Sanju@
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Excellent updateकोमल की उत्सुकता झरने को देखने के लिए बढ़ती जा रही थी,,,, कुदरत के अनमोल खजाने को देखने की चाह में कोमल अपने अनमोल खजाने कि अनजाने में ही नुमाइश कर चुकी थी,,, जिसका प्रभाव रघु के ऊपर बुरी तरह से पड़ रहा था,,, जो नजारा उसने अभी-अभी कोमल की साड़ी के अंदर देखा था,,, साड़ी के अंदर की गर्माहट उसके तन बदन में महसूस हो रही थी,,,रघु संपूर्ण रूप से उसके अनमोल गुप्त खजाने के दर्शन तो नहीं कर पाया था लेकिन उसकी संरचना को भलीभांति से देख कर उसके आकार का मुआयना कर चुका था,,, ऊंची नीची पगडंडियों,,टेढ़े मेढ़े रास्तों से दोनों चले जा रहे थे चारों तरफ घनी झाड़ियां ऊंचे ऊंचे पेड़ छाए हुए थे जो की पूरी तरह से जंगल का एहसास करा रहे थे,,, बहुत साल पहले यह पूरा जंगल ही था लेकिन धीरे-धीरे मानव वसाहत की वजह से इधर से जंगली जानवर पलायन कर गए,,,।
रघु यह तो पूरा जंगल जैसा है कहीं जंगली जानवर मिल गए तो,,,,।
मिल गए तो क्या हुआ मैं हूं ना,,,, मुझ पर भरोसा नहीं है क्या,,,?
नहीं भरोसा तो बहुत है,,,, लेकिन फिर भी डर लगता है,,,,
मगर तुम्हारे साथ हूं तो तुम्हें डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,,, शेर भालू चीता मेरे होते हुए तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते,,,
यहां है क्या,,,(कोमल डरते हुए बोली)
नहीं नहीं यहां कोई भी नहीं है,,,, यह जगह पूरी तरह से सुरक्षित है,,,,
कहीं मेरे ससुर जी घर पर वापस आ गए तो,,,
मुझे नहीं लगता कि इतनी जल्दी वापस लौटेंगे,,,, अगर आ भी गए तो कोई बहाना बना देना,,,,
कौन सा बहाना,,,
अरे कोई भी बहाना औरतों के पास तो वैसे भी हजारों बहाने होते हैं,,,,,,,, लेकिन कोमल क्या सच में तुम्हारे ससुर जी तुम पर गंदी नजर रखते हैं,,,, वैसे भी मुझे उस आदमी का बिल्कुल भी भरोसा नहीं है,,,।
लगता है तुम्हें हम पर विश्वास नहीं हो रहा है,,,,
नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है तुम कह रही हो तो सच ही होगा वैसे भी उस आदमी का असली रूप में देख चुका हूं लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता कि घर की बहू पर ही वह गंदी नजर रखता है,,,
रघु तुम नहीं जानते कि हम कितनी मुसीबत में जी रहे हैं,,, वह तो किस्मत अच्छी थी कि हम बच गए हमारी इज्जत बची वरना बगीचे वाली औरत की तरह हमारी भी हालत कर देता,,,।
तो क्या तुम्हारे ससुर तुम्हें चोद देते,,,,(रघु एकदम से जानबूझकर गंदी भाषा का प्रयोग करते हुए तपाक से बोला,,, उसकी यह बात सुनकर कोमल एकदम से सन्न रह गई ,,, उसे रघु से ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि वह उसके सामने इस तरह से खुले शब्द में बोल देगा,,, कोमल इसकी सवाल का जवाब नहीं दे पाई और शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,,)
बहुत गंदे इंसान है तुम्हारे ससुर,,,,, खैर अब मैं तुम्हारी हमेशा रक्षा करूंगा,,,
(रघु कि यह विश्वास भरी बातें उसे बहुत अच्छी लगती थी,, लेकिन कभी-कभी उसके मुंह से खुले शब्द सुनकर वह अंदर ही अंदर सिहर उठती थी,,, कोमल बिना जवाब दिए आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,, मौसम बहुत सुहावना हो चुका था दोपहर का समय था लेकिन आसमान में बादल छाने लगे थे,,, हालांकि बारिश होने की कोई भी उम्मीद नजर नहीं आ रही थी लेकिन धूप बिल्कुल भी नहीं थी ठंडी ठंडी पवन बह रही थी,,,, दोनों चले जा रहे थे रघु निश्चिंत होकर उसे अपने साथ लिए जा रहा था,,,, कोमल को अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वहां किसी गैर लड़के के साथ सबकी नजरों से बचकर झरने की तरफ जा रही थी अगर यह बात किसी को पता चल जाए तो बहुत ही बदनामी हो जाए क्योंकि गांव में अक्सर इस तरह से औरतों को दूसरे लड़कों के साथ घूमने की इजाजत बिल्कुल भी नहीं थी,,, चलते हुए भी रघु अपनी आंखों को सेंक ले रहा था,,। कोमल के गोलाकार नितंब पानी भरे गुब्बारों की तरह हील डुल रहे थे,,,। और उसके हिलते हुए नितंबों को देखकर रघु का लंड पजामे में हरकत कर रहा था,,।,,, रास्ते भर कोमल यही सोच कर परेशान हो रही थी कि नीचे खड़ा रघु उसके साड़ी के अंदर झांक रहा था,,,,,, क्या उसके मन में भी वही सब चलता है जो दूसरे मर्दों के मन में चलता है,,, क्या वो भी उसके प्रति गंदे ख्याल रखता है,,, यही सब सोचकर परेशान हो रही थी लेकिन ना जाने क्यों उसे रघु की हरकत कहीं ना कहीं अच्छी भी लग रही थी,, भले ही वह सीधी-सादी बहुत ही अच्छी और संस्कारी औरत थी लेकिन, एक बात से वह भी इनकार नहीं कर सकती क्योंकि वह अंदर ही अंदर तन से प्यासी थी पति के प्यार से पैसे थी शारीरिक सुख से वंचित भी इसीलिए कहीं ना कहीं रघु की हरकतें उसे अच्छी लग रही थी उसके तन बदन में सिहरन पैदा कर रही थी,,,।
देखते ही देखते स्थान आ गया जहां पर रघु उसे लेकर आना चाहता था,,, चारों तरफ हरियाली ही हरियाली,,, पहाड़ों के बीच से नीचे गिरता हुआ झरना और झरने का पानी धीरे धीरे तालाब में इकट्ठा होना बेहद नयनरम्य दृश्य लग रहा था,,, दोनों छोटी सी टेकरी पर खड़े हो गए और सामने से पहाड़ पर से गिर रहे झरने को देखने लगे कोमल तो खुशी से फूली नहीं समा रही थी कुदरत की बेहद खूबसूरत कलाकृति उसे देखने को मिलेगी यहां पर एकदम शांति छाई हुई थी केवल झरने का शोर और पंछियों की कलबलाहट सुनाई दे रही थी,,, जो कि कानो को बेहद मधुर लग रही थी,,,,
देखो कोमल कितना खूबसूरत नजारा है,,,,
मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि इतना खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा कुदरत की बनाई हुई इतनी खूबसूरत कलाकृति होगी,,,, कसम से रघु हम यहां आकर बहुत खुश हैं,,, तुमने हमें स्वर्ग में लाकर खड़ा कर दिया है,,,, (कोमल आश्चर्य से कुदरत के उस खूबसूरत नजारे को देखती जा रही थी वह मन ही मन बहुत खुश थी,,, मौसम की बड़ा सुहाना हो चुका था एकदम ठंडी ठंडी हवा तेज चल रही हवा के साथ साथ झरने से गिरते हुए पानी की बूंदे,, उसके तन बदन मैं ठंडक भर दे रहे थे रघु के मन में तो कुछ और चल रहा था,,,, इस झरने को देख कर उसे वह बात याद आ गई जब इसी जगह पर वह अनजाने में ही अपनी बहन सालों को संपूर्ण रूप से नंगी तालाब से निकलकर भागते हुए देखा था लेकिन उस समय उसे इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि जिस लड़की को वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में देखा है वह उसकी बड़ी बहन ने,,, रघु का लंड उस वाक्ये को याद करके अंगड़ाई लेने लगा,,, उसका मन कोमल को संपूर्ण रूप से नंगी देखने को कर रहा था और इसीलिए वह कोमल से बोला,,।)
कोमल क्या तुम कभी झरने के नीचे खड़ी होकर नहाने का मजा ली हो,,,,
नहीं,,,, लेकिन मैं सच में झरने के नीचे खड़े होकर नहाने का मजा लेना चाहती हूं,,,।
तो देर किस बात की है चलो,,,,
लेकिन कपड़े,,,,, गीले हो जाएंगे तो पहन कर क्या जाएंगे,,, नहीं नहीं जाने दो,,,,(कोमल उदास मन से बोली हो झरने के नीचे खड़ी होकर ठंडे ठंडे पानी का मजा लेना चाहती थी लेकिन उसने दूसरे कपड़े भी नहीं लेकर आई थी,,,,और कपड़े गीले हो गए तो सुखेंगे भी नहीं क्योंकि धूप बिल्कुल भी नहीं थी,,, रघु को अपना काम ना बनता देख कर वह बोला,,,)
क्या करती हो कोमल तूम कितनी मुसीबत के बाद यहां पर आज तुम्हारी हो और यहां आ कर वापस लौट जाओगी अब पता नहीं इस तरह का मौका मिले या ना मिले,,, मेरी मानो आज अपने मन की इच्छा पूरी कर लो,,,,(रघु अपने मन में उठ रही उत्कंठा को अपनी जबान पर लाते हुए बोला)
मेरा मन भी कर रहा है लेकिन,,,,,(कोमल अपनी इच्छा को दबाते हुए बोली)
लेकिन क्या,,,,,?
