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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Nevil singh

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गांव का मौसम बिल्कुल साफ था आसमान में तारे टिमटिम आ रहे थे चांद अपनी पूरी आभा बिखेरे पूरे गांव में अपनी चांदनी लूटा रहा था जिसकी वजह से गांव का हर एक कौन है इस समय लगभग लगभग एकदम साफ नजर आ रहा था लेकिन जहां पर ललिया खड़ी थी वह पूरा मैदान था लेकिन वह एक छोटे से पेड़ के नीचे खड़ी थी जिसके नीचे खड़ी होकर वह अपने आप को पूरी तरह से सुरक्षित महसूस कर रही थी जबकि यह उसकी सबसे बड़ी गलती थी क्योंकि वह नहीं जानती थी कि 2 जोड़ी आंखें उसके हर एक हरकत पर बड़ी बारीकी से नजर रखे हुए हैं,,।
रामू का दिल बड़ी जोरों से धड़क रहा था,,, क्योंकि जिंदगी में पहली बार हुआ अपनी मां की मदमस्त गांड को देखने जा रहा था हालांकि वह भी अपनी मां को नहाते कपड़े बदलते देख चुका था लेकिन संपूर्ण रूप से उसकी मदमस्त नितंबों के भूगोल से वाकिफ नहीं था,,, जो चाह रघु के अंदर थी वही चाह रामू के अंदर भी पनप रही थी रघु तो अपनी मां की मदमस्त गार्ड के भूगोल से पूरी तरह से वाकिफ हो चुका था पहले ही पल भर के लिए ही सही लेकिन उसे अपनी मां की नितंब रूपी चमकते चांद के दर्शन हो चुके थे और अब रामू की बारी थी,,,। रामू कुछ भी बोल नहीं रहा था रघु और रामू दोनों एकदम करीब बैठे हुए थे झाड़ियों के आड़ में जहां से वह लोग रामू की मां के संपूर्ण बदन का दीदार कर रहे थे लेकिन इस बात की भनक 5 मीटर की दूरी पर स्थित ललिया को बिल्कुल भी नहीं हो पा रही थी,,,। वैसे भी ललिया को सोच करने के लिए आने में देर हो चुकी थी क्योंकि खेतों में ही ज्यादा वक्त चला गया था वरना उसके साथ एक दो और थे और होती है खास करके रघु की खुद की मां लेकिन आज वो लोग जल्दी निपट गए थे इसलिए ललिया इधर-उधर चकर पकर देख रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है,,,, उसे भी मैदान पूरी तरह से खाली नजर आ रहा था इसलिए वह भी निश्चिंत हो गई थी,,, रघु धीरे से रामू के कान में बोला,,,।

अभी देखना तेरी मां कैसे अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाती है,,, तेरा लंड खड़ा ना हो जाए तो मेरा नाम बदल देना,,,,( रघु की बात सुनकर रामू बोल कुछ नहीं रहा था बस उसे थोड़ा बहुत बनावटी गुस्सा दिखाते हुए देख ले रहा था और जो कुछ भी रघु कह रहा था उसमें सच्चाई भी काफी थी क्योंकि अभी तो उसकी मां ने अपनी साड़ी को कमर तक उठाई भी नहीं थी और रामू के पजामे में हलचल होना शुरु हो गया था,,,। रघु की खुद की हालत खराब थी,,, क्योंकि उसने भी ब्लाउज में जागते हुए उसके दोनों कबूतरों को लगभग लगभग देखी लिया था और उसकी नंगी चिकनी टांगो को देखकर वैसे भी वह मस्त हो चुका था और जिस तरह से शाम ढलने के बाद उसकी मदद के बहाने एक तरह से उसके बदन से खेला था और उसकी नंगी बुर पर अपने पेंट में बने तंबू को धंसाया था वह सब रघु को पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर ले जा रहे थे,,,,, उसके पजामे में भी पूरी तरह से हलचल होना शुरू हो गया था,,, रामू और रघु दोनों अपनी नजरों को ललिया के ऊपर स्थिर किए हुए थे दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था और उस समय उस खाली मैदान में उन दोनों के दिल की धड़कन ही सुनाई दे रही थी बाकी चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,,।

ललिया पूरी तरह से तैयार थी अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर सोच के लिए बैठने के लिए,,, वह अपने दोनों हाथों से अपनी साड़ी को पकड़ ली थी और यह देखते ही रघु फिर से रामू के कान में फुसफुसाते हुए बोला,,,

देख देख देख रामु,,,,, अब उठेगा पर्दा और दिखेगा अद्भुत नजारा,,, तो खुद अपनी आंखों से अपनी मां की मदमस्त गोरी गोरी गांड देखेगा,,,,

ललिया चारों तरफ खड़ी होकर देखते हुए धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी जैसे जैसे वह साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी वैसे वैसे रघु के साथ-साथ रामू के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी,,,, पर देखते ही देखते ललिया अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दी,,, जैसे ही ललिया की साड़ी कमर तक आई वैसे ही रामू और रघु दोनों को अद्भुत खूबसूरत मादकता से भरी हुई बड़ी बड़ी गांड नजर आने लगी और गांड को देखते ही रघु के मुंह से वाह निकल गया गया,,,,। रामू तो पागलों की तरह अपनी मां की गांड को देखता ही रह गया,,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,,। तीन-चार सेकंड रामू की मां खड़ी होकर अपनी मदमस्त गांड का प्रदर्शन करती रही और उसके बाद सोच करने के लिए नीचे बैठ गई,,,,, और उसके बैठते ही कुछ ही देर बाद ललिया की बुर में से सीटी की आवाज आने लगी वह मुत रही थी,,,, और उसकी बुर में से निकल रही सीटी की आवाज रामू और रघु दोनों के कानों में साफ सुनाई दे रही थी,,,। उस आवाज को सुनते ही रघु पूरी तरह से मस्त हो गया रामू की भी यही हालत थी,,,, ललिया को शायद बहुत जोरो की पिशाब लगी हुई थी तभी उसकी बुर में सीटी की आवाज कुछ ज्यादा ही जोर से निकल रही थी,,,,,, रघु रामू के कान में बोला,,,।

देख रामू तेरी मां तेरी आंखों के सामने मुत रही हैं,,,।

( अपनी मां को नंगी गांड दिखाते हुए और पेशाब करते हुए देखा कर रामू पूरी तरह से मस्त हो जा रहा था और इस तरह की रघु के मुंह से अपनी मां के लिए गंदी बातें सुनकर उसकी उत्तेजना का पारा और ज्यादा बढ़ता जा रहा था,,, रघु एकदम उत्तेजित हुआ जा रहा था उसे यह नजारा बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह धीरे से अपने पर जाने को सरका कर वह भी उसी तरह से बैठ गया,,। रामू की नजर जब उसके ऊपर पड़ी तो वह दंग रह गया रामू उसके खड़े लंड को देख रहा था जिसे धीरे-धीरे रघु अपने हाथों से हिला रहा था,,, रघु की अपने हाथों से अपने लंड को हिलाते हुए रामू से बोला,,,।)

रामू तू मेरा दोस्त है इसलिए वरना इसी समय तेरी मां की दूर में अपना यह लंड डालकर उसकी चुदाई कर देता,,।
( रघु के मुंह से इस तरह की बात सुनकर रामू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था उसका भी मन कर रहा था अपना लंड बाहर निकालकर हीलाने के लिए,,, रघु रामू की हालत को अच्छी तरह से समझ रहा था क्योंकि वह भी इस तरह के हालात से गुजर चुका था इसलिए वह रामू से बोला,,,)

तू भी बाहर निकाल ले अपनी मां की गांड को देखते हुए हिलाने में बहुत मजा आएगा,,,,।
( रामू तो जैसे इसी पर का इंतजार कर रहा था वह भी धीरे से अपने पजामे को नीचे सरका कर अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,, रघु रामू को उकसा ते हुए धीरे से उसके कान में बोला,,,।)

रामू तेरा भी मन कर रहा है ना तेरी मां की बड़ी-बड़ी गांड को देखकर उसकी बुर में लंड डालने के लिए,,,,( रघु की बातें रामू को अंदर तक जला रहे थे कामाग्नि में वह पूरी तरह से तड़प रहा था भले ही उसकी मां के लिए रघु बेहद गंदे शब्दों का उपयोग कर रहा था लेकिन रामू को इसमें बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,)
रामू मेरा तो बहुत मन कर रहा है तेरी मां को चोदने के लिए जब से तेरी मां की गोल गोल गांड देखा हूं तब से मेरी हालत खराब हो गई है,,,,आहहहहह क्या मस्त गांड है तेरी मां की,,,

( रघु हर तरह से आनंद ले रहा था एक बेटे के लिए कोई भी अगर इस तरह की गंदी बातें करता है तो साधारण तौर पर हर बेटा गुस्से में आ जाता है और उसकी मां के प्रति गंदे शब्दों का प्रयोग करने वालों से झगड़ा कर लेता है लेकिन यहां पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं था यहां तो रघु कि हर गंदी बातें रामू को अच्छी लग रही थी रामू खुद प्यासी आंखों से अपनी मां की गांड देख रहा था उसकी मां उसकी आंखों के सामने सोच करने के लिए बैठी हुई थी,,,। रामू और रघु दोनों अपनी मस्ती में थे और इन सब से अनजान ललिया 5 मीटर की दूरी पर बैठकर सोच कर रही थी उसे क्या मालूम था कि उसके पीठ पीछे उसकी सबसे अच्छी सहेली का तरीका बेटा और उसका खुद का बेटा उसकी नंगी गांड को देखकर अपना लंड हिला रहे हैं,,,। रघु रामू को और ज्यादा उकसाने के लिए बेहद गंदे शब्दों का प्रयोग करते हुए बोला,,।)

कसम से रामू अगर तेरी मां एक रात के लिए मुझे मिल जाए ना तो तेरी मां की बुर में अपना मोटा लंड डालकर उसकी बुर का भोसड़ा बना दुं,,,आहहहहह भगवान ने कमाल का जिस्म दिया है तेरी मां को,,,,( ऐसा कहते हुए रघु जोर-जोर से अपने लंड को मुठिया रहा था,,, और रामू भी यही कर रहा था,,,, पति अपनी मां की गांड को देखकर जोर जोर से हिला रहा था,,,। )
आहहहहहहह,,,, रामू बहुत मजा आ रहा है काश तेरी मां अपनी दोनों टांगे फैलाकर मुझे चोदने देती तो बहुत मजा आ जाता,,,,,
( अपनी मां की मदमस्त कांड और रघु की गंदी बातें सुनकर रामू काफी उत्तेजित हो गया था और वह ज्यादा देर तक ठहर नहीं पाया और अपने लंड को हिलाते हुए पानी छोड़ दिया,,, लेकिन रघु अभी भी बरकरार था वह लगातार अपनी प्यारी आंखो से ललिया को सोच करता हुआ देख रहा था जो कि अब सोच कर के पानी में लाए डिब्बे से अपनी गांड धो रही थी और यह देख कर रघु और ज्यादा उत्तेजित होने लगा,,,, क्योंकि वह चाहता था कि ललिया की गोरी गोरी गांड देखते हुए उसका पानी निकले और वो जिस तरह से गांड धो रही थी वह वहां से चली जाने वाली थी इसलिए रघु जोर-जोर से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,, ललिया सोच करके खड़ी हो गई थी लेकिन अभी भी वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी,,, शायद वहां नितंबों के लगे पानी की बूंदों को नीचे गिर जाने देना चाहती थी इसलिए अपनी बड़ी बड़ी गांड को हम से हिला कर पानी की बूंदों को नीचे गिराने लगी,,, और उसकी यह हरकत पर उसकी बड़ी बड़ी गांड पानी भरे गुब्बारों की तरह हवा में लहरा रहे थे और यह देखकर रघु के सब्र का बांध टूट पड़ा उसके डंडे से भी पानी का फव्वारा छूटने लगा,,,। रामू ऊसके लंड से निकलते हुए पानी को देख कर हैरान हो गया था,,,, क्योंकि उसके लंड से कुछ ज्यादा ही पानी निकल रहा था,,,,। देखते ही देखते राम और रघु दोनों की आंखों के सामने से ललिया वापस घर की तरफ चली गई,,,
दोनों झाड़ियों में से तेरे से खड़े हुए और रघु अपना पैजामा ऊपर करते हुए बोला,,,,।

यार मजा आ गया तेरी मां ने तो क्या मस्त नजारा दिखा दिया,,,,आहहहहहहह,,,,,

( रामू भी अपने पजामे को ऊपर करता हुआ बोला,,,।)


यार रघु तुझे कसम है मेरी दोस्ती की यहां जो कुछ भी हुआ यह बात तु किसी को मत बताना,,,,


पागल हो गया है तू भला मैं यह बात दूसरों को क्यों बताऊंगा यह बात तेरे और मेरे बीच रहेगी और आगे से भी इस तरह का नजारा तेरी मां के द्वारा देखने को मिलेगा,,, और हम दोनों तेरी मां की नंगी गांड को देखकर इसी तरह से मजा लेंगे,,, तुझे कोई एतराज तो नहीं है ना,,,
( रघु की बातें सुनकर रामू बोला कुछ नहीं बस शर्मिंदा होते हुए हां में सिर हिला दिया,,, क्योंकि इस तरह का नजारा देख कर उसे भी काफी आनंद आया था,,।)

कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए एक दिन शालू की मुलाकात फिर से बिरजू से हो गई,,,। शालू खेतों पर अपनी मां को खाना देने जा रही थी और रास्ते में बिरजू मिल गया था,,,। बिरजू को आंखों के सामने देखते ही शालू एकदम खुश हो गई,,, और सवालों की झड़ी बरसाते हुए बिरजू से बोली,,।

बिरजू कहां चले गए थे तुम,,, उस दिन के बाद से तो तुम कहीं नजर ही नहीं आए ना मुझसे मिलने की एक भी बार भी कोशिश कीए,,,।


क्या करूं शालू शाम को घर गया तो पता चला कि मामा की तबीयत खराब हो गई है इसलिए मा को लेकर मामा के घर जाना पड़ा,,, आज सुबह ही वापस आया हूं,,।

अब कैसी तबीयत है मामा की,,,

अब तो बिल्कुल ठीक है,,,( दोनों एक पेड़ के नीचे खड़े होकर बातें कर रहे थे,,।)

वैसे बिरजू उस दिन तो हालत खराब हो गई थी अगर थोड़ी देर और वहां रूकती तो पकड़ी जाती है वैसे वह था कौन,,,?( शालू सवालिया अंदाज में बिरजू की तरफ देखते हुए बोली,,, शालू की यह बात सुनकर बिरजू के होठों पर मुस्कुराहट आ गई थी वह मुस्कुरा रहा था और उसे मुस्कुराता हुआ देखकर शालू बोली,,,।)

तुम मुस्कुरा क्यों रहे हो क्या बात है,,,?

शालू अच्छा ही हुआ था कि तुम समय रहते हो वहां से निकल गई थी,,,।

ऐसा क्यों,,,?


क्योंकि वह दूसरा कोई नहीं बल्कि तुम्हारा भाई ही था थोड़ी देर और तुम्हारा रूकती तो तुम्हारा भाई भी तुम्हारे नंगे बदन को तुम्हारी नंगी गांड को देख लेता,,,,।
( बिरजू की बात सुनते ही सालु के तन बदन में घबराहट की लहर दौड़ गई,,,, वह हैरान होते हुए अपने दांतो तले उंगली दबा ली क्योंकि वाकई में बहुत बड़ी मुसीबत से बच गई थी अगर सच में उसका भाई उसे उस अवस्था में देख लेता तो गजब हो जाता,,,।)


बाप रे तब तो बाल-बाल बच गई,,, वरना मेरी मां मार-मार कर मेरी खाल उधेड़ लेती,,,।

वैसे शालू तुम्हारा भाई रघु तुम्हें पानी में से निकल कर भागते हुए देख लिया था तुम्हारी नंगी गांड दंगे जिसमें को देखकर यह वह मेरे पास आया था और मुझसे पूछ भी रहा था कि आंखीर यह सब माजरा क्या है,,,।

क्या तुम्हारे कहने का मतलब है कि मेरे भाई ने मेरे नंगे बदन को देख लिया था यह तो मेरे लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है बिरजू यह सब तुम्हारी वजह से हुआ ना तुम जिद करते ना मैं अपने कपड़े उतार कर तालाब में जाती,,,।
( सालु बिरजू से नाराज होते हुए दूसरी तरफ मुंह फेर कर खड़ी हो गई,,,)

अरे नाराज क्यों होती हो,,,?

नाराज ना होऊ तो क्या होऊ तुम्हारी वजह से मेरे बारे में मेरे मन के बदन को देख लिया जो कि ऐसा कभी होने वाला नहीं था,,,


अरे तो उसे थोड़ी पता है कि तालाब में से जिस लड़की को नंगी निकल कर भागते हुए देखा था वह उसकी बहन है,,,।
वह पूछ रहा था और मैं उसे बोल दिया कि पास के गांव की लड़की है,,,

वह मान गया,,?( शालू आश्चर्य होते हुए बोली,,।)

अरे मानेगा कैसे नहीं उसने तुम्हारा चेहरा थोड़ी देखा था हां यह बात और है कि अगर तुम्हें पहले वह नंगी देखा होगा तो पहचान लेगा,,,,( बिरजू की बात सुनते हैं शालू अपने दोनों हाथों को कमर पर रखकर गुस्से से उसे देखने लगी,,,।)

अरे गुस्सा क्यों होती हो मैं तो मजाक कर रहा हूं,,,।
( बिरजू की बात सुनकर निश्चिंत होकर वह बिना कुछ बोले वहां से जाने लगी तो बिरजू उसे पीछे से आवाज देता हुआ बोला,,,।)

कल इसी समय मिलना आम की बगिया में,,,
( बिरजू की बात सुनकर सानू एक पल के लिए पीछे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी,,, लेकिन रुकी नहीं और ना ही एक शब्द बोली तो बिरजू ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,।) मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा,,,।
( इतना सुनकर शालू लगभग भागते हुए खेतों की तरफ जाने लगे वह काफी खुश थी और बीरजु भी काफी प्रसन्न नजर आ रहा था,,।)
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Nevil singh

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दूसरे दिन शालू ठीक समय पर आम की बगिया पर पहुंच गई,,, आपकी बगिया बिरजू का ही था,,, जहां पर एकदम नीरव शांति थी चारों तरफ हरियाली हे हरियाली और यहां पर दूसरा कोई आता भी नहीं था,,,, इसलिए बिरजू शालू को यहां मिलने के लिए बुलाया था वैसे तो पहले वह लोग नदी के किनारे झरने पर मिला करते थे लेकिन जिस दिन से वहां पर रघु पहुंच गया था तब से वह दोनों की मुलाकात हुई ही नहीं थी,,, और जब मुलाकात हुई तो बिरजू ने शालू को आम की बगिया पर ही बुलाया,,,, शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी आम की बगिया पर उन दोनों के सिवा तीसरा कोई नहीं होगा क्योंकि यह गांव से थोड़ा दूर भी था और अभी आम पके नहीं थे बस अभी-अभी डालियों पर आम लगना शुरू हुए थे इसलिए यहां पर किसी के भी आने का डर नहीं था,,,।

शालू को थोड़ी घबराहट हो रही थी क्योंकि मन के कोने में उसे यह डर रहता था कि कहीं बिरजू उसके साथ उल्टा सीधा ना कर दे लेकिन उसे अपने आप पर थोड़ा विश्वास भी था कि उसके पैर नहीं डगमगाएंगे लेकिन कुछ दिनों से शालू का धैर्य ऐसा लगता कि कभी भी खो जाएगा,,,। और दोनों बार उसके छोटे भाई रघु की ही वजह से हुआ था,,,।
पहली बार तो वह पूरी तरह से अपना आपा खो देखो तो बची थी क्योंकि नजारा ही उसकी आंखों के सामने इस तरह का आ गया था कि वह चाहकर भी अपनी नजरों को हटा नहीं पा रही थी जब वह अपने भाई को जगाने गई थी,, और यह भी सच था की शालू जिंदगी में पहली बार किसी के लंड को अपनी आंखों से देख रही थी,,,, सभी अपने ही छोटे भाई रघु का,,,, उस दिन अपने भाई के लंड चोदने की तरह जिस तरह की कसम साहब उत्तेजना और रुक सकता उसके तन बदन में हलचल मचा रहा था उस तरह का एहसास उसे कभी नहीं हुआ था उस दिन उसका मन अपनी भाई की लंड को अपने हाथ में पकड़ने के लिए मचल उठा था बड़ी मुश्किल से वह अपने आप को संभाले हुए थी,,,।
और दूसरी बात अब जब वहां नहा कर कमरे में अपने बालों को सवार रही थी और उस वक्त वह केवल अपनी कुर्ती पहने हुए थे सलवार नहीं पहनी थी और कब उसका भाई दरवाजे पर आकर उसे ना जाने कब से निहार रहा था इस बात का उसे पता तक नहीं चला जब उसने पीछे मुड़कर देखें तो वह कमर के नीचे के अपने नंगे पन को छुपाने की अफरातफरी में पूरी तरह से शर्मिंदा हो गई थी लेकिन यह बात उसे अंदर तक उत्तेजित कर गई थी कि उसका भाई उसके नंगे बदन को अपनी फटी आंखों से देख रहा था,,,,।
आज आज भी जब वह बिरजू से आम की बगिया में मिलने आई थी तो उसके मन में वही सब बातें चल रही थी,,,।
शालू दूर से देखी तो बिरजू बड़े पत्थर भी छोटे से गड्ढे में भरे पानी में कंकड फेंक रहा था,,
शालू दबे कदमों से उसकी तरफ जाने लगी क्योंकि जिस तरह से वह निश्चिंत होकर पत्थर पर बैठकर गड्ढे में कंकड़ फेंक रहा था शालू ऊसे डराना चाहती थी,,, और धीरे-धीरे जाकर वह बिरजू के कान के पास जोर से चिल्लाई वाकई में बिरजू एकदम से डरकर चिल्ला उठा,,,,। और उसे डरा सहमा देखकर शालू जोर जोर से हंसने लगी उसकी हंसी नहीं समा रही थी और उसको हंसता हुआ देखकर बिरजू को तो थोड़ा गुस्सा आया लेकिन उसकी खूबसूरत चेहरे को देखकर उसका गुस्सा हवा में फुर्र हो गया,,,,।

क्या यार शालू तुम भी,,,।

बिरजू तुम तो बच्चों की तरह डर गए ,,,(शालू हंसते हुए बोली) तुम इतना खो गए कि तुम्हें मेरे आने का एहसास तक नहीं हुआ,,,।

हां तुम सच कह रही हो मैं एकदम से खो गया था लेकिन तुम्हारे ख्यालों में तुम्हारे बारे में सोच रहा था,,,।

मेरे बारे में क्यों,,,? ( शालू भी उस बड़े पत्थर पर बिरजू के करीब बैठते हुए बोली,,,।)

क्योंकि मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,।


क्या समझ में नहीं आ रहा है,,,( शालू इस बार शांत स्वर में बोली)



यही कि हम दोनों का क्या होगा सच कह रहा हूं शालू,,,( बिरजू उसके दोनों कमरों को पकड़कर उसकी तरफ देखते हुए बोला,,,।) तुम अगर मुझे नहीं मिली तो मैं मर जाऊंगा,,,,

ऐसा क्यों कह रहे हो,,,,( शालू तुरंत अपनी हथेली उसके होठों पर रखते हुए बोली)


पता नहीं पिताजी हम दोनों की शादी करने की मंजूरी देंगे या नहीं,,,,।
( फ्रिज की बात सुनकर शालू भी चिंतित हो गई और बोली,)

तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है बिरजू,,,,।

पता नहीं लेकिन ना जाने क्यों मन में डर जैसा लग रहा है,,,
( बिजी हो अपने मन में जिस वजह से डर का सैलाब उठा था उस बात को दबा ले गया क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी औकात और शालू की हालात में जमीन आसमान का फर्क था उसके पिताजी कभी नहीं चाहेंगे कि छोटे घर में उसकी शादी हो,,,।)

तुम चिंता मत करो फिर जो मैं हूं ना अगर तुम्हारे पिताजी दोनों की शादी की इजाजत नहीं भी देंगे तो मैं तुम्हें भगा ले जाऊंगी,,,
( यह सुनकर बिरजू उसकी तरफ देखकर हंसने लगा और उसको हंसता हुआ देखकर शालू बोली,,,।)

क्यों क्या हुआ हंस क्यों रहे हो,,,।


तुम मुझे भगा ले जाने की बात कर रहे हो तुम्हारे में इतनी हिम्मत है,,,।


बिरजू अब तुम ज्यादा बोल रहे हो मेरे में बहुत हिम्मत है,,,।

देखा हूं मैं तुम्हारी हिम्मत कपड़े उतारने के लिए बोलो तो कितना नाटक करती हो,,,।

वह बात अलग है,,, शादी से पहले मैं कुछ ऐसा वैसा नहीं करना चाहती,,,

क्यों नहीं करना चाहती,,,?


