रघु अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था और कोमल रघु के साथ होने की वजह से खुश थी उसे रघु का साथ अच्छा लगने लगा था,,,,, और भाई यह जाने के लिए उत्सुक थी कि उसके ससुर ने ऐसा कौन सा गंदा काम कर दिया हां जो कि रघु उसे बताना नहीं चाहता था,,,, कोमल के चेहरे पर उसकी उत्सुकता साफ नजर आ रही थी,,, इस समय घर पर केवल कोमल और रघु ही थे और लाला देर से आने वाला था,,, इसलिए कोमल थोड़ा निश्चित थी,,,रघु अपनी बातों को नमक मिर्ची लगा कर बताना शुरू किया,,,।
कोमल अब तुमसे क्या कहूं कि मैंने उस दिन क्या देखा था दोपहर का समय था मैं और रामु दोनों बगीचे में घूम रहे थे,,, और वो भी लाला के आम के बगीचे में ही,,, क्योंकि हम दोनों को आम खाना था,,,। अच्छा तुम कभी गई हो अपने आम के बगीचे पर,,,।
नहीं तो मैं तो कभी नहीं गई और मुझे वहां लेकर कौन जाएगा जब से आई हूं तब से इस घर की चारदीवारी में कैद हूं,,,(कोमल उदास मन से बोली)
कोई बात नहीं मैं तुम्हें घुमा दूंगा,,,,अच्छा तुम्हें बता रहा था कि हम दोनों को आम खाना था और अच्छे आम तुम्हारे बगीचे में ही मिलते हैं,,,(रघु कोमल की दोनों चूचियों की तरफ देखते हुए बोला जो कि ब्लाउज में कैद थे,, पहले तो कोमल को सब कुछ सामान्य सा लगा लेकिन उसकी बात का मतलब और उसकी नजरों को देख कर उसे समझ में आ गया और वह शर्म से पानी पानी होने लगी,,,) हम दोनों दोपहर के समय तुम्हारे बगीचे में पहुंच गए तुम्हारे आम तोड़ने के लिए,,,(इस बार भी रघु आम वाली बात कोमल की चूचियों को देखते हुए बोला,,,,, रघु की दो अर्थ वाली बात कोमल के तन बदन में आग लगा रही थी,,,)
फिर क्या हुआ,,,,? (कोमल उत्सुकता दर्शाते हुए बोली,,)
फिर क्या बगीचे में एक घर बना हुआ है जो कि बाहर से थोड़ा खंडहर जैसा ही दिखता है लेकिन काफी बड़ा है उसके बगल में एक आम का पेड़ है बहुत बड़ा,,, और उस आम के पेड़ के फल बहुत ही मीठे होते हैं इसलिए मैं उस पेड़ पर चढ़ गया मुझे ऐसा लगा था कि बगीचे में कोई नहीं होगा,,, और मैं निश्चिंत होकर पेड़ पर चढ़ने लगा,,,, मैं थोड़ा ऊंचाई तक चढ गया जहां से उस घर की खिड़की नजर आती थी,,,, मैंने ऐसे ही उस खिड़की के अंदर झांकने की कोशिश किया पहले तो कुछ नजर नहीं आया लेकिन ध्यान से देखने पर जो नजारा मेरी आंखों ने देखा मुझे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,.।
ऐसा क्या देख लिया तुमने,,,,?
रघु लााला की करतुत कोमल को बताते हुए
कैसे कहूं तुमसे कहने में शर्म आती है,,,(रघु जानबूझकर शर्मा का बहाना करते हुए बोला,,)
हमसे क्यों शर्मा रहे हो,,, हम दोनों तो दोस्त हैं और दोस्त में शर्म नहीं होनी चाहिए,,,, मैं भी तो बिना शर्माए सब कुछ बता दि,,,
हां यह ठीक है,,, तुम मुझे दोस्त समझकर सब कुछ बता दी तो मैं भी तुम्हें दोस्त समझकर सब कुछ बता देता हूं,,,(कोमल की उत्सुकता रघु की उत्तेजना को बढ़ावा दे रही थी,,, इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)
मैं खिड़की में से जो देखा वह सचमुच अविश्वसनीय था मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि लाला का यह रूप भी मुझे देखने को मिलेगा,,,
कौन सा रूप,,?
