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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

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रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे पूरा यकीन तो नहीं था लेकिन उम्मीद की किरण नजर आ रही थी कि आज की रात कुछ ना कुछ जरूर होगा शालू के पायल की आवाज सुनकर वह सोने का नाटक करने लगा आंखों को बंद करके वह दिल की धड़कन को नियंत्रित करते हुए अपनी बहन के द्वारा क्या हरकत होती है उसका इंतजार करने लगा,,। रघु के बदन में कसमसाहट हो रही थी और साथ ही वह बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,। कमर पर लपेटे,,,, हुई तोलिए को वह अपनी जांघों पर डाल दिया था ताकि शालू को देखने पर यही लगे कि वह नींद में अस्त व्यस्त हो गई है,,,। रघु का खड़ा लंड पूरी औकात में आसमान की ऊंचाई नाप रहा था,,,।
शालू के मन में भी हलचल मची हुई थी एक बार फिर से वह अपने भाई के खड़े लंड के दर्शन करना चाहती थी,,, दिल की धड़कन बड़ी तेजी से दौड़ रही थी मानो घोड़ा दौड़ रहा हो,,, उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसे आज फिर से अपने भाई की खडे लंड के दर्शन करने को मिल जाएंगे,,, बहुत धीरे-धीरे अपने कदम बड़े आराम से रखते हुए आगे बढ़ रही थी ताकि उसकी मां की नींद ना खुल जाए जो कि बेहद गहरी नींद में सो रही थी और यह बात शालू अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी मां बहुत ही गहरी नींद में सोती है इसलिए उसे उसके जाग जाने का डर बहुत ही कम है,,,। धीरे-धीरे वह अपने भाई के करीब पहुंच गई जहां पर वह चटाई बिछाकर बड़े आराम से सो रहा था,,। तभी उसे जो देखने की इच्छा हो रही थी वही दिखाई दिया जो कि अपनी अपनी औकात में खड़ा था शालू अपने भाई के खड़े लंड को देखते ही गनगना गई,,, उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल होती भी महसूस होने लगी उसके दिल की धड़कन और ज्यादा तेज हो गई,,, उस दिन की तुलना आज उसे अपने भाई का खड़ा लंड एकदम साफ नजर आ रहा था क्योंकि आसमान में चांदनी बिखरी हुई थी,,,। शालू का दिल मचल उठा उसे अपने हाथ में लेने के लिए वह पहले भी दो तीन बार अपने भाई के गहरी नींद में होने का फायदा उठाते हुए अपने हाथ में लेकर उसकी गर्माहट को अपने अंदर महसूस कर चुकी थी लेकिन यह बात हुआ है नहीं जानती थी कि उसका भाई नींद में नहीं बल्कि सिर्फ सोने का नाटक किया करता था और उसे आज भी यही लग रहा था कि उसका भाई नींद में है इसलिए वह एक बार फिर से अपने भाई के खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर उसकी गरमाहट को महसूस कर सकेगी,,।
पल भर में ही शालू उत्तेजित हो गई क्योंकि रघु का लंड एकदम डंडे की तरह सीधा खड़ा था उसमें जरा भी लचक नहीं थी,,,,,, शालू धीरे से अपने भाई के करीब बैठ गई वह कभी अपने भाई के चेहरे की तरफ तो कभी उसकी खड़े लंड को देख रही थी,,,, मन में भावनाओं का बवंडर उठ गया था तन बदन में उत्तेजना की लहर और ज्यादा ऊंची लहरा रही थी,,,,, पहले कि अपने भाई के लंड को पकड़ कर देखने की हिम्मत उसे याद थी इसलिए वह एक बार फिर से हिम्मत करके अपना हाथ आगे बढ़ा दी इस बार उसका हाथ कांप रहा था,,,, जो कि पहले भी ऐसा होता था लेकिन आज शालू के मन में कुछ और चल रहा था,,, उसका मन इस समय संभोग सुख से वाकिफ होने के लिए मचल रहा था,,, उसे अपनी बुर के अंदर कुल बुलआहट होती हुई महसूस हो रही थी,,, और देखते ही देखते उसने अपने भाई के मोटे तगड़े लंबे लंड को पहले अपनी बीच वाली उंगली से स्पर्श की,, उसकी गर्माहट अपने तन बदन में महसूस करते ही शालु से रहा नहीं गया और और वह उसके समूचे लंड की गोलाई को अपने हाथों की हथेली में समेट ली,,,, शालू को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने सारी दुनिया को अपनी मुट्ठी में कैद कर ली,, और रघु अपने लंड को अपनी बहन की हथेली ने महसूस करते ही उसकी हथेली की नरम नरम उंगलियों का स्पर्श पाकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके लंड की नसों में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से होने लगी हो और वह उत्तेजना के मारे अपने गर्म सिसकारियों की आवाज़ को अपने गले के अंदर ही घोट रहा था,,,, उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन कसमसाने लगा,,,, शालू को इस बात का अंदाजा हो गया था कि उसके भाई का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा था जिसे वो धीरे धीरे मुठिया रही थी शालू को अपने भाई के लंड को मुठीयाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,, आश्चर्य और उत्तेजना के मारे उसका मुंह खुला का खुला रह गया था वह रह रह कर पीछे की तरफ देख ले रही थी कि कहीं उसकी मां जाग तो नहीं रही जो कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी मां तो गहरी नींद मैं सो रही थी,,,। रघु को मजा आ रहा था और आता भी कैसे नहीं भले वह उसकी बड़ी बहन थी लेकिन थी तो एक लड़की ही खूबसूरत जवान जिसके हाथों की गर्मी उसके लंड को पिघलाने के लिए सक्षम थी,,,। शालू जिस तरह से अपने भाई के लंड को हिला रही थी रघु को इस बात का डर था कि कहीं उसके लंड की पिचकारी ना निकल जाए,,। रघु का बदन कसमसा रहा था वह बड़ी मुश्किल से अपनी आंखों को बंद किए हुए था वह अपनी आंखों को खोलकर अपनी बहन की इस कामुक हरकत को देखना चाहता था उसका आनंद लेना चाहता था लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं आप खोलते हैं उसकी बहन डर के मारे चली ना जाए लेकिन आज ऐसा होने देना नहीं चाहता था आज उसके लंड ने बगावत किया हुआ था,,,, क्योंकि दोपहर से ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा का खड़ा था जिसका कारण थी लाला की बहू जिसे उसने उसे की ले कपड़ों में देखा था और उसके गोलाकार नितंबों को देखकर काफी उत्तेजना महसूस किया था,,,। उसके मदमस्त कर देने वाले संतरो को देख कर उसकी मत मस्त जवानी तो रघु का मोटा तगड़ा लंड खड़े होकर सलामी दे रहा था अपने लंड की गर्मी को आज वह अपनी बहन के ऊपर निकालना चाहता था,,,, जो कि इस समय उसके लंड को हिला रही थी,,,,।
आहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,( ना चाहते हुए भी शालू के मुख से इस तरह की गरम सिसकारी की आवाज निकलने लगी और इस तरह की आवाज को सुनकर रघु एकदम से पागल होने लगा अपनी आंखों को खोल देना चाहता था अपनी बहन के हाथ पर हाथ रखकर साथ में अपने लंड को ही लाना चाहता था लेकिन ना जाने क्यों उसके अंदर डर था लेकिन शालू मजे लेना चाहती थी वह चाहती थी कि उसका भाई आंख खोल दें नींद से जाग जाए,,,, इस तरह के ख्याल उसके मन में आ रहे थे लेकिन डर भी लग रहा था कि उसका छोटा भाई उसके बारे में क्या सोचेगा,,,, शालू से अपने तन बदन की उत्तेजना और अपने भाई के खड़े लंड का सुरूर बर्दाश्त नहीं हो रहा था उसके तन बदन में आग लग रही थी उत्तेजना के मारे उसकी बुर से मदन रस बहने लगा था शालू के लिए अपने हालात को संभाल पाना नाजुक होता जा रहा था और यही यही हाल रघु का भी था पूरा गांव चैन की नींद सो रहा था लेकिन दोनों भाई बहन की नींद उड़ी हुई थी रघु तो सिर्फ सोने का नाटक कर रहा था और शालू एकदम बेवकूफ थी कि इतना भी नहीं समझ पा रही थी कि इस तरह से किसी के लंड को पकड़ने पर वह गहरी नींद में नहीं बल्कि नींद उड़ जाती है,,, शालू को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसका भाई सोने का नाटक कर रहा है,,,, और शालू उत्तेजित होते हुए एक हाथ से अपने भाई के लंड को हिलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चूची को मसलने लगी,,, कपड़ों के ऊपर से ही अपनी कामुक हरकत की वजह से वह काफी उत्तेजित हुए जा रहे थे उसके मन में हो रहा था कि काश यह हरकत उसका भाई अपने हाथों से करता तो कितना मजा आता,,, शालू अपनी हरकत को आगे बढ़ाते हुए अपनी आंखों को बंद करके आनंद की अनुभूति को महसूस कर रही थी तभी रघु हिम्मत दिखाते हुए अपनी आंख को हल्के से खोला तो उसे अपनी बहन का खूबसूरत चेहरा नजर आने लगा,,,। जो कि इस समय और ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उसके लाल गाल उसकी उत्तेजना की कहानी बयां कर रहे थे उसकी आंखें बंद थी जिससे पता चल रहा था कि उसे इस क्रिया को करने में कितना आनंद प्राप्त हो रहा है वह अपनी नजरों को नीचे की तरफ लाया तो देखकर दंग रह गया उसकी बहन अपने हाथों से ही अपनी चूची को दबा रही थी जो कि इस समय कपड़ों के अंदर थी यह देख कर रघु के तन बदन में आग लग गई,,, रघु अपनी बहन की मदमस्त चुचियों को देखना चाहता था उसे छूना चाहता था उसे मुंह में भर कर पीना चाहता था जिस तरह से वह हलवाई की बीवी और रामू की मां की चूचियों का स्तनपान किया था अपनी नजर को थोड़ा और नीचे ले जा कर के जब उसने अपनी आंखों से बेहद कामुक और मादक दृश्य देखा तो उससे रहा नहीं गया अपनी बहन की नाजुक हथेली में अपने मोटे कड़क लंड को देखते ही उसकी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच गई और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन के हाथ पर रख दिया और उसकी हथेली को अपनी हथेली में भरकर कस लिया,,,,, अपनी हथेली पर हथेली महसूस होते ही शालू की आंख खुल गई और वह अपने भाई के खड़े लंड की तरफ देखकर उसके चेहरे की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए रघु की आंख खुली हुई थी,,,, मारे उत्तेजना और डर के मारे शालू का गला सूखने लगा,,,, शालू डर के मारा अपना हाथ पीछे की तरफ खींचने लगी,,, लेकिन रघु की मजबूत हथेलियां उसे कस के पकड़े हुए थे और रघु खुद ही अपनी बहन का हाथ पकड़कर अपने लंड पर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा था,,,,,।

