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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Lutgaya

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कोमल की उत्सुकता झरने को देखने के लिए बढ़ती जा रही थी,,,, कुदरत के अनमोल खजाने को देखने की चाह में कोमल अपने अनमोल खजाने कि अनजाने में ही नुमाइश कर चुकी थी,,, जिसका प्रभाव रघु के ऊपर बुरी तरह से पड़ रहा था,,, जो नजारा उसने अभी-अभी कोमल की साड़ी के अंदर देखा था,,, साड़ी के अंदर की गर्माहट उसके तन बदन में महसूस हो रही थी,,,रघु संपूर्ण रूप से उसके अनमोल गुप्त खजाने के दर्शन तो नहीं कर पाया था लेकिन उसकी संरचना को भलीभांति से देख कर उसके आकार का मुआयना कर चुका था,,, ऊंची नीची पगडंडियों,,टेढ़े मेढ़े रास्तों से दोनों चले जा रहे थे चारों तरफ घनी झाड़ियां ऊंचे ऊंचे पेड़ छाए हुए थे जो की पूरी तरह से जंगल का एहसास करा रहे थे,,, बहुत साल पहले यह पूरा जंगल ही था लेकिन धीरे-धीरे मानव वसाहत की वजह से इधर से जंगली जानवर पलायन कर गए,,,।

रघु यह तो पूरा जंगल जैसा है कहीं जंगली जानवर मिल गए तो,,,,।


मिल गए तो क्या हुआ मैं हूं ना,,,, मुझ पर भरोसा नहीं है क्या,,,?


नहीं भरोसा तो बहुत है,,,, लेकिन फिर भी डर लगता है,,,,


मगर तुम्हारे साथ हूं तो तुम्हें डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,,, शेर भालू चीता मेरे होते हुए तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते,,,


यहां है क्या,,,(कोमल डरते हुए बोली)


नहीं नहीं यहां कोई भी नहीं है,,,, यह जगह पूरी तरह से सुरक्षित है,,,,


कहीं मेरे ससुर जी घर पर वापस आ गए तो,,,


मुझे नहीं लगता कि इतनी जल्दी वापस लौटेंगे,,,, अगर आ भी गए तो कोई बहाना बना देना,,,,


कौन सा बहाना,,,


अरे कोई भी बहाना औरतों के पास तो वैसे भी हजारों बहाने होते हैं,,,,,,,, लेकिन कोमल क्या सच में तुम्हारे ससुर जी तुम पर गंदी नजर रखते हैं,,,, वैसे भी मुझे उस आदमी का बिल्कुल भी भरोसा नहीं है,,,।



लगता है तुम्हें हम पर विश्वास नहीं हो रहा है,,,,


नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है तुम कह रही हो तो सच ही होगा वैसे भी उस आदमी का असली रूप में देख चुका हूं लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता कि घर की बहू पर ही वह गंदी नजर रखता है,,,


रघु तुम नहीं जानते कि हम कितनी मुसीबत में जी रहे हैं,,, वह तो किस्मत अच्छी थी कि हम बच गए हमारी इज्जत बची वरना बगीचे वाली औरत की तरह हमारी भी हालत कर देता,,,।


तो क्या तुम्हारे ससुर तुम्हें चोद देते,,,,(रघु एकदम से जानबूझकर गंदी भाषा का प्रयोग करते हुए तपाक से बोला,,, उसकी यह बात सुनकर कोमल एकदम से सन्न रह गई ,,, उसे रघु से ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि वह उसके सामने इस तरह से खुले शब्द में बोल देगा,,, कोमल इसकी सवाल का जवाब नहीं दे पाई और शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,,)
बहुत गंदे इंसान है तुम्हारे ससुर,,,,, खैर अब मैं तुम्हारी हमेशा रक्षा करूंगा,,,
(रघु कि यह विश्वास भरी बातें उसे बहुत अच्छी लगती थी,, लेकिन कभी-कभी उसके मुंह से खुले शब्द सुनकर वह अंदर ही अंदर सिहर उठती थी,,, कोमल बिना जवाब दिए आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,, मौसम बहुत सुहावना हो चुका था दोपहर का समय था लेकिन आसमान में बादल छाने लगे थे,,, हालांकि बारिश होने की कोई भी उम्मीद नजर नहीं आ रही थी लेकिन धूप बिल्कुल भी नहीं थी ठंडी ठंडी पवन बह रही थी,,,, दोनों चले जा रहे थे रघु निश्चिंत होकर उसे अपने साथ लिए जा रहा था,,,, कोमल को अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वहां किसी गैर लड़के के साथ सबकी नजरों से बचकर झरने की तरफ जा रही थी अगर यह बात किसी को पता चल जाए तो बहुत ही बदनामी हो जाए क्योंकि गांव में अक्सर इस तरह से औरतों को दूसरे लड़कों के साथ घूमने की इजाजत बिल्कुल भी नहीं थी,,, चलते हुए भी रघु अपनी आंखों को सेंक ले रहा था,,। कोमल के गोलाकार नितंब पानी भरे गुब्बारों की तरह हील डुल रहे थे,,,। और उसके हिलते हुए नितंबों को देखकर रघु का लंड पजामे में हरकत कर रहा था,,।,,, रास्ते भर कोमल यही सोच कर परेशान हो रही थी कि नीचे खड़ा रघु उसके साड़ी के अंदर झांक रहा था,,,,,, क्या उसके मन में भी वही सब चलता है जो दूसरे मर्दों के मन में चलता है,,, क्या वो भी उसके प्रति गंदे ख्याल रखता है,,, यही सब सोचकर परेशान हो रही थी लेकिन ना जाने क्यों उसे रघु की हरकत कहीं ना कहीं अच्छी भी लग रही थी,, भले ही वह सीधी-सादी बहुत ही अच्छी और संस्कारी औरत थी लेकिन, एक बात से वह भी इनकार नहीं कर सकती क्योंकि वह अंदर ही अंदर तन से प्यासी थी पति के प्यार से पैसे थी शारीरिक सुख से वंचित भी इसीलिए कहीं ना कहीं रघु की हरकतें उसे अच्छी लग रही थी उसके तन बदन में सिहरन पैदा कर रही थी,,,।

देखते ही देखते स्थान आ गया जहां पर रघु उसे लेकर आना चाहता था,,, चारों तरफ हरियाली ही हरियाली,,, पहाड़ों के बीच से नीचे गिरता हुआ झरना और झरने का पानी धीरे धीरे तालाब में इकट्ठा होना बेहद नयनरम्य दृश्य लग रहा था,,, दोनों छोटी सी टेकरी पर खड़े हो गए और सामने से पहाड़ पर से गिर रहे झरने को देखने लगे कोमल तो खुशी से फूली नहीं समा रही थी कुदरत की बेहद खूबसूरत कलाकृति उसे देखने को मिलेगी यहां पर एकदम शांति छाई हुई थी केवल झरने का शोर और पंछियों की कलबलाहट सुनाई दे रही थी,,, जो कि कानो को बेहद मधुर लग रही थी,,,,


देखो कोमल कितना खूबसूरत नजारा है,,,,


मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि इतना खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा कुदरत की बनाई हुई इतनी खूबसूरत कलाकृति होगी,,,, कसम से रघु हम यहां आकर बहुत खुश हैं,,, तुमने हमें स्वर्ग में लाकर खड़ा कर दिया है,,,, (कोमल आश्चर्य से कुदरत के उस खूबसूरत नजारे को देखती जा रही थी वह मन ही मन बहुत खुश थी,,, मौसम की बड़ा सुहाना हो चुका था एकदम ठंडी ठंडी हवा तेज चल रही हवा के साथ साथ झरने से गिरते हुए पानी की बूंदे,, उसके तन बदन मैं ठंडक भर दे रहे थे रघु के मन में तो कुछ और चल रहा था,,,, इस झरने को देख कर उसे वह बात याद आ गई जब इसी जगह पर वह अनजाने में ही अपनी बहन सालों को संपूर्ण रूप से नंगी तालाब से निकलकर भागते हुए देखा था लेकिन उस समय उसे इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि जिस लड़की को वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में देखा है वह उसकी बड़ी बहन ने,,, रघु का लंड उस वाक्ये को याद करके अंगड़ाई लेने लगा,,, उसका मन कोमल को संपूर्ण रूप से नंगी देखने को कर रहा था और इसीलिए वह कोमल से बोला,,।)


कोमल क्या तुम कभी झरने के नीचे खड़ी होकर नहाने का मजा ली हो,,,,

नहीं,,,, लेकिन मैं सच में झरने के नीचे खड़े होकर नहाने का मजा लेना चाहती हूं,,,।


तो देर किस बात की है चलो,,,,


लेकिन कपड़े,,,,, गीले हो जाएंगे तो पहन कर क्या जाएंगे,,, नहीं नहीं जाने दो,,,,(कोमल उदास मन से बोली हो झरने के नीचे खड़ी होकर ठंडे ठंडे पानी का मजा लेना चाहती थी लेकिन उसने दूसरे कपड़े भी नहीं लेकर आई थी,,,,और कपड़े गीले हो गए तो सुखेंगे भी नहीं क्योंकि धूप बिल्कुल भी नहीं थी,,, रघु को अपना काम ना बनता देख कर वह बोला,,,)


क्या करती हो कोमल तूम कितनी मुसीबत के बाद यहां पर आज तुम्हारी हो और यहां आ कर वापस लौट जाओगी अब पता नहीं इस तरह का मौका मिले या ना मिले,,, मेरी मानो आज अपने मन की इच्छा पूरी कर लो,,,,(रघु अपने मन में उठ रही उत्कंठा को अपनी जबान पर लाते हुए बोला)



मेरा मन भी कर रहा है लेकिन,,,,,(कोमल अपनी इच्छा को दबाते हुए बोली)


लेकिन क्या,,,,,?



मेरे कपड़े गीले हो गए तो,,,,



अरे गीले कैसे होंगे,,,, उन्हें उतारकर चलो ना,,,, कपड़े ही नहीं रहेंगे तो गीले कैसे होंगे,,, मैं तो जब भी यहां नहाता हूं तो कपड़े उतार कर नहाता हूं,,,,


अरे तुम तो लड़के हो तुम्हारा चलता है लेकिन हम,,,,


तो क्या हुआ तुम भी तो कपड़े उतार कर नहा सकती हो और वैसे भी यहां पर दूसरा कोई देखने वाला थोड़ी है,,,


तुम तो हो ना,,,,(तिरछी नजर से देखते हुए कोमल बोली)


अरे मैं तो तुम्हारा दोस्त हूं और दोस्त से कैसी शर्म,,,,(रघु कोमल को बहकाते हुए बोला,,,)


नहीं नहीं मुझे शर्म आती है,,,,





अरे यार शर्म कैसी,,,,,(रघु को अपना काम बिगडता हुआ नजर आ रहा था उसे लगने लगा था कि कोमल अपने कपड़े उतारने के लिए कभी भी तैयार नहीं होगी इसलिए वह बोला,,,)


अच्छा ठीक है कोमल पहले तुम नहा लो,,,, मैं अपनी नजर दूसरी तरफ करके रखता हूं तुम्हें देखूंगा भी नहीं मैं नहीं चाहता कि यहां से तुम अपना मन मार कर वापस लौटो,,,,


नहीं नहीं हमें तुम्हारा विश्वास बिल्कुल भी नहीं है,,,


ससुर नहीं हु, में तुम्हारा,,, जो मुझ पर विश्वास नहीं कर रही हो मैं एक बार बोल दिया तो बोल दिया मैं तुम्हारी,,, तरफ देखूंगा भी नहीं,,,, मुझ पर तुम्हें विश्वास तो है ना,,,,
(रघु की बात सुनकर उसे विश्वास तो नहीं हो रहा था लेकिन रघु पर थोड़ा थोड़ा भरोसा जरूर करती थी इसलिए उसकी बात मानते हो क हां मैं सिर हिला दि,,,।)


यह हुई ना बात,,,, अब जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ,,,,,(रघु जानबूझकर उसे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहा था,,,,) और झरने में जाकर नहाने का मजा लो,,,,(रघु की जल्दी से नंगी होने वाली बात सुनकर कोमल का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, बड़ा बेशर्म हो कर रघु ने यह बात कही थी,,, रघु जानबूझकर उसे अपने शब्दों के जाल में फसाना चाहता था और ऐसा हो भी रहा था रघु के मुंह से निकला हुआ एक एक अश्लील शब्द कोमल के कोमल मन पर हथौड़े की तरह वार कर रहा था,,, इस तरह के गंदे शब्द वह पहली बार सुन रही थी नंगी होने वाली बात को वह कुछ ज्यादा ही अपने मन पर ले रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि मानो कोई उससे संभोग करने के लिए उसे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहा है,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वो रखो की बात माने या ना माने झरने में नहाने की लालच से ऐसा करने से रोक भी नहीं रही थी,,, वह झरने में नहाना चाहती थी,,, अगर धूप निकली होती तो वह कपड़े पहने हुए ही झरने के नीचे नहाने लग जाती क्योंकि दो की वजह से उसके कपड़े सूख जाते हैं लेकिन धूप बिल्कुल भी नहीं थी और ऐसे नहीं कपड़ा सीखना नामुमकिन था और घर जाने पर अगर किले कपड़े में उसके ससुर उसे देख लेते तो क्या जवाब देती,,,, इसलिए वह रघु की तरफ देखी और थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।)



तुम दूसरी तरफ मुंह करके खड़े हो जाओ और कसम है तुम्हें अगर मेरी तरफ देखे तो,,,,



तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कमाल मैं अपने वादे पर अटल हूं,,,, एक बार बोल दिया तो बोल दिया,,(ऐसा कहते हुए रघु दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया और कोमल उसे देखकर धीरे-धीरे बड़े से पत्थर के पीछे जाने लगी,,, रघु का मन उत्सुकता से भरा जा रहा था,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था वह पत्थर के पीछे खड़ी होकर धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारने लगी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था साड़ी उतार कर बड़े से पत्थर के ऊपर रख दे जहां से तिरछी नजर से रघु उस पत्थर की तरफ देख रहा था उसे पत्र के पीछे खड़ी कोमल तो नहीं दिख रही थी लेकिन पत्थर के ऊपर रखी हुई साड़ी जरूर दिख रही थी जिसे देख कर उसे यकीन हो गया कि कोमल अपने कपड़े उतार रही है और साड़ी उतार कर पत्थर पर रख चुकी थी,,, ब्लाउज की बारी थी,,,, रघु उत्सुकता से तिरछी नजर से पत्थर की तरह देखे जा रहा था जहां पर थोड़ी ही देर में पत्थर पर ब्लाउज रखा गया था जिसे देखकर पजामे के अंदर रघु का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,, ब्लाउज के बटन खोलते हुए कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, मैं जानती थी कि किसी गैर मर्द की उपस्थिति में इस तरह से कपड़े उतारना गलत है लेकिन फिर भी वह जैसे किसी मोह पास में बंध चुकी थी,,,ना चाहते हुए भी अपने क्लाउड के सारे बटन खोल कर ब्लाउज को पत्थर के ऊपर रख दी थी उसके नारंगी जैसी गोल-गोल चूचियां एकदम उजागर हो गई थी हालांकि इस समय रघु की नजर उसकी चूचियों पर नहीं थी लेकिन फिर भी ब्लाऊज को देख कर ही वह कोमल की कोमल चुचियों की गोलाई के बारे में अंदाजा लगा रहा था,,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अब बारी पेटीकोट की थी,,, और अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलते समय उसे अपने अंदर एक गंदी औरत होने का एहसास हो रहा था,,,क्योंकि अपनी पेटीकोट की डोरी खोलते समय है उसे ऐसा एहसास हो रहा था कि जैसे वह किसी पराए मर्द से चुदने के लिए अपनी पेटिकोट की डोरी खोलकर नंगी होने जा रही है,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था देखते ही देखते पेटीकोट की डोरी खुलते ही कमर के इर्द-गिर्द एक असली भी पेटीकोट ढीली हो गई और ढीली होकर उसके कदमों में गिर गई,,, मानो कोमल की जवानी प्रदर्शित होने के लिए मचल रही हो पत्थर के पीछे को पूरी तरह से नंगी थी संपूर्ण नंगी गोरे-गोरे खूबसूरत बदन पर कपड़े का रेसा भी नहीं था,,,, दूध जैसा चमकता बदन खूबसूरती का गोदाम लग रहा था बदन पर चर्बी की मात्रा बिल्कुल भी नहीं थी एकदम सुडौल काया,,,, गोलाकार नारंगी जैसी चुचियां,,, केले के तने के समान चिकनी चिकनी जांघें ,,,औ दोनों टांगों के बीच उसकी पतली गहरी दरार झांट के रेशमी बालों से घीरी हुई,,, ऐसा लग रहा था कि मानो जंगल के बीच में से नदी बह रही हो,,,, बड़े पत्थर के ऊपर पेटीकोट के रखते ही,,रघु का लंड पजामे के अंदर टन टनाकर खड़ा हो गया,,,, उसे यकीन हो गया कि कोमल उसकी बातों में आ चुकी है,,, और ऊसकी बात मानकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है,,। कोमल के नंगे पन के एहसास से रघु पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबने लगा और ना चाहते हुए भी उसका हाथ पजामे के अग्रभाग पर आ गया,,,, कोमल इस तरह से पहाड़ियों के बीच अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर शर्म महसूस कर रही थी वह यहा से भाग जाना चाहती थीक्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वह जो भी कर रही है गलत कर रही है अौर इस बारे में किसी को भी पता चल गया तो वह बदनाम हो जाएगी,, लेकिन फिर भी उसका मन उसे वही रोके हुए था उसे अपने मन की करने देने के लिए उकसा रहा था,,, इसलिए वो झरने में जाने के लिए तैयार हो गई पत्थर की ओर से बाहर निकलने से पहले वह पत्थर पकड़ कर चोर नजरों से रघु की तरफ देखने लगी रघु जानता था कि कपड़े उतार कर नंगी हो जाने के बाद किसी भी समय कोमल बाहर आ सकती थी इसलिए वह अपनी नजर सामने ही किए हुए खड़ा रहा और यह देखकर कोमल के होठों पर मुस्कुराहट तैरने लगी क्योंकि उसे विश्वास हो गया कि रघु पलट कर उसकी तरफ नहीं देखेगा,,,, और पूरी तरह से विश्वास हो जाने के बाद,,, कोमल पत्थर की ओर से बाहर निकली और अपनी हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच की दरार पर रखकर पैर संभाल कर रखते हुए झरने की तरफ जाने लगी,,, उसके पायल की छन छन की आवाज से रघु को इस बात का एहसास हो रहा था कि कोमल पत्थर की ओर से बाहर आने के बाद झरने की तरफ जा रही थी इसलिए,,, रघु नजर घुमाकर कोमल को देखने लगा कोमल संपूर्ण रूप से नंगी थी,,, एकदम नंगी बिना कपड़ों की और बिना कपड़ों के भी वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, नग्नता में कोमल की खूबसूरती उसका हुस्न देखकर रघु की आंखें फटी की फटी रह गई,,,, कोमल अद्भुत खूबसूरती का खजाना थी वह झरने की तरफ जा रहे थे जिससे उसके गोलाकार नितंब आपस में रगड़ खाते हुए दाएं बाएं ऊपर नीचे हो रही थी,, और यह देख कर रघु का धैर्य जवाब दे रहा था,,। उसका मन कर रहा था कि उसके पीछे पीछे वह अभी झरने की तरफ चला जाए लेकिन वह जल्दबाजी दिखाना नहीं चाहता था क्योंकि जब उसके कहने से वह कपड़े उतार चुकी है तब तो धीरे धीरे टांग खोलने में भी उसे कोई दिक्कत नहीं होगी,,, यही सोच कर रघु अपना मन मार कर वहीं खड़ा का खड़ा रह गया,,, और कोमल धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाते हुए झरने की तरफ जा रही थी उसके लिए जिंदगी में यह पहला मौका था जब वह बिना कपड़ों के संपूर्ण रूप से नंगी होकर टहल रही थी और वह भी इस खुली जगह पर,,, उसे भी संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में घूमना कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन बदन में उत्तेजना कि‌सिहरन भी फेल रही थी,,,, वह चलते हुए यही सोच रही थी कि रघु उसे देख तो नहीं रहा होगा,,, कोई भी इंसान अपने वादे पर पक्का तो रह सकता है लेकिन औरतों के मामले में उसका धैर्य कब जवाब दे जाए यह नहीं कहा जा सकता,,,,इसलिए और अभी के बारे में भी यही सोच रही थी कि वह उसे देख तो नहीं रहा होगा अगर देख रहा होगा तो उस समय वह उसे पूरी तरह से नंगी देख रहा होगा उसकी गोलाकार गांड ऊसे दिखाई दे रही होगी,,, अगर ऐसा है तो वह उसके नंगे बदन को देख कर क्या सोच रहा होगा क्या रघु भी वही सोच रहा होगा जो दूसरे मर्द सोचते हैं,,,यही सोचते हुए वचन की तरफ चली जा रही थी लेकिन पीछे मुड़कर देखने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी अपने मन में यह सोच रही थी कि अगर वह उसे देखता ही होगा तो वह उससे नजर कैसे मिला पाएंगी,,, मन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसका ध्यान खुद ही अपनी चुचियों पर चला गया जो कि बेहद ठोस और गोलाकार थी,,, यह तो वह अच्छी तरह से जानते थे कि ठोस नजर आने वाली चूची दबाने पर कितनी नरम-नरम होती है,,,।अपनी चुचियों की गोलाई को देख कर उसे इस बात का अफसोस होने लगा कि उसके पति ने उसे स्त्री सुख का अहसास नहीं कराया,,, यह सोचते हुए कोमल झरने के बेहद करीब पहुंच गई जहां से उसे पानी के छींटे उसके बदन पर पड़ रही थी और उसे ठंडे पन का एहसास हो रहा था,,, आज उसका सपना पूरा होनेवाला था,,, प्रकृति से उसे हमेशा से लगाव रहा था,,,, खेतों में घूमना छोटी-छोटी पहाड़ियों पर चढ़ना नदी में नहाना यह सब उसेअच्छा लगता था इसलिए तो आज झरना देखकर वह बेहद खुश हो गई थी और झरने में नहाने की लालच की वजह से ही वहएक गैर मर्द के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए तैयार हो चुकी थी और हो भी गई थी,,, देखते ही देखते कोमल झरने के नीचे पहुंच गई पहली बार जब उसके सिर पर झरने का ठंडा पानी पड़ा तो वह ठंड से सिहर गई,,, लेकिन एक झटके में उसका पूरा बदन पानी से तरबतर हो गया धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा,,,, रघु उसे देखे जा रहा था,,,

थोड़ी देर में कोमल सब कुछ भूल गई उसे यह भी याद नहीं रहा कि थोड़ी ही दूर पर एक जवान लड़का खड़ा है,,, वहां अपनी सुध बुध भूल कर झरने के पानी में नहाने का आनंद लूटने लगी उसे इस बात का भी अहसास तक नहीं हुआ कि उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं है वह निश्चिंत होकर पूरी तरह से मगन होकर नहाने का मजा लेने लगी वह अपना हाथ अपने बदन पर चारों तरफ घुमाने लगी मानो की अपने घर में बने गुसल खाने में नहा रही हो,,, उसका दोनों हाथ उसके बदन पर चारों तरफ घूम रहे थे भले ही वह उसकी गोल-गोल चूचियां हो या टांगों के बीच की पतली दरार हो,,, नितंबों पर दोनों हाथ को फेरते हुए मानो वह उस पर साबुन लगा रही हो,, जो देखकर रघु का दिमाग चकराने लगा क्योंकि जिस तरह से वह निश्चिंत होकर अपने बदन पर हाथ फेर रही थी,,, रघु यकीन नहीं कर पा रहा था किसकी आंखों के सामने कोमल ही है क्योंकि कोमल बेहद शर्मीली औरत थी,,, लेकिन इस समय कोमल का व्यवहार निश्चिंत पूर्ण और थोड़ा बेशर्मी वाला हो गया था इसमें कोमल की कोई भी गलती नहीं थी वह तो भूल चुकी थी कि वह कहां पर है कौन सी जगह पर है और किस के सामने,,, लेकिन कोमल की हरकत का मतलब रघु गलत समझने लगा उसे लगने लगा था कि शायद कोमल उसकी तरफ इशारा तो नहीं कर रही है,,,,कोमल की हरकत को देख कर रखो क्या मेरे में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी हालांकि वह पहले से ही काफी उत्तेजित हो चुका था उसे नंगी देखकर और उसकी हरकतों को देख कर तो वह मदहोश होने लगा,,,, उत्तेजना और बदन की प्यास से रघु का गला सूखता जा रहा था,,,, उससे रहा नहीं जा रहा था झरने का पानी जिस तरह से उसके कोमल खूबसूरत नंगे बदन पर फिसल रहा था,,, उसी तरह से रघु की नियत कोमल के खूबसूरत नंगे बदन को देखकर फिसल रहा था वैसे भी रघुऔरतों के मामले में कुछ ज्यादा ही लालची हो चुका खूबसूरत औरत देखते ही उसके मुंह में पानी आने लगता था लेकिन यहां तो कोमल की खूबसूरत नंगे बदन और उसकी हरकत को देख कर उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,रघु से सब्र कर पाना अब मुश्किल बजा रहा था इसलिए वह तुरंत अपने कपड़े उतारकर एकदम नंगा हो गया,,,, कोमल नहाने में मस्त थी झरने का पानी उसके खूबसूरत बदन को ठंडा कर रहा था,,,,,,, उसे तो इस बात का पता तक नहीं था कि रघु जो उसे यहां लेकर आया था जो कि उसे इस अवस्था में ना देखने का वादा किया था और उसके खूबसूरत नंगे बदन को देख कर अपना धैर्य खो बैठा है और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो चुका है,,, रघु झरने में नहा रही कोमल की तरफ आगे बढ़ता हुआ अपने लंड को हिला रहा था एक तरह से वह कोमल की बुर में अपने लंड को डालने के लिए उसे पूरी तरह से तैनात करते हुए तैयार कर रहा था,,,

रघु के लिए यह अवस्था ही ऐसी थी बिल्कुल काबू से बाहर कोमल की मदहोश जवानी रघु को पल-पल बेकाबू कर रही थी,,, देखते ही देखते गरम आहें भरते हुए रघु झरने के नीचे ना रहे कोमल के बेहद करीब पहुंच गया उसके ऊपर भी झरने का पानी गिरने लगा,,,, रघु ठीक कोमल के पीछे जाकर खड़ा हो गया उसके नितंबों पर से फिसल रही पानी की बूंदे रघु के प्यास को और ज्यादा बढ़ा रही थी उसका मन कर रहा था कि नीचे बैठ कर उसके नितंबों से गिर रही पानी की बूंदों को जीभ लगाकर चाट कर अपनी प्यास बुझा ले,,,, रघु का लंड सीधा टनटनाकर खड़ा था,। और इतना करीब था कि अगर थोड़ा सा भी कोमल पीछे होती तो रघु का लंड सीधे उसकी गांड पर स्पर्श करता ,,,, और यही हुआ भी,,,, कोमल तो अपने में मशगूल थी उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके पीछे रघु नंगा और अपने लंड को खड़ा करके खड़ा है,,,, और अचानक ही कोमल अपने घुटनों को अपने हाथ से मलने के लिए नीचे झुकी ही थी कि उसकी गांड पर कोई ठोस चीज की चुभन महसूस हुई और वह डर के मारे पीछे पलट कर देखी तो उसके होश उड़ गए पीछे रघु एकदम नंगा होकर खड़ा था उसका लंड उसकी गांड की दरार के बीचो बीच फंस चुका था,,,,,, अपने आप को संभालने के चक्कर में आगे की तरफ गिरने ही वाली थी कि तुरंत रघु अपना दोनों हाथ उसकी कमर पर रख कर उसे थाम लिया और उसी स्थिति में पकड़ लिया मानो कि जैसे किसी औरत को घोड़ी बनाकर चोद रहा हो,,,, नीचे गिरने के डर से वह पूरी तरह से सहम उठी थी,,,
उसे डर से वह निकल पाती इससे पहले ही रखो का लंड का गर्म सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों पर रगड़ खाने लगी,,,, कोमल को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि उसके बदन में यह कैसी भावना जागरूक हो रही है वह पूरी तरह से अद्भुत अहसास में डूबने लगी पल भर में ही ठंडे पानी की बौछार में भी उसका खूबसूरत गर्म बदन और भी ज्यादा गर्म होने लगा,, रघु उसी तरह से पकड़े हुए बोला,,,।


क्या करती हो कोमल अभी तो तुम नीचे गिर गई होती,,,,(ऐसा कहते हुए रघु उसकी कमर पकड़कर ऊसे ऊपर उठाने लगा,,,) मैं कहा था ना तुमसे अबसे तुम्हारी रक्षा में करूंगा,,,
(कोमल को अपनी कमर पर,, मजबूत हथेलियों का स्पर्श और उसका कसाव बेहद आनंददायक और रोमांचक लग रहा था उसे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था वो कुछ बोल नहीं पा रही थी सिर्फ उसके मुंह से इतना ही निकला,,,)

तुम यहां तुम तो वादा किए थे,,,, फिर,,,,,(कोमल रघु की आंखों में देखते हुए पूरी रही थी कि उसके होठों पर अपनी उंगली रखकर ऊसे चुप करते हुए रघु बोला,,)


कुछ मत कहो कोमल,,, तुम्हारी खूबसूरती देखकर मुझसे रहा नहीं गया बेवकूफ है तुम्हारा पति जो इतनी खूबसूरत अप्सरा जैसी पत्नी को छोड़कर दर-दर भटक रहा है अगर तुम मेरी पत्नी होती तो मे तो रात दिन तुम्हें अपनी बाहों में लेकर तुम्हें प्यार करता,,,,(ऐसा कहते हो मेरे को अपनी प्यासे होठों को कोमल के खूबसूरत गुलाबी तपते हुए होठों के करीब ले जाने लगा,,, कोमल को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था वह अपने होठों को अपने चेहरे को दूसरी तरफ फेर लेना चाहती थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई,,, ना जाने कैसी कशिश थी कि वह अपने काबू में नहीं थी,,,और देखते ही देखते रघु अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर रखकर उसे मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया,,,,,, पल भर में ही कोमल प्यासी जवानी की आग में पिघलने लगी,, वह रघु को रोकने की भी कोशिश नहीं कर रही थी,,, चुंबन होठों पर हो रहा था लेकिन सुरसुराहट टांगों के बीच की पत्नी दरार में हो रहा था,,, कोमल कुछ समझ नही पा रही थी,,। शायद उसके होठों से पहली बार कोई इस तरह की हरकत कर रहा था कोमल की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध ना होता देखकर रघु की हिम्मत बढने लगी और उसके होठों को चूसते हुए अपना एक हाथ उसकी मखमली रसभरी नारंगी पर रख दिया,, और उसे जोर से दबा दिया,,,,।


आहहहहहहह,,,,
(सिर्फ इतना ही कोमल के मुख से निकल पाया और रघु दूसरा हाथ दूसरी चूची पर रखकर दबाना शुरू कर दिया,,, कोमल के कोमल तन तन बदन में अजीब सी हलचल होना शुरू हो गई रघु शराबी की तरह कोमल के होठों से शराब के बुंदो का रसपान कर रहा था,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसका साथ दे या हट जाए,,,यह जानते हुए भी कि जो कुछ भी कहो रहा है वह गलत हो रहा है फिर भी वह अपने जिस्म के प्यास के अधीन होकर पर रखो को इनकार नहीं कर पा रही थी वह पूरी तरह से असमर्थ हो चुकी थी,,रघु पागलों की तरह उसके रसीले होंठों का रसपान करना है और दोनों हाथों से चूची को दबाते हुए अपने खड़े लंड की ठोकर उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी फुली हुई मखमली बुर के ऊपर मार रहा था,,, रघु के लंड की ठोकर अपनी बुर के ऊपर महसूस करके कोमल पूरी मदहोश हो चुकी है उसे समझ में नहीं आ रहा था उसके घुटने थरथर कांप रहे थे,,,,,,कोमल प्यासी थी शादीशुदा जिंदगी में की कुंवारी लड़की की तरह जी रही थी पति का सुख कभी प्राप्त नहीं हुआ था शारीरिक सुख क्या है इसकी परिभाषा उसे नहीं मालूम थी इसलिए रघु के प्रयास से वह पूरी तरह से काम विह्वल हो गई,,, और कुछ ही देर बाद चुंबन में वह रघु का साथ देने लगी,,, उसके होंठ अपने आप खुल चुके थे और उसके खुले हुए होठों को महसूस करके रघु फूले नहीं समा रहा था फोटो के खुलने का मतलब था कि उसकी सहमति प्राप्त हो चुकी थी और होठ खुलने के बाद टांग खुलने में ज्यादा देर नहीं लगता,,, रघु तो मदहोश होकर अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दिया ऊपर झरने का पानी और नीचे बुर से मदन रस बराबर बह रहा था,,,,,रघु को इस बात का डर था कि मदहोश होकर कहीं पांव फिसल गया तो सीधा दोनों नीचे तालाब में जाकर गिरेंगे,,, इसलिए रघुएक झटके में ही उसे अपनी गोद में उठा लिया और झरने से बाहर निकलने लगा कोमल के लिए बोलने लायक कुछ भी नहीं था ,,, रघु अच्छे से मजा लेना चाहता था इसलिए बड़े पत्थर के करीब रखे हुए कपड़ों पर उसे धीरे से बिठा दिया,,, और कोमल भीबड़े आराम से कपड़ों पर बैठ गई को पूरी तरह से नंगी थी पानी में भीगी हुई और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,, रघु भी पूरा नंगा था उसका लंड पूरी तरह से खडा हो चुका था,,,,तिरछी नजरों से शरमाते हुए कोमल उसकी दोनों टांगों के बीच निगाह डाली तो उसके खड़े लंड की मोटाई और लंबाई देखकर उसके होश उड़ गए,,, शर्मा कर घबराकर तुरंत उसकी निगाहें नीचे हो गई,,, रघु की हालत खराब हो रही थी कोमल का भीगा बदन उसकी उत्तेजना को ज्यादा बढ़ा रहा था,,, रघु से रहा नहीं जा रहा था वह जानता था कि वह कोमल के साथ जो कुछ भी करेगा कोमल पूरी तरह से मस्त हो जाएगी वरना अगर उसे अच्छा नहीं लगता तो वह उसे कब से धक्का देकर हटा दी होती,,, इसी आत्मविश्वास से वह कोमल के करीब बैठ गया उसकी दोनों टांगों को फैलाने लगा,,,।

यह क्या कर रहे हो रघु,,,,(रघु की तरफ शर्माते हुए देखकर वह बोली,,,)

तुम्हें स्त्री होने का गौरव प्राप्त कराने जा रहा हूं,,,(ऐसा कहते हुए और कोमल की दोनों टांगों को खोल दिया,,, कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर को देखकर रघु की आंखें चौंधिया गई,,,, वह कोमल की गुलाबी बुर को देखता ही रह गया कोमल की रसीली बुर को देखकर
उसे इस बात का अंदाजा लग गया कि वाकई में कोमल पूरी तरह से अनचुदी बुर की मालकिन थी,,, एक शादीशुदा औरत की कुंवारी बुर पाकर रघु खुशी से झूम उठा,,,,, उसकी गुलाबी बुर के इर्द-गिर्द रसीली बालों का झुरमुट नजर आ रहा था,,, रघु कोमल के झांट के बाल देख कर और ज्यादा उत्तेजित हो गया,,।