मेरे कपड़े गीले हो गए तो,,,,
अरे गीले कैसे होंगे,,,, उन्हें उतारकर चलो ना,,,, कपड़े ही नहीं रहेंगे तो गीले कैसे होंगे,,, मैं तो जब भी यहां नहाता हूं तो कपड़े उतार कर नहाता हूं,,,,
अरे तुम तो लड़के हो तुम्हारा चलता है लेकिन हम,,,,
तो क्या हुआ तुम भी तो कपड़े उतार कर नहा सकती हो और वैसे भी यहां पर दूसरा कोई देखने वाला थोड़ी है,,,
तुम तो हो ना,,,,(तिरछी नजर से देखते हुए कोमल बोली)
अरे मैं तो तुम्हारा दोस्त हूं और दोस्त से कैसी शर्म,,,,(रघु कोमल को बहकाते हुए बोला,,,)
नहीं नहीं मुझे शर्म आती है,,,,
अरे यार शर्म कैसी,,,,,(रघु को अपना काम बिगडता हुआ नजर आ रहा था उसे लगने लगा था कि कोमल अपने कपड़े उतारने के लिए कभी भी तैयार नहीं होगी इसलिए वह बोला,,,)
अच्छा ठीक है कोमल पहले तुम नहा लो,,,, मैं अपनी नजर दूसरी तरफ करके रखता हूं तुम्हें देखूंगा भी नहीं मैं नहीं चाहता कि यहां से तुम अपना मन मार कर वापस लौटो,,,,
नहीं नहीं हमें तुम्हारा विश्वास बिल्कुल भी नहीं है,,,
ससुर नहीं हु, में तुम्हारा,,, जो मुझ पर विश्वास नहीं कर रही हो मैं एक बार बोल दिया तो बोल दिया मैं तुम्हारी,,, तरफ देखूंगा भी नहीं,,,, मुझ पर तुम्हें विश्वास तो है ना,,,,
(रघु की बात सुनकर उसे विश्वास तो नहीं हो रहा था लेकिन रघु पर थोड़ा थोड़ा भरोसा जरूर करती थी इसलिए उसकी बात मानते हो क हां मैं सिर हिला दि,,,।)
यह हुई ना बात,,,, अब जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ,,,,,(रघु जानबूझकर उसे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहा था,,,,) और झरने में जाकर नहाने का मजा लो,,,,(रघु की जल्दी से नंगी होने वाली बात सुनकर कोमल का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, बड़ा बेशर्म हो कर रघु ने यह बात कही थी,,, रघु जानबूझकर उसे अपने शब्दों के जाल में फसाना चाहता था और ऐसा हो भी रहा था रघु के मुंह से निकला हुआ एक एक अश्लील शब्द कोमल के कोमल मन पर हथौड़े की तरह वार कर रहा था,,, इस तरह के गंदे शब्द वह पहली बार सुन रही थी नंगी होने वाली बात को वह कुछ ज्यादा ही अपने मन पर ले रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि मानो कोई उससे संभोग करने के लिए उसे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहा है,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वो रखो की बात माने या ना माने झरने में नहाने की लालच से ऐसा करने से रोक भी नहीं रही थी,,, वह झरने में नहाना चाहती थी,,, अगर धूप निकली होती तो वह कपड़े पहने हुए ही झरने के नीचे नहाने लग जाती क्योंकि दो की वजह से उसके कपड़े सूख जाते हैं लेकिन धूप बिल्कुल भी नहीं थी और ऐसे नहीं कपड़ा सीखना नामुमकिन था और घर जाने पर अगर किले कपड़े में उसके ससुर उसे देख लेते तो क्या जवाब देती,,,, इसलिए वह रघु की तरफ देखी और थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।)
तुम दूसरी तरफ मुंह करके खड़े हो जाओ और कसम है तुम्हें अगर मेरी तरफ देखे तो,,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कमाल मैं अपने वादे पर अटल हूं,,,, एक बार बोल दिया तो बोल दिया,,(ऐसा कहते हुए रघु दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया और कोमल उसे देखकर धीरे-धीरे बड़े से पत्थर के पीछे जाने लगी,,, रघु का मन उत्सुकता से भरा जा रहा था,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था वह पत्थर के पीछे खड़ी होकर धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारने लगी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था साड़ी उतार कर बड़े से पत्थर के ऊपर रख दे जहां से तिरछी नजर से रघु उस पत्थर की तरफ देख रहा था उसे पत्र के पीछे खड़ी कोमल तो नहीं दिख रही थी लेकिन पत्थर के ऊपर रखी हुई साड़ी जरूर दिख रही थी जिसे देख कर उसे यकीन हो गया कि कोमल अपने कपड़े उतार रही है और साड़ी उतार कर पत्थर पर रख चुकी थी,,, ब्लाउज की बारी थी,,,, रघु उत्सुकता से तिरछी नजर से पत्थर की तरह देखे जा रहा था जहां पर थोड़ी ही देर में पत्थर पर ब्लाउज रखा गया था जिसे देखकर पजामे के अंदर रघु का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,, ब्लाउज के बटन खोलते हुए कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, मैं जानती थी कि किसी गैर मर्द की उपस्थिति में इस तरह से कपड़े उतारना गलत है लेकिन फिर भी वह जैसे किसी मोह पास में बंध चुकी थी,,,ना चाहते हुए भी अपने क्लाउड के सारे बटन खोल कर ब्लाउज को पत्थर के ऊपर रख दी थी उसके नारंगी जैसी गोल-गोल चूचियां एकदम उजागर हो गई थी हालांकि इस समय रघु की नजर उसकी चूचियों पर नहीं थी लेकिन फिर भी ब्लाऊज को देख कर ही वह कोमल की कोमल चुचियों की गोलाई के बारे में अंदाजा लगा रहा था,,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अब बारी पेटीकोट की थी,,, और अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलते समय उसे अपने अंदर एक गंदी औरत होने का एहसास हो रहा था,,,क्योंकि अपनी पेटीकोट की डोरी खोलते समय है उसे ऐसा एहसास हो रहा था कि जैसे वह किसी पराए मर्द से चुदने के लिए अपनी पेटिकोट की डोरी खोलकर नंगी होने जा रही है,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था देखते ही देखते पेटीकोट की डोरी खुलते ही कमर के इर्द-गिर्द एक असली भी पेटीकोट ढीली हो गई और ढीली होकर उसके कदमों में गिर गई,,, मानो कोमल की जवानी प्रदर्शित होने के लिए मचल रही हो पत्थर के पीछे को पूरी तरह से नंगी थी संपूर्ण नंगी गोरे-गोरे खूबसूरत बदन पर कपड़े का रेसा भी नहीं था,,,, दूध जैसा चमकता बदन खूबसूरती का गोदाम लग रहा था बदन पर चर्बी की मात्रा बिल्कुल भी नहीं थी एकदम सुडौल काया,,,, गोलाकार नारंगी जैसी चुचियां,,, केले के तने के समान चिकनी चिकनी जांघें ,,,औ दोनों टांगों के बीच उसकी पतली गहरी दरार झांट के रेशमी बालों से घीरी हुई,,, ऐसा लग रहा था कि मानो जंगल के बीच में से नदी बह रही हो,,,, बड़े पत्थर के ऊपर पेटीकोट के रखते ही,,रघु का लंड पजामे के अंदर टन टनाकर खड़ा हो गया,,,, उसे यकीन हो गया कि कोमल उसकी बातों में आ चुकी है,,, और ऊसकी बात मानकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है,,। कोमल के नंगे पन के एहसास से रघु पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबने लगा और ना चाहते हुए भी उसका हाथ पजामे के अग्रभाग पर आ गया,,,, कोमल इस तरह से पहाड़ियों के बीच अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर शर्म महसूस कर रही थी वह यहा से भाग जाना चाहती थीक्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वह जो भी कर रही है गलत कर रही है अौर इस बारे में किसी को भी पता चल गया तो वह बदनाम हो जाएगी,, लेकिन फिर भी उसका मन उसे वही रोके हुए था उसे अपने मन की करने देने के लिए उकसा रहा था,,, इसलिए वो झरने में जाने के लिए तैयार हो गई पत्थर की ओर से बाहर निकलने से पहले वह पत्थर पकड़ कर चोर नजरों से रघु की तरफ देखने लगी रघु जानता था कि कपड़े उतार कर नंगी हो जाने के बाद किसी भी समय कोमल बाहर आ सकती थी इसलिए वह अपनी नजर सामने ही किए हुए खड़ा रहा और यह देखकर कोमल के होठों पर मुस्कुराहट तैरने लगी क्योंकि उसे विश्वास हो गया कि रघु पलट कर उसकी तरफ नहीं देखेगा,,,, और पूरी तरह से विश्वास हो जाने के बाद,,, कोमल पत्थर की ओर से बाहर निकली और अपनी हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच की दरार पर रखकर पैर संभाल कर रखते हुए झरने की तरफ जाने लगी,,, उसके पायल की छन छन की आवाज से रघु को इस बात का एहसास हो रहा था कि कोमल पत्थर की ओर से बाहर आने के बाद झरने की तरफ जा रही थी इसलिए,,, रघु नजर घुमाकर कोमल को देखने लगा कोमल संपूर्ण रूप से नंगी थी,,, एकदम नंगी बिना कपड़ों की और बिना कपड़ों के भी वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, नग्नता में कोमल की खूबसूरती उसका हुस्न देखकर रघु की आंखें फटी की फटी रह गई,,,, कोमल अद्भुत खूबसूरती का खजाना थी वह झरने की तरफ जा रहे थे जिससे उसके गोलाकार नितंब आपस में रगड़ खाते हुए दाएं बाएं ऊपर नीचे हो रही थी,, और यह देख कर रघु का धैर्य जवाब दे रहा था,,। उसका मन कर रहा था कि उसके पीछे पीछे वह अभी झरने की तरफ चला जाए लेकिन वह जल्दबाजी दिखाना नहीं चाहता था क्योंकि जब उसके कहने से वह कपड़े उतार चुकी है तब तो धीरे धीरे टांग खोलने में भी उसे कोई दिक्कत नहीं होगी,,, यही सोच कर रघु अपना मन मार कर वहीं खड़ा का खड़ा रह गया,,, और कोमल धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाते हुए झरने की तरफ जा रही थी उसके लिए जिंदगी में यह पहला मौका था जब वह बिना कपड़ों के संपूर्ण रूप से नंगी होकर टहल रही थी और वह भी इस खुली जगह पर,,, उसे भी संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में घूमना कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन बदन में उत्तेजना किसिहरन भी फेल रही थी,,,, वह चलते हुए यही सोच रही थी कि रघु उसे देख तो नहीं रहा होगा,,, कोई भी इंसान अपने वादे पर पक्का तो रह सकता है लेकिन औरतों के मामले में उसका धैर्य कब जवाब दे जाए यह नहीं कहा जा सकता,,,,इसलिए और अभी के बारे में भी यही सोच रही थी कि वह उसे देख तो नहीं रहा होगा अगर देख रहा होगा तो उस समय वह उसे पूरी तरह से नंगी देख रहा होगा उसकी गोलाकार गांड ऊसे दिखाई दे रही होगी,,, अगर ऐसा है तो वह उसके नंगे बदन को देख कर क्या सोच रहा होगा क्या रघु भी वही सोच रहा होगा जो दूसरे मर्द सोचते हैं,,,यही सोचते हुए वचन की तरफ चली जा रही थी लेकिन पीछे मुड़कर देखने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी अपने मन में यह सोच रही थी कि अगर वह उसे देखता ही होगा तो वह उससे नजर कैसे मिला पाएंगी,,, मन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसका ध्यान खुद ही अपनी चुचियों पर चला गया जो कि बेहद ठोस और गोलाकार थी,,, यह तो वह अच्छी तरह से जानते थे कि ठोस नजर आने वाली चूची दबाने पर कितनी नरम-नरम होती है,,,।अपनी चुचियों की गोलाई को देख कर उसे इस बात का अफसोस होने लगा कि उसके पति ने उसे स्त्री सुख का अहसास नहीं कराया,,, यह सोचते हुए कोमल झरने के बेहद करीब पहुंच गई जहां से उसे पानी के छींटे उसके बदन पर पड़ रही थी और उसे ठंडे पन का एहसास हो रहा था,,, आज उसका सपना पूरा होनेवाला था,,, प्रकृति से उसे हमेशा से लगाव रहा था,,,, खेतों में घूमना छोटी-छोटी पहाड़ियों पर चढ़ना नदी में नहाना यह सब उसेअच्छा लगता था इसलिए तो आज झरना देखकर वह बेहद खुश हो गई थी और झरने में नहाने की लालच की वजह से ही वहएक गैर मर्द के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए तैयार हो चुकी थी और हो भी गई थी,,, देखते ही देखते कोमल झरने के नीचे पहुंच गई पहली बार जब उसके सिर पर झरने का ठंडा पानी पड़ा तो वह ठंड से सिहर गई,,, लेकिन एक झटके में उसका पूरा बदन पानी से तरबतर हो गया धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा,,,, रघु उसे देखे जा रहा था,,,
थोड़ी देर में कोमल सब कुछ भूल गई उसे यह भी याद नहीं रहा कि थोड़ी ही दूर पर एक जवान लड़का खड़ा है,,, वहां अपनी सुध बुध भूल कर झरने के पानी में नहाने का आनंद लूटने लगी उसे इस बात का भी अहसास तक नहीं हुआ कि उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं है वह निश्चिंत होकर पूरी तरह से मगन होकर नहाने का मजा लेने लगी वह अपना हाथ अपने बदन पर चारों तरफ घुमाने लगी मानो की अपने घर में बने गुसल खाने में नहा रही हो,,, उसका दोनों हाथ उसके बदन पर चारों तरफ घूम रहे थे भले ही वह उसकी गोल-गोल चूचियां हो या टांगों के बीच की पतली दरार हो,,, नितंबों पर दोनों हाथ को फेरते हुए मानो वह उस पर साबुन लगा रही हो,, जो देखकर रघु का दिमाग चकराने लगा क्योंकि जिस तरह से वह निश्चिंत होकर अपने बदन पर हाथ फेर रही थी,,, रघु यकीन नहीं कर पा रहा था किसकी आंखों के सामने कोमल ही है क्योंकि कोमल बेहद शर्मीली औरत थी,,, लेकिन इस समय कोमल का व्यवहार निश्चिंत पूर्ण और थोड़ा बेशर्मी वाला हो गया था इसमें कोमल की कोई भी गलती नहीं थी वह तो भूल चुकी थी कि वह कहां पर है कौन सी जगह पर है और किस के सामने,,, लेकिन कोमल की हरकत का मतलब रघु गलत समझने लगा उसे लगने लगा था कि शायद कोमल उसकी तरफ इशारा तो नहीं कर रही है,,,,कोमल की हरकत को देख कर