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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Rocky9i

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Akhir rani ki le hi li
 
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Nevil singh

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रघु रामू के साथ अपनी मस्ती में मेले में घूम रहा था कि तभी उसे पीछे से आवाज सुनाई दी,,,,

ऐई,,,, सुनो,,,,ऐई,,,,,,,,
(इतना सुनते ही रघु अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगा कि कौन आवाज दे रहा है,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आवाज कहां से आ रही है,, तभी अंदर से लाला की बहु बोली,,,)

अरे यहां देखो बग्गी के अंदर,,,
(यह सुनते ही रघु बग्गी की तरफ देखने लगा जिसमें से खूबसूरत औरत हाथ हीलाते हुए नजर आई,,, रघु उसके करीब जाने लगा,, रामू वहीं खड़ा का खड़ा रह गया,,, जैसे ही रघु बग्गी के बेहद करीब पहुंचा,, तो लाला की बहू बोली,,)

पहचाने,,,,

नहीं मैं आपको पहचाना नहीं,,,(रघु कुछ सोचते हुए बोला..)

अरे मैं वही हूं जिसकी पायल तुमने लौटाई थी,,,
(रघु कुछ सोचते हुए फिर एकदम से प्रसन्न होता हुआ बोला)

अरे हां याद आया छोटी मालकिन,,,,


चलो शुक्र है कि पहचाने तो सही,,,

वैसे भी आपको मैं कैसे पहचान पाता आप तो घूंघट में थी और आज भी घुंघट में हो,,,( रघु लाला की बहू के लाल लाल गुलाबी के पत्ते की तरह खूबसूरत होठों को देखते हुए बोला और अभी भी घूंघट में ही थी,,, केवल उसके खूबसूरत होठ भर दिखाई दे रहे थे और उसके होठों को देखकर ही उसकी सुंदरता का अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह कितनी खूबसूरत होगी,,, तभी तो रघु लाला की बहू को बड़े गौर से देख रहा था,,)

तो लो चेहरा भी देख लो ताकि आईंदा मुझे पहचान सको,,,(इतना कहने के साथ ही अपने अगल-बगल नजर दौड़ाते हुए अपना घूंघट थोड़ा सा उठा कर अपने खूबसूरत चेहरे का दीदार करा कर वापस घूंघट डाल दी,,, रघु तो पूरी तरह से उस के आकर्षण में अपने आप को भीगोता चला गया,,,उसे इस बात का अंदाजा तो था कि लाला की बहू खूबसूरत होगी लेकिन इतनी ज्यादा खूबसूरत होगी यह आप जाकर उसे पता चला था वह उसे देखता ही रह गया था वह उसके खूबसूरत चेहरे को कुछ देर तक और देखना चाहता था लेकिन लाला की बहू अपने खूबसूरत चेहरे को घूंघट के पर्दे में छुपा ली थी,,,, रघु के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी क्योंकि आज तक उसने इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा था,,, उसके चेहरे और उसके बदन को देख कर रघु को इस बात का अहसास हो गया था कि अभी वह पूरी तरह से औरत नहीं बनी थी नई नई शादी हुई थी लेकिन शादी के बाद जिस तरह का बदलाव औरतों के बदन में आता है उस तरह का बदलाव उसके बदन में नहीं आया था,,,, रघु से कुछ बोला नहीं जा रहा था,,, तभी लाला की बहू अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

अब तो तुम्हें याद रहेगा ना,,,

भला चांद को भी कोई भूल सकता है,,,
(रघु की बातों का मतलब समझ में आता है लाला की बहू के होठों पर मुस्कुराहट तैरने लगी,,, पहली बार कोई इस तरह से तारीफ किया था,।)
वैसे छोटी मालकिन आप यहां क्या कर रही हो,,,।

जो तुम कर रहे हो मैं भी मेला ही घूमने आई हूं,,, लेकिन अकेली हूं इसलिए मजा नहीं आ रहा है,,, यहां पर मैं सिर्फ तुमको ही थोड़ा बहुत पहचानती हूं इसलिए तुम्हें आवाज देकर बुलाई तुम्हें बुरा तो नहीं लगा ना,,,।

नहीं-नहीं छोटी मालकिन इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है,,, यह तो मेरी खुशकिस्मती है कि आपने मुझे बुलाया मैं बहुत खुश हूं आप बड़े लोग हैं बड़े घर की बहू हो,, आप मुझे जानती हो अब इससे बड़ी बात क्या हो सकती है,,,।

तुम बहुत अच्छी बातें करते हो,,,,( लाला की बहू मुस्कुराते हुए बोली)

जी शुक्रिया,,,, वैसे आप मेले में घूमी कि नहीं,,,

नहीं मैं अकेली आई हूं,,, कोई साथ में होता तो जरूर घूमने का मजा लेती,,, चाट पकौड़ी समोसे सब कुछ खाती,,,,


तो अभी भी तो खा सकती हो,,,,

कैसे,,,, मैं किसी को जानती नहीं हूं और इस तरह से घूमना बड़ा अजीब लगता है,,,


मुझे तो जानती हो ना ,,, मैं तुम्हें मेला घुमा देता हूं,,,

तुम,,,, तुम सच में मुझे मेला घुमाओगे,,,


जी छोटी मालकिन मैं तुम्हें मेला घुमाऊंगा,,,

लेकिन गाड़ीवान,,,,

वह तों नहीं है वह भी मेला घूम रहा होगा,,,


ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलती हूं,,, लेकिन मुझे चाट पकौड़ी और छोरे जरूर खिलाना और समोसे भी,,,

तुम चिंता मत करो छोटी मालकिन,,, मैं हूं ना ,,,,

लाला की बहू बहुत खुश थी रघु उसे मेला घूमाता रहा,,, जिंदगी में पहली बार रघु के साथ एक बेहद खूबसूरत है शादीशुदा लड़की मेला घूम रही थी,,, रघु की खुशी का ठिकाना ना था,,, रघु उसकी इच्छा का सब कुछ उसे खिलाया समोसे से लेकर के जलेबी तक,,, रघु लाला की छोटी बहू के आकर्षण में पूरी तरह से बंध चुका था,,, पूरे मेले में वह घूंघट में ही घूमती रही और रघु उसे पूरा मेला घूम आता रहा ऐसा लग रहा था कि जैसे रघु अपनी बीवी को मेला घुमाने लेकर आया हो,,, आखिरकार मेला घूमते घूमते शाम हो गई,,, अब घर जाने का समय आ गया था,,, रघु उसे बग्गी तक साथ लेकर आया पूरा मेला घूमने के दौरान रघु अपनी प्यासी नजरों से लाला की बहू के अंगों को देखने की कोशिश करता रहा लेकिन केवल उसे उसके गुलाबी लाल लाल होंठ और ब्लाउज के बीच दोनों चूचियों की मदमस्त लकीर के सिवा और कुछ नजर नहीं आया,,, और कसी हुई साड़ी में से झांकते हुए उसके ऊभार दार नितंब रघु के प्यासे मन पर पानी छिड़कने का काम कर रहे थे रघु बार-बार लाला की बहू को बिना कपड़ों में कैसी दिखती होगी इस तरह की कल्पना करने लगा था,,, और कल्पना करते करते हुए काफी उत्तेजित भी हो चुका था,,,

गाड़ीवानअभी भी नहीं आया था इसलिए लाला की बहू जल्दी से बग्घी में जाकर बैठ गई,,, और अंदर बैठकर पर्दे को हटाते हुए रघु की तरफ देख कर बोली,,,


तुम बहुत अच्छे हो,,,,,, मेला घुमाने के लिए शुक्रिया,,,

छोटी मालकिन आप भी बहुत अच्छी हो और खूबसूरत भी,,,(रघु की बात सुनकर वह हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,,)

कोमल,,,,, कोमल नाम है हमारा,,,,,,

वाह जैसी कोमल हो वैसा ही खूबसूरत नाम भी है,,,
(अपनी तारीफ सुनकर वो फिर से हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,)

हमारा नाम तो जान गए तुम्हारा नाम क्या है,,,।

रघु,,,,

अच्छा मुझे हमेशा याद रहेगा,,,
(तभी गाड़ीवान भी उधर आ गया और बग्गी पर बैठते हुए बोला,,,)

अब चलु छोटी मालकिन,,,

हां,,,, हां चलो,,,,,(इतना कहते ही उसके चेहरे पर उदासी छा गई,,, ऐसा लग रहा था कि मानो वह रघु से दूर होना नहीं चाहती थी,,, बग्गी गांव की तरफ जाने लगी और वह रघु को देखते ही रहेंगे तब वह भी उसे देखता रह गया जब तक कि दोनों एक दूसरे की आंखों से ओझल नहीं हो गए,,, तभी रामू पीछे से उसकी पीठ थपथपाते हुए बोला,,,,,,।

वाह बेटा कमाल कर दिया लाला की बहू को फसा लिए,,,

रामू ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह बहुत अच्छी है,,,

अच्छी तो है लेकिन उसकी कुछ ज्यादा ही अच्छी होगी,,,

तू चिंता मत कर सबसे पहले मैं तेरी दोनों बहनों की बुर में ही अपना लंड पेलुंगा,,, उसके बाद तेरी मां की चुदाई करूंगा तब जाकर के लाला की बहू का नंबर आएगा समझा,,,, साले मादरचोद,,,(रघु गुस्से से रामू की तरफ देख कर भी बोला,,,)

यार तू तो नाराज हो जाता हैं,,, जल्दी कर सब लोग तेरा इंतजार कर रहे हैं घर जाना है,,, देख नहीं रहा है आंधी आने वाली है,,,।

हां यार मौसम तो एकाएक गड़बड़ा गया चल जल्दी चलते हैं,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों कच्ची सड़क के पास आ गए जहां पर गांव की औरतें लड़कियां और शालु भी थी,,, रामू की बहने भी वहीं मौजूद थी लेकिन ललिया नहीं थी इसलिए रघु बोला,,,)

चाची चली गई क्या,,,?

नहीं वह तो वेद जी के पास दवा लेने गई थी,,, अभी तक नहीं लौटी,,,(चंदा चिंतित स्वर में बोली,,, मेला लगभग खाली हो चुका था सारे लोग अपने अपने घर के लिए निकल चुके थे,,, केवल रघु और उसके गांव के लोग वही खड़े थे,,, रघु जहां तक नजर जा रही थी वहां तक देखने की कोशिश कर रहा था लेकिन कहीं भी ललिया नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह रामू से बोला,,,)

रामू तू एक काम कर तू सब को लेकर यहां से जल्दी निकल जा देख हवा चलना शुरू हो गई है अगर आंधी आ गई तो मुश्किल हो जाएगी,,,,

लेकिन मां,,,,,,(रामू चिंता दर्शाते हुए बोला)

तू चाची की चिंता मत कर मैं उन्हें लेकर आता हूं तु बस जल्दी से चला जा,,,, इस समय यही ठीक रहेगा मैं चाची को सही सलामत घर पर लेकर‌ आऊंगा,,,


ठीक है रघु मैं सबको लेकर जा रहा हूं लेकिन तू जल्दी से मां को लेकर आ जाना,,,

तू बिल्कुल भी चिंता मत कर रामु,,,,
(तेज हवा चलना शुरू हो गया था रामू सब को लेकर गांव की तरफ निकल गया था और रघु ललिया को लेने के लिए वेद जी के वहां,,,)
Fantastic update mitr
 

Nevil singh

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आंधी की शुरुआत हो चुकी थी,,, पर अभी हवा ईतनी तेज नहीं थी,,, रघु वैद्य जी का घर जानता था इसलिए दोड़ता हुआ वहां पहुंच गया,,, ललिया रघु को देखते ही खुश हो गई क्योंकि आंधी की वजह से वह घबरा गई थी,,,।

अच्छा हुआ रघु तू इधर आ गया मैं तो घबरा गई थी,,।

मेरे होते हुए तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है चाची,,
(रघु वहां पर बैठे हुए 4 5 लोगों की तरफ देखते हुए बोला,,)

चाची तुम दवा ले ली हो ना,,।

हा में दवा ले चुकी हूं,,, लेकिन आंधी आने वाली थी इसलिए रूक गई,,,

कोई बात नहीं चाची में आ गया हूं ना,,,अब हमको निकलना होगा कहीं आधी तेज हो गई तो घर नहीं पहुंच पाएंगे अभी उतनी तेरे वाले चल रही है हम जल्दी जल्दी जाएंगे तो पहुंच जाएंगे,,,।
(रघु की बात सुनते ही वेद जी जो कि दूसरे मरीज को देख रहे थे वह बीच में बोले,,)

बेटा आधी बहुत तेज आने वाली है रास्ते में कहीं फस जाओगे तो मुश्किल हो जाएगा,,, कुछ देर यहीं रुक कर इंतजार करो,,,


नहीं वैध जी यहां रुकना ठीक नहीं होगा अगर रुक गए तो अंधेरा हो जाएगा और तब और ज्यादा मुश्किल हो जाएगी अगर अभी जल्दी जल्दी निकलेंगे तो शायद घर पर पहुंच जाएंगे,,,,


जैसी तुम्हारी मर्जी बेटा,,,
(ललिया दवा की पुड़िया को प्लास्टिक की पन्नी में अच्छे से लपेट कर उसे अपने ब्लाउज के अंदर खोंस ली,, यह देख कर रघु कैमन का मयूर नाच उठा क्योंकि जीस अदा से वह वहां बैठे लोगों की नजरों से बचकर अपनी ब्लाउज में दवा की पूडीया, डाली थी,,, लेकिन वह इस हरकत को रघु की आंखों के सामने की थी,,, इसलिए तो रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ऊठी,,,, अब दोनों गांव की तरफ चलने के लिए तैयार थे,,, और दोनों निकल गए अभी हवा कितनी तेज नहीं थी लेकिन फिर भी तेज ही चल रही थी लेकिन इस हवा ने अभी आधी की शक्ल नहीं ली थी,,, रघु जल्दी जल्दी चल रहा था क्योंकि वह जानता था कभी एक बार भी तेज हो गई तो यहां से निकल पाना मुश्किल हो जाएगा लेकिन ललिया एक औरत होने के नाते ज्यादा तेज नहीं चल पा रही थी,, इसलिए रघु थोड़ी दूर जाकर रुक जाता था ताकि ललिया उसके करीब आ सके,,, हवा के विरुद्ध उन्हें जाना था इसलिए अच्छी खासी मेहनत लग रही थी,,,।
,,
रघु मुझ से तो नहीं चला जाता,,,( ललिया अपना पेट पकड़कर हांफते हुए बोली,,,)

चाची अगर मुमकिन होता तो मैं तुम्हें अपनी गोद में उठा कर ले चलता,,,(ललिया के चेहरे की तरफ देखते हूए बोला और साथ ही उसकी नजर गहरी सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही है उसकी चुचीयो पर भी जा रही थी,,, ललिया भी तिरछी नजर से रघु की नजरों के निशान को भांप चुकी थी,,, और रघु की प्यासी नजरों के निशाने को समझते ही उसके तन बदन में हलचल मच गई,,,)

मुझसे तो चला नहीं जा रहा है अपनी गोद में ही उठाकर ले चल,,,
(ललिया की बात सुनते ही रघु हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,)

मुझे कोई दिक्कत नहीं है चाची लेकिन अगर कोई देख लिया तो क्या समझेगा,,, (रघु का इतना कहना था कि बारिश की बूंदे गिरने लगी और बारिश की बूंदों को गिरता हुआ देख कर रखो चिंता दर्शाता हुआ बोला,,)

जल्दी करो चाची अभी बहुत दूर जाना है अगर आंधी के साथ साथ बारिश शुरू हो गई तो बहुत मुश्किल हो जाएगा,,,

तू ठीक कह रहा है,,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों फिर से चलने लगे हवा तेज हो रही थी चारों तरफ खेत के फसल हवा के झोंकों से इधर उधर हो रहे थे बड़े-बड़े पेड़ झुकने लगे थे,,,, मेले में इकट्ठी हुई भीड़ एकदम से गायब हो चुकी थी मैदान के हालत को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि कुछ देर पहले यहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हई थी,,,। मेला लगा हुआ था अभी सब कुछ एकदम शांत था सिर्फ आधा ही आंधी नजर आ रही थी,,, हवा इतनी तेज थी कि इस बार रघु को ललिया का हाथ पकड़ना पड़ा रघु ललिया का हाथ पकड़कर आगे आगे चलता चला जा रहा था और हवा के झोंकों से टकराते हुए ललिया अपने आप को संभालते हुए रघु का सहारा लेकर आगे बढ़ रही थी ,,पानी की बूंदे अब दोनों के बदन को भीगोना शुरू कर दी थी,,,,,, रघु कस के ललिया का हाथ पकड़े हुए था,,, ऐसे माहौल में भी ना जाने क्यों ललिया के तन बदन में हलचल मच रही थी,,,,ललिया लगभग भागते हुए चारों तरफ नजर दौड़ा रही थी लेकिन कोई भी वहां नजर नहीं आ रहा था सब के सब गांव की तरफ निकल चुके थे बस वही दोनों रह गए थे,,, हवा का दबाव तेज होने लगा पानी की बूंदों की रफ्तार भी बढ़ने लगी अब अपने आप को पानी की पौधों से बचा पाना दोनों के लिए नामुमकिन था,,, रघु ललिया का हाथ थामे बार-बार पीछे की तरफ देख ले रहा था,,, और अपनी इस लालच पर रोक नहीं पा रहा था क्योंकि ललिया के दोनों चूचियां भागने की वजह से जोर-जोर से उछल रहे थे रघु को इस बात का डर था कि कहीं इतनी जोर से उछलती हुई चुचियों के वजन से उसके ब्लाउज का बटन ना टूट जाए,,,अगर ऐसा हो भी जाता है तो रघु के लिए यह सौभाग्य की बात थी,,, रघु जिसको बचपन से अपनी चाची कहता आ रहा था उसके मन में उसके दोनों चुचियों को देखने की ललक जाग रही थी,,, भागते हुए वह अपने मन में सोच भी रहा था कि मौका और हालात दोनों उसके ही पक्ष में है,,,, लेकिन उसे इस बात का डर भी था कि कहीं ललिया इंकार कर दी तो और कहिए वाली बात ना उसकी मां को बता दी तो क्या होगा इसलिए अपने आप को रोके हुए था,,, ललिया को भी इस बात का आभास था कि भागते हुए उसकी दोनों चूचियां कुछ ज्यादा ही उछाल मार रही थी,,,, लेकिन ना जाने कि उसे अच्छा भी लग रहा था,,,, तभी बारिश की बौछार तेज हो गई बड़ी बड़ी बूंदे आसमान से गिरने लगी,,, बरसात का मौसम बिल्कुल भी नहीं था लेकिन मौसम में एकाएक बदलाव आया था,,,आसमान से गिर रहे ठंडे पानी की बूंदों में दोनों का तनबदन भीग रहा था,,,,

चाची इस तरह से बरसात में भागना ठीक नहीं है,,, अब हमें कहीं रुकना पड़ेगा,,,

नहीं रघु हम इस तरह से रोक नहीं सकते कहीं आंधी तूफान थमने का नाम ही नहीं लिया तो यह रात गुजारने का कोई जुगाड़ भी नजर नहीं आ रहा है,,,,


तुम सच कह रही हो चाची लेकिन करा भी क्या जा सकता है,,,। (दोनों लगातार लगभग भागते हुए एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे दोनों अब पूरी तरह से भीग चुके थे आंधी तूफान और बरसात की वजह से समय से पहले ही अंधेरा छाने लगा था,,, कच्ची सड़क पूरी तरह से पानी से डूबने लगी थी जगह जगह पर कीचड़ होने लगा था जिसमें दोनों के पाव जम जा रहे थे,,, बादलों की गड़गड़ाहट और ज्यादा शोर मचा रही थी जिससे माहौल पूरी तरह से भयानक होता जा रहा था ललिया को डर लगने लगा था क्योंकि अब अंधेरा हो रहा था और अभी भी उन लोगों का घर काफी दूर था,,,ललिया मन ही मन में भगवान का धन्यवाद कर रही थी कि अच्छा हुआ कि रघु उसके साथ था वरना आज पता नहीं क्या होता,,,।

रघु समझ गया था कि इतनी तेज बारिश और आंधी तूफान में आगे बढ़ पाना बहुत मुश्किल था,,,, वह कही अच्छी जगह देखकर रुकने की सोच रहा था कि तभी उसे थोड़ी ही दूर पर,,, खंडहर जैसा मकान नजर आने लगा,,,वह थोड़ा प्रसन्न नजर आने लगा वह अपनी बात ललिया को बोल पाता इससे पहले ही,,,कीचड़ की वजह से ललिया का पैर फिसला और बाकी रह गई इतनी तेज बारिश की वजह से घुटनों के नीचे तक पानी भरा हुआ था इसलिए ललिया पानी में गिरी थी जिससे वह पूरी तरह से निढाल हो गई थी,,, ललिया के गिरने की वजह से रघु भी गिरते गिरते बचा था,,, रघु जल्दी से उसे अपने दोनों हाथों का सहारा देकर ऊठाने लगा,,,, वह मुंह के बल गिरी थी इसलिए रघु उसे उठाने लगा तो उसका पूरा बदन पानी के अंदर था और वह जल्दबाजी में उसे उठाने की कोशिश करते हुए उतना दोनों हाथ उसके आगे की तरफ ले आया और अफरातफरी में उठाते समय उसकी दोनों हाथों की हथेली में ललिया की मदमस्त चूचियां आ गई,,, और वह उन्हें पकड़ कर उसे उठाने लगा अब तक रघु को इस बात का आभास तक नहीं था कि वह अपने दोनों हाथों की हथेली में ललिया की मदमस्त चुचियों को पकड़े हुए हैं लेकिन जैसे ही से इस बात का एहसास हुआ वहां ललिया कि दोनों चुचियों को छोड़ने की जगह उसे और जोर से पकड़ कर उठाने लगा,,, ललिया को गिरने की वजह से थोड़ी सी बदहवासी सी छा गई थी,,,इसलिए उसे इस बात का अंदाजा नही था कि रघु उठाते समय उसकी दोनों चूचियों को पकड़े हुए है,,, लेकिन जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई और ना जाने क्यों उसके तन बदन में हलचल सी मचने लगी,,,रघु जानबूझकर ललिया की चूची को तब तक नहीं छोड़ा जब तक कि वह ठीक से खड़ी होकर अपने आप को संभाल नहीं ली,,, लेकिन रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी थी,,,ललिया की मदमस्त बड़ी बड़ी चूचीयो के एहसास से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जिस पर अंधेरा होने की वजह से ललिया की नजर पहुंच नहीं पा रही थी,,,,,

तुम्हें चोट तो नहीं लगी चाची,,,,( उसका हाल पूछने के बहाने एक बार फिर से रघु ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी एक चूची को स्पर्श कर लिया,,, रघु की इस हरकत की वजह से ललिया के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, रघु के द्वारा इस तरह की छूट लेने की वजह से ललिया के मन में घबराहट हो रही थी कि कहीं रघु उसके साथ उल्टा सीधा ना कर ले,,, क्योंकि एक औरत होने के नाते कब तक वह उसका विरोध कर पाएगी। ताकत और शरीर दोनों में रघु उससे आगे ही था,,,)

नहीं नहीं मैं ठीक हूं,, लेकिन थोड़ा घुटने में दर्द हो रहा है,, मुझे लगता नहीं है कि मैं अब आगे जल्दी जल्दी चल पाऊंगी,,,


चाची अब जब तक बरसात और तूफान थम नहीं जाता तब तक यहां से निकलना ठीक नहीं है क्योंकि पानी भरना शुरू हो गया है,,, और हमें नहर पार करके जाना है,,, ऐसे में न हार का बहाव तेज होता है कहीं लेने के देने पड़ गए तो इसलिए हमें थोड़ा रुकना पड़ेगा,,,
(रघु की बात में सच्चाई थी इस बात से लगी आपको बिल्कुल भी इनकार नहीं था,,लेकिन उसके मन में यह सवाल उठ रहा था कि ऐसी तूफानी बारिश में रुकेंगे कहां,,,वह दोनों पूरी तरह से गिर चुके थे और अभी भी बारिश जा रही थी हवा बहुत तेज चल रही थी जगह-जगह कमजोर पेड गिरकर ढेर हो चुके थे,,,, ठंडे पानी और तेज हवा के कारण ललिया के बदन में कपकपी हो रही थी और वह कांपते हुए बोली,,,।)

रघु तेरी बात ठीक है लेकिन रुकेंगे कहां चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा है और सर छुपाने की जगह नहीं है,,,,

तूम चिंता मत करो चाची वो सामने खंडहर देख रही हो,,, हमें वही चलना पड़ेगा और जब तक बारिश और तूफान रुक नहीं जाता उसी खंडहर के अंदर रहकर बारिश और तूफान दोनों से अपना बचाव करना होगा,,,

खंडहर,,,, में,,, ना बाबा ना मैं खंडहर में नहीं जाऊंगी मुझे तो डर लगता है ऐसे खंडहर में भूत रहते हैं,,,(ललिया घबराते हुए बोली,,,।)

क्या पागलों जैसी बात कर रही हो चाची भूत ऊत कुछ नहीं होते,,,, सब बेकार की बातें हैं मैं रात रात भर ना जाने कैसी कैसी जगह पर रुका हूं सोया हूं मुझे तो कहीं भूत नजर नहीं आता,,,तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना डरने की कोई जरूरत नहीं है,,,

तू है तभी तो थोड़ा हिम्मत कर रही हूं वरना वही वेद के घर रुक गई होती,,,

वेद के घर तुम जानती हो वेद को वह कितना हरामी आदमी है रात भर रुकने का मतलब है कि,,,,(इतना कहकर रघु रुक गया,,)

क्या मतलब है रात भर रोकने का,,,

कुछ नहीं चाची जल्दी से चलो देख रही हो पानी भरता चला जा रहा है,,, ओर तुम्हें ठंड भी लग रही है,,,,।
(इतना कहने के साथ ही रघु ललिया का हाथ थाम कर जैसे ही आगे बढ़ा,,, ललिया फिर से गिरते-गिरते बची क्योंकि उसके घुटनों में चोट लग गई थी,,, वह ठीक से चल पाने में असमर्थ थीं,,,)

आहहहहहह,,,, रघु मैं नहीं चल पाऊंगी मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है,,,,,
(ललिया की बात सुनते ही रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, क्योंकि मेले में आते समय गोद में ले चलने का जिक्र हुआ था और भगवान की कृपा देखो की शाम ढलने के बाद ही उसकी ये इच्छा पूरी होने वाली थी,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा ललिया को गोद में उठाने की उसकी इच्छा पहले से ही थी,,, अपनी तेज चलती सांसो को संभालते हुए रघु बोला,,)