एक औरत जो कि पास के ही गांव की थी वह बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसके ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम नंगी थी,,,,(रघु जानबूझकर नंगी और चूचियां जैसे अश्लील शब्दों का प्रयोग कर रहा था और इन शब्दों का प्रयोग करते समय वह कोमल के चेहरे की तरफ देख भी ले रहा था वह देखना चाहता था कि इन शब्दों को सुनकर उसके चेहरे का भाव बदलता है या नहीं लेकिन अश्लील शब्दों को सुनकर कोमल के चेहरे का भाव बदल जा रहा था खास करके रघु के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,) बिल्कुल नंगी,,, वह औरत लाला को ही देख रही थी,,, जोकि लाला अपना कुर्ता उतार रहे थे मुझे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन जो मेरी आंखें देख रही थी वह गलत भी नहीं था सब कुछ सनातन सत्य था मैं खिड़की में से अंदर झांकता रह गया,,। लाला अपना कुर्ता उतारने के बाद धोती पहने हुए ही उस औरत के ऊपर चढ़ गए और अपने दोनों हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पकड़कर दबाना शुरू कर दिए,,,
(रघु की चूचियां दबाने वाली बात सुनकर कोमल के कोमल अंग में थिरकन शुरू हो गई,,) मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि लाला ऐसा कर सकते हैं लेकिन सब कुछ सच था कुछ भी बनावट नहीं था खिड़की में से मुझे साफ दिख रहा था लाला दोनों हाथों से उस औरत की चुची पकड़ कर जोर जोर से दबा रहे थे मानो दशहरी आम को अपने हाथ में लेकर दबा रहे हो,,, और इतनी ज्यादा जोर से दबा रहे थे कि उस औरत की कराहने की आवाज मुझे बाहर सुनाई दे रही थी,,,,,, मैं तो भूल ही गया कि मैं यहां क्या करने आया हूं,,,, मैं तो बस खिड़की से अंदर का नजारा देखता ही रह गया,,,, थोड़ी देर बाद दबाने के बाद लाला बारी बारी से उस औरत की चूची को अपने मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिए,,,(कोमल अपने ससुर के बारे में इतनी गंदी बात सुनकर एकदम से सिहर उठी लेकिन जिस अंदाज में रघु उसे बता रहा था कोमल के बदन में हलचल सी हो रही थी उसकी कही बातों के बारे में वह कल्पना करने लगी थी कि कैसे उसके ससुर उस औरत के साथ रंगरेलियां मना रहे थे,,, रघु अपनी कहानी बताते समय कमल के चेहरे को बराबर पढ़ रहा था जब जब उसके मुंह से गलती से भी निकल रहे थे तब तब कोमल के चेहरे पर लालीमा छी रही थी,, रघु अपनी बात को जारी रखते हुए बोला।)
लाला और गांव की औरत
कोमल मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह औरत उन्हीं इंकार क्यों नहीं कर रही है क्योंकि उसके चेहरे से ऐसा ही लग रहा था कि लाला की हरकत से उसे बहुत दर्द हो रहा है,,,, तभी लाला खड़े हुए और अपने बदन पर से अपनी धोती को भी उतार फेंके,,, लाला उस औरत के सामने एकदम नंगा खड़े थे,,, उनका लंड जो कि कोई खास नहीं था लेकिन फिर भी खड़ा हो चुका था,,,(रघु जानबूझकर अपने होठों पर लंड शब्द लाया था,,, और लंड शब्द कहते हुए कोमल की नजरों के सामने ही तेजा में में अपनी खड़े लंड को नीचे बैठाने की कोशिश करने लगा और इसकी यह कोशिश को कोमल देख रही थी और रघु की इस तरह की हरकत पर उसके बदन में सनसनी सी दौड़ने लगी थी ,,,)