वाह,,,, कोमल जितनी चेहरा खूबसूरत तुम हो उतनी ही ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी दोनों टांगों के बीच यह गुलाबी बुर है,,,,(रघु एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,, और कोमल रघु के मुंह से अपनी बुर की तारीफ सुनकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई,,,, वह शर्म के मारे गड़ी जा रही थी,,, वह बुत बनकर उसी तरह से बैठी रह गई,,, रघु पागलों की तरह उसकी दोनों टांगों के बीच में नजर गड़ाए हुए उसकी गुलाबी बुर को देखे जा रहा था,,,। बेहद उत्तेजनात्मक मादकता से भरा हुआ नजारा था चारों तरफ हरियाली और पहाड़ी छाई हुई थी झरना बह रहा था,,, मौसम बहुत ही सुहावना हो चुका था और छोटी सी टेकन के पास में कपड़ों के ढेर पर खूबसूरती से भरी हुई कोमल अपनी दोनों टांगें फैलाए बैठी हुई थी,,, जो कि उसकी टांगों को रघु ने ही अपने हाथों से फैलाया था,,, रघु की हरकत की वजह से और पहली बार इस तरह के वाक्ये के बदौलतकोमल के बदन में भी सुरूर चढ़ना शुरु हो गया था जिसका असर उसे दोनों टांगों के बीच अपनी रसीली गुलाबी बुर के अंदर महसूस हो रही थी,,, उसमें से उसे अपना मदन रस बहता हुआ साथ महसूस हो रहा था,,,।

अभी दोनों के पास बहुत समय था,,, रघु इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाना चाहता था,,,वह कोमल की मदमस्त जवानी का रस पूरी तरह से निचोड़ लेना चाहता था,,, इसलिए मैं अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे उसे कोमल की मदमस्त चिकनी मोटी जांग पर रख दिया,,,कोमल पहली बार अपनी चिकनी जांघों पर मर्दाना हाथों का स्पर्श पाकर पूरी तरह से सिहर उठी और उसके मुंह से अनायास ही सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।

ससससहहहह,,,,,,,,,,


क्या हुआ कोमल,,,?(रघु जानबूझकर उसकी जान को अपनी हथेली से दबाते हुए बोला)


कककक,, कुछ नहीं,,,(कोमल घबराते हुए और शरमाते हुए हकला कर बोली)

तुम बहुत खूबसूरत हो कोमल,,, मुझे यकीन नहीं होता तो इतनी खूबसूरत औरत को छोड़कर एक आदमी भला यहां वहां क्यों भटक रहा होगा,,,(रघु अपना दूसरा हाथ भी उसकी दूसरी जांघ पर रखकर उसे सहलाते हुए बोला,,,अपने हथेलियों की हरकत का असर वाह कोमल की खूबसूरत चेहरे पर अच्छी तरह से देख रहा था,,, वह जानबूझकर कोमल को बातों में उलझा ना चाहता था,,,,) कोमल क्या तुम्हारे पति ने इस तरह से तुम्हारी खूबसूरत जांघों को अपनी हथेली से सह लाया है,,,।

(रघु को इस तरह के सवाल का जवाब अपने मुंह से देने में असमर्थ हूं इसलिए ना में सिर हिला कर जवाब दी,,)

तब तो बेवकूफ है तुम्हारा पति,,,, अगर मेरे पास ऐसी बीवी होती तो पता है मैं क्या करता,,,?(कोमल की तरफ देखकर रघु बोला)

क्या करते,,,?(कोमल शरमाते हुए बोली,,,,भाभी देखना चाहती थी कि एक आदमी अगर औरत को प्यार करता है उसे मानता है तो वह उसके साथ कैसा व्यवहार करता है,,, क्योंकि अपनी पत्नी की तरफ से उसे किसी भी तरह के व्यवहार का ना तो अंदाजा था ना तो कभी महसूस ही कर पाई थी पति की तरफ से उसे हमेशा दुख ही प्राप्त हुआ था,,)

बताऊं मैं क्या करता,,,,,( इतना कहते हुए रघु उसकी जांघों को अपनी हथेली से चलाते हुए धीरे-धीरे उसकी दोनों टांगों के बीच जाने लगा और अपने होठों को उसकी मखमली चिकनी जांघ पर रखकर उसे चूमने लगा,,, कोमल की हालत खराब हो रही थी वहरघु की बातों से और उसकी हरकत से पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी,,, वह उसकी जांघों को बेतहाशा चूम रहा था यह तो रास्ता था मंजिल तक पहुंचने के लिए और मंजिल थी उसकी गुलाबी बुर,,,, लेकिन पहले वह रास्ते का मजा ले रहा था,,, क्योंकि मंजिल से ज्यादा सफर में मजा आता है,,,, रघु दोनों हाथों की हथेलियों को उत्तेजना बस उसकी चिकनी मोटी जांघों जोर-जोर से दबाते हुए उस पर अपने होंठों से लगातार चुंबन किया जा रहा था,,, उत्तेजना के मारे कोमल की सांसे गहरी चलने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में क्या हो रहा है,,,, उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस समय झरने के करीब नंगी होकर बैठी है,,,शायद बदन की प्यास ही कुछ ऐसी होती है कि सब कुछ भुला देती है,,,। देखते ही देखते रघु का हाथ कोमल की चिकनी बुर पर चला गयाअपनी कोमल के नाजुक अंग को सहलाने लगा क्योंकि उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, अपनी बुर के ऊपर मर्दाना हाथ पडते ही वह पूरी तरह से कामोत्तेजना के सागर में डूबने लगी उसकी सांसों की गति तेज हो गई,,। कोमल मदहोश हुए जा रही थी उसका मन अपने काबू में नहीं था शायद पहली बार उसके बदन से कोई मर्द इस तरह से प्यार कर रहा था और प्यार करने पर औरतों को कैसा एहसास होता है यह भी उसे पहली बार ही हो रहा था,,, रघु कोमल की रेशमी झांटों की झुरमुटो मे धीरे-धीरे उंगली घुमाते हुए ,, ऊसकी गुलाबी बुर से खेलने लगा,,, जब जब उसकी गुलाबी छीन पर रखो की उंगली रगड़ खा जाती तब तब कोमल की सांस अटक जा रही थी,,,, रघु की उंगलियां कोमल के मदन रस में भीग चुकी थी,,, रघु अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कोमल की कोमल बदन से खेलते हुए वह मदहोश होने लगा था,,,
सससहहहहह आहहहहहहह,,,,,(रघु जब जब उसकी चिकनी मांसल जांघों को अपनी हथेली में लेकर दबाते हुए अपनी उंगली का स्पर्श उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों पर करता तब तक उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,, और उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु और ज्यादा बेचैन हो जाता,,, रघुउसके गुलाबी छेद से निकल रहे मदन रस का स्वाद लेना चाहता था इसलिए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,, रघु अपने लिए जगह बना रहा था,, वह देखते ही देखते कोमल की दोनों टांगों के बीच में आ चुका था,,, पंछियों के चहकने की आवाज झरने के पानी की मधुर आवाज के साथ साथ कोमल के मुख से रह-रहकर निकल रही गर्म सिसकारी की आवाज पूरे वातावरण में नशा घोल रहा था,,। कोमल शर्मा रही थी उसका पूरा वजूद अद्भुत एहसास की आगोश में घिर चुका था,,, देखते ही देखते रघुअपने दोनों हाथों से उसकी दोनों जांघों को पकड़कर थोड़ा सा और फैला दिया,,,, कोमल की गुलाबी बुर देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था,,, इतना बेहतरीन खूबसूरत नजारा उसने अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा हालांकि उसने अपनी जिंदगी में कई औरतों की बुर को नजर भर कर देख चुका था लेकिन जो मजा और जो नशा ऊसको कोमल की बुर में आ रहा था वह किसी की बुर नहीं आया था,,,।

कोमल अपनी नजरों को नीचे करके रघु की तरफ चोरी-छिपे देख रही थी,,, रघु की जीभ लजीज अंग देखकर लपलपा रही थी,, कोमल रघु को अपनी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर के करीब बढ़ता हुआ साफ दिखाई दे रहा था,,,।
जैसे-जैसे उसका मुंह गुलाबी बुर की तरफ़ बढ़ रहा था वैसे वैसे कोमल के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,। और कोमल कुछ समझ पाती इससे पहले ही रघु अपनी प्यासी होठों को जाटों के झुरमुटो के बीच घिरी हुई उसकी गुलाबी बुर के छेद पर रख दिया,,,,।


सहहहहहह आहहहहहहहहहह,,,,(रघु की हरकत की वजह से कोमल के मुख से बस इतना ही निकला और उसका बदन ऐंठने लगा,,,, कोमल रघु को रोक नहीं पाई क्योंकि रघु की यह हरकत कोमल के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना के साथ-साथ उसे एकदम से चुदवासी बना दिया था,,,,और जैसे ही उसने अपनी बुर के गुलाबी छेद के अंदर हल्की सी जीभ घुसती हुई महसूस की वैसे ही उत्तेजना का दबाव ना सहन कर पाने के कारण उसकी बुर से भलभला कर मदन रस बहने लगा,,,, यह कोमल के लिए अद्भुत था अतुल्य था उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि,,, उसे इस तरह के अद्भुत सुख का अहसास होगा,,, रघु का घोड़ा दौड़ चुका था,,, अब रुकने वाला नहीं था कोमल की जवानी का दीवाना का पहले ही हो चुका था बस उसके खूबसूरत बदन को भोगने का सपना देखता रहता था और आज यह सपना पूरा हो रहा था रखो पागलों की तरह उसकी गुलाबी बुर को चाट रहा था,,, मानो की बुर ना होकर मीठी खीर से भरी कटोरी हो,,,उसकी बुर से निकला मदन रस का एक एक बूंद रघु अपनी जीभ से चाट कर अपने गले के नीचे उतार रहा था,,।कोमल को अजीब लग रहा था गंदा लग रहा था क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि औरत की पेशाब वाली जगह को कोई मुंह लगाकर कैसे चाट सकता है,,,, लेकिन फिर भी ना जाने कैसी कशिश थी कि वह रघु की हरकत में पूरी तरह से खो चुकी थी उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था,,,,वह आसमान की तरफ नजर करके अपनी बुर चटाई का मजा ले रही थी,,, आसमान में उसे पंछी उड़ते हुए नजर आ रहे थे बड़ा ही मोहक दृश्य था इस तरह से खुले में संभोग से पहले संभोग रस में डूबने का अलग ही मजा था,,, रघु की सांसे भी तेजी से चल रही थी,,,वह जानता था कि उसके मोटे तगड़े लंड के लिए कोमल की गुलाबी बुर का गुलाबी छोटा सा छेद पर्याप्त नहीं है,,, इसलिए वह अपने लंड के लिए रास्ता बनाने की खातिर उसकी बुर को चाटते हुए ऊसमें अपनी एक उंगली डालना शुरू किया,,, गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में उंगली का प्रवेश,,, कोमल को अद्भुत लग रहा था और देखते ही देखते रघु अपनी एक उंगली को पूरी तरह से, कोमल की बुर में प्रवेश करा दिया,,,,एक उंगली के जाते ही उसे दर्द का एहसास हो रहा था लेकिन वह इस दर्द को सहन कर गई,,
लेकिन जैसे ही रघु अपनी दूसरी उंगली को उसकी बुर के अंदर डालना शुरू किया उसे दर्द ज्यादा होने लगा और अपना एक हाथ बढ़ा कर रघू का हाथ पकड़ कर उसे रोकने लगी,,,।


नहीं नहीं रघु हमें दर्द हो रहा है,,,


दर्द के बाद ही मजा आएगा कोमल,,,,


नहीं रहने दो हमें नहीं लगता कि हम यह दर्द सहन कर पाएंगे,,,


क्यों नहीं सहन कर पाओगी हर औरत यह दर्द सहन करती है तभी तो चुदाई का मजा लेती है,,,,


लेकिन हमसे यह नहीं हो पाएगा,,,,
(रघु समझ गया कि अगर यह दूसरी उंगली नहीं डालने दे रही है तो उसका मोटा लंड कैसे डालने देगी इसलिए उसे रास्ते पर लाना बेहद जरूरी था,,, इसलिए बिना कुछ बोले अपनी एक उंगली को ही अंदर बाहर करते हुए वह फिर से अपने होठों को उसकी गुलाबी बुर के छेद पर रख कर चाटने लगा,,,। एक बार फिर से कोमल मदहोश होने लगी उस पर खुमारी जाने लगी उसकी आंखों में नशा छाने लगा और ना चाहते हुए इस बार ना जाने कैसे उसका एक हाथ रघु के सिर पर आ गया और वह उसे उत्तेजना बस दबाने लगी,,,यह कैसे हो गया यह कोमल को भी नहीं पता चला बस वह उस पल के आनंद में खो जाना चाहती थी,,,, रघु मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी दूसरी उंगली उसकी बुर में डालना शुरू कर दिया दर्द हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,, इसलिए हल्की-हल्की दर्द से कराहते हुए,,वह मस्त होने लगी,,,। रघु देखते ही देखते उसे आनंद देते हुए अपनी दोनों ऊंगली एक साथ अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,, कोमल को मजा आने लगा वह मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी ठीक तरह से कभी लंड का साथ अपनी बुर में ना चखने के कारण रघु की दोनों उंगली से उसे दर्द हो रहा था और उसे लंड का मजा भी मिल रहा था,,,,


अब कैसा लग रहा है कोमल,,,,,


बहुत मजा आ रहा है रघु,,,,आहहहहहहह,,,, हमसे रहा नहीं जा रहा है,,,, ना जाने हमें क्या हो रहा है,,,,


क्या इस तरह से तुम्हारे पति ने तुमसे कभी प्यार नहीं किया,,,


नहीं कभी भी नहीं,,,, हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि कोई इस तरह से प्यार करता होगा,,, इससे तो पेशाब किया जाता है तुम उस पर मुंह लगाकर कैसे चाट रहे हो तुम्हें गंदा नहीं लगता,,,,(आंखों में खुमारी भरते हुए कोमल बोली ,,,)

हम हम मर्दों को यही पसंद है और सब औरतों को भी यही अच्छा लगता है,,,,


क्या सबको,,,,?(कोमल आश्चर्य से दूरी उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके साथ ही यह पहली बार ऐसा हो रहा है वह यह नहीं जानती थी कि सभी औरतों को अपनी बुर चटवाना और मर्दों को चाटना कितना पसंद है,,,)

हां सबको सभी औरतों को यह पसंद है,,,(रखो अपनी दोनों उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला और उसे इशारे से अपनी दोनों टांगों के बीच देखने के लिए इशारा करके बोला) देख रही हो और कितनी आराम से दोनों उंगली अंदर बाहर जा रही है और तुम्हें दर्द नहीं बल्कि मजा आ रहा है,,, मैं कहता था ना कि दर्द के बाद ही मजा आता है,,(कोमल भी हैरान थी वाकई में उसे पता भी नहीं चला कब और दर्द से गुजर गई और आनंद के सागर में डूबने लगी उसे मज़ा आ रहा था रघु की हरकत ऊसे और आनंद दे रही थी कोमल की शर्म धीरे-धीरे खत्म हो रही थी,,, रघु अब कोमल को चोदना चाहता था,,,। इसलिए वह अपने घुटनों के बल बैठ कर अपनी खड़े मोटे लंड को पकड़ कर हिलाते हुए बोला,,,,


देखना कोमल मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मेरे मोटे लंड को बड़े आराम से अपनी बुर के अंदर ले लोगी फिर देखना तुम्हें कितना मजा आता है,,,, तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि तुम सच में शादी शुदा जिंदगी का असली मजा कभी नहीं ले पाई हो जो अब मैं तुम्हें दूंगा,,,,।


नहीं नहीं हमे तो डर लग रहा है तुम्हारा कितना बड़ा और मोटा है,,,(कोमल आश्चर्य से रघु के मोटे तगड़े लंड को देखते हुए बोली)


कुछ नहीं होगा कोमल मुझ पर विश्वास रखो,,, मुझ पर यकीन करो,,,तुम्हें इतना मजा दूंगा कि तुम्हें लगेगा कि तुम आसमान में उड़ रही हो,,,,
(रघु की बातों से उसे भरोसा तो हो रहा था और वह उत्सुक और उतावली भी थी संभोग सुख से वाकिफ होने के लिए लेकिन उसे रघु के लंड को देखकर डर भी लग रहा था लेकिन फिर भी प्रभु जिस तरह से कह रहा था कि दर्द के बाद ही असली मजा आता है अपने मन में उस दर्द को सहने की क्षमता बढ़ा रही थी वह बोली कुछ नहीं बस रघु को देखती रह गई रघु उसकी ख़ामोशी को उसकी हामी समझकर उसके करीब बड़ा और उसे अपनी बाहों में लेकर एक बार फिर से उसके गुलाबी होठों को चूसते हुए उसकी नारंगी ओ को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया एक बार फिर से कमल के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जोर-जोर से रघु उसकी चूचियों को दबा रहा था और देखते ही देखते वह उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दियाकोमल पूरी तरह से गर्म हो गई उसके मुंह से गर्म सिसकारी निकलने लगी और उस सिसकारी को सुनकर रघु और ज्यादा चुदवासा हुआ जा रहा था,,, वह बारी-बारी से कोमल की दोनों चूचियों को पीकर उसका मजा लेने लगा,,, कोमल को मजा आ रहा था वह आनंदित हो रही थी यही मौका उसे ठीक है ना वो धीरे धीरे उसके होठों को चूसता हुआ उसे कपड़ों पर लिटा दिया और धीरे-धीरे उसकी दोनों टांगों को फैलाना शुरू कर दिया रघु उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया और अपने दोनों हाथों को उसके नितंबों के नीचे रखकर उसे थाम कर अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, दोनों की धड़कन में तेज चल रही थी सबसे ज्यादा उत्सुकता कोमल को थी क्योंकि रघु इस काम में पहले से ही माहीर था,,,,रघु का लंड लपक रहा था कोमल की बुर के अंदर जाने के लिए कोमल उत्सुकता से शर्मसार होते हुए भी अपनी दोनों टांगों के बीच नजरे गड़ाए हुए थी,,,वह देखना चाहती थी कि एक लंड बुर के अंदर किस तरह से प्रवेश करता है,,,,रघु जानता था कि शुरुआत में थोड़ी तकलीफ होगी इसलिए पहले से ही ढेर सारा थूक अपने लंड के सुपाडे पर लगाकर और उसकी बुर के गुलाबी छेद पर लगा दिया,,, जैसे ही रघु अपने लंड के सुपाड़े को कोमल की बुर के मुहाने पर रखा,,, कोमल को ऐसा लगा मानो जैसे उसकी सांसें थम गई हो,,,, उसका दिल और तेजी से धड़कने लगा और धीरे धीरे रखो अपने लंड के सुपाड़े को उसके छेद के अंदर डालना शुरू कर दिया,,,,थोड़ी दिक्कत हो रही थी लेकिन धीरे-धीरे चिकनाहट की वजह से और अपनी दो उंगली के करामत की वजह से रघु का लंड कोमल की बुर के अंदर घुस रहा था,,, रघुअपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे दिशा दिखाते हुए कोमल की बुर में डाल रहा था,,, कोमल को दर्द का एहसास हो रहा था लेकिन वह इस दर्द को भी जाना चाहती थी उसे असली सुख को महसूस करने की उत्सुकता थी और चाहती थी इसलिए वह इस दर्द की परवाह नहीं कर रही थी लेकिन फिर भी दर्द की वजह से उसके चेहरे पर के भाव पल पल पल रहे थे देखते देखते रघु का लंड का आगे वाला भाग कोमल की बुर के अंदर प्रवेश कर गया यह प्रभा के लिए बेहद प्रसन्नता की बात थी और कोमल के लिए तो यह अतुल्य सुख था,,। सुपाड़े के प्रवेश करते ही रघु रुक गया था,,,वह कोमल के चेहरे को देख रहा था और इस तरह से रघु को अपने आपको देखता हुआ पाकर कोमल एकदम से शर्मिंदा हो गई और दूसरी तरफ नजर घुमा ली,,, उसकी यह सादगी रघु को अच्छी लगी रघु अब आगे का कार्यक्रम निपटाने में लग गया धीरे-धीरे उसका लंड बुर के अंदर सरक रहा था और कोमल का दर्द बढ़ता जा रहा था,,,।
आहहहहह,,, रघु दर्द कर रहा है,,,

बस बस थोड़ा सा और,,,,


नहीं तुम्हारा बहुत मोटा है मुझे नहीं लगता घुस पाएगा,,,


मुझ पर विश्वास है कि नहीं,,,


तुम पर मुझे पूरा विश्वास है लेकिन डर लग रहा है,,,,


डर और दर्द में ज्यादा फर्क नहीं होता लेकिन दर्द के आगे ही मजा आता है यह बात मैं तुमसे पहले भी बता चुका हूं,,,,


धीरे धीरे,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कोमल,,,,
(और इतना कहते हुए रघु आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ने लगा,,, धैर्य और हिम्मत रंग ला रही थी रघु का आनंद धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था और देखते ही देखते पूरा का पूरा कोमल की गुलाबी बुर के अंदर समा गया,,,।)

अब देखो कोमल,, तुम्हें मेरा लंड नजर आ रहा है,,,
(कोमल हैरान थी,, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था वास्तव में इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी गुलाबी बुर के छेद में मानो खो गया था,,, अद्भुत नजारा था अविश्वसनीय लेकिन कोमल के लिए रघु का तो यह रोज का था,,,।


कोमल के चेहरे पर हेरानी और आश्चर्य के भाव को रघु पढ़ चुका था,, इसलिए वहां दोनों हाथों से कमर की कमर को थाम कर अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,,कोमल की खुशी और उत्तेजना का कोई ठिकाना ना था आज बहुत खुश थी शादीशुदा जिंदगी में पहली बार उसकी चुदाई हो रही थी चुदाई का सुख औरत को कैसा महसूस होता है यह उसे पहली बार ज्ञात हो रहा था,,, उस पहाड़ियों से घिरी हुई जगह मैं कोमल की गरम सिसकारियां गुजने लगी,,। रघु की कमर लगातार आगे पीछे हो रही थी और कोमल अपनी दोनों टांगों के बीच नजर गड़ाए हुए ऊस नजारे का मजा ले रही थी,, पहली बार वह अपनी आंखों से मोटे तगड़े लंड को बुर में घुसते हुए अंदर बाहर होते हुए देख रही थी,,,,,, उसे आश्चर्य के साथ साथ मजा भी आ रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी छोटी सी बुर के छोटे से छेद में घुसकर पूरी तरह से गायब हो गई,,,,,,, कोमल के लिए यह आश्चर्य से बिल्कुल कम नहीं था,,,।

ओहहहह कोमल मेरी रानी ,,,आहहहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है कोमल रानी,,,,ऊहहहहहहह,,,, गजब की बुर है तुम्हारी एकदम कशी हुई,,,,आहहहहहहहह,,, कोमल रानी,,,,


हमें भी बहुत मजा आ रहा है,,सहहहहहह,,,आहहहहह,,, सच में रघु हमें पता नहीं था कि इस खेल में इतना मजा आता है,,,,,आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,,आहहहहहह,,(कोमल के कहते हुए जोश में आकर रघु जोर-जोर से दो चार धक्के लगा दिया,,, और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर कोमल के दोनों संतरो को अपने हाथों में थाम लिया,,,,, और उसे जोर-जोर से दबाते हुए अपनी कमर हिलाने लगा इस तरह से स्तन मर्दन के साथ चुदवाने मे कोमल को बहुत मजा आ रहा था वह एक बार झड़ चुकी थी,,, थोड़ी ही देर में दोनों अपने चरम सुख के करीब पहुंचने लगे,,, कमर की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,रघु को एहसास हो गया कि कोमल का पानी निकलने वाला है इसलिए वह दोनों हाथ उसके नीचे पीठ की तरफ डालकर उसे कसकर अपनी बाहों में भर लिया,,, कोमल की गोल-गोल चुचियां रघु की चौड़ी छाती से दब रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी तनी हुई निप्पल भाले की नोक की तरह रघु के सीने में चुभ रही थी,, लेकिन दोनों का मजा आ रहा था मस्ती के सागर में कोमल पूरी तरह से डूब चुकी थी और वह अपने दोनों हाथ को वर्गों की पीठ पर रखकर उसकी पीठ को सहलाने लगी ,,,

सससहहहहह आहहहहह,,, रघु हमें कुछ और है ,,,,हमें कुछ हो रहा है रघु,,,,,आहहहहहह,,,,


तुम्हारा पानी निकलने वाला है मेरी जान,,,, बस देखती जाओ,,,

इतना कहने के साथ ही रघु जोर जोर से धक्के लगाने लगा बिना रुके बिना थके वह लगातार अपनी कमर हीला रहा था,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए रघु उसकी बाहों में हांफने लगा,,,, कोमल की अनुचुदी बुर रघु के मोटे तगड़े लंड से चूद चुकी थी,,,, गजब के एहसास से कोमल पूरी तरह से भर चुकी थी रघु उसे अपनी बाहों में लिए उसके ऊपर लेटा रहा,,,

थोड़ी देर बाद जब वासना का तूफान शांत हुआ तब,,,, कोमल शर्म से पानी पानी हो रही थी,,, रघु से आंख तक मिलाने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,,, जैसे तैसे करके वह रघु को अपने ऊपर से हटाई,,, और अपने नंगे पन के एहसास से वह शर्म से गडी जा रही थी,,, वह जल्दी से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े पहनने लगी,,, रघु भी अच्छी तरह से समझता था,,, इसलिए वह भी अपने कपड़े पहन लिया,,,वहां पर रुकना आप कोमल के लिए मुनासिब नहीं था इसलिए वह बिना कुछ बोले वहां से चलती बनी रास्ते भर वह रघु से एक शब्द तक नहीं बोल पाई,,,, घर पर वह समय से पहुंच गई थी उसके ससुर अभी घर नहीं लौटे थे,।
रघु वहां से अपने घर चला गया,,।
नायाब तोहफा
 

Guri006

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एक ही खटिया पर सोने की बात सुनकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी आज तक उसने कभी भी किसी औरत के साथ एक ही खटिया पर नहीं सोया था और आज किस्मत उस पर पूरी तरह से मेहरबान थी,,, कहते हैं ना जब भगवान एक दरवाजा बंद कर देता है तो 10 दरवाजे खोल भी देता है कुछ वैसा ही रघु के साथ हो रहा था रघु तो सिर्फ अपनी मां को झाड़ियों के बीच बैठकर पेशाब करते हुए देख रहा था और जिसकी वजह से उसकी मां उसे काफी डांट फटकार कर भगा दी थी उसी के एवज में हलवाई की बीवी उसे अपने खूबसूरत बदन का हर एक अंग बड़े अच्छे से दिखा दे रही थी। हलवाई की बीवी की संगत में उसे इस बात का एहसास होने लगा कि दुनिया में असली सूट औरत ही दे सकती है बाकी कोई नहीं,,, जिस तरह से हलवाई की बीवी उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए घनी झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी,,, रघु यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी उसके साथ होगा कि कोई औरत जानबूझकर उसे अपनी मस्त बड़ी बड़ी गांड दिखाएगी और उसकी आंखों के सामने पेशाब करेगी जबकि गांव की कोई भी औरत यह नहीं चाहती कि उसे सोच क्रिया करते हुए कोई देखें भले ही वह उसका पति या प्रेमी क्यों ना हो,,, और मर्दों की ख्वाहिश हमेशा से यही रहती है कि कहीं ना कहीं उसे पेशाब करते हुए औरत दिखाई दे दे ताकि वह उसकी बड़ी-बड़ी मदमस्त गोरी गांड को देखकर अपने मन को शांत कर सके,,, और इस मामले में रघु कि किस्मत बड़ी तेज थी,,,

रघु के कानो ने अभी-अभी ही एक ही खटिया पर दोनों के सोने की बात सुनकर ऐसा महसूस किया था कि जैसे उसके कानों में मध घोल दिया हो उसके तुरंत बाद जैसे ही उसकी नजर कोने में खड़ी हलवाई की बीवी कर गई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि वह अपनी साड़ी अपनी कमर पर से छुड़ा रही थी,,,, उसकी बेहतरीन खूबसूरत पहाड़ी नुमा भारी भरकम छातियां बेपर्दा हो चुकी थी,,। अब तक रघु हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी के दर्शन उसके नितंबों को देखकर ही किया था उसकी भारी-भरकम विशालकाय छातियों पर पहली बार उसकी नजर पड़ी थी हालांकि इससे पहले वह दोनों चूचियों के बीच की गहरी लकीर को देखकर मस्त हो चुका था लेकिन पहली बार ही वह उसे खुले तौर पर देख रहा था,,,,,,,,। हलवाई की बीवी अपनी साड़ी उतार रही थी और रघु उसकी तरफ एकदम मदहोशी भरी निगाहों से देख रहा था छोटे से बलाउज में हलवाई की बीवी की भारी-भरकम खरबूजे जैसी चूची सामा नहीं पा रही थी ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज का बटन दोनों चुचियों के भार से से अभी का अभी टूट जाएगा,,,। हलवाई की बीवी रघु से नजरें बचाकर पहले से ही अपने ब्लाउज के दो बटन को खोल चुकी थी जिससे उसकी आधी चूचियां कमरे के माहौल को और भी ज्यादा नशीली बना रही थी। रघु तो हलवाई की बीवी की मदमस्त मस्त जवानी के नशे में पूरी तरह से बहकने लगा था।

भाई की बीवी अपनी साड़ी उतार चुकी थी और उसे रस्सी पर डालते हुए बोली,,,

आज कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही है रघु,,,।

हां चाची मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,। ( हलवाई की बीवी की नशीली जवानी देख कर रघु का पूरा वजूद गरमा चुका था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी,,, हलवाई की बीवी भी इस तरह की हरकत अपनी जिंदगी में पहली बार ही कर रही थी वह भी कभी सपने में नहीं सोचा थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा कौन आएगा कि वह अपने ही घर में किसी गैर जवान लड़के को शरण देकर उसके साथ संभोग सुख भोगने की कल्पना या ख्वाब देखे गी,,, और उसका यह ख्वाब हकीकत में बदलने वाला था,,, लेकिन इसके लिए अभी समय बाकी था लोहा धीरे-धीरे गरम हो रहा था बस हथोड़ा मारने की देरी थी,,, हलवाई की बीवी भी चोर नजरों से रघु की तरफ देख ले रही थी जब जब उसकी नजर उसके उठे हुए टॉवल पर जाती तब तक उसके बदन में हलचल सी होने लगती थी।

हलवाई की बीवी एक नई रोमांस के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर ली थी जिंदगी में पहली बार शादी के बाद वह अपने पति के साथ धोखा करने जा रही थी पति के घर पर ना होने का पूरा फायदा उठाना चाहती थी,,,। यह सब उसके मन में रघु से मिली तब तक नहीं था लेकिन धीरे-धीरे रघु के प्रति वह पूरी तरह से आकर्षित होने लगी और इतनी ज्यादा आकर्षित हो गई कि उसके साथ संभोग सुख भोगने के लिए अपने आपको तैयार कर ली,,,। पेटीकोट और ब्लाउज में हलवाई की बीवी एकदम क़यामत लग रही थी अपनी भारी-भरकम शरीर और बड़े बड़े दूध और तरबूज जैसे गोल-गोल नितंबों की वजह से उसमें एक अजीब प्रकार का आकर्षण था जिसके आकर्षण में रघु पूरी तरह से अपने आप को खोता हुआ महसूस कर रहा था,,,।
लालटेन की पीली रोशनी में पूरा कमरा नहाया हुआ था वैसे तो सोते समय हलवाई की बीवी लालटेन की लौ को एकदम कम कर देती थी ताकि कमरे में अंधेरा हो जाए क्योंकि उजाले में उसे नींद नहीं आती थी लेकिन आज की बात कुछ और थी वह आज लालटेन को अपनी पूरी लौ के साथ जला रही थी,,, आज की रात में कोई भी कसर बाकी रखना नहीं चाहती थी अपना हर एक अंग खुलकर और खोलकर रघु को दिखा देना चाहती थी जिसकी शुरुआत वह अपनी साड़ी को उतारकर और अपनी ब्लाउज के दो बटन खोल कर कर चुकी थी,,,। रघु की आंखों के सामने साड़ी उठाकर नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब करना तो पेशाब करने की औपचारिकता थी लेकिन ब्लाउज के दो बटन खोल कर और साड़ी उतार कर चुदाई के लिए वह धीरे-धीरे अपने आप को आगे बढ़ा रही थी,,,,,

दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों के दोनों जल्दी से खटिया पर जाना चाहते थे जिसकी शुरुआत हलवाई की बीवी आगे बढ़कर कि वह जाकर सीधा खटिया पर लेट गई वह पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी भरावदार उन्नत छातियां एकदम ऊपर की तरफ मुंह उठाए ब्लाउज में कैद थी,,, उत्तेजना के मारे हलवाई की बीवी बहुत ही गहरी गहरी सांस ले रही थी और बड़ी ही मादक नजरों से रघु की तरफ देख रही थी,,,, उत्तेजना के मारे रघु का गला सूखता जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना है वह अनुभवहीन था लेकिन मन में जिज्ञासा भरी हुई थी औरतों के अंगों से खेलने की कल्पना ने उसे अपने आप में ही प्रचुर मात्रा में अनुभव से भर दिया था वह प्यासी नजरों से हलवाई की बीवी को नजर भर कर देख रहा था उसकी उठती बैठती सांसो के साथ उसकी भारी-भरकम चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जिससे रघु का कलेजा उत्तेजना के मारे मुंह को आ रहा था,,,। हलवाई की बीवी बेहद उत्सुक थी वह चाहती थी कि जल्द से जल्द आ रहा हूं उसके पास खटिया पर आ कर लेट जाए शादी के बाद से पहली बार वह किसी पराए मर्द के साथ लेटने जा रही थी,,,

आ जाओ रघु वहां क्यों खड़े हो,,,,( हलवाई की बीवी एकदम बाद अक्सर में बोलते हुए धीरे से अपनी एक काम को घुटनों से मोड़कर खड़ा कर दी जिससे उसकी पेटीकोट एकदम से उसकी नशीली चमकीली मोटी मोटी जांघों से होती हुई सीधे उसकी कमर पर जा गिरी पल भर में ही रहोगी आंखों के सामने हलवाई की बीवी की मोटी मोटी चिकनी नंगी जागे नजर आने लगी पृथ्वी को समझते देर नहीं लगी कि यह हरकत हलवाई की बीवी जानबूझकर की थी,,,,। रघु तो एकदम से होश खो बैठे उसकी इस हरकत की वजह से वह पूरा मदहोश हो चुका था आंखों में 4 बोतलों का नशा नजर आ रहा था वह तुरंत आगे बढ़ा और सीधा जाकर खटिया पर बैठ गया,,,,, जैसे ही रखो हलवाई की बीवी के बेहद करीब खटिया पर बैठा दोनों का बदन आपस में एकदम स्पर्श होने लगा दोनों के तन बदन में आग लग गई दोनों के मुंह से हल्की सी गर्म सिसकारी फूट पड़ी दोनों काम उत्तेजना के चरम सीमा पर पहुंच चुके थे जहां से वापस लौटना दोनों के लिए नामुमकिन था,,,,।

एक जवान मर्द को अपने बेहद करीब एक ही खटिया पर बैठे होने की वजह से हलवाई की बीवी के तन बदन में मस्ती की लहर उठ रही थी वह इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी वह बेशर्म की तरह अपनी नंगी चिकनी जांघ पर अपनी हथेली फेरते हुए रघु से बोली,,,।

बैठा क्यों है आजा लेट जा,,,,।

रघु बिना कुछ बोले खटिया पर लेट गया खटिया इतनी छोटी थी कि दोनों का बदन आपस में स्पर्श होने लगा,,, दोनों के बदन में पल भर में उत्तेजना भरी गर्माहट फैलने लगी,,,।
दोनों की सांसे उत्तेजना के मारे धुकनी की तरह चल रही थी,,,। रघु से रहा नहीं जा रहा था पहली बार बार किसी औरत के सामने एकदम सट कर लेटा हुआ था,,,। बार बार उसका गला सूखता चला जा रहा था और वह बार-बार धूप से अपने गले को गिला करने की नाकाम कोशिश कर रहा था तेज चलती सांसो की वजह से वह सहज नहीं हो पा रहा था और इस बात को अनुभवी हलवाई की बीवी समझ गई थी वह धीरे से रघु की तरफ करवट लेते हुए एक हाथ रघु की छातियों पर रखकर बोली,,,।

