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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Lutgaya

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आज जो कुछ भी हुआ था जो कुछ भी दोनों मां बेटो ने देखा था,, वह उनके दिलो-दिमाग पर पूरी तरह से छाया हुआ था,,,संध्या का मन बिल्कुल भी घर के कामों में नहीं लग रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने झाड़ियों के अंदर का दृश्य नजर आ रहा था,,, जिस तरह से वह लड़का अपनी मां को चोद रहा था और जिस तरह से मजे ले कर उसकी मां खुद अपने बेटे से चुदवा रही थी,,, वह देखकर संध्या की बुर बार-बार गीली हो जा रही थी,,, उसे नहीं है कि नहीं हो रहा था कि उसकी आंखें जो कुछ भी देखी है वह सच है,,,बार-बार उसके दिमाग में यही सवाल घूम रहा था कि एक बेटा अपनी मां को कैसे चोद सकता है और एक मां अपने बेटे से कैसे चुदवा सकती है,,,, दोनों एक दूसरे से प्रेमी प्रेमिका की तरह मजा ले रहे थे,,, खाना बनाते समय उस दृश्य को याद करके संध्या की सांसे भारी हो जा रही थी,,, और उस दृश्य को देखते हुए उसका बेटा जिस तरह से गर्म होकर अपने खड़े लंड को पजामे के अंदर से ही उसकी पजामी पर रगड़ रहा था,,, और ऊसके लंड के कड़क पन को अपनी बुर पर महसूस करके जिस तरह से वह उत्तेजित हुई थी बार-बार वह अपनी कल्पना ने उस लड़के की जगह अपने बेटे को और उस औरत किसी का अपने आप को रखकर उस कल्पना का भरपूर आनंद ले रही थी,,,अपने बेटे के साथ संभोग की कल्पना करते हुए उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव रहा था,,।
जैसे तैसे करके वह खानाबना ली लेकिन अपनी बुर की गर्मी उसे सहन नहीं हो रही थी इसलिए वह बाथरुम में जाकर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई और आते समय फ्रीज में से एक मोटा और लंबा बैंगन साथ लेकर आई थी जिसे वह अपनी एक टांग कमोड के ऊपर रखकर अपनी बुर के अंदर उस बैगन को डालकर अंदर बाहर करने लगी,,,,अपनी बुर में वह डाल तो रही थी पर 1 अंकों लेकिन उसकी कल्पना में उसकी बुर के अंदर उस बैगन की जगह उसके बेटे का मोटा तगड़ा था जिससे उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रही थी,,जब जब वह अपने बेटे के बारे में कल्पना करती तब तब उसकी उत्तेजना अत्यधिक तीव्र हो जाती थी और उसे अत्यधिक आनंद की अनुभूति होती थी,,, ऐसा करके तो अपनी बुर की गर्मी को शांत कर ली लेकिन सुकून नहीं मिला,,,,

दूसरी तरफ सोनू आज बिना नाश्ता किए ही कॉलेज चला गया था क्योंकि झाड़ियों के अंदर का नजारा उसके भी दिलो-दिमाग पर छाया हुआ था उस नजारे से अत्याधिक काम वेदना वह अपनी मां के पिछवाड़े पर अपना लंड रगडने की वजह से महसूस कर रहा था,,,,बार-बार उसे वहीं पर याद आ रहा था जब वह पूरी तरह से अपनी मां की कमर थामे और अनजान बन जाऊंगा उसकी चूची को दबाते हुए जिस तरह से अपने लंड को उसकी गांड पर रख रहा था वही दृश्य उसकी आंखों के सामने बार बार घूम जा रहा था,, झाड़ियों के पीछे उन दोनों मां-बेटे की गरमा गरम चुदाई देखकर अब उसका भी मन करने लगा था अपनी मां को चोदने के लिए,,,अपने मन में यही सोच रहा था कि जिस तरह से उस लड़के को अपनी मां को चोदने में मजा आ रहा था उसे भी उसी तरह का मजा आएगा और उस औरत की तरह उसकी मां भी उसके मोटे तगड़े लंड से चुदवाकर संतुष्ट हो जाएगी,,,। यह सोचकर ही कॉलेज के अंदर उसका लंड खडा हो गया,,, जैसे तैसे करके वह अपने मन को दूसरी तरफ घुमाने की कोशिश करता था लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,, बार-बार उसका ध्यान अपनी मां के ऊपर ही चला जा रहा था अब उसे अपनी मां और ज्यादा खूबसूरत लगने लगी थी ऐसा नहीं था कि वह सुंदर नहीं थी उसकी मां बेहद खूबसूरत बेहद हसीन थी लेकिन अब अपनी मां के बारे में उसका देखने और सोचने का रवैया बदल चुका था इसकी वजह से उसकी मां उसे और भी अत्यधिक खूबसूरत और मादकता से भरी हुई नजर आती थी,,,, अब उसका ध्यान बार-बार अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार की कल्पना करने में ही उलझ जाता था हालांकि उसने आज तक बुर का साक्षात दर्शन नहीं किया था लेकिन फिर भी उसके बारे में कल्पना करके मस्त हो जाता था,,,,,,।

कॉलेज से छुटते ही वह अपने घर चला गया,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां से नजर कैसे मिलाएगा,,, दूसरी तरफ उसकी मां सोनू के नाश्ता ना करके जाने की वजह से परेशान थी वो जानती थी कि वह किस लिए नाश्ता किए बिना चला गया वह शर्मिंदा हो गया इसलिए संध्या अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके सामने ऐसी कोई भी बात नहीं करेगी जिससे वह फिर परेशान हो जाए वह उसके सामने सामान्य बनी रहेगी पहले की तरह ताकि वह सहज हो सके,,,। शगुन मेडिकल कॉलेज से छूटकर घर नहीं गई थी क्योंकि उसे कुछ बुक खरीदनी थी जो कि शहर से थोड़ी दूरी पर मिलती थी,,। आज उसके साथ कोई जाने वाला तैयार नहीं था वैसे तो उसकी सहेली उसके साथ जाती थी लेकिन आज उसकी तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए बात नहीं आ सकी,,,, वह सोनू को फोन करके बुलाना चाहती थी लेकिन सोनु का मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था,,, थक हार कर वह अपने पापा को फोन लगा दी,,, जो कि कॉलेज के ही करीब थे,,,और वो 5 मिनट में ही शकुन के पास पहुंच गए,,,, शगुन आज सफेद रंग की कुर्ती और सलवार पहनी थी जो कि एकदम चुस्त थी जिसमें उसकी गोल गोल गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर नजर आ रही थी,,,,, संजय शगुन को देखा तो देखता ही रह गया वह बहुत खूबसूरत लग रही थी,,,, कुछ दिनों से ना जाने क्यों सगुन को देखते ही संजय के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी,,, संजय देख तो सब उनको रहा था लेकिन उसका पूरा ध्यान उसके अमरुद पर थे,,, जो कि वह अच्छी तरह से जानता था कि सगुन के अमरुद बेहद स्वादिष्ट होंगे,,। उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,, संजय कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी ही बेटी के प्रति उसके देखने का रवैया इस कदर बदल जाएगा,,, अब वह शगुन को हमेशा गंदी नजरों से ही रहता था,,,

शगुन कार में आगे वाली सीट पर बैठ गई थी,,, शगुन के भी बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, संजय ब्लैक रंग की ऑफिशियल पेंट के साथ आसमानी रंग का शर्ट पहना हुआ था जिससे उसकी पर्सनालिटी में चार चांद लग रहे थे अपने पापा की पर्सनैलिटी देखकर,,, शगुन मंत्र मुग्ध हुए जा रही थी,,।


और कैसी चल रही है पढ़ाई,,,(कार चलाते हुए संजय बोला)


अच्छी चल रही है पापा,,,


90% तो आ जाएंगे ना,,,,


कोशिश तो पूरी कर रही हूं आ जाना चाहिए,,,,


अगले महीने ही है ना एग्जाम,,,

हां पापा अगले ही महीने हैं,,,



मुझे निराश मत करना तुमसे मुझे बहुत उम्मीद है,,,।


मैं पूरी कोशिश करूंगी आप की उम्मीद पर खरी उतरने की,,,


हां ऐसा होना भी चाहिए आखिरकार आगे चलकर तुम्हीं को तो हॉस्पिटल संभालना है,,,, तुम भी मेरी तरह जानी-मानी डॉक्टर बनोगी,,,।



जी पापा,,,,(फ्रंट शीशे से बाहर देखते हुए बोली,,, लेकिन संजय जब भी उससे बात कर रहा था तो उसकी नजर उसकी सफेद रंग की कुर्ती के लो कट गले के डिजाइन पर ही था जिसमें से सगुन की संतरे जैसी चूचियां नजर आ रही थी,,, उसे देख कर संजय की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,, तकरीबन 20 मिनट कार चलाने के बाद वह दुकान आ गई जहां पर वह किताब मिलती थी,,, एक जगह पर कार खड़ी करके दोनों कार से नीचे उतर गए और शगुन किताब लेने लगी,,, काउंटर पर कुछ लोग और खड़े थे,,, शगुन भी काउंटर पकड़ के खड़ी होगी और ठीक उसके पीछे संजय खड़ा हो गया,,, दुकान वाला बहुत ही व्यस्त था,,, वह देने वाला अकेला था और लेने वाले ढेर सारे लोग थोड़ा समय लगने लगा तो कुछ लोग और दुकान पर आ गए जिससे भीड़ लगने लगी,,, और संजय को थोड़ा और आगे खसकना पड़ा,,,,,, पीछे खड़े लोग भी उस दुकानदार से किताब देने की गुजारिश कर रहे थे लेकिन वो एक साथ किसको किसको किताब देता,,, वह पारी पारी से दे रहा था,,, देखते ही देखते लाइन लगना शुरू हो गई शगुन के अगल-बगल जो लोग खड़े थे,,, शगुन के आगे हो गए सगुन उनके पीछे और संजय अपनी बेटी सगुन के पीछे,,, संजय के तन बदन में करंट सा दौड़ने लगा,,, क्योंकि वह ठीक सगुन के पीछे खड़ा था जिससे उसका आगे वाला भाग शगुन के पिछवाड़े से स्पर्श कर रहा था,,,, पल भर में ही संजय की उत्तेजना बढ़ गई,,, और पेंट के अंदर उसका लैंड खड़ा होने लगा,,,पीछे से लोग सफल नहीं रहे थे वह आगे की तरफ लगभग लगभग धक्का दे दे रहे थे जिससे संजय भी आगे की तरफ लुढ़क सा जा रहा था लेकिन ऐसा करने पर संजय का लंड जो कि पैंट के अंदर खड़ा हो चुका था वह सीधे,, जाकर शगुन की गांड से टकरा जा रहा था सगुन की हालत खराब होने लगी,,, क्योंकि उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया कि उसकी गांड़ पर जो कठोर चीजें चूभ रही है वह क्या है,,, पहली बार जब उसे अपनी गांड पर नुकीली चीज चिली तब ऊसे समझ में नहीं आया कि वह क्या है,,, उसे इस बात का एहसास तो हो रहा था कि जो कुछ भी उसकी गांड पर चुभ रहा है वह कुछ और ही है लेकिन जब दोबारा उसे अपनी गांड की दरार के बीचो बीच वह चीज चुभी तो उसके होश उड़ गए उसे पता था कि उसके ठीक पीछे उसके पापा खड़े हैं आश्चर्य चकित हो गई वह अपने आप से ही अपने मन में बोली अरे यह तो पापा का लंड है,,,,। उसकी आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई लेकिन उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में,,,,यह एहसास उसे अद्भुत सुख की तरफ ले जा रहा था कि उसकी गांड पर चुभने वाला अंग उसके बाप का लंड है पहली बार उसकी गांड पर कोई मर्दाना अंग स्पर्श हुआ था,,, जिससे उसके तन बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी थी,,, संजय की तो हालत खराब हो गई थी,,, उसे भी मजा आ रहा था अब उससे पीछे खड़े लोग धक्का नहीं लगा रहे थे लेकिन फिर भी वह जानबूझकर थोड़ा आगे की तरफ आ गया था जिससे लगातार उसके पेंट में बना तंबू उसकी बेटी की गांड पर स्पर्श हो रहा था,,, संजय का मन मचल रहा था वह अपने होश में नहीं था वह मदहोश होने लगा था अगर कोई और जगह होती तो शायद वह अपने हाथों से अपनी बेटी की सलवार की डोरी खोलकर सलवार को नीचे टांगो तक सरका कर उसकी बुर में अपना लंड डाल दिया होता,,, लेकिन वह भीड़ की वजह से मजबूर था और यह सब उनका भी हो रहा था वह दिन रात जिस लंड की कल्पना कीया करती थी उसका स्पर्श आज उसकी कांड पर हो रहा था और सलवार इतनी चूस्त थी कि उसे अपने पापा के लंड का स्पर्श,,, बहुत अच्छी तरह से हो रहा था,,, सलवार का कपड़ा एकदम पतला होने की वजह से,, उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे,,, उसके पापा का लंड उसकी नंगी गांड पर स्पर्श हो रहा है,, इस दुकान में आकर दोनों को अच्छा ही लग रहा था दोनों अपनी-अपनी तरह से सुख प्राप्त कर रहे थे,,,, लगातार संजय का लंड पेंट में होने के बावजूद भी शगुन की गांड से स्पर्श हो रहा था,,।
शगुन का नंबर आने वाला था और संजय एहतियात के तौर पर उसे थोड़ा सा हटके खड़ा हो गया लेकिन शगुन एकदम से मचल उठी उसकी गांड पर उसके पापा कर लंड स्पर्श ना होता देख कर वह हैरान हो गई,,, उसे अपने पापा के लंड की मजबूती उसकी कठोरता अपनी गांड पर बेहद अच्छी लग रही थी,,, इसलिए उससे रहा नहीं गया और उसका नंबर आते ही वह किताब के लिस्ट उस दुकानदार को थमा कर आराम करने की मुद्रा में उस काउंटर पर अपने दोनों हाथों की कोहनी रखकर झुक कर खड़ी हो गई और इस तरह से झुकने पर उसकी गोलाकार गाने सीधे उसके पापा की लंड के आगे वाले भाग से टकरा गई,,, अभी भी संजय की पैंट में तंबू बना हुआ था और एकाएक शगुन के झुकने की वजह से उसका संपूर्ण गोलाकार नितंब,, संजय के तंबू से टकरा गई,,, संजय के तन बदन में फिर से एक बार बिजली दौड़ने लगी उसकी इच्छा हो रही थी कि अपनी बेटी की कमर दोनों हाथों से पकड़कर सलवार के ऊपर से ही उसकी गांड पर अपना लंड रगड़ ले लेकिन वह कुछ सेकेंड तक उसी अवस्था में खड़ा रहा और वापस कदम खींच लिया तब तक सगुन की किताब निकल चुकी थी,,,

थोड़ी ही देर में दोनों दुकान से बाहर आ गए,,, संजय और सगुन दोनों की हालत खराब थी,,, संजय इस जगह पर बहुत बार आ चुका था,,, इसलिए उसे मालूम था कि थोड़ी दूर पर नाश्ते की दुकान है,,, उसे भूख लगी थी जाहिर था कि सगुन को भी लगी होगी,,, इसलिए वह सगुन से बोला,,,।


आगे ही नाश्ते की दुकान है चलो थोड़ा नाश्ता कर लेते हैं,,,(संजय कार का दरवाजा खोलते हुए बोला,, लेकिन शगुन कुछ बोल नहीं पाई क्योंकि किताबों की दुकान में जो कुछ भी हुआ था उसे से अभी भी उसके तन बदन में अजीब सी सिरहन सी दौड़ रही थी उसे साफ एहसास हो रहा था कि ऊसकी पेंटिं धीरे-धीरे गिली हो चुकी थी,,। वह भी कार का दूसरा दरवाजा खोल कर आगे की सीट पर बैठ गई और संजय कार आगे बढ़ा दिया,,,।)
ये यहा क्यों भाई
 
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Guri006

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रामू रघु का बोझ सर पर उठाकर कजरी के पीछे पीछे घर चला गया,,, रघु ललिया की मदद करने के लिए खेत में उतर गया,,,, ललिया जल्दी-जल्दी कटी हुई घास का ढेर बना रही थी,,,।

क्या हुआ चाची इतनी देर क्यों लगा दी,,,।

इसकी वजह से ही हुआ है ना तुम मुझे खाना खाने के लिए बुलाता और ना मैं खाना खा कर आराम करने बैठ गई और ना मेरी आंख लग जाती तो इतनी देर ना होती,,,।

अरे कोई बात नहीं चाची मैं आ गया हूं ना अब जल्दी हो जाएगा,,,।


अच्छा हुआ तू आ गया रघु अब जल्दी से घास का ढेर रस्सी से बांधकर मेरे सर पर रख दे,,,,।( ललिया एकदम सीधी खड़ी होते हुए और अपने दोनों हाथ को कमर पर रखकर बड़ी ही मादक अदा दिखाते हुए बोली हालांकि यह बिल्कुल उसके लिए सहज था उसने कोई जानबूझकर इस तरह की अदा नहीं दिखाई थी लेकिन रघु के देखने का रवैया पूरी तरह से बदल चुका था इसलिए ललिया के इस तरह से खड़े होने पर भी ऐसे ललिया के अंदर मादकता नजर आ रही थी,,, रघु घास के ढेर को रस्सी से बांधते बांधते ललिया के खूबसूरत यौवन का रस अपनी आंखों से पीने लगा,,,, ललिया की दोनों चूचियां कसे हुए ब्लाउज में और भी ज्यादा उछाल मार रहे थे,,,। उनको देखते ही रघु के मुंह में पानी आ गया,,,,,

रघु घास के ढेर के बोझ को रस्सी से अच्छी तरह से बांध चुका था,,,। वैसे तो इस बोझ को रघु को ही उठाना था लेकिन रघु के मन में कुछ और चल रहा था,,,। इसलिए वह घास के ढेर को उठाकर ललिया के सर पर रखने की तैयारी करने लगा और ललिया भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी वह अपने लिए जगह बना कर अच्छी तरह से खड़ी हो गई ताकि रघु आराम से उसके सर पर घास का ढेर रख सके,,, घास के बोझ को उठाकर रघु ललिया के सर पर रखने लगा,,, घास का ढेर कुछ ज्यादा ही था,,, रघु ललिया के ठीक सामने से उसके सर पर बोझ रखने लगा,,, वह बोझ उसके सर पर रखने के बहाने धीरे-धीरे ललिया के एकदम करीब आने लगा इतना करीब के देखते ही देखते ललिया की मदमस्त जवान चूचियां रघु के सीने से स्पर्श होने लगी,,, ललिया कीमत मस्त चूचियों की कड़ी निकल जैसे ही रघु के सीने में स्पर्श करते हुए चुभने लगी वैसे ही तुरंत रघु के तन बदन में आग लग गई उसका पूरा शरीर उत्तेजना के मारे गनगना गया,,,,, पल भर में ही रघु को लगने लगा कि जैसे वह उछल कर चांद को छू लिया हो,,, अद्भुत अहसास से वह पूरी तरह से भर गया,,,, पर यही हाल ललिया का भी होगा भोज उसके सर पर रखने के बहाने खरगोश के बेहद करीब आ गया था और उसे भी अपनी मदमस्त चूचियां रघु की चौड़ी छाती पर स्पर्श के साथ-साथ रगड़ होती हुई भी महसूस होने लगी थी,,,, ललिया के तन बदन में भी उत्तेजना का संचार होने लगा,,,। पल भर में ही उसे भी ना जाने क्या अपने तन बदन में हलचल महसूस होने लगी थी,,,,। रघु के इतने करीब होते हुए ललिया अपने आप को असहज महसूस करने लगी थी,,,। रघु अभी भी उसके माथे पर घास के बोझे को ठीक तरह से रखने की कोशिश कर रहा था,,,, और इसी कोशिश में वह ललिया के और ज्यादा करीब आ गया अब वह इतना ज्यादा करीब आ गया था कि उसके पजामे में बना तंबू देखते ही देखते ललिया की दोनों टांगों के बीच स्पर्श होने लगी,,,, और देखते ही देखते रघु के पजामे का तंबू लग जा की दोनों टांगों के बीच के मखमली द्वार पर ठोकर मारने लगा,,, ललिया तीन बच्चों की मां थी और अभी जवान बच्चे इसलिए उसे समझते देर नहीं लगेगी इसके दोनों टांगों के बीच की है ठोकर रघु के बदन के कौन से अंग की है पर यह एहसास ललिया को होते ही वह पूरी तरह से कसमसाने लगी और वह पूरी तरह से लाचार और असहज हो गई जिसकी वजह से वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और पीछे की तरफ गिर गई साथ ही वह गिरते-गिरते अनजाने में ही अपने दोनों हाथ को रघु के कमर पर रखकर अपने आप को संभालने की कोशिश करते हुए उसको भी लेकर गिर गई,,,, रघु ठीक उसके दोनों टांगों के बीच गिरा हुआ था और ललिया उसके ठीक नीचे थी,,,। वह तो अच्छा हुआ था कि ललिया घास के ढेर पर गिरी थी वरना उसे चोट लग जाती,,,,
लेकिन ललिया के होश उड़ गए जब उसे साफ महसूस होने लगा कि शुभम का लंड जोकि पजामे में होने के बावजूद भी तंबू की तरह खड़ा था वह ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर लगा रहा था रघु का लंड तो पजामे के अंदर था लेकिन गिरने की वजह से ललिया की साड़ी पूरी तरह से कमर के ऊपर चढ़ चुकी थी जिससे वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो गई थी और इस समय ललिया की नंगी बुर पर रघु के पजामे मैं बना तंबू पूरी तरह से छा चुका था,,,। रघु के लंड के कठोरपन को अपनी मखमली बुर के ऊपर महसूस करते ही ललिया एकदम से गनगना गई,,,, रघु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसके लंड की ठोकर लगी या की नंगी बुर के ऊपर हो रही है इसलिए वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा था उसने जानबूझकर और अपनी कमर को हल्के से नीचे की तरफ दबा दिया जिससे इस बार रघु के पजामे के तंबू का घेराव ललिया की मखमली बुरके गुलाबी पत्तियों को हल्का सा खोल कर अंदर की तरफ जाने का प्रयास करने लगी,,। और ललिया को इसका एहसास हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बड़ी गर्मजोशी के साथ वह शुभम को अपने आप में समाने की इजाजत दे दे या उसे रोक दें इसी कशमकश में वह,,, दर्द के मारे कराह उठी,,,,


आहहहहह,,,,,,


क्या हुआ चाची तुम्हें चोट तो नहीं लगी,,,,


मेरे ऊपर गिरा पड़ा है और कहता है कि चोट नहीं लगी अच्छा हुआ कि मैं घास के ऊपर गिरी वरना आज तो तेरी वजह से मेरी कमर टूट जाती,,,


क्या चाहती मेरी वजह से तुमसे यह पूछा नहीं संभल रहा है है और तुम उसे उठाने की कोशिश कर रही हो तो गिरोगी ही,,,( रघु अभी भी बातें करता हुआ अपने कमर का दबाव ललिया कि दोनों टांगों के बीच उसकी मखमली बुर पर बनाया हुआ था,,,। सच पूछो तो रघु का मन ललिया के ऊपर से उठने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था उसका मन तो कर रहा था कि पैजामा थोड़ा नीचे करके अपने नंगे लंड को उसकी नंगी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दें लेकिन इस तरह से करना अभी उचित नहीं था,,,।)

चल अब उठेगा भी या इसी तरह से पड़ा रहेगा,,,,

हां चाची उठता हूं मुझे तो तुम्हारी फिक्र थी,,,,( रघु अच्छी तरह से जानता था कि कमर के नीचे से ललिया पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इसलिए उसके मखमली बदन को स्पर्श करने के लालच को रोक नहीं सका,,, और उसने के बहाने वह ललिया की नंगी चिकनी जांघों को अपनी हथेली से स्पर्श करते हुए उठा जिस तरह से वह अपनी हथेली उसकी जांघों पर रखकर उसे हल्का सा दबाया था,,,, ललिया पूरी तरह से उत्तेजना में सिहर उठी थी उसका संपूर्ण बदन अपना वजूद होता हुआ महसूस कर रहा था,,,,। अपने मन के अरमान को पूरा करते हुए रखो ललिया के ऊपर से उठा तो लग जा झट से अपनी साड़ी को अपनी कमर के नीचे फेंक कर अपने नंगे जिस्म को ढक ली,,,, रघु उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ी किया,,,, पल भर में ही ललिया के लिए सब कुछ बदला बदला सा हो गया था,,,, शराबी पति की चुदाई का सुख ना के बराबर था और रघु के जवान लंड ने जिस तरह का स्पर्श कराकर उसे पूरी तरह से झकझोर दिया था उस तरह का एहसास उसके पति के द्वारा कभी नहीं उसे हुआ था,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूख गया था जिसे वह अपने थूक से गीला करने की कोशिश कर रही थी,,,। रघु भी समझ रहा था कि कुछ ज्यादा ही हो गया था,,,। इसलिए वह ज्यादा छूट छूट लेने की कोशिश नहीं कर रहा था कहीं लेने के देने न पड़ जाए यही सोचकर वह बोला,,,।

चाची तुम एक काम करो यह बोजा में ही उठाकर ले चलता हूं तुमसे नहीं होने वाला,,,,( और वहां पहुंचा उठाकर अपने सर पर रख लिया और आगे आगे चलने लगा क्योंकि उसका काम हो चुका था,,, ललिया की नंगी जांघों को अपनी हथेली से स्पर्श करके उसके तन बदन में आग लग गई थी और तो और उसके पिज्जा में बना तंबू का स्पर्श उसकी मखमली बुर के द्वार पर होते ही हलवाई की बीवी उसे याद आ गई थी,,,, जिस की चुदाई का अद्भुत सुख अभी तक उसके रगों में दौड़ रहा था,,,,। थोड़ी ही देर में रखो घर पर पहुंच गया और घास के ढेर को ललिया के घर पर रखकर अपने घर जाने ही वाला था कि उसे कुछ याद आ गया और वह रामू को आवाज देकर बुलाने लगा रामू जो कि घर के अंदर था वह बाहर आ गया और रघु उसे घर पर थोड़ी दूर ले जाकर उसे बोला,,,।