क्या कह रहे हो रघु हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा है,,,,, मेरे ससुर जी ईतने गंदे इंसान है,,,,,(कोमल आश्चर्य जताते हुए बोली)
मुझे भी यकीन नहीं होता अगर मैं यह सब अपनी आंखों से ना देखता तो,,,,, मैं तो सब कुछ देख कर हैरान हो गया था औरत बिस्तर पर लेटी हुई थी और लाला एकदम नंगा होकर उसके करीब जा रहे थे,,, और देखते-देखते उसकी दोनों टांगों को फैला कर साड़ी को उठाते हुए उसकी कमर तक कर दिए,,, कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई सच कहूं तो कोमल मैं तुमसे झूठ नहीं कहूंगा पहली बार किसी औरत को मैं कमर के नीचे नंगी देख रहा था,,,
तततत,,,,, तुम्हें कैसा लग रहा था,,,,(रघु की बातें सुनकर मदहोश होते हुए उत्तेजित स्वर में कोमल बोली,,)
मैं तुमसे झूठ नहीं कहूंगा कोमल,,,मैं तो एकदम पागल हो गया मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या देख रहा हूं जिंदगी में पहली बार में वो देख रहा था,,,,
वो,,, क्या,,,?
अरे वही जो साड़ी के अंदर होता है,,,,,(रघु बेशर्मी दिखाते हुए लेकिन थोड़ा सा घबराने का नाटक करते हुए बोला।)
बोलोगे नहीं तो पता कैसे चलेगा,,,,(कोमल रघु की तरफ देखते हुए बोली,,, रघु जानता था कि पति का प्यार ही से नहीं मिलता इसलिए उसकी बातें सुनकर वह गर्म होने लगी है,,, अरे रघु तो ऐसे ही मौके की तलाश में रहता था,,,वह, बात को घुमाते हुए बोला,,,)
अब कैसे बताऊं,,,,,,
बता दो हम तो तुम्हारे दोस्त हैं,,,,
अरे वही जो साड़ी के अंदर होता है ना,,,,, बबबब,, बुर,,,,,
( रघु जानबूझकर घबराने और हकलाने का नाटक करते हुए बोला,,, रघु के मुंह से बुर शब्द सुनकर कोमल की हालत खराब हो गई,,,शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए और हल्की मुस्कान के साथ अपने नजरों को नीचे झुका दी,, गुरु शब्द सुनकर उसके अंदर क्या प्रभाव पड़ा यह रघु अच्छी तरह से समझ गया था,,, वह समझ गया था कि कोमल प्यार के लिए तरस रही है भरपूर प्यार,,,, जो कि अब वह उसे देखा यह भी अपने अंदर ही निश्चय कर लिया था,,, बुर शब्द सुनकर कोमल कुछ बोल नहीं पाई,,,, पर रघु उसके मन की मनोमंथन को समझते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
हां सच कह रहा हूं कोमल जिंदगी में पहली बार में किसी औरत की बुर को देख रहा था,,,,(इस बार भी ना डरे बिना हक लाए रघु कोमल के सामने बुर शब्द बोल गया,,,) मैं मदहोश हो चुका था उस औरत की दोनों टांगों के बीच का वह अंग मेरे होश उड़ा रहा था सोचो मैं इतनी दूर से देख रहा था तब मेरा यह हाल था लाला का क्या हाल हुआ होगा,,,
क्या हुआ लाला का,,,,(कोमल लोगों की बातों में इतने मजबूर हो गई कि अपने ससुर को लाला कहकर बोलने लगी,,,)
लाला तो एकदम पागल हो गए,,, लाला उस औरत की दोनों टांगों के बीच जाकर बैठ गए,,,
क्या करने के लिए,,,,
चाटने के लिए,,,,
चाटने के लिए,,,, क्या चाटने के लिए,,(कोमल आश्चर्य से बोली,)
बुर चाटने के लिए,,,,, उस औरत की बुर चाटने के लिए,,,(रघु एकदम तपाक से बोला)
क्या,,,,?