क्या हुआ रखो तुम्हें मेरे साथ सोने में अच्छा नहीं लग रहा है,,,।
( हलवाई की की बीवी के द्वारा धीरे-धीरे उसकी उंगलियों को परी नंगी चौड़ी छाती ऊपर महसूस करके रघु पागल हुआ जा रहा था वह सीधे पीठ के बल लेटा हुआ था जिसकी वजह से उसका लंड पूरी तरह से टॉवल में खड़ा था उसका मुंह उत्तेजना के मारे खुला का खुला रह गया था,,, अपनी तरफ करवट लेने की वजह से रघु को उसकी मोटी चिकनी जांगे बेहद मोटी लग रही थी,,, वह हड बढ़ाते हुए जवाब दीया,,,।)

चचचच ,,, चाची मुझे तुम्हारे साथ सोने में अच्छा तो बहुत लग रहा है लेकिन डर भी लग रहा है,,,।

डर कैसा मैं तुझे खा जाने वाली नहीं हूं,,,।
( रघु पूरे गांव में आवारा लड़कों के साथ ही घूमता था इसलिए उसे आवारागर्दी अच्छी तरह से मालूम थी और वह औरतों के मन में चल रहे भाव से अच्छी तरह से वाकिफ था वह हलवाई की बीवी के मन में क्या चल रहा है यह भी समझ गया था लेकिन यह उसका पहली बार था इसलिए घबराहट हो रही थी लेकिन जिस तरह से हलवाई की बीवी एकदम सहज भाव से उसे बातें कर रही थी और सब कुछ धीरे-धीरे खोल दी चली जा रही थी उसे देखते हुए रघु अपने आप से ही बातें करते हुए बोला यह क्या कर रहा है रघु यही सब तो तू चाहता था औरतों के साथ मस्ती करने की कल्पना में ही दिन रात खोया रहता था जब मौका ढूंढता था तब मौका तुझे नहीं मिलता था आज अपने आप से मौका मिल रहा है तो जो आंख क्यों चुरा रहा है कर दे जो तेरे मन में है हलवाई की बीवी पकवान से भरी हुई थाली है और उसे देखकर अगर मुंह चुरायेगा तो तो कभी भी अपना पेट नहीं भर पाएगा आज नहीं तो कभी नहीं,,,। यही सब सोचते हुए पल भर में ही रघु ने यह निर्णय कर लिया कि आज जो कुछ भी उसके साथ हुआ है उसे देखते हुए अगर आज वह हलवाई की बीवी को चोद नहीं पाया तो वह जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा इसलिए वह मन में ठान लिया था कि आज की रात जमकर हलवाई की बीवी को चोदेगा और चुदाई के अध्याय में अपना खाता खोलेगा,,,। यही सोचकर वह जवाब देते हुए बोला,,,।)

मुझे तुमसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता चाची,,,

फिर किस से डर लगता है,,,

तुम्हारी( इतना कहने के साथ ही रघु अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर हलवाई की बीवी की मोटे मोटे पेट के नीचे अपनी हथेली ले जाते हुए सीधा अपनी हथेली को उसकी गरम-गरम बुर पर रखते हुए उसे हल्के से दबाव देते हुए उसे रगड़ते हुए बोला,,,) इस बुर से,,,,,,

( जैसे ही रघु अपनी हथेली को हलवाई की बीवी की बुर पर रखा वैसे ही हलवाई की बीवी अपनी बुर पर रघु की हथेली को महसूस करते हैं एकदम से सिहर उठी और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।)

ससससहहहह,,,आहहहहह,,, रघु,,,,।

इस से डर लगता है चाची मुझे तुम्हारी बुर से,,,,( रघु एकदम बेशर्म की तरह हल्के हल्के हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर को अपनी हथेली से रगड़ ते हुए बोला,,,, जिंदगी में उसका यह पहला मौका था जब वह अपने हाथ से किसी औरत की बुर को स्पर्श कर रहा था,,, उसे यह स्पर्श बेहद उन्माद से भरा हुआ और बेहद अद्भुत महसूस हुआ था जिंदगी में किसी भी चीज को छूने में इतना आनंद उसे नहीं आया था जितना आनंद उसे हलवाई की बीवी की गुलाबी रंग की बुर को छूने में आ रहा था,,, रघु को अपने अंदर कुछ पिघलता हुआ महसूस हो रहा था,,, रघु की हरकत की वजह से हलवाई की बीवी की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि रघु उसकी बुर को लगातार अपनी हथेली को जोर-जोर से रगड़ रहा था,,,,। पल भर में ही रघु के साथ-साथ हलवाई की बीवी मदहोश होने लगी,,,, वह लंबी सांसे लेते हुए वापस पीठ के बल हो गई लेकिन रघु अपनी हथेली को उसकी दोनों टांगों के बीच से बाहर नहीं खींच पाया उसे मजा आ रहा था,,,।

ओहहहह,,, रघु तुझे ईससे डर क्यों लगता है जबकि तेरे जैसे छोकरे तो इसके पीछे पड़े रहते हैं,,,,( रघु की हथेली की रगड़ को अपनी बुर पर महसूस करते हुए वहां मस्ती भरी आवाज में बोली,,,।)

मैं भी हमेशा से बुर के ही सपने देखा करता था लेकिन कभी हकीकत में उसे नजर भर कर देखा नहीं था और ना ही उसे स्पर्श किया था,,,,। तुम्हारे इतने करीब आकर मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी जिसके लिए मैं तड़पता था मुझे उस बुर के दर्शन जरूर हो जाएंगे,,,।( रघु होले होले से अपनी हथेली को हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर पर मसलते हुए बोला,,,।)

क्या तुम्हें पूरा यकीन था कि आज तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी,,,,( हलवाई की बीवी रघु की तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,,।)

यकीन तो नहीं था लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था,,,( वह रघु के मोटे खड़े लंड को जो कि अभी भी टावर के अंदर तंबू सा शकल लिए खड़ा था उसे देखते हुए बोली,,,।)

धीरे-धीरे दोनों को मजा आ रहा है पहली बार रहो किसी औरत की बुर को अपनी हथेली से मसल रहा था और सच पूछो तो उसे बुर मसलने में इतना ज्यादा आनंद आ रहा था कि वह बयां नहीं कर सकता था बुर की नरमाहट और गर्माहट दोनों काबिले तारीफ थी,,, औरत की बुर छूने में मर्दों को इतना आनंद आता है इस बात का पता रघु को आज ही चल रहा था,,,। हलवाई की बीवी आनंदित होकर अपना मदन रस धीरे-धीरे बुर में से बहा रही थी जिसकी वजह से रघु की हथेलियां गीली होने लगी थी,,,, उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूखता चला जा रहा था आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था ऐसे में पूरा गांव चैन के लिए सो रहा था लेकिन हलवाई की बीवी और रघु दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी दोनों एक ही खटिया पर सोते हुए एक दूसरे के अंगों से मजा ले रहे थे,, दोनों के बीच पूरी तरह से खामोशी छाई हुई थी बस दोनों की गरम सिस कारीयो की आवाज उस घर में गूंज रही थी,,,।
पेट के बल लेट होने की वजह से हलवाई की बीवी की भारी-भरकम साथिया उसकी सांसों की गति के साथ होले होले ऊपर नीचे हो रही थी जो कि बेहद मादकता का अनुभव करा रही थी यह सब देख कर रघु के तन बदन में नशा सा छाने लगा था हालांकि अभी तक बुर को स्पर्श करने के बावजूद भी वह अभी अपनी आंखों से बुर के दर्शन नहीं कर पाया था,,, रघु अब तक बुर के भूगोल से पूरी तरह से अनजान था अच्छे से अपनी हथेलियों से स्पर्श करने के बावजूद भी उसके आकार की प्रतीति उसे बिल्कुल भी नहीं हो पा रही थी उसमें से निकल रहे चिपचिपी पदार्थ से वह पूरी तरह से व्याकुल हुए जा रहा था,,,। उस स्थिति पर बाजार की वजह से वह अपनी आंखों से हलवाई की बीवी की बुर के दर्शन करना चाहता था वह अपने आप को धन्य करना चाहता था दिन-रात औरतों के बदन को भरने के बावजूद भी वह औरतों के बदन से उनके अंगों से पूरी तरह से वाकिफ नहीं था आज की रात उसके लिए औरतों के बदन के भूगोल को समझने की रात थी आज के दिन वह पूरी तरह से मर्द बनना चाहता था,,, वह साफ तौर पर देखता रहा था कि उसके द्वारा बुर को रगड़ने की वजह से हलवाई की बीवी के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना खेल रही थी क्योंकि जब जब वह अपनी हथेली को जोर से उसकी बुर पर रगड़ता तब तब हलवाई की बीवी का बदन कसमसा ने लग रहा था बार-बार बाहर अपने गले को अपने ही थूक से गीला कर रही थी उसके चेहरे के हाव-भाव पूरी तरह से बदल चुके थे उत्तेजना के मारे उसका चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था,,,,। और वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी रघु को इतना तो पता चल ही गया था अब अगर वह उसके साथ कुछ भी करेगा तो वह उसका विरोध बिल्कुल भी नहीं करेगी क्योंकि वह खुद जा रही थी कि रघु सब कुछ उसके साथ करें इसलिए रघु की हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,।
इसलिए सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही बड़ी बड़ी चूची ऊपर उसका ध्यान पूरी तरह से केंद्रित हो चुका था ब्लाउज के अंदर के अनमोल खजाने को वह अपने हाथ में पकड़ कर उसे टटोलना चाहता था दबाना चाहता था उसके रस को रसगुल्ले की तरह अपने मुंह में भर कर निचोड़ना चाहता था,,,। रखो पूरी तरह से मदहोश हो चुका था औरत के अंगों के बारे में जानने की उत्सुकता है उसकी बढ़ती जा रही थी उसकी रसीली बुर के साथ वह बहुत देर से अपनी हथेली से खेल रहा था लेकिन अभी तक उसके दर्शन नहीं कर पाया था और अब जाकर उसका ध्यान पूरी तरह से हलवाई की बीवी की खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी चूची पर केंद्रित हो चुकी थी इसलिए वह धीरे से उठ कर बैठ गया उसे यू उठ कर बैठता हुआ देखकर हलवाई की बीवी बोली,,,।

क्या हुआ रघु,,,,

कुछ नहीं चाची तुम्हारी चूचियां परेशान कर रही है,,,।

( रघु के मुंह से चूचियां शब्द सुनकर वो एकदम से मंत्रमुग्ध हो गई उसे उम्मीद नहीं थी कि रघु इतनी जल्दी ओर इतना खुलकर बोल देगा,,, रघु की बातों के साथ ही उसका ध्यान अपनी बड़ी बड़ी चूचियों की तरफ गई थी जोकि अपनी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन को वह खुद अपने हाथों से ही खोल चुकी थी जिसकी वजह से लेटे होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारों की तरह इधर-उधर बिखरने के लिए बेताब थी लेकिन ब्लाउज में कैसे होने की वजह से बेहद कम सीन लग रही थी रघु की बात सुनते ही उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा के साथ-साथ होठों पर मुस्कुराहट भी तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

मेरी चूचियां तुझे इतनी परेशान कर रही है तो अपने हाथों से आजाद कर दे इन्हें,,,,( हलवाई की बीवी एकदम मादक स्वर में बोली साथ ही इन सब बातों के साथ वातावरण में हलवाई की बीवी की कलाई में ढेर सारी चूड़ियों की खनक की आवाज भी गूंज रही थी जिसकी वजह से वातावरण में मादकता का असर और ज्यादा फैलता चला जा रहा था,,। हलवाई की बीवी की तरफ से यह प्रस्ताव सुनते ही उत्तेजना के मारे रघु के रोंगटे के साथ-साथ उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया रघु अपनी जिंदगी में इस तरह का मादकता और उत्तेजना का अनुभव कभी नहीं किया था उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर हलवाई की खटिया पर लेटी हुई थी रघु के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी लेकिन आगे तो बढ़ना ही था एक औरत के द्वारा दिए गए प्रस्ताव को एक मर्द होने के नाते अगर वह पूरा नहीं करता तो एक औरत के सामने उसकी नजरों में वह गिर जाता उसकी मर्दानगी पर सवाल उठने खड़े हो जाते,,, लेकिन रघु के साथ ऐसा कुछ भी नहीं था वह तो मचल रहा था अपने हाथों से हलवाई की बीवी के ब्लाउज के बटन खोलने के लिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिया लेकिन जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की ब्लाउज को उतारने जा रहा था उसके बटन को खोलने जा रहा था इसलिए लाजमी था कि उसके हाथों में कंपन हो रहा था और यह देखकर हलवाई की बीवी मन ही मन खुश हो रही थी,,,, रखो अपने कांपते हाथों से अपनी उंगलियों का सहारा लेकर जैसे ही अपने हाथ को ब्लाउज के बटन खोलने के लिए उसके ऊपर रखा,,, हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी चूचियों की नरमाहट ऊसे अपनी उंगलियों पर महसूस हुई ऐसा लग रहा था कि जैसे वह नरम नरम रूई पर अपने हाथ रख रहा हो,,, एक जबरदस्त सुखद एहसास पूरी तरह से रघु के तन बदन में फैल गया और यही हाल हलवाई की बीवी का भी हो रहा था,,, रघु की उंगलियों को अपनी मदमस्त चुचियों पर महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो गई और उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होने लगा,,,,। रघु हलवाई की बीवी की आंखों में आंखें डाल कर देते हुए उसके ब्लाउज के बाकी के बटन खोलना शुरू कर दिया लेकिन लगातार उसके हाथों में कंपन हो रहा था जिसे देखकर हलवाई की बीवी बोली,,।

लगता है तो पहली बार किसी औरत के कपड़े उतार रहा है,,

ऐसा ही समझ लो चाची मैं सच में जिंदगी में पहली बार किसी औरत के ब्लाउज के बटन खोल रहा हूं,,,।

और तुझे कैसा लग रहा है कि औरत के ब्लाउज के बटन खोलने में,,,

पूछो मत चाची पूरे बदन में शोले फूट रहे हैं मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या कर रहा हूं मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया है,,, मुझे आज ऐसा महसूस हो रहा है कि जिंदगी में औरतों के कपड़े उतारने से बेहतरीन काम और कोई नहीं है,,,( ऐसा कहते हुए रघु हलवाई की बीवी के बटन खोलने लगा,,, रघु की बातें सुनकर हलवाई की बीवी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और वह उसे बड़े गौर से देख रही थी क्योंकि जैसे जैसे वह ब्लाउज के बटन खोलता जा रहा था वैसे वैसे उसके चेहरे के हाव भाव बदलते जा रहे थे देखते ही देखते रघु हलवाई की बीवी के ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया और जैसे ही ब्लाउज का आखरी बटन खुला हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी मस्त मस्त खरबूजे जैसी चूचियां एकदम से पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा गई हलवाई की बीवी की छातियां काफी बड़ी थी और ऊपर से उसकी दोनों मदमस्त चूचियां ऐसा लग रहा था कि तालाब में दो बत्तख छोड़ दिए गए हो और दोनों इधर उधर भाग रहे हो,,,, हलवाई की बीवी की लहराती हुई चुचियों को देखकर रघु के मुंह में पानी आ गया जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की चूची को इतने करीब से देख रहा था,,,। उत्तेजना के मारे रघु का गला सूख रहा था बड़ी बड़ी चूची को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी,,,, सांसे इतनी गहरी चल रही थी कि उसके नथूनों से निकल रही सांसो की गर्माहट सीधे हलवाई की बीवी के चेहरे तक पहुंच रही थी,,, रघु अपने पूरे होशो हवास को बैठा था एक बेहतरीन नजारा उसकी आंखों के सामने था जिसकी अब तक वह सिर्फ कल्पना ही करता रहा था,,, वह मन ही मन अपनी मां को ढेर सारी दुआएं दे रहा था कि उसकी वजह से ही उसकी जिंदगी में आज ऐसा पल आया था कि आधी रात के समय पर किसी खूबसूरत गैर औरत की खटिया पर बैठकर उसके ब्लाउज के बटन खोल कर उसकी चूचियों को देख रहा था,,। हलवाई की बीवी की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध ना होता देखकर धीरे-धीरे रघु की हिम्मत बढ़ने लगी थी इसलिए वह हलवाई की बीवी की इजाजत पाए बिना ही अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसे चुचियों को समेटने लगा हलवाई की बीवी की चूचियां इतनी बड़ी थी कि उसके दोनों हथेली में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,,, चूची को छूने पर कैसा महसूस होता है रघु को अब जाकर महसूस हुआ वह पागल हुआ जा रहा था,,,, उसकी चूचियों को हाथों में पकड़ने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि बाहर से कड़क दिखने वाली चूचियां वास्तव में रुई की तरह नरम होती है जिसे वह अपने हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया था,,, उसकी चुचियों को दोनों हाथों से पकड़कर दबाने में रघु को इतना आनंद आ रहा था कि वह मस्ती में आकर अपनी आंखों को मुंद लिया,,,,

जिस तरह से रघु उसकी चूचियों को दबा रहा था हलवाई की बीवी को समझते देर नहीं लगी थी रघु काफी ताकतवर है वह बड़ी ताकत लगाकर उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा था दबा क्या रहा था उबले हुए आलू की तरह मसल रहा था लेकिन उसके इस तरह से मसलने से हलवाई की बीवी की आनंद की पराकाष्ठा बढ़ती जा रही थी,,।

ओहहहह,,,, रघु कितना जोर जोर से दबा रहा है रे तू,,आहहहहह,,, मेरी तो जान ही निकली जा रही है,,,।

क्या करूं जाती जिंदगी में पहली बार किसी औरत की चूची को हाथ से पकड़ रहा हूं इसलिए मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,( रघु जोर-जोर से चूचियों को दबाता हुआ बोला,,)

तो क्या दवा दवा का जान निकाल लेगा क्या,,,

जान नहीं निकलेगी चाची मैं तो सुना हूं कि औरतों की चूचियों को जोर-जोर से जितना ज्यादा दबावों उतना ज्यादा मजा औरतों को आता है,,


हारे तुम्हें ठीक ही सुना है लेकिन तो कुछ ज्यादा ही जोर से दबा रहा है देख तूने मेरी चूची को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया है,,,।( हलवाई के बीवी गर्म आहें भरते हुए बोली)

यह सब छोड़ो चाची बस मजे लो,,,( इतना कहने के साथ ही फिर से रघु जोर-जोर से हलवाई की बीवी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया हलवाई की बीवी की चुचियों का कद इतना ज्यादा था कि उसकी हथेली में ठीक से आ नहीं पा रहा था तो वह रह रह कर एक ही चूची को दोनों हाथों से पकड़कर जोर जोर से दबा रहा था मानो किसी का गला घोट रहा हो लेकिन रघु की इस हरकत की वजह से हलवाई की बीवी का तन बदन एकदम मदहोश हुआ जा रहा था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी इसीलिए तो इस तरह से रगड़ रगड़ कर चूची को दबाने के बाद वह मस्ती में आकर आंखों को बंद कर ली थी,,

पहली बार औरतों की चूची हाथ में आते ही रघु के अरमान जागने लगे थे आज पूरी तरह से वह औरत के हर अंग से मजे लेने के इरादे से हलवाई की बीवी की चूचियों से खेल रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथों में चूची नहीं फुटबॉल आ गया हो,,,, धीरे धीरे हलवाई की बीवी पूरी तरह से स्तन मर्दन के कारण उत्तेजित हो चुकी थी और उत्तेजना में होने के कारण उसकी चूची की निप्पल एकदम कड़क होने लगी थी जिसका एहसास रघु को बराबर हो रहा था यह चूची में आए बदलाव को देखकर रघु उत्सुकता के साथ साथ उत्तेजना का भी अनुभव करने लगा उससे रहा नहीं गया चॉकलेट की शक्ल की कड़ी निप्पल को देखकर उसके मुंह में पानी आने लगा उसे मुंह में लेकर चूसना चाहता था इसलिए वह अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए अपने मुंह को चूची की तरफ आगे बढ़ाया और देखते ही देखते,,, पूरी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, जैसे ही हलवाई की बीवी को यह एहसास हुआ कि उसकी निप्पल को रघु अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया है तो इस अहसास से ही वह पूरी तरह से गदगद हो गई उसके मुंह से हल्की सी गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,।

ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,, रघु,,,,,,
( हलवाई की बीवी एकदम मस्ती भरे सिसकारी लेते हुए अपने दोनों हाथ को रघु के सर पर रख कर उसे हल्के से अपनी चूची पर दबाने लगी यह उसकी तरफ से ही सारा था कि पूरा मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दें और रघु ने वही किया क्योंकि उसकी भी ललक बढ़ती जा रही थी उसकी चूची को पूरी तरह से मुंह में लेकर चूसने की जितना हो सकता था उतना वह मुंह में भर कर उसकी चूची के निप्पल को चुची सहित चूसना शुरू कर दिया,,, पल भर में ही रघु के तन बदन में गर्माहट भर गई,,, जैसे जैसे वह औरतों के अंगों के बारे में समझता चला जा रहा था वैसे वैसे उनके साथ खेलने की युक्ति भी अपने आप ही उसके दिमाग में भर्ती चली जा रही थी उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों की हर अंग से अत्यधिक आनंद की अनुभूति होती है वह एक हाथ से चूची को दबाते हुए और दूसरे हाथ में चूची को भरकर उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था,,,। लेकिन हलवाई की बीवी की एक चूची से उसका मन नहीं भर रहा था वह कभी दाईं चूची को तो कभी भाई चूची को बारी-बारी से अपनी मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया हलवाई की बीवी रघु कि इसका मुख हरकत से पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गई,,, उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी साथ ही उसकी कलाई में ढेर सारी चूड़ियों की खनक से पूरा कमरा गूंज रहा था,,,।
बाहर ढेर सारे सीयारो का चिल्लाना जारी था लेकिन अपनी मादकता भरी सिसकारी और रघु की हरकतों की वजह से बदन में फैल रही उत्तेजना के कारण वह अब सब कुछ भूल चुकी थी,,,,, वह अपनी दोनों हथेली को रघु की नंगी पीठ पर ऊपर से नीचे घुमाते हुए उसके हौसले को बढ़ा रही थी,,, इस कशमकश में रघु केतन से उसका तो लिया कब छूट कर नीचे जमीन पर गिर गया उसे पता ही नहीं चला वह पूरी तरह से नंगा था उसका लंड अपनी औकात में आ चुका था,,, इधर-उधर हाथ घुमाते हुए हलवाई की बीवी की उत्सुकता बढ़ने लगी तो वह अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर जैसे ही रघु की टांगों के बीच अपना हाथ ले गई वैसे ही उसका खड़ा लंड उसके हाथ में आ गया और जैसे ही है उसका खड़ा मोटा तगड़ा लंबा लंड हलवाई की बीवी की नरम नरम हथेली में आया वह पूरी तरह से मस्त हो गई और उत्तेजना अवश्य जोर से रघु के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबा दी,,,, इस तरह से दबाए जाने से रघु को अपने लंड में हल्के दर्द का एहसास हुआ तो वह उत्तेजना में आकर अपने दांत से हलवाई की बीवी की कड़ी निप्पल को हल्के से काट लिया और हलवाई की बीवी सिसक पड़ी,,,,।
हलवाई की बीवी के हाथों में उसकी मुंह मांगी मुराद आ गई थी जिंदगी में पहली बार हुआ इतने मोटे तगड़े लंड से मुखातिब हो रही थी भले ही वह अपनी जवानी के दिनों में ढेर सारी लंड को अपनी बुर में ले चुकी थी लेकिन रघु के लंड में जो बात थी उसे इस बात का एहसास हो गया कि वह बात किसी के लंड में नहीं थी इतना मोटा तगड़ा और लंबा लंड वह जिंदगी में पहली बार देख रही थी और उसे अपने हाथ में लेकर उससे खेल रही थी,,,
रघु पागल हुआ जा रहा था पहली बार उसका लंड किसी औरत के हाथ में जो आया था हलवाई की बीवी होले होले से रघु के लंड को मुठिया रही थी और इस क्रिया को एक औरत के हाथों होता देख और उसे महसूस करके रघु सातवें आसमान में उड़ने लगा था वह जोर-जोर से हलवाई की बीवी की दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर जोर-जोर से पीना शुरू कर दिया था हलवाई की बीवी की हालत पर फल खराब होती जा रही थी वह उत्तेजना के मारे अपना सर दाएं बाएं पटक रही थी और साथ ही रघु के लंड को जोर-जोर से अपनी मुट्ठी में दबा कर हिला रही थी उसे इस बात का आभास हो चुका था कि कुछ देर बाद उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में जाने वाला है और इस बात से वह बेहद खुश थी आज की रात उसके लिए बेहतरीन रात होने वाली थी अपनी पति की गैरमौजूदगी में जिस तरह का कदम उसने उठाई थी उससे उसकी शरीर की भूख मिटने वाली थी ऐसा उसे ज्ञात हो चुका था वरना अब तक अपने पति की की हरकतों से केवल वह गर्म होती थी उसे ठंडा करने की ताकत उसके पति में बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

खटिया पर हलवाई की बीवी और रघु का घमासान मचा हुआ था दोनों एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे रघु पूरी तरह से नंगा था और हलवाई की बीवी के बदन पर अभी भी पेटीकोट बंधी हुई थी,,,। जिसे रघु अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलना शुरू कर दिया था और रघु की इस हरकत की वजह से हलवाई की बीवी को समझते देर नहीं लगी की ब्लाउज के बटन खोलने वाला रघु अब उसके पेटीकोट को खोलकर उसे पूरी तरह से नंगी कर देगा,,, और नंगी होने के अहसास से ही वह पूरी तरह से मस्त होने लगी उसके बदन में कसमसाहट होने लगी,,।
हलवाई की बीवी की दिल की धड़कन तेज हो गई रघु की एक-एक हरकत उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,, संपूर्ण रूप से नंगी होकर हलवाई की बीवी बहुत ही कम बार चुदवाई थी अक्सर वह कपड़े पहने हुए हालत में ही चुदवाती आ रही थी ज्यादा से ज्यादा ब्लाउज के बटन खुल जाते थे लेकिन ब्लाउज पूरी तरह से बदन से अलग नहीं होता था और चोदने के लिए बस काम भर की जगह ,,,बस साड़ी को कमर तक उठाकर शुरू पड़ जाता था उसका आदमी,,,। और जवानी के दिनों में भी बहुत ही कम कार ही ऐसा मौका मिला था जब वह निश्चिंत होकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर चुदाई का आनंद ली थी वरना इतना समय ही नहीं मिलता था कहीं खेत में तो कहीं छत पर तो कहीं पेड़ के पीछे बस सलवार की डोरी खोल कर उसे जांघों तक नीचे गिरा कर थोड़ा सा झुक जाती थी,,, और चुदाई हो जाती थी,,,। लड़कों में भी इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि उसके सारे कपड़े उतार कर चुदाई का मजा ले क्योंकि उनके पास भी समय का अभाव होता था समय का अभाव का मतलब की यह डर की कोई देख ना ले इसलिए जल्दी काम खत्म करने के चक्कर में हलवाई की बीवी के संपूर्ण नंगे बदन के दर्शन भी नहीं कर पाते थे बस उसकी बुर में लंड पेल कर,,, और ज्यादा कुछ हुआ तो कुर्ती के ऊपर से दोनों नारंगीयो को दबाकर मजा ले लिए,,, लेकिन हलवाई की बीवी को एहसास हो गया कि रघु उनमें से बिल्कुल ही अलग है,,, क्योंकि वह उसके साथ एकदम इत्मीनान से आनंद ले रहा था और आनंद दे भी रहा था,,,।
चूचियों को तो पहले से ही वह दबा दबा कर एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया था,,, पहली बार हलवाई की बीवी को स्तन मर्दन में इतना ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी क्योंकि जिस शिद्दत से वह उसकी चुचियों पर डटा हुआ था उस तरह से आज तक उसके पति ने भी उसकी चुचियों से नहीं खेला था,,,।
रघु भी अपने आप को पूरी तरह से हलवाई की बीवी के हर एक अंग से खेल कर अपने आप को तृप्त कर लेना चाहता था इसलिए उसके हर एक अंग पर कुछ ज्यादा ही समय देते हुए उससे पूरा रस निचोड़ रहा था क्या करें रघु की कल्पना जो साकार होती नजर आ रही थी जिंदगी में पहली बार वह खरबूजे जैसी चुचियों को अपने हाथों में लेकर उससे खेल रहा था,,,।

लेकिन धीरे-धीरे हलवाई की बीवी के हालात पूरी तरह से बिगड़ते जा रहे थे लेकिन आनंद की परी काष्ठा बढ़ती जा रही थी क्योंकि अब रघु धीरे-धीरे करके उसकी पेटीकोट की डोरी को खोल चुका था,,, डोरी के खुलते ही नितंबों के घेराव के इर्द-गिर्द कसी हुई पेटीकोट एकदम ढीली हो गई,,, डोरी के खुलते ही रघु की भी हालत खराब होने लगी हलवाई की बीवी की मदमस्त भरी हुई जवानी की गर्मी उसके तन बदन से पसीने छुड़ा रही थी,,, हलवाई की बीवी इस बात से और ज्यादा खुश थी कि इस उम्र के दौरान भी वह जवान होते मर्दों के भी पसीने छुड़ाने में सक्षम थी,,, रह रह कर दोनों का गला उत्तेजना के मारे सूख जा रहा था और दोनों अपने थुक से अपने सूखे गले को गिला करने की कोशिश कर रहे थे,,, डोरी को खोल कर रखो हलवाई की बीवी के चेहरे की तरफ देखा तो वह उत्तेजना के मारे पूरी मदहोश हो चुकी थी उत्सुकता कामोत्तेजना और शर्म की लालिमा साफ उसके चेहरे पर झलक रही थी,,, लेकिन इन सब के दौरान भी उसके हाथ में रघु का लंड बरकरार था वह उत्तेजना के मारे जोर जोर से रघु के लंड को दबा रही थी,,, उसे भी आश्चर्य हो रहा था क्योंकि काफी देर से वह रघु के लंड से खेल रही थी लेकिन उसके लंड नहीं अभी तक पानी नहीं फेंका था वरना उसके पति का होता तो बस थोड़ा सा सहलाने पर ही पानी फेंक देता था,,, हलवाई की बीवी की पेटीकोट को उतारकर उसे नंगी करने के लिए रघु पूरी तरह से तैयार हो चुका था लेकिन इससे पहले वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी के खुले हुए ब्लाउज पर रखकर उसे उतारने की कोशिश करने लगा तो हलवाई की बीवी समझ गई कि रघु क्या करना चाहता है इसलिए खुद हल्के से थोड़ा सा ऊपर उठ गई और उसे अपना ब्लाउज अपनी दोनों बांहों में से निकलवाने में मदद करने लगी और देखते ही देखते रघु उसके दोनों बांहों में से उसके ब्लाउज को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया कमर के ऊपर हलवाई की बीवी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,, उसकी दोनों चूचियां ब्लाउज की कैद से संपूर्ण रूप से आजाद हो चुकी थी और अपने पंख फड़फड़ा ते हुए उन्नत पहाड़ियों की तरह छातियों की शोभा बढ़ा रही थी,,
उसकी गहरी नाभि बेहद खूबसूरत लग रही थी रघु उसकी गहरी नाभि को देखा कर उसे चुंबन लेने की अपनी लालसा और लालच को रोक नहीं पाया और धीरे से झुक कर उसकी नाभि पर अपने होंठ रख दिए,,, जैसे ही रखो उसकी नाभि ऊपर अपने प्यासे होंठ को रखा वैसे ही हलवाई की बीवी उत्तेजना के मारे सिहर उठी उसके मुंह से हल्की सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,

ससससहहहह,,,आहहहहहहह,, रघु,,,,,,ओहहहहहह,,,

हलवाई की बीवी का इतना कहना था कि रखो अपनी जीत को बाहर निकाल कर उसकी नाभि की गहराई में उतार कर उसे गोल गोल घुमा कर चाटने का आनंद लेने लगा इससे पहले रघु को इस तरह के ज्ञान का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था लेकिन धीरे-धीरे हलवाई की बीवी की संगत में वह अपने आप से ही सब कुछ सीखता चला जा रहा था हलवाई की बीवी रघु की इस हरकत से बेहद कामुक सिसकारियां लेने लगी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द ने उसकी गहरी नाभि पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन किया था और उसमें अजीब डालकर उसे चाटने की एक अद्भुत प्रयास किया था जिससे हलवाई की बीवी पूरी तरह से काम विह्वल हो चुकी थी,,,, रघु को मजा आ रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपने दोनों हाथ एली को हलवाई की बीवी के कमर के इर्द गिर्द रखकर उसे जोर से दबाते हुए उसकी नाभि को चाटने का आनंद ले रहा था,,,। हलवाई की बीवी की हालत पर्पल खराब होती जा रही थी बार-बार उसकी बुरे से उत्तेजना के मारे मदन रस बह रहा था जिससे उसकी पेटीकोट नीचे की तरफ से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,।

ससससहहहह,,,आहहहहहहह, रघु में पागल हो जाऊंगी तू यह क्या कर रहा है मुझसे रहा नहीं जा रहा,,,आहहहहहहह,,,, रघु,,,,ऊमममममम,,,


हलवाई की बीवी की गर्म से इस कार्यों की वजह से रघु अपने तन बदन में और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था लेकिन उसका भी लंड पूरी तरह से टन्नाया हुआ था,,, जो कि अभी भी हलवाई की बीवी के हाथ में ही था ना जाने कैसा आकर्षण था कि वहां रखो के मोटे तगड़े लंड को किसी भी हालत में छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थी पहली बार हुआ इतनी देर तक किसी बंद को अपने हाथ में लेकर उससे खेल रही थी और ताज्जुब इस बात की थी कि अभी तक उसकी नरम नरम उंगलियों की गर्माहट पाकर भी उसका लंड अपना लावा पिलाया नहीं था बल्कि ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी नरम नरम उंगलियों का सहारा पाकर उसमें और ज्यादा मर्दाना जोश भरता चला जा रहा था,,,, कुछ देर तक रघु उसकी नाभि में ही डाटा रहा ऐसा लग रहा था कि जैसे वह नाभि के सहारे उसके पेट में उतर जाएगा उसका बस चलता तो वह अपनी लंड को उसकी नाभि में डालकर उसकी चुदाई कर देता क्योंकि वैसे भी हलवाई की बीवी के मोटे पेट के कारण उसकी नाभि की गहराई काफी गहरी थी,, रघु के लंड में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से हो रहा था,,,। अब वह हलवाई की बीवी को पूरी तरह से नंगी करना चाहता था इसलिए वह अपने दोनों हाथों को उसकी पेटीकोट पर रखकर नीचे खींचने वाला था कि एक नजर हलवाई की बीवी की तरफ डाला वह उसे ही बड़ी उत्सुकता से देख रही थी और जैसे रघु की आंखों की भाषा व आंखों से ही पढ़ ली हो इस तरह से वह रघु के इशारे को समझते हुए अपनी भारी-भरकम गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी,,, उसकी यह अदा पर रघु पूरी तरह से चारों खाने चित हो गया,,,, यही एक खास अदा होती है औरतों में अगर वह किसी मर्द के साथ संभोग नहीं करना चाहती है तो वह कभी भी उसे इस तरह से अपनी पेटीकोट या कपड़ा उतारने नहीं देगी लेकिन जब उस की हानि होगी तो खुद ब खुद उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊपर की तरफ उठ जाएगी ताकि उसका साथी है उसका पेटीकोट या उसका कपड़ा उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर सके,,,। और हलवाई की बीवी पूरी तरह से तैयार थे इसलिए जैसे ही हो अपनी गांड उठा कर रखो का सहकार देने की कोशिश की है सही मौके का फायदा उठाकर रघु उसकी पेटिकोट को उसकी बड़ी बड़ी गांड से नीचे की तरफ खींच कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,,,। अब रघु की आंखों के सामने हलवाई की बीवी खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी,,, लेकिन एक अनजान लड़के के सामने वह पूरी तरह से सर में से गाड़ी जा रही थी वह बार-बार शर्म के मारे अपने चेहरे को इधर-उधर घुमा ले रही थी ना जाने क्यों इस समय वह रघु से आंखें मिलाने से कतरा रही थी,,,, उसका शर्माना रघु के कलेजे पर छुरियां चला रही थी जितना भी शर्म आ रही थी उतना ज्यादा उत्तेजना का अनुभव रघु अपने बदन में कर रहा था उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघें लालटेन की पीली रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी,,, हलवाई की बीवी के संपूर्ण नंगे बदन को देखकर रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था जिंदगी में पहली बार में किसी औरत को एकदम नंगी देख रहा था हालांकि पहले भी वह औरतों के नंगी गांड और कभी कबार उनकी चुचियों के दर्शन कर चुका था लेकिन उसका यह पहला मौका था जब वह संपूर्ण रूप से एक औरत को नंगी देख रहा था,,,। पेटिकोट को उतारते समय हलवाई की बीवी के हाथ से रघु का लंड छूट गया था जिससे वो और ज्यादा तड़प उठी थी हलवाई की बीवी अपनी मोटी मोटी जागो को आपस में सटाकर अपने अनमोल खजाने को छुपाए हुए थी,,,, और वही देखने के लिए रघु के तन बदन में आग लगी हुई थी,,,, इस समय दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी क्योंकि दोनों की बातें केवल इशारों में ही हो रही थी,,,।
रघु अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों पर हाथ रखते हुए उसे एक दूसरे से दूर करने की कोशिश करने लगा लेकिन हलवाई की बीवी शर्म के मारे कसके अपनी दोनों टांगों को आपस में सट आए हुए थे और घुटनों से मोड़ें हुए थी,,,,