देख ली ना चाची तुम्हारी इच्छा थी कि मैं तुम्हें गोद में उठा कर ले जाऊं,, और भगवान ने तुम्हारी बहुत ही जल्दी सुन ली,,,।

अरे मुझे क्या मालूम था भगवान इतनी जल्दी सुन लेंगे और इस सूरत में सुनेंगे,,,


कैसे भी हाल में सुनो तो सही,,,

ऐसा लग रहा है जैसे मुझे गोद में उठाने के लिए तू उतावला हो रहा था,,,

कुछ ऐसा ही समझ लो,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु लड़कियों को अपनी गोद में उठाने के लिए उसकेएक हाथ नितंबों के नीचे की तरफ ले जाकर दूसरी पीठ की तरफ लाकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,।

संभाल कर रघु गिरा मत देना,,,।

मेरे हाथों में हो चाची गिरने नहीं दूंगा,,,।
( इतना कहने के साथ ही रघु ललिया को गोद में उठाए हुए लगभग घुटनों तक पानी में आराम से चलने लगा घुटनों तक पानी के साथ-साथ कीचड़ होने की वजह से रघु को चलने में दिक्कत आ रही थी लेकिन ललिया को अपनी गोद में उठाए हुए उसका जोश दुगुना होता जा रहा था,,, शरीर में बढ़ रही हूं तेज ना की वजह से उसमें काफी ताकत और हिम्मत महसूस हो रही थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी जिसकी वजह से ललिया को डर भी लग रहा था,,। तेज बारिश होने की वजह से पानी की बूंदे ललिया की आंखों में गिर रही थी जिसकी वजह से अपनी आंखों को बंद किए हुए थी,,, रघु ललिया की तरफ देख रहा था यूं तो चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन बिजली की चमक हो जाने की वजह से रह रहे कर ललिया का बदन उसे नजर आ जा रहा था,,,अपराध टीवी में अपने आप ही ले लिया के ब्लाउज का पहला बटन खुल चुका था जिसकी वजह से उसके दोनों खरबूजे आपस में एकदम सटे हुए थे और दोनों खरबूजा के बीज की पतली लकीर बेहद लुभावनी लग रही थी,, पूरा ब्लाउज पानी में भीगने की वजह से ललिया की निप्पल ब्लाउज के अंदर से भी बाहर झलक रही थी,, रघु को ललिया के निप्पल का नूकीलापन बेहद आकर्षक लग रहा था,,, रघु इच्छा हो रही थी कि ललिया की चूची को मुंह में भर कर जी भर कर पीए,,, उत्तेजना के मारे रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, जो कि पानी मैं चलने की वजह से उसका लंड आसमान की तरफ मुंह करके खड़ा था और अब धीरे-धीरे ललिया की चिकनी पीठ पर स्पर्श होने लगा था कुछ देर तक तो ललीया को समझ में नहीं आया कि उसकी पीठ पर रगड़ खा रही और चुभन दे रही चीज क्या है,,,लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी पीठ पर चुभ रही और रगड़ खा रही चीज कुछ और नहीं बल्कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड है तो इस बात के एहसास से ही पल भर में ही उसकी बुर ऊतेजना के मारे गरम रोटी की तरह फूलने पिचकने लगी,,।
Fine update mitr
 

Nevil singh

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K
ललिया के तन बदन में जैसी आग लग गई हो उत्तेजना कि वह प्रकाष्ठा महसूस करने लगी जो वह कभी महसूस नहीं की थी,,, पल भर में उसके सांसो की गति तेज हो गई रघु को तो मजा आ रहा था उसे आज अपने लंबे लंड पर गर्व हो रहा था क्योंकि अगर उसका लंड लंबा ना होता तो शायद इस समय उसकी पीठ से रगड़ नहीं खा रहा होता,, उसकी जी मैं तुम्हारा था की गोद में उठाए हुए ललिया की बुर में अपना लंड पेल दे,,, लेकिन वह अपने आप को संभाले हुए थे,,, बारिश कितनी जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी अंधेरा चारों तरफ छा चुका था और तेज बारिश और आंधी तूफान की वजह से ज्यादा दूर तक दिखाई नहीं दे रहा था,,,इसलिए रघु संभाल संभाल कर घुटनों तक पानी में आगे बढ़ रहा था,,, क्योंकि उसका पैर फिसल था तो वह दोनों पानी में जा गिरते और रघु ऐसा नहीं चाहता था,, क्योंकि ऊसके दोनों हाथों में जिम्मेदारी थी,,, खूबसूरत मदमस्त औरत को संभालने की,,, और दुनिया का कोई भी मर्द अगर इस जिम्मेदारी को अच्छे से संभाल ले तो जिंदगी भर के लिए वह औरत उसके गुलाम हो जाती है,,, और रघु अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहा था,,, उसके बदन में उत्तेजना की वो आग सुलग रही थी जो शायद ललिया के मदनरस से ही शांत होने वाली थी,,,, जब जब आसमान में बिजली चमकती थी तब तक वह ललिया के खूबसूरत बदन के दोनों खरबुजो की तरफ देखने लग जाता था,,, क्योंकि उसका एक बटन खुला होने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को छलकी हुई थी,,, रघु का लंड लगातार ललिया की पीठ पर ठोकर मार रहा था और यह ठोकर ललिया को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,,, ऐसे तूफान में भी ललिया के मन में हो रहा था कि यह सफर कभी खत्म ही ना हो क्योंकि आज ना जाने क्यों रघु के आगोश में अपने आपको पाकर उसे अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था,,,
रघु खंडहर के करीब पहुंच चुका था,,, खंडहर को देखकर रघु को इतना तो एहसास हो गया था कि इस तूफान और तेज बारिश से इस खंडहर में अपने आप को बचाया जा सकता है,,,।

बस चाची खंडहर आ गया,,, अब कोई दिक्कत नहीं है,, बस थोड़ा सा और,,,,(इतना कहकर रघु सीढ़ियां चढ़ने के लिए अपना पैर उठाया ही था कि उसका मोटा तगड़ा लंड और तेज ललिया की चिकनी कमर पर रगड़ खाते हुए फिसल गया,,, ललिया की तो जैसे सांसे बंद हो गई उसकी रगड़ और उसकी फिसलन को महसूस करके ललिया को ऐसा आभास हो रहा था कि जैसे रघु अपना लंड उसकी बुर में डालने की तैयारी कर रहा है,,, ललिया की सांसे ऊपर नीचे हो गई संभोग से वह एक कदम की दूरी पर थी,,, उसे भी अच्छी तरह से मालूम था कि जो वह महसूस कर रही है वही रघु भी महसूस कर रहा होगा उसे भी इस बात का एहसास हो रहा होगा कि उसका लंड उसकी चिकनी कमर पर बार बार ठोकर मार रहा है,,,,,,

आहहहहह,,, ललिया एक अद्भुत अहसास से भरी जा रही थी,,, धीरे धीरे रघु अपने लंड की ठोकर ललिया की चिकनी कमर पर मारते हुए सीढ़ियां चढ़ गया,,,,, और खंडहर के अंदर दाखिल हो गया,,,, अब बरसात का पानी उन लोगों के ऊपर गिर नहीं रहा था क्योंकि उनके सर पर छत आ गई थी लेकिन फिर भी रघु ललिया को अपनी गोद से नीचे नहीं उतार रहा था,,, क्योंकि उसे भी ललिया की चिकनी कमर पर अपने लंड की ठोकर मारने में मजा आ रहा था,,,।ललिया भी शायद रघु के गोद से उतरना नहीं चाहती थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार किसी जवान मर्द ने उसे अपनी गोद में जो उठाया था,,,

अभी भी बारिश अपनी जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट से पूरा माहौल थोड़ा डरावना हो जा रहा था,,, आंधी थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी,,, रघु ललिया को गोद में उठाए हुए ही उसकी तरफ देखते हुए बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है चाचा,,,,

अब थोड़ा आराम महसूस हो रहा है,,, तेरे हाथों में बहुत ताकत है,, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि तू अपनी गोद में मुझे उठा लेगा लेकिन कितनी देर से तो मुझे अपनी गोद में उठाकर यहां तक लेकर आया,,,(इतना कहकर ललीया मुस्कुरा रही थी,,,)

कुछ नहीं चाची यह तो मेरा फर्ज था,,,मुझे जैसे ही पता चला कि तुम वेद जी के यहां दवा लेने गई हो तो मैं बिल्कुल भी नहीं रुका और तुरंत वेद जी के वहां दौड़ता हुआ गया,,,

तु घर जा सकता था आराम से तो गया क्यों नहीं,,,? (ललिया रघु की आंखों में झांकते हुए बोली,,)

चला जाता तो तुम्हारी बात कैसे सच साबित होती,,,

कौन सी बात,,,?

गोद में उठाकर ले चलने वाली बात,,,।
(इतना सुनते ही ललिया शर्म से अपनी आंखों को दूसरी तरफ फैर ली,,, और शरमाते हुए बोली,,)

नीचे नहीं ऊतारेगा क्या,,,?

अब आराम जैसा महसूस हो रहा है क्या,,,?

तू थक गया होगा,,,।

चाची यह रघु कि गोद है कहो तो इसी तरह से उठाए हुए घर तक ले जा सकता हूं,,,,
(रघु की बातें सुनने में लगी आग खुशी हो रही थी उसकी इस तरह की बातें उसे अच्छी लग रही थी,,, वह मुस्कुराते हुए बोली,,)

मैं जानती हूं तेरे में बड़ा दम है लेकिन अब मैं ठीक हूं मुझे उतार दे,,

ठीक है चाची जैसा तुम कहो,,,
(इतना कहने के साथ ही रघु धीरे-धीरे उसे गोद में से नीचे उतारने लगा और जैसे ही वह अपने दोनों पैरों को जमीन पर रखकर अपना एक पैर आगे बढ़ाई ही थी कि लड़खड़ा कर सीधे रघ6 के ऊपर ही आ गीरि सीधे उसके सीने पर रघु फिर से उसे थाम लिया लेकिन इस बार वह इस तरह से गिरी थी कि सीधे रघु की बाहों में आ गई थी,,, रघु कस के ऊसे अपनी बाहों में जकड़ लिया,,, जो कि एक तरह से अनजाने में ही हुआ था और वह भी ललिया को संभालने में,,, जैसे ही ललिया रघु की बाहों में आई रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा साथ ही ललिया की भी हालत खराब होने लगी क्योंकि जिस तरह से वह उसकी बाहों में थी रघु का खड़ा लैंड जोकि पजामे में पूरी तरह से गदर मचा आया हुआ था वह सीधे ललिया की टांगों के बीच ऊसकी नरम नरम मखमली बुर के ऊपर दस्तक देने लगा,,,,, और इस दस्तक की वजह से ललिया के मुंह से आह निकल गई,,, प्रभु इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए एक बार फिर से अपने हथेली को उसकी कमर पर रखते हुए उसकी गोलाकार उभार लिए हुए नितंबों पर रख दिया और हल्के से दबा दिया,,,, ललिया के तन बदन में हलचल मच गई,, रघु अपनी हथेली को उसकी मदमस्त गांड पर से हटाने का नाम नहीं ले रहा था उसे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे स्वर्ग का कोई खजाना उसके हाथ लग गया हो,,, ललिया भी रघु की इस हरकत की वजह से पूरी तरह से रोमांचित हो उठी थी,, उसकी सांसे संभाले नहीं समझ रही थी वह काफी गहरी चल रही थी,,।

मैं कह रहा था ना चाची संभाल के,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु अपनी कमर को थोड़ा सा आगे की तरफ ठेल दिया जिससे पजामे में होने के बावजूद भी रघु का मोटा तगड़ा लंड,,, ललिया की मखमली बुर जो कि अभी भी साड़ी और पेटीकोट के अंदर थी सब कुछ दबाता हुआ बड़ी तेजी से ललिया की बुर के बीचो बीच जाकर चिपक गया ललिया को साफ महसूस हुआ कि रघु की ईस हरकत की वजह से उसकी बुर का मुख्य द्वार हल्का सा खुल गया था,,,यह पल ललिया के लिए इतना अद्भुत और सुखद एहसास से भरा हुआ था कि वह मन ही मन में यह चाहती थी कि रघु उसकी साडी और पेटिकोट कमर तक उठाकर अपना मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में पेल दे,,, लेकिन मन में आई बात जुबां पर आने से कतरा रही थी,,,, रघु मस्त हो चुका था उसकी यही इच्छा कर रही थी कि बिना इजाजत ललिया की चुदाई कर दे फिर बाद में जो होगा देखा जाएगा,,, लेकिन ना जाने क्यों रघु इससे ज्यादा आगे बढ़ नहीं सका,,, ललियाही इस सुखद अहसास के पल को तोड़ते हुए बोली,,,।

अच्छा हुआ कि एक बार फिर से मुझे संभाल लिया वरना फिर से गिर जाती,,,(इतना कहते ही ललिया उससे अलग होने लगी,,,रखो का तो मन नहीं हो रहा था उसे अपनी बाहों से आजाद करने के लिए लेकिन फिर भी वह मजबूर था,,, इसलिए ना चाहते हुए भी वह ललिया को अपनी बाहों से अलग कर दिया ललिया धीरे-धीरे अपने आप को संभालने लगी,,, रघु उसे देखता ही रह गया,,, उसके मदमस्त नितंबों के उभार की गर्मी उसे अभी भी अपनी हथेली में महसूस हो रही थी,,, रघु किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नहीं करना चाहता था,,वह चाहता था कि उन दोनों में संबंध बने तो पारस्परिक सहमति से बनी कोई जोर जबरदस्ती से नहीं क्योंकि वह हलवाई की बीवी के साथ अपने शारीरिक संबंध को लेकर काफी उत्साहित था और उन दोनों में सारी संबंध आपस की सहमति से ही बना था तभी दोनों को चुदाई का भरपूर आनंद मिल रहा था,,और, रघु यह भी जानता था कि अगर उसके और ललिया के बीच में शारीरिक संबंध स्थापित हो गया तो हलवाई की बीवी से ज्यादा मजा छरहरे बदन वाली ललिया देगी,,, इसलिए रघु अपने आप को संभालते हुए अपनी भीगी हुई कमीज को निकालते हुए बोला,,,।)

चाची बरसात थमने का नाम ही नहीं ले रही है,,, लगता है कहीं हमें आज की रात यही रुकना ना पड़ जाए,,,

मुझे तो कोई दिक्कत नहीं लग रही है लेकिन इस खंडहर में मुझे बस भूत का ही डर लग रहा है,,,।

क्या चाची फिर तुम शुरू हो गई,,, मैं कहा ना यहां कुछ भी नहीं है सिर्फ मैं हूं और तुम हो,,,,(इतना कहकर वह अपनी की भी कमी जो दोनों हाथों से पकड़ कर उसका पानी नीचोड़ने लगा,,,, ललिया उसे ही देख रही थी और वह ललिया की तरफ देखते हुए बोला,,,)

चाची तुम्हारे कपड़े भी पूरे गिले हो चुके हैं,,, अगर कोई एतराज ना हो तो तुम भी अपनी साड़ी निकाल कर उसका पानी नीचोड़ दो और इतनी तेज हवा चल रही है सुख ही जाएगा वरना गीले कपड़ों में सर्दी लग गई तो बुखार आ जाएगा,,,,

(ललिया अपने मन में सोच रही थी कि रघु ठीक ही कह रहा था उसके कपड़े पूरी तरह से गीले हो चुके थे,,, अगर बाकी ले कपड़े में बैठी रह गई तो सच में उसे बुखार आ जाएगा,,, इसलिए वह भी धीरे-धीरे अपनी साड़ी को खोलना शुरू कर दी,,, रघु तिरछी नजरों से बार-बार ललिया की तरफ देख ले रहा था उसका इस तरह से अपनी गीली साड़ी उतारना रघु को बेहद कामुक लग रहा था। रघु अपनी गीली कमीज को जोर जोर से दबा कर उसका पानी नीचोड़ रहा था,,, और तिरछी नजरों से ललिया की तरफ देख भी ले रहा था,,, देखते ही देखते ललिया ने भी अपनी साड़ी अपने बदन पर से अलग करके उसका पानी निकालने लगी,,, अब वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी,,, वह भी तिरछी नजरों से रघु की तरफ देख ले रही थी,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रघु की नंगी छाती बिजली की चमक में चमक रही थी,,, कुछ देर पहले ही वह रघु की चोड़ी छातियों के बीच थी,, और उस पल का एहसास उसे अब तक अपने अंदर गर्माहट दे रहा था,,,अभी भी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल मची हुई थी क्योंकि कुछ देर पहले ही उसके लंड ने वस्त्र के ऊपर से ही अंदर तक दस्तक दे दिया था,,

रघु अपनी कमीज का पानी पूरी तरह से ली छोड़कर अपने बदन को उस कमीज से साफ करने लगा,,, थोड़ी देर में उसे गिलेपन से राहत महसूस होने लगी,, तो वह ललिया की तरफ देखते हुए बोला,,)

चाची तुम भी साड़ी से अपने गीले बदन को पोछ लो तो राहत मिलेगी,,,,
(और वह रघु की बात मानते हुए साड़ी से अपने गीले बदन को पोंछने लगी,,, उसे भी राहत महसूस हो रही थी,,,लेकिन ब्लाउज पेटीकोट जो पूरी तरह से पानी में भीग चुका था इस समय बेहद ठंडक दे रहा था,,, और गीले कपड़ों में उसे अजीब सा महसूस हो रहा था,,, रघु अगर उधर नहीं होता तो वह अब तक अपने सारे कपड़े उतार कर डीजे कपड़ों को अपनी पत्नी से अलग कर दि होती,,, लेकिन जब वो की उपस्थिति में वह ऐसा करने में शर्मा रही थी,,, लेकिन यह बात भी जानती थी कि चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था केवल जब जब आसमान में बिजली चमकती थी तब उसके उजाले में ही दिखाई देता था और वह भी पल भर के लिए यही सोचकर वह अपने ब्लाउज के बटन खुले लगे वह अपने ब्लाउज को भी अपने बदन से अलग कर देना चाहती थी क्योंकि ब्लाउज का गीलापन उसे अजीब सा महसूस करा रहा था,,,
और दूसरी तरफ रघु को भी अपने पजामे का गीला पन अच्छा नहीं लग रहा था,,, इसलिए वह बिना कुछ सोचे-समझे धीरे से अपने पजामे को उतार दिया और थोड़ा सा कौन है मैं चला गया जहां पर बिजली की चमक की रोशनी में भी वह ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था,,,
लेकिन ललिया को इस बात का एहसास हो रहा था कि वह कहां खड़ा है,,, ललिया धीरे-धीरे करके अपने सारे बटन खोल दी जब आखरी बटन खोल ले जा रहे थे कि तभी रघु बोला,,।

चाची मुझे बहुत जोरों की पेशाब न कि अगर तुम बुरा ना मानो तो यहां पर कर लु,,, अगर बाहर जाऊंगा तो फिर गीला हो जाऊंगा,,,

कोई बात नहीं,,,, कर ले,,,
(इतना कहने के साथ ही उसकी दिल की धड़कन तेजी से बढ़ने लगी क्योंकि जिस मजबूत हथौड़े की तरह जबरदस्त ठोकर को अपनी बुर के उपर महसूस की थी,, वह अपनी आंखों से उसके तगड़े हथियार को देखना चाहती थी,,,। इसलिए वह अपने ब्लाउज के आखिरी बटन को खोलकर ब्लाउज ऊतारे बिना ही चोर नजरों से रघु की तरफ देख ले रही थी,,, रघु चाहता तो ललिया की नजर में आए बिना ही वापस आ कर सकता था और ललिया को पता भी नहीं चलता लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, हलवाई की बीवी के साथ रात को पेशाब करने की बात से ही बात आगे बढ़ी थी,,, और आज भी वह यही चाहता था इसलिए ना चाहते हुए भी वह किसी भी हाल में अपने मोटे तगड़े लंबे लंड के दर्शन ललिया को करा देना चाहता था,, क्योंकि अब तक वह औरत के मन को समझ चुका था,,,इसलिए मैं ऐसी जगह पर खड़े होकर पेशाब करने लगा जहां पर ललिया की नजर ठीक से पहुंच जाती,,, ललिया को इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि रघु इस समय खंडहर में पूरी तरह से नंगा हो चुका था,,, ललिया का दिल जोरों से धड़क रहा था,,। अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी उसकी चूचियां एकदम तनी हुई थी क्योंकि उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,रघु जानबूझकर ऊसकी आंखों के सामने खड़ा होकर के इस तरह से पेशाब करने लगा कि जहां से ललिया को उसके मोटे तगड़े लंड के दर्शन बराबर हो सके,,,,, और रघु की मंशा पूरी होने लगी,,,आसमान में बिजली की चमक के साथ-साथ नीचे जमीन पर भी कुछ पल के लिए रोशनी फैल जा रही थी,,, पल पल भर के उस रोशनी के उजाले में ललिया को पहली बार रघु के मोटे तगड़े लंबे लंड के दर्शन हो गए,,, जोकि रघु अपने खड़े लंड को हिला हिला कर पेशाब कर रहा था यह देख कर ललिया की दोनों टांगों के बीच कपकंपी सी दौड़ने लगी,, वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि रघु का लंड ईतना दमदार होगा वह बस देखती ही रह गई,,, अब ललिया की हालत खराब होने लगी थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि इतना मोटा तगड़ा लंड जब बुर के अंदर जाएगा तो कितना मजा देगा,,
, रघु भी यह बात अच्छी तरह से जानता था,,, के मोटे तगड़े लंड को देखने के बाद औरत के मन की स्थिति क्या हो जाती है क्योंकि इसी तरह से अपना लंड दिखाकर हलवाई की बीवी को पूरी तरह से अपने आकर्षण के जादु में बांध लिया था,, जिसके बाद वह जब चाहे तब हलवाई की बीवी की चुदाई करके अपनी प्यास बुझा लेता था,,, अब वह ललिया के साथ भी वही करना चाहता था,,, रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि अब तक ललिया ने उसके लंड के दर्शन जरूर कर लिए होंगे तभी आसमान में एक बार फिर से बिजली चमकी और रघु तुरंत ललिया की तरफ देखने लगा जो कि ललिया भी उसके इंग्लैंड की तरफ देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और ललिया एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई,,,। वह जल्दी से अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली लेकिन कब तक वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ करके अपने मन को शांत करने की कोशिश करती क्योंकि ऐसा करना उसके लिए अब नामुमकिन सा हो गया था वह फिर से रघु की तरफ नजर घुमा ली और उसके खड़े लंड को देखने लगी जो कि रघु अपने हाथ में लेकर उसे हिलाता हुआ मुत रहा था,,, लेकिन तभी उसे जोर सा झटका लगा,,, क्योंकि वह अभी तक इस बात पर ध्यान नहीं दी थी कि रघु पैजामा पहना है कि नहीं लेकिन अब उसे इस बात का एहसास हुआ कि रघु पूरी तरह से नंगा था,, पर इस बात का अहसास होते ही ललिया के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी,,,, उसकी सांसे तेज चलने लगी,,,एक अद्भुत एहसास उसके तन बदन को झकझोर के रख दे रहा था,,,
बारिश थी कि थमने का नाम नहीं ले रही थी तेज हवाओं का झोंका रह रहकर उसे भी हिला दे रहा था,,, और ऐसे में रघु का इस तरह से अपना लंड दिखा कर मुतना,,, ललिया के सब्र का इम्तिहान ले रहा था,,,,,, रघु पेशाब कर चुका था और वह वापस अपनी जगह से अंदर की तरफ कदम बढ़ाते हुए बोला,,,।

माफ करना चाहती क्या है कि पैजामा पूरी तरह से गिला हो गया था इसलिए मैंने उसे भी निकाल दिया ताकि सूख जाए,, और वैसे भी अब हम दोनों को शर्म करने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम लोग इस तूफान में फस चुके हैं और जब तक यह तूफान शांत नहीं होता तब तक हमें यही रुकना होगा,,,
(रघु की बात सुनकर ललिया बोली कुछ नहीं,,, बस उसके दिमाग में रघु का खड़ा लंड घूम रहा था,,, अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस हो रही हलचल को अच्छी तरह से समझ रही थी,,, रघु के लंड को देखकर उसकी बुर अपने आप ही घुटने टेकते हुए गीली हो चुकी थी लेकिन अभी ललिया के दिमाग नअ आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी थी वरना कामोत्तेजना के तूफान में कामुकता का रुख जिस तरफ मोड दे रहा था उस तरफ ललिया का चंचल मन मुड जा रहा था,,, रघु एक बार फिर से अपनी कमीज से अपने बदन को साफ करने लगा उसे थोड़ी राहत महसूस हो रही थी क्योंकि अब उसका बदन पूरी तरह से साफ हो चुका था,,, अब ललिया की बारी थी उसके तन बदन में मदहोशी का आलम खुलने लगा था खुमारी छाने लगी थी,, लगभग चार-पांच महीने बीत चुका था ललिया संभोग सुख का मजा नहीं ली थी क्योंकि उसका पति शराबी था और शराब के नशे में डूबा रहता था और वैसे भी उसके पति में अब इतना दम नहीं था कि उसे शरीर सुख दे सके इसलिए तो ललिया के कदम लड़खड़ा रहे थे,,। ललिया को भी जोरो की पिशाब लगी हुई थी,,, लेकिन वह अपनी गांड रघु को दिखाना नहीं चाहती थी,,, क्योंकि उसे शर्म महसूस हो रही थी हालांकि भले ही वह कामोत्तेजना के जोश में मदहोशी की मिठास की तरह पिघल रही थी लेकिन फिर भी वह अपने आप को बचाए हुए थी,,। लेकिन अपनी पैसाब को रोक पाने में सक्षम नहीं थी,,, इसलिए ना चाहते हुए भी उसे पेशाब करने के लिए मजबूर होना पड़ा,, और वह धीरे-धीरे उसी जगह पर पहुंच गई जहां पर रघु खड़े होकर पेशाब कर रहा था,,
बिजली की चमक की रोशनी में रघु को साफ नजर आ रहा था कि ललिया उसी स्थान पर पहुंच गई थी जहां पर वह पेशाब कर रहा था उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसके मन में ढेर सारे सवाल ऊठने लगे,,, क्या ललिया भी वहीं बैठ कर के पेशाब करने वाली है,,आहहहह,,, तब तो आज फिर से उसकी मदमस्त गोलाकार गांड के दर्शन करने को मिलेंगे,,,, यह सोचते ही उत्तेजना के मारे उसका लंड ऊपर की तरफ तान गया, मानो कि लगे कि मदहोश कर देने वाली जवानी को सलामी भर रहा हो,,,।

