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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

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दिख रहा है क्या,,,,?
(राधा यह बात इतनी मादक अदा से बोली थी कि रघु एकदम से शर्मा गया,,, और शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेर लिया,,,राधा समझ गई कि रघु ने उसकी बुर को देख लिया है अब जरूर तड़प उठेगा उसे पाने के लिए इसलिए कुछ बोली नहीं बस कपड़ों को धोती रही,,, थोड़ी देर बाद वह रघु से बोली,,,)

रघु सच-सच बताना,,,, जो तुमने अभी-अभी मेरी टांगो के बीच में से देखा है,,,, क्या मेरी सासू मां की मुंह से लगा कर चाटा है,,,।
(राधा के मुंह से इतनी साफ शब्दों में गंदी बात सुनकर रघु हो तेरी तो हो गया लेकिन एकदम सन्न रह गया क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि बड़े घर की बहु इस तरह के शब्द उसके सामने बोल देगी,,, राधा इतना बोल कर कपड़े धोती रही और रघु की तरफ उसके जवाब सुनने के लिए देखती रही....रघु को इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि बड़े घर की बहू राधा उसके सामने कुछ इस तरह से कह देगी,,, लेकिन उम्मीद से ही दुनिया टिकी हुई है राधा के मुंह से इस तरह की बात सुनकर रघु के अंतर्मन में यह बात इस बात का एहसास दिलाने लगी कि जरूर राधा के मन में कुछ और चल रहा है,,, वरना बड़े घर की बहू इस तरह की खुली बातें बिल्कुल भी नहीं कहती और वह भी एक अनजान लड़के से,,, रघु इस समय अपना एक-एक कदम बहुत ही भूख भूख कर रखना चाहता था क्योंकि वैसे भी जमीदार की बीवी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे जितनी खुशी और संतुष्टि प्राप्त हुई थी उसे ज्यादा डर राधा को अपनी आंखों से उसके और जमीदार की बीवी के बीच हो रही गंदी हरकत को देख कर रही थी,,,इसलिए अपनी गलती के चलते उसके दोनों हाथ कटे हुए थे वह राधा के इशारों पर चलने वाला कठपुतली हो चुका था वैसे भी उसका अंतर्मन कहीं ना कहीं इस बात का दिलासा दे रहा था कि भले ही राधा उसकी सास और उसके बीच गंदी हरकतों को अपनी आंखों से देख चुकी है लेकिन उसी के चलते राधा की दोनों टांगों के बीच पहुंचने में उसे समय नहीं लगेगा,,, राधा की बात सुनकर वह खामोश ही रहा,,, उसी तरह से कपड़ों को धोनी की चेष्टा करता रहा डर के मारा उसकी निगाहें ऊपर की तरफ नहीं उठ रही थी लेकिन कुछ देर पहले जिस तरह का नजारा है उसने राधा के दोनों टांगों के बीच देखा था वह नजारा देखकर उसके तन बदन में हलचल सी मच चुकी थी,,,राधा भी खामोश होकर कपड़े धोते हुए तिरछी नजरों से उसकी तरफ ही देख रही थी मानो उसके चेहरे पर उपस रही रेखाओं को पढ़ने की कोशिश कर रही हो,,,,, राधा मन ही मन खुश हो रही थी एक तो जिंदगी में पहली बार,,, उसने इस तरह के कदम उठाए थे और पहली बार में ही वह एक अनजान लड़के को अपनी दोनों टांगों के बीच के उस मखमली बेहद खूबसूरत और गुप्त अंग को दिखा चुकी थी,,,जिसे देख कर रखो क्या मन में किस तरह की उत्कंठा पैदा हो रही है इस बात से वह पूरी तरह से वाकिफ थी तभी तो वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,। दोनों के बीच चुप्पी फैली हुई थी चारों तरफ खामोशी खामोशी केवल मन मन हवा के चलने की आवाज के साथ साथ पंछियों की मधुर आवाज सुनाई दे रही थी जिससे वातावरण बेहद खुशनुमा हो चुका था,,,)

क्या हुआ बोलता क्यों नहीं,,,

क्या,,,,,(घबराहट भरी आवाज के साथ रघु बोला)

वही जो मैं पूछ रही हूं,,


मैं कुछ समझा नहीं छोटी बहू,,,,


मैं अच्छी तरह से समझ रही हूं कि तू क्या नहीं समझा तो अच्छी तरह से समझता है,,,,, मुझसे चालाकी करेगा तो सब कुछ बाबू जी से जाकर बता दूंगी फिर वहीं पर,,, अपनी सारी बयान बाजी करते रहना,,,,।