रामू जन्नत का नजारा देखना है,,,।( रामू अच्छी तरह से जानता था कि रघु किस बारे में बात कर रहा है,,, वह खुश होता हुआ बोला,,,।)

हां जरूर देखूंगा,,,।


तो जब मैं तुझे आवाज दूं तू जल्दी से आ जाना मैं तुझे ले चलूंगा जन्नत का नजारा दिखाने,,,
( इतना कह कर रखो अपने घर चला गया हाथ मुंह धोने के लिए और रामू अपने घर चला गया वह काफी उत्सुक था रघु के साथ जाने के लिए,,,,। रघु अपने घर से ललिया के उपर बराबर नजर रखे हुए था,,,, वह उसके मैदान जाने का इंतजार कर रहा था और थोड़ी देर बाद जब हैंडपंप चलने की आवाज आने लगी तो वह सकते में आ गया वह समझ गया कि अब ललिया सोच करने के लिए मैदान जाएगी और वह हैंडपंप पर डिब्बा भर रही थी,,,,। वह बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहता था क्योंकि ललिया से पहले उसे वहां पहुंचना था,,,, वह रामू को आवाज दिया रघु की आवाज सुनते ही रामू तुरंत घर से बाहर आ गया और बिना कुछ सोचे समझे सवाल किए रघु उसे जहां ले जाने लगा वह लगभग दौड़ते हुए वहां जाने लगा,,,।

थोड़ी ही देर में रघु रामू को झाड़ियों के पीछे लेकर गया,,
वह दोनों जाकर बैठ गए दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था रघु को अच्छी तरह से मालूम था कि वहां पर सोच करने के लिए कौन आने वाला है लेकिन इस बात का भाई रामू को बिल्कुल भी नहीं था उसे यही लग रहा था कि कोई औरत वहां पर आएगी लेकिन वह यह नहीं जानता था कि वह औरत कोई और नहीं बल्कि उसकी ही मां होगी,

थोड़ी ही देर में दोनों की उत्सुकता खत्म हो गई चांदनी रात होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था और रघु और रामू दोनों खली झाड़ियों के पीछे बैठे हुए थे जहां से सामने का खाली मैदान एकदम अच्छी तरह से नजर आ रहा था,,,, कुछ दिन का यह मेहनत का ही फल था जो रघु और रामू दोनों को प्राप्त होने वाला था रघु ने इस पर काफी मेहनत किया था वह शाम ढलने के बाद ले लिया कौन सी जगह मैदान जाती है इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लिया था,,,। तभी तो वह बड़े आत्मविश्वास से रामू का हाथ पकड़ कर उधर लाया था वह जानबूझकर रामू को अपने साथ लाया था क्योंकि वह रामू को उसकी मां की मदमस्त गोरी गोरी गांड दिखाना चाहता था,,,। और देखना चाहता था कि रामू अपनी ही आंखों से अपनी मां की मदमस्त गोरी गोरी गांड देखकर क्या करता है,,, क्योंकि रघु को इससे यह पता चलने वाला था कि अगर आगे वह है रामू की मां से शारीरिक संबंध बनाता है तो इसका असर रामू पर किस तरह से पड़ेगा अगर आज वह उठकर नाराज होकर वहां से चला जाएगा तो इसका मतलब साफ था कि उसकी मां के साथ चुदाई करने के बाद उसे एक अच्छा दोस्त खोना पड़ेगा और अगर अपनी मां की मस्त गांड देखकर रामू भी मस्त हो जाता है तो रघु के लिए उसका रास्ता एकदम साफ हो जाएगा इसके बाद वह रामू की मां से रामू की उपस्थिति में भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना सकता है,,,।

थोड़ी देर में दोनों की उत्सुकता खत्म हो गई,,, क्योंकि हाथ में डब्बा लिए ललिया ठीक उन दोनों की आंखों के सामने खाली मैदान में जमीन पर नीचे डब्बा रखकर खड़ी हो गई,,, ललिया का चेहरा रघु और रामू दोनों के ठीक सामने था,,,।
ललिया चारों तरफ नजर घुमाकर जाकर पकड़ देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है,,, रामू अपनी आंखों के ठीक सामने अपनी मां को खड़ी देखकर एकदम मदहोश हो गया,,, उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था क्योंकि अब उसे इस बात का एहसास हुआ था कि रघु उसे यहां क्या दिखाने के लिए लाया था लेकिन रामू रघु की तरफ बिल्कुल भी नहीं देख रहा था वह आंखें फाड़े अपनी मां को भी देखे जा रहा था जो उसे से 5 मीटर की दूरी पर खुले मैदान में खड़ी थी और किसी भी वक्त अपनी साड़ी कमर तक उठाकर नीचे बैठने वाली थी,,,। रघु का भी दिल जोरों से धड़क रहा था।
Jabardast update
 
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Mr. Nobody

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Nice update...
 
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Nevil singh

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कजरी को बहुत चिंता हो रही थी,,, और चिंता होना लाजमी था क्योंकि वह शालू की मां थी,, वह नहीं चाहती थी कि उसकी बदनामी हो समाज में नाम खराब है और शादी में किसी भी प्रकार की दिक्कत पैदा हो,,, वह तो भगवान से मन ही मन रोज प्रार्थना करती थी कि कैसे भी करके शालू की शादी हो जाए बस,,,, जैसे जैसे दिन गुजर रहा था वैसे वैसे कजरी की चिंता बढ़ती जा रही थी,,, वह रोज रघु को जमीदार से शादी की बात करने को कहती और रघु भी दोनों मालकिन को जमीदार के ऊपर शादी का दबाव बनाने के लिए कहती रहती थी,,,, लेकिन दोनों की हिम्मत नहीं होती थी कि वह जमीदार को शादी की बात कर सके और वह भी शालू के साथ क्योंकि वह दोनों भी अच्छी तरह से जानती थी कि रघु के परिवार में और उनके परिवार में जमीन आसमान का फर्क था,,,,
लेकिन जमीदार की बीवी रात के समय जब जमीदार उसके साथ संभोग रत थे,,, जमीदार की बीवी सालु की शादी की बात छेड़ते हुए बोली,,,,।

आपसे एक बात करनी थी,,,,(जमीदार के झटको की वजह से हक लाते हुए उसकी आवाज निकली)


क्या बात करनी थी,,,,(जमीदार अपनी कमर को हिलाते हुए बोला)

शादी की बात करनी थी,,,


किसकी शादी,,,,


अरे विरजू की और किसकी,,, मेरी नजर में एक लड़की है बहुत सुंदर,,,, उसका नाम शालू है,,, अपने गांव की कजरी की लड़की,,,,


कजरी की,,,,(अपने धक्को पर काबु करते हुए जमीदार बोला,,,)

हां बहुत ही अच्छा परिवार है,,, अरे उसी की बड़ी बहन,,, जो तांगे से मुझे मेरे मायके लेकर गया था,,,,


तुम पागल हो गई हो,,,, हमारी और उसकी बराबरी कर रही हो,,,, यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है,,,(जमीदार अपने दोनों हाथों का कसाव अपनी बीवी की चूचियों पर बढ़ाता हुआ बोला,,,)

पर एक बार देखने में क्या हर्ज है मुझे पूरा यकीन है कि एक बार उसको देखोगे तो आपका इरादा बदल जाएगा,,,।(जमीदार को अपनी बाहों के घेरे में करते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं मेरा इरादा कभी नहीं बदलने वाला,,, और वैसे भी मैं अपने समधी को वादा कर चुका हूं क्योंकि उन्होंने भी मुझे एक लड़की के बारे में बताया है वह भी ऊंचे घराने की तो नहीं लेकिन उनके कहे अनुसार बहुत सुंदर है,,, अब मैं उनकी बात नहीं काट सकता,,,(जमीदार अपनी कमर की रफ्तार को बढ़ाता हुआ बोला,,,)


मेरी जुबान का क्या,,,, मैं भी उससे वादा कर चुकी हूं कि बिरजू की शादी उसकी बहन से ही होगी और वैसे भी अपना बिरजू उससे प्रेम करता है,,,।
(अपनी बीवी की यह बात सुनकर जमीदार थोड़ा सा परेशान हो गया लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए और अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में पेलते हुए बोला)

तो क्या हुआ प्रेम तो सभी को हो जाता है पर यह जरूरी तो नहीं किसी से प्रेम हो उसे शादी भी हो,,,, हम बिरजू की शादी वहीं करेंगे जहां हम चाहते हैं,,,,


लेकिन सुनो तो,,,,(जमीदारी की बीवी बात को संभालने की गरज से बोली)




हम कुछ नहीं सुनना चाहते,,,, चुदवा रही हो अच्छे से चुदवाओ मेरा दिमाग मत खराब करो,,,,(अब उसके पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं बचे थे वह अच्छी तरह से जानती थी कि अब बहस करना ठीक नहीं है ,,,, जमींदार वैसे भी अपनी मनमानी ही करता था वह किसी की भी दखल गिरी बर्दाश्त नहीं करता था खासकर के औरतों की भले ही वह क्यों ना उसकी बीवी हो,,,, जमीदार अपनी बीवी की एक चूची को मुंह में भर कर पीते हुए अपनी कमर को बड़ी तेजी से हिलाने लगा,,, जो कि इस बात का संकेत था कि उसका पानी निकलने वाला है,,,, जमीदार की बीवी अपने पति से कभी भी संतुष्ट नहीं हो पाई थी क्योंकि जमीदार एक उम्र दराज व्यक्ति थे और जमीदार की बीवी एकदम जवान, हसीन गदराए बदन की मालकिन थी,,, उसे रघु जैसा हट्टा कट्टा नौजवान चाहिए था जोकि उसके बदन की गर्मी को शांत कर सके,,,पूरा रखो उसकी उम्मीद पर पूरी तरह से खरा उतरा था उसके लिए तो रघु खरा सोना था लेकिन अब उसे जमीदार पर बेहद क्रोध आने लगा था वह बड़ेआत्मविश्वास के साथ रघु को इस बात का दिलासा दी थी कि उसकी बहन उसके घर की बहू बनेगी,,, लेकिन जमीदार ने सब कुछ बिगाड़ के रख दिया था उसके अरमानों पर पानी फेंक दिया था,,, वह उसी तरह से पीठ के बल अपनी दोनों टांगे फैलाए पड़ी रही और जमीदार तब तक उसकी बुर को रौंदता रहा जब तक कि उसका पानी नही निकल गया,,,। अपनी बीवी की चुदाई करने के बाद वह उसके बगल में करवट लेकर पसर गया और सोने से पहले अपनी बीवी को हिदायत देते हुए बोला,,,।

कल सुबह हम अपने समधी के साथ लड़की देखने जा रहे हैं सुबह तैयारी कर लेना,,,।( और इतना कहकर वह करवट लेकर सो गया,,, मानो की उसकी बीवी की कोई कदर ही नहीं थी उसके मन की कभी भी नहीं हो पाती थी जमीदार केवल उसे अपनी रातों को रंगीन करने के लिए ही लाया था,,, कहने को तो वह घर की मालकिन पीने की मालकिन जैसा उसे किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं प्राप्त था,,,, इसलिए अपनी किस्मत को कोसते हुए वह दूसरी तरफ करवट लेकर सो गई,,,।)


दूसरे दिन रघु,,, नीम की दातून करते हुए घर के पीछे की तरफ जा रहा था तो उसके कानों में जानी पहचानी सीटी की मधुर आवाज सुनाई देने लगी,,, सीटी की आवाज सुनते ही उसका मन अधीर हो गया वह एकदम से व्याकुल हो गया,,, पर अपने चारों तरफ इधर उधर नजर घुमा कर देखने लगा लेकिन उसे कहीं भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो वह ध्यान से सीटी की आवाज वाली दिशा में ध्यान लगाकर सुनने लगा तो,,, वह सीटी की आवाज सामने की झाड़ियों में से आती हुई उसे सुनाई दी,,,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह धीरे-धीरे उन झाड़ियों के करीब जाने लगा,,,,, सीटी की आवाज को वह अच्छी तरह से पहचानता था इसीलिए तो उसका मन एकदम व्याकुल हुए जा रहा था,,,,वह बड़े ही आराम से धीरे धीरे कदम रख रहा था क्योंकि सूखी हुई पत्तियां नीचे गिरी हुई थी जिसकी आवाज से हो सकता था की झाड़ियों के बीच कोई चौकन्ना हो जाए,,,, लेकिन रघु किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहता था,,,
धीरे-धीरे वह झाड़ियों के बिल्कुल करीब पहुंच गया,,, और हल्के से झाड़ियों को अपने हाथों से अलग करते हुए जैसे ही उसकी नजर झाड़ियों के अंदर बीच में गई उसके होश उड़ गए उसके दिल की धड़कन बढ़ गई क्योंकि सिटी की मधुर आवाज सुनकर जिस नजारे कि उसने कल्पना किया था ठीक वैसा ही नजारा उसकी आंखों के सामने था,,,, एक बार फिर से उसकी नजरों ने अपनी मां को पेशाब करते हुए देख लिया था,,, उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,, सिटी की मधुर आवाज सुनकर उसके मन में जिस चित्र की कल्पना उभर रही थी ठीक वैसी ही चलचित्र उसकी आंखों के सामने उपसी हुई थी,,,,,कजरी निश्चिंत होकर अपनी साड़ी को कमर तक उठाए उसे कमर पर लपेट कर अपनी गोलाकार गांड को दिखाते हुए पेशाब कर रही थी,,,हालांकि वह इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसकी गोरी गोरी मदमस्त कर देने वाली गांड को पीछे से खड़ा होकर उसका लड़का देख रहा है,,,,,, पल भर में ही रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,, वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा,,,,,, खेत में ट्यूबवेल की टंकी में नहाते समय अपनी मां की खूबसूरती से पूरी तरह से वाकिफ हो चुका था और अपने मर्दाना मस्ताए लंड को अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी मखमली गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर महसूस भी कर चुका था,,, लेकिन एक जवान लड़के का मन कहां मानने वाला था,,, यह जानते हुए भी कि अपनी मां को इस अवस्था में देखना ठीक नहीं है,,फिर भी रघु टस से मस नहीं हो रहा था आखिरकार नजारा ही ऐसा अद्भुत मादकता से भरा हुआ था कि रघु तो क्या उसकी जगह कोई भी मर्द होता तो उसकी पलक झपकना भूल जाती,,,, वास्तव में कजरी की गांड बेहद खूबसूरत गोल गोल और एकदम गोरी थी,, अंधेरे में भी जिसके होने का आभास हो जाए,, अभी भी रघु के कानों में उसकी मां की बुर से आ रही सीटी की आवाज गूंज रही थी मतलब साफ था कि अभी भी कजरी बड़ी शिद्दत से पेशाब कर रही थी,,,,, रघु का लंड तो पजामे के अंदर बवाल मचाए हुए था,,,, ऐसा लग रहा था किसी भी वक्त वह पैजामा फाड़ कर बाहर आ जाएगा,,, सुबह-सुबह इतना बेहतरीन खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा ऐसा कभी रघु ने बिल्कुल भी नहीं सोचा था,,, रघु बड़े गौर से अपनी मां की खूबसूरत गांड को देख रहा था जो कि उस समय ट्यूबवेल की टंकी में उसके बेहद करीब थी जिसकी गर्माहट और गोलेपन का एहसास उसे बड़ी अच्छी तरह से हुआ था,,, लेकिन एक कसक प्रभु के मन में रह गई थी कि वह अपनी मां की गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे मसल नहीं पाया,,,कजरी सी जगह पर बैठी हुई थी उसके चारों तरफ घनी झाड़ियां थी धांसू की हुई थी और गौर से देखने पर रखो कोई भी आभास हुआ कि उसकी मां उस जगह मैं इसे धीरे-धीरे आलू खोद रही थी,,,, उसकी मां एक साथ दो काम कर रही थी पैसा भी कर रही थी और खेतों में से आलू की खोद रही थी,,, जिसकी शायद सुबह सुबह सब्जियां बनानी थी,,,,

कजरी इस बात से बेखबर थी वह निश्चिंत होकर मुतने में लगी हुई थी और आलू खोदने में,,,, लेकिन तभी उसे आहट सुनाई थी,,,,वह एकदम से सचेत हो गई,,, वह घबराकर पीछे मुड़ कर देखना नहीं चाहती थी हालाकी ऊसे डर भी लग रहा था,,,, कि ना जाने कौन उसे इस तरह से पेशाब करते हुए देख रहा है,,, एकाएक उसकी पेशाब की धार एकदम से कमजोर पड़ गई,,,, और वह धीरे से अपनी नजरों को तिरछी करके पीछे की तरफ देखी तो उसे केवल पैजामा नजर आया और वह उस पजामे को अच्छी तरह से पहचानती थी,,,, जिसे वह रोज सुबह धोती थी,,,, इस बात का एहसास होते हैं कि पीछे खड़ा शख्स जान पहचान का क्या उसका खुद का बेटा रघु है उसका दिल धक से करके रह गया,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वह समझ गई कि उसका बेटा फिर से उसे पेशाब करते हुए देख रहा है,,,,लेकिन इस समय ना जाने क्यों उसे अपने बेटे की हरकत पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था जैसा कि पहली बार वह खेतों में अपने बेटे को अपने आप को पेशाब करते हुए देखकर गुस्से से आगबबूला हो गई थी,,,, , लेकिन आज तो अपने बेटे की हरकत पर,, उसे प्यार आ रहा था और अपने अंदर की उसे उत्तेजना महसूस हो रही थी,,,, एक औरत के लिए भी वहां पर देहाती शर्मसार कर देने वाला होता है जब वह पेशाब करती हो और उसे पीछे से कोई चोरी-छिपे देख रहा है,,, क्योंकि वैसे भी औरतें हमेशा छुप कर पर्दे में ही पेशाब करती है,,,,,,एक औरत मर्द के सामने तभी पेशाब करती है जब आपस में वह दोनों पूरी तरह से खुल गए होते हैं और दोनों के अंदर वासना की चिंगारी बराबर भड़कती रहती है तब वह एक दूसरे को खुश करने के लिए उन्माद जगाने के लिए इस तरह की हरकत कर बैठते हैं,,,,। लेकिन यहां तो पहले अनजाने में ही हुआ था लेकिन जब इस बात का आभास कजरी को हो गया कि उसका बेटा पीछे से खड़ा होकर उसकी नंगी गांड को और उसे पेशाब करते हुए देख रहा है तब कजरी के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी ऊफान मारने लगी,,,,,, उसका दिल धड़कने लगा,,,और जो कुछ पल के लिए किसी की अपने पीछे आहट सुनकर उसकी पेशाब रुक गई थी वह अब उत्तेजना के मारे और तेज धार छोड़ते हुए मुतने लगी,,, रघु की धड़कनें तेज चलने लगी थी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ट्यूबवेल की टंकी में जिस तरह की हरकत वह अपनी मां के साथ कर चुका था उसका दिल यही कर रहा था कि वह पीछे से जा करके अपनी मां बुर ‌में पीछे से लंड डाल दे,,, क्योंकि उस दिन उसकी मां उसकी हरकत की वजह से उसे एक शब्द तक नहीं बोली थी,,, लेकिन इस तरह की हरकत करने में उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसकी मां उसके गाल पर थप्पड़ ना लगा दे,,,,

और दूसरी तरफ कजरी के तन बदन में वासना की आग सुलग रही थी इस समय वह अपने मन में सोच रही थी कि ऐसा क्या करें कि उसका बेटा पूरी तरह से उसकी जवानी का कायल हो जाए,,,क्योंकि वह जानती थी कि झाड़ियों के बीच इस तरह से वह बैठी है उसके बेटे को सिर्फ उसकी गोरी गोरी गांड नजर आ रही होगी लेकिन उसका असली और अनमोल खजाना उसके बेटे की नजरों से अभी काफी दूर है इसलिए वह चाहती थी कि उसका बेटा उसके गुलाबी खजाने को अपनी आंखों से देखें,,,,,, वैसे भी वह खेत में से आलू खोदकर निकाल रही थी,,,, इसलिए वह अपना मन बना चुकी थी अपने बेटे को अपनी गुलाबी बुर के दर्शन कराने के लिए,,, इसलिए वह एक बहाने से आगे झुकना चाहते थे आलू खोदने के बहाने ताकि उसका बेटा उसके गुलाबी बुर को अपनी नंगी आंखों से देख सकें,,, लेकिन ऐसा सोचकर ही कजरी की बुर से पानी बहा जा रहा था,,,, जिंदगी में पहली बार उसके साथ इस तरह की घटना घट रही थी उसने आज तक अपने पति के सामने भी के साथ करने की हिम्मत नहीं की थी क्योंकि वह पहले से ही बहुत शर्मीले किस्म की औरत थी,,,, और किसी मर्द के सामने पेशाब करने के बारे में तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी,,,, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं सोचने का नजरिया बदल चुका था अपने बेटे में उसे अब अपना बेटा नहीं बल्कि हट्टा कट्टा जवान मर्द नजर आता था,,,,

कजरी से रहा नहीं जा रहा था उसके तन बदन में उन्मादक हीलोरे गोते लगा रही थी,,, अपना दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपनी गोरी गोरी गांड पर रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगी,,, अपनी मां की यह हरकत देखकर रघु के तन बदन में शोले भड़कने लगे,,, पजामे में उसका लंड फट पड़ने की कगार पर आ गया था,,, रघु से रहा नहीं जा रहा थाऔर वह अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया,,,। तभी रघु की आंखों ने जो देखा उसे देख कर उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था कजरी अपने बेटे को अपनी गुलाबी बुर दिखाना चाहती थी और इसीलिए वह आगे की तरफ झुक कर आलू खोदने के बहाने अपनी गोरी गोरी गांड को थोड़ा सा ऊपर उठा दी,,, जिससे उसके गुलाबी बुर गुलाबी पत्तियों सहित रघु की आंखों के सामने चमकने लगी,,, यह नजारा देखकर तो रघु कि सांस ही अटक गई,,,, कजरी जानबूझकर आगे झुक कर मिट्टी में से आलू खोदने का क्रियाकलाप कर रही थी जबकि हकीकत यही था कि वह अपने ही बेटे को अपनी गुलाबी बुर के दर्शन करा रही थी,,, और यही देखने के लिए वह चुपके से अपनी नजरों को तिरछी करके पीछे की तरफ देखी तो अपने बेटे की हालत देखकर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी और उसे अपने बेटे की हालत पर तरस भी आ रहा था क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जिस तरह से वह नीचे झुकी हुई है साफ तौर पर उसकी बुर उसके बेटे की आंखों में अपनी चमक छोड़ रही होगी,,, रघु का मुंह खुला का खुला रह गया था कजरी अपनी तिरछी नजरों को नीचे की तरफ पिलाकर उसके पजामे की स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां पर अपनी नजरों को टिकाई तो उसके होश उड़ गए,,, क्योंकि उसके पजामे में जबरदस्त तंबू बना हुआ था,,, यह देख कर ही कजरी की बुर से मदन रस की बूंदे नीचे टपकने लगी,,,,,,, हालांकि अब कजरी की बुर से पेशाब की धार टूट चुकी थी,,, लेकिन वह फिर भी उसी अवस्था में अपनी गांड को ऊपर उठाएं झुकी रही और खेतों में से आलू खोदने का कार्यक्रम जारी रखी,,,,, उत्तेजना से पूरी तरह से रघु मस्त हो चुका था,, उसे ऐसा लग रहा था कि बिना लंड हीलाए ही उसका लंड पानी छोड़ देगा,,,।,,,
और ऐसा हो भी जाता अगर उसकी बड़ी बहन की आवाज उसके कानों में ना पड़ती तो क्योंकि वह उसे ढूंढते हुए उसी दिशा में आ रही थी वह तुरंत एकदम हक्का-बक्का हो गया,,, और अपने कदमों को पीछे ले लिया,,, कजरी के कानों में भी उसकी बेटी की आवाज पड चुकी थी इसलिए वह भी तुरंत,,, खोदे हुए आलू को बटोरने लगी,,,,।

यहां क्या कर रहा है तू अभी दांतुन हीं कर रहा है,,,, खाना बन गया है पहले जाकर नहा ले फिर खा लेना,,,, और मा कहां है,,, आलू खोदने के लिए गई थी अभी तक वापस नहीं आई पता नहीं कहां रह गई तुझे मालूम है कहां है,,,,


नहीं मुझे कैसे मालूम हो सकता है मैं तो अभी अभी उठ कर आया हूं,,,,(रघु अपनी नजरों को इधर-उधर घुमाते हुए बोला तभी शालू की नजर उसके पजामे पर पड़ी तो वह एकदम दंग रह गई,,, पजामे के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,, इसलिए वह आश्चर्य से अपने हाथ की उंगली से उसके पजामे की तरफ इशारा करते हुए बोली,,,)

यह क्या है सुबह-सुबह,,,,,


कककक,,,कुछ नही,,,,, यह तो तुमको देखते ही खड़ा हो गया दीदी,,,,,(रघु एकदम शरारती अंदाज में बोला)


बाप रे सुबह सुबह तुझे यही सब सुझता है,,,,


क्या करूं दीदी तुम हो ही इतनी खूबसूरत,,,,


चल रहने दे मस्का लगाने को अभी कुछ नहीं होने वाला जा जाकर नहा ले,,,,
(इतना सुनकर बिना बोले रघु वहां से चला गया और शालू अपनी मां को खोजने लगी उसे लगा कि उसकी मां किसी से बात करने में लग गई होगी क्योंकि वैसे भी अक्सर वह गांव की औरतों के साथ बात करने बैठती थी तो घंटे बिता देती थी,,,, इसलिए वह खुद ही आलू खोदने के लिए झाड़ियों के करीब जाने लगी जहां पर कजरी अभी भी उसी अवस्था में बैठी हुई थी और खोदे हुए आलू को इकट्ठा कर रही थी,,,।
जैसे ही वहां झाड़ियों के बेहद करीब पहुंचीउसकी नजर झाड़ने के बीच बैठी अपनी मां पर पड़ गई जो कि अभी भी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और वह बैठी हुई थी मानों जैसे की पेशाब कर रही हो,,,,,,।