अद्भुत अतुल्य मादकता से भरा हुआ दृश्य खंडहर के अंदर बनता चला जा रहा था,,, ललिया अपने आप को रोके भी तो कैसे रोके पेशाब बड़ी जोरों की लगी हुई थी,, वह अपनी नंगी गांड रघु को दिखाना नहीं चाहती थी लेकिन कर भी क्या सकती थी,,
उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था वह जानती थी कि रघु की आंखों के सामने वह खड़ी है,,,वह उसे ही देख रहा होगा,,, वैसे भी अच्छी तरह से जानते थे कि रघु जवान लड़का है और ऐसी उम्र में औरतों को ताकत ना आम बात होती है और वह तो हमेशा से उसे प्यासी नजरों से देखता रहा था और इस समय उसके मन में ना जाने क्या चल रहा है इस बात को थोड़ा बहुत तो ले लिया समझ गई थी ,,,।

अंधेरा घना था आंधी तूफान अपनी पूरी औकात दिखा रही थी लेकिन धनिया देशों के बीच में भी कुछ पल के लिए उजाला हो जाता था बस उसी से थोड़ा ललिया घबरा रही थी क्योंकि वह जानते थे कि बिजली की चमक के उजाले में रघु जरूरत के नंगे पन का दर्शन कर लेगा और फिर कही अपना होश ना खोदे,,, लगी अपने मन में कुछ भी सोचे लेकिन अपने पेशाब की तेजी को रोक नहीं पा रही थी इसलिए ना चाहते हुए भी वह अपनी पेटीकोट को कमर तक उठा दी अब तक अंधेरा ही था लेकिन जैसे ही वह बैठ कर मुतना शुरू की,,, वैसे ही बिजली की चमक के उजाले में ललिया की मदमस्त गोलाकार गांड रघु की आंखों के सामने चमक उठी,,,पल भर में ही रखो कि तन बदन में उत्तेजना की लहर बड़ी तेजी से दौड़ने लगी वह फटी आंखों से ललिया की मदमस्त गोलाकार नितंबों को देखता ही रह गया,,, और वह अपने मन ही मन में बोला कि भगवान ने बड़ी फुर्सत से उसकी गांड बनाई है,,, ललिया मारे शर्म के अपनी नजरें नीचे झुकाए पेशाब की धार को बरसात के पानी के बहाव में मार रही थी,,, हवा इतनी तेज थी कि बाहर से आ रही बौछार उसके तन को फिर से भिगोना शुरू कर दी थी वह जल्द से जल्द उठना चाहती थी लेकिन पैसा आप अभी भी बड़ी तेजी से उसकी गुलाबी बुर से बाहर निकल रही थी,,, तभी अचानक उसकी नजर पानी में से आ रहे मोटे चूहे पर पड़ी जो कि उसकी तरफ ही बढा आ रहा था और वह एकदम से घबरा गई,,,,रघु धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ा कर नजदीक से उसकी बड़ी-बड़ी गांड के दर्शन करने की लालच को रोक नहीं पा रहा था और आगे बढ़ता जा रहा था,,, मोटे चूहे को अपनी तरफ आता देख कर ललिया बड़े जोर से चीखती हुई उठी और खंडहर के अंदर भागने लगी ही थी कि सामने खड़े रघु से जाकर एकदम से चिपक गई,,, रघु तुरंत उसे अपनी बाहों में ले लिया,,,, ललिया का दील घबराहट के मारे बड़े जोरों से धड़क रहा था,,, ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे उसकी दोनों चूचियां एकदम नंगी थी जो कि इस समय सीधे जाकर रघु की चौड़ी छातीयो से एकदम से सट गई,,,उत्तेजित ललिया भी थी इसलिए उसकी दोनों चूचियों के निप्पल एकदम कड़ी हो चुकी थी जो कि किसी भाले की नोक की तरह रघु के सीने में चुभ रही थी,,, रघु एकदम बेहाल हो गया मदहोश हो गया,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे भगवान ने कोई वरदान उसकी झोली में गिरा दिया हो,, रघु और कसके उसे अपनी बाहों में भर लिया,,, तभी उसे अपने कमर के नीचे वाला भाग पानी से भीगता हुआ महसूस होने लगा,,, वह ललिया को अपने बदन से हटा कर देखना चाहता था कि क्या हो रहा है लेकिन वह अपनी बाहों में आई हुई खूबसूरत औरत को आराम से जाने नहीं देना चाहता था,,, इसलिए वह उसे अपनी बाहों में ही थामें रहा,,, लेकिन अपने बदन के ऊपर की रहे पानी की गर्माहट को महसूस करके उसे समझते देर नहीं लगी कि कमर के नीचे भिगो रहा पानी क्या है और कहां से आ रहा है,,, वह पानी कुछ और नहीं बल्कि ललिया की गुलाबी बपर से निकल रही पेशाब की धार थी,, जोकी ललियापेशाब ठीक से कर नहीं पाई थी और मोटे चूहे को अपनी तरफ आता देख कर जल्दी से उठ गई थी लेकिन इस दौरान उसकी बुर से पेशाब निकल रही थी,, जो कि रघु की बाहों में आने के बाद भी जारी था,,, इस बात का एहसास ललिया को होते ही वह मारे शर्म के पानी पानी हो गई,,, वह शर्म के मारे अपना चेहरा रघु की चौड़ी छाती में छीपा ली,,रघु को उसकी बुर से निकल रही पेशाब की तेज धार अपने बदन पर पढ़ते हुए बहुत ही लुभावनी लग रही थी। रघु के तन बदन में उत्तेजना एकदम परम शिखर पर विराजमान हो चुकी थी वह उत्तेजना की सीमाओं को लांघ चुका था उसकी सांसे तेज चल रही थी,,, ललिया का पेटीकोट कमर तक उठा हुआ था कमर के नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी,,,, और रघु ललिया के अद्भुत अतुल्य नंगेपन के एहसास में पूरी तरह से अपने आप को डुबो देना चाहता था,,,

ललिया की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी ईतनी जोरो की पेशाब और डर की वजह से ललिया अपने आप और अपनी पेशाब पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाए जो कि अभी भी रह रहे कर रघु के ऊपर धार मार रही थी जो किसी के उसके खड़े लंड पर गिर रही थी जिससे रघु का लंड और ज्यादा टनटना गया था,,, रघु इस मोके का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए अपना हाथ की नंगी चिकनी पीठ पर घुमाने लगा ललिया को अच्छा लग रहा था वह कुछ बोल नहीं रही थी,,,और वैसे भी अपनी गलती की वजह से वह बेहद शर्मिंदगी महसूस कर रही थी रघु अपनी हरकत को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपने दोनों हाथों को नीचे कमर तक लाकर उसकी कमर को दोनों हाथों से कस के दबा दिया,,,, रघु की इस हरकत पर ललिया के मुंह से आह निकल गई,,,
रघु भी कुछ भी बोल सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था उसके तन बदन में खुमारी छाई हुई थी,,, ललिया की मदमस्त जवानी की मदहोशी छाई हुई थी,,,। ललिया की कमर को दोनों हाथों से थाने में रघु को बेहद उत्तेजना महसूस हो रहा था अपनी हरकत को बढ़ाते हुए रघु रे दोनों हाथों को और नीचे की तरफ लाकर उसके नितंबों के उभार को,,, कसके अपनी दोनों हथेली में जितना हो सकता था उतना भरकर एकदम से दबा दिया,,, ललिया की गांड पूरी तरह से नंगी थी एकदम गोलाकार,,,ऊफफ,,, एकदम मलाई,,, रघु की इस हरकत की वजह से ललिया के तन बदन में आग लग गई,,, और उसके मुंह से सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।

सससहहहह,,,आहहहहहह,,, रघु यह क्या कर रहा है,,,(नदिया अभी भी रघु की छाती में अपना चेहरा छुपाए हुए बोली,,)

तुम तो मुझे एकदम गीला कर दी चाची,,, मेरे ऊपर ही मुत दी,,,(इतना सुनना था कि ललिया तो एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई जिंदगी में उसे इस तरह की शर्मिंदगी का अहसास कभी नहीं हुआ था जितना कि अब हो रहा था.. वह अच्छी तरह से जानती थी कि इससे शर्मनाक हरकत भी हो गई थी,,, उसने कभी सोची नहीं थी जब भी पेशाब करने बैठती थी तो चारों तरफ देख लेती थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन आज अनजाने में और डर के मारे हालात इस तरह के हो गए थे कि ना चाहते हुए भी वह रघु के ऊपर मुत दी थी,,,वह कुछ भी बोल सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी,, शर्मिंदगी के एहसास से भरी हुई थी लेकिन रघु की हरकत की वजह से उसके तन बदन में गर्माहट फैलती जा रही थी,, रघु की हरकत ऊसे अच्छी लग रही थी,,, रघु लगातार उसकी गोलाकार गांड से खेल रहा था,, ललिया की हालत खराब होती जा रही थी उसकी सांसो की गति तेज हो रही थी वह अपनी कमर को थोड़ा सा आगे की तरफ की तो तुरंत रघु का लंड लंड उसकी टांगों के बीच उसकी बुर के मुहाने से रगड़ खाने लगा,,, इस अद्भुत स्पर्श के एहसास से दोनों एकदम मदहोश होने लगे,,, रघु लगातार ललिया की भारी-भरकम गांड से खेल रहा था और ललिया उसे खेलने दे रही थी रघु को समझते देर नहीं लगी कि ललिया को भी उसकी हरकत अच्छी लग रही है,, इसलिए रघु,, अपना एक हाथ ललिया की गांड से हटाकर अपने लंड को थाम लिया और उसे बिना देखे ही ललिया की टांगों के बीच के उस पतली दरार पर रगडना शुरू कर दिया,,,,।

आहहहहह,,सहहहहहहह,,, रघु,,, ऐसा मत कर रहने दे,,,।

( ललिया रघु को रोक तो रही थी लेकिन उसका तन बदन उसका साथ नहीं दे रहा,,, उसके बदन में मस्ती की खुमारी छाने लगी थी,, रघु की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से बावली होती जा रही थी,, रघु जानता था कि अगर ललिया उसे आगे बढ़ने से रोक दि ,,तो वह आगे नहीं बढ़ पाएगा और इतना अच्छा मौका हाथ से ज्यादा रहेगा इसलिए वह इस मौके को जाने देना नहीं चाहता था इसलिए वह ललिया की बात को अनसुना करते हुए,,, अपने मोटे तगड़े लंड के मोटे सुपाड़े को ललिया की मखमली बुर के दरार पर रगडता रहा,,,, ललिया तड़प रही थी जल बीन मछली की तरह उसका हाल था,,, महीनों बाद उसके तन बदन में उत्तेजना का तूफान उठा था,,, रघु एक हाथ से ललिया की गांड को दबाता हुआ दूसरे हाथ से अपने मोटे लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी बुर पर रगड़ रहा था,,,। ललिया उसे रोकना चाहती थी लेकिन रोक नहीं पा रही थी अद्भुत सुख का एहसास उसके तन बदन को पूरी तरह से कमजोर कर रहा था रघु के सामने उसके संस्कार उसका शर्म घुटने टेक रहा था,,, रघु जोर-जोर से सांसे ले रहा था,, वह अपने आपे में बिल्कुल भी नहीं था,,,। ललिया को साफ महसूस हो रहा था कि रघु का मोटा लंड उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों को इधर उधर फैलाने लगा था,,,ललिया की हालत खराब होती जा रही थी वह अपनी सिसकारियों को बड़ी मुश्किल से दबाए हुए थी,,,,। लेकिन सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी और उसकी दोनों मदमस्त खरबूजे रघु के सीने से एकदम दबे हुए थे उसकी निप्पल इतनी नुकीली महसूस हो रही थी कि ऐसा लग रहा था कि जैसे सीना चीर के अंदर घुस जाएगी,,, रघु को ललिया की मदमस्त चुचियों का दबाव अपने सीने पर बेहतरीन एहसास करा रहा था,,,। ललिया अपने अंदर चल रहे कशमकश से जूझ रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कि आगे बढ़ा जाएगा पीछे कदम फिर लिया जाए,,,,। आनंद उसे भी चाहिए था लेकिन आनंद को प्राप्त करने में संयम और मर्यादा की डोर टूट जाती,,, वह बड़ी परेशान लग रही थी अब रे मन में यही सोच रही थी कि अगर इस बारे में उसकी मां कजरी को पता चल गया तो वह क्या सोचेंगी,,, यही सब सोचकर उसका मन घबराने लगा और वह रघु की बाहों से छूटने की कोशिश करने लगी,,, लेकिन रघु ललिया को छोड़ने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था,,, वह जिस तरह से कसमसा रही थी,,, उसे देखते हुए रघु समझ गया कि यह उसकी बांहों से आजाद होना चाहती है,,,इसलिए एक बार फिर से एक हाथ से उसकी गांड को पकड़े पकड़े हैं उसे अपनी तरफ खींच लिया जिससे इस बार रघु के लंड का मोटा सुपाड़ा हल्के से ललिया की बुर की गुलाबी पत्तियों को फैलाती हुई थोड़ा अंदर की तरफ प्रवेश करने लगा,,,, ललिया की तो जैसे सांसे बंद हो गई ललिया को लगने लगा कि रघु उसकी बुर में लंड डाल देगा,,,, और यह सोचकर वह उसकी पकड़ से छूटने के बारे में सोच ही रही थी कि तभी,,, रघु अपना हाथ ऊपर की तरफ लाया और उसकी एक चूची को पकड़कर हल्के हल्के दबाते हुए बोला,,,।

ऐसा क्या देख ली थी चाची कि ईतनी जोर से चिल्लाकर भागी,,,

चचच,,,चुहा,,,,(लगभग घबराते हुए बोली,)

चूहा,,, अरे ऐसा कैसा चुहा था जो इतनी जोर से चिल्ला कर भागी,,,,,(रघु ललिया की चूची को दबाते हुए बोला,,)

बहुत लंबा और मोटा चुहा था,,,,
(रघु ललिया की यह बात सुनकर धीरे से उसका हाथ पकड़ा और नीचे की तरफ लाकर अपने खड़े लंड पर रखकर अपने हाथ से ही अपने लंड पर उसकी मुट्ठी बंधवाते हुए बोला,,,)

इससे भी लंबा और मोटा था क्या चाची,,,? (रघु एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,, ललियी की तो हालत खराब हो गई ललिया कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि,,, वह कभी किसी के लंड को अपने हाथ से पकड़ेंगी,, ललिया को रघु के मोटे तगड़े लंड की गर्माहट अपनी हथेली में साफ महसूस हो रही थी वो एकदम से घबरा गई थी अपना हाथ वापस खींचना चाहती थी लेकिन रघु कसके उसकी मुट्ठी को अपनी मुट्ठी में दबाए हुए था,,,, रघु उसकी मुट्ठी को अपनी मुट्ठी में दबाए हुए ही अपने लंड को मुठियाते हुए बोला,,,।


बोलो ना चाची कैसा था वह चूहा इसकी तरह था,,,,,,,


यह क्या कर रहा है रघु,,, यह गलत है भगवान के लिए ऐसा मत कर,,,,,,,(ललिया रघु ऐसा ना करने की दुहाई दे रही थी लेकिन,,,रघु को बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा था कि लग जा अब उसके लंड पर से अपने हाथ हटाने की कोशिश कर रही है ,, रघु मदहोश हुआ जा रहा था,,,,उसके ऊपर मदहोशी और वासना दोनों सवार हो चुके थे,,,, ललिया कीमत मस्त जवानी उसके होश उड़ा रहे थे,,, ललिया को भी रघु की यह हरकत,,, एकदम सुहावनी लग रही थी लेकिन एक औरत होने के नाते पहल करने से डर रही थी अपने बेटे के उम्र के लड़के से शर्मा रही थी,,,, उसके अंदर झिझक थी,,, होती थी कि नहीं आखिर रघु उसे चाची कहता था,, बचपन में वह उसे खिला चुकी थी और आज यह समय आ गया था कि वह खुद उसके खूबसूरत नाजुक पंखों से खेल रहा था,,, रघु लगातार ललिया की मुट्ठी को दबाए हुए अपने लंड को हिला रहा था,,, ललिया की बुर पानी पानी हो गई थी उसके मन में दहशत हो चुकी थी कि इतना मोटा लंड उसकी बुर में जाएगा कैसे,,,, यही सोचकर वह घबरा रही थी,,,, इसलिए ललिया अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)

रहने दे रघु ऐसा मत कर,,,तू मेरे बेटे की उम्र का है मेरे बेटे कैसा है और तू मुझे चाची कहता है ऐसा करना ठीक नहीं है,,, तेरी मां को पता चल गया तो वह क्या समझेगी,,,

(बस यही बात ललिया के मुंह से सुनते ही रघु समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार है बस शर्म और झिझक उसे रोक रही है,,, रघु मदहोश हो चुका था एक हाथ से वह ललिया की भारी-भरकम गांड से खेल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी मुट्ठी को पकड़कर अपना लंड मुठीया रहा था,, ललिया की बात सुनकर वह उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।)

जब से पता चलेगा तब ना बोलेगी उसे कुछ भी नहीं पता चलेगा उसे क्या किसी को भी पता नहीं चलेगा,,,(इतना कहने के साथ ही रघु अपने प्यार से होठों को ललिया कीमत मस्त गोलाकार तनी हुई चूची पर रख कर उसके निप्पल को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,।

सससहहहह आहहहहहह,,,,, रघु,,,,,,,
( ललिया के पास ईससे ज्यादा कहने के लिए शब्द नहीं थे वह पूरी तरह से कामातुर हो गई,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा महीनों बाद उसकी चूची किसी मर्द के मुंह में जा रही थी वह पूरी तरह से काम विह्वल हो गई,,,, वैसे भी ललिया को अब कुछ भी कहने की जरूरत नहीं थी,,, उसकी गर्म सांसे उसके मन के शब्दों को खोल रही थी,,, बरसात अभी भी जोरों पर थी रह-रहकर हवा का झोंका दोनों के तन बदन को झकझोर दे रहा था,,, बरसात की बूंदों से अब उनका तन गिला नहीं था लेकिन उन्माद की बौछार वासना की छींटे,, अब उन दोनों को पूरी तरह से भीगो रही थी,,, ना तो रघु और ना ही ललिया मैं कभी सपने में यह सोचा था कि दोनों की जिंदगी में इस तरह से यह वाक्या भी आएगा,, हालात ने ललिया के मन अंतर को पूरी तरह से बदल दिया था,,,, इसलिए तो रघु अपना हाथ ललिया के हाथ पर से हटा दिया था वह देखना चाहता था कि ललियां अपने हाथ से क्या करती है,,,और इसमें रघु के लिए कोई आश्चर्य वाली बात नहीं थी उसे अपने ऊपर और अपने लंड पर इतना तो पूरा विश्वास था,,, ललिया स्तन मर्दन और स्तन चूसन का भरपूर आनंद लेते हुए खुद अपने हाथ से रघु के लंड को मुठीयाना शुरू कर दी थी,, रघु के तन बदन में ललिया की हरकत की वजह से आग लग रही थी, ।


रघु मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,, मेरे तन बदन में तूने आग लगा दिया है,,,,सहहहहहह आहहहहहह,,,,ररररघु,,,
(ललिया मदहोश हुए जा रही थी उत्तेजना के मारे उसके दोनों घुटने कांप रहे थे,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता जा रहा था,,,, वह भी पूरी तरह से आनंद विभोर हो चुकी थी,,,रघु लगातार उसके दोनों खर्चों का स्वाद ले रहा था कभी दाएं खरबूजे को मुंह में डालकर दबाता और उसके निप्पल को पीता तो कभी बा्ए खरबूजे से खेलता,,,, मजा दोनों को आ रहा था,,, ललिया रघु के लंड को जोर-जोर से दबाते हुए मुठिया रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथ में लंड नहीं बल्कि जानवर को बांधने वाला खूंटा आ गया हो,,,,,। लंड की गर्माहट उसके तन बदन को पिघला रही थी उसकी बुर लगातार पानी फेंक रही थी,,, रघु जोर-जोर से उसकी दोनों चूचियों को दबाता हुआ स्तनपान का मजा ले रहा था वह रहे रहकर उत्तेजना के मारे उसकी नरम नरम चुचियों में अपना दांत गड़ा दे रहा था जिससे ललिया के मुंह से सिसकारी के साथ-साथ दर्द से कराहने की आवाज भी निकल जा रही थी,,,।

अब दोनों पीछे हटने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे और ना ही उन लोगों के लिए यह संभव था। रघु के लिए पीछे हटने का मतलब था काले लंड पर हथोड़ा चलानाऔर ललिया के लिए अपने अरमानों पर एक बार फिर से ठंडा पानी फेंक देना,,,और दोनों ही इस हालात से समझौता करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं थे,,, इसलिए तो रघु अपना मुंह उसकी चूची पर से हटा कर लगाके खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसके लाल-लाल देखते होठों पर अपने होंठ रख कर उसका चुंबन करने लगा,,, चुंबन में ललिया उसका साथ बिल्कुल भी नहीं दे रही थी,,, बल्कि रघु की इस हरकत की वजह से वह पूरी तरह से शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, क्योंकि आज तक उसने कभी भी चुंबन नहीं किया था,, और ना ही उसके पति ने कभी उसके होठों को होठ लगाकर चूमा था,,, लेकिन फिर भी ललिया को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह हवा में उड़ रही हो वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,

चारों तरफ घना अंधेरा छाया हुआ था बस बिजली की चमक का ही सहारा था उसी की रोशनी में रह-रहकर ललिया का खूबसूरत नंगा बदन दिखाई दे रहा था,,, ललिया भी बेफिक्र हो चुकी थी इस तूफानी बारिश में यहां इंसान तो क्या जानवर भी आने वाला नहीं था,, दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था रघु के हाथ आज एक और खूबसूरत औरत हाथ लगी थी,, जिसके साथ संभोग करके वहां अपने आपको धन्य समझने वाला था,,, वैसे भी ललिया के बदन में वह सब कुछ सप्रामाण में ही था जो कि एक औरत को बेहद खूबसूरत बनाता है ललिया के बदन का उठाव और कटाव बेहतरीन था,,।

रघु अब आगे बढ़ना चाहता था बादलों की गड़गड़ाहट माहौल को और भी ज्यादा उन्मादक बना रही थी,,, रघु देखते ही देखते ललिया के सामने घुटनों के बल बैठ गया और अपने दोनों हाथों से उसकी नंगी चिकनी मोटी मोटी जांघों को पकड़ लिया,,, जांघों पर हाथ रखते ही उसके तन बदन में कंपन होने लगा,,,, गहरी सांस लेते हुए रघु को भी देख रही थी और रघु भी बेशर्मो की तरह ललिया की आंखों में झांकते हुए धीरे-धीरे अपने प्यासे होठों को ललिया की टांगों के बीच ले जा रहा था,,,, ललिया को समझ में नहीं आ रहा था कि रघु क्या करने वाला है,,, और जैसे ही रघु के प्यासे होठों का स्पर्श उसने अपनी बुर के ऊपर महसूस की वैसे ही उसके तन बदन में अंगारे उठने रखें उसका पूरा बदन अद्भुत अहसास से कांप उठा,,,, और उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।

सससहहहहहह ं,,,,, आहहहहहह,,,,, रघु,,,,(इतना कहने के साथ ही वह उत्तेजना के मारे एकदम से सिहर उठी और वह अपने दोनों हाथ नीचे की तरफ ले जाकर के रघु के बाल को कस के अपनी हथेली में पकड़ ली,,, रखो पागलों की तरह उसकी रसीली बुर को चाटना शुरू कर दिया,,, जितना हो सकता था उतना जीभ अंदर तक डालकर उसकी मलाई को गपक रहा था,,, लगातार उस खंडहर में आंधी तूफान और बारिशों के शोर के बीच ललिया की मद भरी सिसकारियां गूंजती रही,,,,हल्के हल्के रेशमी बाल भी रघु के मुंह में आ जा रहे थे जिसे वह बड़े चाव से अपनी जीभ से चाट रहा था,,, ललिया ने अपने जीवन में इस तरह के सुख की कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,उसके पति ने आज तक उसकी बुर को कभी अपने होठों से लगाया ही नहीं था और ना ही कभी उसने इस बारे में सोची थी,, लेकिन आज समय बदल चुका था रघु उसकी जिंदगी में बहार लेकर आया था,,,, ललिया अपने से बाहर होते जा रही थी लगातार उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी रघु समझ गया था कि अब ललिया को क्या चाहिए,,, इसलिए रघु खड़ा हुआ और एक बार उसके नंगे बदन को अपनी बाहों में भर कर जी भर कर उससे प्यार करने लगा और देखते ही देखते उसकी दोनों टांगों को हल्के से फैला कर अपने लंड के लिए जगह बनाया और अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बुर के मुहाने पर रखकर हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला और देखते ही देखते उत्तेजित हुई बुर के गीले पन का साथ पाकर रघु का लंड धीरे धीरे अंदर प्रवेश करने लगा,,,, ललिया की बुर कसी हुई थी लेकिन उत्तेजना के मारे उसकी बुर बार-बार पानी फेंक रही थी जिससे उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,, और देखते ही देखते रघु की मेहनत रंग लाई और उसका आधे से ज्यादा लंड उसकी बुर में समा गया,,,, ललिया की तो जैसे सांस ही रुक गई थी उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन एक अनुभवी औरत होने के नाते उसे इतना पता था कि दर्द के बाद मजा भी बहुत आएगा इसलिए वह अपनी बातों को जोर से दबा कर इस दर्द को झेल रही थी।
बड़ा ही मादक कामोत्तेजना से भरा हुआ नजारा था रघु ललिया को दीवार से सटाए हुए था,,, दोनों का मुंह एक दूसरे के आमने सामने था ललिया की टांगे चौड़ी थी और उन टांगों के बीच रघु अपने लिए बेहतरीन जगह बनाकर कामदेव के आसन का भरपूर फायदा उठाते हुए अपने लंड को पूरी तरह से ललिया की बुर में उतार दिया था,,,, तभी रघु ललिया की कमर को थाम कर एक आखरी झटका लगाया और इस बार रघु का लंड पूरा का पूरा ललीया की बुर में खो गया,,,,ललिया एकदम से बदहवास हो गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लैंड उसकी छोटी सी बुर के अंदर पूरी तरह से समा गया होगा इसलिए वह अपनी नजर नीचे करके अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी जो कि वास्तव में रघु के समूचे लंड को अपनी गहराई में निगल गई थी,,, यह देखकर ललिया के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,, रघु को अपनी मंजिल मिल चुकी थी,,, रघु धीरे-धीरे अपनी कमर आगे पीछे हिलाता हुआ ललिया को चोदना शुरू कर दिया,,,,