रखो क्या मेरे में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी हालांकि वह पहले से ही काफी उत्तेजित हो चुका था उसे नंगी देखकर और उसकी हरकतों को देख कर तो वह मदहोश होने लगा,,,, उत्तेजना और बदन की प्यास से रघु का गला सूखता जा रहा था,,,, उससे रहा नहीं जा रहा था झरने का पानी जिस तरह से उसके कोमल खूबसूरत नंगे बदन पर फिसल रहा था,,, उसी तरह से रघु की नियत कोमल के खूबसूरत नंगे बदन को देखकर फिसल रहा था वैसे भी रघुऔरतों के मामले में कुछ ज्यादा ही लालची हो चुका खूबसूरत औरत देखते ही उसके मुंह में पानी आने लगता था लेकिन यहां तो कोमल की खूबसूरत नंगे बदन और उसकी हरकत को देख कर उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,रघु से सब्र कर पाना अब मुश्किल बजा रहा था इसलिए वह तुरंत अपने कपड़े उतारकर एकदम नंगा हो गया,,,, कोमल नहाने में मस्त थी झरने का पानी उसके खूबसूरत बदन को ठंडा कर रहा था,,,,,,, उसे तो इस बात का पता तक नहीं था कि रघु जो उसे यहां लेकर आया था जो कि उसे इस अवस्था में ना देखने का वादा किया था और उसके खूबसूरत नंगे बदन को देख कर अपना धैर्य खो बैठा है और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो चुका है,,, रघु झरने में नहा रही कोमल की तरफ आगे बढ़ता हुआ अपने लंड को हिला रहा था एक तरह से वह कोमल की बुर में अपने लंड को डालने के लिए उसे पूरी तरह से तैनात करते हुए तैयार कर रहा था,,,
रघु के लिए यह अवस्था ही ऐसी थी बिल्कुल काबू से बाहर कोमल की मदहोश जवानी रघु को पल-पल बेकाबू कर रही थी,,, देखते ही देखते गरम आहें भरते हुए रघु झरने के नीचे ना रहे कोमल के बेहद करीब पहुंच गया उसके ऊपर भी झरने का पानी गिरने लगा,,,, रघु ठीक कोमल के पीछे जाकर खड़ा हो गया उसके नितंबों पर से फिसल रही पानी की बूंदे रघु के प्यास को और ज्यादा बढ़ा रही थी उसका मन कर रहा था कि नीचे बैठ कर उसके नितंबों से गिर रही पानी की बूंदों को जीभ लगाकर चाट कर अपनी प्यास बुझा ले,,,, रघु का लंड सीधा टनटनाकर खड़ा था,। और इतना करीब था कि अगर थोड़ा सा भी कोमल पीछे होती तो रघु का लंड सीधे उसकी गांड पर स्पर्श करता ,,,, और यही हुआ भी,,,, कोमल तो अपने में मशगूल थी उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके पीछे रघु नंगा और अपने लंड को खड़ा करके खड़ा है,,,, और अचानक ही कोमल अपने घुटनों को अपने हाथ से मलने के लिए नीचे झुकी ही थी कि उसकी गांड पर कोई ठोस चीज की चुभन महसूस हुई और वह डर के मारे पीछे पलट कर देखी तो उसके होश उड़ गए पीछे रघु एकदम नंगा होकर खड़ा था उसका लंड उसकी गांड की दरार के बीचो बीच फंस चुका था,,,,,, अपने आप को संभालने के चक्कर में आगे की तरफ गिरने ही वाली थी कि तुरंत रघु अपना दोनों हाथ उसकी कमर पर रख कर उसे थाम लिया और उसी स्थिति में पकड़ लिया मानो कि जैसे किसी औरत को घोड़ी बनाकर चोद रहा हो,,,, नीचे गिरने के डर से वह पूरी तरह से सहम उठी थी,,,
उसे डर से वह निकल पाती इससे पहले ही रखो का लंड का गर्म सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों पर रगड़ खाने लगी,,,, कोमल को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि उसके बदन में यह कैसी भावना जागरूक हो रही है वह पूरी तरह से अद्भुत अहसास में डूबने लगी पल भर में ही ठंडे पानी की बौछार में भी उसका खूबसूरत गर्म बदन और भी ज्यादा गर्म होने लगा,, रघु उसी तरह से पकड़े हुए बोला,,,।
क्या करती हो कोमल अभी तो तुम नीचे गिर गई होती,,,,(ऐसा कहते हुए रघु उसकी कमर पकड़कर ऊसे ऊपर उठाने लगा,,,) मैं कहा था ना तुमसे अबसे तुम्हारी रक्षा में करूंगा,,,
(कोमल को अपनी कमर पर,, मजबूत हथेलियों का स्पर्श और उसका कसाव बेहद आनंददायक और रोमांचक लग रहा था उसे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था वो कुछ बोल नहीं पा रही थी सिर्फ उसके मुंह से इतना ही निकला,,,)
तुम यहां तुम तो वादा किए थे,,,, फिर,,,,,(कोमल रघु की आंखों में देखते हुए पूरी रही थी कि उसके होठों पर अपनी उंगली रखकर ऊसे चुप करते हुए रघु बोला,,)
कुछ मत कहो कोमल,,, तुम्हारी खूबसूरती देखकर मुझसे रहा नहीं गया बेवकूफ है तुम्हारा पति जो इतनी खूबसूरत अप्सरा जैसी पत्नी को छोड़कर दर-दर भटक रहा है अगर तुम मेरी पत्नी होती तो मे तो रात दिन तुम्हें अपनी बाहों में लेकर तुम्हें प्यार करता,,,,(ऐसा कहते हो मेरे को अपनी प्यासे होठों को कोमल के खूबसूरत गुलाबी तपते हुए होठों के करीब ले जाने लगा,,, कोमल को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था वह अपने होठों को अपने चेहरे को दूसरी तरफ फेर लेना चाहती थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई,,, ना जाने कैसी कशिश थी कि वह अपने काबू में नहीं थी,,,और देखते ही देखते रघु अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर रखकर उसे मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया,,,,,, पल भर में ही कोमल प्यासी जवानी की आग में पिघलने लगी,, वह रघु को रोकने की भी कोशिश नहीं कर रही थी,,, चुंबन होठों पर हो रहा था लेकिन सुरसुराहट टांगों के बीच की पत्नी दरार में हो रहा था,,, कोमल कुछ समझ नही पा रही थी,,। शायद उसके होठों से पहली बार कोई इस तरह की हरकत कर रहा था कोमल की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध ना होता देखकर रघु की हिम्मत बढने लगी और उसके होठों को चूसते हुए अपना एक हाथ उसकी मखमली रसभरी नारंगी पर रख दिया,, और उसे जोर से दबा दिया,,,,।
आहहहहहहह,,,,
