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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

PLEASE

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रघु घर जाने के लिए तैयार हो गया,,, वैसे उसे भूख भी लगी थी,,,, वह घर की तरफ निकल गया आज पहली बार हुआ है अपनी मां के नितंबों पर हाथ लगाया था जिसकी गर्माहट का अहसास उसे अभी तक अपने हथेली के साथ-साथ संपूर्ण बदन में हो रहा था,,, और तो और पहली बार उसके पेंट में बना तंबू उसकी मां की टांगों के बीच की मखमली बुर के ऊपर ठोकर लगाई थी जिसकी वजह से वह अपने तन बदन में अत्याधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे यह तो पता नहीं चला कि उसकी मां को इस बात का एहसास हुआ कि नहीं लेकिन इतने में ही उसे पूरी तरह से मस्ती छा गई थी,,,। इतना तो रखो समझ ही गया था कि हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड से उसकी मां की गांड छोटी ही थी,,, लेकिन बेहद भरावदार और सुडोल थी,,, एक खूबसूरत और भरे हुए बदन की औरत के पास जिस तरह की मदमस्त गांड होनी चाहिए थी ठीक वैसे ही गांड उसकी मां के पास थी जिसकी वजह से रघु पूरी तरह से लालायित हो गया था अपनी मां की नंगी गांड को देखने के लिए लेकिन शायद अब यह बिल्कुल मुमकिन नहीं था,,,। इतना उसके लिए काफी था कि आज गले मिलने के बहाने ही सही वह अपनी मां के नितंबों को साड़ी के ऊपर से स्पर्श तो कर पाया था,,, साथ ही उसकी नरम नरम खरबूजे जैसी चूचियों की चुभन को अपने सीने पर महसूस भी किया था,,,।


कजरी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि पल भर में ही यह क्या हो गया जिस तरह की चुभन वह अपनी मखमली बुर के ऊपर महसूस की थी क्या सच में उसके बेटे का लंड बेहद तगड़ा है,,,। क्या रघु ने अपनी हथेली को जानबूझकर उसकी गांड पर रखकर दबाया था या अनजाने में हो गया था,,, कजरी यही सब अपने मन में सोच रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रघु की हरकत का क्या निष्कर्ष निकाला जाए,,। कजरी को अच्छा तो नहीं लग रहा था रघु के द्वारा इस तरह की हरकत करना लेकिन जो कुछ भी हुआ था ना जाने क्यों उसके तन बदन में आग सी लग गई थी,,,। वह अपने बेटे को दुलार करते हुए गले से तो लगाई थी लेकिन उसके बाद जिस तरह की हरकत रघु ने किया था वह उसे सोचने पर मजबूर कर गया था क्योंकि एक तरह से रघु उसे अपनी बाहों में भर लिया था और अपनी हथेली को उसके संपूर्ण बदन पर इधर से उधर घुमा भी रहा था और दुलार करते समय ना जाने कब उसकी हथेली उसकी बड़ी बड़ी गांड पर आ गई यह उसे पता भी नहीं चला लेकिन अगर यह सब अनजाने में हुआ तो रघु ने उसके नितंबों पर अपनी हथेली का दबाव बनाकर अपनी तरफ क्यों खींचा और तो और वह अपनी टांगों के बीच की चुभन को बराबर महसूस की थी और अच्छी तरह से समझ रही थी कि वह कठोर चीज उसकी मखमली द्वार पर ठोकर मारने वाली कौन सी चीज थी कजरी अच्छी तरह से जानती थी की साड़ी के ऊपर से भी एकदम बराबर अपनी ठोकर को महसूस कराने वाली चीज उसके बेटे का खड़ा लंड था,,, पर एक औरत होने के नाते वह यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब और किस कारण से खड़ा होता है और यही बात समझ में नहीं पा रही थी कि क्या वाकई में उसका बेटा उसके गले लगते ही पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जो उसका लैंड खड़ा हो गया और उसी उत्तेजना बसवा उसके नितंबों को पकड़कर अपनी तरफ खींचा था नहीं नहीं यह गलत है मेरा बेटा ऐसा नहीं हो सकता यह सब अनजाने में हुआ था,,, और कजरी अपने मन को झूठी दिलासा देते हुए उस और से अपना ध्यान हटाकर काम में लगा दी और वापस घास काटने लगी,,,


