कह रही हो मालकिन क्या मालिक,,, आपको इस तरह से शरीर सुख नहीं दे पाते,,,।

उनकी उम्र देखा है,,, तुझे क्या लगता है इस उमर में वाह तेरे जैसा जबरदस्त धक्का लगा पाते होंगे,,,। तुम नहीं जानते रघू,, मैं अपनी जिंदगी कैसे बिता रही हूं,,, मेरे भी कुछ अरमान थे लेकिन तेरे मालिक ने मेरे सारे अरमानों को धो डाला,,,,

मैं कुछ समझा नहीं मालकिन,,,,(उसके खूबसूरत चेहरे पर आई बालों की लट को अपने हाथ की उंगलियों से हटाकर कान के पीछे ले जाते हुए बोला)

यह शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई थी मैं शादी नहीं करना चाहती थी तुम तो देखे ही होगे कि मेरी उम्र में और तुम्हारे मालिक की उम्र में जमीन आसमान का फर्क है,,,,


फिर कैसे हो गई शादी मालकीन,,,,

मेरे पिताजी ने तुम्हारे मालिक से कर्जा लिया हुआ था,,, हमारी जमीन खेत खलिहान सब कुछ तुम्हारे मालिक के पास गिरवी पड़ी हुई थी,,, एक तरह से मेरे पिताजी और हम लोग तुम्हारे मालिक के बोझ तले दबे हुए थे,,, ऐसे में एक बार कर्जा का तकादा करने के लिए तुम्हारे मालिक हमारे घर आए थे और उनकी नजर मुझ पर पड़ गई 2 साल हुए थे उनकी पत्नी को गुजरे मुझ पर नजर पड़ते ही वह मेरे पिताजी से मुझसे शादी करने के लिए बोले बदले में उन्होंने सारे खेत खलियान और कर्जा माफ करने के लिए बोल दिया और मेरे पिताजी मेरे मन की सुने बिना ही हामी भर दीए,, और ना चाहते हुए भी मुझे तुम्हारे मालिक की बीवी बन कर आना पड़ा,,,,


यह तो अच्छा नहीं हुआ मालकिन,,,, तभी मैं सोचूं कि मालिक और आपकी उम्र में इतना जमीन आसमान का फर्क क्यों है,,,, तब तो सच में मालकिन आपको चुदाई का सुख बिल्कुल भी नहीं मिलता होगा,,,,( रघू जानबूझकर गंदे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए बोला,,, लेकिन इस तरह की बातों से जमीदार की बीवी को अच्छा ही लग रहा था,,, रघु की बातें सुनकर वह जवाब देते हुए बोली,,,।)

जब से मेरी शादी हुई है तब से आज जाकर मुझे खुशी मिली है,,,।

चुदवाकर,,,,(रघु फटाक से बोला उसे बड़े घर की औरत से इस तरह की गंदी बातें करने में आनंद आ रहा था,,,)

हां तुम सच कह रहे हो,,, समय के साथ साथ जिस तरह से मर्दों की इच्छा होती है उसी तरह से औरतों की भी इच्छा होती है मैं भी उनमें से अलग नहीं हुं,,,,

आप सच में बहुत खूबसूरत है मालकिन,,,,


क्या खूबसूरत है (वह ,,,मुस्कुराते हुए बोली,,)

तुम्हारा चेहरा तुम्हारी आंखें (अपनी उंगली को उसके खूबसूरत चेहरे पर इधर से उधर सरकाते हुए ) तुम्हारे लाल लाल होंठ,,,,


और क्या,,,,,( वो शरमाते हुए बोली)


तुम्हारी बड़ी-बड़ी दोनों चुचियां जो इतनी दशहरी आम की तरह मीठे रस से भरी हुई है,,,( कुछ सेकंड तक रुकने के बाद उसकी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथ से पकड़ते हुए बोला,,, वह उत्तेजना के मारे इतनी जोर से उसकी चुचियों को दबाया था कि उसके मुंह से कराहने की आवाज निकल गई,,,।)

आहहहहहहहह,,,,, और क्या खूबसूरत है,,,,

और बताऊं,,,,,

हां बताओ ,,,,(अपने होठों पर मादक मुस्कान लाते हुए वह बोली,,, उसकी बात सुनकर रखो अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाते हुए बोला,,,)

और और और तुम्हारी यह रसीली कसी हुई बुर,,,,(जैसे ही रघु की हथेली उसकी बुर के ऊपर पहुंची वैसे ही उसके मुख से गरम आह निकल पड़ी,,,)