क्या मां तुम अभी तक यहीं बैठी हुई हो मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हुंं,,,
(पीछे से आ रही आवाज को सुनते ही,, कजरी एकदम से हड़बड़ा गई और तुरंत उठ कर खड़ी हो गई और अपनी साड़ी को दुरुस्त करने लगी,,,,)

वो ,,वो,,,मममम,, में,,,, आने ही वाली थी कि मेरे पेट में दर्द होने लगा इसलिए मैं यहां बैठ गई,,,, तू चल मैं आती हूं,,,,(इतना कहकर वह नीचे झुक कर होते हुए आलू को अपनी साड़ी के पल्लू में इकट्ठा करने लगी,,, कजरी शर्मा से अपनी बेटी से नजरें नहीं मिला पा रही थी,,, शालू को भी सब कुछ सामान्य ही लग रहा था कि तभी उसके दिमाग की घंटी बजना शुरू हो गई,,,, क्योंकि उसे याद आ गया कि उसका भाई रघु भी यहीं से वापस आ रहा था,,,, अपनी मां की हालत अपने भाई रघु के पजामे की स्थिति को देखकर उसका दिल जोर से धड़कने लगा,,,, उसके मन में शंका के बादल उमड़ने लगे,,,,क्योंकि वह अपनी आंखों से अपनी मां की गांड को देख चुकी थी जो कि कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी थी और वह बैठी हुई थी और इस बात का भी आभास उसे था कि उसका भाई वापस जाते समय उसे नजर चुरा रहा था और उसके पहचानने की स्थिति कुछ और बयां कर रही थी,,,,, वह वापस लौटते समय अपने मन में यही सोचने लगी कि कहीं उसका भाई खड़ा होकर अपनी ही मां की गांड को देखकर उत्तेजित तो नहीं हो रहा था,,,, क्योंकि उसके लंड की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी,,,, ऐसा तभी होता है जब एक मर्द उत्तेजित दृश्य को देख ले,,, और ऐसा ही हुआ होगा,,,, रघु इधर झाड़ियों में पेशाब करने आया होगा और उसे मां दिख गई होगी,,,उसकी नंगी गोरी गोरी गांड देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया होगा तभी तो पजामे में उसका लंड खड़ा हो गया था,,,,।

सच्चाई से वाकिफ होते ही शालू के तन बदन मे अजीब सी हलचल होने लगी,,, यह सोच कर कि उसका छोटा भाई अपनी ही सगी मां को गंदी नजरों से देख रहा है इस बातों से उसे पहले तो गुस्सा आया लेकिन फिर तन बदन में अजीब सी चिकोटि काटने लगी,,, अपनी भाई की गंदी नजरों को अपनी मां के बारे में सोचते हैं उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी वह इस बारे में अपने भाई से बात करना चाहती थी और मौके की तलाश में थी,,,।

दूसरी तरफ रघु अपने लंड की गर्मी को शांत करना चाहता था,,, इसलिए अपने छोटे से लकड़ी के बने हुए स्नानागार में जाकर अपनी मां को याद करके मुठ मारने लगा,,, और गर्मी बाहर निकलते ही वहां नहा धोकर वापस खाना खाने के लिए आ गया तब तक उसकी मां भी वहां आ चुकी थी शालू अपनी मां की उपस्थिति में अपने भाई से बात नहीं कर पाई,,, और खाना खाकर रघु वहां से बाहर चला गया,,,,।


जमीदार लड़की देखने के लिए जाने वाला था इसलिए वह तांगा लेकर अपने समधी लाला के घर की तरफ निकल गया,,, जहां पर लाला,,,अपनी बहू कोमल की खूबसूरत नितंबों की थिरकन को आते जाते देखकर लार टपका रहा था,,, उसका गला सूख रहा था उसी प्यास लगी थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी प्यास बुझाने के लिए उसे अपनी बहु कोमल के पास जाना चाहिए या मटके के पास,,,, वैसे तो अक्सर वह अपनी बहू से पानी मांग लिया करता था लेकिन आज वह खुद ही मटके से पानी लेने के लिए उठ खड़ा हुआ और रसोई घर की तरफ जाने लगा जहां पर उसकी बहू खड़ी होकर लकड़ी के पाटिया पर सब्जी काट रही थी,,, अपनी बहू पर नजर पड़ते ही उसकी धोती में हलचल होने लगी और मटके के करीब जाते-जाते वह अपना एक हाथ अपनी बहू को हमारी के नितंबों पर रखकर उसे जोर से दबा दिया,,,।

आहहहह,,, बाबूजी यह क्या कर रहे हैं आप,,,,(कोमल चौक ते हुए बोली,,,)


कुछ नहीं मेरी प्यारी बहू तेरी खूबसूरत मुलायम बदन का जायजा ले रहा था,,,।


बाबू जी आपको इस तरह की हरकत करते हुए शर्म आनी चाहिए,,,,।


शर्म तो आती है मेरी रानी लेकिन क्या करूं तुझ पे तरस भी तो आता है,,,, साला मेरा बेटा ही नालायक और निकम्मा निकल गया कितनी खूबसूरत औरत को छोड़कर ना जाने कहां भटक रहा है,,,,(मटके में गिलास डालकर उसे पानी से भरते हुए बाहर निकालते हुए) आखिरकार तु एक औरत है तुझे भी तो अपने जिस्म में आग लगती हुई महसूस होती होगी,,, तुझे भी तो अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कुछ होता होगा,,,,(इतना कहकर लाला पानी पीने लगा और अपने ससुर की इस तरह की गंदी बात सुनकर कोमल शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,,)


आपको शर्म आनी चाहिए बाबूजी मुझसे इस तरह से बातें करते हुए मैं आपकी बेटी समान हूं,,,।


तू एक औरत है और वह भी प्यासी,,,, और मेरा पूरा अधिकार बनता है तुझे प्यास से मुक्त कराने के लिए,,,,(इतना कहने के साथ है कि लाला अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बहू का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसे सीधे अपनी बाहों में भरकर उसके लाल-लाल होठों को चूमने की कोशिश करने लगा,,, की तभी बाहर दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,।)

लालाजी,,,, अरे ओ लाला जी कहां हो,,,,,
(इतना सुनते ही उसके होश उड़ गए अपने समधी की आवाज वह अच्छी तरह से पहचानता था,,,इसलिए तुरंत राधा को अपनी बाहों से आजाद करता हुआ बिना कुछ बोले वह दरवाजे की तरफ जाने लगा,,,)

अरे आया समधी जी,,,,(इतना कहने के साथ ही वह दरवाजा खोल दिया सामने उसके समधी खड़े थे,,)


अरे आज हमें लड़की देखने जाना था तुम भूल गए क्या,,,?

अरे भूला नहीं हूं सरकार आइए पहले जलपान तो कीजिए,,,


नहीं नहीं रहने दो मैं जलपान करके आया हूं,,,, हमें देर हो रही है हमें चलना चाहिए,,,, तांगा तैयार है,,,।


जी सरकार में अभी आया,,,,(इतना कहकर बा अंदर गया और गमछा लेकर बाहर आ गया दोनों तांगे पर बैठकर लड़की देखने के लिए दूसरे गांव की तरफ निकल गए और कोमल दीवाल से सेट करें बैठ गई और अपनी किस्मत पर रोने लगी,,,, थोड़ी देर बीता ही था कि दरवाजे पर फिर दस्तक होने लगी,,,, कोमल घबरा गई उसे लगा कि उसका ससुर फिर वापस आ गया है,,,)
Hasheen update dost
 

Nevil singh

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लाला और जमीदार दोनों लड़की देखने के लिए जा चुके थे अंदर दरवाजा बंद करके कोमल सुबक रही थी,,, उसे अपनी किस्मत पर रोना आ रहा था,,,,उस मनहूस घड़ी के लिए अपने आप को कोस रही थी जब वह शादी करके इस घर में आई थी पति का सुख तो उसे मिला नहीं ऊपर से उसका ससुर उस पर गंदी नजर रखने लगा था कोमल अपने मन में यही सोच रही थी कि भला वह अपने ससुर की नजरों से कब तक बची रहेगी,,,, वो तो किस्मत अच्छी रही थी कि कोई ना कोई आ जाता है,,,, अगर जिस दिन कोई समय पर नहीं पहुंचा तो उसका क्या होगा उसकी इज्जत का क्या होगा,,,। वह यही सोच कर रो रही थी,,,, कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,, दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनकर कोमल घबरा गई उसे लगने लगा कि उसका ससुर फिर वापस आ गया है,,,, उसके चेहरे पर चिंता की लकीर उपसने लगी,,, तभी जब दस्तक के साथ-साथ रघु की आवाज उसके कानों में पड़ी तो वह खुशी से चहक ने लगी उसकी सारी चिंता हवा में फुर्र हो गई,,।


लालाजी ,,,,,,,दरवाजा खोलिए ,,,,,,,लालाजी,,,
(इतना सुनते ही कोमल तुरंत उठ खड़ी हुई और भागते हुए जाकर दरवाजा खोल दी सामने दरवाजे पर रघु को खड़ा देखकर उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,, और रघु भी दरवाजे पर कोमल को देखकर मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,)

लालाजी नहीं है क्या,,,?


नहीं वह तो बाहर गए हैं,,,( कानों में रस घोलने वाली मधुर आवाज में बोली,,, रघु तो कोमल की आवाज सुनकर ही उत्तेजित हो जाता था और ऐसा हुआ भी उसके तन बदन के तार बजने लगे,,,)

कब तक लौटेंगे,,,,


कुछ कहकर नहीं गए हैं लेकिन जल्दी नहीं लौटेंगे वो किसी दूसरे गांव गए हैं,,,।
(कोमल की बातें सुनकर रघु की आंखों में चमक आने लगी,,, कोमल की खूबसूरती को वह पहले ही देख चुका था,,, उसके बदन के कटाव को उसकी बनावट की मुरत पहले ही उसके मन में बस चुकी थी,,, रघु कोमल को गले लगाना चाहता था उसे अपनी बाहों में भर कर उससे प्यार करना चाहता था लेकिन उसे डर भी लगता था,,, कि कहीं लाला को ईस बारे में पता चल गया तो क्या होगा,,, कोमल घूंघट डाले उसी तरह से खड़ी थी,,, रघु लाला की अनुपस्थिति में उसे बातें करना चाहता था उसके मन का राज जानना चाहता था लेकिन कैसे कहे उसे पता नहीं चल रहा था इसलिए वह जानबूझकर बहाना बनाते हुए बोला,,)

अच्छा ठीक है मैं फिर आ जाऊंगा अभी चलता हूं,,,।
(कोमल उसे जाने नहीं देना चाहती थी उससे बातें करना चाहती थी,,,,,, इसलिए उसकी यह बात सुनकर उसका मन उदास हो गया मुझे ऐसे ही जाने के लिए वापस मुड़ा वैसे ही कोमल बोल पड़ी,,,)

आए हो तो पानी तो पीकर जाओ बाबूजी का तांगा चलाते हो अगर बाबूजी को पता चल गया कि तुम घर पर आए थे और मैं तुम्हें पानी भी नहीं पूछी तो वह खामखा नाराज होंगे,,,।
(कोमल की बातें सुनकर रघु के चेहरे पर खुशी के भाव झलकने लगे और वह मुस्कुरा दिया,,,)

जैसी तुम्हारी इच्छा,,,,,लेकिन घर में कोई नहीं है क्या मेरा आना ठीक होगा,,,


हां क्यों नहीं,,,, आ जाओ,,,, यहां कौन देखने वाला है,,,,
(कोमल की यह बात सुनकर रघु के तन बदन में हलचल होने लगी,,,, वो भी देखना चाहता था कि कोमल के मन में क्या है,,, इसलिए वह बिना कुछ बोले घर में प्रवेश कर गया कोमल उसे बैठने के लिए बोली बार अंदर पानी लेने के लिए चली गई,,,, रघु से जाते हुए देखता रह गया क्योंकि कसी हुई साड़ी में उसके नितंबों का उभार जानलेवा नजर आ रहा था,,, तभी अंदर से कोमल एक हाथ में पानी भरा लोटा और दूसरे हाथ में मीठे गुड़ की प्लेट लेकर आई,,, उसके हाथों में पानी के साथ गुड़ देखकर रघु औपचारिकता बस बोला,,,)

अरे इसकी क्या जरूरत थी छोटी मालकिन,,,,


छोटी मालकिन नहीं कोमल नाम है हमारा,,,,(गुड वाली प्लेट को रखो की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,रख मुस्कुराते हुए उस प्लेट में से गुड़ का एक टुकड़ा उठाकर उसे तोड़ते हुए बोला,,,)

हमारे लिए तो तुम छोटी मालकिन ही हो,,,



नहीं हमें यह नहीं पसंद की कोई हमें मालकिन कहे,,,, तुम मुझे कोमल कहकर पुकारा करो,,,।


लेकिन क्या तुम्हें कोमल कहना उचित रहेगा कोई सुन लिया तो,,,,


सुन लिया तो सुन लिया मुझे उस की बिल्कुल भी परवाह नहीं है मैं तुम्हें अपना दोस्त समझती हूं,,,,
(इस बात पर रघु के चेहरे पर मुस्कान खिलने लगी और वह खुशी-खुशी गुड़ के टुकड़े को अपने मुंह में डालकर खाते हुए दूसरे टुकड़े को कोमल की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,)

तो यह दोस्त की तरफ से मुंह मीठा करने के लिए हमारी दोस्ती की मिठाई,,,
(रघु की बात सुन तेरी कोमल हंसने लगी और मिठाई के उस टुकड़े को लेकर अपने मोतियों जैसे दांत के नीचे रखकर काट कर उसे खाने लगी,,, रघु उसकी खूबसूरती उसके मोहक रूप को देखकर एकदम से फिदा हो गया,,, वह उसे देखता ही रह गया,,,,उसे इस तरह से अपनी तरफ देखता हूं आप आकर कोमल शर्मा गई और अपनी नजरों को नीचे कर ली,,, लेकिन फिर भी रघु उसे देखता ही रह गया,,, इस बार कोमल से रहा नहीं गया और वो शरमाते हुए बोली,,)

ऐसे क्या देख रहे हो,,,?


अगर बुरा ना मानो तो बता दु कि ऐसे क्यों देख रहा हूं,,,


हम तुम्हारी बात का बुरा नहीं मानेगे,,,,


तुम बहुत खूबसूरत हो छोटी मालकिन,,,,


छोटी मालकिन,,,,!(कोमल आश्चर्य जताते हुए बोली)

मेरा मतलब है कोमल जी,,,,


कोमल जी नहीं,,,, केवल कोमल


अच्छा बाबा कोमल,,,,, लेकिन सच कह रहा हूं तुम बहुत खूबसूरत हो,,,, तुम्हारे पति तो अपने आप को बहुत खुशनसीब समझते होंगे,,, समझते क्या होंगे खुशनसीब हैं जो तुम जैसी बीवी उन्हें मिली है,,,,

( रघु की यह बात सुनकर कोमल,,, के जख्म ताजा हो गई और दूसरी तरफ देखते हुए हंसने लगी और एकाएक जोर जोर से हंसने लगी उसे हंसता हुआ देख कर रघु को अजीब लगने लगा,,,, वह हंसती जा रही थी,,,,, तभी एकाएक शांत हो गई और रघु की तरफ देखते हूए बोली,,,)


तुम भी वही समझते हो जो दूसरे लोग समझते हैं बड़े घर की बहू जरूरी नहीं है कि दुनिया की सबसे खुशनसीब बहू होगी सबसे खुशनसीब पत्नी होगी सबसे खुशनसीब बीवी होगी,,,,, बड़े घर में भी बदनसीबी जन्म लेती है,,,,



मैं कुछ समझा नहीं,,,,


समझ जाते तो जो बात तुम कहे हो वह कभी नहीं कहते,,,(कोमल दुखी मन से घर की छत को देखते हुए बोली,,)


क्या तुम इस बड़े घर में बड़े घर की बहू होने के नाते खुश नहीं हो,,,,


रहने दो रघु हमारी किस्मत ही शायद यही है,,,,(इतना कहकर कोमल खामोश हो गई और उसकी ये खामोशी रघु को भाले की नोक की तरह चुभने लगी,,, वह कोमल से सारी बातें सुनना चाहता था इसलिए बोला,,,)


कोमल तुमने मुझे अपना दोस्त माना है और एक दोस्त से अपने मन की बात कह देनी चाहिए,,, मुझे बताओ कोमल क्या तुम खुश नहीं हो,,,।


एक औरत के लिए खुशी क्या होती है रघु,,, इसके मायने भी शायद मैं भूल चुकी हूं,,,,, एक औरत के लिए सबसे बड़ी खुशी होती है उसका पति जोर ऊससे प्यार करें ढेर सारा प्यार करें उसके सुख दुख का ख्याल रखें,,, एक औरत के लिए खुशनसीबी होती है उसका ससुराल उसका घर जहां पर उसे सम्मान मिले प्यार मिले,,, बाप के रूप में ससुर और मां का रूप में सांस मिले,,,। लेकिन मेरे नसीब में तो कुछ भी नहीं ना पति का प्यार ना ससुर का स्नेह और सास तो मेरी किस्मत में ही नहीं,,,
(कोमल की बातें सुनकर रघु एकदम हैरान था,,,)

तो क्या तुम्हें तुम्हारे पति का प्यार नहीं मिलता,,,,।


प्यार,,,,, वो जब हमारे पास रहते ही नहीं है तो प्यार कैसे मिलेगा,,,,


मैं कुछ समझा नहीं,,,


शादी के बाद बड़ी मुश्किल से 1 साल तक ही वह हमारे साथ है उसके बाद कहां चले गए आज तक ना मुझे पता है ना ससुर जी को,,,


क्या कह रही हो कोमल क्या लाला जी ने भी अपने बेटे को खोजने की दरकार नहीं लिए,,,,।

खोजने की उन्हें तो अपने बेटे की पड़ी ही नहीं है,,,, उल्टा उनकी गंदी नजर मुझ पर हैं,,,
(कमल की बात सुनकर रघु बुरी तरह से चौक गया,, उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ तो वह फिर से बोला,,,)

क्या कही तुमने,,,


वही जो तुम सुन रहे हो,,,,


मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कोमल,,,,


मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो पा रहा है,,,, कि मेरे ससुर जी इतने गंदे इंसान होंगे,,,,(कोमल दुखी मन से बोली)


तुम्हारे ससुर जी गंदे इंसान हैं यह तो मुझे मालूम था लेकिन अपने ही घर में गंदी नजर रखेंगे यह मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था,,,


तुम्हें कैसे मालूम है,,,,


मैं तो अपनी आंखों से देख चुका हूं कोमल,,, ,,,


अपनी आंखों से,,,,,, क्या देख चुके हो,,,,(कोमल उत्सुकता वश बोली,,, और रघु उसकी आंखों में अपने ससुर के गंदे कारनामे को जानने की उत्सुकता साफ नजर आ रही थी और यही मौका भी था रघु के पास उसके मन को बहकाने के लिए,,,, वैसे भी अब तक वह यह बात अच्छी तरह से जान चुका था कि औरत को सहारा की जरूरत होती है खास करके तब जब घर से उसे प्यार नहीं मिलता और ऐसे में थोड़ा सा भी सहारा देने का मतलब था कि उसे पूरी तरह से अपनी बना लेना,,,, और रघु कोमल को भी अपना बना लेना चाहता था क्योंकि वह समझ चुका था कि बरसों से उसे पति का प्यार,,, शरीर सुख नहीं मिला है,,,,,, इसलिए रघु कोमल को पूरी तरह से अपनी बातों के जादू में लपेट लेना चाहता था अपनी तरफ आकर्षित कर लेना चाहता था ताकि जो सुख उसे उसका पति ना दे सका वह सुख उसे वह दे सके,,,)

बहुत कुछ देख चुका हूं कोमल,,,, तुम्हारे ससुर बहुत ही गंदे इंसान हैं,,,, उनका राज में जान चुका हूं तभी तो उन्होंने मुझे तांगा चलाने की नौकरी दे दी है और मुझे कुछ ज्यादा बोलते भी नहीं है,,,,
(कोमल की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी रघु की बात सुनकर वह बोली,,,)

ऐसा क्या देख लिया तुमने की ससुर को तुम्हें नौकरी देनी पड़ी,,,,


मैं जो देखा हूं वह तुम्हें बताने लायक नहीं है,,,, रहने दो कोमल,,,


नहीं नहीं मुझे सुनना है में भी तो सुनु मेरे ससुर कितने गंदे इंसान हैं इंसान के रूप में हैवान है,,,।
( कोमल की बात सुनकर रघु समझ गया कि कोमल सब को सुनना चाहती है भले ही वह बात कितनी भी गंदी हो और उसकी वही उत्सुकता रघु के लिए उस तक पहुंचने का रास्ता बनने वाला था,,, रघु भी अपनी बातों को नमक नीचे लगाकर बताने में माहिर था,,, लेकिन फिर भी वह जानबूझकर ना नुकुर करते हुए बोला,,,)


रहने दो कोमल तुम एक औरत हो और औरत को ईस‌तरह की गंदी बातें नहीं सुनना चाहिए,,,।


रघु गंदा इंसान औरत के साथ गंदा काम कर सकता है और मैं सुन भी नहीं सकती,,,,। तुम कहो मैं सुनूंगी,,,, मुझे सब कुछ सुनना है,,, ताकि मैं अपने आपको अपने ससुर की गंदी नजरों से बचा सकूं,,,,


मैं तुम्हें सब कुछ बताता हूं लेकिन क्या तुम्हारे ससुर भी तुम्हारे साथ भी,,,,


नहीं नहीं रघु,,, हमने अभी तक अपने ससुर को अपने बदन को छूने तक नहीं दीया है,,, लेकिन तू गंदी नजरों से मुझे डर लगने लगा है वह मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करते हैं आखिरकार मैं एक औरत हूं कब तक अपने आप को एक मजबूत हाथों से बचा सकती हूं,,,,
(कोमल की बातें सुनकर रघु के मन में सुकून महसूस होने लगा उसे इस बात की तसल्ली हो गई थी उसके ससुर ने अभी तक उसके साथ गंदा काम नहीं कर पाया है,,,वह मन ही मन खुश था लेकिन अपनी खुशी को अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने देना चाहता था इसलिए वह बोला)


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कोमल मैं हूं ना,,,, मैं तुम्हारी इज्जत पर आंच भी नहीं आने दूंगा,,,
(रघु कि इस तरह की सांत्वना भरी बातें सुनकर कोमल का मन प्रसन्न हो गया,,,, और वह बोली,,,)

चलो कोई तो है जो मेरी चिंता करता है और मेरी रक्षा करने के लिए तैयार है,,,, मैं तुमसे बहुत खुश हूं रघु,,, तुम बहुत अच्छे लड़के हो,,,


और तुम भी बहुत अच्छी हो,,,,
(रघु उसकी खूबसूरती में खोता चला जा रहा था,,, कोमल अब रघु से पर्दा नहीं की थी और अच्छे से रघु को कोमल का खूबसूरत चेहरा नजर आ रहा था,,,, रघु उसे एकटक देखता ही रह गया,,, तो कोमल बोली,,,)

देखते ही रहोगे या बताओगे भी कि हमारे ससुर को कौन सा गंदा काम करते देखे हो,,,,
(कोमल की उत्सुकता देखकर रघु भी कहां पीछे रहने वाला था वह नमक मिर्च लगाकर अपनी बात को सुनाना शुरू किया,,,)


वैसे तो तुम्हारे ससुर को जो गंदा काम करते मैंने देखा है वह तुम्हें बताना तो नहीं चाहिए था लेकिन एक दोस्त होने के नाते मैं तुम्हें बता रहा हूं,,,।
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Nevil singh

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रघु अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था और कोमल रघु के साथ होने की वजह से खुश थी उसे रघु का साथ अच्छा लगने लगा था,,,,, और भाई यह जाने के लिए उत्सुक थी कि उसके ससुर ने ऐसा कौन सा गंदा काम कर दिया हां जो कि रघु उसे बताना नहीं चाहता था,,,, कोमल के चेहरे पर उसकी उत्सुकता साफ नजर आ रही थी,,, इस समय घर पर केवल कोमल और रघु ही थे और लाला देर से आने वाला था,,, इसलिए कोमल थोड़ा निश्चित थी,,,रघु अपनी बातों को नमक मिर्ची लगा कर बताना शुरू किया,,,।

कोमल अब तुमसे क्या कहूं कि मैंने उस दिन क्या देखा था दोपहर का समय था मैं और रामु दोनों बगीचे में घूम रहे थे,,, और वो भी लाला के आम के बगीचे में ही,,, क्योंकि हम दोनों को आम खाना था,,,। अच्छा तुम कभी गई हो अपने आम के बगीचे पर,,,।


नहीं तो मैं तो कभी नहीं गई और मुझे वहां लेकर कौन जाएगा जब से आई हूं तब से इस घर की चारदीवारी में कैद हूं,,,(कोमल उदास मन से बोली)

कोई बात नहीं मैं तुम्हें घुमा दूंगा,,,,अच्छा तुम्हें बता रहा था कि हम दोनों को आम खाना था और अच्छे आम तुम्हारे बगीचे में ही मिलते हैं,,,(रघु कोमल की दोनों चूचियों की तरफ देखते हुए बोला जो कि ब्लाउज में कैद थे,, पहले तो कोमल को सब कुछ सामान्य सा लगा लेकिन उसकी बात का मतलब और उसकी नजरों को देख कर उसे समझ में आ गया और वह शर्म से पानी पानी होने लगी,,,) हम दोनों दोपहर के समय तुम्हारे बगीचे में पहुंच गए तुम्हारे आम तोड़ने के लिए,,,(इस बार भी रघु आम वाली बात कोमल की चूचियों को देखते हुए बोला,,,,, रघु की दो अर्थ वाली बात कोमल के तन बदन में आग लगा रही थी,,,)

फिर क्या हुआ,,,,? (कोमल उत्सुकता दर्शाते हुए बोली,,)

फिर क्या बगीचे में एक घर बना हुआ है जो कि बाहर से थोड़ा खंडहर जैसा ही दिखता है लेकिन काफी बड़ा है उसके बगल में एक आम का पेड़ है बहुत बड़ा,,, और उस आम के पेड़ के फल बहुत ही मीठे होते हैं इसलिए मैं उस पेड़ पर चढ़ गया मुझे ऐसा लगा था कि बगीचे में कोई नहीं होगा,,, और मैं निश्चिंत होकर पेड़ पर चढ़ने लगा,,,, मैं थोड़ा ऊंचाई तक चढ गया जहां से उस घर की खिड़की नजर आती थी,,,, मैंने ऐसे ही उस खिड़की के अंदर झांकने की कोशिश किया पहले तो कुछ नजर नहीं आया लेकिन ध्यान से देखने पर जो नजारा मेरी आंखों ने देखा मुझे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,.।


ऐसा क्या देख लिया तुमने,,,,?