नहीं नहीं छोटी बहू ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,,,,
(रघु एकदम से हाथ जोड़ते हुए बोला क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानता था कि राधा के ही हाथों में अब सब कुछ था,,, रघु की घबराहट को देखकर राधा मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, लेकिन कुछ देर खामोश रहने के बाद वह,,, रघु को
तकरीबन 10 फीट की दूरी पर रखी हुई बाल्टी लाने के लिए बोली,,, यह सुन कर रघु तुरंत खड़ा हुआ और बाल्टी लेने के लिए आगे बढ़ गया लेकिन इस जल्दबाजी में वह यह भूल गया था कि कुछ देर पहले ही राधा की दोनों टांगों के बीच जो दृश्य उसने देखा था उसे देख कर,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,और यही राधा देखना चाहती थी कि उसकी रसीली बुर को देखकर ऊसके मन मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है जिसका असर वह अपनी आंखों के सामने उसके पजामे में बने तंबू को देखकर कर रही थी,,,,,और उसके पजामे में जिस तरह का तंबू बना हुआ था उसे देखकर राधा को समझते देर नहीं लगी थी कि उसके पहचाने ने कोई आम हथियार नहीं बल्कि बमपिलाट अद्भुत ताकतों से भरा हुआ लंड था,,,, रघु के तंबू पर नजर पड़ते ही राधा का गला उत्तेजना से सूखने लगा,,, टांगों के बीच जबरदस्त हलचल होने लगी,,,जिस अंग को दिखाने के लिए राधा अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर चुकी थी और उसने कामयाब भी हो चुकी थी अब,, रघु के तंबू को देखकर उसे अपने उसी अंग में लेने की इच्छा होने लगी,,,घबराहट में और जल्दबाजी में रघु को इस बात का अहसास तक नहीं था कि पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है और जिसकी वजह से उसके पजामे में बना तंबू राधा को साफ तौर पर नजर आ रहा है,,,। रघु जल्दी से बाल्टी लाकर राधा के करीब रख दिया,,, तो राधा बोली,,,।)

इसमें पानी भर ऐसे ही नहीं रखना है,,,,
(इतना सुनते ही रघु बाल्टी को पकड़कर हेड पंप के नीचे लगा दिया और उसके पीछे जाकर हैंडपंप के हत्थे को पकड़कर चलाने लगा जिससे हेड पंप में से पानी निकलने लगा,,,, रघु अपनी नजरों को बचाया हुआ था क्योंकि अभी भी,,, राधा ने अपने साड़ी के पल्लू को ठीक तरह से व्यवस्थित नहीं की थी जिसकी वजह से अभी भी ब्लाउज में से उसके दोनों खरबूजो के बीच की पतली लकीर एकदम गहरी होकर नजर आ रही थी,,,। और साड़ी घुटनों के ऊपर तक उठी हुई थी जिसकी वजह से दोनों टांगों के बीच की गहराई भी नजर आ रही थी लेकिन उस में झांकने की हिम्मत अब रघु में शायद नहीं थी इसलिए वह अपनी नजरों से उधर पहुंचने से बचा रहा था,,, वाह हेड पंप चलाए जा रहा था और राधा कपड़ों को बाल्टी में डाल कर धो रही थी हालांकि अभी भी उसकी नजर रघु के तंबू पर टिकी हुई थी,,, जिस बात का एहसास रघु को बिल्कुल भी नहीं था,,,)

अब सच सच बता जो तू मेरी दोनों टांगों के बीच देखा था क्या तू,,, मेरी सासू मां की मुंह लगाकर चाटा है,,,(राधा कपड़ों को धोते हुए बोली)

यह क्या कह रही हो छोटी बहू,,,ममममम,,,,मैं,,,,।


अब तु ज्यादा बकरी के बच्चे की तरह मैं मैं,,,,,मत कर मैं तेरे से जानती हूं कि तू मेरी दोनों टांगों के बीच देख रहा था और देख भी चुका है तभी तो तेरी ये हालत है,,,।
(राधा की यह बात रघु को बिल्कुल भी समझ में नहीं आई,,, तो राधा ही सब कुछ साफ करते हुए बोली)

अपने पजामे में देख तुझको खुद पता चल जाएगा मैं क्या कह रही हूं,,,,।(इतना सुनते ही रघु की नजर अपने पहचाने के ऊपर गई और पजामे का हाल देखकर वह पूरी तरह से स्तब्ध रह गया एकदम से हैरान हो गया वह अपनी दोनों हाथों को झट से उस पर रखकर तंबू को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगा रघु कोई इस तरह से हरकत करता हुआ देखकर राधा मुस्कुराते हुए बोली,,,)

अब कोई फायदा नहीं है उसे छुपाने का अच्छी तरह से जानती हूं कि तू मेरी दोनों टांगों के बीच देखकर ही इस हालत तक पहुंचा है,,, मेरे सवालों का सही सही जवाब दे वरना मैं सब कुछ,,,बाबू जी को बता दूंगी फिर तो तू जानता ही है तेरे साथ क्या होगा,,,,


नहीं नहीं छोटी मालकिन ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,,

हां तो रघु जो तू मेरी दोनों टांगों के बीच देखा है क्या तू मेरी सासू मां की मुंह लगाकर चाटा है,,,,।

(रघु समझ गया था कि अब छुपाने से कोई फायदा नहीं है,,, पर इस समय वह राधा के हाथों की कठपुतली सा बन चुका था इसलिए उसके जवाब में हामी भरते हुए अपना सिर हिलाने लगा,,,,, उसका इस तरह से हामी में सिर हिलाना देखकर राधा की हालत खराब होने लगी उसकी आंखों के सामने कल्पनातीत दृश्य उभरने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे व्हिस्की सासू मां अपनी दोनों टांगे फैला कर रघु को अपनी बुर चाटने की इजाजत देते हुए अपने हाथों से उसका सिर पकड़ कर अपनी बुर पर दबा रही है,,, राधा के मन में आए कल्पना का यह दृश्य इसे पूरी तरह से उत्तेजित कर गया,, इस दृश्य की कल्पना करके उसकी बुर अपने आप गीली होने लगी,,, गहरी सांस लेते हुए वह बोली,,,)

तुझे मजा आया था,,,,सच सच बताना बिल्कुल भी झूठ मत बोलना मैं जानती हूं कि यह सब काम करने में मर्दों को कितना मजा आता है,,,।


