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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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रघु जमीदार की बीवी और उसकी बहू राधा तीनों जमीदार के सामने खड़े थे जहां पर जमीदार बैठकर हुक्का गुड गुडा रहा था,,, तीनों में से किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी शादी की बात करने के लिए जमीदार की बीवी जमीदार के गुस्से से अच्छी तरह से वाकिफ थी,,, राधा एकदम होने के नाते अपने ससुर के मिजाज को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, अपनी बीवी और अपनी बहू के साथ रघु को देखकर जमीदार को थोड़ी हैरानी हुई इसलिए वह बोला,,,।


क्या बात है,,,, इस तरह से तुम (रघु की तरफ नजरों से इशारा करते हुए) हमारी बीवी और बहू के साथ खड़े हो क्या कोई जरूरी बात है,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार फिर से हुक्का मुंह में लेकर गुडगुडाने लगा,,,)

हां मालिक बहुत जरूरी काम है,,,,


क्या काम है बताओ,,,,


छोटा मुंह बड़ी बात लेकिन कहना बहुत जरूरी है,,,


पहेलियां मत बुझाओ सीधे-सीधे कहो जो कहना चाहते हो,,,,(जमीदार गुस्से में बोला,,, जमीदार के लहजे को देख कर रघु भी सहम गया,, आखिरकार वो कर भी क्या सकता था जमीदार की ताकत को अच्छी तरह से पहचानता था जिसके आगे वह कुछ भी नहीं था,,, फिर भी हिम्मत इकट्ठा करते हुए बोला,,,)


मालिक में शादी की बात करने आया था,,,


किसकी शादी की बात,,,(जमीदार फिर से तेज लहजे में बोला)


वववव,,,वो,,,, छोटे मालिक की बिरजू की,,,,


बिरजू की शादी की बात करने के लिए तुम आए हो,,, औकात देखे हो अपनी,,,,



ममममम,,,, मालिक औकात की बात नहीं है प्यार मोहब्बत की बात है,,,,(घबराते हुए रघु बोला)


प्यार मोहब्बत,,,,मैं कुछ समझा नहीं मैं पहले भी कह चुका हूं कि पहेलियां मत बुझाओ सीधे-सीधे कहो,,,,


छोटे मालिक बिरजू मेरी बड़ी बहन सालु से प्यार करते हैं,,,
(इतना सुनते ही जमीदार जोर-जोर से ठहाके मार के हंसने लगा,,,, उसको हंसता हुआ देखकर तीनों एक दूसरे के चेहरे को देखने लगे,,,,)


प्यार मोहब्बत करते हैं तो क्या हुआ,,,,



मेरा मतलब है कि मालिक छोटे मालिक मेरी बड़ी बहन से शादी करना चाहते हैं और शालू भी छोटे मालिक बिरजू से प्यार करती है और शादी करना चाहती हैं,,,,



खामोश,,,, अपनी औकात में रहो,,,, मत भूलो तुम्हारी औकात दो कौड़ी की भी नहीं है,,,


मैं जानता हूं मालिक हमारे और आप में जमीन आसमान का फर्क है लेकिन प्यार मोहब्बत उच्च नीच भेदभाव दौलत शोहरत देखकर तो नहीं की जाती यह तो बस हो जाती है और वैसा ही हुआ है बिरजू जो कि इस घर के वारिश है मेरी बहन से प्यार करते हैं,,,



रघु,,,, तुम अपनी हद में रहो बार-बार प्यार मोहब्बत का नाम देकर ,,,, जमीन और आसमान को मिलाने की कोशिश मत करो,,,, शादी की बात सोचना भी नहीं,,,,


नहीं नहीं मालिक ऐसा मत करिए,,,(ऐसा कहते हुए रघु हाथ जोड़कर अपना एक कदम आगे बढ़ा दिया) हम बर्बाद हो जाएंगे आप तो दयालु हैं,,, छोटे-बड़े में आप बिल्कुल भी फर्क नहीं करते,,, इसे शादी से छोटे मालिक की खुशी जुड़ी हुई है,,,.



छोटे मालिक की खुशी किस से जुड़ी है यह फैसला करने वाले तुम कौन होते हो,,,,, जरूरी तो नहीं कि प्यार मोहब्बत हो जाए तो शादी भी हो जाए,,,, नजरों का दोष है नया खुन है,,, तुम्हारी बहन से नजरें लड़ गई होगी या यूं कह लो कि तुम्हारी बहन ही हमारे बेटे को अपने प्रेम जाल में फसाई है,,,



नहीं नहीं मालिक ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,


देखो मैं कुछ नहीं सुनना चाहता हमारे बेटे की शादी तुम्हारी बहन के साथ बिल्कुल भी नहीं होगी मैं उसके लिए लड़की ढूंढ लिया हूं और उसी के साथ शादी होगी यह हम वचन देकर आए हैं,,, और हमारा वचन पत्थर की लकीर है,,,।