यह क्या कर रही है चाची अपनी टांगे खोलो मुझे देखना है,,,।

क्या देखना है तुझे मुझे शर्म आ रही है ऐसे ही रहने दें,,,


शर्म किस बात की चाची मैंने अपने हाथों से ही तुम्हारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी किया हूं और अब शर्म कैसी,,,

पता नहीं लेकिन ना जाने क्यों तेरे सामने मुझे शर्म आ रही है,,,।

यह शर्म भी जाती रहेगी चाची बस एक बार अपनी दोनों टांगों को खोल दो मुझे अपने अनमोल खजाने को देखने दो मैं अपनी नजरों से तुम्हारे खजाने को लूटना चाहता हूं,,,,


नजरों से लूटकर कुछ नहीं होगा ना मेरा ना तुम्हारा इसे लूटने के लिए तुम्हें अपना हाथ लगाना होगा,,,
( हलवाई की बीवी शर्मा भी रही थी और इशारों में ऐसे अपनी अंदरूनी अंगों को छूने की इजाजत भी दे रही थी,,।)

तो देर किस बात की है चाची खोलो अपनी टांगों को मैं अपने हाथ से नहीं बल्कि अपने होठों से टटोलकर तुम्हारी बुर को देखना चाहता हूं,,,।( इतना कहते हुए रघु एक बार फिर से अपनी दोनों हथेली को हलवाई की बीवी की नंगी जांघों पर रख दिया।)


ससससहहहह,,, रघु,,,,,, तेरे हाथों में जादू है रे,,,,

तो इस जादू को बढ़ जाने दो चाची,,, तुम नहीं जानती कि मैं तुम्हारी बुर को देखने के लिए कितने तड़प रहा हूं,,,
( रघु के मुंह से बुरे शब्द सुनते ही हलवाई की बीवी का पूरा बदन उत्तेजना के मारे कसमस आने लगा उसकी यह बात सुनते ही वह भी अपनी दोनों टांगों को खोल देना चाहती थी,,।)

क्यों अभी तक किसी की बुर नहीं देखा क्या,,,।

तुम पहली औरत हो चाची जिसकी बुर और जिस के नंगे बदन को मैं आज मैं देख रहा हूं,,,, बस चाची अब मत तड़पाओ,,, खोल दो अपनी टांगों को और समा जाने दो मुझे अपनी टांगों के बीच में,,,,( इतना कहने के साथ ही जैसे ही रघु हलवाई की बीवी की मोटी मोटी टांगों को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर लगाते हुए एक दूसरे से अलग करने की कोशिश किया वैसे ही हलवाई की विधि संपूर्ण रूप से अपनी इच्छा दर्शाते हुए अपनी दोनों टांगों को खोल दी और जैसे ही हलवाई की बीवी की दोनों टांगे खुली रघु उसकी टांगों के बीच के दृश्य को देखता ही रह गया लालटेन की पीली रोशनी में हलवाई की बीवी की रसीली बुर की गुलाबी फांकें बेहद साफ नजर आ रही थी,,,, एक चीज और उसकी नजर में आई थी जो कि उसे बेहद आश्चर्य कर गई थी उसे अब तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि औरतों के गुप्त अंग पर भी बाल होते हैं जैसे कि उसके लड़के इर्द-गिर्द थे वह हलवाई की बीवी की बुर के ऊपर के घुंघराले रेशमी बालों को देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया उससे रहा नहीं गया और अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपनी उंगलियों से छूने लगा रघु की इस हरकत पर हलवाई की बीवी एकदम से सिहर उठी,,,, ।

ओहहहह रघु,,,,, अब देख ले तेरी आंखों के सामने तुझे जो करना है कर ले,,,।
( हलवाई की बीवी की तरफ से यह कहना एकदम साफ इशारा था कि अब वह उसे चोदने के लिए कह रही थी,,, और आमतौर पर यही होता भी था उसके साथ जैसे ही वह थाने खोल दी थी उसका आदमी उस पर चढ़कर उसकी बुर में लंड डालकर बस दो-चार धक्के नहीं झड़ जाता था,, उसका आदमी क्या शादी के पहले जवानी के दिनों में जिसके लिए भी अपनी दोनों टांगे खोली थी वह सीधा उसकी बुर में लंड पेन देता था लेकिन शायद रघु उन मर्दों में से बिल्कुल भी नहीं था वह हलवाई की बीवी की बुर के आकार का पूरी तरह से मुआयना कर रहा था उसे बड़ा ही ताज्जुब और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था वह बड़े गौर से अपनी उंगलियों से टटोल टटोलकर उसकी बुर को उसकी रूपरेखा को देख रहा था उसमें से मदन रस का रिसाव बराबर हो रहा था जिससे उसकी उंगलियां गीली होती चली जा रही थी लंड में ऐसा महसूस हो रहा था कि उस की नसें फट जाएंगे इतना अत्यधिक वह उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,।
रघु की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह दोनों टांगों के बीच आ गया और धीरे से अपने चेहरे को उसकी बुर के करीब ले जाने लगा,,,। जैसे-जैसे उसका चेहरा हलवाई की बीवी की टांगों के बीच के एकदम करीब आता जा रहा था वैसे वैसे बउर से उठा रही मादक खुशबू उसके नथुने से होकर उसकी छातियों में भर रही थी एक अद्भुत एहसास उसके तन बदन में छा रहा था और देखते ही देखते उसके होंठ कब उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों पर स्पर्श कर गए यह ना तो रघु को पता चला और ना ही हलवाई की बीवी को जब इस बात का आभास हुआ तब काफी देर हो चुकी थी रघु भी बेहद ताज्जुब में था कि यह कैसे हो गया,,, उसके होंठ औरतों के उस अंग पर कैसे पहुंच गए जहां से वह पेशाब करती है लेकिन अब रखो मैं इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपने होठों को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों से जुदा कर सके क्योंकि उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी ना जाने यह कैसा सुख था जिसे वह महसूस तो कर रहा था लेकिन समझ नहीं पा रहा था,,,। देखते ही देखते उसके होंठों के बीच से उसकी जीभ बाहर निकल कर उसकी बुर में समा गई वह थोड़ी ही देर में अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया एक अद्भुत सुख का अहसास हलवाई की बीवी को अपने आगोश में ले लिया वह समझ ही नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है,,, उसे तो आज तक उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बावजूद भी पता नहीं था कि औरतों की बुर चाटी भी जाती है और उसमें औरत को बेहद सुख की अनुभूति होती है,,,। हलवाई की बीवी पागल हुए जा रही थी लगातार उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी जो कि पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,। उसकी गरम शिसकारियों की आवाज छोटा कमरा होने के नाते उसे बाहर भी जाती होगी लेकिन आधी रात के समय उसे सुनने वाला कोई नहीं था,,,। रघु तो पागल हुआ जा रहा था वह पूरी तरह से हलवाई की बीवी की रसीली बुर को चाट रहा था जो कि इस समय फुल कर एकदम कचोरी जैसी हो चुकी थी वह अपनी हथेली की उंगलियों को भी उस पर रगड़ रहा था लेकिन अभी तक उसे बउर के गुलाबी छेद के बारे में पता नहीं था,,, इतनी देर से हलवाई के बीवी के रंगों से खेलने के बावजूद भी उसे इस बात का पता अब तक नहीं चला था कि अपने लंड को औरत की बुर में कैसे डालते हैं,,, लेकिन इस बात का पता उसे जल्द ही चल गया क्योंकि वह हलवाई की बीवी की बुर को चाटने के साथ-साथ अपनी उंगलियों को उस पर रगड़ भी रहा था जिससे उसकी एक उंगली झट से उसकी बुर की गुलाबी छेद में उतर गई और वह उस समय एकदम से घबरा गया उसका दिल धक से कर गया लेकिन उसे इस बात का आभास हो गया कि इसी क्षेंद में लंड को डाला जाता है,,,
गुलाबी छेद के बारे में पता चलते ही रघु से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने लंड को उसकी बुर के अंदर डालकर उसको चोदना चाहता था और यही हाल हलवाई की बीवी का भी था वह पागल हुए जा रही थी,,,। अपनी बुर के अंदर रघु की उंगली को महसूस करते ही उससे सब्र करना मुश्किल हुए जा रहा था और उत्तेजना बस रघु अपनी घुसी हुई उंगली को जोर-जोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,,, हलवाई की बीवी के माथे से पसीना छूटने लगा बड़ी तेजी से रघु की उंगली उसकी बुर के अंदर बाहर हो रही थी वैसे तो लुगाई की बीवी के मोटे तगड़े शरीर के हिसाब से छोटी सी उंगली की कोई भी साथ नहीं थी लेकिन कई महीनों से उसकी बुर के अंदर अच्छी तरह से लंड प्रवेश नहीं किया था इसलिए लोगों की उंगली से भी उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, रघु की हरकत की वजह से हलवाई की बीवी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,

ससससहहहह,,,आहहहहहहह,,,,ओहहहहहह, रघु,,,,, मेरे राजा तूने तो कमाल कर दिया है रे,,,। तेरी मुरली से जब इतना मजा आ रहा है तो जब तेरा लंड मेरी बुर में जाएगा तब कितना मजा आएगा,,,,।

ओहहहह, चाची यह क्या कह रही हो चाची,,,, तुम्हारी बातों से तो मुझे नशा चढ़ने लगा है,,,आहहहहहहह,,,,, चाची,,,,, बहुत गरम बुर है तुम्हारी,,,,,,
( हलवाई की बीवी के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर हो पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह जोर-जोर से अपनी उंगली को चाची की बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते वह अपनी दूसरी वाली को भी उसकी बुर के अंदर सरका दिया,,,, दूसरी उंगली के बुर में घुसते ही हलवाई की बीवी एकदम मदहोश होने लगी,,,, अब उसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था अब वह चाहती थी कि रघु अपनी उंगली बाहर निकाल कर इतना मोटा तो बड़ा लंड उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दे और रघु भी यही चाह रहा था,,,। हलवाई की बीवी कुछ बोलती इससे पहले ही वह अपनी उंगली को बाहर निकाल कर कुछ पल के लिए गहरी गहरी सांसे लेने लगा,,,, दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था हलवाई की बीवी का तो पानी निकल चुका था लेकिन वह असली सुख के लिए तड़प रही थी और रघु अभी तक पूरी तरह से बरकरार था उसके लंड में उत्तेजना चिंगारियां फूट रही थी लेकिन अभी तक उसका ज्वाला फूटा नहीं था,,,, लेकिन अब वक्त आ गया था असली खेल का जो कि आज तक रघु ने नहीं खेला था,,,, रघु को शांत होता देखकर हलवाई की बीवी हल्के से अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा और फैला दी और अपने हाथों की कहानी का सहारा लेकर थोड़ा सा ऊपर उठी और अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच दौड़ाने लगी हलवाई की बीवी अपनी बुर का मुआयना कर रही थी वह देखना चाहती थी कि रघु की उंगली से चुदकर उसकी बुर का क्या हाल है,,,,, और अपनी बुर को देखते ही उसे एहसास हो गया कि उसकी बुर का बुरा हाल था,,, उत्तेजना और लंड की लालच में उसकी बुर फूल कर एकदम कचोरी जैसी हो गई थी,,,, रेशमी बालों के झुरमुट के बीच उसकी गुलाबी रंग की पत्तियां बेहद मोहक लग रही थी,,,, आज बरसों के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बुर का आकर्षण अभी भी पहले की ही तरह है भले ही थोड़ा सा खुल गई हो तो क्या हुआ अभी भी उस में इतना जोश भरा हुआ है कि वह इस जवान लड़के को अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित कर रही है,,,।

आज की रात हलवाई की बीवी कुछ ज्यादा ही बेशर्मी दिखा रही थी,,,, वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी अपने बदन की उत्तेजना उससे दब नहीं रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,। हलवाई की बीवी की मदहोशी को देखकर रघु बोला,,,।

कैसा लगा चाची,,,,( रघु अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हलवाई की बीवी को दिखा कर हिलाते हुए बोला,,,)

बहुत मजा आया लेकिन में चाहती हूं कि तू अपने इस,,( एक हाथ की उंगली से रघु टैलेंट की तरफ इशारा करते हुए और दूसरी हथेली को अपनी गुलाबी बुर पर रगड़ ते हुए,,) मोटे तगड़े लंड को मेरी बुर में डालकर मेरी चुदाई कर दे,,,,, रघु,,,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,।

तुम मुझसे ही कहां रहा जा रहा है चाचा मैं तो तुम्हारी आज्ञा का इंतजार कर रहा था,,,,।


आज की रात तुझे मेरी तरफ से पूरी छूट है तू जो चाहे वह मेरे साथ कर सकता है,,,, बस मुझे मस्त कर दे मुझे तृप्त कर दे प्यासी मत छोड़ना अधूरी मत छोड़ना,,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाचा मेरा यह लंड तुम्हारी बुर में जाकर ऐसा गदर मचाएगा की तुम्हारी आंखें फटी की फटी रह जाएगी,,,, आज तुम्हारी बुर को चोद कर भोसड़ा बना दूंगा,,,,( रघु अपने टन टनाए हुए लंड को हिलाते हुए बोला,,,,।)

कहने और करने में बहुत फर्क होता है रघु मैंने अच्छे-अच्छे को बीच मझधार में डूबते हुए देखी हूं,,,,, मुझे नहीं लगता कि तू मेरी बुर की प्यास बुझा पाएगा,,,,,( हलवाई की बीपी लगातार रघु को उकसाने हुए अपने गुलाबी बुर को जोर जोर से मसल रही थी और यह देखकर और उसकी बातें सुनकर रघु का पाना चढ़ने लगा था,,,,, वह उसकी बातें सुनकर एकदम जोस से भर चुका था और वह खटिया पर से खड़ा हो गया और एक तरह से अपने लंड को अच्छी तरह से हलवाई की बीवी को दिखाते हुए बोला,,,।)

अगर आज चाची मैं तुम्हारी बुर का भोसड़ा ना बना दिया तो मैं कभी अपनी शक्ल तुम्हें नहीं दिखाऊंगा,,,,।


बोल मत कर के दिखा,,,,

यह बात है तो रुको आज मैं तुम्हें दिखा देता हूं कि यह रघु क्या चीज है,,,,।( इतना कहने के साथ ही रखो कटोरी में रखे हुए सरसों के तेल को अपनी हथेली पर गिरा कर उसे अच्छे से अपने लंड पर लगाकर मालिश करने लगा,,, रघु अक्सर अपने घर में सरसों के तेल से अपने लंड की मालिश किया करता था,,, तभी तो सरसों के तेल को पी पी कर उसका लंड एकदम मुसल की तरह हो गया था,,, आधी रात से ज्यादा का समय हो चुका था पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था,,, केवल कुत्तों के भौंकने और सियार के चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी,,,, गांव में कजरी अपने बेटे रघु का इंतजार कर कर के थक हार कर सो गई उसे क्या पता था कि आज रघु घर से बाहर निकल कर हलवाई की बीवी के साथ अपनी मर्दानगी का खाता खुलवा रहा है,,,, और हलवाई की बीवी का आदमी दूर किसी गांव में नदी में पकोड़े छानने में व्यस्त था और उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि वह उधर शादी में पकौड़ी छान रहा है और उसकी बीवी घर में गैर मर्द से अपनी कचोरी पर चटनी गिरवानी के लिए आतुर है,,,,।

छोटे से कमरे का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था लालटेन की पीली रोशनी में हलवाई की बीवी का नंगा बदन पूरी तरह से नहाया हुआ था,,,,। रघु बड़े अच्छे से सरसों तेल से अपने लंड की मालिश कर रहा था जैसे कि एक सैनिक युद्ध के मैदान में जाने से पहले अपने बंधु को मैं तेल पानी देकर उसे एकदम दुरुस्त कर लेता है ताकि गोली ठीक समय पर फूटे,,,,,,

आप अपने लंड की मालिश करते करते सुबह कर दोगे या इधर भी आओगे मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,,।

चिंता मत करो रानी तुम्हारी बुर की आग में ही बुलाऊंगा मुझे ऐसा लग रहा है कि आज मेरी मां ने मुझे घर से मेरा उद्धार करने के लिए ही निकाली थी साथ में तुम्हारा भी उद्धार मेरे ही लंड से होगा,,,
( हलवाई की बीवी रघु के मुंह से कितनी खुली बातें सुनकर एकदम मस्त होने लगी मदहोशी उसकी आंखों में छाने लगी वह पूरी तरह से नशे में हो गई थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी पुर में चीटियां रेंग रही हो वह जल्द से जल्द रघु के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी वह उसकी मोटाई को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर महसूस करना चाहती थी,,,। वह जिस तरह से अपनी हथेली से लगातार अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों को मसल रही थी उसे देखते हुए रघु के सब्र का बांध टूटने लगा,,,, और वह अपने सरसों में सने हुए लंड को एक हाथ से हिलाते हुए सीधे खटिए पर बैठकर अपने लिए हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों के बीच जगह बनाने लगा,,, खटिया पर आते ही हलवाई की बीवी अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा और फैला दी,,,,। सही मायने में औरतों का यही रूप सबसे ज्यादा कामुक होता है उनकी यह हरकत बेहद कामाोतेजना और कामुकता से भरी होती है,,,, कितना मोहक और बेहद आकर्षक लगता है और कितना अतुल्य पल होता है जब एक औरत एक मर्द के लिए अपनी दोनों टांगों को खुद ब खुद खोलती है यह उसकी तरफ से पूरी तरह से समर्पण की स्वीकृति होती है,,,, और औरत का यही रूप देखने के लिए हर मर्द लालायित रहता है,,,, रघु को भी हलवाई की बीवी की यह अदा और हरकत बेहद मनमोहक और आकर्षक लगी थी,,,, और उसकी यही हरकत पर रघु का लंड अपना मुंह उठाकर उसकी मदमस्त जवानी को सलामी भर रहा था,,,,।

बिना अनुभव के बिना किसी दिशानिर्देश के रघु खटिया पर अपने घुटनों के बल होकर हलवाई की बीवी की दोनों टांगों को अपने हाथों से फैलाते हुए अपने लिए जगह बना लिया था आज तक उसे पता नहीं था कि औरत की बुर की अंदर कौन से स्थान पर रखकर अपने लंड को प्रवेश कराया जाता है लेकिन जैसे-जैसे हलवाई की बीवी के अंगों से खेलने के बाद पल बीतता जा रहा था वैसे वैसे उसका अनुभव बढ़ता जा रहा था और उसका दिमाग भी बहुत तेजी से चल रहा था,,,, रघु एक बार हलवाई की बीवी की बुर गुलाबी छेद के प्रवेश द्वार को अपनी उंगलियों से टटोलकर पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहता था इसलिए एक बार फिर से वह अपनी अंगुली से उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को टटोल ते हुए उस में उंगली डालकर अपनी सही दिशा पर ध्यान केंद्रित कर चुका था वह एक हाथ की उंगली से उसकी गुलाबी बुर की पत्तियों को टटोल ते हुए अपनी दूसरे हाथ में अपनी खड़े लंड को लेकर उसे धीरे से उसके सुपारी को उस गुलाबी छेद के ऊपर रख दिया,,,, जैसे ही हलवाई की बीवी को अपनी बुर की गुलाबी पत्ती के ऊपर रघु के मोटे तगड़े गरम लंड का एहसास हुआ वह पूरी तरह से उत्तेजना में आकर सिहर उठी,,,,,आहहहहहहह रघु,,,,, उसके मुंह से गर्म सिसकारी के साथ रघु का नाम निकल गया,,,,,।

जिंदगी में पहली बार अपने लंड को किसी औरत की बुर के ऊपर रखकर रघु पूरी तरह से जोश में आ गया था उसकी उत्तेजना और प्रसन्नता समाए नहीं समा रही थी वो बेहद खुश था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आसमान में उड़ रहा हो उसे जन्नत का मज़ा मिलने लगा था लेकिन अभी तो उसका लंड केवल पुर के प्रवेश द्वार पर ही दस्तक दे रहा था अभी तो अंदर घुसकर पूरी तरह से तसल्ली करना बाकी था,,,। रघु को इतना तो पता ही था कि चोदने के लिए बुर के अंदर लंड डालना बेहद जरूरी होता है और बुर के अंदर लंड कैसे घुसता है ये भी वह जान चुका था,,, हालांकि अभी तक वह अपनी जिंदगी में किसी भी बुर के अंदर अपने लंड को डाला नहीं था लेकिन उसे एहसास हो गया था कि बुर के अंदर लंड को कैसे डाला जाता है,,,, हलवाई की बीवी अपने दोनों हाथों की कहानी का सहारा लेकर अपने गर्दन को ऊपर उठाकर अपनी नजरों को सीधा अपनी टांगों के बीच स्थिर किए हुए थी वह अपनी आंखों से देखना चाहती थी कि रघु क्या करता है अपनी बुर के ऊपर लेटे हुए लंड को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि रखो का लंड को ज्यादा ही मोटा और लंबा है जो कि बड़े आराम से उसकी बुर के ऊपर रेशमी बालों के झुरमुट पर लेटा हुआ था,,,,, हलवाई की बीवी को अपनी रेशमी बालों के झुरमुट पर लेटे हुए रघु का लंड काले नाग की तरह लग रहा था जो कि उसकी गुलाबी बिल में जाने के लिए बेताब था,,,,।
रघु की सांसे बेहद गहरी चल रही थी उसका चौड़ा सीना लालटेन की रोशनी में बेहद मोहक लग रहा था उसकी चौड़ी छाती को देखकर हलवाई की बीवी समझ गई थी कि रघु पूरी तरह से मर्दाना ताकत से भरा हुआ जवान लड़का है जिसकी बाहों में अपने आप को छुपाकर वह चुदाई के मजे को भरपूर तरीके से लूटेगी।

रघु अपने हाथ में अपने खड़े लंड को पकड़ कर उसके सुपाड़े को जोर-जोर से हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर पर पटकने लगा,,,,

आहहहहह,,, रघु,,,,, क्या कर रहा है मुझे चोट लग रही है,,,
( हलवाई की बीवी मस्ती के साथ गर्म आहे लेते हुए बोली,,,।)

सससससससहहहहह,,,चोट लग रही है चाची,,,,सससहहहह,,,,, बस इतने से ही तुम्हें चोट लग रही है जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर के छोटे से गुलाबी छेद में घुसेगा तब क्या होगा,,,,( रघु एकदम मस्ती में आकर बोला रघु की बात सुनकर हलवाई की बीवी को इस बात का एहसास हो गया था कि वाकई में रघु जो कह रहा था वह बिल्कुल सच था रघु के मोटे लंड की मुकाबले उसकी बुर का छेद छोटा था,,, क्योंकि उसके पति का लंड रघु के लंड से आधा ही था,,,,, लेकिन फिर भी वह रघु के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए बेताब थी,,,।)

कुछ नहीं होगा बस तू अपने लंड को मेरी बुर में डाल दें,,,,

( हलवाई की बीवी के उतावलापन को देखकर रघु से भी रहा नहीं गया और वह अपने लंड को कपड़े को अच्छी तरह से उसके गुलाबी छेद पर रखकर हल्के हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा पहले से ही हलवाई की बीवी की बुर से ढेर सारा नमकीन मदन रस बह रहा था जिसकी चिकनाहट पाकर उसका लंड का सुपाड़ा धीरे-धीरे उसकी बुर के अंदर प्रवेश करने लगा,,,। और जैसे-जैसे उसके मोटे लंड का छोटा टुकड़ा उसकी बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे हलवाई की बीवी के चेहरे पर दर्द की आवाज साफ नजर आ रही थी उसके चेहरे के हाव भाव पल पल बदलता हुआ नजर आ रहा था,,,, हलवाई की बीवी को इस बात का एहसास हो गया कि उसके सोचने के मुताबिक रघु के लंड का सुपाड़ा काफी मोटा है अब तो उसे दर्द भी होने लगा था लेकिन दर्द के बाद मिलने वाले अद्भुत सुख को महसूस करने के लिए वह इस दर्द को झेलने के लिए पूरी तरह से तैयार थी,,,, रघु अपने लंड को हलवाई की बीवी की बुर में डालने के प्रयास में जुटा हुआ था वह पूरा जोर लगा दे रहा था लेकिन उसके लंड का मोटा से बड़ा हलवाई की बीवी की बुर के गुलाबी से छोटे से छेद को भेद पाने में असमर्थ लग रहा था,,,। इसका एक कारण यह भी था कि रघु अनुभव ही न था अगर उसे औरत की बुर में लंड डालने का अनुभव होता तो अब तक वह उसकी बुर को फाड़ चुका होता है,,,। उसे लगने लगा कि उसका प्रयास सफल नहीं हो पाएगा तो वह वापस अपने लंड को उसकी बुर से बाहर खींच लिया और इस बार वह ढेर सारा थूक अपनी हथेली पर लेकर अपने लंड की सुपाड़े पर अच्छे से लगाने लगा,,, थूक लगाने से उसका लंड पूरी तरह से लिसलिशा हो गया,,, अब उसे पूरा यकीन हो गया कि इस बार उसका लंड पूरी तरह से अपना झंडा बुर में गाड़ कर ही आएगा,,,,

यह सब हलवाई की बीवी बड़ी उत्सुकता बस देख रही थी और बोली,,,

मैं कह रही थी ना कहने और करने में बहुत फर्क होता है,,, तुझसे भी नहीं होगा,,,,

आज तक कोई ऐसा काम नहीं है चाची जो मुझसे ना हुआ हो यह भी होगा और बराबर होगा,,,,( रघु अपने लंड पर अच्छे से थुक को लगाते हुए बोला। वह एक बार फिर से अपनी जगह लेते हुए अपने लंड की सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,, इस बार रघु ने कोई भी गलती नहीं किया और देखते ही देखते उसके लंड का मोटा सुपाड़ा हलवाई की बीवी की बुर में प्रवेश करने लगा लेकिन हलवाई की बीवी का दर्द बरकरार था जिंदगी में पहली बार वह इतने मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में जो ले रही थी,,,, जैसे-जैसे उसका लंड का सुपाड़ा बुर की गुलाबी पत्तियों को चीरता हुआ अंदर धंस रहा था वैसे वैसे दर्द की रेखाएं हलवाई की बीवी के सुंदर चेहरे पर अपना असर दिखा रही थी,,,, रघु को काफी मेहनत लग रही थीं वह पसीने से तरबतर हो चुका था साथ ही दर्द के मारे हलवाई की बीवी अपने दातों को दबाए हुए थी,,,। रघु अभी तक थोड़ा एहतियात बरत रहा था लेकिन अब उसे लगने लगा था कि थोड़ा कठोर बंद दिखाना जरूरी है तभी वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकेगा इसलिए वह अपने दोनों हाथों से हलवाई की बीवी की मांसल कमर को दबोच लिया और इस बार वह कचकच आ गए जबरदस्त धक्का लगाया और उस धक्के के साथ ही उसका मोटा तगड़ा लंड का मोटा सुपाड़ा सरकते हुए सीधे बुर के द्वार के भीतर प्रवेश कर गया,,,,, रघु चुदाई की पहली सीढ़ी को पार कर गया था लेकिन इस सीडी को पार करते हुए हलवाई की बीवी को बेहद दर्द भी दे रहा था वह दर्द से कराह उठी धक्का इतना जबरदस्त और तेज था कि फिर भाई की बीवी के मुंह से चीख निकल गई लेकिन उस चीज को उस सन्नाटे में उस वीराने में सुनने वाला इस समय कोई नहीं था,,,।

बाप रे बाप ओ मोरी दैया,,,,, मेरी तो जान निकल जाएगी,,, यह क्या किया रघु तूने,,,,,( इतना जबरदस्त दर्द हो रहा था कि हलवाई की भी एकदम से डर गई थी कहीं उसकी बुर फट जाएगी इसलिए वह गर्दन उठाकर अपनी बुर की तरफ देख रही थी हलवाई की बीवी का इस तरह से अपने बुर को आश्चर्य से देखना शायद रघु समझ गया था इसलिए वह उसकी कमर था में हुए ही बोला,,,)

चिंता मत करो चाची बुर फटी नहीं है अभी सलामत है,,,,।

आहहहहहहह,,,, हाय राम तूने तो मेरी हालत खराब कर दी रे मैं तो समझी कि मेरी बुर आज गई,,,,,आहहहहहहह,,,, मैं मर जाऊंगी बहुत दर्द कर रहा है निकाल ले तू इसे तेरा लैंड है कि मुसल है निकाल इसे ,,,,,

( हलवाई की बीवी दर्द से छटपटा रही थी वह जानती थी कि शुभम के लंड की मोटाई उसकी बुर की छेद से काफी बड़ा था इसलिए उसे इस तरह का दर्द हो रहा था,,,, लेकिन रघु पहली बार किसी औरत की बुर में अपना लंड मिल रहा था इसलिए उस में से निकालने की उसकी इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी,,,, वह अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी के दोनों खरबूजे को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,।)

नहीं चाची अब यह मुमकिन नहीं है,,,, मेरा मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा है तुम्हारी बुर से अपने लंड को बाहर निकालने का अब तो मन कर रहा है कि तुम्हें ऐसा पेलु के जिंदगी भर याद रखो,,,,

हलवाई की बीवी की बुर में दर्द भी हो रहा था लेकिन ट्रकों की बातें सुनकर उसका हौसला भी बढ़ रहा था उसे एहसास हो रहा था कि रघु उसे सबसे अच्छा सुख देने वाला है उसे तृप्त कर देने वाला है इसलिए वह भले ऊपर से बोल रही थी कि अपने लंड को बाहर निकाल ले लेकिन अंदर से यही चाहती थी कि वह अपने लंड को बाहर ना निकालें,,,, ना जाने कैसे रघु पहली बार में ही औरतों के साथ कैसा व्यवहार उसके अंगों से कैसे खेला जाता है सब कुछ सीखता चला जा रहा था वह होले होले से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था जिससे स्तन मर्दन की वजह से एक बार फिर से हलवाई की बीवी के तन बदन में काम भावना जागृत होने लगी थी,,,,

ससससहहहह,,,आआहहहरह,,,, रघु,,,,,ओहहहहहह,,, मेरे राजा मजा आ रहा है बहुत मजा आ रहा है,,,,

हलवाई की बीवी की यह बातें सुनते ही रहो को लगने लगा कि अब आगे बढ़ना जरूरी है क्योंकि लोहा एक बार फिर से गर्म होने लगा था रघु का लंड टस से मस नहीं हो रहा था वह धीरे-धीरे सुपारी को ही अंदर बाहर करके हलवाई की बीवी को चोदना शुरू कर दिया अंदर की चिकनाहट पाकर उसका लंड धीरे धीरे अंदर की तरफ घुसता चला जा रहा था,,,। हलवाई की बीवी के चेहरे की रंगत एक बार फिर से फीकी पड़ने लगी क्योंकि जैसे जैसे रखूं करेंगे अंदर घुस रहा था वैसे वैसे फिर से उसे दर्द का एहसास हो रहा था,,,
काफी मशक्कत करने के बाद रघु आधे से ज्यादा लंड को हलवाई की बीवी की बुर में प्रवेश करा चुका था,,,, रघु के माथे से पसीने की बूंदें टपक रही थी जो कि हलवाई की बीवी के गोरे चिकने पेट पर गिर रही थी,,, अपने पेट पर गिरते हुए पसीने की बूंदों को देखकर हलवाई की बीवी को एहसास हो गया था कि उसकी चुदाई करना बच्चों का खेल नहीं था,,, वैसे भी उसका पेट काफी निकला हुआ था और जिस तरह से रघु उसे चोद रहा था उसकी बुर में लंड पर रहा था इस तरह से सामान्य तौर पर आम इंसान ही नहीं कर पाते क्योंकि इसके लिए लंबा मोटा तगड़ा लंड की जरूरत होती है और ऐसा अब तक हलवाई की बीवी ने किसी के पास नहीं देखी थी लेकिन रघु की बात अलग थी रघु का आधे से ज्यादा लंड उसकी बुर में घुस चुका था लेकिन हलवाई की बीवी को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई गरम रोड उसकी बुर में पूरी तरह से घुस गया हो और उसमें बिल्कुल भी जगह नहीं बची थी अंदर लेने के लिए,,,, इसलिए तो हलवाई की बीवी आश्चर्य से बोली,,,

पूरा घुस गया क्या,,,?

