रघु जमीदार की बीवी और उसकी बहू राधा तीनों जमीदार के सामने खड़े थे जहां पर जमीदार बैठकर हुक्का गुड गुडा रहा था,,, तीनों में से किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी शादी की बात करने के लिए जमीदार की बीवी जमीदार के गुस्से से अच्छी तरह से वाकिफ थी,,, राधा एकदम होने के नाते अपने ससुर के मिजाज को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, अपनी बीवी और अपनी बहू के साथ रघु को देखकर जमीदार को थोड़ी हैरानी हुई इसलिए वह बोला,,,।
क्या बात है,,,, इस तरह से तुम (रघु की तरफ नजरों से इशारा करते हुए) हमारी बीवी और बहू के साथ खड़े हो क्या कोई जरूरी बात है,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार फिर से हुक्का मुंह में लेकर गुडगुडाने लगा,,,)
हां मालिक बहुत जरूरी काम है,,,,
क्या काम है बताओ,,,,
छोटा मुंह बड़ी बात लेकिन कहना बहुत जरूरी है,,,
पहेलियां मत बुझाओ सीधे-सीधे कहो जो कहना चाहते हो,,,,(जमीदार गुस्से में बोला,,, जमीदार के लहजे को देख कर रघु भी सहम गया,, आखिरकार वो कर भी क्या सकता था जमीदार की ताकत को अच्छी तरह से पहचानता था जिसके आगे वह कुछ भी नहीं था,,, फिर भी हिम्मत इकट्ठा करते हुए बोला,,,)
मालिक में शादी की बात करने आया था,,,
किसकी शादी की बात,,,(जमीदार फिर से तेज लहजे में बोला)
वववव,,,वो,,,, छोटे मालिक की बिरजू की,,,,
बिरजू की शादी की बात करने के लिए तुम आए हो,,, औकात देखे हो अपनी,,,,
ममममम,,,, मालिक औकात की बात नहीं है प्यार मोहब्बत की बात है,,,,(घबराते हुए रघु बोला)
प्यार मोहब्बत,,,,मैं कुछ समझा नहीं मैं पहले भी कह चुका हूं कि पहेलियां मत बुझाओ सीधे-सीधे कहो,,,,
छोटे मालिक बिरजू मेरी बड़ी बहन सालु से प्यार करते हैं,,,
(इतना सुनते ही जमीदार जोर-जोर से ठहाके मार के हंसने लगा,,,, उसको हंसता हुआ देखकर तीनों एक दूसरे के चेहरे को देखने लगे,,,,)
प्यार मोहब्बत करते हैं तो क्या हुआ,,,,
मेरा मतलब है कि मालिक छोटे मालिक मेरी बड़ी बहन से शादी करना चाहते हैं और शालू भी छोटे मालिक बिरजू से प्यार करती है और शादी करना चाहती हैं,,,,
खामोश,,,, अपनी औकात में रहो,,,, मत भूलो तुम्हारी औकात दो कौड़ी की भी नहीं है,,,
मैं जानता हूं मालिक हमारे और आप में जमीन आसमान का फर्क है लेकिन प्यार मोहब्बत उच्च नीच भेदभाव दौलत शोहरत देखकर तो नहीं की जाती यह तो बस हो जाती है और वैसा ही हुआ है बिरजू जो कि इस घर के वारिश है मेरी बहन से प्यार करते हैं,,,
रघु,,,, तुम अपनी हद में रहो बार-बार प्यार मोहब्बत का नाम देकर ,,,, जमीन और आसमान को मिलाने की कोशिश मत करो,,,, शादी की बात सोचना भी नहीं,,,,
नहीं नहीं मालिक ऐसा मत करिए,,,(ऐसा कहते हुए रघु हाथ जोड़कर अपना एक कदम आगे बढ़ा दिया) हम बर्बाद हो जाएंगे आप तो दयालु हैं,,, छोटे-बड़े में आप बिल्कुल भी फर्क नहीं करते,,, इसे शादी से छोटे मालिक की खुशी जुड़ी हुई है,,,.