आहहहह ,,,,,आहहहहहह,, रघु,,,,,ओहहहहहहह,,,, बहुत गर्म लंड है तेरा,,,,आहहहहहह,,मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि तेरा मोटा तगड़ा और लंबा लंड मेरी बुर में घुस गया है,,,

यह किसी चमत्कार से कम नहीं है चाची,,,मुझे भी ऐसा ही लगता था कि मेरा मोटा तगड़ा और लंबा लंड तुम्हारी बुर के छेद को भेंद नहीं पाएगा,,, लेकिन तुमने यह कर दिखाई मैं बहुत खुश हूं चाची तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,

तू भी बहुत अच्छा है रे रघु मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम इतना तेज होगा मुझे बहुत मजा आ रहा है रखो बस अब कुछ मत बोल मेरी चुदाई कर चोद मेरी बुर को,,,आहहहहह,,, रघु तेरे लंड में बहुत दम है मेरी बुर को फाड़ दे,,, मस्त कर दे मुझे रघु,,,


फिर क्या था रघु के लिए पूरी तरह से रास्ता साफ हो चुका था ललिया की बुर में उसके लंड के नाप का सांचा बन चुका था,,, उसे बस अंदर बाहर करके चोदना ही था,,, और इस काम को करने में वह पूरी तरह से माहिर हो चुका था रघु की कमर आगे पीछे हिलना शुरू हो गई ललिया के लिए यह चुदाई वाली स्थिति पहली बार थी इस स्थिति में उसने कभी भी चुदाई नहीं करवाई थी,,, और उसे मजा भी आ रहा था रघु चाहता तो उसे नीचे जमीन पर लिटा कर उसको चोद सकता था लेकिन नीचे पानी की वजह से जमीन गीली हो गई थी कीचड़ जैसा हो गया था इसलिए नीचे लेट कर चुदाई करना सही नहीं था,,, रघु पागलों की तरह अपनी कमर हिला रहा था ललिया उसके कंधे को दोनों हाथों से पकड़कर सहारा लेकर खड़ी थी,,, रघु एक साथ ललिया की चिकनी बुर और चूची दोनों का मजा ले रहा थावह दोनों चुचियों को बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर चूसने था जिससे ललिया का आनंद भी दोगुना हो रहा था,,,
बरसात अपने जोरों पर थी हवाओं का जोर कम नहीं हो रहा था दोनों ने कभी सपने में भी नहीं सोचे थे इस तरह की तूफानी रात में खंडहर में दोनों चुदाई का आनंद लेंगे,, लेकिन दोनों को भरपूर मजा आ रहा था अब किसी बात का डर दोनों के मन में बिल्कुल भी नहीं था अब दोनों यही चाहते थे कि सुबह तक इसी खंडहर में रहकर चुदाई के इस खेल को और ज्यादा आनंददायक बनाया जाए,,,
रघु का लंड बड़ी तेजी से ललिया की बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,ना जाने क्यों रघु को ऐसा लग रहा था कि हलवाई की बीवी से ज्यादा मजा ललिया को चोदने में आ रहा था,,,,, रघु का पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था लेकिन ललिया एक बार झड़ चुकी थी,,,,। रघु संभोग के आसन में बदलाव लाते हुए ललिया को दीवार के सहारे दीवार की तरफ मुंह करके खड़ा कर दिया और उसकी कमर को पीछे की तरफ खींचकर उसकी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को थोड़ा ऊपर की तरफ उठा दिया,,, ललिया अपनी तरफ से कुछ भी करने का प्रयास नहीं कर रही थी वह मानो रघु के हाथों की कठपुतली हो गई थी जहां घुमा रहा था वहां वह घुम जा रही थी,,,, एक बार फिर से रघु का लंड ललिया की गीली बुर के अंदर प्रवेश कर गया,,, रघु एक बार फिर से ललिया की कमर को थामकर उसे चोदना शुरु कर दिया,,, एक बार फिर से ललिया की सिसकारी की आवाज गूंजने लगी लगी अच्छी तरह से जानती थी कि यहां पर उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है इसलिए वह मस्ती में मदहोश होकर और जोर-जोर से सिसकारी की आवाज ले रही थी,,, दोनों मस्त हो गए थे,,, और इस बार दोनों एक साथ झड़ गए लेकिन यह सिलसिला सुबह तक चलता रहा जब तक कि आंधी तूफान एकदम शांत नहीं हो गया,,, सुबह की पहली किरण के साथ ही ललिया और रघु के लिए एक नए रिश्ते की शुरुआत हो चुकी थी,,, दोनों काफी खुश थे और दोनों एक दूसरे को मुस्कुराकर देखते हुए गांव की तरफ चल दीए,,।



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Nevil singh

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सुबह जब ललिया और रघु दोनों घर पर पहुंचे तो सब लोग इन दोनों को सही सलामत देखकर एकदम खुश हो गए,,,,

तुम दोनों कि मुझे कितनी फिक्र हो रही थी रात को इतनी तेज बारिश हो इतनी तेज हवा चल रही थी कि देख ही रही हो सारे पेड़ पौधे ऊखड़ गए हैं,,, तुम दोनों सारी रात थे कहां,,,?(ललिया परेशान होते हुए दोनों से पूछी तो रघु जवाब देते हुए बोला)

मां हम दोनों गांव में ही रुक गए थे,,, अगर हम लोग वहां ना रुक कर निकल गए होते तो रास्ते में फंस गए होते,,,,


यह तुम दोनों ने बिल्कुल ठीक किया,,,,,तुम दोनों को सही सलामत देखकर मेरी तो जान में जान आ गई,,।
(ललिया कुछ भी बोल नहीं रही हो,,, रात वाली बात को लेकर वह काफी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी,,।
और करती भी कैसे नहीं,, रात भर रघु से चुदवाई जो थी, एक तरह से वह उसका भतीजा लगता था लेकिन अपनी प्यासी जवानी के आगे घुटने टेकते हुए वह अपनी उम्र की परवाह ना करते हुए अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ उसके मोटे तगड़े लंड का मजा लूटते हुए रात भर चुदाई का आनंद ली,,, और अब रघु से नजरें मिलाने से कतरा रही थी,,, लेकिन रघु काफी खुश था और संतुष्ट,,, क्योंकि रात भर उसे ललिया की बेहतरीन रसमलाई दार बुर चोदने को जो मिली थी,,,,
इसके बाद ललिया अपने घर चली गई और रघु अपने घर,,,,। कुछ दिन ऐसे ही बीत गया रघु को ना तो दोबारा ललिया को चोदने का मौका मिला और ना ही हलवाई की बीवी को,,,,।
दूसरी तरफ शालू जवानी की आग में सुलगने लगी थी,,बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके छोटे भाई का मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड नजर आ जाता था वह उसकी ही कल्पना में खोई रहती थी,,, उसे अपने भाई के मोटे तगड़े लंड पर गर्व होने लगा था,,,,, जिस तरह से उसके सोच में एकाएक बदलाव आया था उसे देखते हुए वह खुद हैरान थी इस तरह की कल्पना वह कभी नहीं करती थी लेकिन उसके भाई के मोटे तगड़े लंड ने उसके सोचने समझने की शक्ति पूरी तरह से छीण कर दिया था,,,,,,, उसका मन अपने ही भाई के साथ संभोग सुख लेने के लिए व्याकुल था लेकिन दिमाग इनकार करता था,,, और इसीलिए वह अपने मन और दिमाग के बीच उलझ रही गुत्थी में खुद को पूरी तरह से उलझा लेती थी,,,उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था लेकिन एक बात का एहसास उसे अच्छी तरह से होता था कि जब जब अपने भाई के साथ संभोग करने का ख्याल आता था तब तक उसके तन बदन में एक अद्भुत अजीब सी हलचल होने लगती थी लेकिन जब उसका दिमाग ऐसे ख्याल से इनकार करता था तो वह एकदम परेशान हो जाती थी।
क्या करना है यह उसे समझ में नहीं आता था,,, कभी-कभी उसे अपने भाई से बेहद नाराजगी का एहसास भी होता था वह इस बात से नाराज रहती थी कि वह भी जवान हो गया था लेकिन उसकी हरकत को वह समझ नहीं पाता था वरना दूसरा कोई लड़का होता तो उसकी पहली बार की हरकत के बाद वह अपना लंड उसकी बुर में डाल दिया होता,,,,
यही सब सोचते हुए वह चूल्हे के पास बैठी हुई थी कि तभी जलती हुई रोटी को देखकर कजरी उसके माथे पर धीरे से हाथ मारते हुए बोली,,,।

कहां खो गई है तू तुझे कुछ भान है कि नहीं रोटी चल रही है और तू ना जाने किस ख्याल में खोई है,,,।
(इतना सुनते ही जैसे वह नींद से जागी हो और वह इस तरह से हड़बड़ा कर अपनी मां की तरफ देखते हूए बोली)

वववव,,वो ,,, क्या है ना मां की आज थोड़ा तबीयत सही नहीं लग रही है इसलिए,,,

तेरी तबीयत खराब है,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी शालू के माथे पर हाथ रख कर देखने लगी माथा एकदम ठंडा था,,,) बुखार तो तुझे बिल्कुल भी नहीं है तो क्या हुआ है तुझे,,,,

मां,,,, कुछ नहीं बस सर में थोड़ा दर्द हो रहा था,,,


अच्छा ला मैं रोटी बना देती हुं,,,,

नहीं नहीं मां मैं बना लेती हूं तुम जाओ,,,,

अच्छा ठीक है मैं खेतों में जा रही हूं तू थोड़ा आराम कर लेना,,,
(इतना कहकर कजरी खेतों की तरफ चली गई,,,और शालू मन में यह सोचने लगी कि अगर इस समय उसका भाई घर में होता तो जरूर कुछ ऐसी हरकत करती कि आज उसके न्यारे न्यारे हो जाते.. लेकिन हाय रे फूटी किस्मत की घर पर रघु भी नहीं था,,, शालू जल्दी जल्दी खाना बना कर,,, बिरजू के आम के बगीचे में जाने के लिए तैयार होने लगी,,, वैसे तो कोई नक्की नहीं था कि बिरजू भाई मिलेगा लेकिन उसे विश्वास था कि बिरजू वही होगा इसलिए वह जल्दी से तैयार होकर आम के बगीचे की तरफ निकल गई,,,
थोड़ी ही देर में आम के बगीचे मैं पहुंच गई चारों तरफ सन्नाटा था केवल पंछियों का शोर सुनाई देता था,,,यहां पर फैली हुई शांति शालू को भी बेहद पसंद थी और बिरजू से मिलने का इससे अच्छा जगह उसे और कोई नजर नहीं आता था,,,, तभी उसे बिरजू वहीं बैठा नजर आया जहां पर वह हमेशा बैठा रहता था और एक एक कंकड़ को तालाब में फेंका करता था,,,। वह खुश होकर बिरजू के पास जाने लगी बिरजू अपने ख्यालों में खोया हुआ था लेकिन शालू के पैरों की पायल की आवाज से उसका ध्यान भंग हुआ और वह पीछे देखा तो सालों उसकी तरफ आ रही थी और यह देखकर उसके चेहरे पर खुशी के भाव नजर आने लगे और वह वहीं पर बैठा हुआ ही खुश होता हुआ बोला,,,।

अरे वाह मेरी रानी,,, तुम यहां आओगी मुझे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी,,,

क्यों तुमसे मिलने के लिए नहीं आ सकती क्या,,? (शालू उसके पास बैठते हुए बोली,,,)

नहींनहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तुम मुझसे जब चाहो तब मिल सकती हो मुझ पर तुम्हारा पूरा हक है,,,।

पूरा हक है ,,,,सिर्फ बातें बनाते हो,,,, कभी अपने माता-पिता से मेरे बारे में कुछ बताया नहीं ना तब कैसे में विश्वास कर लूं कि तुम मुझसे ही शादी करोगे,,,
(शालू बिरजू से यह सब बातें कर ही रही थी कि रघु उनके पीछे की घनी झाड़ियों के बीच से निकलने लगा जिसकी भनक तक उन दोनों के कानों में नहीं पड़ी क्योंकि वह चोरी छिपे आम के बगीचे में आम तोड़ने के लिए आया था,,,लेकिन खुश रहो शेर की आवाज उसके कानों में पड़ते ही वह एकदम से चौकन्ना हो गया और वह झाड़ियों में से ना निकल कर उन्हें झाड़ियों में छुपकर देखने लगा कि आखिर आवाज किसकी आ रही है,,, और थोड़ी ही देर में उसे पत्थर पर बैठे हुए बिरजू और उसकी बहन नजर आ गई,,,वह उनके पीछे से देख रहा था लेकिन वह अपनी बहन और बिरजु दोनों को अच्छी तरह से पहचानता था,,,,अपनी बहन को बिरजू के साथ बैठा हुआ देखकर वह एकदम दंग रह गया उसे गुस्सा आने लगा,,, वह इसी समय बाहर निकल करबिरजू को धर दबोचा ना चाहता था और उसे पीटकर बराबर कर देना चाहता था लेकिन तभी उसके मन में ख्याल आया कि वह थोड़ी देर रुक कर वहां का माहौल तो देख ले कि आखिर दोनों में क्या खिचड़ी पक रही है,,, तभी उसके कानों में शालू की आवाज पड़ी,,,)

बिरजू मैं तुमसे प्यार करती हूं आखिर कब तक इस तरह से छुप छुप कर हम दोनों मिलेंगे,,,
(इतना सुनते ही रघु के जेहन में अजीत हलचल होने लगी उसे उस दिन वाला दृश्य याद आने लगा जब वह और रामू दोनों गांव से दूर झरने के पास गए थे और वहां पर रघु ने अपनी आंखों से साफ देखा था कि एक लड़की तालाब से निकलकर एकदम नंगी होकर झाड़ियों के बीच भागकर अदृश्य हो गई थी और वहां पर बिरजू भी खड़ा था कहीं ऐसा तो नहीं कि वह अपनी आंखों से अपनी ही उनकी बहन को देखा था जो कि बिरजू के साथ तालाब में एकदम नंगी होकर नहाने का मजा लूट रही थी या कुछ और भी कर रही थी,, यह सब ख्याल मन में आते ही रघु का दिमाग एकदम सन्न हो गया,,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसके मन में ढेर सारे सवाल उठने लगे उसे लगने लगा कि उसकी बहन बिरजू के साथ चुदवा चुकी है,,,और इसीलिए उसके बदन में बार-बार चुदवाने की गर्मी उठ रही है जिसकी वजह से वह उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसे उकसाने की कोशिश करती है रघु को चालू की तरफ से हो रहे सारे हरकत का मामला समझ में आ गया वह हैरान था गुस्से में था लेकिन फिर भी ना जाने क्यों इन सब बातों को याद करके उसका लंड खड़ा होने लगा था,,, वह बराबर अपना कान खोल कर उन दोनों की बातें सुन रहा था,,,।

मैं ,,,,मैं सचकह रही हूं बिरजू अगर मेरी शादी तुम्हारे साथ नहीं हुई तो मैं अपने आप को खत्म कर लूंगी,,,।
(इतना सुनते ही बिरजू उसके होठों पर अपना हाथ रखकर उसे चुप कराते हुए बोला,)

तुम पागल हो गई हो साले अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा इस बारे में कभी सोची हो,,, तुम नहीं रहोगी तो मैं भी अपने आप को खत्म कर लूंगा,, तुम शायद नहीं जानती कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं,,,,

तो हम दोनों की शादी के बारे में अपने माता-पिता से बोलते क्यों नहीं,,,

शालूमैं सही समय देखकर हम दोनों के बारे में पिता जी से बात करूंगा और मुझे पूरा यकीन है कि पिताजी मेरी बात का इनकार बिल्कुल भी नहीं कर पाएंगे बस थोड़ा सा सब्र करो,,,।

कितना सब्र करु बिरजू अगर मां ने कहीं और लड़का ढूंढ कर मेरी शादी करा दी तो मैं जीते जी मर जाऊंगी,,,।

ऐसा कुछ भी नहीं होगा मेरी जान बस मुझ पर भरोसा रखो,,,,(इतना कहने के साथ ही फिर जो हिम्मत दिखाते हुए अपने होंठ को सालु के होंठों के करीब लाकर उसके होठों को चूमने लगा,,, यह देखकर बिरजू को गुस्सा आने लगा,,,, लेकिन फिर भी वह खामोश रहा सिर्फ इसलिए किशालू उससे बेहद प्यार करती थी और वह भी सालों से प्यार करता था अगर सच में इन दोनों की शादी हो जाती है तो उसकी बहन अच्छे से अपनी जिंदगी काट सकती थी इसलिए वह मन में यही चाहता था कि यह दोनों का रिश्ता हो जाए लेकिन उसकी आंखों के सामने वह दोनों जो कुछ भी कर रहे थे उससे उसे गुस्सा तो आ रहा था लेकिन उत्तेजना भी मिल रही थी,,,, तभी शालू अपने आपको उसे से छुड़ाते हुए बोली,,,।

रहने दो यह सब जब अपने पिताजी से मेरे बारे में बात कर लोगे तब यह चुम्मा चाटी करना,,,,।

तुम तो यार नाराज हो जाती हो चुम्मा भी ठीक से लेने नहीं देती,,,,

अगर यह सब करना है तो पहले शादी फिर उसके बाद जो कुछ भी तुम कहोगे सब कुछ होगा,,,,।

अच्छा एक बार अपनी बुर तो दिखा दो,,,, शादी तक थोड़ी बहुत तसल्ली तो रहेगी,,,।

नहीं बिल्कुल भी नहीं ,,,, सब कुछ शादी के बाद अगर एक बार शादी हो गई तो इत्मीनान से तुम्हें दे दूंगी,,, लेकिन अभी कुछ भी नहीं एक झलक तक नहीं मिलेगी,,,(अपनी बहन के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी वह काफी कामोत्तेजना से भर गया था,,)

यार झरने के नीचे तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी और यह नखरा कर रही हो,,,

एक मौका दी थी तुम्हें लेकिन तुमसे कुछ हुआ नहीं इसलिए अब शादी के बाद,,,,
(अपनी बहन के मुंह से यह बात सुनते हीयह बात तय हो गई कि उस दिन रघु ने जो अपनी आंखों से भागती हुई नंगी लड़की को देखा था का कोई और नहीं उसकी बहन थी यह बात की पुष्टि होते ही रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी उसकी आंखों के सामने वही दृश्य नजर आने लगा जब वह उस भागती हुई लड़की को बल्कि उसकी खुद की बहन को तालाब में से निकलते हुए और भागते हुए देखा था उसके गोलाकार गांड को याद करके उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,उसके मन में क्या चल रहा था कि अनजाने में ही सही वह अपनी बहन को पूरी तरह से निर्वस्त्र हालत में देख चुका है और निर्वस्त्र होने के बाद उसकी बहन बला की खूबसूरत लगती थी इस बात से कोई इनकार नहीं था,,,,अपनी बहन की बात सुनकर उसे लगने लगा था कि उसे देना उसकी बहन अपने कपड़े उतारकर बिरजू को एक मौका देना चाहती थी लेकिन बिरजू उस मौके का फायदा नहीं उठा पाया था,, जिसका मलाल शायद उसकी बहन के साथ-साथ बिरजू को भी था,,,, शालू की बात सुनकर बिरजू बोला,,,)

शालू मेरी जान यहां पर मुझे एक मौका दो ,,, बस एक मौका,,,,

नहीं नहीं अब बिल्कुल भी नहीं जो भी मौका मिलेगा शादी के बाद,,,,(इतना कहकर शालू चलती बनी)

अरे अरे थोड़ी देर और तो रुक जाओ,,,

नहीं मुझे घर जल्दी पहुंचना है,,,,
(बिरजु वहीं खड़ा शालू को जाता हुआ देखता रहा उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी,,, कुटिल मुस्कान नहीं यह देखकर रघु प्रसन्न हो गया क्योंकि बिरजू की खुशी देखकर रघु को लगने लगा कि बिरजू के मन में चोर बिल्कुल भी नहीं है वह सच्चे दिल से प्यार करता है,,, और वह वहां से दबे पांव पीछे आ गया,,, लेकिन उसकी बहन की बातों ने उसके तन बदन में वासना की लहर को और ज्यादा भड़का दिया था,,,, वह गांव की तरफ आ ही रहा था कि रास्ते में बग्गी खड़ी हुई मिली वह तुरंत दौड़कर बग्घी के करीब गया उसे लगा की बग्गी के अंदर लाला की बहू होगी,,,, लेकिन बग्गी के बाहर लाला खड़ा था,,, उसे देखते ही रघु उसे नमस्कार किया और बोला,,,।

क्या हुआ लाला सेठ इस तरह से आप बग्गी के बाहर क्यों खड़े हैं,,,,।

अरे बेटा इसके चालक को चक्कर आने लगा तो बग्गी यहीं पर रोकना पड़ा,,,,
(लाला की बात सुनते ही रघु पास में ही बैठे चालक की तरफ देखने लगा,,,)
हां हां तबीयत तो ठीक नहीं लग रही है,,, लेकिन अब आप घर कैसे जाओगे लाला सेठ,,,

अरे यही तो बात है रघु बेटा,,,,(लाला कुछ सोचते हुए) रघु क्या तू बग्गी चला लेगा,,,,

मैं,, हां हां,,, इसमें कौन सी बड़ी बात है घोड़ा ही तो दौड़ाना है,,,,।

तब तो ठीक है बेटा तू ही ईस बग्घी को चला ले,,,,

ठीक हे लाला सेठ जैसी आपकी मर्जी,,,,( इतना कहने के साथ ही रहो बग्गी के आगे बैठ गया और लाला अपने चालक को आराम हो जाने के बाद घर चले जाने की हिदायत देकर बग्गी के अंदर बैठ गया रघु बहुत खुश नजर आ रहा था लाला के बैठते ही वह घोड़े को हांकने लगा और घोड़ा आराम से आगे बढ़ने लगा,,,अंदर बैठे बैठे ही लाला ने उसे घर पर बग्गी ले जाने के लिए बोला और रघु बग्गी को लाला के घर की तरफ ले जाने लगा उसके मन में हलचल सी मच ने लगी क्योंकि वह जानता था कि लाला के घर पर जाकर वह उसकी बहू के दर्शन कर सकेगा,,,, लाला की खूबसूरत बहू और अपनी बहन की बातों को याद करके पजामे के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा,,।
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Nevil singh

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रघु एकाद बार बग्गी चलाया था जिसका फायदा उसे अब मिल रहा था वह बड़े आराम से बग्गी दौड़ा रहा था और उसे मजा भी आ रहा था,,, लेकिन उसके ख्यालों में उसकी बहन की हरकत और लाला की खूबसूरत बहू के ख्याल मंडरा रहे थे,,,,,, अपनी बहन के बारे में रघु कभी सोचा नहीं था कि वह इस तरह के चरित्र की निकल जाएगी,,, लेकिन फिर यह सोच कर कि अगर बिरजू से शादी हो गई तो वह हमेशा खुश रहेगी अच्छा परिवार मिलने की वजह से उसका जीवन बदल जाएगा यह सोचकर अपने मन में तसल्ली किए हुए था लेकिन फिर अपने मन में आए ख्याल के बारे में सोच कर उसका दिल घबरा जाता था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि बिरजू के घर और उसकी झोपड़ी में जमीन आसमान का फर्क था कहीं उसके माता-पिता उसे अपनाने से इंकार कर दिए तब क्या होगा तब उसकी बहन का क्या होगा वह तो मर जाएगी वह बिरजू से बेहद प्यार करने लगी थी,,,। नहीं नहीं वह ऐसा होने नहीं देगा वह बिरजू से अपनी बहन की शादी करा कर रहेगा रघु अपने आप से ही इस तरह की बातें करते हुए अपने मन को तसल्ली दे रहा था की उसे झरने वाली बात याद आ गई उस समय उसे पता नहीं था कि तलाब में से निकल कर भागने वाली नंगी लड़की उसकी खुद की सगी बहन है वह तो कोई और समझ रहा था,,,, उस समय जो उसकी आंखों ने देखा था वह काफी मादक दृश्य था जिसके बारे में कभी कभार सोचकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लार दौड़ में रहती थी,,,, और इस समय भी उसके तन बदन में उत्तेजना चिकोटी काट रही थी,,,बार-बार रघु की आंखों के सामने बद्री से तैयार नहीं लगता था जब वह अपनी आंखों से अपनी ही बहन को तालाब में से एक दम नंगी अवस्था में बाहर निकल कर झाड़ियों में भागते हुए देखा था केवल इस समय उसकी नंगी चिकनी पीठ और गोलाकार नितंबों का घेराव भर उसे दिखा था लेकिन उस समय उतना भी रघु के लिए बहुत था,,,,, उस समय भी उसका लंड खड़ा हो गया था और बिरजू की किस्मत से मन ही मन उसे जलन हो रही थी क्योंकि तब तक बिरजू ने संभोग सुख का स्वाद नहीं चखा था लेकिन अब तो हलवाई की बीवी के साथ साथ अपने दोस्त की मां की भी चुदाई कर चुका था,,,, और इस मामले में धीरे-धीरे वह काफी परिपक्व होता जा रहा था,,,,अब उसे अपने आप पर आत्मविश्वास होने लगा था कि अब वह किसी भी औरत को संपूर्ण रूप से संतुष्टि का अहसास करा सकता है,,, क्योंकि वह अपने लंड की ताकत हलवाई की बीवी और अपने दोस्त की मां पर आजमा चुका था जो कि दोनों ही उसके लंड से मस्त होकर उसकी गुलाम हो चुकी थी,,।,,,,उसके दिमाग में अभी यह सब चल ही रहा था कि उसे अपनी बहन की कामुक हरकतें याद आने लगी,,,, कि कैसे वह कमरे में आकर उसे नींद में सोता हुआ देख कर उसके खड़े लंड को पकड़ कर उसे खेल रही थी उस समय वह कुछ समझ नहीं पाया था कि आखिरकार उसकी बहन ऐसी हरकत क्यों कर रही है,,,, फिर कुछ दिनों बाद रात को तो हद हो गई थी वह उसी तरह से उसे सोया हुआ देखकर उसके लंड से खेलने लगी थी और खुद उसके बगल में लेट कर अपनी गांड को उसके लंड पर लग रही थी रघु वो सब सोचकर एकदम उत्तेजित होने लगा था,,,आज आम के बगीचे में उसे बिरजू के साथ देख कर उसे लगने लगा था कि उसकी बहन को मोटे तगड़े लंड की जरूरत है,,,उस समय तो वह कुछ भी करने से डर रहा था लेकिन अब अपने मन में ठान लिया था कि अगर उसकी बहन इस तरह की हरकत करेगी तो वह अपनी बड़ी बहन की चुदाई करने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं रखेगा,,, वह मन में यह सोच रहा था कि दूसरा कौन से दिन से अच्छा तो बहुत अपनी बहन की चुदाई करते हैं क्योंकि उसकी बहन भी तो शायद अपनी हरकतों की वजह से यही चाहती भी थी सिर्फ वही उसका इशारा नहीं समझ पा रहा था,,, आज ऊसे यह बात भी अच्छी तरह से मालूम हो गई थी कि अभी तक वहपूरी तरह से कुंवारी थी बिरजू के साथ वह चुदाई का सुख नहीं ले पाई थी तभी तो बिरजू उसकी बुर देखने के लिए व्याकुल हो रहा था,,,।