हां मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं जिस तरह से तुम्हें आश्चर्य हो रहा है मुझे भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,, भला औरत की बुर कोई आदमी चाट सकता है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था,,,(रघु सब कुछ जानता था कि जानबूझकर कोमल के सामने इस तरह से अनजान बनने की कोशिश कर रहा था क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि औरतों को अपनी बुर चटवाने में सबसे ज्यादा मजा आता है,,,, और ऊस मजा को प्राप्त करने के लिए औरत किसी भी हद तक चली जाती है,,, कोमल के चेहरे पर बुर चाटने वाली बात का असर एकदम साफ झलक रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी उसके मन में यही चल रहा था कि क्या वाकई में मर्द औरत की बुर चाटते हैं,,, वह तो शादीशुदा जिंदगी में भी अब तक कुंवारी ही थी तो उसे कैसे पता चलता कि औरत की बुर भी चाटी जाती है,,,)
लाना अपना मुंह उस औरत की दोनों टांगों में डालकर उसकी बुर चाटना शुरू कर दीए,,,,, लाला पागल हुए जा रहे थे,,,, वह औरतजो लाला के द्वारा चूची दबाने पर दर्द से कराह रही थी इस बार लाला की हरकत की वजह से उसके मुंह से अजीब अजीब से गर्म सिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,
(रघु की बातें और कोमल की कल्पना कमल की दोनों टांगों के बीच हालत खराब कर के रख दिया उसकी बुर गीली होती जा रही थी,,, पहली बार उसे अपनी बुर से पानी बहता हुआ महसूस हो रहा था,,, रघु की खुद की हालत खराब होती जा रही थी बार-बार वह अपने पजामे में खड़े लंड को बैठाने की कोशिश कर रहा था जोकीयह हरकत भी वह कोमल की आंखों के सामने जानबूझकर कर रहा था ताकि कोमल का ध्यान उसकी दोनों टांगों के बीच जाए और ऐसा हो भी रहा था,,,)
उस औरत की आवाज में और उसके चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि लाला की हरकत की वजह से उसे मजा आने लगा था,,, धीरे-धीरे लाला उसकी साड़ी की गांठ खोलने लगी और देखते ही देखते मेरी आंखों के सामने
ही,, ऊस औरत को उसके साड़ी के साथ-साथ उसका पेटीकोट और ब्लाउज उतार कर एकदम नंगी कर दिए,,,
पहली बार मैं अपनी आंखों से किसी औरत को संपूर्ण रूप से नंगी देख रहा था,,,, गजब का दृश्य था,,,(रघु बताते बताते इतना गरम हो गया कि गरम आंहे लेने लगा,,, प्रभु की हालत में देखकर कोमल की भी हालत खराब होने लगी,,, वह कांपते स्वर में बोली,,)
फिर क्या हुआ,,,,
फिर क्या लाला ने अपने हाथों से उस औरत की दोनों टांगे फैलाकर उसकी बुर पर ढेर सारा थूक लगाए और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दीए,,, मैं तो देख कर हैरान हो गया लाला की कमर बड़ी तेजी से आगे पीछे हो रही थी और पलंग पर लेटी हुई उस औरत की दोनों चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर-उधर हील रही थी,,, लाला उसे बड़ी बेरहमी से चोद रहे थे... मेरी खुद की हालत खराब हो रही थी,,,
(कोमल की सांसे भारी हो चली थी,,,)
और थोड़ी ही देर में लाला उसके ऊपर गिर कर हांफने लगी,,, सच में कोमल उस दिन का दृश्य मेरे दिमाग से मिट नहीं रहा है,,,,।
लेकिन मेरे समझ में आ नहीं रहा है कि वह औरत कौन थी और वह लाला को मना क्यों नहीं कर पा रही थी,,,
