Baba Mechanchiii
_𝕿𝖍𝖊 𝕽𝖚𝖑𝖊𝖗 𝖔𝖋 𝕾𝖔𝖑𝖎𝖙𝖚𝖉𝖊_🎭🚬
- 360
- 1,191
- 139
रघु का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें जिस तरह से जमीदार ने उसकी बेज्जती किया था उससे वह अंदर ही अंदर क्रोध से जल रहा था वह जमीदार से बदला लेना चाहता था,, लेकिन उससे भी पहले जरूरी था अपनी बड़ी बहन की शादी और वह भी जमीदार के ही घर में,,, रघु बेशक जमीदार के आगे कमजोर था क्योंकि वह अकेले जमीदार से लड़ नहीं सकता था लेकिन फिर भी वह अपने आप पर आ जाता तो जमीदार को धूल चटा सकता था लेकिन ऐसा करने से हो सकता था की बाजी पूरी तरह से जमीदार के हाथ में चली जाए क्योंकि उसकी बहन गर्भवती है यह बात उसे भी पता चल चुकी थी और अपने ऊपर किसी भी खतरे को भांप कर,, जमीदार उसकी बहन को बदनाम कर सकता था और ऐसा रघु बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,
जमीदार के घर पर क्या हुआ इस बारे में उसने अभी तक अपनी मां से बिल्कुल भी बात नहीं किया था वह अपनी मां को किसी भी हाल में चिंता में नहीं डालना चाहता था,,,रघु किसी भी तरह से अपनी बहन की शादी बिरजू से करवाना चाहता था वो भी इसलिए नहीं की बिरजू और सालु एक दूसरे से प्यार करते थे बल्कि इसलिए कि शालू गर्भवती हो चुकी थी ऐसे में बिरजू से शादी करवाने में ही उसकी और उसके खानदान की भलाई थी क्योंकि शालू बिरजू के साथ शारीरिक संबंध बना चुकी थी,,, लेकिन जमीदार ने मुश्किल पैदा कर दिया था,,, वह किसी भी हाल में यह शादी होने नहीं देना चाहता था,,,, रघु जमीदार के गुस्से को देख चुका था जिस तरह से वह अपनी बीवी को तमाचा मार कर और उसे भला बुरा बोल कर अपनी बहू तक को नहीं छोड़ा इस बात से रघु समझ गया था कि जमीदार शालू की शादी अपने बेटे बिरजू से करने के लिए कभी तैयार नहीं होगा,,,।
जमीदार की बीवी और उसकी बहू रघु से मिलने के लिए उसके पास पहुंच गए लेकिन जब घर के भी उसके घर पर नहीं गई क्योंकि वह जानती थी कि उसका उसके घर पर जाना यह बात जमीदार को पता चल सकती है,,, इसलिए रघु के खेतों में ही मुलाकात करना उचित समझकर,,, जमीदार की बीवी रघु को खेत में बुला ली,,,,,, रघु भी खबर मिलते ही खेत पर पहुंच गया,,,,
रघु के खेत में बीचोबीच घास फूस की झोपड़ी बनी हुई थी और नीम का पेड़ लगा हुआ था जिसके छाया मे जमीदार की बीवी और उसकी बहू राधा बैठी हुई थी,,,, वहां पर पहुंचते ही,,,
क्या बात है बड़ी मालकीन,,,, इधर खेतों में एकाएक क्यों बुला ली,,,(कोई और समय होता तो रघु को ऐसा ही लगता कि चौकीदार की बीवी चुदवाने के लिए खेत में बुला रही है,,, लेकिन अभी हालात बिल्कुल भी ऐसे नहीं थे कि शारीरिक संबंध बनाया जाए क्योंकि,, जमीदार ने अपनी बीवी का बुरी तरह से अपमान किया था और मारा भी था,,। ऐसे में बिल्कुल भी नहीं था कि जमीदार की बीवी खेतों में रघु से शारीरिक संबंध बनाने के उद्देश्य से आई हो,,)
रघु कल जो कुछ भी हुआ उसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,
मुझे भी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी जिस तरह से बाबूजी ने मेरा अपमान किया है मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी,,, मैं मां नहीं बन सकती इसका जिम्मेदार उनका ही बेटा है इसमें मेरा क्या कसूर है,,,(इतना कहते हुए राधा की आंखों में आंसू भर आए)