यह सब सोचकर पजामे के अंदर रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,। अपनी बहन की मदमस्त ख्यालों में उसे पता ही नहीं चला और लाला की हवेली आ गई,,, बड़े से दरवाजे के बाहर ही वह बग्घी को रोक दिया,,,, और लाला बग्गी में से जेसे ही उतरा की पास के गांव के जमींदार उसे बुलाने लगे किसी जमीन को दिखाने के मामले में और लाला उन्हें देखते ही खुश हो गया और उनके साथ जाते जाते वह रघु को बोला कि,,,


रघु बग्गी में आम का थैला पड़ा हुआ है उसे जाकर के बहू को दे देना और बग्घी को एक तरफ रख कर घोड़े को अस्तबल में रखकर उसे चारा पानी दे देना,,, और हां (इतना कहकर बा अपने कुर्ते की जेब में हाथ डालकर टटोलने लगा उसमें से दो रुपए निकाल कर रघु को थमाते हुए बोला) इसे रख ले अपनी बक्शीस समझ कर,,,,

(पैसे पाकर रघु खुश हो गया और लाला के बताए अनुसार,,, वह बग्गी को एक तरफ करके घोड़े को अस्तबल में बात दिया और उसे चारा पानी दे दिया,, इसके बाद उसे आम के थैले के बारे में याद आया,,, और वह बग्गी में से आम से भरे थैले को निकाल कर घर के अंदर जाने लगा लाला की बहू से मिलने की उत्सुकता उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी और उसे मौका भी अच्छा था इत्मीनान से मिलने के लिए क्योंकि लाला घर पर नहीं था,,, वह दरवाजे की कुंडी खटखटाने के लिए कुंडी को हाथ में पकड़ा ही था कि दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया,,, दरवाजा अपने आप खुलने की वजह से रघु के मन में उत्सुकता जागने लगी,,, वह बिना आवाज लगाएं अंदर चला गया,,, घर काफी अच्छे से सजाया हुआ था,, एकदम साफ सुथरा एक हवेली को जिस तरह की होनी चाहिए थी वैसी ही लग रही थी,,,,रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि इस समय हवेली में छोटी मालकिन के सिवा और कोई नहीं था,,, इसलिए उसे देखने की ओर से बात करने की उत्सुकता रघु के अंदर प्रबलित होने लगी,,,
धीरे धीरे रघुअपने कदम आगे बढ़ाता जा रहा था और चारों तरफ अपनी नजर घुमाकर देख भी रहा था कि छोटी मालकिन नजर आ जाए,, लेकिन हवेली के अंदर एकदम सन्नाटा छाया हुआ था,,, दोपहर का समय था गर्मी अपने जोरों पर थी,,, रघु के माथे से भी पसीना टपक रहा था।
रघु थोड़ा सा और अंदर गया,,, वहां पर पहुंचकर देखा कि वहां के ऊपर की छत पूरी तरह से खुली हुई थी धूप और हवा आने के लिए,,, दाहिने हाथ पर स्नानघर बना हुआ था,,, रघु कमल हो रहा था कि वह छोटी मालकिन को आवाज देकर बुलाए क्योंकि अब तक रघु को यह पता नहीं चला था कि इतनी बड़ी हवेली में छोटी मालकिन किस रूम में होगी,,, इसलिए रघु के लिए मुश्किल होता जा रहा था,,,। रघु के मन में डर भी था कि कहीं कोई देख लिया तो क्या समझेगा कहीं कोई कुछ और न समझ ले इसलिए वह वापस जाना चाहता था और बाहर बैठकर इंतजार करना चाहता था और जैसे ही उसने अपने कदम पीछे की तरफ लिए तभी दाहिने तरफ वाला स्नान घर का दरवाजा झटके के साथ खुला,,, और उसमें से छोटी मालकिन नहा कर पानी में भीगी हुई सिर्फ पेटीकोट को अपनी छातियों के ऊपर लाकर अपने एक हाथ से पकड़े हुए वह स्नानघर से बाहर आ गई,,, रघु की नजर लाला की बहू पर पड़ी तो वह दंग रह गया लाला की बहू अभी तुरंत ही नहा कर बाहर आई थी इसलिए उसके पूरे बदन से ठंडे पानी कि बुंदे मोती के दाने की तरह नीचे जमीन पर गिर कर बिखर जा रहे थे,,,,।रघु की आंखें फटी की फटी रह गई लाला की बहू वाकई में बेहद खूबसूरत थी मानो कि स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा हो एकदम गोरा दूधिया बदन खुली छत की धूप में और ज्यादा चमक रही थी,,, रघु पल भर में यह अपने होशो हवास खो बैठा था सामने का दृश्य बेहद लुभावना और मादक था,,,, लाला की बहू का पेटीकोट उसकी जांघों तक पानी से एकदम चिपका हुआ था चारों से नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी रघु की हालत खराब हो रही थी मोटी मोटी चिकनी जांघें और चिकने पैर देखकर उसका ईमान डोलने लगा था,,, लाला की बहू एकदम बेफिक्र होकर बाहर निकली थी क्योंकि उसे इस बात का अंदाजा था कि घर में कोई नहीं होगा क्योंकि वह नहाने जब गई थी तब उसके पहले ही लाला घर से बाहर निकल गया था,,, इसलिए वह इत्मीनान से नहा कर बाहर निकली थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि स्नान करके बाहर ही रघु खड़ा होगा,,,,उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि इस समय एकाएक रघु उसके घर पर आ जाएगा इसलिए उसे अपनी आंखों के सामने ही देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई ना जाने क्यों लोगों को देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान खिल उठती थी,,, वह उसे देख कर खुश होते हुए बोली,,,।

तुम यहां,,! (रघु को अपनी आंखों के सामने देखकर वह इतनी खुश हो गई कि उसे इस बात का आभास तक नहीं हुआ कि वह किस हाल में है,,, आंखों को देखकर उसके चेहरे की प्रसन्नता उसके चेहरे को और ज्यादा खूबसूरत बना रही थी रघु तो बस देखता ही जा रहा था तब एक बार और लाला की बहू बोली,,,)

रघु तुम यहां कैसे,,,,(शायद इस बार लाला की बहू को इस बात का एहसास हो गया कि वह किस स्थिति में है इसलिए वह अपनी छाती पर पेटीकोट को अपनी हथेली में कुछ ज्यादा ही कस के पकड़ कर खड़ी हो गई लेकिन ऐसा करने पर पानी से तरबतर उसकी बेटी को पूरी तरह से उसके दोनों संतानों की बुराइयों से चिपक गई और दोनों चुचियों का आकार गीली पेटीकोट में एकदम उभरकर सामने नजर आने लगा साथ ही दोनों चुचियों पर के निप्पल किसमिस के दाने की तरह नजर आने लगे यह देखकर रघु के पजामे में उसका लंड गदर मचाने लगा,,,, रघु क्या बोले उसके मुंह से तो शब्द ही नहीं फुट रहे थे,,, वह बस आंखें फाड़े उसे देखता ही जा रहा था,,,लाला की बहू को इस बात का आभास हुआ कि रघु उसके बदन के कौन से हिस्से को देख रहा है यह आभास होते ही उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा झलकने लगी,,, वह शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,उसे अब इस बात का आभास हो चुका था वह किसी स्थिति में है वह सीधे स्नान घर से नहाकर बाहर निकली थी वह तो अच्छा हुआ कि वह अपने बदन पर पेटीकोट को अपनी चुचियों के ऊपर तक लाकर चढ़ा ली थी वरना आज तो गजब हो जाता उसके नंगे बदन के दर्शन रघु को हो जाते ,, अपने बदन को रघु की नजरों से छुपाने की कोशिश करने में अपने बदन की ओर ज्यादा नुमाइश कर रही थी क्योंकि इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था वह शर्म के मारे अपनी छाती पर के पेटीकोट को एक हाथ से जोर से दबाए हुए थी,, जिससे उसकी दोनों गोलाईयां एकदम साफ नजर आ रही थी,,,रघु की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया ना आती देखकर लाला की बहू एक बार फिर बोली,,,।)

रघु तुम यहां क्या करने आए हो,,,? (इस बार लाला की बहू की आवाज में प्रसन्नता नहीं बल्कि शर्म लिहाज झलक रहा था लाला की बहू की आवाज कानों में करते ही रघु की तंद्रा भंग हुई और वह हडबढ़ाते हुए जवाब दिया,,,।)

ममममम,, मालकिन,,,,वववव,,वो,,, लालाजी ने आपको आम देने के लिए बोले थे,,,,
(रघु का हकलाना सुनकर लाला की बहु समझ गई कि वह पूरी तरह से घबरा गया है,,, इसलिए हालात को संभालते हुए वह बोली,,,)

अच्छा तुम बाहर बरामदे में बैठ कर इंतजार करो मैं कपड़े बदल कर आती हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही लाला की बहू अंदर कमरे में जाने के लिए मुड़ी और इस बार रघु की नजर उसके पिछवाड़े पर पढ़ते ही उसकी सांसे एकदम से अटक गई,,,, उसकी सांसों की गति तेज हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है ,,, वापस आंखें फाड़े लाला की बहू को अंदर कमरे में जाते हुए देखने लगा,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,,भला खड़ा कैसे नहीं होता सामने का नजारा ही कुछ ऐसा था गीली पेटीकोट होने की वजह से शायद लाला की बहू को पेटीकोट ऊपर छाती तक लाते समय इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि पीछे से उसकी पेटीकोट उसके नितंबों के उभार के ऊपरी सतह से चिपक गया है जिसकी वजह से उसके नितंबों का एक भाग पूरी तरह से नंगा हो गया था और वही नंगा भाग उसकी नंगी गांड रघु की आंखों में वासना की चिंगारी को शोले का रूप दे रही थी,,, रघु ने जिंदगी में इतनी खूबसूरत और दूध जैसी गोरी गांड नहीं देखा था,,, इसलिए तो वह बस देखता ही रह गयाऔर लाला की बहू यह देखने के लिए कि रघु बाहर गया कि नहीं और वह पीछे नजर घुमा कर देखने लगी तो रघु अभी भी वहीं खड़ा था जो कि उसे ही घूर रहा था और इस बार रघु की आंखों के सीधान को भांपकर अपनी नजर को अपने नितंबों की तरफ घुमाई तो उसके होश उड़ गए एकदम से घबराकर लगभग भागते हुए अपने कमरे में चली गई,,,, रखो के लिए अब वहां रुकना ठीक नहीं था वह पीछे कदम घुमा कर बरामदे में आकर बैठ गया मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि वहां बैठे या चला जाए उसे डर भी लग रहा था कि कहीं लाना की बहू उसकी हरकत की वजह से उसको डांटने फटकारने ना लगे,,, लेकिन लाला की बहू की खूबसूरती ने उसे वही रोके रखा,,,,

दरवाजा बंद करके लाला की बहू कुछ देर तक दरवाजे पर पीठ टीकाएं लंबी लंबी सांसे लेती रही,,, उसे बेहद घबराहट और शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि उस से इस तरह की गलती कैसे हो गई,,, लाला की बहू को समझते देर नहीं लगी थी कि रघु उसकी गोरी गोरी गांड को गंदी नजरों से देख रहा था,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा है उसी तरह से पेटिकोट को बिना नीचे किए हुए आदमकद आईने के सामने आकर खड़ी हो गई और पीछे घूम कर आईने में अपनी पिछवाड़े को देखने लगी तो अपनी नजरों से अपनी गोरी गोरी गांड जो की पेटीकोट गीली होने की वजह से उसके ऊपरी सतह पर चिपक गई थी,,,, उसे देखते ही शर्म से पानी पानी हो गई लाला की बहू अपने प्रतिबिंब रोटी खास करके अपने नितंबों के प्रतिबिंब को आईने में देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गई उसके तन बदन में हलचल सी हो गई इस अहसास से की जो वह अपनी आंखों से देख रही है वहीं रघु भी अपनी आंखों से देख चुका था,,,
बार-बार वह आईने में अपनी प्रतिबिंब को देख रही थी,,, बला की खूबसूरत थी लेकिन नहाने की वजह से अभी भी उसके बदन पर पानी की बूंदे चिपकी हुई थी जिससे उसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई थी,,,,।लाला की बहू के लिए यह पहला मौका था जब उसकी मदमस्त गोरी गोरी गांड को कोई गैर मर्द अपनी आंखों से देख रहा था,,,। अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए लाला की बहू अपने किले पेटीकोट को उतारकर वही नीचे फेंक दी और अपने नंगे बदन को आईने में देखने लगी,,,,अपनी नंगे बदन को आईने में देख कर उसके मुंह से अपने आप ही सिसकारी फूट पड़ी,,, वह अपने आप से ही बातें करते हुए बोली,,,।

वाह रे कोमलिया,,, तू तो बहुत खूबसूरत है,,,,
(इतना कहकर वह अपने गीले बदन को टावल से पोछने लगी,,, और थोड़ी ही देर में वहां खूबसूरत पीले रंग की साड़ी पहनकर साड़ी को अपने माथे पर लेकर घूंघट निकाल कर कमरे से बाहर आ गई,,, बरामदे में रघु आम के थेले के साथ बैठा हुआ लाला की बहू के बारे में ही सोच रहा था,,, उसकी खूबसूरती का वह पूरी तरह से कायल हो चुका था,, अभी पैरों की जनक और चूड़ियों की खनक की आवाज के साथ ही वह नजर उठा कर देखा तो उसके सामने लाला की बहू घूंघट में खड़ी थी,,,, उसे देखते ही रघु बोला।

मुझे माफ करना छोटी मालकिन मुझे नहीं मालूम था कि आप नहा रही होंगी,,,,।

कोई बात नहीं रघु,,, मैं जानती हूं तुम अनजाने में वहां तक आ गए थे,,,, और हां यह क्या मालकिन मालकिन लगा रखे हो,,, मैं तुमसे कह चुकी हूं कि मुझे कोमल कहा करो,,,

ठीक है छोटी मालकिन,,,

फिर छोटी मालकिन,,,


क्या करूं नाम लेकर बुलाने की आदत नहीं है ना इसके लिए,,,

तो जल्दी से आदत बदल डालो,,,, और हां मुझे लगता नहीं है कि कुछ देर पहले जो तुम्हारी नजर मुझ पर पड़ी थी उसे देखते हुए मुझे तुम्हारे सामने घुंघट डालने की आवश्यकता पड़ेगी,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला की बहू अपना घूंघट उठा दी,,,, और एक बार फिर से चांद का टुकड़ा रघु की आंखों में उतर आया,,,, रघु लाला की बहू के खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया,,, और घबराहट में बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)


वो लालाजी ने,,,, आपको आम का थैला देने के लिए बोले थे,,,(रघु आम के थैले को उठाकर लाला की बहू के करीब ले गया और उसे थमाते हुए ) लो इसे रख लो,,, बहुत मीठे हैं,,,,
(रघु की बात सुनकर लाला की बहू अपने हाथ आगे बढ़ाकर आम के थैले को थामने लगी जिससे उसकी नरम नरम उंगलियां रघु की उंगलियों से स्पर्श होने लगी और यह स्पर्श रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर को और ज्यादा वेग देने लगा,,,, यही हाल लाला की बहू का भी हो रहा था पहली बार वह किसी गैर मर्द को इस तरह से स्पर्श कर रही थी उसके तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, वह आम के थैले को थामकर उसे एक तरफ रखते हुए बोली,,,)

तुम्हें आम पसंद है रघु,,,(मुस्कुराकर रघु की तरफ देखते हुए बोली)

हां मालकिन मुझे भी आम बहुत पसंद है,,,।(रघु ब्लाउज मे से झांकते हुए दोनों गोलाईयों को देखते हुए बोला,,,इस बात का एहसास लाला की बहू को हो गया और वह मुस्कुराते हुए थेले में से बड़े-बड़े पके हुए दो आम निकालकर रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली।)

लो यह रख लो मुझे उम्मीद है कि इसे चूसने में तुम्हें बहुत मजा आएगा,,,
(लाला की बहू की बात सुनकर रघु एकदम से गनगना गया था,,, ना जाने क्यों इस तरह की बातें करते हुए लाला की बहू को उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, लेकिन इस बातचीत का दौर आगे बढ़ता है इससे पहले ही,, लाला की खांसी की आवाज सुनते ही लाला की बहुत तुरंत घूंघट डाल कर अपने चेहरे को छुपा ली और रघु भी जाने के लिए तैयार हो गया,,, लाला घर में प्रवेश करता इससे पहले ही उसकी बहू तुरंत अंदर भाग गई और लाला जैसे ही घर में प्रवेश किया रघु उसे नमस्कार करते हुए बोला,,,।

लाला सेठ आपने जैसा कहा था वैसे सब कुछ काम कर दिया,,,, प्यास लगी थी तो छोटी मालकिन पानी लेने गई है,,,


कोई बात नहीं बेटा तुम बहुत अच्छे हो,,,, तुम्हें देखता हूं तो मेरे चेहरे पर खुशी छा जाती है ना जाने क्यों ऐसा लगता है कि तुमसे कोई रिश्ता है,,,,(रघु की बात लाला की बहू सुन ली थी इसलिए पानी का गिलास लेकर तुरंत हाजिर हो गई और रघु पानी पीकर लाला की बहू और लाला दोनों को नमस्कार कर के वहां से चला गया,,, लाला की बहू की आम के थैले को उठाकर अंदर कमरे में जाने लगी तो लाला उसे जाते हुए उसकी मटकती हुई गांड को देखकर धोती के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा,,,,।

रघु की हालत एकदम खराब हो चुकी थी उसकी आंखों के सामने बार-बार लाला की बहू नजर आ रही थी जिसका बदन पानी में भीगा हुआ था और गीले पेटीकोट में उसके बदन का एक हिस्सा बड़ी बारीकी से नजर आ रहा था,,, रात के करीब 12:00 बज रहे थे वह छत पर सोया हुआ था एक तरफ वह सोया था और दूसरी तरफ उसकी मां और शालू सोई हुई थी,,, आधी रात का समय हो चुका था लेकिन उसकी आंखों से नींद गायब थी तभी शालू पेशाब करने के लिए और यह देखकर रघु के तन बदन में वासना की लहर दौड़ में लगी वह नहीं चाहता था लेकिन वह मजबूर हो चुका था उसकी आंखों के सामने बार-बार लाला की बहू नजर आ रही थी उसके गोलाकार दूध और भारी भरकम नितंब यह सब याद करके उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,, इस समय उसे बुर की तड़प लगी हुई थी,,,, उसे मालूम था कि एक बार सालु उसे देखने जरूर आएगी इसलिए वह अपनी कमर पर लपेटे हुई टूवाल को खोल के अपनी जांघो पर रख दिया और अपने लंड को जो कि इस समय पूरी तरह से खड़ा हो चुका था उसे वैसे ही छोड़ दिया था कि शालू की नजर में वह आ सके,,,, थोड़ी ही देर में शालू के आने की आहट उसे सुनाई दी और वह आंख बंद करके सोने का नाटक करने लगा,,,।
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रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे पूरा यकीन तो नहीं था लेकिन उम्मीद की किरण नजर आ रही थी कि आज की रात कुछ ना कुछ जरूर होगा शालू के पायल की आवाज सुनकर वह सोने का नाटक करने लगा आंखों को बंद करके वह दिल की धड़कन को नियंत्रित करते हुए अपनी बहन के द्वारा क्या हरकत होती है उसका इंतजार करने लगा,,। रघु के बदन में कसमसाहट हो रही थी और साथ ही वह बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,। कमर पर लपेटे,,,, हुई तोलिए को वह अपनी जांघों पर डाल दिया था ताकि शालू को देखने पर यही लगे कि वह नींद में अस्त व्यस्त हो गई है,,,। रघु का खड़ा लंड पूरी औकात में आसमान की ऊंचाई नाप रहा था,,,।
शालू के मन में भी हलचल मची हुई थी एक बार फिर से वह अपने भाई के खड़े लंड के दर्शन करना चाहती थी,,, दिल की धड़कन बड़ी तेजी से दौड़ रही थी मानो घोड़ा दौड़ रहा हो,,, उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसे आज फिर से अपने भाई की खडे लंड के दर्शन करने को मिल जाएंगे,,, बहुत धीरे-धीरे अपने कदम बड़े आराम से रखते हुए आगे बढ़ रही थी ताकि उसकी मां की नींद ना खुल जाए जो कि बेहद गहरी नींद में सो रही थी और यह बात शालू अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी मां बहुत ही गहरी नींद में सोती है इसलिए उसे उसके जाग जाने का डर बहुत ही कम है,,,। धीरे-धीरे वह अपने भाई के करीब पहुंच गई जहां पर वह चटाई बिछाकर बड़े आराम से सो रहा था,,। तभी उसे जो देखने की इच्छा हो रही थी वही दिखाई दिया जो कि अपनी अपनी औकात में खड़ा था शालू अपने भाई के खड़े लंड को देखते ही गनगना गई,,, उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल होती भी महसूस होने लगी उसके दिल की धड़कन और ज्यादा तेज हो गई,,, उस दिन की तुलना आज उसे अपने भाई का खड़ा लंड एकदम साफ नजर आ रहा था क्योंकि आसमान में चांदनी बिखरी हुई थी,,,। शालू का दिल मचल उठा उसे अपने हाथ में लेने के लिए वह पहले भी दो तीन बार अपने भाई के गहरी नींद में होने का फायदा उठाते हुए अपने हाथ में लेकर उसकी गर्माहट को अपने अंदर महसूस कर चुकी थी लेकिन यह बात हुआ है नहीं जानती थी कि उसका भाई नींद में नहीं बल्कि सिर्फ सोने का नाटक किया करता था और उसे आज भी यही लग रहा था कि उसका भाई नींद में है इसलिए वह एक बार फिर से अपने भाई के खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर उसकी गरमाहट को महसूस कर सकेगी,,।
पल भर में ही शालू उत्तेजित हो गई क्योंकि रघु का लंड एकदम डंडे की तरह सीधा खड़ा था उसमें जरा भी लचक नहीं थी,,,,,, शालू धीरे से अपने भाई के करीब बैठ गई वह कभी अपने भाई के चेहरे की तरफ तो कभी उसकी खड़े लंड को देख रही थी,,,, मन में भावनाओं का बवंडर उठ गया था तन बदन में उत्तेजना की लहर और ज्यादा ऊंची लहरा रही थी,,,,, पहले कि अपने भाई के लंड को पकड़ कर देखने की हिम्मत उसे याद थी इसलिए वह एक बार फिर से हिम्मत करके अपना हाथ आगे बढ़ा दी इस बार उसका हाथ कांप रहा था,,,, जो कि पहले भी ऐसा होता था लेकिन आज शालू के मन में कुछ और चल रहा था,,, उसका मन इस समय संभोग सुख से वाकिफ होने के लिए मचल रहा था,,, उसे अपनी बुर के अंदर कुल बुलआहट होती हुई महसूस हो रही थी,,, और देखते ही देखते उसने अपने भाई के मोटे तगड़े लंबे लंड को पहले अपनी बीच वाली उंगली से स्पर्श की,, उसकी गर्माहट अपने तन बदन में महसूस करते ही शालु से रहा नहीं गया और और वह उसके समूचे लंड की गोलाई को अपने हाथों की हथेली में समेट ली,,,, शालू को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने सारी दुनिया को अपनी मुट्ठी में कैद कर ली,, और रघु अपने लंड को अपनी बहन की हथेली ने महसूस करते ही उसकी हथेली की नरम नरम उंगलियों का स्पर्श पाकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके लंड की नसों में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से होने लगी हो और वह उत्तेजना के मारे अपने गर्म सिसकारियों की आवाज़ को अपने गले के अंदर ही घोट रहा था,,,, उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन कसमसाने लगा,,,, शालू को इस बात का अंदाजा हो गया था कि उसके भाई का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा था जिसे वो धीरे धीरे मुठिया रही थी शालू को अपने भाई के लंड को मुठीयाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,, आश्चर्य और उत्तेजना के मारे उसका मुंह खुला का खुला रह गया था वह रह रह कर पीछे की तरफ देख ले रही थी कि कहीं उसकी मां जाग तो नहीं रही जो कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी मां तो गहरी नींद मैं सो रही थी,,,। रघु को मजा आ रहा था और आता भी कैसे नहीं भले वह उसकी बड़ी बहन थी लेकिन थी तो एक लड़की ही खूबसूरत जवान जिसके हाथों की गर्मी उसके लंड को पिघलाने के लिए सक्षम थी,,,। शालू जिस तरह से अपने भाई के लंड को हिला रही थी रघु को इस बात का डर था कि कहीं उसके लंड की पिचकारी ना निकल जाए,,। रघु का बदन कसमसा रहा था वह बड़ी मुश्किल से अपनी आंखों को बंद किए हुए था वह अपनी आंखों को खोलकर अपनी बहन की इस कामुक हरकत को देखना चाहता था उसका आनंद लेना चाहता था लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं आप खोलते हैं उसकी बहन डर के मारे चली ना जाए लेकिन आज ऐसा होने देना नहीं चाहता था आज उसके लंड ने बगावत किया हुआ था,,,, क्योंकि दोपहर से ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा का खड़ा था जिसका कारण थी लाला की बहू जिसे उसने उसे की ले कपड़ों में देखा था और उसके गोलाकार नितंबों को देखकर काफी उत्तेजना महसूस किया था,,,। उसके मदमस्त कर देने वाले संतरो को देख कर उसकी मत मस्त जवानी तो रघु का मोटा तगड़ा लंड खड़े होकर सलामी दे रहा था अपने लंड की गर्मी को आज वह अपनी बहन के ऊपर निकालना चाहता था,,,, जो कि इस समय उसके लंड को हिला रही थी,,,,।
आहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,( ना चाहते हुए भी शालू के मुख से इस तरह की गरम सिसकारी की आवाज निकलने लगी और इस तरह की आवाज को सुनकर रघु एकदम से पागल होने लगा अपनी आंखों को खोल देना चाहता था अपनी बहन के हाथ पर हाथ रखकर साथ में अपने लंड को ही लाना चाहता था लेकिन ना जाने क्यों उसके अंदर डर था लेकिन शालू मजे लेना चाहती थी वह चाहती थी कि उसका भाई आंख खोल दें नींद से जाग जाए,,,, इस तरह के ख्याल उसके मन में आ रहे थे लेकिन डर भी लग रहा था कि उसका छोटा भाई उसके बारे में क्या सोचेगा,,,, शालू से अपने तन बदन की उत्तेजना और अपने भाई के खड़े लंड का सुरूर बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसके तन बदन में आग लग रही थी उत्तेजना के मारे उसकी बुर से मदन रस बहने लगा था शालू के लिए अपने हालात को संभाल पाना नाजुक होता जा रहा था और यही यही हाल रघु का भी था पूरा गांव चैन की नींद सो रहा था लेकिन दोनों भाई बहन की नींद उड़ी हुई थी रघु तो सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था और शालू एकदम बेवकूफ थी कि इतना भी नहीं समझ पा रही थी कि इस तरह से किसी के लंड को पकड़ने पर वह गहरी नींद में नहीं बल्कि नींद उड़ जाती है,,, शालू को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसका भाई सोने का नाटक कर रहा है,,,, और शालू उत्तेजित होते हुए एक हाथ से अपने भाई के लंड को हिलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चूची को मसलने लगी,,, कपड़ों के ऊपर से ही अपनी कामुक हरकत की वजह से वह काफी उत्तेजित हुए जा रहे थे उसके मन में हो रहा था कि काश यह हरकत उसका भाई अपने हाथों से करता तो कितना मजा आता,,, शालू अपनी हरकत को आगे बढ़ाते हुए अपनी आंखों को बंद करके आनंद की अनुभूति को महसूस कर रही थी तभी रघु हिम्मत दिखाते हुए अपनी आंख को हल्के से खोला तो उसे अपनी बहन का खूबसूरत चेहरा नजर आने लगा,,,। जो कि इस समय और ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उसके लाल गाल उसकी उत्तेजना की कहानी बयां कर रहे थे उसकी आंखें बंद थी जिससे पता चल रहा था कि उसे इस क्रिया को करने में कितना आनंद प्राप्त हो रहा है वह अपनी नजरों को नीचे की तरफ लाया तो देखकर दंग रह गया उसकी बहन अपने हाथों से ही अपनी चूची को दबा रही थी जो कि इस समय कपड़ों के अंदर थी यह देख कर रघु के तन बदन में आग लग गई,,, रघु अपनी बहन की मदमस्त चुचियों को देखना चाहता था उसे छूना चाहता था उसे मुंह में भर कर पीना चाहता था जिस तरह से वह हलवाई की बीवी और रामू की मां की चूचियों का स्तनपान किया था अपनी नजर को थोड़ा और नीचे ले जा कर के जब उसने अपनी आंखों से बेहद कामुक और मादक दृश्य देखा तो उससे रहा नहीं गया अपनी बहन की नाजुक हथेली में अपने मोटे कड़क लंड को देखते ही उसकी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच गई और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन के हाथ पर रख दिया और उसकी हथेली को अपनी हथेली में भरकर कस लिया,,,,, अपनी हथेली पर हथेली महसूस होते ही शालू की आंख खुल गई और वह अपने भाई के खड़े लंड की तरफ देखकर उसके चेहरे की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए रघु की आंख खुली हुई थी,,,, मारे उत्तेजना और डर के मारे शालू का गला सूखने लगा,,,, शालू डर के मारा अपना हाथ पीछे की तरफ खींचने लगी,,, लेकिन रघु की मजबूत हथेलियां उसे कस के पकड़े हुए थे और रघु खुद ही अपनी बहन का हाथ पकड़कर अपने लंड पर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा था,,,,,।

