,, रघु बहुत खुश था,, रघु क्या जमीदार की बीवी और राधा भी बेहद खुश थी, और होती भी कैसे नहीं आखिरकार उनके मन की जो हो चुकी थी,,, रघु के तो रास्ते का सबसे बड़ा कांटा दूर हो चुका था,, अब वह अपनी बहन की शादी बिरजू से बिना रोक टोक से करा सकता था,,,,,,।
कजरी जिसकी भावनाए मचलने लगी थी अपने ही बेटे के मर्दाना अंग को अपने अंदर लेने के लिए,,,,, वह अपनी भावनाओं पर काबू कर सकने में अब असमर्थ होती जा रही थी आखिरकार सबसे पहले वह एक औरत थी जिसकी को जरूर देखें कुछ इच्छाएं थी जो कि बरसों से उसके अंदर ही कभी रह गई थी लेकिन अब धीरे-धीरे वह बाहर आना शुरू हो गई थी,,,
ऐसे ही एक दिन कजरी नहा कर अपने कमरे के अंदर पेटीकोट और ब्लाउज पहन रही थी पेटिकोट तो पहन चुकी थी लेकिन ब्लाउज पहनने के बाद उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसकी ब्लाउज के दो बटन टूट चुके हैं,, और वह उसी तरह से ब्लाउज को पहने हुए ही सुई और डोरा ढुढने लगी,,, शालू और रघु दोनों घर पर नहीं थे वह अकेली ही थी,,, थोड़ी देर में उसे सुई और डोरा दोनों मिल गया,,, वह डोरे को सुई के छेद में डालने लगी,,, लेकिन छोटे से छेद मैं डोरा जा नहीं रहा था,,,, वह परेशान होने लगी,, ब्लाउज के बटन अभी भी पूरी तरह से खुले हुए थे उसकी दोनों चूचियां खरबूजे की तरह लटकी हुई थी,,, लेकिन दोनों में लटकन बिल्कुल भी नहीं एकदम कड़क और गोल थी,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि अगर शालू होती तो सुई में धागा डालकर ब्लाउज के बटन लगा दी होती,,,जब काफी देर तक कोशिश करने के बाद भी सुई के अंदर धागा नहीं गया तो वहां परेशान होकर अपने ब्लाउज को निकालने की सोचने लगी कि तभी अंदर वाले कमरे में जहां पर कजरी सुई में धागा डाल रही थी वहां पहुंच गया एकाएक रघु के इस तरह से कमरे के अंदर आ जाने की वजह से वो एकदम से सक पका गई और अपनी दोनों चूचियों को छुपाने की कोशिश करने लगी,,,, इस समय ना जाने क्यों कजरी को शर्म आने लगी थी जो कि रात को छत पर अपने ही बेटे से अपनी मालिश करवाने के बहाने उसे अपनी बुर के दर्शन करा रही थी,,।
रघु अंदर वाले कमरे में आते ही अपनी तेज नजरों से देख लिया था कि उसकी मां सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में थी और ब्लाउज पूरी तरह से खुला हुआ था उसमें एक भी बटन लगे हुए नहीं थे,,,, रघु की नजर एक झलक भर अपनी मां की दोनों नंगी चूचियों पर भी पड़ चुकी थी यह देख कर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, लेकिन अपने खुले हुए ब्लाउज में से झांक रही अपनी दोनों चूचियों को छुपाने की कोशिश करते हुए उसके हाथ से सुई और धागा तूने छूट कर नीचे गिर गया था,,, जिसे नीचे छुपा कर रघु उठाते हुए बोला,,,
क्या हुआ मां क्या सिलाई कर रही थी,,,
अरे कुछ नहीं बेटा ब्लाउज के बटन लगा रही थी लेकिन सुई में धागा जा ही नहीं रहा,,,
रुको मैं सुई में धागा डाल देता हूं,,,
तू सुई में धागा डाल लेगा,,,
तो क्या इस काम में मै माहिर हूं,,,, कितना भी छोटा छेद हो मैं अपनी सूझबूझ से उस में धागा डाल ही देता हूं,,,।(रघु दो अर्थ वाला शब्द बोल रहा था,,, और कजरी भी अपने बेटे के इस दो अर्थ वाले शब्द को सुनकर रोमांचित हो उठी,,, वह अपने मन में ही कल्पना करने लगी की,,, उसके बेटे का हथियार कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है और बरसों से उसकी बुर में लंड नहीं गया इसलिए उसका छेद काफी छोटा और शंकरा हो चुका था उसके बेटे के कहने के मुताबिक कैसा भी छेद हो वह बड़े आराम से डाल देगा,, यह, ख्याल मन में आते ही वह पूरी तरह से गदगद हो गई,,, रघु पल भर में धागा में थूक लगाकर सुई में डाल दिया यह देख कर कजरी और ज्यादा रोमांचित हो उठी क्योंकि जिस तरह से वह धागे में थूक लगाकर उसे डाल रहा था,,,,, कजरी कल्पना करने की इसी तरह से वह अपने लंड पर थूक लगाकर उसकी बुर में डालेगा,,,, इस तरह की अश्लील कामोत्तेजक ख्याल की वजह से कजरी की हालत खराब होती जा रही थी,,,,, रघु सुई में धागा डाल चुका था,,, और सुई में धागा डालने के बाद बोला,,,।