कैसे कहूं तुमसे कहने में शर्म आती है,,,(रघु जानबूझकर शर्मा का बहाना करते हुए बोला,,)

हमसे क्यों शर्मा रहे हो,,, हम दोनों तो दोस्त हैं और दोस्त में शर्म नहीं होनी चाहिए,,,, मैं भी तो बिना शर्माए सब कुछ बता दि,,,


हां यह ठीक है,,, तुम मुझे दोस्त समझकर सब कुछ बता दी तो मैं भी तुम्हें दोस्त समझकर सब कुछ बता देता हूं,,,(कोमल की उत्सुकता रघु की उत्तेजना को बढ़ावा दे रही थी,,, इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)
मैं खिड़की में से जो देखा वह सचमुच अविश्वसनीय था मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि लाला का यह रूप भी मुझे देखने को मिलेगा,,,

कौन सा रूप,,?


एक औरत जो कि पास के ही गांव की थी वह बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसके ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम नंगी थी,,,,(रघु जानबूझकर नंगी और चूचियां जैसे अश्लील शब्दों का प्रयोग कर रहा था और इन शब्दों का प्रयोग करते समय वह कोमल के चेहरे की तरफ देख भी ले रहा था वह देखना चाहता था कि इन शब्दों को सुनकर उसके चेहरे का भाव बदलता है या नहीं लेकिन अश्लील शब्दों को सुनकर कोमल के चेहरे का भाव बदल जा रहा था खास करके रघु के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,) बिल्कुल नंगी,,, वह औरत लाला को ही देख रही थी,,, जोकि लाला अपना कुर्ता उतार रहे थे मुझे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन जो मेरी आंखें देख रही थी वह गलत भी नहीं था सब कुछ सनातन सत्य था मैं खिड़की में से अंदर झांकता रह गया,,। लाला अपना कुर्ता उतारने के बाद धोती पहने हुए ही उस औरत के ऊपर चढ़ गए और अपने दोनों हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पकड़कर दबाना शुरू कर दिए,,,
(रघु की चूचियां दबाने वाली बात सुनकर कोमल के कोमल अंग में थिरकन शुरू हो गई,,) मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि लाला ऐसा कर सकते हैं लेकिन सब कुछ सच था कुछ भी बनावट नहीं था खिड़की में से मुझे साफ दिख रहा था लाला दोनों हाथों से उस औरत की चुची पकड़ कर जोर जोर से दबा रहे थे मानो दशहरी आम को अपने हाथ में लेकर दबा रहे हो,,, और इतनी ज्यादा जोर से दबा रहे थे कि उस औरत की कराहने की आवाज मुझे बाहर सुनाई दे रही थी,,,,,, मैं तो भूल ही गया कि मैं यहां क्या करने आया हूं,,,, मैं तो बस खिड़की से अंदर का नजारा देखता ही रह गया,,,, थोड़ी देर बाद दबाने के बाद लाला बारी बारी से उस औरत की चूची को अपने मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिए,,,(कोमल अपने ससुर के बारे में इतनी गंदी बात सुनकर एकदम से सिहर उठी लेकिन जिस अंदाज में रघु उसे बता रहा था कोमल के बदन में हलचल सी हो रही थी उसकी कही बातों के बारे में वह कल्पना करने लगी थी कि कैसे उसके ससुर उस औरत के साथ रंगरेलियां मना रहे थे,,, रघु अपनी कहानी बताते समय कमल के चेहरे को बराबर पढ़ रहा था जब जब उसके मुंह से गलती से भी निकल रहे थे तब तब कोमल के चेहरे पर लालीमा छी रही थी,, रघु अपनी बात को जारी रखते हुए बोला।)
कोमल मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह औरत उन्हीं इंकार क्यों नहीं कर रही है क्योंकि उसके चेहरे से ऐसा ही लग रहा था कि लाला की हरकत से उसे बहुत दर्द हो रहा है,,,, तभी लाला खड़े हुए और अपने बदन पर से अपनी धोती को भी उतार फेंके,,, लाला उस औरत के सामने एकदम नंगा खड़े थे,,, उनका लंड जो कि कोई खास नहीं था लेकिन फिर भी खड़ा हो चुका था,,,(रघु जानबूझकर अपने होठों पर लंड शब्द लाया था,,, और लंड शब्द कहते हुए कोमल की नजरों के सामने ही तेजा में में अपनी खड़े लंड को नीचे बैठाने की कोशिश करने लगा और इसकी यह कोशिश को कोमल देख रही थी और रघु की इस तरह की हरकत पर उसके बदन में सनसनी सी दौड़ने लगी थी ,,,)


क्या कह रहे हो रघु हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा है,,,,, मेरे ससुर जी ईतने गंदे इंसान है,,,,,(कोमल आश्चर्य जताते हुए बोली)


मुझे भी यकीन नहीं होता अगर मैं यह सब अपनी आंखों से ना देखता तो,,,,, मैं तो सब कुछ देख कर हैरान हो गया था औरत बिस्तर पर लेटी हुई थी और लाला एकदम नंगा होकर उसके करीब जा रहे थे,,, और देखते-देखते उसकी दोनों टांगों को फैला कर साड़ी को उठाते हुए उसकी कमर तक कर दिए,,, कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई सच कहूं तो कोमल मैं तुमसे झूठ नहीं कहूंगा पहली बार किसी औरत को मैं कमर के नीचे नंगी देख रहा था,,,

तततत,,,,, तुम्हें कैसा लग रहा था,,,,(रघु की बातें सुनकर मदहोश होते हुए उत्तेजित स्वर में कोमल बोली,,)

मैं तुमसे झूठ नहीं कहूंगा कोमल,,,मैं तो एकदम पागल हो गया मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या देख रहा हूं जिंदगी में पहली बार में वो देख रहा था,,,,


वो,,, क्या,,,?


अरे वही जो साड़ी के अंदर होता है,,,,,(रघु बेशर्मी दिखाते हुए लेकिन थोड़ा सा घबराने का नाटक करते हुए बोला।)

बोलोगे नहीं तो पता कैसे चलेगा,,,,(कोमल रघु की तरफ देखते हुए बोली,,, रघु जानता था कि पति का प्यार ही से नहीं मिलता इसलिए उसकी बातें सुनकर वह गर्म होने लगी है,,, अरे रघु तो ऐसे ही मौके की तलाश में रहता था,,,वह, बात को घुमाते हुए बोला,,,)

अब कैसे बताऊं,,,,,,


बता दो हम तो तुम्हारे दोस्त हैं,,,,



अरे वही जो साड़ी के अंदर होता है ना,,,,, बबबब,, बुर,,,,,
( रघु जानबूझकर घबराने और हकलाने का नाटक करते हुए बोला,,, रघु के मुंह से बुर शब्द सुनकर कोमल की हालत खराब हो गई,,,शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए और हल्की मुस्कान के साथ अपने नजरों को नीचे झुका दी,, गुरु शब्द सुनकर उसके अंदर क्या प्रभाव पड़ा यह रघु अच्छी तरह से समझ गया था,,, वह समझ गया था कि कोमल प्यार के लिए तरस रही है भरपूर प्यार,,,, जो कि अब वह उसे देखा यह भी अपने अंदर ही निश्चय कर लिया था,,, बुर शब्द सुनकर कोमल कुछ बोल नहीं पाई,,,, पर रघु उसके मन की मनोमंथन को समझते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)



हां सच कह रहा हूं कोमल जिंदगी में पहली बार में किसी औरत की बुर को देख रहा था,,,,(इस बार भी ना डरे बिना हक लाए रघु कोमल के सामने बुर शब्द बोल गया,,,) मैं मदहोश हो चुका था उस औरत की दोनों टांगों के बीच का वह अंग मेरे होश उड़ा रहा था सोचो मैं इतनी दूर से देख रहा था तब मेरा यह हाल था लाला का क्या हाल हुआ होगा,,,


क्या हुआ लाला का,,,,(कोमल लोगों की बातों में इतने मजबूर हो गई कि अपने ससुर को लाला कहकर बोलने लगी,,,)

लाला तो एकदम पागल हो गए,,, लाला उस औरत की दोनों टांगों के बीच जाकर बैठ गए,,,


क्या करने के लिए,,,,


चाटने के लिए,,,,


चाटने के लिए,,,, क्या चाटने के लिए,,(कोमल आश्चर्य से बोली,)

बुर चाटने के लिए,,,,, उस औरत की बुर चाटने के लिए,,,(रघु एकदम तपाक से बोला)

क्या,,,,?


हां मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं जिस तरह से तुम्हें आश्चर्य हो रहा है मुझे भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,, भला औरत की बुर कोई आदमी चाट सकता है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था,,,(रघु सब कुछ जानता था कि जानबूझकर कोमल के सामने इस तरह से अनजान बनने की कोशिश कर रहा था क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि औरतों को अपनी बुर चटवाने में सबसे ज्यादा मजा आता है,,,, और ऊस मजा को प्राप्त करने के लिए औरत किसी भी हद तक चली जाती है,,, कोमल के चेहरे पर बुर चाटने वाली बात का असर एकदम साफ झलक रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी उसके मन में यही चल रहा था कि क्या वाकई में मर्द औरत की बुर चाटते हैं,,, वह तो शादीशुदा जिंदगी में भी अब तक कुंवारी ही थी तो उसे कैसे पता चलता कि औरत की बुर भी चाटी जाती है,,,)


लाना अपना मुंह उस औरत की दोनों टांगों में डालकर उसकी बुर चाटना शुरू कर दीए,,,,, लाला पागल हुए जा रहे थे,,,, वह औरतजो लाला के द्वारा चूची दबाने पर दर्द से कराह रही थी इस बार लाला की हरकत की वजह से उसके मुंह से अजीब अजीब से गर्म सिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,
(रघु की बातें और कोमल की कल्पना कमल की दोनों टांगों के बीच हालत खराब कर के रख दिया उसकी बुर गीली होती जा रही थी,,, पहली बार उसे अपनी बुर से पानी बहता हुआ महसूस हो रहा था,,, रघु की खुद की हालत खराब होती जा रही थी बार-बार वह अपने पजामे में खड़े लंड को बैठाने की कोशिश कर रहा था जोकीयह हरकत भी वह कोमल की आंखों के सामने जानबूझकर कर रहा था ताकि कोमल का ध्यान उसकी दोनों टांगों के बीच जाए और ऐसा हो भी रहा था,,,)

उस औरत की आवाज में और उसके चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि लाला की हरकत की वजह से उसे मजा आने लगा था,,, धीरे-धीरे लाला उसकी साड़ी की गांठ खोलने लगी और देखते ही देखते मेरी आंखों के सामने
ही,, ऊस औरत को उसके साड़ी के साथ-साथ उसका पेटीकोट और ब्लाउज उतार कर एकदम नंगी कर दिए,,,
पहली बार मैं अपनी आंखों से किसी औरत को संपूर्ण रूप से नंगी देख रहा था,,,, गजब का दृश्य था,,,(रघु बताते बताते इतना गरम हो गया कि गरम आंहे लेने लगा,,, प्रभु की हालत में देखकर कोमल की भी हालत खराब होने लगी,,, वह कांपते स्वर में बोली,,)

फिर क्या हुआ,,,,


फिर क्या लाला ने अपने हाथों से उस औरत की दोनों टांगे फैलाकर उसकी बुर पर ढेर सारा थूक लगाए और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दीए,,, मैं तो देख कर हैरान हो गया लाला की कमर बड़ी तेजी से आगे पीछे हो रही थी और पलंग पर लेटी हुई उस औरत की दोनों चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर-उधर हील रही थी,,, लाला उसे बड़ी बेरहमी से चोद रहे थे... मेरी खुद की हालत खराब हो रही थी,,,
(कोमल की सांसे भारी हो चली थी,,,)

और थोड़ी ही देर में लाला उसके ऊपर गिर कर हांफने लगी,,, सच में कोमल उस दिन का दृश्य मेरे दिमाग से मिट नहीं रहा है,,,,।


लेकिन मेरे समझ में आ नहीं रहा है कि वह औरत कौन थी और वह लाला को मना क्यों नहीं कर पा रही थी,,,


यह तो मैं बताना भूल ही गया,,,,उस औरत की चुदाई करने के बाद लाला और वह औरत अपने अपने कपड़े पहनने लगे और लाला अपनी कुर्ते में से पैसे निकाल कर उसे देते हुए बोलेगी जब भी पैसे की जरूरत पड़े उसके पास चली आना,,,, लाला की बात सुनकर में सारा माजरा समझ गया क्योंकि लाला उन औरतों की मदद करते थे जिन औरतों को पैसे की जरूरत होती थी और उसके बदले में लाना उसकी चुदाई भी करते थे और बाद में पैसे भी वसूल करते थे और पैसे वसूल करने के लिए अपने पास लट्ठ पहलवान भी रखे हुए हैं,,,


बाप रे मेरे ससुर इतने गंदे हैं,,,, हमे तो डर लगता है रघु कि मेरा क्या होगा,,,,


तुम्हे कुछ नहीं होगा कोमल,,, मैं हूं ना मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा,,,,,
(कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, रघु के द्वारा कही गई उसके ससुर की कहानी कोमल के कोमल मन पर हथौड़ी बरसा रही थी उसका मन देखने लगा था उसकी दोनों टांगों के बीच की हालत खराब थी,,,, रघु से क्या कहे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,रघुवंश की प्यासी जवानी का रसपान करना चाहता था लेकिन जल्दबाजी दिखाने में उसे डर भी लग रहा था कि कहीं अगर वह नाराज हो गई तो क्या होगा क्योंकि उसके मन में क्या चल रहा है अभी रघु पूरी तरह से नहीं जानता था और अपनी बेवकूफी से इतनी खूबसूरत औरत को अपने हाथों से नहीं जाने देना चाहता था,,, रघु उसके साथ आज पूरा दिन बिताना चाहता था उसे बगीचा घुमाना चाहता था इसलिए उसके सामने प्रस्ताव रखते हुए बोला,,,।)

तुम चलोगी मेरे साथ बगीचा घूमने झरने में नहाने ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर बहुत मजा आएगा,,,


क्या सच में तुम हमें ले चलोगे,,,,


हां ले चलूंगा अगर तुम चलने के लिए तैयार हो तो,,,


मैं तो तैयार ही हुं,,,स्केट खाने से निकलना चाहती हूं खुली हवा में सांस लेना चाहती हूं,,,,


तो चलो फिर देर किस बात की है,,,


रुको हम अभी आते हैं,,,(इतना कहकर वह उठकर कमरे के अंदर बनी गुसल खाने की तरफ चली गई और बाहर से दरवाजा बंद कर दी,,, रघु की गरमा गरम बातें सुनकर वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसकी बुर पसीजने लगी थी इसलिए उसे जोरों की पेशाब लग गई थी और वह गुसल खाने में जाकर अपनी साड़ी उठाकर बैठकर मुतना शुरू कर दी थी,,, रघु को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजा क्यों बंद कर दी,,,इसलिए वह दरवाजे के करीब जाकर अंदर देखने की कोशिश करने लगा लेकिन दरवाजे पर ऐसा कोई भी दरार या छेद नहीं था जिसे अंदर देखा जा सके लेकिन उसके कानों में जो आवाज गूंज रही थी उसे सुनते ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, गुशल खाने के अंदर से बंद दरवाजे के पीछे सीटी की आवाज आ रही थी,, जिसे सुनते ही रघु को समझते देर नहीं लगी कि कोमल मूत रही थी,,,, इस बात का एहसास से ही रघु पूरी तरह से मदहोश हो गया उसका मन कर रहा था कि दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाए और कोमल की चुदाई करदे लेकिन वह बना काम बिगाड़ना नहीं चाहता था,,,, इसलिए वह उस मधुर आवाज को सुनकर मदहोश होता हुआ दरवाजे के बाहर ही खड़ा रहा,,, लेकिन जैसे ही उसकी चूड़ियों की खनक और पायल की आवाज है उसके कानों में पड़ी वह तुरंत दूर खड़ा हो गया और थोड़ी ही देर में दरवाजा खोल कर कोमल बाहर आ गई और मुस्कुराते हुए उसके साथ बगीचा घूमने के लिए निकल गई,,।
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Nevil singh

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कोमल के लिए यह पहला मौका था जब वह ससुराल में आने के बाद पहली बार घर से बाहर निकल रही थी खुली हवा में सांस लेने के लिए,,, और किसी गैर जवान लड़के के साथ,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई देखना नहीं और यह भी चिंता सताए जा रही थी कहीं वो उसके ससुर जल्दी घर पर वापस ना जाए लेकिन फिर भी मन के किसी कोने में उसे अपने ससुर की बिल्कुल भी ठीक नहीं थी क्योंकि जिस तरह की हरकत उसके ससुर उसके साथ कर रहे थे और जिस तरह की बातें उसने रघु के मुंह से सुनी थी उसको लेकर वह अपने ससुर से बिल्कुल भी शर्म करना नहीं चाहती थी,,, इसलिए अपने ससुर का डर होने के बावजूद भी उसे अपने ससुर से डर नहीं लग रहा था,,, घूंघट डाले वह घर से बाहर निकल गई रघु उसे घर के पीछे के रास्ते से ले गया ताकि कोई उन दोनों को एक साथ देख ना ले,,, रघु आगे आगे चल रहा था और कोमल पीछे पीछे,,, रघु का मन ऊंचे आकाश में उड़ रहा था,,, एक बड़े घर की बहू को जो साथ घुमाने के लिए ले आया था,,,,,,

दोपहर का समय था वैसे भी इस समय कड़ी धूप होने की वजह से घर से कोई भी बाहर नहीं निकलता था लेकिन फिर भी रघु अपनी तरफ से पूरी एहतियात बरतना चाहता था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी वजह से कोमल को खरी-खोटी सुननी पड़े,,, देखते ही देखते दोनों घर से काफी दूर आ गए ऊंची नीची कच्ची पगडंडी से होते हुए दोनों गुजर रहे थे,,,कभी रघु आगे चलता तो कभी कोमल उसके पायल की छनक ने की आवाज पूरे वातावरण को और मनमोहक बना रही थी,,, रघु कोमल के पायल की खनक में पूरी तरह से अपने आप को मग्न कर चुका था,,, जब भी कोमल आगे चलती तब रघु की नजर कोमल के गोलाकार नितंबों पर टिक जाती थी जो कि कसी हुई साड़ी में बेहद आकर्षक उभार लिए निखर रही थी,,, रघु को उसके पति पर गुस्सा भी आ रहा था और अच्छा भी लग रहा था क्योंकि अगर उसका पति नकारा ना होता तो शायद इतना अच्छा सुनहरा मौका उसे आज हाथ में लगता ,, आगे-आगे चल रही कोमल की गोलाकार गांड को देखकर रघु का मन बहक रहा था,,, रघु इस सुनसान जगह का फायदा उठाना चाहता था वह कोमल की मर्जी के बिना ही उसके साथ अपनी मनमानी करना चाहता था लेकिन ऐसा करने से उसका मन रोक रहा था,,,,,। वह यही चाहता था कि कोमल अपनी मर्जी से उसका तन मन उसे न्योछावर कर दे,,, क्योंकि यह बात होगी अच्छी तरह से जानता था कि जबरदस्ती से ज्यादा मजा ,,, सहमति से आता है,,,। कोमल के मन में भी रघु के द्वारा बताई गई उसके ससुर की कहानी उसके दिमाग में घूम रही थी,,, और ऊस बात को लेकर उसके बदन में सुरूर सा छा रहा था,,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दोनों चुप्पी साधे हुए थे लेकिन रघु इस चुप्पी को तोड़ते हुए बोला,,,।


अच्छा कोमल क्या तुम्हारा घूमने का मन बिल्कुल भी नहीं करता,,,।


क्यों नहीं करता शादी से पहले मैं अपने गांव में अपने घर पर सारा दिन इधर उधर अपनी सहेलियों के साथ घूमती रहती थी नदी में नहाना पेड़ों पर चढ़ाना बेर तोड़ना आम तोड़ना,,,, यही दिन भर का काम था और शादी के बाद ससुराल में आकर सब कुछ जैसे धुंधला सा हो गया लेकिन आज तुमने मुझे फिर से बचपन का दिन याद दिला दिया,,, यह खेत खलिहान,,,, ऊंची नीची पगडंडिया ,,,बड़े-बड़े पेड़,,, यही सब तो मेरी जिंदगी थी,,, लेकिन सब कुछ छुटता चला जा रहा है,,,(इतना कहते हुए वह जैसे ही अपना अगला कदम बढ़ाए ऊंची नीची पगडंडियों पर वह अपने पैर को बराबर नहीं रख पाई और वह फिसल कर गिरने ही वाली थी कि तभी रघु अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसे झट से संभालते हुए पकड़ लिया,,,, लेकिन उसे संभालने के चक्कर में उसके दोनों हाथ कोमल की चूचियों पर पड़ गए,,, और कोमल को सहारा देने के चक्कर में उसे संभालने में रघु की हथेलियों का कसाव ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर बढ़ गया था जब तक कोमल संभल नहीं गई तब तक उसकी दोनों चूचियां ब्लाउज में होने के बावजूद भी रघु के हथेली में थी,,,, पहले तो रघु की प्राथमिकता कोमल को गिरने से बचाने में थी लेकिन जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ किउसके दोनों हाथ उसकी चूचियों पर हैं तो वह इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था वो जाने अनजाने में ही वह ब्लाउज के ऊपर से ही कुछ सेकेंड तक कोमल की दोनों रसभरी चुचियों को दबाने के आनंद से पूरी तरह से काम बिभोर हो गया,,, लेकिन जैसे ही कोमल को अपनी छातियों पर दर्द का एहसास हुआ ,,, तो उसका ध्यान रखो की हथेलियों की तरफ गया रघु उसकी दोनों चूचियों पर अपनी हथेलियों को रखकर उस पर अपनी हथेलीयो का कसाव बनाए हुए था,,,, कोमल उसका ध्यान उसकी गलती पर दिलाती उससे पहले ही रघु उसे संभाल कर अपने दोनों हाथों को पीछे खींच चुका था,,,। कोमल को लगा कि शायद उससे अनजाने में उसे संभालने के चक्कर में हो गया था लेकिन फिर भी जिस तरह से रघु ने उसकी तो हम सूचियों को ब्लाउज के ऊपर सही दबाया था कोमल पूरी तरह से सिहर उठी थी इस तरह से उसके पति ने कभी उसकी चूचीयो को हाथ तक नहीं लगाया था इसलिए पहली बार रघु के जवान हाथों में अपनी दशहरी आम को पाकर वह पूरी तरह से रोमांचित हो उठी थी,,, दर्द तो हुआ था लेकिन उत्तेजना की सिहरन उसके पूरे बदन में दौड़ने लगी थी,,,, उसके खूबसूरत चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी थी,,,। रघु मौके की नजाकत को समझते हुए बात की दिशा को दूसरी तरफ रुख देते हुए बोला,,,।

अच्छा हुआ समय रहते में संभाल लिया वरना गिर जाती,,,


पैर फिसल गया था,,,,


आराम से रखा करो पैर,,, गिरकर चोट लग जाती तो,,,,,, तुम्हें सही सलामत ले जाना और ले आना मेरी जिम्मेदारी है,,,
(रघु कि यह बातें कोमल के कोमल मन पर फूल बरसा रहे थे रघु की बातें उसे अपनेपन का एहसास दिला रही थी,,, इस तरह से एक पति क्या लगता है और बोलता है,,,, ना जाने क्यों रघु की बातें सुनकर कोमल को रघु से अपनेपन का एहसास हो रहा था,,,, वह शर्म के मारे नजरें झुकाए हुए ही बोली,,,।)

तुम हो तभी तो मुझे किसी बात की चिंता नहीं है,,,,

(कोमल के कहने के अंदाज़ का रघु पूरी तरह से कायल हो गया उसे भी कोमल से अपनेपन का एहसास हो रहा था,,,वह मन ही मन खुश हो रहा था,,, और दूर हाथ दिखाते हुए रघु बोला,,,)

वह दिखाई दे रहा है तुम्हारे आम का बगीचा,,,(इतना कहते हुए रघु एक बार फिर से कोमल की छातियों की तरफ घूर कर देखते हुए बोला इस बार कोमल रघु की नजरों की वजह से शर्म से पानी पानी होने लगी,,, लेकिन अनजान बनने का नाटक करते हुए बगीचे की तरफ देख कर बोली,,,)


वाह,,, रघु तुम मुझे बहुत ही अच्छी जगह लेकर आए हो मैं बता नहीं सकती कि मैं कितनी खुश हूं,,,,(कोमल के चेहरे से ही इस बात का आभास हो रहा था कि यहां पर आकर कोमल बहुत खुश थी शायद खेत खलियान बाग बगीचे नदिया तालाब यह सब कोमल की जिंदगी का अहम हिस्सा था जिससे वह बिछड़ती चली जा रही थी,,,दोनों वहीं खड़े बगीचे की तरफ देख रहे थे चारों तरफ बड़े-बड़े आम के पेड़ एकदम घना जंगल की तरह लग रहा था चारों तरफ खेत लहलहा रहे थे,,,, दूर दूर तक आदमी का नामो निशान नहीं था,,, तभी रघुवह पुराना घर दिखाते हुए बोला जहां पर वह लाला को पहली बार गांव की औरत के साथ संभोग का आनंद लूटते हुए देखा था,,,)