ऐसा मत कहिए मालिक,,,, कुछ तो रहम करिए,,, आप ही सोचो मेरी बहन का क्या होगा,,,।


यह हम क्यों सोचें रघु,,, देखो अब मैं ज्यादा कुछ सुनना नहीं चाहता मैं तुम्हारी बहन से अपने बेटे की शादी बिल्कुल भी नहीं करा सकता,,,, इससे पहले कि मैं अपने आदमियों को बुलवाकर तुम्हें धक्के देकर बाहर निकलवा दूं तुम चले जाओ यहां से,,,
(रघु कुछ भी कर सकने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा था सबसे ज्यादा उसे अपने परिवार की बदनामी की डर लगी हुई थी और इस तरह से रघु की बेज्जती जमीदार की बीवी से बर्दाश्त नहीं हुई थी और ना ही राधा से,,, जमीदार की बीबी बीच बचाव करते हुए बोली,,,)


सुनिए ऐसा क्यों कर रहे हैं आप,,,, हमारा बेटा बिरजू इसकी बहन शालू से प्यार करता है और शादी करना चाहता है,,,, आप कर दोनों की शादी करवा देंगे तो दोनों जिंदगी भर खुश रहेंगे और यह परिवार भी हंसता खेलता रहेगा,,,।


तुम भी ईसकी बातों में आ गई,,, यह छोटे लोग हैं हमेशा बड़े लोगों को फसाने के नए-नए षड्यंत्र रचते रहते हैं,,,।


नहीं नहीं रघु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,


जी बाबू जी माजी सच कह रही है रघु बहुत सीधा लड़का है,,,(राधा बीच बचाव करते हुए बोली)

चुप,,, हरामजादी,,,, तेरी इतनी हिम्मत हो गई कि तू हमारे सामने बोल रही है,,, अभी तक इस घर को एक बच्चा तक नहीं दे सकी और बीच में बोलकर इस घर की बहू होने का फर्ज निभा रही है पहले इस घर को एक चिराग दें तब बोलने का अधिकार होगा तुझे,,,,(राधा को इस तरह से बीच में बोलता हुआ देखकर जमीदार एकदम गुस्से में आ गया था क्योंकि आज तक रहा था उसके सामने एक शब्द तक नहीं बोल पाई थी और आज बहुत बड़े फैसले पर बहस करने के लिए अपना मुंह खोल दीजिए इसलिए जमीदार का गुस्सा उस पर फूट पड़ा यह सच था कि राधा अभी तक मां नहीं बन पाई थी और इस घर को वारिश नहीं दे पाई थी,,,अपने ससुर किस तरह की कड़वी बात सुन कर रहा था एकदम सही मीठी उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि उसके ससुर इस तरह से गिरे शब्दों में उससे बात करेंगे वह पूरी तरह से आश्चर्य में पड़ गई थी,,, जमीदार की बीवी भी हैरान थी,,, इसलिए राधा का बचाव करते हुए बोली।)


यह आप क्या कह रहे हैं राधा हमारी बहू है और एक बहू से इस तरह से बात की जाती है क्या हो गया है आपको,,,, गलती हमारे बेटे ने की और उसका गुस्सा तुम हम पर निकाल रहे हो,,,,


हमारा बेटा कौन सा हमारा बेटा जब से तुझ से शादी करके तुझे इस घर में लाया हूं तू एक भी बच्चे को जन्म दे कभी मां बन पाई तब कैसे हुआ तेरा बच्चा हो गया,,, वह मेरा बेटा है,,, तू कभी मां नहीं बन सकती इस घर को इस हवेली को एक औलाद नहीं दे सकती तुम दोनों एक जैसी हो,,, लोकसमाज और इज्जत की बात ना होती तो हम तुम दोनों को धक्का मार कर घर से निकाल देते,,, तुम दोनों इस हवेली में रहने के लायक नहीं हो,,,,
(जमीदार के मुंह से आ जाऊंगा रे बरस रहे थे आज ऐसा पहली बार हो रहा था कि जमीदार अपने आपे में बिल्कुल भी नहीं था और अनाप-शनाप बक रहा था,,, उसका यह रोग जमीदार की बीवी और उसके पाव राधा के साथ-साथ रघु भी पहली बार देख रहा था क्योंकि जब भी वह जमीदार को देखता था तो हमेशा हंसते हुए प्रसन्न होकर भी और दूसरों की मदद करते हुए देखा था इसलिए तीनों को आश्चर्य हो रहा था कि यह कैसे हो गया जमीदार पूरी तरह से गुस्से में आग बबूला था,,,, फिर भी जमीदार की बीवी से शांत करने की कोशिश करते हुए बोली,,)