तुम सच में पागल हो ,, क्योंकि एक लड़की के लिए उसका इज्जत ही सबसे बड़ा गहना होता है और अगर तुम ही मेरे गहने को लूट लिए और उसके बाद मुझसे शादी करने से इंकार कर दिए तो मेरे पास बचेगा क्या,,,,? मैं तो बर्बाद हो जाऊंगी,,,।

सिर्फ कपड़े उतारने में कैसे बर्बाद हो जाओगी,,,


झरने के नीचे क्या हुआ यह तो तुम अच्छी तरह से जानते हो ना अगर सोचो मेरा भाई मेरा चेहरा देख लिया होता तो क्या होता,,,,

कुछ नहीं होता तुम्हारे खूबसूरत चेहरे हो तुम्हारे खूबसूरत नंगे बदन को देख कर तुम्हारा भाई भी तुम्हारी चुदाई कर देता,,,,

धत्,,,, यह कैसी बातें कर रहे हो तुम्हें शर्म नहीं आती मेरे भाई के बारे में इतनी गंदी बातें कर रहे हो क्या मैं तुमसे बात नहीं नहीं करती,,,,।( इतना कहकर शालू गुस्से में जाने लगे तो बिरजू दौड़ कर उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,,,।)

अरे अरे सुनो तो तुम तो एकदम नाराज हो गई,,,


नाराज होने वाली बात ही कर रहे हो क्या कोई अपनी बहन को गंदी नजरों से देखता है जो तुम मेरे भाई के बारे में ऐसा कह रहे हो,,,,


मैं तो सिर्फ मजाक कर रहा था मेरी रानी,,,


मुझे ऐसा मजाक बिल्कुल भी पसंद नहीं है बिरजू,,,( ऐसा कहते हुए सालों अपने दोनों हाथ को बांधकर अपनी छाती पर रखते हो दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई,,,)


शालू शालू शालू मेरी जान मैं तो मजाक कर रहा था तुम्हारा दिल दुखाने का मेरा बिल्कुल भी ईरादा नहीं था,,,,( बिरजू को लगने लगा कि मजाक में क्या करने का कुछ ज्यादा ही बोल गया है इसलिए शालू के सामने कान पकड़ कर उठक बैठक करते हुए बोला,,,।)

मुझे माफ कर दो शालू आइंदा से ऐसी गलती नहीं होगी,,,,। मुझे क्या मालूम था कि मेरी शालू रानी नाराज हो जाएगी,,,।

नाराज क्यों ना होऊ अगर मैं भी कहूं की तुम भी अपनी मां को नंगी देखकर उसकी चुदाई कर दोगे तो तुम्हें क्या अच्छा लगेगा,,,,।


वाह सालु रानी तुम्हारे मुंह से चुदाई शब्द सुनकर मैं तो धन्य हो गया,,,।
( बिरजू की बात सुनते ही शालू को इस बात का एहसास हुआ कि अनजाने में उसके मुंह से गंदा शब्द निकल गया था इसलिए वह तुरंत अपने दांतो तले उंगली दबाते हुए बोली,,।)

ऊई,,,, मां,,,,, यह क्या हो गया नहीं नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए था,,,, हे भगवान यह मैंने क्या कर दी,,,,
( शालू को परेशान होता हुआ देखकर बिरजू हंसने लगा,,,। बस इतना हंस रहा था सालों इतना ज्यादा परेशान और गुस्सा हो रही थी,,, शालू गुस्से में और भी ज्यादा खूबसूरत लगती है इस बात का एहसास बिरजू को अब हो रहा था,,,, बिरजू काफी उत्तेजना का अनुभव करने लगा और शालू हे भगवान हे भगवान करके इधर-उधर घूम रहे थे वास्तव में उसके मुख्य से पहली बार इतना गंदा शब्द निकला था इसलिए वह अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और बिरजू तुरंत उसके पास जाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया,,, लेकिन फिर भी शालू अपने मन में ही बड़बड़ाए जा रही थी,,,, बिरजू को भी इस बात का एहसास हुआ कि शालू वाकई में काफी परेशान है इसलिए उसे शांत करने के लिए बोला,,,।)

कुछ नहीं हुआ शालू कुछ नहीं हुआ तुम गंदी लड़की नहीं हो तुम अच्छी लड़की हो बहुत अच्छी लड़की हो तुम जाने में तुम्हारे मुंह से ऐसी बात निकल गई,,,, तुम बहुत अच्छी लड़की हो,,,,,( बिरजू से कसके अपनी बाहों में लिया हुआ था लिया हुआ क्या था जिस तरह से वहां परेशान हो रही थी उसे देखते हुए फिर जो उसे पकड़े हुए था शालू इस समय बेहद खूबसूरत लग रही थी उसके बाल बिखर गए थे उसके बालों की लट उसकी गानों को छू रही थी,,,,)

मैं अच्छी हूं मैं अच्छी लड़की हूं,,,

हां शालू तुम बहुत अच्छी लगती हो बहुत अच्छी एकदम सीधी-सादी,,,,( ऐसा कहते हुए बिरजू के होंठ शालू के होठों से बेहद करीब आ गए,,,, जब इस बात का एहसास शालू को हुआ तो वह एकदम से शर्मसार हो गए उसका बदन शर्म के मारे कसमसाने लगा,,, लेकिन बिरजू शालू के लाल होठों को इतने करीब देखकर एकदम बदहवास मदहोश होने लगा और वह अपने आप को छोड़ा पाती इससे पहले ही अपने होंठ को शालू के होंठ पर रखकर उसके लाल होठों से मधुर रस को पीना शुरू कर दिया,,,, शुरू शुरू में शालू उसकी पकड़ से अपने आप को छुड़ाने की भरपूर कोशिश कर रही थी लेकिन थोड़ी ही देर में इस प्रगाढ़ चुंबन के असर मैं वह खुद मदहोश होने लगी,,,, और देखते ही देखते शालू भी बिरजू के होंठों को अपने होठों में भरकर चूसना ,,, शुरू कर दी,,,, देखते ही देखते दोनों मदहोश होने लगे बिरजू काफी उत्तेजित हो गया था इस समय आम की बगिया में किसी के भी आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए बिरजू की हिम्मत बढ़ने लगी थी और जिस तरह से वह उसके होठों को चूम कर उसका सरकार दे रही थी उसे देखते हुए बिरजू छोट लेना चाहता था इसलिए उसकी पीठ पर से अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाते लाते शालू के भरपूर जवान नितंबों पर अपनी दोनों हथेली रखकर उन्हें जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,, शालू को इस बात का एहसास हो रहा था कि बिरजू उसके नितंबों को अपनी हथेली से मसल रहा है और उसे अच्छा भी लग रहा था सलवार के ऊपर से शालू की मदमस्त सुडोल करण को अपने हाथों से दबाने में बिरजू को बहुत आनंद आ रहा था दोनों का चुंबन और भी ज्यादा उत्तेजना से भरपूर होता जा रहा था,,,,, लेकिन तभी ना जाने क्या हुआ कि शालु तुरंत उसको धक्का देकर पीछे हट गई,,,, उसकी सांसे अभी भी बहुत गहरी चल रही थी लेकिन बिरजू से बिना कुछ बोले वह तुरंत वहां से भाग खड़ी हुई,,,, उत्तेजना के मारे हंसते हुए बिरजू भी उसे भागता हुआ बस देखता ही रह गया,,,, बिरजू से रोकने की कोशिश नहीं किया क्योंकि वह समझ गया था कि यह चुंबन और उसकी हरकत जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था शालू से ज्यादा आगे बढ़ने नहीं देगी इस बात का एहसास बिरजू को अच्छी तरह से था लेकिन आज पहली बार बिरजू हिम्मत दिखाते हुए उसके होंठों को अपने होठों में लेकर चूस रहा था एक नशा सा उसके बदन में उतर चुका था उसकी नरम नरम नितंबों को दबाकर एक अतुल्य एहसास अपने अंदर भर लिया था,,,। जिसकी वजह से उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बन चुका था,,,। चुंबन से ज्यादा कुछ ना कर सकने का मलाल उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था,,,।
Fantastic update mitr
 

Nevil singh

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शाम ढलने को थी रघु घूमते हुए गांव के नुक्कड़ पर हलवाई की दुकान पर पहुंच गया,,, 10 दिन जैसे हो चुके थे वह हलवाई की बीवी के दर्शन नहीं कर पाया था,,, आज भी रघु के नस नस में हलवाई की बीवी की जवानी का नशा पूरी तरह से घूम रहा था,,, पानी भरे गुब्बारों की तरह छातियों पर लहराते हुए इसकी दोनों चूचियां तरबूज से भी बड़ी बड़ी गांड की दोनों फांके केले के वृक्ष के मोटे तने की तरह चिकनी चिकनी उसकी जांघेो की यादें,,, अक्सर रघु के लंड को पूरी तरह से खड़ा कर जाता था,,,, रघु के तन बदन में अभी भी हलवाई की बीवी के खूबसूरत नंगे बदन की मादकता भरी खुशबू बसी हुई थी,,, जिसको अपने जेहन में महसूस करके रघु यहां तक खींचा चला आया था,,,
फिर भाई की बीवी पर दूर से नजर पड़ते ही रघु के तन बदन में जवानी का जोश उमड़ने लगा एक बार फिर से उसे भोगने की इच्छा उसके मन में प्रज्वलित हो गई,,,, हलवाई की बीवी आज भी समोसे तल रही थी और लगभग लगभग उसी तरह से अपनी दोनों टांगे फैलाकर बेफिक्र होकर बैठी हुई थी,,, रघु का लंड एक बार फिर से हलवाई की बीवी की मस्त जवानी देख कर अंगड़ाई लेने लगा,,, रघु हलवाई की बीवी के करीब पहुंच गया वैसे तो दुकान पर बीरबल बिल्कुल की नहीं थी बस इक्का-दुक्का आदमी है अपनी मस्ती में मस्त होकर शराब पीकर समोसे का लुफ्त उठा रहे थे,,,। हलवाई की बीवी की नजर रघु पर पड़ते ही उसके भी अरमान मचल उठे,,, उसके भारी-भरकम शरीर में तरंगे बजने लगी रुको को देखते ही उसे चांदनी रात की संभोगनीय पल याद आने लगा,,, उसे भी अच्छी तरह से याद है था कि रघु किस तरह से सारी रात उसकी जवानी का रस निचोड़ा था,,, उसके पति के गैरहाजिरी में किस तरह से वह संभोग के असीम सुख का अहसास उसे कराया था,,, रघु का हर एक धक्का उसके पूरे वजूद को हच मचा दिया था,,, हलवाई की बीवी समोसे चलते हुए इस बात पर मुस्कुरा देगी अच्छा है उसके पति ने खटिया मजबूत लकड़ी का बनवाया था वरना रघु की घमासान चुदाई की वजह से उसकी खटिया भी टूट जाती है और फिर वह टूटी हुई खटिया के बारे में अपने पति को क्या जवाब देती,,,

क्या बात है चाची बहुत मुस्कुरा रही हो,,,

कुछ नहीं रे कुछ याद आ गया था,,,।

क्या याद आ गया था चाची हमें भी तो बताओ,,,

तुझे बताने लायक नहीं है,,,( हलवाई की बीवी उसी तरह से रघु की तरफ देखे बिना कढ़ाई में से समोसे तलती रही,,,।)


ऐसी कौन सी बात है जो मुझे बताने लायक नहीं है जबकि सब कुछ खोल खोल कर तुमने मुझे दिखा दि हो,,,
( रघु के मुंह से सब कुछ दिखाने वाली बात सुनते ही शर्म के मारे हलवाई की बीवी के गाल लाल हो गए और वह शर्मा कर मुस्कुराने लगी और बोली,,।)

दिखाने और बताने में फर्क होता है,,,।
( रघु समझ गया कि बात पर ज्यादा जोर देने में भलाई नहीं है इसलिए वह बात को बदलते हुए बोला,,,।)

वैसे चाची उस दिन तुम्हारा समोसा बहुत गर्म था,,,( हलवाई की बीवी के ब्लाउज में से जाते हुए उसकी चुचियों को घूरते हुए रघु बोला,,,।)

हमारा समोसा हमेशा गर्म ही रहता है,,, एकदम तरोताजा मसाले से भरपूर,,,,( हलवाई की बीवी मुस्कुराते हुए बोल रही थी,,, वह रघु के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी तभी तो वह भी उसी के सुर में जवाब भी दे रही थी,,)

पता है क्या जी अभी तक तुम्हारे समोसे के मसाले का स्वाद मेरी जीभ पर है,,, इसलिए तो यहां आया हूं एक बार फिर से तुम्हारे गरमा गरम मसाले से भरपूर तरोताजा समोसे का स्वाद लेना चाहता हूं,,,।( रघु उसी तरह से हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी चूचियां को घुरता हुआ बोला,,, तिरछी नजरों से हलवाई की बीवी रघु की तरफ देख ले रहे थे मेरे को अच्छी तरह से जान रही थी कि मैं को उसके ब्लाउज में से झांकते हुए उसकी चूचियों को देख रहा है लेकिन फिर भी साड़ी के पल्लू से अपनी छातियों को ढकने की बिल्कुल भी तसदी नहीं ली,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि जो इंसान उसके घर पहुंची जैसे चुचियों से रातभर खेला हो भला उसकी नजरों से छुपाने से क्या फायदा,,, रघु की बातें सुनकर हलवाई की बीवी आंखों को ना चाहते हुए रघु की तरफ देखी और बड़े ही मादक स्वर में बोली,,।)

नामुमकिन इस समय तो मैं तुम्हें अपनी गरमा गरम समोसे को बिल्कुल भी नहीं खिला सकती लेकिन हां गरमा गरम समोसे का दूर से दर्शन जरूर करा सकती हूं,,,,( हलवाई की बीवी चकर पकर अपने चारों तरफ देखकर बोली,,,, हलवाई की बीवी की यह बात सुनकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगी,,।)

क्या सच में चाची तुम अपनी गरम गरम समोसे को मुझे दिखा सकती हो वह भी इस समय,,,,


क्यों नहीं मेरे राजा,,,,( हलवाई की बीवी पास में पड़े तपेलें के पानी से अपना हाथ धोते हुए बोली,,,।)

इतनी ही मेहरबान हो तो अंदर चलकर समोसा ही खिला दो दिखाओगी तो भूख और ज्यादा बढ़ जाएगी,,,,।

जब भूख ज्यादा बढ़ेगी तभी तो परोसी गई थाली का भरपूर फायदा उठाओगे और जी भरकर खाओगे तब तुम्हें खाने में और मुझे खिलाने में बहुत मजा आएगा,,,
( हलवाई की बीवी के शब्दों में कामुकता भरी जलेबी की तरह मिठास भरी हुई थी जिसे सुनकर और उसकी कामुक अदा को देखकर रघु के पजामे में खलबली मची हुई थी,,,।)

तो अभी क्या हुआ चाची चलो घर में मौका भी है दस्तूर भी है,,,।

अंदर तेरे चाचा जी है जो ऊबाले हुए आलू को छील रहे हैं,,,

( यह सुनकर रघु के सारे अरमान पानी में बह गए,,, रघु को उदास होता हुआ देखकर हलवाई की बीवी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
तू चिंता मत कर कभी कभी समोसा खाने से बेहतर समोसे का दर्शन करना भी हो जाता है आज दर्शन ही कर ले फिर कभी मौका मिलेगा तो खिला दूंगी,,,।

लेकिन ये दोनों,,,( रघु वहां पास में बैठे दोनों शराबियों की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,।)

तुम दोनों की चिंता बिल्कुल भी मत करिए दोनों पक्के शराबी है तू ईनके ऊपर मौत के भी चला जाएगा तो भी नहीं लगेगा कि शराब का जाम छलक गया है,,,
( उसकी बातें सुनकर रघु हंसने लगा और हलवाई की बीवी के ब्लाउज का ऊपर का बटन खुला देख कर बोला,,,।)

चाची यह तुम ब्लाउज के ऊपर का बटन जानबूझकर खोलती हो या तुम्हारी बड़ी बड़ी चूची हो की वजह से अपने आप ही खुल जाता है,,,


मेरे राजा तेरी नजर इधर उधर बहुत जाती है,,, मैं इसे (अपनी चुचियों की तरफ हाथ से इशारा करते हुए) जानबूझकर ही खोल देती हूं क्योंकि चूल्हे के सामने बैठे बैठे पूरा शरीर गरम हो जाता है इसलिए थोड़ी बहुत हवा चाहिए रहता है ना और तू तो अच्छी तरह से जानता है कि मेरे ब्लाउज का साइज मेरी चूचियों के सारे से छोटा ही है इसलिए बहुत कसा कसा सा लगता है इसलिए मुझे एक बटन खोलना ही पड़ता है,,,।

क्या बात है चाची लेकिन तुम्हारी यह जानबूझकर की गई गलती से यहां आने वाले ग्राहकों में कितना उत्साह रहता है जलेबी से ज्यादा तो तुम्हारे ब्लाउज के अंदर से झांकते हुए दोनों दशहरी आम का रस अपनी आंखों से पीकर मस्त हो जाते हैं,,,,।


वह सब सिर्फ आंखों से ही पीते हैं लेकिन तू तो अपना मुंह लगाकर पिया है,,,,,

वह तो है चाची,,,( इतना कहकर अपने पजामे में बने तंबू को अपने हाथ से ठीक करते हुए,,,) अब ऐसा करो चाची की जल्दी से दिखा दो कहीं चाचा जी आ गए तो इस पर भी पानी फिर जाएगा,,,
( अपने पजामे में बने तंबू को ठीक करते हुए हलवाई की बीवी की नजर रघु पर पड़ गई थी और मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली)

तेरा खड़ा बहुत जल्दी हो जाता है,,,,

और तब तो तुम यह भी जानती होगी कि बिना तीन चार बार पानी निकाले शांत भी नहीं होता,,,,।


वह तो मैं देखी चुकी हूं जो भी तेरा लेगी ना सच में तेरी दीवानी हो जाएगी,,,


तुम हुई क्या चाची,,,,?