ससससहहहहईईइईईईईई,,,,,,,, रघू,,,,,
(रघु की बातों से जमीदार की बीवी एक बार फिर से गरमाने लगी थी उसे रघु का लंड जो कि झड़ने के बाद भी एकदम बडा था,,, जमीदार की बीवी को अपनी दोनों टांगों के बीच एकदम साफ लहराता हुआ महसूस हो रहा था एक बार फिर से जमीदार की बीवी के तन बदन में उमंग जगने लगी थी,,, रघु अपनी हथेली से जमीदार की बीवी की बुर को रगड़ रहा था,,,,जमीदार की बीवी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज निकलने लगी थी,,। रघु एकटक उसको देखे जा रहा था वह एकदम मदहोश हुए जा रही थी रघु की कामुक हरकत उसके बदन में उत्तेजना की लहर को एक बार फिर से बढाने लगी थी,,,उत्तेजना के मारे गर्म सांसे लेते हुए जमीदार की बीवी के होठ खुले के खुले रह गए थे,,, उसके लाल लाल रसीले होठों को देखकर,प्रभु से रहा नहीं गया और उसके लाल-लाल होठों पर अपना होठ रख कर उसके होठों का रस चूसने लगा,,,, जमीदार की बीवी मदहोश होने लगी उसके तन बदन में खुमारी छाने लगी,,, लेकिन उसे बड़ी जोरों की पेशाब लगी हुई थी दोबारा रघू का लंड उसकी बुर में जाता इससे पहले वह उसे रोकते हुए बोली,,,।

रुको रघू,,,,

क्या हुआ मालकिन,,,,


मुझे जाना है,,

इतनी रात को इस वीराने में कहां जाना है आपको,,,,


तुम समझ नहीं रहे हो मेरे ऊपर से हटो पहले(इतना कहते हुए वह खुद ही रघु को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली और रघु एक तरफ हो गया)


मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,,,(बड़ी हिम्मत दिखाते हुए वह पेशाब शब्द बोली थी,,, लेकिन इस शब्द को बोलते हुए इसके तन बदन में अद्भुत एहसास फैल गया था,,,, उसे आनंद की अनुभूति हुई थी।रघु तो उसके मुंह से पेशाब वाली बात सुनकर एकदम से दंग रह गया और पेशाब शब्द सुनते ही उसके लंड का तनाव एकाएक एकदम से बढ़ गया,,, इतना बोल कर जमीदार की बीवी अपनी साड़ी को अपने बदन पर लपेटने लगी तो रघु उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,,,)

कपड़ा पहनने की क्या जरूरत है मालकिन यहां कौन सा कोई देखने वाला है,,,, और मैं तो कहता हूं नीचे उतरने की भी जरूरत नहीं है,,

नीचे उतरुगी नहीं तो पेशाब कैसे करूंगी,,,,(वह सवालिया नजरों से रघु की तरफ देखते हुए बोली)

यहीं से कर लो तांगे के ऊपर से ही नीचे उतरने की जरूरत ही नहीं है वैसे भी नीचे सांप बिच्छू सब घूम रहे होंगे अंधेरे में पता नहीं चलेगा,,,


नहीं नहीं रघूइस तरह से पेशाब करने में मुझे शर्म आएगी मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगी,,,

मेरा मोटा लंड अपनी बुर में लेकर चुदवाने में शर्म नहीं आती और मेरे सामने मुतने में शर्म आ रही है,,,।
(रघु कि यह बातें सुनते ही वह एकदम से शर्म से पानी-पानी हो गई और शरमाते हुए बोली)

नहीं मैं इस तरह से नहीं कर पाऊंगी,,,,(इतना कहते हो आप फिर से अपनी साड़ी उठाकर अपने बदन से लपेटने लगी तो रघु उसके हाथ से साड़ी खींचकर एक कोने में रखते हुए बोला,,,)

मालकिन इसकी क्या जरूरत है,,,, चलो ऐसे ही नीचे चलो मैं लालटेन लेकर चलता हूं अगर अंधेरे में जाओगी तो सांप बिच्छू के काटने का डर लगा रहेगा,,,(रघु कि यह बात उसे भी ठीक लग रही थी,,, लेकिन जिस तरह से वहां उसकी साड़ी उसके हाथों से खींचकर एक कोने में रख दिया था उसका इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह बोली)