यययय,,, यह क्या कर रहा है तू,,,,।

वही जो तुम कर रही थी दीदी,,,,


नहीं ऐसा मत कर यह गलत है,,,।

गलत है तो फिर तुम क्यों कर रही थी दीदी,,,,।( रघु अपनी बहन की हथेली को अपने लंड पर कसते हुए धीरे-धीरे मुठिया ते हुए बोला,,,)

मैं बहक गई थी रघु,,,,( शालू डरते हुए बोली,,,)

क्यों बहक गई थी किस लिए बहक गई थी,,,,,

तेरा यह देखकर,,,,,( शालू आंखों से अपने भाई के लंड की तरफ इशारा करते हुए बोली)

इसे देख कर बहकने जैसा क्या है,,,,, ऐसा तो सभी लड़कों के पास होता है,,,,, क्या तुम यह बात नहीं जानती,,,,?

तेरा कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा है,,,,( शालू अपनी भाई की आंखों में झांकते हुए बोली ना जाने क्यों उसे अपने भाई के द्वारा इस तरह से उसकी हथेली को उसके लंड पर मुठिया ते हुए अच्छा लग रहा था,,,।)

क्या बिरजू का ऐसा नहीं है,,,,,? ( ऐसा कहते हुए रघु हिम्मत दिखाकर अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपने हाथ को सीधे उसके कपड़ों के ऊपर से ही अपनी बहन की चूची पर रख दिया ,,,, शालू अपने भाई के इस तरह की हरकत हो बिरजू का नाम सुनते ही बुरी तरह से चौक गई,,,,।)

बबबब,,, बिरजू कौन बिरजू,,,,,,( शालू एकदम से हड बढ़ाते हुए बोली,,,)

मैं सब जानता हूं दीदी मुझसे कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं है,,,,( कुर्ती के ऊपर से ही अपनी बहन की चूची को दबाते हुए बोला,,,)

तू क्या कह रहा है मुझे,,, कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,।


तुम अच्छी तरह से जानती भी हो और समझती भी हो कि मैं क्या कह रहा हूं,,,, बिरजू से प्यार करती हो ना तुम दीदी,,, चोरी-छिपे तुम आम के बगीचे में उससे मिलती हो,,,
( उत्तेजना के मारे यह कहते हुए रघु अपनी बहन की चूची को जोर जोर से दबाने लगा और एक हाथ से अपने लंड को अपनी बहन की हथेली का सहारा लेकर हिलाता रहा अपने भाई की हरकत को देखकर शालू के बदन में खुमारी छाने लगी थी,,,, जो कुछ भी उसका भाई कह रहा था शालू को समझते देर नहीं लगी कि उसका भाई सब कुछ जानता है इसलिए वह बोली,,,।)

इसका मतलब है कि तू सब जानता है,,,।

मैं सब जानता हूं दीदी तुम्हारे प्रेम कहानी के बारे में,,,


देख रहा हूं मां को इस बारे में बिल्कुल भी पता नहीं चलना चाहिए,,,,

बिल्कुल भी पता नहीं चलेगा दीदी,,,,( इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की हथेली पर से अपना हाथ हटा कर उसे अपनी बहन की दूसरी चूची पर रख दिया और दोनों चूची को एक साथ अपने दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया या देखकर शालू बोली,,,।)

यह क्या कर रहा है तू,,,,?


तुम्हारी खूबसूरत चुचियों से खेल रहा हूं दीदी,,,,,


क्या अपनी बहन की चुचियों से इस तरह से खेलना सही रहेगा,,,,( शालू यह कहते हुए अपनी हथेली को अपने भाई के लंड पर और जोर से कस ली,,,)

जब तक किसी को पता ना चले तब तक सही रहेगा,,,,


मां को पता चल गया तो,,,।


मां को बिल्कुल भी पता नहीं चलेगा दीदी तुम तो जानती हो कि मां कितनी गहरी नींद मैं सोती है अब वह सुबह से पहले उठने वाली नहीं है,,,,( उत्तेजना के मारे रघु जोर-जोर से अपनी बहन की चूचियों को कुर्ती के ऊपर से ही मसलता हुआ बोला,,,,, और इस तरह से अपने भाई की हरकतों की वजह से शालू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी थी अब वह भी अपने कदम पीछे नहीं लेना चाहती थी,,, इसलिए वह भी मस्ती दिखाते हुए अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को फिर से मुठीयाना शुरू कर दी,,,, अपनी बहन की यह हरकत देखते ही रघु को समझते देर नहीं लगी कि रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है और उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,।)

आहहहहहहह दीदी,,,,,
( दोनों बड़े ही धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए बात कर रहे थे ताकि उनकी आवाज की वजह से उनकी मां ना जाग जाए,,, और दोनों के बीच हो रही वार्तालाप के स्वर इस तरह से फुशफुसाहट भरे थे कि जब एक मर्द और औरत आपस में चुदाई करते हुए आपस में इस तरह से बातें करते हैं कि कोई तीसरा उन दोनों की बातें ना सुन ले इस तरह से दोनों धीमे स्वर में बातें कर रहे थे और अपनी बहन के इस तरह की धीमी आवाज रघु के तन बदन में और भी ज्यादा उत्तेजना भर रहा था,,,।
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धीरे-धीरे माहौल पूरी तरह से गर्मा चुका था,, आधी रात का समय हो रहा था,,,,, लेकिन दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी आखिरकार दोनों जवान थी जवानी में तो इस तरह की आग लगना लाजमी था,, दोनों को अच्छी तरह से मालूम था कि उनकी मां और गहरी नींद में सोती है और उनकी नींद खुलना मुश्किल था,,, और इसी का फायदा दोनों उठा लेना चाहते थे,,, शालू के बदन में उत्तेजना का तूफान उठ रहा था जो अब उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था।उसके हाथ में अभी भी उसके भाई का मोटा तगड़ा खड़ा लंड था जो कि बेहद भयानक लग लग रहा था,,, जिसकी गर्माहट उसे अपनी बुर की दरार में से पिघलती हुई महसूस हो रही थी,,,, रघु दोनों हाथों से अपनी बहन के दोनों संतरो से खेल रहा था,,,,और शालू अपने भाई की ईस हरकत से पूरी तरह से कामोतेजीत होते जा रही थी,,, इस तरह की हरकत बिरजू भी उसके साथ कर चुका था जो कि उसकी मनमानी नहीं थी बल्कि इतनी छूट शालू के द्वारा ही मिली थी जिसका वह पूरी तरह से फायदा नहीं उठा पाता था लेकिन अपने आपको दिए हुए इस मौके का फायदा रघु पूरी तरह से उठा रहा था ।बाहर से कठोर लगने वाली चूची अंदर से इतनी गरम होगी रघु को इस बात का आभास अब जाकर हो रहा था,,, ऐसा नहीं था कि रखो इस से पहले क्योंकि को अपने हाथों में लेकर दबाया नहीं था सुबह हलवाई की दीदी और रामू की मां के साथ बराबर का अनुभव ले चुका था लेकिन उसके मन में शायद यह था कि उम्र दराज औरत होने के नाते उनकी चुचियों में नर्माहट है और वह नरमाहट उसकी जवान बहन की चुची में नहीं होगी लेकिन उसका यह सोचना गलत साबित हो रहा था और अपनी बहन की चूची को कुर्ती के ऊपर से दबाते हुए उसे आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,,,,रहे रहे कर रघु अपनी बहन की चूची को कभी-कभी इतनी जोर से दबा देता था कि सालु के मुंह से कराहने की आवाज फूट पड़ती थी,,,, शालू कराते हुए बोली।

आहहहहहह,,,,, देख रघु मेरे और बिरजू के बारे में तु मां से कभी भी कुछ भी मत बताना,,,,,

मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा दीदी,,,,, लेकिन तुम मुझे यह बात बताओ,,,


तुम्हें मजा आ रहा है,,,,

(अपने भाई के सवाल पर शालू बोली कुछ नहीं लेकिन शर्मा गई जिसका मतलब साफ था लेकिन फिर भी रघु अपनी बहन के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला)

बोलो ना दीदी,, मैं तुम्हारी चूची को कुर्ती के ऊपर से दबा रहा हूं क्या तुम्हें अच्छा लग रहा है,,,,

धत्त,,,, कितना गंदा शब्द बोलता है तु,,,,(अपने भाई के मुंह से चूची से तो सुनकर शालू बोली)

क्या दीदी तुम भी इस तरह की घटिया बातें कर रही हो अब चूची को चूची नहीं कहेंगे तो क्या खरबूजा कहेंगे,,,,

तु यह सब कहना कहां से सीखा मैं तो तुझे सीधा समझती थी,,,


मैं भी तो तुम्हें कितनी सीधी-सादी लड़की समझता था,,,, लेकिन कोई बात नहीं मुझे अब समझ में आ गया है कि हम दोनों की उम्र में इस तरह की बातें हो ही जाती है,,,,


चल अच्छा ही हुआ कि तू समझता तो है,,,,(उत्तेजना के मारे शालू अपने भाई के लंड को अपनी मुट्ठी में जोर से दबाते हुए बोली,,,,)

आहहहहह दीदी धीरे से दर्द हो रहा है,,,,


तुझे दर्द हो रहा है तो क्या मुझे दर्द नहीं हो रहा है जो इतनी जोर जोर से मेरी इसको दबा रहा है,,,,


क्या दीदी तुम भी मेरी इसको क्या होता है सीधे-सीधे बोलो ना चूची को,,,,


तू ही बोल चुची को मुझे तो इसका नाम लेने में शर्म आती है,,,


दबवाने में शर्म नहीं आती नाम लेने में शर्म आती है,,,,


देख तू इस तरह की बातें करेगा तो मैं चली जाऊंगी,,,,


नहीं नहीं दीदी जाना नहीं तुम्हारे हाथों की हरकत से मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,(रघु अपने लंड की तरफ देखा जिसे उसकी बहन मुठिया रही थी..) अच्छा बुरा ना मानो तो एक बात पूछूं,,,

पूछ,,,,,


तुम बिरजू से प्यार करती हो,,,, क्या उसका लंड मेरे से बड़ा है,,,।
(अपने भाई के मुंह से इस तरह का सवाल सुनकर शालू असमंजस में पड़ गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके सवाल का जवाब हुआ कैसे दें क्योंकि यह सीधे-सीधे देखा जाए तो उसके चरित्र पर सवाल उठ रहा था क्योंकि अगर वह कहती है कि उससे छोटा है तो उसका भाई यही सोचेगा कि वह उसके साथ चुदाई करवा चुकी हैं जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। और सही मायने में उसने अभी तक बिरजू के तो क्या अपने भाई को छोड़कर किसी के भी लंड‌‌ के दर्शन नहीं किए थे,,,,, फिर भी इस समय उन दोनों के बीच जो भी हो रहा था उससे उसके तन बदन में खुमारी छाई हुई थी एक अजीब सा नशा उसके तन बदन को अपनी आगोश में लिए हुए था इसलिए वह उस मादक नशे के एहसास में बोली,,,,।)


मुझे नहीं लगता कि तुझसे बड़ा होगा,,,।(अपने भाई के खड़े लंड को गौर से देखते हुए बोली)


दीदी मैं कुछ समझा नहीं,,,,

मैं चित्र से जानती हूं कि तू क्या कहना चाहता है और क्या समझना चाहता है तुझे यही लगता है कि मैं बिरजू के लंड को देखी होंगी,,, यही लग रहा है ना।


अरे वाह दीदी कितना मजा आ गया तुम्हारे मुंह से ‌लंड सुनकर ,,,,,

(रघु की यह बात सुनकर सालु को इस बात का एहसास हुआ कि अनजाने में ही उसके मुंह से लंड सब निकल गया था जिस का आभास उसे होते हैं उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मचने लगी,,,),,,
और तुम दोनों का प्यार देखते हुए मुझे तो ऐसा ही लगता है कि तुम दोनों के बीच बहुत कुछ हो गया होगा,,,


नहीं रघु यह बिल्कुल भी सच नहीं है,,,, हम दोनों के बीच ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है,,,,


इसका मतलब ही दीदी कि सबसे पहले तुम्हारी बुर को खोलने का सौभाग्य मुझे ही प्राप्त होगा,,,
( अपने भाई के मुंह से इस तरह की एकदम से खुली हुई बात सुनकर सानू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह पूरी तरह से गनगना गई और बोली,,,)

तु यह सब कैसी बातें करता है रे,,,,, तुझे शर्म नहीं आती अपनी बड़ी बहन से इस तरह की बातें करते हुए,,,।(उत्तेजना के मारे सालु की सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी वह अपने भाई के नंबर को अपनी मुट्ठी में कुछ ज्यादा ही जोर से कसते हुए ऊपर नीचे कर रही थी,,।)

दीदी मुझे नहीं लगता कि अब हम दोनों को शर्म करना चाहिए,,,क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि अब आगे क्या होने वाला है अगर मैं शर्म करुंगा तो तुम्हारी बुर में अपना लंड नहीं डाल पाऊंगा,,,,।
(अपने भाई की इस तरह की बातें सुनकर शालू के तन बदन में आग लगने लगी उसकी टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी उसे अपनी बुर साफ तौर पर उत्तेजना के मारे फुलती पिचकती हुई महसूस होने लगी,,,। शालू के मुंह से शब्द नहीं फुट रहे थे ,,क्योंकि जिंदगी में उसने इस तरह की गंदी बातें नहीं सुनी थी और वह भी आज अपने भाई के मुंह से इस तरह की खुली बातें और वह भी अपने लिए सुनकर उसे एकदम शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह शर्म से गड़ी जा रही थी,,अपने भाई की बात सुनकर यह बात उसे समझते देर न लगी कि जितना सीधा अपने भाई को समझती थी ऊतना सीधा वह था नहीं,,,,, उसकी इस तरह की अश्लील बातें बेहद गंदी लग रही थी और अपने ही भाई के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसके पूरे बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,। वह बार-बार पीछे की तरफ देख ले रही थी कि कहीं उसकी मां जाग ना जाए,,,,।)

मां सुबह से पहले जागने वाली नहीं है दीदी इसलिए निश्चिंत हो जाओ,,,,


तू बहुत गंदा है रे,,,,

तुम भी तो गंदी हो दीदी अपने सारे कपड़े उतार कर कैसे झरने के तालाब में बिरजू के सामने नहा रही थी,,, एकदम नंगी,,,
( झरने वाली बात सुनते ही एक बार फिर से शालू को झटका लगा उसके पास अपने लिए सफाई देने के लिए कोई शब्द नहीं थे,,, क्योंकि उसकी चोरी अब पूरी तरह से पकड़ी गई थी वह सोचती थी कि उसके भाई ने उसे देख नहीं पाया है लेकिन यह गलत था उसका भाई सब जानता था अब शालू को लगने लगा कि अपने भाई से छुपाने जैसा अब कुछ भी नहीं है,,,)

तु सब कुछ जानता था,,,


मैं बहुत कुछ जानता हूं दीदी,,,,, कमरे में आकर मुझे सोया हुआ जानकर मेरे लंड को पकड़ कर हीलाती थी यह भी मैं जानता हूं,,,,


क्या,,,,? तुझे सब पता था तो बोला क्यों नहीं,,,,


मैं सही मौके के इंतजार में था,,,,(अपनी बहन की चूचियों को कुर्ती के ऊपर से ही जोर जोर से मसलते हुए बोला शालू के तन बदन में चुची मसलने के कारण मस्ती की लहर छा रही थी,,,)

तुझे क्या लगता है सही मौका आ गया ,,,,(शालू अपने भाई के लंड को हिलाते हुए बोली,,,,।)

हां अब सही मौका आ गया है मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि इस समय तुम्हारी बुर पूरी पानी पानी हो गई होगी,,,

( अपने भाई की बात सुनकर एक बार फिर से शालू को झटका लगा क्योंकि जो वह बोल रहा था वह बिल्कुल सच था उसे अपनी बुर पूरी गीली होती महसूस हो रही थी लेकिन वह नहीं समझ पा रही थी कि उसका भाई यह बात कैसे जानता है,,,, औरतों के बारे में इतना ज्ञान उसे कहां से आया इसलिए वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,।)

तुझे यह सब कैसे मालूम पड़ा,,,,


कैसे मालूम पड़ा यह सब बात की बात है वक्त आने पर मैं सब कुछ बता दूंगा लेकिन इस समय जो मैं बोल रहा हूं वह बिल्कुल सच है इस समय तुम्हारी बुर एकदम पानी छोड़ रही है पता है क्यों,,,?


ककककक,,,क्यों,,,,?(सालु कांपते स्वर में बोली क्योंकि वह अपने भाई की हरकत और उसकी बातें सुनकर एकदम उत्तेजित होने लगी थी,,,,)

क्योंकि तुम्हारी बुर मोटे तगड़े लंड के लिए तड़प रही है पता है किसके लंड के लिए मेरे लंड के लिए जब मैं अपना लंड तुम्हारी बुर में डालूंगा तब जाकर तुम्हारी प्यास बुझेगी तुम इस समय बहुत प्यासी हो दीदी,,,
( अपने भाई के मुंह से इतना सुनते ही वह शर्म के मारे अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भाई के होंठों पर रख कर उसे चुप रहने के लिए इशारा करते हुए बोली,,,।)


चुप हो जा बेशर्म मां सुन लेगी तो गजब हो जाएगा,,,,
(इतना कहते हुए शालू थोड़ा सा नीचे झुक गई और ईसी मौके का फायदा उठाते हुएरघु अपने दोनों हाथ उसकी बाहों में डालकर अपनी तरफ खींच लिया और अगले ही पल सालु को अपने बदन के ऊपर लेटा लिया,,,, अब शालू उसके बदन के ऊपर थी रघु से अपनी बाहों में भर लिया था अब उसके अंदर जरा भी शर्म नहीं रही गई थी अपनी बहन के साथ पूरा मजा लेना चाहता था और वह भी बड़ी बहन के साथ,,,।)

यह क्या कर रहा है बेशर्म छोड़ मुझे मां जाग जाएगी,,,,
(शालू जानबूझकर इस तरह की बातें कर रही थी लेकिन अंदर से वह यही चाहती थी कि उसका छोटा भाई उसे अपनी बाहों से अलग ना करें क्योंकि जिस तरह से वह उसके ऊपर लेटी हुई थी उसके भाई का खड़ा लंड उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर के ऊपरी दरार पर रगड़ खा रहा था,,, सलवार के ऊपर से शालू के एकदम अच्छी तरह से अपने भाई के लैंड की रगड़ महसूस हो रही थी वह काफी उत्तेजित हो गई थी उत्तेजना के मारे अपनी दोनों टांगों को आपस में मसल रही थी,,,,)

मैं कह दिया ना दीदी सुबह से पहले मां जागने वाली नहीं है,,,(और इतना कहने के साथ ही रघूअपनी बहन के गुलाबी होठों पर अपने होठों को रखकर उसके होठों का रसपान करना शुरू कर दिया,, अपने भाई की इस हरकत से शालू उत्तेजना के मारे पूरी गदगद हो गई उसका बदन कसमसाने लगा,,,,, साथ ही रघु अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पर से होता हुआ सलवार के ऊपर शायरी उसके उभरे हुए नितंबों पर रखकर उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,, अपनी गांड पर अपने भाई के हाथ को महसूस करते कि उसके तन बदन में आग लग गई और उसके मुख से सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।


सहहहहहहह ,,,,, रघु,,,,,आहहहहहह,,, यह क्या कर रहा है रे,,,, मां जाग जाएगी,,,,,,
(लेकिन अब रघु कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था वह लगातार अपनी बहन के होठों का रसपान करते हुए उसकी गांड को अपनी हथेली में भर भर के मसलता रहा,,,, नितंब मर्दन का नशा शालू के तन बदन को अपनी आगोश में लेने लगा,,,, अब दिखावे वाला असर कम होने लगा था अब विरोध ना के बराबर था बल्कि अब तो शालू अपने भाई का साथ देते हुए खुद अपने होठों को खोल कर उसके फोटो को अपने मुंह में भर कर चुंबन का आनंद लेने लगी यह शालू की जिंदगी का पहला चुंबन हां जो कि वह खुद अपने भाई के द्वारा प्राप्त कर रही थी ना कि बिरजू के द्वारा जबकि तकरीबन 2 साल से बिरजू के प्रेम में पड़ी हुई थी,,,, रघु कि तन बदन में आग लगी हुई थी वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी वक्त आएगा जब उसकी बाहों में उसकी बड़ी बहन होगी,,, रात एकदम गहरा चुकी थी चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,सिर्फ रहकर कुत्तों की भौंकने की आवाज आ रही थी और ऐसे में खुले छत पर दोनों भाई बहन एक दूसरे से प्रेम लीला का सबक सीख रहे थे,,,रघु अपना हाथ फिर से आगे की तरफ लाकर अपनी बहन की चूची को कुर्ती के ऊपर से दबाते हुए बोला,,,।

अभिषेक उतार तो दीदी मैं तुम्हारी चूची को मुंह में भर कर पीना चाहता हूं मैं देखना चाहता हूं कि तुम्हारी चूची कितना नशा कराती है,,,
(अब सालों की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध नहीं हो रहा था बल्कि विरोध होना अब नामुमकिन था क्योंकि वह भी रघु के रंग में रंग चुकी थी उसे भी जिंदगी का मजा लेना था उसे भी अपनी जवानी को अपने ही भाई से लूटवाना था इसलिए वह बिल्कुल भी ना नुकुर ना करते हुए अपने भाई के पेट के ऊपर ही बैठ कर अपनी कमीज को ऊपर की तरफ करके निकालने लगी,,,, अगले ही पल शालू अपनी कमीज को उतार कर बगल में रख ली रघु तो अपने ऊपर बैठी अपनी बहन की मदमस्त जवानी को देख कर पागल होने लगा,,,, उसके लंड में जवानी उबाल मारने लगी,,,वह तुरंत अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बहन की नंगी चूचियों को थाम ते हुए बोला,,,।