देखो कोमल वह घर दिखाई दे रहा है ना,,, वो वही घर है जिसमें लाला गांव की औरत की चुदाई कर रहा था,,,( चुदाई शब्द सुनकर कोमल के तन बदन में हलचल सी होने लगी और रघु ने यह सब्द जानबूझकर बोला था,,,रघु की बात सुनकर कोमल पूरी कुछ नहीं बस उसी दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा दिया और पीछे पीछे रघु उसकी गोलाकार गांड को मटकते हुए देखकर गर्म आहे भरता हुआ वह भी उसके पीछे-पीछे चलने लगा,,, कोमल की मटकती गांड देखकर रघु का लंड अकड़ रहा था,, कोमल भी बहुत खुश थी और अजीब सा सुरूर तन बदन को अपनी आगोश में लिए हुए था,,, ठंडी ठंडी हवा चल रही थी बड़े बड़े घने पेड़ होने की वजह से धूप बिल्कुल भी नहीं लग रही थी,,, थोड़ी ही देर में रघु उस घर का दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश करने लगा चारों तरफ धूल मिट्टी नजर आ रही थी और बीच में वह बिस्तर पड़ा हुआ था जिस पर दो तकिया और बिछौना लपेटा हुआ था रघु समझ गया था कि लाला इस बगीचे में बने घर का उपयोग किस काम के लिए करता था,,, और रघु यही बात अपने अंदाज में कोमल को बताते हुए बोला,,,।

कोमल इस खंडहर नुमा घर में बड़े सलीके से रखा हुआ इस बिस्तर का मतलब समझ रही हो,,,,, लाला आए दिन यहां पर नई नई औरतों को लाकर उसकी चुदाई करता था,,,(कोमल की तरफ से किसी भी प्रकार का जवाब सुने बिना ही वह बोला,,,, रघु की बात सुनकर कोमल के तन बदन में कुछ कुछ होने लगा था,,, रघु बेझिझक चुदाई की बातें कर रहा था और इस तरह की अश्लील बातें करते समय उसके चेहरे पर जरा भी घबराहट या शर्म नजर नहीं आ रही थी ,,। रघु बहुत ही रुचि लेकर उसे सब कुछ बता रहा था,,)

कोमल मैं उस खिड़की से देख रहा था ( सामने की खिड़की की तरफ इशारा करते हुए बोला) खिड़की के बाहर जो आम का पेड़ नजर आ रहा है ना मैं उसी पर चढ़ा हुआ था और उस खिड़की में से मैंने जो देखा,,, वही मैं तुम्हें बता रहा हूं,,, यही विस्तर था,,,, इसी पर वह औरत अपनी दोनों टांगे फैला कर लेटी हुई थी ,,,, और लाला उसकी बुर चाट रहे थे,,,,(बुर चाटने वाली बात सुनकर कोमल एकदम शर्म से पानी पानी हो गई वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,) मुझे साफ साफ नजर आ रहा था लाला उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए अपना लंड उसकी बुर में पेल रहे थे,,,,(रघु की बातें कोमल की दोनों टांगों के बीच चिकोटी काटती हुई महसूस हो रही थी,,,। कोमल को अपनी बुर के अंदर अजीब सी गुदगुदी होती हुई महसूस हो रही थी,,,। रघु की बातें उसके तन बदन में सुरूर पैदा कर रही थी,,, रघु की बातें वह कल्पनातीत कर रही थी,,, वह अपने मन में ही उस नजारे के बारे में सोच रही थी कल्पना कर रही थी कि कैसे उस बिस्तर पर सारा दृश्य खेला गया होगा वह अपनी कल्पना में साफ तौर पर देख पा रही थी उस गांव वाली औरत को जिसे वह जानती तक नहीं थी वह बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसके ससुर अपने हाथों से उसकी टांगे फैला रहे थे और देते देते उसके ससुर से दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर अपना मुंह रखकर उसकी बुर चाटना शुरू कर दिए थे,,,, कोमल अपनी सांसो को गहरी होती हुई महसूस कर रही थी जब वह कल्पना में अपने ससुर को उस औरत को चोदते हुए पाती है,,,, कल्पना में उसकी निगाहें अपने ससुर के कमर पर टिकी हुई थी जो कि बड़ी तेजी से आगे पीछे हो रही थी,,,, और उस औरत के चेहरे पर जो उसके ससुर के हर धक्के पर मदहोश हो जा रही थी,,,, उस औरत की बुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा उसके ससुर का लंड उसे कल्पना में साफ नजर आ रहा था,,,।
उस दृश्य को कल्पना करके कोमल खुद मदहोश हो जा रही थी,, वह अपने आप को कमजोर होती हुई महसूस कर रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं रघु की बातों से उन्मादक स्थिति में आकर वह भी उसी बिस्तर पर रघु के साथ हमबिस्तर ना हो जाए इसलिए वो जल्द से जल्द इस खंडहर नुमा घर से बाहर निकलना चाहती थी इसलिए वह रघु की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

हमें यकीन नहीं हो रहा है कि हमारा ससुर इतना गंदा इंसान हैं,,, हमें तो अब शर्म आने लगी है उसे अपना ससुर कहते हुए,,,,छी,,,,,, इस घर में एक पल भी करना हमारे लिए मुश्किल हो रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह उस खंडहर नुमा घर से बाहर निकल गई,,,। और रघु भी उसके पीछे-पीछे बाहर आ गया अपनी बातों को कहकर और कोमल की उपस्थिति में वो काफी उत्तेजित हो चुका था जिससे उसके पजामे में तंबू सा बन गया था जिसे वह अपनी हथेली से बार-बार कोमल की नजरों से बचा रहा था लेकिन कोमल की नजर उसके पजामे के अग्रभाग पर पहुंच ही गई और वहां पर बने तंबू को देखकर उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी,,,, और कोमल इधर-उधर बड़े-बड़े आम के पेड़ को देखने लगी जिस पर आम लदे हुए थे,,।)


रघु वो देखो कितने बड़े बड़े आम है,,, मुझे आप बहुत पसंद है,,,।

मुझे भी कोमल,,,(रघु कोमल की छातियों की तरफ देखते हुए बोला,,, एक बार फिर से रघु की नजरों से कोमल शर्म से पानी पानी हो गई,,,)

तुम तोड़कर लेकर आओ,,, हमे आम खाना है,,,,


बस इतनी सी बात अभी तोडकर लाया,,,,(इतना कहते हुए वह तुरंत पेड़ पर चढ़ने की तैयारी करने लगा और जैसे ही अपने पैर को पेड़ पर रखा जैसे ही वह कोमल की तरफ देखते हूए बोला)

कोमल तुम्हें भी तो पेड़ों पर चढ़ना अच्छा लगता था ना तो क्यों ना आज अपने मन की मुराद पूरी कर लो एक बार फिर से अपना बचपन जी लो,,,


नहीं नहीं अब हमसे नहीं होगा,,,


क्यों नहीं होगा,,,, होगा जरूर होगा,,,,, तुम कोशिश तो करो,,,, मैं भी तुमको पेड़ पर चढ़ते हुए देखना चाहता हूं क्योंकि मैंने आज तक किसी औरत को साड़ी पहनकर पेड़ पर चढ़ते नहीं देखा,,,, हां लड़कियों को देखा हुं,,,,
(रघु की बात कोमल बड़े ध्यान से सुन रही थी उसे लग रहा था कि जैसे रघु यह देखना चाह रहा था कि उसे पेड़ पर चढ़ना आता है या नहीं इसलिए कोमल को थोड़ा गुस्सा आ गया और वह बोली)


अच्छा तो तुम यह देखना चाहते हो कि हम पेड़ पर चढ़ पाते हैं कि नहीं,,,, तुम्हें हमारी कही गई बात सब झूठ लग रही है ना तो अभी हम दिखाते हैं,,,, रुक जाओ,,,,(इतना कहकर कॉमर्स अपनी साड़ी को पीछे से पकड़ कर उसे ऊपर उठाते हुए अपनी कमर में खोंस ली,,,, यह देख कर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी जिससे वह अपनी साड़ी को पकड़कर उठाते हुए अपनी कमर में खुशी थी उसकी यह अदा रघु के दिल पर छुरिया चला रही थी,,, रघु का लंड उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी को सलामी भर रहा था,,,, कोमल पूरी तैयारी के साथ पेड़ पर चढ़ना शुरू कर दी,,,, दोनों हाथों से पेड़ को पकड़ कर उस पर पांव रखकर चढ़ने की कोशिश करने लगी,,,, रघु के मन में कुछ और चल रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था बस बस इंतजार कर रहा था कि कब कोमल पेड़ पर चढ़ जाए,,,पेड़ पर चढ़ते समय किस तरह से अपना बैलेंस बना रही थी उससे उसकी गोलाकार नितंब कुछ ज्यादा ही उभर कर आंखों में चमक पैदा कर रही थी,,,,रघु का मन कर रहा था कि पीछे से जाकर उसे अपनी बाहों में भर ले और उसकी गोल गोल गांड पर अपना लंड रगड़ दे,,,। रघु वही खड़ा गरम आहे भर रहा था,,, कोमल जैसे तैसे करके पेड़ पर चढ़ने लगी,,, तीन चार फीट चढ़ने के बाद उसे थोड़ा मुश्किल होने लगी तो वह रघु की तरफ देखते हूए बोली,,,।

थोड़ा मदद करोगे बहुत दिन गुजर गए पेड़ पर चढ़े इसलिए थोड़ी दिक्कत हो रही है,,,


कोई बात नहीं तुम्हारी मदद करने के लिए तो मैं हमेशा तैयार हूं,,,,(इतना कहते हुए रघु आगे बढ़ा और कोमल को पीछे से सहारा देते हुए उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, कोमल धीरे-धीरे ऊपर चढ़ने लगी लेकिन थोड़ी ऊंचाई पर और पहुंचने के बाद उसे थोड़ी और दिक्कत होने लगी रघु उसकी टांग पकड़ कर उसे ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था लेकिन ठीक से उठा नहीं पा रहा था,,,, तो कोमल ही बोली,,,)

क्या कर रहे हो रघु ,,, हट्टे कट्टे जवान हो लेकिन मुझे नहीं उठा पा रहे हो,,,,
(कोमल की बात सुनकर रघु एकदम तेश में आ गया और बोला,,)

उठाने को तो मैं तुम्हें अपनी गोद में उठाकर इधर उधर भाग सकता हूं लेकिन तुम्हारा बदन छुने में मुझे डर लगता है कि कहीं तुम मुझे डांट ना दो,,,,


अरे नहीं डाटुंगी,,,, तुम बताओ मुझे,,,,
(कोमल की इतनी सी बात सुनते ही रघु एकदम से उत्तेजित होता हुआ उसे सहारा देकर ऊपर उठाते हुए सीधे सीधे उसकी गांड को अपनी हथेली से सहारा देकर ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, धीरे-धीरे कोमल ऊपर की तरफ बढ़ रही थी और रघु उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, और देखते ही देखते रघुकोमल की बड़ी बड़ी गोल-गोल कांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर और जोर लगाते हुए उसे ऊपर की तरफ ऊठाने लगा,,,कोमल को इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि रघु उसकी गांड पकड़कर उसे ऊपर उठाएगा इसलिए वह उसे ना डांटने के लिए बोल चुकी थी,,, कोमल के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी क्योंकि यह दूसरी बार था जब गैर मर्द के हाथों में उसकी चूची के साथ-साथ उसकी गांड भी आ चुकी थी जिसे वह जोर से अपनी हथेली में दबोचे हुए उसे ऊपर उठा रहा था,,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था लेकिन अपने वादे के मुताबिक वह बिल्कुल भी ऐतराज ना जताते हुए पेड़ पर चल रही थी लेकिन अजीब सी कशमकश से गुजर भी रही थी क्योंकि उसे तो अंदाजा भी नहीं था कि रघु इस तरह की हरकत करेगा,,,, कोमल जानबूझकर यह जताना चाहती थी कि उसे रघु की हरकत के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं है,,, और वह देखते ही देखते पेड़ पर चढ़ गई,,,, रघु नीचे ही खड़ा था,,, जहां से कोमल एकदम साफ नजर आ रही थी,,, और बिल्कुल साफ तौर पर नजर आ रही थी उसकी साड़ी के अंदर छिपा हुआ उसका खजाना,,, उसका बेहद खूबसूरत बेशकीमती गांड,,,,,आहहहहहहहहहह,,,, देख कर ही रघु के मुंह से गरम आह निकल गई,,, क्या खूबसूरत नजारा था,,,, बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ,,, जिस डाली पर कोमल चढ़ी हुई थी ठीक उसी डाली के नीचे रघु खड़ा था और साड़ी के अंदर से झलकता हुआ उसका बेशकीमती खजाने को देखकर मस्त हुआ जा रहा था,,,,,,, साड़ी के अंदर रघु को सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, उसकी गोलाकार तरबूज जेसी गांड की दोनों फांकों के बीच की गहरी पतली दरार,,,सससहहहहहह,,,,,आहहहहहहहहह,,,,,देख देख कर ही रघु के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,,,, हालांकि उसे कोमल की गुलाबी पुर नजर नहीं आ रही थी लेकिन पुरानी जगह से हल्के हल्के रेशमी बाल फांकों के बीच से बाहर निकले हुए नजर आ रहे थे,,, रेशमी बाल के गुच्छे को देखकर अनुभवी रघु इस बात का अंदाजा लग गया कि यह रेशमी बाल कोमल के झांट के बाल हैं उसकी बुर पर रेशमी बालों का झुरमुट है,,,,,,, यह एहसास रघु के लंड के अकड़ पन को और ज्यादा बढ़ावा देने लगा,,,, रघु की आंखें सब कुछ साफ देख रही थी,, क्योंकि पहले के जमाने की औरतें कच्छी नहीं पहनती थी,,,इस बात से बेखबर कि नीचे खड़ा रघु उसके बेशकीमती खजाने को देख कर मजा ले रहा है वह आम तोड़ने में ही मस्त हो गई,,, कोमल जो हम अच्छा लगता था उसे तोड़कर नीचे गिरा दे रही थी,,,, कोमल को आम तोड़ता हुआ देख कर रघु को और ज्यादा उत्तेजना का आभास हो रहा था,,,रघु जानबूझकर उसे दूर दूर के आम दिखा रहा था ताकि वह एक दूसरे डाली पर अपने पांव फैला कर रखें और उसे कोमल की टांगों के बीच का खूबसूरत हिस्सा साफ साफ नजर आने लगे और ऐसा हो भी रहा था,,,, रघु का लंड पूरी तरह से टनटनाकर खड़ा हो गया था,,, बेहद मादक दृश्य देखकर रघु को इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पानी ना फेंक दे,,, तभी एक और बड़े आम को तोड़ने के लिए कोमल अपना पैर दूसरी डाली पर रख दी,,, और नीचे देखते हुए रघु से बोली,,,


कौन सा ये वाला आम,,,,(ना कहते हुए जैसे ही हो और उसकी नजरों कै सीधान को समझी,,, वह तो तुरंत शर्म से पानी पानी हो गई,,, उसे समझ में आ गया कि रखो नीचे खड़ा होकर उसकी साडी के अंदर झांक रहा है,,,, दोनों पैर को एक दूसरी डाली पर फैला कर रखी हुई थी और उसे समझ में आ गया था कि जिस स्थिति में वह खड़ी थी नीचे खड़ा रघु उसकी साड़ी के अंदर से सब कुछ देख रहा होगा,,, कोमल को समझ में आ गया कि वह किस लिए उसे पेड़ पर चढ़ने के लिए बोला था,,,। उसे शर्म आ रही थी और वह बिना हम थोड़े यह बोलते हुए उतरने लगी की,,,)

बस इतना बहुत हो गया,,,,(और यह कहते हुए वह नीचे उतर गई नीचे उतर कर वह ठीक से रघु से नजरें नहीं मिला पा रही थी,,,। वह अपने मन में यही सोच सोच कर शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी कि रघु नीचे खड़ा उसके गुप्त‌अंगो को देख लिया होगा,,)

दो चार और तोड़ दी होती तो,,,,


नहीं नहीं बस इतना काफी है,,,,,
(इतना कहते हुए वह वहीं पर पेड़ की छाया के नीचे बैठ गई और कच्चे आम को दांतों से काट कर खाने लगी,,, रघु से आम खाता हुआ देख कर खुश हो रहा था आम खाते हुए उसका खूबसूरत चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,,, कुछ देर तक दोनों वहीं बैठे रहे,,,,, अभी रघु का मन भरा नहीं था वह जिस उम्मीद से कोमल को अपने साथ लेकर आया था उसकी उम्मीद अभी पूरी नहीं हुई थी इसलिए वह बोला,,,)

कोमल तुम्हें झरना देखना है ठंडा पानी गिरता हुआ,,, ठंडे पानी में नहाने का कितना मजा आता है,,,
(झरने वाली बात सुनकर कोमल एकदम खुश हो गई,, और वहां चलने के लिए तैयार हो गई रघु उसे झरने की तरफ ले कर जाने लगा जो कि गांव से बाहर पहाड़ियों के बीच में थी,,,)
Nice update dost
 

Nevil singh

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कोमल की उत्सुकता झरने को देखने के लिए बढ़ती जा रही थी,,,, कुदरत के अनमोल खजाने को देखने की चाह में कोमल अपने अनमोल खजाने कि अनजाने में ही नुमाइश कर चुकी थी,,, जिसका प्रभाव रघु के ऊपर बुरी तरह से पड़ रहा था,,, जो नजारा उसने अभी-अभी कोमल की साड़ी के अंदर देखा था,,, साड़ी के अंदर की गर्माहट उसके तन बदन में महसूस हो रही थी,,,रघु संपूर्ण रूप से उसके अनमोल गुप्त खजाने के दर्शन तो नहीं कर पाया था लेकिन उसकी संरचना को भलीभांति से देख कर उसके आकार का मुआयना कर चुका था,,, ऊंची नीची पगडंडियों,,टेढ़े मेढ़े रास्तों से दोनों चले जा रहे थे चारों तरफ घनी झाड़ियां ऊंचे ऊंचे पेड़ छाए हुए थे जो की पूरी तरह से जंगल का एहसास करा रहे थे,,, बहुत साल पहले यह पूरा जंगल ही था लेकिन धीरे-धीरे मानव वसाहत की वजह से इधर से जंगली जानवर पलायन कर गए,,,।

रघु यह तो पूरा जंगल जैसा है कहीं जंगली जानवर मिल गए तो,,,,।


मिल गए तो क्या हुआ मैं हूं ना,,,, मुझ पर भरोसा नहीं है क्या,,,?


नहीं भरोसा तो बहुत है,,,, लेकिन फिर भी डर लगता है,,,,


मगर तुम्हारे साथ हूं तो तुम्हें डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,,, शेर भालू चीता मेरे होते हुए तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते,,,


यहां है क्या,,,(कोमल डरते हुए बोली)


नहीं नहीं यहां कोई भी नहीं है,,,, यह जगह पूरी तरह से सुरक्षित है,,,,


कहीं मेरे ससुर जी घर पर वापस आ गए तो,,,


मुझे नहीं लगता कि इतनी जल्दी वापस लौटेंगे,,,, अगर आ भी गए तो कोई बहाना बना देना,,,,


कौन सा बहाना,,,


अरे कोई भी बहाना औरतों के पास तो वैसे भी हजारों बहाने होते हैं,,,,,,,, लेकिन कोमल क्या सच में तुम्हारे ससुर जी तुम पर गंदी नजर रखते हैं,,,, वैसे भी मुझे उस आदमी का बिल्कुल भी भरोसा नहीं है,,,।



लगता है तुम्हें हम पर विश्वास नहीं हो रहा है,,,,


नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है तुम कह रही हो तो सच ही होगा वैसे भी उस आदमी का असली रूप में देख चुका हूं लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता कि घर की बहू पर ही वह गंदी नजर रखता है,,,


रघु तुम नहीं जानते कि हम कितनी मुसीबत में जी रहे हैं,,, वह तो किस्मत अच्छी थी कि हम बच गए हमारी इज्जत बची वरना बगीचे वाली औरत की तरह हमारी भी हालत कर देता,,,।


तो क्या तुम्हारे ससुर तुम्हें चोद देते,,,,(रघु एकदम से जानबूझकर गंदी भाषा का प्रयोग करते हुए तपाक से बोला,,, उसकी यह बात सुनकर कोमल एकदम से सन्न रह गई ,,, उसे रघु से ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि वह उसके सामने इस तरह से खुले शब्द में बोल देगा,,, कोमल इसकी सवाल का जवाब नहीं दे पाई और शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,,)
बहुत गंदे इंसान है तुम्हारे ससुर,,,,, खैर अब मैं तुम्हारी हमेशा रक्षा करूंगा,,,
(रघु कि यह विश्वास भरी बातें उसे बहुत अच्छी लगती थी,, लेकिन कभी-कभी उसके मुंह से खुले शब्द सुनकर वह अंदर ही अंदर सिहर उठती थी,,, कोमल बिना जवाब दिए आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,, मौसम बहुत सुहावना हो चुका था दोपहर का समय था लेकिन आसमान में बादल छाने लगे थे,,, हालांकि बारिश होने की कोई भी उम्मीद नजर नहीं आ रही थी लेकिन धूप बिल्कुल भी नहीं थी ठंडी ठंडी पवन बह रही थी,,,, दोनों चले जा रहे थे रघु निश्चिंत होकर उसे अपने साथ लिए जा रहा था,,,, कोमल को अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वहां किसी गैर लड़के के साथ सबकी नजरों से बचकर झरने की तरफ जा रही थी अगर यह बात किसी को पता चल जाए तो बहुत ही बदनामी हो जाए क्योंकि गांव में अक्सर इस तरह से औरतों को दूसरे लड़कों के साथ घूमने की इजाजत बिल्कुल भी नहीं थी,,, चलते हुए भी रघु अपनी आंखों को सेंक ले रहा था,,। कोमल के गोलाकार नितंब पानी भरे गुब्बारों की तरह हील डुल रहे थे,,,। और उसके हिलते हुए नितंबों को देखकर रघु का लंड पजामे में हरकत कर रहा था,,।,,, रास्ते भर कोमल यही सोच कर परेशान हो रही थी कि नीचे खड़ा रघु उसके साड़ी के अंदर झांक रहा था,,,,,, क्या उसके मन में भी वही सब चलता है जो दूसरे मर्दों के मन में चलता है,,, क्या वो भी उसके प्रति गंदे ख्याल रखता है,,, यही सब सोचकर परेशान हो रही थी लेकिन ना जाने क्यों उसे रघु की हरकत कहीं ना कहीं अच्छी भी लग रही थी,, भले ही वह सीधी-सादी बहुत ही अच्छी और संस्कारी औरत थी लेकिन, एक बात से वह भी इनकार नहीं कर सकती क्योंकि वह अंदर ही अंदर तन से प्यासी थी पति के प्यार से पैसे थी शारीरिक सुख से वंचित भी इसीलिए कहीं ना कहीं रघु की हरकतें उसे अच्छी लग रही थी उसके तन बदन में सिहरन पैदा कर रही थी,,,।

देखते ही देखते स्थान आ गया जहां पर रघु उसे लेकर आना चाहता था,,, चारों तरफ हरियाली ही हरियाली,,, पहाड़ों के बीच से नीचे गिरता हुआ झरना और झरने का पानी धीरे धीरे तालाब में इकट्ठा होना बेहद नयनरम्य दृश्य लग रहा था,,, दोनों छोटी सी टेकरी पर खड़े हो गए और सामने से पहाड़ पर से गिर रहे झरने को देखने लगे कोमल तो खुशी से फूली नहीं समा रही थी कुदरत की बेहद खूबसूरत कलाकृति उसे देखने को मिलेगी यहां पर एकदम शांति छाई हुई थी केवल झरने का शोर और पंछियों की कलबलाहट सुनाई दे रही थी,,, जो कि कानो को बेहद मधुर लग रही थी,,,,


देखो कोमल कितना खूबसूरत नजारा है,,,,


मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि इतना खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा कुदरत की बनाई हुई इतनी खूबसूरत कलाकृति होगी,,,, कसम से रघु हम यहां आकर बहुत खुश हैं,,, तुमने हमें स्वर्ग में लाकर खड़ा कर दिया है,,,, (कोमल आश्चर्य से कुदरत के उस खूबसूरत नजारे को देखती जा रही थी वह मन ही मन बहुत खुश थी,,, मौसम की बड़ा सुहाना हो चुका था एकदम ठंडी ठंडी हवा तेज चल रही हवा के साथ साथ झरने से गिरते हुए पानी की बूंदे,, उसके तन बदन मैं ठंडक भर दे रहे थे रघु के मन में तो कुछ और चल रहा था,,,, इस झरने को देख कर उसे वह बात याद आ गई जब इसी जगह पर वह अनजाने में ही अपनी बहन सालों को संपूर्ण रूप से नंगी तालाब से निकलकर भागते हुए देखा था लेकिन उस समय उसे इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि जिस लड़की को वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में देखा है वह उसकी बड़ी बहन ने,,, रघु का लंड उस वाक्ये को याद करके अंगड़ाई लेने लगा,,, उसका मन कोमल को संपूर्ण रूप से नंगी देखने को कर रहा था और इसीलिए वह कोमल से बोला,,।)


कोमल क्या तुम कभी झरने के नीचे खड़ी होकर नहाने का मजा ली हो,,,,

नहीं,,,, लेकिन मैं सच में झरने के नीचे खड़े होकर नहाने का मजा लेना चाहती हूं,,,।


तो देर किस बात की है चलो,,,,


लेकिन कपड़े,,,,, गीले हो जाएंगे तो पहन कर क्या जाएंगे,,, नहीं नहीं जाने दो,,,,(कोमल उदास मन से बोली हो झरने के नीचे खड़ी होकर ठंडे ठंडे पानी का मजा लेना चाहती थी लेकिन उसने दूसरे कपड़े भी नहीं लेकर आई थी,,,,और कपड़े गीले हो गए तो सुखेंगे भी नहीं क्योंकि धूप बिल्कुल भी नहीं थी,,, रघु को अपना काम ना बनता देख कर वह बोला,,,)


क्या करती हो कोमल तूम कितनी मुसीबत के बाद यहां पर आज तुम्हारी हो और यहां आ कर वापस लौट जाओगी अब पता नहीं इस तरह का मौका मिले या ना मिले,,, मेरी मानो आज अपने मन की इच्छा पूरी कर लो,,,,(रघु अपने मन में उठ रही उत्कंठा को अपनी जबान पर लाते हुए बोला)



मेरा मन भी कर रहा है लेकिन,,,,,(कोमल अपनी इच्छा को दबाते हुए बोली)


लेकिन क्या,,,,,?