मत पूछ इस जालिम अभी भी पूरे बदन में मीठा मीठा दर्द होता है,,,।


वह तो होगा ही चाची,, मेहनत भी तो तुमने बहुत की थी,,,।

( जितना देखने की उत्सुकता रघु में थी उससे कई ज्यादा उत्सुकता हलवाई की बीवी को अपनी बुर रघु को दिखाने में थी,,,, गंदी गंदी बातें करते हुए हलवाई की बीवी की बुर उत्तेजना के मारे समोसे की तरह फूलने लगी थी,,, वह जल्द से जल्द अपनी पुर के दर्शन रघु को कराना चाहती थी इसलिए एक बार फिर से अपने चारों तरफ देखने लगे और एक नजर दोनों शराबियों पर डाली जो कि अपनी ही मस्ती में डूबे हुए थे,,, एक बार पीछे की तरफ देखें जो कि दरवाजा बंद था वह समझ गए कि अभी भी उसका पति अंदर आलू छील रहा,,, मौका सही था,,, धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा था दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था इसलिए मौके की नजाकत को देखते हुए हलवाई की बीवी अपने दोनों टांग को घुटनों से मोड़कर हल्का सा फैला ली और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगी,,,, रघु की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी हालांकि रात भर हलवाई की बीवी की ओर से जैसे मर्जी आया वैसे खेल चुका था लेकिन फिर भी उसे देखने की तमन्ना उसके मन में जोर मार रही थी,,,, मर्द और औरत के बीच यही बात एकदम समान होती है चाहे जितना भी औरत मर्द का लंड अपनी बुर में ले ले,,,, लेकिन कुछ समय के अंतराल के बाद एक बार फिर से अपनी बुर में लेने की इच्छा पूरी तरह से प्रज्वलित हो जाती है और उसी तरह से मर्द की भी हालत होती है वह भी औरत की बुर से दिन-रात खेलने के बाद भी उसकी प्यास उसे देखने की और उसमें लंड डालने की हमेशा बनी रहती है और इसी प्यास के चलते रघु धड़कते दिल के साथ हलवाई की बीवी के एकदम करीब खड़ा था जहां पर चूल्हा जल रहा था और उस पर कढ़ाई रखी हुई थी जिसमें तेल एकदम खोल रहा था,,, ऐसे में हलवाई की बीवी अपनी बुर दिखाने के लिए साड़ी ऊपर की तरफ कर रही थी जो कि सारे समा में आग लगा देने वाली थी,,, हलवाई की बीवी भी कुछ कम नहीं थी वह बड़े धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी,,, धीरे-धीरे वह समा में आग लगाने की सोच रही थी यह बात तो अच्छी तरह से जानती थी कि,, चूल्हे की आग से कहीं ज्यादा गर्म और तपन उसकी कचोरी जैसी फूली हुई बुर में है,,।
रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह बार-बार अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ ले रहा था,,, अगर घर के अंदर उसका पति ना होता तो शायद आज वह हलवाई की बीवी को उसी जगह पर लिटा कर उसकी चुदाई कर देता लेकिन वह भी मजबूर था,,,,

जल्दी करो चाची अब क्या मेरा पानी निकाल दोगी,,,

तेरा इतने जल्दी निकलने वाला नहीं है,

तुम इतना तड़पाओगी तो निकल ही जाएगा ,,,( रघु जोर से अपने लंड को दबाते हुए बोला,,,।)

अच्छा ले बस दिखा देती हू,,,( इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी झट से अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपनी साड़ी को एकदम से कमर तक उठा दी,,,, रघु तो आंखें फाड़े देखता ही रह गया,,, हलवाई की बीवी की बुर कचोरी जैसी फूली हुई थी इस समय उसकी बुर एकदम मासूम लग रही थी जिसे देखकर रघु को उसके ऊपर ढेर सारा प्यार आ रहा था लेकिन प्यार करने के लिए समय नहीं था हलवाई की बीवी अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए चारों तरफ देख रही थी कि तभी दरवाजा खुलने की आहट हुई और झट से साड़ी नीचे करके बैठ गई,,,,, अंदर से उसका पति सिले हुए आलू बड़े से पतीले में लेकर आया और उसके करीब रखता हुआ बोला,,,।

ले जल्दी जल्दी ईसे तैयार कर दे,,,,

चाचा जी चाची के हाथों में जादू है चाची का समोसा बहुत गर्मा गर्म और मसालेदार होता है तभी तो मैं रोज यहां आ रहा हूं,,,।


सब भगवान की कृपा है बेटा,,, चाची के समोसे खाने रोज आया करो,,,,

सो जाऊंगा चाचा भला इतने गरमा गरम समोसे कहीं मिल पाते हैं,,, पूरे गांव में नहीं मिलते तभी तो मैं रोज यहां खिंचा चला आता हूं,,,,,

( हलवाई का पति मुस्कुराते हुए अपनी बीवी के करीब बैठकर छिले हुए आलू को जोर जोर से मसलने लगा,,, रघु समझ गया कि अब उसकी दाल से ज्यादा गलने वाली नहीं है,,,, इसलिए वह बोला,,,।)

अच्छा चाची में चलता हूं आज तो गरमा गरम समोसे के दर्शन करके ही मन एकदम भर गया,,,, किसी दिन जी भर कर खाऊंगा,,,,( इतना कहकर रघु गांव की तरफ जाने लगा तो हलवाई की बीवी पीछे से आवाज लगाते हुए बोली,,।)

आते रहना बेटा,,,

आता रहूंगा चाची,,,,
( और इतना कह कर रघु गांव की तरफ चल दिया,,,, रात को हलवाई की बीवी की मस्त चिकनी बुर को याद करके खाना खाने लगा,,,, खाना खाकर जैसे ही बिस्तर पर लेटा नींद की आगोश में चला गया,,,, सुबह हो चुकी थी कजरी खेतों पर चली गई थी और शालू घर का काम करके खाना बना रही थी कि तभी उसे याद आया कि उसका भाई तो घर में सो रहा है उसे जगाना जरूरी था और वह उसे जगाने के लिए रसोई से उठ गई,,,।)
Nice update mitr
 

Nevil singh

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शालू अपने भाई को जगाने के लिए रसोई करते हुए उठ गई थी वह उस दिन वाली बात बिल्कुल भी भूल गई थी जब अपने भाई को जगाने के लिए गई थी और उसे जबरदस्त नजारा दिखाई दिया था,,,, और दूसरी तरफ रघु और चुका था लेकिन अल शाया हुआ था सुबह का समय था इसलिए शरीर में उत्तेजना का संचार हो रहा था हलवाई की बीवी की मस्ती भरी बातें और उसका साड़ी उठाकर समोसे रूपी बुर के दर्शन कराने वाले दृश्य को याद करके वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था जिसकी वजह से उसका लंड पूरी आजादी के साथ हवा में लहरा रहा था और नींद में होने की वजह से कमर से लपेटा हुआ टावल एकदम से खुल गया था या यूं कह लो कि कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगा था,,, वह यही सोच रहा था कि उसे कोई जगह नहीं नहीं आएगा इसीलिए निश्चिंत होकर कुछ देर और सोने की मन में ठान करवा अपनी आंखों को बंद कर लिया लेकिन कमर के नीचे के अंग में उत्तेजना के संचार की वजह से उसे नींद नहीं आ रही थी,,, वह इधर-उधर सिर घुमा कर आंखों को बंद करके सोने की चेष्टा कर रहा था लेकिन जब एक बार बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगे तो नींद कहां आने वाली थी और वह भी उसके ख्यालों की मल्लिका भी बेहद खूबसूरत है भरे बदन की मालकिन थी जिसकी हर एक अदा में मादकता छलकती हुई उसे नजर आती थी,,, इस समय उसके जेहन हलवाई की बीवी बसी हुई थी और बार-बार उसकी आंखों के सामने उसका साड़ी उठाकर अपनी बुर के दर्शन कराना वही दृश्य नजर आ रहा था,,,
कमरे में वह निश्चिंत होकर सोने की कोशिश कर रहा था और कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा होने के बावजूद भी उस पर चादर डालने का ख्याल बिलकुल भी उसके मन में नहीं आ रहा था वह पूरी तरह से निश्चिंत था और दूसरी तरफ शालू काफी देर होने की वजह से उसे जगाने के लिए जा रही थी,,,, रघु पीठ के बल लेटा हुआ था एकदम सीधा और अपना मुंह दूसरी तरफ फिर कर सोने की कोशिश कर रहा था आंखें बंद थी कि तभी उसे दरवाजे पर आठवी चूड़ियों की आवाज सुनकर उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी बड़ी बहन शालू दरवाजे पर है अब वह करे भी तो क्या करें अभी भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर अपनी औकात दिखा रहा था अगर इस समय वह अपने खड़े लंड पर चादर डालकर उसे छुपाने की चेष्टा करता है तो उसकी बहन को यही लगेगा कि उसका भाई कुछ गंदी हरकत कर रहा था तभी उसका नंबर इस तरह से खड़ा है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें लेकिन शालू के तन बदन में आग लग गई थी एक बार फिर से अपने भाई के खड़े लंड के दर्शन करते ही उसे उस दिन वाला दिल से याद आ गया जो कि आज वही दृश्य दोहराया जा रहा था,,,। शालू का पूरा वजूद कांप गया वह दरवाजे पर ठिठक गई उसकी आंखों के सामने उसके भाई का खड़ा लंड था जोकि कि आज वह दूसरी बार देख रही थी,,,,
शालू को भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वापस चली जाए या हाथ में आई इस मौके का अपनी नजरों से मजा ले,,,, हालांकि शालू का व्यक्तित्व बिल्कुल भी ऐसा नहीं था लेकिन कुछ दिनों से वह बदली बदली सी नजर आ रही थी जब से वह अपने भाई के खड़े लंड को देखी थी और यह बात बीजू के मुंह से सुनी थी कि उस दिन जब हो तब आप से नंगी होकर बाहर भाग रही थी तब पीछे से उसके भाई ने उसके संपूर्ण नंगे व्यक्तित्व को देख लिया था लेकिन यह नहीं जान पाया था कि वह नंगी लड़की उसकी की बहन है,,,,

शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह से अपने भाई के खड़े लगने के दर्शन कर पाएगी जोकि अनजाने में ही हुआ था और वह भी दूसरी बार वह बार-बार दरवाजे पर खड़ी होकर बाहर की तरफ देख ले रही थी कि कहीं उसकी मां तो नहीं आ रही है वह कुछ देर तक यूं ही दरवाजे पर खड़ी रही,,। रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बहन उसकी खड़े लंड को देखने के बावजूद भी दरवाजे पर खड़ी क्यों है शर्मा कर चले क्यों नहीं गई,,, इस समय रघु का बदन पूरी तरह से कसमसा रहा था,,, उसे अपनी बड़ी बहन शालू पर थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था,,,,
रघु ऐसी स्थिति में था कि अपने नंगे बदन को छुपा भी नहीं सकता था,,, वह ऐसा ही जताना चाह रहा था कि उसकी बहन को लगे कि वह पूरी तरह से गहरी नींद में है,,, वह उसी तरह से दूसरी तरफ मुंह करके आंखों को बंद किया हुआ लेटा रहा हलवाई की बीवी की कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि इस तरह के कठिन समय में भी उसके लंड की कठोरता बरकरार थी उस में जरा भी ढीलापन नहीं आ रहा था,,,,। शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था पूरे कमरे में केवल उसकी दिल की धड़कन की आवाज सुनाई दे रही थी उसकी सांसे गहरी चल रही थी वह भी नहीं समझ पा रही थी कि वापस चली जाए या अपने भाई के खड़े लंड को देखती रहे क्योंकि वाकई में खड़ा लैंड कितना बेहतरीन और लाजवाब होता है यह बात शालू को आज पता चल रही थी वैसे तो वह पहले भी अपने भाई के लंड को देख चुकी थी लेकिन आज कुछ ज्यादा देर तक उसे अपने भाई का लंड देखने को मिला था,,,, साथ ही अपने भाई के लंड को देख कर उसे आम के बगिया वाला दृश्य याद आने लगा जब बिरजू से अपनी बाहों में भर कर उसके होठों को चूम रहा था और पजामे में टाइट हुए अपने लंड को उसकी टांगों के बीच रगड़ रहा था उस रगड़ को महसूस करते ही शालू की हिम्मत बढ़ने लगी,,,। इतनी देर तक खड़े रहने के बाद उसे इस बात का आभास तो हो ही गया था कि उसका भाई गहरी नींद में सो रहा है वरना उसके आने की आहट सुनकर वह अपने नंगे बदन को छुपाने की जरूर कोशिश करता लेकिन उसके बदन में बिल्कुल भी हरकत नहीं हो रही थी इसलिए वह चोर कदमों से आगे बढ़ी,,, वह अपनी कलाइयों में खनक रही चूड़ियों की आवाज को दबाने की भरपूर कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी चूड़ियां खनक जा रही थी और खनकती हुई चूड़ियां की आवाज और पैरों के कदमों की आहट रघु के कानों में साफ सुनाई दे रही थी उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसकी बड़ी बहन शालू उसके करीब आ रही है,,,। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह का दृश्य देखने के बाद वह शर्मा कर चले जाने की बजाय उसके करीब क्यों आ रही है,,,। अब तो अपने करीब आ रही चूड़ियों की आवाज को सुनकर उसका बदन कसमसा ने लगा उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि इस तरह की चिंता की घड़ी में भी उसका लंड ज्यों का त्यों बना हुआ है ढीला बिल्कुल भी नहीं हो रहा है ताकि उसकी बहन वहां से चली जाए,,,,

शालू धीरे-धीरे करके अपने भाई के खाट के बिल्कुल करीब पहुंच गई,,,, वह कुछ देर तक खड़ी होकर अपने भाई के खड़े लंड को निहारती रही बेहद दमदार और मोटा लंड देखकर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,। उत्तेजना के मारे शालू का गला सूख रहा था जिसे वह बार-बार अपने थूक से गिला करने की कोशिश कर रही थी,,,, शालू अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि उसे वहां रुकना चाहिए या चले जाना चाहिए,,।

शालू पूरी तरह से जवान हो चुकी थी जवानी की लहर उसके तन बदन को भी हिचकोले खिला रही थी इसीलिए तो वह अपने भाई के खड़े मोटे तगड़े लंबे लंड के आकर्षण से ही वह अपने मन को बहकने से बचा भी नहीं पा रही थी,,,,। शालू कभी रघु के चेहरे की तरफ देखती तो कभी उसकी कमर के नीचे के बेहतरीन नजारे की तरफ रघु अभी भी निश्चिंत होकर आंखों को बंद किया हुआ लेटा था जो कि शालू को यही लग रहा था कि उसका भाई गहरी नींद में सो रहा है आखिरकार शालू निर्णय ले ली वह धीरे से अपने भाई के खटिया के करीब बैठ गई,,, वह निश्चिंत बिल्कुल भी नहीं थी वह पूरी तरह से सजग थी एकदम चौकन्नी,,, पूरी तरह से तैयार था कि जरा भी हलचल रघु के बदन में हो तो वह वहां से नौ दो ग्यारह हो जाए और उसके भाई को पता भी ना चले,,,, गला पूरी तरह से सूख चुका था दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह खटिया के करीब बैठकर अपनी फटी आंखों से अपने भाई के टन टनाते हुए लंड को देख रही थी,,,,, आज पहली बार उसे पता चल रहा था कि जिस तरह से उसकी बुर के इर्द-गिर्द रेशमी बालों का झुरमुट रहता है उसी तरह से मर्दों के लंड के इर्द-गिर्द बालों के झुरमुटो की झांठ रहती है,,,,, और उन झांटों के बीच खड़ा लंड बहुत ही मनमोहक लग रहा था,,,। अपने भाई के खड़े लंड को देख कर उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसका भाई भी अब जवान हो रहा है,,,।

शालू अपने भाई के नंबर को अपने हाथ से अपनी नाचू को मिली है उसे स्पर्श करना चाहती थी उसे छूना चाहती थी उसे अपनी हथेली में पकड़ कर देखना चाहती थी कि कैसा लगता है लेकिन इसमें रघु के जाग जाने का डर था,,, वह पकड़ी जा सकती थी और अगर उसे इस तरह की हरकत करता हुआ उसका भाई देख लेता तो उसके बारे में क्या सोचता,,,, उसके दिमाग में यही ख्याल आ रहा था और फिर उसका मन कहता है कि डर क्यों रही है तेरा भाई गहरी नींद में सो रहा है अगर जाग ना होता तो अब तक जाग चुका होता एक बार अपने भाई के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर देख ले,,, महसूस कर ले कि एक लंड को हाथ में पकड़ कर कैसा लगता है,,,,।

शालू अपने मन में चल रहा है ख्यालों के बवंडर मैं से समझ में नहीं आ रहा था कि किसका हाथ पकड़ कर बाहर निकले हालांकि ख्यालों पर आकर्षण का दबाव बराबर बना हुआ था,,, शालू अपनी तेज नजरों से अपने भाई को लंड के मोटे सुपाड़े को देख रही थी जो कि एकदम बदामी रंग का हो गया था,,, और गोलाकार सुपाड़े के नीचे पतली चमड़ी में आई सिकुड़न लंड के आकर्षण को और ज्यादा बढ़ा रही थी,,,, लंड के चारों तरफ नशे ऊभरी हुई थी जिनमें रक्त का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था,,,। शालू काफी देर से अपने भाई के खड़े लंड को देख रही थी लेकिन इस बात से हैरान थी कि इतना दमदार मोटा तगड़ा लंड होने के बावजूद भी अभी तक उस में जरा भी झुकाव नहीं आया था ना इधर झुक रहा था ना उधर बस सीधा ही खड़ा था,,,,।
रघु की हालत खराब होती जा रही थी चूड़ियों की खनक और गहरी चल रही सांसो की आवाज से उसे इतना तो आभास हो गया था कि उसकी बहन उसके बेहद करीब बैठी हुई है,,,,। और इस बात का एहसास की उसकी बहन उसके बेहद करीब बैठ कर उसके खड़े लंड को देख रही है वह पूरी तरह से उत्तेजना से भरने लगा,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानता था कि भले ही वह आंखें खोल कर अपनी बहन की तरफ ना देखा हो लेकिन इतना तो वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन जवान हो चुकी थी और जवानी की याद शायद उसके तन बदन को भी जला रही थी तभी तो वह यहां से चले जाने की वजह उसके खड़े लंड को देखकर उसके बेहद करीब आकर बैठ गई थी इस बात का एहसास रघु को भी उत्तेजना के सागर में खींचता चला जा रहा था,,,।
एक नजर अपने भाई की तरफ डाल कर उसके गहरी नींद में होने की तसल्ली कर लेने के बाद,, अपना हाथ आगे बढ़ाई रघु के लंड की तरफ उसके हाथों के साथ-साथ पूरे बदन में कंपन खेल रही थी खास करके उसकी टांगों के बीच की उस पतली दरार में जिसकी वजह से शालू इतनी हिम्मत दिखा रही थी,,,, उंगलियों में कंपन शालू को साफ नजर आ रही थी,, धीरे-धीरे शालू का हाथ अपने भाई के लंड के बेहद करीब पहुंच गया,,,, एक बार तो उसके मन में आया कि उठकर यहां से चली जाए लेकिन अपने भाई के लंड के आकर्षण में वह पूरी तरह से बंध हो चुकी थी,,, रघु को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी बहन उसके लंड को पकड़ने जा रही है,,,। मुझे ऐसे ही अपनी बहन की नाजुक नाजुक उंगलियों का स्पर्श उसे अपने लंड के ऊपर हुआ वह एकदम से कसमसा गया उसके पूरे बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी,,, साडू अभी अपने भाई के लंड को पूरी तरह से पकड़ी नहीं थी बस अपनी नाज़ुक उंगलियों का स्पर्श भर कराई थी,,,, अपनी बहन के नाजुक हूं गोलियों का स्पर्श अपने लंड पर होते हैं अपने आप ही उसके कमर हल्के से ऊपर की तरफ हो गई थी और अपने भाई के बदन में आई हरकत को देखकर शालू उसी तरह से बस अपने भाई के लंड पर अपनी उंगलियां सटाई रही,, इस बात का इंतजार कर रही थी कि उसकी हरकत पर उसकी भाई की नींद खुलती है या अभी भी वह गहरी नींद में सोया रहता है और रघु जानबूझकर आंखों को बंद किया हुआ सोने का नाटक करता रहा क्योंकि अब उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी कुछ देर पहले जब अपनी बहन की हरकत पर वह गुस्सा हो रहा था,,, तब से इस बात का अहसास तक नहीं था कि अपनी बहन की हरकत की वजह से उसके तन बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगेगी,,, लेकिन अब उसका ख्याल बिलकुल बदल चुका था,,,

शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था और उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था,,, कुछ देर तक अपने भाई के बदन में हरकत ना होता देखकर शालू अपने भाई के लंड को पूरी तरह से अपनी हथेली में जकड़ ली,,, उसकी हथेली पूरी तरह से गर्म हो गई और उससे भी ज्यादा गर्मी उसे अपनी बुर के अंदर महसूस होने लगी पहली बार उसे इस बात का अहसास हो रहा था कि लंड वाकई में बहुत गर्म होता है,,,। शालू को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसके भाई का लंड ज्यादा मोटा था दूसरी तरफ रघु के तन बदन में आग लग रही थी जिस तरह से उसकी बहन उसके लंड को पकड़े हुए थी,,,। उसका मन कर रहा था कि इस नाटक पर पर्दा डाल कर अपनी आंखें खोल दी और अपनी बहन को उसी खटिया पर लेटा कर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे क्योंकि अब तक रघु को इस बात का पता चल गया था कि उसकी बहन के मन में भी चुदाई करवाने की भूख बढ़ रही है,,, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी पहली बार में ही वह इस तरह से कैसे अपनी बहन की चुदाई कर दे आखिरकार वह उससे बड़ी थी इसलिए रघु आंखों को बंद किए हुए उसी तरह से लेता रहा वह देखना चाहता था कि अब उसकी बहन क्या करती है,,।

शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था और ऐसा होता भी क्यों नहीं जिंदगी में पहली बार तो वह मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड को अपने हाथ में जो ले रही थी उसका कठोर बंद उसे अपनी नरम नरम हथेलियों में चुभ रहा था। अब से पहले वह नहीं जानती थी कि लंड इतना कठोर होता है,,, वह अपनी हथेली को अपने भाई के लंड के इर्द-गिर्द एकदम दबोची हुई थी जिसकी वजह से शुभम के लंड की चमड़ी ऊपर की तरफ चढ़ गई थी और उसका मोटा सुपाड़ा आधा ढक गया था,,,, शालू उसके संपूर्ण सुपाड़े को देखने के लिए अपनी मुट्ठी में कसे हुए रघु के लंड को नीचे की तरफ अपनी हथेली खींची तो वह चमड़ी उसकी सुपाड़े पर से नीचे की तरफ आ गई और उसे लंड का संपूर्ण सुपाड़ा नजर आने लगा,,, और वही हरकत फिर से वह ऊपर की तरफ की और बार-बार वह अपनी हरकत को दोहराने लगे उसे अपने भाई के लंड को मुठिया ने में मजा आ रहा था लेकिन रघु की तो हालत खराब होती जा रही थी शायद उसकी बहन को यह नहीं मालूम था कि इस तरह से लंड को मुठीयाने से उस में से पानी की पिचकारी निकल जाती है,,,, रघु को मजा भी आ रहा था वह आंखों को बंद किए हुए अपनी बहन की हरकत का मजा ले रहा था,,, शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था लंड की गर्माहट उसके पूरे वजूद को गर्म कर रही थी,,,लंड की गर्मी को अपनी हथेली में महसूस करके उसे अपनी जांघों के बीच कुछ पिघलता हुआ महसूस हो रहा था,,,,शालू इस खेल को आगे बढ़ा थी कि तभी उसे घर के बाहर बाल्टी रखने की आवाज सुनाई दी और वह छठ से खड़ी हुई और ज्यों का त्यों छोड़कर कमरे से बाहर निकल गई रसोई केकरी पहुंचकर देखी तो उसकी मां हैंड पंप से पानी भरकर लाई थी,,,,वह रसोई के करीब बैठ गई और अपनी ऊखडती सांसो को दुरुस्त करने में लग गई,,,
रघु की हालत खराब थी वह जान गया था कि बाहर उसकी मां आ गई है लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि वह उसे जगाने के लिए अंदर नहीं आएगी क्योंकि वह नहाने जा रही थी,,,,, शालू ने जिस तरह का अद्भुत उत्तेजना का संचार उसके तन बदन में फैलाई थी अब उसे पूरा करने का जिम्मेदारी रघु पर आ गई थी और वह अपनी बहन के खूबसूरत चेहरे और उस दिन अनजाने में देखी हुई उसकी नंगी चिकनी गोरी गोरी जांघ और उसकी गोलाकार गांड को याद करके अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि जल्दी ही उसका पानी निकल गया,,,।
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Nevil singh

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रघु कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी बड़ी बहन इस तरह की गंदी हरकत करेगी,,, उसे गुस्सा तो आ रहा था लेकिन गुस्से के ऊपर उत्तेजना का प्रभाव कुछ ज्यादा ही भारी पड़ रहा था,,। जिंदगी में पहली बार किसी जवान लड़की ने और वह भी उसकी खुद की सगी बहन ने अपनी नाजुक नाजुक कोमल अंगुलियों से उसके कठोर लंड अपनी हथेली में जकड़ कर रखी थी,, कुछ देर अगर वह और उसके लंड को अपनी हथेली में दबाए हुए होती तो निश्चित ही उत्तेजना के मारे रघु का पानी उसकी बड़ी बहन की आंखों के सामने ही पिचकारी मार दिया होता,,, रघु यही सोच रहा था और अपने मन को यह तसल्ली देकर मना रहा था कि अच्छा हुआ उसके लंड का पानी नहीं निकला वरना उसकी बड़ी बहन को यही लगता कि वह जाग रहा है,,,।
रघु अपनी बहन से आंखें नहीं मिला पा रहा था इसलिए जल्दी से नहा धोकर घर से निकल गया उसकी बहन खाने के लिए उससे बोली तो वह बाद में खा लेगा ऐसा कहकर चला गया,,,,