यययय,,, यह क्या कर रहा है तू,,,,।

वही जो तुम कर रही थी दीदी,,,,


नहीं ऐसा मत कर यह गलत है,,,।

गलत है तो फिर तुम क्यों कर रही थी दीदी,,,,।( रघु अपनी बहन की हथेली को अपने लंड पर कसते हुए धीरे-धीरे मुठिया ते हुए बोला,,,)

मैं बहक गई थी रघु,,,,( शालू डरते हुए बोली,,,)

क्यों बहक गई थी किस लिए बहक गई थी,,,,,

तेरा यह देखकर,,,,,( शालू आंखों से अपने भाई के लंड की तरफ इशारा करते हुए बोली)

इसे देख कर बहकने जैसा क्या है,,,,, ऐसा तो सभी लड़कों के पास होता है,,,,, क्या तुम यह बात नहीं जानती,,,,?

तेरा कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा है,,,,( शालू अपनी भाई की आंखों में झांकते हुए बोली ना जाने क्यों उसे अपने भाई के द्वारा इस तरह से उसकी हथेली को उसके लंड पर मुठिया ते हुए अच्छा लग रहा था,,,।)

क्या बिरजू का ऐसा नहीं है,,,,,? ( ऐसा कहते हुए रघु हिम्मत दिखाकर अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपने हाथ को सीधे उसके कपड़ों के ऊपर से ही अपनी बहन की चूची पर रख दिया ,,,, शालू अपने भाई के इस तरह की हरकत हो बिरजू का नाम सुनते ही बुरी तरह से चौक गई,,,,।)

बबबब,,, बिरजू कौन बिरजू,,,,,,( शालू एकदम से हड बढ़ाते हुए बोली,,,)

मैं सब जानता हूं दीदी मुझसे कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं है,,,,( कुर्ती के ऊपर से ही अपनी बहन की चूची को दबाते हुए बोला,,,)