दूसरी तरफ रघु घर पर पहुंच चुका था उसे बहुत जोरों की भूख लगी थी,,,। नहाने से पहले वह खाना खा लेना चाहता था,,,। इसलिए वह अपनी बहन को ढूंढता हुआ अंदर के कमरे में जा पहुंचा,,, जहां पर कजरी अपने ही मस्ती में मगन होकर अपने गीले बालों को कंघी से सवार रही थी,,,। और दरवाजे पर पहुंच कर रघु के पांव वहीं के वहीं जम गए और वह अपनी बहन को आंख फाड़े देखता ही रह गया,,,, क्या करें सामने का नजारा ही कुछ इतना जबरदस्त और गर्म था कि वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाया वैसे तो सालों के लिए बेहद औपचारिक ही था लेकिन जवान हो रहे रघु के लिए पूरी तरह से उत्तेजना से भर देने वाला दृश्य था क्योंकि अभी अभी शालू नहाकर घर में आई थी और सिर्फ अपने बदन पर कुर्ती ही पहन रखी थी बाकी नीचे सलवार नहीं पहनी थी नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और कुर्ती भी उसकी कमर से बस 2 इंच तक ही आती थी जिससे शालू के समस्त नितंबों का भूगोल रघु की आंखों के सामने उजागर हो रहा था,,। क्योंकि शालू की पीठ रघु की तरफ थी रघु तो अपनी बहन की मदमस्त गोरी गोरी गांड और उसकी चिकनी लंबी टांगों को देखकर एकदम मस्त हो गया वह भी भूल गया कि उसकी आंखों के सामने कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी बड़ी बहन है,,,। लेकिन यह आखों को कहा पता चलता है कि सामने अर्धनग्न अवस्था में कौन है बस उसे तो अपने अंदर गर्माहट महसूस करने से ही मतलब रहता है और वही हो भी रहा था,,,।
हलवाई की बीवी की चुदाई के बाद उसे रघु का नजरिया एकदम से बदल गया था वरना वह इस तरह से आंख पानी अपनी बहन को अर्धनग्न अवस्था में नहीं देखता रहता बल्कि वहां से चला जाता,,। वैसे भी कुछ देर पहले ही वह अपनी मां के गले लग कर उसके नितंबों को अपनी हथेली में दबा दिया था जिसकी गर्माहट को वह अभी तक अपने तन बदन में महसूस कर रहा था। उस पल की सनसनाहट अभी तक उसके बदन से दूर हुई नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से बेहद गर्म नजारा देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,।
आज पहली बार वह अपनी बहन को इस अवस्था में देख रहा था पूरा जाकर पता चला था कि उसकी बहन कितनी खूबसूरत और मादक जिस्म की मालकिन है,,,। अपनी बहन की गोरी गोरी गांड और उसकी बीच की गहरी फांक को देखकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,। उसकी चीन में तो आ रहा था कि कमरे में जाकर पीछे से अपनी बहन को अपनी बाहों में भर ले और अपना खड़ा लैंड उसकी मुंह में डालकर उसकी चुदाई कर दे क्योंकि एक बार हलवाई की बीवी की चुदाई करके उसे अब पता चल गया था कि औरत को कैसे चोदा जाता है और उन्हें कैसे खुश किया जाता है लेकिन अभी वह अपनी बहन के साथ यह नहीं कर सकता था हालांकि करने का मन करने लगा था,,,।

तभी अपनी ही मस्ती में बालों को संभाल रही सालू को इस बात का एहसास हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है तो वह पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर रघु खड़ा था और उसे देखते ही वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई और अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी,,, तभी बिस्तर पर से चादर को खींचकर व अपने नंगे तन को छुपा ली,,,,। अपनी बहन की हड़बड़ाहट देखकर रघु समझ गया कि ज्यादा देर तक खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह वहां से वापस लौटते हुए बोला,,,।

