दोपहर का समय था रघु नहा धोकर खाना खाने बैठा हुआ था उसके ठीक सामने उसकी मां बेटी थी और रघु के बगल में शालू बैठकर खाना खा रही थी,,, रघु केवल तोलिया लपेट कर बैठा हुआ था,,, एक टांग घुटने से मोड़कर और दूसरे टांग को नीचे जमीन पर घुटने से मोड़कर आराम से बैठा हुआ था,,,, इस तरह से रघू बेहद चालाकी दिखाते हुए बैठा था क्योंकि उसके ठीक सामने उसकी मां बेठी हुई थी,,, खाना खाते समय तीनों में बातचीत चल रही थी कजरी जमीदार की बीवी के मायके के बारे में पुछ रही थी और रघु बड़े चाव से रास्ते से लेकर प्रताप सिंह की बीवी के घर तक की खबर बता रहा था,,,। जिस इरादे से रघु अपनी मां के ठीक सामने बैठा था अभी तक वह अपने इरादे में कामयाब नहीं हुआ था,,, बातचीत का दौर शुरू था कजरी अपने बेटे की नंगी चौड़ी छाती को देखकर गर्व महसूस कर रही थी जिस पर से अभी भी पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह फिसल रहे थे रघु को इस बात का एहसास था कि उसकी मां चोर नजरों से उसकी लंबी चौड़ी छाती को देख रही है लेकिन वह जो दिखाना चाह रहा था अभी तक उस पर नजर नहीं पड़ी थी कि तभी जानबूझकर अपनी मां से बात करते हुए रघु अपना एक हाथ नीचे तो ले जाकर अपने लंड को खुजाने लगा जो कि वह यह पूरी तरह से जता रहा था कि उसे इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं है कि तौलिए के अंदर से उसका लंड नजर आ रहा है,,, रघु के द्वारा अपना लंड खुजाने की वजह से कजरी की नजर एकाएक उसके तौलिए के अंदर पहुंच गई और अंदर का नजारा देखते ही वह एकदम से सिहर उठी,,,। कजरी अपने बेटे के लंड को एकदम साफ साफ देख आ रही थी जो कि अभी इस समय से सुसु्तावस्था में था,,,, रघू सफर की सारी बातें बताता चला गया केवल जमीदार की बीवी की चुदाई की बात छोड़ कर,,,,रघु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी मां की नजर उसके तोलिए में पहुंच चुकी है,,,।इस बात को लेकर रघु के तन बदन में हलचल सी होने लगी थी क्योंकि यह पहला मौका था जब जानबूझकर अपनी मां को अपने लंड के दर्शन करा रहा था,,, कजरी से तो अब खाना बिल्कुल भी खाया नहीं जा रहा था उसका ध्यान पूरी तरह से अपने बेटे के तौलिया के अंदर सिमट कर रह गया था,,,। रघु जानबूझकर अपनी मां से बातें कर रहा था,,,,,।
सच कहूं तो जमीदार की बीवी बहुत अच्छी औरत है,,,,, उनके बात करने का ढंग बोलने का तरीका रहन सहन सब कुछ बहुत ही बेहतरीन है,,,,( रघु को इस बात का एहसास की उसकी मां उसके लंड को देख रही है उसके सोए हुए लंड में जान आने लगी उसका तनाव बढ़ने लगा और कजरी ध्यान से लेकिन चोर नजरों से अपने बेटे के लंड में आए तनाव को बराबर देख रही थी,,, बरसों के बाद वह लंड को अपनी आंखों से बड़ा होता हुआ देख रही थी,,,, अपने बेटे की बात को आगे बढ़ाते हुए कजरी बोली)
मुझे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता था की मालकिन इतनी अच्छी होगी,,,, वैसे मालिक और मालकिन दोनों की उम्र में काफी अंतर है,,,।