मेरी साड़ी तो दे दो,,,

साड़ी की क्या जरूरत है मालकिन तुम भी नंगी में भी नंगा और यहां पर कोई देखने वाला भी नहीं है,,,(वह लालटेन को हाथ में लेते हुए बोला)
अब नीचे उतरीए मालकिन,,,,
(रघु का इरादा उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था लेकिन उसका यह इरादा अंदर ही अंदर उसे भी पसंद आ रहा था इसलिए वह बेझिझक टांगे से नीचे उतरने लगी एकदम नीचे रखकर एक टांग अभी भी उसकी तांगे के ऊपर थी जिससे उसकी गोलाकार गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर की तरफ निकल आई थी,,, और यह नजारा देखकर एकदम से गरमा गया,,, और उतरते उतरते हैं उसकी भारी-भरकम गांड पर अपना हाथ रख कर सहलाते हुए बोला,,,)

वाहहहहह,,,, मालकिन क्या मस्त गांड है तुम्हारी,,,,

अरे उतरने तो दो,,,,(इतना कहकर वह नीचे उतर गई और पीछे पीछे रघु भी नीचे उतर गया लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, बड़े-बड़े पेड़ एकदम घना जंगल सब कुछ भयानक लग रहा था,,, ऐसे में दोनों एकदम नग्न अवस्था में थे जमीदार की बीवी पहली बार इस तरह से खुले में अपने वस्त्र निकालकर एकदम नंगी घूम रही थी,,, बाहर का माहौल उसे थोड़ा डरावना लग रहा था,,,, वह चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए बोली,,,)

कहां करूं कितना डरावना लग रहा है सब जगह,,,,


कहीं भी कर लीजिए मालकिन मेरे होते हुए तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है,,,,, एक काम करिए वहां झाड़ के पास कर लीजिए,,,,(5 कदम की दूरी पर इशारा करते हुए रघु बोला,,, और वहां डरते डरते आगे बढ़ने लगी जब वह चल रही थी तो उसकी मटकती हुई गांड बेहद लुभावनी लग रही थी,,, रघू यह देखकर गरम आहें भरने लगा,,, जमीदार की बीवी झाड़ी के पास जाकर तुरंत नीचे बैठ कर मुतने लगी और तुरंत उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज उसके कानों में पड़ने लगी रघु एकदम मदहोश होने लगा इस सफर के दौरान दूसरी बार था जब वह मालकिन को इस तरह से पेशाब करते हुए देख रहा था,,,, रघु का दिल फिर से जोरो से धड़कने लगा साथ ही उसकी मत मस्त जवानी को सलामी भरते हुए उसका लंड कुछ ज्यादा ऊंचाई नापने लगा,,,, उसे भी जोरों की पेशाब लगी हुई थी ऊससे रहा नहीं जा रहा था,,, जमीदार की बीवी डरते हुए पेशाब कर रही थी अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देख ले रही थी कि कहीं कोई जानवर तो नहीं आ रहा है,,,,और उसके 5 कदम पर ठीक पीछे खड़ा रघु उसकी गोलाकार गाने देखकर अपनी उत्तेजना को अपने काबू में नहीं कर पाया और वही पास की झाड़ी में लालटेन को टांग कर धीरे से उसकी तरफ आगे बढ़ा,,,और जिस तरह से वह बैठी हुई थी ठीक उसके पीछे उसी तरह से अपनी दोनों टांगों को थोड़ी कर के अपने आगे वाले भाग को उसके नितंबों पर सटाता हुआ बैठ गया,,,, रघु की इस तरह की हरकत से वह एकदम से घबरा गई उसे समझ में नहीं आया कि युं एकाएक उसके पीछे कौन आकर बैठ गया है,,,,वह समझ पाती इससे पहले ही रघु उसके कंधे को पकड़कर उसी तरह से बैठने पर मजबूर कर दिया उसकी दूर से अभी भी पेशाब की धार फूट रही थी और रघु का मोटा तगड़ा लंड उसकी गांड पर दस्तक दे रहा था,,,,


क्या कर रहे हो रघु,,,,(गर्म सांसे लेते हुए वह बोली)

मुझे भी पेशाब लगी है मालकिन,,,(रघु उसके कानों पर अपनी जीभ घुमाते हुए बोला)

तो कहीं और जाकर कर लीए होते,,, इस तरह से औरतों की तरह बैठ कर मुतने का क्या मतलब है,,,,