इस बार भी रघु अपने मुंह से बोला कुछ नहीं बस हा में सिर हिला दिया,,,।

ईसका मतलब,,, तुम दोनों बहुत आगे निकल चुके हो,,, चल अब इन कपड़ों को उठाकर मेरे पीछे पीछे आ,,,(इतना कहते हुए राधा खड़ी हो गई,,, और आगे आगे चलने लगी,,, रघु सारे धुले हुए कपड़े को बाल्टी में रखकर राधा के पीछे पीछे चलने लगा,,,, राधा अपनी गोलाकार गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी वह चाहती थी कि जिस तरह से रघु उसकी सास को शारीरिक सुख देकर संतुष्ट किया है उसी तरह से उसे भी वह पूरी तरह से संतुष्ट करें इसी के बारे में सोचते हुए वह आगे आगे बढ़ने लगी और साथ ही अपने खूबसूरत माधव अंगों के हर एक कटाव का पूरी तरह से उपयोग करके रघु को अपनी तरफ रिझाने की कोशिश करने लगी और ऐसा नहीं था कि रघु उसकी तरफ आकर्षित नहीं था वह तो पूरी तरह से राधा की मदमस्त जवानी के आगे अपने घुटने देख चुका था बस हल्के से इशारे की जरूरत थी,,, हाथों में धुले हुए कपड़ों का ढेर लिए उसकी नजरें राधा की चिकनी मांसल पीठ के साथ-साथ उसकी मदमस्त गोलाकार उभार दार मटकती हुई गांड पर टीकी हुई थी,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे इस बात का एहसास हो चुका था कि रघु को सजा के रूप में राधा के हाथों से कुछ बेहद अनमोल चीज हाथ लगने वाली है,,, लेकिन फिर भी औरतों के मन का भरोसा बिल्कुल भी नहीं था यह बात भी अच्छी तरह से जानता था,,, आज राधा के हाथों से खुद उसकी जवानी खोलने की इजाजत मिलने वाली थी या तो फिर राधा के हाथों उसके क़त्ल का सामान तैयार होना था,,,, राधा बार-बार पीछे की तरफ देख ले रही थी यह देखने के लिए किस रघु की नजर कहां पर है और रघु की नजर अपनी मटकती गांड पर केंद्रित पाकर वह मन ही मन खुश हो रही थी,,,, थोड़ी ही दूरी पर दो पेड़ों के बीच बनी हुई मजबूत रस्सी नजर आने लगी उस रस्सी को देखकर रघु भी समझ गया था कि रस्सी पर कपड़े सूखने के लिए डालना है इसलिए रस्सी के करीब पहुंचते ही वह बाल्टी नीचे रख दीया और कपड़ों को एक-एक करके रस्सी पर डालने लगा यह देखकर राधा बोली,,,।)

बहुत समझदार है तू,,,, और इतना भी तो समझता ही होगा कि मेरी सास और तेरे पीछे जो कुछ भी चल रहा है अगर बाबुजी को पता चल जाए तो क्या होगा,,,(राधा के मुंह से इतना सुनते ही रघु घबराहट भरी नजरों से राधा की तरफ देखने लगा,,,)

क्या तू चाहता है कि मैं सब कुछ बाबूजी को बता दूं,,,,



नहीं छोटी बहू में बिल्कुल भी नहीं चाहता कि यह सब मालिक को पता चले,,,, और यह भी जानता हूं कि अगर आप मालिक को सब कुछ बता देंगे तो मेरी मृत्यु निश्चित है,,,,।


तो क्या तूने अपनी मालकिन के साथ चुदाई करने से पहले यह सब नहीं सोचा था,,,।(राधा जानबूझकर अपने होठो पर चुदाई जैसे गंदे लफ्जों का प्रयोग करने लगी,,, इस शब्द को सुनकर रघु के भी तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, क्योंकि उसे यह उम्मीद नहीं थी कि राधा इस तरह से खुले शब्दों का प्रयोग कर देगी,,,, राधा की बात सुनकर वह जवाब देते हुए बोला,,,।)

छोटी बहू में अपने मन से नहीं किया था बल्कि मालकिन ने मुझे ऐसा करने के लिए कही थी,,,,।( रघु घबराहट भरी स्वर में बोला,,,)

फिर भी रघु अगर यह सब कुछ बाबूजी को बता दूं तो तू अच्छी तरह से जानता है कि तेरा क्या होगा,,,,


नहीं नहीं छोटी बहू ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,(इतना कहने के साथ ही रघु तुरंत उसके दोनों पैर पकड़कर वहीं बैठ गया,,,,, राधा उसे तुरंत पकड़ कर खड़ा करने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

अच्छा चल मान लो कि अगर मैं कुछ भी नहीं बताऊंगी तो इसमें मेरा क्या फायदा होगा,,,,
(राधा की यह बात सुनकर रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,, क्योंकि रघु राधा के कहने का मतलब अच्छी तरह से कुछ कुछ समझ रहा था जिसमें उसके फायदे के साथ-साथ उसका खुद का फायदा था,,,। रघु को लगने लगा कि जरूर उसे बड़े घर की बहू की दोनों टांगों के बीच जाने का मौका मिलेगा,,, फिर भी रघु अनजान बनने की पूरी कोशिश करते हुए बोला,,,)

छोटी बहू कुछ भी करने को तैयार हूं,,, आप जो कहोगी मैं वह मानुंगा,,, बस यह बात मालिक को बिल्कुल मत बताना,,,,