(सिर्फ इतना ही कोमल के मुख से निकल पाया और रघु दूसरा हाथ दूसरी चूची पर रखकर दबाना शुरू कर दिया,,, कोमल के कोमल तन तन बदन में अजीब सी हलचल होना शुरू हो गई रघु शराबी की तरह कोमल के होठों से शराब के बुंदो का रसपान कर रहा था,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसका साथ दे या हट जाए,,,यह जानते हुए भी कि जो कुछ भी कहो रहा है वह गलत हो रहा है फिर भी वह अपने जिस्म के प्यास के अधीन होकर पर रखो को इनकार नहीं कर पा रही थी वह पूरी तरह से असमर्थ हो चुकी थी,,रघु पागलों की तरह उसके रसीले होंठों का रसपान करना है और दोनों हाथों से चूची को दबाते हुए अपने खड़े लंड की ठोकर उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी फुली हुई मखमली बुर के ऊपर मार रहा था,,, रघु के लंड की ठोकर अपनी बुर के ऊपर महसूस करके कोमल पूरी मदहोश हो चुकी है उसे समझ में नहीं आ रहा था उसके घुटने थरथर कांप रहे थे,,,,,,कोमल प्यासी थी शादीशुदा जिंदगी में की कुंवारी लड़की की तरह जी रही थी पति का सुख कभी प्राप्त नहीं हुआ था शारीरिक सुख क्या है इसकी परिभाषा उसे नहीं मालूम थी इसलिए रघु के प्रयास से वह पूरी तरह से काम विह्वल हो गई,,, और कुछ ही देर बाद चुंबन में वह रघु का साथ देने लगी,,, उसके होंठ अपने आप खुल चुके थे और उसके खुले हुए होठों को महसूस करके रघु फूले नहीं समा रहा था फोटो के खुलने का मतलब था कि उसकी सहमति प्राप्त हो चुकी थी और होठ खुलने के बाद टांग खुलने में ज्यादा देर नहीं लगता,,, रघु तो मदहोश होकर अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दिया ऊपर झरने का पानी और नीचे बुर से मदन रस बराबर बह रहा था,,,,,रघु को इस बात का डर था कि मदहोश होकर कहीं पांव फिसल गया तो सीधा दोनों नीचे तालाब में जाकर गिरेंगे,,, इसलिए रघुएक झटके में ही उसे अपनी गोद में उठा लिया और झरने से बाहर निकलने लगा कोमल के लिए बोलने लायक कुछ भी नहीं था ,,, रघु अच्छे से मजा लेना चाहता था इसलिए बड़े पत्थर के करीब रखे हुए कपड़ों पर उसे धीरे से बिठा दिया,,, और कोमल भीबड़े आराम से कपड़ों पर बैठ गई को पूरी तरह से नंगी थी पानी में भीगी हुई और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,, रघु भी पूरा नंगा था उसका लंड पूरी तरह से खडा हो चुका था,,,,तिरछी नजरों से शरमाते हुए कोमल उसकी दोनों टांगों के बीच निगाह डाली तो उसके खड़े लंड की मोटाई और लंबाई देखकर उसके होश उड़ गए,,, शर्मा कर घबराकर तुरंत उसकी निगाहें नीचे हो गई,,, रघु की हालत खराब हो रही थी कोमल का भीगा बदन उसकी उत्तेजना को ज्यादा बढ़ा रहा था,,, रघु से रहा नहीं जा रहा था वह जानता था कि वह कोमल के साथ जो कुछ भी करेगा कोमल पूरी तरह से मस्त हो जाएगी वरना अगर उसे अच्छा नहीं लगता तो वह उसे कब से धक्का देकर हटा दी होती,,, इसी आत्मविश्वास से वह कोमल के करीब बैठ गया उसकी दोनों टांगों को फैलाने लगा,,,।
यह क्या कर रहे हो रघु,,,,(रघु की तरफ शर्माते हुए देखकर वह बोली,,,)
तुम्हें स्त्री होने का गौरव प्राप्त कराने जा रहा हूं,,,(ऐसा कहते हुए और कोमल की दोनों टांगों को खोल दिया,,, कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर को देखकर रघु की आंखें चौंधिया गई,,,, वह कोमल की गुलाबी बुर को देखता ही रह गया कोमल की रसीली बुर को देखकर
उसे इस बात का अंदाजा लग गया कि वाकई में कोमल पूरी तरह से अनचुदी बुर की मालकिन थी,,, एक शादीशुदा औरत की कुंवारी बुर पाकर रघु खुशी से झूम उठा,,,,, उसकी गुलाबी बुर के इर्द-गिर्द रसीली बालों का झुरमुट नजर आ रहा था,,, रघु कोमल के झांट के बाल देख कर और ज्यादा उत्तेजित हो गया,,।
वाह,,,, कोमल जितनी चेहरा खूबसूरत तुम हो उतनी ही ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी दोनों टांगों के बीच यह गुलाबी बुर है,,,,(रघु एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,, और कोमल रघु के मुंह से अपनी बुर की तारीफ सुनकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई,,,, वह शर्म के मारे गड़ी जा रही थी,,, वह बुत बनकर उसी तरह से बैठी रह गई,,, रघु पागलों की तरह उसकी दोनों टांगों के बीच में नजर गड़ाए हुए उसकी गुलाबी बुर को देखे जा रहा था,,,। बेहद उत्तेजनात्मक मादकता से भरा हुआ नजारा था चारों तरफ हरियाली और पहाड़ी छाई हुई थी झरना बह रहा था,,, मौसम बहुत ही सुहावना हो चुका था और छोटी सी टेकन के पास में कपड़ों के ढेर पर खूबसूरती से भरी हुई कोमल अपनी दोनों टांगें फैलाए बैठी हुई थी,,, जो कि उसकी टांगों को रघु ने ही अपने हाथों से फैलाया था,,, रघु की हरकत की वजह से और पहली बार इस तरह के वाक्ये के बदौलतकोमल के बदन में भी सुरूर चढ़ना शुरु हो गया था जिसका असर उसे दोनों टांगों के बीच अपनी रसीली गुलाबी बुर के अंदर महसूस हो रही थी,,, उसमें से उसे अपना मदन रस बहता हुआ साथ महसूस हो रहा था,,,।
अभी दोनों के पास बहुत समय था,,, रघु इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाना चाहता था,,,वह कोमल की मदमस्त जवानी का रस पूरी तरह से निचोड़ लेना चाहता था,,, इसलिए मैं अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे उसे कोमल की मदमस्त चिकनी मोटी जांग पर रख दिया,,,कोमल पहली बार अपनी चिकनी जांघों पर मर्दाना हाथों का स्पर्श पाकर पूरी तरह से सिहर उठी और उसके मुंह से अनायास ही सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।
ससससहहहह,,,,,,,,,,
क्या हुआ कोमल,,,?(रघु जानबूझकर उसकी जान को अपनी हथेली से दबाते हुए बोला)
कककक,, कुछ नहीं,,,(कोमल घबराते हुए और शरमाते हुए हकला कर बोली)
तुम बहुत खूबसूरत हो कोमल,,, मुझे यकीन नहीं होता तो इतनी खूबसूरत औरत को छोड़कर एक आदमी भला यहां वहां क्यों भटक रहा होगा,,,(रघु अपना दूसरा हाथ भी उसकी दूसरी जांघ पर रखकर उसे सहलाते हुए बोला,,,अपने हथेलियों की हरकत का असर वाह कोमल की खूबसूरत चेहरे पर अच्छी तरह से देख रहा था,,, वह जानबूझकर कोमल को बातों में उलझा ना चाहता था,,,,) कोमल क्या तुम्हारे पति ने इस तरह से तुम्हारी खूबसूरत जांघों को अपनी हथेली से सह लाया है,,,।
(रघु को इस तरह के सवाल का जवाब अपने मुंह से देने में असमर्थ हूं इसलिए ना में सिर हिला कर जवाब दी,,)
तब तो बेवकूफ है तुम्हारा पति,,,, अगर मेरे पास ऐसी बीवी होती तो पता है मैं क्या करता,,,?(कोमल की तरफ देखकर रघु बोला)
क्या करते,,,?(कोमल शरमाते हुए बोली,,,,भाभी देखना चाहती थी कि एक आदमी अगर औरत को प्यार करता है उसे मानता है तो वह उसके साथ कैसा व्यवहार करता है,,, क्योंकि अपनी पत्नी की तरफ से उसे किसी भी तरह के व्यवहार का ना तो अंदाजा था ना तो कभी महसूस ही कर पाई थी पति की तरफ से उसे हमेशा दुख ही प्राप्त हुआ था,,)