हां मां,,, मालकिन खुद मुझे यह बताइ कि उनके और उनके पति के उम्र में काफी अंतर है,,,,।(इतना कहते हुए रघू एक बार फिर से,,, अपने लंड को खुजाने का नाटक करने लगा अपने लंड को अपने हाथ का स्पर्श देकर वह इतना तो समझ गया कि उसका लैंड पूरी औकात में आ चुका है,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था आखिरकार अपनी मां को जो अपना लंड दिखा रहा था यह बेहद कामुकता भरा नजारा था जोकि किसी भी औरत के लिए अद्भुत और कामुकता के साथ-साथ अतुल्य देखा क्योंकि इस तरह का नजारा देख पाना शायद दूर्लभ ही होता है और जब खुद सगा बेटा अपना लंड दिखाएं तो,,, शालू कुछ भी नहीं बोल रही थी वहां बस खाना खाए जा रहे थी और अपने मन में यही सोच रही थी कि कब उसका भाई उसे अकेले मिले,,, लेकिन कजरी की हालत खराब थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और उत्तेजना के मारे उसकी सांसे काफी भारी चल रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार कुछ ज्यादा ही मादक रस,,, उगल रही थी,,। कजरी अपने बेटे की बातें सुनकर बोली।)
क्या बताई तुझे मालकिन ने,,,(निवाला अपने मुंह में डालते हुए बोली )
बाकी ने मुझे यह बताइए कि उनकी शादी उनके मर्जी के खिलाफ हुई थी वह जमीदार से शादी नहीं करना चाहती थी लेकिन उनके पिताजी जमीदार से काफी पैसा उधार लिए हुए थे और जमीदार ने उन उधारी के बदले मे उनकी बेटी से शादी करने की इच्छा जाहिर की,,,, और मालकिन के पिता जी मान गए और उनकी शादी हो गई,,, और तो और मां मालिक ने तो मालकिन के मायके में हवेली बनाकर उन्हें दिया है सब कुछ सही है,,,,।
(रखो अपनी बात कह तो रहा था लेकिन ज्यादातर वह इसी फिराक में था कि वह कितना अपने लंड का दर्शन अपनी मां को करा दे,,, और इसी ताक मेकजरी भी लगी हुई थी भले वो एक कान से अपनी बेटे की बातों को सुन रही थी लेकिन उसकी नजरें उसके चोलिए में उसके खड़े लंड पर टिकी हुई थी,,,,वह अपने बेटे के लंड को बराबर देख रही थी और अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके बेटे का लंड कितना भयानक लेकिन कितना लुभावना है,,,,,और अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में जाएगा तो,,,हाय राम यह क्या मैं सोच रही हूं इस तरह की बातें सोचना भी गुनाह है,,,,, नहीं नहीं मैं अपने बेटे को लेकर इस तरह के गंदे ख्याल अपने मन में नहीं ला सकती,,,,, कजरी को इस तरह के गंदे ख्याल अपने मन में लाकर अपने आप पर ग्लानी भी हो रही थी लेकिन इस अद्भुत मनमोहक नजारे को देखे बिना उसका मन भी नहीं मान रहा था वह बराबर अपनी बेटे के लंड को देख रही थी जो कि पूरी तरह से खिल उठा था,,, कजरी अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,)
बाप रे मालकिन ने तुझे सब कुछ बता दी,,,,
हां मां मालकीन ने मुझे सब कुछ बता दी,,,, लेकिन एक बात और मां,,,
क्या,,,,(ग्लास उठाकर पानी पीते हुए कजरी बोली,,,)