कुछ भी करने को तैयार है,,,,,(राधा रघु की आंखों में आंखें डाल कर बोली वह अभी भी उसके दोनों पैरों को पकड़कर घुटनों के बल बैठा हुआ था,)

हां छोटी मालकिन में कुछ भी करने को तैयार हूं,,,,

कुछ भी,,,,(एक बार फिर से अपनी बात को पक्की कर लेने के उद्देश्य से राधा बोली)


हां छोटी मालकिन कुछ भी करने को तैयार हूं,,,,


अच्छा तो उठ,,,,, तेरी भलाई भी इसी में है कि तू मेरी हर एक बात माने,,,, वरना तू अच्छी तरह से जानता है कि क्या होगा,,,,,


जानता हूं छोटी मालकिन,,,,


तो जल्दी से बाकी के कपड़ों को रस्सी पर डाल दें उसके बाद बताती हूं कि तुझे क्या करना है,,,,

(राधा की बातें सुनते ही रखो जल्दी-जल्दी गीले कपड़ों को रस्सी पर डालकर उसे सूखने के लिए छोड़ दिया काम खत्म होने के बाद राधा उसे बाल्टी को हेड पंप के पास रखने के लिए बोली जो कि रघु बाल्टी को हेड पंप के पास रख दिया,,, राधा इधर उधर नजर घुमाकर पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी कि कोई उधर है तो नहीं जा कोई उन दोनों को देख तो नहीं रहा है जब पूरी तरह से तसल्ली कर ली तब वह,,, पास में घास फूस की झोपड़ी जो कि जिस में ईंधन रखा हुआ था,,,, उसे देखने लगी वह जो परी काफी बड़ी थी जिसमें ढेर सारा गाय के लिए चारा और इंधन रखा हुआ होता था,,, राधा को अपनी बात मनवाने का इससे अच्छा मौका शायद और कभी मिलने वाला नहीं था इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी वैसे भी जिस तरह से,,, रघु उसकी दोनों टांगों के बीच ऐसी नजरों से देख रहा था और शायद उसकी बुर को देख पी चुका था तभी तो उसके पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और पजामे में बने तंबू को देखकर राधा का मन उस पर ललच उठा था,,, और जिस तरह से रघु उसकी सास की बुर को चाटा था,,, उसका भी मन लालायित हो रहा था रघु के द्वारा अपनी बुर चटवाने के लिए,,, वह जल्द से जल्द रघु के मुंह को अपनी दोनों टांगों के बीच देखना चाहती थी उसे महसूस करना चाहती थी ,,, वह इस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहती थी क्योंकि उसकी भी दिली चाहत यही थी कि उसका पति उसकी बुर को अपना मुंह लगाकर चाटे ,,,लेकिन इतने वर्षों में आज तक ऐसा नहीं हो पाया था क्योंकि उसके पति को बुर चाटना कतई गवारा नहीं था,,, वह इस क्रिया को बहुत ही गंदा समझता था जबकि मर्दों को किसी चिड़िया में अद्भुत सुख प्राप्त होता है और औरत को भी इसमें अत्यधिक संतुष्टि का अहसास होता है,,,, रघू उसके करीब पहुंचकर बोला,,,।

छोटी मालकिन मैंने सब कुछ कर दिया जो कुछ भी आपने बोला,,,,।( रघु की बात सुनते हैं उसकी नादानी पर राधा को गुस्सा भी आया लेकिन हंसी भी आ गई उसे हंसता हुआ देखकर राधा बोली,,,)

तुझे क्या लगता है तू मेरी सासू मां के साथ हमारे खानदान की इज्जत के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ कर रहा है और तुझसे बस कपड़े दिलवा करो बाल्टी इधर-उधर करवा कर माफ कर दूंगी,,,


मैं कुछ समझा नहीं मालकिन,,,,

चल इधर आ सब समझाती हूं,,,,(इतना कहकर राधा झोपड़ी की तरफ जाने लगी रघु उसके पीछे जाने लगा रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसे पता था कि एक औरत जब इस तरह से एक मर्द से सर्दी रखती है तो उसके पीछे क्या राज छुपा होता है जिसमें उसका खुद का ही फायदा था उसे यकीन हो चुका था कि आज ऊसे एक और रसीली चोदने को मिलने वाली है,,,। राधा के पीछे पीछे उसी झोपड़ी में चला गया,,,, दोनों झोपड़ी के अंदर थे,,, राधा रघु को झोपड़ी का दरवाजा जोकि बांस के लकड़ी को जोड़कर बनाया गया था,,, उसे बंद करने के लिए बोली अब रघु का दिल और जोरो से धड़कने लगा वह उत्तेजित हुआ जा रहा था और जल्दी से जाकर दरवाजे को जैसे तैसे करके बंद कर दिया,,, राधा की भी हालत खराब थी पहली बार में किसी गैर मर्द के साथ इस तरह से एकांत में झोपड़ी में खड़ी थी,,,, दूसरी तरफ अपनी बहू की आंखों से देखे जाने पर जमीदार की बीवी हक्की बक्की रह गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें कुछ देर तक वह अपने कमरे में ही बैठे रहोगे लेकिन वो जानती थी किस तरह से बैठे रहने से काम चलने वाला नहीं है वो किसी भी तरह से अपनी बहू को मनाना चाहती थी इसलिए थोड़ी देर बाद वह अपने कमरे से बाहर निकलकर अपनी बहू को ढूंढने लगी,,,,।
 

hellboy

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दिख रहा है क्या,,,,?
(राधा यह बात इतनी मादक अदा से बोली थी कि रघु एकदम से शर्मा गया,,, और शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेर लिया,,,राधा समझ गई कि रघु ने उसकी बुर को देख लिया है अब जरूर तड़प उठेगा उसे पाने के लिए इसलिए कुछ बोली नहीं बस कपड़ों को धोती रही,,, थोड़ी देर बाद वह रघु से बोली,,,)