आज आप शराब तो नहीं पी लिए हैं,,, यह किस तरह की बातें कर रहे हैं,,,, मैं इस घर को चिराग नहीं दे पाई क्या मैं मां नहीं बन पाई,,, कभी यह सवाल अपने आपसे किए है,,, मैं इसे घर में अपनी मर्जी से नहीं आई थी आपने मेरे बाबूजी को बहला-फुसलाकर मुझसे शादी करके इस घर में लाए हैं,,, आप में ही ताकत नहीं है बाप बनने की,,, बूढ़े हो गए हैं आप,,,बुढ़े,,,,जैसे जैसे उम्र हो रही है वैसे वैसे आपकी बुद्धि काम नहीं कर रही है,,,,अरे वीर जी उसकी बहन से प्यार करता है उससे शादी करना चाहता है और जानते हैं आपके बिरजू ने क्या किया है,,, उसकी बड़ी बहन को पेट से कर दिया है,,,, वह मा बनने वाली हैं,,, अगर यह शादी नहीं हुई तो वह मर जाएगी उसके घरवालों की बदनामी हो जाएगी,,,।


हरामजादी मुझसे जबान लडाती है,,,(ऐसा कहते हुए जमीदार कुर्सी पर से उठा और अपनी बीवी को घर पर जोरदार तमाचा मार दिया जिससे वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और नीचे गिर गई,,, रघु और राधा तुरंत उसकी और बढै और उसे संभाल कर उठाने लगे,,,, राधा के साथ साथ रघु भी घबरा गया था,,, जमीदार से इस तरह की उम्मीद तीनों को नहीं थी जमीदार की बीवी को दोनों ने संभाल कर खड़ी किया जमीदार की बीवी भी एकदम गुस्से में थी,,,।


यह शादी होकर रहेगी मैं देखती हूं कि यह शादी कैसे नहीं होती है,,,(जिस तरह से जमीदार की बीवी रघु का पक्ष ले रही थी रघु को थोड़ी बहुत आशा की किरण नजर आ रही थी उसे उम्मीद थी कि अगर बड़ी मालकिन के हाथों में सब कुछ हुआ तो यह शादी जरूर हो जाएगी,,, लेकिन जमीदार का डर भी उसे था क्योंकि जमीदार के हाथों में सत्ता थी ताकत थी सब कुछ उसके हाथों में था,,,)

यह सादी हरगीज नहीं होगी,,, ना जाने किस का पाप अपने पेट में लेकर घूम रही है,,, कुछ नहीं मिला तो बिरजू का ही नाम लगा दिया,,, तेरी बहन को इतना ही जवानी का जोश है तो कहीं और जाकर मुंह मार लेना चाहिए था,,,(जमीदार की बातें सुनकर रघु को गुस्सा आ रहा था,,, अपनी बहन की हालत का जिम्मेदार वह खुद था इसलिए कोई भी कदम उठाने से पहले वह घबरा रहा था,,, और घबराते हुए बोला,,,।)

वह पाप नहीं है मालीक प्रेम मोहब्बत का परिणाम है ईस घर का चिराग है,,, जो आपके आंगन में खेलने के लिए उत्सुक हैं,,, ऐसे मुंह मत फेरीए मालिक,,, अपना लीजिए मेरी बहन को अपनी बहू के रूप में,,,।


रघु,,,,,, तु शायद हमें ठीक से नहीं जानता,,, अगर जानता होता तो हमारे सामने इतनी बड़ी बड़ी बात बोलने की हिम्मत ना करता मैं तुझे साफ शब्दों में कह दे रहा हूं कि तेरी बहन की शादी इस घर में बिल्कुल भी नहीं हो सकती हां मैं इतना जरूर कर सकता हूं कि तेरी बहन की शादी की सारी मदद कर सकता हूं,,,,


लेकिन मालिक ऐसे में उसे अपनाएगा कौन,,, और वह बिरजू से प्यार करती है और उसके बिना जी नहीं सकती वह मर जाएगी मालिक,,,,


मर जाए इससे हमें कोई परवाह नहीं है,,,,, आइंदा अपनी बहन के साथ मेरे बेटे का नाम जोड़ने की हिम्मत मत करना और हां अगर कुछ भी ऐसी वैसी बात गांव में फैली तो तू और तेरा परिवार खुद बदनाम हो जाएगा तेरी बहन खुद बदनाम हो जाएगी क्योंकि लोग तेरी नहीं मेरी सुनेंगे,,,, तेरी बहन के पेट में किसका बच्चा है यह गांव वाले नहीं जानते हमारे एक ईसारे की देरी रहेगी और सब कुछ बर्बाद हो जाएगा,,,,,


नहीं मालिक ऐसा मत करिए,,,

हरिया,,,,, भोला,,,,,, मोहन कहां मर गए सब के सब,,,
(इतना कहना था कि पांच छः मुस्टडे हाथ में लट्ठ लिए हाजिर हो गए,,, इन सब को देख कर रघु घबरा गया,,,)