सब ठीक हो जाएगा बहु तुम चिंता मत करो,,,, रघु तुमने तो देख ही लिया क्योंकि वह बिल्कुल भी मानने वाले नहीं हैं,,, हम लोगों ने बहुत कोशिश की लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं निकल पाया बेइज्जती हुई सो अलग,,,।
लेकिन मालकीन अब ,,, अब हमारा क्या होगा हम लोग तो कहीं के नहीं रह जाएंगे,,,, शालू के पेट में बिरजू का बच्चा पड़ रहा है आज नहीं तो कल यह जमाने को पता चल जाएगा फिर सोचो क्या होगा आप लोगों का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा,,,, लेकिन हम लोग कहीं के नहीं रह जाएंगे,,,। शालू की शादी जमीदार बिरजू से कभी नहीं होने देगा,,।
होने देगा और ऐसा होकर रहेगा लेकिन इसमें मुझे तुम्हारी मदद चाहिए अगर मेरी मदद करने का हौसला रखते हो तो अपनी माथे से यह कलंक भी मिटा सकते हो वरना कुछ नहीं हो पाएगा,,,
मैं कुछ भी करने को तैयार हूं मालकिन,,,,,
देखो बिरजू यह इतना आसान नहीं है जितना कि कहने में लग रहा है मैं जमीदार को रास्ते से हटाने की बात कर रही हूं,,,।
क्या,,,,?(रघु एकदम से चौक ते हुए बोला जमीदार की बीवी की बात सुनकर उसकी बहू राधा भी चौक गई)
हां जो तूम सुन रहे हो,, मैं बिल्कुल सच कह रही हु ऐसा ही करना होगा तभी जाकर सालु कि शादी बिरजू से हो पाएगी और उसके माथे का कलंक भी मिट पाएगा वरना सब कुछ अनर्थ हो जाएगा रघु,,, फैसला तुम्हारे हाथों में है,,,।
बडी मालकिन जरा ठीक से सोच लो अपने सिंदूर का सौदा कर रही हो,,,
मैं उसे अब अपना पति बिल्कुल भी नहीं मानती,,जब वह मुझे अपनी पत्नी नहीं मानता नहीं मुझे इज्जत देता है ना मेरी बात मानता है और ना मुझे फैसला करने का हक है तो मैं किस रिश्ते से उसकी पत्नी हूं वापस मुझे अपनी जरूरत पूरी करने के लिए रखा है,,,
लेकिन ऐसा करने में खतरा है,,, कहीं हम पकड़े गए तो,,,
ऐसा कुछ भी नहीं होगा मैं तुम्हें सब बताती हूं कैसे कर रहा है लेकिन तुम्हें पीछे नहीं हटना है अगर ऐसा हुआ तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा तुम्हारे बहन का भविष्य तुम्हारे हाथों में है,,,,
मैं पीछे नहीं हटूंगा मालकिन मुझे भी अपने अपमान का बदला लेना है जमीदार ने मेरी बहुत बेज्जती की,,,,
हां तो तुम्हें वैसा ही करना होगा जैसा मैं कहती हूं तुम्हारा बदला भी पूरा हो जाएगा मेरा भी और तुम्हारी बहन की शादी में मेरे घर में हो जाएगी वह राज करेगी राज,,,,
हां रघु मां जी ठीक कह रही है,,, और तो और तुम्हारी बहन की शादी हो हमारे घर में हो जाने से तुम्हारा आना जाना भी बराबर बना रहेगा और जमीदार के ना रहने पर तो किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी,,,,
(रघु को सास बहू दोनों की बातें उचित लग रही थी सबसे ज्यादा जरूरी बात थी शालू की शादी और जिस तरह से मालकिन कह रही थी उसी तरह से ठाकुर को ठिकाने लगा देने के बाद उसकी बहन की शादी धाम धूम से उस घर में हो जाएगी,,,, कुछ देर सोचने के बाद रघु बोला,,,)
ठीक है मैं तैयार हूं लेकिन करना कब है,,,?