शालू के तन बदन में आग लगी हुई थी जिंदगी में पहली बार उसने किसी लंड को अपने हाथ में ली थी,,, और अपने ही भाई के जवान लंड को अपने हाथ में लेकर खुद को जवान होने का एहसास दिलाई थी,,,। बाकी बची रोटियों को वह तवे पर रखकर उसे पका रहे थे उसे अपनी हथेली से गोल-गोल घुमाते हुए यही सोच रही थी कि गरम रोटी से भी ज्यादा तपन उसके भाई के मोटे तगड़े लंड में था,,, क्या वाकई में मर्दों का लंड इतना गर्म होता है,,। अपने सवाल का जवाब शायद उसके पास बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह इस समय जवानी की रूपरेखा में भले ही ढल चुकी थी लेकिन अनुभव की परत उसके तन बदन पर नहीं चढ़ी थी,,, इस सवाल के जवाब को समझने में अभी समय था,,,।
लेकिन इस बात का एहसास हो गया था कि उसके भाई के हस्बैंड को पकड़ कर उसके मन में उसके तन बदन में जिस तरह की खलबली मची हुई थी उससे उसकी टांगों के बीच की पतली दरार में से मदन रस हल्के रस की तरह बह रहा था,,। किसलिए शालू अपने आप को असहज महसूस कर रही थी बार-बार उसका हाथ उसके दोनों टांगों के बीच चला जा रहा था,। अपने भाई के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसके पूरे तन बदन में उत्तेजना की जो चिंगारी भड़क रही थी वह शोला का रूप धारण करती उससे पहले ही वह अपने आप को संभाल ले गई थी लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसे अपने भाई के समूचे लंड को अपने बुर में लेने का मन कर रहा था,,,। शायद रघु की तरफ से कोई प्रतिक्रिया होती तो ऐसा हो भी सकता था लेकिन ऐन मौके पर उसकी मां आ गई थी,,,।

कुछ दिन तक शालू अपने भाई से नजर नहीं मिला पा रही थी और यही हाल रघु का भी था जबकि शालू इस बात से अनजान थी कि रघु को इस बात का पता था,,। रघु अपने मनोस्थिति को समझ नहीं पा रहा था,,,, अपनी बहन की हरकतों से तन से अच्छी लगती थी लेकिन मन से वह परेशान हो रहा था कि जो कुछ भी हो रहा है क्या वह सही है अपनी मां के साथ भी वह अश्लील हरकत कर चुका था इसलिए वह कभी कभी अपने आप को भला बुरा कहने लगता था लेकिन अपनी मां और शालू दोनों को अपनी आंखों के सामने देखते ही वह सारी बातों को भूल कर फिर से उनके दैहिक लालित्य के आकर्षण में खो जाता था,,। इसलिए वह कभी-कभी अपने आपको बहुत ज्यादा परेशान और चिंतित महसूस करने लगा था,,,
कजरी खुद अपने बेटे की हरकत की वजह से अब एकदम सजग रहने लगी थी,, ना जाने क्यों अब उसे अपने बेटे के करीब जाने से डर लगने लगा था क्योंकि उसे अब तक अपनी टांगों के बीच उसके कठोर पन का स्पर्श साफ महसूस होता हुआ एहसास होता था,,, जब कभी भी वह एकांत में बैठकर उस दिन के बारे में सोचती थी तो उसके दिल की धड़कन जोरों से बढ़ने लगती थी क्योंकि वह भी तो एक औरत थी और बरसों बीत गए थे पुरुष संसर्ग कीए,,, इसलिए ना चाहते हुए भी उस पल की याद आते ही उसके तन बदन में झनझनाहट सी महसूस होने लगती थी,,,।
फिर भी जैसे तैसे करके हंसी खुशी में ही दिन गुजर रहा था,,,,, रघु दूसरी औरतों में बराबर आकर्षण का मजा ले रहा था लेकिन अब जानबूझकर अपनी मां और बहन दोनों के प्रति गंदी नजर से बच रहा था,,। लेकिन कब तक बच कर रह सकता था आखिरकार घर में दो दो मदमस्त रसीली बुर की मलिका जो थी,,,, सालु तो हमेशा मौके की तलाश में ही रहती थी कि कब उसे फिर से उसके भाई के खड़े लंड के दर्शन हो जाए,,, लेकिन जानबूझकर रघु टॉवल की जगह पजामा पहन कर सोने लगा था,,,। रघु की यह हरकत शालू के अरमानों पर पानी फेर रही थी,,,। दूसरी तरफ कजरी उस दिन की घटना के बाद से अपने बेटे के करीब जाने से थोड़ा सा कतराने लगी थी,,, लेकिन कजरी जितना अपने बेटे के करीब जाने से कतराती थी हालात उतना ही उसके और करीब ले जा रहा था था,,।

खेतों में गन्ने की कटाई हो चुकी थी,,,,, रघु उसकी मां और उसकी बड़ी बहन तीनों मिलकर दिन रात मेहनत करके गन्ने की कटाई करके घर पर बुलाकर रख दिए थे अब उसमें से उस का रस निकालकर गुड़ बनाने का काम चल रहा था जिसमें तीनों लगे हुए थे,,,। उन तीनों की मेहनत रंग लाई और गुड बनकर तैयार हो गया और वह भी एकदम मीठा और स्वादिष्ट,,, यह गुड कजरी साल भर के लिए रख देती थी,,, जोकि हमेशा काम आ जाता था,,,।
दोपहर का समय था शालू आंगन में सो रही थी,,, पांच डिब्बे देसी गुड़ के भरे हुए नीचे रखे हुए थे उसे चढ़ाकर ऊपर रखना था,,, ऊपर थोड़ा सा लकड़ी का छत से बना हुआ था सामान रखने के लिए उसी पर चढ़ाना था,,, रघु भी वही था,,,,,,

रघु तू जा बाहर से सीढ़ी लेकर आ,,,
( रघु झट से बाहर गया और सीढ़ी लेकर आ गया,,,,)

कहां लगाना है मां,,,


इधर ला इस साइट पर खड़ी कर सीढ़ी,,,
( कजरी के बताए अनुसार रघु सीढ़ी को उस दिशा में खड़ी करने लगा कि तभी शिर्डी के ऊपर सिरे से टकराकर ऊपर रखी हुई गुड़ के रस की कटोरी नीचे गिर गई और उसका सारा रस कजरी के साड़ी पर गिर गया,,,, कजरी एकदम से घबरा गई पहले तो उसे समझ में नहीं आया कि क्या हुआ लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि गुड़ का रस उसके ऊपर गिर गया है और गुड़ के रस की वजह से उसकी पूरी साड़ी खराब हो चुकी है,,,। रघु अपनी गलती मानते हुए अपनी मां से माफी मांगने लगा,,,, कजरी भी इस बात को ज्यादा तुलना देते हैं उसे माफ कर दी लेकिन गुड़ के चिपचिपा पन की वजह से उसे अजीब सा लग रहा था,,,।)

हे भगवान कितना खराब लग रहा है बदन पर ऐसा लग रहा है कि जैसे किसी ने गोंद गिरा दिया हो,,,।

मां एक काम करो तुम साड़ी उतार दो,,, और मुझे यह गुड़ का डिब्बा पकड़ाओ मे रख देता हूं,,,।( इतना कहकर वह सीढ़ी पर एक पांव रखा ही था कि उसे रोकते हुए कजरी बोली,,,।)

तू रुक मैं रख देती हूं तू अच्छे से नहीं रख पाएगा,,,
( इतना कहकर कजरी अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटाकर उसे उतारने लगी,,, पिछले कुछ दिनों से कजरी को रघु की नजरों में गंदा परन नजर नहीं आया था और रघु भी यह सब से बचता चला आ रहा था,,, इसलिए कजरी को रघु की आंखों के सामने साड़ी को उतारने में जरा भी असहज नहीं लग रहा था और वैसे भी वह जानबूझकर उसकी आंखों के सामने अपनी सारी नहीं उतार रही थी बल्कि उसके ऊपर गुड़ का रस गिर गया था जिसकी वजह से वह अपने आप को असहज महसूस कर रही थी और इसीलिए वह रघु की मौजूदगी में अपनी साड़ी उतार रही थी,,, अपनी मां और अपनी बहन को गंदी नजरों से ना देखने की रघु ने कसम खा रखी थी लेकिन अपनी नजरों को फेरने का कजरी ने रघु को जरा भी मौका नहीं दी थी वह औपचारिक रूप से अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटा दी थी और रघु की नजर उसकी उन्नत छातियों पर पड़ गई थी जिसका उपरी बटन खुला हुआ था और जिस में से कजरी की भरपूर जवानी बाहर आने को मचल रही थी उस पर नजर पड़ते ही रघु की ली हुई कसम हवा में फुर्र हो गई,,,, वह आंख फाड़े ब्लाउज में से झांकती हुई अपनी मां की मदमस्त जवानी को घूर रहा था,,,, कजरी यह सब से अनजान अपने बेटे की आंखों के सामने अपनी साड़ी को अपनी कमर पर से खोलने लगी,,, और इस अफरातफरी में कजरी के पेटीकोट की डोरी कमर पर से थोड़ी ढीली हो चुकी थी जिस बात का एहसास तक उसे नहीं हुआ,,,। और रघु की नजर पेटीकोट में कसी हुई उसकी मदमस्त गांड पर टिकी हुई थी जो कि पेटीकोट के अंदर बेहद खूबसूरत और उभरी हुई लग रही थी सुनवाई की बीवी की चुदाई कर चुका रघु संभोग के अनुभव से पूरी तरह से अवगत था इसलिए अपनी मां के नितंबों को देखकर उसका मन कर रहा था पीछे से जाकर उसे अपनी बाहों में भर ले और अपने लंड को उसकी रसीली बुर में पेल दे,,, लेकिन यह ख्याल मन में आते ही फिर से वह अपने मन को धिक्कार ने लगा कि यह वह क्या कर रहा है,,, उसने तो कसम खाई थी कि अपनी मां को गंदी नजरों से कभी नहीं देखेगा तो फिर यह क्या हो रहा है,,,। इसलिए रघु अपने मन को शांत करने के लिए अपनी मां की तरफ से नजरों को दूसरी तरफ फेर लिया,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, बार-बार उसका मन कर रहा था कि अपनी मां की तरफ देख ले जोकि ब्लाउज और पेटीकोट में स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी,,,।
लेकिन ना जाने क्यों उसका जमीर गवाही नहीं दे रहा था जोकि पहले भी वह अपनी मां के साथ अश्लील हरकत कर चुका था एक तो उसे खेतों में पेशाब करते हुए देख चुका था और उसकी भारी-भरकम नंगी गोरी गांड को देखकर एकदम मस्त भी हो गया था जिसकी वजह से वह खेत में अपनी मां के गले लगने के बहाने उसे अपनी बाहों में भर कर उसके नितंबों पर अपनी हथेली को रखकर अपने लंड के कठोर पन को उसकी टांगों के बीच धंसा दिया था,,,, लेकिन वह यह सब बातों को समझता था वह जानता था कि जो कुछ भी होगा रहा है वह नैतिक तौर पर बेहद गलत था मान मर्यादा के खिलाफ और अपनी ही मां के साथ यह तो सरासर पाप था इसलिए वह अपने आप को इस बात से बचाना चाहता था,,,।

कजरी अपनी साड़ी उतार कर नीचे रख दी और सीढ़ी पर अपना पांव रखते हुए बोली,,,।

अरे उधर क्या देख रहा है मुझे जल्दी से गुड का डब्बा थमा,,,
( कजरी समझ गई कि वह साड़ी उतार रही थी इसलिए उसका बेटा दूसरी तरफ नजर करके खड़ा हो गया था या देखकर कजरी का मन प्रसन्नता से भर उठा कि उसका बेटा अनजाने में ही वह हरकत किया था असल में वह मन से एकदम साफ है,,, रघु के मासूमियत पर उसके होठों पर मुस्कान आ गई और वह जल्दी-जल्दी सीढ़ियां चढ़ गई और रघु से बोली,,।)

रघु अब जल्दी से मुझे गुड़ का डब्बा थमा दे,,,

ठीक है ना मैं अभी गुड़ का डब्बा थमाता हूं,,,,( इतना क्या कर रहा हूं गुड के डब्बे को पकड़कर उसे अपने हाथों में उठा लिया और ऊपर की तरफ करके अपनी मां के हाथों में थमाने लगा उसकी मां थोड़ा सा नीचे झुककर गुड़ का डब्बा अपने हाथों में थाम ली और उसे लकड़ी के बने छत पर रखने लगी,,, रघु ठीक सीढ़ियों के नीचे खड़ा था और उसके ऊपर कजरी चढ़ी हुई थी रघु अपनी मां की तरफ ऊपर देखा तो दंग रह गया एक बार फिर से उसका मन डोलने लगा क्योंकि उसकी नजर ठीक पेटीकोट के अंदर जा रही थी,,, हालांकि पेटीकोट के अंदर पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था लेकिन फिर भी पेटीकोट के अंदर नजर जाते ही एक एहसास रघु के तन बदन को झकझोर गया,,,। क्योंकि यह बात रघु अच्छी तरह से जानता था कि पहले यह उसे पेटीकोट के अंदर काला अंधेरा नजर आ रहा है लेकिन उस काले अंधेरे के अंदर प्रवेश करने के बाद जिंदगी का सच्चा उजाला ही उजाला है,,, जिस में प्रवेश करके इंसान जिंदगी के सारे अंधकार को भूल जाता है और उसकी चकाचौंध रोशनी में अपने आप को पूरी तरह से डूबो देता है,,, तेरे को को अपनी मां की पेटी कोर्ट के अंदर सिर्फ घुटनों तक का हिस्सा ही साफ नजर आ रहा था लेकिन उसके ऊपर का हिस्सा पेटीकोट में फैले अंधेरे की वजह से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन फिर भी रघु अंदर झांकने की भरपूर कोशिश कर रहा था,,,।

एक डिब्बा रखने के बाद कजरी वापस नीचे झुकी और रघु के हाथों से गुड़ का दूसरा डब्बा भी ले ली। उसी तरह से वह चार डिब्बे को ऊपर रख चुकी थी इस बात से अनजान के नीचे उसका बेटा उसके पेटीकोट के अंदर नजरें गड़ाए खड़ा है उसे तो यही लग रहा था कि उसका बेटा सुधर गया है और वाकई में वह अपनी मां के प्रति गंदी नजर नहीं रखना चाहता था लेकिन अपने मन को कैसे समझाएं जब आंखों के सामने ही इस तरह का मादक दृश्य नजर आ जाता था तो वह अपने मन को रोक नहीं पाता था,,,, रघु अपनी तरफ से पूरी कोशिश किए हुए था कि पेटीकोट के अंदर तक उसे सब कुछ दिखाई दे लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं था लेकिन फिर भी उसकी कोशिश जारी थी,,,,। रघु के पजामे में हलचल मची हुई थी,,, अपनी मां की मदमस्त जवानी को ब्लाउज और पेटीकोट में देखकर वह पूरी तरह से मस्त होने लगा था उत्तेजना की लहर उसके तन बदन को झकझोर रही थी,,,।

कजरी पांचवा डब्बा लेने के लिए नीचे झुकी रघु पांचवा डिब्बा उठाकर अपनी मां के हाथों में समाने लगा दोनों की नजरें आपस में टकराई और कजरी अपने बेटे के वात्सल्य में मुस्कुरा दी,,, और जैसे ही वहां अपने बेटे के हाथ में से गुड़ का डब्बा थाम कर ऊपर लकड़ी के बने छत पर रखने लगी वैसे ही पेटिकोट की ढीली पड़ रही डोरी एकदम से छूट गई और और पेटीकोट बिना शर्म बिना बंदिश के खरखरा कर नीचे उसके पैरों में गिर गई,,,। पल भर में यह क्या हो गया ना तो कजरी को पता चला ना ही उसके बेटे रघु को लेकिन पेटीकोट के गिरने के बाद रघु के आंखों के सामने जो नजारा पेश हुआ उसे देखकर वह पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया,,, अद्भुत गोलाई लिए हुए अपनी मां की गांड को देखते ही रघु के तन बदन में उत्तेजना के शोले धड़कने लगे वह अपनी मां की मदमस्त नंगी गांड को देखता ही रह गया अपनी मां के नंगे नितंबों का घेराव देखकर वह मदहोश होने लगा उसकी आंखें फटी की फटी रह गई कचरी के नितंबों का घेराव रघु के मन की घेराबंदी करने लगा था,,,, अपनी मां की नंगी गांड को देखकर रघु को इस बात का एहसास हो गया कि आज तक ऊसने इतनी खूबसूरत नंगी गांड नहीं देखा था,,,, हालांकि पहले भी वह अपनी मां की नंगी गांड के दर्शन कर चुका था लेकिन उस समय उसकी मां बैठकर मूत रही थी,,, उस समय अच्छी तरह से अपनी आंखों से वह अपनी मां की नंगी गांड का नाम नहीं ले पाया था लेकिन आज उसकी मां सीढ़ियों पर खड़ी थी जिससे वह पूरी तरह से आंखों ही आंखों में अपनी मां के नंगे नितंबों का चौड़ा पन घेराव और गोलाकार सब का नाप ले रहा था,,,
अपने साथ हुए इस हादसे से कजरी पूरी तरह से घबरा गई थी जब तक उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी कमर में बंधी पेटीकोट छूट कर नीचे गिर गई है तब तक काफी देर हो चुकी थी,,, वह नीचे रघु की तरफ देखिए तो उसके चेहरे पर बदलते भाव को देखकर शर्म से पानी पानी हो गई उसे साफ नजर आ रहा था कि उसका बेटा पागलों की तरह उसकी गांड को भूल रहा था जो कि एकदम अपना नंगापन लिए हुए उसकी आंखों के सामने अपने आप को प्रदर्शित कर रहा था,,,।
कजरी के लिए क्या बेहद शर्मनाक घटना थी वह अपने बेटे की आंखों के सामने कभी भी अपनी नंगे बदन को प्रदर्शित नहीं करना चाहती थी लेकिन यह सब अनजाने में हो गया था जिसमें उसका भी कोई दोष नहीं था उसे तो पता ही नहीं चला कि कब उसके कमर में बनी पेटीकोट टूट कर नीचे गिर गई वह जल्द से जल्द पेटीकोट उठाकर अपने नंगे बदन को ढक लेना चाहती थी और इसी अफरा-तफरी को नीचे की तरफ झुकी लेकिन शर्मिंदगी और मारे भय के उसके पैर कांप रहै थे जिसकी वजह से उसके पैर लड़खड़ा गए और वह सीढ़ियों से नीचे गिरने लगी कि तभी रघु अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां को थाम लिया जो कि सीधा उसकी गोद में आ गई थी,,,, सीढ़ियों पर से फिसलने के बाद तो उसे ऐसा लगा कि जैसे उसके नीचे से जमीन खिसक गई हो और वह समझ गई कि अब उसे चोट लगने वाली है लेकिन बीच में ही वह अटक गई थी क्योंकि वह रघु की मजबूत भुजाओं में थी वह उसकी गोद में थी,,, रघु कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह अपनी मां को इस तरह से गोद में उठा लेगा और तब जब वह संपूर्ण रूप से ना सही लेकिन कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी होगी,,, रघु नाराम नाराम अपनी मां के जवान जिसने का स्पर्श पाकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसके पजामे में तंबू बन चुका था,,,, रघु अपनी मां को अपनी गोद में लेकर उसे संभाल चुका था लेकिन आकर्षण की वजह से वह पूरी तरह से मंत्रमुग्ध तावा अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था कजरी भी अपने बेटे की ताकत और हिम्मत को देखकर उसकी आंखों में आंखें डालकर कुछ पल के लिए अपलक उसे देखती रह गई,,,। लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह कमर के नीचे पूरी तरह से मांगी है तो वह शर्मा कर अपनी नजरें नीचे झुका ली और इस बात का एहसास रघु को भी हो गया कि उसके ना शर्म आ गई है,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसी तरह से अपनी मां को गोद में उठाए रह गया तो उसकी माही नजरें दूसरी तरफ किए हुए शरमा कर बोली,,,।

नीचे उतारेगा मुझे कपड़े पहनने है,,,।
( अपनी मां की यह बात सुनकर जैसे वह होश में आया,, और अपनी मां को अपनी गोद में से नीचे उतार कर बाहर चला गया उसकी मां भी पूरी तरह से शर्मिंदा थी वह झट से अपना पेटीकोट उठाकर उसे पहन ली,,।)
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Nevil singh

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कजरी को समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब कैसे हो गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके बेटे की आंखों के सामने उसकी पेटीकोट की डोरी खुल गई थी,,कजरी अपनी ही नजरों में शर्म से गड़ी जा रही थी क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके साथ ऐसा कुछ हो जाएगा,, जिस दिन से रघु खेतों में चोरी-छिपे उसे पेशाब करते हुए देख रहा था तब से लेकर के अब तक कजरी हमेशा उससे अपने बदन को छुपाते आ रही थी,,,लेकिन वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि जितना वह अपने बेटे से अपने बदन को छीपाएगी ऊतना ही वह अपने बेटे की आंखों के सामने खुद खुलती जाएगी। अपने बेटे से वो आंख तक नहीं मिला पा रही थी,,, क्योंकि कमर के नीचे से वह संपूर्ण नंगी होकर उसकी गोद में गिरी थी,,लेकिन इस बात की तसल्ली उसके मन में थी कि अगर उसका बेटा उसे थामने लिया होता तो वह नीचे जमीन पर गिर जाती और चोट लग जाती,, एक तरफ कजरी अपनी हरकत की वजह से पूरी तरह से शर्मिंदगी से घड़ी जा रही थी और दूसरी तरफ जिस तरह से रघु ने उसको अपनी गोद में उठा लिया था उसकी ताकत को देखकर ना जाने क्यों उसके तन बदन में अजीब सा एहसास हो रहा था,,, कजरी बहुत हैरान थी यह सोच कर कि उसका बेटा उसके बारे में क्या सोच रहा होगा क्योंकि वह सिर्फ ब्लाउज पहने हुए थी बाकी पूरी तरह से नंगी थी उसके नंगे पन का एहसास उसके बेटे को जरूर हुआ होगा,,,तभी तो वह एकटक उसके चेहरे को गोद में लिए हुए देखता जा रहा था वह यह भी नहीं समझ पा रहा था कि उसे गोद में से नीचे उतार देना चाहिए,,अगर वह उसे उतारने के लिए ना कहीं होती तो शायद वह उसी तरह से उसे गोद में लिए खड़े रहता,, जो भी हो जिस चीज को छुपाते आ रही थी वह अपने आप ही उसके बेटे की आंखों के सामने खुल चुकी थी जिसमें कजरी को अपनी ही गलती दिखाई दे रही थी,, क्योंकि वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जो कुछ भी हुआ था उसकी गलती से हुआ था,, उसे कसकर अपनी पेटीकोट की डोरी को बांध लेना चाहिए था,,, लेकिन आज तक ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ था उसका बेटा उसके बारे में क्या सोचेगा कहीं वह यह ना सोचने लगे कि जानबूझकर उसने पेटीकोट को नीचे गिरा दी।,,,, ख्याल मन में आते ही कजरी काफी चिंतित हो गई और शर्मसार होने लगी,,,,