मेरे कपड़े गीले हो गए तो,,,,



अरे गीले कैसे होंगे,,,, उन्हें उतारकर चलो ना,,,, कपड़े ही नहीं रहेंगे तो गीले कैसे होंगे,,, मैं तो जब भी यहां नहाता हूं तो कपड़े उतार कर नहाता हूं,,,,


अरे तुम तो लड़के हो तुम्हारा चलता है लेकिन हम,,,,


तो क्या हुआ तुम भी तो कपड़े उतार कर नहा सकती हो और वैसे भी यहां पर दूसरा कोई देखने वाला थोड़ी है,,,


तुम तो हो ना,,,,(तिरछी नजर से देखते हुए कोमल बोली)


अरे मैं तो तुम्हारा दोस्त हूं और दोस्त से कैसी शर्म,,,,(रघु कोमल को बहकाते हुए बोला,,,)


नहीं नहीं मुझे शर्म आती है,,,,





अरे यार शर्म कैसी,,,,,(रघु को अपना काम बिगडता हुआ नजर आ रहा था उसे लगने लगा था कि कोमल अपने कपड़े उतारने के लिए कभी भी तैयार नहीं होगी इसलिए वह बोला,,,)


अच्छा ठीक है कोमल पहले तुम नहा लो,,,, मैं अपनी नजर दूसरी तरफ करके रखता हूं तुम्हें देखूंगा भी नहीं मैं नहीं चाहता कि यहां से तुम अपना मन मार कर वापस लौटो,,,,


नहीं नहीं हमें तुम्हारा विश्वास बिल्कुल भी नहीं है,,,


ससुर नहीं हु, में तुम्हारा,,, जो मुझ पर विश्वास नहीं कर रही हो मैं एक बार बोल दिया तो बोल दिया मैं तुम्हारी,,, तरफ देखूंगा भी नहीं,,,, मुझ पर तुम्हें विश्वास तो है ना,,,,
(रघु की बात सुनकर उसे विश्वास तो नहीं हो रहा था लेकिन रघु पर थोड़ा थोड़ा भरोसा जरूर करती थी इसलिए उसकी बात मानते हो क हां मैं सिर हिला दि,,,।)


यह हुई ना बात,,,, अब जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ,,,,,(रघु जानबूझकर उसे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहा था,,,,) और झरने में जाकर नहाने का मजा लो,,,,(रघु की जल्दी से नंगी होने वाली बात सुनकर कोमल का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, बड़ा बेशर्म हो कर रघु ने यह बात कही थी,,, रघु जानबूझकर उसे अपने शब्दों के जाल में फसाना चाहता था और ऐसा हो भी रहा था रघु के मुंह से निकला हुआ एक एक अश्लील शब्द कोमल के कोमल मन पर हथौड़े की तरह वार कर रहा था,,, इस तरह के गंदे शब्द वह पहली बार सुन रही थी नंगी होने वाली बात को वह कुछ ज्यादा ही अपने मन पर ले रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि मानो कोई उससे संभोग करने के लिए उसे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहा है,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वो रखो की बात माने या ना माने झरने में नहाने की लालच से ऐसा करने से रोक भी नहीं रही थी,,, वह झरने में नहाना चाहती थी,,, अगर धूप निकली होती तो वह कपड़े पहने हुए ही झरने के नीचे नहाने लग जाती क्योंकि दो की वजह से उसके कपड़े सूख जाते हैं लेकिन धूप बिल्कुल भी नहीं थी और ऐसे नहीं कपड़ा सीखना नामुमकिन था और घर जाने पर अगर किले कपड़े में उसके ससुर उसे देख लेते तो क्या जवाब देती,,,, इसलिए वह रघु की तरफ देखी और थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।)



तुम दूसरी तरफ मुंह करके खड़े हो जाओ और कसम है तुम्हें अगर मेरी तरफ देखे तो,,,,



तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कमाल मैं अपने वादे पर अटल हूं,,,, एक बार बोल दिया तो बोल दिया,,(ऐसा कहते हुए रघु दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया और कोमल उसे देखकर धीरे-धीरे बड़े से पत्थर के पीछे जाने लगी,,, रघु का मन उत्सुकता से भरा जा रहा था,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था वह पत्थर के पीछे खड़ी होकर धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारने लगी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था साड़ी उतार कर बड़े से पत्थर के ऊपर रख दे जहां से तिरछी नजर से रघु उस पत्थर की तरफ देख रहा था उसे पत्र के पीछे खड़ी कोमल तो नहीं दिख रही थी लेकिन पत्थर के ऊपर रखी हुई साड़ी जरूर दिख रही थी जिसे देख कर उसे यकीन हो गया कि कोमल अपने कपड़े उतार रही है और साड़ी उतार कर पत्थर पर रख चुकी थी,,, ब्लाउज की बारी थी,,,, रघु उत्सुकता से तिरछी नजर से पत्थर की तरह देखे जा रहा था जहां पर थोड़ी ही देर में पत्थर पर ब्लाउज रखा गया था जिसे देखकर पजामे के अंदर रघु का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,, ब्लाउज के बटन खोलते हुए कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, मैं जानती थी कि किसी गैर मर्द की उपस्थिति में इस तरह से कपड़े उतारना गलत है लेकिन फिर भी वह जैसे किसी मोह पास में बंध चुकी थी,,,ना चाहते हुए भी अपने क्लाउड के सारे बटन खोल कर ब्लाउज को पत्थर के ऊपर रख दी थी उसके नारंगी जैसी गोल-गोल चूचियां एकदम उजागर हो गई थी हालांकि इस समय रघु की नजर उसकी चूचियों पर नहीं थी लेकिन फिर भी ब्लाऊज को देख कर ही वह कोमल की कोमल चुचियों की गोलाई के बारे में अंदाजा लगा रहा था,,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अब बारी पेटीकोट की थी,,, और अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलते समय उसे अपने अंदर एक गंदी औरत होने का एहसास हो रहा था,,,क्योंकि अपनी पेटीकोट की डोरी खोलते समय है उसे ऐसा एहसास हो रहा था कि जैसे वह किसी पराए मर्द से चुदने के लिए अपनी पेटिकोट की डोरी खोलकर नंगी होने जा रही है,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था देखते ही देखते पेटीकोट की डोरी खुलते ही कमर के इर्द-गिर्द एक असली भी पेटीकोट ढीली हो गई और ढीली होकर उसके कदमों में गिर गई,,, मानो कोमल की जवानी प्रदर्शित होने के लिए मचल रही हो पत्थर के पीछे को पूरी तरह से नंगी थी संपूर्ण नंगी गोरे-गोरे खूबसूरत बदन पर कपड़े का रेसा भी नहीं था,,,, दूध जैसा चमकता बदन खूबसूरती का गोदाम लग रहा था बदन पर चर्बी की मात्रा बिल्कुल भी नहीं थी एकदम सुडौल काया,,,, गोलाकार नारंगी जैसी चुचियां,,, केले के तने के समान चिकनी चिकनी जांघें ,,,औ दोनों टांगों के बीच उसकी पतली गहरी दरार झांट के रेशमी बालों से घीरी हुई,,, ऐसा लग रहा था कि मानो जंगल के बीच में से नदी बह रही हो,,,, बड़े पत्थर के ऊपर पेटीकोट के रखते ही,,रघु का लंड पजामे के अंदर टन टनाकर खड़ा हो गया,,,, उसे यकीन हो गया कि कोमल उसकी बातों में आ चुकी है,,, और ऊसकी बात मानकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है,,। कोमल के नंगे पन के एहसास से रघु पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबने लगा और ना चाहते हुए भी उसका हाथ पजामे के अग्रभाग पर आ गया,,,, कोमल इस तरह से पहाड़ियों के बीच अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर शर्म महसूस कर रही थी वह यहा से भाग जाना चाहती थीक्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वह जो भी कर रही है गलत कर रही है अौर इस बारे में किसी को भी पता चल गया तो वह बदनाम हो जाएगी,, लेकिन फिर भी उसका मन उसे वही रोके हुए था उसे अपने मन की करने देने के लिए उकसा रहा था,,, इसलिए वो झरने में जाने के लिए तैयार हो गई पत्थर की ओर से बाहर निकलने से पहले वह पत्थर पकड़ कर चोर नजरों से रघु की तरफ देखने लगी रघु जानता था कि कपड़े उतार कर नंगी हो जाने के बाद किसी भी समय कोमल बाहर आ सकती थी इसलिए वह अपनी नजर सामने ही किए हुए खड़ा रहा और यह देखकर कोमल के होठों पर मुस्कुराहट तैरने लगी क्योंकि उसे विश्वास हो गया कि रघु पलट कर उसकी तरफ नहीं देखेगा,,,, और पूरी तरह से विश्वास हो जाने के बाद,,, कोमल पत्थर की ओर से बाहर निकली और अपनी हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच की दरार पर रखकर पैर संभाल कर रखते हुए झरने की तरफ जाने लगी,,, उसके पायल की छन छन की आवाज से रघु को इस बात का एहसास हो रहा था कि कोमल पत्थर की ओर से बाहर आने के बाद झरने की तरफ जा रही थी इसलिए,,, रघु नजर घुमाकर कोमल को देखने लगा कोमल संपूर्ण रूप से नंगी थी,,, एकदम नंगी बिना कपड़ों की और बिना कपड़ों के भी वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, नग्नता में कोमल की खूबसूरती उसका हुस्न देखकर रघु की आंखें फटी की फटी रह गई,,,, कोमल अद्भुत खूबसूरती का खजाना थी वह झरने की तरफ जा रहे थे जिससे उसके गोलाकार नितंब आपस में रगड़ खाते हुए दाएं बाएं ऊपर नीचे हो रही थी,, और यह देख कर रघु का धैर्य जवाब दे रहा था,,। उसका मन कर रहा था कि उसके पीछे पीछे वह अभी झरने की तरफ चला जाए लेकिन वह जल्दबाजी दिखाना नहीं चाहता था क्योंकि जब उसके कहने से वह कपड़े उतार चुकी है तब तो धीरे धीरे टांग खोलने में भी उसे कोई दिक्कत नहीं होगी,,, यही सोच कर रघु अपना मन मार कर वहीं खड़ा का खड़ा रह गया,,, और कोमल धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाते हुए झरने की तरफ जा रही थी उसके लिए जिंदगी में यह पहला मौका था जब वह बिना कपड़ों के संपूर्ण रूप से नंगी होकर टहल रही थी और वह भी इस खुली जगह पर,,, उसे भी संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में घूमना कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन बदन में उत्तेजना कि‌सिहरन भी फेल रही थी,,,, वह चलते हुए यही सोच रही थी कि रघु उसे देख तो नहीं रहा होगा,,, कोई भी इंसान अपने वादे पर पक्का तो रह सकता है लेकिन औरतों के मामले में उसका धैर्य कब जवाब दे जाए यह नहीं कहा जा सकता,,,,इसलिए और अभी के बारे में भी यही सोच रही थी कि वह उसे देख तो नहीं रहा होगा अगर देख रहा होगा तो उस समय वह उसे पूरी तरह से नंगी देख रहा होगा उसकी गोलाकार गांड ऊसे दिखाई दे रही होगी,,, अगर ऐसा है तो वह उसके नंगे बदन को देख कर क्या सोच रहा होगा क्या रघु भी वही सोच रहा होगा जो दूसरे मर्द सोचते हैं,,,यही सोचते हुए वचन की तरफ चली जा रही थी लेकिन पीछे मुड़कर देखने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी अपने मन में यह सोच रही थी कि अगर वह उसे देखता ही होगा तो वह उससे नजर कैसे मिला पाएंगी,,, मन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसका ध्यान खुद ही अपनी चुचियों पर चला गया जो कि बेहद ठोस और गोलाकार थी,,, यह तो वह अच्छी तरह से जानते थे कि ठोस नजर आने वाली चूची दबाने पर कितनी नरम-नरम होती है,,,।अपनी चुचियों की गोलाई को देख कर उसे इस बात का अफसोस होने लगा कि उसके पति ने उसे स्त्री सुख का अहसास नहीं कराया,,, यह सोचते हुए कोमल झरने के बेहद करीब पहुंच गई जहां से उसे पानी के छींटे उसके बदन पर पड़ रही थी और उसे ठंडे पन का एहसास हो रहा था,,, आज उसका सपना पूरा होनेवाला था,,, प्रकृति से उसे हमेशा से लगाव रहा था,,,, खेतों में घूमना छोटी-छोटी पहाड़ियों पर चढ़ना नदी में नहाना यह सब उसेअच्छा लगता था इसलिए तो आज झरना देखकर वह बेहद खुश हो गई थी और झरने में नहाने की लालच की वजह से ही वहएक गैर मर्द के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए तैयार हो चुकी थी और हो भी गई थी,,, देखते ही देखते कोमल झरने के नीचे पहुंच गई पहली बार जब उसके सिर पर झरने का ठंडा पानी पड़ा तो वह ठंड से सिहर गई,,, लेकिन एक झटके में उसका पूरा बदन पानी से तरबतर हो गया धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा,,,, रघु उसे देखे जा रहा था,,,

थोड़ी देर में कोमल सब कुछ भूल गई उसे यह भी याद नहीं रहा कि थोड़ी ही दूर पर एक जवान लड़का खड़ा है,,, वहां अपनी सुध बुध भूल कर झरने के पानी में नहाने का आनंद लूटने लगी उसे इस बात का भी अहसास तक नहीं हुआ कि उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं है वह निश्चिंत होकर पूरी तरह से मगन होकर नहाने का मजा लेने लगी वह अपना हाथ अपने बदन पर चारों तरफ घुमाने लगी मानो की अपने घर में बने गुसल खाने में नहा रही हो,,, उसका दोनों हाथ उसके बदन पर चारों तरफ घूम रहे थे भले ही वह उसकी गोल-गोल चूचियां हो या टांगों के बीच की पतली दरार हो,,, नितंबों पर दोनों हाथ को फेरते हुए मानो वह उस पर साबुन लगा रही हो,, जो देखकर रघु का दिमाग चकराने लगा क्योंकि जिस तरह से वह निश्चिंत होकर अपने बदन पर हाथ फेर रही थी,,, रघु यकीन नहीं कर पा रहा था किसकी आंखों के सामने कोमल ही है क्योंकि कोमल बेहद शर्मीली औरत थी,,, लेकिन इस समय कोमल का व्यवहार निश्चिंत पूर्ण और थोड़ा बेशर्मी वाला हो गया था इसमें कोमल की कोई भी गलती नहीं थी वह तो भूल चुकी थी कि वह कहां पर है कौन सी जगह पर है और किस के सामने,,, लेकिन कोमल की हरकत का मतलब रघु गलत समझने लगा उसे लगने लगा था कि शायद कोमल उसकी तरफ इशारा तो नहीं कर रही है,,,,कोमल की हरकत को देख कर रखो क्या मेरे में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी हालांकि वह पहले से ही काफी उत्तेजित हो चुका था उसे नंगी देखकर और उसकी हरकतों को देख कर तो वह मदहोश होने लगा,,,, उत्तेजना और बदन की प्यास से रघु का गला सूखता जा रहा था,,,, उससे रहा नहीं जा रहा था झरने का पानी जिस तरह से उसके कोमल खूबसूरत नंगे बदन पर फिसल रहा था,,, उसी तरह से रघु की नियत कोमल के खूबसूरत नंगे बदन को देखकर फिसल रहा था वैसे भी रघुऔरतों के मामले में कुछ ज्यादा ही लालची हो चुका खूबसूरत औरत देखते ही उसके मुंह में पानी आने लगता था लेकिन यहां तो कोमल की खूबसूरत नंगे बदन और उसकी हरकत को देख कर उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,रघु से सब्र कर पाना अब मुश्किल बजा रहा था इसलिए वह तुरंत अपने कपड़े उतारकर एकदम नंगा हो गया,,,, कोमल नहाने में मस्त थी झरने का पानी उसके खूबसूरत बदन को ठंडा कर रहा था,,,,,,, उसे तो इस बात का पता तक नहीं था कि रघु जो उसे यहां लेकर आया था जो कि उसे इस अवस्था में ना देखने का वादा किया था और उसके खूबसूरत नंगे बदन को देख कर अपना धैर्य खो बैठा है और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो चुका है,,, रघु झरने में नहा रही कोमल की तरफ आगे बढ़ता हुआ अपने लंड को हिला रहा था एक तरह से वह कोमल की बुर में अपने लंड को डालने के लिए उसे पूरी तरह से तैनात करते हुए तैयार कर रहा था,,,

रघु के लिए यह अवस्था ही ऐसी थी बिल्कुल काबू से बाहर कोमल की मदहोश जवानी रघु को पल-पल बेकाबू कर रही थी,,, देखते ही देखते गरम आहें भरते हुए रघु झरने के नीचे ना रहे कोमल के बेहद करीब पहुंच गया उसके ऊपर भी झरने का पानी गिरने लगा,,,, रघु ठीक कोमल के पीछे जाकर खड़ा हो गया उसके नितंबों पर से फिसल रही पानी की बूंदे रघु के प्यास को और ज्यादा बढ़ा रही थी उसका मन कर रहा था कि नीचे बैठ कर उसके नितंबों से गिर रही पानी की बूंदों को जीभ लगाकर चाट कर अपनी प्यास बुझा ले,,,, रघु का लंड सीधा टनटनाकर खड़ा था,। और इतना करीब था कि अगर थोड़ा सा भी कोमल पीछे होती तो रघु का लंड सीधे उसकी गांड पर स्पर्श करता ,,,, और यही हुआ भी,,,, कोमल तो अपने में मशगूल थी उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके पीछे रघु नंगा और अपने लंड को खड़ा करके खड़ा है,,,, और अचानक ही कोमल अपने घुटनों को अपने हाथ से मलने के लिए नीचे झुकी ही थी कि उसकी गांड पर कोई ठोस चीज की चुभन महसूस हुई और वह डर के मारे पीछे पलट कर देखी तो उसके होश उड़ गए पीछे रघु एकदम नंगा होकर खड़ा था उसका लंड उसकी गांड की दरार के बीचो बीच फंस चुका था,,,,,, अपने आप को संभालने के चक्कर में आगे की तरफ गिरने ही वाली थी कि तुरंत रघु अपना दोनों हाथ उसकी कमर पर रख कर उसे थाम लिया और उसी स्थिति में पकड़ लिया मानो कि जैसे किसी औरत को घोड़ी बनाकर चोद रहा हो,,,, नीचे गिरने के डर से वह पूरी तरह से सहम उठी थी,,,
उसे डर से वह निकल पाती इससे पहले ही रखो का लंड का गर्म सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों पर रगड़ खाने लगी,,,, कोमल को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि उसके बदन में यह कैसी भावना जागरूक हो रही है वह पूरी तरह से अद्भुत अहसास में डूबने लगी पल भर में ही ठंडे पानी की बौछार में भी उसका खूबसूरत गर्म बदन और भी ज्यादा गर्म होने लगा,, रघु उसी तरह से पकड़े हुए बोला,,,।


क्या करती हो कोमल अभी तो तुम नीचे गिर गई होती,,,,(ऐसा कहते हुए रघु उसकी कमर पकड़कर ऊसे ऊपर उठाने लगा,,,) मैं कहा था ना तुमसे अबसे तुम्हारी रक्षा में करूंगा,,,
(कोमल को अपनी कमर पर,, मजबूत हथेलियों का स्पर्श और उसका कसाव बेहद आनंददायक और रोमांचक लग रहा था उसे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था वो कुछ बोल नहीं पा रही थी सिर्फ उसके मुंह से इतना ही निकला,,,)

तुम यहां तुम तो वादा किए थे,,,, फिर,,,,,(कोमल रघु की आंखों में देखते हुए पूरी रही थी कि उसके होठों पर अपनी उंगली रखकर ऊसे चुप करते हुए रघु बोला,,)


कुछ मत कहो कोमल,,, तुम्हारी खूबसूरती देखकर मुझसे रहा नहीं गया बेवकूफ है तुम्हारा पति जो इतनी खूबसूरत अप्सरा जैसी पत्नी को छोड़कर दर-दर भटक रहा है अगर तुम मेरी पत्नी होती तो मे तो रात दिन तुम्हें अपनी बाहों में लेकर तुम्हें प्यार करता,,,,(ऐसा कहते हो मेरे को अपनी प्यासे होठों को कोमल के खूबसूरत गुलाबी तपते हुए होठों के करीब ले जाने लगा,,, कोमल को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था वह अपने होठों को अपने चेहरे को दूसरी तरफ फेर लेना चाहती थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई,,, ना जाने कैसी कशिश थी कि वह अपने काबू में नहीं थी,,,और देखते ही देखते रघु अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर रखकर उसे मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया,,,,,, पल भर में ही कोमल प्यासी जवानी की आग में पिघलने लगी,, वह रघु को रोकने की भी कोशिश नहीं कर रही थी,,, चुंबन होठों पर हो रहा था लेकिन सुरसुराहट टांगों के बीच की पत्नी दरार में हो रहा था,,, कोमल कुछ समझ नही पा रही थी,,। शायद उसके होठों से पहली बार कोई इस तरह की हरकत कर रहा था कोमल की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध ना होता देखकर रघु की हिम्मत बढने लगी और उसके होठों को चूसते हुए अपना एक हाथ उसकी मखमली रसभरी नारंगी पर रख दिया,, और उसे जोर से दबा दिया,,,,।


आहहहहहहह,,,,
(सिर्फ इतना ही कोमल के मुख से निकल पाया और रघु दूसरा हाथ दूसरी चूची पर रखकर दबाना शुरू कर दिया,,, कोमल के कोमल तन तन बदन में अजीब सी हलचल होना शुरू हो गई रघु शराबी की तरह कोमल के होठों से शराब के बुंदो का रसपान कर रहा था,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसका साथ दे या हट जाए,,,यह जानते हुए भी कि जो कुछ भी कहो रहा है वह गलत हो रहा है फिर भी वह अपने जिस्म के प्यास के अधीन होकर पर रखो को इनकार नहीं कर पा रही थी वह पूरी तरह से असमर्थ हो चुकी थी,,रघु पागलों की तरह उसके रसीले होंठों का रसपान करना है और दोनों हाथों से चूची को दबाते हुए अपने खड़े लंड की ठोकर उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी फुली हुई मखमली बुर के ऊपर मार रहा था,,, रघु के लंड की ठोकर अपनी बुर के ऊपर महसूस करके कोमल पूरी मदहोश हो चुकी है उसे समझ में नहीं आ रहा था उसके घुटने थरथर कांप रहे थे,,,,,,कोमल प्यासी थी शादीशुदा जिंदगी में की कुंवारी लड़की की तरह जी रही थी पति का सुख कभी प्राप्त नहीं हुआ था शारीरिक सुख क्या है इसकी परिभाषा उसे नहीं मालूम थी इसलिए रघु के प्रयास से वह पूरी तरह से काम विह्वल हो गई,,, और कुछ ही देर बाद चुंबन में वह रघु का साथ देने लगी,,, उसके होंठ अपने आप खुल चुके थे और उसके खुले हुए होठों को महसूस करके रघु फूले नहीं समा रहा था फोटो के खुलने का मतलब था कि उसकी सहमति प्राप्त हो चुकी थी और होठ खुलने के बाद टांग खुलने में ज्यादा देर नहीं लगता,,, रघु तो मदहोश होकर अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दिया ऊपर झरने का पानी और नीचे बुर से मदन रस बराबर बह रहा था,,,,,रघु को इस बात का डर था कि मदहोश होकर कहीं पांव फिसल गया तो सीधा दोनों नीचे तालाब में जाकर गिरेंगे,,, इसलिए रघुएक झटके में ही उसे अपनी गोद में उठा लिया और झरने से बाहर निकलने लगा कोमल के लिए बोलने लायक कुछ भी नहीं था ,,, रघु अच्छे से मजा लेना चाहता था इसलिए बड़े पत्थर के करीब रखे हुए कपड़ों पर उसे धीरे से बिठा दिया,,, और कोमल भीबड़े आराम से कपड़ों पर बैठ गई को पूरी तरह से नंगी थी पानी में भीगी हुई और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,, रघु भी पूरा नंगा था उसका लंड पूरी तरह से खडा हो चुका था,,,,तिरछी नजरों से शरमाते हुए कोमल उसकी दोनों टांगों के बीच निगाह डाली तो उसके खड़े लंड की मोटाई और लंबाई देखकर उसके होश उड़ गए,,, शर्मा कर घबराकर तुरंत उसकी निगाहें नीचे हो गई,,, रघु की हालत खराब हो रही थी कोमल का भीगा बदन उसकी उत्तेजना को ज्यादा बढ़ा रहा था,,, रघु से रहा नहीं जा रहा था वह जानता था कि वह कोमल के साथ जो कुछ भी करेगा कोमल पूरी तरह से मस्त हो जाएगी वरना अगर उसे अच्छा नहीं लगता तो वह उसे कब से धक्का देकर हटा दी होती,,, इसी आत्मविश्वास से वह कोमल के करीब बैठ गया उसकी दोनों टांगों को फैलाने लगा,,,।

यह क्या कर रहे हो रघु,,,,(रघु की तरफ शर्माते हुए देखकर वह बोली,,,)

तुम्हें स्त्री होने का गौरव प्राप्त कराने जा रहा हूं,,,(ऐसा कहते हुए और कोमल की दोनों टांगों को खोल दिया,,, कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर को देखकर रघु की आंखें चौंधिया गई,,,, वह कोमल की गुलाबी बुर को देखता ही रह गया कोमल की रसीली बुर को देखकर
उसे इस बात का अंदाजा लग गया कि वाकई में कोमल पूरी तरह से अनचुदी बुर की मालकिन थी,,, एक शादीशुदा औरत की कुंवारी बुर पाकर रघु खुशी से झूम उठा,,,,, उसकी गुलाबी बुर के इर्द-गिर्द रसीली बालों का झुरमुट नजर आ रहा था,,, रघु कोमल के झांट के बाल देख कर और ज्यादा उत्तेजित हो गया,,।