कल ही एकदम सुबह जब सूरज निकलता है उसके पहले ही क्योंकि उस समय जमींदार टहलने के लिएखेतों की तरफ जाती है और उस समय उनके साथ कोई भी आदमी नहीं होता वह बिल्कुल अकेले होते हैं,,, और वही मौका एकदम ठीक है अंधेरे का फायदा उठाकर तुम जमीदार को मार सकते हो,,,,
ठीक है मालकिन,,,आप जिस तरह से कह रही है अगर वैसा ही हुआ तो समझ लो काम हो जाएगा,,,
वैसा ही होगा रघु,,,, अच्छा अब हम चलते हैं,,, अगर किसी को यह भनक भी लग गई कि हम दोनों ईधर आए हैं तो गजब हो जाएगा,,,(इतना कहकर बड़ी मालकिन और उसकी बहू दोनों चली गई रघु सोच में पड़ गया था की बड़ी मालकिन ऊससे हत्या करने के लिए कह रही थी,,, जिसके बारे में वह सोच भी नहीं सकता था लेकिन उसके पास कोई रास्ता भी नहीं था जान से ज्यादा इज्जत प्यारी होती है इज्जत के लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है रघु के सामने भी बस यही एक रास्ता नजर आ रहा था क्योंकि रघु अच्छी तरह से समझ गया था कि जमीदार के जीते जी उसकी बड़ी बहन उस घर की बहू कभी नहीं बन सकती और अगर ऐसा नहीं हो पाया तो ,,,, उसकी बहन शालू का हाथ समाज नहीं थाम पाएगा,,, और इसका जिम्मेदार भी वह खुद था इसलिए उसे ही रास्ता निकालना था काफी सोच विचार करने के बाद आखिरकार वह ऐसी निष्कर्ष पर पहुंचा की बड़ी मालकिन जो कह रही है उसी में सबकी भलाई है,,,,
दूसरे दिन सूरज निकलने से पहले ही रघु किसी को बिना कुछ बताए घर से निकल गया,,, ,,, फैसला तो कर चुका था लेकिन उसके मन में डर भी लग रहा था क्योंकि आज तक उसने किसी से भी मारपीट नहीं किया और यहां तो सीधे-सीधे जान लेने की बात आ चुकी थी,,,, और जिस कशमकश में रघु फंसा हुआ था वहां पर सिर्फ दो ही चीज नजर आती थी या तो जान लेना या फिर जान देना,,,,,,,,।
आखिरकार रघु उस जगह पर छुप गया जहां से जमीदार टहलने के लिए निकला करता था अभी भी चारों तरफ अंधेरा था सूरज निकलने में समय था वह बेसब्री से जमीदार का इंतजार करने लगा,,,, हाथ में एक मोटा लट्ठ लिए रघु वहीं खेतों के अंदर बैठा रहा,,,,थोड़ी ही देर बाद किसी के चहलकदमी की आवाज उसके कानों में पड़ी,,, वह नजर उठाकर उस दिशा में देखा तो उसे जमीदार दिखाई दिया,,,, उसे थोड़ी बहुत घबराहट होने लगी उसकी रगों में खून का दौरा तेज हो गया,,,, जमीदार निश्चिंत होकर रोज की तरह बड़े आराम से चहल कदमी करता हुआ आ रहा था,,, हाथ में लकड़ी की छड़ थी,,,,,, जैसे ही जमीदार रघु के एकदम करीब से गुजरा रघु मौका देख कर एकदम से खेतों में से बाहर आया और जमीदार के ऊपर लट्ठ बरसाना शुरू कर दिया,,, और तब तक बरसाता रहा जब तक कि जमीदार नीचे गिर नहीं गया,,, नीचे गिरने के बाद भी रघु उसके ऊपर लट्ठ बरसाता रहा,,,। मौका देख कर रघु वहां से भाग गया किसी ने भी उसे आते जाते ना उसे मारते हुए देखा,,,।
सुबह हुई तो पूरे गांव में हड़कंप मच गया,,, गांव के दो चार आदमी जमींदार को वैध के पास ले गए,,, जमीदार की सांसे अभी चल रही थी हवेली में खबर मिलते ही रोना-धोना शुरू हो गया,,, जमीदार की बीवी और बहूअच्छी तरह से जानती थी लेकिन फिर भी रोने का नाटक करने लगी,,,,