रघु सच-सच बताना,,,, जो तुमने अभी-अभी मेरी टांगो के बीच में से देखा है,,,, क्या मेरी सासू मां की मुंह से लगा कर चाटा है,,,।
(राधा के मुंह से इतनी साफ शब्दों में गंदी बात सुनकर रघु हो तेरी तो हो गया लेकिन एकदम सन्न रह गया क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि बड़े घर की बहु इस तरह के शब्द उसके सामने बोल देगी,,, राधा इतना बोल कर कपड़े धोती रही और रघु की तरफ उसके जवाब सुनने के लिए देखती रही....रघु को इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि बड़े घर की बहू राधा उसके सामने कुछ इस तरह से कह देगी,,, लेकिन उम्मीद से ही दुनिया टिकी हुई है राधा के मुंह से इस तरह की बात सुनकर रघु के अंतर्मन में यह बात इस बात का एहसास दिलाने लगी कि जरूर राधा के मन में कुछ और चल रहा है,,, वरना बड़े घर की बहू इस तरह की खुली बातें बिल्कुल भी नहीं कहती और वह भी एक अनजान लड़के से,,, रघु इस समय अपना एक-एक कदम बहुत ही भूख भूख कर रखना चाहता था क्योंकि वैसे भी जमीदार की बीवी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे जितनी खुशी और संतुष्टि प्राप्त हुई थी उसे ज्यादा डर राधा को अपनी आंखों से उसके और जमीदार की बीवी के बीच हो रही गंदी हरकत को देख कर रही थी,,,इसलिए अपनी गलती के चलते उसके दोनों हाथ कटे हुए थे वह राधा के इशारों पर चलने वाला कठपुतली हो चुका था वैसे भी उसका अंतर्मन कहीं ना कहीं इस बात का दिलासा दे रहा था कि भले ही राधा उसकी सास और उसके बीच गंदी हरकतों को अपनी आंखों से देख चुकी है लेकिन उसी के चलते राधा की दोनों टांगों के बीच पहुंचने में उसे समय नहीं लगेगा,,, राधा की बात सुनकर वह खामोश ही रहा,,, उसी तरह से कपड़ों को धोनी की चेष्टा करता रहा डर के मारा उसकी निगाहें ऊपर की तरफ नहीं उठ रही थी लेकिन कुछ देर पहले जिस तरह का नजारा है उसने राधा के दोनों टांगों के बीच देखा था वह नजारा देखकर उसके तन बदन में हलचल सी मच चुकी थी,,,राधा भी खामोश होकर कपड़े धोते हुए तिरछी नजरों से उसकी तरफ ही देख रही थी मानो उसके चेहरे पर उपस रही रेखाओं को पढ़ने की कोशिश कर रही हो,,,,, राधा मन ही मन खुश हो रही थी एक तो जिंदगी में पहली बार,,, उसने इस तरह के कदम उठाए थे और पहली बार में ही वह एक अनजान लड़के को अपनी दोनों टांगों के बीच के उस मखमली बेहद खूबसूरत और गुप्त अंग को दिखा चुकी थी,,,जिसे देख कर रखो क्या मन में किस तरह की उत्कंठा पैदा हो रही है इस बात से वह पूरी तरह से वाकिफ थी तभी तो वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,। दोनों के बीच चुप्पी फैली हुई थी चारों तरफ खामोशी खामोशी केवल मन मन हवा के चलने की आवाज के साथ साथ पंछियों की मधुर आवाज सुनाई दे रही थी जिससे वातावरण बेहद खुशनुमा हो चुका था,,,)

क्या हुआ बोलता क्यों नहीं,,,

क्या,,,,,(घबराहट भरी आवाज के साथ रघु बोला)

वही जो मैं पूछ रही हूं,,


मैं कुछ समझा नहीं छोटी बहू,,,,


मैं अच्छी तरह से समझ रही हूं कि तू क्या नहीं समझा तो अच्छी तरह से समझता है,,,,, मुझसे चालाकी करेगा तो सब कुछ बाबू जी से जाकर बता दूंगी फिर वहीं पर,,, अपनी सारी बयान बाजी करते रहना,,,,।