दूसरी तरफ रघु इस घटना के बाद अपने घर पर नहीं रोका बल्कि सीधा जाकर खेत के किनारे पेड़ के नीचे बैठ गया। वह अपने तन बदन में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में हुआ था लेकिन फिर भी उस एहसास से कुछ दिनों तक रघु का निकल पाना मुश्किल नजर आ रहा था क्योंकि वह पेड़ के नीचे बैठकर उसी घटना के बारे में कल्पनातीत हुए जा रहा था,, बार-बार उसकी आंखों के सामने वही नजारा घूम रहा था नीचे खड़ा होकर पांचवा गुरु से बड़ा डिब्बा अपनी मां को थमाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया था,,, और फिर जिसके बारे में उसने कभी सोचा नहीं था वह हो गया दबा पकड़ने के लिए जैसे ही उसकी मां नीचे की तरफ चुकी वैसे ही उसके पेटीकोट की दूरी एकदम से खुल गई और उसकी पेटीकोट नौटंकी के परदे की तरह का एक नीचे की तरफ गिर गई,,, लेकिन नौटंकी के परदे के गिरने और उसकी मां के पेटीकोट के खेलने में काफी फर्क था नौटंकी का पर्दा तब गिरता है जब नाटक खेल खत्म हो जाता है लेकिन उसकी मां का पेटीकोट गिरने के बाद ही सारा नाटक और खेल शुरू हुआ,, शुभम अभी भी उस अद्भुत नजारे के बारे में याद करके अपने तन बदन में गर्मी का एहसास कर रहा था,,, उसकी आंखों के ठीक सामने ऊंचाई पर कमर के नीचे उसकी मां के गदराई मदमस्त उभरी हुई गोरी गोरी नंगी गांड नजर आ रही थी,,, जिसकी गोलाकार बनावट बेहद अद्भुत और आकर्षक थी शुभम पहली बार अपनी मां के नितंबों का संपूर्ण गोलाकार आकार देख रहा था,,, हालांकि वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा जरूर था लेकिन उस समय उसकी मां की गांड गोलाकार स्थिति में ना होकर फैली हुई नजर आ रही थी ,,,, कजरी के नितंबों का घेराव रघु के तन बदन में हलचल पैदा कर रहा था और ऊपर से उसकी लंबी चिकनी गोरी टांगें मांसल पिंडलियों यह सब शुभम के लिए उत्तेजना से भर देने वाला नजारा था,,, इस तरह के नजारे के मापने का कोई मापदंड बिल्कुल भी नहीं था लेकिन इस तरह के नजारे को देखकर देखने वाले की क्या हालत होती है बस उसके पजामे की हालत को देखकर ही समझा जा सकता था जोकि इस समय रघु के पजामे में पूरी तरह से गदर मचा हुआ था,,,, रघु का दिमाग उस समय और ज्यादा घूमने लगता था जब वह यह सोचता था कि कहीं उसकी मां यह सब जानबूझकर तो नहीं की,,, क्योंकि उसके दिमाग में यही ख्याल घूम रहा था कि पेटीकोट की डोरी इस तरह से कैसे खुल सकती है और उसकी मां उसकी आंखों के सामने अपनी साड़ी उतारने के लिए तैयार कैसे हो गई,,, रघु यह सब सोचकर अजीब से भंवर में खींचता चला जा रहा था,, रघु को लगने लगा था कि यह सब उसकी मां जानबूझकर की थी उसे उकसाने के लिए,,,पल भर में भी रघु के दिमाग में ढेर सारे सवाल के साथ-साथ खुद ही उसका जवाब भी मिलना शुरू हो गया था,,, अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मां यह हरकत जानबूझकर की थी जिसका जवाब भी यही था कि काफी दिनों से वह पुरुष संसर्ग से दूर थी,,, यह सब सोचते हुए उसे हलवाई की बीवी का ख्याल आया जिसके पास उसका पति भी था लेकिन फिर भी वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर संतुष्टि का अहसास ली थी,,,इसका मतलब साफ था कि जब एक शादीशुदा पति के होने के बावजूद भी शारीरिक तौर पर भूखी रहकर दूसरे से संबंध बनाती है तो उसकी मां तो बरसों से अपने पति के बिना रह रही थी और ऐसे में उसकी शारीरिक भूख जागना औपचारिक ही था,,, शायद उसे भी मोटे तगड़े लंड की जरूरत थी और इसीलिए वह जानबूझकर अपने नंगे जिस्म का नुमाइश अपने ही बेटे की आंखों के सामने कर रही थी ताकि वह पूरी तरह से उत्तेजित होकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे संपूर्ण रूप से संतुष्टि का अहसास दिलाए वर्षों से दबी प्यास शायद अब जगने लगी थी,,, और शारीरिक प्यास को शारीरिक संबंध बनाकर पूरी तरह से बुझाई जाए,,, अपनी मां के बारे में यह सब सोचकर रघु का माथा ठनक रहा था,,,उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उत्तेजना उसके तन बदन को अपनी गिरफ्त में ले रही थी और यही उत्तेजना सही गलत का फैसला नहीं कर पा रही थी उसे अनजाने में ही गीरी पेटीकोट अपनी मां की तरफ से उसे उकसाने वाला संपूर्ण नाटक ही लग रहा था और यही सोचकर वह काफी उत्तेजना का अनुभव करके सड़क से नीचे खेत में उतर गया और झाड़ियों के बीच जाकर अपने पैजामा को घुटने तक गिरा कर अपनी खड़े लंड को हाथ में ले लिया और आंखों को बंद करके कल्पना के सागर में गोते लगाने लगा,,, इस समय रघु को कल्पना के चित्र हकीकत से भी ज्यादा उन्मादक लग रहे थे,,,जिसमें उसकी मां अपने हाथों से उसके पर जाने को नीचे करके उसके खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर हिला रही थी,,,, पर बार-बार उसके लंड की सुपारी पर अपने गुलाबी होठ रखकर चुंबन कर दे रही थी,,, रघु इस तरह का दृश्य सोचते हुए जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था,,, कल्पना में उसकी मां भी अत्यधिक कामातुर नजर आ रही थी जोकि अपनी बुर में अपनी बेटी के लंड को लेने से पहले उसे मुंह में लेकर अच्छी तरह से गिला कर रही थी,,, देखते ही देखते रघु की कल्पना में उसकी मां घुटनों के बल बैठ गई और अपनी मदमस्त मतवाली गांड को ऊपर की तरफ उठाकर अपने बेटे की आंखों के सामने परोस दी,,,कल्पना मुंह से कम अपनी मां की कामुक हरकतों को देखकर पूरी तरह से मदहोश हो गया था,, वह अपनी मां को चोदने की पूरी तैयारी कर चुका था और वह कल्पना में जैसे ही अपनी मां को चोदने के लिए अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों में थामा वैसे ही
रघु की उत्तेजना का पारा एकदम से फुट पड़ा और हकीकत में,,, उसके लंड से गर्म पानी की पिचकारी झाड़ियों पर गिरने लगी,,, पानी निकल जाने के बाद रघु अपने आप को बेहद हल्का महसूस कर रहा था,,,जवानी का जोश शांत होते ही उसका दिमाग काम करना शुरू कर दिया उसे लगने लगा था कि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था उसकी मां की कोई गलती नहीं थी उसकी मां ऐसा नहीं कर सकती,,, यह सब सोचकर और अपनी मुठ मारने वाली क्रिया के बारे में सोच कर वह अपने आप को एक बार फिर से घ्रणित महसूस करने लगा,,, अपने मन में आए गंदे ख्याल के बारे में सोचकर वह अपने आप पर गुस्सा होने लगा और अपना ध्यान अपनी मां की तरफ से हटाने के लिए वह खेतों में बने ट्यूबेल पर नहाने के लिए चला गया,,,

दूसरी तरफ कजरी के बदन पर गुड़ का रस पुरी तरह से लग चुका था,,, बनाना चाहती थी और उसे जरूरत भी थी क्योंकि कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ था अनजाने में ही उन सब के बारे में सोच कर वह पूरी तरह से गर्मा चुकी थी,,, कजरी नहाने के लिए गुसल खाने में गई,,, और अंदर पहुंचते ही अच्छे से लकड़ी के दरवाजे को बंद करके अपने सारे कपड़े उतार दी वैसे भी उसके बदन पर ब्लाउज और पेटिकोट के सिवा कुछ भी नहीं था,,, अपने बदन पर से कपड़े उतारते ही सबसे पहले उसका ध्यान अपने दोनों छलकती हुई जवानी पर गई उसे देखकर ना जाने क्यों उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई,,,, वह अपने दोनों हाथों को अपनी दोनों तनी हुई चुचियों के नीचे करके दोनों संतो को अपने दोनों हथेली में इस तरह से ले ली जैसे कि सीपी में मोती,,, वैसे भी कजरी की मदमस्त जवानी की दोनों छलकती हुई रस से भरे हुए संतरे बेशकीमती मोती की तरह ही थे,,, हालांकि उन दोनों गोलाईयों का आकार बस मोदी की तरह गोल था बाकी ,, दोनों खरबूजा जैसी बड़ी बड़ी थी,,,कजरी के मन में क्या चल रहा था यह खुद कजरी भी नहीं समझ पा रही थी वह दोनों चूचियों को अपने हथेली के ऊपर रखकर उनके से दोनों को बारी-बारी से उठाने लगी मानो की जैसे तराजू में खरबूजा रख कर तोल रही हो,,, फिर ना जाने क्या हुआ वह एकाएक अपनी दोनों चुचियों को अपनी हथेली में रखकर जोर से दबा दी,,, और खुद ही उसके मुख से आह निकल गई,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि आज भी उसकी जवानी ,,,जवानी के दिनों जैसी ही थी,,,, अपने ही द्वारा स्तन मर्दन के कारण मुंह से निकली हुई आह की आवाज को सुनकर वह मुस्कुराने लगी। पेट की नाभि पर ढेर सारा गुड़ का रस लगा हुआ था वह बाल्टी में से लोटे से पानी निकालकर अपनी नाभि पर डालने लगी और उसे अच्छी तरह से साफ करने लगी जब उसे संतुष्टि नहीं हुई तो वह साबुन का टुकड़ा लेकर उस पर मरने लगी और थोड़ा थोड़ा पानी अपनी नाभि पर डालने लगी वैसे तो गुड़ का रस उसकी छातियों पर भी लगा हुआ था लेकिन ना जाने के बाद अपनी नाभि को ही धोए जा रही थी,,,ढेर सारा झाग उसकी नाभि से होता हुआ नीचे की तरफ उसकी टांगों के बीच इकट्ठा हो रहा था जोकि उसके रेशमी भुखमरी बालों को पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया था वह ध्यान से अपनी टांगों के बीच देखी तो उसे अपनी बुर नहीं बल्की बुर पर इकट्ठा हुआ साबुन का झाग नजर आ रहा था,,, कचरी अपनी हथेली को अपनी नाभि से नीचे की तरफ ले जाते ले जाते दोनों टांगों के बीच अपनी तपती हुई भट्टी पर रखकर रुक गई,,,, और उस साबुन के झाग को अपनी कचोरी जैसी फूली हुई और बुर रगड़ने लगी,,,,, एक बार फिर से अनजाने में ही उसके मुख से आह निकल गई लेकिन इस बार उसकी आह दर्द से नहीं बल्कि मदहोशी में निकली थी,,,, उसे अच्छा लग रहा था वह साबुन के झाग को अपनी खूबसूरत रेशमी बालों से भरपूर बुर पर रगड़ने लगी रगड़ने के कारण थोड़ी ही देर में उसकी बुर की ऊपरी सतह पर झागो का ढेर हो गया,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रही है वह अब तक खड़ी थी अपनी दोनों टांगों को फैला कर साबुन लगा रही थी लेकिन वह आराम से नीचे बैठ गई,, और अच्छे से अपनी दोनों नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच टिकाए हुए जोर-जोर से साबुन के झाग को मलने लगी,,, अनजाने में ही बात साबुन के झाग से खेलते खेलते एकदम गरम हो गई उसके चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे साथ ही आनंद के सागर में डूबते हुए उसकी आंखें बंद हो गई और आंखें बंद होते ही उसकी आंखों के सामने वही दृश्य नजर आने लगा जब रघु की आंखों के सामने उसकी पेटीकोट की पूरी अपनी आंख खोलकर उसका पूरा पेटीकोट उसकी टांगों में गिर गई थी और वह अपने ही बेटे के सामने पूरी तरह से नंगी हो गई थी,,,उस दृश्य को सोचते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी जबकि वह ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी लेकिन यह सब अपने आप ही हो रहा था भला मन के घोड़े को कैसे लगाम लगाया जा सकता है वह तो बेलगाम होता है और बेलगाम घोड़ा कहीं भी दौड़ता है कहीं भी कूदता है और ऐसा कजरी के साथ हो रहा था ना चाहते हुए भी उसका ध्यान बार-बार रघु की तरफ जा रहा था,,, कैसे वह अपने बेटे की आंखों के सामने नंगी हो गई कैसे उसका बेटा सीढ़ी से नीचे खड़ा होकर उसकी मदमस्त गोरी बड़ी बड़ी गांड को घुर रहा था,,,, कैसे हो आप उसे गिरते हुए अपनी बलिष्ठ भूजाओ में पकड़ कर अपनी गोदी में ले लिया,,,,,आहहहहहह अद्भुत अहसास से कजरी पूरी तरह से भर गई पहली बार उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसके बेटे की भुजाएं वाकई में काफी बलिष्ठ है वरना जिस तरह से वह गिरी थी कोई भी उसे अपनी गोदी में नहीं ले सकता था,,,,कजरी जोर जोर से अपनी कचोरी जैसी फुली हुई बुर मसलते हुए अपनी कल्पनाओं में खो रही थी,,,,,वह यही सोच रही थी कि जब उसका बेटा उसके नंगे पन को अपनी गोदी में महसूस किया होगा तो क्या सोच रहा होगा,,,, उसका हाल क्या हुआ होगा जब वह खेतों में उसे पेशाब करता हुआ देखकर एकदम मंत्रमुग्ध हो गया था यहां तो वह खुद एकदम नंगी उसकी गोदी में गिर गई थी,,,,,यही सब सोचते हुए उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी जबकि वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी लेकिन तभी उसके मुख से जोर से आह निकल गई क्योंकि काफी उत्तेजित होकर वह मदहोशी के आलम में अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों के बीच से अपनी उंगली को अपनी बुर में डाल दी थी,,,,

आहहहहह,,,,,ऊहहहहहहह,,,,, इस तरह मदहोशी भरी आवाज के साथ कजरी अपनी कचोरी जैसी फूली हुई बुर के अंदर अपनी दो उंगली को धीरे धीरे अंदर बाहर कर रही थी,,, कजरी अपने काबू में बिल्कुल भी नहीं थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई अनजान व्यक्ति उसका हाथ पकड़कर मदहोशी सागर में लिए जा रहा है,,,, यह सब करना पाप आप समझती थी लेकिन आज यह पापों ऊसे पुन्य लग रहा था क्योंकि वह पूरी तरह से मदहोश थी और उत्तेजित सिंह कामवासना के अधीन हो चुकी थी,,,, आंखें बंद थी कल्पना वो का घोड़ा उसे अपनी मर्यादा के विपरीत दिशा में लिए जा रहा था संस्कारों शर्मो हया से मिलो दूर जहां पर इन सब बातों का कोई वजूद नहीं था बस सुख और सुख तृप्ति का एहसास यही सब मायने रखते थे,,,

कल्पनाओं में खोते हुए कजरी अपनी दोनों उंगली को थोड़ी तीव्रता के साथ अपनी बुर के अंदर बाहर कर रही थी।उसे समझ में नहीं आ रहा था यह सब क्या हो रहा है लेकिन आप आज बराबर हो रहा था कि जो कुछ भी हो रहा है उसमें उसे आनंद की प्राप्ति हो रही थी बरसों के बाद उसने अपनी गुलाबी बुर के अंदर अपनी उंगली डाली थी,,,
वासना में वह इस समय पूरी तरह से खो चुकी थी,,, सही गलत क्या है इसका फैसला बाद में करना था। पहले आनंद की परिभाषा को पूरी तरह से आत्मसत करना था।
छोटे से टूटे हुए गुसल खाने में कजरी पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर अपनी नाजुक अंग में दो उंगली पेवस्त करके जवानी का आनंद लूट रही थी,,,, देखते ही देखते उसकी सांसों की गति तेज होने लगी उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,, और थोड़ी ही देर में वह चरम सुख के बेहद करीब पहुंच गई,,, उसके हाथों की गति तेज होने लगी वह थोड़ा और अपनी दोनों टांगों को फैला ली,,, और देखते ही देखते तेज चीख के साथ वह अपने चरम सुख को प्राप्त कर ली,,,,, एकदम मस्त हो गई थी चेहरे की रंगत सुर्ख लाल हो चुकी थी चूचियों के निप्पल एकदम कड़ी हो चुकी थी,,,थोड़ी देर में अपनी सांसो को दुरुस्त करके वह अपने हालात पर गौर की तो शर्म से पानी पानी हो गई,,, उसकी उंगली अभी भी उसकी पुर के अंदर थी वह जल्दी से अपनी दोनों उंगलियों को अपनी बुर से बाहर खींच कर उस पर पानी डाली तो उसकी रेशमी बालों से भरपूर गुलाबी बुर बेहद मनमोहक और संतुष्ट लग रही थी। ‌ लेकिन वासना का तूफान थमने के बाद कजरी अपने आप को धिक्कार ने लगी उसे अपने आप से घिन्न आने लगी,,, क्योंकि वह बहुत ही घिनौनी हरकत कर दी थी अगर उसके ख्यालों में उसकी कल्पनाओं में उसका बेटा ना होता तो शायद वह अपने आप को माफ कर देती लेकिन ना चाहते हुए भी उसके कल्पनाओं के घोड़े पर उसका बेटा ही सवार था,,,, इसलिए वह अपने आपको अपनी ही नजर से गिरता हुआ महसूस कर रही थी,,, उसकी आंखों में आंसू थे वह अपने आप को कोस रही थी,,,क्योंकि कमरे के अंदर जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था लेकिन गुसल खाने में उसमें उसे अपनी ही गलती नजर आ रही थी,,,,, दोबारा कभी ऐसा नहीं होगा ऐसा सोचकर वह मन ही मन में कसम खा रही थी और वह बाल्टी से लोटा भर भर कर पानी अपने ऊपर डाल रही थि ताकि उसका मन एकदम शांत हो जाए ,,,,

इस घटना के बाद से रघु अपनी मां की नजरों के सामने आने से कतराने लगा और कजरी का भी यही हाल था कजरी भी अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी गुसलखाना में की गई हरकत को लेकर उसे ऐसा ही लगता था कि जैसे उसने अपनी उंगली से नहीं बल्कि अपनी कल्पना में अपने बेटे को रखकर उसके लंड को अपनी बुर में लेकर उसे से संभोग सुख प्राप्त की है,,। यह बात उसे अंदर तक झकझोर कर रख दे रही थी,। रघु भी एक बार फिर से अपने आपको अपनी मां के प्रति मन में आए गंदे ख्यालों को रोकने में कामयाब हो गया था। हालांकि शालू बार-बार अपने भाई के लंड के दर्शन करने की चाह लेकर उसे जगाने के लिए उसके कमरे में जाती रही लेकिन दोबारा उसे वह दृश्य नहीं दिखाई दिया जिसकी कामना उसके मन में बसी हुई थी,,,।

लेकिन एक बार फिर वही हुआ जिसका ऊसे डर था,,, रात के तकरीबन 2:00 बज रहे थे,,, चारों तरफ धुप्प अंधेरा छाया हुआ था,, तेरा इतना कहना था कि 2 मीटर की दूरी पर कुछ दिखाई नहीं देता था,,, आसमान में केवल तारे सितारे नजर आ रहे थे,,, चांद बादल के पीछे छिप गया था,,, गर्मी का समय था एक तरफ शालू और उसकी मां सोई हुई थी और दूसरी तरफ रघु अकेले चटाई बिछाकर लेटा हुआ था नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी,,, वह हलवाई की बीवी के ख्यालों में खोया हुआ था बार-बार उसकी बड़ी बड़ी गांड उसकी आंखों के सामने नाच जा रही थी,,,वैसे तो जब भी वह हलवाई की बीवी के बारे में सोचता था तो उसकी आंखों के सामने उसकी मां का जवान जिस में भी नजर आ जाता था,,, लेकिन अपनी मां के बारे में गंदी बातें ना सोचने की कसम खा रखी थी इसलिए वह बार-बार उधर से ध्यान हटा दे रहा था,,,, जिस तरह से भूख लगने पर भोजन करना पड़ता है उसी तरह से शारीरिक भूख इंसान को जब परेशान करती है तो, उसकी भी हालत ठीक रघु की तरह होती है ईस समय उसे शरीर की भूख परेशान कर रही थी और वह हलवाई की बीवी को याद करके मुठ मारने की तैयारी नहीं था वह,, अपनी कमर पर से तो लिया हटाकर अपने खड़े लंड को हाथ में लेकर ऊपर नीचे कर रहा था कि तभी,,,शालू की नींद खुल गई उसे जोर की पेशाब लगी हुई थी,,, बखरी होकर सीढ़ियों से नीचे उतरने ही वाली थी कि ना जाने क्या सोचकर वह रघु की तरफ जाने लगी रघु अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था,,,,लेकिन चूड़ियों की खनक कानों में पड़ते ही वह झट से अपना हाथ हटाकर आंखों को बंद कर ली क्योंकि चूड़ियों की खनक उसे बेहद करीब से सुनाई दी थी,,, शालू की नजर रघु पर पड़ी तो वह हैरान रह गई थी फिर से उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था और आसमान की तरफ मुंह उठाए अपनी औकात दिखा रहा था,,,, हालांकि शालू की नजर तब नहीं पड़ी थी जब वह अपने लंड को हाथ में लेकर हिला रहा था,,, इसलिए उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका भाई पूरी तरह से नींद में है,,, एक बार फिर से शालू के तन बदन में उमंग जगने लगी,,.
Khubsurat update mitr
 

sunoanuj

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Gajab mitr Raghu ko pura landait bana diye ho jab dil kare shuru ho jao ...
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

rohnny4545

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रघु को वापस लौटने में केवल 2 दिन ही बचे थे जो कुछ भी करना था यह उसे 2 दिन में ही करना था और रानी की मद मस्त जवानी उसकी आंखों में वासना की चमक भर रही थी,,, रानी सुमन से छोटी थी लेकिन बहुत खूबसूरत थी,,,,, उसका हर एक अंग तराशा हुआ था,,,,रघु को उसका पूरा बदन उसकी जवानी अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित कर रही थी रघु पूरे जुगाड़ में था कि कैसे रानी को पाया जाए,,,, इसलिए आज वह सुबह से ही उसकी हर एक काम में उसकी मदद कर रहा था,,,, गाय को चारा डालना उनको नहलाना उनका दूध निकालना,,,, इधर-उधर के छोटे-मोटे काम हर एक काम में उसका हाथ बंटा रहा था,,,, और ऐसे ही जब रानी घर के पीछे वाले जगह पर गाय भैंस के लिए बने तबेले में बैठकर गाय का दूध निकाल रही थी तो रघु भी उसके साथ ही था वह दबा दबा कर गाय का दूध निकाल रही थी यह देखकर रघु के मन में शरारत सुझ रही थी,,,रानी को गाय का दूध निकालता हुआ देखकर वह अपने मन में ही सोच रहा था कि काश उसका भी दूध निकालने का मौका उसे मिल जाता तो एक ही दिन में उसके चूची का पूरा दूध निचोड़ डालता,,,,,,, रानी नीचे बैठकर दूध निकाल रही थी और इस तरह से बैठने पर उसकी कुर्ती के अंदर उसके दूध झलक रहे थे जिस पर रघू की नजर पड़ते ही उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,,,