वाह दीदी तुम्हारी चूचियां तो एकदम संतरे जैसी है इन्हें मुंह में भरकर पीने में बहुत मजा आएगा,,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपनी बहन की चूची पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचने लगा और उसकी बहन उसके ऊपर पूरी तरह से छा गई वह खुद थोड़ा सा आगे सड़क कर अपने भाई को अपनी चूची पिलाने में मदद करने लगी,,,अगले ही पल बिल्कुल भी देर न करते हुए रघु अपनी बहन की चूची को जितना मुंह में आ सकता था उतना भर कर पीना शुरू कर दिया,,, सालू पागल हुए जा रही थी,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह अपने भाई के ऊपर बैठकर अपनी चूची को उसके मुंह में डालकर उसे पिला रही है रघु अपनी बहन को किसी भी तरह से निराश नहीं होने देना चाहता था वह अपनी बड़ी बहन की चूची को अपने मुंह में भर कर बारी-बारी से दोनों चूचियों का आनंद लेता हुआ अपनी बहन को मदहोश किए जा रहा था,,

सहहससस,,,आहहहहहहह,,,, रघु मेरे भाई बहुत मजा आ रहा है जोर-जोर से मेरी चूची पी,,,आहहहह तूने तो मुझे मत कर दिया रे,,,,आहहहहहहहह,,,,,,(इतना कहते हुए शालू खुद अपनी दोनों चुचियों का दबाव अपने भाई के मुंह पर दे रही थी ताकि वह और मजे ले ले कर उसकी चूची को पिए ,,,रघु भी,,, पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाते हुए अपनी बहन की जवानी से खेल रहा था,,,, हलवाई की बीवी और रामू की मां की चुदाई कर के रखो पूरी तरह से अनुभव से भर चुका था उसे पता था कि औरत के साथ कैसे खेला जाता है और क्या करने से औरतों के तन बदन में लंड लेने की ललक बढ़ जाती है इसलिए रघु अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर सलवार के ऊपर से ही अपनी बहन की रसीली बुर को दबा रहा था,,, रघु की यह हरकत सालु के तन बदन में शोला भड़का रही थी,,,,वह पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी अपने भाई के लंड को अपनी गुलाबी बुर में लेने के लिए,,,,,।

सससहहहह आहहहहहहह,,,,, रघु,,,,,ऊफफ,,,,,,यह क्या कर रहा है तु ,,,,मुझसे रहा नहीं जा रहा,,,,, मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,,। इसे बुझा दे मेरे राजा मेरा भैया,,,,।


(अपनी बहन की सिसक और उसकी मदहोशी देखकर रघु समझ गया कि हथोड़ा मारने का समय आ गया है क्योंकि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका है,,, इसलिए रघुअपनी बहन को अपनी बाहों में भर कर बिना उससे अलग हुए कला दिखाते हुए उसे तुरंत अपने नीचे कर लिया अब रघु उसके ऊपर था और शालू उसके नीचे,,, रघु अपनी बहन की झील सी गहरी आंखों में झांकते हुए बोला,)

अब देखना दीदी तुम्हें कैसे जन्नत का मजा चखाता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की सलवार के डोरी खोलने लगा,,,पहले वाली सालू होती तो शायद रघु को इस हरकत पर उसके गाल पर जोरदार तमाचा जड़ दी होती लेकिन शालू बदल चुकी थी जवानी उसके ऊपर पूरी तरह से छा चुकी थी। इसलिए वह सिर्फ शर्मा कर अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली,,,, देखते ही देखते रघु अपनी बहन की सलवार की डोरी को खोल दिया,,, रघु के लिए यह पल बेहद अद्भुत थाक्योंकि रघु ने अभी तक इस पल के बारे में कभी कल्पना भी नहीं किया था और ना ही सालु ने लेकिन आज दोनों अपने अंदर दबी वासना को मिटाने के लिए इस पल का मस्ती के साथ आनंद ले रहे थे शालू की दिल की धड़कन बड़ी तेज चल रही थी जो कि रघु को उसके ऊपर नीचे उठती बैठती हुई चुचियों को देखकर अंदाजा हो रहा था,,,रघु अपनी बहन की सलवार उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर देना चाहता था और इसीलिए वह अपनी बहन की सलवार को दोनों हाथों से पकड़कर नीचे की तरफ खींचने को हुआ कि शालू की भारी भरकम गोलाकार नितंबों के दबाव के नीचे सलवार होने के कारण नीचे की तरफ नहीं आ पाई तो साले ही अपने भाई की मदद करते हुए अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर उठा दी जिससे रघु को उसकी सलवार उतारने में आराम रहे और जैसे ही शालू अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाई रघु इस मौके का फायदा उठाते हुए सलवार को एक झटके से खींच कर घुटनों तक कर दिया,,,,, दोनों टांगों के बीच शालू की रसीली दूर पूरी तरह से अपना असर दिखा रही थी रघु तो अपनी बहन की मदमस्त गुलाबी बुर को देखकर पागल हो गया,,, क्योंकि उसकी बुर केवल एक पतली सी रेखा की शक्ल में थी जिसके आसपास का हिस्सा रोटी की तरह फुली हुई थी रघु के लिए यह पल बेहद अतुल और अद्भुत था जिसकी किसी भी पल के साथ तुलना कर पाना मुश्किल था और रघु इस अतुल्य कल का लाभ उठाते हुए एक झटके में अपनी बहन की सलवार को घुटनों से नीचे खींच कर उसके बदन से अलग कर दिया,,, अब छत पर शालू एकदम नंगी हो गई थी वह शर्मा रही थी ,, बेहद अजीब पल था उसके लिए,,,छत पर उसकी मां भी गहरी नींद में सो रही थी और ऐसे में वह अपने भाई के साथ पूरी तरह से नंगी होकर रंगरेलियां मनाने की तैयारी में थी यूं तो उसका दिमाग यह सब करने की गवाही नहीं दे रहा था लेकिन तन बदन की जरूरत और प्यास के आगे वह अपने घुटने टेक चुकी थी इसलिए जैसा रघु करता गया पैसा करती रही,,,अब वह संपूर्ण रूप से अपनी मदमस्त जवानी को और अपने आपको अपने भाई के हाथों में सौंप चुकी थी,,,।
रघु के दिल की धड़कन बड़ी तेज चल रही थी दोनों में किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था बस दोनों एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर आगे की कहानी लिख रहे थे,,,,रघु अपनी बहन की पूर्व को अपने होठों से छूने की लानत को दबा नहीं पाया और अगले ही पल वह अपनी बहन की जांघों के बीच अपना मुंह डाल दिया और जैसे ही सालों को अपनी बुर के ऊपर अपने भाई के होंठों का स्पर्श हुआ वो एकदम से कसमसा गई वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और वह तुरंत अपना हाथ आगे की तरफ लाकर अपने भाई के सिर को पकड़ कर उसे अपने पेड़ के ऊपर और ज्यादा दबा दी,,,,
सससहहहह आहहहहहह,,,,,, रघु,,,,,,

रघु के लिए अपनी बहन की तरफ से मिलने वाला इशारा काफी है और वह पागलों की तरह अपनी बहन की कोरी बुर पर अपने होंठ और जीभ से दस्तखत करने लगा,,,।जिसकी स्याही उसे अपनी ही बहन की बुर की दरार से निकलकर प्राप्त हो रही थी,,,, और देखो अपनी बहन की बुर पर तब तक दस्तखत करता रहा जब तक की पूरी कहानी से उसकी कोरी बुर भर नहीं गई,,,,, शालू चाह कर भी खुलकर सिसकारी नहीं ले पा रही थी,,, लेकिन आनंद के महासागर में पूरी तरह से डुबकी लगा रही थी,,,।अपनी बहन की बुर से लगातार हो रहे बहाव को देखकर रघु को समझते देर नहीं लगी कि अब उसकी बहन पूरी तरह से चुदवाने के लिए तैयार हो चुकी है,,,,किस लिए वहां अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना दिया वह जानता था कि रास्ता कठिन है लेकिन एक बार सही रास्ता का पता चल जाए तो मंजिल मिलने में देर नहीं होगी,,,।

धीरे से भैया तेरा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है,,,
(इस बार उत्तेजना के मारे शालू के मुंह से भी अश्लील शब्द निकलने लगा जो रघु के कानों में पड़ते ही मिश्री की तरफ घूल रहा था,,,)

तुम चिंता मत करो दीदी उसी पर बैठाकर तुम्हें जन्नत की सैर कराऊंगा बस थोड़ा सा सब्र करो,,,(और इतना कहने के साथ ही रघु अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाकर उसे पूरी तरह से गिला कर लिया,, थोड़ा सा थुक अपनी बहन की बुर पर भी लगा दिया,,,लेकिन अपनी बहन की बुर में लंड डालने से पहले वह अपनी एक उंगली अपनी बहन की बुर में डालकर अपने लिए रास्ता बना रहा था क्योंकि उंगली से ही शालू एकदम मदहोश होने लगी थी और बार-बार अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी,, अब घोड़ा दौड़ने के लिए तैयार था लेकिन कहां दौड़ना है बस यह तय करना था इसलिए रघु बिल्कुल भी देर ना करते हुए अपने लंड को पकड़ कर उसके गर्म सुपाड़े को अपनी बहन की गुलाबी बुर पर रखकर हल्के से दबाव दिया,,,,

आहहहहहह,,,,, धीरे,,,,,(शालू गहरी सांस लेते हुए बोली)

रघु रघु अपनी बहन की बातों को अनदेखा करते हुए अपने लंड की सुपाड़े को अपनी बहन की बुर में डालने मैं पूरी मेहनत दिखा रहा था,,, और ऊसकी मेहनत रंग ला रही थी देखते ही देखते रघु के लंड का सुपाड़ा शालु की बुर में प्रवेश कर गया,,,, सालु दर्द से बिलबिला उठी,,, क्योंकि रघु का पूरा सुपाड़ा बुर के अंदर घुस चुका था,,,। शालू चिल्लाना चाहती थी उसे बेहद दर्द हो रहा था लेकिन तभी रघु कुर्ती दिखाता हुआ अपनी बहन के मुंह को अपने हाथ से बंद कर लिया और धीरे से बोला,,,

चिल्लाना मत दे दे नहीं तो मजा आ जाएगी और फिर हम दोनों को इस हाल में देख कर हम दोनों को मार डालेगी बस थोड़ा सा और झेल लो उसके बाद मजा ही मजा है,,,,,।
(शालू अपने भाई की सुनकर और मान कर मजे लेने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी इसलिए अपने दांतो को आपस में दबाकर अपनी सिसकारी और दर्द से कराहने की आवाज को दबाए हुए थी,,,।
रघु फिर से अपने काम को आगे बढ़ाते हुए धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए अपने लिए जगह बनाने लगा बुर के अंदर चिकनाहट बढ़ती जा रही थी जिससे धीरे धीरे रघु का मोटा लंड शालू की मखमली बुर की दीवारों से टकराती हुई अंदर की तरफ जाने लगी थी।
दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे चांदनी रात में शीतल हवा का झोंका भी उन दोनों के बदन को ठंडक नहीं दे पा रहा था क्योंकि शालू की गर्म जवानी रघु के तन बदन को पिघला रही थी,,,, सालु बड़ी मुश्किल से अपनी अच्छी को को दबाए हुए थी आखिरकार रघु की हिम्मत और सालु का धैर्य रंग लाने लगा और देखते ही देखते रघु का मोटा तगड़ा और लंबा लंड शालू की बुर की गहराई में पूरी तरह से खो गया,,,,

पूरा घुस गया दीदी,,,,
अपनी भाई की यह बात सुनकर शालू को यकीन नहीं हो रहा था इसलिए अपना सर उठाकर वह अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो सच में रघु का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की गहराई में खो गया था,, मन ही मन शालू खुश होने लगी अब चुदाई का समय आ चुका था और रघु धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,दो दो औरतों की चुदाई कर चुका रघु अच्छी तरह से जानता था की चुदाई कैसे की जाती है,,,,,इसलिए वह अपनी बहन को दुनिया के सबसे बेहतरीन और अद्भुत सुख से परिचित कराना चाहता था इसलिए अपनी कमर को धीरे धीरे हिलाना शुरू कर दिया था दोनों की उत्तेजना का ठिकाना ना था क्योंकि दोनों अपनी मां की मौजूदगी में चुदाई का आनंद ले रहे थे यह बात और थी कि उसकी मां गहरी नींद में सो रही थी लेकिन फिर भी दोनों की हिम्मत की दाद देनी पड़ रही थी कि दोनों जवानी की जोश में यह भी भूल गए थे कि वह लोग खुले छत पर अपनी मां की मौजूदगी में इस तरह के काम क्रीड़ा का आनंद ले रहे हैं जो कि किसी भी वक्त उसकी मां की नींद खुल सकती थी,,,,।
कुछ देर पहले दर्द से बिलबिला रही सालू मस्ती भरी आवाज निकालने लगी थी लेकिन दबी दबी आवाज में,,, जोर से आवाज ना निकल जाए इसलिए रघु अपने होंठ को उसके होंठ पर रखकर उसे चुंबन का आनंद दे रहा था और उसकी दोनों चुचियों को दोनों हाथ से पकड़ कर दबा भी रहा था,,,, दोनों मस्ती के सागर में पूरी तरह से मस्त हो चुके थे। शालू को बहुत मजा आ रहा था वह खुल कर बोलना चाहती थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी रघु की कमर तेज रफ्तार से ऊपर नीचे होना शुरू हो गई थी कुछ देर पहले शालू को यह लग रहा था कि उसकी छोटी सी बुर में उसके भाई का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसके अंदर नहीं घुस पाएगा लेकिन इस समय बड़े आराम से वह अपने भाई के लंड अपनी बुर की गहराई नपा रही थी,,,,

तकरीबन आधे घंटे की जबरदस्त चुदाई के बाद दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में लेकर कसके प्यार करने लगे और रघु अपने लंड को बड़ी तेजी से अपनी बहन की बुर के अंदर बाहर करने लगा और देखते ही देखते दोनों का गर्म लावा एक साथ बहने लगा,,, शालू को अपने भाई के नंबर से निकले ही पिचकारी की तेज धार अपनी बुर की गहराई में बड़े अच्छे से महसूस हुई थी,,, और उसे महसूस करके वह पूरी तरह से सिर्फ रह चुकी थी,,, संभोग में इतना आनंद आता है यह बात चालू को अब जाकर पता चल रही थी जिंदगी में पहली बार बार संभोग सुख का आनंद लेती और वह भी अपने छोटे भाई के साथ मिलकर रघु भी बेहद खुश था अपनी बड़ी बहन की चुदाई करके क्योंकि अब से चुराई करने का जुगाड़ उसे अपने घर में ही मिल चुका था जब चाहे तब अपनी बहन को चोद कर अपनी प्यास बुझा सकता था,,,,

सालु धीरे से अपने सारे कपड़े पहनकर वापस अपनी मां के बगल में जाकर सो गई।
Rashbhari update mitr
 

Nevil singh

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सुबह रघु की नींद खुली तो,,, छत पर न तो उसकी बात ही और ना ही सालों दोनों अपने-अपने काम में लगे हुए थे,,, रात देर तक जागने की वजह से अभी भी उसकी आंखों में नींद गहराई हुई थी इसलिए वापस करके वही लेटा रहा,,, सर पर धुप पड़ते ही,,, वह उठा और नीचे कमरे में जाकर खटिया पर सो गया,,, लेकिन अब उसे नींद नहीं लग रही थी रात का हर एक पल उसकी आंखों के सामने सपने की तरह घूम रहा था,,,अपनी बहन के साथ शारीरिक संभोग करके वह बेहद खुश नजर आ रहा था अब वह खटिया पर पड़ा पड़ा बस अपनी बहन के बारे में सोचने लगा,,,उसे वह पल अच्छी तरह से याद था जब वह अपनी बहन की कुंवारी बुर के अंदर अपना मोटा तगड़ा लंड डाल रहा था जो कि हलवाई की बीवी और रामू की मां की चुदाई कर के अनुभव से भर चुका था,,,,, अपनी बहन की बुर में डालते समय रघु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी बहन अब तक पूरी तरह से कुंवारी थी अब तक उसकी बुर के अंदर किसी दूसरे मर्द का लंड प्रवेश नहीं कर पाया था इसलिए वह अपने आप को खुश किस्मत समझ रहा था कि उसकी बहन कि बुर में लंड डालने वाला पहला मर्द था,,,,, इस बात का भी पता उसे शायद नहीं चल पाता लेकिन वह हलवाई की बीवी और रामू की मां की बुर के अंदर अपना लंड डालकर उसके अंदर के अनुभव के एहसास को अच्छी तरह से समझ चुका था,,, दोनों औरतें थी और साथ में दो बच्चों की मां जिससे उनकी पुर इतनी टाइट नहीं थी जितने कि उसकी खुद की बहन की बुर थी,, इस बात से अंदाजा लगा चुका था कि उसकी बहन पूरी तरह से कुंवारी थी वरना किसी का लंड उसकी बुर में गया होता तो उसके लंड के आकार का सांचा बन चुका होता और उसे अपना लंड उसकी बुर में प्रवेश कराने में इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती,,,,,। लेकिन रघु बेहद खुश था उसे अपनी बहन कीमत मस्त जवानी का स्वाद चखने को जो मिला था और वह भी बड़ी बहन की,,,वह अपनी बहन के बारे में सोच कर ही पूरी तरह से मस्त हो गया और देखते ही देखते उसका लंड एक बार फिर से पूरी तरह से खड़ा होकर छत की तरफ देखने लगा,,,,,रघु एक बार फिर से अपनी टावल को अपनी कमर से हटाकर अपने खड़े लंड को हीलाना शुरू कर दिया,,, अपनी बहन के मस्त ख्यालों में खो गया वैसे तो वह छत से नीचे आकर कमरे में कम से कम दो-तीन घंटा आराम से सोता रहता था लेकिन आज उसे नींद नहीं आ रही थी रात को भी वह अपनी बहन की चुदाई करते हुए जागा हुआ था और इस समय भी अपनी बहन के बारे में सोच कर सो नहीं रहा था वह अपनी बहन को एक बार फिर से चोदना चाहता था,,,व चित्र से जानता था कि उसकी बहन कमरे में उसे जगाने के लिए जरूर आएगी और वही सही मौका था एक बार फिर से उसे अपने लंज का स्वाद चखाने का,,,,
दूसरी तरफ उसकी बहन शालू रसोई पका रही थी लेकिन उसका ध्यान बिल्कुल भी रसोई में नहीं था,,, वो रात को अपने भाई के साथ खुदाई करवाकर इतनी मस्त हो गई थी कि अभी तक उसे अपनी बुर गीली महसूस हो रही थी,,,उसे अपने भाई की एक-एक हरकत याद आ रही थी कैसे वह उसकी चूची को कुर्ती के ऊपर से दबाकर उसे बहका रहा था,,,कैसे अपना हाथ उसकी हाथ पर रख कर अपने खड़े लंड को हिलाने का आनंद ले रहा था,,,अपने भाई के मोटे तगड़े लंबे लंड की गर्माहट ऊसे अभी तक अपनी हथेली पर महसूस हो रही थी,,,, तवे पर फुल टी वी रोटी को देख कर उसे इस बात का अंदाजा लग गया था कि उत्तेजित होने के बाद उसकी बुर भी उसी तरह से फुलकर रोटी की तरह हो गई थी,,,तभी शालू को वह पल याद आ गया जब उसका भाई उसकी दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डालकर उसकी बुर के ऊपर अपने होंठ रख कर उसे चाट रहा था,,,, वापस चालू के लिए अविस्मरणीय आवरणीय और अद्भुत था जिंदगी में वह कभी कल्पना भी नहीं की थी कि औरतों की बुर को कोई मर्द इस तरह से चाट सकता है जो कि सोच कर ही थोड़ा खराब लगता है लेकिनउसे इस बात से भी इनकार नहीं था कि जिस तरह से उसका भाई उसकी बुर को चाट रहा था वह पल उसके लिए बेहद सुखद था इस तरह के सुख कि उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,एक तरह से उसके भाई ने उसे स्वर्ग का सुख दिया था जिसे भोग कर वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,। तवे पर शेंका रही रोटी को गोल-गोल घुमाते हुए अपने भाई के बारे में सोच रही थी,,,उसका भाई इतना तेज तर्रार होगा इस बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी उसे तो यही लगता था कि उसका भाई एकदम नादान होगा लेकिन उसके सोच के मुताबिक उसका भाई बहुत तेज निकला अगर उसका भाई अपना हाथ आगे बढ़ाकर पहल ना किया होता तो शायद वो इस अद्भुत सुख से वंचित रह जाती,,, इसलिए उसे अपने भाई पर ढेर सारा प्यार आ रहा था अब उसके लिए भी यह अद्भुत सुख बार-बार प्राप्त करना आसान हो चुका था,, क्योंकि उसकी चुदाई करने वाला घर मे हीं था और इस समय भी उसकी बुर अपने भाई के लंड को लेने के लिए कुल बुला रही थी,,,,, अच्छी तरह से जानती थी कि अंदर कमरे में उसका भाई सो रहा होगा वह अंदर जाना चाहती थी खटिए पर अपने भाई के साथ अपनी जवानी की गर्मी को शांत करना चाहती थी लेकिन अभी ऐसा मुमकिन नहीं था क्योंकि घर में उसकी मां मौजूद थी जो कि समय नहा रही थी,,,, अंदर कमरे में रघु और बाहर शालू दोनों के बदन में एक दूसरे के मिलन के लिए आग लगी हुई थी,,, उसे जिस पल का इंतजार था वापस जल्दी ही आ गया उसकी मां जल्दी से नहा कर अपने कपड़े पहन कर खेत में जाने के लिए तैयार हो गई,,, और देर में आने का कहकर का घर से निकल गई,,, बस फिर क्या था शालू जल्दी से रसोई का काम समेट कर दबे कदमों से अंदर के कमरे में जाने लगी,,,एक बार फिर से अपनी बहन के पायल की आवाज कानों में पड़ते ही रघु एकदम से प्रसन्न हो गया वह समझ गया कि उसकी बहन अंदर आ रही है और वह अपने लंड को हीलाना शुरू कर दिया,,, जैसे ही सालु अंदर के कमरे के दरवाजे पर पहुंची तो अपनी भाई तो अपना लंड हिलाता हुआ देखकर एकदम से उत्तेजित और खुश हो गई,,, वह बड़े ही मादक स्वर में बोली,,,।

लगता है तू मेरा ही ईंतजार कर रहा था,,,,


तभी तो लंड खड़ा हो गया,,,,

वह तो मैं देख ही रही हूं बड़ी जल्दी तेरा खड़ा हो जाता है,,

क्या खड़ा हो जाता है दीदी,,,,


हमें यह नहीं कहने वाले की क्या खड़ा हो जाता है लेकिन तो अच्छी तरह से जानता है कि मैं किस बारे में कह रही हूं,,,


तुम कहोगी तो और अच्छा लगेगा,,,


क्यों ऐसा क्या बात है जो मैं कहूंगी तो अच्छा लगेगा,,,

तुम्हारे मुंह से मुझे सुनना है क्योंकि लड़कियों के मुंह से मैं कभी इस तरह के शब्द सुना नहीं हूं इसलिए,,,
(अपने भाई के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर शालू मंद मंद मुस्कुरा रही थी उसे अपने भाई की यह सब बातें बड़ी अच्छी लग रही थी,,,)

देख रही हूं तो बहुत तेज हो गया है मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि तू इतना बड़ा हो जाएगा,,,,


मैं तो बड़ा हो गया हूं दीदी लेकिन मेरे साथ साथ मेरा,,,(अपने लंड की तरफ आंखों से इशारा करके और हाथ मिली हुआ लंड शालू की तरफ बढ़ाते हुए) लंड भी बड़ा हो गया है,,,और सही कहु दीदी तो अगर मैं तेज ना होता तो तुम्हारी खूबसूरत बुर चोदने को नहीं मिलती,,,


तू मेरे सामने ईतनी गंदी गंदी बातें करता है तुझे शर्म नहीं आती,,,,


वह कहते हैं ना दीदी जिसने किया शर्म उसके फूटे करम घर में भी शर्म किया होता तो शायद मेरी किस्मत में तुम्हारी बुर चोदने को ना लिखा होता,,,।


बहुत चालाक हो गया है तू,,,,

तुम भी कम नहीं होती थी तुम्हारी हरकतों की वजह से मैं बड़ा हो गया हूं,,, ऐसे ही चोरी-छिपे मकमरे में आकर मेरे लंड को अपने हाथ से हिला कर मुझे उत्तेजित करती थी,, तुम्हारी नरम नरम उंगलियों का स्पर्श पाकर मेरा लैंड और ज्यादा कठोर होने लगा था तभी मैं अपना मन बना लिया था कि मैं तुम्हारी चुदाई करके रहूंगा,,,,
(शालू दरवाजे पर खड़े होकर मुस्कुरा रही थी,,, उसे अपने भाई के चलाकि पर गर्व हो रहा था,,, तभी रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

मां चली गई क्या दीदी,,,,

मां चली गई तभी तो मैं यहां आई हूं,,,,(शालू अपनी दोनों टांगों के बीच सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को उत्तेजना के मारे मसलते हुए बोली,, देख कर रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और वह बोला,,,)

तो देर किस बात की है दीदी आ जाओ,,,,(रघु अपना लंड मुठीयाता हुआ बोला,,, पर अपने भाई की बात सुनकर शालू एक बार बाहर की तरफ नजर डालकर देखने लगी कि कहीं कोई है तो नहीं और पूरी तरह से तसल्ली करने के बाद वह दरवाजे पर लगे पढ़ते को पूरी तरह से लगाकर बंद कर दी वैसे भले ही वो दरवाजे पर खड़ी थी लेकिन अंदर के कमरे में दरवाजा नहीं था बस केवल एक पर्दा ही लगा हुआ था,,, और वह मुस्कुराते हुए रघु की तरफ आगे बढ़ने लगी रघु अभी भी अपना लंड हीला रहा था,,, और शालू ललचाए आंखों से रघु के लंड की तरफ देख रही थी,, उसे देखते ही उसकी बुर में चीटियां रेंगने लगी वह एक बार फिर से अपने भाई के लंड को अपने पूर्व में लेकर तृप्त हो जाना चाहती थी,,,,)