नहीं नहीं छोटी बहू ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,,,,
(रघु एकदम से हाथ जोड़ते हुए बोला क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानता था कि राधा के ही हाथों में अब सब कुछ था,,, रघु की घबराहट को देखकर राधा मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, लेकिन कुछ देर खामोश रहने के बाद वह,,, रघु को
तकरीबन 10 फीट की दूरी पर रखी हुई बाल्टी लाने के लिए बोली,,, यह सुन कर रघु तुरंत खड़ा हुआ और बाल्टी लेने के लिए आगे बढ़ गया लेकिन इस जल्दबाजी में वह यह भूल गया था कि कुछ देर पहले ही राधा की दोनों टांगों के बीच जो दृश्य उसने देखा था उसे देख कर,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,और यही राधा देखना चाहती थी कि उसकी रसीली बुर को देखकर ऊसके मन मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है जिसका असर वह अपनी आंखों के सामने उसके पजामे में बने तंबू को देखकर कर रही थी,,,,,और उसके पजामे में जिस तरह का तंबू बना हुआ था उसे देखकर राधा को समझते देर नहीं लगी थी कि उसके पहचाने ने कोई आम हथियार नहीं बल्कि बमपिलाट अद्भुत ताकतों से भरा हुआ लंड था,,,, रघु के तंबू पर नजर पड़ते ही राधा का गला उत्तेजना से सूखने लगा,,, टांगों के बीच जबरदस्त हलचल होने लगी,,,जिस अंग को दिखाने के लिए राधा अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर चुकी थी और उसने कामयाब भी हो चुकी थी अब,, रघु के तंबू को देखकर उसे अपने उसी अंग में लेने की इच्छा होने लगी,,,घबराहट में और जल्दबाजी में रघु को इस बात का अहसास तक नहीं था कि पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है और जिसकी वजह से उसके पजामे में बना तंबू राधा को साफ तौर पर नजर आ रहा है,,,। रघु जल्दी से बाल्टी लाकर राधा के करीब रख दिया,,, तो राधा बोली,,,।)

इसमें पानी भर ऐसे ही नहीं रखना है,,,,
(इतना सुनते ही रघु बाल्टी को पकड़कर हेड पंप के नीचे लगा दिया और उसके पीछे जाकर हैंडपंप के हत्थे को पकड़कर चलाने लगा जिससे हेड पंप में से पानी निकलने लगा,,,, रघु अपनी नजरों को बचाया हुआ था क्योंकि अभी भी,,, राधा ने अपने साड़ी के पल्लू को ठीक तरह से व्यवस्थित नहीं की थी जिसकी वजह से अभी भी ब्लाउज में से उसके दोनों खरबूजो के बीच की पतली लकीर एकदम गहरी होकर नजर आ रही थी,,,। और साड़ी घुटनों के ऊपर तक उठी हुई थी जिसकी वजह से दोनों टांगों के बीच की गहराई भी नजर आ रही थी लेकिन उस में झांकने की हिम्मत अब रघु में शायद नहीं थी इसलिए वह अपनी नजरों से उधर पहुंचने से बचा रहा था,,, वाह हेड पंप चलाए जा रहा था और राधा कपड़ों को बाल्टी में डाल कर धो रही थी हालांकि अभी भी उसकी नजर रघु के तंबू पर टिकी हुई थी,,, जिस बात का एहसास रघु को बिल्कुल भी नहीं था,,,)

अब सच सच बता जो तू मेरी दोनों टांगों के बीच देखा था क्या तू,,, मेरी सासू मां की मुंह लगाकर चाटा है,,,(राधा कपड़ों को धोते हुए बोली)

यह क्या कह रही हो छोटी बहू,,,ममममम,,,,मैं,,,,।


अब तु ज्यादा बकरी के बच्चे की तरह मैं मैं,,,,,मत कर मैं तेरे से जानती हूं कि तू मेरी दोनों टांगों के बीच देख रहा था और देख भी चुका है तभी तो तेरी ये हालत है,,,।
(राधा की यह बात रघु को बिल्कुल भी समझ में नहीं आई,,, तो राधा ही सब कुछ साफ करते हुए बोली)

अपने पजामे में देख तुझको खुद पता चल जाएगा मैं क्या कह रही हूं,,,,।(इतना सुनते ही रघु की नजर अपने पहचाने के ऊपर गई और पजामे का हाल देखकर वह पूरी तरह से स्तब्ध रह गया एकदम से हैरान हो गया वह अपनी दोनों हाथों को झट से उस पर रखकर तंबू को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगा रघु कोई इस तरह से हरकत करता हुआ देखकर राधा मुस्कुराते हुए बोली,,,)

अब कोई फायदा नहीं है उसे छुपाने का अच्छी तरह से जानती हूं कि तू मेरी दोनों टांगों के बीच देखकर ही इस हालत तक पहुंचा है,,, मेरे सवालों का सही सही जवाब दे वरना मैं सब कुछ,,,बाबू जी को बता दूंगी फिर तो तू जानता ही है तेरे साथ क्या होगा,,,,


नहीं नहीं छोटी मालकिन ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,,

हां तो रघु जो तू मेरी दोनों टांगों के बीच देखा है क्या तू मेरी सासू मां की मुंह लगाकर चाटा है,,,,।

(रघु समझ गया था कि अब छुपाने से कोई फायदा नहीं है,,, पर इस समय वह राधा के हाथों की कठपुतली सा बन चुका था इसलिए उसके जवाब में हामी भरते हुए अपना सिर हिलाने लगा,,,,, उसका इस तरह से हामी में सिर हिलाना देखकर राधा की हालत खराब होने लगी उसकी आंखों के सामने कल्पनातीत दृश्य उभरने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे व्हिस्की सासू मां अपनी दोनों टांगे फैला कर रघु को अपनी बुर चाटने की इजाजत देते हुए अपने हाथों से उसका सिर पकड़ कर अपनी बुर पर दबा रही है,,, राधा के मन में आए कल्पना का यह दृश्य इसे पूरी तरह से उत्तेजित कर गया,, इस दृश्य की कल्पना करके उसकी बुर अपने आप गीली होने लगी,,, गहरी सांस लेते हुए वह बोली,,,)

तुझे मजा आया था,,,,सच सच बताना बिल्कुल भी झूठ मत बोलना मैं जानती हूं कि यह सब काम करने में मर्दों को कितना मजा आता है,,,।