यह तो मैं बताना भूल ही गया,,,,उस औरत की चुदाई करने के बाद लाला और वह औरत अपने अपने कपड़े पहनने लगे और लाला अपनी कुर्ते में से पैसे निकाल कर उसे देते हुए बोलेगी जब भी पैसे की जरूरत पड़े उसके पास चली आना,,,, लाला की बात सुनकर में सारा माजरा समझ गया क्योंकि लाला उन औरतों की मदद करते थे जिन औरतों को पैसे की जरूरत होती थी और उसके बदले में लाना उसकी चुदाई भी करते थे और बाद में पैसे भी वसूल करते थे और पैसे वसूल करने के लिए अपने पास लट्ठ पहलवान भी रखे हुए हैं,,,
बाप रे मेरे ससुर इतने गंदे हैं,,,, हमे तो डर लगता है रघु कि मेरा क्या होगा,,,,
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तुम्हे कुछ नहीं होगा कोमल,,, मैं हूं ना मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा,,,,,
(कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, रघु के द्वारा कही गई उसके ससुर की कहानी कोमल के कोमल मन पर हथौड़ी बरसा रही थी उसका मन देखने लगा था उसकी दोनों टांगों के बीच की हालत खराब थी,,,, रघु से क्या कहे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,रघुवंश की प्यासी जवानी का रसपान करना चाहता था लेकिन जल्दबाजी दिखाने में उसे डर भी लग रहा था कि कहीं अगर वह नाराज हो गई तो क्या होगा क्योंकि उसके मन में क्या चल रहा है अभी रघु पूरी तरह से नहीं जानता था और अपनी बेवकूफी से इतनी खूबसूरत औरत को अपने हाथों से नहीं जाने देना चाहता था,,, रघु उसके साथ आज पूरा दिन बिताना चाहता था उसे बगीचा घुमाना चाहता था इसलिए उसके सामने प्रस्ताव रखते हुए बोला,,,।)
तुम चलोगी मेरे साथ बगीचा घूमने झरने में नहाने ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर बहुत मजा आएगा,,,
क्या सच में तुम हमें ले चलोगे,,,,
हां ले चलूंगा अगर तुम चलने के लिए तैयार हो तो,,,
मैं तो तैयार ही हुं,,,स्केट खाने से निकलना चाहती हूं खुली हवा में सांस लेना चाहती हूं,,,,
तो चलो फिर देर किस बात की है,,,
रुको हम अभी आते हैं,,,(इतना कहकर वह उठकर कमरे के अंदर बनी गुसल खाने की तरफ चली गई और बाहर से दरवाजा बंद कर दी,,, रघु की गरमा गरम बातें सुनकर वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसकी बुर पसीजने लगी थी इसलिए उसे जोरों की पेशाब लग गई थी और वह गुसल खाने में जाकर अपनी साड़ी उठाकर बैठकर मुतना शुरू कर दी थी,,, रघु को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजा क्यों बंद कर दी,,,इसलिए वह दरवाजे के करीब जाकर अंदर देखने की कोशिश करने लगा लेकिन दरवाजे पर ऐसा कोई भी दरार या छेद नहीं था जिसे अंदर देखा जा सके लेकिन उसके कानों में जो आवाज गूंज रही थी उसे सुनते ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, गुशल खाने के अंदर से बंद दरवाजे के पीछे सीटी की आवाज आ रही थी,, जिसे सुनते ही रघु को समझते देर नहीं लगी कि कोमल मूत रही थी,,,, इस बात का एहसास से ही रघु पूरी तरह से मदहोश हो गया उसका मन कर रहा था कि दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाए और कोमल की चुदाई करदे लेकिन वह बना काम बिगाड़ना नहीं चाहता था,,,, इसलिए वह उस मधुर आवाज को सुनकर मदहोश होता हुआ दरवाजे के बाहर ही खड़ा रहा,,, लेकिन जैसे ही उसकी चूड़ियों की खनक और पायल की आवाज है उसके कानों में पड़ी वह तुरंत दूर खड़ा हो गया और थोड़ी ही देर में दरवाजा खोल कर कोमल बाहर आ गई और मुस्कुराते हुए उसके साथ बगीचा घूमने के लिए निकल गई,,।