बताऊं मैं क्या करता,,,,,( इतना कहते हुए रघु उसकी जांघों को अपनी हथेली से चलाते हुए धीरे-धीरे उसकी दोनों टांगों के बीच जाने लगा और अपने होठों को उसकी मखमली चिकनी जांघ पर रखकर उसे चूमने लगा,,, कोमल की हालत खराब हो रही थी वहरघु की बातों से और उसकी हरकत से पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी,,, वह उसकी जांघों को बेतहाशा चूम रहा था यह तो रास्ता था मंजिल तक पहुंचने के लिए और मंजिल थी उसकी गुलाबी बुर,,,, लेकिन पहले वह रास्ते का मजा ले रहा था,,, क्योंकि मंजिल से ज्यादा सफर में मजा आता है,,,, रघु दोनों हाथों की हथेलियों को उत्तेजना बस उसकी चिकनी मोटी जांघों जोर-जोर से दबाते हुए उस पर अपने होंठों से लगातार चुंबन किया जा रहा था,,, उत्तेजना के मारे कोमल की सांसे गहरी चलने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में क्या हो रहा है,,,, उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस समय झरने के करीब नंगी होकर बैठी है,,,शायद बदन की प्यास ही कुछ ऐसी होती है कि सब कुछ भुला देती है,,,। देखते ही देखते रघु का हाथ कोमल की चिकनी बुर पर चला गयाअपनी कोमल के नाजुक अंग को सहलाने लगा क्योंकि उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, अपनी बुर के ऊपर मर्दाना हाथ पडते ही वह पूरी तरह से कामोत्तेजना के सागर में डूबने लगी उसकी सांसों की गति तेज हो गई,,। कोमल मदहोश हुए जा रही थी उसका मन अपने काबू में नहीं था शायद पहली बार उसके बदन से कोई मर्द इस तरह से प्यार कर रहा था और प्यार करने पर औरतों को कैसा एहसास होता है यह भी उसे पहली बार ही हो रहा था,,, रघु कोमल की रेशमी झांटों की झुरमुटो मे धीरे-धीरे उंगली घुमाते हुए ,, ऊसकी गुलाबी बुर से खेलने लगा,,, जब जब उसकी गुलाबी छीन पर रखो की उंगली रगड़ खा जाती तब तब कोमल की सांस अटक जा रही थी,,,, रघु की उंगलियां कोमल के मदन रस में भीग चुकी थी,,, रघु अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कोमल की कोमल बदन से खेलते हुए वह मदहोश होने लगा था,,,
सससहहहहह आहहहहहहह,,,,,(रघु जब जब उसकी चिकनी मांसल जांघों को अपनी हथेली में लेकर दबाते हुए अपनी उंगली का स्पर्श उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों पर करता तब तक उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,, और उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु और ज्यादा बेचैन हो जाता,,, रघुउसके गुलाबी छेद से निकल रहे मदन रस का स्वाद लेना चाहता था इसलिए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,, रघु अपने लिए जगह बना रहा था,, वह देखते ही देखते कोमल की दोनों टांगों के बीच में आ चुका था,,, पंछियों के चहकने की आवाज झरने के पानी की मधुर आवाज के साथ साथ कोमल के मुख से रह-रहकर निकल रही गर्म सिसकारी की आवाज पूरे वातावरण में नशा घोल रहा था,,। कोमल शर्मा रही थी उसका पूरा वजूद अद्भुत एहसास की आगोश में घिर चुका था,,, देखते ही देखते रघुअपने दोनों हाथों से उसकी दोनों जांघों को पकड़कर थोड़ा सा और फैला दिया,,,, कोमल की गुलाबी बुर देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था,,, इतना बेहतरीन खूबसूरत नजारा उसने अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा हालांकि उसने अपनी जिंदगी में कई औरतों की बुर को नजर भर कर देख चुका था लेकिन जो मजा और जो नशा ऊसको कोमल की बुर में आ रहा था वह किसी की बुर नहीं आया था,,,।
कोमल अपनी नजरों को नीचे करके रघु की तरफ चोरी-छिपे देख रही थी,,, रघु की जीभ लजीज अंग देखकर लपलपा रही थी,, कोमल रघु को अपनी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर के करीब बढ़ता हुआ साफ दिखाई दे रहा था,,,।
जैसे-जैसे उसका मुंह गुलाबी बुर की तरफ़ बढ़ रहा था वैसे वैसे कोमल के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,। और कोमल कुछ समझ पाती इससे पहले ही रघु अपनी प्यासी होठों को जाटों के झुरमुटो के बीच घिरी हुई उसकी गुलाबी बुर के छेद पर रख दिया,,,,।
सहहहहहह आहहहहहहहहहह,,,,(रघु की हरकत की वजह से कोमल के मुख से बस इतना ही निकला और उसका बदन ऐंठने लगा,,,, कोमल रघु को रोक नहीं पाई क्योंकि रघु की यह हरकत कोमल के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना के साथ-साथ उसे एकदम से चुदवासी बना दिया था,,,,और जैसे ही उसने अपनी बुर के गुलाबी छेद के अंदर हल्की सी जीभ घुसती हुई महसूस की वैसे ही उत्तेजना का दबाव ना सहन कर पाने के कारण उसकी बुर से भलभला कर मदन रस बहने लगा,,,, यह कोमल के लिए अद्भुत था अतुल्य था उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि,,, उसे इस तरह के अद्भुत सुख का अहसास होगा,,, रघु का घोड़ा दौड़ चुका था,,, अब रुकने वाला नहीं था कोमल की जवानी का दीवाना का पहले ही हो चुका था बस उसके खूबसूरत बदन को भोगने का सपना देखता रहता था और आज यह सपना पूरा हो रहा था रखो पागलों की तरह उसकी गुलाबी बुर को चाट रहा था,,, मानो की बुर ना होकर मीठी खीर से भरी कटोरी हो,,,उसकी बुर से निकला मदन रस का एक एक बूंद रघु अपनी जीभ से चाट कर अपने गले के नीचे उतार रहा था,,।कोमल को अजीब लग रहा था गंदा लग रहा था क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि औरत की पेशाब वाली जगह को कोई मुंह लगाकर कैसे चाट सकता है,,,, लेकिन फिर भी ना जाने कैसी कशिश थी कि वह रघु की हरकत में पूरी तरह से खो चुकी थी उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था,,,,वह आसमान की तरफ नजर करके अपनी बुर चटाई का मजा ले रही थी,,, आसमान में उसे पंछी उड़ते हुए नजर आ रहे थे बड़ा ही मोहक दृश्य था इस तरह से खुले में संभोग से पहले संभोग रस में डूबने का अलग ही मजा था,,, रघु की सांसे भी तेजी से चल रही थी,,,वह जानता था कि उसके मोटे तगड़े लंड के लिए कोमल की गुलाबी बुर का गुलाबी छोटा सा छेद पर्याप्त नहीं है,,, इसलिए वह अपने लंड के लिए रास्ता बनाने की खातिर उसकी बुर को चाटते हुए ऊसमें अपनी एक उंगली डालना शुरू किया,,, गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में उंगली का प्रवेश,,, कोमल को अद्भुत लग रहा था और देखते ही देखते रघु अपनी एक उंगली को पूरी तरह से, कोमल की बुर में प्रवेश करा दिया,,,,एक उंगली के जाते ही उसे दर्द का एहसास हो रहा था लेकिन वह इस दर्द को सहन कर गई,,