इस रघु के बच्चे को उठाकर बाहर फेंक दो और ज्यादा चु चा करे तो,,, मार मार के इसके हाथ पैर तोड़ कर इसी नहर में बहा दो,,,(इतना सुनकर रघु के साथ-साथ जमीदार की बीवी राधा भी घबरा गई,,, वो लोग तुरंत रघु को पकड़कर घर के बाहर गए गए और उसे जोर से दूर फेंक दीए,,, रघु के हाथों में चोट लग गई,,, रघु की आंखों से आंसू निकलने लगे,,, वह बेहाल हो चुका अपनी स्थिति पर रो रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था की अपनी बहन की ऐसी हालत करने में उसी का हाथ है ,,, चारों तरफ से अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था कहीं राह दिखाई दे रही थी,,, उसे लगने लगा था कि अपनी बर्बादी का फैसला हुआ खुद अपने हाथों से ही लिख चुका है,,, वह रोते हुए अपने घर की तरफ चला गया,,,।

वह तेरा रात को अपने घर पर लौटा जब उसकी बहन शालू और उसकी मां सो चुके थे,,,

दूसरी तरफ हवेली में जमीदार अभी भी पूरी तरह से गुस्से में था और वह शराब पी रहा था,,, जमीदार की बीवी अपने कमरे में अपनी किस्मत को रो रही थी,,, जमीदार की बातें सुनकर वह गुस्से में थी,,, जिस तरह से वह अपमानित हुई थी वह अपने अपमान का बदला लेना चाहती थी,,, रघुवर उसकी प्रोग्राम था के सामने उसके पति ने उस पर मार्तत्व का सवाल उठाया था एक तरह से उसे बांझ कह दिया था,, यह बात उसे अंदर तक कचोट रही थी,,, वह इतने गुस्से में थी कि उसका बस चलता तो वह खंजर को जमीदार के सीने में घोंप देती,,, लेकिन एक औरत होने के नाते उसमें इतनी ताकत नहीं थी,,,, वह अपने अपमान का बदला लेना चाहती थी उसी के बारे में सोच रही थी कि तुरंत दरवाजा भडाक की आवाज के साथ खुला,,,


हरामजादी,,,,, मादरचोद,,,,,,, मुझ पर इल्जाम लगाती है कि मैं बाप नहीं बन सकता,,, मुझमें ताकत नहीं है,,, रंडी साली कुत्तिया आज मैं तुझे अपनी ताकत दिखाता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार अपनी बीवी के बाल को पकड़कर जोर से खींचते हुए अपनी बाहों में भर लिया,,, वह छुडाने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन छुड़ा नहीं पाई,,, जमीदार शराब के नशे में पूरी तरह से गुस्से में था और अपनी मर्दानगी दिखाने पर आतुर हो चुका था,,, पूरा जबरदस्ती अपनी बीवी के ब्लाउज खोलने की जगह उसे दोनों हाथों से पकड़कर फाड़ दिया ब्लाउज के बटन टूट कर फर्श पर बिखर गए,,,, यह सब राधा दरवाजे की ओट के पीछे खड़ी हो कर देख रही थी जो कि अभी अभी आई थी और वह भी अपनी सास को सांत्वना देने के लिए लेकिन अंदर का नजारा कुछ और ही चल रहा था,,, ब्लाउज के पढ़ते ही उसकी दोनों खरबूजे जैसी चूचियां,,, उछल कर बाहर आ गई,,, उन चुचियों से प्यार करने की जगह जमीदार उस पर अपना गुस्सा उतारा था और उसे अपने दोनों हाथों में भर कर जोर जोर से दबा रहा था वह इतनी जोर से दबा रहा था कि जमीदार की बीवी दर्द से चिल्ला उठ रही थी,,,उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर राधा का मन पिघल रहा था वह छुड़ाने के लिए अंदर जाना चाहती थी लेकिन उसे डर लग रहा था कि किसी तरह से उसके ससुर ने अपमानित किया था इस बात का डर था कि कहीं जो है उसकी सास के साथ कर रहे हैं कहीं उसके साथ भी ना करने लगे क्योंकि वह पूरी तरह से नशे में था,,,, अगले ही पल जमीदार अपनी बीवी को बिस्तर पर घोड़ी बना दिया और तुरंत उसकी सारी पकड़कर उठाते हुए उसे कमर तक कर दिया,,, गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर जमीदार उस पर जोर जोर से तमाचा मारने लगा देखते ही देखते उसकी गोरी गोरी गांड लाल टमाटर की तरह हो गई,,, यह सब राधा से देखा नहीं जा रहा था,,, अगले ही पल जमीदार अपनी धोती खोल दिया और नंगा होकर अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में डाल कर,,, चोदना शुरू कर दिया लेकिन 5 6 धक्के में ही जमीदार जमीन चाट गया उसका पानी निकल चुका था,,,यह देखकर राधा को यकीन हो गया कि उसकी सांसे जो कुछ भी कह रही थी वह एकदम सच कह रही थी राधा वहां से अपने कमरे में चली गई,,,