दीदी जल्दी से खाना निकाल दो मैं नहा कर आता हूं और मां के लिए खाना भी ले जाना है,,,। ( इतना कह कर रघु नहाने के लिए चला गया और शालू जल्दी से अपनी सलवार ढूंढ कर उसे पहन ली,,,। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह भी पहली बार अपने छोटे भाई की आंखों के सामने इस अवस्था में खड़ी थी उसे इस बात का एहसास तो हो ही गया था कि जिस तरह से वह दरवाजे की तरफ पीठ करके अपने बालों को संभाल रही थी उसका भाई जरूर उसकी गोरी गोरी गांड को देख ही लिया होगा,,, और यह एहसास उसके तन बदन को पूरी तरह से झकझोर गया,,,। आईने में अपनी शक्ल को देखकर वह शरमा गई,,,। लेकिन तभी उसे वह पल याद आ गया जब वह अपने भाई को जगाने के लिए उसके कमरे में गई थी और उसका भाई बेसुध होकर सो रहा था जिसकी वजह से उसका लंड बाहर निकल कर पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था और उसके खड़े मोटे तगड़े लंड को देखकर शालू के तन बदन में आग लग गई थी,,,,। उस पल के बारे में सोच कर शालू को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके भाई ने उस दिन वाली बात का उससे बदला ले लिया हो उस दिन उसने उसके नंगे लंड को देखी थी और आज वह उसकी नंगी गांड को देख लिया था,,

थोड़ी ही देर में शालू रसोई के पास आकर अपने भाई के लिए खाना परोस कर वहीं बैठी रही और रघु नहाने के लिए लकड़ी के बने झुग्गी जैसे स्नानघर में घुस गया था अंदर पहले से ही दो बाल्टी पानी भर के रखा हुआ था,,। रात भर हलवाई की बीवी की चुदाई और सुबह अपनी मां के नितंबों का गर्माहट भरा स्पर्श और घर में अपनी बहन की मदमस्त नंगी गांड को देख कर रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और स्नान घर में घुसते ही वह अपने सारे कपड़े उतार कर अपनी खड़े लंड पर साबुन लगा कर ऊसे हिलाना शुरू कर दिया था,,,,। और अपने लंड को हिलाते हुए रघु रात भर और अभी तक के सारे दृश्य के बारे में सोचने लगा था बार-बार उसकी आंखों के सामने हलवाई की बीवी का नंगा बदन उसकी मां की बड़ी-बड़ी नितंब और शालू की गोरी गोरी गाना नजर आ रही थी जिसमें कल्पना करते हुए बारी-बारी से अपना लंड पल रहा था काफी उत्तेजना का अनुभव करते हुए थोड़ी ही देर में रघु के लंड ने पानी का फव्वारा फेंक दिया,,,, अपनी गर्मी शांत करते हुए वह जल्दी से नहा कर स्नान घर से बाहर आ गया।

जल्दी से कपड़े पहन करवा खाने के लिए बैठ गया,,, और उसके खाना खाने के लिए बैठते ही शर्म के मारे शालू वहां से उठकर अंदर कमरे में चली गई,,,, अपने भाई के द्वारा अपनी नंगी गांड देखे जाने की वजह से उसके तन बदलने में तेज ना की लहर दौड़ रही थी शर्मिंदगी का अहसास तो हो ही रहा था लेकिन साथ में उत्तेजना की आगोश में वह अपने आप को पूरी तरह से डुबोती चली जा रही थी,,,।
थोड़ी ही देर में रघु ने खाना खा लिया और शालू को आवाज देते हुए बोला,,,।

दीदी जल्दी से मां के लिए खाना बांध दो मुझे खेतों पर जाना है,,,।
( इतना सुनते ही शालू अंदर से निकलकर बाहर रसोई के पास आई और अपनी मां के लिए रोटी सब्जी और प्याज काट कर रखने लगी,,, शालू अपने भाई से नजर नहीं मिला पा रही थी उसे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी मां के लिए खाना बांधते हुए रघु की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,)