छोटे मालिक की खुशी किस से जुड़ी है यह फैसला करने वाले तुम कौन होते हो,,,,, जरूरी तो नहीं कि प्यार मोहब्बत हो जाए तो शादी भी हो जाए,,,, नजरों का दोष है नया खुन है,,, तुम्हारी बहन से नजरें लड़ गई होगी या यूं कह लो कि तुम्हारी बहन ही हमारे बेटे को अपने प्रेम जाल में फसाई है,,,
नहीं नहीं मालिक ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,
देखो मैं कुछ नहीं सुनना चाहता हमारे बेटे की शादी तुम्हारी बहन के साथ बिल्कुल भी नहीं होगी मैं उसके लिए लड़की ढूंढ लिया हूं और उसी के साथ शादी होगी यह हम वचन देकर आए हैं,,, और हमारा वचन पत्थर की लकीर है,,,।
ऐसा मत कहिए मालिक,,,, कुछ तो रहम करिए,,, आप ही सोचो मेरी बहन का क्या होगा,,,।
यह हम क्यों सोचें रघु,,, देखो अब मैं ज्यादा कुछ सुनना नहीं चाहता मैं तुम्हारी बहन से अपने बेटे की शादी बिल्कुल भी नहीं करा सकता,,,, इससे पहले कि मैं अपने आदमियों को बुलवाकर तुम्हें धक्के देकर बाहर निकलवा दूं तुम चले जाओ यहां से,,,
(रघु कुछ भी कर सकने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा था सबसे ज्यादा उसे अपने परिवार की बदनामी की डर लगी हुई थी और इस तरह से रघु की बेज्जती जमीदार की बीवी से बर्दाश्त नहीं हुई थी और ना ही राधा से,,, जमीदार की बीबी बीच बचाव करते हुए बोली,,,)
सुनिए ऐसा क्यों कर रहे हैं आप,,,, हमारा बेटा बिरजू इसकी बहन शालू से प्यार करता है और शादी करना चाहता है,,,, आप कर दोनों की शादी करवा देंगे तो दोनों जिंदगी भर खुश रहेंगे और यह परिवार भी हंसता खेलता रहेगा,,,।
तुम भी ईसकी बातों में आ गई,,, यह छोटे लोग हैं हमेशा बड़े लोगों को फसाने के नए-नए षड्यंत्र रचते रहते हैं,,,।
नहीं नहीं रघु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,
जी बाबू जी माजी सच कह रही है रघु बहुत सीधा लड़का है,,,(राधा बीच बचाव करते हुए बोली)
चुप,,, हरामजादी,,,, तेरी इतनी हिम्मत हो गई कि तू हमारे सामने बोल रही है,,, अभी तक इस घर को एक बच्चा तक नहीं दे सकी और बीच में बोलकर इस घर की बहू होने का फर्ज निभा रही है पहले इस घर को एक चिराग दें तब बोलने का अधिकार होगा तुझे,,,,(राधा को इस तरह से बीच में बोलता हुआ देखकर जमीदार एकदम गुस्से में आ गया था क्योंकि आज तक रहा था उसके सामने एक शब्द तक नहीं बोल पाई थी और आज बहुत बड़े फैसले पर बहस करने के लिए अपना मुंह खोल दीजिए इसलिए जमीदार का गुस्सा उस पर फूट पड़ा यह सच था कि राधा अभी तक मां नहीं बन पाई थी और इस घर को वारिश नहीं दे पाई थी,,,अपने ससुर किस तरह की कड़वी बात सुन कर रहा था एकदम सही मीठी उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि उसके ससुर इस तरह से गिरे शब्दों में उससे बात करेंगे वह पूरी तरह से आश्चर्य में पड़ गई थी,,, जमीदार की बीवी भी हैरान थी,,, इसलिए राधा का बचाव करते हुए बोली।)
यह आप क्या कह रहे हैं राधा हमारी बहू है और एक बहू से इस तरह से बात की जाती है क्या हो गया है आपको,,,, गलती हमारे बेटे ने की और उसका गुस्सा तुम हम पर निकाल रहे हो,,,,