पूरा गांव शोक मग्न हो गया,, किसी को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का हादसा हो जाएगा,,, थोड़ी देर में सारे रिश्तेदार नाती इकट्ठा होने लगे तरह तरह की बातें बनाने लगे,,, सब को लगने लगा कि जरूर है जमीदार के किसी दुश्मन का काम है तो कोई कहता है कि चोर ऊच्चको का काम था,,,,,,जमीदार की बीवी और उसकी बहू दोनों खुश नजर आ रहे थे लेकिन अपनी खुशी अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने दे रहे थे,,। राधा के पिताजी लाला भी वहां पहुंच गया,,,, जिस तरह की हालत जमीदार की हो चुकी थी किसी को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह बच पाएगा,,,
तकरीबन 10 दिन तक वेद ने जमीदार का इलाज किया,,, सांसे चल रही थी,,,,, जैसे-जैसे जमीदार का इलाज बढ़ता जा रहा था रघु और जमीदार की बीवी और बहू तीनों की हालत खराब होती जा रही थी उन तीनों को इस बात का डर था कि कहीं जमीदार बच गया तो उनके किए कराए पर पानी फिर जाएगा हालांकि इस बात से पूरी तरह से निश्चिंत थे कि होश में आ जाने के बाद भी जमीदार यह नहीं बता सकता कि उस पर किसने हमला किया है,,,,।
फिर भी तीनों की हालत खराब थी तीनों आपस में बातें करने लगे थे कि अगर जमीदार बच गया तो क्या होगा,,,
लेकिन जमीदार की बीवी जैसे कि मन में ठान चुकी थी कि अगर जमीदार बच भी जाएगा तो उस पर दोबारा हमला करेंगे,,,,
तकरीबन 15 दिन गुजर जाने के बाद जमीदार ने अपनी आंखे खोला,,, जमीदार की बीवी वहीं पास में खड़ी थी,,, जमीदार बोलने की कोशिश कर रहा था लेकिन बोल नहीं पा रहा था हाथ की हरकत करना चाह रहा था लेकिन कर नही पा रहा था,,, जल्द ही वेद को समझ में आ गया कि जमीदार देख तो सकता है लेकिन बोल नहीं पाएगा ना तो हाथ को हिला पाएगा ना पैर को,,,। जैसे ही यह बात वैद जमीदार की बीवी को बताया,,, जमीदार की बीवी खुश हो गई ,,, राधा को इस बात की खबर पडते ही वह खुशी से झूम उठी,,,, जहां पूरा गांव रिश्तेदार सदमे में थी वही तीन लोग बेहद खुश थे ,,जमीदार की बीवी जमीदार की बहू और रघु,,,,। तीनों के मन की हो चुकी थी,,,।
महीना गुजर गया रिश्तेदारों का आना जाना हवेली में कम होने लगा जमीदार को उनके ही कमरे में,,, एक बिस्तर पर लिटाया गया,,,, और उनकी सेवा चाकरी करने के लिए नौकर को भी काम पर लगा दिया गया,,,।
शाम के वक्त जमीदार की बीवी जमीदार के कमरे में गई उसे दूध पिलाने का समय हो रहा था जमीदार की गिलास उठा कर जमीदार के होठों पर लगाकर धीरे-धीरे दूध को मुंह में डालने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,
देख लिया ना मनमानी करने का अंजाम अगर मेरी बात मान ली होती तो आज क्लास से नहीं बल्कि मुंह लगाकर दूध पी रहे होते,,, और वह भी मेरा,,, चलो कोई बात नहीं,,, तुम तो शालू को इस घर की बहू बनाने से रहे,,, लेकिन जमीदार साहब,,, शालू इसी घर की बहू बनेगी मैं शादी कराऊंगी बिरजू की सालु से,,, अब देखती हूं कौन रोकता है,,,
(इतना सुनते ही जमीदार के चेहरे पर गुस्से का भाव साफ नजर आने लगा,,, वह क्रोधित हो गया था और दूध के गिलास से अपना मुंह दूसरी तरफ हटा लिया,,, यह देख कर जमीदार की बीवी बोली,,,।
वाह रे मेरे जमीदार साहब रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया,,,, लेकिन यह तो शुरुआत है अभी से भी बड़ा झटका मैं तुम्हें दूंगी इसी कमरे में,,,,,,,।