यही कि अगर भगवान ने चाहा तो,,,,(इतना कहते हुए रघु एक बार फिर से अपना हाथ अपने तोलिया के अंदर डाला और अपने लंड को दोनों उंगलियों से पकड़ कर उसे पीछे की तरफ खींच कर उसके बदामी रंग के सुपाड़े को पूरी तरह से उजागर कर दिया,,,,, और इतना करने के बाद वहां तकरीबन 2 सेकंड के लिए अपने लंड को उसी अवस्था में ऊपर नीचे करके हिला दिया,,,, यह अद्भुत नजारा कजरी के लिए जानलेवा था,,,,यह नजारा देखकर कजरी अपने सब्र का बांध पूरी तरह से खो चुकी थी और देखते ही देखते उसकी बुर से मदन रस की दो बूंद नीचे चु गई,,,यह नजारा कजरी के लिए बेहद अद्भुत था वह पूरी तरह से अपने बेटे के लंड पर मर मिटी थी,,,, रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) अपनी सालु उस घर में बहू बनकर जाएगी,,,,
(इतना सुनते ही जो कि अभी तक शालू और दोनों की बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी वह एकदम से रघु की तरफ देखने लगी कजरी भी आश्चर्य से अपने बेटे के चेहरे की तरफ देखने लगी क्योंकि जो कुछ भी हो कह रहा था उस पर विश्वास करने लायक कजरी के लिए बिल्कुल भी नहीं था,,, अपनी मां के चेहरे पर आश्चर्य के भाव देखकर रघु बोला,,,)
मैं सच कह रहा हूं मैं बात ही बात में मैंने शालू के शादी की बात उनके छोटे लड़के बिरजु के साथ कर दिया था,,,
तो क्या तेरी बात मालकिन मान गई,,,,
वह तो खुश हो गई ,,, और मुझसे वादा देख ली है कि वह मालिक से जरूर बात करेंगे और उनकी बात मालिक कभी नहीं टालेंगे,,,,।
(रघु की बात का विश्वास कजरी को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि जमीन और आसमान कभी एक नहीं हो सकते थे भले ही देखने में एक हो जाए लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सकता और प्रताप सिंह ने और उन में जमीन आसमान का फर्क था इसलिए रघु कि यह बात को हवा में उड़ाते हुएकचरी एक बार फिर से अपना सारा ध्यान अपने बेटे के तोलिए में केंद्रित कर दी,,,। अपने बेटे का फुंफकारता हुआ लंड देखकर उसकी बुर फुदक रही थी,,,,, और अपने मन में बोल रही थी हाय राम इसका तो एकदम मुसल जैसा है एक बार बुर मे घुसा तो फाड़ कर ही निकलेगा,,,,,। जिस तरह का नजारा रघु दिखा रहा था उसे देखकर कजरी की बुर पानी पानी हो गई थी वह हैरान थी इतने वर्षों तक वह सुखी पड़ी हुई थी लेकिन अब उसमें हरियाली और नमी आना शुरू हो गई थी ऐसा लग रहा था कि सावन करीब आ रहा है,,,,,। रघु का दिल भी जोरों से धड़क रहा था पहली बार हिम्मत करके अपनी मां को अपना खड़ा लंड दिखाया था और वह भी उसे छूकर स्पर्श करके हिला कर के,,,अपनी मां के सामने इस तरह की गंदी हरकत करना एक बेटे के लिए नामुमकिन सा होता है लेकिन रघु के लिए भी यह नामुमकिन ही था लेकिन वासना उसके ऊपर पूरी तरह से अपना असर दिखा चुकी थी अब तो उसकी जिंदगी में अनगिनत औरतें और लड़कियां आती जा रही थी जिन्हें चोद कर वह दिन-ब-दिन ,, और भी ज्यादा परिपक्व होता जा रहा था,,,, अपनी मां को भी लाइन पर लाना चाहता था इसलिए इस तरह से अपनी गंदी हरकत करके उसे दिखा रहा था ताकि उसके मन में भी काम ज्वाला भड़के और वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तड़प उठे,,,, वैसे तो रघु की यह हरकत कजरी पर एकदम बराबर काम कर रही थी कजरी अपने बेटे पर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी खास करके उसके बमपिलाट लंड पर,,,