तू क्या कह रहा है मुझे,,, कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,।


तुम अच्छी तरह से जानती भी हो और समझती भी हो कि मैं क्या कह रहा हूं,,,, बिरजू से प्यार करती हो ना तुम दीदी,,, चोरी-छिपे तुम आम के बगीचे में उससे मिलती हो,,,
( उत्तेजना के मारे यह कहते हुए रघु अपनी बहन की चूची को जोर जोर से दबाने लगा और एक हाथ से अपने लंड को अपनी बहन की हथेली का सहारा लेकर हिलाता रहा अपने भाई की हरकत को देखकर शालू के बदन में खुमारी छाने लगी थी,,,, जो कुछ भी उसका भाई कह रहा था शालू को समझते देर नहीं लगी कि उसका भाई सब कुछ जानता है इसलिए वह बोली,,,।)

इसका मतलब है कि तू सब जानता है,,,।

मैं सब जानता हूं दीदी तुम्हारे प्रेम कहानी के बारे में,,,


देख रहा हूं मां को इस बारे में बिल्कुल भी पता नहीं चलना चाहिए,,,,

बिल्कुल भी पता नहीं चलेगा दीदी,,,,( इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की हथेली पर से अपना हाथ हटा कर उसे अपनी बहन की दूसरी चूची पर रख दिया और दोनों चूची को एक साथ अपने दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया या देखकर शालू बोली,,,।)

यह क्या कर रहा है तू,,,,?


तुम्हारी खूबसूरत चुचियों से खेल रहा हूं दीदी,,,,,


क्या अपनी बहन की चुचियों से इस तरह से खेलना सही रहेगा,,,,( शालू यह कहते हुए अपनी हथेली को अपने भाई के लंड पर और जोर से कस ली,,,)

जब तक किसी को पता ना चले तब तक सही रहेगा,,,,


मां को पता चल गया तो,,,।


मां को बिल्कुल भी पता नहीं चलेगा दीदी तुम तो जानती हो कि मां कितनी गहरी नींद मैं सोती है अब वह सुबह से पहले उठने वाली नहीं है,,,,( उत्तेजना के मारे रघु जोर-जोर से अपनी बहन की चूचियों को कुर्ती के ऊपर से ही मसलता हुआ बोला,,,,, और इस तरह से अपने भाई की हरकतों की वजह से शालू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी थी अब वह भी अपने कदम पीछे नहीं लेना चाहती थी,,, इसलिए वह भी मस्ती दिखाते हुए अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को फिर से मुठीयाना शुरू कर दी,,,, अपनी बहन की यह हरकत देखते ही रघु को समझते देर नहीं लगी कि रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है और उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,।)

आहहहहहहह दीदी,,,,,
( दोनों बड़े ही धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए बात कर रहे थे ताकि उनकी आवाज की वजह से उनकी मां ना जाग जाए,,, और दोनों के बीच हो रही वार्तालाप के स्वर इस तरह से फुशफुसाहट भरे थे कि जब एक मर्द और औरत आपस में चुदाई करते हुए आपस में इस तरह से बातें करते हैं कि कोई तीसरा उन दोनों की बातें ना सुन ले इस तरह से दोनों धीमे स्वर में बातें कर रहे थे और अपनी बहन के इस तरह की धीमी आवाज रघु के तन बदन में और भी ज्यादा उत्तेजना भर रहा था,,,।
Konsa vala pyaar karti hai Shalu Birju se pata to chale
Ek taraf Birju se kahti hai ki tumhare saath shadi nahi hui to mar jaungi aur ratko bhai ka lund hilati hai
Bahut hi ucch koti ka pyaar malum padta hai ye🙄🙄🙄🤔
 