नहीं चाची अभी थोड़ा बाकी है,,,,

कितना बाकी है रे मेरी बुर में तो जगह ही नहीं बची,,,( इतना कहकर वो फिर से अपनी गर्दन उठा कर अपनी टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेने के लिए अपनी नजर वहां पर दौड़ आने लगी तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि शुभम का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में पूरी तरह से घुसा हुआ था और अभी भी लगभग 3 इंच जैसा बाकी था,,,,,)

बाप रे बाप तेरा लंड तो लगता है मेरी बुर फाड़ देगा मेरी बुर में करे लंड को लेने के लिए जगह नहीं बची है,,,

जगह तो बनाई जाती है चाची इतना कहने के साथ ही रघु एक बार फिर से हलवाई की बीवी की कमर को अपनी दोनों हथेलियों में कस के दबोच कर एक जबर्दस्त प्रहार किया और इस बार उसका लंड का सुपाड़ा बुर की अंदरूनी अड़चनों को चीरता हुआ सीधा जाकर उसके बच्चेदानी से टकरा गया,,,

आहहहहहहह,,,,, मर गई रे,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह छटपटाने लगी जो दर्द से बिलबिला उठी थी उसे यह दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था अब वह सच में यही चाहती थी कि रघु अपने लंड को उसकी बुर से बाहर निकाल ले,,,, रघु कहां मानने वाला था जवानी के जोश से भरा हुआ था पहली बार उसे चोदने के लिए मलाईदार बुर जो मिली थी वह अपने लिंग को उसकी बुर से निकालने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था बस थोड़ा सा ठहर गया था और पहले की ही तरह एक बार फिर से उसकी दोनों चूचियों को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए इस बार उसे मुंह भर कर पीना शुरू कर दिया,,,, जिससे थोड़ी ही देर में एक बार फिर से हलवाई की बीवी को मजा आने लगा और उसके मुंह से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज आने लगी ,,, रघु पूरी तरह से उसके ऊपर लेटा हुआ था और हलवाई की बीवी अपनी दोनों टांगों को छीतराए हुए थी,,, उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु का हौसला बढ़ने लगा और वह हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया अब बड़े आराम से उसका लंड बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,,

पूरी तरह से आनंद में डूबकर हलवाई की बीवी रघु की नंगी पीठ पर अपने हाथ फेरने लगी उसे मजा आने लगा देखते ही देखते रघु की कमर जोर से ही ना शुरू कर दी,,,।
कमर को हिलाते होगे कब वह धक्के लगाने लगा या उसे पता ही नहीं चला उसके धक्के बढ़ने लगे वह बड़ी तेजी से हलवाई की बीवी की बुर में धक्के लगा रहा था और हर धक्के के साथ पूरी खटिया चरमराने लगी थी,,, चररर मरररर,,,चररर,,,मरररर,,,, की आवाज और गर्म सिसकारियों से पूरा घर गूंजने लगा,,,

ओहहहहहह,,, मेरी राजा बहुत मजा आ रहा है तेरा लंड सीधे मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा,,,, और जोर जोर से धक्के लगा,,,आहहहहहहह,,,आहहहहहहह,,,,
( उसकी यह सब बातें सुनकर रघु का जोश बढ़ता जा रहा था और वह बड़ी तेजी से अपना कमर हिला रहा था हलवाई की बीवी के बच्चेदानी से टकराने वाली बातों से समझ में नहीं आई थी और ना ही वह कुछ जानना चाहता था लेकिन वह इतना जरूर जानता था कि अगर वह और जोर जोर से धक्के लगाएगा तो खटिया टूट जाएगी इसलिए वह शंका जताते हुए बोला,,,,।)

ओहहहहहह,,, चाची कहीं तुम्हें पेलने में तुम्हारी खटिया ना टूट जाए,,,,,

नहीं टूटेगी मेरे राजा शीशम की लकड़ी से जो बनवाई है तेरे हर धक्के को मेरे साथ साथ मेरी खटिया भी झेल जाएगी बस तो धक्के लगाता रे,,,,

( हलवाई की बीवी के मुंह से हौसला अफजाई वाली बात सुनकर रघु दुगने जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया वह बड़ी जोर जोर से हलवाई की बीवी की दोनों चूचियों को पकड़ कर मसल ता हुआ अपनी कमर हिला रहा था,,,ठप्प ठप्प,,, की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों से जब जब रघु की जान रख रही थी तब तब उसमें से मधुर संगीत की आवाज गूंज रही थी साथ ही उसकी गरम सिसकारियां और उसकी चूड़ी की खनक पूरे माहौल को मादकता प्रदान कर रही थी,,,।
रघु पागल हुए जा रहा था आज उसे पता चला था कि जुदाई में कितना आनंद मिलता है जो दुनिया में कहीं नहीं मिलता वह हर धक्के के साथ हलवाई की बीवी की चुचियों को जोर से मसल दे रहा था जिससे उसकी आह निकल जा रही थी,,,,,

देखते ही देखते दोनों चरमसुख के करीब पहुंचने लगे हलवाई की बीवी की सिसकारियां तेज होती जा रही थी और रघु पागलों की तरह अपनी कमर हिला रहा था वह अपनी दोनों हाथों को हलवाई की बीवी के पेट के नीचे से लाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया वह उसे अपने सीने से लगा लिया उसकी निर्धन धर्म चूचियां उसके सीने पर ठोकर मारने लगी और इस बार रघु अपनी हिम्मत दिखाते हुए,,, अपने होठों को हलवाई की बीवी के गुलाबी रखते हुए होंठ पर रखकर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया यह भी हलवाई की बीवी के लिए बिल्कुल नया था आज तक उसके होठों को उसके पति ने भी नहीं चुसा था,,, एक तरह से उसका आदमी इतनी खूबसूरत बेबी होने के बावजूद भी संभोग कला से बिल्कुल विमुख था,,, वहीं पर रघु पहली बार में ही औरतों को कैसे खुश किया जाता है इस कला में निपुण होने लगा था देखते ही देखते जिस तरह से रघु उसके गुलाबी होठों को चूस रहा था उसी तरह से वह भी रघु के होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू कर दी थी यह उसके लिए पहला अनुभव था और बेहद आनंददायक था,,, उसे इस तरह के चुंबन में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह भी पागलों की तरह उसका साथ दे रही थी,,,,।
काम भावना के वशीभूत होकर हलवाई की बीवी पूरी तरह से मदहोश होकर रघु के पूरे तन पर अपना हाथ फेर रही थी,,,। देखते ही देखते चरम सुख के बेहद करीब पहुंचकर वह अपने दोनों हाथों से लोगों के नितंबों को पकड़कर उसे अपनी बुर पर दबाना शुरू कर दी,,,,

ओहहहहह,, रघु मेरे राजा ऐसे ही चोद ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगा,,,आहहहहहहह,,,,,आहहहहहहह,,,,, फाड़ दे मेरी बुर को रघु मेरी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,आहहहहह,,,आहहहहह,,, मेरा होने वाला है मेरा होने वाला है रघु,,,,,,,,ओहहहहहहह, रघु,,,,,आहहहहहहह,,,,
( इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी चरम सुख के अंतिम क्षण में रघु के जबरदस्त धक्कों के आगे ठहर नहीं पाई और भल भला कर झड़ने लगी,,,,,)
ऊऊऊमममम,,,ऊमममममम,,,,,( इतना कहते हुए वह जोर से रघु को अपनी बाहों में कस ली,,, उसकी बुर से मदन रहने लगा था लेकिन अभी भी रघु बरकरार था,,, इसलिए वह हलवाई की बीवी के ऊपर से उठा और घुटनों के बल बराबर बैठ कर हलवाई की बीवी को कमर से पकड़ कर उसे अपनी जांघों पर खींच लिया,,,, और बिना रुके चुदाई करना शुरू कर दिया अब उसे खटिया टूटने का डर बिल्कुल भी नहीं था और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 10 15 धक्कों के बाद वह भी झड़ने लगा,,,, रघु कैलेंडर से निकले हुए गरम लावा को अपनी बुर के अंदरूनी दीवारों पर महसूस करके हलवाई की बीवी एकदम तृप्त होने लगे और एकदम से मस्त हो गई,,,,
झड़ने के बाद रघु हलवाई की बीवी के ऊपर ही लेटा रहा,,,,

वासना का तूफान शांत हो चुका था जिंदगी में पहली बार अद्भुत तृप्ति का अहसास से पूरी तरह से भर चुकी थी हलवाई की बीवी चुदाई का असली मजा उसे रघु के साथ आया था,,,, और रघु की जिंदगी में पहली बार हलवाई की बीवी की चुदाई करके इतना मस्त हो चुका था कि उस पर मदहोशी अभी तक छाई हुई थी उसे इस बात का एहसास हो गया कि औरत की चुदाई से ज्यादा सुख और कहीं नहीं मिलता वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था हलवाई की बीवी पूरी तरह से थक चुकी थी उसकी आंखों में नींद भरी हुई थी और वह सोने लगी थी लेकिन सूचियों की गर्माहट और रसीली बालू अलीपुर देखकर एक बार फिर से रघु गर्म होने लगा,,,,। खटिया पर लेटी हुई हलवाई की नंगी बीवी को देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा और वह एक बार फिर से हलवाई की बीवी की टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी बुर के अंदर डालना शुरू कर दिया,,,।
हलवाई की बीवी पूरी तरह से नींद में थी लेकिन अपनी बुर के अंदर मोटा लंड प्रवेश करते ही उसकी नींद खुल गई और वह एक बार फिर से रघु को अपनी बाहों में ले ली,,, एक बार फिर से रघु की कमर चलने लगी एक बार फिर हलवाई की बीवी तृप्ति के एहसास में डूबने लगी सुबह होने तक रघु उसके तीन बार जमकर चुदाई कर चुका था और उजाला होने से पहले युवा उसके घर से बाहर निकल गया हलवाई की बीवी उसी तरह से निर्वस्त्र हालत खटिया पर बेसुध होकर होती रही,,, पंछियों की कलकलाहट की आवाज से जब उसकी नींद खुली तो अपनी हालत देखकर वह शर्म से पानी पानी हो गई कोई जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी,,,।
Jabardad chudai
 

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रघु की जिंदगी की सबसे बेहतरीन रात गुजर चुकी थी,,,। आज की रात के बाद से उसकी जिंदगी की नई शुरुआत हो रही थी इस रात ने रघु को एकदम से बदल कर रख दिया था,,, उसके सोचने समझने का तरीका एकदम से बदल गया था,,,। जिंदगी में पहली बार वह औरत के बदन के हर एक पन्ने को अपने हाथ से एक-एक करके खोल कर उनका अध्ययन जो कर चुका था स्कूल की किताबों से शायद उसका कोई वास्ता नहीं था लेकिन औरत के जिस्मानी शब्दों को वह भली-भांति समझ गया था,,, रघु काफी खुश नजर आ रहा था वह अपने खेतों में इधर से उधर घूम रहा था,,, हालांकि अभी भी वह अपने घर नहीं गया था,,।
हलवाई की बीवी ने अपनी जिंदगी की सबसे बेहतरीन और संतुष्टि भरी रात गुजारी थी,, जिसकी कसक अभी तक उसके बदन में महसूस हो रही थी,,। रघु के एक-एक जबरदस्त धक्के को याद करके मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,। उसने कभी जिंदगी में नहीं सोची थी कि उम्र के इस पड़ाव पर आकर उसे इस तरह से एक अद्भुत सुख का अनुभव होगा,,,। रघु के साथ रात गुजारने का उसे बिल्कुल भी मलाल नहीं था,,। भले ही वह अपने पति को धोखा दे चुकी थी लेकिन जिंदगी का बेहतरीन सुख उसने प्राप्त की थी,,,।

कजरी काफी परेशान थी सुबह हो चुकी थी लेकिन रघु का कहीं भी अता पता नहीं था,,,। उसके मन में बहुत घबराहट हो रही थी सालों में बार-बार रघु के बारे में कजरी से पूछना चाहे लेकिन कजरी बात को टाल ले गई आखिरकार उसके पास शालू को बताने लायक बात ही नहीं थी बताती भी तो क्या बताती कि उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देख रहा था सोच कर ही उसे बहुत बुरा लग रहा था अगर वह यह बात अपनी बड़ी बेटी शालू से बताती तो वह उसके बारे में क्या सोचते हैं इसलिए वह बात को आई गई कर गई,,,। रघु के प्रति वह काफी चिंतित नजर आ रही थी इसलिए उसे खेतों पर जाने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन जानवरों के चारे के लिए घास तो लाना ही था। इसलिए इच्छा ना होने के बावजूद भी वह खेतों की तरफ निकल गई,,,

अरे कजरी कहां जा रही है घास करने रुक जा मैं भी आती हूं,,,,( कजरी जैसे ही ललिया के घर के सामने से गुजरी वैसे ही पीछे से ललिया उसे आवाज देकर रोकने लगे क्योंकि उसे भी घास काटने जाना था वह जल्दी से घर में से टोकरी और घास काटने का औजार लेकर निकल पड़ी,,,। कजरी रघु के बारे में ही सोच रही थी इसलिए ललिया के इस तरह से आवाज देने के बावजूद वह उस पर गौर नहीं की और चलती रही और ललिया लगभग भागते हुए कजरी के करीब पहुंच गई और हांफते हुए बोली,,,।)

क्या हुआ कजरी तुम्हारी आवाज सुने नहीं क्या मैं तेरा इंतजार कर रही थी और तू है की भागी चली जा रही है,,।

नहीं कुछ नहीं बस थोड़ा सा तबीयत ठीक नहीं है,,,।

अरे क्या हुआ तेरी तबीयत को,,,( कजरी के माथे पर अपना हाथ लगाकर,,,।) बुखार तो बिल्कुल भी नहीं है,,,।

नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है ललिया बस थोड़ा सा सर दर्द कर रहा था,,,।

तो तुझे घर पर आराम करना चाहिए था ना शालू को भेज दी होती,,,।

कोई बात नहीं मैं कर लूंगी,,,।

अच्छा रामू कहां है आज सुबह से नजर नहीं आया रघु के साथ तो नहीं है,,,
( कजरी जानबूझकर रामू के बारे में पूछ रही थी ताकि अगर रघु उसके साथ हो तो पता चल सके,,,।)

नहीं रामू तो सो रहा है,,,।

चल कोई बात नहीं ,,,,(इतना कहकर कजरी अपने कदम खेतों की तरफ बड़ा ही चली जा रही थी और साथ में ललिया भी उसके साथ हो चली थी,,, कजरी का मन उदास था लेकिन मनके उदास होने के बावजूद भी वह अपनी चाल में उदास पन ला नहीं पा रही थीं,,,, उसकी चाल मतवाली थी,,, उसकी मतवाली चाल पर उसके मन के उदासपन का बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था,,, कजरी के बदन का हर एक ऐसा निश्छल और चंचल था जिस पर किसी भी प्रकार का लगाम नहीं था इस तरह से कजरी की मद मस्त जवानी भरा संपूर्ण बदन बेलगाम था,, और शायद इसीलिए इस उम्र में भी कजरी के बदन के हर एक अंग से जवानी की मधुर धारा फूट पड़ती थी,,। यही कारण था कि इस समय आते जाते सबकी नजर कजरी की मद मस्त जवानी पर टिकी हुई थी,,, उसके नितंबों का उठाव और घेराव इतना जबरदस्त था कि ना चाहते हुए भी उस पर सब की नजर पड़ ही जाती थी और कजरी की चूचियां तो कमाल की थी मानो उच्च किस्म की बड़ी-बड़ी दशहरी आम उसके ब्लाउज में भर दी गई हो,,,, जिसे अपने हाथों में लेकर दबा दबा कर पीने का मन गांव के हर मर्द का करता था और उनका यह सपना भी था,,,,।

चिंताओं से घिरे होने के बावजूद भी कजरी की चाल में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आ रही थी,,, कच्ची सड़क पर चलते हुए वह दूर-दूर तक नजर घुमाकर रघु को ही तलाश कर रही थी,,। ललिया भी अपनी ही मस्ती में चली जा रही थी तभी उसका खेत आ गया और वह कच्ची सड़क से नीचे उतर गई,,, तकरीबन 20 30 कदम की दूरी पर कजरी का खेत था और वह भी कच्ची सड़क उतरकर अपने खेत में हरी हरी घास काटने के लिए उतर गई,,,,
वह टोकरी लेकर हरी हरी घास के बीच बैठ गई और घास काटने लगी लेकिन घास काटते समय भी वह अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर रघु को देखने की कोशिश कर ले रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार रात भर से रघु गायब था कहां चला गया इस बारे में उसे बिल्कुल भी पता नहीं था,,,। वह अपने मन में सोचने लगी कि उसने अपने बेटे को इस तरह से डांट कर बहुत बड़ी गलती कर दी है कहीं कुछ हो गया तो वह अपनी ही नजरों में गिर जाएगी इस कल्पना से ही उसका दिल दहल उठा रहा था,,,। अपने मन को तसल्ली देते हुए अपने आप को ही बोल रही थी कि अगर वह देख भी लिया तो क्या हो गया,,,। इस तरह से तो कई लोग की नजर पड़ जाती होगी वह दुनिया में अकेला नहीं था जो अपनी मां को पेशाब करते हुए देख लिया था पैसे कहीं लड़के होंगे जो अपनी मां को जानबूझकर या अनजाने में पेशाब करते हुए देखे ही लेते होंगे या कपड़े पहनते हुए नहाते हुए किसी भी प्रकार से नग्न अवस्था में उनकी नजर पड़ी जाती होगी तो इसका मतलब यह तो नहीं कि अपने ही बेटे को इस तरह से डांट फटकार कर घर से निकाल दिया जाए,,,,। नहीं नहीं अब वह आ गया तो मैं उससे माफी मांग लूंगी और ऐसी गलती दोबारा मुझसे नहीं होगी यह भी कह कर उसे मना लूंगी आखिर वह मेरा राजा बेटा है उसी का तो सहारा है,,,। कजरी यही सब अपने आप से बातें करते हुए अपने मन को तसल्ली दे रही थी कि तभी रघु नदी की तरफ से उसे आता हुआ नजर आया,,,, और वह रघु को देखते ही खुश हो गई और जोर जोर से रखो को आवाज देने लगी,,,, रघु भी अपनी मां की आवाज को सुन रहा था वह भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके बिना नहीं रह सकती और वह भी अपनी मां के बिना नहीं रह सकता था आखिरकार गुस्सा कर कितने दिन वह दूर रह सकता है एक न एक दिन तो उसे लौटकर घर पर आना ही था,,,, लेकिन वह यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी मां उसे डांट फटकार कर दूर नहीं भगाई होती तो कल की रात वह हलवाई की बीवी के खूबसूरत बदन से खेलते हुए उसकी चुदाई नहीं कर पाता,,, आखिरकार उसे यह बात अच्छी तरह से समझ में आ रही थी कि मां की डांट फटकार भी बच्चे के लिए फायदेमंद होती है,,,। और यह देख भी लिया था कि उसकी मां की डांट फटकार उसके लिए आशीर्वाद साबित हुई थी वरना वह अपनी जवानी का खाता ना खुलवा चुका होता,,।
अभी भी कजरी उसे आवाज देकर बुला रही थी और रघु उसकी तरफ आगे बढ़ता चला जा रहा था लेकिन जैसे-जैसे अपनी मां की तरफ आगे बढ़ता चला जा रहा था वैसे वैसे उसके जेहन में बसा वह दृश्य उसके मन मस्तिष्क पर उधर ने लगा था,,,,। हलवाई की बीवी के साथ पहली बार संभोग सुख भोगने के बाद से उसका नजरिया हर औरत के लिए बदलने लगा था,,, वैसे तो पहले भी उसका यही हाल था लेकिन जब से वह हलवाई की बीवी के नंगे बदन को देखकर उसके नंगे बदन के हर एक अंग से खेल कर उसकी चुदाई किया था तब से अब हर औरत के प्रति उसका नजरिया बदलता जा रहा था इसलिए तो वह जैसे जैसे अपनी मां के करीब बढ़ता जा रहा था जैसे वैसे उसकी आंखों के सामने,,, उसकी मां की नंगी गांड और उसकी बुर में से निकलती हुई पेशाब की तेज धार नजर आने लगी थी और यह दृश्य उसके मन में उभरते ही उसके लंड का तनाव बढ़ना शुरू हो गया था,,, बार-बार वह अपने मन को दूसरी तरफ भटकाने की कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा उसके लिए शायद मुमकिन नहीं हो पा रहा था,,,, पहली बार में ही वह अपनी मां की नंगी गांड के आकर्षण में पूरी तरह से बंध चुका था।

वह धीरे-धीरे खेतों में खड़ी अपनी मां के करीब पहुंच गया और उसकी मां एक पल की भी देरी किए बिना उसे अपने गले से लगा ली,,,,,। पल पल भर में ही उसके पूरे चेहरे पर चुंबनों की बारिश कर दी,,, हलवाई की बीवी के नंगे बदन का मजा चख चुका रघु अपनी मां के इस तरह से चुंबन लेने पर पल भर में ही पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, एक पल के लिए तो उसके जी में आया कि वह भी अपनी मां को बाहों में लेकर उसे चुंबन से नहला दे और उसकी गदर आई जवानी को खेतों में लेटा कर निचोड़ ले,,,,। लेकिन अभी इतनी हिम्मत उसके में नहीं थी कि वह इस तरह की मनमानी अपनी मां के साथ कर सके वह बूत बना अपनी मां के चुंबन होता मजा ले रहा था और चुंबनो के बाद कजरी उसे अपने गले से अपने सीने से लगा ली,,,, कजरी के सीने से लगते ही रघु के तन बदन में शोले भड़क में लगे उसका पूरा वजूद उत्तेजना की लहर में कांप गया,,,, क्योंकि जिस तरह से कजरी ने उसे अपने सीने से भींचते हुए गले लगाई थी,,, उससे कजरी की भारी-भरकम चूचियां रघु के सीने से रगड़ खा रही थी और उसकी तनी हुई निप्पल उसके सीने में चुप रही थी जिसकी चुभन को वह अच्छी तरह से अपनी छातियों पर महसूस कर रहा था,,,, उत्तेजना के बारे में पूरी तरह से गनगना गया था,,,, पर अपनी मां की इस हरकत की वजह से उसे अपने पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होता हुआ महसूस हो रहा था,,, और उसे यह भी साथ महसूस हो रहा था कि उसके भेजा मैंने उसका खड़ा लंड तंबू की शक्ल लेकर उसकी मां की टांगों के बीच ठीक उसकी बुर वाली जगह पर ठोकर मार रहा था,,,। उसे इस बात का पता तो नहीं था कि उसकी मां को उसके तंबू के कठोर पन का एहसास अपनी बुर पर हो रहा है कि नहीं लेकिन,,, इतने से ही रघु का पूरा वजूद हिल गया था उसका ईमान डोल ने लगा था,,,,। कजरी अभी भी रघु को अपने गले से लगाए उसे दुलार कर रही थी,,, व खेतों के बीचो बीच खड़ी थी लेकिन लंबी लंबी जंगली झाड़ियां होने की वजह से,, उन दोनों को कोई भी नहीं देख पा रहा था रघु तो एकदम मस्त हुआ जा रहा था वाशी तरह से समझ गया था कि औरत की चुदाई का सुख क्या होता है तभी तो वह अपनी मां के खूबसूरत बदन के आकर्षण में पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था उसे बराबर महसूस हो रहा था कि उसके पेंट में बना तंबू उसकी मां की टांग के बीच उसकी गुरु पर ही दस्तक दे रही है लेकिन अपने बेटे को दुलार करने में कजरी को शायद इस बात का अहसास तक नहीं हो पा रहा था कि उसके गुप्तांगों को उसके बेटे का गुप्त अंग स्पर्श कर रहा है एक तरह से कपड़ों के ऊपर से ही शुभम का मोटा तगड़ा लंड अपनी मां की कसी हुई बुर का चुंबन कर रहा था,,,,।

रघु पूरी तरह से उत्तेजना के आवेश में आ चुका था और वह भी अपने हाथ को अपनी मां की पीठ पर रखकर अपना प्यार दर्शा रहा था,,,,।

कहां चला गया था बेटा तू तुझे देखने के लिए मेरी आंखें तरस गई थी,,,( कजरी अपने बेटे को पाकर एकदम से रोते हुए बोली,,,।)

यही था मां तु मुझसे नाराज थी ना इसलिए,,,,( इतना कहते हुए रघु अपनी मां की पीठ पर अपनी हथेली को फेर रहा था,,,।)

अगर आज तो नहीं आता बेटा तुम्हें मर जाते मैं तुझसे बिछड़ना नहीं चाहते मैं तुझसे गुस्से में बोल गई थी इसका मतलब यह नहीं था कि तू मुझसे दूर चला जाए,,,,।


नहीं मम्मी कहीं नहीं जाऊंगा तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा,,,,( रघु पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था वह अपनी मां को बाहों में समाया हुआ था,,,, उसके तन बदन को उसकी मां की खूबसूरत बदन से उठती हुई मादक खुशबू बेहाल कर रही थी,,,,।)

मुझसे वादा कर रघु तु मुझे छोड़कर कभी नहीं जाएगा भले मैं तुझे कितना भी डाटु या मारु तुम मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाएगा,,,,,( इतना कहते हुए कजरी लगातार रोए जा रही थी और दूसरी तरफ रघु पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा,,, था,,,)

मैं कहीं नहीं जाऊंगा मैं तुमसे वादा करता हूं कहीं नहीं जाऊंगा,,,,( इतना कहते हुए रघु पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और वह अपने दोनों हथेली को अपनी मां की चिकनी कमर से होता हुआ उसे नीचे की तरफ उसके नितंबों के उभार पर ले गया और उसे अपने हथेली में भरकर हल्के से दबाता हुआ अपनी तरफ खींच लिया जिससे इस बार उसके लंड की ठोकर कजरी को अपनी बुर की नर्म दीवारों पर एकदम बराबर महसूस हुई और वह एकदम से सकते में आ गई,,, रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपनी मां को कहीं ना जाने का दिलासा देते हुए एक बार फिर से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेली में लेकर उसे दबाता हुआ फिर से अपनी तरफ खींच लीया,,,। इस बार कजरी एकदम से घबरा गई क्योंकि अपनी दूर पर लगने वाली ठोकर को वह समझ नहीं पाई थी कि यह चुभन कैसा है,,, लेकिन दूसरी बार जब रघु ने उसके नितंबों को अपनी हथेली में दबोच ते हुए अपनी तरफ खींचा तब जाकर उसे साफ महसूस हुआ कि उसकी टांगों के बीच होने वाली चुभन किसी और चीज की नहीं बल्कि उसके बेटे के खड़े लंड की है,,,,। पल भर में ही कजरी के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी शर्म के मारे उसका चेहरा लाल हो गया,,,, वह अपने आप को अपने बेटे की बाहों से अलग करते हुए बोली,,,।)

रघु तू पहले घर पर जाकर नहा ले और खाना खा ले कल से तू कुछ नहीं खाया नहीं है,,,।

नहीं मां मैं तुम्हारे साथ चलूंगा मैं भी कुछ देर यही काम कर लेता हूं,,,।

नहीं रघु तू मेरी बात मान पहले जाकर के अच्छे से नहा ले खाना खाकर फिर मेरे लिए भी तू खाना लेकर आ जाना तब तक मैं यही हुं।
Nice one
 

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कोमल की कमसिन कोमल अनचुदी बुर की रघू के तगडे लंबे मोटे लंड से चुदाई का अविश्वसनीय और रोमांचकारी वर्णन :adore:
बहुत खुब
मजा आ गया :applause::applause:
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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एक ही खटिया पर सोने की बात सुनकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी आज तक उसने कभी भी किसी औरत के साथ एक ही खटिया पर नहीं सोया था और आज किस्मत उस पर पूरी तरह से मेहरबान थी,,, कहते हैं ना जब भगवान एक दरवाजा बंद कर देता है तो 10 दरवाजे खोल भी देता है कुछ वैसा ही रघु के साथ हो रहा था रघु तो सिर्फ अपनी मां को झाड़ियों के बीच बैठकर पेशाब करते हुए देख रहा था और जिसकी वजह से उसकी मां उसे काफी डांट फटकार कर भगा दी थी उसी के एवज में हलवाई की बीवी उसे अपने खूबसूरत बदन का हर एक अंग बड़े अच्छे से दिखा दे रही थी। हलवाई की बीवी की संगत में उसे इस बात का एहसास होने लगा कि दुनिया में असली सूट औरत ही दे सकती है बाकी कोई नहीं,,, जिस तरह से हलवाई की बीवी उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए घनी झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी,,, रघु यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी उसके साथ होगा कि कोई औरत जानबूझकर उसे अपनी मस्त बड़ी बड़ी गांड दिखाएगी और उसकी आंखों के सामने पेशाब करेगी जबकि गांव की कोई भी औरत यह नहीं चाहती कि उसे सोच क्रिया करते हुए कोई देखें भले ही वह उसका पति या प्रेमी क्यों ना हो,,, और मर्दों की ख्वाहिश हमेशा से यही रहती है कि कहीं ना कहीं उसे पेशाब करते हुए औरत दिखाई दे दे ताकि वह उसकी बड़ी-बड़ी मदमस्त गोरी गांड को देखकर अपने मन को शांत कर सके,,, और इस मामले में रघु कि किस्मत बड़ी तेज थी,,,

रघु के कानो ने अभी-अभी ही एक ही खटिया पर दोनों के सोने की बात सुनकर ऐसा महसूस किया था कि जैसे उसके कानों में मध घोल दिया हो उसके तुरंत बाद जैसे ही उसकी नजर कोने में खड़ी हलवाई की बीवी कर गई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि वह अपनी साड़ी अपनी कमर पर से छुड़ा रही थी,,,, उसकी बेहतरीन खूबसूरत पहाड़ी नुमा भारी भरकम छातियां बेपर्दा हो चुकी थी,,। अब तक रघु हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी के दर्शन उसके नितंबों को देखकर ही किया था उसकी भारी-भरकम विशालकाय छातियों पर पहली बार उसकी नजर पड़ी थी हालांकि इससे पहले वह दोनों चूचियों के बीच की गहरी लकीर को देखकर मस्त हो चुका था लेकिन पहली बार ही वह उसे खुले तौर पर देख रहा था,,,,,,,,। हलवाई की बीवी अपनी साड़ी उतार रही थी और रघु उसकी तरफ एकदम मदहोशी भरी निगाहों से देख रहा था छोटे से बलाउज में हलवाई की बीवी की भारी-भरकम खरबूजे जैसी चूची सामा नहीं पा रही थी ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज का बटन दोनों चुचियों के भार से से अभी का अभी टूट जाएगा,,,। हलवाई की बीवी रघु से नजरें बचाकर पहले से ही अपने ब्लाउज के दो बटन को खोल चुकी थी जिससे उसकी आधी चूचियां कमरे के माहौल को और भी ज्यादा नशीली बना रही थी। रघु तो हलवाई की बीवी की मदमस्त मस्त जवानी के नशे में पूरी तरह से बहकने लगा था।

भाई की बीवी अपनी साड़ी उतार चुकी थी और उसे रस्सी पर डालते हुए बोली,,,

आज कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही है रघु,,,।

हां चाची मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,। ( हलवाई की बीवी की नशीली जवानी देख कर रघु का पूरा वजूद गरमा चुका था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी,,, हलवाई की बीवी भी इस तरह की हरकत अपनी जिंदगी में पहली बार ही कर रही थी वह भी कभी सपने में नहीं सोचा थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा कौन आएगा कि वह अपने ही घर में किसी गैर जवान लड़के को शरण देकर उसके साथ संभोग सुख भोगने की कल्पना या ख्वाब देखे गी,,, और उसका यह ख्वाब हकीकत में बदलने वाला था,,, लेकिन इसके लिए अभी समय बाकी था लोहा धीरे-धीरे गरम हो रहा था बस हथोड़ा मारने की देरी थी,,, हलवाई की बीवी भी चोर नजरों से रघु की तरफ देख ले रही थी जब जब उसकी नजर उसके उठे हुए टॉवल पर जाती तब तक उसके बदन में हलचल सी होने लगती थी।

हलवाई की बीवी एक नई रोमांस के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर ली थी जिंदगी में पहली बार शादी के बाद वह अपने पति के साथ धोखा करने जा रही थी पति के घर पर ना होने का पूरा फायदा उठाना चाहती थी,,,। यह सब उसके मन में रघु से मिली तब तक नहीं था लेकिन धीरे-धीरे रघु के प्रति वह पूरी तरह से आकर्षित होने लगी और इतनी ज्यादा आकर्षित हो गई कि उसके साथ संभोग सुख भोगने के लिए अपने आपको तैयार कर ली,,,। पेटीकोट और ब्लाउज में हलवाई की बीवी एकदम क़यामत लग रही थी अपनी भारी-भरकम शरीर और बड़े बड़े दूध और तरबूज जैसे गोल-गोल नितंबों की वजह से उसमें एक अजीब प्रकार का आकर्षण था जिसके आकर्षण में रघु पूरी तरह से अपने आप को खोता हुआ महसूस कर रहा था,,,।
लालटेन की पीली रोशनी में पूरा कमरा नहाया हुआ था वैसे तो सोते समय हलवाई की बीवी लालटेन की लौ को एकदम कम कर देती थी ताकि कमरे में अंधेरा हो जाए क्योंकि उजाले में उसे नींद नहीं आती थी लेकिन आज की बात कुछ और थी वह आज लालटेन को अपनी पूरी लौ के साथ जला रही थी,,, आज की रात में कोई भी कसर बाकी रखना नहीं चाहती थी अपना हर एक अंग खुलकर और खोलकर रघु को दिखा देना चाहती थी जिसकी शुरुआत वह अपनी साड़ी को उतारकर और अपनी ब्लाउज के दो बटन खोल कर कर चुकी थी,,,। रघु की आंखों के सामने साड़ी उठाकर नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब करना तो पेशाब करने की औपचारिकता थी लेकिन ब्लाउज के दो बटन खोल कर और साड़ी उतार कर चुदाई के लिए वह धीरे-धीरे अपने आप को आगे बढ़ा रही थी,,,,,

दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों के दोनों जल्दी से खटिया पर जाना चाहते थे जिसकी शुरुआत हलवाई की बीवी आगे बढ़कर कि वह जाकर सीधा खटिया पर लेट गई वह पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी भरावदार उन्नत छातियां एकदम ऊपर की तरफ मुंह उठाए ब्लाउज में कैद थी,,, उत्तेजना के मारे हलवाई की बीवी बहुत ही गहरी गहरी सांस ले रही थी और बड़ी ही मादक नजरों से रघु की तरफ देख रही थी,,,, उत्तेजना के मारे रघु का गला सूखता जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना है वह अनुभवहीन था लेकिन मन में जिज्ञासा भरी हुई थी औरतों के अंगों से खेलने की कल्पना ने उसे अपने आप में ही प्रचुर मात्रा में अनुभव से भर दिया था वह प्यासी नजरों से हलवाई की बीवी को नजर भर कर देख रहा था उसकी उठती बैठती सांसो के साथ उसकी भारी-भरकम चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जिससे रघु का कलेजा उत्तेजना के मारे मुंह को आ रहा था,,,। हलवाई की बीवी बेहद उत्सुक थी वह चाहती थी कि जल्द से जल्द आ रहा हूं उसके पास खटिया पर आ कर लेट जाए शादी के बाद से पहली बार वह किसी पराए मर्द के साथ लेटने जा रही थी,,,

आ जाओ रघु वहां क्यों खड़े हो,,,,( हलवाई की बीवी एकदम बाद अक्सर में बोलते हुए धीरे से अपनी एक काम को घुटनों से मोड़कर खड़ा कर दी जिससे उसकी पेटीकोट एकदम से उसकी नशीली चमकीली मोटी मोटी जांघों से होती हुई सीधे उसकी कमर पर जा गिरी पल भर में ही रहोगी आंखों के सामने हलवाई की बीवी की मोटी मोटी चिकनी नंगी जागे नजर आने लगी पृथ्वी को समझते देर नहीं लगी कि यह हरकत हलवाई की बीवी जानबूझकर की थी,,,,। रघु तो एकदम से होश खो बैठे उसकी इस हरकत की वजह से वह पूरा मदहोश हो चुका था आंखों में 4 बोतलों का नशा नजर आ रहा था वह तुरंत आगे बढ़ा और सीधा जाकर खटिया पर बैठ गया,,,,, जैसे ही रखो हलवाई की बीवी के बेहद करीब खटिया पर बैठा दोनों का बदन आपस में एकदम स्पर्श होने लगा दोनों के तन बदन में आग लग गई दोनों के मुंह से हल्की सी गर्म सिसकारी फूट पड़ी दोनों काम उत्तेजना के चरम सीमा पर पहुंच चुके थे जहां से वापस लौटना दोनों के लिए नामुमकिन था,,,,।

एक जवान मर्द को अपने बेहद करीब एक ही खटिया पर बैठे होने की वजह से हलवाई की बीवी के तन बदन में मस्ती की लहर उठ रही थी वह इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी वह बेशर्म की तरह अपनी नंगी चिकनी जांघ पर अपनी हथेली फेरते हुए रघु से बोली,,,।

बैठा क्यों है आजा लेट जा,,,,।

रघु बिना कुछ बोले खटिया पर लेट गया खटिया इतनी छोटी थी कि दोनों का बदन आपस में स्पर्श होने लगा,,, दोनों के बदन में पल भर में उत्तेजना भरी गर्माहट फैलने लगी,,,।
दोनों की सांसे उत्तेजना के मारे धुकनी की तरह चल रही थी,,,। रघु से रहा नहीं जा रहा था पहली बार बार किसी औरत के सामने एकदम सट कर लेटा हुआ था,,,। बार बार उसका गला सूखता चला जा रहा था और वह बार-बार धूप से अपने गले को गिला करने की नाकाम कोशिश कर रहा था तेज चलती सांसो की वजह से वह सहज नहीं हो पा रहा था और इस बात को अनुभवी हलवाई की बीवी समझ गई थी वह धीरे से रघु की तरफ करवट लेते हुए एक हाथ रघु की छातियों पर रखकर बोली,,,।