लाओ में बटन लगा देता हूं कहां है क्लाउज,,,,
(रघु के मुंह से इतना सुनते ही कचरी एकदम से सन्न रह गई,,,।)
नहीं नहीं तू ला दे इधर मैं खुद लगा लूंगी,,,।
नहीं मां मुझे लगाने दो ना मैं लगा लेता हूं,,,(रघुजानबूझकर बटन लगाने के लिए बोल रहा था क्योंकि वह जानता था कि जो ब्लाउज उसकी मां बहन नहीं है उसी ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या करने देती है,,,)
अरे रघु तू रहने दे मैं लगा दूंगी बस धागा नहीं जा रहा था जो तूने डाल दिया है अब मैं आराम से लगा लूंगी,,,।
नहीं मा ऐसा क्यों कर रही हो,,,, लाओ ना में लगा देता हूं,,, कहां है ब्लाउज,,,?(रघु जानबूझकर इधर उधर नजर घुमाते हुए बोला,,,)
तो ऐसे नहीं मानेगा,,,,
इसमें मानने वाली क्या बात है,,,,
ले यह रहा ब्लाउज इसमें लगाना है बटन,,,,(कजरी एकदम से अपने ब्लाउज के दोनों छोर को पकड़ते हुए बोली और ऐसा करने से इसकी ब्लाउज के दोनों छोर थोड़ा खुल गया था जिससे रघु को अपनी मां की दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी थी,,, कजरी को ऐसा था कि रघु शर्मा जाएगा और सुई धागा वही छोड़कर चला जाएगा लेकिन वह अपनी मां की हरकत पर एक टक ब्लाउज में हीं देखता रह गया,,, कजरी को इस तरह से रघु का अपनी चूचियों को देखना अच्छा भी लग रहा था,,,।
लाओ इसमें कौन सी बड़ी बात है अभी बटन लगा देता हूं,,, कहां है बटन,,,(रघु एकदम से सहज होता हुआ बोला,,,)
ओ रहा उस डिब्बे में,,,,(आंख से इशारा करते हुए कजरी बोली,,, रघु तुरंत उस डिब्बे की तरफ गया और उसमें से दो बटन निकालकर अपनी मां के पास आ गया,,,)
अभी लगा देता हू,,,,(इतना कहकर वह ब्लाउज में बटन लगाने की तैयारी करने लगा कजरी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था अपने बेटे की हरकत पर पूरी तरह से हैरान थी उसकी आंखों में उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं नजर आ रही थी,,, कजरी भी टस से मस नहीं हो रही थी हालांकि उसे शर्म आ रही थी लेकिन न जाने कौन सा आकर्षण था कि वह ना तो खुद वहां से जा रही थी और ना ही अपने बेटे को ऐसा करने से रोक पा रही थी,,, रघु की आंखों में अपनी चुचियों को देखकर एक अद्भुत चमक कजरी को नजर आ रही थी,,,, रघु अपनी मां की चूचियों को ही देख रहा था,,। एकदम गोलाकार खरबूजे की तरह कड़क,,, जिसे देख कर रखो के मुंह में पानी आ रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि,,, बटन लगाने के बहाने वह अपनी मां की चूचियों को छू सकता है और इसीलिए उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,,उसका दिल जोरो से धड़कने लगा जब वह एक हाथ से अपनी मां के ब्लाउज को छोड़ पकड़ कर उस पर बटन लगाना शुरू कर दिया,,, बार-बार जानबूझकर रघु की उंगलियों का स्पर्श चुचियों पर हो जा रहा था,,, जिसकी वजह से रघु के साथ-साथ कजरी के तन बदन में हलचल सी मच जा रही थी,,,। कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी ब्लाउज का बटन उसका बेटा अपने हाथों से लगाएगा वो भी ब्लाउज पहने हुए ही,,, रघु बार-बार जानबूझकर अपनी मां की चुचियों को स्पर्श कर दे रहा था ,, चुचियों कि गर्माहट उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ावा दे रही थी,,। रघु का मन बहक रहा था वह अपनी मां की चूचियां अपनी हथेली में पकड़कर दबाना चाहता था उसे चूमना चाहता था लेकिन ऐसा कर सकने की स्थितिऔर हिम्मत उसके में बिल्कुल भी नहीं थी हालांकि उसकी जगह कोई और औरतहोती तो