रात भर कहां गया था तुझे मालूम है मां कितनी परेशान हो रही थी,,,।


कहीं नहीं दीदी बस दोस्तों के साथ था,,,। ज्यादा रात हो गई तो उन्हीं के घर सो गया,,,,।

कहीं भी जाया कर तो मां को बता कर जाया कर,,, ले जल्दी से खेतों पर जाना वरना मां भूखी रह जाएगी,,,( रघु को खाने की पोटली थमाते हुए शालू बोली,,,)

ठीक है दीदी तुम चिंता मत करो मैं समय पर खेत पर पहुंच जाऊंगा,,,,( इतना कहते हुए रघु खाने की पोटली को हाथ में लेकर खड़ा हुआ और जाते-जाते बोला) दीदी कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ उसे मां से मत बताना मैं अनजाने में दरवाजे पर पहुंच गया था मुझे मालूम नहीं था कि तुम कपड़े नहीं पहनी हो,,,,( रघु के मुंह से यह बात सुनते ही वह एकदम से झेंप गई लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

मैं जानती हूं जो कुछ भी हुआ वह गलती से हुआ इस में तेरी कोई गलती नहीं है इसलिए तू जा मैं मां से कुछ नहीं कहूंगी,,,,( शालू की बात सुनते ही रखो मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया और सालू वहीं खड़ी तब तक उसे देखती रही जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गया,,, वह खड़ी खड़ी यही सोच रही थी कि क्या सच में यह सब अनजाने में हुआ था क्या रखूं सच में अनजाने में ही दरवाजे तक आ गया था लेकिन अगर अनजाने में हुआ था तो वह तुरंत चला क्यों नहीं किया खड़े होकर देख क्यों रहा था,,,। रघु कि मुझे अभी की बात सुनकर और कुछ देर पहले की हरकत को देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या समझे क्या फैसला ले,,,, शालू भी यह सब अनजाने में हुआ होगा ऐसा झूठी दिलासा आपने आपको देकर काम में व्यस्त हो गई,,,। रघु कल रात से लेकर के अबतक के वाकए के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, उसे एहसास होने लगा था कि किस्मत उसके ऊपर पूरी तरह से मेहरबान हो चुकी थी,,,, कल रात से ही उसके साथ वह सब हो रहा था जिसके बारे में वह सिर्फ कल्पना ही कर पा रहा था,,, कल रात से क्यों दोपहर से ही जब से वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा था तब से उसकी जिंदगी में सब कुछ बदलता चला जा रहा था अगर वह अपनी मां को पेशाब करते हुए ना देखता तो उसकी मां यह देख कर उस पर डांट फटकार ना लगाते और उस डांट फटकार को दिल पर ले कर रघु घर से दूर गांव के किनारे रात को नहीं रुकता और वहां रघु नहीं रुकता तो हलवाई की बीवी उसे घर में नहीं बुलाती और हलवाई की बीवी के साथ जिंदगी में पहली बार संभोग सुख का सुख नहीं भोग पाता,,,, फिर सुबह उसकी मां परेशान होकर उसे गले नहीं लगाती और ना ही फिर रघु अपनी मां के भारी-भरकम नितंबों को अपनी हथेली से स्पर्श कर पाता,,,, और ना ही वह घर पर खाना खाने के लिए जाता और ना ही किस्मत के जोर पर चलती वह अपनी खूबसूरत बहन की खूबसूरत गांड के दर्शन कर पाता यही सब सोचकर वह मस्त हुआ जा रहा था और अपनी किस्मत पर इठला भी रहा था,,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसे बहुत सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है कोई जल्दबाजी नहीं दिखानी है वरना कहीं खेत में जिस तरह से उसकी मां उसे गले लगाई थी और वह उसी का फायदा उठाते हुए उसके नितंबों को अपनी हथेली से स्पर्श करके अपनी तरफ खींच कर उसकी जवानी को अपने अंदर समाने की कोशिश किया था अगर फिर से वह गलती करेगा तो उसकी मां हो सकता है फिर से उसे घर से निकाल दे उस पर नाराज हो जाए ओर ऐसा रघु बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,।