Ekdum sateek update aur jawab diya hai raghu ne.Thakur jinda hai par na to kuch kah sakta hai aur na hi kuch kar kar sakta hai.....ekdam laachaar ban chuka hai aur uske samne hi Raghu uski bahu aur bibi ko chodega aur thakur khoon ke aanshu royega...........Jabardast turn bhai..........रघु का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें जिस तरह से जमीदार ने उसकी बेज्जती किया था उससे वह अंदर ही अंदर क्रोध से जल रहा था वह जमीदार से बदला लेना चाहता था,, लेकिन उससे भी पहले जरूरी था अपनी बड़ी बहन की शादी और वह भी जमीदार के ही घर में,,, रघु बेशक जमीदार के आगे कमजोर था क्योंकि वह अकेले जमीदार से लड़ नहीं सकता था लेकिन फिर भी वह अपने आप पर आ जाता तो जमीदार को धूल चटा सकता था लेकिन ऐसा करने से हो सकता था की बाजी पूरी तरह से जमीदार के हाथ में चली जाए क्योंकि उसकी बहन गर्भवती है यह बात उसे भी पता चल चुकी थी और अपने ऊपर किसी भी खतरे को भांप कर,, जमीदार उसकी बहन को बदनाम कर सकता था और ऐसा रघु बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,
जमीदार के घर पर क्या हुआ इस बारे में उसने अभी तक अपनी मां से बिल्कुल भी बात नहीं किया था वह अपनी मां को किसी भी हाल में चिंता में नहीं डालना चाहता था,,,रघु किसी भी तरह से अपनी बहन की शादी बिरजू से करवाना चाहता था वो भी इसलिए नहीं की बिरजू और सालु एक दूसरे से प्यार करते थे बल्कि इसलिए कि शालू गर्भवती हो चुकी थी ऐसे में बिरजू से शादी करवाने में ही उसकी और उसके खानदान की भलाई थी क्योंकि शालू बिरजू के साथ शारीरिक संबंध बना चुकी थी,,, लेकिन जमीदार ने मुश्किल पैदा कर दिया था,,, वह किसी भी हाल में यह शादी होने नहीं देना चाहता था,,,, रघु जमीदार के गुस्से को देख चुका था जिस तरह से वह अपनी बीवी को तमाचा मार कर और उसे भला बुरा बोल कर अपनी बहू तक को नहीं छोड़ा इस बात से रघु समझ गया था कि जमीदार शालू की शादी अपने बेटे बिरजू से करने के लिए कभी तैयार नहीं होगा,,,।
जमीदार की बीवी और उसकी बहू रघु से मिलने के लिए उसके पास पहुंच गए लेकिन जब घर के भी उसके घर पर नहीं गई क्योंकि वह जानती थी कि उसका उसके घर पर जाना यह बात जमीदार को पता चल सकती है,,, इसलिए रघु के खेतों में ही मुलाकात करना उचित समझकर,,, जमीदार की बीवी रघु को खेत में बुला ली,,,,,, रघु भी खबर मिलते ही खेत पर पहुंच गया,,,,
रघु के खेत में बीचोबीच घास फूस की झोपड़ी बनी हुई थी और नीम का पेड़ लगा हुआ था जिसके छाया मे जमीदार की बीवी और उसकी बहू राधा बैठी हुई थी,,,, वहां पर पहुंचते ही,,,
क्या बात है बड़ी मालकीन,,,, इधर खेतों में एकाएक क्यों बुला ली,,,(कोई और समय होता तो रघु को ऐसा ही लगता कि चौकीदार की बीवी चुदवाने के लिए खेत में बुला रही है,,, लेकिन अभी हालात बिल्कुल भी ऐसे नहीं थे कि शारीरिक संबंध बनाया जाए क्योंकि,, जमीदार ने अपनी बीवी का बुरी तरह से अपमान किया था और मारा भी था,,। ऐसे में बिल्कुल भी नहीं था कि जमीदार की बीवी खेतों में रघु से शारीरिक संबंध बनाने के उद्देश्य से आई हो,,)
रघु कल जो कुछ भी हुआ उसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,