वह अब तक चूचियों को अपने हाथ में पकड़ कर उसे दबाने के साथ-साथ उसे पीने का भी सुख ले लिया होता,,, लेकिन बार-बार वह अपनी मां की चूचियों को छू ले रहा था हल्का सा स्पर्श भी रघु के तन बदन में उत्तेजना भर दे रहा था,,, देखते ही देखते पजामे के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, जिसका एहसास कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच बराबर होने लगा था नीचे देखने की हिम्मत उसके में बिल्कुल भी नहीं थी वह भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी लेकिन फिर भी हिम्मत करके वह नीचे की तरफ अपनी नजर दौड़ाई तो एकदम हैरान रह गई,,, रघु के पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जो कि सीधा खड़ा होकर पेटिकोट के ऊपर से ही उसकी पुर के ऊपर ठोकर लगा रहा था,,,पल भर में ही इस नजारे को देखकर और उसे महसूस करके कजरी की सांसे तेज चलने लगी,,,रघु धीरे-धीरे एक बटन लगा चुका था और दूसरा बटन लगा रहा था रघु यही सोच रहा था कि यह समय यहीं रुक जाए क्योंकि इस पल में उसे बेहद सुख की अनुभूति हो रही थी क्योंकि भले ही वह अपनी मां की चुदाई नहीं कर रहा था लेकिन चुदाई से भी अत्यधिक सुख उसे प्राप्त हो रहा था,,,,।
मां बेटे दोनों की हालत खराब थी अंदर वाले कमरे में रखो अपनी मां के ब्लाउज के बटन लगाते हुए उसकी चुचियों को छोड़ने का स्पर्श करने का आनंद ले रहा था हालांकि वह पूरी तरह से खुलकर अपनी हथेली में अपनी मां की चुचियों को नहीं पकड़ पा रहा था लेकिन फिर भी हल्का-हल्का स्पर्श उसे जवानी का जोश बढ़ाने में मदद कर रहा था,,,
जब-जब रघु की हथेली का स्पर्श कजरी को अपनी गोलाईयों पर होता वह पूरी तरह से गर्म हो जाती ,,,
रघु को इस बात का एहसास था कि पजामे में बना तंबू उसकी मां की बुर पर ठोकर मार रहा है और यह देखकर रघु भी अपने कदम पीछे नहीं ले रहा था बल्कि बार हल्का-हल्का अपनी कमर को आगे की तरफ ठैल रहा था जिससे कजरी को इस बात का डर लग रहा था कि कहीं पेटिकोट के ऊपर से ही उसके बेटे का लंड उसकी बुर के मुख्य द्वार में प्रवेश न कर जाए,,,उत्तेजना के मारे कजरी की सांसे गहरी चल रही थी और गहरी सांसे चलने की वजह से उसकी दोनों चूचियां ऊपर नीचे उठ बैठ रही थी जिसकी वजह से बड़े आराम से कचरी की चूत में उसके बेटे के हाथ पर स्पर्श हो रही थी,,,
देखते-देखते रघु अपनी मां के ब्लाउज में दोनों बटन लगा दिया,,,, और सुई से धागे का गिठान लेते हुए बोला,,,
देख लो मा एकदम अच्छे से लगा दिया हुंं,,,, अब यह बिल्कुल भी टूटने वाला नहीं है,,,(रघु की बात सुनकर प्रतिमा बस हां में सिर हिला रही थी बोल सकने की हिम्मत उसके में बिल्कुल भी नहीं थी,,, और वह अपनी मां की ऐसी खामोशी को उसकी संमती समझ रहा था,,, इसलिए सुई धागा को एक तरफ रखते हुए वह बोला,,,।)
रुको मैं तुम्हारे ब्लाउज का बटन लगा देता, हूं,,,,
(इस पर भी कजरी उसे रोक नहीं पाए वह भी अपने बेटे के स्पर्श का आनंद लेना चाहती थी,, वह मूर्ति बनी देखती रह गई और रघु,,,,,अपनी मां के ब्लाउज के ऊपर वाला बटन काम करने लगा देते वह अपनी मां के ब्लाउज के ऊपर के दो बटन बंद कर चुका था वह जानबूझकर ऊपर के ही बटन को पहले बंद कर रहा था ताकि वह नीचे वाला बटन बंद करते समय अपनी मां की चूची को हाथ से पकड़ सके और ऐसा ही हुआ आखरी दो बटन लगाते समय वहा अपनी मां की बाइ चुची को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ब्लाउज के कटोरे में डालने लगा,,, यह हरकत कजरी के लिए जानलेवा साबित हो रही थी ऊपर हाथ की हरकत और नीचे लंड की ठोकर उसे पूरी तरह से ध्वस्त कर रही थी,,,। उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बहना शुरू कर दी थी,,, कजरी अपनी सांसो को दूर से नहीं कर पा रही थी,,, तभी रघु अपनी