बहुत खूबसूरत दूध है रानी,,,,
(रघु की बातें सुनते ही रानी एकदम से झेंप गई,,, लेकिन कभी रघु बात को संभालते हुए आगे बोला)

कम से कम सुबह शाम 5 5 लीटर तो देती होगी,,,,।

नहीं इतना तो नहीं दे पाती,,,, कुल मिलाकर 4 5 लीटर देती है,,,,(रानी मुस्कुराते हुए बोली)

तब तो तुम्हें अच्छे से निकालने नहीं आता,,,, दूध निकालने में और वह भी दबा दबा कर,,,, मुझसे बेहतर यह काम कोई नहीं कर सकता,,,,


क्यों नहीं कर सकता,,,, मैं भी तो करती आ रही हूं,,,,


अपने हाथ से,,,, मेरा मतलब है कि तुम्हारे हाथ मैं और मेरे हाथ में बहुत फर्क है,,,,
( अपने हाथ से वाली बात का मतलब रानी समझ गई थी इसलिए उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी थी,,, लेकिन वह बोली कुछ नहीं,,,, और रघू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मैं जब भी दबा दबा कर दूध निकालता हूं तो बड़ी शिद्दत से निकालता हूं,,, थोड़ा भी कसर नहीं छोड़ता,,,,,(रघू कुर्ती में से झांक रहे उसके दोनों दूध को देखते हुए बोला,,,)

तो तुम ही निकाल दो,,,(इतना कहते हुए रानी ऊपर नजर घुमाकर रघू की तरफ देखी तो उसकी नजरों को अपनी कुर्ती में आता हुआ देखकर एकदम से शर्मा गई,,, और वह अपनी नजर को अपनी कुर्ती के अंदर घुमा कर देखी तो तो उसे अपनी स्थिति का भान होते ही एकदम शर्म से पानी पानी हो गई इस बात का आभास हो गया कि कुर्ती में से उसकी दोनों चूचियां बड़ी आसानी से नजर आ रही थी,,, रानी अपने आप को व्यवस्थित करते हुए खड़ी हो गई हो रघु को गाय का दूध निकालने के लिए बोली,,,, ओर रघु एकदम उत्साहित होता हुआ अपनी जगह बना कर बैठते हुए बोला,,,।

अच्छा हुआ रानी तुमने मुझे यह काम सौंप दें क्योंकि दूध निकालने का काम केवल मर्दों का ही औरतों का नहीं,,,
(रघु के कहने का मतलब रानी अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी वह खामोश खड़ी होकर देखती रह गई,,,, क्योंकि इस तरह से उसके साथ किसी ने भी अब तक इस तरह की बातें नहीं की थी रघु पहला लड़का था जो उससे इस तरह की गंदी बातें कर रहा था लेकिन बेहद सुलझे हुए शब्दों में,,, रघू गाय के दूध को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए दूध की पिचकारी बाल्टी में मारने लगा,,,, वह काफी उत्साहित और उत्तेजित था क्योंकि उसके ख्यालों में रानी बसी हुई थीपर वो ऐसा कल्पना कर रहा था कि जैसे वह गाय के दूध को नहीं बल्कि रानी की दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा हो,,,, और जिस तरह से रघु गाय के थन को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाता था उसे देखकर रानी शर्म से कड़ी जाएगी ना जाने क्यों उसे ऐसा महसूस होने लगा था कि जैसे वह गाय का दूध नहीं बनती उसकी ही सूची को पकड़कर जोर जोर से दबा रहा है उसके बदन में सिहरन सी दौड़ ने लगी,,, उसे अजीब सा महसूस होने लगा,,,, और वह वाकई में देखते ही देखते पूरी बाल्टी दूध से भर दिया रानी भी हैरान थी क्योंकि आज तक उसने इतना दूध कभी नहीं निकाल पाई थी,,,,। तभी रघू एक और शरारत करते हुए गाय के दूध को पकड़ कर उसकी दूध की पिचकारी को अपना मुंह खोलकर अपने मुंह में मारने लगा और उसका दूध पीने लगा रानी के तन बदन में हलचल सी मच में लगी उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति खराब होने लगी उसे अजीब सा महसूस होने लगा इस तरह से उसने कभी भी अपने बदन में हलचल महसूस नहीं की थी,,,,,



दूध पकड़कर दबा दबा कर पीने का मजा ही कुछ और है,,,
(रानी रघु के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन शर्म के मारे कुछ भी बोल नहीं पा रही थी,,, तभी रघु अपनी बात को घुमाते हुए बोला,,,।)

अच्छा रानी कल तो तुम्हारी दीदी अपने ससुराल चली जाएंगी,,, तुम्हें कैसा लगेगा,,,,।

मुझे तो बहुत खराब लगेगा,,,,, सच कहूं तो मैं तो दीदी का हमेशा आने का इंतजार करती रहती हूं,,,,।


तो इसलिए दुखी होने की क्या बात है फिर चली आएंगी,,,


फिर ना जाने कब आना होगा,,,,


जल्द ही आना होगा रानी,,,, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे और तुम्हारी दीदी के चेहरे की उदासी भगवान ज्यादा दिन तक देख पाएंगे,,।


मैं कुछ समझी नहीं तुम क्या कहना चाहते हो,,,,।


मेरा मतलब बिल्कुल साफ है,,,, तुम बोली थी ना कि अभी तक मौसी नहीं बन पाई हो,,,, तो मुझे इस बार जरूर लगता है कि तुम्हारी दीदी मां बनेगी और तुम मोसी,,,


अगर ऐसा हुआ रघु तुम्हें बहुत खुश होंऊगी,,,, क्योंकि मुझे भी दीदी का दुख देखा नहीं जाता,,।

ऐसा ही होगा रानी मेरा दिल कहता है,,,,,(रघु यह बात अपने आत्मविश्वास के साथ कह रहा था क्योंकि उसे प्रताप सिंह पर नहीं बल्कि अपने ऊपर विश्वास अपनी चुदाई पर विश्वास था,,, क्योंकि जिस तरह से वह मौका मिलते ही जमीदार की बीवी की ले रहा था और अपना वीर्य उसकी बुर के अंदर भर रहा था उससे उसे पूरी उम्मीद थी कि जल्द ही प्रताप सिंह की बीवी मां बन जाएगी,,,, रानी रघू की बात सुनकर बेहद खुश नजर आ रही थी,,, और उसका प्रसन्नता से भरा हुआ चेहरा रघु के दिल पर दस्तक दे रहा था रघु का दिल कर रहा था कि उसे आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में ले ले उसके लाल-लाल होठों को अपने होंठों में भर कर उसका रसपान कर ले,,,, रघु रानी के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए बोला,,,)

रानी तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,
(रघु की यह बात सुनकर रानी उसे आश्चर्य से देखने लगी,,,)

सच रानी तुम बहुत खूबसूरत हो मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की नहीं देखा,,,,
(रघु की बात सुनकर रानी शर्मा के क्योंकि इस तरह की बात कहने वाला रघु उसकी जिंदगी में पहला लड़का था इसलिए इस तरह की बातें सुनकर वो एकदम से शरमा गई और शर्मा को लगभग भागते हुए तबेले के बगल में ही बने स्नानागार में घुस गई,,,, और जोर जोर से सांस लेने लगी,,, रघु की बातों से वह घबरा गई थी लेकिन रघु की यह बात उसे अच्छी भी लगी थी,,,,,)



तुम्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी क्या रानी,,,,(रघु स्नान घर के दरवाजे के बाहर खड़ा होकर बोला,,, रानी का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,, वह क्या बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,)

तुम नाराज तो नहीं हो ना रानी,,,,
(रानी को अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि जवाब में वह क्या बोले )

कुछ तो बोलो रानी,,,,,


नहीं,,,,,(रानी कांपते स्वर में बोली,,,, रानी का जवाब सुनकर रघू के होठों पर हंसी आ गई,,,,)

अब तुम यहां से जाओ मुझे शर्म आ रही है मुझे नहाना है,,,


लेकिन मैं तो बाहर खड़ा हूं कुछ देख भी नहीं रहा हूं और ना ही कुछ दिखाई दे रहा है दरवाजा भी बंद है फिर भी तुम्हें शर्म आ रही है,,,,


हां आ रही है मैं कुछ और नहीं सुनना चाहती तुम अभी जाओ,,,,(रानी मंद मंद मुस्कुराते हुए लेकिन बेहद कड़े लहजे में बोली)



ठीक है तुम नहा लो फिर बाद में बातें करेंगे,,,,
(इतना कहकर रघू खामोश हो गया,,,, लेकिन वहां से गया नहीं क्योंकि वह रानी को यह आभास दिलाना चाहता था कि वह वहां से चला गया है और रानी भी कुछ देर तक छाई खामोशी को महसूस करते हुए समझ गए कि रघु वहां से चला गया है लेकिन फिर भी तसल्ली कर लेने के लिए वह धीरे से दरवाजा खोल कर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी लेकिन वहां कोई नहीं था यह देख वह मुस्कुराते हुए दरवाजा बंद कर दे लेकिन किसी के ना होने की तसल्ली पाकर वह दरवाजे की कड़ी नहीं लगाई और दरवाजा बंद करते हुए पेड़ की ओट में छुपा हुआ रघु बाहर निकल आया और वहीं पर बैठ गया,,, रानी गीत गुनगुनाते हुए अपने कपड़े उतारने लगी,।,,,एक-एक करके उसने अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम के अंदर एकदम नंगी हो गई लेकिन जब वह,,,, अपनी सलवार को रस्सी पर टांग रही थी तो उसे अपनी सलवार पर छोटा सा चूहा चिपका हुआ नजर आया और वह उसे देखकर एकदम से घबरा गई और घबराहट में उसकी चीख निकल गई,,,, उसकी चीख को पास में ही बैठे रघू ने सुन लिया,,,, रानी स्नानघर में एकदम से घबरा गई थी यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी चूहा छिपकली और तिलचट्टे को देख कर वह चीख उठती थी,,, बाप ने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो चुकी थी लेकिन घबराहट में उसे कुछ भी सूझ नहीं रहा था वह स्नान घर का दरवाजा खोलकर बाहर निकलने ही वाली थी कि तभी उससे पहले ही रघु स्नान घर के दरवाजे को जोर से धक्का देकर अंदर घुस गया रानी कम घबराई हुई थी वह स्नान घर से बाहर निकलना चाहती थी इसलिए सीधे जाकर रघु से टकरा गई और उसे कस के पकड़ ली,,,,, रघु स्नानघर में घुसते ही अपनी प्यासी आंखों से देख लिया था की रानी एकदम नंगी थी और खुद ही उसकी बाहों में आ चुकी थी इसलिए बार इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था और मैं खुद उसे अपनी बाहों में भर लिया उसकी नंगी चिकनी पीठ को सहला ते हुए उसे शांत करते हुए बोला,,,।

शांत हो जाओ शांत हो जाओ रानी क्या हुआ बताओ,,,।

चचचचच,,,, चूहा चूहा है वहां,,,(अपने हाथ से सलवार की तरफ इशारा करते हुए बोली)

चूहा कहां है चूहा और तुम चूहे से इतना घबराती हो,,,,


मुझे चूहे से बहुत डर लगता है रघु मेरी सलवार में चुका है,,,(रानी एकदम घबराती हुई उसके सीने में अपने आप को छुपाते हुए बोली)

सलवार में,,,,लेकिन रानी तुम तो कपड़े नहीं पहनी हुई हो तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई हो,,,,।

(इतना सुनते ही वह एकदम से घबरा गई और अपने आप को एक निगाह डाल कर देखने लगी और अपने आप को एकदम नंगी पाकर वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,, घबराहट में उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि वह कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी है,,,, उसे रघू से अलग होने में भी झुंझलाहट महसूस हो रही थी,,, ऊसे शर्म आ रही थी,,,वह रघु को ही अपना वस्त्र बनाकर उसे लिपटी हुई थी और अपने अंगों को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,, वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करें,,, अजीब सी उलझन में फंसी हुई थी,,,, उसे इस बात का डर था कि या गरबा रघु के बदन से अलग होकर रस्सी पर टंगे हुए कपड़ों तक जाएगी तो रघु उसके अंदरूनी अंगों को देख लेगा,,, जो कि वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी उसे शर्म आ रही थी,,, रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

शायद रानी डर की वजह से तुम्हें इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि तुमने की हो चुकी हो और इसी स्थिति में यहां से बाहर निकलने वाली थी सोचो अगर यहां से बाहर निकल जाती और तुम्हें कोई और देख लेता तो क्या होता,,,।

मैं नहीं जानती,,,,

तुम बहुत डरपोक हो रानी छोटे से चूहे से डर गई और वह भी इस स्थिति में एकदम नंगी,,,, तुम्हारा एक एक अंग दिखाई दे रहा है,,,,(रानी को समझ में नहीं आ रहा था कि रघु के इन सब बातों का वह क्या जवाब दें,,, ना जाने क्यों रघु की बाहों में उसे सुकून महसूस हो रहा था उसके लिए पहली मर्तबा था जब वह एक जवान लड़के का स्पर्श पा रही थी,,,,)

ऐसा मत बोलो रघू मुझे शर्म आ रही है,,,।


और यहां से बाहर चली गई होती तो क्या होता ,,,,,

कुछ नहीं होता तुम यह सब बातें मत करो,,,,




कैसे ना करूं रानी तुम बहुत खूबसूरत हो,,,( रानी के जवान नंगे बदन का स्पर्श रघु मदहोश हुआ जा रहा था,,,, पहली बार एक जवान लड़की उसकी बाहों में थी और वह भी एक दम नंगी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह धीरे-धीरे उसे अपनी बाहों में कस रहा था और उसकी नंगी चिकनी पीठ पर अपनी हथेलियां फिरा रहा था,,, रघु की हरकत की वजह से रानी के बदन में खुमारी छा रही थी रघु के पजामे में उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होता जा रहा था और तंबू की शक्ल में आता जा रहा था और देखते ही देखते रानी की दोनों टांगों के बीच दस्तक देने लगा रानी को अजीब लग रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था उसकी दोनों टांगों के बीच क्या चुभ रहा है,,, अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेना चाहती थी और रघु इस बात को अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसका खड़ा लंड तंबू की शक्ल में रानी की बुर पर दस्तक दे रहा है,,,रघु की हालत खराब होती जा रही थी और आने की खूबसूरत गुलाबी बुर को देखना चाहता था अपनी आंखों में उसके अक्स को भर लेना चाहता था,,,,,, तभी रानी अपनी दोनों टांगों के बीच क्या चुका है यह देखने के लिए हल्का सा अपनी नजर को नीचे की तरफ घुमाई तो अपनी दोनों टांगों के बीच का नजारा देखकर उसकी घिघ्घी बंध गई,,,,उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी दोनों टांगों के बीच क्या चुभ रहा है वह एकदम मदहोश होने लगी,,, उसकी सांसों की गति तेज होने लगी उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी नरम नरम चुचियों का दबाव रघु की चौड़ी छाती पर बढने लगा,,,,रघु को इस बात का एहसास हो गया कि जाने को पता चल गया है कि उसकी दोनों टांगों के बीच उसका लंड ठोकर मार रहा है इसलिए अब रघु उसे अपनी बांहों की कैद से आजाद नहीं होने देना चाहता था इसलिए अपना दोनों हाथ उसकी चिकनी नंगी पीठ सहलाते हुए नीचे की तरफ ले जाने लगा और देखते ही देखते जितना हो सकता था उतना रानी कीमत मस्त गांड को अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया,,,, उत्तेजना के मारे रघु रानी कीमत मस्त गोल-गोल कांड को इतनी चोरों से दबाया की रानी के मुंह से हल्की सी कराहने की आवाज फुट पड़ी,,,।


आहहहहहह,,,,,,,

(लेकिन जवानी का जोश नई उम्र की उमंग और पहली बार एक मर्दाना जोश से भरे हुए नौजवान लड़के का स्पर्श पाकर रानी बिगड़ने लगी वह उसे रोकने के लिए जरा भी हरकत नहीं कर रही थी वह खामोश थी मदमस्त थी मदहोश थी खुमारी से भरी हुई मदमस्त जवानी से भरी हुई,,, ऐसा लग रहा था उसने अपना सारा वजूद रघू कि हाथों में सौंप दि है,,,,एक तरह से वह रघू को उसकी मनमानी करने की पूरी तरह से आजादी दे दी थी,,, रघु जी भर के उसके जवान नितंबों से खेल रहा था देखते ही देखते उसकी गौरी गांड टमाटर की तरह लाल होने लगी,,,,रघु इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा देना चाहता था इसलिए हल्की-हल्की अपनी कमर को हिलाता हुआ अपने लंड का ठोकर उसकी बुर पर बराबर दे रहा था,,, और रघु की यह हरकत रानी को पिघलने के लिए मजबूर कर रही थी,,,। देखते ही देखते रानी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,, यह गर्म सिसकारी की आवाज उसकी तरफ से पूरी तरह से इजाजत थी रघु को कुछ भी करने के लिए,,,,रानी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी लेकिन हालात ही कुछ ऐसे होते जा रहे थे जिससे वह अपने आप को रोक नहीं पा रही थी और ना ही रघु को रोक रही थी,,,। रानी के लिए सब कुछ पहली बार था,,,पहली बार वह मदहोश हो रही थी पहली बार वो जवानी के अद्भुत पल में खोती चली जा रही थी पहली बार पुरुष संसर्ग का सुख प्राप्त कर रही थी,,,


रानी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु को भी लगने लगा कि मंजिल अब बिल्कुल भी दूर नहीं है बस सही तरीके से रास्ता पार करना है उनकी मंजिल से मिलने का मजा भरपूर मिल सके,,,

रघु धीरे से रानी का खूबसूरत चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर उसे ऊपर उठाते हुए उसके खूबसूरत गुलाबी होठों को देख कर बोला,,।

तुम्हारे होंठ बहुत खूबसूरत है रानी,,,,
(इतना सुनकर रानी के गुलाबी होंठ उत्तेजना के मारे कांपने लगे और रघु बिल्कुल भी देर न करते हुए रानी के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख कर उसके होंठों का रसपान करने वाला देखते ही देखते रानी उसका सहयोग करने लगी जवानी के मदहोशी में वह अपने आप को बहने पर मजबूर कर दे रही थी,,, रघु को मजा आ रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी आसानी से रानी उसकी बाहों में आ जाएगी भला उस छोटे से चूहे का जिसने इतना बड़ा काम इतनी जल्दी और एकदम आसानी से कर दिया,,,रघु उसके गुलाबी होठों का रसपान करते हुए अपना एक हाथ ऊपर की तरफ जाते हुए उसके संतरे पर रखकर उसे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया रघु की इस हरकत की वजह से रानी के उत्तेजना में चार चांद लग ते जा रहे थे,,,, वह मदहोश होने लगी थी छोटे छोटे संतरो को दबाने में रघू को बेहद आनंद आ रहा था,,,,


सससहहहहहहहह आहहहहहहहहहह,,,,,,,
(रानी के मुख से निकलने वाली गरमा-गरम सिसकारी रघु को मदहोश किए जा रही थी भले ही रानी के लिए पहली बार था लेकिन उसकी गर्म सिसकारी की आवाज वही बरसों पुरानी हर एक औरत के मुंह से मदहोशी के आलम में निकलने वाली गर्म सिसकारी की आवाज थी,,,, जिसे सुनकर रघु रानी के साथ आगे बढ़ने के लिए मजबूर होता चला जा रहा था,,,,, कुछ देर तक उसके गुलाबी होठों का रसपान करने के बाद रघु अपने मुंह को नीचे की तरफ लाकर उसके दोनों संतानों में से एक संतरे को हाथ से पकड़ कर दूसरे संतरे को मुंह में भर कर उसे चूसना शुरू कर दिया,,,


ससससहहहहहह आहहहहहहहह,,, रघू,,,,,,आहहहहहहह,,,,( रघु की कामुक हरकत की वजह से रानी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज निकलते जा रही थी रघु अपनी जीत और मुंह का बराबर उपयोग करते हुए रानी के दोनों संतरो को अपने मुंह में बारी बारि से भर कर उन दोनों का स्वाद ले रहा था,,,,, स्नानघर में रानी कभी सोची भी नहीं थी कि उसके साथ इस तरह का वाकया पेश हो जाएगा,,,कुछ भी हो रानी अपने कौमार्य को अपनी गुलाबी बुर को अपने पति के लिए संजो के रखी हुई थी,,,,लेकिन उसे आज यकीन हो चला था कि जवानी के जोश में वह अपनी प्रतिज्ञा को बरकरार नहीं रख पाए कि और आज वह अपनी गुलाबी बुर को रघु के हाथों में सौंप देगी,,,,,और उसकी यही सोच को सच करते हुए रघु अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर उसकी गुलाबी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसे मसल ना शुरू कर दिया,,, हथेली का स्पर्श अपनी गुलाबी बुर के ऊपर करते ही,,, रानी एकदम से मचल उठी उसके अंग अंग में उत्तेजना का तुफीन उमड़ने लगा वह अपने आप को बिल्कुल भी संभाल नहीं पा रही थी,,,, उत्तेजना के मारे उसका अंग ऊपर की तरफ उठ जा रहा था ,,

ओहहहहहह,,,,,रानी तुम्हारी बुर कितनी खूबसूरत हो मस्त है बहुत पानी निकल रहा है,,,।
(रघु के इस तरह की गंदी बातें सुनकर रानी का बुरा हाल था वह पूरी तरह से पिघल रही थी वह अपने आप हमें बिल्कुल भी नहीं थी रघु पूरी तरह से उसे अपने गिरफ्त में ले चुका था रघु के द्वारा हथेली की रबड़ अपनी बुर के ऊपर महसूस करते हुए पूरी तरह से गर्मा चुकी थी,,,,, रघु के क्लियर यह पल बेहद अद्भुत और उन्माद से बना हुआ था वह इस पल को जिंदगी में कभी भी भूलने वाला नहीं था देखते ही देखते रहने की आंखों के सामने वह अपने घुटनों के बल बैठ गया रानी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करने वाला है शर्म के मारे वह ठीक से रघू को देख भी नहीं रही थी वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी,,, रघु अपनी आंखों में उत्तेजना का समंदर लिए रानी की गुलाबी बुर को देख रहा था जोकि बेहद चिकनी और हल्की-हल्की रेशमी बालों से सुशोभित थी,,,।रघु उसे बड़े गौर से देख रहा था अपनी बड़ी बहन के पास यह उसकी जिंदगी में आने वाली दूसरी लाजवाब और लजीज बुर थी,,,

उत्तेजना के मारे रानी का गला सूखता चला जा रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था सांसे बेहद भारी चल रही थी और सांसो के ऊपर नीचे उठ रही लहर के साथ-साथ उसकी दोनों लाजवाब संतरे ऊपर नीचे हो रहे थे,,, रानी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि आगे क्या होने वाला है और उसकी सोच के बिल्कुल विरुद्ध रघु उसकी दोनों मांसल चिकनी जांघों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़ा सा फैलाते हुए अपने प्यासे होठों को रानी की कोरी बुर पर रख दिया,,,,।