मैं भी देखना चाहता हूं मालकिन की बैठे-बैठे तुम औरत लोग कैसे मुतत हो,,,(रघु उसी तरह से उसके कान पर चुंबन लेते हुए बोला रघु की इस हरकत से वह पूरी तरह से कामोत्तेजीत हुए जा रही थी,,, मदहोशी उसके नस नस में फैलती चली जा रही थी,,, अपना एक नीचे की तरफ लाकर उसे सीधा करते हुए ठीक उसकी बुर की आगे कर दिया,,, रघु का लंड कुछ ज्यादा ही लंबा था इसलिए आराम से उसकी बुर के आगे आ गया,,, उसकी बुर से अभी भी पेशाब की धार फुट रही थी,,, जो कि उसकी बुर से निकल रही पेशाब की धार सीधे उसके लंड के मोटे सुपाड़े पर पड रही थी,,, जमींदार की बीवी अपनी नजर नीचे की तरफ करके देखी तो दंग रह गई अपनी पेशाब को उसके लंड पर पडते हुए देखकर वो एकदम से मदहोश होने लगी,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी,,, उसकी आंखों में खुमारी थी,,, वह अपने आप को एकदम मस्त होता हुआ महसूस कर रही थी वह प्यासी नजरों से रघु की तरफ देखी रघु भी एकदम पागल हुए जा रहा था,,, लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आया था,,, अपने होठों को अपनी मालकिन के होठों की तरफ बढ़ाया और अगले ही पल ऊसके लाल-लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, जमीदार की बीवी भी उसका साथ देने लगी अपना और अपनी मालकिन का आनंद बढ़ाने के लिए वह अपने मोटे तगड़े लंबे लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी मालकिन की रसीली गुलाबी बुर के ऊपर पटकने लगा,, मोटे सुपाड़े की चोट जमीदार की बीवी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,। रघु की यह हरकत उसकी कामोत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी,,,, जमीदार की बीवी की हालत खराब हुए जा रही थी,,,वह यही सोच रही थी कि अपनी बुर से निकलने वाली पेशाब की धार को और जोर से उसके लंड पर मारेलेकिन पेशाब की धार धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही थी उसकी पेशाब खत्म हो रही थी लेकिन रघु के लंड से निकलने वाली पेशाब की धार बड़ी दूर तक जा रही थी जिसे देखकर जमीदार की बीवी एकदम मस्त हुए जा रही थी एकदम से मदहोश हो चुकी थी इसलिए अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर रघु के लंड को पकड़ ली और‌ रखो एकदम मस्त होता हुआ और जोर से पेशाब करने लगा जमीदार की बीवी अब खुद प्रभु के लंड को पकड़ कर अपनी बुर के ऊपर मार रही थी और उसकी पेशाब की धार ऊपर नीचे होते हुए दूर जा रही थी,,,,, दोनों एकदम मदहोश हो चुके थे रघु थोड़ी थोड़ी देर के बाद संभोग के अध्याय का एक नया पन्ना खोल रहा था जिसमें जमीदार की बीवी को अध्ययन करने में और भी ज्यादा आनंद की प्राप्ति हुई थी जमीदार की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोचा कि किस तरह से भी आनंद प्राप्त होता है वरना पेशाब करना तो एकदम सहज बात थी,,,। रघु एकदम मस्त हुआ जा रहा था अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ लाकर जमीदार की बीवी के दो नेता शायरी हमको एक बार फिर से अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया और इसी के साथ ही दुगना आनंद प्राप्त करती हुई जमीदार की बीवी गरम सिसकारी की आवाज निकालने लगी,,,।

सससहहहह आहहहहहह,,,, रघु यह क्या कर रहा है तु,,, मुझे बहुत मजा आ रहा है।


मुझे भी मालकीन बहुत मजा आ रहा है,,,,,

तू बहुत छिछोरा है,,,।

तुम भी तो छिनार हो मालकिन,,,,
(अपने लिए छिनार सब्द सुनकर वह आश्चर्य से रघु की तरफ देखने लगी तो रघू अपने लंड के सुपाड़े को उसके गुलाबी बुर के क्षेंद में डालने की कोशिश करने लगा तो जमीदार की बीवी एकदम से मदहोश हो गई रघु लगातार अपने लंड कै सुपाड़े को उसकी बुर में डालने की कोशिश कर रहा था,,,, लेकिन उसका लंड का सुपारा उसके गुलाबी बुर के अंदर घुस नहीं पा रहा था,,,, इसलिए रघू उसकी बांह पकड़कर उसे उठाते हुए बोला,,,)