मुझे भी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी जिस तरह से बाबूजी ने मेरा अपमान किया है मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी,,, मैं मां नहीं बन सकती इसका जिम्मेदार उनका ही बेटा है इसमें मेरा क्या कसूर है,,,(इतना कहते हुए राधा की आंखों में आंसू भर आए)
सब ठीक हो जाएगा बहु तुम चिंता मत करो,,,, रघु तुमने तो देख ही लिया क्योंकि वह बिल्कुल भी मानने वाले नहीं हैं,,, हम लोगों ने बहुत कोशिश की लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं निकल पाया बेइज्जती हुई सो अलग,,,।
लेकिन मालकीन अब ,,, अब हमारा क्या होगा हम लोग तो कहीं के नहीं रह जाएंगे,,,, शालू के पेट में बिरजू का बच्चा पड़ रहा है आज नहीं तो कल यह जमाने को पता चल जाएगा फिर सोचो क्या होगा आप लोगों का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा,,,, लेकिन हम लोग कहीं के नहीं रह जाएंगे,,,। शालू की शादी जमीदार बिरजू से कभी नहीं होने देगा,,।
होने देगा और ऐसा होकर रहेगा लेकिन इसमें मुझे तुम्हारी मदद चाहिए अगर मेरी मदद करने का हौसला रखते हो तो अपनी माथे से यह कलंक भी मिटा सकते हो वरना कुछ नहीं हो पाएगा,,,
मैं कुछ भी करने को तैयार हूं मालकिन,,,,,
देखो बिरजू यह इतना आसान नहीं है जितना कि कहने में लग रहा है मैं जमीदार को रास्ते से हटाने की बात कर रही हूं,,,।
क्या,,,,?(रघु एकदम से चौक ते हुए बोला जमीदार की बीवी की बात सुनकर उसकी बहू राधा भी चौक गई)
हां जो तूम सुन रहे हो,, मैं बिल्कुल सच कह रही हु ऐसा ही करना होगा तभी जाकर सालु कि शादी बिरजू से हो पाएगी और उसके माथे का कलंक भी मिट पाएगा वरना सब कुछ अनर्थ हो जाएगा रघु,,, फैसला तुम्हारे हाथों में है,,,।
बडी मालकिन जरा ठीक से सोच लो अपने सिंदूर का सौदा कर रही हो,,,
मैं उसे अब अपना पति बिल्कुल भी नहीं मानती,,जब वह मुझे अपनी पत्नी नहीं मानता नहीं मुझे इज्जत देता है ना मेरी बात मानता है और ना मुझे फैसला करने का हक है तो मैं किस रिश्ते से उसकी पत्नी हूं वापस मुझे अपनी जरूरत पूरी करने के लिए रखा है,,,
लेकिन ऐसा करने में खतरा है,,, कहीं हम पकड़े गए तो,,,
ऐसा कुछ भी नहीं होगा मैं तुम्हें सब बताती हूं कैसे कर रहा है लेकिन तुम्हें पीछे नहीं हटना है अगर ऐसा हुआ तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा तुम्हारे बहन का भविष्य तुम्हारे हाथों में है,,,,
मैं पीछे नहीं हटूंगा मालकिन मुझे भी अपने अपमान का बदला लेना है जमीदार ने मेरी बहुत बेज्जती की,,,,
हां तो तुम्हें वैसा ही करना होगा जैसा मैं कहती हूं तुम्हारा बदला भी पूरा हो जाएगा मेरा भी और तुम्हारी बहन की शादी में मेरे घर में हो जाएगी वह राज करेगी राज,,,,
हां रघु मां जी ठीक कह रही है,,, और तो और तुम्हारी बहन की शादी हो हमारे घर में हो जाने से तुम्हारा आना जाना भी बराबर बना रहेगा और जमीदार के ना रहने पर तो किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी,,,,
(रघु को सास बहू दोनों की बातें उचित लग रही थी सबसे ज्यादा जरूरी बात थी शालू की शादी और जिस तरह से मालकिन कह रही थी उसी तरह से ठाकुर को ठिकाने लगा देने के बाद उसकी बहन की शादी धाम धूम से उस घर में हो जाएगी,,,, कुछ देर सोचने के बाद रघु बोला,,,)
ठीक है मैं तैयार हूं लेकिन करना कब है,,,?