क्या हुआ रखो तुम्हें मेरे साथ सोने में अच्छा नहीं लग रहा है,,,।
( हलवाई की की बीवी के द्वारा धीरे-धीरे उसकी उंगलियों को परी नंगी चौड़ी छाती ऊपर महसूस करके रघु पागल हुआ जा रहा था वह सीधे पीठ के बल लेटा हुआ था जिसकी वजह से उसका लंड पूरी तरह से टॉवल में खड़ा था उसका मुंह उत्तेजना के मारे खुला का खुला रह गया था,,, अपनी तरफ करवट लेने की वजह से रघु को उसकी मोटी चिकनी जांगे बेहद मोटी लग रही थी,,, वह हड बढ़ाते हुए जवाब दीया,,,।)

चचचच ,,, चाची मुझे तुम्हारे साथ सोने में अच्छा तो बहुत लग रहा है लेकिन डर भी लग रहा है,,,।

डर कैसा मैं तुझे खा जाने वाली नहीं हूं,,,।
( रघु पूरे गांव में आवारा लड़कों के साथ ही घूमता था इसलिए उसे आवारागर्दी अच्छी तरह से मालूम थी और वह औरतों के मन में चल रहे भाव से अच्छी तरह से वाकिफ था वह हलवाई की बीवी के मन में क्या चल रहा है यह भी समझ गया था लेकिन यह उसका पहली बार था इसलिए घबराहट हो रही थी लेकिन जिस तरह से हलवाई की बीवी एकदम सहज भाव से उसे बातें कर रही थी और सब कुछ धीरे-धीरे खोल दी चली जा रही थी उसे देखते हुए रघु अपने आप से ही बातें करते हुए बोला यह क्या कर रहा है रघु यही सब तो तू चाहता था औरतों के साथ मस्ती करने की कल्पना में ही दिन रात खोया रहता था जब मौका ढूंढता था तब मौका तुझे नहीं मिलता था आज अपने आप से मौका मिल रहा है तो जो आंख क्यों चुरा रहा है कर दे जो तेरे मन में है हलवाई की बीवी पकवान से भरी हुई थाली है और उसे देखकर अगर मुंह चुरायेगा तो तो कभी भी अपना पेट नहीं भर पाएगा आज नहीं तो कभी नहीं,,,। यही सब सोचते हुए पल भर में ही रघु ने यह निर्णय कर लिया कि आज जो कुछ भी उसके साथ हुआ है उसे देखते हुए अगर आज वह हलवाई की बीवी को चोद नहीं पाया तो वह जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा इसलिए वह मन में ठान लिया था कि आज की रात जमकर हलवाई की बीवी को चोदेगा और चुदाई के अध्याय में अपना खाता खोलेगा,,,। यही सोचकर वह जवाब देते हुए बोला,,,।)

मुझे तुमसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता चाची,,,

फिर किस से डर लगता है,,,

तुम्हारी( इतना कहने के साथ ही रघु अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर हलवाई की बीवी की मोटे मोटे पेट के नीचे अपनी हथेली ले जाते हुए सीधा अपनी हथेली को उसकी गरम-गरम बुर पर रखते हुए उसे हल्के से दबाव देते हुए उसे रगड़ते हुए बोला,,,) इस बुर से,,,,,,

( जैसे ही रघु अपनी हथेली को हलवाई की बीवी की बुर पर रखा वैसे ही हलवाई की बीवी अपनी बुर पर रघु की हथेली को महसूस करते हैं एकदम से सिहर उठी और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।)

ससससहहहह,,,आहहहहह,,, रघु,,,,।

इस से डर लगता है चाची मुझे तुम्हारी बुर से,,,,( रघु एकदम बेशर्म की तरह हल्के हल्के हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर को अपनी हथेली से रगड़ ते हुए बोला,,,, जिंदगी में उसका यह पहला मौका था जब वह अपने हाथ से किसी औरत की बुर को स्पर्श कर रहा था,,, उसे यह स्पर्श बेहद उन्माद से भरा हुआ और बेहद अद्भुत महसूस हुआ था जिंदगी में किसी भी चीज को छूने में इतना आनंद उसे नहीं आया था जितना आनंद उसे हलवाई की बीवी की गुलाबी रंग की बुर को छूने में आ रहा था,,, रघु को अपने अंदर कुछ पिघलता हुआ महसूस हो रहा था,,, रघु की हरकत की वजह से हलवाई की बीवी की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि रघु उसकी बुर को लगातार अपनी हथेली को जोर-जोर से रगड़ रहा था,,,,। पल भर में ही रघु के साथ-साथ हलवाई की बीवी मदहोश होने लगी,,,, वह लंबी सांसे लेते हुए वापस पीठ के बल हो गई लेकिन रघु अपनी हथेली को उसकी दोनों टांगों के बीच से बाहर नहीं खींच पाया उसे मजा आ रहा था,,,।

ओहहहह,,, रघु तुझे ईससे डर क्यों लगता है जबकि तेरे जैसे छोकरे तो इसके पीछे पड़े रहते हैं,,,,( रघु की हथेली की रगड़ को अपनी बुर पर महसूस करते हुए वहां मस्ती भरी आवाज में बोली,,,।)

मैं भी हमेशा से बुर के ही सपने देखा करता था लेकिन कभी हकीकत में उसे नजर भर कर देखा नहीं था और ना ही उसे स्पर्श किया था,,,,। तुम्हारे इतने करीब आकर मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी जिसके लिए मैं तड़पता था मुझे उस बुर के दर्शन जरूर हो जाएंगे,,,।( रघु होले होले से अपनी हथेली को हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर पर मसलते हुए बोला,,,।)

क्या तुम्हें पूरा यकीन था कि आज तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी,,,,( हलवाई की बीवी रघु की तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,,।)

यकीन तो नहीं था लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था,,,( वह रघु के मोटे खड़े लंड को जो कि अभी भी टावर के अंदर तंबू सा शकल लिए खड़ा था उसे देखते हुए बोली,,,।)

धीरे-धीरे दोनों को मजा आ रहा है पहली बार रहो किसी औरत की बुर को अपनी हथेली से मसल रहा था और सच पूछो तो उसे बुर मसलने में इतना ज्यादा आनंद आ रहा था कि वह बयां नहीं कर सकता था बुर की नरमाहट और गर्माहट दोनों काबिले तारीफ थी,,, औरत की बुर छूने में मर्दों को इतना आनंद आता है इस बात का पता रघु को आज ही चल रहा था,,,। हलवाई की बीवी आनंदित होकर अपना मदन रस धीरे-धीरे बुर में से बहा रही थी जिसकी वजह से रघु की हथेलियां गीली होने लगी थी,,,, उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूखता चला जा रहा था आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था ऐसे में पूरा गांव चैन के लिए सो रहा था लेकिन हलवाई की बीवी और रघु दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी दोनों एक ही खटिया पर सोते हुए एक दूसरे के अंगों से मजा ले रहे थे,, दोनों के बीच पूरी तरह से खामोशी छाई हुई थी बस दोनों की गरम सिस कारीयो की आवाज उस घर में गूंज रही थी,,,।
पेट के बल लेट होने की वजह से हलवाई की बीवी की भारी-भरकम साथिया उसकी सांसों की गति के साथ होले होले ऊपर नीचे हो रही थी जो कि बेहद मादकता का अनुभव करा रही थी यह सब देख कर रघु के तन बदन में नशा सा छाने लगा था हालांकि अभी तक बुर को स्पर्श करने के बावजूद भी वह अभी अपनी आंखों से बुर के दर्शन नहीं कर पाया था,,, रघु अब तक बुर के भूगोल से पूरी तरह से अनजान था अच्छे से अपनी हथेलियों से स्पर्श करने के बावजूद भी उसके आकार की प्रतीति उसे बिल्कुल भी नहीं हो पा रही थी उसमें से निकल रहे चिपचिपी पदार्थ से वह पूरी तरह से व्याकुल हुए जा रहा था,,,। उस स्थिति पर बाजार की वजह से वह अपनी आंखों से हलवाई की बीवी की बुर के दर्शन करना चाहता था वह अपने आप को धन्य करना चाहता था दिन-रात औरतों के बदन को भरने के बावजूद भी वह औरतों के बदन से उनके अंगों से पूरी तरह से वाकिफ नहीं था आज की रात उसके लिए औरतों के बदन के भूगोल को समझने की रात थी आज के दिन वह पूरी तरह से मर्द बनना चाहता था,,, वह साफ तौर पर देखता रहा था कि उसके द्वारा बुर को रगड़ने की वजह से हलवाई की बीवी के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना खेल रही थी क्योंकि जब जब वह अपनी हथेली को जोर से उसकी बुर पर रगड़ता तब तब हलवाई की बीवी का बदन कसमसा ने लग रहा था बार-बार बाहर अपने गले को अपने ही थूक से गीला कर रही थी उसके चेहरे के हाव-भाव पूरी तरह से बदल चुके थे उत्तेजना के मारे उसका चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था,,,,। और वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी रघु को इतना तो पता चल ही गया था अब अगर वह उसके साथ कुछ भी करेगा तो वह उसका विरोध बिल्कुल भी नहीं करेगी क्योंकि वह खुद जा रही थी कि रघु सब कुछ उसके साथ करें इसलिए रघु की हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,।
इसलिए सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही बड़ी बड़ी चूची ऊपर उसका ध्यान पूरी तरह से केंद्रित हो चुका था ब्लाउज के अंदर के अनमोल खजाने को वह अपने हाथ में पकड़ कर उसे टटोलना चाहता था दबाना चाहता था उसके रस को रसगुल्ले की तरह अपने मुंह में भर कर निचोड़ना चाहता था,,,। रखो पूरी तरह से मदहोश हो चुका था औरत के अंगों के बारे में जानने की उत्सुकता है उसकी बढ़ती जा रही थी उसकी रसीली बुर के साथ वह बहुत देर से अपनी हथेली से खेल रहा था लेकिन अभी तक उसके दर्शन नहीं कर पाया था और अब जाकर उसका ध्यान पूरी तरह से हलवाई की बीवी की खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी चूची पर केंद्रित हो चुकी थी इसलिए वह धीरे से उठ कर बैठ गया उसे यू उठ कर बैठता हुआ देखकर हलवाई की बीवी बोली,,,।

क्या हुआ रघु,,,,

कुछ नहीं चाची तुम्हारी चूचियां परेशान कर रही है,,,।

( रघु के मुंह से चूचियां शब्द सुनकर वो एकदम से मंत्रमुग्ध हो गई उसे उम्मीद नहीं थी कि रघु इतनी जल्दी ओर इतना खुलकर बोल देगा,,, रघु की बातों के साथ ही उसका ध्यान अपनी बड़ी बड़ी चूचियों की तरफ गई थी जोकि अपनी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन को वह खुद अपने हाथों से ही खोल चुकी थी जिसकी वजह से लेटे होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारों की तरह इधर-उधर बिखरने के लिए बेताब थी लेकिन ब्लाउज में कैसे होने की वजह से बेहद कम सीन लग रही थी रघु की बात सुनते ही उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा के साथ-साथ होठों पर मुस्कुराहट भी तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

मेरी चूचियां तुझे इतनी परेशान कर रही है तो अपने हाथों से आजाद कर दे इन्हें,,,,( हलवाई की बीवी एकदम मादक स्वर में बोली साथ ही इन सब बातों के साथ वातावरण में हलवाई की बीवी की कलाई में ढेर सारी चूड़ियों की खनक की आवाज भी गूंज रही थी जिसकी वजह से वातावरण में मादकता का असर और ज्यादा फैलता चला जा रहा था,,। हलवाई की बीवी की तरफ से यह प्रस्ताव सुनते ही उत्तेजना के मारे रघु के रोंगटे के साथ-साथ उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया रघु अपनी जिंदगी में इस तरह का मादकता और उत्तेजना का अनुभव कभी नहीं किया था उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर हलवाई की खटिया पर लेटी हुई थी रघु के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी लेकिन आगे तो बढ़ना ही था एक औरत के द्वारा दिए गए प्रस्ताव को एक मर्द होने के नाते अगर वह पूरा नहीं करता तो एक औरत के सामने उसकी नजरों में वह गिर जाता उसकी मर्दानगी पर सवाल उठने खड़े हो जाते,,, लेकिन रघु के साथ ऐसा कुछ भी नहीं था वह तो मचल रहा था अपने हाथों से हलवाई की बीवी के ब्लाउज के बटन खोलने के लिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिया लेकिन जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की ब्लाउज को उतारने जा रहा था उसके बटन को खोलने जा रहा था इसलिए लाजमी था कि उसके हाथों में कंपन हो रहा था और यह देखकर हलवाई की बीवी मन ही मन खुश हो रही थी,,,, रखो अपने कांपते हाथों से अपनी उंगलियों का सहारा लेकर जैसे ही अपने हाथ को ब्लाउज के बटन खोलने के लिए उसके ऊपर रखा,,, हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी चूचियों की नरमाहट ऊसे अपनी उंगलियों पर महसूस हुई ऐसा लग रहा था कि जैसे वह नरम नरम रूई पर अपने हाथ रख रहा हो,,, एक जबरदस्त सुखद एहसास पूरी तरह से रघु के तन बदन में फैल गया और यही हाल हलवाई की बीवी का भी हो रहा था,,, रघु की उंगलियों को अपनी मदमस्त चुचियों पर महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो गई और उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होने लगा,,,,। रघु हलवाई की बीवी की आंखों में आंखें डाल कर देते हुए उसके ब्लाउज के बाकी के बटन खोलना शुरू कर दिया लेकिन लगातार उसके हाथों में कंपन हो रहा था जिसे देखकर हलवाई की बीवी बोली,,।

लगता है तो पहली बार किसी औरत के कपड़े उतार रहा है,,

ऐसा ही समझ लो चाची मैं सच में जिंदगी में पहली बार किसी औरत के ब्लाउज के बटन खोल रहा हूं,,,।

और तुझे कैसा लग रहा है कि औरत के ब्लाउज के बटन खोलने में,,,

पूछो मत चाची पूरे बदन में शोले फूट रहे हैं मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या कर रहा हूं मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया है,,, मुझे आज ऐसा महसूस हो रहा है कि जिंदगी में औरतों के कपड़े उतारने से बेहतरीन काम और कोई नहीं है,,,( ऐसा कहते हुए रघु हलवाई की बीवी के बटन खोलने लगा,,, रघु की बातें सुनकर हलवाई की बीवी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और वह उसे बड़े गौर से देख रही थी क्योंकि जैसे जैसे वह ब्लाउज के बटन खोलता जा रहा था वैसे वैसे उसके चेहरे के हाव भाव बदलते जा रहे थे देखते ही देखते रघु हलवाई की बीवी के ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया और जैसे ही ब्लाउज का आखरी बटन खुला हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी मस्त मस्त खरबूजे जैसी चूचियां एकदम से पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा गई हलवाई की बीवी की छातियां काफी बड़ी थी और ऊपर से उसकी दोनों मदमस्त चूचियां ऐसा लग रहा था कि तालाब में दो बत्तख छोड़ दिए गए हो और दोनों इधर उधर भाग रहे हो,,,, हलवाई की बीवी की लहराती हुई चुचियों को देखकर रघु के मुंह में पानी आ गया जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की चूची को इतने करीब से देख रहा था,,,। उत्तेजना के मारे रघु का गला सूख रहा था बड़ी बड़ी चूची को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी,,,, सांसे इतनी गहरी चल रही थी कि उसके नथूनों से निकल रही सांसो की गर्माहट सीधे हलवाई की बीवी के चेहरे तक पहुंच रही थी,,, रघु अपने पूरे होशो हवास को बैठा था एक बेहतरीन नजारा उसकी आंखों के सामने था जिसकी अब तक वह सिर्फ कल्पना ही करता रहा था,,, वह मन ही मन अपनी मां को ढेर सारी दुआएं दे रहा था कि उसकी वजह से ही उसकी जिंदगी में आज ऐसा पल आया था कि आधी रात के समय पर किसी खूबसूरत गैर औरत की खटिया पर बैठकर उसके ब्लाउज के बटन खोल कर उसकी चूचियों को देख रहा था,,। हलवाई की बीवी की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध ना होता देखकर धीरे-धीरे रघु की हिम्मत बढ़ने लगी थी इसलिए वह हलवाई की बीवी की इजाजत पाए बिना ही अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसे चुचियों को समेटने लगा हलवाई की बीवी की चूचियां इतनी बड़ी थी कि उसके दोनों हथेली में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,,, चूची को छूने पर कैसा महसूस होता है रघु को अब जाकर महसूस हुआ वह पागल हुआ जा रहा था,,,, उसकी चूचियों को हाथों में पकड़ने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि बाहर से कड़क दिखने वाली चूचियां वास्तव में रुई की तरह नरम होती है जिसे वह अपने हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया था,,, उसकी चुचियों को दोनों हाथों से पकड़कर दबाने में रघु को इतना आनंद आ रहा था कि वह मस्ती में आकर अपनी आंखों को मुंद लिया,,,,

जिस तरह से रघु उसकी चूचियों को दबा रहा था हलवाई की बीवी को समझते देर नहीं लगी थी रघु काफी ताकतवर है वह बड़ी ताकत लगाकर उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा था दबा क्या रहा था उबले हुए आलू की तरह मसल रहा था लेकिन उसके इस तरह से मसलने से हलवाई की बीवी की आनंद की पराकाष्ठा बढ़ती जा रही थी,,।

ओहहहह,,,, रघु कितना जोर जोर से दबा रहा है रे तू,,आहहहहह,,, मेरी तो जान ही निकली जा रही है,,,।

क्या करूं जाती जिंदगी में पहली बार किसी औरत की चूची को हाथ से पकड़ रहा हूं इसलिए मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,( रघु जोर-जोर से चूचियों को दबाता हुआ बोला,,)

तो क्या दवा दवा का जान निकाल लेगा क्या,,,

जान नहीं निकलेगी चाची मैं तो सुना हूं कि औरतों की चूचियों को जोर-जोर से जितना ज्यादा दबावों उतना ज्यादा मजा औरतों को आता है,,


हारे तुम्हें ठीक ही सुना है लेकिन तो कुछ ज्यादा ही जोर से दबा रहा है देख तूने मेरी चूची को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया है,,,।( हलवाई के बीवी गर्म आहें भरते हुए बोली)

यह सब छोड़ो चाची बस मजे लो,,,( इतना कहने के साथ ही फिर से रघु जोर-जोर से हलवाई की बीवी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया हलवाई की बीवी की चुचियों का कद इतना ज्यादा था कि उसकी हथेली में ठीक से आ नहीं पा रहा था तो वह रह रह कर एक ही चूची को दोनों हाथों से पकड़कर जोर जोर से दबा रहा था मानो किसी का गला घोट रहा हो लेकिन रघु की इस हरकत की वजह से हलवाई की बीवी का तन बदन एकदम मदहोश हुआ जा रहा था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी इसीलिए तो इस तरह से रगड़ रगड़ कर चूची को दबाने के बाद वह मस्ती में आकर आंखों को बंद कर ली थी,,

पहली बार औरतों की चूची हाथ में आते ही रघु के अरमान जागने लगे थे आज पूरी तरह से वह औरत के हर अंग से मजे लेने के इरादे से हलवाई की बीवी की चूचियों से खेल रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथों में चूची नहीं फुटबॉल आ गया हो,,,, धीरे धीरे हलवाई की बीवी पूरी तरह से स्तन मर्दन के कारण उत्तेजित हो चुकी थी और उत्तेजना में होने के कारण उसकी चूची की निप्पल एकदम कड़क होने लगी थी जिसका एहसास रघु को बराबर हो रहा था यह चूची में आए बदलाव को देखकर रघु उत्सुकता के साथ साथ उत्तेजना का भी अनुभव करने लगा उससे रहा नहीं गया चॉकलेट की शक्ल की कड़ी निप्पल को देखकर उसके मुंह में पानी आने लगा उसे मुंह में लेकर चूसना चाहता था इसलिए वह अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए अपने मुंह को चूची की तरफ आगे बढ़ाया और देखते ही देखते,,, पूरी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, जैसे ही हलवाई की बीवी को यह एहसास हुआ कि उसकी निप्पल को रघु अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया है तो इस अहसास से ही वह पूरी तरह से गदगद हो गई उसके मुंह से हल्की सी गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,।

ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,, रघु,,,,,,
( हलवाई की बीवी एकदम मस्ती भरे सिसकारी लेते हुए अपने दोनों हाथ को रघु के सर पर रख कर उसे हल्के से अपनी चूची पर दबाने लगी यह उसकी तरफ से ही सारा था कि पूरा मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दें और रघु ने वही किया क्योंकि उसकी भी ललक बढ़ती जा रही थी उसकी चूची को पूरी तरह से मुंह में लेकर चूसने की जितना हो सकता था उतना वह मुंह में भर कर उसकी चूची के निप्पल को चुची सहित चूसना शुरू कर दिया,,, पल भर में ही रघु के तन बदन में गर्माहट भर गई,,, जैसे जैसे वह औरतों के अंगों के बारे में समझता चला जा रहा था वैसे वैसे उनके साथ खेलने की युक्ति भी अपने आप ही उसके दिमाग में भर्ती चली जा रही थी उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों की हर अंग से अत्यधिक आनंद की अनुभूति होती है वह एक हाथ से चूची को दबाते हुए और दूसरे हाथ में चूची को भरकर उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था,,,। लेकिन हलवाई की बीवी की एक चूची से उसका मन नहीं भर रहा था वह कभी दाईं चूची को तो कभी भाई चूची को बारी-बारी से अपनी मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया हलवाई की बीवी रघु कि इसका मुख हरकत से पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गई,,, उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी साथ ही उसकी कलाई में ढेर सारी चूड़ियों की खनक से पूरा कमरा गूंज रहा था,,,।
बाहर ढेर सारे सीयारो का चिल्लाना जारी था लेकिन अपनी मादकता भरी सिसकारी और रघु की हरकतों की वजह से बदन में फैल रही उत्तेजना के कारण वह अब सब कुछ भूल चुकी थी,,,,, वह अपनी दोनों हथेली को रघु की नंगी पीठ पर ऊपर से नीचे घुमाते हुए उसके हौसले को बढ़ा रही थी,,, इस कशमकश में रघु केतन से उसका तो लिया कब छूट कर नीचे जमीन पर गिर गया उसे पता ही नहीं चला वह पूरी तरह से नंगा था उसका लंड अपनी औकात में आ चुका था,,, इधर-उधर हाथ घुमाते हुए हलवाई की बीवी की उत्सुकता बढ़ने लगी तो वह अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर जैसे ही रघु की टांगों के बीच अपना हाथ ले गई वैसे ही उसका खड़ा लंड उसके हाथ में आ गया और जैसे ही है उसका खड़ा मोटा तगड़ा लंबा लंड हलवाई की बीवी की नरम नरम हथेली में आया वह पूरी तरह से मस्त हो गई और उत्तेजना अवश्य जोर से रघु के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबा दी,,,, इस तरह से दबाए जाने से रघु को अपने लंड में हल्के दर्द का एहसास हुआ तो वह उत्तेजना में आकर अपने दांत से हलवाई की बीवी की कड़ी निप्पल को हल्के से काट लिया और हलवाई की बीवी सिसक पड़ी,,,,।
हलवाई की बीवी के हाथों में उसकी मुंह मांगी मुराद आ गई थी जिंदगी में पहली बार हुआ इतने मोटे तगड़े लंड से मुखातिब हो रही थी भले ही वह अपनी जवानी के दिनों में ढेर सारी लंड को अपनी बुर में ले चुकी थी लेकिन रघु के लंड में जो बात थी उसे इस बात का एहसास हो गया कि वह बात किसी के लंड में नहीं थी इतना मोटा तगड़ा और लंबा लंड वह जिंदगी में पहली बार देख रही थी और उसे अपने हाथ में लेकर उससे खेल रही थी,,,
रघु पागल हुआ जा रहा था पहली बार उसका लंड किसी औरत के हाथ में जो आया था हलवाई की बीवी होले होले से रघु के लंड को मुठिया रही थी और इस क्रिया को एक औरत के हाथों होता देख और उसे महसूस करके रघु सातवें आसमान में उड़ने लगा था वह जोर-जोर से हलवाई की बीवी की दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर जोर-जोर से पीना शुरू कर दिया था हलवाई की बीवी की हालत पर फल खराब होती जा रही थी वह उत्तेजना के मारे अपना सर दाएं बाएं पटक रही थी और साथ ही रघु के लंड को जोर-जोर से अपनी मुट्ठी में दबा कर हिला रही थी उसे इस बात का आभास हो चुका था कि कुछ देर बाद उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में जाने वाला है और इस बात से वह बेहद खुश थी आज की रात उसके लिए बेहतरीन रात होने वाली थी अपनी पति की गैरमौजूदगी में जिस तरह का कदम उसने उठाई थी उससे उसकी शरीर की भूख मिटने वाली थी ऐसा उसे ज्ञात हो चुका था वरना अब तक अपने पति की की हरकतों से केवल वह गर्म होती थी उसे ठंडा करने की ताकत उसके पति में बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

खटिया पर हलवाई की बीवी और रघु का घमासान मचा हुआ था दोनों एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे रघु पूरी तरह से नंगा था और हलवाई की बीवी के बदन पर अभी भी पेटीकोट बंधी हुई थी,,,। जिसे रघु अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलना शुरू कर दिया था और रघु की इस हरकत की वजह से हलवाई की बीवी को समझते देर नहीं लगी की ब्लाउज के बटन खोलने वाला रघु अब उसके पेटीकोट को खोलकर उसे पूरी तरह से नंगी कर देगा,,, और नंगी होने के अहसास से ही वह पूरी तरह से मस्त होने लगी उसके बदन में कसमसाहट होने लगी,,।
हलवाई की बीवी की दिल की धड़कन तेज हो गई रघु की एक-एक हरकत उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,, संपूर्ण रूप से नंगी होकर हलवाई की बीवी बहुत ही कम बार चुदवाई थी अक्सर वह कपड़े पहने हुए हालत में ही चुदवाती आ रही थी ज्यादा से ज्यादा ब्लाउज के बटन खुल जाते थे लेकिन ब्लाउज पूरी तरह से बदन से अलग नहीं होता था और चोदने के लिए बस काम भर की जगह ,,,बस साड़ी को कमर तक उठाकर शुरू पड़ जाता था उसका आदमी,,,। और जवानी के दिनों में भी बहुत ही कम कार ही ऐसा मौका मिला था जब वह निश्चिंत होकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर चुदाई का आनंद ली थी वरना इतना समय ही नहीं मिलता था कहीं खेत में तो कहीं छत पर तो कहीं पेड़ के पीछे बस सलवार की डोरी खोल कर उसे जांघों तक नीचे गिरा कर थोड़ा सा झुक जाती थी,,, और चुदाई हो जाती थी,,,। लड़कों में भी इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि उसके सारे कपड़े उतार कर चुदाई का मजा ले क्योंकि उनके पास भी समय का अभाव होता था समय का अभाव का मतलब की यह डर की कोई देख ना ले इसलिए जल्दी काम खत्म करने के चक्कर में हलवाई की बीवी के संपूर्ण नंगे बदन के दर्शन भी नहीं कर पाते थे बस उसकी बुर में लंड पेल कर,,, और ज्यादा कुछ हुआ तो कुर्ती के ऊपर से दोनों नारंगीयो को दबाकर मजा ले लिए,,, लेकिन हलवाई की बीवी को एहसास हो गया कि रघु उनमें से बिल्कुल ही अलग है,,, क्योंकि वह उसके साथ एकदम इत्मीनान से आनंद ले रहा था और आनंद दे भी रहा था,,,।
चूचियों को तो पहले से ही वह दबा दबा कर एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया था,,, पहली बार हलवाई की बीवी को स्तन मर्दन में इतना ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी क्योंकि जिस शिद्दत से वह उसकी चुचियों पर डटा हुआ था उस तरह से आज तक उसके पति ने भी उसकी चुचियों से नहीं खेला था,,,।
रघु भी अपने आप को पूरी तरह से हलवाई की बीवी के हर एक अंग से खेल कर अपने आप को तृप्त कर लेना चाहता था इसलिए उसके हर एक अंग पर कुछ ज्यादा ही समय देते हुए उससे पूरा रस निचोड़ रहा था क्या करें रघु की कल्पना जो साकार होती नजर आ रही थी जिंदगी में पहली बार वह खरबूजे जैसी चुचियों को अपने हाथों में लेकर उससे खेल रहा था,,,।

लेकिन धीरे-धीरे हलवाई की बीवी के हालात पूरी तरह से बिगड़ते जा रहे थे लेकिन आनंद की परी काष्ठा बढ़ती जा रही थी क्योंकि अब रघु धीरे-धीरे करके उसकी पेटीकोट की डोरी को खोल चुका था,,, डोरी के खुलते ही नितंबों के घेराव के इर्द-गिर्द कसी हुई पेटीकोट एकदम ढीली हो गई,,, डोरी के खुलते ही रघु की भी हालत खराब होने लगी हलवाई की बीवी की मदमस्त भरी हुई जवानी की गर्मी उसके तन बदन से पसीने छुड़ा रही थी,,, हलवाई की बीवी इस बात से और ज्यादा खुश थी कि इस उम्र के दौरान भी वह जवान होते मर्दों के भी पसीने छुड़ाने में सक्षम थी,,, रह रह कर दोनों का गला उत्तेजना के मारे सूख जा रहा था और दोनों अपने थुक से अपने सूखे गले को गिला करने की कोशिश कर रहे थे,,, डोरी को खोल कर रखो हलवाई की बीवी के चेहरे की तरफ देखा तो वह उत्तेजना के मारे पूरी मदहोश हो चुकी थी उत्सुकता कामोत्तेजना और शर्म की लालिमा साफ उसके चेहरे पर झलक रही थी,,, लेकिन इन सब के दौरान भी उसके हाथ में रघु का लंड बरकरार था वह उत्तेजना के मारे जोर जोर से रघु के लंड को दबा रही थी,,, उसे भी आश्चर्य हो रहा था क्योंकि काफी देर से वह रघु के लंड से खेल रही थी लेकिन उसके लंड नहीं अभी तक पानी नहीं फेंका था वरना उसके पति का होता तो बस थोड़ा सा सहलाने पर ही पानी फेंक देता था,,, हलवाई की बीवी की पेटीकोट को उतारकर उसे नंगी करने के लिए रघु पूरी तरह से तैयार हो चुका था लेकिन इससे पहले वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी के खुले हुए ब्लाउज पर रखकर उसे उतारने की कोशिश करने लगा तो हलवाई की बीवी समझ गई कि रघु क्या करना चाहता है इसलिए खुद हल्के से थोड़ा सा ऊपर उठ गई और उसे अपना ब्लाउज अपनी दोनों बांहों में से निकलवाने में मदद करने लगी और देखते ही देखते रघु उसके दोनों बांहों में से उसके ब्लाउज को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया कमर के ऊपर हलवाई की बीवी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,, उसकी दोनों चूचियां ब्लाउज की कैद से संपूर्ण रूप से आजाद हो चुकी थी और अपने पंख फड़फड़ा ते हुए उन्नत पहाड़ियों की तरह छातियों की शोभा बढ़ा रही थी,,
उसकी गहरी नाभि बेहद खूबसूरत लग रही थी रघु उसकी गहरी नाभि को देखा कर उसे चुंबन लेने की अपनी लालसा और लालच को रोक नहीं पाया और धीरे से झुक कर उसकी नाभि पर अपने होंठ रख दिए,,, जैसे ही रखो उसकी नाभि ऊपर अपने प्यासे होंठ को रखा वैसे ही हलवाई की बीवी उत्तेजना के मारे सिहर उठी उसके मुंह से हल्की सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,

ससससहहहह,,,आहहहहहहह,, रघु,,,,,,ओहहहहहह,,,

हलवाई की बीवी का इतना कहना था कि रखो अपनी जीत को बाहर निकाल कर उसकी नाभि की गहराई में उतार कर उसे गोल गोल घुमा कर चाटने का आनंद लेने लगा इससे पहले रघु को इस तरह के ज्ञान का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था लेकिन धीरे-धीरे हलवाई की बीवी की संगत में वह अपने आप से ही सब कुछ सीखता चला जा रहा था हलवाई की बीवी रघु की इस हरकत से बेहद कामुक सिसकारियां लेने लगी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द ने उसकी गहरी नाभि पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन किया था और उसमें अजीब डालकर उसे चाटने की एक अद्भुत प्रयास किया था जिससे हलवाई की बीवी पूरी तरह से काम विह्वल हो चुकी थी,,,, रघु को मजा आ रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपने दोनों हाथ एली को हलवाई की बीवी के कमर के इर्द गिर्द रखकर उसे जोर से दबाते हुए उसकी नाभि को चाटने का आनंद ले रहा था,,,। हलवाई की बीवी की हालत पर्पल खराब होती जा रही थी बार-बार उसकी बुरे से उत्तेजना के मारे मदन रस बह रहा था जिससे उसकी पेटीकोट नीचे की तरफ से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,।

ससससहहहह,,,आहहहहहहह, रघु में पागल हो जाऊंगी तू यह क्या कर रहा है मुझसे रहा नहीं जा रहा,,,आहहहहहहह,,,, रघु,,,,ऊमममममम,,,


हलवाई की बीवी की गर्म से इस कार्यों की वजह से रघु अपने तन बदन में और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था लेकिन उसका भी लंड पूरी तरह से टन्नाया हुआ था,,, जो कि अभी भी हलवाई की बीवी के हाथ में ही था ना जाने कैसा आकर्षण था कि वहां रखो के मोटे तगड़े लंड को किसी भी हालत में छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थी पहली बार हुआ इतनी देर तक किसी बंद को अपने हाथ में लेकर उससे खेल रही थी और ताज्जुब इस बात की थी कि अभी तक उसकी नरम नरम उंगलियों की गर्माहट पाकर भी उसका लंड अपना लावा पिलाया नहीं था बल्कि ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी नरम नरम उंगलियों का सहारा पाकर उसमें और ज्यादा मर्दाना जोश भरता चला जा रहा था,,,, कुछ देर तक रघु उसकी नाभि में ही डाटा रहा ऐसा लग रहा था कि जैसे वह नाभि के सहारे उसके पेट में उतर जाएगा उसका बस चलता तो वह अपनी लंड को उसकी नाभि में डालकर उसकी चुदाई कर देता क्योंकि वैसे भी हलवाई की बीवी के मोटे पेट के कारण उसकी नाभि की गहराई काफी गहरी थी,, रघु के लंड में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से हो रहा था,,,। अब वह हलवाई की बीवी को पूरी तरह से नंगी करना चाहता था इसलिए वह अपने दोनों हाथों को उसकी पेटीकोट पर रखकर नीचे खींचने वाला था कि एक नजर हलवाई की बीवी की तरफ डाला वह उसे ही बड़ी उत्सुकता से देख रही थी और जैसे रघु की आंखों की भाषा व आंखों से ही पढ़ ली हो इस तरह से वह रघु के इशारे को समझते हुए अपनी भारी-भरकम गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी,,, उसकी यह अदा पर रघु पूरी तरह से चारों खाने चित हो गया,,,, यही एक खास अदा होती है औरतों में अगर वह किसी मर्द के साथ संभोग नहीं करना चाहती है तो वह कभी भी उसे इस तरह से अपनी पेटीकोट या कपड़ा उतारने नहीं देगी लेकिन जब उस की हानि होगी तो खुद ब खुद उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊपर की तरफ उठ जाएगी ताकि उसका साथी है उसका पेटीकोट या उसका कपड़ा उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर सके,,,। और हलवाई की बीवी पूरी तरह से तैयार थे इसलिए जैसे ही हो अपनी गांड उठा कर रखो का सहकार देने की कोशिश की है सही मौके का फायदा उठाकर रघु उसकी पेटिकोट को उसकी बड़ी बड़ी गांड से नीचे की तरफ खींच कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,,,। अब रघु की आंखों के सामने हलवाई की बीवी खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी,,, लेकिन एक अनजान लड़के के सामने वह पूरी तरह से सर में से गाड़ी जा रही थी वह बार-बार शर्म के मारे अपने चेहरे को इधर-उधर घुमा ले रही थी ना जाने क्यों इस समय वह रघु से आंखें मिलाने से कतरा रही थी,,,, उसका शर्माना रघु के कलेजे पर छुरियां चला रही थी जितना भी शर्म आ रही थी उतना ज्यादा उत्तेजना का अनुभव रघु अपने बदन में कर रहा था उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघें लालटेन की पीली रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी,,, हलवाई की बीवी के संपूर्ण नंगे बदन को देखकर रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था जिंदगी में पहली बार में किसी औरत को एकदम नंगी देख रहा था हालांकि पहले भी वह औरतों के नंगी गांड और कभी कबार उनकी चुचियों के दर्शन कर चुका था लेकिन उसका यह पहला मौका था जब वह संपूर्ण रूप से एक औरत को नंगी देख रहा था,,,। पेटिकोट को उतारते समय हलवाई की बीवी के हाथ से रघु का लंड छूट गया था जिससे वो और ज्यादा तड़प उठी थी हलवाई की बीवी अपनी मोटी मोटी जागो को आपस में सटाकर अपने अनमोल खजाने को छुपाए हुए थी,,,, और वही देखने के लिए रघु के तन बदन में आग लगी हुई थी,,,, इस समय दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी क्योंकि दोनों की बातें केवल इशारों में ही हो रही थी,,,।
रघु अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों पर हाथ रखते हुए उसे एक दूसरे से दूर करने की कोशिश करने लगा लेकिन हलवाई की बीवी शर्म के मारे कसके अपनी दोनों टांगों को आपस में सट आए हुए थे और घुटनों से मोड़ें हुए थी,,,,