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अपने इस सुखद मिलन को लेकर दोनों भाई बहन अति प्रसन्न नजर आ रहे थे,,,,, अपने भाई के साथ संभोग करके सालु की मदमस्त जवानी और ज्यादा खिल उठी थी,, वह महकने लगी थी उसकी खूबसूरती में चार चांद लग चुके थे,,, अब उसकी दोनों गोलाइयां अपने आकार में तब्दीली लाना शुरू कर चुके,, थे,,, दोनों भाई बहन का जुगाड़ घर में ही हो चुका था जब चाहे तब दोनों एक दूसरे में समा जाते थे रघु हर बार अपनी बहन को संपूर्ण तृप्ति का अहसास दिलाता था चुदाई के असली सुख से वाकिफ कराता था,,, जवानी में शालू अपने ही भाई के मर्दाना अंग को पाकर संपूर्ण रूप से संतुष्ट हो चुकी थी,,,, दोनों मौका मिलते ही एक दूसरे के जवान जिस्म से खेलना शुरू कर देते थे जिन की भनक उनकी मां को बिल्कुल भी नहीं था,,,,,, दोनों भाई बहन का समय अच्छे से गुजरने लगा था,,,, रघु अपने आप को भाग्यशाली समझता था क्योंकि अब तक उसने हलवाई की बीवी और रामू की मां के परिपक्व खूबसूरत जिस्म के साथ-साथ अपनी बहन की कमसिन जवानी के साथ भी खेल चुका था जिसमें उसे आनंद ही आनंद प्राप्त हो रहा था,,,।

ऐसे ही 1 दिन वह रामू को बुलाने के लिए उसके घर गया तो घर में उसे उसकी मां के सिवा और कोई नजर नहीं आया जो कि वह अपने बालों को संवार रही थी,,, रामू की मां को अकेली देखते ही रघु के पजामे में हरकत होने लगी और वह पीछे से जाकर रामू की मां को अपनी बाहों में भर कर सीधे उसकी दोनों चूचियों पर ब्लाउज के ऊपर से हाथ लगाकर उन्हें दबाना शुरू कर दिया और बोला,,,।


ओहहह चाची अब तो तुम्हारे दर्शन दुर्लभ हो गए हैं दिखाई नहीं देती हो,,,
(पहले तो वह पूरी तरह से घबरा गई,,,उसे नहीं मालूम था कि उसे पीछे से अपनी बाहों में भरने वाला रघु है उसे लगा कोई और है वह कुछ बोलती ईससे पहले ही रघु की आवाज सुनते ही वह एकदम से हड़बड़ा गई और उसे दूर करते हुए धीरे से बोली,,,)

दूर हट पागल हो गया है क्या अंदर कमरे में रामु है,,,,,
( अंदर कमरे में रामू जो कि नहाने के बाद अपने कपड़े बदल रहा था,,,, उसके कानों में हल्की हल्की फुसफुसाहट भरी बातें पडते ही वो एकदम से सचेत हो गया,,,, वह अपने कान खड़े कर लिया और दूसरी तरफ बाहर कमरे में रामू की मौजूदगी में ऐसा वैसा कोई काम नहीं करना चाहता था इसलिए वह ललिया से दूर होते हुए बोला,,,)

तो यहां कौन सा मैं तुम्हारी चुदाई करने आया हूं,,, मैं तो रामू को बुलाने आया हूं,(रघु भी बड़े धीमे स्वर में बोला,,,, लेकिन चुदाई शब्द रामू के कानों में पड़ते ही वो एकदम से सचेत होते हुए अपने कानों को बाहर की बातें सुनने के लिए एकदम से गड़ा दिया,,)

पागल हो गया है क्या तू इस तरह की बातें कर रहा है,,, अगर रामु सुन लिया तो,,,,,,,,(ललिया रघु से दूरी बनाते हुए बोली,,,)

सुन लिया तो सुन लिया मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता चाची,,,(इतना कहने के साथ ही रामू एक बार फिर से उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया इतनी देर में रघु का लंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,, जोकि ललिया के पिछवाड़े पर ठोकर मार रहा था ललिया को भी रघु की यह हरकत बहुत अच्छी लगी थी क्योंकि जिस तरह से वह उसे अपनी बांहों में झगड़ा हुआ था वह अपने नितंबों पर उसके लंड के कठोर पन को बड़े अच्छे से महसूस कर पा रही थी,, वह तो रामू की बाहों से छूटने ही नहीं चाहती थी लेकिन मजबूर थी उसे भी अच्छा लग रहा था लेकिन अंदर कमरे में उसका बेटा रामू मौजूद था,,, वह कोई काम कर रहा था,,,रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी एक बार फिर से ललिया को अपनी बाहों में लेकर वह मस्त हो गया था,,,घर में अगर रामू मौजूद ना होता तो शायद ललिया दी इस मौके का अच्छी तरह से फायदा उठाती लेकिन उसे रामू का डर था कि कहीं वह अपनी आंखों से यह सब कुछ देख ना ले,,, इसलिए वह उसकी बाहों से आजाद होने की कोशिश करते हुए बोली,,,।)