जमीदार बिस्तर पर पसर गया था बेसुध होकर धोती नीचे जमीन पर बिखरी पड़ी थी,,,, और उसकी बीवी कुछ देर तक उसी तरह से घोड़ी बने रोती रही अपने कपड़ों को भी दोस्त करने की कोशिश नहीं की वो जानती थी कि दरवाजा खुला हुआ है लेकिन आज उसे किसी बात की फिक्र नहीं थी उसे अपने आप पर अपनी किस्मत पर और अपने अपमान पर रोना आ रहा था उसका बदला लेना चाहती थी,,, इसलिए दूसरे दिन रघु से मिलने की ठान ली,,,।
Raghu ki insult hui ye achha nahi laga par Raghu Thakurain aur uski bahu ko chod kar pet se kare jisko thakur paale aur Thakur ki kioi kamjoor nas Raghu ke hath aaye jisse vo kuch nahi kar paye aur Shalu ki shadi Birju se ho jaye.........
Awedome update Rohnny bhai...........
Intzaar rahega agle update ka bhai......Eagerly.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Bhai saab aagle Update ka Intzaar Hai
 

Napster

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साला ये रघू के साथ केएलपिडी हो गया
शालू की शादी बिरजू से करवाने के चक्कर में जमींदार को ही गुस्सा दिला दिया
जमीदार की बिबी और बहू राधा क्या चक्कर चलाते हैं शालू और बिरजू की शादी के लिये और अपनी बुर की आग बुझाने के लिये
जमीदार की बिबी जमीदार से किस तरह से बदला लेती हैं शायद रघू से चुदवा कर पेट से हो जाये
बहुत ही सुंदर और रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी और धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

rohnny4545

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साला ये रघू के साथ केएलपिडी हो गया
शालू की शादी बिरजू से करवाने के चक्कर में जमींदार को ही गुस्सा दिला दिया
जमीदार की बिबी और बहू राधा क्या चक्कर चलाते हैं शालू और बिरजू की शादी के लिये और अपनी बुर की आग बुझाने के लिये
जमीदार की बिबी जमीदार से किस तरह से बदला लेती हैं शायद रघू से चुदवा कर पेट से हो जाये
बहुत ही सुंदर और रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी और धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Dhanyawad dost
 

rohnny4545

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रघु का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें जिस तरह से जमीदार ने उसकी बेज्जती किया था उससे वह अंदर ही अंदर क्रोध से जल रहा था वह जमीदार से बदला लेना चाहता था,, लेकिन उससे भी पहले जरूरी था अपनी बड़ी बहन की शादी और वह भी जमीदार के ही घर में,,, रघु बेशक जमीदार के आगे कमजोर था क्योंकि वह अकेले जमीदार से लड़ नहीं सकता था लेकिन फिर भी वह अपने आप पर आ जाता तो जमीदार को धूल चटा सकता था लेकिन ऐसा करने से हो सकता था की बाजी पूरी तरह से जमीदार के हाथ में चली जाए क्योंकि उसकी बहन गर्भवती है यह बात उसे भी पता चल चुकी थी और अपने ऊपर किसी भी खतरे को भांप कर,, जमीदार उसकी बहन को बदनाम कर सकता था और ऐसा रघु बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,

जमीदार के घर पर क्या हुआ इस बारे में उसने अभी तक अपनी मां से बिल्कुल भी बात नहीं किया था वह अपनी मां को किसी भी हाल में चिंता में नहीं डालना चाहता था,,,रघु किसी भी तरह से अपनी बहन की शादी बिरजू से करवाना चाहता था वो भी इसलिए नहीं की बिरजू और सालु एक दूसरे से प्यार करते थे बल्कि इसलिए कि शालू गर्भवती हो चुकी थी ऐसे में बिरजू से शादी करवाने में ही उसकी और उसके खानदान की भलाई थी क्योंकि शालू बिरजू के साथ शारीरिक संबंध बना चुकी थी,,, लेकिन जमीदार ने मुश्किल पैदा कर दिया था,,, वह किसी भी हाल में यह शादी होने नहीं देना चाहता था,,,, रघु जमीदार के गुस्से को देख चुका था जिस तरह से वह अपनी बीवी को तमाचा मार कर और उसे भला बुरा बोल कर अपनी बहू तक को नहीं छोड़ा इस बात से रघु समझ गया था कि जमीदार शालू की शादी अपने बेटे बिरजू से करने के लिए कभी तैयार नहीं होगा,,,।