हमारा बेटा कौन सा हमारा बेटा जब से तुझ से शादी करके तुझे इस घर में लाया हूं तू एक भी बच्चे को जन्म दे कभी मां बन पाई तब कैसे हुआ तेरा बच्चा हो गया,,, वह मेरा बेटा है,,, तू कभी मां नहीं बन सकती इस घर को इस हवेली को एक औलाद नहीं दे सकती तुम दोनों एक जैसी हो,,, लोकसमाज और इज्जत की बात ना होती तो हम तुम दोनों को धक्का मार कर घर से निकाल देते,,, तुम दोनों इस हवेली में रहने के लायक नहीं हो,,,,
(जमीदार के मुंह से आ जाऊंगा रे बरस रहे थे आज ऐसा पहली बार हो रहा था कि जमीदार अपने आपे में बिल्कुल भी नहीं था और अनाप-शनाप बक रहा था,,, उसका यह रोग जमीदार की बीवी और उसके पाव राधा के साथ-साथ रघु भी पहली बार देख रहा था क्योंकि जब भी वह जमीदार को देखता था तो हमेशा हंसते हुए प्रसन्न होकर भी और दूसरों की मदद करते हुए देखा था इसलिए तीनों को आश्चर्य हो रहा था कि यह कैसे हो गया जमीदार पूरी तरह से गुस्से में आग बबूला था,,,, फिर भी जमीदार की बीवी से शांत करने की कोशिश करते हुए बोली,,)
आज आप शराब तो नहीं पी लिए हैं,,, यह किस तरह की बातें कर रहे हैं,,,, मैं इस घर को चिराग नहीं दे पाई क्या मैं मां नहीं बन पाई,,, कभी यह सवाल अपने आपसे किए है,,, मैं इसे घर में अपनी मर्जी से नहीं आई थी आपने मेरे बाबूजी को बहला-फुसलाकर मुझसे शादी करके इस घर में लाए हैं,,, आप में ही ताकत नहीं है बाप बनने की,,, बूढ़े हो गए हैं आप,,,बुढ़े,,,,जैसे जैसे उम्र हो रही है वैसे वैसे आपकी बुद्धि काम नहीं कर रही है,,,,अरे वीर जी उसकी बहन से प्यार करता है उससे शादी करना चाहता है और जानते हैं आपके बिरजू ने क्या किया है,,, उसकी बड़ी बहन को पेट से कर दिया है,,,, वह मा बनने वाली हैं,,, अगर यह शादी नहीं हुई तो वह मर जाएगी उसके घरवालों की बदनामी हो जाएगी,,,।
हरामजादी मुझसे जबान लडाती है,,,(ऐसा कहते हुए जमीदार कुर्सी पर से उठा और अपनी बीवी को घर पर जोरदार तमाचा मार दिया जिससे वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और नीचे गिर गई,,, रघु और राधा तुरंत उसकी और बढै और उसे संभाल कर उठाने लगे,,,, राधा के साथ साथ रघु भी घबरा गया था,,, जमीदार से इस तरह की उम्मीद तीनों को नहीं थी जमीदार की बीवी को दोनों ने संभाल कर खड़ी किया जमीदार की बीवी भी एकदम गुस्से में थी,,,।
यह शादी होकर रहेगी मैं देखती हूं कि यह शादी कैसे नहीं होती है,,,(जिस तरह से जमीदार की बीवी रघु का पक्ष ले रही थी रघु को थोड़ी बहुत आशा की किरण नजर आ रही थी उसे उम्मीद थी कि अगर बड़ी मालकिन के हाथों में सब कुछ हुआ तो यह शादी जरूर हो जाएगी,,, लेकिन जमीदार का डर भी उसे था क्योंकि जमीदार के हाथों में सत्ता थी ताकत थी सब कुछ उसके हाथों में था,,,)
यह सादी हरगीज नहीं होगी,,, ना जाने किस का पाप अपने पेट में लेकर घूम रही है,,, कुछ नहीं मिला तो बिरजू का ही नाम लगा दिया,,, तेरी बहन को इतना ही जवानी का जोश है तो कहीं और जाकर मुंह मार लेना चाहिए था,,,(जमीदार की बातें सुनकर रघु को गुस्सा आ रहा था,,, अपनी बहन की हालत का जिम्मेदार वह खुद था इसलिए कोई भी कदम उठाने से पहले वह घबरा रहा था,,, और घबराते हुए बोला,,,।)