आहहहहहह,,,,,,,, रघु की इस हरकत की वजह से रानी का पूरा वजूद कांप उठा उसके घुटनों में कंपन महसूस होने लगी,,,, वह लगभग लगभग गस्त खाकर गिरने वाली थी लेकिन रघु उसके दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ कर उसे संभाले हुए था,,, रानी को यकीन नहीं हो रहा था कि बुर को कोई चाट भी सकता है ,,,,उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन यह हकीकत था कि जो कुछ भी हो रहा है वह शत प्रतिशत सत्य था रघु पागलों की तरह उसकी बुर को चाट रहा था उसमें से निकलने वाला नमकीन मधुरस वह अपनी जीभ से चाट चाट कर अपने गले के नीचे उतार रहा था,,,। रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि रानी के लिए पहला मौका था अब तक उसने चुदाई का किसी भी तरह से आनंद नहीं दी थी इसलिए वह इस बात से संपूर्ण रूप से अवगत था कि उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी छोटी सी दूर के अंदर घुसने वाला नहीं है लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि चोदने लायक बुर के अंदर लंड आखिरकार घुस ही जाता है,,,, बस थोड़ी बहुत मशक्कत करनी पड़ती है इसलिए रघुअपनी एक उंगली धीरे से रानी की बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करते हुए रानी को और ज्यादा मस्त करने लगा,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था शायद यह जरूरी भी नहीं था सब कुछ आंखों ही आंखों में बयां हो रहा था,,, देखते ही देखते रघू अपनी दूसरी उंगली भी,,, रानी की बुर के अंदर डालकर उसे अंदर-बाहर करने लगा रानी की हालत खराब होती जा रही थी,,। रानी कोरघु की उंगली से ही चुदाई का भरपूर आनंद मिल रहा था वह मजे लेकर रघु के उंगली को अंदर बाहर करवा रही थी,,, रानी का संपूर्ण बदन थर थर कांप रहा था,,,, वह सब कुछ भूल चुकी थी रघु बेहद चालाक लड़का था वह अपनी उंगली का उपयोग करके अपने लंड के लिए रानी की कसी हुई बुर के अंदर जगह बना रहा था,,, रानी की तेज चलती सांसो को देखकर रघु को समझ में आ गया कि अब वक्त आ चुका है लोहे पर वार करने के लिए,,,, इसलिए रघु खड़ा हुआ और पलक झपकते ही अपने कपड़े को उतार करएकदम नंगा हो गया रानी जिंदगी में पहली बार किसी लड़के का मर्दाना ताकत से भरपूर लंड देख रही थी जितना लंबा तगड़ा लंड देखकर वह अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,,

बाप रे बाप इतना बड़ा,,,,(इन सब क्रियाकलाप के दौरान यह उसके मुंह से निकलने वाला पहला शब्द था जिसे सुनकर रघु एकदम खुश हो गया वह अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,)

लंड लंबा और मोटा हो तभी तो लड़कियों को चुदवाने में मजा आता है,,,,

लेकिन क्या यह घुस पाएगा,,,(रानी अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी छोटी सी बुर की तरफ देखते हुए बोली,,,।)

आराम से चला जाएगा रानी बिल्कुल की चिंता मत करो,,,,

(रानी अंदर ही अंदर घबरा रही थी लेकिन रघु के लंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए लालायित भी थी,,,,)
बस इसे एक बार अपने हाथ में लेकर इस से प्यार करो फिर देखो यह कितने आराम से तुम्हारी बुर के अंदर जाता है,,,, डरो मत रानी,,,(रघु रानी का हाथ पकड़ते हुए बोला,,, रानी भी रघु के लंड से से खेलना चाहती थी लेकिन वह शर्म आ रही थी,,अरे रघु उसके शर्म को दूर करते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया जो कि बेहद गर्म था,,, रानी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पहली बार उसका हाथ का स्पर्श लंड पर हुआ था वह मदहोश होने लगी और कस के रघु के लंड को अपनी मुट्ठी में भींच ली,,,

देखी तुम खामखा घबरा रही थी,,,, अब इसे हिलाओ रानी बहुत मजा आएगा,,,,
(रानी आज्ञा का पालन करते हुए हिलाने से क्या उसे मजा आया था ज्यादा मजा उसे लंड को देखने में आ रहा था अजीब सा बनावट था वह अपने मन में लंड के आकार को लेकर बेहद उत्सुक थी अपने मन में यही सोच रही थी कि लंड एकदम गाय भैंस को बांधने वाला खूंटा की तरह था एकदम खड़ा एकदम कड़क एकदम मजबूत,,,,, रघु आनंद से भाव भीभोर होता जा रहा था,,,,)

बस रानी अब ईसे मुंह में लो,,,,

नहीं नहीं यह मुझसे बिल्कुल भी नहीं होगा, (रानी खबर आते हुए बोली और रघु से समझाते हुए बोला,,)

घबराओ मत रानी कुछ नहीं होगा बस मजा आएगा,,,,, देखी नहीं मैंने कैसे तुम्हारी बुर को अपनी जीभ से चाटा कितना मजा आया तुम्हें भी और मुझे भी,,,,
(रघु की बात सुनकर रानी का भी मन करने लगा था उसे भी इस बात का आभास था कि परसों रघु और उसकी दीदी चले जाएंगेफिर ना जाने कब ऐसा मौका मिले ना मिले इसलिए वह भी इस मौके का पूरा फायदा उठा लेना चाहती थी वह भी उस मर्दों के द्वारा मिलने वाले हर एक से खुद को महसूस कर लेना चाहती थी इसलिए वह तैयार हो गई,,,, और वह भी प्रभु की करा अपने घुटनों के बल बैठ गई।,,और रघु के लंड को मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दी शुरू में तो उसे कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे वह मदहोश होने लगी उसे मजा आने लगा जितना हो सकता था उतना गले तक उतार कर मजा लेने लगी,,,,
थोड़ी ही देर में दोनों तैयार हो चुके थे रानी चुदवाने के लिए और साधु चोदने के लिए,,,,



रघु अच्छी तरह से जानता था कि आप उसे क्या करना है,,, वह नीचे रानी के हीं कपड़ों को बिछाकरउस पर पीठ के बल रानी को लिटा दिया और उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने लिए जगह बना लिया रानी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह धड़कते दिल और प्यासी नजरों से अपनी दोनों टांगों के बीच देखे जा रही थी जिस पर रघु पूरी तरह से छाने के लिए तैयार था,,,। धीरे-धीरे करके रघू थूक लगाकर आखिरकार अपने लंड को रानी की कुंवारी बुर के अंदर डाल ही दिया हालांकि ऐसा करने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी रानी को बेहद दर्द का सामना करना पड़ा लेकिन रघु बार-बार उसका हौसला बढ़ाता जा रहा था कि दर्द के बाद ही मजा आएगा और सच में ऐसा ही हो रहा था कुछ देर पहले लंड की घुसते ही जिस तरह से रानी चिल्ला रही थी रघु को लग रहा था कि रानी उसे ज्यादा जेल नहीं पाएगी लेकिन जैसे ही रघु पूरी तरह से रानी को अपनी आगोश में लेकर धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया वैसे वैसे ही रानी का दर्द कम होता गया और देखते ही देखते दर्द आनंद में बदल गया अब उसके मुख से दर्द की कराने की आवाज नहीं बल्कि मस्ती भरी सिसकारी की आवाज आ रही थी जोकि पूरे स्नानघर में गूंज रही थी,,,, रघु का लंड काफी मोटा और लंबा था,,,जिसे हिम्मत दिखाते हुए रानी पूरा अंदर तक ले चुकी थी और उसे इस बात का अहसास अच्छी तरह से हो रहा था कि वाकई में चुदाई का असली मजा लंबे लंड से ही आता है,,,रानी की सांसे तेज चल रही थी गरम सिसकारी की आवाज पूरी तरह से मस्त कर रही थी,,, रानी की गोरी गोरी चिकनी जांघें है रघु की जांघों से टकरा रही थी,,,, मजा दोनों को आ रहा था रघु ने एक और बुर पर फतह पा लिया था,,,,,, तकरीबन 35 मिनट की अद्भुत गरमा गरम चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए,,,,।


रानी खुश थी जिंदगी में पहली बार उसे चुदाई का आनंद जो प्राप्त हुआ था चुदाई का आनंद ईतना अद्भुत होता है इस बात का एहसास उसे आज पहली बार हो रहा था,,, रानी शर्म के मारे रघु से नज़रें नहीं मिला पा रही थी वह रघू से बार-बार स्नानाघर से बाहर निकल जाने के लिए कह रही थी,,, रघु अपने कपड़े उठाकर पहन चुका था लेकिन रानी उसी तरह से नंगी पड़ी थी क्योंकि उसे नहाना था,,,।

रघु अब तुम जाओ मुझे नहाना है बहुत देर हो चुकी है,,,,

ठीक है रानी मैं जा रहा हूं तुमने जो मुझे अद्भुत सुख दी हो वह मुझे जिंदगी भर याद रहेगा,,,,
(रघु की बात सुनकर रानी शर्मा कहीं और शर्मा का दूसरी तरफ मुंह फेर कर खड़ी हो गई रघु जाने वाला था लेकिन उसे इस तरह से घूम कर दूसरी ओर मुंह करके खड़ी देखकर उसकी नजर एक बार फिर से उसके गोलाकार नितंबों पर पड़ी है और वह रनिंग के जवान मदमस्त गोल गोल गांड को देखकर एक बार फिर से मदहोश होने लगा,,,और उससे रहा नहीं गया और वह रानी का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया तो रानी बोली,,,

अब क्या है रघू,,,?

रानी अब ना जाने कब तुमसे मुलाकात होगी,,,

तो,,,,?

तो क्या मैं एक बार फिर से तुम्हारी लेना चाहता हूं लेकिन इस बार पीछे से,,,,(रानी को समझ पाती इससे पहले ही रघु उसे दीवार की तरफ घुमा कर खड़ी कर दिया,,, और उसे दीवार का सहारा लेकर झुकने के लिए कहने लगा रानी भी एक बार फिर से रघु के लैंड का मजा लेना चाहती थी इसलिए वह भी रघु की बात मानते हुए झुक गई और एक बार फिर से रघु कि जैसे रानी की बुर के अंदर अपना लंड उतार दिया,,,, एक बार फिर से नई तरीके से रानी ने चुदाई का भरपूर आनंद ली,,,।

आखिरकार विदाई का समय आ गया सबकी आंखें नम थी लेकिन सबसे ज्यादा दुखी रानी थी शायद जिंदगी में संभोग का सुख उसे फिर कब मिले यह सोचकर व ज्यादा दुखी थी,,,, रघू सब से विदा लेकर और प्रताप सिंह की बीवी को तांगे में बिठाकर अपने गांव के लिए निकल पड़ा,,,।
 
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Dhansu

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रघु को वापस लौटने में केवल 2 दिन ही बचे थे जो कुछ भी करना था यह उसे 2 दिन में ही करना था और रानी की मद मस्त जवानी उसकी आंखों में वासना की चमक भर रही थी,,, रानी सुमन से छोटी थी लेकिन बहुत खूबसूरत थी,,,,, उसका हर एक अंग तराशा हुआ था,,,,रघु को उसका पूरा बदन उसकी जवानी अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित कर रही थी रघु पूरे जुगाड़ में था कि कैसे रानी को पाया जाए,,,, इसलिए आज वह सुबह से ही उसकी हर एक काम में उसकी मदद कर रहा था,,,, गाय को चारा डालना उनको नहलाना उनका दूध निकालना,,,, इधर-उधर के छोटे-मोटे काम हर एक काम में उसका हाथ बंटा रहा था,,,, और ऐसे ही जब रानी घर के पीछे वाले जगह पर गाय भैंस के लिए बने तबेले में बैठकर गाय का दूध निकाल रही थी तो रघु भी उसके साथ ही था वह दबा दबा कर गाय का दूध निकाल रही थी यह देखकर रघु के मन में शरारत सुझ रही थी,,,रानी को गाय का दूध निकालता हुआ देखकर वह अपने मन में ही सोच रहा था कि काश उसका भी दूध निकालने का मौका उसे मिल जाता तो एक ही दिन में उसके चूची का पूरा दूध निचोड़ डालता,,,,,,, रानी नीचे बैठकर दूध निकाल रही थी और इस तरह से बैठने पर उसकी कुर्ती के अंदर उसके दूध झलक रहे थे जिस पर रघू की नजर पड़ते ही उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,,,


बहुत खूबसूरत दूध है रानी,,,,
(रघु की बातें सुनते ही रानी एकदम से झेंप गई,,, लेकिन कभी रघु बात को संभालते हुए आगे बोला)

कम से कम सुबह शाम 5 5 लीटर तो देती होगी,,,,।

नहीं इतना तो नहीं दे पाती,,,, कुल मिलाकर 4 5 लीटर देती है,,,,(रानी मुस्कुराते हुए बोली)

तब तो तुम्हें अच्छे से निकालने नहीं आता,,,, दूध निकालने में और वह भी दबा दबा कर,,,, मुझसे बेहतर यह काम कोई नहीं कर सकता,,,,


क्यों नहीं कर सकता,,,, मैं भी तो करती आ रही हूं,,,,


अपने हाथ से,,,, मेरा मतलब है कि तुम्हारे हाथ मैं और मेरे हाथ में बहुत फर्क है,,,,
( अपने हाथ से वाली बात का मतलब रानी समझ गई थी इसलिए उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी थी,,, लेकिन वह बोली कुछ नहीं,,,, और रघू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मैं जब भी दबा दबा कर दूध निकालता हूं तो बड़ी शिद्दत से निकालता हूं,,, थोड़ा भी कसर नहीं छोड़ता,,,,,(रघू कुर्ती में से झांक रहे उसके दोनों दूध को देखते हुए बोला,,,)

तो तुम ही निकाल दो,,,(इतना कहते हुए रानी ऊपर नजर घुमाकर रघू की तरफ देखी तो उसकी नजरों को अपनी कुर्ती में आता हुआ देखकर एकदम से शर्मा गई,,, और वह अपनी नजर को अपनी कुर्ती के अंदर घुमा कर देखी तो तो उसे अपनी स्थिति का भान होते ही एकदम शर्म से पानी पानी हो गई इस बात का आभास हो गया कि कुर्ती में से उसकी दोनों चूचियां बड़ी आसानी से नजर आ रही थी,,, रानी अपने आप को व्यवस्थित करते हुए खड़ी हो गई हो रघु को गाय का दूध निकालने के लिए बोली,,,, ओर रघु एकदम उत्साहित होता हुआ अपनी जगह बना कर बैठते हुए बोला,,,।

अच्छा हुआ रानी तुमने मुझे यह काम सौंप दें क्योंकि दूध निकालने का काम केवल मर्दों का ही औरतों का नहीं,,,
(रघु के कहने का मतलब रानी अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी वह खामोश खड़ी होकर देखती रह गई,,,, क्योंकि इस तरह से उसके साथ किसी ने भी अब तक इस तरह की बातें नहीं की थी रघु पहला लड़का था जो उससे इस तरह की गंदी बातें कर रहा था लेकिन बेहद सुलझे हुए शब्दों में,,, रघू गाय के दूध को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए दूध की पिचकारी बाल्टी में मारने लगा,,,, वह काफी उत्साहित और उत्तेजित था क्योंकि उसके ख्यालों में रानी बसी हुई थीपर वो ऐसा कल्पना कर रहा था कि जैसे वह गाय के दूध को नहीं बल्कि रानी की दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा हो,,,, और जिस तरह से रघु गाय के थन को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाता था उसे देखकर रानी शर्म से कड़ी जाएगी ना जाने क्यों उसे ऐसा महसूस होने लगा था कि जैसे वह गाय का दूध नहीं बनती उसकी ही सूची को पकड़कर जोर जोर से दबा रहा है उसके बदन में सिहरन सी दौड़ ने लगी,,, उसे अजीब सा महसूस होने लगा,,,, और वह वाकई में देखते ही देखते पूरी बाल्टी दूध से भर दिया रानी भी हैरान थी क्योंकि आज तक उसने इतना दूध कभी नहीं निकाल पाई थी,,,,। तभी रघू एक और शरारत करते हुए गाय के दूध को पकड़ कर उसकी दूध की पिचकारी को अपना मुंह खोलकर अपने मुंह में मारने लगा और उसका दूध पीने लगा रानी के तन बदन में हलचल सी मच में लगी उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति खराब होने लगी उसे अजीब सा महसूस होने लगा इस तरह से उसने कभी भी अपने बदन में हलचल महसूस नहीं की थी,,,,,

दूध पकड़कर दबा दबा कर पीने का मजा ही कुछ और है,,,
(रानी रघु के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन शर्म के मारे कुछ भी बोल नहीं पा रही थी,,, तभी रघु अपनी बात को घुमाते हुए बोला,,,।)

अच्छा रानी कल तो तुम्हारी दीदी अपने ससुराल चली जाएंगी,,, तुम्हें कैसा लगेगा,,,,।

मुझे तो बहुत खराब लगेगा,,,,, सच कहूं तो मैं तो दीदी का हमेशा आने का इंतजार करती रहती हूं,,,,।


तो इसलिए दुखी होने की क्या बात है फिर चली आएंगी,,,


फिर ना जाने कब आना होगा,,,,


जल्द ही आना होगा रानी,,,, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे और तुम्हारी दीदी के चेहरे की उदासी भगवान ज्यादा दिन तक देख पाएंगे,,।


मैं कुछ समझी नहीं तुम क्या कहना चाहते हो,,,,।


मेरा मतलब बिल्कुल साफ है,,,, तुम बोली थी ना कि अभी तक मौसी नहीं बन पाई हो,,,, तो मुझे इस बार जरूर लगता है कि तुम्हारी दीदी मां बनेगी और तुम मोसी,,,


अगर ऐसा हुआ रघु तुम्हें बहुत खुश होंऊगी,,,, क्योंकि मुझे भी दीदी का दुख देखा नहीं जाता,,।

ऐसा ही होगा रानी मेरा दिल कहता है,,,,,(रघु यह बात अपने आत्मविश्वास के साथ कह रहा था क्योंकि उसे प्रताप सिंह पर नहीं बल्कि अपने ऊपर विश्वास अपनी चुदाई पर विश्वास था,,, क्योंकि जिस तरह से वह मौका मिलते ही जमीदार की बीवी की ले रहा था और अपना वीर्य उसकी बुर के अंदर भर रहा था उससे उसे पूरी उम्मीद थी कि जल्द ही प्रताप सिंह की बीवी मां बन जाएगी,,,, रानी रघू की बात सुनकर बेहद खुश नजर आ रही थी,,, और उसका प्रसन्नता से भरा हुआ चेहरा रघु के दिल पर दस्तक दे रहा था रघु का दिल कर रहा था कि उसे आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में ले ले उसके लाल-लाल होठों को अपने होंठों में भर कर उसका रसपान कर ले,,,, रघु रानी के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए बोला,,,)

रानी तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,
(रघु की यह बात सुनकर रानी उसे आश्चर्य से देखने लगी,,,)

सच रानी तुम बहुत खूबसूरत हो मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की नहीं देखा,,,,
(रघु की बात सुनकर रानी शर्मा के क्योंकि इस तरह की बात कहने वाला रघु उसकी जिंदगी में पहला लड़का था इसलिए इस तरह की बातें सुनकर वो एकदम से शरमा गई और शर्मा को लगभग भागते हुए तबेले के बगल में ही बने स्नानागार में घुस गई,,,, और जोर जोर से सांस लेने लगी,,, रघु की बातों से वह घबरा गई थी लेकिन रघु की यह बात उसे अच्छी भी लगी थी,,,,,)


तुम्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी क्या रानी,,,,(रघु स्नान घर के दरवाजे के बाहर खड़ा होकर बोला,,, रानी का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,, वह क्या बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,)

तुम नाराज तो नहीं हो ना रानी,,,,
(रानी को अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि जवाब में वह क्या बोले )

कुछ तो बोलो रानी,,,,,


नहीं,,,,,(रानी कांपते स्वर में बोली,,,, रानी का जवाब सुनकर रघू के होठों पर हंसी आ गई,,,,)

अब तुम यहां से जाओ मुझे शर्म आ रही है मुझे नहाना है,,,


लेकिन मैं तो बाहर खड़ा हूं कुछ देख भी नहीं रहा हूं और ना ही कुछ दिखाई दे रहा है दरवाजा भी बंद है फिर भी तुम्हें शर्म आ रही है,,,,


हां आ रही है मैं कुछ और नहीं सुनना चाहती तुम अभी जाओ,,,,(रानी मंद मंद मुस्कुराते हुए लेकिन बेहद कड़े लहजे में बोली)

ठीक है तुम नहा लो फिर बाद में बातें करेंगे,,,,
(इतना कहकर रघू खामोश हो गया,,,, लेकिन वहां से गया नहीं क्योंकि वह रानी को यह आभास दिलाना चाहता था कि वह वहां से चला गया है और रानी भी कुछ देर तक छाई खामोशी को महसूस करते हुए समझ गए कि रघु वहां से चला गया है लेकिन फिर भी तसल्ली कर लेने के लिए वह धीरे से दरवाजा खोल कर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी लेकिन वहां कोई नहीं था यह देख वह मुस्कुराते हुए दरवाजा बंद कर दे लेकिन किसी के ना होने की तसल्ली पाकर वह दरवाजे की कड़ी नहीं लगाई और दरवाजा बंद करते हुए पेड़ की ओट में छुपा हुआ रघु बाहर निकल आया और वहीं पर बैठ गया,,, रानी गीत गुनगुनाते हुए अपने कपड़े उतारने लगी,।,,,एक-एक करके उसने अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम के अंदर एकदम नंगी हो गई लेकिन जब वह,,,, अपनी सलवार को रस्सी पर टांग रही थी तो उसे अपनी सलवार पर छोटा सा चूहा चिपका हुआ नजर आया और वह उसे देखकर एकदम से घबरा गई और घबराहट में उसकी चीख निकल गई,,,, उसकी चीख को पास में ही बैठे रघू ने सुन लिया,,,, रानी स्नानघर में एकदम से घबरा गई थी यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी चूहा छिपकली और तिलचट्टे को देख कर वह चीख उठती थी,,, बाप ने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो चुकी थी लेकिन घबराहट में उसे कुछ भी सूझ नहीं रहा था वह स्नान घर का दरवाजा खोलकर बाहर निकलने ही वाली थी कि तभी उससे पहले ही रघु स्नान घर के दरवाजे को जोर से धक्का देकर अंदर घुस गया रानी कम घबराई हुई थी वह स्नान घर से बाहर निकलना चाहती थी इसलिए सीधे जाकर रघु से टकरा गई और उसे कस के पकड़ ली,,,,, रघु स्नानघर में घुसते ही अपनी प्यासी आंखों से देख लिया था की रानी एकदम नंगी थी और खुद ही उसकी बाहों में आ चुकी थी इसलिए बार इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था और मैं खुद उसे अपनी बाहों में भर लिया उसकी नंगी चिकनी पीठ को सहला ते हुए उसे शांत करते हुए बोला,,,।