जमीदार की बीवी और उसकी बहू रघु से मिलने के लिए उसके पास पहुंच गए लेकिन जब घर के भी उसके घर पर नहीं गई क्योंकि वह जानती थी कि उसका उसके घर पर जाना यह बात जमीदार को पता चल सकती है,,, इसलिए रघु के खेतों में ही मुलाकात करना उचित समझकर,,, जमीदार की बीवी रघु को खेत में बुला ली,,,,,, रघु भी खबर मिलते ही खेत पर पहुंच गया,,,,

रघु के खेत में बीचोबीच घास फूस की झोपड़ी बनी हुई थी और नीम का पेड़ लगा हुआ था जिसके छाया मे जमीदार की बीवी और उसकी बहू राधा बैठी हुई थी,,,, वहां पर पहुंचते ही,,,


क्या बात है बड़ी मालकीन,,,, इधर खेतों में एकाएक क्यों बुला ली,,,(कोई और समय होता तो रघु को ऐसा ही लगता कि चौकीदार की बीवी चुदवाने के लिए खेत में बुला रही है,,, लेकिन अभी हालात बिल्कुल भी ऐसे नहीं थे कि शारीरिक संबंध बनाया जाए क्योंकि,, जमीदार ने अपनी बीवी का बुरी तरह से अपमान किया था और मारा भी था,,। ऐसे में बिल्कुल भी नहीं था कि जमीदार की बीवी खेतों में रघु से शारीरिक संबंध बनाने के उद्देश्य से आई हो,,)

रघु कल जो कुछ भी हुआ उसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,

मुझे भी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी जिस तरह से बाबूजी ने मेरा अपमान किया है मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी,,, मैं मां नहीं बन सकती इसका जिम्मेदार उनका ही बेटा है इसमें मेरा क्या कसूर है,,,(इतना कहते हुए राधा की आंखों में आंसू भर आए)

सब ठीक हो जाएगा बहु तुम चिंता मत करो,,,, रघु तुमने तो देख ही लिया क्योंकि वह बिल्कुल भी मानने वाले नहीं हैं,,, हम लोगों ने बहुत कोशिश की लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं निकल पाया बेइज्जती हुई सो अलग,,,।


लेकिन मालकीन अब ,,, अब हमारा क्या होगा हम लोग तो कहीं के नहीं रह जाएंगे,,,, शालू के पेट में बिरजू का बच्चा पड़ रहा है आज नहीं तो कल यह जमाने को पता चल जाएगा फिर सोचो क्या होगा आप लोगों का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा,,,, लेकिन हम लोग कहीं के नहीं रह जाएंगे,,,। शालू की शादी जमीदार बिरजू से कभी नहीं होने देगा,,।


होने देगा और ऐसा होकर रहेगा लेकिन इसमें मुझे तुम्हारी मदद चाहिए अगर मेरी मदद करने का हौसला रखते हो तो अपनी माथे से यह कलंक भी मिटा सकते हो वरना कुछ नहीं हो पाएगा,,,



मैं कुछ भी करने को तैयार हूं मालकिन,,,,,


देखो बिरजू यह इतना आसान नहीं है जितना कि कहने में लग रहा है मैं जमीदार को रास्ते से हटाने की बात कर रही हूं,,,।


क्या,,,,?(रघु एकदम से चौक ते हुए बोला जमीदार की बीवी की बात सुनकर उसकी बहू राधा भी चौक गई)


हां जो तूम सुन रहे हो,, मैं बिल्कुल सच कह रही हु ऐसा ही करना होगा तभी जाकर सालु कि शादी बिरजू से हो पाएगी और उसके माथे का कलंक भी मिट पाएगा वरना सब कुछ अनर्थ हो जाएगा रघु,,, फैसला तुम्हारे हाथों में है,,,।


बडी मालकिन जरा ठीक से सोच लो अपने सिंदूर का सौदा कर रही हो,,,


मैं उसे अब अपना पति बिल्कुल भी नहीं मानती,,जब वह मुझे अपनी पत्नी नहीं मानता नहीं मुझे इज्जत देता है ना मेरी बात मानता है और ना मुझे फैसला करने का हक है तो मैं किस रिश्ते से उसकी पत्नी हूं वापस मुझे अपनी जरूरत पूरी करने के लिए रखा है,,,


लेकिन ऐसा करने में खतरा है,,, कहीं हम पकड़े गए तो,,,


ऐसा कुछ भी नहीं होगा मैं तुम्हें सब बताती हूं कैसे कर रहा है लेकिन तुम्हें पीछे नहीं हटना है अगर ऐसा हुआ तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा तुम्हारे बहन का भविष्य तुम्हारे हाथों में है,,,,


मैं पीछे नहीं हटूंगा मालकिन मुझे भी अपने अपमान का बदला लेना है जमीदार ने मेरी बहुत बेज्जती की,,,,