लेकिन जैसे ही रघु अपनी दूसरी उंगली को उसकी बुर के अंदर डालना शुरू किया उसे दर्द ज्यादा होने लगा और अपना एक हाथ बढ़ा कर रघू का हाथ पकड़ कर उसे रोकने लगी,,,।
नहीं नहीं रघु हमें दर्द हो रहा है,,,
दर्द के बाद ही मजा आएगा कोमल,,,,
नहीं रहने दो हमें नहीं लगता कि हम यह दर्द सहन कर पाएंगे,,,
क्यों नहीं सहन कर पाओगी हर औरत यह दर्द सहन करती है तभी तो चुदाई का मजा लेती है,,,,
लेकिन हमसे यह नहीं हो पाएगा,,,,
(रघु समझ गया कि अगर यह दूसरी उंगली नहीं डालने दे रही है तो उसका मोटा लंड कैसे डालने देगी इसलिए उसे रास्ते पर लाना बेहद जरूरी था,,, इसलिए बिना कुछ बोले अपनी एक उंगली को ही अंदर बाहर करते हुए वह फिर से अपने होठों को उसकी गुलाबी बुर के छेद पर रख कर चाटने लगा,,,। एक बार फिर से कोमल मदहोश होने लगी उस पर खुमारी जाने लगी उसकी आंखों में नशा छाने लगा और ना चाहते हुए इस बार ना जाने कैसे उसका एक हाथ रघु के सिर पर आ गया और वह उसे उत्तेजना बस दबाने लगी,,,यह कैसे हो गया यह कोमल को भी नहीं पता चला बस वह उस पल के आनंद में खो जाना चाहती थी,,,, रघु मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी दूसरी उंगली उसकी बुर में डालना शुरू कर दिया दर्द हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,, इसलिए हल्की-हल्की दर्द से कराहते हुए,,वह मस्त होने लगी,,,। रघु देखते ही देखते उसे आनंद देते हुए अपनी दोनों ऊंगली एक साथ अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,, कोमल को मजा आने लगा वह मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी ठीक तरह से कभी लंड का साथ अपनी बुर में ना चखने के कारण रघु की दोनों उंगली से उसे दर्द हो रहा था और उसे लंड का मजा भी मिल रहा था,,,,
अब कैसा लग रहा है कोमल,,,,,
बहुत मजा आ रहा है रघु,,,,आहहहहहहह,,,, हमसे रहा नहीं जा रहा है,,,, ना जाने हमें क्या हो रहा है,,,,
क्या इस तरह से तुम्हारे पति ने तुमसे कभी प्यार नहीं किया,,,
नहीं कभी भी नहीं,,,, हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि कोई इस तरह से प्यार करता होगा,,, इससे तो पेशाब किया जाता है तुम उस पर मुंह लगाकर कैसे चाट रहे हो तुम्हें गंदा नहीं लगता,,,,(आंखों में खुमारी भरते हुए कोमल बोली ,,,)
हम हम मर्दों को यही पसंद है और सब औरतों को भी यही अच्छा लगता है,,,,
क्या सबको,,,,?(कोमल आश्चर्य से दूरी उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके साथ ही यह पहली बार ऐसा हो रहा है वह यह नहीं जानती थी कि सभी औरतों को अपनी बुर चटवाना और मर्दों को चाटना कितना पसंद है,,,)
हां सबको सभी औरतों को यह पसंद है,,,(रखो अपनी दोनों उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला और उसे इशारे से अपनी दोनों टांगों के बीच देखने के लिए इशारा करके बोला) देख रही हो और कितनी आराम से दोनों उंगली अंदर बाहर जा रही है और तुम्हें दर्द नहीं बल्कि मजा आ रहा है,,, मैं कहता था ना कि दर्द के बाद ही मजा आता है,,(कोमल भी हैरान थी वाकई में उसे पता भी नहीं चला कब और दर्द से गुजर गई और आनंद के सागर में डूबने लगी उसे मज़ा आ रहा था रघु की हरकत ऊसे और आनंद दे रही थी कोमल की शर्म धीरे-धीरे खत्म हो रही थी,,, रघु अब कोमल को चोदना चाहता था,,,। इसलिए वह अपने घुटनों के बल बैठ कर अपनी खड़े मोटे लंड को पकड़ कर हिलाते हुए बोला,,,,
देखना कोमल मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मेरे मोटे लंड को बड़े आराम से अपनी बुर के अंदर ले लोगी फिर देखना तुम्हें कितना मजा आता है,,,, तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि तुम सच में शादी शुदा जिंदगी का असली मजा कभी नहीं ले पाई हो जो अब मैं तुम्हें दूंगा,,,,।
नहीं नहीं हमे तो डर लग रहा है तुम्हारा कितना बड़ा और मोटा है,,,(कोमल आश्चर्य से रघु के मोटे तगड़े लंड को देखते हुए बोली)
कुछ नहीं होगा कोमल मुझ पर विश्वास रखो,,, मुझ पर यकीन करो,,,तुम्हें इतना मजा दूंगा कि तुम्हें लगेगा कि तुम आसमान में उड़ रही हो,,,,
(रघु की बातों से उसे भरोसा तो हो रहा था और वह उत्सुक और उतावली भी थी संभोग सुख से वाकिफ होने के लिए लेकिन उसे रघु के लंड को देखकर डर भी लग रहा था लेकिन फिर भी प्रभु जिस तरह से कह रहा था कि दर्द के बाद ही असली मजा आता है अपने मन में उस दर्द को सहने की क्षमता बढ़ा रही थी वह बोली कुछ नहीं बस रघु को देखती रह गई रघु उसकी ख़ामोशी को उसकी हामी समझकर उसके करीब बड़ा और उसे अपनी बाहों में लेकर एक बार फिर से उसके गुलाबी होठों को चूसते हुए उसकी नारंगी ओ को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया एक बार फिर से कमल के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जोर-जोर से रघु उसकी चूचियों को दबा रहा था और देखते ही देखते वह उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दियाकोमल पूरी तरह से गर्म हो गई उसके मुंह से गर्म सिसकारी निकलने लगी और उस सिसकारी को सुनकर रघु और ज्यादा चुदवासा हुआ जा रहा था,,, वह बारी-बारी से कोमल की दोनों चूचियों को पीकर उसका मजा लेने लगा,,, कोमल को मजा आ रहा था वह आनंदित हो रही थी यही मौका उसे ठीक है ना वो धीरे धीरे उसके होठों को चूसता हुआ उसे कपड़ों पर लिटा दिया और धीरे-धीरे उसकी दोनों टांगों को फैलाना शुरू कर दिया रघु उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया और अपने दोनों हाथों को उसके नितंबों के नीचे रखकर उसे थाम कर अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, दोनों की धड़कन में तेज चल रही थी सबसे ज्यादा उत्सुकता कोमल को थी क्योंकि रघु इस काम में पहले से ही माहीर था,,,,रघु का लंड लपक रहा था कोमल की बुर के अंदर जाने के लिए कोमल उत्सुकता से शर्मसार होते हुए भी अपनी दोनों टांगों के बीच नजरे गड़ाए हुए थी,,,वह देखना चाहती थी कि एक लंड बुर के अंदर किस तरह से प्रवेश करता है,,,,रघु जानता था कि शुरुआत में थोड़ी तकलीफ होगी इसलिए पहले से ही ढेर सारा थूक अपने लंड के सुपाडे पर लगाकर और उसकी बुर के गुलाबी छेद पर लगा दिया,,, जैसे ही रघु अपने लंड के सुपाड़े को कोमल की बुर के मुहाने पर रखा,,, कोमल को ऐसा लगा मानो जैसे उसकी सांसें थम गई हो,,,, उसका