मां की दांई चुची को पकड़ लिया और उससे ब्लाउज के कटोरे में डालने लगा लेकिन इस बार रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था वह अपनी मां की चूची को मुंह में लेकर पीना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं कर पा रहा था और इसीलिए वह उस सूची को ब्लाउज के कटोरे में डालते हुए वह जोर-जोर से चूची को दबा रहा था छोड़ रहा था,,, ऐसा बार-बार कर रहा था जिससे कजरी पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी और कटोरे में आखिरी मौके में डालते समय वह कस के अपनी मां की चूची को दबा दिया पूरी तरह से उत्तेजित अवस्था में रघु ने यह हरकत किया था जिससे कजरी के मुंह से उत्तेजना भरी सिसकारी फुट पड़ी,,,।
सससहहहहहह,,,आहहहहहहहह,,,,
(अपनी मां के मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुन कर रखो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था अपनी मां की खामोशी को देखकर उसे इतना तो समझ में आ गया था कि उसकी हरकत उसकी मां को अच्छी लग रही है और वह इससे ज्यादा बढ़ना चाहता था,,, वह अपनी मां के ब्लाउज के आखिरी बटन को लगा रहा था,,,, कजरी अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा कुछ और हरकत करें और रघु भी अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल रहा था,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आज अपनी मां को चोदने का पूरा मन बना चुका है,,, क्योंकि इतना तो वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके लंड की हरकत उसकी मां अच्छी तरह से समझ रही है और कुछ बोल नहीं रही है इसका मतलब साफ था कि अगर वह पेटिकोट उठाकर अपनी मां की बुर में लंड डाल देगा तो भी ऊसकी मां को कोई भी एतराज नहीं होगा,,,, और शायद दोनों मां बेटे के मन में यही चल रहा था,,, क्योंकि मौका दोनों के पक्ष में था इसने घर पर चालू नहीं थी और दोनों अंदर वाले कमरे में थे और दोनों काफी उत्तेजित भी हो चुके थे कजरी की बुर से पानी लगातार बह रहा था जिससे पेटिकोट के आगे वाला भाग गीला हो चुका था जिसका आभास रघु को अच्छी तरह हो रहा था वह साफ देख पा रहा था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां गीली हो चुकी थी जोकि एक तरह से कजरी की तरफ से संपूर्ण सहमति का इशारा था,,,। रघु अपनी मां की आंखों में देखने के लिए कजरी की नजर भी रघु की नजरों से टकरा गई कुछ सेकंड तक दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते रहे और कजरी ने शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर दी,,, उसका इस तरह से शर्माना रघु की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाने लगारघु अपने मन में यही सोच रहा था कि ऐसा मौका उसे फिर पता नहीं कब मिलेगा इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था पर वह अपनी मां की पेटीकोट को कमर तक उठाने की सोच ही रहा था कि बाहर बर्तन के खनकने की आवाज आने लगी,, मां बेटे दोनों समझ गए कि सालु घर पर आ चुकी हैं,,,, रंग में भंग पड़ चुका था किसी भी वक्त अंदर वाले कमरे में आ सकती थी इसलिए समय गवाएं बिना रघु वहां से जाने को हुआ और जाते-जाते,,, अपनी मां की चुचियों की तरफ देखते हुए बोला,,,।
तुम बहुत खूबसूरत हो मां,,,,,
(इतना कहते हुए वह कमरे से बाहर चला गया कजरी प्यासी नजरों से अपने बेटे को कमरे से बाहर जाते हुए देखते रह गई,,,शालू घर पर आ चुकी है इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी इसलिए साड़ी पहनने लगी लेकिन साड़ी पहनने से पहले अपने पेटिकोट के आगे वाले भाग पर डाली तो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और अपने गीले पन के एहसास से वह पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो गई,,,।