हां तो तुम्हें वैसा ही करना होगा जैसा मैं कहती हूं तुम्हारा बदला भी पूरा हो जाएगा मेरा भी और तुम्हारी बहन की शादी में मेरे घर में हो जाएगी वह राज करेगी राज,,,,



हां रघु मां जी ठीक कह रही है,,, और तो और तुम्हारी बहन की शादी हो हमारे घर में हो जाने से तुम्हारा आना जाना भी बराबर बना रहेगा और जमीदार के ना रहने पर तो किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी,,,,
(रघु को सास बहू दोनों की बातें उचित लग रही थी सबसे ज्यादा जरूरी बात थी शालू की शादी और जिस तरह से मालकिन कह रही थी उसी तरह से ठाकुर को ठिकाने लगा देने के बाद उसकी बहन की शादी धाम धूम से उस घर में हो जाएगी,,,, कुछ देर सोचने के बाद रघु बोला,,,)


ठीक है मैं तैयार हूं लेकिन करना कब है,,,?


कल ही एकदम सुबह जब सूरज निकलता है उसके पहले ही क्योंकि उस समय जमींदार टहलने के लिएखेतों की तरफ जाती है और उस समय उनके साथ कोई भी आदमी नहीं होता वह बिल्कुल अकेले होते हैं,,, और वही मौका एकदम ठीक है अंधेरे का फायदा उठाकर तुम जमीदार को मार सकते हो,,,,


ठीक है मालकिन,,,आप जिस तरह से कह रही है अगर वैसा ही हुआ तो समझ लो काम हो जाएगा,,,



वैसा ही होगा रघु,,,, अच्छा अब हम चलते हैं,,, अगर किसी को यह भनक भी लग गई कि हम दोनों ईधर आए हैं तो गजब हो जाएगा,,,(इतना कहकर बड़ी मालकिन और उसकी बहू दोनों चली गई रघु सोच में पड़ गया था की बड़ी मालकिन ऊससे हत्या करने के लिए कह रही थी,,, जिसके बारे में वह सोच भी नहीं सकता था लेकिन उसके पास कोई रास्ता भी नहीं था जान से ज्यादा इज्जत प्यारी होती है इज्जत के लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है रघु के सामने भी बस यही एक रास्ता नजर आ रहा था क्योंकि रघु अच्छी तरह से समझ गया था कि जमीदार के जीते जी उसकी बड़ी बहन उस घर की बहू कभी नहीं बन सकती और अगर ऐसा नहीं हो पाया तो ,,,, उसकी बहन शालू का हाथ समाज नहीं थाम पाएगा,,, और इसका जिम्मेदार भी वह खुद था इसलिए उसे ही रास्ता निकालना था काफी सोच विचार करने के बाद आखिरकार वह ऐसी निष्कर्ष पर पहुंचा की बड़ी मालकिन जो कह रही है उसी में सबकी भलाई है,,,,

दूसरे दिन सूरज निकलने से पहले ही रघु किसी को बिना कुछ बताए घर से निकल गया,,, ,,, फैसला तो कर चुका था लेकिन उसके मन में डर भी लग रहा था क्योंकि आज तक उसने किसी से भी मारपीट नहीं किया और यहां तो सीधे-सीधे जान लेने की बात आ चुकी थी,,,, और जिस कशमकश में रघु फंसा हुआ था वहां पर सिर्फ दो ही चीज नजर आती थी या तो जान लेना या फिर जान देना,,,,,,,,।

आखिरकार रघु उस जगह पर छुप गया जहां से जमीदार टहलने के लिए निकला करता था अभी भी चारों तरफ अंधेरा था सूरज निकलने में समय था वह बेसब्री से जमीदार का इंतजार करने लगा,,,, हाथ में एक मोटा लट्ठ लिए रघु वहीं खेतों के अंदर बैठा रहा,,,,थोड़ी ही देर बाद किसी के चहलकदमी की आवाज उसके कानों में पड़ी,,, वह नजर उठाकर उस दिशा में देखा तो उसे जमीदार दिखाई दिया,,,, उसे थोड़ी बहुत घबराहट होने लगी उसकी रगों में खून का दौरा तेज हो गया,,,, जमीदार निश्चिंत होकर रोज की तरह बड़े आराम से चहल कदमी करता हुआ आ रहा था,,, हाथ में लकड़ी की छड़ थी,,,,,, जैसे ही जमीदार रघु के एकदम करीब से गुजरा रघु मौका देख कर एकदम से खेतों में से बाहर आया और जमीदार के ऊपर लट्ठ बरसाना शुरू कर दिया,,, और तब तक बरसाता रहा जब तक कि जमीदार नीचे गिर नहीं गया,,, नीचे गिरने के बाद भी रघु उसके ऊपर लट्ठ बरसाता रहा,,,। मौका देख कर रघु वहां से भाग गया किसी ने भी उसे आते जाते ना उसे मारते हुए देखा,,,।