थोड़ी ही देर में खाना लेकर रघु खेतों पर पहुंच गया उसकी मां अभी भी खेतों के बीच बैठकर बड़ी-बड़ी घास को काट रही थी सूरज एकदम सर पर तप रहा था,,,। और कजरी की नजर जैसे ही रघु पर पड़ी एक बार फिर से उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,, क्योंकि रघु को देखते ही कुछ देर पहले का वाकया उसे याद आ गया,,,। शर्मिंदगी का अहसास उसे अंदर तक हो रहा था इसलिए वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी,,,। रघु भी अब थोड़ा सा अपनी मां से कन्नी काट रहा था क्योंकि वह अपनी मां को एहसास नहीं होने देना चाहता था कि जो कुछ भी हुआ था वह जानबूझकर हुआ था वह यही दिखाना चाहता था कि गले लगते समय जो भी हरकत उसकी तरफ से हुई थी वह अनजाने में हुई थी इसलिए वह एकदम सहज बना रहा,,,।

मां खाना खा लो नहीं तो खाना ठंडा हो जाएगा और धूप भी बहुत है थोड़ी देर आराम कर लो,,,,। ( इतना कहते हुए वह भी खेतों के बीचो बीच पहुंच गया जहां पर उसकी मां घास काट कर घास का ढेर लगा चुकी थी,,, कजरी भी थक चुकी थी इसलिए अपने बेटे की बात मानते हुए खाना खाने के लिए तैयार हो गई,,,, पास में ही खेतों मैं पानी जाने के लिए मेड बनाई गई थी उसमें से एक दम साफ पानी बह रहा था जिसमें कजरी हाथ धोकर पेड़ की छांव के नीचे आ गई,,,। खाली की पोटली रघु अपनी मां को थमा कर वहीं खड़ा हो गया और कजरी नीचे बैठकर खाने की पोटली खोलते हुए बोली,,,।

रघु जाकर ललिया को बुला दे तो पास में अपने खेतों में वह भी घास काट रही हैं अगर वह भी दो रोटी खा लेगी तो उसे भी थोड़ा सुकून मिल जाएगा,,,।

ठीक है मां मैं अभी बुला कर लाता हूं,,,,( इतना कहकर रघु पास वाले खेत में चला गया जहां पर ललिया भी घास काट रही थी,,,)

चाची चलो खाना खा लो मां बुला रही है,,,।

मैं अभी घर नहीं जाऊंगी रघु काम खत्म करने के बाद ही जाऊंगी,,,।


अरे घर नहीं जाना है मैं खाना लेकर आया हूं चलो खा लो,,,


यह तो तूने बहुत अच्छा काम किया मुझे भी बहुत जोरों की भूख लगी है,,।

तो चलो जल्दी चल कर खा लो,,,,

तू चल मैं आती हूं,,,

( रघु चला गया और उसके पीछे पीछे थोड़ी ही देर में ललिया भी वही पहुंच गई,,, तीनों आपके घने पेड़ के नीचे बैठे हुए थे और कजरी रोटी और सब्जी ललिया को भी दे रहे थे रघु घर से खाना खाकर आया था,,,, दोनों खाना खाने लगी तो रघु पानी लेने के लिए चला गया जो कि पास में ही हेडपंप बना हुआ था,,,,। गर्मी बड़े जोरों की पड़ रही थी फिर तुम के करीब पहुंचकर रघु हेंडपंप चलाकर पहले खुद पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लिया,,,, तो फिर बर्तन में पानी भरने लगा,,, पानी लेकर जब रघु पेड़ के नीचे पहुंचा दो ललिया निश्चिंत होकर रोटी सब्जी खा रही थी वह एक टांग मोड कर रिप्लाई फैलाकर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी पेटीकोट सहित उसके घुटनों के ऊपर तक चढ गई थी,,,,। जिसकी वजह से उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया साफ नजर आ रही थी पर यह देख कर रघु का मन ललिया के ऊपर डोलने लगा,,,। वह चोर नजरों से बार-बार ललिया की चिकनी टांग को देख ले रहा था,,, और ललिया काम में इतना मशगूल होकर घास की कटाई कर रही थी कि उसके ब्लाउज का एक बटन खुला हुआ है इसका उसे आभास तक नहीं था,,, जिसमें से उसकी गदराई चूचियां नजर आ रही थी,,,, जो देखते ही रघु एकदम से मस्त होने लगा लेकिन वह अपनी नजरें अपनी मां और ललिया दोनों से बचाकर चोरी-छिपे इस नजारे का आनंद ले रहा था,,,, घुटनों तक की खुली नंगी चिकनी टांग देखकर रखो मन में यही कल्पना कर रहा था कि ललिया के दलों के बीच भी हलवाई की बीवी की तरह रसीली बुर होगी,,, और यह ख्याल मन में आते ही रघु के पजामे में उसका लंड हिलोरे लेने लगा,,, लेकिन रघु नहीं चाहता था कि उसके पेंट में बना तंबू उसकी मां और ललिया देखें इसलिए वह वहीं पर बैठ गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों खाना खा चुके थे धूप बड़ी तेज थी गर्मी का महीना होने की वजह से इस तरह की धूप में काम करना मुमकिन नहीं था,,,। इसलिए रघु उन दोनों से बोला,,,।