यह क्या कर रही है चाची अपनी टांगे खोलो मुझे देखना है,,,।

क्या देखना है तुझे मुझे शर्म आ रही है ऐसे ही रहने दें,,,


शर्म किस बात की चाची मैंने अपने हाथों से ही तुम्हारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी किया हूं और अब शर्म कैसी,,,

पता नहीं लेकिन ना जाने क्यों तेरे सामने मुझे शर्म आ रही है,,,।

यह शर्म भी जाती रहेगी चाची बस एक बार अपनी दोनों टांगों को खोल दो मुझे अपने अनमोल खजाने को देखने दो मैं अपनी नजरों से तुम्हारे खजाने को लूटना चाहता हूं,,,,


नजरों से लूटकर कुछ नहीं होगा ना मेरा ना तुम्हारा इसे लूटने के लिए तुम्हें अपना हाथ लगाना होगा,,,
( हलवाई की बीवी शर्मा भी रही थी और इशारों में ऐसे अपनी अंदरूनी अंगों को छूने की इजाजत भी दे रही थी,,।)

तो देर किस बात की है चाची खोलो अपनी टांगों को मैं अपने हाथ से नहीं बल्कि अपने होठों से टटोलकर तुम्हारी बुर को देखना चाहता हूं,,,।( इतना कहते हुए रघु एक बार फिर से अपनी दोनों हथेली को हलवाई की बीवी की नंगी जांघों पर रख दिया।)


ससससहहहह,,, रघु,,,,,, तेरे हाथों में जादू है रे,,,,

तो इस जादू को बढ़ जाने दो चाची,,, तुम नहीं जानती कि मैं तुम्हारी बुर को देखने के लिए कितने तड़प रहा हूं,,,
( रघु के मुंह से बुरे शब्द सुनते ही हलवाई की बीवी का पूरा बदन उत्तेजना के मारे कसमस आने लगा उसकी यह बात सुनते ही वह भी अपनी दोनों टांगों को खोल देना चाहती थी,,।)

क्यों अभी तक किसी की बुर नहीं देखा क्या,,,।

तुम पहली औरत हो चाची जिसकी बुर और जिस के नंगे बदन को मैं आज मैं देख रहा हूं,,,, बस चाची अब मत तड़पाओ,,, खोल दो अपनी टांगों को और समा जाने दो मुझे अपनी टांगों के बीच में,,,,( इतना कहने के साथ ही जैसे ही रघु हलवाई की बीवी की मोटी मोटी टांगों को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर लगाते हुए एक दूसरे से अलग करने की कोशिश किया वैसे ही हलवाई की विधि संपूर्ण रूप से अपनी इच्छा दर्शाते हुए अपनी दोनों टांगों को खोल दी और जैसे ही हलवाई की बीवी की दोनों टांगे खुली रघु उसकी टांगों के बीच के दृश्य को देखता ही रह गया लालटेन की पीली रोशनी में हलवाई की बीवी की रसीली बुर की गुलाबी फांकें बेहद साफ नजर आ रही थी,,,, एक चीज और उसकी नजर में आई थी जो कि उसे बेहद आश्चर्य कर गई थी उसे अब तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि औरतों के गुप्त अंग पर भी बाल होते हैं जैसे कि उसके लड़के इर्द-गिर्द थे वह हलवाई की बीवी की बुर के ऊपर के घुंघराले रेशमी बालों को देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया उससे रहा नहीं गया और अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपनी उंगलियों से छूने लगा रघु की इस हरकत पर हलवाई की बीवी एकदम से सिहर उठी,,,, ।

ओहहहह रघु,,,,, अब देख ले तेरी आंखों के सामने तुझे जो करना है कर ले,,,।
( हलवाई की बीवी की तरफ से यह कहना एकदम साफ इशारा था कि अब वह उसे चोदने के लिए कह रही थी,,, और आमतौर पर यही होता भी था उसके साथ जैसे ही वह थाने खोल दी थी उसका आदमी उस पर चढ़कर उसकी बुर में लंड डालकर बस दो-चार धक्के नहीं झड़ जाता था,, उसका आदमी क्या शादी के पहले जवानी के दिनों में जिसके लिए भी अपनी दोनों टांगे खोली थी वह सीधा उसकी बुर में लंड पेन देता था लेकिन शायद रघु उन मर्दों में से बिल्कुल भी नहीं था वह हलवाई की बीवी की बुर के आकार का पूरी तरह से मुआयना कर रहा था उसे बड़ा ही ताज्जुब और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था वह बड़े गौर से अपनी उंगलियों से टटोल टटोलकर उसकी बुर को उसकी रूपरेखा को देख रहा था उसमें से मदन रस का रिसाव बराबर हो रहा था जिससे उसकी उंगलियां गीली होती चली जा रही थी लंड में ऐसा महसूस हो रहा था कि उस की नसें फट जाएंगे इतना अत्यधिक वह उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,।
रघु की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह दोनों टांगों के बीच आ गया और धीरे से अपने चेहरे को उसकी बुर के करीब ले जाने लगा,,,। जैसे-जैसे उसका चेहरा हलवाई की बीवी की टांगों के बीच के एकदम करीब आता जा रहा था वैसे वैसे बउर से उठा रही मादक खुशबू उसके नथुने से होकर उसकी छातियों में भर रही थी एक अद्भुत एहसास उसके तन बदन में छा रहा था और देखते ही देखते उसके होंठ कब उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों पर स्पर्श कर गए यह ना तो रघु को पता चला और ना ही हलवाई की बीवी को जब इस बात का आभास हुआ तब काफी देर हो चुकी थी रघु भी बेहद ताज्जुब में था कि यह कैसे हो गया,,, उसके होंठ औरतों के उस अंग पर कैसे पहुंच गए जहां से वह पेशाब करती है लेकिन अब रखो मैं इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपने होठों को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों से जुदा कर सके क्योंकि उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी ना जाने यह कैसा सुख था जिसे वह महसूस तो कर रहा था लेकिन समझ नहीं पा रहा था,,,। देखते ही देखते उसके होंठों के बीच से उसकी जीभ बाहर निकल कर उसकी बुर में समा गई वह थोड़ी ही देर में अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया एक अद्भुत सुख का अहसास हलवाई की बीवी को अपने आगोश में ले लिया वह समझ ही नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है,,, उसे तो आज तक उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बावजूद भी पता नहीं था कि औरतों की बुर चाटी भी जाती है और उसमें औरत को बेहद सुख की अनुभूति होती है,,,। हलवाई की बीवी पागल हुए जा रही थी लगातार उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी जो कि पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,। उसकी गरम शिसकारियों की आवाज छोटा कमरा होने के नाते उसे बाहर भी जाती होगी लेकिन आधी रात के समय उसे सुनने वाला कोई नहीं था,,,। रघु तो पागल हुआ जा रहा था वह पूरी तरह से हलवाई की बीवी की रसीली बुर को चाट रहा था जो कि इस समय फुल कर एकदम कचोरी जैसी हो चुकी थी वह अपनी हथेली की उंगलियों को भी उस पर रगड़ रहा था लेकिन अभी तक उसे बउर के गुलाबी छेद के बारे में पता नहीं था,,, इतनी देर से हलवाई के बीवी के रंगों से खेलने के बावजूद भी उसे इस बात का पता अब तक नहीं चला था कि अपने लंड को औरत की बुर में कैसे डालते हैं,,, लेकिन इस बात का पता उसे जल्द ही चल गया क्योंकि वह हलवाई की बीवी की बुर को चाटने के साथ-साथ अपनी उंगलियों को उस पर रगड़ भी रहा था जिससे उसकी एक उंगली झट से उसकी बुर की गुलाबी छेद में उतर गई और वह उस समय एकदम से घबरा गया उसका दिल धक से कर गया लेकिन उसे इस बात का आभास हो गया कि इसी क्षेंद में लंड को डाला जाता है,,,
गुलाबी छेद के बारे में पता चलते ही रघु से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने लंड को उसकी बुर के अंदर डालकर उसको चोदना चाहता था और यही हाल हलवाई की बीवी का भी था वह पागल हुए जा रही थी,,,। अपनी बुर के अंदर रघु की उंगली को महसूस करते ही उससे सब्र करना मुश्किल हुए जा रहा था और उत्तेजना बस रघु अपनी घुसी हुई उंगली को जोर-जोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,,, हलवाई की बीवी के माथे से पसीना छूटने लगा बड़ी तेजी से रघु की उंगली उसकी बुर के अंदर बाहर हो रही थी वैसे तो लुगाई की बीवी के मोटे तगड़े शरीर के हिसाब से छोटी सी उंगली की कोई भी साथ नहीं थी लेकिन कई महीनों से उसकी बुर के अंदर अच्छी तरह से लंड प्रवेश नहीं किया था इसलिए लोगों की उंगली से भी उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, रघु की हरकत की वजह से हलवाई की बीवी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,

ससससहहहह,,,आहहहहहहह,,,,ओहहहहहह, रघु,,,,, मेरे राजा तूने तो कमाल कर दिया है रे,,,। तेरी मुरली से जब इतना मजा आ रहा है तो जब तेरा लंड मेरी बुर में जाएगा तब कितना मजा आएगा,,,,।

ओहहहह, चाची यह क्या कह रही हो चाची,,,, तुम्हारी बातों से तो मुझे नशा चढ़ने लगा है,,,आहहहहहहह,,,,, चाची,,,,, बहुत गरम बुर है तुम्हारी,,,,,,
( हलवाई की बीवी के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर हो पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह जोर-जोर से अपनी उंगली को चाची की बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते वह अपनी दूसरी वाली को भी उसकी बुर के अंदर सरका दिया,,,, दूसरी उंगली के बुर में घुसते ही हलवाई की बीवी एकदम मदहोश होने लगी,,,, अब उसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था अब वह चाहती थी कि रघु अपनी उंगली बाहर निकाल कर इतना मोटा तो बड़ा लंड उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दे और रघु भी यही चाह रहा था,,,। हलवाई की बीवी कुछ बोलती इससे पहले ही वह अपनी उंगली को बाहर निकाल कर कुछ पल के लिए गहरी गहरी सांसे लेने लगा,,,, दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था हलवाई की बीवी का तो पानी निकल चुका था लेकिन वह असली सुख के लिए तड़प रही थी और रघु अभी तक पूरी तरह से बरकरार था उसके लंड में उत्तेजना चिंगारियां फूट रही थी लेकिन अभी तक उसका ज्वाला फूटा नहीं था,,,, लेकिन अब वक्त आ गया था असली खेल का जो कि आज तक रघु ने नहीं खेला था,,,, रघु को शांत होता देखकर हलवाई की बीवी हल्के से अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा और फैला दी और अपने हाथों की कहानी का सहारा लेकर थोड़ा सा ऊपर उठी और अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच दौड़ाने लगी हलवाई की बीवी अपनी बुर का मुआयना कर रही थी वह देखना चाहती थी कि रघु की उंगली से चुदकर उसकी बुर का क्या हाल है,,,,, और अपनी बुर को देखते ही उसे एहसास हो गया कि उसकी बुर का बुरा हाल था,,, उत्तेजना और लंड की लालच में उसकी बुर फूल कर एकदम कचोरी जैसी हो गई थी,,,, रेशमी बालों के झुरमुट के बीच उसकी गुलाबी रंग की पत्तियां बेहद मोहक लग रही थी,,,, आज बरसों के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बुर का आकर्षण अभी भी पहले की ही तरह है भले ही थोड़ा सा खुल गई हो तो क्या हुआ अभी भी उस में इतना जोश भरा हुआ है कि वह इस जवान लड़के को अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित कर रही है,,,।

आज की रात हलवाई की बीवी कुछ ज्यादा ही बेशर्मी दिखा रही थी,,,, वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी अपने बदन की उत्तेजना उससे दब नहीं रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,। हलवाई की बीवी की मदहोशी को देखकर रघु बोला,,,।

कैसा लगा चाची,,,,( रघु अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हलवाई की बीवी को दिखा कर हिलाते हुए बोला,,,)

बहुत मजा आया लेकिन में चाहती हूं कि तू अपने इस,,( एक हाथ की उंगली से रघु टैलेंट की तरफ इशारा करते हुए और दूसरी हथेली को अपनी गुलाबी बुर पर रगड़ ते हुए,,) मोटे तगड़े लंड को मेरी बुर में डालकर मेरी चुदाई कर दे,,,,, रघु,,,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,।

तुम मुझसे ही कहां रहा जा रहा है चाचा मैं तो तुम्हारी आज्ञा का इंतजार कर रहा था,,,,।


आज की रात तुझे मेरी तरफ से पूरी छूट है तू जो चाहे वह मेरे साथ कर सकता है,,,, बस मुझे मस्त कर दे मुझे तृप्त कर दे प्यासी मत छोड़ना अधूरी मत छोड़ना,,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाचा मेरा यह लंड तुम्हारी बुर में जाकर ऐसा गदर मचाएगा की तुम्हारी आंखें फटी की फटी रह जाएगी,,,, आज तुम्हारी बुर को चोद कर भोसड़ा बना दूंगा,,,,( रघु अपने टन टनाए हुए लंड को हिलाते हुए बोला,,,,।)

कहने और करने में बहुत फर्क होता है रघु मैंने अच्छे-अच्छे को बीच मझधार में डूबते हुए देखी हूं,,,,, मुझे नहीं लगता कि तू मेरी बुर की प्यास बुझा पाएगा,,,,,( हलवाई की बीपी लगातार रघु को उकसाने हुए अपने गुलाबी बुर को जोर जोर से मसल रही थी और यह देखकर और उसकी बातें सुनकर रघु का पाना चढ़ने लगा था,,,,, वह उसकी बातें सुनकर एकदम जोस से भर चुका था और वह खटिया पर से खड़ा हो गया और एक तरह से अपने लंड को अच्छी तरह से हलवाई की बीवी को दिखाते हुए बोला,,,।)

अगर आज चाची मैं तुम्हारी बुर का भोसड़ा ना बना दिया तो मैं कभी अपनी शक्ल तुम्हें नहीं दिखाऊंगा,,,,।


बोल मत कर के दिखा,,,,

यह बात है तो रुको आज मैं तुम्हें दिखा देता हूं कि यह रघु क्या चीज है,,,,।( इतना कहने के साथ ही रखो कटोरी में रखे हुए सरसों के तेल को अपनी हथेली पर गिरा कर उसे अच्छे से अपने लंड पर लगाकर मालिश करने लगा,,, रघु अक्सर अपने घर में सरसों के तेल से अपने लंड की मालिश किया करता था,,, तभी तो सरसों के तेल को पी पी कर उसका लंड एकदम मुसल की तरह हो गया था,,, आधी रात से ज्यादा का समय हो चुका था पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था,,, केवल कुत्तों के भौंकने और सियार के चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी,,,, गांव में कजरी अपने बेटे रघु का इंतजार कर कर के थक हार कर सो गई उसे क्या पता था कि आज रघु घर से बाहर निकल कर हलवाई की बीवी के साथ अपनी मर्दानगी का खाता खुलवा रहा है,,,, और हलवाई की बीवी का आदमी दूर किसी गांव में नदी में पकोड़े छानने में व्यस्त था और उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि वह उधर शादी में पकौड़ी छान रहा है और उसकी बीवी घर में गैर मर्द से अपनी कचोरी पर चटनी गिरवानी के लिए आतुर है,,,,।

छोटे से कमरे का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था लालटेन की पीली रोशनी में हलवाई की बीवी का नंगा बदन पूरी तरह से नहाया हुआ था,,,,। रघु बड़े अच्छे से सरसों तेल से अपने लंड की मालिश कर रहा था जैसे कि एक सैनिक युद्ध के मैदान में जाने से पहले अपने बंधु को मैं तेल पानी देकर उसे एकदम दुरुस्त कर लेता है ताकि गोली ठीक समय पर फूटे,,,,,,

आप अपने लंड की मालिश करते करते सुबह कर दोगे या इधर भी आओगे मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,,।

चिंता मत करो रानी तुम्हारी बुर की आग में ही बुलाऊंगा मुझे ऐसा लग रहा है कि आज मेरी मां ने मुझे घर से मेरा उद्धार करने के लिए ही निकाली थी साथ में तुम्हारा भी उद्धार मेरे ही लंड से होगा,,,
( हलवाई की बीवी रघु के मुंह से कितनी खुली बातें सुनकर एकदम मस्त होने लगी मदहोशी उसकी आंखों में छाने लगी वह पूरी तरह से नशे में हो गई थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी पुर में चीटियां रेंग रही हो वह जल्द से जल्द रघु के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी वह उसकी मोटाई को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर महसूस करना चाहती थी,,,। वह जिस तरह से अपनी हथेली से लगातार अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों को मसल रही थी उसे देखते हुए रघु के सब्र का बांध टूटने लगा,,,, और वह अपने सरसों में सने हुए लंड को एक हाथ से हिलाते हुए सीधे खटिए पर बैठकर अपने लिए हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों के बीच जगह बनाने लगा,,, खटिया पर आते ही हलवाई की बीवी अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा और फैला दी,,,,। सही मायने में औरतों का यही रूप सबसे ज्यादा कामुक होता है उनकी यह हरकत बेहद कामाोतेजना और कामुकता से भरी होती है,,,, कितना मोहक और बेहद आकर्षक लगता है और कितना अतुल्य पल होता है जब एक औरत एक मर्द के लिए अपनी दोनों टांगों को खुद ब खुद खोलती है यह उसकी तरफ से पूरी तरह से समर्पण की स्वीकृति होती है,,,, और औरत का यही रूप देखने के लिए हर मर्द लालायित रहता है,,,, रघु को भी हलवाई की बीवी की यह अदा और हरकत बेहद मनमोहक और आकर्षक लगी थी,,,, और उसकी यही हरकत पर रघु का लंड अपना मुंह उठाकर उसकी मदमस्त जवानी को सलामी भर रहा था,,,,।

बिना अनुभव के बिना किसी दिशानिर्देश के रघु खटिया पर अपने घुटनों के बल होकर हलवाई की बीवी की दोनों टांगों को अपने हाथों से फैलाते हुए अपने लिए जगह बना लिया था आज तक उसे पता नहीं था कि औरत की बुर की अंदर कौन से स्थान पर रखकर अपने लंड को प्रवेश कराया जाता है लेकिन जैसे-जैसे हलवाई की बीवी के अंगों से खेलने के बाद पल बीतता जा रहा था वैसे वैसे उसका अनुभव बढ़ता जा रहा था और उसका दिमाग भी बहुत तेजी से चल रहा था,,,, रघु एक बार हलवाई की बीवी की बुर गुलाबी छेद के प्रवेश द्वार को अपनी उंगलियों से टटोलकर पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहता था इसलिए एक बार फिर से वह अपनी अंगुली से उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को टटोल ते हुए उस में उंगली डालकर अपनी सही दिशा पर ध्यान केंद्रित कर चुका था वह एक हाथ की उंगली से उसकी गुलाबी बुर की पत्तियों को टटोल ते हुए अपनी दूसरे हाथ में अपनी खड़े लंड को लेकर उसे धीरे से उसके सुपारी को उस गुलाबी छेद के ऊपर रख दिया,,,, जैसे ही हलवाई की बीवी को अपनी बुर की गुलाबी पत्ती के ऊपर रघु के मोटे तगड़े गरम लंड का एहसास हुआ वह पूरी तरह से उत्तेजना में आकर सिहर उठी,,,,,आहहहहहहह रघु,,,,, उसके मुंह से गर्म सिसकारी के साथ रघु का नाम निकल गया,,,,,।

जिंदगी में पहली बार अपने लंड को किसी औरत की बुर के ऊपर रखकर रघु पूरी तरह से जोश में आ गया था उसकी उत्तेजना और प्रसन्नता समाए नहीं समा रही थी वो बेहद खुश था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आसमान में उड़ रहा हो उसे जन्नत का मज़ा मिलने लगा था लेकिन अभी तो उसका लंड केवल पुर के प्रवेश द्वार पर ही दस्तक दे रहा था अभी तो अंदर घुसकर पूरी तरह से तसल्ली करना बाकी था,,,। रघु को इतना तो पता ही था कि चोदने के लिए बुर के अंदर लंड डालना बेहद जरूरी होता है और बुर के अंदर लंड कैसे घुसता है ये भी वह जान चुका था,,, हालांकि अभी तक वह अपनी जिंदगी में किसी भी बुर के अंदर अपने लंड को डाला नहीं था लेकिन उसे एहसास हो गया था कि बुर के अंदर लंड को कैसे डाला जाता है,,,, हलवाई की बीवी अपने दोनों हाथों की कहानी का सहारा लेकर अपने गर्दन को ऊपर उठाकर अपनी नजरों को सीधा अपनी टांगों के बीच स्थिर किए हुए थी वह अपनी आंखों से देखना चाहती थी कि रघु क्या करता है अपनी बुर के ऊपर लेटे हुए लंड को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि रखो का लंड को ज्यादा ही मोटा और लंबा है जो कि बड़े आराम से उसकी बुर के ऊपर रेशमी बालों के झुरमुट पर लेटा हुआ था,,,,, हलवाई की बीवी को अपनी रेशमी बालों के झुरमुट पर लेटे हुए रघु का लंड काले नाग की तरह लग रहा था जो कि उसकी गुलाबी बिल में जाने के लिए बेताब था,,,,।
रघु की सांसे बेहद गहरी चल रही थी उसका चौड़ा सीना लालटेन की रोशनी में बेहद मोहक लग रहा था उसकी चौड़ी छाती को देखकर हलवाई की बीवी समझ गई थी कि रघु पूरी तरह से मर्दाना ताकत से भरा हुआ जवान लड़का है जिसकी बाहों में अपने आप को छुपाकर वह चुदाई के मजे को भरपूर तरीके से लूटेगी।

रघु अपने हाथ में अपने खड़े लंड को पकड़ कर उसके सुपाड़े को जोर-जोर से हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर पर पटकने लगा,,,,

आहहहहह,,, रघु,,,,, क्या कर रहा है मुझे चोट लग रही है,,,
( हलवाई की बीवी मस्ती के साथ गर्म आहे लेते हुए बोली,,,।)

सससससससहहहहह,,,चोट लग रही है चाची,,,,सससहहहह,,,,, बस इतने से ही तुम्हें चोट लग रही है जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर के छोटे से गुलाबी छेद में घुसेगा तब क्या होगा,,,,( रघु एकदम मस्ती में आकर बोला रघु की बात सुनकर हलवाई की बीवी को इस बात का एहसास हो गया था कि वाकई में रघु जो कह रहा था वह बिल्कुल सच था रघु के मोटे लंड की मुकाबले उसकी बुर का छेद छोटा था,,, क्योंकि उसके पति का लंड रघु के लंड से आधा ही था,,,,, लेकिन फिर भी वह रघु के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए बेताब थी,,,।)

कुछ नहीं होगा बस तू अपने लंड को मेरी बुर में डाल दें,,,,

( हलवाई की बीवी के उतावलापन को देखकर रघु से भी रहा नहीं गया और वह अपने लंड को कपड़े को अच्छी तरह से उसके गुलाबी छेद पर रखकर हल्के हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा पहले से ही हलवाई की बीवी की बुर से ढेर सारा नमकीन मदन रस बह रहा था जिसकी चिकनाहट पाकर उसका लंड का सुपाड़ा धीरे-धीरे उसकी बुर के अंदर प्रवेश करने लगा,,,। और जैसे-जैसे उसके मोटे लंड का छोटा टुकड़ा उसकी बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे हलवाई की बीवी के चेहरे पर दर्द की आवाज साफ नजर आ रही थी उसके चेहरे के हाव भाव पल पल बदलता हुआ नजर आ रहा था,,,, हलवाई की बीवी को इस बात का एहसास हो गया कि उसके सोचने के मुताबिक रघु के लंड का सुपाड़ा काफी मोटा है अब तो उसे दर्द भी होने लगा था लेकिन दर्द के बाद मिलने वाले अद्भुत सुख को महसूस करने के लिए वह इस दर्द को झेलने के लिए पूरी तरह से तैयार थी,,,, रघु अपने लंड को हलवाई की बीवी की बुर में डालने के प्रयास में जुटा हुआ था वह पूरा जोर लगा दे रहा था लेकिन उसके लंड का मोटा से बड़ा हलवाई की बीवी की बुर के गुलाबी से छोटे से छेद को भेद पाने में असमर्थ लग रहा था,,,। इसका एक कारण यह भी था कि रघु अनुभव ही न था अगर उसे औरत की बुर में लंड डालने का अनुभव होता तो अब तक वह उसकी बुर को फाड़ चुका होता है,,,। उसे लगने लगा कि उसका प्रयास सफल नहीं हो पाएगा तो वह वापस अपने लंड को उसकी बुर से बाहर खींच लिया और इस बार वह ढेर सारा थूक अपनी हथेली पर लेकर अपने लंड की सुपाड़े पर अच्छे से लगाने लगा,,, थूक लगाने से उसका लंड पूरी तरह से लिसलिशा हो गया,,, अब उसे पूरा यकीन हो गया कि इस बार उसका लंड पूरी तरह से अपना झंडा बुर में गाड़ कर ही आएगा,,,,

यह सब हलवाई की बीवी बड़ी उत्सुकता बस देख रही थी और बोली,,,

मैं कह रही थी ना कहने और करने में बहुत फर्क होता है,,, तुझसे भी नहीं होगा,,,,

आज तक कोई ऐसा काम नहीं है चाची जो मुझसे ना हुआ हो यह भी होगा और बराबर होगा,,,,( रघु अपने लंड पर अच्छे से थुक को लगाते हुए बोला। वह एक बार फिर से अपनी जगह लेते हुए अपने लंड की सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,, इस बार रघु ने कोई भी गलती नहीं किया और देखते ही देखते उसके लंड का मोटा सुपाड़ा हलवाई की बीवी की बुर में प्रवेश करने लगा लेकिन हलवाई की बीवी का दर्द बरकरार था जिंदगी में पहली बार वह इतने मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में जो ले रही थी,,,, जैसे-जैसे उसका लंड का सुपाड़ा बुर की गुलाबी पत्तियों को चीरता हुआ अंदर धंस रहा था वैसे वैसे दर्द की रेखाएं हलवाई की बीवी के सुंदर चेहरे पर अपना असर दिखा रही थी,,,, रघु को काफी मेहनत लग रही थीं वह पसीने से तरबतर हो चुका था साथ ही दर्द के मारे हलवाई की बीवी अपने दातों को दबाए हुए थी,,,। रघु अभी तक थोड़ा एहतियात बरत रहा था लेकिन अब उसे लगने लगा था कि थोड़ा कठोर बंद दिखाना जरूरी है तभी वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकेगा इसलिए वह अपने दोनों हाथों से हलवाई की बीवी की मांसल कमर को दबोच लिया और इस बार वह कचकच आ गए जबरदस्त धक्का लगाया और उस धक्के के साथ ही उसका मोटा तगड़ा लंड का मोटा सुपाड़ा सरकते हुए सीधे बुर के द्वार के भीतर प्रवेश कर गया,,,,, रघु चुदाई की पहली सीढ़ी को पार कर गया था लेकिन इस सीडी को पार करते हुए हलवाई की बीवी को बेहद दर्द भी दे रहा था वह दर्द से कराह उठी धक्का इतना जबरदस्त और तेज था कि फिर भाई की बीवी के मुंह से चीख निकल गई लेकिन उस चीज को उस सन्नाटे में उस वीराने में सुनने वाला इस समय कोई नहीं था,,,।

बाप रे बाप ओ मोरी दैया,,,,, मेरी तो जान निकल जाएगी,,, यह क्या किया रघु तूने,,,,,( इतना जबरदस्त दर्द हो रहा था कि हलवाई की भी एकदम से डर गई थी कहीं उसकी बुर फट जाएगी इसलिए वह गर्दन उठाकर अपनी बुर की तरफ देख रही थी हलवाई की बीवी का इस तरह से अपने बुर को आश्चर्य से देखना शायद रघु समझ गया था इसलिए वह उसकी कमर था में हुए ही बोला,,,)

चिंता मत करो चाची बुर फटी नहीं है अभी सलामत है,,,,।

आहहहहहहह,,,, हाय राम तूने तो मेरी हालत खराब कर दी रे मैं तो समझी कि मेरी बुर आज गई,,,,,आहहहहहहह,,,, मैं मर जाऊंगी बहुत दर्द कर रहा है निकाल ले तू इसे तेरा लैंड है कि मुसल है निकाल इसे ,,,,,

( हलवाई की बीवी दर्द से छटपटा रही थी वह जानती थी कि शुभम के लंड की मोटाई उसकी बुर की छेद से काफी बड़ा था इसलिए उसे इस तरह का दर्द हो रहा था,,,, लेकिन रघु पहली बार किसी औरत की बुर में अपना लंड मिल रहा था इसलिए उस में से निकालने की उसकी इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी,,,, वह अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी के दोनों खरबूजे को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,।)

नहीं चाची अब यह मुमकिन नहीं है,,,, मेरा मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा है तुम्हारी बुर से अपने लंड को बाहर निकालने का अब तो मन कर रहा है कि तुम्हें ऐसा पेलु के जिंदगी भर याद रखो,,,,

हलवाई की बीवी की बुर में दर्द भी हो रहा था लेकिन ट्रकों की बातें सुनकर उसका हौसला भी बढ़ रहा था उसे एहसास हो रहा था कि रघु उसे सबसे अच्छा सुख देने वाला है उसे तृप्त कर देने वाला है इसलिए वह भले ऊपर से बोल रही थी कि अपने लंड को बाहर निकाल ले लेकिन अंदर से यही चाहती थी कि वह अपने लंड को बाहर ना निकालें,,,, ना जाने कैसे रघु पहली बार में ही औरतों के साथ कैसा व्यवहार उसके अंगों से कैसे खेला जाता है सब कुछ सीखता चला जा रहा था वह होले होले से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था जिससे स्तन मर्दन की वजह से एक बार फिर से हलवाई की बीवी के तन बदन में काम भावना जागृत होने लगी थी,,,,

ससससहहहह,,,आआहहहरह,,,, रघु,,,,,ओहहहहहह,,, मेरे राजा मजा आ रहा है बहुत मजा आ रहा है,,,,

हलवाई की बीवी की यह बातें सुनते ही रहो को लगने लगा कि अब आगे बढ़ना जरूरी है क्योंकि लोहा एक बार फिर से गर्म होने लगा था रघु का लंड टस से मस नहीं हो रहा था वह धीरे-धीरे सुपारी को ही अंदर बाहर करके हलवाई की बीवी को चोदना शुरू कर दिया अंदर की चिकनाहट पाकर उसका लंड धीरे धीरे अंदर की तरफ घुसता चला जा रहा था,,,। हलवाई की बीवी के चेहरे की रंगत एक बार फिर से फीकी पड़ने लगी क्योंकि जैसे जैसे रखूं करेंगे अंदर घुस रहा था वैसे वैसे फिर से उसे दर्द का एहसास हो रहा था,,,
काफी मशक्कत करने के बाद रघु आधे से ज्यादा लंड को हलवाई की बीवी की बुर में प्रवेश करा चुका था,,,, रघु के माथे से पसीने की बूंदें टपक रही थी जो कि हलवाई की बीवी के गोरे चिकने पेट पर गिर रही थी,,, अपने पेट पर गिरते हुए पसीने की बूंदों को देखकर हलवाई की बीवी को एहसास हो गया था कि उसकी चुदाई करना बच्चों का खेल नहीं था,,, वैसे भी उसका पेट काफी निकला हुआ था और जिस तरह से रघु उसे चोद रहा था उसकी बुर में लंड पर रहा था इस तरह से सामान्य तौर पर आम इंसान ही नहीं कर पाते क्योंकि इसके लिए लंबा मोटा तगड़ा लंड की जरूरत होती है और ऐसा अब तक हलवाई की बीवी ने किसी के पास नहीं देखी थी लेकिन रघु की बात अलग थी रघु का आधे से ज्यादा लंड उसकी बुर में घुस चुका था लेकिन हलवाई की बीवी को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई गरम रोड उसकी बुर में पूरी तरह से घुस गया हो और उसमें बिल्कुल भी जगह नहीं बची थी अंदर लेने के लिए,,,, इसलिए तो हलवाई की बीवी आश्चर्य से बोली,,,

पूरा घुस गया क्या,,,?