वाह,,,, कोमल जितनी चेहरा खूबसूरत तुम हो उतनी ही ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी दोनों टांगों के बीच यह गुलाबी बुर है,,,,(रघु एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,, और कोमल रघु के मुंह से अपनी बुर की तारीफ सुनकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई,,,, वह शर्म के मारे गड़ी जा रही थी,,, वह बुत बनकर उसी तरह से बैठी रह गई,,, रघु पागलों की तरह उसकी दोनों टांगों के बीच में नजर गड़ाए हुए उसकी गुलाबी बुर को देखे जा रहा था,,,। बेहद उत्तेजनात्मक मादकता से भरा हुआ नजारा था चारों तरफ हरियाली और पहाड़ी छाई हुई थी झरना बह रहा था,,, मौसम बहुत ही सुहावना हो चुका था और छोटी सी टेकन के पास में कपड़ों के ढेर पर खूबसूरती से भरी हुई कोमल अपनी दोनों टांगें फैलाए बैठी हुई थी,,, जो कि उसकी टांगों को रघु ने ही अपने हाथों से फैलाया था,,, रघु की हरकत की वजह से और पहली बार इस तरह के वाक्ये के बदौलतकोमल के बदन में भी सुरूर चढ़ना शुरु हो गया था जिसका असर उसे दोनों टांगों के बीच अपनी रसीली गुलाबी बुर के अंदर महसूस हो रही थी,,, उसमें से उसे अपना मदन रस बहता हुआ साथ महसूस हो रहा था,,,।

अभी दोनों के पास बहुत समय था,,, रघु इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाना चाहता था,,,वह कोमल की मदमस्त जवानी का रस पूरी तरह से निचोड़ लेना चाहता था,,, इसलिए मैं अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे उसे कोमल की मदमस्त चिकनी मोटी जांग पर रख दिया,,,कोमल पहली बार अपनी चिकनी जांघों पर मर्दाना हाथों का स्पर्श पाकर पूरी तरह से सिहर उठी और उसके मुंह से अनायास ही सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।

ससससहहहह,,,,,,,,,,


क्या हुआ कोमल,,,?(रघु जानबूझकर उसकी जान को अपनी हथेली से दबाते हुए बोला)


कककक,, कुछ नहीं,,,(कोमल घबराते हुए और शरमाते हुए हकला कर बोली)

तुम बहुत खूबसूरत हो कोमल,,, मुझे यकीन नहीं होता तो इतनी खूबसूरत औरत को छोड़कर एक आदमी भला यहां वहां क्यों भटक रहा होगा,,,(रघु अपना दूसरा हाथ भी उसकी दूसरी जांघ पर रखकर उसे सहलाते हुए बोला,,,अपने हथेलियों की हरकत का असर वाह कोमल की खूबसूरत चेहरे पर अच्छी तरह से देख रहा था,,, वह जानबूझकर कोमल को बातों में उलझा ना चाहता था,,,,) कोमल क्या तुम्हारे पति ने इस तरह से तुम्हारी खूबसूरत जांघों को अपनी हथेली से सह लाया है,,,।

(रघु को इस तरह के सवाल का जवाब अपने मुंह से देने में असमर्थ हूं इसलिए ना में सिर हिला कर जवाब दी,,)

तब तो बेवकूफ है तुम्हारा पति,,,, अगर मेरे पास ऐसी बीवी होती तो पता है मैं क्या करता,,,?(कोमल की तरफ देखकर रघु बोला)

क्या करते,,,?(कोमल शरमाते हुए बोली,,,,भाभी देखना चाहती थी कि एक आदमी अगर औरत को प्यार करता है उसे मानता है तो वह उसके साथ कैसा व्यवहार करता है,,, क्योंकि अपनी पत्नी की तरफ से उसे किसी भी तरह के व्यवहार का ना तो अंदाजा था ना तो कभी महसूस ही कर पाई थी पति की तरफ से उसे हमेशा दुख ही प्राप्त हुआ था,,)

बताऊं मैं क्या करता,,,,,( इतना कहते हुए रघु उसकी जांघों को अपनी हथेली से चलाते हुए धीरे-धीरे उसकी दोनों टांगों के बीच जाने लगा और अपने होठों को उसकी मखमली चिकनी जांघ पर रखकर उसे चूमने लगा,,, कोमल की हालत खराब हो रही थी वहरघु की बातों से और उसकी हरकत से पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी,,, वह उसकी जांघों को बेतहाशा चूम रहा था यह तो रास्ता था मंजिल तक पहुंचने के लिए और मंजिल थी उसकी गुलाबी बुर,,,, लेकिन पहले वह रास्ते का मजा ले रहा था,,, क्योंकि मंजिल से ज्यादा सफर में मजा आता है,,,, रघु दोनों हाथों की हथेलियों को उत्तेजना बस उसकी चिकनी मोटी जांघों जोर-जोर से दबाते हुए उस पर अपने होंठों से लगातार चुंबन किया जा रहा था,,, उत्तेजना के मारे कोमल की सांसे गहरी चलने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में क्या हो रहा है,,,, उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस समय झरने के करीब नंगी होकर बैठी है,,,शायद बदन की प्यास ही कुछ ऐसी होती है कि सब कुछ भुला देती है,,,। देखते ही देखते रघु का हाथ कोमल की चिकनी बुर पर चला गयाअपनी कोमल के नाजुक अंग को सहलाने लगा क्योंकि उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, अपनी बुर के ऊपर मर्दाना हाथ पडते ही वह पूरी तरह से कामोत्तेजना के सागर में डूबने लगी उसकी सांसों की गति तेज हो गई,,। कोमल मदहोश हुए जा रही थी उसका मन अपने काबू में नहीं था शायद पहली बार उसके बदन से कोई मर्द इस तरह से प्यार कर रहा था और प्यार करने पर औरतों को कैसा एहसास होता है यह भी उसे पहली बार ही हो रहा था,,, रघु कोमल की रेशमी झांटों की झुरमुटो मे धीरे-धीरे उंगली घुमाते हुए ,, ऊसकी गुलाबी बुर से खेलने लगा,,, जब जब उसकी गुलाबी छीन पर रखो की उंगली रगड़ खा जाती तब तब कोमल की सांस अटक जा रही थी,,,, रघु की उंगलियां कोमल के मदन रस में भीग चुकी थी,,, रघु अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कोमल की कोमल बदन से खेलते हुए वह मदहोश होने लगा था,,,
सससहहहहह आहहहहहहह,,,,,(रघु जब जब उसकी चिकनी मांसल जांघों को अपनी हथेली में लेकर दबाते हुए अपनी उंगली का स्पर्श उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों पर करता तब तक उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,, और उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु और ज्यादा बेचैन हो जाता,,, रघुउसके गुलाबी छेद से निकल रहे मदन रस का स्वाद लेना चाहता था इसलिए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,, रघु अपने लिए जगह बना रहा था,, वह देखते ही देखते कोमल की दोनों टांगों के बीच में आ चुका था,,, पंछियों के चहकने की आवाज झरने के पानी की मधुर आवाज के साथ साथ कोमल के मुख से रह-रहकर निकल रही गर्म सिसकारी की आवाज पूरे वातावरण में नशा घोल रहा था,,। कोमल शर्मा रही थी उसका पूरा वजूद अद्भुत एहसास की आगोश में घिर चुका था,,, देखते ही देखते रघुअपने दोनों हाथों से उसकी दोनों जांघों को पकड़कर थोड़ा सा और फैला दिया,,,, कोमल की गुलाबी बुर देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था,,, इतना बेहतरीन खूबसूरत नजारा उसने अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा हालांकि उसने अपनी जिंदगी में कई औरतों की बुर को नजर भर कर देख चुका था लेकिन जो मजा और जो नशा ऊसको कोमल की बुर में आ रहा था वह किसी की बुर नहीं आया था,,,।

कोमल अपनी नजरों को नीचे करके रघु की तरफ चोरी-छिपे देख रही थी,,, रघु की जीभ लजीज अंग देखकर लपलपा रही थी,, कोमल रघु को अपनी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर के करीब बढ़ता हुआ साफ दिखाई दे रहा था,,,।
जैसे-जैसे उसका मुंह गुलाबी बुर की तरफ़ बढ़ रहा था वैसे वैसे कोमल के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,। और कोमल कुछ समझ पाती इससे पहले ही रघु अपनी प्यासी होठों को जाटों के झुरमुटो के बीच घिरी हुई उसकी गुलाबी बुर के छेद पर रख दिया,,,,।


सहहहहहह आहहहहहहहहहह,,,,(रघु की हरकत की वजह से कोमल के मुख से बस इतना ही निकला और उसका बदन ऐंठने लगा,,,, कोमल रघु को रोक नहीं पाई क्योंकि रघु की यह हरकत कोमल के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना के साथ-साथ उसे एकदम से चुदवासी बना दिया था,,,,और जैसे ही उसने अपनी बुर के गुलाबी छेद के अंदर हल्की सी जीभ घुसती हुई महसूस की वैसे ही उत्तेजना का दबाव ना सहन कर पाने के कारण उसकी बुर से भलभला कर मदन रस बहने लगा,,,, यह कोमल के लिए अद्भुत था अतुल्य था उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि,,, उसे इस तरह के अद्भुत सुख का अहसास होगा,,, रघु का घोड़ा दौड़ चुका था,,, अब रुकने वाला नहीं था कोमल की जवानी का दीवाना का पहले ही हो चुका था बस उसके खूबसूरत बदन को भोगने का सपना देखता रहता था और आज यह सपना पूरा हो रहा था रखो पागलों की तरह उसकी गुलाबी बुर को चाट रहा था,,, मानो की बुर ना होकर मीठी खीर से भरी कटोरी हो,,,उसकी बुर से निकला मदन रस का एक एक बूंद रघु अपनी जीभ से चाट कर अपने गले के नीचे उतार रहा था,,।कोमल को अजीब लग रहा था गंदा लग रहा था क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि औरत की पेशाब वाली जगह को कोई मुंह लगाकर कैसे चाट सकता है,,,, लेकिन फिर भी ना जाने कैसी कशिश थी कि वह रघु की हरकत में पूरी तरह से खो चुकी थी उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था,,,,वह आसमान की तरफ नजर करके अपनी बुर चटाई का मजा ले रही थी,,, आसमान में उसे पंछी उड़ते हुए नजर आ रहे थे बड़ा ही मोहक दृश्य था इस तरह से खुले में संभोग से पहले संभोग रस में डूबने का अलग ही मजा था,,, रघु की सांसे भी तेजी से चल रही थी,,,वह जानता था कि उसके मोटे तगड़े लंड के लिए कोमल की गुलाबी बुर का गुलाबी छोटा सा छेद पर्याप्त नहीं है,,, इसलिए वह अपने लंड के लिए रास्ता बनाने की खातिर उसकी बुर को चाटते हुए ऊसमें अपनी एक उंगली डालना शुरू किया,,, गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में उंगली का प्रवेश,,, कोमल को अद्भुत लग रहा था और देखते ही देखते रघु अपनी एक उंगली को पूरी तरह से, कोमल की बुर में प्रवेश करा दिया,,,,एक उंगली के जाते ही उसे दर्द का एहसास हो रहा था लेकिन वह इस दर्द को सहन कर गई,,
लेकिन जैसे ही रघु अपनी दूसरी उंगली को उसकी बुर के अंदर डालना शुरू किया उसे दर्द ज्यादा होने लगा और अपना एक हाथ बढ़ा कर रघू का हाथ पकड़ कर उसे रोकने लगी,,,।


नहीं नहीं रघु हमें दर्द हो रहा है,,,


दर्द के बाद ही मजा आएगा कोमल,,,,


नहीं रहने दो हमें नहीं लगता कि हम यह दर्द सहन कर पाएंगे,,,


क्यों नहीं सहन कर पाओगी हर औरत यह दर्द सहन करती है तभी तो चुदाई का मजा लेती है,,,,


लेकिन हमसे यह नहीं हो पाएगा,,,,
(रघु समझ गया कि अगर यह दूसरी उंगली नहीं डालने दे रही है तो उसका मोटा लंड कैसे डालने देगी इसलिए उसे रास्ते पर लाना बेहद जरूरी था,,, इसलिए बिना कुछ बोले अपनी एक उंगली को ही अंदर बाहर करते हुए वह फिर से अपने होठों को उसकी गुलाबी बुर के छेद पर रख कर चाटने लगा,,,। एक बार फिर से कोमल मदहोश होने लगी उस पर खुमारी जाने लगी उसकी आंखों में नशा छाने लगा और ना चाहते हुए इस बार ना जाने कैसे उसका एक हाथ रघु के सिर पर आ गया और वह उसे उत्तेजना बस दबाने लगी,,,यह कैसे हो गया यह कोमल को भी नहीं पता चला बस वह उस पल के आनंद में खो जाना चाहती थी,,,, रघु मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी दूसरी उंगली उसकी बुर में डालना शुरू कर दिया दर्द हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,, इसलिए हल्की-हल्की दर्द से कराहते हुए,,वह मस्त होने लगी,,,। रघु देखते ही देखते उसे आनंद देते हुए अपनी दोनों ऊंगली एक साथ अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,, कोमल को मजा आने लगा वह मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी ठीक तरह से कभी लंड का साथ अपनी बुर में ना चखने के कारण रघु की दोनों उंगली से उसे दर्द हो रहा था और उसे लंड का मजा भी मिल रहा था,,,,


अब कैसा लग रहा है कोमल,,,,,


बहुत मजा आ रहा है रघु,,,,आहहहहहहह,,,, हमसे रहा नहीं जा रहा है,,,, ना जाने हमें क्या हो रहा है,,,,


क्या इस तरह से तुम्हारे पति ने तुमसे कभी प्यार नहीं किया,,,


नहीं कभी भी नहीं,,,, हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि कोई इस तरह से प्यार करता होगा,,, इससे तो पेशाब किया जाता है तुम उस पर मुंह लगाकर कैसे चाट रहे हो तुम्हें गंदा नहीं लगता,,,,(आंखों में खुमारी भरते हुए कोमल बोली ,,,)

हम हम मर्दों को यही पसंद है और सब औरतों को भी यही अच्छा लगता है,,,,


क्या सबको,,,,?(कोमल आश्चर्य से दूरी उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके साथ ही यह पहली बार ऐसा हो रहा है वह यह नहीं जानती थी कि सभी औरतों को अपनी बुर चटवाना और मर्दों को चाटना कितना पसंद है,,,)

हां सबको सभी औरतों को यह पसंद है,,,(रखो अपनी दोनों उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला और उसे इशारे से अपनी दोनों टांगों के बीच देखने के लिए इशारा करके बोला) देख रही हो और कितनी आराम से दोनों उंगली अंदर बाहर जा रही है और तुम्हें दर्द नहीं बल्कि मजा आ रहा है,,, मैं कहता था ना कि दर्द के बाद ही मजा आता है,,(कोमल भी हैरान थी वाकई में उसे पता भी नहीं चला कब और दर्द से गुजर गई और आनंद के सागर में डूबने लगी उसे मज़ा आ रहा था रघु की हरकत ऊसे और आनंद दे रही थी कोमल की शर्म धीरे-धीरे खत्म हो रही थी,,, रघु अब कोमल को चोदना चाहता था,,,। इसलिए वह अपने घुटनों के बल बैठ कर अपनी खड़े मोटे लंड को पकड़ कर हिलाते हुए बोला,,,,


देखना कोमल मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मेरे मोटे लंड को बड़े आराम से अपनी बुर के अंदर ले लोगी फिर देखना तुम्हें कितना मजा आता है,,,, तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि तुम सच में शादी शुदा जिंदगी का असली मजा कभी नहीं ले पाई हो जो अब मैं तुम्हें दूंगा,,,,।


नहीं नहीं हमे तो डर लग रहा है तुम्हारा कितना बड़ा और मोटा है,,,(कोमल आश्चर्य से रघु के मोटे तगड़े लंड को देखते हुए बोली)


कुछ नहीं होगा कोमल मुझ पर विश्वास रखो,,, मुझ पर यकीन करो,,,तुम्हें इतना मजा दूंगा कि तुम्हें लगेगा कि तुम आसमान में उड़ रही हो,,,,
(रघु की बातों से उसे भरोसा तो हो रहा था और वह उत्सुक और उतावली भी थी संभोग सुख से वाकिफ होने के लिए लेकिन उसे रघु के लंड को देखकर डर भी लग रहा था लेकिन फिर भी प्रभु जिस तरह से कह रहा था कि दर्द के बाद ही असली मजा आता है अपने मन में उस दर्द को सहने की क्षमता बढ़ा रही थी वह बोली कुछ नहीं बस रघु को देखती रह गई रघु उसकी ख़ामोशी को उसकी हामी समझकर उसके करीब बड़ा और उसे अपनी बाहों में लेकर एक बार फिर से उसके गुलाबी होठों को चूसते हुए उसकी नारंगी ओ को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया एक बार फिर से कमल के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जोर-जोर से रघु उसकी चूचियों को दबा रहा था और देखते ही देखते वह उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दियाकोमल पूरी तरह से गर्म हो गई उसके मुंह से गर्म सिसकारी निकलने लगी और उस सिसकारी को सुनकर रघु और ज्यादा चुदवासा हुआ जा रहा था,,, वह बारी-बारी से कोमल की दोनों चूचियों को पीकर उसका मजा लेने लगा,,, कोमल को मजा आ रहा था वह आनंदित हो रही थी यही मौका उसे ठीक है ना वो धीरे धीरे उसके होठों को चूसता हुआ उसे कपड़ों पर लिटा दिया और धीरे-धीरे उसकी दोनों टांगों को फैलाना शुरू कर दिया रघु उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया और अपने दोनों हाथों को उसके नितंबों के नीचे रखकर उसे थाम कर अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, दोनों की धड़कन में तेज चल रही थी सबसे ज्यादा उत्सुकता कोमल को थी क्योंकि रघु इस काम में पहले से ही माहीर था,,,,रघु का लंड लपक रहा था कोमल की बुर के अंदर जाने के लिए कोमल उत्सुकता से शर्मसार होते हुए भी अपनी दोनों टांगों के बीच नजरे गड़ाए हुए थी,,,वह देखना चाहती थी कि एक लंड बुर के अंदर किस तरह से प्रवेश करता है,,,,रघु जानता था कि शुरुआत में थोड़ी तकलीफ होगी इसलिए पहले से ही ढेर सारा थूक अपने लंड के सुपाडे पर लगाकर और उसकी बुर के गुलाबी छेद पर लगा दिया,,, जैसे ही रघु अपने लंड के सुपाड़े को कोमल की बुर के मुहाने पर रखा,,, कोमल को ऐसा लगा मानो जैसे उसकी सांसें थम गई हो,,,, उसका दिल और तेजी से धड़कने लगा और धीरे धीरे रखो अपने लंड के सुपाड़े को उसके छेद के अंदर डालना शुरू कर दिया,,,,थोड़ी दिक्कत हो रही थी लेकिन धीरे-धीरे चिकनाहट की वजह से और अपनी दो उंगली के करामत की वजह से रघु का लंड कोमल की बुर के अंदर घुस रहा था,,, रघुअपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे दिशा दिखाते हुए कोमल की बुर में डाल रहा था,,, कोमल को दर्द का एहसास हो रहा था लेकिन वह इस दर्द को भी जाना चाहती थी उसे असली सुख को महसूस करने की उत्सुकता थी और चाहती थी इसलिए वह इस दर्द की परवाह नहीं कर रही थी लेकिन फिर भी दर्द की वजह से उसके चेहरे पर के भाव पल पल पल रहे थे देखते देखते रघु का लंड का आगे वाला भाग कोमल की बुर के अंदर प्रवेश कर गया यह प्रभा के लिए बेहद प्रसन्नता की बात थी और कोमल के लिए तो यह अतुल्य सुख था,,। सुपाड़े के प्रवेश करते ही रघु रुक गया था,,,वह कोमल के चेहरे को देख रहा था और इस तरह से रघु को अपने आपको देखता हुआ पाकर कोमल एकदम से शर्मिंदा हो गई और दूसरी तरफ नजर घुमा ली,,, उसकी यह सादगी रघु को अच्छी लगी रघु अब आगे का कार्यक्रम निपटाने में लग गया धीरे-धीरे उसका लंड बुर के अंदर सरक रहा था और कोमल का दर्द बढ़ता जा रहा था,,,।
आहहहहह,,, रघु दर्द कर रहा है,,,

बस बस थोड़ा सा और,,,,


नहीं तुम्हारा बहुत मोटा है मुझे नहीं लगता घुस पाएगा,,,


मुझ पर विश्वास है कि नहीं,,,


तुम पर मुझे पूरा विश्वास है लेकिन डर लग रहा है,,,,


डर और दर्द में ज्यादा फर्क नहीं होता लेकिन दर्द के आगे ही मजा आता है यह बात मैं तुमसे पहले भी बता चुका हूं,,,,


धीरे धीरे,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कोमल,,,,
(और इतना कहते हुए रघु आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ने लगा,,, धैर्य और हिम्मत रंग ला रही थी रघु का आनंद धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था और देखते ही देखते पूरा का पूरा कोमल की गुलाबी बुर के अंदर समा गया,,,।)

अब देखो कोमल,, तुम्हें मेरा लंड नजर आ रहा है,,,
(कोमल हैरान थी,, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था वास्तव में इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी गुलाबी बुर के छेद में मानो खो गया था,,, अद्भुत नजारा था अविश्वसनीय लेकिन कोमल के लिए रघु का तो यह रोज का था,,,।


कोमल के चेहरे पर हेरानी और आश्चर्य के भाव को रघु पढ़ चुका था,, इसलिए वहां दोनों हाथों से कमर की कमर को थाम कर अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,,कोमल की खुशी और उत्तेजना का कोई ठिकाना ना था आज बहुत खुश थी शादीशुदा जिंदगी में पहली बार उसकी चुदाई हो रही थी चुदाई का सुख औरत को कैसा महसूस होता है यह उसे पहली बार ज्ञात हो रहा था,,, उस पहाड़ियों से घिरी हुई जगह मैं कोमल की गरम सिसकारियां गुजने लगी,,। रघु की कमर लगातार आगे पीछे हो रही थी और कोमल अपनी दोनों टांगों के बीच नजर गड़ाए हुए ऊस नजारे का मजा ले रही थी,, पहली बार वह अपनी आंखों से मोटे तगड़े लंड को बुर में घुसते हुए अंदर बाहर होते हुए देख रही थी,,,,,, उसे आश्चर्य के साथ साथ मजा भी आ रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी छोटी सी बुर के छोटे से छेद में घुसकर पूरी तरह से गायब हो गई,,,,,,, कोमल के लिए यह आश्चर्य से बिल्कुल कम नहीं था,,,।

ओहहहह कोमल मेरी रानी ,,,आहहहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है कोमल रानी,,,,ऊहहहहहहह,,,, गजब की बुर है तुम्हारी एकदम कशी हुई,,,,आहहहहहहहह,,, कोमल रानी,,,,


हमें भी बहुत मजा आ रहा है,,सहहहहहह,,,आहहहहह,,, सच में रघु हमें पता नहीं था कि इस खेल में इतना मजा आता है,,,,,आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,,आहहहहहह,,(कोमल के कहते हुए जोश में आकर रघु जोर-जोर से दो चार धक्के लगा दिया,,, और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर कोमल के दोनों संतरो को अपने हाथों में थाम लिया,,,,, और उसे जोर-जोर से दबाते हुए अपनी कमर हिलाने लगा इस तरह से स्तन मर्दन के साथ चुदवाने मे कोमल को बहुत मजा आ रहा था वह एक बार झड़ चुकी थी,,, थोड़ी ही देर में दोनों अपने चरम सुख के करीब पहुंचने लगे,,, कमर की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,रघु को एहसास हो गया कि कोमल का पानी निकलने वाला है इसलिए वह दोनों हाथ उसके नीचे पीठ की तरफ डालकर उसे कसकर अपनी बाहों में भर लिया,,, कोमल की गोल-गोल चुचियां रघु की चौड़ी छाती से दब रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी तनी हुई निप्पल भाले की नोक की तरह रघु के सीने में चुभ रही थी,, लेकिन दोनों का मजा आ रहा था मस्ती के सागर में कोमल पूरी तरह से डूब चुकी थी और वह अपने दोनों हाथ को वर्गों की पीठ पर रखकर उसकी पीठ को सहलाने लगी ,,,

सससहहहहह आहहहहह,,, रघु हमें कुछ और है ,,,,हमें कुछ हो रहा है रघु,,,,,आहहहहहह,,,,


तुम्हारा पानी निकलने वाला है मेरी जान,,,, बस देखती जाओ,,,

इतना कहने के साथ ही रघु जोर जोर से धक्के लगाने लगा बिना रुके बिना थके वह लगातार अपनी कमर हीला रहा था,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए रघु उसकी बाहों में हांफने लगा,,,, कोमल की अनुचुदी बुर रघु के मोटे तगड़े लंड से चूद चुकी थी,,,, गजब के एहसास से कोमल पूरी तरह से भर चुकी थी रघु उसे अपनी बाहों में लिए उसके ऊपर लेटा रहा,,,