उठ जाओ मालकिन ऐसे घुस नहीं पा रहा है,,,,
(जब इधर की बीवी यही चाहती थी कि जल्द से जल्द उसका लंड उसकी बुर के अंदर घुस जाए इसलिए वह भी बिना किसी झिझक के खड़ी हो गई,,,, मदहोशी के आलम में वह एकदम से भूल गई कि रघु ने उसे छिनार कहा था,,, एकदम मस्त हो चुकी थी एकदम नंगी वीराने में रात के समय अपने गाड़ीवान से चुदवाने के लिए तैयार थी,,,, रघू बोला,,,)

थोड़ा झुक जाओ मालकीन,,,
(रघु की बात सुनते ही एकदम आज्ञाकारी बच्चे की तरह लेकिन सही स्थिति शायद उसे भी नहीं मालूम थी तो रघु ही उसकी पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा और जैसे ही वह और उसकी रसीली बुर एकदम स्थिति में आई तो वह बोला,,,)

बस अब बिल्कुल ठीक है,,,,(इतना कहते हुए रघु अपना मोटा तगड़ा लंड पकड़ कर लालटेन की रोशनी में उसकी गुलाबी बुरके छेद में डालना शुरू कर दिया,,, मदन रस के बहाव के कारण जमीदार की बीवी की बुर एकदम गीली हो चुकी थी,,,इसलिए बिना अड़चन के इस बार धीरे-धीरे करके रखो का पूरा लंड एक बार फिर से उसकी बुर की गहराई नापने लगा,,,, लेकिन जेसे ही रघू का लंड उसकी बुर की गहराई में पहुंचा था वैसे ही एक दर्द की मीठी फुहार उसके तन बदन को अपनी आगोश में लेकर भीगोने लगी,,,और उसके मुख से मीठी दर्द की कराह फुट पड़ी,,,।

आहहहहह रघू संभाल के,,,,

चिंता मत करो मालकिन,,, लंड पूरा बुर में घुस चुका है,,,( रघू अपने दोनों हाथों से जमींदार की बीवी की कमर को थामते हुए बोला,,, मालकिन को थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि रघू के जबरदस्त धक्कों से वह अच्छी तरह से वाकीफ हो चुकी थी,,ऊसका हर एक धक्का उसके पुरे वजुद को झकझोर कर रख दिया था,,, इसलिए वह एक बार फिर से उसके धक्के को झेलने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी,,, रघू एकबार फिर से उसे चोदने के लिए तैयार हो गया था,,,)

ओहहहहह मेरी प्यारी मालकिन,,,आहहहहहहहह,,,, और इतना कहते हुए वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, एकबार फिर से वह अपनी मालकिन को चोद रहा था,,, जमीदार की बीवी मदहोश हो गई,, रघू की चुदाई में ऊसे पहले जैसा ही सुख मिलने लगा,,,उसमें जरा भी बदलाव नहीं आया था,,,अंधेरी रात में और जंगल के ईस विराने में मालकीन और नौकर दोनों पुरी तरह से नंगे होकर चुदाई का भरपूर आनंद ले रहे थे,,,। ऊतेजना के मारे जमींदार की बीवी का गला सूखने लगा था,,, जिसे वह बार-बार अपने थुक से गीला कर रही थी,,,,,

पेड़ की टहनी पर लालटेन लटकी हुई थी जिसकी पीली रोशनी सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, रघु को अपनी किस्मत पर अपने भाग्य पर नाज हो रहा था,,, जो उसे जमीदार की बीवी चोदने की मिल रही थी,,, रघु अभी तक गांव की सभी औरतों को लेकर कल्पना कर चुका था लेकिन उसने कभी भी जमीदार की बीवी के बारे में सोचा भी नहीं था उसे अब इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो रहा था कि जमीदार की बीवी जीस तरह के खूबसूरत भरे हुए बदन की मालकिन थी उस तरह की औरत पूरे गांव में नहीं थी,,,, रघू जमीदार की बीवी की चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों से थामे हुए था,,,। दोनों एकदम नंगे थे शायद पहली बार ही चुदाई के समय जमीदार की बीवी पूरी तरह से नंगी हुई थी वरना जमीदार कभी भी उसके पूरे कपड़े उतार कर उसके चुदाई नहीं किया था और यह बात शत प्रतिशत सच थी किजिस तरह से रघु नए-नए पेंतरे आजमा कर उसे आनंद के चरम सीमा तक पहुंचा रहा था उस तरह से कभी भी जमीदार में कोशिश भी नहीं किया था और ना ही उसे शायद इसका ज्ञान था,,,