वह पाप नहीं है मालीक प्रेम मोहब्बत का परिणाम है ईस घर का चिराग है,,, जो आपके आंगन में खेलने के लिए उत्सुक हैं,,, ऐसे मुंह मत फेरीए मालिक,,, अपना लीजिए मेरी बहन को अपनी बहू के रूप में,,,।
रघु,,,,,, तु शायद हमें ठीक से नहीं जानता,,, अगर जानता होता तो हमारे सामने इतनी बड़ी बड़ी बात बोलने की हिम्मत ना करता मैं तुझे साफ शब्दों में कह दे रहा हूं कि तेरी बहन की शादी इस घर में बिल्कुल भी नहीं हो सकती हां मैं इतना जरूर कर सकता हूं कि तेरी बहन की शादी की सारी मदद कर सकता हूं,,,,
लेकिन मालिक ऐसे में उसे अपनाएगा कौन,,, और वह बिरजू से प्यार करती है और उसके बिना जी नहीं सकती वह मर जाएगी मालिक,,,,
मर जाए इससे हमें कोई परवाह नहीं है,,,,, आइंदा अपनी बहन के साथ मेरे बेटे का नाम जोड़ने की हिम्मत मत करना और हां अगर कुछ भी ऐसी वैसी बात गांव में फैली तो तू और तेरा परिवार खुद बदनाम हो जाएगा तेरी बहन खुद बदनाम हो जाएगी क्योंकि लोग तेरी नहीं मेरी सुनेंगे,,,, तेरी बहन के पेट में किसका बच्चा है यह गांव वाले नहीं जानते हमारे एक ईसारे की देरी रहेगी और सब कुछ बर्बाद हो जाएगा,,,,,
नहीं मालिक ऐसा मत करिए,,,
हरिया,,,,, भोला,,,,,, मोहन कहां मर गए सब के सब,,,
(इतना कहना था कि पांच छः मुस्टडे हाथ में लट्ठ लिए हाजिर हो गए,,, इन सब को देख कर रघु घबरा गया,,,)
इस रघु के बच्चे को उठाकर बाहर फेंक दो और ज्यादा चु चा करे तो,,, मार मार के इसके हाथ पैर तोड़ कर इसी नहर में बहा दो,,,(इतना सुनकर रघु के साथ-साथ जमीदार की बीवी राधा भी घबरा गई,,, वो लोग तुरंत रघु को पकड़कर घर के बाहर गए गए और उसे जोर से दूर फेंक दीए,,, रघु के हाथों में चोट लग गई,,, रघु की आंखों से आंसू निकलने लगे,,, वह बेहाल हो चुका अपनी स्थिति पर रो रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था की अपनी बहन की ऐसी हालत करने में उसी का हाथ है ,,, चारों तरफ से अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था कहीं राह दिखाई दे रही थी,,, उसे लगने लगा था कि अपनी बर्बादी का फैसला हुआ खुद अपने हाथों से ही लिख चुका है,,, वह रोते हुए अपने घर की तरफ चला गया,,,।
वह तेरा रात को अपने घर पर लौटा जब उसकी बहन शालू और उसकी मां सो चुके थे,,,
दूसरी तरफ हवेली में जमीदार अभी भी पूरी तरह से गुस्से में था और वह शराब पी रहा था,,, जमीदार की बीवी अपने कमरे में अपनी किस्मत को रो रही थी,,, जमीदार की बातें सुनकर वह गुस्से में थी,,, जिस तरह से वह अपमानित हुई थी वह अपने अपमान का बदला लेना चाहती थी,,, रघुवर उसकी प्रोग्राम था के सामने उसके पति ने उस पर मार्तत्व का सवाल उठाया था एक तरह से उसे बांझ कह दिया था,, यह बात उसे अंदर तक कचोट रही थी,,, वह इतने गुस्से में थी कि उसका बस चलता तो वह खंजर को जमीदार के सीने में घोंप देती,,, लेकिन एक औरत होने के नाते उसमें इतनी ताकत नहीं थी,,,, वह अपने अपमान का बदला लेना चाहती थी उसी के बारे में सोच रही थी कि तुरंत दरवाजा भडाक की आवाज के साथ खुला,,,