कल ही एकदम सुबह जब सूरज निकलता है उसके पहले ही क्योंकि उस समय जमींदार टहलने के लिएखेतों की तरफ जाती है और उस समय उनके साथ कोई भी आदमी नहीं होता वह बिल्कुल अकेले होते हैं,,, और वही मौका एकदम ठीक है अंधेरे का फायदा उठाकर तुम जमीदार को मार सकते हो,,,,
ठीक है मालकिन,,,आप जिस तरह से कह रही है अगर वैसा ही हुआ तो समझ लो काम हो जाएगा,,,
वैसा ही होगा रघु,,,, अच्छा अब हम चलते हैं,,, अगर किसी को यह भनक भी लग गई कि हम दोनों ईधर आए हैं तो गजब हो जाएगा,,,(इतना कहकर बड़ी मालकिन और उसकी बहू दोनों चली गई रघु सोच में पड़ गया था की बड़ी मालकिन ऊससे हत्या करने के लिए कह रही थी,,, जिसके बारे में वह सोच भी नहीं सकता था लेकिन उसके पास कोई रास्ता भी नहीं था जान से ज्यादा इज्जत प्यारी होती है इज्जत के लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है रघु के सामने भी बस यही एक रास्ता नजर आ रहा था क्योंकि रघु अच्छी तरह से समझ गया था कि जमीदार के जीते जी उसकी बड़ी बहन उस घर की बहू कभी नहीं बन सकती और अगर ऐसा नहीं हो पाया तो ,,,, उसकी बहन शालू का हाथ समाज नहीं थाम पाएगा,,, और इसका जिम्मेदार भी वह खुद था इसलिए उसे ही रास्ता निकालना था काफी सोच विचार करने के बाद आखिरकार वह ऐसी निष्कर्ष पर पहुंचा की बड़ी मालकिन जो कह रही है उसी में सबकी भलाई है,,,,
दूसरे दिन सूरज निकलने से पहले ही रघु किसी को बिना कुछ बताए घर से निकल गया,,, ,,, फैसला तो कर चुका था लेकिन उसके मन में डर भी लग रहा था क्योंकि आज तक उसने किसी से भी मारपीट नहीं किया और यहां तो सीधे-सीधे जान लेने की बात आ चुकी थी,,,, और जिस कशमकश में रघु फंसा हुआ था वहां पर सिर्फ दो ही चीज नजर आती थी या तो जान लेना या फिर जान देना,,,,,,,,।
आखिरकार रघु उस जगह पर छुप गया जहां से जमीदार टहलने के लिए निकला करता था अभी भी चारों तरफ अंधेरा था सूरज निकलने में समय था वह बेसब्री से जमीदार का इंतजार करने लगा,,,, हाथ में एक मोटा लट्ठ लिए रघु वहीं खेतों के अंदर बैठा रहा,,,,थोड़ी ही देर बाद किसी के चहलकदमी की आवाज उसके कानों में पड़ी,,, वह नजर उठाकर उस दिशा में देखा तो उसे जमीदार दिखाई दिया,,,, उसे थोड़ी बहुत घबराहट होने लगी उसकी रगों में खून का दौरा तेज हो गया,,,, जमीदार निश्चिंत होकर रोज की तरह बड़े आराम से चहल कदमी करता हुआ आ रहा था,,, हाथ में लकड़ी की छड़ थी,,,,,, जैसे ही जमीदार रघु के एकदम करीब से गुजरा रघु मौका देख कर एकदम से खेतों में से बाहर आया और जमीदार के ऊपर लट्ठ बरसाना शुरू कर दिया,,, और तब तक बरसाता रहा जब तक कि जमीदार नीचे गिर नहीं गया,,, नीचे गिरने के बाद भी रघु उसके ऊपर लट्ठ बरसाता रहा,,,। मौका देख कर रघु वहां से भाग गया किसी ने भी उसे आते जाते ना उसे मारते हुए देखा,,,।
सुबह हुई तो पूरे गांव में हड़कंप मच गया,,, गांव के दो चार आदमी जमींदार को वैध के पास ले गए,,, जमीदार की सांसे अभी चल रही थी हवेली में खबर मिलते ही रोना-धोना शुरू हो गया,,, जमीदार की बीवी और बहूअच्छी तरह से जानती थी लेकिन फिर भी रोने का नाटक करने लगी,,,,