लेकिन सारा कसर रघू पूरा कर दे रहा था शादी से लेकर अब तक जिस तरह से वह प्यासी ही अपने जीवन को बिता रही थी आज जाकर उसकी प्यास बुझी थी,,, उसके तन बदन को एक नई उमंग प्राप्त हुई थी,,, रघु अपनी मालकिन की कमर पर थामे गचा गच पेल रहा था,,, उस वीराने में जंगल के बीचो-बीच अंधेरी रात में इंसान की मौजूदगी नामुमकिन थी लेकिन जानवरों की आवाज पंछियों की आवाज से पूरा माहौल गूंज रहा था बड़ा ही भयानक माहौल था लेकिन ऐसे में जिस तरह से दोनों एक दूसरे का साथ देते हुए संभोग क्रिया में लिप्त हो चुके थे उन्हें इस बात का बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था कि उन दोनों घर में है या इस वीराने में,,,, प्रभु का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से जमीदार की बीवी के बच्चेदानी से टकरा रहा था और जब जब रघु का मोटा तगड़ा लंड का सुपाड़ा बच्चेदानी से टकराता तब तक जमीदार की बीवी के चेहरे का हाव भाव बदल जाता,,,, जमीदार की बीवी के रेशमी बाल जुड़ों में बंधे हुए थे,,,जिसे रघु अपने हाथ से खोल कर उसके रेशमी बालों को एकदम खोल दिया,,, शीतल बह रही हवा में उसके रेशमी बाल लहरा रहे थे जिसे रघु अपने हाथ से पकड़ कर अपनी कमर जोर जोर से हिला रहा था ऐसा लग रहा था कि मानव जैसे घोड़ी पर सवार होकर सपनों की दुनिया में घूम रहा हो और उसकी लगाम उसके हाथों में हो,, जमीदार की बीवी को यहां चुदाई बड़ा ही आनंददायक प्रतीत हो रहा था,,,,रघु के मर्दाना अंग कि वह पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी एक तरह से वह उसकी गुलाम बन चुकी थी,,,,

आहहहह आहहहहहह रघू,,,,आहहहहहहह,,, बड़ा दम है तुम्हारे लंड में रघू,,,,,आहहहहहह,,,,,


तुम्हारी बुर में भी तो बहुत दम है मालकिन तुम्हारी बुर ईतनी कसी हुई है कि लगता ही नहीं की,,, तुम्हारी है,,,,

फिर कैसी लगती है रघू,,,,,


ऐसा लगता है मालकिन की किसी जवान लड़की की है,,,,

सच में ऐसा लगता है,,,,,।

हां आपकी अपनी कसम ऐसा ही लगता है,,, जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर के अंदर रगड़ रगड़ के जाता है तो बहुत मजा आता है,,,

मुझे भी रघू,,,,,


सच में मालकीन,,,,


हां रे मैं सच कह रही हूं,,,( सुखी हुई पेड़ की टहनी पकड़े हुए बोली,, बस फिर क्या था रघु और ज्यादा जोश में आ गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर एक बार फिर से जमीदार की बीवी के लटक रहे दशहरी आम को दोनों हाथों में थाम कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया जमीदार की बीवी की मोटी मोटी गांड से रघु की जांघे टकरा रही थी और उनमें से अद्भुत ठाप की आवाज आ रही थी,,। झुके झुके जमीदार की बीवी की कमर दुखने लगी थी लेकिन जुदाई के अद्भुत सुख की आगे कमर का दर्द कोई मायने नहीं रखता था।

धीरे-धीरे दोनों चरम सुख के करीब बढ़ते जा रहे थे देखते ही देखते जमीदार की बीवी के मुख से गर्म सिसकारी की आवाज आना तेज हो गई और उसके बुर की अंदरूनी मांसपेशियां अकड़ने लगी थी जिससे उसका दबाव रघू के लंड पर बढ़ता जा रहा है,,, रघु समझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए अपने धक्के को तेज कर दिया,,
आखिरकार एक बार फिर से दोनों अपना गर्म लावा एक दूसरे के अंगों में उड़ेलते हुए झड़ गए,,,।
बहुत ही शानदार अपडेट है।
जमींदर की बहु की जोरदार चूदाई हुई मजा आ गया

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अगले जोरदार चुदाई दार अपडेट का इंतजार रहेगा जैसे जमीदार की बीबी की चुदाई हुई
 
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