खाना खाकर रघु दिन भर की थकान से थक कर आराम करने लगा वही कजरी का बुरा हाल था अपने बदन की गर्मी को शांत करने के लिए उसे ठंडे पानी से नहाना पड़ा,,, और शालु एकांत ढूंढ रही थी अपने भाई से एकाकार होने के लिए उसके गैरमौजूदगी में उसने प्रताप सिंह के बेटे बिरजू से शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की थी लेकिन वह निरर्थक ही रहा,,,जिससे उसकी प्यास और बढ़ गई थी लेकिन इस समय उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिला था अपने भाई के साथ चुदवाने के लिए,,,
देखते ही देखते शाम हो गई और रघू अपनी गाय भैंस और बकरी उन्हें चराने के लिए बाहर निकल गया,,, वही खुले मैदान में जहां हरी हरी घास उगी हुई थी वहीं पर चंदा और रहने और रामू तीनों की अपने अपने जानवर लेकर आ गए थे,,,, इधर उधर की बातें और खेलकूद में शाम बीत गई रामू और रानी दोनों घर वापस लौट गए लेकिन चंदा वहीं रुक गई थी क्योंकि उसके भरोसे जो जानवर था वह काफी दूर निकल चुका था,,,, वह रघू से,,, दूर गई हुई गाय को लाने के लिए बोली तो रघू बोला,,,।
मैं नहीं जाऊंगा तु जा कर ले आ जब दूर जा रही थी तो जाने क्यों दी,,,
मैं नहीं देख पाई थी रघू,,,देख अंधेरा हो रहा है और मुझे इतनी दूर जाने में डर लग रहा है ,,,
मैं नहीं जाऊंगा बस तुझे ही लाना होगा,,,।
मैं तेरे हाथ जोड़ती हूं रघू जाकर ले आ,,,,,
देख मेरे सामने इस तरह से गिड़गिड़ा मत,,,,,, मुझे भी घर पहुंचने में देर हो जाएगी तो मां डांटेगी,,,,।
देख रहा हूं वहां पर जाकर मेरी गाय को वापस लेकर आना तेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है तु ऐसा कर सकता है,,,।
मैं ऐसा कर तो सकता हूं लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा,,,।
बदले में,,,,, बदले में,,,,(कुछ पल तक सोचने के बाद) कल मेरे मामा के वहां से ढेर सारा मीठा गुड़ आया है मैं तुझे 2 गेट्टे दूंगी,,,,
धत्त,,,,,, मुझे गुड़ से मुंह मीठा थोड़ी करना है,,,,,।
मुझे तो तेरे होठों से मुंह मीठा करना है,,,,
(इतना सुनते ही चंदा आश्चर्य से रघु की तरफ देखते हुए लेकिन एकदम से शरमाते हुए बोली।)
धत्त,,, पागल हो गया है क्या तू ,,,,,तुझे यह कहते शर्म भी नहीं आती,,,,,,
(चंदा शर्मा रही थी,,,, आखिरकार वह भी जवान थी उसके भी अरमान थे लेकिन रघू इस तरह से एकाएक यह शब्द बोल देगा उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था इसलिए मैं एकदम से शर्मा गई थी,,, और चंदा की बात सुन कर रघु बोला,,,)
तो फिर जाने दे मैं तो जा रहा हूं,,,,।
नहीं नहीं रघु ऐसा मत करो,,,,,,( रघू का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए बोली,,,)
देख चंदा चारों तरफ अंधेरा छाता चला जा रहा है,,,,अगर तू फैसला नहीं ले पाई तो तेरी गाय और दूर चली जाएगी और ऐसा भी हो सकता है कि हांथ से निकल जाए फिर तू ही सोच तेरी मां और तेरे पिताजी तेरे साथ क्या सलूक करेंगे,,,
नहीं नहीं रघु ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा तू जा कर ले आ मेरी गाय को,,,,।
लेकिन शर्त का क्या,,,,?