तुम दोनों खाना खा चुके हैं इसलिए आराम कर लो तो अच्छा होगा,,, और इस पेड़ के नीचे आराम करना ठीक रहेगा,,,।

तो सही कह रहा है रघु हम दोनों इतनी धूप में काम करके थक चुके हैं और खाना खाने के बाद आराम करना भी जरूरी है इसलिए हम दोनों यहीं आराम कर लेते हैं थोड़ी देर,,,। ( ललिया कजरी की तरफ देखते हुए बोली जिस में दोनों की सहमति थी इसलिए दोनों आराम करने लगे और रघु इधर-उधर घूमने लगा,,, इधर-उधर घूमते हुए थोड़ा दूर निकल गया तो उसे वहां रामू मिल गया और उसे देखते ही रामू बोला,,,।)

कल तू कहां चला गया था,,,, ना घर पर मैं खेतों में कहीं दिखा ही नहीं,,,,।

हां कल जरूरी काम था मुझे एक रिश्तेदार के घर जाना था इसलिए कल मैं घर पर नहीं मिला,,,। और बता क्या चल रहा है,,,। धीरे-धीरे तेरी बहने तो बहुत खूबसूरत होती जा रही है,,,,।

देख रघु तू ऐसी बातें मत किया कर मुझे गुस्सा आ जाता है,,,।

रामू तू पागल हो गया है मैं तो सिर्फ सच कहता हूं तुझे बुरा लग जाता है सच बताना क्या तेरी बहने खूबसूरत नहीं है,,,।
( रघु की यह बात सुनकर रामू कुछ बोल नहीं पाया,,,।) और तो और रामू तेरी बहन को तो छोड़ो तेरी मां कितनी खूबसूरत है अभी अभी देख कर आया हूं,,,।

क्या क्या क्या देख कर आया है रघु तो देख उल्टी-सीधी बातें मत किया करो वरना तेरी और मेरी दोस्ती टूट जाएगी,,,।


अरे पागल जो मैं कहता हूं वह सच कहता हूं अभी अभी देख कर आ रहा हूं तेरी मां और मेरी मां दोनों साथ बैठकर खाना खा रही थी,,,।


कहां खाना खा रही थी,,,?

अरे खेतों में मैं ही तो खाना लाया था दोनों के लिए,,,, सच यार रामू तेरी मां बेफिक्र होकर जिस तरह से एक टांग मोड़ कर बेफिक्र होकर खाना खा रही थी ना तेरी मां की साड़ी घुटनों तक चड़ गई थी जिसकी वजह से तेरी मा की चिकनी चिकनी टांगें मुझे नजर आ रही थी,,, मैं तो देख कर एक दम मस्त हो गया यार रामू मेरा तो मन कर रहा था कि तेरी मां की साड़ी कमर तक उठाकर दोनों टांगें फैलाकर अपना लंड तेरी मां की बुर में डालकर चोद दु,,, लेकिन पता नहीं तेरी मां तैयार होगी कि नहीं,,,, अच्छा तू बता रामू अगर में तेरी मां को चोद ना चाहु तो क्या तेरी मां मुझसे चुदवाएगी,,,
( रघु की बात सुनकर रामू कुछ बोल नहीं रहा था बस गुस्से में उसे देखता जा रहा था,,,।)