नहीं चाची अभी थोड़ा बाकी है,,,,

कितना बाकी है रे मेरी बुर में तो जगह ही नहीं बची,,,( इतना कहकर वो फिर से अपनी गर्दन उठा कर अपनी टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेने के लिए अपनी नजर वहां पर दौड़ आने लगी तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि शुभम का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में पूरी तरह से घुसा हुआ था और अभी भी लगभग 3 इंच जैसा बाकी था,,,,,)

बाप रे बाप तेरा लंड तो लगता है मेरी बुर फाड़ देगा मेरी बुर में करे लंड को लेने के लिए जगह नहीं बची है,,,

जगह तो बनाई जाती है चाची इतना कहने के साथ ही रघु एक बार फिर से हलवाई की बीवी की कमर को अपनी दोनों हथेलियों में कस के दबोच कर एक जबर्दस्त प्रहार किया और इस बार उसका लंड का सुपाड़ा बुर की अंदरूनी अड़चनों को चीरता हुआ सीधा जाकर उसके बच्चेदानी से टकरा गया,,,

आहहहहहहह,,,,, मर गई रे,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह छटपटाने लगी जो दर्द से बिलबिला उठी थी उसे यह दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था अब वह सच में यही चाहती थी कि रघु अपने लंड को उसकी बुर से बाहर निकाल ले,,,, रघु कहां मानने वाला था जवानी के जोश से भरा हुआ था पहली बार उसे चोदने के लिए मलाईदार बुर जो मिली थी वह अपने लिंग को उसकी बुर से निकालने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था बस थोड़ा सा ठहर गया था और पहले की ही तरह एक बार फिर से उसकी दोनों चूचियों को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए इस बार उसे मुंह भर कर पीना शुरू कर दिया,,,, जिससे थोड़ी ही देर में एक बार फिर से हलवाई की बीवी को मजा आने लगा और उसके मुंह से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज आने लगी ,,, रघु पूरी तरह से उसके ऊपर लेटा हुआ था और हलवाई की बीवी अपनी दोनों टांगों को छीतराए हुए थी,,, उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु का हौसला बढ़ने लगा और वह हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया अब बड़े आराम से उसका लंड बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,,

पूरी तरह से आनंद में डूबकर हलवाई की बीवी रघु की नंगी पीठ पर अपने हाथ फेरने लगी उसे मजा आने लगा देखते ही देखते रघु की कमर जोर से ही ना शुरू कर दी,,,।
कमर को हिलाते होगे कब वह धक्के लगाने लगा या उसे पता ही नहीं चला उसके धक्के बढ़ने लगे वह बड़ी तेजी से हलवाई की बीवी की बुर में धक्के लगा रहा था और हर धक्के के साथ पूरी खटिया चरमराने लगी थी,,, चररर मरररर,,,चररर,,,मरररर,,,, की आवाज और गर्म सिसकारियों से पूरा घर गूंजने लगा,,,

ओहहहहहह,,, मेरी राजा बहुत मजा आ रहा है तेरा लंड सीधे मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा,,,, और जोर जोर से धक्के लगा,,,आहहहहहहह,,,आहहहहहहह,,,,
( उसकी यह सब बातें सुनकर रघु का जोश बढ़ता जा रहा था और वह बड़ी तेजी से अपना कमर हिला रहा था हलवाई की बीवी के बच्चेदानी से टकराने वाली बातों से समझ में नहीं आई थी और ना ही वह कुछ जानना चाहता था लेकिन वह इतना जरूर जानता था कि अगर वह और जोर जोर से धक्के लगाएगा तो खटिया टूट जाएगी इसलिए वह शंका जताते हुए बोला,,,,।)

ओहहहहहह,,, चाची कहीं तुम्हें पेलने में तुम्हारी खटिया ना टूट जाए,,,,,

नहीं टूटेगी मेरे राजा शीशम की लकड़ी से जो बनवाई है तेरे हर धक्के को मेरे साथ साथ मेरी खटिया भी झेल जाएगी बस तो धक्के लगाता रे,,,,

( हलवाई की बीवी के मुंह से हौसला अफजाई वाली बात सुनकर रघु दुगने जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया वह बड़ी जोर जोर से हलवाई की बीवी की दोनों चूचियों को पकड़ कर मसल ता हुआ अपनी कमर हिला रहा था,,,ठप्प ठप्प,,, की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों से जब जब रघु की जान रख रही थी तब तब उसमें से मधुर संगीत की आवाज गूंज रही थी साथ ही उसकी गरम सिसकारियां और उसकी चूड़ी की खनक पूरे माहौल को मादकता प्रदान कर रही थी,,,।
रघु पागल हुए जा रहा था आज उसे पता चला था कि जुदाई में कितना आनंद मिलता है जो दुनिया में कहीं नहीं मिलता वह हर धक्के के साथ हलवाई की बीवी की चुचियों को जोर से मसल दे रहा था जिससे उसकी आह निकल जा रही थी,,,,,

देखते ही देखते दोनों चरमसुख के करीब पहुंचने लगे हलवाई की बीवी की सिसकारियां तेज होती जा रही थी और रघु पागलों की तरह अपनी कमर हिला रहा था वह अपनी दोनों हाथों को हलवाई की बीवी के पेट के नीचे से लाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया वह उसे अपने सीने से लगा लिया उसकी निर्धन धर्म चूचियां उसके सीने पर ठोकर मारने लगी और इस बार रघु अपनी हिम्मत दिखाते हुए,,, अपने होठों को हलवाई की बीवी के गुलाबी रखते हुए होंठ पर रखकर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया यह भी हलवाई की बीवी के लिए बिल्कुल नया था आज तक उसके होठों को उसके पति ने भी नहीं चुसा था,,, एक तरह से उसका आदमी इतनी खूबसूरत बेबी होने के बावजूद भी संभोग कला से बिल्कुल विमुख था,,, वहीं पर रघु पहली बार में ही औरतों को कैसे खुश किया जाता है इस कला में निपुण होने लगा था देखते ही देखते जिस तरह से रघु उसके गुलाबी होठों को चूस रहा था उसी तरह से वह भी रघु के होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू कर दी थी यह उसके लिए पहला अनुभव था और बेहद आनंददायक था,,, उसे इस तरह के चुंबन में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह भी पागलों की तरह उसका साथ दे रही थी,,,,।
काम भावना के वशीभूत होकर हलवाई की बीवी पूरी तरह से मदहोश होकर रघु के पूरे तन पर अपना हाथ फेर रही थी,,,। देखते ही देखते चरम सुख के बेहद करीब पहुंचकर वह अपने दोनों हाथों से लोगों के नितंबों को पकड़कर उसे अपनी बुर पर दबाना शुरू कर दी,,,,

ओहहहहह,, रघु मेरे राजा ऐसे ही चोद ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगा,,,आहहहहहहह,,,,,आहहहहहहह,,,,, फाड़ दे मेरी बुर को रघु मेरी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,आहहहहह,,,आहहहहह,,, मेरा होने वाला है मेरा होने वाला है रघु,,,,,,,,ओहहहहहहह, रघु,,,,,आहहहहहहह,,,,
( इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी चरम सुख के अंतिम क्षण में रघु के जबरदस्त धक्कों के आगे ठहर नहीं पाई और भल भला कर झड़ने लगी,,,,,)
ऊऊऊमममम,,,ऊमममममम,,,,,( इतना कहते हुए वह जोर से रघु को अपनी बाहों में कस ली,,, उसकी बुर से मदन रहने लगा था लेकिन अभी भी रघु बरकरार था,,, इसलिए वह हलवाई की बीवी के ऊपर से उठा और घुटनों के बल बराबर बैठ कर हलवाई की बीवी को कमर से पकड़ कर उसे अपनी जांघों पर खींच लिया,,,, और बिना रुके चुदाई करना शुरू कर दिया अब उसे खटिया टूटने का डर बिल्कुल भी नहीं था और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 10 15 धक्कों के बाद वह भी झड़ने लगा,,,, रघु कैलेंडर से निकले हुए गरम लावा को अपनी बुर के अंदरूनी दीवारों पर महसूस करके हलवाई की बीवी एकदम तृप्त होने लगे और एकदम से मस्त हो गई,,,,
झड़ने के बाद रघु हलवाई की बीवी के ऊपर ही लेटा रहा,,,,

वासना का तूफान शांत हो चुका था जिंदगी में पहली बार अद्भुत तृप्ति का अहसास से पूरी तरह से भर चुकी थी हलवाई की बीवी चुदाई का असली मजा उसे रघु के साथ आया था,,,, और रघु की जिंदगी में पहली बार हलवाई की बीवी की चुदाई करके इतना मस्त हो चुका था कि उस पर मदहोशी अभी तक छाई हुई थी उसे इस बात का एहसास हो गया कि औरत की चुदाई से ज्यादा सुख और कहीं नहीं मिलता वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था हलवाई की बीवी पूरी तरह से थक चुकी थी उसकी आंखों में नींद भरी हुई थी और वह सोने लगी थी लेकिन सूचियों की गर्माहट और रसीली बालू अलीपुर देखकर एक बार फिर से रघु गर्म होने लगा,,,,। खटिया पर लेटी हुई हलवाई की नंगी बीवी को देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा और वह एक बार फिर से हलवाई की बीवी की टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी बुर के अंदर डालना शुरू कर दिया,,,।
हलवाई की बीवी पूरी तरह से नींद में थी लेकिन अपनी बुर के अंदर मोटा लंड प्रवेश करते ही उसकी नींद खुल गई और वह एक बार फिर से रघु को अपनी बाहों में ले ली,,, एक बार फिर से रघु की कमर चलने लगी एक बार फिर हलवाई की बीवी तृप्ति के एहसास में डूबने लगी सुबह होने तक रघु उसके तीन बार जमकर चुदाई कर चुका था और उजाला होने से पहले युवा उसके घर से बाहर निकल गया हलवाई की बीवी उसी तरह से निर्वस्त्र हालत खटिया पर बेसुध होकर होती रही,,, पंछियों की कलकलाहट की आवाज से जब उसकी नींद खुली तो अपनी हालत देखकर वह शर्म से पानी पानी हो गई कोई जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी,,,।

20210813-074214
 

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रघु घर जाने के लिए तैयार हो गया,,, वैसे उसे भूख भी लगी थी,,,, वह घर की तरफ निकल गया आज पहली बार हुआ है अपनी मां के नितंबों पर हाथ लगाया था जिसकी गर्माहट का अहसास उसे अभी तक अपने हथेली के साथ-साथ संपूर्ण बदन में हो रहा था,,, और तो और पहली बार उसके पेंट में बना तंबू उसकी मां की टांगों के बीच की मखमली बुर के ऊपर ठोकर लगाई थी जिसकी वजह से वह अपने तन बदन में अत्याधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे यह तो पता नहीं चला कि उसकी मां को इस बात का एहसास हुआ कि नहीं लेकिन इतने में ही उसे पूरी तरह से मस्ती छा गई थी,,,। इतना तो रखो समझ ही गया था कि हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड से उसकी मां की गांड छोटी ही थी,,, लेकिन बेहद भरावदार और सुडोल थी,,, एक खूबसूरत और भरे हुए बदन की औरत के पास जिस तरह की मदमस्त गांड होनी चाहिए थी ठीक वैसे ही गांड उसकी मां के पास थी जिसकी वजह से रघु पूरी तरह से लालायित हो गया था अपनी मां की नंगी गांड को देखने के लिए लेकिन शायद अब यह बिल्कुल मुमकिन नहीं था,,,। इतना उसके लिए काफी था कि आज गले मिलने के बहाने ही सही वह अपनी मां के नितंबों को साड़ी के ऊपर से स्पर्श तो कर पाया था,,, साथ ही उसकी नरम नरम खरबूजे जैसी चूचियों की चुभन को अपने सीने पर महसूस भी किया था,,,।


कजरी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि पल भर में ही यह क्या हो गया जिस तरह की चुभन वह अपनी मखमली बुर के ऊपर महसूस की थी क्या सच में उसके बेटे का लंड बेहद तगड़ा है,,,। क्या रघु ने अपनी हथेली को जानबूझकर उसकी गांड पर रखकर दबाया था या अनजाने में हो गया था,,, कजरी यही सब अपने मन में सोच रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रघु की हरकत का क्या निष्कर्ष निकाला जाए,,। कजरी को अच्छा तो नहीं लग रहा था रघु के द्वारा इस तरह की हरकत करना लेकिन जो कुछ भी हुआ था ना जाने क्यों उसके तन बदन में आग सी लग गई थी,,,। वह अपने बेटे को दुलार करते हुए गले से तो लगाई थी लेकिन उसके बाद जिस तरह की हरकत रघु ने किया था वह उसे सोचने पर मजबूर कर गया था क्योंकि एक तरह से रघु उसे अपनी बाहों में भर लिया था और अपनी हथेली को उसके संपूर्ण बदन पर इधर से उधर घुमा भी रहा था और दुलार करते समय ना जाने कब उसकी हथेली उसकी बड़ी बड़ी गांड पर आ गई यह उसे पता भी नहीं चला लेकिन अगर यह सब अनजाने में हुआ तो रघु ने उसके नितंबों पर अपनी हथेली का दबाव बनाकर अपनी तरफ क्यों खींचा और तो और वह अपनी टांगों के बीच की चुभन को बराबर महसूस की थी और अच्छी तरह से समझ रही थी कि वह कठोर चीज उसकी मखमली द्वार पर ठोकर मारने वाली कौन सी चीज थी कजरी अच्छी तरह से जानती थी की साड़ी के ऊपर से भी एकदम बराबर अपनी ठोकर को महसूस कराने वाली चीज उसके बेटे का खड़ा लंड था,,, पर एक औरत होने के नाते वह यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब और किस कारण से खड़ा होता है और यही बात समझ में नहीं पा रही थी कि क्या वाकई में उसका बेटा उसके गले लगते ही पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जो उसका लैंड खड़ा हो गया और उसी उत्तेजना बसवा उसके नितंबों को पकड़कर अपनी तरफ खींचा था नहीं नहीं यह गलत है मेरा बेटा ऐसा नहीं हो सकता यह सब अनजाने में हुआ था,,, और कजरी अपने मन को झूठी दिलासा देते हुए उस और से अपना ध्यान हटाकर काम में लगा दी और वापस घास काटने लगी,,,


दूसरी तरफ रघु घर पर पहुंच चुका था उसे बहुत जोरों की भूख लगी थी,,,। नहाने से पहले वह खाना खा लेना चाहता था,,,। इसलिए वह अपनी बहन को ढूंढता हुआ अंदर के कमरे में जा पहुंचा,,, जहां पर कजरी अपने ही मस्ती में मगन होकर अपने गीले बालों को कंघी से सवार रही थी,,,। और दरवाजे पर पहुंच कर रघु के पांव वहीं के वहीं जम गए और वह अपनी बहन को आंख फाड़े देखता ही रह गया,,,, क्या करें सामने का नजारा ही कुछ इतना जबरदस्त और गर्म था कि वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाया वैसे तो सालों के लिए बेहद औपचारिक ही था लेकिन जवान हो रहे रघु के लिए पूरी तरह से उत्तेजना से भर देने वाला दृश्य था क्योंकि अभी अभी शालू नहाकर घर में आई थी और सिर्फ अपने बदन पर कुर्ती ही पहन रखी थी बाकी नीचे सलवार नहीं पहनी थी नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और कुर्ती भी उसकी कमर से बस 2 इंच तक ही आती थी जिससे शालू के समस्त नितंबों का भूगोल रघु की आंखों के सामने उजागर हो रहा था,,। क्योंकि शालू की पीठ रघु की तरफ थी रघु तो अपनी बहन की मदमस्त गोरी गोरी गांड और उसकी चिकनी लंबी टांगों को देखकर एकदम मस्त हो गया वह भी भूल गया कि उसकी आंखों के सामने कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी बड़ी बहन है,,,। लेकिन यह आखों को कहा पता चलता है कि सामने अर्धनग्न अवस्था में कौन है बस उसे तो अपने अंदर गर्माहट महसूस करने से ही मतलब रहता है और वही हो भी रहा था,,,।
हलवाई की बीवी की चुदाई के बाद उसे रघु का नजरिया एकदम से बदल गया था वरना वह इस तरह से आंख पानी अपनी बहन को अर्धनग्न अवस्था में नहीं देखता रहता बल्कि वहां से चला जाता,,। वैसे भी कुछ देर पहले ही वह अपनी मां के गले लग कर उसके नितंबों को अपनी हथेली में दबा दिया था जिसकी गर्माहट को वह अभी तक अपने तन बदन में महसूस कर रहा था। उस पल की सनसनाहट अभी तक उसके बदन से दूर हुई नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से बेहद गर्म नजारा देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,।
आज पहली बार वह अपनी बहन को इस अवस्था में देख रहा था पूरा जाकर पता चला था कि उसकी बहन कितनी खूबसूरत और मादक जिस्म की मालकिन है,,,। अपनी बहन की गोरी गोरी गांड और उसकी बीच की गहरी फांक को देखकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,। उसकी चीन में तो आ रहा था कि कमरे में जाकर पीछे से अपनी बहन को अपनी बाहों में भर ले और अपना खड़ा लैंड उसकी मुंह में डालकर उसकी चुदाई कर दे क्योंकि एक बार हलवाई की बीवी की चुदाई करके उसे अब पता चल गया था कि औरत को कैसे चोदा जाता है और उन्हें कैसे खुश किया जाता है लेकिन अभी वह अपनी बहन के साथ यह नहीं कर सकता था हालांकि करने का मन करने लगा था,,,।

तभी अपनी ही मस्ती में बालों को संभाल रही सालू को इस बात का एहसास हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है तो वह पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर रघु खड़ा था और उसे देखते ही वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई और अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी,,, तभी बिस्तर पर से चादर को खींचकर व अपने नंगे तन को छुपा ली,,,,। अपनी बहन की हड़बड़ाहट देखकर रघु समझ गया कि ज्यादा देर तक खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह वहां से वापस लौटते हुए बोला,,,।

दीदी जल्दी से खाना निकाल दो मैं नहा कर आता हूं और मां के लिए खाना भी ले जाना है,,,। ( इतना कह कर रघु नहाने के लिए चला गया और शालू जल्दी से अपनी सलवार ढूंढ कर उसे पहन ली,,,। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह भी पहली बार अपने छोटे भाई की आंखों के सामने इस अवस्था में खड़ी थी उसे इस बात का एहसास तो हो ही गया था कि जिस तरह से वह दरवाजे की तरफ पीठ करके अपने बालों को संभाल रही थी उसका भाई जरूर उसकी गोरी गोरी गांड को देख ही लिया होगा,,, और यह एहसास उसके तन बदन को पूरी तरह से झकझोर गया,,,। आईने में अपनी शक्ल को देखकर वह शरमा गई,,,। लेकिन तभी उसे वह पल याद आ गया जब वह अपने भाई को जगाने के लिए उसके कमरे में गई थी और उसका भाई बेसुध होकर सो रहा था जिसकी वजह से उसका लंड बाहर निकल कर पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था और उसके खड़े मोटे तगड़े लंड को देखकर शालू के तन बदन में आग लग गई थी,,,,। उस पल के बारे में सोच कर शालू को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके भाई ने उस दिन वाली बात का उससे बदला ले लिया हो उस दिन उसने उसके नंगे लंड को देखी थी और आज वह उसकी नंगी गांड को देख लिया था,,

थोड़ी ही देर में शालू रसोई के पास आकर अपने भाई के लिए खाना परोस कर वहीं बैठी रही और रघु नहाने के लिए लकड़ी के बने झुग्गी जैसे स्नानघर में घुस गया था अंदर पहले से ही दो बाल्टी पानी भर के रखा हुआ था,,। रात भर हलवाई की बीवी की चुदाई और सुबह अपनी मां के नितंबों का गर्माहट भरा स्पर्श और घर में अपनी बहन की मदमस्त नंगी गांड को देख कर रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और स्नान घर में घुसते ही वह अपने सारे कपड़े उतार कर अपनी खड़े लंड पर साबुन लगा कर ऊसे हिलाना शुरू कर दिया था,,,,। और अपने लंड को हिलाते हुए रघु रात भर और अभी तक के सारे दृश्य के बारे में सोचने लगा था बार-बार उसकी आंखों के सामने हलवाई की बीवी का नंगा बदन उसकी मां की बड़ी-बड़ी नितंब और शालू की गोरी गोरी गाना नजर आ रही थी जिसमें कल्पना करते हुए बारी-बारी से अपना लंड पल रहा था काफी उत्तेजना का अनुभव करते हुए थोड़ी ही देर में रघु के लंड ने पानी का फव्वारा फेंक दिया,,,, अपनी गर्मी शांत करते हुए वह जल्दी से नहा कर स्नान घर से बाहर आ गया।

जल्दी से कपड़े पहन करवा खाने के लिए बैठ गया,,, और उसके खाना खाने के लिए बैठते ही शर्म के मारे शालू वहां से उठकर अंदर कमरे में चली गई,,,, अपने भाई के द्वारा अपनी नंगी गांड देखे जाने की वजह से उसके तन बदलने में तेज ना की लहर दौड़ रही थी शर्मिंदगी का अहसास तो हो ही रहा था लेकिन साथ में उत्तेजना की आगोश में वह अपने आप को पूरी तरह से डुबोती चली जा रही थी,,,।
थोड़ी ही देर में रघु ने खाना खा लिया और शालू को आवाज देते हुए बोला,,,।

दीदी जल्दी से मां के लिए खाना बांध दो मुझे खेतों पर जाना है,,,।
( इतना सुनते ही शालू अंदर से निकलकर बाहर रसोई के पास आई और अपनी मां के लिए रोटी सब्जी और प्याज काट कर रखने लगी,,, शालू अपने भाई से नजर नहीं मिला पा रही थी उसे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी मां के लिए खाना बांधते हुए रघु की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,)

रात भर कहां गया था तुझे मालूम है मां कितनी परेशान हो रही थी,,,।


कहीं नहीं दीदी बस दोस्तों के साथ था,,,। ज्यादा रात हो गई तो उन्हीं के घर सो गया,,,,।

कहीं भी जाया कर तो मां को बता कर जाया कर,,, ले जल्दी से खेतों पर जाना वरना मां भूखी रह जाएगी,,,( रघु को खाने की पोटली थमाते हुए शालू बोली,,,)

ठीक है दीदी तुम चिंता मत करो मैं समय पर खेत पर पहुंच जाऊंगा,,,,( इतना कहते हुए रघु खाने की पोटली को हाथ में लेकर खड़ा हुआ और जाते-जाते बोला) दीदी कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ उसे मां से मत बताना मैं अनजाने में दरवाजे पर पहुंच गया था मुझे मालूम नहीं था कि तुम कपड़े नहीं पहनी हो,,,,( रघु के मुंह से यह बात सुनते ही वह एकदम से झेंप गई लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

मैं जानती हूं जो कुछ भी हुआ वह गलती से हुआ इस में तेरी कोई गलती नहीं है इसलिए तू जा मैं मां से कुछ नहीं कहूंगी,,,,( शालू की बात सुनते ही रखो मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया और सालू वहीं खड़ी तब तक उसे देखती रही जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गया,,, वह खड़ी खड़ी यही सोच रही थी कि क्या सच में यह सब अनजाने में हुआ था क्या रखूं सच में अनजाने में ही दरवाजे तक आ गया था लेकिन अगर अनजाने में हुआ था तो वह तुरंत चला क्यों नहीं किया खड़े होकर देख क्यों रहा था,,,। रघु कि मुझे अभी की बात सुनकर और कुछ देर पहले की हरकत को देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या समझे क्या फैसला ले,,,, शालू भी यह सब अनजाने में हुआ होगा ऐसा झूठी दिलासा आपने आपको देकर काम में व्यस्त हो गई,,,। रघु कल रात से लेकर के अबतक के वाकए के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, उसे एहसास होने लगा था कि किस्मत उसके ऊपर पूरी तरह से मेहरबान हो चुकी थी,,,, कल रात से ही उसके साथ वह सब हो रहा था जिसके बारे में वह सिर्फ कल्पना ही कर पा रहा था,,, कल रात से क्यों दोपहर से ही जब से वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा था तब से उसकी जिंदगी में सब कुछ बदलता चला जा रहा था अगर वह अपनी मां को पेशाब करते हुए ना देखता तो उसकी मां यह देख कर उस पर डांट फटकार ना लगाते और उस डांट फटकार को दिल पर ले कर रघु घर से दूर गांव के किनारे रात को नहीं रुकता और वहां रघु नहीं रुकता तो हलवाई की बीवी उसे घर में नहीं बुलाती और हलवाई की बीवी के साथ जिंदगी में पहली बार संभोग सुख का सुख नहीं भोग पाता,,,, फिर सुबह उसकी मां परेशान होकर उसे गले नहीं लगाती और ना ही फिर रघु अपनी मां के भारी-भरकम नितंबों को अपनी हथेली से स्पर्श कर पाता,,,, और ना ही वह घर पर खाना खाने के लिए जाता और ना ही किस्मत के जोर पर चलती वह अपनी खूबसूरत बहन की खूबसूरत गांड के दर्शन कर पाता यही सब सोचकर वह मस्त हुआ जा रहा था और अपनी किस्मत पर इठला भी रहा था,,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसे बहुत सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है कोई जल्दबाजी नहीं दिखानी है वरना कहीं खेत में जिस तरह से उसकी मां उसे गले लगाई थी और वह उसी का फायदा उठाते हुए उसके नितंबों को अपनी हथेली से स्पर्श करके अपनी तरफ खींच कर उसकी जवानी को अपने अंदर समाने की कोशिश किया था अगर फिर से वह गलती करेगा तो उसकी मां हो सकता है फिर से उसे घर से निकाल दे उस पर नाराज हो जाए ओर ऐसा रघु बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,।


थोड़ी ही देर में खाना लेकर रघु खेतों पर पहुंच गया उसकी मां अभी भी खेतों के बीच बैठकर बड़ी-बड़ी घास को काट रही थी सूरज एकदम सर पर तप रहा था,,,। और कजरी की नजर जैसे ही रघु पर पड़ी एक बार फिर से उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,, क्योंकि रघु को देखते ही कुछ देर पहले का वाकया उसे याद आ गया,,,। शर्मिंदगी का अहसास उसे अंदर तक हो रहा था इसलिए वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी,,,। रघु भी अब थोड़ा सा अपनी मां से कन्नी काट रहा था क्योंकि वह अपनी मां को एहसास नहीं होने देना चाहता था कि जो कुछ भी हुआ था वह जानबूझकर हुआ था वह यही दिखाना चाहता था कि गले लगते समय जो भी हरकत उसकी तरफ से हुई थी वह अनजाने में हुई थी इसलिए वह एकदम सहज बना रहा,,,।

मां खाना खा लो नहीं तो खाना ठंडा हो जाएगा और धूप भी बहुत है थोड़ी देर आराम कर लो,,,,। ( इतना कहते हुए वह भी खेतों के बीचो बीच पहुंच गया जहां पर उसकी मां घास काट कर घास का ढेर लगा चुकी थी,,, कजरी भी थक चुकी थी इसलिए अपने बेटे की बात मानते हुए खाना खाने के लिए तैयार हो गई,,,, पास में ही खेतों मैं पानी जाने के लिए मेड बनाई गई थी उसमें से एक दम साफ पानी बह रहा था जिसमें कजरी हाथ धोकर पेड़ की छांव के नीचे आ गई,,,। खाली की पोटली रघु अपनी मां को थमा कर वहीं खड़ा हो गया और कजरी नीचे बैठकर खाने की पोटली खोलते हुए बोली,,,।

रघु जाकर ललिया को बुला दे तो पास में अपने खेतों में वह भी घास काट रही हैं अगर वह भी दो रोटी खा लेगी तो उसे भी थोड़ा सुकून मिल जाएगा,,,।

ठीक है मां मैं अभी बुला कर लाता हूं,,,,( इतना कहकर रघु पास वाले खेत में चला गया जहां पर ललिया भी घास काट रही थी,,,)

चाची चलो खाना खा लो मां बुला रही है,,,।

मैं अभी घर नहीं जाऊंगी रघु काम खत्म करने के बाद ही जाऊंगी,,,।


अरे घर नहीं जाना है मैं खाना लेकर आया हूं चलो खा लो,,,


यह तो तूने बहुत अच्छा काम किया मुझे भी बहुत जोरों की भूख लगी है,,।

तो चलो जल्दी चल कर खा लो,,,,

तू चल मैं आती हूं,,,

( रघु चला गया और उसके पीछे पीछे थोड़ी ही देर में ललिया भी वही पहुंच गई,,, तीनों आपके घने पेड़ के नीचे बैठे हुए थे और कजरी रोटी और सब्जी ललिया को भी दे रहे थे रघु घर से खाना खाकर आया था,,,, दोनों खाना खाने लगी तो रघु पानी लेने के लिए चला गया जो कि पास में ही हेडपंप बना हुआ था,,,,। गर्मी बड़े जोरों की पड़ रही थी फिर तुम के करीब पहुंचकर रघु हेंडपंप चलाकर पहले खुद पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लिया,,,, तो फिर बर्तन में पानी भरने लगा,,, पानी लेकर जब रघु पेड़ के नीचे पहुंचा दो ललिया निश्चिंत होकर रोटी सब्जी खा रही थी वह एक टांग मोड कर रिप्लाई फैलाकर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी पेटीकोट सहित उसके घुटनों के ऊपर तक चढ गई थी,,,,। जिसकी वजह से उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया साफ नजर आ रही थी पर यह देख कर रघु का मन ललिया के ऊपर डोलने लगा,,,। वह चोर नजरों से बार-बार ललिया की चिकनी टांग को देख ले रहा था,,, और ललिया काम में इतना मशगूल होकर घास की कटाई कर रही थी कि उसके ब्लाउज का एक बटन खुला हुआ है इसका उसे आभास तक नहीं था,,, जिसमें से उसकी गदराई चूचियां नजर आ रही थी,,,, जो देखते ही रघु एकदम से मस्त होने लगा लेकिन वह अपनी नजरें अपनी मां और ललिया दोनों से बचाकर चोरी-छिपे इस नजारे का आनंद ले रहा था,,,, घुटनों तक की खुली नंगी चिकनी टांग देखकर रखो मन में यही कल्पना कर रहा था कि ललिया के दलों के बीच भी हलवाई की बीवी की तरह रसीली बुर होगी,,, और यह ख्याल मन में आते ही रघु के पजामे में उसका लंड हिलोरे लेने लगा,,, लेकिन रघु नहीं चाहता था कि उसके पेंट में बना तंबू उसकी मां और ललिया देखें इसलिए वह वहीं पर बैठ गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों खाना खा चुके थे धूप बड़ी तेज थी गर्मी का महीना होने की वजह से इस तरह की धूप में काम करना मुमकिन नहीं था,,,। इसलिए रघु उन दोनों से बोला,,,।


तुम दोनों खाना खा चुके हैं इसलिए आराम कर लो तो अच्छा होगा,,, और इस पेड़ के नीचे आराम करना ठीक रहेगा,,,।

तो सही कह रहा है रघु हम दोनों इतनी धूप में काम करके थक चुके हैं और खाना खाने के बाद आराम करना भी जरूरी है इसलिए हम दोनों यहीं आराम कर लेते हैं थोड़ी देर,,,। ( ललिया कजरी की तरफ देखते हुए बोली जिस में दोनों की सहमति थी इसलिए दोनों आराम करने लगे और रघु इधर-उधर घूमने लगा,,, इधर-उधर घूमते हुए थोड़ा दूर निकल गया तो उसे वहां रामू मिल गया और उसे देखते ही रामू बोला,,,।)

कल तू कहां चला गया था,,,, ना घर पर मैं खेतों में कहीं दिखा ही नहीं,,,,।

हां कल जरूरी काम था मुझे एक रिश्तेदार के घर जाना था इसलिए कल मैं घर पर नहीं मिला,,,। और बता क्या चल रहा है,,,। धीरे-धीरे तेरी बहने तो बहुत खूबसूरत होती जा रही है,,,,।

देख रघु तू ऐसी बातें मत किया कर मुझे गुस्सा आ जाता है,,,।

रामू तू पागल हो गया है मैं तो सिर्फ सच कहता हूं तुझे बुरा लग जाता है सच बताना क्या तेरी बहने खूबसूरत नहीं है,,,।
( रघु की यह बात सुनकर रामू कुछ बोल नहीं पाया,,,।) और तो और रामू तेरी बहन को तो छोड़ो तेरी मां कितनी खूबसूरत है अभी अभी देख कर आया हूं,,,।

क्या क्या क्या देख कर आया है रघु तो देख उल्टी-सीधी बातें मत किया करो वरना तेरी और मेरी दोस्ती टूट जाएगी,,,।


अरे पागल जो मैं कहता हूं वह सच कहता हूं अभी अभी देख कर आ रहा हूं तेरी मां और मेरी मां दोनों साथ बैठकर खाना खा रही थी,,,।


कहां खाना खा रही थी,,,?

अरे खेतों में मैं ही तो खाना लाया था दोनों के लिए,,,, सच यार रामू तेरी मां बेफिक्र होकर जिस तरह से एक टांग मोड़ कर बेफिक्र होकर खाना खा रही थी ना तेरी मां की साड़ी घुटनों तक चड़ गई थी जिसकी वजह से तेरी मा की चिकनी चिकनी टांगें मुझे नजर आ रही थी,,, मैं तो देख कर एक दम मस्त हो गया यार रामू मेरा तो मन कर रहा था कि तेरी मां की साड़ी कमर तक उठाकर दोनों टांगें फैलाकर अपना लंड तेरी मां की बुर में डालकर चोद दु,,, लेकिन पता नहीं तेरी मां तैयार होगी कि नहीं,,,, अच्छा तू बता रामू अगर में तेरी मां को चोद ना चाहु तो क्या तेरी मां मुझसे चुदवाएगी,,,
( रघु की बात सुनकर रामू कुछ बोल नहीं रहा था बस गुस्से में उसे देखता जा रहा था,,,।)

देख रहा हूं यह सब अच्छी बात नहीं है मैं अपनी मां से बता दूंगा,,,,।

यार तू नाराज क्यों होता है तू तो मेरा दोस्त है और दोस्त की मां पर इतना तो हक बनता ही है,,,। ( इतना कहते हुए रघु उसके कंधे पर हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचकर उसे मनाने की कोशिश करने लगा और रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि इस तरह की गंदी बातें भले ही वह उसकी मां के बारे में करता हूं यह सब बातें रामू को भी अच्छी लगती है तभी तो वह अपनी मां को अभी तक कुछ भी नहीं बताया अगर उसे बुरी लगती तो आप तक वह अपनी मां को सब कुछ बता भी दिया होता और उससे दोस्ती तोड़ दिया होता,,। रामू शांत हो गया था और रघु इधर उधर की बातें करने लगा था,,,, मज़ाक मजाक में रघु अपने मन की बात कह गया था यह बात सच है कि ललिया को लेकर रघु हमेशा कल्पना किया करता था और उसे चोदने का ख्वाब देखा करता था और आज उसकी नंगी चिकनी टांग देखकर उसका मन डोलने लगा था,,,,। इधर उधर की बात और खेतों में घूमते हुए धीरे-धीरे दिन गुजरने लगा और शाम होने लगी तो रघु को ख्याल आया कि उसे तो खेतों पर जाना है और वह तुरंत रामू को लेकर खेत पर पहुंच गया जहां पर अभी तक उसकी मां और ललिया दोनों आराम कर रही थी रघु जल्दी से उन दोनों को जगाया,,,। दोनों हड़बड़ाहट में उठी दोनों को देर हो चुकी थी लेकिन अभी शाम ढलने में कुछ वक्त बाकी था इसलिए दोनों फिर से खेत में उतर गई और घास काटने लगी इस बार रघु और रामू दोनों अपनी अपनी मां का हाथ बंटाने लगे,, थोड़ी ही देर में दोनों का काम निपट गया और अंधेरा होने लगा,,, रघु कटी हुई खास का ढेर सारा ढेर बना कर उसे माथे पर उठा लिया और खेतों से बाहर आ गया,,,, दोनों घर की तरफ जा रहे थे,,, लेकिन अभी भी ललिया का काम खत्म नहीं हुआ था,,,। अंधेरा हो रहा था और रघु के दिमाग में कुछ और चल रहा था वाह रामू जो कि अपनी मां के साथ उसका हाथ बटा रहा था उसे आवाज देकर बुलाया,,,,। रघु की आवाज सुनते ही रामू दौड़ता हुआ उसके पास आया और बोला,,।

क्या हुआ रघु,,,


लगता है चाची का काम अभी तक खत्म नहीं हुआ है एक काम कर तू यह घास का ढेर माथे पर रखकर मेरी मां के साथ घर पर चला जा मैं जल्दी से काम खत्म करके चाची के साथ आ जाता हूं,,,,,

हां रामू रघु ठीक कह रहा है तुझसे जल्दी नहीं हो पाएगा और रघु जल्दी जल्दी काम खत्म कर देगा,,,

( रघु अपने माथे पर का बोझा रामू के सर पर रख दिया और रामू कजरी के साथ घर की तरफ चला गया और रघु कच्ची सड़क से खेत में उतर गया,,,,,।)
🔥
 

Suryasexa

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Lajwab Bahut hi khub
Ab dhire dhire कजरी ke sath Luka chipi se Ek Dusre ki Bur Aur Lanth ke Darsan Karwa kar Unki LaLch aur Wasna ko Badate chalo maja aa gya
 
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