देख क्या रही हो दीदी अपने हाथ में पकड़ो,, यही करने के लिए तो तुम कमरे में आती थी,,,,


सच में बहुत मोटा है रे तेरा,,,,(शालू खटिए पर अपनी गांड दिखा कर बैठते हुए बोली,,) अभी तक मेरी बुर दर्द कर रही है,,,,

आहहहहहह,,, देखो कितना अच्छा लगता है तुम्हारे मुंह से बुर सब्द सुनना,,,,

(अपने भाई की बातें सुनकर शालू मुस्कुरा दी क्योंकि वह अभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके मुंह से यह सब मदहोशी के आलम में निकल गया था वरना वह ईस शब्द का प्रयोग करना नहीं चाहती थी,,,, तभी वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भाई के खड़े लंड को थाम ली और जोर से उसे दबा दी,,,)

सहहहहहहह ,,,,,दीदी,,,,,,ऊफफफ,,,,,


मजा आ रहा है क्या तुझे,,,,

बहुत मजा आ रहा है दीदी इतना मजा कि पूछो मत,,,, बस इसे अब हीलाती रहो,,,
(अपने भाई की मस्ती में बंद आंखों को देखकर शालू के तन बदन में सुरूर छाने लगा और वह अपने भाई के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था उसकी गर्माहट उसके तन बदन को पिघला रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति कुछ ज्यादा ही खराब होती जा रही थी,,,, तन बदन में कसमसा हट जा रही थी उसे अपने भाई के लंड को हिलाने में मजा आ रहा था,,,, रघु के तन बदन में उत्तेजना का जीवन कुछ ज्यादा ही ऊंचा उठ रहा था शरीर का तापमान बढ़ता जा रहा था,,, शालू काम उत्तेजना के मारे खुला का खुला रह गया था और वहां गहरी गहरी सांसे ले रही थी शालू की ऊपर नीचे हो रही चुचियों को देख कर रघु का लालच बढ़ने लगा और अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की चूची को कुर्ती के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया,,,लेकिन शालू अपने मन में यही चाहती थी कि उसका भाई उसकी चूचियों को अच्छे से दबाए इसलिए वह कुछ देर के लिए अपने भाई की लंड को छोड़कर अपनी कुर्सी को अपनी बाहों से निकालकर अलग करती और अपनी संतरे जैसे चूचियों को अपने भाई के सामने नंगी करके परोस दी,,, और मादक स्वर में बोली।

अच्छे से दबाओ,,, जी भर के खेलो मेरी चूची के साथ,,,

फिर क्या था रघु के हाथों में सीजन का पहला दशहरी आम आ चुका था जो कि इस समय टिकोरा लिए हुए था लेकिन रघु चित्र से जानता था टीकोरों की अच्छी तरह से देखभाल करने के बाद ही वह बड़े ही अच्छे किस्म के दशहरे पके हुए आम बनते हैं,,,,और इसलिए रखो अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को दबाना शुरू कर दिया,,,,,

ओहहहहह,,,, दीदी लाजवाब है तुम्हारी चूचियां,,,, बहुत मजा आ रहा है दीदी,,,,

ससहहहहहह,,,आहहहहहहह,,,,, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है दबा दबा कर इसका रस निकाल डाल तेरे हाथों में मेरी चूचियां कितनी अच्छी लग रही है,,,( अपने भाई के खड़े लंड को हिलाते हुए शालू बोली,,,,। दोनों अपने अपने तरीके से एक दूसरे के नाजुक अंगों से आनंद ले रहे थे,,, रघु अपनी बहन की चूची को मुंह में लेकर पीना चाहता था इसलिए कमर के ऊपरी हिस्से को उठाते हुए अपना चेहरा वह अपनी बहन की छातियों की तरफ ले आया,,, शालू की अच्छी तरह से समझ गए कि उसका भाई क्या करना चाहता है इसलिए थोड़ा सा अपने भाई की तरफ झुक गई जिससे उसके भाई को आसानी हो और रघु मौका देखते ही तुरंत लपक कर अपनी बहन की संतरे जैसी सूची को अपने मुंह में गप्प से भर लिया और उसे चूसना शुरु कर दिया,,,, अपनी भाई की इस हरकत पर शालू की गरम सिसकारियां गूंजने लगी वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस समय घर में हूं दोनों किसी का तीसरा कोई इसलिए वह बड़ी मस्ती के साथ गर्म सिसकारी ले रही थी,,,,, रघु पागलों की तरह अपनी बहन की चूची को दशहरी आम समझ कर उसका रस निचोड़ रहा था,,,,, कभी दाएं चूची को तो कभी बांए चूची को अपने मुंह में भर कर दोनों का स्वाद एक साथ ले रहा था,,,,,, दोनों को मजा आ रहा था शालू बार-बार अपनी दोनों चूचियों की तरफ देख ले रही थी जो कि उसके भाई के मुंह में पूरी तरह से समाई हुई थी उसके भाई ने चुचियों पर मेहनत करके उसे लाल टमाटर की तरह कर दिया था शालू खुद उत्तेजना के मारे एकदम लाल हुए जा रही थी,,,वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि जिसके सामने कपड़े बदलने में उसे शर्म आती थी एक दिन उसको खुद अपने हाथों से अपनी चूची पीलाएगी,,,, वक्त हालात को बदल देता है यह बात शालू अच्छी तरह से समझ गई थी,,,,

कुछ देर तक यूं ही रघु अपनी बहन की रसीली चुचियों का रसपान करता रहा,,,, और थोड़ी देर बाद वह अपनी बहन से बोला,,,

दीदी ईससे भी ज्यादा मजा लेना चाहती हो,,,,

हारे मजा लेने के लिए तो मैं तेरे पास आई हूं,,,(शालू को लगा कि अब उसका भाई उसकी चुदाई करेगा लेकिन उसकी बात सुनते ही एकदम दंग रह गई,,,)

इसे एकबार अपने मुंह में लेकर चूसो दीदी,,,(रघु अपने लंड को पकड़ कर अपनी बहन की तरफ हिलाते हुए बोला)

धत्,,,,, ऐसा कहीं होता है क्या पागल हो गया है तू,,,(शालू शरमाते हुए बोली,,,)

अरे होता है ना दीदी,,, क्यों नहीं होता ,,,(रघु तुरंत उठते हुए बोला,,,)


नहीं नहीं कितना गंदा लगता है मुझसे नहीं होगा,,,(शालू शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेरते हुए बोली शर्माते हुए और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी खास करके दुसरी तरफ मुंह फेर लेने की वजह से उसकी दोनों नंगी चूचियां और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी जिसे देख कर रघु के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर एक बार फिर से उसकी दोनों चूचियों को थामकर दबाते हुए बोला,,,)

होगा दीदी और बहुत अच्छी से होगा मुझे पूरा विश्वास है और देखना तुम्हें भी बहुत मजा आएगा,,,(रघु अपनी बहन की चूचियों से खेलता हुआ उसे समझाते हुए बोला,,,लेकिन उसकी बहन समझने को तैयार ही नहीं थी और उसने सालु की कोई गलती नहीं थी,, बहुत सीधी-सादी लड़की थी वह तो रघु के मोटे तगड़े खड़े लंड के दर्शन करने के बाद उसकी सोच में बदलाव आया था और वह बहककर अपने भाई के साथ चुदाई का आनंद ले रही थी,,, उसे बस इतना ही समझ में आता था कि मर्द औरत की बुर में लंड डालकर चोदते हैं बस इससे ज्यादा चुदाई के बारे में उसे कुछ पता नहीं था,,,रघु का उसकी दोनों चूचियों को मुंह में लेकर पीना उसे चूसना और उसकी बुर पर अपना मुंह लगाकर उसे चाटना यह सब उसे आकस्मिक लग रहा था। उसे वास्तव में इस बात का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था कि संभोग में औरतों के अंगों से खेलते हुए उसकी बुर को चटना और मर्दों के लंड को मुंह में लेकर चूसना भी संभोग सुख का एक भाग है,,,उसे तो यह सोचकर ही घीन्न आ रही थी कि मर्दों के लंड को मुंह में लेकर कैसे चुसा जाएगा,,,उससे तो पेशाब करते हैं लेकिन यह बात मैं भूल गई थी कि उसके जिस कोमल अंगों को उसका भाई अपने मुंह में लेकर उसे चाट कर उसे अद्भुत सुख का अहसास कराया था,,, उस अंग से भी औरतें पेशाब करती है,,,,,, लेकिन रघु कम नहीं था,,,अपने मन में ठान लिया था कि अपने लंड को उसकी बहन के मुंह में डालकर ही रहेगा,,, चाहे जो हो जाए इसलिए अपनी अपनी बात मनवाने की कोशिश करता हुआ आगे बढ़ रहा था,,।
अपनी बहन की चूची दबाते हुए बोला,,,,।

दीदी मुझ पर भरोसा रखो तुम यह मत सोचो कि लंड से पेशाब किया जाता है तो यह गंदा हो गया,,,यही लंड तुम्हारी बुर में जाकर तुम्हें जन्नत का मजा भी देता है यह क्यों भुल रही हो, तो सोचो मुंह में लेने में कितना मजा आता होगा,,,
(रघु अपनी बहन की चूची की किसमिस के दानों को अपनी उंगलियों के बीच रगडते हुए बोला,,, और अपनी भाई की इस हरकत की वजह से शालू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुट रही थी उसका बदन कसमसा रहा था,,)

मुझे डर लगता है,,,


इसमें डरने वाली कौन सी बात है दीदी सोचो,,तुम्हारी बुर का छेद तो मुंह के छेद से छोटा ही होता है फिर भी कितने आराम से चला जाता है,,,,

लेकिन,,,,


अब लेकिन वेकिन कुछ भी नहीं दीदी,,,,(अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर अपनी बहन की तरफ बढ़ाते हुए) अब जल्दी से इसे मुंह में ले लो मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,

(शालू बड़े गौर से अपने भाई के खड़े लंड को देख रही थी वह पूरी अपनी औकात में था एकदम कड़क मानो कि जैसे कोई लोहे की छड़ हो जरा सा भी ढीलापन उसमें नहीं था,, और बिल्कुल ऐसा ही तो औरतों को चाहिए होता है उनकी तृप्ति के लिए,,,, रघु के इतना समझाने के बाद शालू के भी मन में हो रहा था कि अपने भाई के लंड को मुंह में लेकर देखना चाहिए उसे चूस कर उस का आनंद लेना चाहिए वह भी देखना चाहती थी कि आखिरकार मोटे तगड़े लंड को मुंह में लेकर चूसने में औरतों को कैसा महसूस होता है,,, उसके मन में भी लालच आ रही थी साथ ही टांगों के बीच की पतली दरार उसे अपने अंदर लेने के लिए कुल बुला रही थी,, अब फैसला शालू के हाथों में था अपने भाई के लंड को सबसे पहले अपने मुंह में लेना था या अपनी बुर,,, यह उसे तय करना था,,, आखिरकार संभोग के सुखद एहसास के ऊपर उत्सुकता की जीत हो गई और शालू अपना मन बना कर अपने भाई के लंड को पकड़कर उसकी तरफ अपने देहकते हुए होठों को ले जाने लगी,,, यह देख कर रघु कि तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,आखिरकार वह भी देखना चाहता था कि उसका लंड चूसते हुए उसकी बहन कैसी दिखती है,,,और जैसे ही अपनी बहन के प्यासे होंठों का स्पर्श उसे अपने लंड़के सुपाड़े पर हुआ वह पूरी तरह से झुम गया,,,, एक साथ उसके तन बदन में सूर के सारे तरंग बजने लगे,,, वह पूरी तरह से अपनी बहन के काबू में हो गया,,, अभी तक शालू अपने होठों से लंड की सुपाडे का स्पर्श कर रही थी,, लेकिन अपने होठों से लंड का स्पर्श करते ही उसके तन बदन में भी आग लग गई थी जैसा कि उसके भाईने उसे बताया था कि लंड को मुंह में लेकर चूसने में बहुत मजा आता है तो वह भी अपने आप को कुछ एहसास में पूरी तरह से डूबा देना चाहती थी,,इसलिए देखते ही देखते हो अपनी जी बाहर निकाल कर अपने भाई के लंड को चाटना शुरू कर दी,,,, थोड़ी ही देर में शालू को भी मजा आने लगा रखो तो पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था उसकी आंखों में 4 बोतलों का नशा छा रहा था,,,शालू की मस्ती जैसे-जैसे बढ़ रही थी अपने भाई के लंड को पूरा मुंह में लेने की उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी,,और देखते ही देखते शालू कब अपने भाई के समुचे लंड को अपने प्यासे होठों के बीच लेते हुए ऊसे अपने गले की गहराई में उतार ली है उसे भी पता नहीं चला,, अब शालू के आनंद की पराकाष्ठा बढ़ती जा रही थी उसे मज़ा आ रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मर्दों के लंड को मुंह में लेकर चूसने में औरतों को इतना अत्यधिक आनंद की प्राप्ति होती है,,,,, प्रभु अपनी खुली आंखों से इस अकल्पनीय दृश्य का मजा ले रहा था सानू भी अपनी आंखों को खोल करअपने भाई के चेहरे के बदलते हाव-भाव को देख रही थी वह पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, शालू को समझते देर नहीं लगी कि उसका भाई जो कह रहा था वह सत प्रतिशत सच था,,, रघु का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था इसलिए शालू को अपना पूरा मुंह खोल कर उसे अंदर लेना पड़ रहा था देखते ही देखते रघु अपनी कमर को ऊपर की तरफ ऊचकाने लगा,,, उसी मजा आ रहा था वह अपनी इस आनंद में और ज्यादा बढ़ोतरी करना चाहता था वह अपने मन में सोच रहा था कि अगर एक साथ लंड चुसआई और बुर चुदाई का मजा लिया जाए तो और ज्यादा मजा आएगा इसलिए वह मैं तो हूं उसी भरे स्वर में अपनी बहन से बोला,,,

अपनी सलवार भी उतार दो दीदी तब और ज्यादा मजा आएगा,,,,

अपनी भाई की बात सुनते ही शालू तुरंत खड़ी हुई और अपने सलवार की डोरी खोल कर अगले ही पल अपने सलवार को अपने बदन से अलग करके अपनी भाई की आंखों के सामने एकदम नंगी हो गई ,,,,अपनी बहन के नंगे जिस्म को देखकर आंखों की आंखों में वासना की लपटें उठने लगी,,अपनी बहन के नंगे बदन को देखकर वह पूरी तरह से जोश में आ गया,,,,वह बोला कुछ नहीं बस अपनी बहन की मदमस्त गांड को प्रीतो ना हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींचने लगा शालू भी कुछ बोल रही रही थी,, वह केवल अपनी मदहोश जवानी को अपने भाई के हाथों में सौंपती चली जा रही थी,,,, शालू को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भाई क्या करना चाहता है लेकिन अगले ही पल ऊपर अपने हाथों से अपनी बहन को अपनी स्थिति में लेते हुए उसके घुटनों को अपने कंधे के अगल-बगल रखकर उसकी रसीली बुर को अपने मुंह के ठीक आगे कर लिया और अपनी बहन के कंधे को पकड़कर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच झुकाने लगा,,,, देखते ही देखते सालुअपने भाई के लंड के करीब पहुंच गई अब उसे समझते देर नहीं लगी कि उसके भाई ने क्या किया है वह तुरंत रोमांचित हो कर उत्तेजित अवस्था में एक बार फिर से अपने भाई की लंड को पकड़ कर उसे तुरंत अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, अपने भाई के चलाकि पर शालू को प्रसन्नता हो रही थी,,, और रघु की अचानक ही इस आसन की खोज करके बेहद प्रसन्न था,,, रघु ने आज तक स्कूल की किताब हाथ में नहीं लिया था तो वात्सयन की कामसूत्र पढ़ने का उसे कहां मौका मिलता ,,,इसलिए इस आसन के बारे में वह बिल्कुल भी नहीं जानता था वह तो उसके दिमाग की उपज थी,,, लेकिन उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी बचा दोनों को आ रहा था रघु तो अपनी बहन की मदमस्त गोरी गोरी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे हल्के से फैलाते हुए अपनी प्यासे होठों को अपनी बहन की रसीली बुर पर रखकर उसके मदन रस को चाटना शुरू कर दिया।,,, इस आसन से रघु की जीभ शालू की बुर के अंदर तक जा रही थी,,, रघु पागल हुआ जा रहा था अपनी बहन की गोरी गांड पर जोर जोर से चपत भी लगा रहा था,, जिससे शालू के मुख से आह निकल जाती थी लेकिन उसे मजा भी बहुत आ रहा था,,, रघु उससे छोटा था लेकिन शालू समझ चुकी थी कि वह अपनी जवानी को एक अनुभवी हाथों में सौंप चुकी है,,, तभी तो छोटा होने के बावजूद भी उसका भाई एक संपूर्ण मर्द की तरह उसे मजा दे रहा था,,, रघु की सासे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, वह अपनी बहन की बुर में एक साथ अपनी दोहरी डालते हुए बोला,,,,।


सहहहहहहह,,,,, दीदी,,,,, आज देखना तुझे एकदम मस्त कर दुंगा,,,, रात की चुदाई से भी ज्यादा तुझे मजा दूंगा,,, देख तेरी मस्त जवानी मेरे हाथों में कैसे पीघल रही है,,,(वह अपनी बहन की मदन रस से भीगी हुई उंगली को बुर से बाहर निकाल कर उसे अपने होठों पर रखते हुए बोला,,, और उत्तेजना के मारे उसकी बहन अपनी गांड को उसके चेहरे पर पटकने लगी,, रघु एक ही रात में अपनी बहन की बुर की गोलाई बढ़ा चुका था उसके आकार में तब्दीली आ चुकी थी,,,,,और शालू को तो कुछ भी बोलने का मौका नहीं मिल रहा था क्योंकि वह अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल ही नहीं रही थी,,,, दोनों भाई बहन एक दम मस्त हो चुके थे अपनी मां की गैरमौजूदगी में वह अंदर वाले कमरे में पर्दा लगा कर जवानी का मजा खटिए पर लूट रहे थे,, रघु को लगने लगा कि उसका लैंड पानी फेंक देगा इसलिए वह अपनी बहन की बुर पर से अपना मुंह हटाते हुए उसे ऊपर की तरफ उठाकर अपने ऊपर से उतरने के लिए बोला,,,, शालू भी समझ गई थी कि अब उसकी चुदाई का समय आ गया है,,,, इसलिए वह भी अपने भाई का इशारा पाकर तुरंत अपने भाई के ऊपर से हट गई,,,, और अपने भाई की लंड की तरफ देखी तो वह पूरी तरह से उसके थुक से सना हुआ था,,,।

दीदी तूने तो अपनी पुर में लेने के लिए मेरे लंड को पूरी तरह से तैयार कर दी है अब देखना तेरी यह सेवा बेकार नहीं जाएगी मैं तेरी बुर की चुदाई करूंगा कि तू एकदम मस्त हो जाएगी,,,


हां भैया मैं भी यही चाहती हूं कि मुझे एकदम मस्त कर दे अपने लंड को मेरी बुर में डालकर ऐसी चुदाई कर की मै जिंदगी भर याद रखु,,,


ऐसा ही होगा दीदी अब देख मेरा कमाल,,,
(इतना कहते हुए अपनी बहन को पीठ के बल लेटने के लिए बोला और शालू खटिए पर बिछाए हुए बिस्तर पर लेटते हुए बोली)

देखना भाई कहीं खटिया टूट ना जाए तु तू बहुत जोर जोर से धक्के लगाता है,,,


तू खटिया की चिंता मत कर अपनी बुर की चिंता कर आज मैं तेरी बुर का भोसड़ा बना दूंगा,,,,

नाना ऐसा मत करना वरना शादी के बाद बिरजू को शक हो गया तो,,,


तू चिंता मत कर दीदी कुछ भी नहीं पता चलेगा,,,,
( और इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की दोनों टांगों को अपने हाथ से फैलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया,, एक बार फिर से रघु की बहन की बुर मुस्कुरा रही थी उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फूली हुई थी और रघु को अपनी बहन की बुर बेहद खूबसूरत और लाजवाब लग रही थी जिसकी तुलना शायद इस दुनिया में किसी और की बुर से हो नहीं सकती थी,,,,)

तैयार होना दीदी,,,
(जवाब में शालू बोली कुछ नहीं बस शर्मा कर अपनी नजर को दूसरी तरफ फैर ली,,,, और रघु अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसे सही दिशा दिखाते हुए अपनी बहन की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर टिका दिया,,, एक बार फिर से शालू मचल उठी,,,, और रघु मदहोश होने लगा यह पल एक मर्द के लिए बेहद उत्सुकता और उत्तेजना से भरा होता है जब वह किसी औरत को या लड़की को चोदने से पहले अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर पर रखता है,,, यह बिल्कुल इस तरह से होता है जब एक इंसान कमरे में दाखिल होने के लिए बाहर खड़ा होकर दरवाजे पर दस्तक देता है और देखना यही होता है एक ही अंदर वाला इंसान उसे आने की इजाजत देने के लिए अपना दरवाजा खोलता है या नहीं,,, अगर खोल दें तो सब कुछ सही वरना अपमान का घूंट पीना पड़ता है या निराश होकर वहां से चला जाना पड़ता है और यही रघु के साथ होने वाला था रघु एक तरह से अपनी बहन की गुलाबी बुर पर रखकर अपने लंड से उसके बुर के द्वार पर दस्तक दे रहा था,, और अपने भाई के लंड की दस्तक को शालू की रसीली चिकनी बुर पहचान गई और उसे अंदर की इजाजत देते हुए हल्की से अपनी जांघों को खोल दी,, रात की मुलाकात के बाद से साधु की बुर अपने भाई के लैंड से अच्छी तरह से परिचित हो चुकी थी,और रघु अपनी बहन की मुस्कुराती हुई बुर को देखकर उसके अंदर अपने लंड को प्रवेश करा दिया,,,,दोनों का मिलन बेहद गर्मजोशी से हुआ दोनों के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज एक साथ फुट पड़ी,,, और एक बार फिर से रघु कि कमर ऊपर नीचे होने लगी,,,,
अपने भाई के लंड को पाकर शालू एकदम मदहोश होने लगी उसकी आंखें अपने आप बंद होने लगी,,,रघु अपनी बहन के खूबसूरत बदन पर अपना अनुभव दिखाते हुए उसकी तनी हुई चूची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया और साथ ही अपनी कमर हिलाता हुआ अपनी बहन की चुदाई करना शुरू कर दिया,,रघु अपनी बड़ी बहन की चुदाई करती हुई बेहद प्रसन्न और उत्तेजित नजर आ रहा था उसके चेहरे के हाव-भाव बता रहे थे कि वह अपनी बहन को चोद कर एकदम मस्त हुआ जा रहा था,,, और यही हाल शालू का भी था तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में इस तरह का पल आएगा कि उसे अपने भाई से चुदवाना पड़ेगा लेकिन इस पल की हकीकत को जान कर वह पूरी तरह से रोमांचित और उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान थी उसे ऐसा सुख जिंदगी में कभी नहीं मिलने वाला था इसलिए अपनी दोनों टांगों को जितना हो सकता था उतना फैलाकर अपने भाई के लंड़कों अपनी बुर की गहराई में उतार लेना चाहती थी,,,,
और उसका भाई भी अपनी बहन की सोच पर खरा उतरता हुआ अपने लंड को उसकी बुर की गहराई तक उतार दे रहा था बार-बार लंड की ठोकर को शालु अपने अंदर के बच्चेदानी पर महसूस कर रही थी और ऐसा एहसास उसे स्वर्ग का सुख दे रहा था,,,,,, दोनों भाई बहन की मदहोश जवानी का भार कमजोर खटिया पर भारी पड़ रहा था इसलिए तो रघु के हर धक्के के खटिया में से चरर मरर की आवाज आ रही थी जो कि यह आवाज शालू और रघु दोनों की उत्तेजना को बढ़ा रहा था।

आहहहह आहहह७ आहहहरहह,,,, भैया और जोर से बहुत मजा आ रहा है भैया,,,,

मुझे भी बहुत मजा आ रहा है दीदी तेरी बुर कितनी मस्त है मेरा लंड तेरी बुर में एकदम कस्ता चला जा रहा है,,
आहहहहहह आहहहहहह,,, मैं पागल हो जाऊंगा दीदी बहुत मजा आ रहा है मुझे,,,,आहहहहहहह,,,(रघु अपनी बहन के दोनों संतरो को दोनों हाथों से दबाता हुआ बोला,,, शालू की अपनीकमर को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी वह अपने भाई का बराबर साथ दे रही थी,,,

सुबह के ठंडे मौसम में दोनों भाई-बहन पसीने से तरबतर हो चुके थे,, शुभम का मोटा गोलाकार लंड शालू की बुर को अपने आकार में ढाल लिया था,,,शुभम का मोटा लंड शालू की बुर की अंदरूनी दीवारों में एकदम रगड़ रगड़ के जा रहा था और आ रहा था जिससे शालू के आनंद में निरंतर बढ़ोतरी होती जा रही थी,,,, दोनों भाई बहन सुबह के समय कमरे में दरवाजा ना होने की वजह से पर्दा लगा कर जवानी का मजा लूट रहे थे और उनकी मां खेतों में काम कर रही थी इस बात से अनजान की उनकी पीठ पीछे उनके भाई बहन अपने पवित्र रिश्ते को तार-तार करते हुए एक दूसरे से चुदाई का मजा लूट रहे हैं,,,,

देखते ही देखते दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी रघु को समझते देर नहीं लगी कि उसकी बहन का पानी निकलने वाला है और यह एहसास ऊसे खुद भी हो गया था उसका भी पानी निकलने वाला था इसलिए वह अपने धक्कों में रफ्तार लाते हुए बड़ी तेजी से अपनी बहन को चोदना शुरू कर दिया,,, और देखते ही देखते उसकी बहन की बुर उत्तेजना के मारे चरम सुख को महसूस करते हुए अपनी बुर को सिकुड़ने लगी,,,,और देखते ही देखते ही साथ कुछ पल के साथ में दोनों की गर्म जवानी का लावा पिघलने लगा,,,शालू को अपने भाई की लंड से निकली हुई पिचकारी अपनी बुर के अंदर एकदम साफ महसूस हो रही थी,,, रघु अपनी बहन के ऊपर पसर गया और कुछ देर तक उसके ऊपर सोता ही रहा,,,,पर थोड़ी देर बाद दोनों खटिया पर से ऊठकर अपने काम में लग गए,,।
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