हरामजादी,,,,, मादरचोद,,,,,,, मुझ पर इल्जाम लगाती है कि मैं बाप नहीं बन सकता,,, मुझमें ताकत नहीं है,,, रंडी साली कुत्तिया आज मैं तुझे अपनी ताकत दिखाता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार अपनी बीवी के बाल को पकड़कर जोर से खींचते हुए अपनी बाहों में भर लिया,,, वह छुडाने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन छुड़ा नहीं पाई,,, जमीदार शराब के नशे में पूरी तरह से गुस्से में था और अपनी मर्दानगी दिखाने पर आतुर हो चुका था,,, पूरा जबरदस्ती अपनी बीवी के ब्लाउज खोलने की जगह उसे दोनों हाथों से पकड़कर फाड़ दिया ब्लाउज के बटन टूट कर फर्श पर बिखर गए,,,, यह सब राधा दरवाजे की ओट के पीछे खड़ी हो कर देख रही थी जो कि अभी अभी आई थी और वह भी अपनी सास को सांत्वना देने के लिए लेकिन अंदर का नजारा कुछ और ही चल रहा था,,, ब्लाउज के पढ़ते ही उसकी दोनों खरबूजे जैसी चूचियां,,, उछल कर बाहर आ गई,,, उन चुचियों से प्यार करने की जगह जमीदार उस पर अपना गुस्सा उतारा था और उसे अपने दोनों हाथों में भर कर जोर जोर से दबा रहा था वह इतनी जोर से दबा रहा था कि जमीदार की बीवी दर्द से चिल्ला उठ रही थी,,,उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर राधा का मन पिघल रहा था वह छुड़ाने के लिए अंदर जाना चाहती थी लेकिन उसे डर लग रहा था कि किसी तरह से उसके ससुर ने अपमानित किया था इस बात का डर था कि कहीं जो है उसकी सास के साथ कर रहे हैं कहीं उसके साथ भी ना करने लगे क्योंकि वह पूरी तरह से नशे में था,,,, अगले ही पल जमीदार अपनी बीवी को बिस्तर पर घोड़ी बना दिया और तुरंत उसकी सारी पकड़कर उठाते हुए उसे कमर तक कर दिया,,, गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर जमीदार उस पर जोर जोर से तमाचा मारने लगा देखते ही देखते उसकी गोरी गोरी गांड लाल टमाटर की तरह हो गई,,, यह सब राधा से देखा नहीं जा रहा था,,, अगले ही पल जमीदार अपनी धोती खोल दिया और नंगा होकर अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में डाल कर,,, चोदना शुरू कर दिया लेकिन 5 6 धक्के में ही जमीदार जमीन चाट गया उसका पानी निकल चुका था,,,यह देखकर राधा को यकीन हो गया कि उसकी सांसे जो कुछ भी कह रही थी वह एकदम सच कह रही थी राधा वहां से अपने कमरे में चली गई,,,
जमीदार बिस्तर पर पसर गया था बेसुध होकर धोती नीचे जमीन पर बिखरी पड़ी थी,,,, और उसकी बीवी कुछ देर तक उसी तरह से घोड़ी बने रोती रही अपने कपड़ों को भी दोस्त करने की कोशिश नहीं की वो जानती थी कि दरवाजा खुला हुआ है लेकिन आज उसे किसी बात की फिक्र नहीं थी उसे अपने आप पर अपनी किस्मत पर और अपने अपमान पर रोना आ रहा था उसका बदला लेना चाहती थी,,, इसलिए दूसरे दिन रघु से मिलने की ठान ली,,,।