रघु रहने दे बाद में यह सब कर लेना अभी जाने दे,,,
(रामू का दिल जोरो से धड़कने लगा था,,, उसे अपनी मा की बातें थोड़ा-थोड़ा सुनाई दे रही थी और जिस तरह से वह धीमे स्वर फुसफुसा रही थी,,, उससे रामू के मन में उठ रही शंका के बादल और ज्यादा गहराने लगे थे,,, दूसरी तरफ रघु ललिया के साथ पूरी तरह से मस्ती करने के मूड में आ गया था,,,पजामे में उसका लंड पूरी तरह से गदर मचाए हुआ था जो कि ललिया की बुर में घुसने के लिए बेताब था,,,। रघु ललिया की बात मानने के लिए तैयार नहीं था और वह अपना दोनों हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर रखकर उसके दोनों कबूतरों को दबाना शुरू कर दिया,,, ललिया को साफ़ महसूस हो रहा था कि रघु के हाथों में आते ही उसके दोनों कबूतर आपस में गुटूर गू करना शुरू कर दीए थे,,,।उसका मन तो नहीं कर रहा था लेकिन फिर भी वह रामू को दूर हटाते हुए बोली,,,)

रघु रहने दे,,,, यह सब बाद में कर लेना,,,,


नहीं चाची तुम समझ नहीं रही हो मेरा बहुत मन कर रहा है,,,(इतना कहते हुए रघु उसकी साड़ी को नीचे से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाने लगा , रामू को धीरे धीरे सब कुछ साफ सुनाई दे रहा था उसे समझते देर नहीं लगी कि रघु और उसकी मां के बीच जरूर कुछ चल रहा है,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह की बातों को अपने कानों से सुन कर वह गुस्सा करें या खामोश खड़ा रहे,,,,ना जाने क्यों ऊन दोनों की बातें सुनते हुए उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,)

नहीं रामू छोड़ मुझे,,,,(इतना कहते हुए ललिया रघु के हाथों में से अपनी साड़ी छुड़ाते हुए उसे धक्का दे दी और वह अपने आप को संभाल नहीं पाया और सीधा जाकर सामने की दीवार के करीब जाकर गिरा और उसके हाथ से लगकर लकड़ी के पाटीए पर रखे हुए बर्तन गिर गए,,, और बर्तनों के गिरने की आवाज को सुनकर रामू को यही सही मौका लगा बाहर निकलने का और वह तुरंत बाहर निकलते हुए बोला,,,।

क्या हुआ मां ये बर्तन कैसे गिर,,,,(इतना कहने के साथ ही वह रघु की तरफ देखकर ऐसे चुप हो गया जैसे कि यह सब से वह बिल्कुल अनजान हो,,,) तू,,,,, तू कैसे गिर गया,,,
(० इतने में ललिया अपने कपड़ों को एकदम सही कर ली और बहाना बनाते हुए बोली,,,)

ये,,,,, ये,,,,, तुझे ही बुलाने आया था और पांव फिसल गया नीचे गिर गया,,,,।
(रामू जानता था कि माजरा कुछ और है लेकिन फिर भी वह इस समय कोई भी नाटक नहीं करना चाहता था इसलिए जानबूझकर अपनी मां की बात को मानते हुए बोला,,,)

तू है ही ऐसा हर जगह हड़बड़ाहट करता है तभी गिर गया,,,
(तब तक रघु अपने आप से उठकर अपने कपड़े झाड़ते हुए बोला,,,)

तुझे ही बुलाने आया था,,,,

हां वह तो देख ही रहा हूं,,,(रामू इतना कहते हुए रघु की तरफ तो कभी अपनी मां की तरफ देख रहा था और ललिया को अपने बेटे की नजरों से थोड़ा घबराहट हो रहा था,,,, लेकिन फिर वह सारे मामले को संभालते हुए बोली,)