देख रहा हूं यह सब अच्छी बात नहीं है मैं अपनी मां से बता दूंगा,,,,।

यार तू नाराज क्यों होता है तू तो मेरा दोस्त है और दोस्त की मां पर इतना तो हक बनता ही है,,,। ( इतना कहते हुए रघु उसके कंधे पर हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचकर उसे मनाने की कोशिश करने लगा और रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि इस तरह की गंदी बातें भले ही वह उसकी मां के बारे में करता हूं यह सब बातें रामू को भी अच्छी लगती है तभी तो वह अपनी मां को अभी तक कुछ भी नहीं बताया अगर उसे बुरी लगती तो आप तक वह अपनी मां को सब कुछ बता भी दिया होता और उससे दोस्ती तोड़ दिया होता,,। रामू शांत हो गया था और रघु इधर उधर की बातें करने लगा था,,,, मज़ाक मजाक में रघु अपने मन की बात कह गया था यह बात सच है कि ललिया को लेकर रघु हमेशा कल्पना किया करता था और उसे चोदने का ख्वाब देखा करता था और आज उसकी नंगी चिकनी टांग देखकर उसका मन डोलने लगा था,,,,। इधर उधर की बात और खेतों में घूमते हुए धीरे-धीरे दिन गुजरने लगा और शाम होने लगी तो रघु को ख्याल आया कि उसे तो खेतों पर जाना है और वह तुरंत रामू को लेकर खेत पर पहुंच गया जहां पर अभी तक उसकी मां और ललिया दोनों आराम कर रही थी रघु जल्दी से उन दोनों को जगाया,,,। दोनों हड़बड़ाहट में उठी दोनों को देर हो चुकी थी लेकिन अभी शाम ढलने में कुछ वक्त बाकी था इसलिए दोनों फिर से खेत में उतर गई और घास काटने लगी इस बार रघु और रामू दोनों अपनी अपनी मां का हाथ बंटाने लगे,, थोड़ी ही देर में दोनों का काम निपट गया और अंधेरा होने लगा,,, रघु कटी हुई खास का ढेर सारा ढेर बना कर उसे माथे पर उठा लिया और खेतों से बाहर आ गया,,,, दोनों घर की तरफ जा रहे थे,,, लेकिन अभी भी ललिया का काम खत्म नहीं हुआ था,,,। अंधेरा हो रहा था और रघु के दिमाग में कुछ और चल रहा था वाह रामू जो कि अपनी मां के साथ उसका हाथ बटा रहा था उसे आवाज देकर बुलाया,,,,। रघु की आवाज सुनते ही रामू दौड़ता हुआ उसके पास आया और बोला,,।

क्या हुआ रघु,,,


लगता है चाची का काम अभी तक खत्म नहीं हुआ है एक काम कर तू यह घास का ढेर माथे पर रखकर मेरी मां के साथ घर पर चला जा मैं जल्दी से काम खत्म करके चाची के साथ आ जाता हूं,,,,,

हां रामू रघु ठीक कह रहा है तुझसे जल्दी नहीं हो पाएगा और रघु जल्दी जल्दी काम खत्म कर देगा,,,

( रघु अपने माथे पर का बोझा रामू के सर पर रख दिया और रामू कजरी के साथ घर की तरफ चला गया और रघु कच्ची सड़क से खेत में उतर गया,,,,,।)
Ramu chutiya lag raha hai bhale Raghu dost hai to kya hardam vo usaki ma aaur bahan ko chodane ka bole aaur ye chutiya sun leta hai
Use bhi bolana chahiye ki mujhe bhi Shalu aur teri ma ko chodna hai

Fir Raghu kya bolega vo dekhne vali bat hai
 
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