शांत हो जाओ शांत हो जाओ रानी क्या हुआ बताओ,,,।

चचचचच,,,, चूहा चूहा है वहां,,,(अपने हाथ से सलवार की तरफ इशारा करते हुए बोली)

चूहा कहां है चूहा और तुम चूहे से इतना घबराती हो,,,,


मुझे चूहे से बहुत डर लगता है रघु मेरी सलवार में चुका है,,,(रानी एकदम घबराती हुई उसके सीने में अपने आप को छुपाते हुए बोली)

सलवार में,,,,लेकिन रानी तुम तो कपड़े नहीं पहनी हुई हो तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई हो,,,,।

(इतना सुनते ही वह एकदम से घबरा गई और अपने आप को एक निगाह डाल कर देखने लगी और अपने आप को एकदम नंगी पाकर वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,, घबराहट में उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि वह कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी है,,,, उसे रघू से अलग होने में भी झुंझलाहट महसूस हो रही थी,,, ऊसे शर्म आ रही थी,,,वह रघु को ही अपना वस्त्र बनाकर उसे लिपटी हुई थी और अपने अंगों को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,, वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करें,,, अजीब सी उलझन में फंसी हुई थी,,,, उसे इस बात का डर था कि या गरबा रघु के बदन से अलग होकर रस्सी पर टंगे हुए कपड़ों तक जाएगी तो रघु उसके अंदरूनी अंगों को देख लेगा,,, जो कि वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी उसे शर्म आ रही थी,,, रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

शायद रानी डर की वजह से तुम्हें इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि तुमने की हो चुकी हो और इसी स्थिति में यहां से बाहर निकलने वाली थी सोचो अगर यहां से बाहर निकल जाती और तुम्हें कोई और देख लेता तो क्या होता,,,।

मैं नहीं जानती,,,,

तुम बहुत डरपोक हो रानी छोटे से चूहे से डर गई और वह भी इस स्थिति में एकदम नंगी,,,, तुम्हारा एक एक अंग दिखाई दे रहा है,,,,(रानी को समझ में नहीं आ रहा था कि रघु के इन सब बातों का वह क्या जवाब दें,,, ना जाने क्यों रघु की बाहों में उसे सुकून महसूस हो रहा था उसके लिए पहली मर्तबा था जब वह एक जवान लड़के का स्पर्श पा रही थी,,,,)

ऐसा मत बोलो रघू मुझे शर्म आ रही है,,,।


और यहां से बाहर चली गई होती तो क्या होता ,,,,,

कुछ नहीं होता तुम यह सब बातें मत करो,,,,


कैसे ना करूं रानी तुम बहुत खूबसूरत हो,,,( रानी के जवान नंगे बदन का स्पर्श रघु मदहोश हुआ जा रहा था,,,, पहली बार एक जवान लड़की उसकी बाहों में थी और वह भी एक दम नंगी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह धीरे-धीरे उसे अपनी बाहों में कस रहा था और उसकी नंगी चिकनी पीठ पर अपनी हथेलियां फिरा रहा था,,, रघु की हरकत की वजह से रानी के बदन में खुमारी छा रही थी रघु के पजामे में उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होता जा रहा था और तंबू की शक्ल में आता जा रहा था और देखते ही देखते रानी की दोनों टांगों के बीच दस्तक देने लगा रानी को अजीब लग रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था उसकी दोनों टांगों के बीच क्या चुभ रहा है,,, अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेना चाहती थी और रघु इस बात को अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसका खड़ा लंड तंबू की शक्ल में रानी की बुर पर दस्तक दे रहा है,,,रघु की हालत खराब होती जा रही थी और आने की खूबसूरत गुलाबी बुर को देखना चाहता था अपनी आंखों में उसके अक्स को भर लेना चाहता था,,,,,, तभी रानी अपनी दोनों टांगों के बीच क्या चुका है यह देखने के लिए हल्का सा अपनी नजर को नीचे की तरफ घुमाई तो अपनी दोनों टांगों के बीच का नजारा देखकर उसकी घिघ्घी बंध गई,,,,उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी दोनों टांगों के बीच क्या चुभ रहा है वह एकदम मदहोश होने लगी,,, उसकी सांसों की गति तेज होने लगी उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी नरम नरम चुचियों का दबाव रघु की चौड़ी छाती पर बढने लगा,,,,रघु को इस बात का एहसास हो गया कि जाने को पता चल गया है कि उसकी दोनों टांगों के बीच उसका लंड ठोकर मार रहा है इसलिए अब रघु उसे अपनी बांहों की कैद से आजाद नहीं होने देना चाहता था इसलिए अपना दोनों हाथ उसकी चिकनी नंगी पीठ सहलाते हुए नीचे की तरफ ले जाने लगा और देखते ही देखते जितना हो सकता था उतना रानी कीमत मस्त गांड को अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया,,,, उत्तेजना के मारे रघु रानी कीमत मस्त गोल-गोल कांड को इतनी चोरों से दबाया की रानी के मुंह से हल्की सी कराहने की आवाज फुट पड़ी,,,।


आहहहहहह,,,,,,,

(लेकिन जवानी का जोश नई उम्र की उमंग और पहली बार एक मर्दाना जोश से भरे हुए नौजवान लड़के का स्पर्श पाकर रानी बिगड़ने लगी वह उसे रोकने के लिए जरा भी हरकत नहीं कर रही थी वह खामोश थी मदमस्त थी मदहोश थी खुमारी से भरी हुई मदमस्त जवानी से भरी हुई,,, ऐसा लग रहा था उसने अपना सारा वजूद रघू कि हाथों में सौंप दि है,,,,एक तरह से वह रघू को उसकी मनमानी करने की पूरी तरह से आजादी दे दी थी,,, रघु जी भर के उसके जवान नितंबों से खेल रहा था देखते ही देखते उसकी गौरी गांड टमाटर की तरह लाल होने लगी,,,,रघु इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा देना चाहता था इसलिए हल्की-हल्की अपनी कमर को हिलाता हुआ अपने लंड का ठोकर उसकी बुर पर बराबर दे रहा था,,, और रघु की यह हरकत रानी को पिघलने के लिए मजबूर कर रही थी,,,। देखते ही देखते रानी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,, यह गर्म सिसकारी की आवाज उसकी तरफ से पूरी तरह से इजाजत थी रघु को कुछ भी करने के लिए,,,,रानी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी लेकिन हालात ही कुछ ऐसे होते जा रहे थे जिससे वह अपने आप को रोक नहीं पा रही थी और ना ही रघु को रोक रही थी,,,। रानी के लिए सब कुछ पहली बार था,,,पहली बार वह मदहोश हो रही थी पहली बार वो जवानी के अद्भुत पल में खोती चली जा रही थी पहली बार पुरुष संसर्ग का सुख प्राप्त कर रही थी,,,

रानी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु को भी लगने लगा कि मंजिल अब बिल्कुल भी दूर नहीं है बस सही तरीके से रास्ता पार करना है उनकी मंजिल से मिलने का मजा भरपूर मिल सके,,,

रघु धीरे से रानी का खूबसूरत चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर उसे ऊपर उठाते हुए उसके खूबसूरत गुलाबी होठों को देख कर बोला,,।

तुम्हारे होंठ बहुत खूबसूरत है रानी,,,,
(इतना सुनकर रानी के गुलाबी होंठ उत्तेजना के मारे कांपने लगे और रघु बिल्कुल भी देर न करते हुए रानी के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख कर उसके होंठों का रसपान करने वाला देखते ही देखते रानी उसका सहयोग करने लगी जवानी के मदहोशी में वह अपने आप को बहने पर मजबूर कर दे रही थी,,, रघु को मजा आ रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी आसानी से रानी उसकी बाहों में आ जाएगी भला उस छोटे से चूहे का जिसने इतना बड़ा काम इतनी जल्दी और एकदम आसानी से कर दिया,,,रघु उसके गुलाबी होठों का रसपान करते हुए अपना एक हाथ ऊपर की तरफ जाते हुए उसके संतरे पर रखकर उसे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया रघु की इस हरकत की वजह से रानी के उत्तेजना में चार चांद लग ते जा रहे थे,,,, वह मदहोश होने लगी थी छोटे छोटे संतरो को दबाने में रघू को बेहद आनंद आ रहा था,,,,

सससहहहहहहहह आहहहहहहहहहह,,,,,,,
(रानी के मुख से निकलने वाली गरमा-गरम सिसकारी रघु को मदहोश किए जा रही थी भले ही रानी के लिए पहली बार था लेकिन उसकी गर्म सिसकारी की आवाज वही बरसों पुरानी हर एक औरत के मुंह से मदहोशी के आलम में निकलने वाली गर्म सिसकारी की आवाज थी,,,, जिसे सुनकर रघु रानी के साथ आगे बढ़ने के लिए मजबूर होता चला जा रहा था,,,,, कुछ देर तक उसके गुलाबी होठों का रसपान करने के बाद रघु अपने मुंह को नीचे की तरफ लाकर उसके दोनों संतानों में से एक संतरे को हाथ से पकड़ कर दूसरे संतरे को मुंह में भर कर उसे चूसना शुरू कर दिया,,,


ससससहहहहहह आहहहहहहहह,,, रघू,,,,,,आहहहहहहह,,,,( रघु की कामुक हरकत की वजह से रानी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज निकलते जा रही थी रघु अपनी जीत और मुंह का बराबर उपयोग करते हुए रानी के दोनों संतरो को अपने मुंह में बारी बारि से भर कर उन दोनों का स्वाद ले रहा था,,,,, स्नानघर में रानी कभी सोची भी नहीं थी कि उसके साथ इस तरह का वाकया पेश हो जाएगा,,,कुछ भी हो रानी अपने कौमार्य को अपनी गुलाबी बुर को अपने पति के लिए संजो के रखी हुई थी,,,,लेकिन उसे आज यकीन हो चला था कि जवानी के जोश में वह अपनी प्रतिज्ञा को बरकरार नहीं रख पाए कि और आज वह अपनी गुलाबी बुर को रघु के हाथों में सौंप देगी,,,,,और उसकी यही सोच को सच करते हुए रघु अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर उसकी गुलाबी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसे मसल ना शुरू कर दिया,,, हथेली का स्पर्श अपनी गुलाबी बुर के ऊपर करते ही,,, रानी एकदम से मचल उठी उसके अंग अंग में उत्तेजना का तुफीन उमड़ने लगा वह अपने आप को बिल्कुल भी संभाल नहीं पा रही थी,,,, उत्तेजना के मारे उसका अंग ऊपर की तरफ उठ जा रहा था ,,

ओहहहहहह,,,,,रानी तुम्हारी बुर कितनी खूबसूरत हो मस्त है बहुत पानी निकल रहा है,,,।
(रघु के इस तरह की गंदी बातें सुनकर रानी का बुरा हाल था वह पूरी तरह से पिघल रही थी वह अपने आप हमें बिल्कुल भी नहीं थी रघु पूरी तरह से उसे अपने गिरफ्त में ले चुका था रघु के द्वारा हथेली की रबड़ अपनी बुर के ऊपर महसूस करते हुए पूरी तरह से गर्मा चुकी थी,,,,, रघु के क्लियर यह पल बेहद अद्भुत और उन्माद से बना हुआ था वह इस पल को जिंदगी में कभी भी भूलने वाला नहीं था देखते ही देखते रहने की आंखों के सामने वह अपने घुटनों के बल बैठ गया रानी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करने वाला है शर्म के मारे वह ठीक से रघू को देख भी नहीं रही थी वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी,,, रघु अपनी आंखों में उत्तेजना का समंदर लिए रानी की गुलाबी बुर को देख रहा था जोकि बेहद चिकनी और हल्की-हल्की रेशमी बालों से सुशोभित थी,,,।रघु उसे बड़े गौर से देख रहा था अपनी बड़ी बहन के पास यह उसकी जिंदगी में आने वाली दूसरी लाजवाब और लजीज बुर थी,,,

उत्तेजना के मारे रानी का गला सूखता चला जा रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था सांसे बेहद भारी चल रही थी और सांसो के ऊपर नीचे उठ रही लहर के साथ-साथ उसकी दोनों लाजवाब संतरे ऊपर नीचे हो रहे थे,,, रानी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि आगे क्या होने वाला है और उसकी सोच के बिल्कुल विरुद्ध रघु उसकी दोनों मांसल चिकनी जांघों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़ा सा फैलाते हुए अपने प्यासे होठों को रानी की कोरी बुर पर रख दिया,,,,।

आहहहहहह,,,,,,,, रघु की इस हरकत की वजह से रानी का पूरा वजूद कांप उठा उसके घुटनों में कंपन महसूस होने लगी,,,, वह लगभग लगभग गस्त खाकर गिरने वाली थी लेकिन रघु उसके दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ कर उसे संभाले हुए था,,, रानी को यकीन नहीं हो रहा था कि बुर को कोई चाट भी सकता है ,,,,उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन यह हकीकत था कि जो कुछ भी हो रहा है वह शत प्रतिशत सत्य था रघु पागलों की तरह उसकी बुर को चाट रहा था उसमें से निकलने वाला नमकीन मधुरस वह अपनी जीभ से चाट चाट कर अपने गले के नीचे उतार रहा था,,,। रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि रानी के लिए पहला मौका था अब तक उसने चुदाई का किसी भी तरह से आनंद नहीं दी थी इसलिए वह इस बात से संपूर्ण रूप से अवगत था कि उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी छोटी सी दूर के अंदर घुसने वाला नहीं है लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि चोदने लायक बुर के अंदर लंड आखिरकार घुस ही जाता है,,,, बस थोड़ी बहुत मशक्कत करनी पड़ती है इसलिए रघुअपनी एक उंगली धीरे से रानी की बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करते हुए रानी को और ज्यादा मस्त करने लगा,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था शायद यह जरूरी भी नहीं था सब कुछ आंखों ही आंखों में बयां हो रहा था,,, देखते ही देखते रघू अपनी दूसरी उंगली भी,,, रानी की बुर के अंदर डालकर उसे अंदर-बाहर करने लगा रानी की हालत खराब होती जा रही थी,,। रानी कोरघु की उंगली से ही चुदाई का भरपूर आनंद मिल रहा था वह मजे लेकर रघु के उंगली को अंदर बाहर करवा रही थी,,, रानी का संपूर्ण बदन थर थर कांप रहा था,,,, वह सब कुछ भूल चुकी थी रघु बेहद चालाक लड़का था वह अपनी उंगली का उपयोग करके अपने लंड के लिए रानी की कसी हुई बुर के अंदर जगह बना रहा था,,, रानी की तेज चलती सांसो को देखकर रघु को समझ में आ गया कि अब वक्त आ चुका है लोहे पर वार करने के लिए,,,, इसलिए रघु खड़ा हुआ और पलक झपकते ही अपने कपड़े को उतार करएकदम नंगा हो गया रानी जिंदगी में पहली बार किसी लड़के का मर्दाना ताकत से भरपूर लंड देख रही थी जितना लंबा तगड़ा लंड देखकर वह अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,,

बाप रे बाप इतना बड़ा,,,,(इन सब क्रियाकलाप के दौरान यह उसके मुंह से निकलने वाला पहला शब्द था जिसे सुनकर रघु एकदम खुश हो गया वह अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,)

लंड लंबा और मोटा हो तभी तो लड़कियों को चुदवाने में मजा आता है,,,,

लेकिन क्या यह घुस पाएगा,,,(रानी अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी छोटी सी बुर की तरफ देखते हुए बोली,,,।)

आराम से चला जाएगा रानी बिल्कुल की चिंता मत करो,,,,

(रानी अंदर ही अंदर घबरा रही थी लेकिन रघु के लंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए लालायित भी थी,,,,)
बस इसे एक बार अपने हाथ में लेकर इस से प्यार करो फिर देखो यह कितने आराम से तुम्हारी बुर के अंदर जाता है,,,, डरो मत रानी,,,(रघु रानी का हाथ पकड़ते हुए बोला,,, रानी भी रघु के लंड से से खेलना चाहती थी लेकिन वह शर्म आ रही थी,,अरे रघु उसके शर्म को दूर करते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया जो कि बेहद गर्म था,,, रानी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पहली बार उसका हाथ का स्पर्श लंड पर हुआ था वह मदहोश होने लगी और कस के रघु के लंड को अपनी मुट्ठी में भींच ली,,,

देखी तुम खामखा घबरा रही थी,,,, अब इसे हिलाओ रानी बहुत मजा आएगा,,,,
(रानी आज्ञा का पालन करते हुए हिलाने से क्या उसे मजा आया था ज्यादा मजा उसे लंड को देखने में आ रहा था अजीब सा बनावट था वह अपने मन में लंड के आकार को लेकर बेहद उत्सुक थी अपने मन में यही सोच रही थी कि लंड एकदम गाय भैंस को बांधने वाला खूंटा की तरह था एकदम खड़ा एकदम कड़क एकदम मजबूत,,,,, रघु आनंद से भाव भीभोर होता जा रहा था,,,,)

बस रानी अब ईसे मुंह में लो,,,,

नहीं नहीं यह मुझसे बिल्कुल भी नहीं होगा, (रानी खबर आते हुए बोली और रघु से समझाते हुए बोला,,)

घबराओ मत रानी कुछ नहीं होगा बस मजा आएगा,,,,, देखी नहीं मैंने कैसे तुम्हारी बुर को अपनी जीभ से चाटा कितना मजा आया तुम्हें भी और मुझे भी,,,,
(रघु की बात सुनकर रानी का भी मन करने लगा था उसे भी इस बात का आभास था कि परसों रघु और उसकी दीदी चले जाएंगेफिर ना जाने कब ऐसा मौका मिले ना मिले इसलिए वह भी इस मौके का पूरा फायदा उठा लेना चाहती थी वह भी उस मर्दों के द्वारा मिलने वाले हर एक से खुद को महसूस कर लेना चाहती थी इसलिए वह तैयार हो गई,,,, और वह भी प्रभु की करा अपने घुटनों के बल बैठ गई।,,और रघु के लंड को मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दी शुरू में तो उसे कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे वह मदहोश होने लगी उसे मजा आने लगा जितना हो सकता था उतना गले तक उतार कर मजा लेने लगी,,,,
थोड़ी ही देर में दोनों तैयार हो चुके थे रानी चुदवाने के लिए और साधु चोदने के लिए,,,,

रघु अच्छी तरह से जानता था कि आप उसे क्या करना है,,, वह नीचे रानी के हीं कपड़ों को बिछाकरउस पर पीठ के बल रानी को लिटा दिया और उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने लिए जगह बना लिया रानी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह धड़कते दिल और प्यासी नजरों से अपनी दोनों टांगों के बीच देखे जा रही थी जिस पर रघु पूरी तरह से छाने के लिए तैयार था,,,। धीरे-धीरे करके रघू थूक लगाकर आखिरकार अपने लंड को रानी की कुंवारी बुर के अंदर डाल ही दिया हालांकि ऐसा करने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी रानी को बेहद दर्द का सामना करना पड़ा लेकिन रघु बार-बार उसका हौसला बढ़ाता जा रहा था कि दर्द के बाद ही मजा आएगा और सच में ऐसा ही हो रहा था कुछ देर पहले लंड की घुसते ही जिस तरह से रानी चिल्ला रही थी रघु को लग रहा था कि रानी उसे ज्यादा जेल नहीं पाएगी लेकिन जैसे ही रघु पूरी तरह से रानी को अपनी आगोश में लेकर धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया वैसे वैसे ही रानी का दर्द कम होता गया और देखते ही देखते दर्द आनंद में बदल गया अब उसके मुख से दर्द की कराने की आवाज नहीं बल्कि मस्ती भरी सिसकारी की आवाज आ रही थी जोकि पूरे स्नानघर में गूंज रही थी,,,, रघु का लंड काफी मोटा और लंबा था,,,जिसे हिम्मत दिखाते हुए रानी पूरा अंदर तक ले चुकी थी और उसे इस बात का अहसास अच्छी तरह से हो रहा था कि वाकई में चुदाई का असली मजा लंबे लंड से ही आता है,,,रानी की सांसे तेज चल रही थी गरम सिसकारी की आवाज पूरी तरह से मस्त कर रही थी,,, रानी की गोरी गोरी चिकनी जांघें है रघु की जांघों से टकरा रही थी,,,, मजा दोनों को आ रहा था रघु ने एक और बुर पर फतह पा लिया था,,,,,, तकरीबन 35 मिनट की अद्भुत गरमा गरम चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए,,,,।

रानी खुश थी जिंदगी में पहली बार उसे चुदाई का आनंद जो प्राप्त हुआ था चुदाई का आनंद ईतना अद्भुत होता है इस बात का एहसास उसे आज पहली बार हो रहा था,,, रानी शर्म के मारे रघु से नज़रें नहीं मिला पा रही थी वह रघू से बार-बार स्नानाघर से बाहर निकल जाने के लिए कह रही थी,,, रघु अपने कपड़े उठाकर पहन चुका था लेकिन रानी उसी तरह से नंगी पड़ी थी क्योंकि उसे नहाना था,,,।

रघु अब तुम जाओ मुझे नहाना है बहुत देर हो चुकी है,,,,

ठीक है रानी मैं जा रहा हूं तुमने जो मुझे अद्भुत सुख दी हो वह मुझे जिंदगी भर याद रहेगा,,,,
(रघु की बात सुनकर रानी शर्मा कहीं और शर्मा का दूसरी तरफ मुंह फेर कर खड़ी हो गई रघु जाने वाला था लेकिन उसे इस तरह से घूम कर दूसरी ओर मुंह करके खड़ी देखकर उसकी नजर एक बार फिर से उसके गोलाकार नितंबों पर पड़ी है और वह रनिंग के जवान मदमस्त गोल गोल गांड को देखकर एक बार फिर से मदहोश होने लगा,,,और उससे रहा नहीं गया और वह रानी का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया तो रानी बोली,,,

अब क्या है रघू,,,?

रानी अब ना जाने कब तुमसे मुलाकात होगी,,,

तो,,,,?

तो क्या मैं एक बार फिर से तुम्हारी लेना चाहता हूं लेकिन इस बार पीछे से,,,,(रानी को समझ पाती इससे पहले ही रघु उसे दीवार की तरफ घुमा कर खड़ी कर दिया,,, और उसे दीवार का सहारा लेकर झुकने के लिए कहने लगा रानी भी एक बार फिर से रघु के लैंड का मजा लेना चाहती थी इसलिए वह भी रघु की बात मानते हुए झुक गई और एक बार फिर से रघु कि जैसे रानी की बुर के अंदर अपना लंड उतार दिया,,,, एक बार फिर से नई तरीके से रानी ने चुदाई का भरपूर आनंद ली,,,।

आखिरकार विदाई का समय आ गया सबकी आंखें नम थी लेकिन सबसे ज्यादा दुखी रानी थी शायद जिंदगी में संभोग का सुख उसे फिर कब मिले यह सोचकर व ज्यादा दुखी थी,,,, रघू सब से विदा लेकर और प्रताप सिंह की बीवी को तांगे में बिठाकर अपने गांव के लिए निकल पड़ा,,,।
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