जाओ तुम दोनों बाहर टहल कर आओ तब तक मैं घर का काम कर लेती हुं,,,,,,,


ठीक है मां,,, चल रघु,,,,(इतना कह कर रामु आगे बढ़ गया और रघु उसके पीछे पीछे जाते हुए अपना एक हाथ पीछे की तरफ से ही ललिया की दोनों जांघों के बीच उसकी बुर पर लाकर जोर से उसे दबा दिया,,,, ललिया जब तक अपने आप को संभाल पाती तब तक रघु की हथेली अपना काम कर चुकी थी उसकी हथेली ठीक साड़ी के ऊपर से ही ललिया की बुर को दबाने में कामयाब हो चुकी थी ललिया को रघु की इस हरकत की वजह से घबराहट तो हुई थी लेकिन मजा भी बहुत आया था,,,, घर पर रामू की मौजूदगी से अपना मन मसोसकर वह रघु को बाहर जाते हुए देखती रही,,,,,

घर से थोड़ी दूर पर पहुंचते ही,,,, रामू गुस्से में रघु की तरफ देखते हुए बोला,,,,।

घर पर क्यों आया था तू सही सही बताना,,,,।

तुझे बुलाने आया था और किस लिए आया था,,,,।


नहीं तु मुझे बुलाने नहीं आया था तू किसी और मकसद से आया था,,,,,,


कैसी बातें कर रहा है तू मेरा और कोई मकसद क्या हो सकता है तेरे घर पर आने के लिए,,,( रामू की बातें सुनकर रघु को लगने लगा था कि रामू जरूर कुछ जान गया है इसलिए इस तरह की बातें कर रहा है।)


तेरा मकसद में अच्छी तरह से समझता हूं तो मुझे बुलाने नहीं आया था किसी और काम से मेरे घर आया था,,,,

देख रामु मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि तू क्या कह रहा है,,,।

मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि मैं क्या कह रहा हूं और तू भी अच्छी तरह से जानता है कि मैं किस बारे में कह रहा हूं,,,


सच रामू मुझे बिल्कुल भी नहीं पता कि तू क्या कह रहा है,,,।

देख रघु,,, मैं तुम दोनों की बातें सुन रहा था और यह भी जानता हूं कि तुम दोनों के बीच जरूर कुछ चल रहा है,,,।

(रामू की यह बात सुनकर रघु अच्छी तरह से समझ गया कि उन दोनों के बारे में रामू को पता चल गया है इसलिए कुछ भी छुपाने से फायदा नहीं है फिर भी वह अनजान बनता हुआ बोला,,)

क्या सुन रहा था मुझे तो कुछ भी नहीं समझ में आ रहा है कि तु क्या कह रहा है,,,।

तु मेरी मां से नहीं बोला कि तुम समझ नहीं रही हो आज मेरा बहुत मन कर रहा है,,,, और मेरी मां तुझे इंकार कर रही थी की रामु अंदर है,,,,।

(रामू की बात सुनकर रघु समझ गया कि अब कुछ भी छुपाने जैसा नहीं है और वैसे भी रघु को इस बात से बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था कि वह उसकी मां को चोदता है और यह बात रामू को पता चल गई तो क्या होगा क्योंकि वह जानता था कि अगर रामू को यह बात पता भी चल गई कि वह उसकी मां को चोदता है तो भी कुछ होने वाला नहीं था क्योंकि वह रामू की नस नस से वह वाकिफ था,,, जो लड़का खुद उसके साथ बैठकर अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपना लंड हिलाता हो तो उसे इस बात से कहा फर्क पड़ने वाला था कि उसकी खुद की मां को उसका दोस्त चोदता है, इसलिए रघु भी सब कुछ रामू को बताने का मन बना लिया और उसे बोला,,,)

मैं जानता हूं कि जो कुछ भी हुआ वैसा होना तो नहीं चाहिए था लेकिन यह सब अपने आप ही हो गया,,आ, उस पेड़ के नीचे बैठ कर बातें करते हैं,,,
(इतना कहते हुए रघु उसे घने पेड़ के नीचे उस की छांव में ले गया जहां पर दोनों इत्मीनान से बैठ गए,,
Yese chutiye bhi hote hai jab ramu ko pata chal hi gya hai use Raghu ki gaand par lath mar ke bhagana chahiye tha aur usaki ma ki gaand dande mar ke pahle lal karne chahiye bad me use chodna chahiye
na ab use Raghu ka sahara chahiye hoga apni ma ko chodane ke liye
 

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Aab Ramu ko usaki ma ko chodane ke liye Raghu ki madat kyu chahiye sidhe ja ke bolna hai ki mujhe tereko chodna hai na bolegi to tere bhosde me tel dalke aag lga dunga chhinal
 
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