इस बार भी रघु अपने मुंह से बोला कुछ नहीं बस हा में सिर हिला दिया,,,।

ईसका मतलब,,, तुम दोनों बहुत आगे निकल चुके हो,,, चल अब इन कपड़ों को उठाकर मेरे पीछे पीछे आ,,,(इतना कहते हुए राधा खड़ी हो गई,,, और आगे आगे चलने लगी,,, रघु सारे धुले हुए कपड़े को बाल्टी में रखकर राधा के पीछे पीछे चलने लगा,,,, राधा अपनी गोलाकार गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी वह चाहती थी कि जिस तरह से रघु उसकी सास को शारीरिक सुख देकर संतुष्ट किया है उसी तरह से उसे भी वह पूरी तरह से संतुष्ट करें इसी के बारे में सोचते हुए वह आगे आगे बढ़ने लगी और साथ ही अपने खूबसूरत माधव अंगों के हर एक कटाव का पूरी तरह से उपयोग करके रघु को अपनी तरफ रिझाने की कोशिश करने लगी और ऐसा नहीं था कि रघु उसकी तरफ आकर्षित नहीं था वह तो पूरी तरह से राधा की मदमस्त जवानी के आगे अपने घुटने देख चुका था बस हल्के से इशारे की जरूरत थी,,, हाथों में धुले हुए कपड़ों का ढेर लिए उसकी नजरें राधा की चिकनी मांसल पीठ के साथ-साथ उसकी मदमस्त गोलाकार उभार दार मटकती हुई गांड पर टीकी हुई थी,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे इस बात का एहसास हो चुका था कि रघु को सजा के रूप में राधा के हाथों से कुछ बेहद अनमोल चीज हाथ लगने वाली है,,, लेकिन फिर भी औरतों के मन का भरोसा बिल्कुल भी नहीं था यह बात भी अच्छी तरह से जानता था,,, आज राधा के हाथों से खुद उसकी जवानी खोलने की इजाजत मिलने वाली थी या तो फिर राधा के हाथों उसके क़त्ल का सामान तैयार होना था,,,, राधा बार-बार पीछे की तरफ देख ले रही थी यह देखने के लिए किस रघु की नजर कहां पर है और रघु की नजर अपनी मटकती गांड पर केंद्रित पाकर वह मन ही मन खुश हो रही थी,,,, थोड़ी ही दूरी पर दो पेड़ों के बीच बनी हुई मजबूत रस्सी नजर आने लगी उस रस्सी को देखकर रघु भी समझ गया था कि रस्सी पर कपड़े सूखने के लिए डालना है इसलिए रस्सी के करीब पहुंचते ही वह बाल्टी नीचे रख दीया और कपड़ों को एक-एक करके रस्सी पर डालने लगा यह देखकर राधा बोली,,,।)

बहुत समझदार है तू,,,, और इतना भी तो समझता ही होगा कि मेरी सास और तेरे पीछे जो कुछ भी चल रहा है अगर बाबुजी को पता चल जाए तो क्या होगा,,,(राधा के मुंह से इतना सुनते ही रघु घबराहट भरी नजरों से राधा की तरफ देखने लगा,,,)

क्या तू चाहता है कि मैं सब कुछ बाबूजी को बता दूं,,,,



नहीं छोटी बहू में बिल्कुल भी नहीं चाहता कि यह सब मालिक को पता चले,,,, और यह भी जानता हूं कि अगर आप मालिक को सब कुछ बता देंगे तो मेरी मृत्यु निश्चित है,,,,।


तो क्या तूने अपनी मालकिन के साथ चुदाई करने से पहले यह सब नहीं सोचा था,,,।(राधा जानबूझकर अपने होठो पर चुदाई जैसे गंदे लफ्जों का प्रयोग करने लगी,,, इस शब्द को सुनकर रघु के भी तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, क्योंकि उसे यह उम्मीद नहीं थी कि राधा इस तरह से खुले शब्दों का प्रयोग कर देगी,,,, राधा की बात सुनकर वह जवाब देते हुए बोला,,,।)

छोटी बहू में अपने मन से नहीं किया था बल्कि मालकिन ने मुझे ऐसा करने के लिए कही थी,,,,।( रघु घबराहट भरी स्वर में बोला,,,)

फिर भी रघु अगर यह सब कुछ बाबूजी को बता दूं तो तू अच्छी तरह से जानता है कि तेरा क्या होगा,,,,


नहीं नहीं छोटी बहू ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,(इतना कहने के साथ ही रघु तुरंत उसके दोनों पैर पकड़कर वहीं बैठ गया,,,,, राधा उसे तुरंत पकड़ कर खड़ा करने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

अच्छा चल मान लो कि अगर मैं कुछ भी नहीं बताऊंगी तो इसमें मेरा क्या फायदा होगा,,,,
(राधा की यह बात सुनकर रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,, क्योंकि रघु राधा के कहने का मतलब अच्छी तरह से कुछ कुछ समझ रहा था जिसमें उसके फायदे के साथ-साथ उसका खुद का फायदा था,,,। रघु को लगने लगा कि जरूर उसे बड़े घर की बहू की दोनों टांगों के बीच जाने का मौका मिलेगा,,, फिर भी रघु अनजान बनने की पूरी कोशिश करते हुए बोला,,,)

छोटी बहू कुछ भी करने को तैयार हूं,,, आप जो कहोगी मैं वह मानुंगा,,, बस यह बात मालिक को बिल्कुल मत बताना,,,,