दिल और तेजी से धड़कने लगा और धीरे धीरे रखो अपने लंड के सुपाड़े को उसके छेद के अंदर डालना शुरू कर दिया,,,,थोड़ी दिक्कत हो रही थी लेकिन धीरे-धीरे चिकनाहट की वजह से और अपनी दो उंगली के करामत की वजह से रघु का लंड कोमल की बुर के अंदर घुस रहा था,,, रघुअपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे दिशा दिखाते हुए कोमल की बुर में डाल रहा था,,, कोमल को दर्द का एहसास हो रहा था लेकिन वह इस दर्द को भी जाना चाहती थी उसे असली सुख को महसूस करने की उत्सुकता थी और चाहती थी इसलिए वह इस दर्द की परवाह नहीं कर रही थी लेकिन फिर भी दर्द की वजह से उसके चेहरे पर के भाव पल पल पल रहे थे देखते देखते रघु का लंड का आगे वाला भाग कोमल की बुर के अंदर प्रवेश कर गया यह प्रभा के लिए बेहद प्रसन्नता की बात थी और कोमल के लिए तो यह अतुल्य सुख था,,। सुपाड़े के प्रवेश करते ही रघु रुक गया था,,,वह कोमल के चेहरे को देख रहा था और इस तरह से रघु को अपने आपको देखता हुआ पाकर कोमल एकदम से शर्मिंदा हो गई और दूसरी तरफ नजर घुमा ली,,, उसकी यह सादगी रघु को अच्छी लगी रघु अब आगे का कार्यक्रम निपटाने में लग गया धीरे-धीरे उसका लंड बुर के अंदर सरक रहा था और कोमल का दर्द बढ़ता जा रहा था,,,।
आहहहहह,,, रघु दर्द कर रहा है,,,
बस बस थोड़ा सा और,,,,
नहीं तुम्हारा बहुत मोटा है मुझे नहीं लगता घुस पाएगा,,,
मुझ पर विश्वास है कि नहीं,,,
तुम पर मुझे पूरा विश्वास है लेकिन डर लग रहा है,,,,
डर और दर्द में ज्यादा फर्क नहीं होता लेकिन दर्द के आगे ही मजा आता है यह बात मैं तुमसे पहले भी बता चुका हूं,,,,
धीरे धीरे,,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कोमल,,,,
(और इतना कहते हुए रघु आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ने लगा,,, धैर्य और हिम्मत रंग ला रही थी रघु का आनंद धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था और देखते ही देखते पूरा का पूरा कोमल की गुलाबी बुर के अंदर समा गया,,,।)
अब देखो कोमल,, तुम्हें मेरा लंड नजर आ रहा है,,,
(कोमल हैरान थी,, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था वास्तव में इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी गुलाबी बुर के छेद में मानो खो गया था,,, अद्भुत नजारा था अविश्वसनीय लेकिन कोमल के लिए रघु का तो यह रोज का था,,,।
कोमल के चेहरे पर हेरानी और आश्चर्य के भाव को रघु पढ़ चुका था,, इसलिए वहां दोनों हाथों से कमर की कमर को थाम कर अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,,कोमल की खुशी और उत्तेजना का कोई ठिकाना ना था आज बहुत खुश थी शादीशुदा जिंदगी में पहली बार उसकी चुदाई हो रही थी चुदाई का सुख औरत को कैसा महसूस होता है यह उसे पहली बार ज्ञात हो रहा था,,, उस पहाड़ियों से घिरी हुई जगह मैं कोमल की गरम सिसकारियां गुजने लगी,,। रघु की कमर लगातार आगे पीछे हो रही थी और कोमल अपनी दोनों टांगों के बीच नजर गड़ाए हुए ऊस नजारे का मजा ले रही थी,, पहली बार वह अपनी आंखों से मोटे तगड़े लंड को बुर में घुसते हुए अंदर बाहर होते हुए देख रही थी,,,,,, उसे आश्चर्य के साथ साथ मजा भी आ रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी छोटी सी बुर के छोटे से छेद में घुसकर पूरी तरह से गायब हो गई,,,,,,, कोमल के लिए यह आश्चर्य से बिल्कुल कम नहीं था,,,।
ओहहहह कोमल मेरी रानी ,,,आहहहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है कोमल रानी,,,,ऊहहहहहहह,,,, गजब की बुर है तुम्हारी एकदम कशी हुई,,,,आहहहहहहहह,,, कोमल रानी,,,,
हमें भी बहुत मजा आ रहा है,,सहहहहहह,,,आहहहहह,,, सच में रघु हमें पता नहीं था कि इस खेल में इतना मजा आता है,,,,,आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,,आहहहहहह,,(कोमल के कहते हुए जोश में आकर रघु जोर-जोर से दो चार धक्के लगा दिया,,, और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर कोमल के दोनों संतरो को अपने हाथों में थाम लिया,,,,, और उसे जोर-जोर से दबाते हुए अपनी कमर हिलाने लगा इस तरह से स्तन मर्दन के साथ चुदवाने मे कोमल को बहुत मजा आ रहा था वह एक बार झड़ चुकी थी,,, थोड़ी ही देर में दोनों अपने चरम सुख के करीब पहुंचने लगे,,, कमर की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,रघु को एहसास हो गया कि कोमल का पानी निकलने वाला है इसलिए वह दोनों हाथ उसके नीचे पीठ की तरफ डालकर उसे कसकर अपनी बाहों में भर लिया,,, कोमल की गोल-गोल चुचियां रघु की चौड़ी छाती से दब रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी तनी हुई निप्पल भाले की नोक की तरह रघु के सीने में चुभ रही थी,, लेकिन दोनों का मजा आ रहा था मस्ती के सागर में कोमल पूरी तरह से डूब चुकी थी और वह अपने दोनों हाथ को वर्गों की पीठ पर रखकर उसकी पीठ को सहलाने लगी ,,,
सससहहहहह आहहहहह,,, रघु हमें कुछ और है ,,,,हमें कुछ हो रहा है रघु,,,,,आहहहहहह,,,,
तुम्हारा पानी निकलने वाला है मेरी जान,,,, बस देखती जाओ,,,
इतना कहने के साथ ही रघु जोर जोर से धक्के लगाने लगा बिना रुके बिना थके वह लगातार अपनी कमर हीला रहा था,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए रघु उसकी बाहों में हांफने लगा,,,, कोमल की अनुचुदी बुर रघु के मोटे तगड़े लंड से चूद चुकी थी,,,, गजब के एहसास से कोमल पूरी तरह से भर चुकी थी रघु उसे अपनी बाहों में लिए उसके ऊपर लेटा रहा,,,
थोड़ी देर बाद जब वासना का तूफान शांत हुआ तब,,,, कोमल शर्म से पानी पानी हो रही थी,,, रघु से आंख तक मिलाने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,,, जैसे तैसे करके वह रघु को अपने ऊपर से हटाई,,, और अपने नंगे पन के एहसास से वह शर्म से गडी जा रही थी,,, वह जल्दी से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े पहनने लगी,,, रघु भी अच्छी तरह से समझता था,,, इसलिए वह भी अपने कपड़े पहन लिया,,,वहां पर रुकना आप कोमल के लिए मुनासिब नहीं था इसलिए वह बिना कुछ बोले वहां से चलती बनी रास्ते भर वह रघु से एक शब्द तक नहीं बोल पाई,,,, घर पर वह समय से पहुंच गई थी उसके ससुर अभी घर नहीं लौटे थे,।
रघु वहां से अपने घर चला गया,,।
बहुत ही शानदार कामुक अपडेट है