थोड़ी देर बाद जब वासना का तूफान शांत हुआ तब,,,, कोमल शर्म से पानी पानी हो रही थी,,, रघु से आंख तक मिलाने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,,, जैसे तैसे करके वह रघु को अपने ऊपर से हटाई,,, और अपने नंगे पन के एहसास से वह शर्म से गडी जा रही थी,,, वह जल्दी से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े पहनने लगी,,, रघु भी अच्छी तरह से समझता था,,, इसलिए वह भी अपने कपड़े पहन लिया,,,वहां पर रुकना आप कोमल के लिए मुनासिब नहीं था इसलिए वह बिना कुछ बोले वहां से चलती बनी रास्ते भर वह रघु से एक शब्द तक नहीं बोल पाई,,,, घर पर वह समय से पहुंच गई थी उसके ससुर अभी घर नहीं लौटे थे,।
रघु वहां से अपने घर चला गया,,।
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कोमल के लिए यह पहला मौका था जब वह ससुराल में आने के बाद पहली बार घर से बाहर निकल रही थी खुली हवा में सांस लेने के लिए,,, और किसी गैर जवान लड़के के साथ,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई देखना नहीं और यह भी चिंता सताए जा रही थी कहीं वो उसके ससुर जल्दी घर पर वापस ना जाए लेकिन फिर भी मन के किसी कोने में उसे अपने ससुर की बिल्कुल भी ठीक नहीं थी क्योंकि जिस तरह की हरकत उसके ससुर उसके साथ कर रहे थे और जिस तरह की बातें उसने रघु के मुंह से सुनी थी उसको लेकर वह अपने ससुर से बिल्कुल भी शर्म करना नहीं चाहती थी,,, इसलिए अपने ससुर का डर होने के बावजूद भी उसे अपने ससुर से डर नहीं लग रहा था,,, घूंघट डाले वह घर से बाहर निकल गई रघु उसे घर के पीछे के रास्ते से ले गया ताकि कोई उन दोनों को एक साथ देख ना ले,,, रघु आगे आगे चल रहा था और कोमल पीछे पीछे,,, रघु का मन ऊंचे आकाश में उड़ रहा था,,, एक बड़े घर की बहू को जो साथ घुमाने के लिए ले आया था,,,,,,

दोपहर का समय था वैसे भी इस समय कड़ी धूप होने की वजह से घर से कोई भी बाहर नहीं निकलता था लेकिन फिर भी रघु अपनी तरफ से पूरी एहतियात बरतना चाहता था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी वजह से कोमल को खरी-खोटी सुननी पड़े,,, देखते ही देखते दोनों घर से काफी दूर आ गए ऊंची नीची कच्ची पगडंडी से होते हुए दोनों गुजर रहे थे,,,कभी रघु आगे चलता तो कभी कोमल उसके पायल की छनक ने की आवाज पूरे वातावरण को और मनमोहक बना रही थी,,, रघु कोमल के पायल की खनक में पूरी तरह से अपने आप को मग्न कर चुका था,,, जब भी कोमल आगे चलती तब रघु की नजर कोमल के गोलाकार नितंबों पर टिक जाती थी जो कि कसी हुई साड़ी में बेहद आकर्षक उभार लिए निखर रही थी,,, रघु को उसके पति पर गुस्सा भी आ रहा था और अच्छा भी लग रहा था क्योंकि अगर उसका पति नकारा ना होता तो शायद इतना अच्छा सुनहरा मौका उसे आज हाथ में लगता ,, आगे-आगे चल रही कोमल की गोलाकार गांड को देखकर रघु का मन बहक रहा था,,, रघु इस सुनसान जगह का फायदा उठाना चाहता था वह कोमल की मर्जी के बिना ही उसके साथ अपनी मनमानी करना चाहता था लेकिन ऐसा करने से उसका मन रोक रहा था,,,,,। वह यही चाहता था कि कोमल अपनी मर्जी से उसका तन मन उसे न्योछावर कर दे,,, क्योंकि यह बात होगी अच्छी तरह से जानता था कि जबरदस्ती से ज्यादा मजा ,,, सहमति से आता है,,,। कोमल के मन में भी रघु के द्वारा बताई गई उसके ससुर की कहानी उसके दिमाग में घूम रही थी,,, और ऊस बात को लेकर उसके बदन में सुरूर सा छा रहा था,,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दोनों चुप्पी साधे हुए थे लेकिन रघु इस चुप्पी को तोड़ते हुए बोला,,,।


अच्छा कोमल क्या तुम्हारा घूमने का मन बिल्कुल भी नहीं करता,,,।


क्यों नहीं करता शादी से पहले मैं अपने गांव में अपने घर पर सारा दिन इधर उधर अपनी सहेलियों के साथ घूमती रहती थी नदी में नहाना पेड़ों पर चढ़ाना बेर तोड़ना आम तोड़ना,,,, यही दिन भर का काम था और शादी के बाद ससुराल में आकर सब कुछ जैसे धुंधला सा हो गया लेकिन आज तुमने मुझे फिर से बचपन का दिन याद दिला दिया,,, यह खेत खलिहान,,,, ऊंची नीची पगडंडिया ,,,बड़े-बड़े पेड़,,, यही सब तो मेरी जिंदगी थी,,, लेकिन सब कुछ छुटता चला जा रहा है,,,(इतना कहते हुए वह जैसे ही अपना अगला कदम बढ़ाए ऊंची नीची पगडंडियों पर वह अपने पैर को बराबर नहीं रख पाई और वह फिसल कर गिरने ही वाली थी कि तभी रघु अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसे झट से संभालते हुए पकड़ लिया,,,, लेकिन उसे संभालने के चक्कर में उसके दोनों हाथ कोमल की चूचियों पर पड़ गए,,, और कोमल को सहारा देने के चक्कर में उसे संभालने में रघु की हथेलियों का कसाव ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर बढ़ गया था जब तक कोमल संभल नहीं गई तब तक उसकी दोनों चूचियां ब्लाउज में होने के बावजूद भी रघु के हथेली में थी,,,, पहले तो रघु की प्राथमिकता कोमल को गिरने से बचाने में थी लेकिन जैसे उसे इस बात का एहसास हुआ किउसके दोनों हाथ उसकी चूचियों पर हैं तो वह इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था वो जाने अनजाने में ही वह ब्लाउज के ऊपर से ही कुछ सेकेंड तक कोमल की दोनों रसभरी चुचियों को दबाने के आनंद से पूरी तरह से काम बिभोर हो गया,,, लेकिन जैसे ही कोमल को अपनी छातियों पर दर्द का एहसास हुआ ,,, तो उसका ध्यान रखो की हथेलियों की तरफ गया रघु उसकी दोनों चूचियों पर अपनी हथेलियों को रखकर उस पर अपनी हथेलीयो का कसाव बनाए हुए था,,,, कोमल उसका ध्यान उसकी गलती पर दिलाती उससे पहले ही रघु उसे संभाल कर अपने दोनों हाथों को पीछे खींच चुका था,,,। कोमल को लगा कि शायद उससे अनजाने में उसे संभालने के चक्कर में हो गया था लेकिन फिर भी जिस तरह से रघु ने उसकी तो हम सूचियों को ब्लाउज के ऊपर सही दबाया था कोमल पूरी तरह से सिहर उठी थी इस तरह से उसके पति ने कभी उसकी चूचीयो को हाथ तक नहीं लगाया था इसलिए पहली बार रघु के जवान हाथों में अपनी दशहरी आम को पाकर वह पूरी तरह से रोमांचित हो उठी थी,,, दर्द तो हुआ था लेकिन उत्तेजना की सिहरन उसके पूरे बदन में दौड़ने लगी थी,,,, उसके खूबसूरत चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी थी,,,। रघु मौके की नजाकत को समझते हुए बात की दिशा को दूसरी तरफ रुख देते हुए बोला,,,।

अच्छा हुआ समय रहते में संभाल लिया वरना गिर जाती,,,


पैर फिसल गया था,,,,


आराम से रखा करो पैर,,, गिरकर चोट लग जाती तो,,,,,, तुम्हें सही सलामत ले जाना और ले आना मेरी जिम्मेदारी है,,,
(रघु कि यह बातें कोमल के कोमल मन पर फूल बरसा रहे थे रघु की बातें उसे अपनेपन का एहसास दिला रही थी,,, इस तरह से एक पति क्या लगता है और बोलता है,,,, ना जाने क्यों रघु की बातें सुनकर कोमल को रघु से अपनेपन का एहसास हो रहा था,,,, वह शर्म के मारे नजरें झुकाए हुए ही बोली,,,।)

तुम हो तभी तो मुझे किसी बात की चिंता नहीं है,,,,

(कोमल के कहने के अंदाज़ का रघु पूरी तरह से कायल हो गया उसे भी कोमल से अपनेपन का एहसास हो रहा था,,,वह मन ही मन खुश हो रहा था,,, और दूर हाथ दिखाते हुए रघु बोला,,,)

वह दिखाई दे रहा है तुम्हारे आम का बगीचा,,,(इतना कहते हुए रघु एक बार फिर से कोमल की छातियों की तरफ घूर कर देखते हुए बोला इस बार कोमल रघु की नजरों की वजह से शर्म से पानी पानी होने लगी,,, लेकिन अनजान बनने का नाटक करते हुए बगीचे की तरफ देख कर बोली,,,)


वाह,,, रघु तुम मुझे बहुत ही अच्छी जगह लेकर आए हो मैं बता नहीं सकती कि मैं कितनी खुश हूं,,,,(कोमल के चेहरे से ही इस बात का आभास हो रहा था कि यहां पर आकर कोमल बहुत खुश थी शायद खेत खलियान बाग बगीचे नदिया तालाब यह सब कोमल की जिंदगी का अहम हिस्सा था जिससे वह बिछड़ती चली जा रही थी,,,दोनों वहीं खड़े बगीचे की तरफ देख रहे थे चारों तरफ बड़े-बड़े आम के पेड़ एकदम घना जंगल की तरह लग रहा था चारों तरफ खेत लहलहा रहे थे,,,, दूर दूर तक आदमी का नामो निशान नहीं था,,, तभी रघुवह पुराना घर दिखाते हुए बोला जहां पर वह लाला को पहली बार गांव की औरत के साथ संभोग का आनंद लूटते हुए देखा था,,,)

देखो कोमल वह घर दिखाई दे रहा है ना,,, वो वही घर है जिसमें लाला गांव की औरत की चुदाई कर रहा था,,,( चुदाई शब्द सुनकर कोमल के तन बदन में हलचल सी होने लगी और रघु ने यह सब्द जानबूझकर बोला था,,,रघु की बात सुनकर कोमल पूरी कुछ नहीं बस उसी दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा दिया और पीछे पीछे रघु उसकी गोलाकार गांड को मटकते हुए देखकर गर्म आहे भरता हुआ वह भी उसके पीछे-पीछे चलने लगा,,, कोमल की मटकती गांड देखकर रघु का लंड अकड़ रहा था,, कोमल भी बहुत खुश थी और अजीब सा सुरूर तन बदन को अपनी आगोश में लिए हुए था,,, ठंडी ठंडी हवा चल रही थी बड़े बड़े घने पेड़ होने की वजह से धूप बिल्कुल भी नहीं लग रही थी,,, थोड़ी ही देर में रघु उस घर का दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश करने लगा चारों तरफ धूल मिट्टी नजर आ रही थी और बीच में वह बिस्तर पड़ा हुआ था जिस पर दो तकिया और बिछौना लपेटा हुआ था रघु समझ गया था कि लाला इस बगीचे में बने घर का उपयोग किस काम के लिए करता था,,, और रघु यही बात अपने अंदाज में कोमल को बताते हुए बोला,,,।

कोमल इस खंडहर नुमा घर में बड़े सलीके से रखा हुआ इस बिस्तर का मतलब समझ रही हो,,,,, लाला आए दिन यहां पर नई नई औरतों को लाकर उसकी चुदाई करता था,,,(कोमल की तरफ से किसी भी प्रकार का जवाब सुने बिना ही वह बोला,,,, रघु की बात सुनकर कोमल के तन बदन में कुछ कुछ होने लगा था,,, रघु बेझिझक चुदाई की बातें कर रहा था और इस तरह की अश्लील बातें करते समय उसके चेहरे पर जरा भी घबराहट या शर्म नजर नहीं आ रही थी ,,। रघु बहुत ही रुचि लेकर उसे सब कुछ बता रहा था,,)

कोमल मैं उस खिड़की से देख रहा था ( सामने की खिड़की की तरफ इशारा करते हुए बोला) खिड़की के बाहर जो आम का पेड़ नजर आ रहा है ना मैं उसी पर चढ़ा हुआ था और उस खिड़की में से मैंने जो देखा,,, वही मैं तुम्हें बता रहा हूं,,, यही विस्तर था,,,, इसी पर वह औरत अपनी दोनों टांगे फैला कर लेटी हुई थी ,,,, और लाला उसकी बुर चाट रहे थे,,,,(बुर चाटने वाली बात सुनकर कोमल एकदम शर्म से पानी पानी हो गई वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,) मुझे साफ साफ नजर आ रहा था लाला उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए अपना लंड उसकी बुर में पेल रहे थे,,,,(रघु की बातें कोमल की दोनों टांगों के बीच चिकोटी काटती हुई महसूस हो रही थी,,,। कोमल को अपनी बुर के अंदर अजीब सी गुदगुदी होती हुई महसूस हो रही थी,,,। रघु की बातें उसके तन बदन में सुरूर पैदा कर रही थी,,, रघु की बातें वह कल्पनातीत कर रही थी,,, वह अपने मन में ही उस नजारे के बारे में सोच रही थी कल्पना कर रही थी कि कैसे उस बिस्तर पर सारा दृश्य खेला गया होगा वह अपनी कल्पना में साफ तौर पर देख पा रही थी उस गांव वाली औरत को जिसे वह जानती तक नहीं थी वह बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसके ससुर अपने हाथों से उसकी टांगे फैला रहे थे और देते देते उसके ससुर से दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर अपना मुंह रखकर उसकी बुर चाटना शुरू कर दिए थे,,,, कोमल अपनी सांसो को गहरी होती हुई महसूस कर रही थी जब वह कल्पना में अपने ससुर को उस औरत को चोदते हुए पाती है,,,, कल्पना में उसकी निगाहें अपने ससुर के कमर पर टिकी हुई थी जो कि बड़ी तेजी से आगे पीछे हो रही थी,,,, और उस औरत के चेहरे पर जो उसके ससुर के हर धक्के पर मदहोश हो जा रही थी,,,, उस औरत की बुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा उसके ससुर का लंड उसे कल्पना में साफ नजर आ रहा था,,,।
उस दृश्य को कल्पना करके कोमल खुद मदहोश हो जा रही थी,, वह अपने आप को कमजोर होती हुई महसूस कर रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं रघु की बातों से उन्मादक स्थिति में आकर वह भी उसी बिस्तर पर रघु के साथ हमबिस्तर ना हो जाए इसलिए वो जल्द से जल्द इस खंडहर नुमा घर से बाहर निकलना चाहती थी इसलिए वह रघु की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

हमें यकीन नहीं हो रहा है कि हमारा ससुर इतना गंदा इंसान हैं,,, हमें तो अब शर्म आने लगी है उसे अपना ससुर कहते हुए,,,,छी,,,,,, इस घर में एक पल भी करना हमारे लिए मुश्किल हो रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह उस खंडहर नुमा घर से बाहर निकल गई,,,। और रघु भी उसके पीछे-पीछे बाहर आ गया अपनी बातों को कहकर और कोमल की उपस्थिति में वो काफी उत्तेजित हो चुका था जिससे उसके पजामे में तंबू सा बन गया था जिसे वह अपनी हथेली से बार-बार कोमल की नजरों से बचा रहा था लेकिन कोमल की नजर उसके पजामे के अग्रभाग पर पहुंच ही गई और वहां पर बने तंबू को देखकर उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी,,,, और कोमल इधर-उधर बड़े-बड़े आम के पेड़ को देखने लगी जिस पर आम लदे हुए थे,,।)


रघु वो देखो कितने बड़े बड़े आम है,,, मुझे आप बहुत पसंद है,,,।

मुझे भी कोमल,,,(रघु कोमल की छातियों की तरफ देखते हुए बोला,,, एक बार फिर से रघु की नजरों से कोमल शर्म से पानी पानी हो गई,,,)

तुम तोड़कर लेकर आओ,,, हमे आम खाना है,,,,


बस इतनी सी बात अभी तोडकर लाया,,,,(इतना कहते हुए वह तुरंत पेड़ पर चढ़ने की तैयारी करने लगा और जैसे ही अपने पैर को पेड़ पर रखा जैसे ही वह कोमल की तरफ देखते हूए बोला)

कोमल तुम्हें भी तो पेड़ों पर चढ़ना अच्छा लगता था ना तो क्यों ना आज अपने मन की मुराद पूरी कर लो एक बार फिर से अपना बचपन जी लो,,,


नहीं नहीं अब हमसे नहीं होगा,,,


क्यों नहीं होगा,,,, होगा जरूर होगा,,,,, तुम कोशिश तो करो,,,, मैं भी तुमको पेड़ पर चढ़ते हुए देखना चाहता हूं क्योंकि मैंने आज तक किसी औरत को साड़ी पहनकर पेड़ पर चढ़ते नहीं देखा,,,, हां लड़कियों को देखा हुं,,,,
(रघु की बात कोमल बड़े ध्यान से सुन रही थी उसे लग रहा था कि जैसे रघु यह देखना चाह रहा था कि उसे पेड़ पर चढ़ना आता है या नहीं इसलिए कोमल को थोड़ा गुस्सा आ गया और वह बोली)


अच्छा तो तुम यह देखना चाहते हो कि हम पेड़ पर चढ़ पाते हैं कि नहीं,,,, तुम्हें हमारी कही गई बात सब झूठ लग रही है ना तो अभी हम दिखाते हैं,,,, रुक जाओ,,,,(इतना कहकर कॉमर्स अपनी साड़ी को पीछे से पकड़ कर उसे ऊपर उठाते हुए अपनी कमर में खोंस ली,,,, यह देख कर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी जिससे वह अपनी साड़ी को पकड़कर उठाते हुए अपनी कमर में खुशी थी उसकी यह अदा रघु के दिल पर छुरिया चला रही थी,,, रघु का लंड उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी को सलामी भर रहा था,,,, कोमल पूरी तैयारी के साथ पेड़ पर चढ़ना शुरू कर दी,,,, दोनों हाथों से पेड़ को पकड़ कर उस पर पांव रखकर चढ़ने की कोशिश करने लगी,,,, रघु के मन में कुछ और चल रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था बस बस इंतजार कर रहा था कि कब कोमल पेड़ पर चढ़ जाए,,,पेड़ पर चढ़ते समय किस तरह से अपना बैलेंस बना रही थी उससे उसकी गोलाकार नितंब कुछ ज्यादा ही उभर कर आंखों में चमक पैदा कर रही थी,,,,रघु का मन कर रहा था कि पीछे से जाकर उसे अपनी बाहों में भर ले और उसकी गोल गोल गांड पर अपना लंड रगड़ दे,,,। रघु वही खड़ा गरम आहे भर रहा था,,, कोमल जैसे तैसे करके पेड़ पर चढ़ने लगी,,, तीन चार फीट चढ़ने के बाद उसे थोड़ा मुश्किल होने लगी तो वह रघु की तरफ देखते हूए बोली,,,।

थोड़ा मदद करोगे बहुत दिन गुजर गए पेड़ पर चढ़े इसलिए थोड़ी दिक्कत हो रही है,,,


कोई बात नहीं तुम्हारी मदद करने के लिए तो मैं हमेशा तैयार हूं,,,,(इतना कहते हुए रघु आगे बढ़ा और कोमल को पीछे से सहारा देते हुए उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, कोमल धीरे-धीरे ऊपर चढ़ने लगी लेकिन थोड़ी ऊंचाई पर और पहुंचने के बाद उसे थोड़ी और दिक्कत होने लगी रघु उसकी टांग पकड़ कर उसे ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था लेकिन ठीक से उठा नहीं पा रहा था,,,, तो कोमल ही बोली,,,)

क्या कर रहे हो रघु ,,, हट्टे कट्टे जवान हो लेकिन मुझे नहीं उठा पा रहे हो,,,,
(कोमल की बात सुनकर रघु एकदम तेश में आ गया और बोला,,)

उठाने को तो मैं तुम्हें अपनी गोद में उठाकर इधर उधर भाग सकता हूं लेकिन तुम्हारा बदन छुने में मुझे डर लगता है कि कहीं तुम मुझे डांट ना दो,,,,


अरे नहीं डाटुंगी,,,, तुम बताओ मुझे,,,,
(कोमल की इतनी सी बात सुनते ही रघु एकदम से उत्तेजित होता हुआ उसे सहारा देकर ऊपर उठाते हुए सीधे सीधे उसकी गांड को अपनी हथेली से सहारा देकर ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, धीरे-धीरे कोमल ऊपर की तरफ बढ़ रही थी और रघु उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, और देखते ही देखते रघुकोमल की बड़ी बड़ी गोल-गोल कांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर और जोर लगाते हुए उसे ऊपर की तरफ ऊठाने लगा,,,कोमल को इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि रघु उसकी गांड पकड़कर उसे ऊपर उठाएगा इसलिए वह उसे ना डांटने के लिए बोल चुकी थी,,, कोमल के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी क्योंकि यह दूसरी बार था जब गैर मर्द के हाथों में उसकी चूची के साथ-साथ उसकी गांड भी आ चुकी थी जिसे वह जोर से अपनी हथेली में दबोचे हुए उसे ऊपर उठा रहा था,,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था लेकिन अपने वादे के मुताबिक वह बिल्कुल भी ऐतराज ना जताते हुए पेड़ पर चल रही थी लेकिन अजीब सी कशमकश से गुजर भी रही थी क्योंकि उसे तो अंदाजा भी नहीं था कि रघु इस तरह की हरकत करेगा,,,, कोमल जानबूझकर यह जताना चाहती थी कि उसे रघु की हरकत के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं है,,, और वह देखते ही देखते पेड़ पर चढ़ गई,,,, रघु नीचे ही खड़ा था,,, जहां से कोमल एकदम साफ नजर आ रही थी,,, और बिल्कुल साफ तौर पर नजर आ रही थी उसकी साड़ी के अंदर छिपा हुआ उसका खजाना,,, उसका बेहद खूबसूरत बेशकीमती गांड,,,,,आहहहहहहहहहह,,,, देख कर ही रघु के मुंह से गरम आह निकल गई,,, क्या खूबसूरत नजारा था,,,, बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ,,, जिस डाली पर कोमल चढ़ी हुई थी ठीक उसी डाली के नीचे रघु खड़ा था और साड़ी के अंदर से झलकता हुआ उसका बेशकीमती खजाने को देखकर मस्त हुआ जा रहा था,,,,,,, साड़ी के अंदर रघु को सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, उसकी गोलाकार तरबूज जेसी गांड की दोनों फांकों के बीच की गहरी पतली दरार,,,सससहहहहहह,,,,,आहहहहहहहहह,,,,,देख देख कर ही रघु के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,,,, हालांकि उसे कोमल की गुलाबी पुर नजर नहीं आ रही थी लेकिन पुरानी जगह से हल्के हल्के रेशमी बाल फांकों के बीच से बाहर निकले हुए नजर आ रहे थे,,, रेशमी बाल के गुच्छे को देखकर अनुभवी रघु इस बात का अंदाजा लग गया कि यह रेशमी बाल कोमल के झांट के बाल हैं उसकी बुर पर रेशमी बालों का झुरमुट है,,,,,,, यह एहसास रघु के लंड के अकड़ पन को और ज्यादा बढ़ावा देने लगा,,,, रघु की आंखें सब कुछ साफ देख रही थी,, क्योंकि पहले के जमाने की औरतें कच्छी नहीं पहनती थी,,,इस बात से बेखबर कि नीचे खड़ा रघु उसके बेशकीमती खजाने को देख कर मजा ले रहा है वह आम तोड़ने में ही मस्त हो गई,,, कोमल जो हम अच्छा लगता था उसे तोड़कर नीचे गिरा दे रही थी,,,, कोमल को आम तोड़ता हुआ देख कर रघु को और ज्यादा उत्तेजना का आभास हो रहा था,,,रघु जानबूझकर उसे दूर दूर के आम दिखा रहा था ताकि वह एक दूसरे डाली पर अपने पांव फैला कर रखें और उसे कोमल की टांगों के बीच का खूबसूरत हिस्सा साफ साफ नजर आने लगे और ऐसा हो भी रहा था,,,, रघु का लंड पूरी तरह से टनटनाकर खड़ा हो गया था,,, बेहद मादक दृश्य देखकर रघु को इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पानी ना फेंक दे,,, तभी एक और बड़े आम को तोड़ने के लिए कोमल अपना पैर दूसरी डाली पर रख दी,,, और नीचे देखते हुए रघु से बोली,,,


कौन सा ये वाला आम,,,,(ना कहते हुए जैसे ही हो और उसकी नजरों कै सीधान को समझी,,, वह तो तुरंत शर्म से पानी पानी हो गई,,, उसे समझ में आ गया कि रखो नीचे खड़ा होकर उसकी साडी के अंदर झांक रहा है,,,, दोनों पैर को एक दूसरी डाली पर फैला कर रखी हुई थी और उसे समझ में आ गया था कि जिस स्थिति में वह खड़ी थी नीचे खड़ा रघु उसकी साड़ी के अंदर से सब कुछ देख रहा होगा,,, कोमल को समझ में आ गया कि वह किस लिए उसे पेड़ पर चढ़ने के लिए बोला था,,,। उसे शर्म आ रही थी और वह बिना हम थोड़े यह बोलते हुए उतरने लगी की,,,)

बस इतना बहुत हो गया,,,,(और यह कहते हुए वह नीचे उतर गई नीचे उतर कर वह ठीक से रघु से नजरें नहीं मिला पा रही थी,,,। वह अपने मन में यही सोच सोच कर शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी कि रघु नीचे खड़ा उसके गुप्त‌अंगो को देख लिया होगा,,)

दो चार और तोड़ दी होती तो,,,,


नहीं नहीं बस इतना काफी है,,,,,
(इतना कहते हुए वह वहीं पर पेड़ की छाया के नीचे बैठ गई और कच्चे आम को दांतों से काट कर खाने लगी,,, रघु से आम खाता हुआ देख कर खुश हो रहा था आम खाते हुए उसका खूबसूरत चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था,,, कुछ देर तक दोनों वहीं बैठे रहे,,,,, अभी रघु का मन भरा नहीं था वह जिस उम्मीद से कोमल को अपने साथ लेकर आया था उसकी उम्मीद अभी पूरी नहीं हुई थी इसलिए वह बोला,,,)

कोमल तुम्हें झरना देखना है ठंडा पानी गिरता हुआ,,, ठंडे पानी में नहाने का कितना मजा आता है,,,
(झरने वाली बात सुनकर कोमल एकदम खुश हो गई,, और वहां चलने के लिए तैयार हो गई रघु उसे झरने की तरफ ले कर जाने लगा जो कि गांव से बाहर पहाड़ियों के बीच में थी,,,)
Excellent update
 
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