सुबह हुई तो पूरे गांव में हड़कंप मच गया,,, गांव के दो चार आदमी जमींदार को वैध के पास ले गए,,, जमीदार की सांसे अभी चल रही थी हवेली में खबर मिलते ही रोना-धोना शुरू हो गया,,, जमीदार की बीवी और बहूअच्छी तरह से जानती थी लेकिन फिर भी रोने का नाटक करने लगी,,,,
पूरा गांव शोक मग्न हो गया,, किसी को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का हादसा हो जाएगा,,, थोड़ी देर में सारे रिश्तेदार नाती इकट्ठा होने लगे तरह तरह की बातें बनाने लगे,,, सब को लगने लगा कि जरूर है जमीदार के किसी दुश्मन का काम है तो कोई कहता है कि चोर ऊच्चको का काम था,,,,,,जमीदार की बीवी और उसकी बहू दोनों खुश नजर आ रहे थे लेकिन अपनी खुशी अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने दे रहे थे,,। राधा के पिताजी लाला भी वहां पहुंच गया,,,, जिस तरह की हालत जमीदार की हो चुकी थी किसी को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह बच पाएगा,,,
तकरीबन 10 दिन तक वेद ने जमीदार का इलाज किया,,, सांसे चल रही थी,,,,, जैसे-जैसे जमीदार का इलाज बढ़ता जा रहा था रघु और जमीदार की बीवी और बहू तीनों की हालत खराब होती जा रही थी उन तीनों को इस बात का डर था कि कहीं जमीदार बच गया तो उनके किए कराए पर पानी फिर जाएगा हालांकि इस बात से पूरी तरह से निश्चिंत थे कि होश में आ जाने के बाद भी जमीदार यह नहीं बता सकता कि उस पर किसने हमला किया है,,,,।

फिर भी तीनों की हालत खराब थी तीनों आपस में बातें करने लगे थे कि अगर जमीदार बच गया तो क्या होगा,,,
लेकिन जमीदार की बीवी जैसे कि मन में ठान चुकी थी कि अगर जमीदार बच भी जाएगा तो उस पर दोबारा हमला करेंगे,,,,

तकरीबन 15 दिन गुजर जाने के बाद जमीदार ने अपनी आंखे खोला,,, जमीदार की बीवी वहीं पास में खड़ी थी,,, जमीदार बोलने की कोशिश कर रहा था लेकिन बोल नहीं पा रहा था हाथ की हरकत करना चाह रहा था लेकिन कर नही पा रहा था,,, जल्द ही वेद को समझ में आ गया कि जमीदार देख तो सकता है लेकिन बोल नहीं पाएगा ना तो हाथ को हिला पाएगा ना पैर को,,,। जैसे ही यह बात वैद जमीदार की बीवी को बताया,,, जमीदार की बीवी खुश हो गई ,,, राधा को इस बात की खबर पडते ही वह खुशी से झूम उठी,,,, जहां पूरा गांव रिश्तेदार सदमे में थी वही तीन लोग बेहद खुश थे ,,जमीदार की बीवी जमीदार की बहू और रघु,,,,। तीनों के मन की हो चुकी थी,,,।

महीना गुजर गया रिश्तेदारों का आना जाना हवेली में कम होने लगा जमीदार को उनके ही कमरे में,,, एक बिस्तर पर लिटाया गया,,,, और उनकी सेवा चाकरी करने के लिए नौकर को भी काम पर लगा दिया गया,,,।


शाम के वक्त जमीदार की बीवी जमीदार के कमरे में गई उसे दूध पिलाने का समय हो रहा था जमीदार की गिलास उठा कर जमीदार के होठों पर लगाकर धीरे-धीरे दूध को मुंह में डालने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,


देख लिया ना मनमानी करने का अंजाम अगर मेरी बात मान ली होती तो आज क्लास से नहीं बल्कि मुंह लगाकर दूध पी रहे होते,,, और वह भी मेरा,,, चलो कोई बात नहीं,,, तुम तो शालू को इस घर की बहू बनाने से रहे,,, लेकिन जमीदार साहब,,, शालू इसी घर की बहू बनेगी मैं शादी कराऊंगी बिरजू की सालु से,,, अब देखती हूं कौन रोकता है,,,
(इतना सुनते ही जमीदार के चेहरे पर गुस्से का भाव साफ नजर आने लगा,,, वह क्रोधित हो गया था और दूध के गिलास से अपना मुंह दूसरी तरफ हटा लिया,,, यह देख कर जमीदार की बीवी बोली,,,।

वाह रे मेरे जमीदार साहब रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया,,,, लेकिन यह तो शुरुआत है अभी से भी बड़ा झटका मैं तुम्हें दूंगी इसी कमरे में,,,,,,,।
 
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