(थोड़ी देर सोचने के बाद चंदा बोली,,)
ठीक है तू जा कर लिया मैं तैयार हूं,,,,,
(इतना सुनते ही रघु एकदम से खुश हो गया और अपने जानवर को उसके भरोसे वहीं छोड़कर भागता हुआ चला गया चंदा का दिल जोरों से धड़क रहा था अब दूर गई हुई गाय के लिए नहीं बल्कि रघु के शर्त को मान लेने की वजह से जिस तरह का शर्त रघू ने उसके साथ रखा था इस तरह का शर्त चंदा के साथ किसी ने भी नहीं रखा था,,,,वह चित्र से जानती थी कि कुछ ही देर में रघु उसकी गाय को लेकर वहां पहुंच जाएगा और उसके बाद वह कैसे उसे चुंबन करने देगी,,,, चंदा भी काफी खूबसूरत थी गोरी थी भरे बदन की थी,, गदराई गांड की मालकिन थी,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रघु के साथ या रघु उसके साथ क्या करेगा,,,, थोड़ी ही देर में रघू गाय को लेकर उधर आ गया,,,,, और बोला,,,)
ले चंदा तेरी गाय लेकर आ गया हूं,,,, अब अपना वादा पूरा कर,,,,।
कैसा वादा मैंने कोई वादा नहीं की हूं,,,(इतना कहते हुए चंदा अपनी गाय की रस्सी पकड़कर आगे बढ़ने लगी तो रखो उसका हाथ पकड़कर एकाएक अपनी तरफ खींच लिया और चंदा सीधे जाकर उसके सीने से लग गई,,, एकाएक चंदा की नरम नरम चुचीयां रघु के सीने से दब गई,,,इस अद्भुत अहसास से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और उसे अपनी बाहों में कसके दबाता हुआ बोला,,,।
हाय मेरी चंदा रानी कैसा वादा अभी बताता हूं तुझे,,,,,
(इतना कहने के साथ ही रघूउसे अपनी बाहों में कसे हुए ही उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और उसे चूसने लगा,,, चंदा अभी अभी जवान हो रही थी पहली बार किसी जवान मर्द की बांहों में थी और इस तरह से अपने होठों पर उसके द्वारा चुंबन करने की वजह से वो एकदम से उत्तेजित हो गई उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,, और साथ ही रघु की हरकत बढ़ती जा रही थी वह अपने दोनों हाथों को उसकी कमर के नीचे जाकर उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों में थाम कर उसे दबाते हुए उसके लाल लाल होठों के रस को जूस रहा था,,,,, पल भर में ही चंदा की हालत खराब होने लगी उसकी सांसे तेज हो गई पजामे के अंदर रघू का लंड पूरी तरह से खडा हो चुका था,,, जो कि सीधे चंदा की सलवार के बीचो बीच उसकी टांगों के बीच में उसकी बुर के ऊपर ठोकर मार रहा था पहली बार चंदा अपने कोमल अंग पर कठोर अंग का स्पर्श महसूस कर रही थी,,, उसके बदले में उत्तेजना के साथ-साथ कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, वह रघु की बाहों से अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन यह कोशिश सिर्फ दिखावा थी,,, रघु जोर-जोर से जितना हो सकता था उतना चंदा की मदमस्त गांड को अपनी हथेली में ले ले कर दबा रहा था,,,,, और लगातार उसके होठों का रसपान कर रहा था,,,, रघु पागल हुआ जा रहा था वह एक हाथ से अपने पजामें को नीचे करके,,, अपने लंड को बाहर निकाल लिया,,, और चंदा का हाथ पकड़ कर उसे सीधे अपने लंड पर रख दिया,,,, पहले तो चंदा को इस बात का पता ही नहीं चला कि उसके हाथ में गर्म गर्म मोटी सी चीज क्या है,,,, लेकिन जब उसे इस बात का पता चला कि उसके हाथ में मोटी सी गरम गरम चीज और कुछ नहीं रघु का लंड है तो वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,, और तुरंत घबराकर अपना हाथ पीछे खींच ली और रघु को धक्का देकर नीचे गिरा दी,,,, और अपने गाय की रस्सी पकड़कर लगभग भाग ते हुए वहां से जाने लगी,,,। रघु उसे जाता हुआ देख रहा था और मुस्कुरा रहा था,,,।