पूरा गांव शोक मग्न हो गया,, किसी को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का हादसा हो जाएगा,,, थोड़ी देर में सारे रिश्तेदार नाती इकट्ठा होने लगे तरह तरह की बातें बनाने लगे,,, सब को लगने लगा कि जरूर है जमीदार के किसी दुश्मन का काम है तो कोई कहता है कि चोर ऊच्चको का काम था,,,,,,जमीदार की बीवी और उसकी बहू दोनों खुश नजर आ रहे थे लेकिन अपनी खुशी अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने दे रहे थे,,। राधा के पिताजी लाला भी वहां पहुंच गया,,,, जिस तरह की हालत जमीदार की हो चुकी थी किसी को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह बच पाएगा,,,
तकरीबन 10 दिन तक वेद ने जमीदार का इलाज किया,,, सांसे चल रही थी,,,,, जैसे-जैसे जमीदार का इलाज बढ़ता जा रहा था रघु और जमीदार की बीवी और बहू तीनों की हालत खराब होती जा रही थी उन तीनों को इस बात का डर था कि कहीं जमीदार बच गया तो उनके किए कराए पर पानी फिर जाएगा हालांकि इस बात से पूरी तरह से निश्चिंत थे कि होश में आ जाने के बाद भी जमीदार यह नहीं बता सकता कि उस पर किसने हमला किया है,,,,।
फिर भी तीनों की हालत खराब थी तीनों आपस में बातें करने लगे थे कि अगर जमीदार बच गया तो क्या होगा,,,
लेकिन जमीदार की बीवी जैसे कि मन में ठान चुकी थी कि अगर जमीदार बच भी जाएगा तो उस पर दोबारा हमला करेंगे,,,,
तकरीबन 15 दिन गुजर जाने के बाद जमीदार ने अपनी आंखे खोला,,, जमीदार की बीवी वहीं पास में खड़ी थी,,, जमीदार बोलने की कोशिश कर रहा था लेकिन बोल नहीं पा रहा था हाथ की हरकत करना चाह रहा था लेकिन कर नही पा रहा था,,, जल्द ही वेद को समझ में आ गया कि जमीदार देख तो सकता है लेकिन बोल नहीं पाएगा ना तो हाथ को हिला पाएगा ना पैर को,,,। जैसे ही यह बात वैद जमीदार की बीवी को बताया,,, जमीदार की बीवी खुश हो गई ,,, राधा को इस बात की खबर पडते ही वह खुशी से झूम उठी,,,, जहां पूरा गांव रिश्तेदार सदमे में थी वही तीन लोग बेहद खुश थे ,,जमीदार की बीवी जमीदार की बहू और रघु,,,,। तीनों के मन की हो चुकी थी,,,।
महीना गुजर गया रिश्तेदारों का आना जाना हवेली में कम होने लगा जमीदार को उनके ही कमरे में,,, एक बिस्तर पर लिटाया गया,,,, और उनकी सेवा चाकरी करने के लिए नौकर को भी काम पर लगा दिया गया,,,।
शाम के वक्त जमीदार की बीवी जमीदार के कमरे में गई उसे दूध पिलाने का समय हो रहा था जमीदार की गिलास उठा कर जमीदार के होठों पर लगाकर धीरे-धीरे दूध को मुंह में डालने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,
देख लिया ना मनमानी करने का अंजाम अगर मेरी बात मान ली होती तो आज क्लास से नहीं बल्कि मुंह लगाकर दूध पी रहे होते,,, और वह भी मेरा,,, चलो कोई बात नहीं,,, तुम तो शालू को इस घर की बहू बनाने से रहे,,, लेकिन जमीदार साहब,,, शालू इसी घर की बहू बनेगी मैं शादी कराऊंगी बिरजू की सालु से,,, अब देखती हूं कौन रोकता है,,,
(इतना सुनते ही जमीदार के चेहरे पर गुस्से का भाव साफ नजर आने लगा,,, वह क्रोधित हो गया था और दूध के गिलास से अपना मुंह दूसरी तरफ हटा लिया,,, यह देख कर जमीदार की बीवी बोली,,,।
वाह रे मेरे जमीदार साहब रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया,,,, लेकिन यह तो शुरुआत है अभी से भी बड़ा झटका मैं तुम्हें दूंगी इसी कमरे में,,,,,,,।