कुछ भी करने को तैयार है,,,,,(राधा रघु की आंखों में आंखें डाल कर बोली वह अभी भी उसके दोनों पैरों को पकड़कर घुटनों के बल बैठा हुआ था,)

हां छोटी मालकिन में कुछ भी करने को तैयार हूं,,,,

कुछ भी,,,,(एक बार फिर से अपनी बात को पक्की कर लेने के उद्देश्य से राधा बोली)


हां छोटी मालकिन कुछ भी करने को तैयार हूं,,,,


अच्छा तो उठ,,,,, तेरी भलाई भी इसी में है कि तू मेरी हर एक बात माने,,,, वरना तू अच्छी तरह से जानता है कि क्या होगा,,,,,


जानता हूं छोटी मालकिन,,,,


तो जल्दी से बाकी के कपड़ों को रस्सी पर डाल दें उसके बाद बताती हूं कि तुझे क्या करना है,,,,

(राधा की बातें सुनते ही रखो जल्दी-जल्दी गीले कपड़ों को रस्सी पर डालकर उसे सूखने के लिए छोड़ दिया काम खत्म होने के बाद राधा उसे बाल्टी को हेड पंप के पास रखने के लिए बोली जो कि रघु बाल्टी को हेड पंप के पास रख दिया,,, राधा इधर उधर नजर घुमाकर पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी कि कोई उधर है तो नहीं जा कोई उन दोनों को देख तो नहीं रहा है जब पूरी तरह से तसल्ली कर ली तब वह,,, पास में घास फूस की झोपड़ी जो कि जिस में ईंधन रखा हुआ था,,,, उसे देखने लगी वह जो परी काफी बड़ी थी जिसमें ढेर सारा गाय के लिए चारा और इंधन रखा हुआ होता था,,, राधा को अपनी बात मनवाने का इससे अच्छा मौका शायद और कभी मिलने वाला नहीं था इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी वैसे भी जिस तरह से,,, रघु उसकी दोनों टांगों के बीच ऐसी नजरों से देख रहा था और शायद उसकी बुर को देख पी चुका था तभी तो उसके पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और पजामे में बने तंबू को देखकर राधा का मन उस पर ललच उठा था,,, और जिस तरह से रघु उसकी सास की बुर को चाटा था,,, उसका भी मन लालायित हो रहा था रघु के द्वारा अपनी बुर चटवाने के लिए,,, वह जल्द से जल्द रघु के मुंह को अपनी दोनों टांगों के बीच देखना चाहती थी उसे महसूस करना चाहती थी ,,, वह इस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहती थी क्योंकि उसकी भी दिली चाहत यही थी कि उसका पति उसकी बुर को अपना मुंह लगाकर चाटे ,,,लेकिन इतने वर्षों में आज तक ऐसा नहीं हो पाया था क्योंकि उसके पति को बुर चाटना कतई गवारा नहीं था,,, वह इस क्रिया को बहुत ही गंदा समझता था जबकि मर्दों को किसी चिड़िया में अद्भुत सुख प्राप्त होता है और औरत को भी इसमें अत्यधिक संतुष्टि का अहसास होता है,,,, रघू उसके करीब पहुंचकर बोला,,,।

छोटी मालकिन मैंने सब कुछ कर दिया जो कुछ भी आपने बोला,,,,।( रघु की बात सुनते हैं उसकी नादानी पर राधा को गुस्सा भी आया लेकिन हंसी भी आ गई उसे हंसता हुआ देखकर राधा बोली,,,)

तुझे क्या लगता है तू मेरी सासू मां के साथ हमारे खानदान की इज्जत के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ कर रहा है और तुझसे बस कपड़े दिलवा करो बाल्टी इधर-उधर करवा कर माफ कर दूंगी,,,


मैं कुछ समझा नहीं मालकिन,,,,

चल इधर आ सब समझाती हूं,,,,(इतना कहकर राधा झोपड़ी की तरफ जाने लगी रघु उसके पीछे जाने लगा रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसे पता था कि एक औरत जब इस तरह से एक मर्द से सर्दी रखती है तो उसके पीछे क्या राज छुपा होता है जिसमें उसका खुद का ही फायदा था उसे यकीन हो चुका था कि आज ऊसे एक और रसीली चोदने को मिलने वाली है,,,। राधा के पीछे पीछे उसी झोपड़ी में चला गया,,,, दोनों झोपड़ी के अंदर थे,,, राधा रघु को झोपड़ी का दरवाजा जोकि बांस के लकड़ी को जोड़कर बनाया गया था,,, उसे बंद करने के लिए बोली अब रघु का दिल और जोरो से धड़कने लगा वह उत्तेजित हुआ जा रहा था और जल्दी से जाकर दरवाजे को जैसे तैसे करके बंद कर दिया,,, राधा की भी हालत खराब थी पहली बार में किसी गैर मर्द के साथ इस तरह से एकांत में झोपड़ी में खड़ी थी,,,, दूसरी तरफ अपनी बहू की आंखों से देखे जाने पर जमीदार की बीवी हक्की बक्की रह गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें कुछ देर तक वह अपने कमरे में ही बैठे रहोगे लेकिन वो जानती थी किस तरह से बैठे रहने से काम चलने वाला नहीं है वो किसी भी तरह से अपनी बहू को मनाना चाहती थी इसलिए थोड़ी देर बाद वह अपने कमरे से बाहर निकलकर अपनी बहू को ढूंढने लगी,,,,।
welcome back bro.bas ab aisehi regular updates dete raho bro aur jaldi se ab raghu aur kajri ka bhi sex dikha do bro
 
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